गांड फटी, फिर चुत फटी |
हाई दोस्तों,
आपको तो पता है क़ि जब तक में अकेला था, अपनी ऊपर वाले कमरे में रहने
वाली लड़की को पेलता था | मगर एक दिन मेरे उपर आफत आ पड़ी | उसदिन मुझे
लगा की आज तो में उसकी चुत से भी जादा बुरी तरह चुदने वाला हू, और उसदिन
से मुझे लंड लेके घूमना पड़ेगा | हुआ ये की एक दिन मेरे घर पे कोई नहीं
था, और मेने उसे अपने घर बुला लिया, जब वो अंदर आई तो मैंने उसे हरदिन
की तरह गले लगा के चूमना शुरू कर दिया, मगर उसदिन वो मुझसे अपने आप को
अलग कर के जा के सोफे पे बैठ गयी | मेने उससे पूछा क्या हुआ जान, मन नहीं
है क्या ? वो बोली मन गया चुदवाने, हर दिन तू मुझे पेलता था, अब मेरे घर
वाले आयेंगे तुम्हे पेलने | मेरी बड़ी बेहेन को सब पता चल गया हे, और वो
मुझे बोली है की वो घर में सबको बता देगी | उसकी ये बात सुन के मेरी गांड
सुख गयी | मुझे लगा की आज तो में भी चुदुन्गा उसके घर वालो से |
क्युकी उसकी बेहेन हमसे २ साल बड़ी थी, और बहुत गुस्से वाली भी थी | एक
दिन मेने उनको एक अंकल से झगड़ते हुए देखा था, तबसे मेरी फट जाती है
उनके नाम से | वो फिर मुझसे कहने लगी की कुछ करो वरना तुम तो पिटोगे ही
और साथ में मेरी लाइफ भी खराब हो जायेगी | मेने उसे कहा की चिंता मत कर,
में कुछ करूँगा |मेने उसको इतना कह के तसल्ली तो दे दी, मगर उसके जाने के
बाद में खुद सारी रात सो नहीं पाया | नींद तो मेरी पता नहीं कहा गयी, भूक
प्यास भी नहीं लग रही थी | दूसरे दिन दोपहर को मेरे घर की घंटी बजी, मुझे
लगा की वोही लड़की होगी | जा के दरवाज़ा खोला तो मूत निकल गयी मेरी |
मेने सोचा वो नहीं थी, उसकी बड़ी बेहेन थी | उसकी बेहेन का नाम मोना था |
मेने दीदी को नमस्ते कह कर अंदर आने को कहा तो वो बोली की मैं यहाँ
बैठने के लिए नहीं आई हू, तुम्हे ये समझाने के लिए आई हू की तुम आपने आप
को बचा लो अगर बचा सकते हो तो |
दीदी की मुह से इतनी बात सुन के मेरी और फट गयी | मेने दीदी को बोला,
दीदी पहले अंदर तो आ जाओ, फिर बात करते है | दीदी फिर कुछ सोच के अंदर आ
गयी और सोफे पे बैठ गयी | मैं उनके सामने बैठ गया मगर अपनी आँखे निचे
रखी , उनसे नज़र मिलाने का दम नहीं था | फिर कुछ देर के बाद दीदी बोली,
समीर ये सब तुम क्यों करते हो, क्या मिलता है तुम्हे इन सबसे ? माँ बाप
ने क्या इसी काम के लिए बड़ा किया है तुम्हे ? इतना ही मन करता है तो
जा के किसी लड़की से शादी कर लो | दीदी बोले जा रही थी, और मेरी फट के
चार हो रहा था यहाँ पे | में कुछ बोल ही नहीं पा रहा था | फिर दीदी बोली
यहाँ पे आओ मेरे साथ बैठो | मैं फिर उठ के चुप चाप उनके बगल में बैठ
गया, और अपनी नज़रे निचे ही रखा | फिर उन्होंने मेरे हाथ पे हाथ रखा और
फिर बोली, तू आज बच के दिखा, केसे बचता है वो मैं भी देखती हू ? मेने
फिर झट से अपना हाथ हटा लिया |
उसके बाद दीदी ने फिरसे मेरे हाथ को पकड़ा और कहा की एक शर्त पे तू बच
जायेगा, जो मैं बोलूंगी वो तुझे करना पड़ेगा | मेने झट से कहा जी आप
जो बोलोगी वो मैं करूँगा | फिर दीदी ने मेरा हाथ अपने जांघों पे रख दिया
और बोली की जो तू मेरी बेहेन के साथ करता है वो मेरे साथ भी कर, वरना
मैं सबको बता दूंगी | एक पाल के लिए मैं सोचने लगा की मेरी किस्मत चमक
गयी या फिर दीदी कोई प्लान कर रही है मुझे फ़साने की | मैं क्या बोलता
मुझे खुद की कुछ समझ नहीं आ रहा था | फिर दीदी मेरा हाथ को पकड़ के
अपने जांघों पे फेरने लगी, तब में समझ गया की मेरी किस्मत चमक रही है |
मैं दीदी को उपर से निचे तक देखने लगा | दीदी उस समय मेरे घरपे काली रंग
की स्कर्ट और सफ़ेद रंग की टॉप पेहेन के आई थी | में तो वेसे उन्हें जब
पहली बार देखा था तबसे उनपे फ़िदा था, मगर उनके गुस्सेपन को देख के
उन्हें कभी देखता नहीं था |
मेरे सामने २१ साल की पूरी भरी पूरी लड़की थी | जिसने जवानी को अभी अभी
पार किया था | मेरी किस्मत इतनी अच्छी की ऐसी लड़की खुद मेरे पास चल के
आके बोले की आ मुझे चोद, ऐसी किस्मत नसीब वालो को मिलती हैं | मैं यह सब
सोच ही रहा था की दीदी बोली क्या मैं अपनी बेहेन की तरफ सुन्दर नहीं हूँ
क्या ?
मेने कहा नहीं दीदी ऐसी बात नहीं हैं |
फिर क्या सोच रहा है तबसे ? इतना कह कर दीदी ने मेरा हाथ अपने स्कर्ट के
अंदर डाल दिया, जेसे ही मेरा हाथ उनके जांघों के चमड़े को छुआ, मेरे
शारीर में करंट सी दोड़ पड़ी | उनकी टाँगे कसम से एक दम चिकनी थी | उसकी
बेहेन से भी जादा मुलायम | एक पाल के लिए मेने सोचा काश शुरू में मेने
हिम्मत कर के इनको पटा लिया होता तो इतने दिन खराब नहीं होते मेरे | मेने
फिर अपनी गांड में थोडा दम लगाया और उनके टांगो पे हाथ फेरना शुरू कर
दिया | दीदी थोड़ी सी लेट गयी सोफे पे तो मेरी गांड में और भी दम आ गया
और मैं उनके जांघों पे और हाथ फेरने लगा, धीरे धीरे हाथ फेरते फेरते
मेने उनकी स्कर्ट उपर कर दी | फिर मुझे उनकी पेंटी नज़र आने लगी और उनमे
गीले पन के धब्बे भी | फिर मेने उनकी टांगो को थोडा खोल दिया और उनकी
स्कर्ट के अंदर मेने अपना सर डाल दिया और अंदर सूंघने लगा | फिर मेने कुछ
देर के बाद अपना सर बाहर निकाला तो देखा की दीदी अपनी आँखे बंद कर चुकी
थी और लेटी हुई थी |
मेने फिरसे उनके स्कर्ट के अंदर अपना सर डाल दिया और उनकी चुत पे पेंटी
के उपर से ही चूमने लगा, उनके पैर धीरे धीरे कापने लगे थे | फिर मेने
उनके चुत को पेंटी के उपर से हल्का हल्का काटना शुरू कर दिया | मेने अपना
सर अंदर रखते हुए अपने दोनों हाथो को उनके चुचो के ऊपर रख दिया और सहलाने
लगा | उन्होंने फिर मेरा सर के उपर अपना हाथ रखा और फिर अपने चुत पे
दबाने लगी | उनके चुचे उनकी बेहेन से कई गुना जादा बड़े थे | मेने उनको
सहलाना शुरू कर दिया और वो ह्म्म्म उह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म करने लगी | में
फिर उठा गया और दीदी को अपने गोद में उठा लिया और फिर उन्हें उठा के अपने
कमरे में ले गया और वही लेटा दिया और उनसे कहा की यहाँ जादा आराम मिलेगा
हम दोनों को | वो फिर हसने लगी, और हस्ते हस्ते उन्होंने अपनी एक टांग
उठा की और एक टांग बिस्तर पे थी | उनको इस हाल में देख के मेरा लंड खुशी
से फूला ना समाया |
उन्होंने अपनी एक टांग जो उठा रखी थी उसके कारण उनकी चुत मुझे उनके
पेंटी से ही दिखने लगी थी | मेने फिर अपने कपडे उतार दिये सिर्फ चड्डी
नहीं उतारी और उनके स्कर्ट में फिर से मुह डाल दिया, और फिर इनके जांघों
को चूमने लगा | उनकी चुत की महक मुझे पागल कर रही थी | मेने फिर मुह
निकाल के उनकी पेंटी बाहर खीच दी, और बिस्तर के निचे डाल दी | उसके बाद
मेने फिर से उनके स्कर्ट में मुह डाल दिया और उनकी चुत को निहारने लगा |
उनकी चुत देखने लायक थी, अगर कोई कहे की टिकट लगेगा चुत देखने का तो भी
मैं देखता | एक दम कड़क चुत थी उनकी बिना बाल की, नरम नरम सा गुलाबी चुत
| देख के मन भर गया मेरा |
मेने फिर उनकी टांगो को पूरी तरह दोनों तरफ फेला दिया, और फिर अपनी जीभ
से चाटने लगा, मैं कभी उनकी चुत को चाटता तो कभी उनकी चुत में ही जीभ
डाल देता | में काफी देर तक उनके चुत के दानो पे अपनी जीभ रगड़ता रहा और
वो अपने मुह से अह्ह्ह्ह्ह्ह हम्मम्मम उह्ह्ह्हा अहह की आवाजे निकालती
रही | में फिर खड़ा हो गया और अपनी चड्डी भी उतार दी, और फिर उनके टॉप
में हाथ डाल कर उनके चुचे दबाने लगा | उनके चुचे भी कमाल के थे | मन तो
कर रहा था की काट के रख ही लू उनके चुचे | दोनों हाथो में भर गए थे
मेरे चुचे, बोले तो हाथो में ठीक से नहीं आ रहा था मेरे, इतने बड़े बड़े
थे | उनके चुचे दबाते दबते वो काफी गरम हो चुकी थी, फिर उन्होंने अपनी
नशीली आँखों से मेरे लंड को देखना शुरू कर दिया, और अपने होठो को गोल कर
लिया, मेने भी अपना लंड पकड़ के उनके मुह में दे दिया तो वो लंड को चूमने
लगी और फिर धीरे धीरे पुरे लंड को अंदर ले ली, और बच्चे की तरह चूसने लगी
| क्या मस्त लंड चुस्ती है वो, मज़ा आ गया | वो सच में अपनी बहन से बड़ी
थी उम्र में भी और चुदाई में भी, पता नहीं कहा से सिखा था |
फिर मेने अपनी एक ऊँगली ली और उसके चुत में डालने लगा, उसकी चुत काफी गरम
थी, ऐसा लग रहा था जेसे में किसी तवे पे ऊँगली रगड रहा हू | मेने उनकी
चुत में ऊँगली करना चालू रखा, फिर कुछ देर के बाड उन्होंने मेरा लंड हाथ
में पकड़ा और फिर मुठ मारने लग गयी हलके हलके | क्कुछ देर के बाड फिर हम
दोनों एक दूसरे के उपर उल्टा लेट गए | अब हम दोनों एक दूसरे की चाट रहे
थे और चूम रहे थे | फिर कुछ देर के चूमा छाती के बाद उन्होंने मेरा लंड
मुह में ले लिया और फिर आगे पीछे करने लग गयी | चूसते चूसते उन्होंने एक
दम से कास कास के चूसना शुरू कर दिया, मुझे लगा की वो पम्प की तरह मेरे
अंदर से सारा मुठ निकाल लेगी, और थोड़े देर के बाद वोही हुआ | उनके कास
कास के चूसने के कारण में झड गया और मेरे जीभ के कारण वो भी झड गयी कुछ
पाल के बाद | फिर हम दोनों झड जाने के बड बस एक दूसरे के अंगों को चुमते
रहे और फिर थोड़े ही देर में हम दोनों में फिरसे जोश भर आया |
फिर वो बोली अब जादा देर मत कर वरना सबको बता दूंगी, इतना कहने के बाद
हम दोनों हस पड़े | फिर वो बोली की सही में देर मत करो और मेरी जवानी की
प्यास बुझा दो | मेने कहा ठीक हे, एक मिनट रुको में फिर उठ के उनके टांगो
के बिच में बैठ गया और उनकी गुलाबी चुत पे ऊँगली फेरने लगा, और वो भी
इसके मजे लेने लगी और अपने आप को बिस्तर पे रगड़ने लगी और बोली जानू और
देर मत करो, मुझसे और रहा नहीं जा रहा , जल्दी से अपना साँप मेरे छेद में
डाल दो | मेने फिर अपने लंड को उनकी चुत के छेद पे रख दिया और फिर धीरे
धीरे धक्के लगाने लगा | फिर वो हलके से धक्के के बदले में कास के चिल्ला
उठी और बोली की पहली बार साँप जा रहा हे आराम से | फिर में समझ गया की
कुवारी चुत है , आरामसे करना पड़ेगा | मेने फिर पूछा कभी ऊँगली तो की
होगी, वो बोली हाँ बस ऊँगली की हूँ और मेने अपनी सील भी ऊँगली से ही तोडा
हैं | मेने फिर उनसे कहा की दीदी थोडा सा दर्द होगा बाद में खूब मज़ा
आएगा, ठीक है चिंता मत करो |
फिर वो बोली, इस मजे के लिए तो में तुम्हारा लंड क्या हाथी का लंड भी ले
लुंगी, बस ये दर्द है की सहा नहीं जाता | मेने बोला बस एक बार सह लो
उसके बाद आराम करना | मेने फिर उनकी चुत की तरफ देखा तो दिखा की उनका
पानी अभी भी निकल रहा था सो उनकी चुत काफी चिकनी थी, मेने फिरसे अपना लंड
रखा और धीरे धीरे धक्का लगाने लगा | उनको दर्द तो हो रहा था वो उनके
चेहरे से पता चल रहा था | फिर मेने सोचा धीरे धीरे डालने से तो दर्द काफी
देर तक होगा, जब तक लंड पूरा नहीं जायेगा सो मेने उपर देखा और एक ही झटके
में लंड अंदर डाल दिया | उन्होंने अपना मुह फूला लिया और उनकी आँखे भर आई
| मेने फिर उनके आंसू पोचे और फिर चालू होगा लंड को आगे पीछे करना |
उन्होंने फिर मुझे पीछे से कास के पकड़ लिया और मुझे अपनी चुत की तरफ
खिचने लगी | अब मेने अपने धोको की गति बढ़ा दी और फिर वो भी कुछ पाल के
बाद अपनी गांड उठा उठा के मेरे लंड को लेने लगी | बिच बिच में जब थक
जाता तो रुक के उसके चुचो की मसाज कर देता और फिर चालू हो जाता लंड डालना
और फिर वो भी शुरू हो जाती गांड उठा उठा के चुदवाने के लिए |
उनकी कसी हुई चुत के कारण मुझे एक दम आसमानों का सुख मिल रहा था | थोड़ी
देर के बाड वो फिर अपनी शारीर को कसने लगी बोले तो ऐठने लगी और फिर उस
समाये मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था और उसी के कारण मेरा भी निकलने वाला
था, सो मेने अपन लंड एक दम से निकाल लिया और जेसे ही मेरा लंड निकला
उन्होंने अपनी चुत से पिचकारी मारी और झड गयी और फिर मेने झट से अपना
लंड उनके मुह में डाल दिया और उनकी मुह की चुदाई करने लगा | कुछ दो चार
झटको के बाड मेरा पूरा पानी उन्ही के मुह में गिर गया | उन्होंने मेरा
सारा पानी पि लिया और फिरसे पम्प की तरह चूस ह्चुस के पुरे लंड की नली
खली कर दी | फिर कुछ देर उन्ही पे लेटा रहा और फिर थोडा निचे सरक गया और
फिर उनके चुचो के साथ खेलने लगा और उनके निप्पल चूसने लगा |
फिर कुछ १० मिनट बाड हम दोनों में फिरसे जान आ गयी और हमने फिर से चुदाई
की और फिर उन्हें बहुत मनाया गांड को रगड़ने के लिए | गांड की गजब की
चुदाई हुई जिसके कारण वो काफी देर तक उठ नहीं पा रही थी | मगर केसे ना
केसे कर के बाद में यहाँ वहा चल चल के गांड ठीक कर ली | उसी दिन गांड
की चुदाई के बाद हमने दो बार फिर चुत और गांड की चुदाई की और खुब मज़े
किये | फिर उसके जाने का वक्त आ गया था सो वो जाने लगी और जाते जाते मुझे
बोली की मुझे सही में नहीं पता था की तुम ऐसे हो वरना अपनी बेहेन से पहले
में तुमसे पका चुदवा लेती | और आज भी में यही सोच के आई थी की आज कुछ भी
हो जाये अपनी चुत की प्यास तुमसे शांत करवा के ही जाउंगी सो मेने कर लिया
| और अबसे मुझे जब मोका मिलेगा में आउंगी और तुम्हे मेरी प्यास बुझाना
पड़ेगा | मेने कहा दीदी आपकी बेहेन की सामने ये सब केसे होगा ? वो बोली
तुम डरो मत, उसे मेने इसी शर्त पे माफ किया की में भी तुमसे चुदवाउंगी,
अगर वो यह नहीं मानती तो में सबको बता देती |
उसने मेरी शर्ट मानली है सो अब में तुमसे चुदवा सकती हूँ | इतना कह गयी
और मेरे होठो में मुस्कान आ गयी फिर वो मुझे देख के मुस्कुराई और मेरे
होंठो को चूम लिया | उसके जाने के एक घंटे बाद उसकी छोटी बेहेन आई |
अंदर आके वो बिस्तर पे बैठ गयी और बोली की मेरी बेहेन आई थी क्या ? मेने
कहा हाँ आई थी |
वो बोली क्या हुआ था, जब मेरी बेहेन आई थी तब ?
मेने फिर उसके नरम नरम होठो पे अपने होठ रख दिया और उसको चूमने लगा और
फिर कहा चिंता की कोई बात नहीं हे, अब हम बच गए और अब हमे कुछ नहीं होगा,
और फिर मेने उसे बिस्तर पे धकेल दिया और उसपे चढ़ गया और फिर उसके साथ
भी एक खेल खेल लिया | उसदिन में बहुत खुश था की अबसे मुझे दो दो चुत
मिलेंगी | एक दिन में दो नहीं पर एक तो मिलेगा | कोनसा भी दिन हो, घर पे
पानी आये या ना आये, चुत जरुर आएगा |
समाप्त
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