मेरी चार ममिया---1
ठंडी ठंडी हवा मेरे चेहरे को छू कर बह रही थी. मेने जब
अपनी नानी के घर मे कदम रखा तो मेरा मन मचल रहा था. में
कई सालों के बाद अपनी नानी के घर आ रहा था. मेरी नानी पंजाब
एक छोटे गाओं मे रहती थी.
मेरा नाम राज है, उमरा 20 साल लंबाई 5'9इंच है. मेने हाल ही मे
अपना ग्रॅजुयेशन पूरा किया और छुट्टियाँ बिताने मेरी नानी के घर
पहुँच गया.
मेरे पाँच मामा है. मेरे चार मामा साथ मे ही अपने परिवार के साथ
नानी के घर मे रहते है और मेरे पाँचवे मामा जिनकी अभी अभी
शादी हुई है दूसरे सहर मे रहते है.
मारी चारों ममियाँ इतनी सुंदर तो नही है पर फिर भी काफ़ी अच्छी
लगती है. मेरी चारों ममिया उम्र मे काफ़ी पुरानी नही है. सभी की शादी
एक साल के अंतराल मे अभी अभी हुई है. सबसे बड़ी मामी 25 साल की
है मुझसे ठीक 5 साल बड़ी, और सबसे छोटी मामी मुझसे एक साल
बड़ी है.
में आपको मेरी सभी मामी से परिचय करवा दूं. सबसे बड़ी अनिता
25 साल की, कंगन 24 साल, तीसरी सिमरन 22 साल की और सबसे छोटी
मोना 21 साल की.
सभी मामा के अपने अपने मकान थे. उन सभी के घर पास पास थे.
में 5 साल के बाद अपनी नानी के गाओं जा रहा था, इसलिए में उनके
लिए नया था. चारों ममिया अपने अपने तरीके से मुझे खुश रखने
की कोशिस करती रही. में दो दिन किसी के यहाँ रहता तो दो दिन किसी
के यहाँ. सुबकुछ ठीक चल रहा था.
एक दिन की बात है जब में कंगन मामी के यहाँ ठहरा हुआ था
सुबह में थोड़ी देर से सोकर उठा. ममाजी काम पर चले गये थे
और उनकी तीन साल की लड़की सो रही थी. मामी को जिस अवस्था में
मेने देखा वो देख कर मेरे शरीर मे सरसरी सी दौड़ गयी. वैसे
गाओं की औरतें घर के काम करते वक़्त अपनी सारी को उपर कर बाँध
लेती है ताकि वो गीली या गंदी ना हो. कंगन मामी ने भी अपनी
सारी को घूटनो के उपर कर रखी थी और उनकी आधी जंघे सॉफ
दीखाई दे रही थी. वो झुक कर कमरे मे झाड़ू लगा रही थी. उनके
ढीले ढाले ब्लाउस से उनकी चुचियाँ सॉफ फुदक्ति नज़र आ रही
थी.
"गुड मॉर्निंग, राज कितना सोते हो? घड़ी देखी टाइम क्या टाइम हुआ है.
अब जल्दी से जाकर नहा लो नाश्ता तय्यार है." ममीज़ी ने कहा.
"ममाजी कहाँ है?" मेने पूछा.
"वो तो सुबह ही काम पर चले गये थे. और वो तो रात को लेट आने
की कह गये है." मामी के शब्दों मे थोड़ी खिज थी मामा के देर
से आने की.
मेने बाथरूम मे जाकर स्नान किया और फिर नाश्ता करने के बाद सोफे
पर बैठ टी.वी पर ह्बो देखने लगा. कंगन मामी किचन की सफाई कर
रही ती. तभी मामीजी ने मुझे आवाज़ डी.
में किचन मे आया तो देखा कि मामीजी उपर की शेल्फ से कुछ
उतारने की कोशिश कर रही है. उनका पूरा शरीर पसीने से भीगा
हुआ था. चेहरे पर भी पसीने की बूंदे सॉफ दीख रही थी.
पहले में आपको कंगन मामी के बारे मे बता दूं. मामी का रंग
काफ़ी गोरा है पर लंबाई मुझसे काफ़ी कम है. मेरी हाइट जहाँ 5'9
है वहीं उनकी 5'4 है. उनका शरीर एकदम दूधिया रंग का है काफ़ी
चिकना और बालों रहित.
जब पहली बार मुझे मामी कह कर उनसे मिलाया गया था तो में चौंक
पड़ा था. मामी मामा के मुक़ाबले पतली और छोटी थी. गोल चेहरा,
नीली आँखे और पतले पतले गुलाबी होंठ. उनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी
तो नही पर भारी भारी है. उनके ब्लाउस मे वो पूरी नही समाती और
जब भी वो अपने हाथ उठती तो ऐसा लगता कि अभी उछल कर बाहर को
आ जाएँगी.
"क्या तुम मुझे थोड़ा उप्पर को उठा दोगे ताकि में ये आटे का डिब्बा
उतार सकूँ." कंगन मामी ने कहा.
कंगन मामी की बात सुनकर में चौंक पड़ा. हमारी भारतिया
सभ्यता मे कोई भी औरत किसी पराए मर्द को अपने बदन को हाथ तक
लगाने नही देती और यहाँ मेरी मामी मुझे उसे अपनी गोद मे उठाने
को कह रही है.
"राज.....क्या सोच रहे हो? जल्दी से मुझे कमर से पकड़ कर उठाओ,
पर मेरा वजन तो संभाल लोगे ने." मामी ने कहा.
"वैसा कितना वजन है आपका?" मेने मुस्कुराते हुए पूछा.
"डरो मत 50 किलो से ज़्यादा नही है." मामी ने भी मुस्कुराते हुए
जवाब दिया.
"तब ठीक है, संभाल लूँगा." इतना कहकर मेने उनकी सारी
से धकि जाँघो से पकड़ा और और उन्हे उपर उठा लिया. 'हे भगवान'
उनके बदन से उठती महक पा तो मेरे हाथ काँपने लगे.
अचानक मेरे हाथ काँपे और फिसल गये लेकिन मेने अपने आपको
तूरंत संभाला और फिर उन्हे पकड़ लिया किंतु जाँघो से नही बल्कि
मेरा हाथ उनकी जाँघो के बीच था.
जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर उनकी जाँघो के बीच छुआ मामी ने
घबरा कर आटे का डिब्बा छोड़ दिया. डिब्बे का ढक्कन खुल गया और
सारा आटा मेरे और मामीजी के उपर गिर गया. हम दोनो तो आटे
से नहा गये. मेने मामीजी को छोड़ दिया और वो अपने पावं पर ज़मीन
पर खड़ी हो गयी.
जब हम दोनो ने एक दूसरे को इस हालात मे देखा तो दोनो ही हँसने
लगे.
"प्लीज़ माफ़ कर देना राज मेने जान बुझ कर नही किया." मामी
मुझसे कह रही थी. "ये सब मेरी ही ग़लती है, लाओ में खुद
तुम्हे सॉफ कर देती हूँ."
इसके पहले कि में कुछ कहता कंगन मामी मेरा हाथ पकड़ मुझे
बाथरूम मे ले गयी. मामी ने पानी की नल खोल दी और मेरी टी-शर्ट
मेरे सर से उपर कर उतार दी. फिर जैसे ही वो मेरी शॉर्ट्स उतारने
लगी में थोड़ा पीछे को खिसक गया.
"अरे....इसमे शरमाने की क्या बात है आख़िर में तुम्हारी मामी
हूँ." कहकर मामी ने मेरा हाथ हटाते हुए मेरी शॉर्ट्स नीचे
खिसका दी. में मामी के सामने सिर्फ़ अंडरवेर पहने खड़ा था.
"अब नहा कर अपने बदन को सॉफ कर लो." मामी ने शवर चालू करते
हुए कहा.
में अपने बदन को पानी से सॉफ कर ही रहा था कि मामी ने
वो किया जो में कभी सोच भी नही सकता. मेरे सामने ही बाथरूम मे
मामी अपने कपड़े उतारने लगी.
मामी ने पहले तो आटे से भरी अपनी सारी झड़काई, फिर अपनी कमर
से निकाल कर उतार दी. लाल रंग के ब्लाउस के नीचे काली ब्रा मे
क़ैद उनकी चुचियाँ मुझे सॉफ दीखाई दे रही थी.
कंगन मामी ने एक कत्थई रंग का पेटिकोट पहन रखा था. मामी ने
एक ही झटके मे पेटिकोट का नाडा खींचा और उसे अपने पैरों मे गिर
जाने दिया. उनकी पॅंटी इतनी टाइट थी कि चूत का बाहरी हिस्सा
दीखाई दे रहा था. फिर उन्होने अपने ब्लाउस के बटन खोल कर
उतार दिया और फिर अपनी ब्रा का हुक खोल उसे भी उतार दिया. अब
उनको दोनो भारी भारी चुचियाँ आज़ाद थी.
उम्म्म क्या भारी भारी चुचियाँ थी मामी की. मामी ने अपनी पॅंटी
नही उतारी और बिना मेरी परवाह करते हुए माग्गे मे पानी भर अपने
शरीर पर डालने लगी.
मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी थी. अपनी 24 वर्षीया कंगन
मामी की इस अर्ध नग्न अवस्था मे देख मेरी ज़ुबान सुख रही थी.
उनकी टेन्निस बाल जैसी दोनो चुचियों तन कर खड़ी थी. निपल की
घुंडी एक दम कत्थई रंग थी. पानी उपर से नीचे होते हुए उनकी
जाँघो और टाँगों पर गिर रहा था. मामी की पॅंटी पूरी तरह भीग
चुकी थी और उनकी काली झाँटे दीख रही थी.
मामी ने अपने एक हाथ मे साबुन लिया और एक कातिल मुस्कान के साथ
मेरी छाती पर सबून मलने लगी. जब वो साबुन घस्ती तो साथ साथ
उनकी चुचियाँ भी किसी घड़ी के पेंडुलम की तरह इधर से उधर
डॅन्स करने लगती. ना तो वो कुछ कह रही थी ना में कुछ कह पा
रहा था.
मेरी छाती पर अच्छी तरह साबुन लगाने के बाद मेरे हाथ मे सबून
देते हुए बोली, "राज ज़रा मेरी पीठ पर साबून लगा दो."
मामी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी. उनके दूधिया चूतड़
पॅंटी से एक दम चिपक कर जान लेवा नज़ारा पेश कर रहे थे. में
साबून उनकी पीठ पर घसने लगा.
"म्म्म्मम" मामी सिसकने लगी और कहने लगी, "राज थोड़ा साबून नीचे
भी घसो ना."
में अपने हाथ नीचे कर साबून उसकी जाँघो पर मसल्ने लगा.
जाँघो से जैसे ही मेने अपना हाथ उनकी जाँघो के बीच मे डालना
चाहा उन्होने मुझे रोक दिया.
"अभी नही राज." कहकर उन्होने पानी से अपने शरीर को धोया
और खूँटि से तोलिया उठा अपने बदन को पौंच्छने लगी. "जल्दी से
नहा कर बाहर आ जाओ." इतना कह मामी ने अपनी गीली पॅंटी उतार दी
और बाथरूम के कौने मे फैंक दी.
उनके नंगे चूतड़ ग़ज़ब ढा रहे थे. मामी अब पूरी नंगी मेरे
सामने खड़ी थी. जैसे कुछ हुआ ही ना हो वो अपने बालों को टवल से
पौन्छ्ते हुए बाथरूम से बाहर चली गयी.
सहरों की तरह गाओं मे अटॅच्ड बाथरूम नही बना हुआ था.
बाथरूम घर के पीछले हिस्से मे था और मामी का कमरा करीब 15
फीट की दूरी पर था. मामी नंगी ही अपने कमरे की ओर बढ़ गयी.
मामी के चूतडो और पीठ पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह
चमक रही थी. मामी अपने बेडरूम मे घूस गयी और मुझे जल्दी से
बाहर आने को कहा.
मामी के मुड़ते ही मेरी नज़र बाथरूम के कौने मे पड़ी कंगन मामी
की पॅंटी पर पड़ी. मेने पॅंटी को उठाया और सूंघने लगा. भीनी
भीनी चूत की खुसबु उस पॅंटी से आ रही औट में मदहोश होकर
और जोरों से सूंघने लगा. मुझे पता नही में कितनी देर तक ऐसे
ही करता रहा.
"तुम ऐसा ही कुछ करोगे मुझे पता था."
मामी की आवाज़ सुनकर में चौंक गया और झेंप कर पॅंटी नीचे
फैंक दी. मामी एक सफेद रंग की ब्रा और हरे रंग की पॅंटी पहन
बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी.
बहुत ध्यान से देखने के बाद मालूम हुआ कि मामी ने इतने पतले
कपड़े की नाइटी पहन रखी थी यही लगता था कि ब्रा और पॅंटी के
उप्पर कुछ नही पहना हुआ.
इतना कहकर मामी वापस घर मे चली गयी. मेने भी टवल से अपने
बदन को पौंच्छा और एक नयी टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली. में अपने
बालों का पानी टवल से पौंच्छ रहा था कि मामी फिर से मेरे पास
आई.
"राज कुछ नाश्ता करोगे?" मामी ने पूछा.
में तो मामी की सुंदरता और उनके गोरे बदन मे इतना खोया हुआ था
कि मेने कोई जवाब नही दिया.
मुझे खामोश देख मामी ने कहा, "क्या बात है राज, इसके पहले किसी
लड़की या औरत को नंगा नही देखा है क्या?"
"नही" मेने धीरे से कहा."
तो इसका मतलब है तुमने अभी तक किसी को चोदा भी नही है." मामी
ने मुस्कुराते हुए पूछा.
"नही मामीजी" मेने शरमाते हुए कहा.
"घबराओ मत चिंता कोई बात नही है, में तुम्हे सब सीखा
दूँगी." कंगन मामी इतना कह हँसने लगी.
"आप भी मामीजी....." में इतना ही कह पाया.
"इसमे शरमाने वाली क्या बात है राज.....आख़िर में तुम्हारी मामी
हूँ. अगर ज़िंदगी की इतनी ज़रूरी बाते अगर में तुम्हे सीखा
दूँगी तो हर्ज़ ही क्या है. में पहले किचिन का काम ख़त्म कर लूँ
फिर तुम्हे बताउन्गि कि ये सब कैसे होता है." कंगन मामी इतना कह
चली गयी.
मामी की बातें सुन मेरी साँसे तेज हो गयी थी साथ ही पूरे बदन
मे एक नया रोमांच सा भर गया था. अगले एक घंटे तक मे ये सोचता
रहा कि पता नही मामी मुझे क्या क्या और किस तरह सिखाएँगी.
जब कंगन मामी ने अपना रसोई का सारा काम ख़त्म कर लिया तो उन्होने
अपने कमरे से मुझे आवाज़ दी. में उनके कमरे मे पहुँचा.
"आ इधर आ मेरे पास बैठ." मामी पलंग पर अपने बगल की जगह
को थपथपाते हुए कहा.
में जाकर उनके बगल मे बैठ गया.
क्रमशः..............................
Meri Chaar Mamiya
Thandi thandi hawa mere chehre ko chu kar beh rahi thi. Meine jab
apni Nani ke ghar me kadam rakha to mera man machal raha tha. Mein
kai saalon ke baad apni Nani ke ghar aa raha tha. Meri naani Punjab
ek chote gaon me rehti thi.
Mera naam Raj hai, umra 20 saal lambai 5'9inch hai. Meine haal hi me
apna graduation pura kiya aur chuttiyaon bitane meri nani ke ghar
pahunch gaya.
Mere panch mama hai. Mere char mama sath me hi apne parivar ke sath
nani ke ghar me rehte hai aur mere paanchve mama jinki abhi abhi
shaadi hui hai dusre sehar me rehte hai.
Mari charon mamiyan itni sunder to nahi hai par phir bhi kafi acchi
lagti hai. Meri charon mamiya kafi purani nahi hai. Sabhi ki shaadi
ek saal ke antaral me abhi abhi hui hai. Sabse badi mami 25 saal ki
hai mujhse thik 5 saal badi, aur sabse choti mami mujhse ek saal
badi hai.
Mein aapko meri sabhi mami se parichay karva dun. Sabse badi Anita
25 saal ki, Kangan 24 saal, teesri Simran 22 saal ki aur sabse choti
Mona 21 saal ki.
Sabhi mama ke apne apne makaan the. Un sabhi ke ghar paas paas the.
Mein 5 saal ke baad apni nani ke gaon jaa raha tha, isliye mein unke
liye naya tha. Charon mamiya apne apne tareeke se mujhe khush rakhne
ki koshih karti rahi. Mein do din kisi ke yahan rehta to do din kisi
ke yahan. Subkuch theek chal raha tha.
Ek din ki baat hai jab mein Kangan mami ke yahan thehra hua tha
subah mein thodi der se sokar utha. Mamaji kaam par chale gaye the
aur unki teen saal ki ladki so rahi thi. Mami ko jis avastha mein
meine dekha wo dekh kar mere sharir me sarsari si daud gayi. Waise
gaon ki aurtein ghar ke kaam karti waqt apni saree ko upar kar bandh
leti hai kosse wo geeli ya gandi na ho. Kangan mami ne bhi apni
saree ko ghootno ke upar kar rakhi thi aur unki aadhi janghe saaf
deekhai de rahi thi. Wo jhuk kar kamre me jhadoo laga rahi thi. Unke
dheele dhaale blouse se unki chuchiyan saaf fudakti nazar aa rahi
thi.
"Good morning, Raj kitna sote ho? Ghadi dekhi time kya time hua hai.
Ab jaldi se jaakar naha lo naashta tayyar hai." Mamiji ne kaha.
"Mamaji kahan hai?" meine pucha.
"Wo to subah hi kaam par chale gaye the. Aur wo to raat ko late aane
ki keh gaye hai." Maami ke shabdon me thodi khij thi mamamji ke der
se aane ki.
Meine bathroom me jakar snan kiya aur phir naashta karne ke bad sofe
par baith T.V par HBO dekhne laga. Kangan maami kitchen ki safai kar
rahi ti. Tabhi Maamiji ne mujhe awaaz dee.
Mein kitchen me aaya to dekha ki maamiji upar ki shelf se kuch
uttarne ki koshish kar rahi hai. Unka pura sharir paseene se bheega
hua tha. Chehre par bhi paseene ki boonde saaf deekh rahi thi.
Pehle mein aapko kangan mami ke bare me bata doon. Maami ka rang
kafi gora hai par lambai mujhse kafi kam hai. Meri height jahan 5'9
hai wahin unki 5'4 hai. Unka sharir ekdam doodhiya rang ka hai kafi
chikna aur balon rahit.
Jab pehli bar mujhe maami khekar unse milaya gaya tha to mein chaunk
pada tha. Maami mamaji ke mukable patli aur choti thi. Gol chehra,
neeli aankhe aur patle patle gulabi honth. Unki chuchiyan kfi badi
to nahi par bhari bhari hai. Unke blouse me wo puri nahi samati aur
jab bhi wo apne hath uthati to aisa lagta ki abhi uchal kar bahar ko
aa jayengi.
"Kya tum mujhe thoda uppar ko utha doge taki mein ye aate ka dibba
uttar sakun." Kangan maami ne kaha.
Kangan maami ki baat sunkar mein chaunk pada. Hamari bhartiya
sabhyata me koi bhi aurat kisi paraye mard ko apne badan ko hath tak
lagane nahi deti aur yahan meri maami mujhe use apni god me uthane
ko keh rahi hai.
"Raj.....kya soch rahe ho? Jaldi se mujhe kamar se pakad kar uthao,
par mera wajan to sambhal loge ne." mami ne kaha.
"Waisa kitna wajan hai aapka?" Meine muskurate hue pucha.
"Daro mat 50 kilo se jyada nahi hai." Maami ne bhi muskurate hue
jawab diya.
"Tab thik hai, sambhal loonga." itna kehkar meine unki saree
se dhaki jangho se pakda aur aur unhe upar utha liya. 'Hey bhagwan'
Unke badan se uthti mahak paa to mere hath kaampne lage.
Achanak mere hath kampe aur fisal gaye lekin meine apne aapko
toorant sambhala aur fir unhe pakad liya kintu jangho se nahi balki
mera hath unki jangho ke beech tha.
Jaise hi mera hath unki choot par unki jangho ke beech chua maami ne
ghabra kar aate ke dibba chod diya. Dibbe ka dhakkan khul gaya aur
sara aata mere aur maamiji ke upar gir gaye. Hum dono to geere aate
se naha gaye. Meine maamiji ko chod diya aur wo apne paon par zameen
par khadi ho gayi.
Jab hum dono ne ek doosre ko is halaat me dekha to dono hi hansne
lage.
"Please maaf kar dena Raj meine jaan bujh kar nahi kiya." Maami
mujhse keh rahi thi. "Ye sab meri hi galti hai, lao mein khud
tumhe saaf kar deti hoon."
Iske pehle ki mein kuch kehta Kangan mami mera hath pakad mujhe
bathroom me le gayi. Mami ne pani ki nal khol di aur meri t-shirt
mere sir se upar kar uttar di. Phir jaise hi wo meri shorts uttarne
lagi mein thoda peeche ko khisak gaya.
"Are....isme sharmane ki kya baat hai aakhir mein tumhari maami
hoon." kehkar maami ne mera hath hatate hue meri shorts neeche
khiska di. Mein maami ke saamne sirf underwear pehne khada tha.
"Ab naha kar apne badan ko saaf kar lo." Maami ne shower chalu karte
hue kaha.
Mein apne badan ko paani se saaf kar hi raha tha ki maami ne
wo kiya jo mein kabhi soch bhi nahi sakta. Mere samne hi bathroom me
maami apne kapde uttarne lagi.
Maami ne pehle to aate se bhari apni saree jhadkayi, phir apni kamar
se nikaal kar uttar di. Lal rang ke blouse ke neeche kaali bra me
kaid unki chuchiyan mujhe saaf deekhai de rahi thi.
Kangan maami ne ek kathai rang ka peticoat pehan rakha tha. Maami ne
ek hi jhatke me peticoat ka nada khincha aur use apne pairon me gir
jane diya. Unki panty itni tight thi ki choot ka bahari hissa
deekhai de raha tha. Phir unhone apne blouse ke button khol kar
uttar diya aur phir apni bra ka hook khol use bhi uttar diya. Ab
unko dono bhari bhari chuchiyan azaad thi.
Ummm kya bhari bhari chuchiyan thi maami ki. Maami ne apni panty
nahi uttari aur bina meri parwah karte hue maage me pani bhar apne
sharir par daalne lagi.
Mere dil ki dhadkan tej ho gayi thi. Apni 24 varshiya Kangan
maami ki is ardha nagna avashtha me dekh meri juban sukh rahi thi.
Unki tennis ball jaisi dono chuchiyon tan kar khadi. Nipple ki
ghundi ek dum kathai rang thi. Paani upar se neeche hote hue unki
jangho aur tangon par gir raha tha. Maami ki panty puri tarah bheeg
chuki thi aur unki kaali jhaante deekh rahi thi.
Maami ne apne ek hath me saabun liya aur ek kaatil muskan ke sath
meri chati par saboon malne lagi. Jab wo sabun ghasti to sath sath
unki chuchiyan bhi kisi ghadi ke pendulum ki tarah idahr se udhar
dance karne lagti. Na to wo kuch keh rahi thi na mein kuch keh paa
raha tha.
Meri chaati par achi tarah saabun lagane ke bad mere hath me saboon
dete hue boli, "Raj jara meri peeth par saboon laga do."
Maami meri taraf peeth kar ke khadi ho gayi. Unke doodhiya chootad
panty se ek dam chipak kar jaan leva nazara pesh kar rahe the. Mein
saboon unki peeth par ghasne laga.
"Mmmmm" Maami sisakne lagi aur kehne lagi, "Raj thoda saboon neeche
bhi ghaso na."
Mein apne hath neeche kar saaboon uski jaangho par masalne laga.
Jangho se jaise hi meine apna hath unki jangho ke beech me dalna
chaha unhone mujhe rok diya.
"Abhi nahi Raj." kehkar unhone paani se apne sharir ko dhoya
aur khoonti se toliya utha apne badan ko paunchne lagi. "Jaldi se
naha kar bahar aa jao." Itna keh maami ne apni geeli panty uttar di
aur bathroom ke kaune me phaink dee.
Unke nange chootad gazab dha rahe the. Maami ab puri nangi mere
samne khadi thi. Jaise kuch hua hi na ho wo apne baalon ko towel se
paunchte hue bathroom se bahar chali gayi.
Sehron ki tarah gaon me attached bathroom nahi bana hua tha.
Bathroom ghar ke peechle hisse me tha aur maami ka kamra kareeb 15
feet ki doori par tha. Maami nangi hi apne kamre ki aur badh gayi.
Maami ke chootadon aur peeth par paani ki boonde kisi moti ki tarah
chamak rahi thi. Maami apne bedroom me ghoos gayi aur mujhe jaldi se
bahar aane ko kaha.
Maami ke mudte hi meri nazar bathroom ke kaune me padi Kangan maami
ki panty par padi. Meine panty ko uthaya aur sunghne laga. Bheeni
bheeni choot ki khusbu us panty se aa rahi aut mein madhosh hokar
aur joron se sunghne laga. Mujhe pata nahi mein kitni der tak aise
hi karta raha.
"Tum aisa hi kuch karoge mujhe pata tha."
Maami ki awaaz sunkar mein chaunk gaya aur jhenp kar panty neeche
faink dee. Maami ek safed rang ki bra aur hare rang ki panty pehan
bathroom ke darwaze par khadi thi.
Bahot dhyaan se dekhne ke baad maalum hua ki maami ne itne patle
kapde ki nighty pehan rakhi thi yahi lagta tha ki bra aur panty ke
uppar kuch nahi pehana hua.
Itna kehkar mami wapas ghar me chali gayi. Meine bhi towel se apne
badan ko pauncha aur ek nayi t-shirt aur short pehan lee. Mein apne
baalon ka paani towel se paunch raha tha ki maami phir se mere paas
aayi.
"Raj kuch naashta karoge?" Maami ne pucha.
Mein to maami ki sunderta aur unke gore badan me itna khoya hua thi
ki meine koi jawab nahi diya.
Mujhe khamosh dekh maami ne kaha, "kya baat hai Raj, iske pehle kisi
ladki ya aurat ko nanga nahi dekha hai kya?"
"Nahi" meine dheere se kaha."
To iska matlab hai tumne abhi tak kisi ko choda bhi nahi hai." Maami
ne muskurate hue pucha.
"Nahi maamiji" meine sharmate hue kaha.
"Ghabrao mat chinta koi baat nahi hai, mein tumhe sab seekha
doongi." Kangan maami itna keh hansne lagi.
"Aap bhi maamiji....." mein itna hi keh paya.
"Isme sharmane wali kya baat hai Raj.....aakhir mein tumhari maami
hun. Agar zindagi ki itni jaroori baatien agar mein tumhe sikha
dooni to harz hi kya hai. Mein pehle kithchen ka kaam khatm kar loon
phir tumhe bataungi ki ye sab kaise hota hai." Kangan maami itna keh
chali gayi.
Maami ki baatein sun meri sanse tej ho gayi thi sath hi pure badan
me ek naya romanch sa bhar gaya tha. Agle ek ghante tak me ye sochta
raha ki pata nahi maami mujhe kya kya ka aur kis tarah sikhaingi.
Jab Kangan maami ne apna rasoi ka sara kaam khatm kar liya to unhone
apne kamre se mujhe awaaz dee. Mein unke kamre me pahuncha.
"Aa idhar aa mere paas baith." Maami palang par apne bagal ki jagah
ko thapthapate hue kaha.
Mein jaakar unke bagal me baith gaya.
kramashah...............
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