Saturday, April 14, 2012

सेक्सी कहानियाँ रीटा की तडपती जवानी--1




हिंदी सेक्सी कहानियाँ
रीटा की तडपती जवानी--1
By-  Rita Raut
नादान रीटा और चुदकड़ मौनिका
रीटा कान्वेंट स्कूल की खूब अलटरा माड और सैक्सी स्टयुडंट थी। रीटा अमेरीकन मां और ईन्डीयन बाप की क्रासबरीडईकलौती खूबसूरत और चिकनी औलाद थी। गौल गौल मासूम चेहरे पर सिल्की हेयर सटाईल, खूब उभरी हुई कश्मीरी सेबो सी लाल लाल गाले, मौटी मौटी गीली नशीली और बिल्ली सी हल्की भूरी बिल्लौरी आंखै, रस भरे लाल उचके हुऐ मोटे होंट जैसे लालीपौप को चूस्सा मारने को ल्लायीत हौं।
 
सकेटिंग रीटा की फेवरेट गेम थी। सकेटिंग से रीटा का बदन भरपूर सुडौल और कडीयल हो गया था। इस छोटी सी उमर मे ही रीटा का गौरा चिट्टा तन्दरूसत बदन हद से ज्यदा गदरा गया था। मलाई सी त्त्वचा, मख्खन मे सिन्दूर मिला रंग, लम्बी पतली गर्दन, खडे खडे तराशे चुच्चे, पतली कमर,पिचका पेट, हीरे सी चमकती खूब गहरी नाभी, दाये बाये फैले कूल्हे, गौल गौल उभरे भारी चूतड़ और लम्बी सुड़ौल मरमरी टांगें। कुल मिला के रीटा ताज़ी ताज़ी जवानी के भार से लदी फदी टना टन और पटाका लौंडीया थी।
 
रीटा की तूफानी और कातील जवानी की खूबसूरती का कोई हिसाब कीताब नही था। हसीन रीटा के हुसन और कयामता जवानी ने स्कूल और मुहल्ले मे गद़र मचा रखा था। हर एक जवान रीटा पर लाईन मारता था। पर रीटा ने जगह जगह पे अपनी शराफत के झन्डे गाँड रखे थे। जिधर से एक बार निकल जाती लडके पप्पू पकड कर हाय हाय कर उठते थे।
 
मैग्ना फोक्स, पामेला एम्डरसन, कैटरीना कैफ, लिज़ा रे और एैश्वरया राये की जवानी तो रीटा की झाँट की धूल के बराबर भी नही थी, वो बात अलग है की रीटा की नादान कच्ची चूत पर रोंये का नामो निशान भी नही था। अभी तक नादान और अंगूठा चूसने वाली रीटा टैडीबियरो से ही खेलती रही थी। अभी तक बेचारी रीटा की नादान चूत मूतने के ही काम आ रही थी।
 
कुछ दिन पहले ही नई नई जवान हुई रीटा अपनी नई सहेली मौनीका से खूब धुल मिल गई। मौनीका जी भर के हंसीन और दिलफेकं छौकरी थी। मौनीका बहुत नाटी थी और कभी भी सकर्ट के नीचे कच्छी नही डालती थी। मौनीका हमेशा अपनी चूत पर हल्का सा रूज़, लिपस्टीक और लिपगलौंज़ का मेककप कर के चूत पर चार चाँद लगाये थी। मौनीका ने अपनी चूत को मख्खन और मलाई की मालिश कर के ओर भी हसीन और कातिल बना लिया थ।
 
मौनीका स्कूल में कलास, लाईबरेरी, स्कूल बस और मुहल्ले मे अपनी नंगी चूत का हुसन दिखा दिखा कर लडको को पागल बनाने और पटाने मे उसताद थी। दिन मे न जाने कितनी बार शरारती मौनीका अपने शूज़ का तसमा बांधती और ऐन्गल बना बना कर लडको को अपनी नन्ही चूत से लिशकारे मार मार कर दीवाना करती रहती थी। लडके गली के ठरकी कुत्तो जैसे मौनीका के आगे पीछे घुमते रहते थे। मौनीका की कटी पतंग सी जवानी को लूटने के लिये न जाने कितने लण्ड मौनीका के चारो तरफ मंडराते रहते थे।
 
एक दिन अकेले में, मौनीका ने रीटा को घर बुला कर जब ब्लयू पिकचर दिखा दी, तो बेचारी नन्ही रीटा का तो दीमाग ही घूम गया। रीटा के लिये यह सब कुछ एक दम नया और बहुत ही मजेदार था। मौनीका ने अपने फेवरेट सीन्ज रीटा को रीवाईन्ड़ कर कर के दिखाये तो रीटा ने अपना सिर पकड के सोचा "तौबा तौबा, ये लडकीयाँ कितनी गुन्डी गुन्डी बाते करती हैं, और ये मर्द कितनी बुरी तरहा से सुन्दर सुन्दर लडकीयों को चोदा मारते हैं। ये बेशरम छौकरीयां ईत्त्ती बुरी तरहा से मस्त्त हो कर अपनी चूत और गाँड मरवाती हैं। कितने सटायल से परी सी विलायती छोकरीयां लडको के केले से लम्बे लम्बे लन्डौ को चुसड चुसड कर के चुस्सा मारती हैं और पलक झपकते लन्डौ को अपनी गौरी गौरी चूत और गाड मे आसानी से सटक लैती हैं।
 
तब मौनीका ने बताया की वह चंगे चंगे तगडे लन्डो को अपनी टांगौं के नीचे से निकाल कर उन्हे धूल चटा चुकी थी। इस लिये रीटा की चूत के मुकाबले मे चुदक्कड़ मौनीका की चूत फूल सी खिली हुई वैलकमीग और एकदम चुदरी सी मालूम पडती थी। मौनीका की चूट पर दिलकश छल्ली से सुनेहरे कोमल और छितराये से झाट कायम कर रखे थे। मौनीका ने बताया की उसे अकंल लोगो और अपने से छौटे लडको के साथ छुप छुप कर चौदम चुदाई का खेल खेलने मे बहुत मजा आता है। कमीनी मौनीका हर महीने मौनीका नये आशिक से चूत मरवाती थी। मौनीका ने बताया की अब तो वह दस ईंच से कम लण्ड वाले को घास भी नही डालती।
 
फिर ब्लयू पिकचर देखने के बाद मौनीका ने रीटा से उलटी सीधी बेहूदी हरकतें शुरू कर दीं। शुरू शुरू मे रीटा को मौनीका की गुन्डी हरकत पर बहुत गुस्सा आया, पर बाद मै जब शातिर मौनीका ने रीटा की टांगो को चौडा कर जबरदस्ती रीटा की चूत को आम की गुठली की तरहा चूसने लगी तो रीटा मौमबत्ती सी पिघलती चली गई। मौनीका अपनी साप सी लम्बी लपलपाती जीभ से रीटा की चूत को चाटने और चोदने लगी। कभी कभी मौनीका अपना मुह टेडा कर रीटा की रसीली फाक दातो मे दबा कर जोर जोर से चूस कर रीटा की नाऽऽ नाऽऽ करवा देती थी। मौनीका के लाल लाल नैलपालीश से रंगे हुऐ नाखून रीटा के गौरे गदराये हुऐ चूतडो मे धंसें हुऐ बडे मोहक लग रहे थे। नाखूनौ की तीखी चुभन भी रीटा को अजीब सा मजा दे रही थी।
 
अब रीटा का ईनकार ईकरार मे बदल गया। तब रीटा के हाथ अपने आप मौनीका की खौपडी पर कस गये और अब तो रीटा का दिल कर रहा था की वह मौनीका को पूरा का पूरा अन्दर सटक ले रीटा को लगा जैसे मौनीका का मुह वैकयूम पम्प बन गया हो। जब मौनीका ने दातों से रीटा की चूत कौ नौचने लगी तो रीटा मजे से पागल हो उठी और बेशरमी से अपनी टागौ को 180 डिगरी का ऐन्गल बना दिया। बेहया मौनीका के दातो को कचौकौ ने तो रीटा को जन्नत मे पहुचा दिया।
 
अन्त मे ठरक से बदहवास और पगलाई हुई रीटा ने मौनीका को पलंग पर पटक कर उस के चेहरे को उछल उछल कर अन्धाधुन्द अपनी मस्त चूत से पीटने लगी। रेश्म सी मुलायम और गुदाज़ चूत की मार से एक बार तो मौनीका जैसी हिंसक चुदकड़ लडकी की भी सिट्टीपिटी गुम हो गई। धक्कौ से झटको से रीटा के सिल्की बाल हवा मे उड उड जातो थे और चुच्चे ज़गली जानवरो की तरहा उपर नीचे दाये बाये उछल जाते। मौनीका का सुन्दर चेहरा रीटा के जवानी के जूस से तरबतर हो गया। कुँवारी रीटा की दबी दबी आनंद भरी सुरीली चीखे, कराहटे और सिसकारीया सुन मौनीका और भी पागल हो गई।
 
चुदाई कला मे निपुण़, वैहशी मौनीका ने जगली बिल्ली को काबू करने के लिये जवाबी हमले में रीटा की गाँड मे अपनी थूक से सनी अुंगली घुसेड कर गौल गौल घुमाने लगी और चूत के दाने को होठो तले बाद कर जीभ से सूपर इलेकट्रिक बटरफलाई चुम्मा करने लगी तो रीटा का बैंड ही बज गया।
 
रीटा की चीखो और तेज़ी से मौनीका समझ गई की बस अब लौंड़ीया खल्लास ही होने वाली है। फिर तो रीटा की बदन कमान की तरहा अकड गया, आखें उपर की और लुड़क गई और कई झमाकौ के साथ रीटा का नई नवेली चूत ने भरभरा कर झटको के साथ हुच्च हुच्च कर पानी छोडने लगी। चूदास मस्ती से भाव वीभौर हुई रीटा की चूत से रह रह कर आनंद का करंट निकल कर सारे शरीर में धमाको के साथ फैल रहा था। उधर मौनीका रीटा की चूत से कतरा कतरा जूस कचकचा कर पीने की नाकाम कौशीश कर रही थी, पर रीटा की चूत तो जैसे हमेशा हमेशा के लिये बालटीया भर भर कर छपाक छपाक पानी फैंके जा रही थी। दे रेले पे रेला, दे रेले पे रेला। रीटा की चूत की पिच्चकारीयो ने मौनीका के बालौ और बिस्तर की चादर को एकदम भिगो दिया। चुदी हुई कुत्तीया की तरहा हांफती, कांपती हुई और करहाती सी निठाल हो रीटा मौनीका के उपर लुढक गई।
 
मौनीका ने तो अभी खेल चालू किया था। मौनीका ने जबरदस्ती तित्तली सी फडफडाती रीटा के चूतडो को टेबल टेनीस के बैट से ताबातोड पीटा तो रीटा भी हिसंक चुदाई मे विश्वाश रखने लग पडी थी। पटाक तडाक पटाक तडाक की चूतडो पर बैट टकराने की उंची आवाज़ और गाँड पर मीठी मीठी जलन ने तो रीटा को पागल कर दिया। फिर तो मस्ती मे आ कर रीटा ने अपनी जालिम गौरी गौरी गाँड को हवा मे ओर भी उपर उचका दिया। मौनीका गालीयां देती हुई रीटा के मलाई से चूतडो को पीट पीट कर गुलाबी से लाल और लाल से सुर्ख कर दिये, तो रीटा को थोडी तसल्ली मिली।
 
फिर छीनाल मौनीका ने रीटा की चूत और गाँड को एक बार फिर से कोल्ड क्रीम चुपड़ कर छः ईंच बैंगन से जबरन चौद दिया तो रीटा को दिन मे तारे नज़र आ गये। रीटा ने शरमाते और मुस्कूराते हुऐ थैन्कयू कह, चूतड मटकाती और गुनगुनाती हुई घर को चल दी दिल का पंच्छी बोले कू कूह कूऽऽऽ कू कूह कूऽऽऽ
 
दो दिन तक बैंगन से चुदी हुई रीटा की चूत और गाँड मे सुरसुरी होती रही थी। टेबल टेनीस के बैट से ताबातोड पीटे हुऐ चूतडो मे मीठी मीठी सडन और जलन भी भरपूर मजा देती रही थी। ब्लयू पिकचर देख कर बैंगन की चुदाई से और मौनीका की बाते से रीटा को चूत और लन्ड का मज़ेदार खेल समझ आ गया था। मौनीका के साथ रह कर रीटा भी खूब गालीयां देना भी सीख गई थी। अब तो रीटा मौनीका की छत्रछाया मै अपनी जवानी को दोनो हाथो से लुटाने को आतुर हो उठी। रह रह कर उस नन्ही नवयैवना के सुकोमल अंगों मे तनाव व कसाव आ जाता और कौरी फुद्दी किसी फडफडाते लन्ड को गपकने के लिये कुलबुला उठती थी।
 
रीटा का बहनचौद भाई राजू
फिर रीटा कभी कभी पडने के बहाने अपने पडोसी राजू से टशन मारने और ठरक भौरने चली जाया करती थी। कई बार अकेले मे आपस मे मज़ाक और छेड छाड करते धींगा मुश्ती और लिपटा चिपटी मे राजू कच्ची कली के धस्से मार कर उपर उपर से ठरक पूरा कर लेता था। नन्ही रीटा को भी अपने अंग राजू के जिस्म से रगड कर बहुत शकून और आनंद मिलता था। रीटा के जाने के बाद ठरकी राजू आखे बंद किये सैक्सी रीटा के बारे सोच सोच कर घन्टौ घन्टौ मुठ मारता रहता था।
 
अकसर राजू रीटा से जानबूझ कर धींगा मुश्ती मे हार जाता था। हारने को बाद जब रीटा राजू के उपर होती तो घोडा घोडा खेल खलने से नही चूकती थी। राजू को पीठ के बल चित कर, राजू के पैंट मे फसे हुऐ पप्पू को जब अपनी चूत से पीटती और रगड़ती तो राजू शदाई हो जाता था। राजू के धक्कों से रीटा के सन्तरे पागलों की तरहा उछ्ल उछ्ल पडते थे। रीटा का चेहरा काम वासना से तमतमा उठता था। राजू इस पोज का फायदा उठा कर रीटा की गदराई जांघो पर हाथ फैर देता था। कभी कभी रीटा ठरक में खुद ही राजू के हाथो को खींच कर अपनी चिकनी संगमरी रानो पे रख देती थी। डराई फकींग से कई बार तो राजू का पैंट मे ही छूट जाता था। बथेरी बार रगडम रगडाई और ठरक के मजे से रीटा की भी आंखे मुंद सी जाती थी और सितकारीयाँ भी निकल जाती थी।
 
कभी कभी कुश्ती कुश्ती खेलते राजू भी रीटा के गुदाज बदन को बिस्तर पर दबोचे लुड़कीया लगा कर धस्से मार लेता था। कभी कभी रीटा राजू से डाकटर डाकटऱ, टिकलींग टिकलींग और तलाशी तलाशी जैसे सैक्सी खेल खेलती थी। टीकलींग करते करते राजू रीटा के चूतडो और जांधो की चिकनाहट और गदराहट का मजा लेने से नही चूकता था। जब राजू के हाथ रीटा की चूत के पास पहुचते तो सुरसुरी से रीटा की लिच्ची सी लाल चूत के रौंगटे खडे हो जाते और वह लिसलिसा उठती।
 
फिर एक दिन रीटा राजू के कमरे मे पडाई करने के बाद सू-सूऽऽ करने अटेच्ड बाथरूम मे घुसी। रीटा अपनी सकर्ट उपर उठा कच्छी को सूडौल गाँड से नीचे खींचा और ईंडीयन सटाईल टायलट पर घुटने मोड कर बैठते ही रीटा की चाद सी उजली चूत और गाँड घूम कर सामने आ कर लिशकारे मारने लगी। ऐसा लगा जैसे छौटी सी मच्छली मुह खोल गिल्लौरी पान खा रही हौ।
 
फिर सन्नाटे मे रीटा की फुद्दी ने बडी जोर की फीच्च शीऽऽऽऽऽऽ की आवाज से पिशाब का जबरद्स्त और जौरदार शर्ला छौडा। अनचुदी नन्ही सी नादान चूत की रसभरे होंट आपस मे बिलकुल चिपके हुऐ थे। चिपकी फाँको और बेहद टाईट सुराख के कारण रीटा की चूत का शिशकाराऽऽऽ भी हद से जायदा ऊंचा और सुरीला था। कल कल करती पतली मूत की धार चकुन्दर सी लाल चूत के मुह से निकल कर टायलट मे दम तोड रही थी। बिना झाटो की मूतती चूत बहुत ही क्यूट और मनमोहक लग रही थी।
 
आखीर छबीली रीटा की रसीली चूत ने छौटे छौटे पाच छः झझाकौ के साथ मूतना बंद कर, टप टप हीरे सी जगमगाती बूंदे टपकाने लगी। पिशाब से गीली चूत अब लिश लिश कर शीशे सी चमकने लगी। ऐसा लगा कि खिडे हुऐ गुलाब पर शबनम की बूंदे। रीटा भी झुक अपनी बयूटीफूल चूत को निहारा और एक ठंडी झुरझुरी ले कर रीटा ने अपनी पिशाब से लबालब चूत को दुबारा पिन्क कलर पौलका डौटीड कच्छी मे छुपा लिया और सकर्ट नीचे गिरा दी। मूत से डबडबाई हुई चूत ने कच्छी को फटाक से गीला कर के टरांस्पेरंट बना दिया।
 
जब रीटा टायलट से वापीस बाहर आई तो राजू को कमरे मे न पा कर ढूठती हुई बगल वाले कमरे मे जा कर देखा तो ठिठक गई। राजू टायलट के दरवाजे मे अब भी आख लगाये टायलट के अंन्दर देख रहा था और जीन्स के उपर से अपने लन्ड को जौर जौर से रगड और मसल रहा था।
 
यह देख कर रीटा की उपर की सांस उपर और नीचे की नीचे रह गई साला मां का लौडा, लडकी चौद, चूतीया मेरी चूत देख रहा है और वो भी मूतते हुऐ। शर्म और गुस्से से लाल, पैर पटकती राजू को बिना बताये घर वापीस आ गई।
 
गुस्से मे रोते रोते जब रीटा ने मौनीका को यह सब बताया तो मौनीका की बांछे खिल्ल गई। मौनीका ने एक हाथ की अुंगली और अगुठे से मौरी बना और दूसरे हाथ की अुंगली मौरी के अंदर बाहर करती हुई बोली "भौंसडी की, शर्मा नही़ मौके का फायदा उठा। लौहा गरम है हथौडा मार दे। आजकल तो बहने अपने सगे भाई को भी नही छोडती और सारे भाई बहनचौद होते हैं। फिर कभी न कभी तो चूत फटती ही है"। मौनीका ने रीटा को राजू से मरवाने के लिये उकसा दिया।
 
उस दिन मौनीका कुछ ज्यदा ही मस्त थी। मौनीका ने रीटा को नंगा कर के उस की चूत को गीले तसमे से पीटा तो रीटा ठरक के मजे और पीडा से रो ही दी। रीटा के गौरे चूतडो रानो और चूत पर तसमे की लाल लाल लकीरे पड गई और जब फिर मौनीका ने जलती हुई मोमबती से गर्म गर्म मोम रीटा के चूतडो पर टपकाया तो रीटा मजे से बिलबिला कर कसमसा उठी। अब ठरक के पागल रीटा कुछ भी करवाने के लिये राजी थी। मौनीका ने रीटा की फिंगरीगं करते करते रीटा के कड़े निप्पलस पर कपडे सुखाने बाली चुटकीया लगा दी, तो रीटा की खुशी के मारे सुरीली चीखे निकल गई।
 
टायलट की घटना ने रीटा को मां के लोडे राजू की बेईमान नीयत का पता चल गया था। अब राजू की हरकत सोच कर रीटा के दिल मे लड़डु फूटने लगे और चूत मे चींटीया सी रैंगने लगी। वह समझ गई के राजू असल मे महाठरकी और नम्बर वन चौदू है। बुलबुल अपनी फुद्दी का पटाका बजवा कर भौसडा बनवाने को आतुर हो उठी। मौनीका ने बताया था की लन्ड की पिटाई ही फुद्दी को फुदद्दा,  फुदद्दे से चूत, चूत को भौसडी और भौसडी को भौसडा बनता हैं।
 
इस सब के बाद रीटा राजू को भईया तो कहती थी, पर दिल ही दिल मे बहनचौद की नजरौ से देखने लगी थी। कई बार रीटा ने राजू को मज़ाक मज़ाक मे डबल मीनीग बाते, भुझारते और उलटे सीधे ईशारे किये, पर राजू रीटा को मासूम और स्कूल की बच्ची सोच कर और डर के मारे रीटा की हरकतो को नज़र अंदाज कर देता था और उपर ही उपर से ठरक पूरा करता रहा।
 
मौका पा कर रीटा राजू से गलत गलत सवाल पूछती, तो राजू के पसीने छूट जाते। लडके खडे हो कर पिशाब कयो करते हैंकया लडकीयाँ लडको का रेप नही कर सकतीलडके अपने दुधू को कयो नही छुपातेसुहागरात मे लडका लडकी कया करते हैंब्लयू पिकचर कया होती हैसैक्सी का कया मतालब हैकया मै सैक्सी हूरीटा के उलटे सीधे सवालौ पर राजू बगुले झाकने लगता और रीटा को डाँट कर चुप्प करवा देता।
 
रीटा की ठरक
आज घर पर रीटा के इलावा कोई भी नही था। मम्मी डैडी आउट आफ सटेशन थे। जैसे तैसे रीटा ने अपनी मम्मी को पटा कर राजू भईया से कार चलाना सिखना शुरू कर रही थी।
 
रीटा बाथ-टब नहा कर पानी मे आग लगाने मे मगन थी। मल मल के नहाती रीटा के दौनो बावले चुच्चे गुलाबी गुबारो की तरह पानी के उपर तैर रहे थे। राजू के बारे सोचते ही ठरक के मारे रीटा ने अपनी चूत मे किंगा साईज साबून की टिकीया गपक ली। नौजवान राजू का लम्बा कद हैंडसम और समार्ट लडका था। राजू के चौडा चकला सीना और मसलस से भरपूर बाडी याद कर रीटा पानी मे पनीया गई। तीर सी तीखे शावर की तेज धार चूत पे पडने से रीटा की चूत और भी गुदगुदा गई। बदन मे तनाव व कसाव बढने से जवानी की दुखन और टीसन भी बढ गई।
 
आज ताजी़ ताजी़ नहाई रीटा ने राजू भईया को पटाने की कोई कसर नही छोडना चाहती थी। शरारती रीटा ने अपनी चार साल पुरानी स्कूल डरैस की ब्लैक शोर्ट सकर्ट और वाईट शर्ट फंसा कर पैरो मे हाई हील पहन ली।
 
रीटा ने अपनी मस्त जानलेवा कामुक जवानी को शीशे मे निहारते हुऐ पन्जो के बल उचक के गौरी गौरी बाहे उपर उठा शीशे को तडका देने वाली अंगडाई तोडी तो चटाक चटाक की आवाज से रीटा की टाईट टैरालीन की शर्ट के टिच्च बटन खुलते चले गये। उफऽऽऽ कया नजारा था। रीटा का जवान ठोस गोलाईयां बगावत पर उतर आई और दोनो शरारती कुंवांरे कबुतर शर्ट से दाये बाये बाहर झाक कर गुटर-गूं गुटर-गूं करने लगे। चुच्चौ ने रीटा की शर्ट को चौद कर "वी" गले को "यू" बना दिया था। चुच्चौ के श्यमल शिखर ऐसा लगते थे जैसे संगमरमर के चबुतरौ पर कच्नार की कच्ची गुलाबी कली चिपकी हो।
 
ठरकी रीटा ने अपने बगावत पे उतर आये चूच्चौ को बाहर खींच कर उसे बेरहमी से मसलने लगी चूच्चै मस्ती मे चीं चीं कर चिंघाड उठे। "हायऽऽऽऽ मां कित्त्ता मजा आ रहा है"। रीटा ने अपनी गुलाबी गुलाबी छौटी छौटी नीम सी नीमौलीयौ से निप्पलौ को अपनी थूक से सनी उगली और अंगुठे मे घुमाने से कमसीन बदन झनझना उठा और चूत पिनपीना उठी। मौनिका ने बताया था कि चूत और चुच्चौ का चोली दामन का साथ होता है।
 
रीटा की सैकसी सुडौल कैबरे डांसरो जैसी लम्बी व चिकनी टांगो ने तो हाय हाय कर रखी थी। हाई हील से रीटा की गौरी गुदाज कदली जाधे और सुडौल पिंडलीयां और भी उभर आई और जैसे "नमश्कार आईये और चौद डालिये" का आमन्त्रन देती लगती थी। गदराहट से मांसल घुटनो पर मादक बल पडे हुऐ थे, बेहद पतली और पिचकी हुई कमर के नीचे मस्त गौल गौल चूतड़ और चूतडो में दबी फसी कुंवारी गाँड में चींटीया सी रेंग रहीं थी। बैचारी नाम मात्र की बची  सकर्ट रीटा की उफनती व उबलती शौला जवानी को ढकने  में  नाकाम थी।
 
अपनी स्कूल सकर्ट उपर उठा कर सुर्ख लाल नाईलोन की कच्छी में अपने कसमसाते योवन को निहारते ही रीटा की आखौं मै लाल डौरे खिंच गये और गाल तमतमा उठे। सारे बदन पप्पी फैट तौबा तौबा, कया हुसन थाकया शबाब था उस लौडिया का, बिलकुल ताजा ताजा खुली सौड़े की बोतल के समान। अपने जवालामुखी से सुलगते और फट़ पडने को तैयार यौवन को देखते हुऐ अपने निचले होंट के कोनें को दातो मे दबा कर, स्वयं को आख मार दी, और फिर अपनी ही बेशर्मी पर स्वयं ही लज्जा गई़।
 लीर सी नामत्र टाईट कच्छी रीटा की रौम वहीन मलाई सी गौरी गदरायी फुद़दी और गुदाज कमर मे धंसी हुई थी और चलते समय रीटा को बुरी तरहा गुदगुदा देती थी। एकदम शीशे सी चिकनी और नादान चूत की गुलाबी फांके कच्छी से बाहर झाक रहीं थीं और चूत एकदम से पच्च पच्च गीली थी। ठरक के मारे रीटा की जवान फुद़दी छौटे फुलके की तरहा फूल गई। पनीयाई हुई चूत का चीरा झिलमिला ऊठा और रीटा का लिश लिश करता बदमाश किशमिश सा दाना हौले हौले अकड़ता चला गया। अब रीटा का कलीटौरीस किसी छोटे शरारती बच्चे की लुल्ली के समान चूत की बालकोनी से बाहर झाकने लगा।
दोस्तों कहानी अभी बाकी है कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना
Rita Raut







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Raj sharma

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