Thursday, June 7, 2012

सेक्सी कहानियाँ जीजा जी से चुदवाया--19

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
जीजा जी से चुदवाया--19
गतांक से आगे.......................

टीवी देखते देखते और एक दुसरे के साथ मस्ती करते ७ बज गए ! मेरी माहवारी
के कारन कमर और पेट दुःख रहा था तो जीजाजी ने एक दर्द निवारक गोली दी
!में गोलिया कम लेती हु पर उन्होंने फ़ोर्स देकर देदी थोड़ी देर बाद वास्तव
में उसे मुझे राहत  फिर उन्होंने मुझे उल्टा सुला कर मेरी कमर पीठ जांघों
पर पैर रख कर दबाया इससे मुझे बहुत आराम मिला कुछ हाथो से भी मालिश क़ी
में उनके सेवा भाव पे फ़िदा हो गई !थोड़ी देर बाद हम खाना खाने गए और खाना
खाकर फिर से अपने कमरे में आ गए !अब हमने अपने कपडे चेंज कर लिए यानि
मेने मेक्सी और उन्होंने बनियान लुंगी क्योंकि अब हमें बाहर तो सुबह ही
जाना था!थोड़ी देर लेट कर हमने खाने को अडजस्ट किया उस गोली से और जीजाजी
क़ी सेवा से अब मेरा शरीर नहीं दुःख रहा था और में अपने को तरोताजा
मह्सुश कर रही थी!जीजाजी के हाथ मेरे स्तन सहला रहे थे मेरी पीठ पर फिर
रहे थे और मेरे स्तन को चूस रहे थे कभी दायाँ तो कभी बायाँ और उन्हें चूस
चूस कर लाल कर दिया था वे मेरे स्तनों क़ी गुन्डियो को हलके हलके काट भी
रहे थे इसलिए उनमे हल्का दर्द और मेरे जिस्म में करेंट साथ ही आ रहा था !

 मुझे सब पता था क़ी आगे क्या होने वाला हे पर मेरी भी चुदाई क़ी इच्छा
हो गई थी जीजाजी के लगातार उकसावे पर आखिर मेने अपनी सेक्सी आवाज़ में
उनसे पूछ ही लिया "आप फिर चोदोगे मुझे"तो वे बोले हा मेरी जान अभी तुझे
चोदे बिना तो मुझे नींद ही नहीं आयेगी थोडा दर्द मेरे लिए और सहन करले
मेरे लिए चुदाई नींद क़ी गोली क़ी तरह हे चुदाई नहीं करूँगा तो मुझे नींद
ही नहीं आएगी!अब में उन्हें क्या कहती जबकि मेरा भी मन कर रहा था क़ी
जीजाजी अपना डंडा मेरी चूत में फंसा कर मुझे खूब रगड़े!क्योंकि ब्लड
निकलने के कारन ओरत कुछ अजीब सा मह्सुश करती बाकि माहवारी से पहले और
माहवारी के समय ओरत के चुदाने क़ी इच्छा बढ़ जाती हे मुझे तो माहवारी के
एक दिन पहले जब चुदाने क़ी बहुत इच्छा होती हे तब मुझे पता चल जाता हे
क़ी मेरी माहवारी आने वाली हे!इसलिए माहवारी में सिर्फ आदमी को ही ब्लड
देख कर घर्णा हो जाती हे बाकि ओरत के इतनी प्रोब्लम नहीं होती हे चुदाने
में!मेने ऐसे देखा जेसे में उनके काम के लिए ही तेयार हुई हु बाकि मेरे
तो कोई जरुरत नहीं हे फिर मेने सवधानी से चड्डी और कपडा हटाया अबकी बार
कपडे के ब्लड लगा हुआ था पर जीजाजी तो सांड क़ी फुंकार रहे थे उन्हें कुछ
नहीं दिख रहा था उन्होंने फटाफट अपने कड़क हो चुके लंड पर कंडोम चढ़ाया और
मेरी टांगो के बीच में आ गए में टंगे पहले से ऊँची कर रखी थी इसलिए
उन्होंने सुपारे पर ठुक लगाया और मेरी चूत के छेद में फंसा दिया उनके
लोहे क़ी तरह हो चुके लंड का आभास पा कर मुझे पता चल गया क़ी अब मेरी खैर
नहीं हे पर मुझे चूत में मचमची भी हो रही थी यानि चूत लंड के लिए लप लप
कर रही थी!

वे थोड़ी देर रुके तो मेने नीचे से धक्का मार दिया और उनका लंड थोडा और
अन्दर सरक गया जीजाजी को मेरी उतावले होने का पता चल गया इसलिए उन्होंने
बिना किसी चेतावनी के दांत भींच कर एक जोरदार धक्का मेरी चूत में लगा
दिया अचानक धक्के से मेरी कराह निकल गई और में आ .....ह्ह्ह्हह और अपनी
भाषा में दू...खे...रे...धीरे कर रे...म्हारा भोष्या ने फाड़ी काई रे
.....इन्हें फाड़ न्हाकी तो पाछे थने ही मजो कोणी आई इरे वास्ते इने
प्रेम उ चोद और हावल काम ले !जीजाजी ने भी कहा म्हारी जान इ भोष्या ने इ
डंडा उ ठोके जित्तो ही थोड़ो प्रेम उ मजो कोणी आई इरे वास्ते इन्हें आज
तो इ डंडा उ फोडन दे!और वे गपागप अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहे क्या
मजाल क़ी उनके छोड़ने का अंदाज़ धीरे हुआ हो वे दुने जोश में मेरी चुदाई
करते रहे में वेसे तो मेरे जीजाजी क़ी इज़त करती हु पर चुदाई समाया उनको
सम्मान से नहीं बोलती हु कभी कभी तो गालिया भी निकालती हु वे भी गालिया
निकालते हे माँ बहन क़ी और इससे सेक्स का मज़ा बढ़ जाता हे हम राजस्थानी भी
चुदाई क़ी बाते करते रहे और उनकी चुदाई तूफानी रफ़्तार से चलती रही कमरा
खप खप छप छप क़ी आवजों से गुन्झ रहा था मेरा पानी दो - तीन बार छुट चूका
था आखिर जीजाजी ने भी झटका खाया और फिर ७-८ खपके उन्होंने धीरे धीरे
लगाये अपना पानी पूरा झाड़ने के लिए !और फिर हट गए सावधानी से कंडोम
निकला और गांठ लगा ली अब मेने मेरी चूत क़ी तरफ देखा उसका इतनी देर चुदाई
के कारन जेसे मुह खुला हुआ था और ब्लड बहकर जांघ पर आ गया था और नीचे
चादर पर भी एक बड़ा धब्बा ब्लड का लग गया था !हमने अपने गुप्तांग धोये
चादर को उल्टा किया और चिपक के सो गए थके हुए थे इस मेराथन चुदाई से
इसलिए जल्दी ही नींद आ गई

सुबह देर तक हम चिपक कर सोये रहे !अब इस हालत में चुदाई का प्रोग्राम तो
होना नहीं था ना उनका मन हो रहा था और ना ही मेरा !वास्तव में माहवारी के
समय ओरत की हालत ख़राब हो जाती हे और उसकी शक्ल ही बिगड़ जाती हे उसका मन
नहीं लगता हे और वो कुछ चिडचिडी हो जाती हे ! पर हम सच्चे प्रेमी की तरह
चिपक के सो रहे थे मुझे पता था मेरे बाल बिखर गए हे और सुबह चेहरे का रंग
भी उड़ा उड़ा सा था मुझे पता था की जीजाजी को माहवारी के ब्लड की बदबू भी
आ रही होगी पर उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी साडी रात उन्होंने मुझे
अपने सीने से चिपका कर सुलाया था और कई बार उन्होंने मेरे बालो चेहरे और
पीठ पर प्यार से हाथ फेरा था और मुझे बिलकुल किसी छोटे बच्चे की तरह
ट्रीट कर रहे थे उनका हाथ रात में एक बार भी मेरे स्तन और जन्घो पर नहीं
गया था उन्होंने चुम्बन भी मेरे सर और ललाट पर दिए थे !में उनमे एक नई
छवि देख रही थी जो अपना सपना टूट जाने पर भी नाराज़ नहीं हुए थे और में
उनकी इस अदा पर बलिहार हो रही थी !

में भी किसी छोटे बच्चे की तरह उनसे चिपक रही थी जेसे कोई छोटी बालिका
अपनी माँ से चिपकती हे!और वे भी मेरा दुलार कर रहे थे एक दो बार उठ कर
उन्होंने ग्लास भरकर पानी भी पिलाया और मुझसे तबियत के बारे में भी पूछा
! ८ बजे हम नींद से जगे में उठ कर बाथरूम जाकर आई तब तक जीजाजी ने चाय का
ऑर्डर दे दिया मुझे अपने हाथो से चाय डाल कर दी !में बस मोहित नजरो से
उन्हें देख रही थी और किसी छोटे बच्चे की तरह इतर के बात कर रही थी और
सोच रही थी कि इनकी सेवा का फल इन्हें जरुर देना हे भले ही मुझे कितना ही
दर्द हो !पर अभी उनका कोई ऐसा इरादा नहीं लग रहा था में बाथरूम में फ्रेस
होने चली गई जीजाजी पहले ही हो गए थे में आई तब तक जीजाजी ने मेरा मनपसंद
नाश्ता टेबल पर लगा दिया था यानि काजू कि कतली और बीका जी क़ी नमकीन
!मुझे भूख लग रही थी हमने नाश्ता किया वो एक दुसरे को अपने हाथो से खिला
कर !अब वे मुझे जीजाजी क़ी जगह मेरे पति जेसे लग रहे थे अब मुझे कोई शंका
या संकोच उनसे नहीं हो रहा था !में कोई भी बात उनसे कर सकती थी जो अपने
पति से भी नहीं करती थी जेसे मेने उन्हें कहा कि मेरी चूत कभी लाल हो
जाती हे और खुजली भी चलती हे तो वे बोले शायद तुम्हे कंडोम से एलर्जी हे
में अच्छी किस्म के कंडोम यूज लूँगा !फिर उन्होंने पूछा कि तुम चूत में
ज्यादा साबुन तो नहीं लगाती ?मेने कहा हा लगाती तो हु तो बोले फिर साबुन
के कास्टिक कि वज़ह से खुजली चलती हे कई दिन बाद और काफी ज्यादा चुदाने
से तेरी चूत में कट लग जाते हे फिर साबुन से खुजली होनी शुरू हो जाती हे
तुम चूत में साबुन मत लगाना और में ये ट्यूब दे रहा हु क़ुदार्मिस इसे
अपनी चूत पर लगाना और में सर्तिजिन गोलिया दे रहा हु इन्हें रोज़ कि एक
लेना मेने कहा ठीक हे मेरे जीजाजी कई तरह कि दर्द बुखार आदि कि गोलिया
रखते हे और उन्हें कुछ इनका नोलेज भी हे क्यूंकि कई दवा कि दूकान वाले
compaunder और डॉक्टर इनके दोस्त हे !मेने वह ट्यूब लेली और माहवारी के
बाद लगाने का वादा भी कर लिया !और जीजाजी ने कहा माहवारी में वेसे भी
सारी एलर्जी निकल जाती हे !मेने कहा ठीक हे फिर जीजाजी नहाने चले गए !

जीजाजी नहा के आये तब में नहाने गई और खूब देर तक मलमल के नहाई! गर्म
पानी से अच्छी तरह से चूत को भी धोया !अब में जीजाजी को उनकी सेवा का
इनाम देना चाहती थी पर मुझे पता नहीं था कि वे उत्तेजित होंगे या नहीं
मेरे चुदाने कि कोई इच्छा नहीं थी पर में उन्हें उत्तेजित कर संतुस्ट
करना चाहती थी !पर मुझे पता था कि मेरी इस हालत पर वे सेक्स करने कि
इच्छा नहीं करेंगे पर मुझे उनकी कमजोरी पता थी इसलिए मेने उस दिन टर्न
नहीं फिर भी शेम्पू से शिर को धोया और बालो को झटका अब मेरे बाल शेम्पू
कि खुशबु में खुले अच्छे लग रहे थे कुछ सर्दी मह्सुश हो रही थी पर मेने
ब्रेजरी और मेक्सी भी नहीं पहनी !चड्डी पहनने कि मज़बूरी थी मुझे अपनी चूत
पर कपडा अटकाना था !और अब में खुले और धुले बाल बिना ब्रेजरी सिर्फ चड्डी
पहने और वेसे मेरी चल मतवाली नहीं हे क्योंकि मेरे कुल्हे मोटे नहीं हे
पर भरसक मेने मतवाली चाल कि कोशिश कि और अपनी नशीली आँखों से जीजाजी कि
तरफ देखती देखती धीरे धीरे किसी फेशन गर्ल कि तरह चलती आई अपने बदन को
ठण्ड से काम्पने से रोकने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी आज में किसी
रंडी कि तरह व्यवहार कर रही थी ताकि मेरे जीजाजी उत्तेजित हो जाये और
मेरे जरुरी नहीं था पर अपना पानी निकाल ले !मुझे उनकी सेवा और लाड याद आ
रहा था और मुझे पता था आज के बाद पता नहीं कब उनको इस सेवा फल देने का
मौका मिले !

आखिर मेरी मेहनत रंग लाई और मेने जीजाजी कि आँखों में वासना की चमक देखी
और उनके पास जाते ही ठण्ड से काम्पने लगी उन्होंने कहा "अरे तू उघाड़ी
क्यूँ आई ?सी लाग जाई नी" अब उन्हें क्या पता में उघाड़ी उनके कारन ही आई
अब में कंपकपाते बोली "थां मने थांके कने कामला[कम्बल] में घालर सुवान
[सुला] दो तो म्हारो सी ढब[रुक] जाई" और मेरे दांत बजना शुरू हो गए थे
वास्तव में यार प्यार में क्या क्या परीक्षा देनी पड़ती हे ये मुझे आज पता
चला था !उन्होंने फटाफट अपना कम्बल हटाया और मुझे सुलाने के लिए थोडा
पीछे हटे मेने एक क्षण के लिए उनकी चड्डी में तम्बू बना देख लिया था और
मन में खुश हो गई थी की जो आज मेनका की तरह जो एक्टिंग की उसका फल भी मिल
गया था जीजाजी का लौड़ा फनफना रहा था !मुझे उन्होंने कम्बल में घुसा लिया
था और मेरे ठंडी पीठ पर अपनी गर्म हथेली मल रहे थे उनकी टांग भी मेरी
जांघ पर थी और अब उनके हाथ मेरे चुचियों पर भी घूम रहे थे उनके होंट मेरे
ठन्डे होंटों को गर्म करने में लगे हुए थे और मर्द की गर्मी को मन गई थी
में दो मिनिट में ही मेरी सर्दी छु मंतर हो गई थी !


में भी अब सर्दी निकाल जाने पर नोर्मल हो गई थी मेरी अधनंगा शरीर उनकी
बाँहों में मचल रहा था और में उनके चेहरे पर चुम्बन दे रही थी उनके गालो
पर जोर से काट कर उन्हें सीईईईइ सीईईईईइ..आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह..करने पर मजबूर
कर रही थी जबाब में वे मेरे कंधो और स्तन के आस पास काट कर मुझे गर्म कर
रहे थे !मेने बेशर्म हो कर अपना हाथ नीचे खिसकाया और उनकी चड्डी के ऊपर
से ही उनके लंड को दबाने लगी जो बिलकुल सीधा होकर उनके पेट से लगा हुआ था
ऊपर से चड्डी के बाहर आया हुआ था मेने उनकी चड्डी उतरने की कोशिश की तो
वे बेहद गर्म हो गए क्यूंकि वे कहते हे तो भी में लंड के हाथ बहुत कम
लगाती हु और आज चलाकर पकड़ रही थी !वे उत्तेजना से पागल हो रहे थे उनकी
नाक सु सु कर रही थी किसी सांड की तरह !उन्होंने फटाफट चड्डी खोल दी और
मेरे हाथो में उनका फनफनाता लंड दे दिया में उसे ऊपर नीचे करने लगी वो
बहुत सख्त हो रहा था और काफी मोटा भी लग़ रहा था उनका लंड का सुपारा
पहाड़ी आलू की तरह हो रहा था मुझे मन ही मन में डर भी लग़ रहा था और में
रोमांचित भी हो रही थी!अब उनकी अंगुलिया मेरे चूत के ऊपर चल रही थी पर वे
अभी मुझे चुदाने का कह नहीं रहे थे !

अभी उनके लंड के मुट्ठिया देते मुझे १-२ मिनिट ही हुआ था तो भी मेने इतर
के कहा मेरी तो कलाई दर्द करने लग़ गई आपके पानी कब आएगा !तो वे
हिचकिचाते बोले हाथो से तुम्हे आधा घंटा लग़ जायेगा हा अगर अन्दर डालू तो
.......!और वे कहते कहते रुक गए में मन ही मन मुश्कुरा दी मुझे पता था की
वे मेरी इस स्थिति को देख कर उन्हें मुझ से चोदने की बात कहने की हिम्मत
नहीं हो रही थी पर मेने मासूम सा सवाल किया अन्दर डालने से तो आपका फटाफट
निकाल जायेगा ना !उन्होंने कहा हा में दो मिनिट में निकाल लूँगा तुम्हे
ज्यादा परेशान नहीं करूँगा !मेने मन में कहा अरे मेरे भोले राजा परेशान
करोगे तभी मुझे आनंद आएगा अब में भी इस धींगा मस्ती में गर्म हो गई थी
!मेने उन्हें हटाकर सावधानी से अपनी चड्डी और कपडा हटाया ब्लड तो दिख रहा
था जीजाजी ने सही कहा था की में तेरी नाली साफ कर दूंगा और उनके रात को
नाली साफ करने की वजह से ही मेरे आम दिनों के मुकाबले ज्यादा ब्लड आ रहा
था पर पेट भी हल्का लग़ रहा था!
क्रमशः.......................


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