Thursday, October 4, 2012

सेक्सी कहानियाँ लवली फ़ोन सेक्स --14

 
हिंदी सेक्सी कहानियाँ

लवली फ़ोन सेक्स --14

गतांक से आगे ...........
मैने उस पार्किंग मैं बाईक खड़ी करी और आंशिका को लेकर उस पंडाल के पीछे चला गया, पंडाल के ठीक पीछे सेंटर मैं केटरिंग वाले बैठे थे, पीछे एक बहुत लंबी दीवार थी जो पार्क की बौंड्री थी, कॉर्नर से वो दीवार टूटी हुई थी जिससे आसानी से पार्क मैं जाया जा सकता था. मैने आंशिका का हाथ पकड़ा और उसे उस दीवार के पीछे ले गया, पीछे जाके देखा तो गांड फट गयी. पूरा पार्क सुनसान पड़ा था और कोई ऐसी जगह नहीं थी की जहाँ छिप के आराम से हम कुछ कर सकें, मैने पार्क मैं नज़र दौड़ाई, तभी मुझे अपने एक्सट्रीम लेफ्ट पर एक बाथरूम दिखा, मैने आंशिका को लेकर उस तरफ जाने लगा, वो डरे जा रही थी और कह रही थी – वहाँ कोई हुआ तो? रात को पार्क मैं अफ़ीमची घूमते रहते हैं, प्लीज़ कहीं और चलो. पर मेरे कानों मैं तो लंड घुसा हुआ था, मैं उसी तरफ जाने लगा, वहाँ पहुंचकर मैने देखा की बाथरूम के पास काफ़ी गंदगी थी और वहाँ पर किसी के आने का डर भी था, पर उस बाथरूम के ठीक पीछे एक काफ़ी उँची दीवार थी जिसके पीछे घर थे और स्ट्रीट लाइट जली हुई थी. मैं उस बाथरूम के पीछे गया, वहाँ पीछे काफ़ी स्पेस था और सुनसान भी था अगर कोई उस तरफ आता भी तो वो बाथरूम करके वापस चला जाता उसके पीछे नहीं आता, और लकिली पीछे काफ़ी लाइट भी थी उस स्ट्रीट लाइट की वजह से. मैं और आंशिका बाथरूम के पीछे और उस उँची दीवार की बीच मैं थे. वो चुपचाप खड़ी थी, उसके होंठ काँप रहे थे शायद डर के मारे, मैने उसे उपर से नीचे देखा, साली मस्त लग रही थी, मेरा लंड टन के टाईट हो गया एकद्ूम. उसना अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया नाराज़गी से, मैने कहा क्या हुआ?

आंशिका: रहने दो तुम
मे: आओ न प्लीज़

आंशिका: जब से मिले हो तब से फूटे मुंह तारीफ़ भी नहीं करी गयी की कैसी लग रही हूँ.
मे: ओह सॉरी जान, यार मैं तब से सोच रहा हूँ की कौनसा वर्ड सही रहेगा तुम्हारे लिए, सेक्सी, ब'फूल वगेरह वगेरह तो काफ़ी छोटे हैं तुम्हारे सामने.

ये सुनते ही उसके फेस पर वोही कातिल स्माइल आ गयी, और वो मेरे से गले लग गये, मैने अपने हाथ उसकी मोटी कमर पर रखे और फिर नीचे ले गया उसकी गांड पर, क्या मस्त गांड थी, उसकी गांड पर मैं हाथ फिरने लगा, और धीरे धीरे दबाने लगा. वो मुझसे पीछे हटी, मेरी आँखों मैं आँखें डाली और उपर होकर मेरे होठों से अपने होंठ मिला दिए, मैने वहीं उसकी कमर पकड़ ली कस के और अपने लिप्स से उसके लिप्स पकड़ लिए और उसे ज़ोर से किस करने लगा, मैंने अपनी टंग बाहर निकाली और उसके लिप्स को चाटने लगा. मैने उसे धक्का देते हुए, बाथरूम की दीवार से लगा दिया और उसे चिपक कर फिर से उसको किस करने लगा, वो आहं, अह्ह्ह , आ,एम्म्म की आवाज़ें निकल रही थी. 5मीं तक मैने उसे किस करता रहा, हुमारे लिप्स पूरे गीले हो गये एक दूसरे के सलाइवा से. मैं अपने हाथ से उसके चीक्स को भींचा जिससे उसका मुँह खुल गया और उका मुँह अपने मुँह के नीचे कर के उसमें थूक दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर मैं उसके मुँह मैं जीभ डाल डाल कर चाटने लगा.

आंशिका: विशाल प्लीज़ आराम से, कपड़े खराब हो जाएँगे.

मैने उसके पूरे लिप्स को और उसके मुंह को अच्छी तरह सक और लीक कर चूका था, वो दीवार से चिपकी हुई और ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी, उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी, मैने आगे बढ़कर उसकी दोनो चुचियों पर हाथ रखा और उन्हे धीरे से दबाया. और अपने हाथों की पोज़िशन बदल बदल कर उसकी दोनो चुचियों को धीरे धीरे दबाने लगा, मैने उसकी सारी का पल्लू हटाया एक दम से
आंशिका: विशाल प्लीज़, आराम से, कपड़े मत खराब करो, रूको मैं खोलती हूँ

और वो अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी, तभी मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और उसके ब्लाउस के उपर ही दोनो चुचियों को पकड़ कर फिर से फील करने लगा धीरे धीरे, वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मैने अपने हाथ उसकी चुचियों पर ही रहने दिए जिससे वो भी उनके साथ उपर नीचे होने लगे.

आंशिका: विशाल प्लीज़ दबाओ ना इन्हे
मे: खोल ब्लाउस

अंशिका ने आराम से अपने ब्लोसे के बटन खोले और ब्लाउस को थोडा पीछे कर दिया, उसने नेट वाली ब्रा पहनी हुई जैसा मैने उसे कहा था. उसकी चुचियाँ देख कर मैं पागल हो गया, मुझे समझ मैं नहीं आया मैं क्या करूँ. मैने उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा ब्रा के उपर से ही, और ज़ोर से दबाने लगा. मैने उसके निप्पल को आगे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचने लगा. मैं नीचे झुका और उसके निपल को ब्रा समेत मुँह मैं भर ज़ोर से काटने लगा

आंशिका: अया, पागल हो गये हो क्याअ???/// एयेए, अरे आराम से करो प्लीज़

आंशिका: विशाल प्लीज़, जानवर मत बनो, आआअहह, आउच, छोड़ूऊऊऊओ, प्लीज़ विशाल दर्द हो रहा है . अहह

मैं काटता रहा .... आहा, उसने पूरे ज़ोर से मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया और मैं भी हट गया...वो बोली... आराम से.
उसके निपल्स मैं दर्द हो रहा था बहुत,उसकी आँखों मैं आंसू आ गये थे, वो अपने निपल्स पर आराम से हाथ फिरते हुए बोली

आंशिका: पागल हो क्या? आराम से नहीं कर सकते, जान निकल दी. दर्द हो रहा है बहुत.
मे: अच्छा ब्रा खोल, अभी चूस के दर्द कम कर देता हूँ.

उसने अपना मुँह बातरूम की दीवार की तरफ कर लिया

आंशिका: लो खोलो, और ब्लाउस मत निकालना प्लीज़.

मैंने आगे बढ़ कर उसका ब्लाउस उपर करा और उसकी ब्रा के हुक्स ढूंड कर उन्हे खोल दिया. और मैने ब्रा उतारकर नीचे गिरा दी.. मैने पीछे से साइड से हाथ निकल कर उसकी दोनो चुचियाँ पकड़ ली.
अहाआ ............मज़ा आ गया, इतनी सॉफ्ट चीज़ आज तक हाथों मैं नहीं आई, मैने दोंनो चुचियों को कस कर पकड़ लिया और लंड उसकी गांड पर सेट करके उसे दीवार से भींच दिया और ऐसे ही धक्के मारने लगा उसकी गांड पर और उसकी चुचियों को दबाने लगा

आंशिका: आ आ एयेए एयेए, आहह आराम से.

मैने एक मिनट रुका और अपना लंड बाहर निकल लिया और उसे अपनी तरफ घुमाया उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

आंशिका: इसे क्यूँ बाहर निकाला?
मे: चूत के लिए मना करा था , लंड के लिए नहीं, इसे सहला अब चल
और वो मेरा लंड सहलाने लगी.
मैने उसकी दोनो चुचियों को हाथ मैं पकड़ लिया, दोनो इतनी बड़ी थी की हाथ मैं आ ही नहीं रही थी. मैं नीचे हुए और उसको ब्रेस्ट पर किस करा धीरे से दोनो पर, फिर मैने उसके निपल्स पर किस करा, और अपनी जीभ निकल कर उसकी पूरी ब्रेस्ट पर फेराई . और जीभ से उसके निपल चाटे , फिर मैने उसका निपल मुँह मैं भर लिया और उसे सक करने लगा. उसका निप्पल एक दम लंड की तरह टाईट हो गया था और ब्रेस्ट भी हार्ड हो गयी थी. मैं बारी बारी दोनो निपल सक करने लगा. वो मेरा लंड सहला रही थी धीरे धीरे, उसके नरम हाथ मेरे लंड पर, और उसके निपल मेरे मुँह मैं मेरे से रहा नहीं गया और मैं झड गया एक दम से. उसकी साडी पर मेरा सारा लेस गिरा,

आंशिका: ये क्या करा, दाग ना पद जाए कोई.

मेर्को इतना मज़ा कभी नहीं आया था. मेरी नशे से आँखें बंद थी, मैने फिर से उसकी ब्रेस्ट सक करनी शुरू करी और मेरा लंड फिर टन गया. और वो फिर सहलाने लगी.. मैने अब उसकी ब्रेस्ट को सक करना बंद करा और उसको अपना लंड चूसने को कहा.

आंशिका: नहीं विशाल, प्लीज़, आज नहीं ये सब. फिर कभी.

मैं उसकी एक ना सुनते हुए, उसके कंधो पर ज़ोर लगा कर उसे नीचे की तरफ धक्का देता रहा. वो नीचे बैठ ही गयी और ठीक मेरे लंड के सामने उसका मुँह आ गया, उसकी गरम गरम साँसे मेरे लंड पर पढ़ रही थी, उसने मेरे लंड पर धीरे धीरे किस करना स्टार्ट कर, उसके नरम नरम होंठ मेरे टाइट लंड पर मुझे पागल बना रहे थे. उसने मेरी बॉल्स पर भी किस करा, मेरा प्री कम आ गया था, उसने उसे जीभ से छठा और साफ़ किया और मुझसे हंसते हुए बोली,

आंशिका: टेस्टी हो तुम बहुत.

ये बोलते ही उसने मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया

मे: आहह, साली क्या कर रही है, मर जाऊंगा . अहह. चूस इसे अच्छी तरह.
आंशिका: एम्म्म म्*म्म्मम आहह, काफ़ी टाइट है और टेस्टी भी. मज़ा आ रहा है तुम्हे?

मे: पूछ मत बस, चुस्ती रह.
आंशिका: एम्म्म एम्म्म एम्म म म

वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूस रही थी, और बीच बीच मैं मेरा लंड अपने मुंह मैं रख कर उसे अंदर ही जीभ से चाट रही थी. उसकी ये हरकत मुझे पागल कर रही थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हो जाया रहा था, मेरी लेग्स बहुत वीक हो रही थी. पर लेटता भी तो कहाँ, वो मेरे लंड को धीरे धीरे चूसे जा रही थी और मैं अपना मुँह दीवार पर हाथ के सहारे रख कर मज़े ले रहा. उसने बस 5 मिनट और ही चूसा होगा की मैं फिर झड़ गया उसके मुँह मैं और वो गटक गटक कर सारा लेस पी गयी, मैं तो कुछ होश मैं ही नहीं था की वो कब पी गयी , हम 5 मीं शांत रहे उसकी भी साँस फूल रही थी, वो खड़ी हुई और अपना मुंह सॉफ करने लगी, जिस पर थोडा सा लेस लगा था और थूक भी, मैने उसकी सारी के उपर से उसकी चूत पर हाथ रखा, उसने मेरा हाथ हटा दिया, मैने फिर रखा और अंदर की तरफ दबा दिया,

आंशिका: एयेए, विशाल नहीं, आज नहीं. प्लीज़
मे: बस 5 मीं, मुझे देखनी है और एक किस करूँगा बस, प्लीज़.

मैं उसकी सारी मैं हाथ डाल कर उसकी सारी उपर उठाने लगा, तभी उसका सेल बजा

आंशिका: हेलो, हाँ मम्मी

आंशिका: हाँ निकल चुके हैं, रास्ते मैं हूँ आ गयी बस 10 मीं.

(फोन कट)

आंशिका: विशाल चलो, अब बहुत देर हो गयी है, 12:15 हो गये हैं, मुझे कल स्कूल भी जाना है, प्लीज़ चलो

मैने टाइम देखा, सच मैं बहुत लेट हो गये थे, मेरा मन तो नहीं था जाने का अभी, पर मजबूरी थी तो मैने मन मार कर कहा – चलो.

उसने कपड़े ठीक करे और मैने भी, मेरा लंड अभी साला खड़े होने की फिराक में था, पर मैने जैसे तैसे कंट्रोल करा और उसे खड़ा नहीं होने दिया, आंशिका ने अपने कपड़े ठीक कर लिए और मैने भी. वो मेर्को देखने लगी और सेक्सी स्माइल पास करने लगी, मुझसे रहा नहीं गया और मैने आगे बढ़ कर फिर से किस कर लिया उसे. वो भी मुझे ज़ोर ज़ोर से किस कर रही थी. फिर हम अलग हुए और चलने की तय्यरी करने लगी. जैसे ही हम बाथरूम की दीवार के पीछे से आए, हमने सामने 2 – 3 लड़कों को आता देखा, वो शायद किसी शादी मैं आए हुए थे यहीं कहीं, वो हमारी तरफ ही आ रहे थे, उन्हे देख कर आंशिका डर गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मुझे भी थोडा डर लग रहा था. वो धीरे धीरे हमारे करीब आ रहे थे, आंशिका सिर झुका कर और मेरे हाथ कस कर पकड़ कर चल रही थी, जैसे ही वो हुमारे करीब आए, उनमे से एक बंदा मुझसे बोला..

गाइ: बॉस, बाथरूम खुला है क्या?
क्रमशः.....................










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