Monday, February 15, 2016

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--39

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--39


दोनो को एक दूसरे पर बहुत प्यार आ रहा था ! कामया का हाल ज़्यादा बुरा था उसका दिल कर रहा था काश सन्नी ही उसका पति होता तो वो इस स्वर्गीय आनंद को रोज दोनो हाथों से लूटती ! सन्नी लगभग पंद्रह मिनिट तक अपनी सेक्शी दीदी को ठंडी मे भी गरमी का अहसास दिलाता रहा और फिर अंत मे कामया मे अपना बीज़ भरने लगा !
अब आगे ---- - - - - - -
दूसरे दिन तीनो घर पहुँच गये ! सुनील को दो दिन और रुकना था इसलिए सन्नी उसी दिन शाम को चल दिया ! उसे समझ आ गया था की इतनी भीड़ भाड़ मे कामया के लिए समय निकालना मुश्किल है ! मदनलाल भी दो दिन तक बड़ी बेकरारी से इंतज़ार करता रहा ! सुनील के रहते उसे चुदाई का मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि कामया की शिकायत के बाद सुनील भी अब दोस्तों के पास ना जाकर घर मे ही रहता था ! इस दरमियाँ मदनलाल मौका मिलते ही केवल अपनी सेक्शी बहू के या तो दूध दबा देता या उसकी मर्दमार मस्त गांद को सहला देता !
सुनील के जाते ही मदनलाल उसी रात बहू के कमरे मे घुस गया ! वो पिछले दस दिन से चुदाई नहीं कर पाया था इसलिए
बहुत ही गरम था जबकि कामया को इतनी उतावलापन नहीं था क्योंकि पूरे हनिमून पीरियड मे उसके भाई ने उसे जी भर
कर पेला था और असल मे तो कामया के जिस्म मे अभी तक उस दौर की चुदाई की कसक बाकी थी ! मदनलाल का अति उतावलापन ही उस पर भारी पड़ गया जिस तेज़ी से वो बहू के ऊपर चड़ा था उसी तेज़ी से बेचारा ढीला भी पड़ गया ! कामया उसकी मज़बूरी समझ गई इसलिए कुछ नहीं बोली वैसे भी अब उसके पास उसका छोटा भाई था जो किसी भी समय उसकी प्यास बुझाने आ सकता था ! अब ससुर और बहु के संबंध फिर से बन गये थे ! कामया कोई अवसर ढूँढ रही थी जिससे अपनी गर्भावस्था की जानकारी घर मे दे सके लेकिन प्रकृति ने खुद ही उसका साथ दे दिया ! मदनलाल से रात की चुदाई के बाद दूसरे दिन वो जब किचन मे काम कर रही थी की अचानक उसे उल्टी का अहसास होने लगा और वो वॉश बेसिन मे जाकर खड़ी हो गई ! उसकी हालत देख शांति ने पूछा - - -
शांति - - - क्या हुआ बहू ? तबीयत ठीक तो है
कामया - - - पता नहीं माजी कुछ बेचनी सी हो रही है ! wometing फील हो रही है ?
शांति - - - अरे वाह लगता है कुछ खुश खबरी मिलने वाली है ! शांति ने मुश्काराते हुए कहा तो कामया सुनकर
शर्मा गई और कुछ बोल ना पाई !
शांति - - - बहू चल तू नहा धोकर तैयार हो जा हम डॉक्टर के पास चलते हैं ! दोनो सास बहू डॉक्टर के पास चले
गये ! कामया और मदनलाल अंदर ही अंदर मुश्कारा रहे थे क्योंकि वो तो जानते ही थे की डॉक्टर क्या बोलने वाला है ! और हुआ भी वही डॉक्टर ने शांति को दादी बनने की बधाई दी ! दोनो क्लिनिक से बाहर निकल कर मेडिसिन की दुकान से दवा खरीद कर घर जाने लगे ! कामया अभी activa स्टार्ट ही करने वाली थी की शांति बोली - -
शांति - - - बहू तू एक मिनिट खड़ी रह मैं डॉक्टर को दवा दिखा कर आती हूँ ! अंदर जाकर शांति ने दवा दिखाई और मौका पाकर पूछ लिया
शांति - - - डॉक्टर इसका महीना थोड़ा रेग्युलर नहीं होता है वैसे गर्भ कितने दिनो का हो गया है !
डॉक्टर - - - डेड महीने का है और हाँ बहू से कहना अभी और दो महीने नाज़ुक होते हैं इसलिए थोड़ा सावधानी रखे !
आजकल के नई लड़कियों मे संयम कहाँ होता है ? डॉक्टर के मुँह से डेड महीना सुनकर शांति के चेहरे मे एक
रहस्यमयी मुश्कान आ गई क्योंकि सुनील को आए तो केवल पंद्रा दिन ही हुए थे ! कामया के गर्भवती होने की खबर के
बाद तो पूरा परिवार ही खुशी मे डूब गया ! जैसे ही सुनील को और कामया के मायके मे खबर मिली बधाइयाँ आनी शुरू हो
गई ! कामया को घर मे किसी महारानी की तरह रखा जाने लगा ! सास ससुर तो उसे ऐसे व्यवहार करने लगे जैसे वो कोई
छोटी सी बच्ची हो ! उसकी ज़रा ज़रा सी ज़रूरत को दौड़कर पूरा करते !
इसी उधेड़बुन मे मदनलाल हफ्ते भर से भी ज़्यादा से बहू के पास अहीं जा सका था ! आज वो पूरे मूड मे था क़ि आज बहू के पास जाएगा और बड़ी सावधानी से संयम के साथ हल्का हो जाएगा मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था ! शाम को
अचानक कामया के मां आ गई वो कामया को कुछ दिन अपने साथ ले जाना चाहती थी ! कुछ किया भी नहीं जा सकता था सो मदनलाल मन मसोसकर रह गया ! समधन रात भर कामया के साथ रही और सुबह सुबह ही कामया को लेकर चल दी ! मदनलाल सूनी नज़रों से अपनी महबूबा को जाते देखता रहा ! कामया उसकी दशा समझ रही थी मगर उसे कोई मौका
ही नहीं मिला क़ि अपने ससुर राजा को कुछ राहत पहुँचा सके !
कामया के जाने के बाद मदनलाल अपने बिस्तर मे आकर बैठ गया और कामया के मादक बदन को याद करने लगा ! थोड़ी देर बाद शांति भी ऩहा धोकर वहाँ आई ! आज शांति ने अपने को बहुत कामुक अंदाज मे सजाया था जिसे देखकर
एकबारगी तो मदनलाल कामया को भी भूल गया !
 

शांति का ऐसा सेक्सी हावभाव देख कर मदनलाल के लंड ने अंगड़ाई लेना चालू कर दिया वो सोचने लगा की ""मैं तो खाली
पीली चिंता कर रहा था साली ये शांति क्या कोई कम है बिल्कुल पटाखा है पटाखा "" शांति ने भी उसे इस तरह घुरते
देख लिया था तो वो शर्मकार मुश्काराने लगी ! आज कई दिन बाद मदनलाल ने उसे ऐसी भूखी नज़रों से देखा था जिसे
देखकर शांति के दिल मे भी कुछ कुछ होने लगा ! मदनलाल उठा और सीधा शांति के पास जाकर उसे अपनी बाहों मे
भर कर चूमने लगा ! शांति हड़बड़ाते हुए बोली - -
शांति - - - अरे अरे क्या कर रहे हो ?
मदनलाल - - - क्या कर रहा हूँ ? प्यार कर रहा हूँ अपनी बीवी को
शांति - -- अरे ये सुबह सुबह ? ये कोई टाइम है इस चीज़ का ? हालाकी मदनलाल का यों उसे प्यार करना उसके दिल मे भी अरमान जगाने लगे थे आख़िर वो भी एक स्त्री थी और पति के मर्दाना स्पर्श उसे खुमारी मे ले जाने लगा था मगर
भारतीय नारी होने की वो पूरी एक्टिंग कर रही थी !
मदनलाल - - - रानी प्यार करने का कोई टाइम नहीं होता ! जब दिल करे अपनी बीवी को प्यार कर लेना चाहिए !
शांति - - - अच्छा जी इन सब चीज़ के लिए रात होती है आप तो सुबह ही चालू हो गये ! शांति ने इठलाते हुए कहा !
मदनलाल - - - जान प्यार का कोई वक्त नहीं होता दिन हो या रात हर दम प्यार करना चाहिए ! और इसी के साथ वो शांति के बदन पर टूट पड़ा ! उसके होंठ शांति के रसभरे होंठों से जा लगे और मदनलाल के हाथ शांति के पूरे बदन मे
अशांति मचाने लगे ! शांति के साँस तेज़ होने लगी वो रह रह के सिसक पड़ती ! थोड़ी देर तक स्मूच करने के बाद
मदनलाल उसके कपड़ों को उतारने लगा !
शांति - -- अरे अरे ये क्या करते हो ? जनाब का तो कुछ ज़्यादा ही इरादा है
मदनलाल - - - ज़्यादा नहीं पूरे का इरादा है रानी ! बस अब तुम बिल्कुल चुप रहो ! और फिर फिर एक एक करके शांतिके तन के कपड़े उसका साथ छोड़ते चले गये ! पाँच मिनिट बाद शांति हाल मे पूरी नंगी मदनलाल के सामने खड़ी थी ! आज कई साल बाद उसके पति ने उसे इस तरह पूर्ण नग्न किया था ! वो बहुत शर्मा रही थी ! मदनलाल तो आँख फाड़ अपनी बीवी का ग़दराया जिस्म ही देखता रह गया !
 


शांति के इस तरह भरे जिस्म को देख कर मदनलाल उसी तरह खुश हो रहा था जैसे किसान अपनी पकी हुई फसल को देख कर खुश होता है ! उसने सोचा की शांति भी कामया से कोई कम नहीं है ! अगर बहू स्लिम ट्रिम पानीपूरी है तो शांति
मसालेदार कचोरी से कम नहीं है ! उसे अपनी किस्मत पर नाज़ होने लगा इतने दो शानदार माल हैं उसके पास अपनी
प्यास बुजाने को ! अपनी बेपर्दा हुश्न को इस तरह दीवानगी से देखते देख शांति ने कहा
शांति - - - क्या हुआ सुनील के पापा कहाँ खो गये ?
मदनलाल - - - जान तेरी मादक जवानी मे खो गया हूँ ! दिल करता है बस तुझे ऐसे ही नंगे रखकर देखता रहूं
शांति - - - धत ! आप तो बच्चों से भी ज़्यादा पगला गये है ! बस देखते ही रहेंगे क्या ?
मदनलाल - - - नहीं रानी देखेंगे भी और प्यार भी करेंगे ! कहते हुए मदनलाल ने शांति को अपने बदन से चिपका
लिया और पागलों की भाँति उसके बदन को नोचने खसोटने लगा !
 

उसके हाथ शांति के हर नाज़ुक अंगों को बेरहमी से मसल रहे थे मानो असहिसनूता का प्रदर्शन कर रहे हों ! कई
बार तो वो शांति के मिल्क टेंकर को इतनी ज़ोर से दबा देता की शांति की दर्द भरी चीख निकल जाती
शांति - - - आ ओह मर गई ! सुनील के बाबू आज आपको क्या हो गया है एकदम जंगली हो गये हो ! कितनी ज़ोर से दबा रहे हो !
मदनलाल - - - रानी आज मत रोक आज बस जी भर कर प्यार कर लेने दे
शांति - - - मैं कोई मना थोड़ी कर रही हूँ मगर आप तो बाप रे कितनी ज़ोर से मसल देते हो नाज़ुक अंगों को दर्द देने
लगता है
मदनलाल - - - रानी सह ले दर्द ये दर्द थोड़ी देर बाद तुझे अच्छा लगने लगेगा ! मदनलाल शांति के कंधो गर्दन
बाहों पीठ पेट हर जगह चूम रहा था और साथ ही साथ जगह जगह दाँत से भी हल्का काट देता ! शांति के तो पूरे
बदन मे कामग्नी के शोले भड़क उठे ! अब वो भी अपनी बहू के समान ही कामुक सिसकारियाँ लेने लगी !
शांति - - - आह हे राम ये आपने क्या कर दिया सुनील के बाबू ! इतना तो आपने कभी जवानी मे भी प्यार नहीं किया ! मार दोगे क्या अपनी बीवी को इतना प्यार करके ! मदनलाल अब तक उसके पीछे पहुँच चुका था और शांति की भारी भरकम नितंबों चूम और चाट रहा था ! अपने संवेदन शील नितंब मे मदनलाल की लपलपाटी जीभ का स्पर्श शांति को
बावला बना दे रहा था उसे मालूम था की अब मदनलाल काफ़ी देर तक उसके नितंब को छोड़ने वाला नहीं है ! स्त्री के
नितंब मदनलाल की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी गोलमटोल चौड़े चकले नितंब देख कर तो वो बिल्कुल पागल हो जाता था !उसने शांति की गांद मे कई जगह दाँत के निशान बना दिया कमरे मे सिर्फ़ शांति की मादक सिसकारी ही गूँज रही थी !
मदनलाल बहुत देर तक शांति की गांद का मज़ा लेता रहा और फिर घुटनों के बाल चलके शांति के सामने की तरफ आ गया ! अब उसकी आँखों के सामने शांति की पाव भाजी के समान फूली चूत थी ! शांति की चूत किसी भट्टी की तरह गरम थी और उसके अंदर से उसका काम रस रिस रहा था ! मदनलाल अपने को रोक नहीं पाया और उसने ज्वालामुखी के मुहाने मे अपने प्यासे होंठ रख दिए ! चूत मे मदनलाल की जीभ लगते ही शांति गनगॅना गई
शांति - - - - आ ! सुनील के बाबू क्या कर रहे हो ! प्लीज़ वहाँ नहीं करो ! छि गंदी जगह होती है ! हालाकी वो काफ़ी देर से इस पल का इंतज़ार कर रही थी कब मदनलाल की जीभ उसका खजाना लूटने आएगी !
 

लेकिन अब मदनलाल शांति की बात सुनने को तैयार नहीं था उसे मालूम था की शांति मना ज़रूर कर रही है मगर उसे बुर चटवाना अच्छा लगता है और बात सही भी थी इस चूत को तो मदनलाल ने सालों चाटा था ! मदनलाल ने शांति की गांद के दोनो तरबूज़ों को पकड़ कर सहारा लिया और अपनी जीभ शांति की अशांत दरार मे डाल कर चाटने लगा ! शांति की हालत खराब होने लगी उसकी दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था उसे अपना भारी भरकम बदन संभालने मुश्किल होने लगा तो उसने मदनलाल के कंधों का सहारा ले लिया ! अब कमरे मे शांति की मादक सिसकारियाँ गूंजने लगी ! धीरे धीरे खुद बखुद उसकी टाँगें दूर होती जा रही थी जिससे मदनलाल का मुँह और अंदर होता जा रहा था ! मदनलाल जीभ से तो बुर चटाई कर रहा था मगर दोनो हाथों से शांति की गांद को भी गूंद रहा था जिससे शांति और ज़्यादा भड़कती जा रही थी ! जब शांति चरम पर पहुँच तो वो खुद अपनी गांद मदनलाल के मुँह मे ठूँसने लगी ! वो मदनलाल का सिर पकड़ कर उसे अपनी जांघों के बीच दबा दे रही थी शातिर शिकारी मदनलाल ने तुरंत पहचान लिया क़ि अब शांति शांत होने वाली है तो वो और बेरहमी से उसकी चूत चाटने लगा ! शांति इस अंतिम हमले को बर्दास्त नहीं कर पाई और सिसकारी ले ले कर झदाने लगी !
शांति - - - आ ओह हाय राम ! मैं तो गई ! ओह ओह शी शी ! उसका पूरा बदन सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा और उसने मदनलाल के मुँह मे अमृत वर्षा कर दी ! मदनलाल भी चटोरे की तरह चाटने लगा ! जब ठंडी होकर उसे कुछ शांति मिली तो उसने कहा
शांति - - - मेरे तो पैर दुख गये खड़े खड़े ! क्या सारा काम खड़े खड़े ही करोगे ? शांति को मालूम था क़ि अब मदनलाल की बारी है मज़े लेने की और अब वो उसकी कुटाई करेगा !
मदनलाल - - - रानी चिंता ना कर सब काम आराम से होगा तू तो बस मज़ा ले मज़ा ! उसके बाद मदनलाल खड़ा हुआ और एक बार फिर अपनी गदराई बीवी के जिस्म पर टूट पड़ा वो उसके मम्मो को तो मानो उखाड़ ही लेना चाहता था ! शांति की गर्दन कंधे गाल और होंठों पर उसने अपने चुंबन की बौछार कर दी ! अब तक मदनलाल का खूँटा भी लकड़ी के डंडे की तरह कड़ा हो गया था और शांति की बुर मे गड़ रहा था !
 

चूत के मुहाने पर मूसल की चोट अब शांति को भी बेहाल कर रही थी उसे अब ये प्यारा सा खिलोना अपने अंदर चाहिए था जब उससे रहा नहीं गया तो उसने कहा
शांति - - - मुझे गड़ रहा है
मदनलाल - - - क्या गड़ रहा है ? शांति ने उसके मूसल को पकड़ा और कहा
शांति - - - आपका ये बदमाश बहुत परेशान कर रहा है ! बहुत देर से गड़ रहा है !
मदनलाल - - - कहाँ गड़ रहा है जानेमन
शांति - - - हटो शरीरी कहीं के ! आपको मालूम नहीं है क्या कहाँ गड़ रहा है ? उसने लंड को स्ट्रोक मारते हुए कहा
मदनलाल - - - गड़ रहा है तो हटा देते हैं !
शांति - - - इससे अच्छा तो वो जहाँ जाना चाहता है उसे वहाँ पहुँचा क्यों नहीं देते कहते हुए उसने ज़ोर से लंड को दबा दिया ! दबाव इतना ज़्यादा था की मदनलाल के मुँह से चीख निकल गई
मदनलाल - - - तो बताओ ना कहाँ जाना चाहता है ये ? हमे क्या मालूम इसे क्या पसंद आ रहा है ? तुम बताओ तो इसे वहीं डाल दें !
शांति - -- डालने के लिए तो अब आपको बेड मे चलना पड़ेगा ! अब मैं मोटी हो गई हूँ खड़े खड़े नहीं हो पाएगा जैसे शुरू शुरू मे आप कर देते थे !
मदनलाल का लंड अब इतना अकड़ गया था क़ि उसने वहीं पड़े सोफे की तरफ शांति को घसीट लिया और खुद सोफे पर बैठ कर बोला
मदनलाल - - - रानी अब ये कहीं भी जाने के लिए तैयार है चलो अब इसे बताओ तो कहाँ जाना है इसे ! शांति समझ गई की अब ये सोफे मे बैठ गये हैं तो मुझे ही घुड़सवारी करनी पड़ेगी सो बोली
शांति - - - अब इसे कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है मैं ही ले आती हूँ इसकी पसंदीदा चीज़ इसके पास ! महाराज के बड़े नखरे हैं बैठे बैठे खाएँगे ! दरअसल अब शांति भी जल्दी से जल्दी लंड निगलना चाहती थी आज कई महीने बाद मदनलाल उसे चोदने जा रहा था ! उसने आहिस्ता से मदनलाल के दोनो तरफ अपने को अड्जस्ट किया और अपनी बुर को नीचे तैयार खड़ी मिसाइल के ठीक ऊपर सेट कर दिया ! मदनलाल ने अपनी साँस रोक ली ! शांति लंड को अपने मुहाने मे रखी ही थी की उसके वजन और गीली चूत के कारण वो अंदर सरक कर गुम हो गया ! शांति के मुख से मज़े की सिसकारी निकल गई ! मदनलाल के पठानी लंड ने उसकी पूरी चूत को लबालब भर दिया था ! जब मूसल जड़ तक अंदर हो गया तो शांति को ऐसा लग रहा था जैसे वो उसकी नाभि के भी पार पहुँच गया है ! वो कुछ देर तक उसे फील करती रही और फिर मूड मे आकर उछल कूद मचाने लगी !
 

शांति के हर धक्के से उसके दोनो मिल्क टेंक ऊपर नीचे उछल रहे थे जो मदनलाल को बड़े ही मनोहारी लग रहे थे ! कुछ देर तक वो उनकी थिरकन देखता रहा और उसने दोनो दशहरी आम को पकड़ लिया ! अब शांति जितना कूदती उतने ही दोनो बूब्स मदनलाल के हाथों मे पीस जाते जिससे शांति को और नशा आने लगा ! वो बड़बड़ाने लगी
शांति - - - आ आह आज कितने दिनो बाद इतना मज़ा आ रहा है ! हाय राम सुनील के पापा आप इतने बेदर्द क्यों हो गये जो हमे कई कई दिनो तक याद भी नहीं करते ! मदनलाल का मूसल पिछले बीस मिनिट से लकड़ी की तरह कठोर बना हुआ था अब उसे लग रहा था की किसी भी वक्त वो शांति की अथाह गहराइयों मे पिघल जाएगा तो उसने मम्मे छोड़ उसकी गांद के दोनो पल्ले पकड़ लिए और उन्हे मसल मसल कर अपनी ओर खींचने लगा ! सोफे मे अब भूकंप आ गया था दोनो पति पत्नी एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगे थे ! और फिर आख़िर मे दोनो ने एक दूसरे को बाहों मे भरा और उसी के साथ अपना अपना रस आदान प्रदान करने लगे ! कुछ देर तक दोनो निशब्द बैठे रहे और फिर मदनलाल ने शांति को बेड मे जाकर लिटा दिया और खुद भी उसके बाजू मे लेट गया ! दोनो एक दूसरे की बाहों मे थे और उन्हे झपकी आ गई ! दो घंटे बाद मदनलाल की नींद खुली तो वो छत की ओर देखने लगा उसे कामया की याद आने लगी थी ! बाजू मे उसकी बीवी नंग धड़ंग पड़ी थी मगर अब उसे अपनी कमसिन बहू का जिस्म याद आने लगा ! मानव मन का ये ही अवगुण है उसके पास जो होता है उससे उसका मोह भंग हो जाता है और जो उसके पास नहीं होता वो उसके मोह मे फँस जाता है ! कोई चीज़ प्राप्त होते ही मन का उसमे से रस ख़त्म हो जाता है और जो अभी अप्राप्त है उसमे रस आने लगता है ! वही हाल मदनलाल का भी था शांति को भोगने के बाद अब उसे कमसिन जवान बहू याद आने लगी थी ! थोड़ी देर बाद शांति की आँख खुली तो उसने मदनलाल को छत की ओर एक टक घूरते हुए पाया !
शांति - - - क्या बात है ! किसकी याद कर रहे हो ?
मदनलाल - - - किसी कि नही मदनलाल ने झेन्पते हुए कहा
शांति - - - तो उदास क्यों हो तुम्हे तो खुश होना चाहिए ?
मदनलाल - - - खुश होने चाहिए मतलब ? मदनलाल ने चोन्कते हुए पूछा
शांति - - - अरे और क्या ? घर मे नया मेहमान आने वाला है घर को कुल दीपक मिलने वाला है ! तुम दादा बनने वाले हो तो क्या खुशी की बात नहीं है ?
मदनलाल - - - खुशी की बात तो तुम्हारे लिए भी है ?
शांति - - - हाँ बिल्कुल है ! मैं तो बहुत खुश हूँ मगर आपको तो दुहरी खुशी मिल रही है ??
मदनलाल - - - दुहरी मतलब ??
शांति - - - पहली खुशी दादा बनने की शांति ने उसकी आँखों मे रहस्यमयी तरीके से झानकते हुए कहा
मदनलाल - - - और दूसरी खुशी कौन सी? मदनलाल ने पूछा
शांति - - - दूसरी खुशी फिर से बाप बनने की !!!!! शांति ने ऐसा कह कर मानो मदनलाल के सामने विस्फोट ही कर दिया ! शांति के मुँह से ये सुनकर मदनलाल का चेहरा ही सफेद हो गया उसके पूरे माथे मे पसीना आ गया ! उसने हकलाते हुआ कहा
मदनलाल - - - ये ये तुम क्या कह रही हो ?? मदनलाल को खुद अपनी आवाज़ दूर कहीं से आती महसूस हो रही थी !


मदनलाल के पीले पड़े चेहरे और उसकी कांपकन्पाती आवाज़ सुनकर शांति ने फिर से मुश्कारा कर कहा
शांति - - - आप क्या समझते हैं इस घर मे पिछले एक साल से क्या चल रहा है मुझे नहीं मालूम ? ये मेरा घर है , यहाँ की दीवार यहाँ की ईंटें भी मुझसे बात करती हैं !
मदनलाल - - - शांति तुम्हे कुछ ग़लतफहमी हुई है ! मदनलाल ने हिम्मत बटोरकर कहा मगर उसकी आवाज़ अभी भी एकदम मरी सी थी !
शांति - - - मुझे कोई ग्लात फ़हमी नहीं हुई है और वैसे भी एक बात आपको बता दूं क़ि इस बार आपके बेटे को आए केवल पंद्रह दिन ही हुए हैं जबकि आपकी बहू को डेड महीने का गर्भ है !
मदनलाल - - - क्या डेड महीने का गर्भ ?? मदनलाल अब लगभग पूरी तरह टूट चुका था उसका चेहरा मुर्दे के समान लटक गया ! मदनलाल की हालत देखकर शांति को अंदर से हँसी आ रही थी उसे लगा अगर इन्हे तुरंत नहीं संभाला तो कहीं दौरा ना पड़ जाए सो उसने कहा
शांति - - - सुनील के पापा आप इतना घबडा क्यों रहे हैं ? मैं तुम्हे कोई डाँट तो नहीं रही हूँ ना ही आप से भला बुरा कह रही हूँ ! मदनलाल भोंचक सा मुँह फाडे उसकी ओर देखने लगा ! उसने तो आज तक यही सोचा था क़ि अगर कभी ये बात शांति को पता चली तो घर मे तूफान आ जाएगा लेकिन शांति तो एकदम शांत है और उसे कुछ कह ही नहीं रही है ! उसको अवाक देख शांति ने फिर कहा
शांति - - - सुनील के पापा जो कुछ इस घर मे हो रहा था वो सब मुझे शुरू से ही पता था और उसमे मेरी मर्ज़ी भी शामिल थी वरना आप क्या समझते हैं क़ि औरत की छटी इंद्री इतनी कमजोर होती है की वो अपनी नाक के नीचे चल रही रास लीला को भी ना जान पाए !
मदनलाल - - - तुम्हारी मर्ज़ी शामिल थी मतलब ? शांति ये तुम क्या कह रही हो ? ऐसे कैसे हो सकता है ?
शांति - - - दुनिया मे सब कुछ हो सकता है ! परिस्थिति आदमी से सब कुछ करा सकती है ! इस घर के हालत भी कुछ ऐसे बन गये थे की ये सब होना इस घर को टूटने से बचाने के लिए ज़रूरी हो गया था !
मदनलाल - - - घर को टूटने से बचाने के लिए मतलब ? शांति तुम ये सब क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ? घर टूटने की बात कहाँ से आ गई ?
शांति - - - ये एक लंबी कहानी है सुनील के पापा ? बस अब मुझे इस बात की खुशी है की मेरा घर टूटने से बच गया और सब कुछ ठीक हो गया ?
मदनलाल - - - शांति कौन सी लंबी कहानी है मुझे अच्छे से बताओ ? मेरा दीमाग काम नहीं कर रहा है ?
प्लीज़ मुझे सब कुछ बताओ ? और तुम्हे सब कुछ मालूम था तो तुमने मुझे कभी कुछ कहा क्यों नहीं ? तुमने मुझे रोका क्यों नहीं ?
शांति - - - रोका इस लिए नही क्योंकि इसी मे इस घर का हित था वरना ये घर टूट जाता सुनील के पापा !
मदनलाल - - - प्लीज़ पहेली मत बुझाओ ! सही सही बात बताओ !
शांति - - - बात ये है की आज से लगभग साल भर से भी पहले की बात है एक रात मैं रात को बाथरूम जा रही थी ज्यों ही मैं बहू के कमरे के पास से निकली मुझे कुछ ऐसा सुनाई पड़ा की मेरे पैर वहीं जम गये ! शायद सिग्नल की परेशानी रही होगी इसीलिए बहू ने स्पीकर ऑन कर रखा था और एकदम खिड़की के पास खड़ी होकर अपनी माँ से बात कर रही थी ! उनकी बात सुनकर मेरे पैरों तले धरती ही खिसक गई !
मदनलाल - - - ऐसी क्या बात हो रही थी उनके बीच ! प्लीज़ बताओ मुझे ?
शांति - - - जब मैं खिड़की के पास से निकल रही थी तब मैने सब से पहले बहू की आवाज़ सुनी वो कह रही थी
बहू - - - मम्मी मुझे कुछ समझ नही आ रहा दिल करता है सब छोड़ कर वहीं आ जाऊं आपके पास !
कामया की माँ - - - क्यों बेटी ऐसा क्या हो गया है ? आज के पहले तो तूने ऐसा कुछ नहीं कहा ? कहीं वो लोग तुझे सताते तो नहीं हैं ? सास तो ठीक हैं ना ?
कामया - - नहीं नहीं मम्मी प्राब्लम माजी या बाबूजी की नहीं है ?
कामया की माँ - - - फिर क्या दिक्कत है बेटी ?
कामया - - - मम्मी प्राब्लम तो इनमे लगती है ?
कामया की माँ - - - क्यों ? क्या हो गया जवाइं बाबू को ? वो तो इतना अच्छा लड़का है ?
कामया - - - मम्मी वो तो अच्छे हैं पर आपको कैसे बताऊं ? आप समझ नहीं रही हैं ? देखिए ना शादी को तीन साल हो गये हैं अभी तक मुझे कुछ हुआ नहीं है ?
कामया की माँ - - - बेटा इसमे चिंता करने की कोई बात नहीं है ? आगे पीछे होता रहता है ! आज नहीं तो कल हो जाएगा !
कामया - - - मम्मी मुझे तो नहीं लगता की कुछ होने वाला है आगे भी ?
कामया की माँ - - - क्या ? बेटी तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रही है ! कभी कभी देर हो जाती है ? दामाद जी से तेरे संबंध तो अच्छे हैं ना ? तुझे प्यार तो करते हैं ना ?
कामया - - - मम्मी संबंध भी अच्छे हैं और वो मुझे प्यार भी बहुत करते हैं लेकिन ?
कामया की माँ - - -- लेकिन क्या बेटी ?
कामया - - - मम्मी अब आपको कैसे बोलूं ? मुझे उनमे कुछ कमी लगती है ?
कामया की माँ - - - कमी ? किस प्रकार की कमी बेटी ? वो तो अच्छा ख़ासा हेंड्सॅम है !!
कामया - - - मम्मी कमी मतलब जैसा मेरी सहेलियाँ बताती हैं वैसा तो यहाँ मेरे साथ कुछ नहीं हो पा रहा है ?
कामया की माँ - - - क्या मतलब ? बेटी कुछ खुल के बता ! तेरी बात सुनकर मुझे कुछ डर सा लग रहा है ?
कामया - - - मम्मी ये ज़्यादा देर नहीं कर पाते ! पिंकी बता रही थी की उनके हास्बेन्ड रात मे चार बार तक करते हैं और फिर दिन मे भी परेशान करने लगते हैं मगर ये तो सिर्फ़ एक बार करते हैं और !!
कामया की माँ - - - और क्या बेटी ?
कामया - - - मम्मी पिंकी और मधु बता रही थी क़ि उनके पति जब करते हैं तो दस पंद्रह मिनिट तक करते रहते हैं लेकिन इनका तो दस सेकेंड मे ही हो जाता है !
कामया की माँ - - - बेटी पंद्रह मिनिट तो नहीं कह सकती किंतु दस सेकेंड तो बहुत कम है !
कामया - - - और मम्मी इनका ???
कामया की माँ - - - इनका क्या बेटी ?
कामया - - - मम्मी इनका वो भी बहुत छोटा और पतला सा है !! मेरी फ्रेंड्स कह रही थी क़ि उनके हास्बेन्ड्स का सात इंच का और कलाई बराबर मोटा है ?
कामया की माँ - - हे राम सात इंच का और कलाई बराबर मोटा है ?बड़ी किस्मत वाली हैं वो !! और इनका कितना छोटा है ? कामया की माँ के मुख से निकल गया बाद मे वो खुद शर्मा गई और चुप हो गई
कामया - - - मम्मी इनका तो मुश्किल से चार इन्च का है और भिंडी जैसा पतला है कुछ पता ही नहीं चलता ! जबकि मधु बोल रही थी क़ि उसका आदमी जब करता है तो मधु के तो प्राण हलक मे आ जाते हैं आँखे बाहर निकल आती हैं !
कामया की मां - - - इतना बड़ा अंदर जाएगा तो आँखें तो बाहर आ ही जाएँगी ! मज़ा भी तो उतना ही मिलता होगा कमीनी को ! तभी तो शादी के एक महीने बाद जब घर आई तो उसकी तो चाल ही बदल गई थी ! सब औरतें उसकी कमर की लचक ही देखती रह गई थी ! और साली पीछे से कितनी चौड़ी भी हो गई थी !
कामया - - - हमारे साथ तो ऐसा कुछ नहीं होता पता भी नहीं चलता की कब अंदर आता है और कब बाहर जाता है !!
कामया की माँ - - - बेटी तूने तो मुझे भी बड़ी चिंता मे डाल दिया ! तेरे पापा को पता चलेगा तो कितने दुखी होंगे ! वो कई बार कह भी रहे थे की कामया की तरफ से कोई अच्छी खबर नहीं आ रही ! मैं तो उन्हे ये कह देती थी क़ि अरे बच्चे हैं कुछ दिन एंजाय करना चाहते होंगे मुझे क्या मालूम था क़ि असल बात क्या है !
कामया - - - क्या खाक एन्जोय करूँगी मम्मी ? रात भर सिर्फ़ जलती रहती हूँ ! और रही बात अच्छी खबर की तो उसके तो कोई आसार ही नहीं दिख रहे !
कामया की मम्मी - - - क्यों बेटा बच्चा तो एक बार करने से भी हो सकता है ?
कामया - - - हो तो सकता है किंतु बीज़ भी तो होना चाहिए खेती करने के लिए !
कामया की मम्मी - - - तो क्या दामाद जी मे बीज़ नही है ?
कामया - - - मुझे कुछ नहीं पता चलता मम्मी ! पिंकी बताती है क़ि उसके पति का तो ढेर सारा निकलता है उसकी पूरी जाँघ भर जाती है जब उसके अंदर से बाहर को निकल कर टपकता है ! पूरी चादर सुबह तक चिपचिपी हो जाती है ! कह रही थी रात भर मे छटाक़ भर से ज़्यादा ही माल भर देते हैं मुझमे !
कामया का माँ - - - ज़रूर भर देता होगा छटाक़ भर माल तभी तो वो शादी के नवें महीने मे ही केलेंडर छाप दी थी ! छटाक़ भर बीज से तो दर्जन भर लड़कियों की बगिया लहलहाने लगे ?
कामया - - मैने तो कभी अपने अंदर से बाहर रिसते कुछ देखा ही नहीं फिर कहाँ से होगा बच्चा ?
कामया की माँ - - - हे भगवान !! बेटी तेरी बात से तो मेरा दिमाग़ काम करना ही बंद कर दिया है ! जब ज़मीन मे बीज ही नहीं पड़ेंगे तो फसल कहाँ से होगी ? मेरी बेटी तूने इतने दिनो से ये सब क्यों नहीं बताया ?
कामया - - - कैसे बताती मम्मी ? मैं इंतज़ार कर रही थी क़ि शायद कुछ हो जाएगा ! और फिर मैं सुनील को बहुत प्यार करती हूँ मम्मी वो भी मुझे बहुत चाहते हैं किंतु अब सहन नहीं होता मम्मी ! वो मेरे बदन मे आग तो लगा देते हैं मगर पानी डाल कर बुझा नहीं पाते !
कामया की माँ - - - बेटी लेकिन अब तू करना क्या चाहती है ?
कामया - - - मम्मी वो अगले महीने आने वाले हैं अगर इसबार भी कुछ नहीं हो पाया तो मैं सब कुछ छोड़ छाड कर आपके पास आ जाऊंगी !
कामया की मम्मी - - - ठीक है बेटा ऐसे तिल तिल कर जीने से तो अच्छा है तू यहीं आ जा हम तेरी दूसरी शादी कर देंगे ! मेरी बेटी तो चाँद का टुकड़ा है आज भी कई तुझसे शादी करने को तैयार हो जाएँगे ! कहाँ मिलेगी उन्हे मेरे बेटी जैसी जन्नत की हूर !
कामया - - - नहीं मम्मी मैं आ ज़रूर रही हूँ मगर मैं दूसरी शादी नहीं करूँगी ! मम्मी मैं सुनील को कभी भूल नहीं सकती ! वो मेरी साँसों मे बस गये हैं !
कामया की माँ - - - तो फिर तू उसे छोड़ना क्यों चाहती है जब दूसरी शादी करनी ही नहीं है ?
कामया - - - मम्मी पहली बात तो अकेले जीवन काटना ज़्यादा आसान है यहाँ बदन मे आग लगने के बाद जलते हुए जिंदगी काटना बहुत मुश्किल है ! और दूसरी बात मैं सुनील को प्यार करती हूँ मगर उन्हे सज़ा देना भी है जब ऐसा कुछ था तो उन्हें शादी ही नहीं करना था ! शादी करके मेरे दिल मे बस गये और अब मुझे मनजधार मे छोड़ कर खुद किनारे पहुँच जाते हैं ! बस इसी बात की सज़ा दूँगी !
कामया की माँ - - - बेटी मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा ! ऐसे अकेले कैसे काट पाएगी पहाड़ सा जीवन ! अगर एक बच्चा भी हो गया होता तो उसी के सहारे कट जाती जिंदगी ! एक काम क्यों नहीं करती ?
कामया - - - कौन सा काम मम्मी ?
कामया की माँ - - - कुछ दिन और देख ले नहीं तो फिर एक बच्चा गोद ले लेना ?
कामया - - - नहीं मम्मी ! मैं इस खानदान की बहू हूँ और इस घर मे कोई बाहर वाला नहीं चाहिए मुझे !
कामया की माँ - - - हे भगवान पता नहीं अब और क्या दिन देखने को मिलेगा ? बेटी तू पड़ी लिखी है सोच समझ कर फ़ैसला लेगी ! मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है !
शांति - - - उधर उन दोनो का फ़ोन बंद हुआ इधर मेरी दिल की धड़कन बंद होने लगी ! मैं किसी तरह गिरती पड़ती बेड मे आकर गिर पड़ी ! मेरी आँखों से नींद तो गायब ही हो गई थी ! उसके बाद तो मेरे लिए एक एक दिन एक एक युग के समान बीतने लगे मैं घंटों पूजा रूम मे भगवान से प्रार्थना करती रहती ! सुनील के पापा आप समझ सकते हैं मेरी क्या दशा हो रही होगी ! मुझे सबसे जतादा चिंता सुनील की हो रही थी ! अगर लड़की दहेज के नाम से , मार पीट के नाम से या बेरोज़गारी के नाम से तलाक़ ले ले तो बात अलग है लेकिन अगर कोई पत्नी पति के पौरुष पर प्रश्न उठा कर घर छोड़े तो समाज मे कितनी बदनामी होगी आप समझ रहे हैं !
मदनलाल - - - हाँ समझ रहा हूँ ! मदनलाल ने गला खंखारते हुए कहा
शांति - - - और सुनील वो बेचारा तो जीते जी ही मर जाता ! मैं तो उसको याद करके एकांत मे रोने लगती !
मदनलाल - - - लेकिन शांति तुमने ये बात मुझे पहले क्यों ना बताई ?
शांति - - - कैसे बताती ! मैं तो खुद दुखी थी फिर तुम्हे भी दुखी कैसे कर देती ! और फिर आप तो मर्द हो बेटे के बारे मे ऐसा सुनकर तो आप बिल्कुल टूट ही जाते ! जिंदगी मे पौरुष कितना ज़रूरी है ये तो एक मर्द ही जान सकता है सुनील तो आपकी आँखों का तारा है !
मदनलाल - - - हाँ ये बात तो है शांति मैं तो तुमसे भी ज़्यादा टूट जाता !
शांति - - - फिर एक दिन मैने ऐसा कुछ देख जिससे हमारे घर की किस्मत ही बदल गई !
मदनलाल - - - ऐसा क्या शुभ देख लिया था तुमने शांति ?
शांति - - - जो देखा था वो शुरू मे तो अशुभ ही था मगर आज देखती हूँ तो लगता है की वो हमारे घर के लिए बहुत शुभ था ! एक दिन मैने ऊपर छत से देखा की आप बैठ कर बरामदे मे चाय पीए रहे थे और बहू वहीं पोछा लगा रही थी ! उस दिन बहू ने एक काफ़ी चुस्त और झीनी सा गाउन पहन रखा था ! अचानक मैने देखा की आप बार बार बहू की चूचियों को देख रहे हैं और फिर वो जब दूसरी तरफ पलटी तो आप एकटक उसके बड़े बड़े नितंबों को देख देख कर अपने होंठों पर जीभ फेर रहे थे ! ये देख कर एक बारगी तो मेरा खून खौल उठा ! पहले तो मैं वहीं आकर आपकी ऐसी की तैसी करना चाहती थी फिर मुझे लगा क़ि बहू को ये सब पता चलेगा तो हमेशा के लिए वो लज्जित हो जाएगी इस वजह से मैने सोचा अपने रूम मे आकर आपकी खबर लूँगी ! मैं गुस्से से भरी हुई थी और जल्दी जल्दी कपड़े टाँगने लगी ! इससे पहले की मैं नीचे आ पाती मेरे सामने बहू और उसकी मम्मी की वार्ता का दृश्य घूम गया ! और ये याद आते ही मेरा दिमाग़ मे बिजली सी कौंधी क़ि अगर आपका बहू से संबंध बन जाए तो इस घर मे सब कुछ ठीक हो सकता है ! एक तरफ मुझे इस विचार पर सोच कर तकलीफ़ भी हो रही थी दूसरी तरफ ये भी लग रहा था की अगर ऐसा हो सका तो निश्चित ही बहू की गोद भर जाएगी और घर टूटने से बच जाएगा ! दो चार दिन तक मैं अपने आपसे लड़ती रही और आख़िर मे मैने फ़ैसला कर लिया की अगर ऐसा हो गया तो पूरे घर की नाक काटने से बच जाएगी ! उस दिन के बाद से तो मैं अपनी तरफ से आप लोगों को पूरा पूरा सहयोग देने लगी !
मदनलाल - - - लेकिन शांति तुमने कहाँ कोई सहयोग दिया था ?
शांति - - - क्यों भूल गये सुबह शाम एक एक घंटे पूजा के कमरे मे घुसी रहती थी ! बार बार पड़ोसनों के साथ बाजार चली जाती थी ? भूल गये क्या नींद की गोली खाकर बेहोश सी सो जाती थी ?
मदनलाल - - - तो क्या वो सब तुम जान कर कर रही थी !
शांति - - - और क्या ?? मैं अपनी तरफ से आप लोगों को ज़्यादा ज़्यादा समय देना चाह रही थी ताकि आप लोग एक दूसरे के करीब आ सको ! इस बीच मैं जानने की कोशिश भी कर रही थी की बात आगे बड़ रही है या नहीं ? मुझे ऐसा अहसास हो रहा था की जब मैं पूजा मे रहती हूँ और बहू किचन मे रहती ही तो आप वहाँ पहुँच जाते हो और अपनी तरफ से बहू को पटाने की कोशिश करते रहते हो !
एक शाम मैं पूजा के कमरे मे घुसी और जब मुझे अहसास हुआ की आप वहाँ हैं तो करीब पंद्रह मिनिट बाद मैं
चुपके से उठ कर झाँकने लगी ! रसोई का सीन देख कर मेरी आत्मा को तृप्ति मिल गई !
मदनलाल - - - क्या देखा था तुमने रसोई मे ?
शांति - - - जब मैने चुपके से झाँका तो देखा की आप ने बहू को प्लॅटफॉर्म से टिका कर उसे अपनी बाँहों मे भरा
हुआ है ! आप उसके हर नारी सुलभ नाज़ुक अंगों का मर्दन कर रहे हैं ! आपके अनुभवी हाथ कभी बहू के बूब्स को
मसलते तो कभी उसकी प्यारी सी गांद को सहला देते ! सुनील के पापा आप सोच सकते हैं उस समय मेरी क्या दशा हो रही थी ?
 

 
मदनलाल - - - मैं समझा नहीं शांति तुम क्या कहना चाहती हो ?
शांति - - - कोई पत्नी अगर ये सुन भी ले उसके पति का कहीं चक्कर चल रहा है तो उसका पूरा आस्तित्व काँप उठता है और यहाँ तो उसका पति घर मे ही उसकी पुत्रवधू के साथ रास रचा रहा था तो सोचो मेरी क्या दशा हो रही होगी !
लेकिन मैं अपने परिवार को टूटने से बचाने के लिए हर बलिदान देने को तैयार थी खाश कर अपने बेटे को टूटने
से बचाने के लिए !
मदनलाल - - - सच शांति तुम्हारा ये त्याग ही आज बहू को इस घर मे रोक सका है नहीं तो वो शायद पिछले साल ही
सुनील को छोड़ चली गई होती ! लेकिन हमे कभी पता नहीं चला की तुम हमे देख चुकी हो ?
शांति - - - आप लोगों को कैसे पता चलेगा ! बहू तो बस आँख बंद कर मज़े से सिसकारी लेती रहती थी और तुम्हारी आँख तो अपनी बहू के जिस्म से हटती ही नहीं थी क्या खाक देखते बाहर ! उसके बाद मैं फिर पूजा करने चली गई मगर मुझे चैन नहीं पड़ रहा था तो करीब दस मिनिट बाद मैं फिर दुबारा देखने के लिए आई !
मदनलाल - - - दुबारा क्या देखा तुमने ? मदनलाल ने उत्सुकता से पूछा अब तक उसका भय ख़त्म हो चुका था बात भी
सही थी जब शांति पूरे प्रोग्राम को प्रोमोट कर रही थी फिर चिंता की क्या बात था ये तो ऐसा ही था मानो "" सैंया भये
कोतवाल तो डर काहे का ?""
शांति - - - दुबारा जब मैने झाँका तो बात कुछ और आगे बॅड चुकी थी ! आपने बहू को ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया था और बच्चे के जैसे बारी बारी से उसके दोनो दूध पी रहे थे !
 

बहू तो बस आपका सिर सहला रही थी और आपको अपने सीने मे दबाती जा रही थी ! आप झुक कर बहू का दूध पी रहे थे और आपके हाथ कभी उसके पीछे हिस्से को
सहलाते तो कभी नीचे जाकर उसकी मांसल जांघों को सहलाने लगते ! लेकिन तभी एक बात ऐसी हो रही थी जो मुझे
चिंता मे डाल रही थी !
मदनलाल - - - ऐसी कौन सी बात थी शांति ?
शांति - - - जब भी आप नीचे हाथ डाल कर बहू की साड़ी ऊपर उठाने लगते वो हाथ बढ़ाकर आपका हाथ रोक दे रही
थी इससे मुझे चिंता हो रही थी क़ि बात अपने अंजाम तक पहुँच पाएगी क़ि नहीं ?
मदनलाल - - - क्यों ऐसा तो होता ही है इसमे तुम्हे किस बात की फ़िक्र हो रही थी ?
शांति - - - सुनील के पापा ! आप समझ नहीं रहे स्त्रियों की ये आदत होती है क़ि वो कमर के ऊपर तक के लिए तो जल्दी से मान जाती हैं लेकिन कमर के नीचे इतनी आसानी से नहीं पहुँचने देती किसी को ! ये जो आजकल कॉलेज की लड़कियाँ बॉय फ्रेंड बना के रखती है ना वो भी उन्हे ऊपर की छूट तो दे देती हैं मगर नीचे के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं !बॉय फ्रेंड के साथ जैसे ही एकांत मिलता है लड़कियाँ उन्हे तुरंत अपने दूध पीला देती हैं मगर पेंटी के अंदर हाथ डालने नहीं देती इसी तरह घरों मे बहुत सी भाभियाँ अपने देवर को और सालियाँ अपने प्यारे जीजू को ऊपर से मज़े लेने दे देती हैं मगर उसके आगे जाने नहीं देती ! इतनी देर से शांति की बातें सुन कर मदनलाल के लंड मे अब हल्का सा तनाव आने लगा था इसलिए उसने धीरे से शांति की चूची पकड़ कर सहलानी चालू कर दी और फिर पूछा !










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1 comment:

Casanova said...

please sir daily update Kya Kare story co

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