Monday, October 29, 2012

सेक्सी कहानियाँ हवस की गुलाम --3

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

हवस की गुलाम --3
गतान्क से आगे.....................
अब तो वह बहुत ही मज़ा दे रही थी. खुल कर बोलने से हलचल सी
मची थी. सारी खोलकर चुदवाने की बात की तो लंड तेज़ी से खड़ा
हुआ. उसकी कमर से बँधी सारी खोलने लगा तो वह मेरे गाल मसल्ति
बोली, "बोलो सारी खोलने मे मज़ा आ रहा है?"

"हाए बहुत भाभी." और सारी अलग कर उसके पेटिकोट पर हाथ रखा
तो जवानी झूम गयी.

वह सारी को अपनी बड़ी ननद को देती बोली, "मीना मेरी सारी को लपेट
कर कोने मैं रख दो."

भाभी की बात सुन उसकी ननद ने मुस्कराते हुए मुझे देखा और अपनी
भाभी की सारी को अपने हाथ मे ले लिया. वह मॅचिंग का पेटिकोट
और ब्लाउस पहने थी. अब वह और भी खूबसूरत लग रही थी. मेरा
लंड तो इतने मे ही दुबारा झटके लेने लगा था. उसका चिकना पेट
बहुत कसा-कसा दिख रहा था. वह बोली, "उन औरतो को कैसे चोदा
था?"

"जी लिटा कर."

"एक बार मे पूरा पेल दिया था इसको?" लंड को पकड़ बोली तो मैं
तड़प कर बोला, "जी 4-5 बार मे गया था."

"इसका मतलब जवान थी."

"जी भाभी पर मज़ा नही आया था. हाए आपके साथ बहुत मज़ा आ
रहा है."

हाथ लगते ही लंड एकदम तन गया था. वह सुपारे को मसल्ति
खुलकर बोल रही थी, " तुम्हारा बहुत मोटा और लंबा है. मैं तो
ललचा गयी हूँ. मज़ा लो मेरे साथ. मेरे चूतड़ को सहलाओ. एक बात
बताओ?"

"क्या भाभी."

"बताओ अगर मेरे साथ मेरी दोनो ननदे भी चुदासि हों तो तुम
पहले किसकी चोदोगे?"

"जी आपकी भाभी."

"शाबास, बहुत अच्छा. तुम सबके सामने मुझमे ही दिलचस्पी दिखाना,
मेरी सास के सामने यही ज़ाहिर करना कि अगर मैं इशारा करूँगी
तभी तुम उनपर सवार होगे."

"जी भाभी हाए क्या चूतड़ हैं."

अब मेरे ऊपर उस छिनाल औरत का नशा सवार था. सारी उतरवाने से
समझ गया था कि सफ़र मे ही प्यास बुझेगी. वा बोली, "मेरी सास
45 की हैं पर अभी भी तुम जैसे जवान को खोजती हैं. देखो हमारे
घर मे मर्द नही हैं पर सबके पास चूत हैं. सबको तुमको ही
चोदना है. चोद लोगे ना?"

"जी भाभी."

"किसी चूत मे डाल कर सोए हो कभी?"

"नही भाभी."

"यह मज़ा मेरे पास ही मिलेगा. दूसरा सबसे ज़्यादा मज़ा यह पाओगे कि
हम सब तुम्हारी लौंडिया बनकर चुदवायेन्गे. सबकी चूत बिना झाँत
के कमसिन लौंडिया सी मिलेगी. घर मैं सभी तुम्हारे साथ चढ्ढि
और ब्रा मे रहेंगे." "जी."

वह मेरे सामने घुटने के बल बैठी मस्ती के साथ मुझे ऐसी
रंगीन दुनिया दिखा रही थी जिसके बारे मे सोचा भी नही था. वह
दबी और धीमी आवाज़ मे बाते कर रही थी और मुझे अपना गुलाम
बना रही थी. मेरे हाथ साए (पेटिकोट के ऊपर से उसके मांसल
गुदाज़ चूतड़ की दरार मे चल रहे थे. भले जवान था और
चोद कर मज़ा ले चुका था पर इसके सामने मेरी हालत बच्चे सी
थी. जो कह रही थी वह कर रहा था. अब लंड पूरा तना खड़ा था
और सुपरा पॅंट फाड़ने को तैय्यार था. इस मज़े को पा ट्रेन की
भीड़-भाड़ की परवाह भी नही रही थी. मैं भी उसकी तरह मज़ा
लेने लगा था. पेटिकोट मे वा बहुत प्यारी लग रही थी. मुझे
अपनी गुदाज़ चिकनी गान्ड सहलाने का इशारा कर वह मस्त कर चुकी थी.
एक पल चुप रहने के बाद वह मेरे लंड के सुपारे को दबाती
बोली, "समझ गये?""जी भाभी."

"मुझे ऐश कराते ले चलोगे?"

"हां भाभी." मैं उसके इशारे पर चल रहा था.

वह मेरे चौड़े सीने पर हाथ फेरते बोली, "मेरी छोटी ननद बीना
अभी एकदम कोरी है, मैं तेल लगाकर उसका मज़ा दिलवा दूँगी."

"जो कहिएगा करूँगा, हाए बड़ी वाली ने किसी से करवाया है क्या?"

"हां एक बार एक को ले गयी थी घर तो 2-3 बार चुदवाया था पर
उसका भी तुम्हारे आगे बेकार था. तुम्हारा तगड़ा है इसलिए मीना की चूत मे
भी कसा-कसा जाएगा. तुम सीधे हो मैं तुमको सब सिखा दूँगी. मेरी
तरह सास की भी चिकनी है."

मैं उसकी बात सुन एक हाथ उसकी चूची से हटा उसकी चिपकी रानो
के बीच ला तड़प कर चूची को कसकर दबाता बोला, "इसे दिखाइए
भाभी."

मेरी इस हरकत पर वह खुश होकर बोली, "दिखाउन्गि. आज से मेरी
जवानी तुम्हारी हो गयी है. एक बार मज़ा लेकर पानी और निकाल दो
तब चोदने का मज़ा आएगा."

उसकी बात सुन मैं उसके चिकने पेट पर हाथ फिरा धीरे से बोला, "एक
बार झाड़ तो गया है."

"एक बार और झाड़ लो तो चोदने का मज़ा आएगा. बहुत दिनो से किसी
को चोदा नही है शायद?"

"हां भाभी."

"फिर अपने हाथ से ब्लाउस खोलो और मुझसे चूचियों का मज़ा लूटना
सीखो. खोलो और मेरी जवानी का मज़ा लो."

मैने अपने हाथ से उसके ब्लाउस को खोला और मांसल बड़ी-बड़ी और
लंबी घुंडी वाली चूचियों को नंगी देख लंड का वोल्टेज हाइ हो
गया. वह बोली, "दोनो पर धीरे-धीरे हाथ फेरो." मैं उसकी गदराई
जवान चूचियों पर हाथ फेरने लगा तो वह बोली, "पहले धीरे-
धीरे सहलाओ फिर मस्लो उसके बाद घुंडी मस्लो और फिर घुंदियो को
दुहो जैसे भैंस का थन दूहा जाता है तब मज़ा आएगा."

"जी भाभी." और मैं पूरी चूचियों पर हाथ फेर जवानी के
सबसे बेहतरीन मज़े को लेने लगा.

वह मज़ा लेते मुझे बता रही थी कि यह सबके साथ करना है. अब जो
उसकी चूचियों के साथ उसकी बताई ट्रिक का लास्ट वर्क यानी
घुंदियो को दूह रहा था तो वा बोली, "घर चलकर इसको तेल लगाकर
दुहना. इससे चूचियों की घुंडी लंबी होती है और दोनो को मज़ा
मिलता है."

"हाए भाभी आपके निपल बहुत प्यारे हैं." दोनो नंगी चूचियों
को घूरते कहा तो वा जन्नत की सैर करती लंड को पकड़
बोली, "अभी इसका तुमने किसी से ठीक से मज़ा नही लिया है. बताओ
इसको सबसे ज़्यादा मज़ा कब आता है."

"जी चूत मे डालने पर."

"धत्त. इसको तब मज़ा आएगा जब बड़ी वाली ननद की चूत मे
डालकर उसे गोद मे बिठाओ और छोटी वाली की चूचियों को दबाकर
मज़ा लो. एक साथ जब दो चूत वाली होती हैं तब ज़्यादा मज़ा आता
है."

"जी. हाए कैसे होगा भाभी यह."

उसकी बात से प्यास बढ़ी तो वह बोली, "मैं करवाउंगी ना. अब
चूचियों को हाथ से खेल चुके हो बोलो अब क्या करोगे?"

"जी चूत को सहलाकर डाल दूँगा." मैने मस्त होकर कहा. मेरी बात
सुन वह मज़े से भर अपनी जवान चूचियों को मेरे गाल से सटा
बोली, "पागल, अभी तो चूचियों का असली मज़ा लिया ही नही." और
तिर्छी होकर अपने निपल को मेरे होंठो पर रख बोली, "लो इसको
चूसो तब मज़ा आएगा."

मैने निपल को मुँह मे लेकर चूसा तो लगा कि लंड पॅंट को फाड़
देगा. चूसते ही मेरी आँख अपने आप बंद हो गयी. वह एक हाथ मेरी
कमर मे डाल कर दूसरे हाथ से अपनी चुचि पकड़ उसकी घुंडी
चूसा रही थी. उसने 5 मिनट तक इसी तरह मुझे दोनो घुंडी चुसाइ
फिर मस्ती के साथ दाई चुचि को आधी मुँह मे डालकर मेरे दोनो
पैरो के बीच आ मेरे हाथ को अपनी रानो के बीच करती
बोली, "हाथ से चूत सहलाओ और चुचि पियो." मैने चिकनी रानो के
बीच हथेली को उसकी जवान चूत पर रखा तो लगा लंड फ़ौरन पानी
फेंक देगा. मैं चूत को सहलाते हुए चूचियों को बड़ी-बड़ी से
पीने लगा. वह दोनो चूचियों को बदल-बदल कर मुँह मे पेलती
पिला रही थी और मैं चूचियों और चूत का मज़ा लेने लगा. माया
की चूत पर एक बाल भी नही था. चूत बहुत कसी और गरम लग
रही थी. मैं चूचियों को पीते हुए उसकी चूत की फाँक मे
उंगली पेलने लगा.

कुछ देर बाद उसने कहा, "निकला तुम्हारा पानी?"

"नही भाभी."

"हाए तुम्हारा तो आराम से एक साथ दो को चोदने वाला है. बस करो
अब."

"हाए थोड़ा और." पहली बार जवान औरत की चूचियों को मुँह से
पीकर पागल हो गया था. माया की चूचियों को पीने का मज़ा निराला
था. वह उसी तरह चूत मे उंगली करवाते फिर दोनो चूचियों को
पिलाने लगी. अब तो लंड एकदम लोहा हो गया था. मैं मदहोश हो
औरत के बदन का मीठा रस चूचियों से पीता मज़ा ले रहा था.
करीब 2 मिनट तक उसी तरह से पिलाया फिर चूचियों को अलग कर
मेरे सामने चूतड़ के बल बैठ लंबी-लंबी साँस लेते बोली, "इसको
निकालो."

मैने धीरे से पॅंट की ज़िप खोल मस्त हेवी लंड को उसके सामने हाथ
से पकड़ बाहर किया तो तो वा मेरे काले और लाल सुपारे वाले लंड
पर हाथ फेरने लगी. मैने मज़े से भर कहा, "हाए माया."

तभी उसकी बड़ी वाली ननद मीना पिछे से उसके कंधे पर मुँह रख
मेरे फँफनाए लंड को प्यार से देखती बोली, "हाए भाभी इनका कितना
प्यारा है. आप करवाएँगी तो 16 साल की लड़की की तरह हो जाओगी."
"हां मीना इसका तुम्हारे भाय्या से जस्ट डबल है. जाने कब से
खड़ा है. चाहती तो दो औरते आराम से उतर जाती."
क्रमशः.......................


Hawas ki gulaam --3
gataank se aage.....................
Ab to wah bahut hi maza de rahi thi. Khul kar bolne se halchal si
machi thi. Sari kholkar chudawaane ki baat ki to lund tezi se khada
hua. Uski kamar se bandhi sari kholne laga to wah mere gaal masalti
boli, "bolo sari kholne main maza aa raha hai?"

"haye bahut Bhabhi." Aur sari alag kar uske peticot par haath rakha
to jawani jhoom gayi.

Wah sari ko apni badi nanad ko deti boli, "Mina meri sari ko lapet
kar kone main rakh do."

Bhabhi ki baat sun uski nanad ne muskarate hue mujhe dekha aur apni
Bhabhi ki sari ko apne haath main le liya. Wah matching ka petikot
aur blouse pahne thi. Ab wah aur bhi khoobsurat lag rahi thi. Mera
lund to itne main hi dubara jhatke lene laga tha. Uska chikna pet
bahut kasa-kasa dikh raha tha. Wah boli, "un aurato ko kaise chodaa
tha?"

"ji lita kar."

"ek baar main poora pel diya tha isko?" lund ko pakad boli to main
tadap kar bola, "ji 4-5 baar main gaya tha."

"iska matlab jawan thi."

"ji Bhabhi par maza nahi aaya tha. Haye aapke saath bahut maza aa
raha hai."

Haath lagate hi lund ekdam tan gaya tha. Wah supare ko masalti
khulkar bol rahi thi, " tumhara bahut mota aur lamba hai. Main to
lalcha gayi hoon. Maza lo mere saath. Mere chutd ko sahlaao. Ek baat
bataao?"

"kya Bhabhi."

"bataao agar mere saath meri dono nanade bhi chudaasi hon to tum
pahle kiski chodoge?"

"ji aapki Bhabhi."

"shabaas, bahut achcha. tum sabke saamne mujhme hi dilchaspi dikhana,
meri saas ke saamne yahi zahir karna ki agar main ishara karungi
tabhi tum unpar sawar hoge."

"ji Bhabhi haye kya chutd hain."

Ab mere oopar us chhinal aurat ka nasha sawar tha. Sari utarwaane se
samajh gaya tha ki safar main hi pyaas bujhegi. Wah boli, "meri saas
45 ki hain par abhi bhi tum jaise jawan ko khojti hain. Dekho hamare
ghar main mard nahi hain par sabke paas choot hain. Sabko tumko hi
chodanaa hai. Chod loge na?"

"ji Bhabhi."

"kisi choot main daal kar soye ho kabhi?"

"nahi Bhabhi."

"yah maza mere paas hi milega. Doosra sabse zyaada maza yah paaoge ki
ham sab tumko laundiya bankar chudawayenge. Sabki choot bina jhaant
ke kamsin laundiya si milegi. Ghar main sabhi tumhare saath chadhdhi
aur bra main rahenge." "ji."

wah mere saamne ghutne ke bal baithi masti ke saath mujhe aisi
rangin duniya dikha rahi thi jiske bare main socha bhi nahi tha. Wah
dabi aur dhimi awaz me baate kar rahi thi aur mujhe apna gulaam
bana rahi thi. Mere haath saye (peticot ke oopar se uske maansal
gudaaz chutd ki daraar main chal rahe the. Bhale jawan tha aur
chod kar maza le chuka tha par iske saamne meri haalat bachche si
thi. Jo kah rahi thi wah kar raha tha. Ab lund poora tana khada tha
aur supara pant faadne ko taiyyar tha. Is maze ko paa train ki
bheed-bhaad ki parwaah bhi nahi rahi thi. Main bhi uski tarah maza
lene laga tha. Petikot main wah bahut pyaari lag rahi thi. Mujhe
apni gudaz chikni gaanD sahalaane ka ishara kar wah mast kar chuki thi.
Ek pal chup rahne ke baad wah mere lund ke supare ko dabati
boli, "samajh gaye?""ji Bhabhi."

"mujhe aish karate le chaloge?"

"haan Bhabhi." Main uske ishare par chal raha tha.

Wah mere choude sine par haath ferte boli, "meri choti nanad Bina
abhi ekdam kori hai, main tel lagaakar uska maza dilwa doongi."

"jo kahiyega karunga, haye badi wali ne kisi se karwaya hai kya?"

"haan ek baar ek ko le gayi thi ghar to 2-3 baar chudawaaya tha par
uska bhi tumhare aage bekaar tha. tumhara tagra hai isliye Mina ki chut me
bhi kasa-kasa jayega. tum sidhe ho main tumko sab sikha dungi. Meri
tarah saas ki bhi chikni hai."

Main uski baat sun ek haath uski choochi se hata uski chipki raano
ke beech laa tadap kar choochi ko kaskar dabata bola, "ise dikhaaiye
Bhabhi."

Meri is harkat par wah khush hokar boli, "dikhaaungi. Aaj se meri
jawaani tumhari ho gayi hai. Ek baar maza lekar pani aur nikaal do
tab chodane ka maza aayega."

Uski baat sun main uske chikne pet par hath fir dheere se bola, "ek
baar jhad to gaya hai."

"ek baar aur jhaad lo to chodane ka maza aayega. Bahut dino se kisi
ko chodaa nahi hai shayad?"

"haan Bhabhi."

"fir apne haath se blouse kholo aur mujhse choochiyon ka maza lootna
sikho. Kholo aur meri jawani ka maza lo."

Maine apne haath se uske blouse ko khola aur maansal badi-badi aur
lambi ghundi wali choochiyon ko nangi dekh lund ka voltage high ho
gaya. Wah boli, "dono par dheere-dheere haath fero." Main uski gadaraai
jawan choochiyon par haath ferne laga to wah boli, "pahle dheere-
dheere saglao fir maslo uske baad ghundi maslo aur fir ghundiyo ko
duho jaise bhains ka than duha jata hai tab maza aayega."

"ji Bhabhi." Aur main poori choochiyon par haath fer jawani ker
sabse behtarin maze ko lene laga.

Wah maza lete mujhe bata rahi thi ki yah sabke sath karna hai. Ab jo
uski choochiyon ke saath uski batayi trick ka last work yani
ghundiyo ko duh raha tha to wah boli, "ghar chalkar isko tel lagakar
duhna. Isse choochiyon ki ghundi lambi hoti hai aur dono ko maza
milta hai."

"haye Bhabhi aapke nipple bahut pyaare hain." Dono nangi choochiyon
ko ghorte kaha to wah jannat ki sair karati lund ko pakad
boli, "abhi iska tumne kisi se theek se maza nahi liya hai. Bataao
isko sabse zyaada maza kab aata hai."

"ji choot main daalne par."

"dhatt. Isko tab maza aayega jab badi wali nanad ki choot main
daalkar use god main bithao aur choti wali ki choochiyon ko dabakar
maza lo. Ek saath jab do choot wali hoti hain tab zyaada maza aata
hai."

"ji. Haye kaise hoga Bhabhi yah."

Uski baat se pyaas barhi to wah boli, "main karwaungi na. Ab
choochiyon ko haath se khel chuke ho bolo ab kya karoge?"

"ji choot ko sahlakar daal denge." Maine mast hokar kaha. Meri baat
sun wah maze se bhar apni jawan choochiyon ko mere gaal se sata
boli, "paagal, abhi to choochiyon ka asli maza liya hi nahi." Aur
tirchhe hokar apne nipple ko mere hontho par rakh boli, "lo isko
choosu tab maza aayega."

Maine nipple ko munh main lekar choosa to laga ki lund pant ko phaar
dega. Chooste hi meri aankh apne aap band ho gayi. Wah ek haath meri
kamar main daal kar dusre haath se apni chuchi pakad uski ghundi
chusa rahi thi. Usne 5 minat tak isi tarah mujhe dono ghundi chusai
fir masti ke saath dayi chuchi ko aadhi munh main daalkar mere dono
pairo ke beech aa mere haath ko apni raano ke beech karti
boli, "haath se choot sahlao aur chuchi piyo." Maine chikni raano ke
beech hatheli ko uski jawan choot par rakha to laga lund fauran pani
fenk dega. Main choot ko sahlate hue choochiyon ko badi-badi se
pine laga. Wah dono choochiyon ko badal-badal kar munh main pelti
pila rahi thi aur main choochiyon aur choot ka maza lene laga. Maya
ki choot par ek baal bhi nahi tha. Choot bahut kasi aur garam lag
rahi thi. Main choochiyon ko pite hue uski choot ki phaank main
ungli pelne laga.

Kuch der baad usne kaha, "nikla tumhara pani?"

"nahi Bhabhi."

"haye tumhara to aaram se ek saath do ko chodane wala hai. Bas karo
ab."

"haye thoda aur." Pahli baar jawan aurat ki choochiyon ko munh se
peekar pagal ho gaya tha. Maya ki choochiyon ko pine ka maza nirtala
tha. Wah usi tarah choot main ungli karwate fir dono choochiyon ko
pilane lagi. Ab to lund ekdam loha ho gaya tha. Main madhosh ho
aurat ke badan ka meetha ras choochiyon se pita maza le raha tha.
kareeb 2 minat tak usi tarah se pilaya fir choochiyon ko alag kar
mere saamne chutd ke bal baith lambi-lambi saans lete boli, "isko
nikalo."

Maine dheere se pant ki zip khol mast heavy lund ko uske saamne haath
se pakad bahar kiya to to wah mere kale aur laal supare wale lund
par haath ferne lagi. Maine maze se bhar kaha, "haye Maya."

Tabhi uski badi wali nanad Mina pichhe se uske kandhe par munh rakh
mere fanfanaye lund ko pyaar se dekhti boli, "haye Bhabhi inka kitna
pyaara hai. Aap karwayengi to 16 saal ki ladaki ki tarah ho jaogi."
"haan Mina iska tumhare bhaiyya se just double hai. Jane kab se
khada hai. Chaahti to do aurate aaram se utar jati."
kramashah.......................

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