FUN-MAZA-MASTI
रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-13
सुनील :- अपनी बाइक स्टैंड पर लगता है और फिर वार्डो की तरफ चल पड़ता है तभी उसके फोन की बैल बजती है सुनील फोन पर नंबर देखता जो एक अनजान नंबर होता है और सोच में पड़ जाता है की ये अंजना नंबर किसी का है और कुछ देर सोचने के बाद फोन उठता है
सुनील :- हेल्लो ??
अनजान :- हेल्लो
सुनील :- (दूसरी तरफ से एक रसीली आवाज़ में एक लड़की बोलती है ) हेल्लो कौन ??
अनजान :- नहीं पहेचाना ?
सुनील :- जी नहीं
अनजान :- क्या बात है जनाब इतनी जल्दी भूल गये ?
सुनील :- जनाब शब्द सुनते ही ओह्ह तुम हो संगीता तुम को कैसे भूल सकता हूँ ?
संगीता :- हा जनाब वैसे उनको याद किया जाता है जो अपने होते है
सुनील : - नहीं यार तुम तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हो तुम को नहीं भूल सकता
संगीता :- चल जूठे अगर मैं तुम्हारी अच्छी दोस्त होती तो तुम मेरे को फोन जरुर करते जैसे मैंने किया मैं तुम से नाराज हो कर तुम्हारे घर से बिना चाय पिए ही आ गयी थी लेकिन जनाब हम को तुम्हारी याद आई तो हम से रुका नहीं गया और तुम को फोन कर लिया
सुनील :- आरे यार ऐसी बात नहीं है हमारे पास तुम्हारा नंबर नहीं था इस लिए तुम को फोन नहीं कर पाए
संगीता :- जनाब कोई किसी को याद करता है तो उसके लिए न जाने क्या कर दे और ये तो नंबर की बात ही क्या है खोजने वाले तो भगवान को भी खोज लेते है फिर नंबर कोई बड़ी चीज नहीं है
सुनील :- ( मन ही मन माँ की चूत बहुत तेज है साली एक ही दिन में इतनी आगे बाद गयी ) ओके बाबा तुम जीती गयी मैं हार गया अब बोलो तुम को मेरा नंबर कहा से मिला ?
संगीता :- चुप कर आया है बड़ा हरने वाला तेरे से मतलब कही से मिला हो और तुम को शायम को मेरे घर आना था मेरे को मैथ में सहायता करने ?
सुनील :- sorry यार मेरे को पिता जी पास हॉस्पिटल में जाना पड़ा इस लिए नहीं आ पाया
संगीता :- ओके कल आओगे ?
सुनील :- कुछ नहीं कह सकता हूँ कल के बारे में
संगीता:- ओके बाद में फोन करती हूँ अभी माँ के साथ बहार जाना है बाय
सुनील :- बाये बोल कर फोन कट देता है और संगीता के बारे में सोचने लगता है की ये कैसी लड़की है अपने आप तो नाराज हो जाती है और अपने आप ही खुश हो जाती है और ये सब सोचते हुए उसको ये भी मालूम नहीं रहता है की जिस वार्ड में उसके पिता जी है वो पीछे रह गया है तभी उसके कानो के आवाज़ आती है भाई
भाई सुनते ही वो पीछे घूम कर देखता है की संगीता उसको बोल रही है और फिर वो ऊपर वार्ड नंबर देखता है तो उसको पता चलता है की जिस वार्ड में पिता जी नही वो तो पीछे छुड गया है और फिर वो वापिस घूम कर पिता जी वाले वार्ड में चल पड़ता है सोनल उसको देख कर बोलती है भाई उधर कहा जा रहे थे
सुनील :- कही नहीं बस चलते चलते ये धयान ही नहीं रहा की पिता जी का वार्ड पीछे रह गया है
सोनल :- ओके
और फिर दोनों बहन भाई अपने पिता जी के वार्ड में आ जाते है और सुनील अपने पिता जी और मम्मा को नमस्ते करता है
राजबीर :- आ गये बेटा ?
सुनील :- हा पिता जी आ गया हूँ
राजबीर :- बेटा खाने को यहाँ रख के पहले सोनल को बहार छोड़ कर आ जल्दी से देख अगर जायदा देर हो गयी तो इसको घर जाने में बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी लेकिन तभी सुनील का माम्मा बोलता है
माम्मा :- जीजा जी इस की जरूरत नहीं है सोनल को मैं जाते हुए रस्ते में घर छोड़ दुगा मेरे को भी उधर ही कुछ काम जाना है
राजबीर :- ये ठीक है हमारी भी परेशानी दूर हो जाएगी नहीं तो हम भी ये सोच कर परेशान रहते की सोनल घर गयी है या नहीं बेटा सुनील तुम खाना लगा दो बहुत भूख लगी है हम को
सुनील :- जी पिता जी और फिर वो खाना लगा देता है और राजबीर खाना खाने लगता है तभी सोनल बोलती है
सोनल :- पिता जी अगर मेरा काम ख़तम हो गया है तो हम लोग घर जाये ?
राजबीर :- जाओ बेटी लेकिन देख के जाना रास्ता बहुत ख़राब है
सोनल :- जी पिता जी अब माम्मा जी मेरे साथ है तो मेरे को किसी बात की चिंता है
और फिर सोनल अपने माम्मा रामबीर के साथ घर की तरफ चल पड़ती है
रामबीर एक बहुत ही चालू और लोंडिया बज होता है हर वक़्त कूट के पीछे कुते की तरफ पागल हुआ घुमाता है रामबीर अपनी बहनजी के साथ हॉस्पिटल से निकलते वक़्त सोनाली को बोलता है सोनाली बेटी
सोनाली :- जी माम्मा जी बोलो
रामबीर :- बेटी अगर तुम को जल्दी न हो तो क्या हम पहले मेरा काम कर आते है और उसके बाद मैं भी तुम्हारे साथ घर चलूगा
सोनाली :- अपने माम्मा की बात सुनकर खुश हो जाती है ठीक है माम्मा जी माँ से भी मिल लेना आप
रामबीर :- हा बेटी और फिर वह से बाईक निकल कर सहर से बहार चल पड़ता है और कुछ दूर जाने के बाद वो बोलता हो सोनाली बेटी
सोनाली :- जी माम्मा जी ?
रामबीर बेटी तुम को बाईक चलानी आती है ??
सोनाली :- नहीं माम्मा जी मैंने बहुत बार सुनील को बोल था की मेरे को बाईक चलानी सिख दे लेकिन वो सिखाता ही नहीं
रामबीर :- चल बेटी आज मैं तुम को सिख देता हूँ
सोनाली :- खुश हो कर अपने माम्मा से चिपक जाती है और बोलती है सिखाओगे माम्मा जी
रामबीर :- अपनी भांजी के नरम चूचो की चुभन अपनी कमर पर महसूस करते हुए बोलता है हा बेटी जरुर सिखायेगे मेरे बेटी को बाईक क्या हवाई जहाज सिख दू एक बार बोल के तो देखती बेटी और फिर वो बाईक को सड़क के एक किनारे पर रोक देता है और निचे उतर कर चल बेटी आ जा आगे
सोनल :- खुश होते हुए बाईक का हेंडल पकड के बाईक स्टार्ट करती है और रामबीर उसके पीछे बैठ जाता है और फिर उसको आराम आर्तम से बाईक को आगे बदने के लिए बोलता है
सोनाली राम बीर की बात सुन कर एक दम से बाईक की किलच छोड़ देती है जिस से बाईक बिच में ही बंद हो जाती है रामबीर फिर से सोनाली को बाईक स्टार्ट करने को बोलता है और अब की बार वो पीछे से सोनाली की कमर को पकड लेता है और बोलता है बेटी अब की बार आराम आराम से किलच छोड़ना
सोनाली :- जी माम्मा जी और फिर सोनाली जैसा रामबीर ने बोल था वैसा ही करती है लेकिन अब की बार फिर से बाईक बंद हो जाती है
रामबीर :- अपने दोनों हाथो को सोनाली के हाथो के निचे से निकल कर हेन्दिल को पकडता है और ऐसा कारने से उसकी बाजुए सोनाली के चूचो के साइड में टच करती है और वो सोनल को बोलता है की बेटी अब मेरे हाथो के निचे सेपक्दो और जितना मैं बोलू उतनी ही रेस देना ये बोल कर अपने दोनों पेरो को सोनल के पैरो से चिपका के निचे से बाईक को पहले गियर में डालता है और फिर सोनल को बोलता है की बेटी अब आराम आराम से रेस दे कर किलच छोड़
सोनल :- रामबीर की बात को समझ कर आराम आराम से किलच छोडती है जिस से बाईक सड़क पर चलने लगती है अब रामबीर अपने हाथो को हेंडिल से हटा कर सोनल के पेट के ऊपर सेसोनल को पकड लेता है और उस से एक दम से चिपक के बैठ जाता है और अपना मुह सोनल के सोल्डर पर रख देता है
रामबीर :- सोनल के पेट को पकड के उसको आराम आराम से सहलाने लगता है और बिच बिच में अपने हाथो को सोनल के चूचो को भी टच करता है सोनल अपनी बाईक चलने की मस्ती में थी वो इस सब से अनजान थी की उसका माम्मा उसके साथ क्या कर रहा हैऔर रामबीर सोनल को कुछ बोलता न देख कर उसकी हिमत थोड़ी और बाद जाती है और अपने हाथ को अब वो सोनल की सतलो पर रख देता है और उसको प्रेस करने लगता है ऐसा करते हुए उसका लंड पूरा सकत हो जाता है रामबीर का लंड जब सोनल की गांड में चुब्ने लगता है तो सोनल को उसकी गर्मी महसूस होने लगती है और फिर बोलती है
सोनल :- माम्मा जी आप पीछे क्या ले रहे हो
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी क्या हुआ ?
सोनल :- पता नहीं माम्मा जी पीछे कुछ चुभ रहा है
रामबीर :- कुछ नहीं है बेटी तुम बाईक चलने में धयान रखो नहीं तो बाईक कही भीड़ जाएगी
सोनल :- ठीक है माम्मा जी और फिर अपना सारा ध्यान बाईक चलने में लगा देती है
और उधर रामबीर सोनल की साथलो को shalate हुए अपने हाथ को और आगे बड़ा देता है जिस से उसकी उंगलिया सोनल की चूत को टच होने लगती है
सोनल :- रामबीर की उंगलिया चूत पर लगने से उसका पूरा बदन काप उठता है लेकिन वो कुछ नहीं बोलती बस बाईक चलती रहती है और ये सोचती है की ये सब अनजाने में हो रहा है माम्मा जी उसके साथ ऐसा क्यों करेगे
ये सोच कर वो कुछ नहीं बोलती क्यों की उसको भी माम्मा जी की उंगलियों से एक अजीब सा सुख मिल रहा है और वो भी चुप चाप रह कर चूत में होने वाली हलचल का पूरा मजा ले रही थी और माम्मा जी भी अब पुरे गर्म हो गये थे और अब उसको और सहन करना मुस्किल्हो गया था वो नहीं चाहता था की एक दम से वो सोनाली को छोड़ डाले वो सोनाली को पड़े प्यार से और आराम आराम से अपने जल में फ़साना चाहता था इस लिए वो सोनाली को बोलता है
रामबीर :- सोनाली बेटी जरा कही साइड में बाईक लगा के रोक ले
सोनाली :- क्यों माम्मा जी क्या हुआ ??
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी मेरे को बड़े जोर की लगी है
सोनाली :- जी माम्मा जी और सोनल बाईक रोक देती है
रामबीर :- जल्दी से बाईक से उतर कर सड़क के किनारे से थोड़ी सी अंदर उगी हुई झाड़ियो में घुस जाता है और अपनी पन्त को निकल कर अपने लंड को हिलाने लगता है और बार बार सोनल का नाम ले कर मुठ मरता है ओह्ग सोनल बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ
काफी देर होने के बाद जब रामबीर नहीं आता है तो सोनल झाड़ियो के पास जाती है तभी उसको हाआआअ सोनल के आवाज़ सुनाई देती है वो ये सब सुन कर हैरान हो जाती है की ये कौन है जो मेरा नाम ऐसे ले रहा है और ये ही देखने के लिए वो थोडा और आगे बढ जाती है और सामने का नजारा देख कर चौक जाती है की उसका माम्मा उसका नाम लेकर लंड को हिला रहा है
और उसकी समझ में कुछ नहीं अत बस पत्थर के बुत की तरह वही खड़े हो कर देखती है की उसके माम्मा की अब ससे तेज हो गयी है और पूरा बदन अकड़ने लग गया है और वो और जोर जोर से सोनल बेटी इ लव यू ओह बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ करते करते अपने लंड से देर सारा पानी छोड़ने लगता है
अपने लंड से पानी छोड़ कर राम बीर चैन की सास लेता है और फिर अपनी पेंट पहने लगता है सोनल माम्मा जी को पेंट पहनते देख जल्दी से वह से भाग कर बाईक के पास आ जाती है
सोनाली बाईक के पास आ कर खड़ी तो हो जाती है लेकिन उसकी चूत में एक सुर्सराहट पैदा हो जाती है और फिर वो अपने हाथ को निचा कर के अपनी चूत पर लगाती है तो उसकी उंगलियों को कुछ गीलापन महसूस होता है और तभी रामबीर वह आ जाता है सोनाली रामबीर को देख जल्दी से हाथ को चूत के ऊपर से हटाती है और रामबीर को बोलती है
सोनाली :- माम्मा जी कहा रहगए थे आप इतनी देर लगा दी
रामबीर :- कही नहीं बेटी जरा हमरी पेंट की चैन ख़राब हो गयी थी इस लिए देर लग गयी
सोनाली :- मन ही मन (मैं जानती हु मम्मी जी आप की कौन सी चैन ख़राब हो गयी थी ) अब हो गयी ठीक मामाजी आप की चैन
रामबीर :- हा बेटी हो गयी ठीक
सोनाली :- ओके माम्मा जी अब चले नहीं तो तुम को जिस से मिलना है वो निकल जायेगा अगर हम यहाँ बाते करते रहे तो
रामबीर :- अपनी घडी में टाइम देखता है ओह बेटी ये तो टाइम बहुत जायदा हो गया है अब तो शायद वो न मिले
सोनाली :- फिर क्या करे माम्मा जी ?
रामबीर :- चल बेटी घर चलते है अब मेरे को भी घर जाने में देर हो गयी है
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी आज आप घर पर ही रुक जाना
रामबीर :- लेकिन बेटी वह तुम्हारी मम्मी जी और तुम्हारी बहन रजनी घर पर अकेली है
सोनाली :- माम्मा जी उन को फोन कर देना ना
रामबीर :- चल बेटी ठीक है और फिर रामबीर बाईक स्टार्ट करता है तभी
सोनाली :- माम्मा जी आप पीछे ही बैठे बाईक मैं चलाऊगी
रामबीर :- (मन ही मन खुश हो जाता है क्यों की वो घर तक पूरी मस्ती के साथ सोनाली के बदन का मजा ले सकेगा ) ठीक है बेटी चलो
सोनाली :- बाईक का हैंडल पकडती है और बोलती है माम्मा जी आप बैठ जाये मेरे पीछे
रामबीर :- बेटी मैं बैठ गया हु चलो अब आराम आराम से रेस दे कर किलाच को छोडो
सोनाली :- रामबीर जैसा बोलता है वेसे ही करती है और फिर बाईक को ले कर घर की तरफ चल पड़ती है और रामबीर अपने हाथो को फिर से सोनाली की साथलो पर अपना हाथ रख देता है और सोनाली को बोलता है देख के बेटी आराम से चलाओ सोनाली का ध्यान रामबीर की बातो में चला जाता है और उसको सडक के बिच बने हुआ खड़ा दिखाई नहीं देता जिस से बाईक खड़े में घुस जाती है और सोनाली का ब्लंस बिगड़ जाता है और बाईक सडक के किनारे बने हुए जंगल में घुस जाती है जंगल में थोरी सी दूर चलने के बाद वो गिर जाते है और दोनों गिरने के बाद साथ बनी हुयी ढलान में से लुदकते हुए घने जंगले में घुस जाते है लेकिन बाईक जायदा तेज ना होने के कर्ण दोनों को थोड़ी बहुत ही खुरच आई थी वो भी तब जब वो ढलान में से लुदकते हुए निचे घने जंगल; में जाते है
रामबीर अपने आप को संभालता है और फिर उठ कर सोनाली को देखता है लेकिन घन अँधेरा होने के करण उसको सोनाली कही भी नहीं दिखाई देती है और फिर जोर से आवाज़ देता है सोनाली बेटा सोनाली बेटी सोनाली फिर रामबीर को किसी के करहने की आवाज़ सुनाई देती है और रामबीर उधर जाता है जिधर सीवाज़ आ रही थी कुछ दुरी पर चलने पर उसको सोनाली दिखाई देती है जो झाड़ियो में फासी हुयी थी
रामबीर :- सोनाली बेटी
सोनाली :- माम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी तुम ठीक हो ना
सोनाली :- हा माम्मा जी बस थोर झाड़ियो में फस गयी हु और आप ठीक हो मम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी मैं ठीक हु और फिर वो सोनाली को झाड़ियो में से निकलता है और फिर
सोनाली :- माम्मा जी हम कहा आ गये है
रामबीर :- पता नहीं बेटा कहा आ गये है और यह से तो रोड भी नहीं दिख रहा है बेटी और मोसम भी बहुत ख़राब हो रहा है
सोनाली :- हा मम्मा जी लेकिन अब हम क्या करे ?
रामबीर :- बेटा अब तो सुबह ही यहासे निकल जा सकता है
सोनाली :- लेकिन माम्मा जी घर पर माँ बहुत परेशान हो जाएगी अगर हम घर ना पहुचे तो
रामबीर :- बेटा मैं देखता हूँ अगर फोन में नेटवर्क मिल गया तो मैं घर फोन कर देता हु की रस्ते में बाईक ख़राब हो गयी है इस लिए हम थोडा लेट हो जायेगे अगर मिस्त्री नहीं मिला तो सुबह ही घर आया जायेगा
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी
और फिर राम बीर फोन निकलता है लेकिन फोन में नेटवर्क ना होने से वो फोन नहीं कर पते है और फिर अपने फोन की टोर्च जलता है और एक पगडण्डी देखता है और फिर वो पगडण्डी के सहारे जंगल से निकलने की कोशिश करते है लेकिन वो पगडण्डी उन को और घने जंगल में ले जाती है और तभी असमान से बिजली चमकने लगती है और बादल जोर जोर से गरजने लगते है बदलो की गर्जन सुन कर सोनाली डर के अपने माम्मा से चिपक जाती है रामबीर सोनाली को ऐसे चिपके देख वो सोनाली को बोलता है क्या हुआ बेटी ?
सोनाली :- मामा जी मेरे को बहुत डर लग रहा है
रामबीर :- उसकी कमर पर से हाथ फेरते हुए बोलता है बेटी मामा जी तुम्हारे साथ है तो फिर डर किस बात का है और तभी जोर से मुसलाधार बरसात शरु हो जाती है और दोनों बरसात से बचने के लिए एक पेड़ के निचे छिप जाते है लेकिन बरसात इतनी जोर की थी की पेड़ भी उनको भीगने से नहीं बचा पाती है और अब दोनों को ठण्ड लगने लगती है तभी रामबीर बोलता है
रामबीर :- बेटी सोनाली
सोनाली :- हा मामा जी
रामबीर बेटी हम पुरे भीग गये है और यहाँ कब तक खड़े रहेगे अब हम को कोई ऐसा स्थान खोजना होगा झा हम अपने कपडे भी सुख ले और बरसात और ठंडसे भी बच जाये
सोनाली :- आप ठीक बोल रहे हो मामा जी
और दोनों वह से से चल पड़ते है कुछ दूर चलने पर उन को एक मकान दिखाई देता है और दोनों उस मकान में जा कर आवाज़ लगते है कोई है क्या लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है
फिर रामबीर सोनाली को बोलता है
रामबीर :- बेटी लगता है कोई नहीं है अंदर
सोनाली :- मामा जी आप आगे बाद कर दरवाजे को नोक करो शायद कोई अंदर सो रहा हो
राम बीर :- ठीक है बेटी और फिर आगे बाद कर जैसे ही दरवाजे को नोक करता है तो दरवाजा उसका हाथ लगते ही अपने आप खुलता चला जाता है ये देख के रामबीर हैरान हो कर सोनाली की तरफ देखता है और फिर वो दरवाजे के अंदर घुस जाता है और वह पर कोई नहीं था बस एक लालटेन थी जो अब भी जल रही थी वो ही उनको ये बता रही थी की यह कुछ देर पहलेतक कोई था लेकिन अब यहाँ कोई नहीं है वह पर कुछ सारिया और एक अंगीठी जल रही थी ये सब देख कर रामबीर को चैन की सास आती है तब उसके फोन की घंटी बजती है तो वो फोन को देख्तःई की पोहों उसकी बहन सुमित्र का था
सुमित्रा :- हेल्लो भैया
रामबीर :- हा सुमित्रा
सुमित्रा :- भाई तुम कहा हो ?
रामबीर :- सुमित्रा मैं सोनाली को लेकर घर ही आरहा था लेकिन मेरे को कुछ काम से सहर से बहार जा रहे हायवे पर जाना पड़ा गया और फिर रस्ते में हमारी बाईक ख़राब हो गयी जिस से हम को आने में देर हो गयी और कोई भी मिस्त्री हम को नहीं मिला तो हमको यहाँ मेरे दोस्त के पास ही रुकना पड़ा
सुमित्रा :- ठीक है भाई लेकिन सोनाली कहा पर है
रामबीर :- येही है बात करोगी उस से
सुमित्रा :- हा भाई करवाओ मेरी बात उस से
तभी रामबीर बहर्जता है और सोनाली को अंदर बुलाता है और बोलता है ये लो बेटी तुम्हारी माँ का फोन है सोनाली फोन अपने मामा से लेती है
सोनाली :- हेल्लो माँ
सुमित्रा :- हा बेटी कैसे हो तुम ??
सोनाली :- माँ मैं ठीक हूँ यहाँ बरसात बहुत जोर से हो रही है इस लिए यहासे निकलने में परेशानी हो रही है
सुमित्रा :- ठीक है बेटी बहुत चिंता हो रही थी की तुम अब तक घर नहीं लोटी हो अब तुम से बात कर ली है तो अब कुछ जा कर शांति मिली है
सोनाली :- चिंता ना करो माँ मेरे साथ मामा जी है ना
सुमित्रा :- हा बेटी वो तो है चल ठीक है अब तुम लोग बरसात रुकने पर आ जाना और ये बोल कर फोन कट देती है सोनाली फोन अपने मामा जी को देते हुए बोलती है
सोनाली :- मामा जी यहाँ तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है
रामबीर :- हा बेटी कोई नहीं है लेकिन हमारे लिए तो अच्छा ही है ना की हम को इस जंगले में सर छिपाने की जगह मिल गयी है
सोनाली :- हा मामा जी और ये बोल कर वो अंगीठी के साथ जा कर बैठ जाती है
और तभी रामबीर की नजर सोनाली के बदन पर पड़ती है क्यों की सोनाली के कपडे बरसात में पुरे भीग गये थे और वो उसके बदन को चिपके हुए थे जिस से सोनाली के चूचो के पिंक निप्पल सोनाली की शर्ट में साफ दिख रहे थे
जिस को देख कर रामबीर का लंड फिर से अपनी ओकात के आने लगता है और सोनल पूरी भीगे होने के कर थर थर कप रही होती है तभी रामबीर उसको बोलता है बेटी तुम एक कम करो अपने कपड़ो को उतर के यह पर पड़े हुए कुछ कपड़ो में से कोई एक देख कर पहन लो और अपने कपड़ो को अंगीठी के पास सूखने के लिए दल दो नहीं तो ये ठण्ड तुम को बीमार कर देगी बेटी
सोनाली :- जी मामा जी लेकिन आप यहाँ को तो आप के सामने मैं कैसे अपने कपडे बदलू
रामबीर :- आरे बेटी तुम एक साड़ी को बिच में बांध लो जिस से मेरे को साड़ी के दूसरी तरफ का नहीं दिखेगा और फिर तुम अपने कपडे बादल लेना
सोनाली :- जी मामा जी ये ठीक रहेगा और फिर वो एक साड़ी को कमरे के बीचो बिच बांध लेती है और फिर अपनी shrt को utarti है
और फिर अपनी पेंट को उतरती है
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-13
सुनील :- अपनी बाइक स्टैंड पर लगता है और फिर वार्डो की तरफ चल पड़ता है तभी उसके फोन की बैल बजती है सुनील फोन पर नंबर देखता जो एक अनजान नंबर होता है और सोच में पड़ जाता है की ये अंजना नंबर किसी का है और कुछ देर सोचने के बाद फोन उठता है
सुनील :- हेल्लो ??
अनजान :- हेल्लो
सुनील :- (दूसरी तरफ से एक रसीली आवाज़ में एक लड़की बोलती है ) हेल्लो कौन ??
अनजान :- नहीं पहेचाना ?
सुनील :- जी नहीं
अनजान :- क्या बात है जनाब इतनी जल्दी भूल गये ?
सुनील :- जनाब शब्द सुनते ही ओह्ह तुम हो संगीता तुम को कैसे भूल सकता हूँ ?
संगीता :- हा जनाब वैसे उनको याद किया जाता है जो अपने होते है
सुनील : - नहीं यार तुम तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हो तुम को नहीं भूल सकता
संगीता :- चल जूठे अगर मैं तुम्हारी अच्छी दोस्त होती तो तुम मेरे को फोन जरुर करते जैसे मैंने किया मैं तुम से नाराज हो कर तुम्हारे घर से बिना चाय पिए ही आ गयी थी लेकिन जनाब हम को तुम्हारी याद आई तो हम से रुका नहीं गया और तुम को फोन कर लिया
सुनील :- आरे यार ऐसी बात नहीं है हमारे पास तुम्हारा नंबर नहीं था इस लिए तुम को फोन नहीं कर पाए
संगीता :- जनाब कोई किसी को याद करता है तो उसके लिए न जाने क्या कर दे और ये तो नंबर की बात ही क्या है खोजने वाले तो भगवान को भी खोज लेते है फिर नंबर कोई बड़ी चीज नहीं है
सुनील :- ( मन ही मन माँ की चूत बहुत तेज है साली एक ही दिन में इतनी आगे बाद गयी ) ओके बाबा तुम जीती गयी मैं हार गया अब बोलो तुम को मेरा नंबर कहा से मिला ?
संगीता :- चुप कर आया है बड़ा हरने वाला तेरे से मतलब कही से मिला हो और तुम को शायम को मेरे घर आना था मेरे को मैथ में सहायता करने ?
सुनील :- sorry यार मेरे को पिता जी पास हॉस्पिटल में जाना पड़ा इस लिए नहीं आ पाया
संगीता :- ओके कल आओगे ?
सुनील :- कुछ नहीं कह सकता हूँ कल के बारे में
संगीता:- ओके बाद में फोन करती हूँ अभी माँ के साथ बहार जाना है बाय
सुनील :- बाये बोल कर फोन कट देता है और संगीता के बारे में सोचने लगता है की ये कैसी लड़की है अपने आप तो नाराज हो जाती है और अपने आप ही खुश हो जाती है और ये सब सोचते हुए उसको ये भी मालूम नहीं रहता है की जिस वार्ड में उसके पिता जी है वो पीछे रह गया है तभी उसके कानो के आवाज़ आती है भाई
भाई सुनते ही वो पीछे घूम कर देखता है की संगीता उसको बोल रही है और फिर वो ऊपर वार्ड नंबर देखता है तो उसको पता चलता है की जिस वार्ड में पिता जी नही वो तो पीछे छुड गया है और फिर वो वापिस घूम कर पिता जी वाले वार्ड में चल पड़ता है सोनल उसको देख कर बोलती है भाई उधर कहा जा रहे थे
सुनील :- कही नहीं बस चलते चलते ये धयान ही नहीं रहा की पिता जी का वार्ड पीछे रह गया है
सोनल :- ओके
और फिर दोनों बहन भाई अपने पिता जी के वार्ड में आ जाते है और सुनील अपने पिता जी और मम्मा को नमस्ते करता है
राजबीर :- आ गये बेटा ?
सुनील :- हा पिता जी आ गया हूँ
राजबीर :- बेटा खाने को यहाँ रख के पहले सोनल को बहार छोड़ कर आ जल्दी से देख अगर जायदा देर हो गयी तो इसको घर जाने में बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी लेकिन तभी सुनील का माम्मा बोलता है
माम्मा :- जीजा जी इस की जरूरत नहीं है सोनल को मैं जाते हुए रस्ते में घर छोड़ दुगा मेरे को भी उधर ही कुछ काम जाना है
राजबीर :- ये ठीक है हमारी भी परेशानी दूर हो जाएगी नहीं तो हम भी ये सोच कर परेशान रहते की सोनल घर गयी है या नहीं बेटा सुनील तुम खाना लगा दो बहुत भूख लगी है हम को
सुनील :- जी पिता जी और फिर वो खाना लगा देता है और राजबीर खाना खाने लगता है तभी सोनल बोलती है
सोनल :- पिता जी अगर मेरा काम ख़तम हो गया है तो हम लोग घर जाये ?
राजबीर :- जाओ बेटी लेकिन देख के जाना रास्ता बहुत ख़राब है
सोनल :- जी पिता जी अब माम्मा जी मेरे साथ है तो मेरे को किसी बात की चिंता है
और फिर सोनल अपने माम्मा रामबीर के साथ घर की तरफ चल पड़ती है
रामबीर एक बहुत ही चालू और लोंडिया बज होता है हर वक़्त कूट के पीछे कुते की तरफ पागल हुआ घुमाता है रामबीर अपनी बहनजी के साथ हॉस्पिटल से निकलते वक़्त सोनाली को बोलता है सोनाली बेटी
सोनाली :- जी माम्मा जी बोलो
रामबीर :- बेटी अगर तुम को जल्दी न हो तो क्या हम पहले मेरा काम कर आते है और उसके बाद मैं भी तुम्हारे साथ घर चलूगा
सोनाली :- अपने माम्मा की बात सुनकर खुश हो जाती है ठीक है माम्मा जी माँ से भी मिल लेना आप
रामबीर :- हा बेटी और फिर वह से बाईक निकल कर सहर से बहार चल पड़ता है और कुछ दूर जाने के बाद वो बोलता हो सोनाली बेटी
सोनाली :- जी माम्मा जी ?
रामबीर बेटी तुम को बाईक चलानी आती है ??
सोनाली :- नहीं माम्मा जी मैंने बहुत बार सुनील को बोल था की मेरे को बाईक चलानी सिख दे लेकिन वो सिखाता ही नहीं
रामबीर :- चल बेटी आज मैं तुम को सिख देता हूँ
सोनाली :- खुश हो कर अपने माम्मा से चिपक जाती है और बोलती है सिखाओगे माम्मा जी
रामबीर :- अपनी भांजी के नरम चूचो की चुभन अपनी कमर पर महसूस करते हुए बोलता है हा बेटी जरुर सिखायेगे मेरे बेटी को बाईक क्या हवाई जहाज सिख दू एक बार बोल के तो देखती बेटी और फिर वो बाईक को सड़क के एक किनारे पर रोक देता है और निचे उतर कर चल बेटी आ जा आगे
सोनल :- खुश होते हुए बाईक का हेंडल पकड के बाईक स्टार्ट करती है और रामबीर उसके पीछे बैठ जाता है और फिर उसको आराम आर्तम से बाईक को आगे बदने के लिए बोलता है
सोनाली राम बीर की बात सुन कर एक दम से बाईक की किलच छोड़ देती है जिस से बाईक बिच में ही बंद हो जाती है रामबीर फिर से सोनाली को बाईक स्टार्ट करने को बोलता है और अब की बार वो पीछे से सोनाली की कमर को पकड लेता है और बोलता है बेटी अब की बार आराम आराम से किलच छोड़ना
सोनाली :- जी माम्मा जी और फिर सोनाली जैसा रामबीर ने बोल था वैसा ही करती है लेकिन अब की बार फिर से बाईक बंद हो जाती है
रामबीर :- अपने दोनों हाथो को सोनाली के हाथो के निचे से निकल कर हेन्दिल को पकडता है और ऐसा कारने से उसकी बाजुए सोनाली के चूचो के साइड में टच करती है और वो सोनल को बोलता है की बेटी अब मेरे हाथो के निचे सेपक्दो और जितना मैं बोलू उतनी ही रेस देना ये बोल कर अपने दोनों पेरो को सोनल के पैरो से चिपका के निचे से बाईक को पहले गियर में डालता है और फिर सोनल को बोलता है की बेटी अब आराम आराम से रेस दे कर किलच छोड़
सोनल :- रामबीर की बात को समझ कर आराम आराम से किलच छोडती है जिस से बाईक सड़क पर चलने लगती है अब रामबीर अपने हाथो को हेंडिल से हटा कर सोनल के पेट के ऊपर सेसोनल को पकड लेता है और उस से एक दम से चिपक के बैठ जाता है और अपना मुह सोनल के सोल्डर पर रख देता है
रामबीर :- सोनल के पेट को पकड के उसको आराम आराम से सहलाने लगता है और बिच बिच में अपने हाथो को सोनल के चूचो को भी टच करता है सोनल अपनी बाईक चलने की मस्ती में थी वो इस सब से अनजान थी की उसका माम्मा उसके साथ क्या कर रहा हैऔर रामबीर सोनल को कुछ बोलता न देख कर उसकी हिमत थोड़ी और बाद जाती है और अपने हाथ को अब वो सोनल की सतलो पर रख देता है और उसको प्रेस करने लगता है ऐसा करते हुए उसका लंड पूरा सकत हो जाता है रामबीर का लंड जब सोनल की गांड में चुब्ने लगता है तो सोनल को उसकी गर्मी महसूस होने लगती है और फिर बोलती है
सोनल :- माम्मा जी आप पीछे क्या ले रहे हो
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी क्या हुआ ?
सोनल :- पता नहीं माम्मा जी पीछे कुछ चुभ रहा है
रामबीर :- कुछ नहीं है बेटी तुम बाईक चलने में धयान रखो नहीं तो बाईक कही भीड़ जाएगी
सोनल :- ठीक है माम्मा जी और फिर अपना सारा ध्यान बाईक चलने में लगा देती है
और उधर रामबीर सोनल की साथलो को shalate हुए अपने हाथ को और आगे बड़ा देता है जिस से उसकी उंगलिया सोनल की चूत को टच होने लगती है
सोनल :- रामबीर की उंगलिया चूत पर लगने से उसका पूरा बदन काप उठता है लेकिन वो कुछ नहीं बोलती बस बाईक चलती रहती है और ये सोचती है की ये सब अनजाने में हो रहा है माम्मा जी उसके साथ ऐसा क्यों करेगे
ये सोच कर वो कुछ नहीं बोलती क्यों की उसको भी माम्मा जी की उंगलियों से एक अजीब सा सुख मिल रहा है और वो भी चुप चाप रह कर चूत में होने वाली हलचल का पूरा मजा ले रही थी और माम्मा जी भी अब पुरे गर्म हो गये थे और अब उसको और सहन करना मुस्किल्हो गया था वो नहीं चाहता था की एक दम से वो सोनाली को छोड़ डाले वो सोनाली को पड़े प्यार से और आराम आराम से अपने जल में फ़साना चाहता था इस लिए वो सोनाली को बोलता है
रामबीर :- सोनाली बेटी जरा कही साइड में बाईक लगा के रोक ले
सोनाली :- क्यों माम्मा जी क्या हुआ ??
रामबीर :- कुछ नहीं बेटी मेरे को बड़े जोर की लगी है
सोनाली :- जी माम्मा जी और सोनल बाईक रोक देती है
रामबीर :- जल्दी से बाईक से उतर कर सड़क के किनारे से थोड़ी सी अंदर उगी हुई झाड़ियो में घुस जाता है और अपनी पन्त को निकल कर अपने लंड को हिलाने लगता है और बार बार सोनल का नाम ले कर मुठ मरता है ओह्ग सोनल बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ
काफी देर होने के बाद जब रामबीर नहीं आता है तो सोनल झाड़ियो के पास जाती है तभी उसको हाआआअ सोनल के आवाज़ सुनाई देती है वो ये सब सुन कर हैरान हो जाती है की ये कौन है जो मेरा नाम ऐसे ले रहा है और ये ही देखने के लिए वो थोडा और आगे बढ जाती है और सामने का नजारा देख कर चौक जाती है की उसका माम्मा उसका नाम लेकर लंड को हिला रहा है
और उसकी समझ में कुछ नहीं अत बस पत्थर के बुत की तरह वही खड़े हो कर देखती है की उसके माम्मा की अब ससे तेज हो गयी है और पूरा बदन अकड़ने लग गया है और वो और जोर जोर से सोनल बेटी इ लव यू ओह बेटी क्या चूत है तेरी ओह आआआआआअ करते करते अपने लंड से देर सारा पानी छोड़ने लगता है
अपने लंड से पानी छोड़ कर राम बीर चैन की सास लेता है और फिर अपनी पेंट पहने लगता है सोनल माम्मा जी को पेंट पहनते देख जल्दी से वह से भाग कर बाईक के पास आ जाती है
सोनाली बाईक के पास आ कर खड़ी तो हो जाती है लेकिन उसकी चूत में एक सुर्सराहट पैदा हो जाती है और फिर वो अपने हाथ को निचा कर के अपनी चूत पर लगाती है तो उसकी उंगलियों को कुछ गीलापन महसूस होता है और तभी रामबीर वह आ जाता है सोनाली रामबीर को देख जल्दी से हाथ को चूत के ऊपर से हटाती है और रामबीर को बोलती है
सोनाली :- माम्मा जी कहा रहगए थे आप इतनी देर लगा दी
रामबीर :- कही नहीं बेटी जरा हमरी पेंट की चैन ख़राब हो गयी थी इस लिए देर लग गयी
सोनाली :- मन ही मन (मैं जानती हु मम्मी जी आप की कौन सी चैन ख़राब हो गयी थी ) अब हो गयी ठीक मामाजी आप की चैन
रामबीर :- हा बेटी हो गयी ठीक
सोनाली :- ओके माम्मा जी अब चले नहीं तो तुम को जिस से मिलना है वो निकल जायेगा अगर हम यहाँ बाते करते रहे तो
रामबीर :- अपनी घडी में टाइम देखता है ओह बेटी ये तो टाइम बहुत जायदा हो गया है अब तो शायद वो न मिले
सोनाली :- फिर क्या करे माम्मा जी ?
रामबीर :- चल बेटी घर चलते है अब मेरे को भी घर जाने में देर हो गयी है
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी आज आप घर पर ही रुक जाना
रामबीर :- लेकिन बेटी वह तुम्हारी मम्मी जी और तुम्हारी बहन रजनी घर पर अकेली है
सोनाली :- माम्मा जी उन को फोन कर देना ना
रामबीर :- चल बेटी ठीक है और फिर रामबीर बाईक स्टार्ट करता है तभी
सोनाली :- माम्मा जी आप पीछे ही बैठे बाईक मैं चलाऊगी
रामबीर :- (मन ही मन खुश हो जाता है क्यों की वो घर तक पूरी मस्ती के साथ सोनाली के बदन का मजा ले सकेगा ) ठीक है बेटी चलो
सोनाली :- बाईक का हैंडल पकडती है और बोलती है माम्मा जी आप बैठ जाये मेरे पीछे
रामबीर :- बेटी मैं बैठ गया हु चलो अब आराम आराम से रेस दे कर किलाच को छोडो
सोनाली :- रामबीर जैसा बोलता है वेसे ही करती है और फिर बाईक को ले कर घर की तरफ चल पड़ती है और रामबीर अपने हाथो को फिर से सोनाली की साथलो पर अपना हाथ रख देता है और सोनाली को बोलता है देख के बेटी आराम से चलाओ सोनाली का ध्यान रामबीर की बातो में चला जाता है और उसको सडक के बिच बने हुआ खड़ा दिखाई नहीं देता जिस से बाईक खड़े में घुस जाती है और सोनाली का ब्लंस बिगड़ जाता है और बाईक सडक के किनारे बने हुए जंगल में घुस जाती है जंगल में थोरी सी दूर चलने के बाद वो गिर जाते है और दोनों गिरने के बाद साथ बनी हुयी ढलान में से लुदकते हुए घने जंगले में घुस जाते है लेकिन बाईक जायदा तेज ना होने के कर्ण दोनों को थोड़ी बहुत ही खुरच आई थी वो भी तब जब वो ढलान में से लुदकते हुए निचे घने जंगल; में जाते है
रामबीर अपने आप को संभालता है और फिर उठ कर सोनाली को देखता है लेकिन घन अँधेरा होने के करण उसको सोनाली कही भी नहीं दिखाई देती है और फिर जोर से आवाज़ देता है सोनाली बेटा सोनाली बेटी सोनाली फिर रामबीर को किसी के करहने की आवाज़ सुनाई देती है और रामबीर उधर जाता है जिधर सीवाज़ आ रही थी कुछ दुरी पर चलने पर उसको सोनाली दिखाई देती है जो झाड़ियो में फासी हुयी थी
रामबीर :- सोनाली बेटी
सोनाली :- माम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी तुम ठीक हो ना
सोनाली :- हा माम्मा जी बस थोर झाड़ियो में फस गयी हु और आप ठीक हो मम्मा जी
रामबीर :- हा बेटी मैं ठीक हु और फिर वो सोनाली को झाड़ियो में से निकलता है और फिर
सोनाली :- माम्मा जी हम कहा आ गये है
रामबीर :- पता नहीं बेटा कहा आ गये है और यह से तो रोड भी नहीं दिख रहा है बेटी और मोसम भी बहुत ख़राब हो रहा है
सोनाली :- हा मम्मा जी लेकिन अब हम क्या करे ?
रामबीर :- बेटा अब तो सुबह ही यहासे निकल जा सकता है
सोनाली :- लेकिन माम्मा जी घर पर माँ बहुत परेशान हो जाएगी अगर हम घर ना पहुचे तो
रामबीर :- बेटा मैं देखता हूँ अगर फोन में नेटवर्क मिल गया तो मैं घर फोन कर देता हु की रस्ते में बाईक ख़राब हो गयी है इस लिए हम थोडा लेट हो जायेगे अगर मिस्त्री नहीं मिला तो सुबह ही घर आया जायेगा
सोनाली :- ठीक है माम्मा जी
और फिर राम बीर फोन निकलता है लेकिन फोन में नेटवर्क ना होने से वो फोन नहीं कर पते है और फिर अपने फोन की टोर्च जलता है और एक पगडण्डी देखता है और फिर वो पगडण्डी के सहारे जंगल से निकलने की कोशिश करते है लेकिन वो पगडण्डी उन को और घने जंगल में ले जाती है और तभी असमान से बिजली चमकने लगती है और बादल जोर जोर से गरजने लगते है बदलो की गर्जन सुन कर सोनाली डर के अपने माम्मा से चिपक जाती है रामबीर सोनाली को ऐसे चिपके देख वो सोनाली को बोलता है क्या हुआ बेटी ?
सोनाली :- मामा जी मेरे को बहुत डर लग रहा है
रामबीर :- उसकी कमर पर से हाथ फेरते हुए बोलता है बेटी मामा जी तुम्हारे साथ है तो फिर डर किस बात का है और तभी जोर से मुसलाधार बरसात शरु हो जाती है और दोनों बरसात से बचने के लिए एक पेड़ के निचे छिप जाते है लेकिन बरसात इतनी जोर की थी की पेड़ भी उनको भीगने से नहीं बचा पाती है और अब दोनों को ठण्ड लगने लगती है तभी रामबीर बोलता है
रामबीर :- बेटी सोनाली
सोनाली :- हा मामा जी
रामबीर बेटी हम पुरे भीग गये है और यहाँ कब तक खड़े रहेगे अब हम को कोई ऐसा स्थान खोजना होगा झा हम अपने कपडे भी सुख ले और बरसात और ठंडसे भी बच जाये
सोनाली :- आप ठीक बोल रहे हो मामा जी
और दोनों वह से से चल पड़ते है कुछ दूर चलने पर उन को एक मकान दिखाई देता है और दोनों उस मकान में जा कर आवाज़ लगते है कोई है क्या लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती है
फिर रामबीर सोनाली को बोलता है
रामबीर :- बेटी लगता है कोई नहीं है अंदर
सोनाली :- मामा जी आप आगे बाद कर दरवाजे को नोक करो शायद कोई अंदर सो रहा हो
राम बीर :- ठीक है बेटी और फिर आगे बाद कर जैसे ही दरवाजे को नोक करता है तो दरवाजा उसका हाथ लगते ही अपने आप खुलता चला जाता है ये देख के रामबीर हैरान हो कर सोनाली की तरफ देखता है और फिर वो दरवाजे के अंदर घुस जाता है और वह पर कोई नहीं था बस एक लालटेन थी जो अब भी जल रही थी वो ही उनको ये बता रही थी की यह कुछ देर पहलेतक कोई था लेकिन अब यहाँ कोई नहीं है वह पर कुछ सारिया और एक अंगीठी जल रही थी ये सब देख कर रामबीर को चैन की सास आती है तब उसके फोन की घंटी बजती है तो वो फोन को देख्तःई की पोहों उसकी बहन सुमित्र का था
सुमित्रा :- हेल्लो भैया
रामबीर :- हा सुमित्रा
सुमित्रा :- भाई तुम कहा हो ?
रामबीर :- सुमित्रा मैं सोनाली को लेकर घर ही आरहा था लेकिन मेरे को कुछ काम से सहर से बहार जा रहे हायवे पर जाना पड़ा गया और फिर रस्ते में हमारी बाईक ख़राब हो गयी जिस से हम को आने में देर हो गयी और कोई भी मिस्त्री हम को नहीं मिला तो हमको यहाँ मेरे दोस्त के पास ही रुकना पड़ा
सुमित्रा :- ठीक है भाई लेकिन सोनाली कहा पर है
रामबीर :- येही है बात करोगी उस से
सुमित्रा :- हा भाई करवाओ मेरी बात उस से
तभी रामबीर बहर्जता है और सोनाली को अंदर बुलाता है और बोलता है ये लो बेटी तुम्हारी माँ का फोन है सोनाली फोन अपने मामा से लेती है
सोनाली :- हेल्लो माँ
सुमित्रा :- हा बेटी कैसे हो तुम ??
सोनाली :- माँ मैं ठीक हूँ यहाँ बरसात बहुत जोर से हो रही है इस लिए यहासे निकलने में परेशानी हो रही है
सुमित्रा :- ठीक है बेटी बहुत चिंता हो रही थी की तुम अब तक घर नहीं लोटी हो अब तुम से बात कर ली है तो अब कुछ जा कर शांति मिली है
सोनाली :- चिंता ना करो माँ मेरे साथ मामा जी है ना
सुमित्रा :- हा बेटी वो तो है चल ठीक है अब तुम लोग बरसात रुकने पर आ जाना और ये बोल कर फोन कट देती है सोनाली फोन अपने मामा जी को देते हुए बोलती है
सोनाली :- मामा जी यहाँ तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है
रामबीर :- हा बेटी कोई नहीं है लेकिन हमारे लिए तो अच्छा ही है ना की हम को इस जंगले में सर छिपाने की जगह मिल गयी है
सोनाली :- हा मामा जी और ये बोल कर वो अंगीठी के साथ जा कर बैठ जाती है
और तभी रामबीर की नजर सोनाली के बदन पर पड़ती है क्यों की सोनाली के कपडे बरसात में पुरे भीग गये थे और वो उसके बदन को चिपके हुए थे जिस से सोनाली के चूचो के पिंक निप्पल सोनाली की शर्ट में साफ दिख रहे थे
जिस को देख कर रामबीर का लंड फिर से अपनी ओकात के आने लगता है और सोनल पूरी भीगे होने के कर थर थर कप रही होती है तभी रामबीर उसको बोलता है बेटी तुम एक कम करो अपने कपड़ो को उतर के यह पर पड़े हुए कुछ कपड़ो में से कोई एक देख कर पहन लो और अपने कपड़ो को अंगीठी के पास सूखने के लिए दल दो नहीं तो ये ठण्ड तुम को बीमार कर देगी बेटी
सोनाली :- जी मामा जी लेकिन आप यहाँ को तो आप के सामने मैं कैसे अपने कपडे बदलू
रामबीर :- आरे बेटी तुम एक साड़ी को बिच में बांध लो जिस से मेरे को साड़ी के दूसरी तरफ का नहीं दिखेगा और फिर तुम अपने कपडे बादल लेना
सोनाली :- जी मामा जी ये ठीक रहेगा और फिर वो एक साड़ी को कमरे के बीचो बिच बांध लेती है और फिर अपनी shrt को utarti है
और फिर अपनी पेंट को उतरती है
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
5 comments:
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प्रियंका चोपड़ा ने निक जोनास के साथ शेयर की हॉट रोमांटिक Photo,
मेरा नाम रमन है। मैं हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूँ। में कॉलेज में पढता हूँ और मेरी उम्र २१ साल है। आपको ये जान कर अजीब लगेगा कि आज के जमाने में भी में शायद अकेला ऐसा था जिसने आज तक किसी लड़की की चुदाई नहीं की। ऐसा नहीं है कि मैं दिखने में बुरा हूँ बस लड़की को कैसे पटाना है कैसे बात करनी है ये सब मुझे नहीं आता। इसी लिए मैं बस लड़किया चोदने के सपने लेकर मुठ मरता रहता था। पूरी कहानी पढ़ने लिए
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