Thursday, June 7, 2012

सेक्सी कहानियाँ दीदी की नौकरानी - रेखा--2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
  दीदी की नौकरानी - रेखा--2
गतांक से आगे.....................
मार कर चोदे थे। दीदी को आगे निहुरा दिए थे और इसी से कभी उनकी जांघ पर
तो कभी चुची पर मारते। पर सबसे ज्यादा दीदी की चुतड़ पर मारे थे, बाद में
तो थप्पड़ से भी मारे थे। हम तो देख कर दंग थे किए आपकी दी
रेखा बताए जा रही थी, "हम तो वहाँ से खिसक लिए पर सोचते रहे कि यह
(चाबुक) चीज क्या है। वो तो रात में पता चला। उस दिन आपके दीदी को जीजाजी
इसी से मार-दी तो खुब मगन हो कर मार खा रही थी। इसके अगले दिन भी वो
थप्पड़ से खुब मार खाई थी, सुबह में दीदी के पेट पर हल्का सा निशान हम
देखे तो पूछे, तो दीदी टाल दी। बाद में हम सुने कि औफ़िस के लिए निकलते
समय वो जीजाजी से कह रही थी कि अब से रोज ऐसे नहीं करेगी। तब जीजाजी बोले
थे कि ठीक है महिने में दो दिन ऐसा करेंगे। हमको यह सब देख कर अजीब लगा,
सारा बदन गनगना गया था, ऐसे मार खा कर चोदाते हुए दे"ख कर।" मैं भी यह सब
सुन कर दंग था, काश मैं अपनी दीदी का यह रंडी-वाला रूप देख पाता। मुझे
ऐसे चुप देख कर रेखा बोली, "आपको खराब लगा होगा न कि जीजाजी आपकी दीदी को
ऐसे मारते हैं यह जान कर? मैंने उसको बढ़ावा दिया, "अरे नहीं, ऐसी बात
नहीं है। जीजाजी उसको मार थोड़े न रहे थे, वो तो प्यार कर रहे थे। सेक्स
में बदन जितना टूटता है मजा उतना हीं ज्यादा आता है। जब एक बार चुदास
लगती है, तब लड़की को चुदाई के समय दर्द का पता थोड़े न चलता है। ऐसे भी
लड़की अगर दर्द से डरेगी तो चुदेगी हीं नहीं। जब उसकी फ़टती है तो उसको
दर्द तो बर्दास्त करना होता है।" मैं रेखा को मानसिक रूप से तैयार कर रहा
था। वो अब गंभीर हो कर बोली, "यही तो डर हमको है कि दर्द होगा।" मैं उसको
हिम्मत देते हुए बोल, "अरे कुछ नहीं होगा, मैं तुम्हें प्यार से खुब गर्म
कर दुँगा, ऐसी चुदास लगा दुँगा कि तू आराम से हँसते हुए अपना चूत फ़ड़वा
लेगी। मुँह मराने में मजा आता है न, बस समझ ले कि तुम्हारे पास दो मुँह
है, उपर वाला तो मराती ही हो मुझसे, अब नीचे वाला भी ऐसे हीं अराम से
मरवा लोगी, नहीं तो आज एक बार इसी (वाईब्रेटर) से एक बार हल्का सा ट्राई
कर लो।" और एक झटके से मैंने उसकी सलवार नीचे खींच दी क्योंकि मुझे पता
था कि एलास्टीक वाली सलवार है, सो वो नीचे खिसक गई और आज पहली बार मैंने
पूरी रोशनी में रेखा की झाँटों का दीदार किया। वो तुरन्त हीं अपना सलवार
ऊपर की और मुझे गोल-गोल आँखो से देखते हुए वहाँ से भाग गई। मैं भी सब
सामान बैग में रख कर बैग नंद करके बाहर आया हीं था कि कौल-बेल बजी। दीदी
आ गई थी।

संयोग देखिए कि शाम को जीजाजी आए और बोले कि औफ़िस की एक ट्रेनिंग बनारस
में है सो १४ दिन के लिए कल जाना होगा। दीदी भी साथ जाने को तैयार हो गई।
मेरी बदकिस्मती कि मुझे भी अभी सिर्फ़ कल हीं रहना था उसके बाद ३ दिन का
एक टूर था। मैं बड़ी उलझन में था, सोचा कि अपने बैस से बहाना बना दूँ कि
तबीयत खराब है और यहीं रुक कर रेखा की बैन्ड बजाऊँ। पर तभी मुझे पता चला
कि दीदी-जीजाजी औफ़िस के बस से सुबह सात बजे हीं निकल जाएँगें, मुझे रात
९ बजे की ट्रेन से निकलना था, सो अब मेरे पास दिन का पूरा समय था रेखा की
सील तोड़ने के लिए। नियमानुसार सुबह में रेखा रुम में आई और मेरा लन्ड
निकाल ली चुसने के लिए। तब मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर
उसके होठ चुम लिए (सुबह उसका मुँह महक भी रहा था, पर इसकी फ़िक्र अब मुझे
नहीं थी...अब तो आज साली चुदने वाली थी मुझसे) और कहा, "आज रहने दो,
हल्के नास्ते के बाद आज तो तुमको चुदना है. सो अब यह सब उसी समय करना,
अभी बाथरुम से हो लो और दीदी-जीजाजी के लिए नास्ता बना दो।" वो भी एक
गहरा चुम्बन मेरे होठ पर ली और मुस्कुराते हुए उठ गई। उसकी रजामंदी मिल
गई थी। आज वो भी चुदाने को तैयार थी।

करीब ७.१० पर जीजाजी की बस आ गई और जैसे हीं वो और दीदी घर से गए, मैंने
पीछे से रेखा को दबोच लिया। मेरे ५'११" कद के हिसाब से रेखा का ४'१०" का
बदन बचकाना सा था। उसकी चुतड़ मेरे जांघ के पास थी। मैंने सीधा किया तो
उसकी छाती मेरे पेट से सटी। रेखा बोली, "ओह हो, थोड़ा रुकिए न। अभी दो
मिनट में दूध और ब्रेड ले कर आ जाते हैं, अब तो १४ दिन है इसके लिए।"
मैंने उसकी चुचियों को सहलाते हुए कहा, "इसी को निचोड़ कर दूध निकाल
दूँगा मेरा जान।" वो हँसते हुए बोली, "कुछ नहीं निकलेगा, हम वो सब चेक
किए हुए हैं, हटिए।" और वो सच में मेरे बाहों से निकल कर किचेन की तरफ़
चली गई। मुझे भी बाथरुम जाना था सो मैं भी अब उसे छॊड़ चल दिया। करीब ८
बजे वो सामन ले कर लौटी। हम दोनों से साथ चाय पी। इसके बाद मैंने उसको
उपर के कमरे में चलने का इशारा किया। रेखा ने नीचे के दीदी वाले कमरे की
तरफ़ इशारा किया तो मैं बोला, "नहीं यहाँ नहीं, पहली बार आज चुदोगी तो
बिस्तर गंदा होगा हीं सो उपर हीं चलो।" मैं अब आगे बढ़ गया। उपर आकर
मैंने कमरे की सब खिड़कियाँ खोल दी ताकि खुब रोशनी हो जाए। नीचे से रेखा
की आवाज आई, "कुछ लाना है क्या?" मैं बोला, "नहीं सब चीज उपर हीं है,
नीचे से सिर्फ़ तुम आ जाओ बस...." और अगले कुछ पलों में रेखा मेरे सामने
थी, मैं तो उसके इंतजार में मादरजात नंगा खड़ा था। खिड़की खुली देख वो
बोली, "ये सब काहे खोल दिए, कोई देख लेगा तो...?" मैं बोला, "कोई नहीं
देखेगा, और देखेगा तो क्या? हम लोग भी तो देखे थे दीदे-जीजाजी को...ऐसे
भी सबसे पास का घर भी कम से कम ४०' तो है हीं कुछ साफ़ नहीं दिखेगा बाहर
से दिन की धूप में" यही कहते हुए मैंने रेखा को पास खींचा और उसके होठ पर
अपने होठ रख दिए। मेरा ध्यान अब सिर्फ़ उसके होठों का रस पीने पर था,
जबकि वो बेचारी बार-बार खुली खिड़की की तरफ़ देख रही थी, बोली "पर्दा तो
खींच दीजिए कम से कम"। मैंने उसको डपटते हुए कहा, "नहीं सब ऐसे हीं
रहेगा. ज्यादा झमेला करोगी तो कमरे से बाहर छत पर ले जा कर चोदेंगे
तुम्हें" और मैंने उसको गोदी में उठा कर दरवाजे की तरफ़ बढ़ा। उसके न न
करते करते भी मैं अपने होठ उसके होठ से सटाए हुए हीं कमरे से बाहर आ गया
तो वो किसी तरह छूट कर भीतर भागी। जाते-जाते कह गई, "बहुत बेशरम हैं
आप..."


मैं हँसते हुए उसके पीछे कमरे में आया और पीछे से उससे चिपक कर बोला,
"रानी अब तो तुम्हें बेशर्मी करना है, चल नंगी हो जा पहले। खोल अपने
कपड़े।" वो नखरे दिखाती बोली, "हम नहीं कपड़ा खोलेंगे अपना।" मैं अब उसको
बातों से गर्म करना शुरु किया, "साली ज्यादा नखरे मत कर, नहीं रगड़ दुँगा
पहले हीं दिन। मेरे पास चुदाने आई है और नखरा दिखा रही है।" वो भी जवाब
दे रही थी, "हम कोई आपके दीदी थोड़े हैं कि ऐसे खुले-आम चोदा लें। आप
दोनों तो पक्का बेशरम हैं।" मैं बोला, "अरे अगर मेरी दीदी जीजाजी से इतना
नहीं चुदाती तो तुम आज तक कुँवारी नहीं बचती। देखी न जीजाजी कैसे
चुदक्कड़ हैं। अभी तक तुम्हारी गाँड़ फ़ाड़ दिए रहते।" रेखा अब पहली बार
छिनाल की तरह बोली, "हट साले, बहन को चुदाते देख कर लंड रगड़ता है और
हमको समझाता है।" मैंने अब एक झटके से उसका दुपट्टा खीच कर हटा दिया। मैं
फ़िर से उसको चुमने लगा और वो भी मेरा साथ दे रही थी। जल्दी हीं वो गर्म
होने लगी। मैंने उसकी कुर्ती उपर से खींच कर निकाल दी। फ़िर चुमते हुए
हीं उसकी सलवार को नीचे सरार दिया जिसको वो खुद अपने पैरों से निकाल दी।
मैंने रेखा को अब अपने से अलग सामने खड़ा किया। सफ़ेद समीज से अब उसका
बदन ढ़का हुआ था। उसकी छाती की गोलाई अब कुछ ठीक से दिख रही थी, वर्ना
ढ़ीले से कुर्ते में से लगता था कि जैसे चुची उभरी हीं नहीं है। मैंने
कहा, "जान अब समीज उतारों न, प्लीज।" रेखा मेरे से नजर मिलाते हुए अपने
हाथ से समीज का निचला हिस्सा पकड़ी और धीरे-धीरे उसे उपर करते हुए अपने
सर की तरफ़ से निकाल दिया। काली ब्रा में उसकी चुचियाँ कसी थी। आकार बड़ा
नहीं था, लगभग संतरे जैसा था। जब उसके हाथ उपर उठे तो मुझे उसकी काँख के
बाल दिखे। नीचे एक नीली रंग की पैन्टी थी जो उसकी चूत को छुपाए हुए थी।
उसने अब खुद हीं अपना ब्रा खोला फ़िर बोली कि अब पैन्ट खोलने में हमको
लाज आएगी, सो आप अपने खोल लीजिएगा।


मेरा लन्ड टनटनाया हुआ था सो मैं बोला, "ठीक है, आओ अब जरा मेरा लन्ड चूस
दो, बेचारा बहुत बेकरार है तुम्हारी मुँह मारने के लिए।" वो एक रंडी की
तरह मेरे पास आई और नीचे बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी। मैं भी आराम से
उसका सर अपने हाथों से स्थिर करके उसकी मुँह मार रहा था। ऐसे हीं मेरा
पानी छूट गया। मैं यही चाह भी रहा था, ताकि थोड़ा ज्यादा उसके कुँवारे
बदन का मजा ले सकूँ। मुझे पता था कि अब एक पानी छूटने के बाद मेरा लन्ड
जब खड़ा होगा तो कम से कम २० मिनट तक जरुर चोदेगा, दुबारा झड़ने से पहले
और इतना समय किसी रंडी के पसीने छूड़ाने के लिए काफ़ी है और रेखा तो अभी
कली थी वो भी कच्ची। रेखा आराम से मेरा लन्ड का माल खा गई (उसको अब तक इस
बात की आदत हो गई थी), और फ़िर अपने होठ और चेहरे को भी पोछ-पाछ कर साफ़
कर ली। मैंने रेखा को अब उठाया और उसके होठ चुमते हुए उसको पीछे धकेलते
हुए बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी चुचियों को मसलने लगा। जब दाईं चुची
मसली जाती तो बायाँ निप्पल चुसता और जब बाईं चुची मसली जाती तो दायाँ
निप्पल मेरे मुँह में होता। वो अब कराहने लगी थी...उसके मुँह से निकल रहा
था, "आआआआह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह्ह छोड़िए गुदगुदी हो रहा है।" मैंने धीमे से
उसके कान में कहा, "तब अपने बच्चे को दूध कैसे पिलाओगी?" वो झिड़क कर
बोली, "आप बच्चा हैं क्या भैया जी?" मैं उसको समझाया, "अरे मेरी सोनू,
लड़की सब पहले अपना चुची मर्द से चुसवा कर प्रैक्टिस करती है, तब जा कर
बच्चा पैदा करती है और उसको दूध पिलाती है।" और मैं अब उसके काँख की
खुश्बू लेने लगा था फ़िर उसके कांख के बाल को चाटने लगा। वो गुदगुदी से
भर कर बोली, "ओह....कितना गंदा महक रहा होगा पसीना से। आप बहुत गंदे है
सच में...।" मैं बोला, "प्यारी, मर्द के लिए जवान लड़की का कुछ गन्दा
नहीं होता है। ये सब तो खुश्बू है मेरा जान...यही गंध तो मेरा लन्ड को
देखना कैसा टनटना देगा।" और खुब सारा थुक उसकी कांख में निकाल कर उसको
चाटने लगा। उसकी आँखें अब बन्द थीं और वो धीमे धीमे कराह रही थी...आआअह
आअह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह। मेरे हाथ भी अब उसकी चुचियों से फ़िसलते हुए उसकी
पैन्टी की तरफ़ चले गए और अगले कुछ पल में उसकी पैन्टी उसके बदन से गायब
हो गई।


मेरे मुँह से निकला, "कितनी बड़ी-बड़ी झाँटे है तेरी मेरी जान...।" अब
उसने आँख खोली और तब उसको अहसास हुआ कि वो पूरी नंगी हो चुकी है। हड़बड़ा
कर वो उठने लगी, कह रही थी, "आखिर आप हमको नंगा कर हीं दिए, अंधेरा रहता
तो बात और था...छिः कैसा लग रहा है देख कर..." मैंने उसको हिम्मत दी,
"कुछ नहीं लग रहा है. अब तुम आराम से लेटो और मुझे अपने चूत से खेलने दो।
कुँवारी चूत रोज रोज थोड़े न मिलती है...अच्छा एक बात बताओ, कभी देखी हो
लड़की को जब पहली बार चोदा जाता है तो क्या टुटता है...? लड़की की चूत की
सील कैसी होती है?" वो अचकचाई सा मेरा मुँह देख रही थी, तो मैंने कहा,
"जब पहली बार लड़की चुदती है तो उसके चूत के भीतर की सील टूटती है, इसी
सील को तोड़ कर लन्ड चूत फ़ाड़ता है। कोठे पर इसको "लड़की की नथ उतारना"
कहा जाता है। रंडियाँ लड़की की नथ उतराई की कीमत वसूल करती है..." वो अब
चहकती हुई बोली, "आप भी हमको नथ उतराई दीजिए न आज।" मैं उसकी इस अदा पर
फ़िदा हो गया, "तुम जो बोलो मेरी जान....", वो बोली, "मेरी चूत भी दीदी
के चूत के जैसा चिकना बनवा दीजिए न किसी ब्युटी-पार्लर में ले जाके और न
एक सानिया मिर्जा जैसा नथिया हमको खरीद दीजिएगा।" मैं गदगद हो कर कहा,
"जरुर, मेरी रानी..." और फ़िर मैं उठा और अपने पर्स से एक हजार का नोट
निकाल कर उसके सर के उपर घुमा कर उसकी चूत में खोंस दिया, "शगुन है मेरी
जान...ले लो" वो किसी बच्चे के तरह उस नोट को लपक ली और मेरी नजर उसके
नंगे बदन का मुआयना करने लगी। पतली-पतली टांगों के बीच ३" के करीब लम्बे
झाँटों से घुरी उसकी चूत की धारी का बस एक हल्का सा आभास हो रहा था। मैं
अब उसकी चूत पर पिल गया। जीभ से पहले झाँटों को गिला करके चाटा तो वो
थोड़ा साईड हो गए। फ़िर बारी आई उसकी कुँवारी चूत की। मैंने बाथरुम से
आईना ला कर रेखा को उसके चूत के भीतर की झिल्ली के दर्शन कराए। पहली बार
उसको इस तरह से अपना चूत दिखा था, वो गदगद थी। मैं अब जम कर उसकी चूत चाट
रहा था, कि वो बोली हटिए...अब पेशाब निकल जाएगा। मैं समझ गया कि साली
झड़ने वाली है। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और जोर-जोर से चूत को चुसने-चाटने
लगा। वो छूटने के लिए छटपटा रही थी, और मैं झकड़े हुए था। मेरे
लम्बे-तगड़े शरीर के सामने ४'१०" की दुबली लौन्डिया की क्या औकात थी।
जल्द हीं जोर-जोर से साँस लेते हुए वो झड़ गई। उसका नमकीन रज जब बहा तो
मैं उसे स्वाद ले-ले कर चाटा। अंत में साली कुछेक बूँद मूत भी दी। तब मैं
हटा और उसको पेशाब करके आने को बोला।

जब वो दुबारा आई तो फ़िर से चुम्मा-चाटी शुरु हुआ। जल्दी हीं वो फ़िर से
गर्म हो गई और जब आआआह्ह्ह आआह्ह्ह करते हुए अपने पैर सिकोड़ने शुरु किए
तो मैंने उसको सीधा लिटा दिया और खुद को उसकी टांगों के बीच में पोजीशन
कर लिया। वो भी समझ गई कि अब समय आ गया है, सो शान्त हो गई। मैंने उसके
दोनों जांघ खोल दिए फ़िर अपने लन्ड पर ढ़ेर सारा थुक लगा लिया। उसकी चूत
की फ़ाँक को अपने हाथ से खोल कर अपना लन्ड उसके मुँह पर सटा दिया। अब
मैंने अपने पैरों को कुच ऐसे पोजीशन किया कि वो ज्यादा हिल डुल ना सके।
फ़िर धीरे धीरे उसके उपर लगभग लेट गया। उसका चेहरा मेरे पेट के करीब था,
और मैं अपने पेट को थोड़ा और दबा कर उसको दाएँ-बाँए घुमने से भी रोक सकता
था। उसकी आँख आने वाले समय के बारे में सोचते हुए बंद थीं। सब तरह से
तैयार हो कर मैंने कहा, "आँख खोल रानी, मेरा चेहरा देख।" वो आंख बन्द किए
हीं बोली, "हमसे नहीं देखा जाएगा।" मैं उसको समझाया, "रंडी भी जब पहली
बार लंड घुसवाती है तो अपने को चोदनेवाले का चेहरा जरुर देखती है। नई
दुल्हन को तो यह बात उसकी भाभी, ननद यह बात समझा कर भेजती है सुहागरात
को। तुम्हारा कुँवारापन फ़िर तुमको जीवन में नहीं मिलेगा, तो जरा उसको तो
देख लो जो तुम्हारी जवानी को लूटने वाला है...।" उसने आंख खोली और कहा,
"ओह भैया जी....अब बात छॊडिए चोदिए हमको, अजीब सा बेचैनी हो रहा है सारे
बदन में।" मैं उसके कान के पास फ़ुस्फ़ुसाया, "भैया जी नहीं अब तो सैया
जी बोल मेरी बुलबुल, चल चुद जा मेरी रानी....बन जा मेरी रंडी आज...." और
अपने भारी बदन से उसको दबाते हुए हल्के हल्के अपना लन्ड उस्की चूत में
दबाने लगा। जल्दी हीं उसको दर्द महसूस हुआ, तो वो कसमसाई...मैं बात समझ
कर थोड़ा रुका और बोला, "अब गहरी सांस लो, सब ठीक हो जाएगा।" मै रुका हुआ
था और वो सांस खींच रही थी। बस इसी क्षण बिना उसको कुछ बताए मैंने एक
जोरदार धक्का अपने कमर से उसकी चूत पर लगाया, और मेरा लन्ड उसकी सील
तोड़ता हुआ आधा भीतर चला गया। वो दर्द से बिलबिला उठी, पर हिलने के लायक
भी मैं उसको नहीं छॊड़ा था। वो सिसक रही थी, पर मैं बिना कोई दया दिखाए
अगला जोरदार धक्का लगाय और मेरा पूरा ८" लन्ड उसकी चूत के भीतर था। अब
मैं उपर उठा अपने सर को झुका कर अपने लन्ड की कारस्तानी देखी। इस चूत की
सील को तोड़ कर मैंने हिसाब लगाया कि अब मैं आधा दर्जन लड़कियों को कली
से फ़ूल बना चुका था।


रेखा की आँख से आँसू बह रहे थे, और मैं उसकी चूत में अपना लन्ड धंसाए हुए
स्थिर हो कर अब उसके चेहरे हो सहला कर दिलासा दे रहा था वो बोल रही थी,
"बहुत गंदे हैं आप, हमको यही डर था। बाप रे, कितना दर्द हो रहा है।"
मैंने कहा, "रो मत जान, सब तो तुम्हारे मर्जी से हीं हुआ है, अब कोई दर्द
नहीं होगा। सब हो गया, मेरा लन्ड पूरा भीतर घुसा हुआ है।" कुछ देर में वो
थोड़ा शान्त हुई तो मैं पूछा, "अब ठीक है....बोलो तो अब चोदे
तुम्हें...।" वो मुस्कुराई, "अभी तक क्या कह रहे थे मेरे साथ...कि अब
चोदिएगा?" मैं उसको मुस्कुरते हुए देख रंग में आते हुए बोला, "अभी तो
सिर्फ़ सील तोड़ी है जान, अब असली चुदाई होगी जब लन्ड तुम्हारी चूत में
भीतर-बाहर करेगा। उस सील के साथ तो तुम बच्ची थी, अभी जवान हुई हो...तो
अब न जवानी का खेल होगा।" कहते हुए मैंने अपने लन्ड को आधा बाहर खींचा तो
फ़िर दर्द महसूस करके रेखा चौकन्नी हो गई पर जब मैंने लन्ड भीतर पेला तो
इस बार दर्द वो बरदास्त कर गई। जल्दी हीं वो समझ गई कि चुदाई क्या होती
है, और मेरा सहयोग करने लगी। हचाहच...फ़चाफ़च... की आवाज कमरे में गुंजने
लगी थी। वो अब ठीक ऐसे हीं बोले रही थी जैसे मेरी दीदी चुदाते समय बोलती
थी, "आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह उउउउउउह्ह्ह उउउउउह्ह्ह्ह आजा मेरे राजा, चोदो
जोर से चोदो....हमको चोदो और चोदो....मेरे चूत क मजा लूट लो मेरे राजा
आआह आआअह्ह्ह्ह्ह"। मैं भी उसके सूर में सूर मिला रहा था, "चुद मेरी
रानी....मस्ती से भर कर चुद....अपने चूत की सारी खुजली मिटा ले। मेरा
लन्ड तुम्हारे चूत के लिए हीं हैं।" वो झड़
गई....आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कह कर और अपना बदन एकदम ढ़ीला छोड़ दी।
मैं बोला, "क्या हुआ रे रंडी, झड़ गई क्या...?" वो बोली, "हाँ रे राजा,
तुम्हारी रंडी अब खत्म हो गई।" मैं अब पूरे जोश में था, "ले साली रंडी
देख अब कैसा तेरी चूत का भोंसरा बनाता हूँ....साली ...चुद साली
चुद....अभी खुब चोदुंगा तुम्हें...साली हरामजादी...। रंडी बना कर चोदुँगा
और बीच सड़क पर चोदवाऊँगा साली। (तुम भी गाली दो न जान)।" मेरा इशारा समझ
वो भी आआआह्ह्ह्ह उउउउह्ह्ह्ह करते हुए बोलने लगी, "चोदो साले हरामजादे,
खुद चोदो हमको.....बह्तुत मजा आ रहा है, आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हरामी ऐसे हीं
चोदो हमको" मैं बोला, "साली रंडी....तुम्हारा खानदान साला रंडीबाजी से
पैदा हुआ है....रे कुतिया साली।" वो भी बोली, "हाँ रे मादरचोद...मेरा
खानदान रंडीबाजी से पैदा हुआ है और तुम्हारा तो पैदाईश हीं कुत्ता का
है....तुम्हारी माँ को दस कुत्ता मिल के चोदा था तब तुम पैदा हुआ था
साले" मैं अब अपने में नहीं था, "हाँ साली, मैं तो बहनचोद हूँ, मादरचोद
हूँ पर आज तो तुम्हारी चूत फ़ाड़ दी न। मादरचोद से चोदाती है रंडी छिनाल
कहीं की।" और तभी मैं भी झड़ गया। रेखा की चूत के भीतर मेरा लन्ड उलटी कर
रहा था। १, २, ३...., ७ जोर के झटके लगे लन्ड में तब जा जर वो कुछ शान्त
हुआ। मैं अब शान्त हो कर अपना लन्ड बाहर खींचा, तो रेखा की चूत से मेरा
वीर्य, उसका रज और उसके टुते सील की गवाही देता खून, सब मिल-जुल कर बह
निकला। रेखा अब दर्द से कराहते हुए उठी और फ़िर सब साफ़ करने लगी। हम
दोनों आज करीब दो घन्टे एक-दुसरे के बदन से खेले थे। २५ मिनट तो चुदाई
हीं चला था। मैं मस्त था, पर बेचारी रेखा को अब दर्द समझ में आ रहा था।
मैंने उसको एक क्रोसिन की गोली खिला दी कि दर्द कम हो जाएगा।
फ़िर हम दोनों नीचे आ गए।

रेखा को मैंने उस दिन शाम को करीब ५ बजे मैंने फ़िर से चोदा। इस बार
मैंने रेखा को किसी मर्द के उपर चढ़ कर घुड़सवारी करना सीखा दिया। इस तरह
से रेखा खुद हीं धीरे-धीरे अपने चूत के भीतर लन्ड घुसाई और फ़िर कुछ हीं
समय में मस्त तरीके से मेरे लन्ड पर ऊठक-बैठक करना शुरु की। मैं अपने
हाथों से उसकी चुचियाँ दबा रहा था, और साली खुब मस्त हो कर चुद या कहिए
मुझे चोद रही थी। इस बार उसे कुछ खास तकलीफ़ नहीं हुई थी। मैं जब झड़ने
के करीब हुआ तब तक वो भी एक बार झड़ गई थी, सो मैंने उसको कहा कि अब वो
मुँह मराए, मैं उसको टौनिक पिलाना चाहता हूँ। वो समझ गई और मेरे उपर से
उतर गई। करीब १५-१७ धक्के के बाद हीं मैं उसके मुँह में झड़ गया। मैंने
उसकी झाँटों को अपनी मुट्ठी में जकड़ा और एक जोर का झटका दिया। उसे इसकी
उम्मीद नहीं थी। वो जोर से चीखीं, मैंने हँसते हुए कहा, "ऐसे हीं न अपना
झाँट उखाड़ कर तुम मुझे दी थी, सो अब मैं तुम्हारी झाँट अपने साथ ले
जाऊँगा और तुम्हें याद करके मूठ मारुँगा।" वो मेरा ऐसा प्यार देख सब दर्द
भूल कर मुझे चुम ली। मैंनें अपने हाथ में आई ६ झाँटों को खुब प्यार से
अपने पर्स में रख लिया। वो बोली, "ऐसे मेरे झाँट से प्यार कीजिएगा तो
कैसे मेरी चूत को अपने दीदी की चोत्त जैसी चिकनी बनवाईएगा?" मैंने कहा,
"अरे अभी कुछ दिन झाँट वाली चूत को चुदाओ फ़िर झाँट बना दुँगा मैं खुद।
तुम चिन्ता न करो। एक बार जब झाँट छीलवा लोगी तो फ़िर ऐसा झाँट होने में
बहुत समय लगेगा, समझ गई जान मेरी। वैसे भी चिकनी चूत से मुझे रंडीयाँ याद
आती हैं, आज तक मैंने कोई झाँट वाली रंडी नहीं चोदी।" रेखा बोली, "आपकी
दीदी की चोत्त भी तो चिकनी है, वो रंडी हैं क्या?" मैंने कहा, "क्या पता
अगर एक समय में दो मर्द के साथ चुद रही होगी तो हो भी सकती है। एक जीजाजी
हैं हीं और अगर वो किसी और के साथ भी कर रही होगी, तो शायद....।" अब रेखा
का अगला सवाल था, "आप रंडी चोदे हैं क्या भैया जी?" मैंने उसका होठ चुमा
हल्के से फ़िर बोली, "हाँ, कई बार...करीब ७ रंडियों को चोदा हूँ। जब घर
से बाहर रहिए तो रंडियाँ हीं सहारा हैं अगर मन मचल जाए तो...अब तुम मिल
गई हो तो अब शायद रंडीबाजी छुट जाएगा।" वो मेरा ऐसा प्यार देख खुश हो
चहकी, "क्या सच में?" मैंने उसको अपने बाहों में समेट कर चुमते हुए कहा,
"हाँ मेरी जान...अब तो तू हीं मेरी रंडी है, अभी तो सिर्फ़ तू हीं है
मेरे जीवन में अकेली रंडी...।"
क्रमशः .......................


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