हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मेरी चार मामियां --6
गतान्क से आगे...................................
मैने उनके दोनो हाथों को पकड़ उनकी पीठ के पीछे कर दिया और
जोरों से उन्हे चूमने लगा. में उनके चेहरे को हर तरह चूम रहा
था. मैं एक बात देख कर चौंका, अगर हम किसी के साथ ज़बरदस्ती
करते हैं तो वो चिल्लाति है और विरोध करती है पर यहाँ सिमरन
मामी सिर्फ़ विरोध कर रही थी चिल्ला नही रही थी.
पर तभी वो चिल्लाने लगी...."प्लीस जाने दो मुझे.. छोड़ दो मुझे."
मामी को चिल्लाते देख मे मेने मामी को बिस्तर पर पेट के बल गिरा
दिया, अगर पीठ के बल गिराता तो वो मुझे लात मार अपने से दूर कर
सकती थी. मैं उनकी पीठ पर चढ़ गया, उनके हाथ अभी मेने पीठ
से लगा रखे थे. मामी काफ़ी प्रयत्न कर रही थी अपने आप को
छुड़ाने की किंतु तभी मेने बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाया और
उनके दोनो हाथ बाँध दिए.
"ओ दीदी...... देखो राज क्या कर रहा है.... जल्दी से आआओ......"
अब वो जोरों से चिल्लाने लगी.
उनके हाथ बाँधने के बाद में उन्हे पलट कर सीधा कर दिया. वो
मुझे देखते हुए वो फिर चिल्लाने लगी.
"प्लीज़ मत करो ना में तुम्हारे हाथ........" वो अपना वाक़्या पूरा
करती उसके पहले ही मेने तकिये का गिलाफ निकाला और उनके मुँह मे
ठूंस दिया... अब वो सिर्फ़ 'गूऊ गूओ' कर के रह गयी.
में अभी उनके पेट पर ही बैठा था. मैने अपनी टी-शर्ट अपने सिर के
उपर कर निकाल दी. में मामी के शरीर पर थोड़ा नीचे खिसका और
उनके एक पैर को पलंग के सहारे अपनी टी-शर्ट से बाँध दिया.
मामी अब भी हिल डुल कर और उछाल कर अपने आपको बचाने की कोशिश
कर रही थी. पर वो कुछ नही कर पाई. फिर मैं अपनी शॉर्ट्स उतार
नंगा हो गया. अपनी शॉर्ट्स से मेने मामी की दूसरी टांग भी बिस्तर के
किनारे से बाँध दी. मामी अब भी मछली की तरह तड़प्ते हुए आज़ाद
होने की कोशिश कर रही थी. मामी की टाँगे पूरी तरह फैल गयी
थी, पर हिला दूली मे मेने देखा की हाथो पर फँसी टी-शर्ट ढीली
होती जा रही थी. मुझे मामी के हाथो को भी अच्छी तरह बांधना
था पर बाँधने के लिए मेरे पास कुछ नही था.
तभी मेरी बाकी की तीनो मामियाँ कमरे मे आ गयी. वो सिमरन मामी
की हालत देख पहले तो चौंकी फिर देखा कि सब कुछ ठीक है तो
खड़ी हो कर मुस्कुराने लगी.
सिमरन मामी 'गूऊव.....गूऊ' करके उन्हे मदद के लिए पुकार रही
थी, और मामियाँ थी कि हंस रही थी.
"क्यों नखरे दीखा रही हो सिमरन.... मज़े लो तुम्हे भी मज़ा
आएगा..." मोना मामी ने हंसते हुए कहा.
"मुझे कोई रस्सी चाहिए... " मेने कंगन मामी से कहा, "मुझे इनके
हाथ बाँधने है.
कंगन मामी बाहर से पतली डोरी ले आई और मुझे दे दी. मेने उस
डोरी से सिमरन मामी के हाथ बाँध दिए.
हम सभी ने देखा कि अब सिमरन मामी की आँखों मे आँसू आ गये
थे.
"क्या हम इसके करीब आ सकते है?" मोना ने मुजसे पूछा.
"हां मगर इसे खोलने की कोशिश नही करना." इतना कहकर मेने मोना
को चूम लिया.
मोना ने भी मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों मे भर चूम लिया,
"ओह तो जनाब काफ़ी लंबे और मोटे हो रहे है." उसने मेरे खड़े
लंड को अपने हाथ मे पकड़ते हुए कहा.
"मोना..... इसे छोड़ दो..... अभी तुम्हारी बारी नही है." कंगन ने
कहा. फिर वो तीनो सिमरन के करीब आ गयी और उसके बगल मे बैठ
गयी. अनिता मामी अभी भी पेटिकोट पहने हुए थी. उन्होने उसके आँसू
पौन्छे और उसे समझाया कि वो मान जाए. पर सिमरन मामी थी कि
मान ही नही रही थी.
"अब सभी कोई पीछे हट जाओ." मेने तीनो ममियों से कहा.
पीछे हटते हुए कंगन मे मेरे होठों को चूम लिया और वो तीनो
ज़मीन पर एक चादर बिछा कर बैठ गयी.
"अब.... में इसके साथ क्या करूँ?" मेने आँख मारते हुए मोना से पूछा.
"जो तुम चाहो वो करो... अब तो ये पूरी तरह से तुम्हारी है," कंगन
कह रही थी... "पहले इसे इसकी बदतमीज़ी की सज़ा दो...पूछो इससे कि
अब ये ठीक से बात मानेगी कि नही."
माइयन सिमरन के पेट पर ही बैठा था और मेरा खड़ा लंड उसकी नाभि
को छू रहा था. मैने उसके मुँह से तकिया की खिलाफ हटाया और पूछा
क्या वो ठीक से बात मानेगी कि नही.
"हरामी हटो मेरे उपर से...." उसने मुझे हटाने की कोशिश की.
"आज तो में तुझे अपनी रंडी बना कर रहूँगा." मेने कहा और उसके
गाल पर ज़ोर का झापड़ रसीद कर दिया.
वैसे तो औरतों को ये सब पसंद नही है, पर कुछ औरतों है जिन्हे
रंडी बनना पसंद भी है और ऐसा व्यवहार भी.
"अगर ज़्यादा चिल्लाई तो और मार पड़ेगी." मेने उसके दोनो गालों पर
झापड़ मारते हुए कहा.
मगर वो मानी नही और फिर चिल्लाने लगी, मेने उसे फिर थप्पड़
मारा तब जाकर वो शांत हुई. अब वो चिल्लाने की बजाय मुझसे धीरे
से उसे छोड़ने को कहने लगी.
मैने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों मे लिया और उसके होठों को
चूसने लगा. उसके होठों को चूस्ते हुए मेने उसकी थोडी को चूमा
फिर उसकी गर्दन को. फिर नीचे होते हुए मैं उसकी मुलायम मगर
कठोर चुचियों पर आ गया.
उसके निपल को अपनी मुँह मे ले में उसे चूसने लगा और चुचियों को
धीरे धीरे मसल्ने लगा. बड़ी अच्छी गोल गोल चुचियाँ थी सिमरन
मामी की. थोड़ी देर चूची चूसने के बाद मे नीचे उसके पेट को
चूमा और और अपनी जीब उसकी नाभि मे घूमाने लगा.
नाभि मे जीब लगते ही वो थोड़ा कसमसाई शायद उसे गुदगुदी हुई थी.
फिर में नीचे को खिसका और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी ज़ुबान
उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सों पर फिराने लगा.
अनिता, कंगन और मोना ये सब देख सिसकने लगी. उनके भी शरीर
गरमा गये थे. तीनो अब एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे. थोड़ी ही
देर मे तीनो नंगी हो गयी थी. मोना ने कंगन के होठों पर अपने
होंठ रख दिए और साथ ही उसकी चुचियों को भींचने लगी. वही
अनिता मोना की चूत पर हाथ फिराने लगी.
में सिमरन मामी की जाँघो को चूमते हुए और नीचे खिसका और उनके
पंजो को चूमने लगा. सिमरन मामी का बदन मेरी इस हरकत से कांप
उठा लेकिन अभी शायद उनकी चूत की प्यास जागी नही थी.
अब में उनकी जाँघो के बीच आ गया और उनकी चूत को अपने मुँह मे
भर लिया. मैने अपनी उंगलियों से चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी
जीब को त्रिकोण के आकार मे कर सीधा अंदर घुसा दिया. अब में अपनी
जीब को उनकी चूत के अंदर घुमा रहा था. साथ ही अपने होठों से
उनकी चूत की पंखुरियों को चूस्ता जा रहा था.
जैसे ही मेरी जीब उनकी चूत की दीवारों से टकराई उनका बदन हल्के
से कांप उठा और खुद बा खुद उनकी कमर उपर को उठ गयी और उनके
मुँह से एक कराह सी निकल गयी..."उईईई माआआअ."
अब में और जोरों से उनकी चूत को चूसने लगा, साथ ही मैं अपनी
दो उंगलियाँ उनकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगा. सिमरन मामी
का बदन थरथरा रहा था. मेने देखा कि सिमरन के माथे पर
पसीने की बूंदे आ गयी थी और उन्हे मज़ा आने लगा था.
मेने एक बार फिर उनसे पूछा कि क्या वो साथ देगी तो फिर उसने अपनी
गर्दन ना मे हिला दी. मैने फिर उनके गाल पर थप्पड़ मारा और
जानवरों की तरह उनकी चुचियों पर टूट पड़ा. में जोरों से उनकी
चुचियों को किसी जानवर की तरह मसल्ने और चूसने लगा.
वो अब भी रो रही थी और मेरी तीनो मामियों को मदद के लिए पुकार
रही थी.
पर मेरी तीनो मामियाँ उसकी फरियाद कहाँ सुनती. वो तीनो तो अपनी
मस्ती मे खोई हुई थी. मेने देखा कि कंगन मामी अनिता मामी के
उपर 69 की पोज़िशन मे थी और एक दूसरे की चूत चूस रही थी.
वहीं मोना मामी अनिता मामी के सिर की तरफ से अनिता की जीब के साथ
साथ अपनी जीब भी कंगन की चूत मे घूसा रही थी, साथ ही अपनी
चूत मे अपनी उंगली अंदर बाहर कर रही थी.
"उन्हे मत पुकारो, वो तुम्हारी मदद के लिए नही आएँगी..." कहकर
मेने ज़ोर से उनके निपल को अपने दन्तो से काट लिया और अपने दांतो
का निशान उसके निपल पर छोड़ दिया.
सिमरन मामी एक बार फिर चिल्लाई पर आवाज़ मे उतना जोश नही था
शायद वो थक गयी थी और दूसरी बात पहले दर्द फिर मज़ा और फिर
दर्द.
मैं उनकी जाँघो के बीच आया और उनकी चूत की पंखुरी को भी
अपने दांतो से कुरेद दिया. फिर उनकी टाँगो को खोला और दोनो टॅंगो को
मोड़ उनकी छाती से चिपका दिया.
सिमरन के दोनो हाथ अभी भी बढ़े हुए थे इसलिए मेने उसकी टाँगो
को थोड़ा उँचा किया और उसकी जाँघो के बीच खुद की जगह बनाते हुए
अपना खड़ा लंड ठीक उसकी चूत के मुँह पर रख दिया. फिर धीरे
धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर घूसाने लगा.
"प्लीज़ मुझे छोड़ दो ...... जानो दो मुझे...." सिमरन अभी भी रो
रही थी.
इस तरह उसका गिड़गिडाना मुझे अच्छा लगा और में जोरों से उसे चोद्ने
लगा. में इतनी जोरों से धक्के मार रहा था कि पूरा पलंग हिल रहा
था और कमरे मे 'ठप ठप ठप' की आवाज़ गूँज रही थी.
वो अभी भी अपनी चूत की मांसपेशियों को जकड़े मेरे लंड को अपनी
चूत मे जाने से रोक रही थी, इससे में और उत्तेजित हो गया और ज़ोर
लगाकर अपना लंड उसकी चूत मे घूसाने लगा. आधे घंटे तक में
उसे ऐसे ही बेदर्दी से चोद्ता रहा. आख़िर मेरे लंड ने उबाल खा उसकी
चूत मे पानी छोड़ दिया.
जब उसकी छूट मेरे पानी से भर गयी तो मेने देखा कि उसका चेहरा
गुलाबी हो चुका था. वो रो तो नही रही थी लेकिन हां सूबक ज़रूर
रही थी.
मैं उस के उपर से उठा और उसे खोल दिया.
हाथ खुलते ही वो मेरी छाती पर घूँसे मार कर मुझे कोसने लगी कि
मेने उसके साथ ज़बरदस्ती क्यों की. मैने देखा कि तीनो मामियाँ
खलास हो अपनी साँसे दुरुस्त कर रही थी.
तभी तीनो उठ कर हमारे पास आई.
"सिमरन देख अब चिल्लाने से कोई फ़ायदा नही... जो होना था वो हो
गया... पर सच सच बता तुझे मज़ा आया कि नही,,,, देख झूठ
मत बोलना...." अनिता मामी ने उसकी चुचियों को सहलाते हुए कहा.
सिमरन कुछ देर तक सोचती रही फिर धीरे से बोली.." मज़ा तो आया
दीदी पर क्या कोई किसी को इतनी बेरहमी से चोद्ता है, इसने तो मेरी
जान ही निकाल दी थी."
"अरे इसमे भी मज़ा आता है क्यों है ना...." कंगन ने उसकी चूत को
सहलाते हुए कहा.
"कंगन दीदी आता है तो लेकिन देखो ना कितनी बेरहमी से मेरे चुचि
को काटा है राज ने....अभी भी दर्द हो रहा है" वो अपनी चुचि जिस
निपल पर मेने काटा था दिखाते हुए बोली.
मैं झुक कर उस निपल को अपने मुँह मे ले धीरे धीरे चूसने
लगा. शायद उनका दर्द कम हो गया था इसलिए वो सिसकने लगी.
सिमरन मेरी तीनो मामियों को नंगा देख समझ गयी थी कि में
तीनो को चोद चुका हूँ.
"दीदी क्या ये तुम तीनो को अभी ऐसे ही चोद्ता है.... बाप रे कितना
बड़ा लंड है इसका पूरा मूसल है... फाड़ ही दिया इसने मेरी चूत
को...." सिमरन ने पूछा.
"अरे नही रे...... ये तो बड़े प्यार से चोदता है..... हमारा तो दिल
करता है कि इसका लंड चूत मे लिए पड़े रहें." अनिता ने उसकी
चुचि को मसल्ते हुए कहा.
"और दीदी इसके लंड का स्वाद भी बड़ा प्यारा है... मेरा तो दिल करता
है कि इसके लंड को लॉली पोप समझ चूस्ति रहूं." मोना मेरे लंड
से खेलती हुई बोली.
"होगा इसके लंड का स्वाद अच्छा और चोद्ता होगा तुम तीनो को प्यार से
मुझे तो इसने जानवरों से भी गए गुज़रे तरीके से चोदा है...."
सिमरन थोड़ा सा नाराज़ होते हुए बोली.
"अरे गुस्सा क्यों दिखाती हो मामी.... प्यार से सभी चोद्ते है और
चुड़वाते है.....कसम खाकर कहो क्या इस तरह चुद्वाने मे मज़ा
आया कि नही." मैने सिमरन मामी की चूत मे अपनी उंगली डालते हुए
कहा.
"सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया.... बरसों से मेरी तंमना थी कि
कोई मुझे इस बेरहमी से चोदे....सच." कहकर सिमरन मामी ने
मुझे गले लगा लिया.
हम सब तक कर लेटे हुए थे. अब जब कि सिमरन मामी को में चोद
चुका था हम सभी की कल्पनाए पूरी हो चुकी थी सिवाय कंगन
मामी के.
"मामी क्यों ना आपकी कल्पना भी पूर की जाए." मेने कंगन मामी
से कहा.
"अभी जल्दी भी क्या है पूरा दिन पड़ा है पहले कुछ चाइ नाश्ता हो
जाए तब तक." कंगन मामी ने कहा.
"मामी आप सब के लिए नाश्ता बनाए में तब तक अपनी चाय यहीं
पी लेता हूँ." कहकर में सिमरन मामी की टाँगो के बीच आ गया
और उनकी चूत को चूसने लगा.
"राज ये तो तुम्हारा चाय नाश्ता हुआ मेरा क्या होगा?' सिमरन मामी
हंसते हुए बोली.
"वाह मामी अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे गालिया दे रही थी और
मुझे भगा रही थी अब नाश्ता चाहिए." मेने अपनी उंगली उनकी
चूत मे घूसाते हुए कहा.
"वो तो राजा अलग बात थी अब तो नाश्ता भी चाहिए और मीठा
भी." कहकर मामी ने मुझे अपने उपर खींच 69 की अवस्था मे लेटा
लिया.
मामी ने मेरे लंड को पहले तो थोड़ी देर सहलाया और फिर उसे अपने
मुँह मे ले चूसने लगी. मैने भी उनकी चूत को फैला अपनी जीब
अंदर डाल दी.
अनिता और कंगन मामी रसोई मे चाय नाश्ता बनाने चली गयी.
हम दोनो को इस तरह देख मोना मामी से भी नही रहा गया. वो
सिमरन मामी के सिर की तरफ आई और अपनी जीभ उनकी जीभ से मिला
मेरे लंड को चाटने लगी.
अपने लंड पर दो दो जीभ का मज़ा पा में जोश मे आ गया और ज़ोर
ज़ोर से सिमरन की चूत को चूसने लगा. अब ये आलम था कि कभी
सिमरन मेरे लंड को मुँह मे लेती और कभी मोना मेरे लंड को मुँह मे
लेती.
अगर सिमरन लंड को मुँह मे लेती तो मोना मेरी गोलियों को मुँह मे ले
चूस्ति और अगर मोना लंड को मुँह मे लेती तो सिमरन मेरी गोलियों
को चाटने लगती. में भी अपनी जीभ को सिमरन की चूत के अंदर
तक घुसा इधर उधर घूमाता और कभी उसकी पंखुरियों को मुँह मे
भर चूस्ता या फिर दांतो से काट लेता. सिमरन को भी मज़ा आ
रहा था वो नीचे से अपनी कमर उछाल अपनी चूत को मेरे मुँह पर
दबा देती.
हम तीनो के बदन उत्तेजना मे काँप रहे थे.
"राज अब नही रहा जाता प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत मे डाल मुझे
चोदो ना....." सिमरन मामी सिसक पड़ी.
"नही दीदी राज पहले मुझे चोदेगा.....आप तो अभी अभी चुदी हैं
मुझे तो कितनी देर हो गयी चुदे हुए...... देखो मेरी चूत कैसे
तड़प रही है....." मोना बोल पड़ी.
दोनो पर इस बात पर बहस होने लगी कि कौन पहले चुदेगा. तभी
मेरे मन मे एक ख़याल आया, "अरे मेरी प्यारी प्यारी मामियो झगड़
क्यों रही हो, में दोनो को साथ साथ चोदुन्गा."
"दोनो को साथ साथ कैसे चोदेगा, क्या तुम्हारे पास दो लंड है?"
मोना मेरे लंड को भींचते हुए बोली.
"अरे आप लोग देखो तो में कैसे चोद्ता हूँ अपनी प्यारी मामियों
को." मेने कहा.
"ठीक है तो फिर चोदो.' सिमरन ने अपनी टाँगे फैलाते हुए
कहा.
"अच्छा एक काम करो सिमरन तुम उठो और मोना को पहले बिस्तर
पर लेट जाने दो." मेने कहा.
सिमरन बिस्तर से उठ गयी और उसकी जगह मोना अपनी टाँगे फैलाए लेट
गयी.
"अब सिमरन मामी आप मोना पर इस तरह लेटो कि आपकी चूत मोना
मामी की चूत से थोड़ी ही उपर हो." मेने उन्हे समझाते हुए कहा.
"अरे मोना मामी अपनी टाँगो को बिस्तर के नीचे लटका दो इससे सिमरन
मामी को थोड़ी आसानी होगी," मेने उन्हे टोकते हुए कहा.
मोना मामी बिस्तर के किनारे पर आकर अपनी टाँगे नीचे लटका पूरी
तरह फैला दी. अब सिमरन मामी मोना के उपर आ अपनी पीठ के बल
उसपर लेट गयी और उन्होने अपनी चूत ठीक मोना के पेट पर इस तरह
रखी कि वो मोना की चूत से थोड़ी ही दूरी पर थी.
अब मेने मोना की टाँगो के बीच आया और पहले अपने लंड को सिमरन
की चूत पर घिसने लगा. जब मेरा लंड सिमरन की चूत से निकले
रस से गीला हो गया तो मेने अपना लंड मोना की चूत पर रख ज़ोर
का धक्का मारा.
"ओह मर गयी...." मोना चिल्ला पड़ी.
मेने एक ज़ोर का धक्का फिर मारा, "मोना तुम एक काम करो अपने दोनो
हाथ आगे को कर सिमरन मामी की चुचियों को मसलो."
मोना मामी सिमरन मामी की चुचियों को मसल रही थी और मैं मोना
मामी की चूत मे धक्के मार रहा था. फिर मेने अपने लंड को मोना
की चूत से निकाला और थोड़ा उँचा होते हुए अपना लंड सिमरन की
चूत मे घूसा दिया.
6
Miene unki dono hathon ko pakad unki peeth ke peeche kar diya aur
joron se unhe choomne laga. Mein unke chehre ko har tarah choom raha
tha. Mien ek baat dekh kar chaunka, agar hum kisi ke sath jabardasti
karte hain to wo chillati hai aur virodh karti hai par yahan Simran
maami sirf virodh kar rahi thi chilla nahi rahi thi.
Par tabhi wo chillane lagi...."pleas jaane do mujhe.. chod do mujhe."
Maami ko chillate dekh me meine Maami ko bistar par pet ke bal gira
diya, agar peeth ke bal girata to wo mujhe laat mar apne se door kar
sakti thi. Mien unki peeth par chadh gaya, unke hath abhi meine peeth
se laga rakhe the. Maami kafi prayatna kar rahi thi apne aap ko
chudane ki kintu tabhi meine bistar par padi chadar ko uthaya aur
unke dono hath bandh diye.
"OHHH DIDI...... DEKHO RAJ KYA KAR RAHA HAI.... JALDI SE AAAO......"
Ab wo joron se chillane lagi.
Unke hath bandhne ke bad mein unhe palat kar seedha kar diya. wo
mujhe dekhte hue wo phir chillane lagi.
"PLEASE MAT KARO NA MEIN TUMHARE HATH........" Wo apna vakya pura
karti uske pehle hi meine takiye ka khilaaf nikaala aur unke munh me
thoons diya... ab wo sirf 'goooo gooo' kar ke rah gayi.
Mein abhi unke pet par hi baitha tha. Miene apni T-shirt apne sir ke
upar kar nikaal di. Mein maami ke sharir par thoda neeche khiska aur
unke ek pair ko palang ke sahare apni t-shirt se bandh diya.
Maami ab bhi hil dul kar aur uchal kar apne aapko bachane ki koshish
kar rahi thi. Par wo kuch nahi kar payi. Phir meine apni shorts uttar
nanga ho gaya. Apni shorts se meine mami ki doosri tang bhi bistar ke
kinare se bandh di. Mami ab bhi machli ki tarah tadapte hue azaad
hone ki koshish kar rahi thi. Mami ki tange puri tarah fail gayi
thi, par hila duli me meine dekha ki hatho par phansi t-shirt dheeli
hoti jaa rahi thi. Mujhe maami ke hatho ko bhi acchi tarah bandhna
tha par bandhne ke liye mere paas kuch nahi tha.
Tabhi meri baaki ki teeno maamiyan kamre me aa gayi. Wo Simran maami
ki halat dekh pehle to chaunki phri dkeha ki sab kuch thik hai to
khadi ho kar muskurane lagi.
Simran maami 'gooooo.....goooo' karke unhe madad ke liye pukar rahi
thi, aur maamiyan thi ki hans rahi thi.
"Kyon nakhre deekha rahi ho Simran.... maze lo tumhe bhi mazza
aayega..." Mona maami ne hanste hue kaha.
"Mujhe koi rassi chahiye... " meine Kangan maami se kaha, "mujhe inke
hath bandhne hai.
Kangan maami bahar se patli dori le aayi aur mujeh de di. Meine us
dori se Simran maami ke hath bandh diye.
Hum sabhi ne dekha ki ab Simran maami ki aankhon me aansu aa gaye
the.
"Kya hum iske kareeb aa sakte hai?" Mona ne mujse pucha.
"Haan magar ise kholne ki koshish nahi karna." Itna kehkar meine Mona
ko choom liya.
Mona ne bhi mere nange badan ko apni bahon me bhar choom liya,
"ohhhhhh to janab kafi lambe aur mote ho rahe hai." usne mere khade
lund ko apne hath me pakadte hue kaha.
"Mona..... ise chod do..... abhi tumhari bari nahi hai." Kangan ne
kaha. Phir wo teeno Simran ke kareeb aa gayi aur uske bagal me baith
gayi. Anita maami abhi bhi peticoat pehne hue thi. Unhone uske aansu
paunche aur use samjhaya ki wo maan jaye. Par Simran maami thi ki
maan hi nahi rahi thi.
"Ab sabhi koi peeche hat jao." meine teeno mamiyon se kaha.
Peeche hatte hue Kangan me mere hothon ko choom liya aur wo teeno
jameen par ek chadar beecha kar baith gayi.
"Ab.... mein iske sath kya karun?" meine ankh marte hue Mona se puca.
"Jo tum chaho wo karo... ab to ye puri tarah se tumhari hai," Kangan
keh rahi thi... "pehle ise iski badtamji ki saza do...pucho isse ki
ab ye thik se baat manegi ki nahi."
Mien Simran ke pet bar hi baitha tha aur mera khada lund uski nabhi
ko chu raha tha. Mien uske munh se takiya ki khilaf hataya aur pucha
kya wo thik se baat manegi ki nahi.
"Harami hato mere upar se...." usne mujhe hatane ki koshish ki.
"Aaj to mein tujhe apni randi bana kar rahunga." meine kaha aur uske
gaal par jor ka jhapad rasid kar diya.
Waise to aurton ko ye sab pasand nahi hai, par kuch aurton hai jinhe
randi banna pasand bhi hai aur aisa vyavhar bhi.
"Agar jyada chillayi to aur maar padegi." meine uske dono gaalon par
jhaapad marte hue kaha.
Magar wo mani nahi aur phir chillane lagi, meine use phir thappad
mara tab jaakar wo shant hui. Ab wo chillane ki bajai mujhse dheeere
se use chodne ko kehne lagi.
Mien uske chehre ko apne dono hathon me liya aur uske hothon ko
choosne laga. Uske hothon ko chooste hue meine uski thodi ko chooma
phir uski gardan ko. Fir neeche hote hue mien uski mulayam magar
kathor chuchiyon par aa gaya.
Ukse nipple ko apni munh me le mein use choosne laga aur chuchiyon ko
dheere dheeere masalne laga. Badi achii gol gol chuchiyan thi Simran
maami ki. Thodi der choochi choosne ke bad me neeche uske pet ko
chooma aur aur apni jeeb uski nabhi me ghoomane laga.
Naabhi me jeeb lagte hi wo thoda kasmasai shayad use gudgudi hui thi.
Phir mein neeche ko khiska aur uski choot ko choomte hue apni juban
uski jangho ke andruni hisson par firane laga.
Anita, kangan aur Mona ye sab dekh sisakne lagi. Unke bhi sharir
garma gaye the. Teeno ab ek doosre ke kapde kholne lage. Thodi hi
der me teeno nangi ho gayi thi. Mona ne Kangan ke hothon par apne
honth rakh diye aur sath hi uski chuchiyon ko bheenchne lagi. Wahi
Anita Mona ki choot par hath phirane lagi.
Mein Simran maami ki jangho ko choomte hue aur neeche khiska aur unke
panjo ko choomne laga. Simran maami ka badan meri is harkat se kanp
utha lekin abhi shayad unki choot ki pyaas jaagi nahi thi.
Ab mein unki jangho ke beech aa gaya aur unki coot ko apne munh me
bhar liya. Miene apni ungliyon se choot ko thoda failaya aur apni
jeeb ko trikon ke akar me kar seedha andar ghusa diya. Ab mein apni
jeeb ko unki choot ke andar ghoooma raha tha. Sath hi apne hothon se
unki choot ki pankhuriyon ko choosta jaa raha tha.
Jaise hi meri jeeb unki choot ki deewaron se takrai unka badan halke
se kanp utha aur khud ba khud unki kamar upar ko uth gayi aur unke
munh se ek karah si nikal gayi..."Uiiiii maaaaaaa."
Ab mein aur joron se unki choot ko choosne laga, sath hi meine apni
do ungliyan unki choot me ghusa andar bahar karne laga. Simran maami
ka badan tharthra raha tha. Meine dekha ki Simran ke mathe par
paseene ki boonde aa gayi thi aur unhe mazaa aane laga tha.
Meine ek bar phir unse pucha ki kya wo sath degi to phir usne apni
gardan naa me hila di. Miene phir unke gal par thappad mara aur
janwaron ki tarah unki chuchiyon par toot pada. Mein joron se unki
chuchiyon ko kisi jamnwar ki tarah masalne aur coosne laga.
Wo ab bhi ro rahi thi aur meri teeno maamiyon ko madad ke liye pukar
rahi thi.
Par meri teeno maamiyan uski fariyad kahan sunti. Wo teeno to apni
masti me khoyi hui thi. Meine dekha ki Kangan maami Anita maami ke
upar 69 ki position me thi aur ek doosre ki choot choos rahi thi.
Wahin Mona maami Anita maaki ke sir ki taraf se Anita ki jeeb ke sath
sath apni jeeb bhi Kangan ki choot me ghoosa rahi thi, sath hi apni
choot me apni ungli andar bahar kar rahi thi.
"Unhe mat pukaro, wo tumhari madad ke liye nahi aayengi..." kehkar
meine jor se unke nipple ko apne danto se kaat liya aur apne daanto
ka nishaan uske nipple par chod diya.
Simran maami ek bar phir chillayi par awaaz me utna josh nahi tha
shayad wo thak gayi thi aur doosri baat pehle dard fir maza aur fir
dard.
Miene unki jangho ke beech aaya aur unki choot ki pankhuri ko bhi
apne danto se kured diya. Phir unki tango ko khola aur dono tango ko
mod unki chaati se chipka diya.
Simran ke dono hath abhi bhi badhe hue the isliye meine uski tango
ko thoda uncha kiya aur uski jangho ke beech khud ki jagah banate hue
apna khada lund thik uski choot ke munh par rakh diya. Phir dheere
dheere apna lund uski choot ke andar ghoosane laga.
"PLEASE MUJEH CHOD DO ...... JANO DO MUJHE...." Simran abhi bhi ro
rahi thi.
Is tarah uska gidgidana mujhe accha laga aur mein joron se use chodne
laga. Mein itni joron se dhakke mar raha tha ki pura palang hil raha
tha aur kamre me 'thap thap thap' ki awaaz gunj rahi thi.
Wo abhi bhi apni choot ki manspeshiyon ko jakde mere lund ko apni
choot me jane se rok rahi thi, isse mein aur uttejit ho gaya aur jor
lagakar apna lund uski choot me ghoosane laga. Aadhe ghante tak mein
use aise hi bedardi se chodta raha. Aakhir mere lund ne ubal kha uski
choot me paani chod diya.
Jab uski choot mere pani se bhar gayi to meine dekha ki uska chehra
gulabi ho chuka tha. Wo ro to nahi rahi thi lekin haan subak jarur
rahi thi.
Mien us ke upar se utha aur use khol diya.
Hath khulte hi wo meri chaati par ghoonse mar kar mujhe kosne lagi ki
meine uske sath jabardasti kyon ki. Miene dekha ki teeno maamiyan
khalas ho apni sanse duraust kar rahi thi.
Tabhi teeno uth kar hamare paas aayi.
"Simran dekh ab chillane se koi faida nahi... jo hona tha wo ho
gaya... par sach sach bata tujhe maza aaya ki nahi,,,, dekh jhooth
mat bolna...." Anita maami ne uski chuchiyon ko sehlata hue kaha.
Simran kuch der tak sochti rahi phir dheere se boli.." mazaa to aaya
didi par kya koi kisi ko itni berahmi se chodta hai, isne to meri
jaan hi nikaal di thi."
"Are isme bhi mazaa ata hai kyon hai na...." Kangan ne uski choot ko
sehlate hue kaha.
"Kangan didi aata hai to lekin dekho na kitni berahmi se mere chuchi
ko kata hai Raj ne....abhi bhi dard ho raha hai" wo apni chuchi jis
nipple par meine kata tha deekhate hue boli.
Meine jhuk kar us nipple ko apne munh me le dheere dhere choosne
laga. Shayad unka dard kam ho gaya tha isliye wo sisakne lagi.
Simran meri teeno maamiyon ko nanga dekh samajh gayi thi ki mein
teeno ko chod chuka hun.
"Didi kya ye tum teeno ko abhi aise hi chodta hai.... bapre kitna
bada lund hai iska pura musal hai... phad hi di isne meri choot
ko...." Simran ne pucha.
"Are nahi re...... ye to bade pyaar se choodta hai..... hamara to dil
karta hai ki iska lund choot me liye pade rahen." Anita ne uski
chuchi ko masalte hue kaha.
"Aur didi iske lund ka swaad bhi bada pyaara hai... mera to dil karta
hia ki iske lund ko lolly pop samajh choosti rahun." Mona mere lund
se khelti hui boli.
"Hoga iske lund ka swaad accha aur chodta hoga tum teeno ko pyaar se
mujhe to isne janwaron se bhi gai guzre tareeke se choda hai...."
Simran thoda sa naraaz hote hue boli.
"Are gussa kyon deekhati ho maami.... pyar se sabhi chodte hai aur
chudwate hai.....kasam khaakar kaho kya is tarah chudwane me mazaa
aaya ki nahi." meien Simran maami ki choot me apni ungli dalte hue
kaha.
"Sach kahun to bahot mazaaa ayaaa.... barson se meri tammna thi ki
koi mujhe is berahmi se choode....sach." kehkar Simran maami ne
mujhe gale laga liya.
Hum sab thak kar lete hue the. Ab jab ki Simran Mami ko mein chod
chuka tha hum sabhi ki kalpanaye puri ho chuki thi siway Kangan
maami ki.
"Maami kyon na aapki kalpana bhi puir ki jaaye." meine Kangan maami
se kaha.
"Abhi jaldi bhi kya hai pura din pada hai pehle kuch chai naashta ho
jaye tab tak." Kangan maami ne kaha.
"Maami aap sab ke liye naashta banain mein tab tak apni chai yahin
pee leta hun." kehkar mein Simran maami ki tango ke beech aa gaya
aur unki choot ko choosne laga.
"Raj ye to tumhara chai naashta hua mera kya hoga?' Simran maami
hanste hue boli.
"Wah maami abhi thodi der phele to muje gaaliya de rahi thi aur
mujhe bhaga rahi thi ab naashta chahiye." Meine apni ungli unki
choot me ghoosate hue kaha.
"Wo to raja alaga baat thi ab to naashta bhi chahiye aur meethai
bhi." kehkar maami ne mujhe apne upar khinch 69 ki avastha me leta
liya.
Maami ne mere lund ko pehle to thodi der sehlaya aur phir use apne
munh me le choosne lagi. Miene bhi unki choot ko fiala apni jeeb
andar dal dee.
Anita aur Kangan maami rasoi me chai naashta banane chali gayi.
Hum dono ko is tarah dekh Mona maami se bhi nahi raha gaya. Wo
Simran maami ke sir ki taraf aayi aur apni jeebh unki jeebh se mila
mere lund ko chaatne lagi.
Apne lund par do do jeebh ka mazaa paa mein josh me aa gaya aur jor
jor se Simran ki choot ko choosne laga. Ab ye alaam tha ki kabhi
Simran mere lund ko munh me leti aur kabhi Mona mere lund ko munh me
leti.
Agar Simran lund ko munh me leti to Mona meri goliyon ko munh me le
choosti aur agar Mona lund ko munh me leti to Simaran meri goliyon
ko chaatne lagti. Mein bhi apni jeebh ko Simran ki choot ke andar
tak ghusa idhar udhar ghoomata aur kabhi uski pankhuriyon ko munh me
bhar choosta ya phir danto se kaat leta. Simran ko bhi mazaaa aa
raha tha wo neeche se apni kamar uchal apni choot ko mere munh par
daba deti.
Hum teeno ke badan uttejna me kaanp rahe the.
"RAJ AB NAHI RAHA JATA PLEASE APNE LUND KO MERI CHOOT ME DAAL MUJHE
CHODO NA....." Simran maami sisak padi.
"NAHI DIDI RAJ PEHLE MUJHE CHODEGA.....AAAP TO ABHI ABHI CHUDI HAIN
MUJHE TO KITNI DER HO GAYI CHUDE HUE...... DEKHO MERI CHOOT KAISE
TADAP RAHI HAI....." Mona bol padi.
Dono par is baat par behas hone lagi ki kaun pehle chudega. Tabhi
mere man me ek khayal aya, "Are meri pyaari pyaari mamaiyon jhagad
kyon rahi ho, mein dono ko sath sath chodunga."
"Dono ko sath sath kaise chodega, kya tumhare paas do lund hai?"
Mona mere lund ko bheenchte hue boli.
"Are aap log dekho to mein kaise chodta hun apni pyaari maamiyon
ko." meine kaha.
"Thik hai to phir chodo.' Simran ne apni tange failate hue
kaha.
"Accha ek kaam karo Simran tum utho aur Mona ko pehle bistar
par let jane do." meine kaha.
Simran bistar se uth gayi aur uski jagah Mona apni tange failaye let
gayi.
"Ab Simran maami aap Mona par is tarah leto ki aapki choot Mona
maami ki choot se thodi hi upar ho." meine unhe samjhhate hue kaha.
"Are Mona maami apni tango ko bistar ke neeche latka do isse Simran
maami ko thodi asani hogi," meine unhe tokte hue kaha.
Mona maami bistar ke kinare par akaar apni tange neeche latka puri
tarah fiala di. Ab Simran maami Mona ke upar aa apni peeth ke bal
uspar let gayi aur unhone apni choot thik Mona ke pet par is tarah
rakhi ki wo Mona ki choot se thodi hi doori par thi.
Ab meine Mona ki tango ke beech aaya aur pehle apne lund ko Simran
ki choot par ghisne laga. Jab mera lund Simran ki choot se nikale
ras se geela ho gaya to meine apna lund Mona ki choot par rakh jor
ka dhakka mara.
"OHHHHH MAR GAYI...." Mona chilla padi.
Meine ek jor ka dhakka phir mara, "Mona tum ek kaam karo apne dono
hath aage ko kar Simran maami ki chuchiyon ko masalo."
Mona maami Simran maami ki chuchiyon ko masal rahi thi aur mien Mona
maami ki choot me dhakke mar raha tha. Phir meine apne lund ko Mona
ki choot se nikala aur thoda uncha hote hue apna lund Simran ki
choot me ghoosa diya.
kramashah......................
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मेरी चार मामियां --6
गतान्क से आगे...................................
मैने उनके दोनो हाथों को पकड़ उनकी पीठ के पीछे कर दिया और
जोरों से उन्हे चूमने लगा. में उनके चेहरे को हर तरह चूम रहा
था. मैं एक बात देख कर चौंका, अगर हम किसी के साथ ज़बरदस्ती
करते हैं तो वो चिल्लाति है और विरोध करती है पर यहाँ सिमरन
मामी सिर्फ़ विरोध कर रही थी चिल्ला नही रही थी.
पर तभी वो चिल्लाने लगी...."प्लीस जाने दो मुझे.. छोड़ दो मुझे."
मामी को चिल्लाते देख मे मेने मामी को बिस्तर पर पेट के बल गिरा
दिया, अगर पीठ के बल गिराता तो वो मुझे लात मार अपने से दूर कर
सकती थी. मैं उनकी पीठ पर चढ़ गया, उनके हाथ अभी मेने पीठ
से लगा रखे थे. मामी काफ़ी प्रयत्न कर रही थी अपने आप को
छुड़ाने की किंतु तभी मेने बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाया और
उनके दोनो हाथ बाँध दिए.
"ओ दीदी...... देखो राज क्या कर रहा है.... जल्दी से आआओ......"
अब वो जोरों से चिल्लाने लगी.
उनके हाथ बाँधने के बाद में उन्हे पलट कर सीधा कर दिया. वो
मुझे देखते हुए वो फिर चिल्लाने लगी.
"प्लीज़ मत करो ना में तुम्हारे हाथ........" वो अपना वाक़्या पूरा
करती उसके पहले ही मेने तकिये का गिलाफ निकाला और उनके मुँह मे
ठूंस दिया... अब वो सिर्फ़ 'गूऊ गूओ' कर के रह गयी.
में अभी उनके पेट पर ही बैठा था. मैने अपनी टी-शर्ट अपने सिर के
उपर कर निकाल दी. में मामी के शरीर पर थोड़ा नीचे खिसका और
उनके एक पैर को पलंग के सहारे अपनी टी-शर्ट से बाँध दिया.
मामी अब भी हिल डुल कर और उछाल कर अपने आपको बचाने की कोशिश
कर रही थी. पर वो कुछ नही कर पाई. फिर मैं अपनी शॉर्ट्स उतार
नंगा हो गया. अपनी शॉर्ट्स से मेने मामी की दूसरी टांग भी बिस्तर के
किनारे से बाँध दी. मामी अब भी मछली की तरह तड़प्ते हुए आज़ाद
होने की कोशिश कर रही थी. मामी की टाँगे पूरी तरह फैल गयी
थी, पर हिला दूली मे मेने देखा की हाथो पर फँसी टी-शर्ट ढीली
होती जा रही थी. मुझे मामी के हाथो को भी अच्छी तरह बांधना
था पर बाँधने के लिए मेरे पास कुछ नही था.
तभी मेरी बाकी की तीनो मामियाँ कमरे मे आ गयी. वो सिमरन मामी
की हालत देख पहले तो चौंकी फिर देखा कि सब कुछ ठीक है तो
खड़ी हो कर मुस्कुराने लगी.
सिमरन मामी 'गूऊव.....गूऊ' करके उन्हे मदद के लिए पुकार रही
थी, और मामियाँ थी कि हंस रही थी.
"क्यों नखरे दीखा रही हो सिमरन.... मज़े लो तुम्हे भी मज़ा
आएगा..." मोना मामी ने हंसते हुए कहा.
"मुझे कोई रस्सी चाहिए... " मेने कंगन मामी से कहा, "मुझे इनके
हाथ बाँधने है.
कंगन मामी बाहर से पतली डोरी ले आई और मुझे दे दी. मेने उस
डोरी से सिमरन मामी के हाथ बाँध दिए.
हम सभी ने देखा कि अब सिमरन मामी की आँखों मे आँसू आ गये
थे.
"क्या हम इसके करीब आ सकते है?" मोना ने मुजसे पूछा.
"हां मगर इसे खोलने की कोशिश नही करना." इतना कहकर मेने मोना
को चूम लिया.
मोना ने भी मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों मे भर चूम लिया,
"ओह तो जनाब काफ़ी लंबे और मोटे हो रहे है." उसने मेरे खड़े
लंड को अपने हाथ मे पकड़ते हुए कहा.
"मोना..... इसे छोड़ दो..... अभी तुम्हारी बारी नही है." कंगन ने
कहा. फिर वो तीनो सिमरन के करीब आ गयी और उसके बगल मे बैठ
गयी. अनिता मामी अभी भी पेटिकोट पहने हुए थी. उन्होने उसके आँसू
पौन्छे और उसे समझाया कि वो मान जाए. पर सिमरन मामी थी कि
मान ही नही रही थी.
"अब सभी कोई पीछे हट जाओ." मेने तीनो ममियों से कहा.
पीछे हटते हुए कंगन मे मेरे होठों को चूम लिया और वो तीनो
ज़मीन पर एक चादर बिछा कर बैठ गयी.
"अब.... में इसके साथ क्या करूँ?" मेने आँख मारते हुए मोना से पूछा.
"जो तुम चाहो वो करो... अब तो ये पूरी तरह से तुम्हारी है," कंगन
कह रही थी... "पहले इसे इसकी बदतमीज़ी की सज़ा दो...पूछो इससे कि
अब ये ठीक से बात मानेगी कि नही."
माइयन सिमरन के पेट पर ही बैठा था और मेरा खड़ा लंड उसकी नाभि
को छू रहा था. मैने उसके मुँह से तकिया की खिलाफ हटाया और पूछा
क्या वो ठीक से बात मानेगी कि नही.
"हरामी हटो मेरे उपर से...." उसने मुझे हटाने की कोशिश की.
"आज तो में तुझे अपनी रंडी बना कर रहूँगा." मेने कहा और उसके
गाल पर ज़ोर का झापड़ रसीद कर दिया.
वैसे तो औरतों को ये सब पसंद नही है, पर कुछ औरतों है जिन्हे
रंडी बनना पसंद भी है और ऐसा व्यवहार भी.
"अगर ज़्यादा चिल्लाई तो और मार पड़ेगी." मेने उसके दोनो गालों पर
झापड़ मारते हुए कहा.
मगर वो मानी नही और फिर चिल्लाने लगी, मेने उसे फिर थप्पड़
मारा तब जाकर वो शांत हुई. अब वो चिल्लाने की बजाय मुझसे धीरे
से उसे छोड़ने को कहने लगी.
मैने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों मे लिया और उसके होठों को
चूसने लगा. उसके होठों को चूस्ते हुए मेने उसकी थोडी को चूमा
फिर उसकी गर्दन को. फिर नीचे होते हुए मैं उसकी मुलायम मगर
कठोर चुचियों पर आ गया.
उसके निपल को अपनी मुँह मे ले में उसे चूसने लगा और चुचियों को
धीरे धीरे मसल्ने लगा. बड़ी अच्छी गोल गोल चुचियाँ थी सिमरन
मामी की. थोड़ी देर चूची चूसने के बाद मे नीचे उसके पेट को
चूमा और और अपनी जीब उसकी नाभि मे घूमाने लगा.
नाभि मे जीब लगते ही वो थोड़ा कसमसाई शायद उसे गुदगुदी हुई थी.
फिर में नीचे को खिसका और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी ज़ुबान
उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सों पर फिराने लगा.
अनिता, कंगन और मोना ये सब देख सिसकने लगी. उनके भी शरीर
गरमा गये थे. तीनो अब एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे. थोड़ी ही
देर मे तीनो नंगी हो गयी थी. मोना ने कंगन के होठों पर अपने
होंठ रख दिए और साथ ही उसकी चुचियों को भींचने लगी. वही
अनिता मोना की चूत पर हाथ फिराने लगी.
में सिमरन मामी की जाँघो को चूमते हुए और नीचे खिसका और उनके
पंजो को चूमने लगा. सिमरन मामी का बदन मेरी इस हरकत से कांप
उठा लेकिन अभी शायद उनकी चूत की प्यास जागी नही थी.
अब में उनकी जाँघो के बीच आ गया और उनकी चूत को अपने मुँह मे
भर लिया. मैने अपनी उंगलियों से चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी
जीब को त्रिकोण के आकार मे कर सीधा अंदर घुसा दिया. अब में अपनी
जीब को उनकी चूत के अंदर घुमा रहा था. साथ ही अपने होठों से
उनकी चूत की पंखुरियों को चूस्ता जा रहा था.
जैसे ही मेरी जीब उनकी चूत की दीवारों से टकराई उनका बदन हल्के
से कांप उठा और खुद बा खुद उनकी कमर उपर को उठ गयी और उनके
मुँह से एक कराह सी निकल गयी..."उईईई माआआअ."
अब में और जोरों से उनकी चूत को चूसने लगा, साथ ही मैं अपनी
दो उंगलियाँ उनकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगा. सिमरन मामी
का बदन थरथरा रहा था. मेने देखा कि सिमरन के माथे पर
पसीने की बूंदे आ गयी थी और उन्हे मज़ा आने लगा था.
मेने एक बार फिर उनसे पूछा कि क्या वो साथ देगी तो फिर उसने अपनी
गर्दन ना मे हिला दी. मैने फिर उनके गाल पर थप्पड़ मारा और
जानवरों की तरह उनकी चुचियों पर टूट पड़ा. में जोरों से उनकी
चुचियों को किसी जानवर की तरह मसल्ने और चूसने लगा.
वो अब भी रो रही थी और मेरी तीनो मामियों को मदद के लिए पुकार
रही थी.
पर मेरी तीनो मामियाँ उसकी फरियाद कहाँ सुनती. वो तीनो तो अपनी
मस्ती मे खोई हुई थी. मेने देखा कि कंगन मामी अनिता मामी के
उपर 69 की पोज़िशन मे थी और एक दूसरे की चूत चूस रही थी.
वहीं मोना मामी अनिता मामी के सिर की तरफ से अनिता की जीब के साथ
साथ अपनी जीब भी कंगन की चूत मे घूसा रही थी, साथ ही अपनी
चूत मे अपनी उंगली अंदर बाहर कर रही थी.
"उन्हे मत पुकारो, वो तुम्हारी मदद के लिए नही आएँगी..." कहकर
मेने ज़ोर से उनके निपल को अपने दन्तो से काट लिया और अपने दांतो
का निशान उसके निपल पर छोड़ दिया.
सिमरन मामी एक बार फिर चिल्लाई पर आवाज़ मे उतना जोश नही था
शायद वो थक गयी थी और दूसरी बात पहले दर्द फिर मज़ा और फिर
दर्द.
मैं उनकी जाँघो के बीच आया और उनकी चूत की पंखुरी को भी
अपने दांतो से कुरेद दिया. फिर उनकी टाँगो को खोला और दोनो टॅंगो को
मोड़ उनकी छाती से चिपका दिया.
सिमरन के दोनो हाथ अभी भी बढ़े हुए थे इसलिए मेने उसकी टाँगो
को थोड़ा उँचा किया और उसकी जाँघो के बीच खुद की जगह बनाते हुए
अपना खड़ा लंड ठीक उसकी चूत के मुँह पर रख दिया. फिर धीरे
धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर घूसाने लगा.
"प्लीज़ मुझे छोड़ दो ...... जानो दो मुझे...." सिमरन अभी भी रो
रही थी.
इस तरह उसका गिड़गिडाना मुझे अच्छा लगा और में जोरों से उसे चोद्ने
लगा. में इतनी जोरों से धक्के मार रहा था कि पूरा पलंग हिल रहा
था और कमरे मे 'ठप ठप ठप' की आवाज़ गूँज रही थी.
वो अभी भी अपनी चूत की मांसपेशियों को जकड़े मेरे लंड को अपनी
चूत मे जाने से रोक रही थी, इससे में और उत्तेजित हो गया और ज़ोर
लगाकर अपना लंड उसकी चूत मे घूसाने लगा. आधे घंटे तक में
उसे ऐसे ही बेदर्दी से चोद्ता रहा. आख़िर मेरे लंड ने उबाल खा उसकी
चूत मे पानी छोड़ दिया.
जब उसकी छूट मेरे पानी से भर गयी तो मेने देखा कि उसका चेहरा
गुलाबी हो चुका था. वो रो तो नही रही थी लेकिन हां सूबक ज़रूर
रही थी.
मैं उस के उपर से उठा और उसे खोल दिया.
हाथ खुलते ही वो मेरी छाती पर घूँसे मार कर मुझे कोसने लगी कि
मेने उसके साथ ज़बरदस्ती क्यों की. मैने देखा कि तीनो मामियाँ
खलास हो अपनी साँसे दुरुस्त कर रही थी.
तभी तीनो उठ कर हमारे पास आई.
"सिमरन देख अब चिल्लाने से कोई फ़ायदा नही... जो होना था वो हो
गया... पर सच सच बता तुझे मज़ा आया कि नही,,,, देख झूठ
मत बोलना...." अनिता मामी ने उसकी चुचियों को सहलाते हुए कहा.
सिमरन कुछ देर तक सोचती रही फिर धीरे से बोली.." मज़ा तो आया
दीदी पर क्या कोई किसी को इतनी बेरहमी से चोद्ता है, इसने तो मेरी
जान ही निकाल दी थी."
"अरे इसमे भी मज़ा आता है क्यों है ना...." कंगन ने उसकी चूत को
सहलाते हुए कहा.
"कंगन दीदी आता है तो लेकिन देखो ना कितनी बेरहमी से मेरे चुचि
को काटा है राज ने....अभी भी दर्द हो रहा है" वो अपनी चुचि जिस
निपल पर मेने काटा था दिखाते हुए बोली.
मैं झुक कर उस निपल को अपने मुँह मे ले धीरे धीरे चूसने
लगा. शायद उनका दर्द कम हो गया था इसलिए वो सिसकने लगी.
सिमरन मेरी तीनो मामियों को नंगा देख समझ गयी थी कि में
तीनो को चोद चुका हूँ.
"दीदी क्या ये तुम तीनो को अभी ऐसे ही चोद्ता है.... बाप रे कितना
बड़ा लंड है इसका पूरा मूसल है... फाड़ ही दिया इसने मेरी चूत
को...." सिमरन ने पूछा.
"अरे नही रे...... ये तो बड़े प्यार से चोदता है..... हमारा तो दिल
करता है कि इसका लंड चूत मे लिए पड़े रहें." अनिता ने उसकी
चुचि को मसल्ते हुए कहा.
"और दीदी इसके लंड का स्वाद भी बड़ा प्यारा है... मेरा तो दिल करता
है कि इसके लंड को लॉली पोप समझ चूस्ति रहूं." मोना मेरे लंड
से खेलती हुई बोली.
"होगा इसके लंड का स्वाद अच्छा और चोद्ता होगा तुम तीनो को प्यार से
मुझे तो इसने जानवरों से भी गए गुज़रे तरीके से चोदा है...."
सिमरन थोड़ा सा नाराज़ होते हुए बोली.
"अरे गुस्सा क्यों दिखाती हो मामी.... प्यार से सभी चोद्ते है और
चुड़वाते है.....कसम खाकर कहो क्या इस तरह चुद्वाने मे मज़ा
आया कि नही." मैने सिमरन मामी की चूत मे अपनी उंगली डालते हुए
कहा.
"सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया.... बरसों से मेरी तंमना थी कि
कोई मुझे इस बेरहमी से चोदे....सच." कहकर सिमरन मामी ने
मुझे गले लगा लिया.
हम सब तक कर लेटे हुए थे. अब जब कि सिमरन मामी को में चोद
चुका था हम सभी की कल्पनाए पूरी हो चुकी थी सिवाय कंगन
मामी के.
"मामी क्यों ना आपकी कल्पना भी पूर की जाए." मेने कंगन मामी
से कहा.
"अभी जल्दी भी क्या है पूरा दिन पड़ा है पहले कुछ चाइ नाश्ता हो
जाए तब तक." कंगन मामी ने कहा.
"मामी आप सब के लिए नाश्ता बनाए में तब तक अपनी चाय यहीं
पी लेता हूँ." कहकर में सिमरन मामी की टाँगो के बीच आ गया
और उनकी चूत को चूसने लगा.
"राज ये तो तुम्हारा चाय नाश्ता हुआ मेरा क्या होगा?' सिमरन मामी
हंसते हुए बोली.
"वाह मामी अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे गालिया दे रही थी और
मुझे भगा रही थी अब नाश्ता चाहिए." मेने अपनी उंगली उनकी
चूत मे घूसाते हुए कहा.
"वो तो राजा अलग बात थी अब तो नाश्ता भी चाहिए और मीठा
भी." कहकर मामी ने मुझे अपने उपर खींच 69 की अवस्था मे लेटा
लिया.
मामी ने मेरे लंड को पहले तो थोड़ी देर सहलाया और फिर उसे अपने
मुँह मे ले चूसने लगी. मैने भी उनकी चूत को फैला अपनी जीब
अंदर डाल दी.
अनिता और कंगन मामी रसोई मे चाय नाश्ता बनाने चली गयी.
हम दोनो को इस तरह देख मोना मामी से भी नही रहा गया. वो
सिमरन मामी के सिर की तरफ आई और अपनी जीभ उनकी जीभ से मिला
मेरे लंड को चाटने लगी.
अपने लंड पर दो दो जीभ का मज़ा पा में जोश मे आ गया और ज़ोर
ज़ोर से सिमरन की चूत को चूसने लगा. अब ये आलम था कि कभी
सिमरन मेरे लंड को मुँह मे लेती और कभी मोना मेरे लंड को मुँह मे
लेती.
अगर सिमरन लंड को मुँह मे लेती तो मोना मेरी गोलियों को मुँह मे ले
चूस्ति और अगर मोना लंड को मुँह मे लेती तो सिमरन मेरी गोलियों
को चाटने लगती. में भी अपनी जीभ को सिमरन की चूत के अंदर
तक घुसा इधर उधर घूमाता और कभी उसकी पंखुरियों को मुँह मे
भर चूस्ता या फिर दांतो से काट लेता. सिमरन को भी मज़ा आ
रहा था वो नीचे से अपनी कमर उछाल अपनी चूत को मेरे मुँह पर
दबा देती.
हम तीनो के बदन उत्तेजना मे काँप रहे थे.
"राज अब नही रहा जाता प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत मे डाल मुझे
चोदो ना....." सिमरन मामी सिसक पड़ी.
"नही दीदी राज पहले मुझे चोदेगा.....आप तो अभी अभी चुदी हैं
मुझे तो कितनी देर हो गयी चुदे हुए...... देखो मेरी चूत कैसे
तड़प रही है....." मोना बोल पड़ी.
दोनो पर इस बात पर बहस होने लगी कि कौन पहले चुदेगा. तभी
मेरे मन मे एक ख़याल आया, "अरे मेरी प्यारी प्यारी मामियो झगड़
क्यों रही हो, में दोनो को साथ साथ चोदुन्गा."
"दोनो को साथ साथ कैसे चोदेगा, क्या तुम्हारे पास दो लंड है?"
मोना मेरे लंड को भींचते हुए बोली.
"अरे आप लोग देखो तो में कैसे चोद्ता हूँ अपनी प्यारी मामियों
को." मेने कहा.
"ठीक है तो फिर चोदो.' सिमरन ने अपनी टाँगे फैलाते हुए
कहा.
"अच्छा एक काम करो सिमरन तुम उठो और मोना को पहले बिस्तर
पर लेट जाने दो." मेने कहा.
सिमरन बिस्तर से उठ गयी और उसकी जगह मोना अपनी टाँगे फैलाए लेट
गयी.
"अब सिमरन मामी आप मोना पर इस तरह लेटो कि आपकी चूत मोना
मामी की चूत से थोड़ी ही उपर हो." मेने उन्हे समझाते हुए कहा.
"अरे मोना मामी अपनी टाँगो को बिस्तर के नीचे लटका दो इससे सिमरन
मामी को थोड़ी आसानी होगी," मेने उन्हे टोकते हुए कहा.
मोना मामी बिस्तर के किनारे पर आकर अपनी टाँगे नीचे लटका पूरी
तरह फैला दी. अब सिमरन मामी मोना के उपर आ अपनी पीठ के बल
उसपर लेट गयी और उन्होने अपनी चूत ठीक मोना के पेट पर इस तरह
रखी कि वो मोना की चूत से थोड़ी ही दूरी पर थी.
अब मेने मोना की टाँगो के बीच आया और पहले अपने लंड को सिमरन
की चूत पर घिसने लगा. जब मेरा लंड सिमरन की चूत से निकले
रस से गीला हो गया तो मेने अपना लंड मोना की चूत पर रख ज़ोर
का धक्का मारा.
"ओह मर गयी...." मोना चिल्ला पड़ी.
मेने एक ज़ोर का धक्का फिर मारा, "मोना तुम एक काम करो अपने दोनो
हाथ आगे को कर सिमरन मामी की चुचियों को मसलो."
मोना मामी सिमरन मामी की चुचियों को मसल रही थी और मैं मोना
मामी की चूत मे धक्के मार रहा था. फिर मेने अपने लंड को मोना
की चूत से निकाला और थोड़ा उँचा होते हुए अपना लंड सिमरन की
चूत मे घूसा दिया.
6
Miene unki dono hathon ko pakad unki peeth ke peeche kar diya aur
joron se unhe choomne laga. Mein unke chehre ko har tarah choom raha
tha. Mien ek baat dekh kar chaunka, agar hum kisi ke sath jabardasti
karte hain to wo chillati hai aur virodh karti hai par yahan Simran
maami sirf virodh kar rahi thi chilla nahi rahi thi.
Par tabhi wo chillane lagi...."pleas jaane do mujhe.. chod do mujhe."
Maami ko chillate dekh me meine Maami ko bistar par pet ke bal gira
diya, agar peeth ke bal girata to wo mujhe laat mar apne se door kar
sakti thi. Mien unki peeth par chadh gaya, unke hath abhi meine peeth
se laga rakhe the. Maami kafi prayatna kar rahi thi apne aap ko
chudane ki kintu tabhi meine bistar par padi chadar ko uthaya aur
unke dono hath bandh diye.
"OHHH DIDI...... DEKHO RAJ KYA KAR RAHA HAI.... JALDI SE AAAO......"
Ab wo joron se chillane lagi.
Unke hath bandhne ke bad mein unhe palat kar seedha kar diya. wo
mujhe dekhte hue wo phir chillane lagi.
"PLEASE MAT KARO NA MEIN TUMHARE HATH........" Wo apna vakya pura
karti uske pehle hi meine takiye ka khilaaf nikaala aur unke munh me
thoons diya... ab wo sirf 'goooo gooo' kar ke rah gayi.
Mein abhi unke pet par hi baitha tha. Miene apni T-shirt apne sir ke
upar kar nikaal di. Mein maami ke sharir par thoda neeche khiska aur
unke ek pair ko palang ke sahare apni t-shirt se bandh diya.
Maami ab bhi hil dul kar aur uchal kar apne aapko bachane ki koshish
kar rahi thi. Par wo kuch nahi kar payi. Phir meine apni shorts uttar
nanga ho gaya. Apni shorts se meine mami ki doosri tang bhi bistar ke
kinare se bandh di. Mami ab bhi machli ki tarah tadapte hue azaad
hone ki koshish kar rahi thi. Mami ki tange puri tarah fail gayi
thi, par hila duli me meine dekha ki hatho par phansi t-shirt dheeli
hoti jaa rahi thi. Mujhe maami ke hatho ko bhi acchi tarah bandhna
tha par bandhne ke liye mere paas kuch nahi tha.
Tabhi meri baaki ki teeno maamiyan kamre me aa gayi. Wo Simran maami
ki halat dekh pehle to chaunki phri dkeha ki sab kuch thik hai to
khadi ho kar muskurane lagi.
Simran maami 'gooooo.....goooo' karke unhe madad ke liye pukar rahi
thi, aur maamiyan thi ki hans rahi thi.
"Kyon nakhre deekha rahi ho Simran.... maze lo tumhe bhi mazza
aayega..." Mona maami ne hanste hue kaha.
"Mujhe koi rassi chahiye... " meine Kangan maami se kaha, "mujhe inke
hath bandhne hai.
Kangan maami bahar se patli dori le aayi aur mujeh de di. Meine us
dori se Simran maami ke hath bandh diye.
Hum sabhi ne dekha ki ab Simran maami ki aankhon me aansu aa gaye
the.
"Kya hum iske kareeb aa sakte hai?" Mona ne mujse pucha.
"Haan magar ise kholne ki koshish nahi karna." Itna kehkar meine Mona
ko choom liya.
Mona ne bhi mere nange badan ko apni bahon me bhar choom liya,
"ohhhhhh to janab kafi lambe aur mote ho rahe hai." usne mere khade
lund ko apne hath me pakadte hue kaha.
"Mona..... ise chod do..... abhi tumhari bari nahi hai." Kangan ne
kaha. Phir wo teeno Simran ke kareeb aa gayi aur uske bagal me baith
gayi. Anita maami abhi bhi peticoat pehne hue thi. Unhone uske aansu
paunche aur use samjhaya ki wo maan jaye. Par Simran maami thi ki
maan hi nahi rahi thi.
"Ab sabhi koi peeche hat jao." meine teeno mamiyon se kaha.
Peeche hatte hue Kangan me mere hothon ko choom liya aur wo teeno
jameen par ek chadar beecha kar baith gayi.
"Ab.... mein iske sath kya karun?" meine ankh marte hue Mona se puca.
"Jo tum chaho wo karo... ab to ye puri tarah se tumhari hai," Kangan
keh rahi thi... "pehle ise iski badtamji ki saza do...pucho isse ki
ab ye thik se baat manegi ki nahi."
Mien Simran ke pet bar hi baitha tha aur mera khada lund uski nabhi
ko chu raha tha. Mien uske munh se takiya ki khilaf hataya aur pucha
kya wo thik se baat manegi ki nahi.
"Harami hato mere upar se...." usne mujhe hatane ki koshish ki.
"Aaj to mein tujhe apni randi bana kar rahunga." meine kaha aur uske
gaal par jor ka jhapad rasid kar diya.
Waise to aurton ko ye sab pasand nahi hai, par kuch aurton hai jinhe
randi banna pasand bhi hai aur aisa vyavhar bhi.
"Agar jyada chillayi to aur maar padegi." meine uske dono gaalon par
jhaapad marte hue kaha.
Magar wo mani nahi aur phir chillane lagi, meine use phir thappad
mara tab jaakar wo shant hui. Ab wo chillane ki bajai mujhse dheeere
se use chodne ko kehne lagi.
Mien uske chehre ko apne dono hathon me liya aur uske hothon ko
choosne laga. Uske hothon ko chooste hue meine uski thodi ko chooma
phir uski gardan ko. Fir neeche hote hue mien uski mulayam magar
kathor chuchiyon par aa gaya.
Ukse nipple ko apni munh me le mein use choosne laga aur chuchiyon ko
dheere dheeere masalne laga. Badi achii gol gol chuchiyan thi Simran
maami ki. Thodi der choochi choosne ke bad me neeche uske pet ko
chooma aur aur apni jeeb uski nabhi me ghoomane laga.
Naabhi me jeeb lagte hi wo thoda kasmasai shayad use gudgudi hui thi.
Phir mein neeche ko khiska aur uski choot ko choomte hue apni juban
uski jangho ke andruni hisson par firane laga.
Anita, kangan aur Mona ye sab dekh sisakne lagi. Unke bhi sharir
garma gaye the. Teeno ab ek doosre ke kapde kholne lage. Thodi hi
der me teeno nangi ho gayi thi. Mona ne Kangan ke hothon par apne
honth rakh diye aur sath hi uski chuchiyon ko bheenchne lagi. Wahi
Anita Mona ki choot par hath phirane lagi.
Mein Simran maami ki jangho ko choomte hue aur neeche khiska aur unke
panjo ko choomne laga. Simran maami ka badan meri is harkat se kanp
utha lekin abhi shayad unki choot ki pyaas jaagi nahi thi.
Ab mein unki jangho ke beech aa gaya aur unki coot ko apne munh me
bhar liya. Miene apni ungliyon se choot ko thoda failaya aur apni
jeeb ko trikon ke akar me kar seedha andar ghusa diya. Ab mein apni
jeeb ko unki choot ke andar ghoooma raha tha. Sath hi apne hothon se
unki choot ki pankhuriyon ko choosta jaa raha tha.
Jaise hi meri jeeb unki choot ki deewaron se takrai unka badan halke
se kanp utha aur khud ba khud unki kamar upar ko uth gayi aur unke
munh se ek karah si nikal gayi..."Uiiiii maaaaaaa."
Ab mein aur joron se unki choot ko choosne laga, sath hi meine apni
do ungliyan unki choot me ghusa andar bahar karne laga. Simran maami
ka badan tharthra raha tha. Meine dekha ki Simran ke mathe par
paseene ki boonde aa gayi thi aur unhe mazaa aane laga tha.
Meine ek bar phir unse pucha ki kya wo sath degi to phir usne apni
gardan naa me hila di. Miene phir unke gal par thappad mara aur
janwaron ki tarah unki chuchiyon par toot pada. Mein joron se unki
chuchiyon ko kisi jamnwar ki tarah masalne aur coosne laga.
Wo ab bhi ro rahi thi aur meri teeno maamiyon ko madad ke liye pukar
rahi thi.
Par meri teeno maamiyan uski fariyad kahan sunti. Wo teeno to apni
masti me khoyi hui thi. Meine dekha ki Kangan maami Anita maami ke
upar 69 ki position me thi aur ek doosre ki choot choos rahi thi.
Wahin Mona maami Anita maaki ke sir ki taraf se Anita ki jeeb ke sath
sath apni jeeb bhi Kangan ki choot me ghoosa rahi thi, sath hi apni
choot me apni ungli andar bahar kar rahi thi.
"Unhe mat pukaro, wo tumhari madad ke liye nahi aayengi..." kehkar
meine jor se unke nipple ko apne danto se kaat liya aur apne daanto
ka nishaan uske nipple par chod diya.
Simran maami ek bar phir chillayi par awaaz me utna josh nahi tha
shayad wo thak gayi thi aur doosri baat pehle dard fir maza aur fir
dard.
Miene unki jangho ke beech aaya aur unki choot ki pankhuri ko bhi
apne danto se kured diya. Phir unki tango ko khola aur dono tango ko
mod unki chaati se chipka diya.
Simran ke dono hath abhi bhi badhe hue the isliye meine uski tango
ko thoda uncha kiya aur uski jangho ke beech khud ki jagah banate hue
apna khada lund thik uski choot ke munh par rakh diya. Phir dheere
dheere apna lund uski choot ke andar ghoosane laga.
"PLEASE MUJEH CHOD DO ...... JANO DO MUJHE...." Simran abhi bhi ro
rahi thi.
Is tarah uska gidgidana mujhe accha laga aur mein joron se use chodne
laga. Mein itni joron se dhakke mar raha tha ki pura palang hil raha
tha aur kamre me 'thap thap thap' ki awaaz gunj rahi thi.
Wo abhi bhi apni choot ki manspeshiyon ko jakde mere lund ko apni
choot me jane se rok rahi thi, isse mein aur uttejit ho gaya aur jor
lagakar apna lund uski choot me ghoosane laga. Aadhe ghante tak mein
use aise hi bedardi se chodta raha. Aakhir mere lund ne ubal kha uski
choot me paani chod diya.
Jab uski choot mere pani se bhar gayi to meine dekha ki uska chehra
gulabi ho chuka tha. Wo ro to nahi rahi thi lekin haan subak jarur
rahi thi.
Mien us ke upar se utha aur use khol diya.
Hath khulte hi wo meri chaati par ghoonse mar kar mujhe kosne lagi ki
meine uske sath jabardasti kyon ki. Miene dekha ki teeno maamiyan
khalas ho apni sanse duraust kar rahi thi.
Tabhi teeno uth kar hamare paas aayi.
"Simran dekh ab chillane se koi faida nahi... jo hona tha wo ho
gaya... par sach sach bata tujhe maza aaya ki nahi,,,, dekh jhooth
mat bolna...." Anita maami ne uski chuchiyon ko sehlata hue kaha.
Simran kuch der tak sochti rahi phir dheere se boli.." mazaa to aaya
didi par kya koi kisi ko itni berahmi se chodta hai, isne to meri
jaan hi nikaal di thi."
"Are isme bhi mazaa ata hai kyon hai na...." Kangan ne uski choot ko
sehlate hue kaha.
"Kangan didi aata hai to lekin dekho na kitni berahmi se mere chuchi
ko kata hai Raj ne....abhi bhi dard ho raha hai" wo apni chuchi jis
nipple par meine kata tha deekhate hue boli.
Meine jhuk kar us nipple ko apne munh me le dheere dhere choosne
laga. Shayad unka dard kam ho gaya tha isliye wo sisakne lagi.
Simran meri teeno maamiyon ko nanga dekh samajh gayi thi ki mein
teeno ko chod chuka hun.
"Didi kya ye tum teeno ko abhi aise hi chodta hai.... bapre kitna
bada lund hai iska pura musal hai... phad hi di isne meri choot
ko...." Simran ne pucha.
"Are nahi re...... ye to bade pyaar se choodta hai..... hamara to dil
karta hai ki iska lund choot me liye pade rahen." Anita ne uski
chuchi ko masalte hue kaha.
"Aur didi iske lund ka swaad bhi bada pyaara hai... mera to dil karta
hia ki iske lund ko lolly pop samajh choosti rahun." Mona mere lund
se khelti hui boli.
"Hoga iske lund ka swaad accha aur chodta hoga tum teeno ko pyaar se
mujhe to isne janwaron se bhi gai guzre tareeke se choda hai...."
Simran thoda sa naraaz hote hue boli.
"Are gussa kyon deekhati ho maami.... pyar se sabhi chodte hai aur
chudwate hai.....kasam khaakar kaho kya is tarah chudwane me mazaa
aaya ki nahi." meien Simran maami ki choot me apni ungli dalte hue
kaha.
"Sach kahun to bahot mazaaa ayaaa.... barson se meri tammna thi ki
koi mujhe is berahmi se choode....sach." kehkar Simran maami ne
mujhe gale laga liya.
Hum sab thak kar lete hue the. Ab jab ki Simran Mami ko mein chod
chuka tha hum sabhi ki kalpanaye puri ho chuki thi siway Kangan
maami ki.
"Maami kyon na aapki kalpana bhi puir ki jaaye." meine Kangan maami
se kaha.
"Abhi jaldi bhi kya hai pura din pada hai pehle kuch chai naashta ho
jaye tab tak." Kangan maami ne kaha.
"Maami aap sab ke liye naashta banain mein tab tak apni chai yahin
pee leta hun." kehkar mein Simran maami ki tango ke beech aa gaya
aur unki choot ko choosne laga.
"Raj ye to tumhara chai naashta hua mera kya hoga?' Simran maami
hanste hue boli.
"Wah maami abhi thodi der phele to muje gaaliya de rahi thi aur
mujhe bhaga rahi thi ab naashta chahiye." Meine apni ungli unki
choot me ghoosate hue kaha.
"Wo to raja alaga baat thi ab to naashta bhi chahiye aur meethai
bhi." kehkar maami ne mujhe apne upar khinch 69 ki avastha me leta
liya.
Maami ne mere lund ko pehle to thodi der sehlaya aur phir use apne
munh me le choosne lagi. Miene bhi unki choot ko fiala apni jeeb
andar dal dee.
Anita aur Kangan maami rasoi me chai naashta banane chali gayi.
Hum dono ko is tarah dekh Mona maami se bhi nahi raha gaya. Wo
Simran maami ke sir ki taraf aayi aur apni jeebh unki jeebh se mila
mere lund ko chaatne lagi.
Apne lund par do do jeebh ka mazaa paa mein josh me aa gaya aur jor
jor se Simran ki choot ko choosne laga. Ab ye alaam tha ki kabhi
Simran mere lund ko munh me leti aur kabhi Mona mere lund ko munh me
leti.
Agar Simran lund ko munh me leti to Mona meri goliyon ko munh me le
choosti aur agar Mona lund ko munh me leti to Simaran meri goliyon
ko chaatne lagti. Mein bhi apni jeebh ko Simran ki choot ke andar
tak ghusa idhar udhar ghoomata aur kabhi uski pankhuriyon ko munh me
bhar choosta ya phir danto se kaat leta. Simran ko bhi mazaaa aa
raha tha wo neeche se apni kamar uchal apni choot ko mere munh par
daba deti.
Hum teeno ke badan uttejna me kaanp rahe the.
"RAJ AB NAHI RAHA JATA PLEASE APNE LUND KO MERI CHOOT ME DAAL MUJHE
CHODO NA....." Simran maami sisak padi.
"NAHI DIDI RAJ PEHLE MUJHE CHODEGA.....AAAP TO ABHI ABHI CHUDI HAIN
MUJHE TO KITNI DER HO GAYI CHUDE HUE...... DEKHO MERI CHOOT KAISE
TADAP RAHI HAI....." Mona bol padi.
Dono par is baat par behas hone lagi ki kaun pehle chudega. Tabhi
mere man me ek khayal aya, "Are meri pyaari pyaari mamaiyon jhagad
kyon rahi ho, mein dono ko sath sath chodunga."
"Dono ko sath sath kaise chodega, kya tumhare paas do lund hai?"
Mona mere lund ko bheenchte hue boli.
"Are aap log dekho to mein kaise chodta hun apni pyaari maamiyon
ko." meine kaha.
"Thik hai to phir chodo.' Simran ne apni tange failate hue
kaha.
"Accha ek kaam karo Simran tum utho aur Mona ko pehle bistar
par let jane do." meine kaha.
Simran bistar se uth gayi aur uski jagah Mona apni tange failaye let
gayi.
"Ab Simran maami aap Mona par is tarah leto ki aapki choot Mona
maami ki choot se thodi hi upar ho." meine unhe samjhhate hue kaha.
"Are Mona maami apni tango ko bistar ke neeche latka do isse Simran
maami ko thodi asani hogi," meine unhe tokte hue kaha.
Mona maami bistar ke kinare par akaar apni tange neeche latka puri
tarah fiala di. Ab Simran maami Mona ke upar aa apni peeth ke bal
uspar let gayi aur unhone apni choot thik Mona ke pet par is tarah
rakhi ki wo Mona ki choot se thodi hi doori par thi.
Ab meine Mona ki tango ke beech aaya aur pehle apne lund ko Simran
ki choot par ghisne laga. Jab mera lund Simran ki choot se nikale
ras se geela ho gaya to meine apna lund Mona ki choot par rakh jor
ka dhakka mara.
"OHHHHH MAR GAYI...." Mona chilla padi.
Meine ek jor ka dhakka phir mara, "Mona tum ek kaam karo apne dono
hath aage ko kar Simran maami ki chuchiyon ko masalo."
Mona maami Simran maami ki chuchiyon ko masal rahi thi aur mien Mona
maami ki choot me dhakke mar raha tha. Phir meine apne lund ko Mona
ki choot se nikala aur thoda uncha hote hue apna lund Simran ki
choot me ghoosa diya.
kramashah......................
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