Thursday, October 18, 2012

सेक्सी कहानियाँ लवली फ़ोन सेक्स --20

 

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

लवली फ़ोन सेक्स --20

गतांक से आगे ...........
आंशिका: मा इसको कोई फॅमिली प्राब्लम थी तो ये स्टडीस नहीं कर पाया सो इसीलिए सोचा थोड़ी हेल्प कर दूँगी.
आंटी: हाँ ठीक है.., कुछ खाया तुम दोनो ने?

आंशिका: कुछ नहीं खाया सुबह से बहुत ज़ोर से भूख लग रही है
आंटी: चलो बैठो तुम दोनो मैं खाना लगती हूँ, कांटीईईईईईई खाना गरम होने रख दे गेन्स पर.

कांति(नौकरानी) : जी मा जी.

आंशिका: चलो मैं तुम्हे तब तक घर दिखाती हूँ.
मे: जी चलिए मेडम, करिए मेरी हेल्प

ये सुनकर आंशिका हंसने लगी और बोलने लगी – चलता है यार.

वो मुझे 1st फ्लोर पर ले गयी, और अपना बेड रूम दिखाने लगी, मन कर रहा था वहीं दबोच लूँ पर डर था कहीं आंटी ना टपक जाये , एक एक कर के उसने मुझे सारे रूम दिखाए, फिर वो मुझे टेरेस पर ले गयी और एक टंकी के पास जाकर बोलती है

आंशिका: यही वो टंकी है जिसके पीछे मैने बैठ कर मैंने अपने बूब्स बाहर निकाले थे जब तुम फोन पर बात कर रहे थे.
मे: तो चलो अब तो मैं भी हूँ साथ फिर से चलते हैं टंकी के पीछे.

आंशिका: चुप चाप नीचे चलो, ठरकी नंबर 1
मे: अछा तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (मुस्कुराते हुए) तुम ना बस चुप रहो
मे: नहीं बता ना तू नहीं है ठरकी ?

आंशिका: (नज़रे ना मिलते हुए हंसते ऊए) नीचे चलो खाना लग गया होगा ठंडा हो जाएगा चल कर खा लो.
मे: नहीं पहले बता, मैं भी सुनना चाहता हूँ तेरे मुँह से, तू ठरकी है या नहीं?

आंशिका: (शरामते हुए और हंसते हुए) तुम्हारी जितनी नहीं हूँ पर.
मे: अच्छा मेरी जितनी? तेरी आँखें बता रही है कितनी ठरक है तेरे मैं.

आंशिका: (शर्मा कर हंसते हुए) हाँ है तो, मैं भी तो इंसान हूँ.
मे: हाँ तो शर्मा क्यूँ रही है, शरम आती है ये कबूलने मैं की मेरी चूत हमेशा गीली रहती है और निपल्स टाइट.

आंशिका: (शरमाते हुए) तुम ना बहुत बोलते हो, अब चुप चाप नीचे जाकर टेबल पर बैठो मैं अभी चेंज करके आती हूँ
मे: नहीं मैं भी साथ चलूँगा चेंज करने.

आंशिका: ये घर है कॉलेज नहीं है, मा ने देख लिया ना तो बस फिर मत कहना मुझे कुछ.
मे: कुछ नहीं होगा तुम चलो

आंशिका; नो,तुम जाओ नीचे
मे: अछा ना बाबा.

हम टेरेस से नीचे जाने लगे, आंशिका का रूम 1st फ्लोर पर है, 1st फ्लोर पर पहुँच कर आंशिका अपने रूम के तरफ जाने लगी, मैं भी उसके पीछे हो लिया, हू मुझे देखकर धक्का देने लगी और कहने लगी..

आंशिका: जाओ ना, क्यूँ तंग करते हो हर जगह?
मे: तंग मैं नहीं तू कर रही है, चल अन्दर चलकर चुप चाप कपड़े बदल कोई नहीं आ रहा, आंटी उपर नहीं आ रही देखने तेर्को. चुप चाप चल.

और मैं उसे ज़बरदस्ती उसको उसके बेडरूम मैं ले गया.

आंशिका मेरी इस हरकत पर गुस्सा होने लगी, मैंने उसके गुस्से की परवाह ना करते हुए, उसके बेडरूम का डोर लॉक कर दिया, वो मुझे आँख दिखा कर बोली….

आंशिका: तुम ना एकदम पागल हो, मरवाओगे मुझे एक दिन.
मे: ओहो मेरी जान क्या हुआ?

आंशिका: हुआ नहीं होगा
मे: हाँ वो तो है, अभी तो होगा

आंशिका: मैं ना बिल्कुल मज़ाक के मूड मैं नहीं हूँ समझे, अभी के अभी दरवाज़ा खोलकर नीचे जाओ
मे: नहीं जाता, बोल क्या करेगी? चीख कर अपनी मों को बुलाएगी या नौकरानी को?

आंशिका: ग़लती कर दी मैने तुम्हे इतनी छूट देकर, दूरी ही बनाई रखती औरों की तरह तो सही रहता, एकदम आवारा कुत्ते हो.
मे: तेर्को आवारा कुत्ते पसंद है, आई नो.


आंशिका: (ठंडे गुस्से से) प्लीज़ जाओ ना, क्यूँ मेरी फाड़ते रहते हो जगह जाग.
मे: मैं नहीं फाड़ता तू मेरा खड़ा करवाती है बार बार

आंशिका: निकाल के फेंक दे उसे फिर
मे; मैं कुछ नहीं करूँगा, तेर्को फेंकना है हाथ डाल और फेंक दे.

आंशिका: हरामी हो तुम पूरे, कोई नहीं जीत सकता तुमसे
मे: चल तू हार गयी तो अपनी चूत दे अब.

आंशिका: बकवास ना करो, कुछ नहीं मिल रहा तुझे.
मे: अछा मत दे, जल्दी से कपडे बदल ले और नीचे चल वरना आंटी को शक हो जाएगा

आंशिका: हाँ तो तुम जाओ, मैं आती हूँ

मैं ये सुन कर उसके बेड पर बैठ गया और उससे निहारने लग गया, हू समझ गयी की मैं उसकी नहीं सुनने वाला, उसने लूसर वाले एक्सप्रेशन दिए और बोली…

आंशिका: अह्हं अह्हं , तुम ना बहुत गंदे हो
मे: तभी तो तेरे पास गंदगी सॉफ करवाने आया हूँ मेरी जान, चल जल्दी चेंज कर कपड़े.

आंशिका अब हार मान चुकी थी, उसे पता था की मैं नहीं मानूँगा उसकी बात इसीलिए वो चुप चाप अपनी अलमीरा की तरफ गयी और एक पिंक कलर की सेक्सी सी नायेटी निकाल कर बेड पर मेरे पास रख दी, मैं उस नायेटी को छूने लगा, बड़ी कोमल थी, नायेटी को छूटे ही लंड टन गया आंशिका को छूता तो शायद झड़ ही जाता. आंशिका मिरर के सामने बैठ कर अपना मेकउप लाइट करने लगी, फिर वो उठकर मेरे पास आई और अपनी नायेटी उठा कर बाथरूम की तरफ जाने लगी, मैने उसके हाथ से नायेटी खींच ली और कहा की मेरे सामने यहीं बदल कपड़े, उसने कुछ देर मेरी आँखों मैं घूरा उसे पता था की बहस करके कोई फ़ायदा नहीं फिर चुप चाप मेरी तरफ मुँह करके उसने अपने सीने से साडी हटा दी उसकी फूली हुई छाती ब्लाउस के साथ नज़र आने लगी, मेरी नज़र उसकी छाती पर थी और उसकी मेरी आँखों पर, फिर उसने सारी पूरे शरीर से अलग करके बेड पर फेंक दी, मैने साडी उठाई और उसे सूंघने लगा, वो बोली

आंशिका: सूंघ क्या रहे हो? कुत्ते हो क्या? कुत्ते सूंघते हैं.
मे: हाँ तो कुतिया की ही तो सूंघते हैं, सूंघने से पता चल जाता है की कुतिया चुदवाने के मूड मैं है या नहीं.

आंशिका: अछा
मे: और नहीं तो क्या, देख तेरी चूत की कितनी तेज़ स्मेल आ रही है इसमें,पूरी गीली है ना चूत ?

आंशिका ये सुनकर कुछ नहीं बोली और उसने अपना ब्लाउस खोल दिया, ये देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके पास चला गया, उसे पता था अब क्या होने वाला है इसीलिए उसने खुद ही कह दिया

आंशिका: जल्दी से करना जो करना है, ज़्यादा टाइम नहीं है, माँ को शक ना हो जाए.

बस यही सुनने की देर थी, ये सुनते ही मैने आंशिका को कस कर उसकी मोटी कमर से पकड़ लिया और अपने लिप्स से उसके लिप्स लगा दिए उसने भी अपने हाथ मेरे सिर पर रखे और मेरे साथ मिलकर ज़ोर से किस करने लगी. 5 मीं बाद हम अलग हुए हुमारी साँस फूल गयी थी, वो खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उसकी मोटी मोटी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी, उसकी नज़र मेरे उपर थी और मेरी उसकी चुचियों पर, सीने से सॅडी नीचे गिरी हुई और ब्लाउस मैं से उपर नीचे होते हुई चुचियों की देखकर मैं पागल हो रहा था, मैने दोनो हाथों से उसकी चुचियों को पकड़ लिया ब्लाउस के उपर से और धीरे धीरे से दबाने लगा, आंशिका बोली – इतनी आराम से करने से कुछ नहीं होगा, अपना जुंगलिपन दिखाओ थोडा . मैने ये सुनकर उसकी दोनो चुचियों को ज़ोर से भीच लिया अपनी मुट्ठी मैं, पर चुचियाँ इतनी बड़ी थी की एक हाथ मैं ही नहीं आ रही थी और उपर से ब्लाउस और था, मेरी ये मुउशकिल देख कर उसने अपना ब्लाउस ओपन कर दिया और सिर्फ़ नेट वाली ब्रा मैं खड़ी हो गयी. मैं नीचे झुका और उसका नाइट निपल को ब्रा के उपर से ही मुँह मैं लेकर ज़ोर से चूसने और काटने लगा और लेफ्ट ब्रेस्ट को ज़ोर से दबाने लगा. फिर मैने उसकी लेफ्ट ब्रेस्ट को निपल को मुँह मैं लिया और काटने लगा, मैने एकदम से ज़ोर से काट दिया वो सिसक पड़ी –

आंशिका: आआआआह , पागल कहीं के, तद्पाते रहते हो, हटो अब, कपड़े बदलने दो
मे: तू कौनसा कम तडपाती है, चूसने दे ना और.

आंशिका: नहीं अब नहीं , नीचे चलो अब.
मे: नीचे कहाँ चूत पर?

आंशिका: खांआआआनाआअ खाने,
मे: तेरी चूत गीली है ना?

आंशिका: हाँ है तो
मे: मुझे सुखाने दे उसे अपनी जीभ से.

आंशिका: तुम जा रहे हो या नहीं जा रहे नीचे? मुझे अब कपड़े बदलने दो, तुम नीचे जाओ
मे: तो बदल ले, मैं कौनसा तेर्को चोद रहा हूँ.

आंशिका: नहीं पूरे नहीं बदलूँगी तुम्हारे सामने, तुम भूखे शेर की तरह टूट पड़ोगे
मे: तेरा भी तो यही मन है की मैं तेरे उपर बस टूट पड़ून, है ना? सच सच बताएओ

आंशिका : सिर्फ़ मन होने से कुछ नहीं होता, सही जगह और समय भी होना चाहिए
मे: मेरी जान जब लंड खड़ा हो और जब चूत गीली हो तो वही सही जगह और टाइम है.

आंशिका: अछा, तुम्हारा क्या है, तुम्हारा तो हर वक़्त खड़ा रहता है
मे: तू इसके बारे मैं हर वक़्त सोचती है तभी खड़ा रहता है

आंशिका: ओहो, अब नीचे जाओ ना प्लीस , मुझे कपड़े बदलने दो, अगर ऐसे परेशन करते रहे ना तो देख लेना अछा नहीं होगा, मुझे खो दोगे तुम.
मे: अछा तेर्को लगता है की तू मेरे से अलग हो पाएगी? तेरे अन्दर की हवस को तो मैने एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर मैं ही देख लिया था, तभी तो तेरा नंबर माँगा था क्यूंकी मुझे पता था तू देगी ज़रूर, तेरी आँखों से तेरी चूत का हाल पता चल रहा था.

आंशिका: हाँ तुम तो बहुत ज्ञानी हो(ब्लाउस बंद करते हुए) अब नीचे जाओ प्लीस इट'स ऐ हंबल रिक्वेस्ट
मे: अछा जाता हूँ ना, और सुन, ब्रा मत पहनीओ नायेटी के नीचे

आंशिका: हाँ ठीक है बाबा, अब जाओ प्लीस

मैने फिर आंशिका की बात मान ली और चुप चाप रूम से बाहर चला गया और नीचे डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया, तभी उसकी मों अन्दर किचन मैं से आई और मुझसे पूछा –

आंटी: बेटा आंशिका कहाँ है?
मे: आंटी मेम ने कहा था की वो अभी आ रही है क्लोथ्स चेंज कर के और में नीचे आकर बैठ जाऊ

आंटी: हे भगवान, इस लड़की ने अभी तक कपड़े भी नहीं बदले, कोई काम समय से करती ही नहीं, यहाँ खाना ठंडा हो रहा है
मे: (मैने मन मैं कहा – और वहाँ हम गरम हो रहे थे.) आंटी मेम कह रही थी की वो बस 5 मीं मैं आ रही हैं.

आंटी: चलो बेटा तब तक तुम खाना स्टार्ट करो, वरना तुम्हारा भी कहाँ ठंडा हो जाएगा.
मे: कोई बात नहीं आंटी,साथ मैं ही स्टार्ट करेंगे, आप भी अपना लगा लीजिए ना.

आंटी: बेटा मैं तो खा चुकी, आंशिका ने बोला था की उसका और तुम्हारा खाना बनके रखे तो बस तुम लोगों का ही वेट था.
मे: ओक

मुझे नहीं पता था की आंशिका ने पहले से ही घर बुलाने का प्रोग्राम सोच रखा था, वो तो मुझे आंटी के मुँह से पता चला, मैं मन ही मन खुश हो गया की कहीं इसने आज अपनी चूत देने का भी तो प्लान नहीं बना रखा, कॉंडम तो था ही मेरे वॉलेट मैं. अब तो इसके घर भी आसानी से आ जाया करूँगा क्यूंकी अब तो इसकी मों ने भी मुझे देख लिया है आंड शी नोस देट आई एम् हर स्टूडेंट. तभी आंशिका उपर से नीचे उतर तक आई.

आंटी: कहाँ रह गयी थी तू, इस बेचारे का खाना भी ठंडा करवा दिया तूने,.
आंशिका : अरे मा कपड़े बदल रही थी और हाथ मुँह धो रही थी इसी मैं टाइम लग गया.
आंटी: इतना टाइम लगता है
आंशिका: (मेरी तरफ देखते हुए) इसे घर भी तो दिखा रही थी ना.

आंटी: बैठ अब, दुबारा खाना गरम करना पड़ेगा.
आंशिका: हाँ हम बैठे हैं आप गरम कर लो

आंटी: ले तू तब तक खीरा काट ले
आंशिका: दो.

आंशिका मेरी साथ वाली सीट पर बैठ गयी, उसके हाथ मैं खीरा और नाइफ था. मेरी तरफ नाइफ करके बोली

आंशिका: तुम्हारा ना खून करने का मन कर रहा है मेरा, बेकार मैं डांट पड़वा दी.
मे: अछा एक बात बताओ , इस डांट के आगे वो मज़ा ज़्यादा अछा नहीं था, सच सच बताएओ.

आंशिका: (सोचते हुए) ह..हा…..हाँ तो कभी और भी कर सकते थे.
मे: तू कभी सही जगह मिलती ही नहीं

आंशिका: (मेरी तरफ से एकदम से मुँह हटाते हुए) रहने दो तुम.

उसके यह बोलते ही मैने झटके से साइड से उसकी राईट चुचि नाईटी के उपर से दबा दी ज़ोर से. मेरी इस हरकत पर वो मुझे घूर के देखने लगी और कहने लगी –
क्रमशः.....................











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Raj Sharma

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