Thursday, June 7, 2012

सेक्सी कहानियाँ दीदी की नौकरानी - रेखा--3

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
दीदी की नौकरानी - रेखा--3
गतांक से आगे.....................
करीब एक घन्टा बीत गया था सो मैं अब तैयार होने लगा, फ़िर अपने टूर पर
निकल गया। चौथे दिन मैं जब लौटा तो रेखा बेचैन थी। इस चार दिनों में उसकी
चूत्त का सब दर्द गायब हो गया था, और उसको लन्ड की याद सता रही थी। घर
में घुसते हीं मुझे सबसे पहले उसको चोदना पड़ा, तब जा कर चाय मिला था उस
दिन। हम दोनों अब एक साथ बेड पे सोते और सोने के पहले एक बार और फ़िर
जागने के बाद एक बार, नियम से दिन में दो बार चुदाई का खेल जरुर खेलते।
दीदी के वापस आने में जब ४ दिन बचा तो रेखा की पीरियड्स शुरु हो गए, और
हमारा चोदन-खेल बन्द हो गया। इसीलिए दीदी के वापस आने तक हम दोनों का
रिश्ता भी नौर्मल हो गया था। पर दीदी के वापस आने के पहले हीं खबर आई कि
मेरे भांजा-भांजी के स्कूल में फ़ंक्शन है चार दिन, और उसमें बच्चों के
मम्मी-पापा को बुलाया गया था। यह खबर दीदी-जीजाजी को फ़ोन से पहले हीं
मालूम हो गया था, और जीजाजी ने मुझे कहा कि वो काम की वजह से नहीं जा
सकेंगे, सो मैं दीदी तो वहाँ पहुँचा दूँ, चार दिन बाद उधर से लौटते समय
वो और भी कई बच्चों के माँ-बाप होंगे सो वो ग्रुप में लौट आएँगी।
उन्होंने हमारा टिकट भी करवा दिया था। जिस दिन वो दोपहर में आते उसी रात
हमें निकल जाना था। रेखा यह सुन कर दुखी हो गई क्योंकि उसको तो पीरियड्स
के खत्म होने के बाद मुझे चुदाना था, पर अब उसे चार दिन और रुकना पड़ता।
मैंने मजाक में कह दिया, "अरे तो मैं नहीं रहुँगा, तो दीदी भी तो नहीं
रहेगी...तुम जीजाजी से चुदा लेना। तुम्हारी चूत घिस थोड़े ना जाएगा।"
उसने मेरे मजाक को सिरियस लिया और बोली, "अगर आपके जीजाजी ने हमको लाईन
मारा तो हम तो जरुर चोदा लेंगे इस बार। अब तो हमको कोई डर नहीं है, न
दर्द का न और कोई का।" मैंने उसको दो दिन में वापस आने की बात कही और
फ़िर उसको बोला कि वो मेरे लन्ड को चुस कर झाड़ दे। वो भी यही चाह रही
थी, सो बीजी हो गई।

इसके बाद मैं जब लौटा तो दोपहर के करीब ३ बजे थे, और रेखा घर पर अकेली
थी। जीजाजी औफ़िस गए थे। इस बार मैं बेचैन था, और जब रेखा को मैं चोद रहा
था तब रेखा ने रहस्य खोला, "हम न जिस दिन आप गए उसी दिन आपके जीजाजी से
चुदा लिए। खुब मजा आया। उनको पता था कि खिड़की से हम लोग उनको देखते हैं।
वो तो हमको बोले हैं कि जब तक दीदी नहीं हैं तब तक हम रोज उनके साथ
सोएँ।" मैंने कहा, "यानि कि तुम उनको भी फ़ँसा ली। बहुत जल्दी मर्द
फ़ँसाने में एक्सपर्ट हो गई हो।" वो थोड़ा झेंप गई और बोली, "हम नहीं न,
वो हीं हमको फ़ँसा लिए। एक दम साफ़ बोले कि आज तो सिर्फ़ हम दोनों घर में
हैं अगर तुमको मन हो तो मेरे साथ सो जाना। सोते समय अकेले में हम यही बात
सोचते रहे। नींद नहीं आ रहा था, और मन भी बहुत था। आखिर में करीब २ बजे
जब जीजाजी फ़्रीज से पानी निकाल कर पीने आए तो उस समय हम उठ के बैठ गए और
तब वो बोले कि अगर नींद नहीं आ रहा है तो मेरे पास आ जाओ। अब इसके बाद
हमसे रुका नहीं गया। आप भी तो बोले थे कि एक बार चुदा लेने से मेरा घिस
नहीं जाएगा, तो हमको भी मन कर गया।" मैंने उसकी चूत में आराम से
धीरे-धीरे धक्के लगाते हुए पूछा, "कैसे चोदे तुमको?" वो बोली, "खुब प्यार
से, करीब आधा घन्टा तो मेरा सारा बदन दबाए - सर से पैर तक, पेट, पीठ, कमर
सब पर तेल मालिश किए। इसके बाद हमको चुमना-चाटना शुरु किए। उस दिन तो
हमोल्ग दोनों करीब ८ बजे तक सोए हीं रहे। कल रात में वो हमसे बोले कि हम
उनका देह दबा दें, तो हमारे देह दबाने के बाद वो हमको चोदे, आराम से सीधा
लिटा करके। फ़िर हमसे गाँड़ मराने के लिए भी बोले, तो हम मना कर दिए।" अब
मैं झड़ने वाला था, तो मैंने उसके चूत से लन्ड खींच कर उसकी झाँटों पर
अपना पानी निकाल दिया। वो जब मेरे वीर्य को अपने झाँटों पर मल कर सुखाने
लगी तब मैंने पूछा, "अब आज रात को कहाँ सोओगी?" वो बोली, "पता नहीं..."
और उठ कर कपड़े पहनने लगी। मैं भी अब दुविधा ग्रस्त था, कि क्या कहूँ।


शाम को जीजाजी घर आए तो बिल्कुल सहज थे। मुझे देख कर, अपनी बीबी यानि
मेरी दीदी के बारे में पूछा फ़िर अपने बच्चों का हाल मालूम किया। ऐसे हीं
बातें करते हुए डिनर के बाद, जब रेखा किचेन साफ़ कर रही थी, तब हम दोनों
टीवी देख रहे थे। फ़िर जब रेखा का काम खत्म हो गया तब जीजाजी उसो आवाज
लगाए, "रेखा आ जाओ अब, चलो सोने चला जाए।" रेखा मेरी तरफ़ देखी तो मुझे
देखते हुए बोले, "अरे वो भी आ जाएगा, अब ऐसी बच्चे थोड़े न हो कि दो मर्द
को न झेल सको। हम दोनों एक-एक पानी चोद लेंगे और फ़िर सो जाएँगे।" मेरा
तो दिमाग हीं सन्न हो गया जीजाजी की इस बात पर। रेखा भी झेंप कर अपना सर
नीचे झुका ली, तो जीजाजी बोली, "क्यों साले साहब, मेरे सामने रेखा को
चोदने में शर्म आएगी क्या? अपनी दीदी को चुदते देखते तो शर्म न आई थी, और
ना आपकी दीदी को अपने छोटे भाई से सामने चुदाते....सो छोड़े यार यह सब
सोच-विचार और आ जाओ, दो जीजा-साला एक साथ मस्त माल का मजा लूटें", कहते
हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बेडरुम में ले आए। पीछे-पीछे
रेखा भी आ गई थी। ऐसा नहीं था कि मैं कभी किसी के सामने लड़की नहीं चोदा
था। कौलेज के समय कई बार २-३ दोस्त मिल कर एक कौलगर्ल लते और सब मिल कर
मस्ती करते थे। पर यह बात अब पुरानी हो गई थी। कौलेग छोड़े करीब ६ साल हो
गया था और फ़िर यहाँ ममला दोस्त का नहीं बहनोई का था।


कमरे में आते हीं जीजाजी ने रेखा से कहा, "आ जाओ, अब नंगी हो कर बिस्तर
पर, आज तो तुमको अपने दोनों यार को खुश करना है" और रेखा भी यह सुन कर
मुस्कुराई, मेरी तरफ़ देखा और अपने कपड़े उतारने लगी। जीजाजी ने मुझसे
कहा, "क्यों साले साहब, अब आप अगर इतना शर्माएँगे तो सामने बैठिए, मैं तो
बिना इसको चोदे सोऊँगा नहीं।" यह कहते हुए वो आराम से अपने कपड़े उतारने
लगे। रेखा अब मुझे बोली, "आ जाईए न भैया जी, दो हीं दिन का त बात है,
फ़िर दीदी जब आ जाएगी तब तो जीजाजी, उनके साथ हीं बीजी रहेंगे।" जीजाजी
भी बोले, "हाँ यार, अब दो दिन तो कम से कम इस बच्ची का सुख भोगने दो, बाद
में तो उसी ३६ साल की औरत की चूत हीं रोज मिलेगी, यह कमसीन जवानी तो
पुदिने की चटनी है, कभी-कभी मिलती है। वो तो तुमने इसको शीशे में उतार
दिया सो मुझे भी आसानी हो गई, नहीं तो मुझे हिम्मत न होती कि इसको बिस्तर
पर बुलाऊँ।" मैंनें भी देखा कि अब सोच-विचार बेकार है सो मैं भी कपड़े
उतारने लगा और कहा, "पर जीजाजी, क्या रेखा हम दोनों को झेल लेगी?" जीजाजी
मुस्कुराई, "साले साहब, रेखा को एक रात में ३ बार तो मैंने चोद कर देख
लिया है। हम दोनों अगर एक-एक बार चोदें तो दो चुदाई हीं न होगी इसकी।
ताजा-ताजा जवान हुई है, सो अभी सब झेल लेगी। वैसे तुमने भी तो इसको एक
रात में सिर्फ़ एक बार नहीं हीं चोदा होगा। और अगर न भी चुद सकी तो हम
इसको ट्रेन कर देंगे। क्यों रेखा, हमसे चुदाई नहीं सीखेगी क्या?" जैसे
हीं जीजाजी ने मेरा ८" का लन्ड देखा बोले, "बहुत मस्त लन्ड रखे हो यार।"
अब रेखा जीजाजी से बोली, "आपका तो इतना मोटा है कि मेरा सारा चमड़ा तना
जाता है, इसको भीतर लेने में।"

सच में उनका ६" का था पर हद मोटा, मेरे लन्ड से करीब ५०% ज्यादा मोटा था।
जीजाजी अपने लन्ड की तारीफ़ सुन कर खुस हुए और मुझे कहा, "देख लो साले
साहब, हम आपके दीदी की कितनी खातिर करते हैं अपने इस लन्ड से। पिछले २०
साल से लगातार चोद रहे हैं उनको हर महिने कम से कम २० दिन जरुर।" मैंने
हल्के से हँसते हुए कहा, "बेचारी दीदी..."। जीजाजी हँस दिए, "अरे यार अब
तो आपकी दीदी, अगर किसी और से चुदा भी लेती है कभी तो बाद में कहती है कि
उसका तो इतना पतला था कि कुछ खास महसूस हीं नहीं हुआ..., मोटे लन्ड का
मजा कुछ अलग है, क्यों रेखा....तुम्हारा क्या ख्याल है?" रेखा बोली,
"हमको नहीं पता यह सब..." जीजाजी बोले, 'हाँ सही बात, अभी तो तुम कुछ खास
नहीं चुदी हो न मोटे लन्ड से। चलो आ कर लेटो बिस्तर पर जरा पहले तुम्हारे
चूत की चतनी चाटे तो कुछ नस तने।" इसके बाद वो रेखा को बेड पर पटक कर
उसकी चूत से मुँह लगा कर उसको चाटने लगे। मैंने भी अब आगे आ कर रेखा के
मुँह में अपना लन्ड डाल दिया और उसको वो चूसने लगी। आज पहली बार उसकी
दो-दो छेद के साथ खिलवाड़ हो रहा था। जल्दी हीं गीली हो गई, तो जीजाजी
बोले, "ओ साले, लौन्डिया गीली हो गई है, तू पेलेगा या मैं पेल दूँ।"
मैंने कहा, "आप हीं कर लीजिए, मैं बाद में कर लूँगा।" तब जीजाजी रेखा को
बोले की वो पेट के पार तकिया लगा कर पलट कर कुतिया बन जाए, जिससे कि वो
उसको पीछे से चोद सकें और साथ हीं मैं सामने से उसकी मुँह मार सकूँ।" जब
यह पोज बन गया तो जीजाजी धक्का लगाते और बिना मेहनत के रेखा मेरे लन्ड से
अपना मुँह मरा लेती। हर धक्के पर मेरा लन्ड उसकी मुँह में घुसता-निकलता।
करीब ५-७ मिनट में मैं उसके मुँह में झड़ गया और फ़िर साईड में खड़ा हो
कर रेखा को जीजाजी से चुदाते देखने लगा। जीजाजी ने अब उसको सीधा लिटा
दिया और फ़िर उसके ऊपर चढ़ गए। रेखा की चूत को खुब फ़ैला कर जीजाजी का
लन्ड रेखा की चूदाई कर रहा था। रेखा मस्त हो कर आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह करके
चुद रही थी। करीब ५ मिनट बाद जीजाजी रेखा की पेट पर झड़ गए।


रेखा भी पसीने-पसीने थी। उसका चूत एक दम गीला चमक रहा था। मैंने बिना
उसको अराम का मौका दिए, सीधे उसके चूत में अपना लन्ड पेल दिया। और बहुत
तेज धक्के लगाने शुरु कर दिए। रेखा को ऐसी उम्मीद नहीं थी, बेचारी चीख
पड़ी। मैंने उसको तेज धक्के लगाने के बाद अपने उपर पलट लिया। अब मैं नीचे
लेटा था और रेख मेरे उपर थी। साली को अब मजबूरन मेरे लन्ड की घुड़सवारी
करनी थी। तभी जीजाजी बोल उठे, "वाह क्या गाँड़ दिख रही है रेखा, अभी एकदम
कुँवारी लग रही है", कहते हुए जीजाजी ने उसकी गाँड़ में ऊँगली घुसा दी।
मैंने रेखा को अपने ऊपर चिपटा लिया था, सो बेचारी कुछ कर ना सकी और
जीजाजी उसकी गाँड़ खोदने लगे। मैं अब नीचे से धक्के लगाने लगा था, और
जीजाजी उपर से उसकी गाँड़ में ऊँगली कर रहे थे। रेखा का बदन भीतर में
मेरे लन्ड और जीजाजी की उँगली से दब रहा था। आज उसको एक अलग मजा मिला था,
जो पहली बार था उसके लिए।मैंने उनसे पूछा, "गाँड़ मारिएगा क्या जीजू?"
रेखा बोली, "नहीं, हम गाँड़ नहीं मरवाएँगे।" जीजाजी बोले, "अरे साले,
तुम्हारी दीदी तो साल में ५-६ बार गाँड़्मराती है, ये साला लन्ड मोटा हो
कर यही प्रौब्लम कर दिया है, बहुत मेहनत से घुसता है लदअकी की गाँड़ में
और रेखा तो और नाटी है। मैं इसकी गाँड़ तैयार कर देता हूँ तुम मार लेना।"
मैंने तुरन्त रेखा को अपने से उतारा और बोला, "ठीक है फ़िर आज मैं उसकी
गाँड़ में हीं झड़ूँगा। आप उसको तैयार कीजिए, मैं मूत कर आता हूँ।" रेखा
फ़िर बोली, "नहीं हम गाँड़ नहीं मरवाएँगे।" जीजाजी उसको धमकाते हुए बोले,
"चुप कर साली, नहीं तो अभी हम दोनों मिल कर तेरा बलात्कार कर देंगे।
चुपचाप गाँड़ मरवा ले मेरे साले से। इतने दिन से उसकी बहिन को चोद रहा
हूँ, तो मेरा भी फ़र्ज है कि जब उसका मन है किसी की गाँड मारने का तो
उससे किसी की गाँड़ मरवा दूँ। मेरी बीवी यहाँ रहती तो उसी को कह देता कि
वो अपने भाई से गाँड़ मरा ले।"


रेखा अब चुप हो गई थी, समझ गई कि अब उसकी गाँड़ नहीं बचेगी। वो अब शान्त
थी, देख रही थी कि अब क्या होता है? वैसे जीजाजी उसकी गाँड़ को इतना तो
खुल दिए थे कि वो एक उँगली ख्ब आराम से भी तर ले रही थी, और अगर कोशिश
किया जाता तो शयद वो दुसरी ऊँगली भी भीतर आराम से ले लेती। पर जीजाजी ने
वही वाईब्रेटर निकाल लिया। आगे से नुकीला वाईब्रेटर, धीरे-धीरे मोटा
होते-होते करीब १" व्यास का ६" लम्बे टुकड़े के बाद और मोटा होकर अंत में
करीब डेढ़ ईंच मोटा हो गया था। उन्होंने रेखा को पेट के बल लिटा दिया और
फ़िर उसकी कमर के पास बैठ कर उसकी गाँड़ की छेद पर वाईब्रेटर लगा दिए।
जल्द हीं रेखा की गांड़ थड़थराने की वजह से खुल गई। फ़िर गांड़ की छेद पर
खुब सारा वेसलीन लगा कर जीजाजी वाईब्रेटर को गांड़ में घुसाने लगे। जल्द
हीं रेखा की गांड़ आराम से १" मोटा वाईब्रेटर लेने लगी। थड़थड़ाहट की वजह
से उसको दर्द का एहसास हुआ हीं नहीं शायद। और जब उसकी गांड़ पूरी तरह से
खुल गई तो जीजाजी, उसके खुले छेद में अपनी दो उँगली दाल कर उसे थोड़ा और
चौड़ा करके अपनी तीसरी उँगली भी घुसा दिए। रेखा अब आराम से अपना बदन
ढ़ीला करके लेटी थी। जीजाजी, अब उसकी गांड़ पर थुकते और फ़िर अपने उँगली
को भीतर-बाहर करने लगते। एक समय ऐसा आ गया कि सब उँगली बहर करने के बाद
भी उसकी गाँड़ पुरी खुली रहती। इस तरह से रेखा की गाँड़ को पूरी तरह से
मेरे लन्ड के लिए तैयार करके जीजाजी ने न्योता दिया, "आजा मेरे साले,
बेटा चढ़ जा इस कुतिया के उपर, और इसके गांड़ में लन्ड पेल कर इसकी
घुड़सवारी कर ले आज।"


मैंने अपने टनटनाए हुए लन्ड पर खुब थुक लगाया और फ़िर उसकी खुली गांड़
में पेल दिया। लन्ड ऊँगली से मोटा तो था, और थोड़ा समय मिलने की वजह से
गांड़ सिकुड़ना शुरु हो गया था कि मेरे लन्ड ने उसको फ़िर से फ़ैलाना
शुरु कर दिया। रेखा अपने गांड़ में घुस रहे लन्ड से थोड़ा परेशान हुई, पर
उसको पता था कि लड़की को गांड़ मराना हीं पड़ता है (मैं ने उसको यह बात
बार-बार सुना कर उसके दिमाग में भर दी थी), सो वो इसको अपनी किस्मत समझ
कर बरदाश्त कर रही थी। जल्दी हीं, मैं उसकी गांड़ मारने लगा था। करीब २०
धक्के के बाद, जीजाजी बोले, "क्यों न हम 'सैंड्विच सेक्स' करें।" और
उन्होंने मुझे इशारा किया। मैंने अब रेखा की गांड़ में लन्ड फ़ंसा कर
धीरे से पोज बदला और खुद नीचे पीठ के बल लेट कर रेखा को अपने उपर कर
लिया, जिससे रेखा की पीठ मेरे सीने से लग गई और अब जीजाजी उपर से रेखा को
चोद सकते थे। जीजाजी बेड पर चढ़ गए और फ़िर रेखा की चूत में अपना लन्ड
घुसा दिया। हाँलाकि मेरे उपर अब सब का वजन था, पर मेरी जवानी तब काम आई,
और मैं सब झेल गया। जीजाजी अब उपर से रेखा को चोद रहे थे अय्र मैं नीचे
से उसकी गांड़ मार रहा था। जीजाजी रेखा से बोले, "ऐसी चुदाई किस्मत वाली
लड़की को मिलती है।" रेखा मस्ती से चीख रही थी, या शायद तकलीफ़ से भे
चीखी हो, पर अब इस बात की परवाह करने का समय नहीं था। इसके बाद पोज बदला।
जीजाजी नीचे पीठ के बल लेटे, रेखा उनके उपर घुड़सवारी की, उनका लन्ड अपने
चूत में घुसा कर, जीजाजी के चेहरे की तरफ़ झुक गई ताकि वो उसकी चुचियों
को चूस सकें, और मैं इस बार उपर से रेखा की गांड़ में लन्ड ठाँस कर उसकी
गत बनाने लगा। रेखा का तो पता नहीं पर मैं उस रात ३ बार झड़ा और जीजा जी
४ बार। इस तरह हम दोनों से, कुल मिला कर, रेखा उस रात करीब दो घन्टे तक
चुदी।

दीदी के आने के दिन तक रोज का अब यह नियम बन गया कि रात में रेल्हा हम
दोनों से एक हीं बिस्तर पर, अपने तीनों छेद मरवाएगी। शुरुआत तो होती थी
रेखा की मुँह मारने से, फ़िर उसकी चुदाई और गांड़ मराई के बिना हम उसे
सोने नहीं देते, और न हीं खुद सोते थे।
समाप्त............


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