raj sharma stories
बलात्कार--5
गतान्क से आगे..................
रूपाली अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती थी कि कैसे कमला के ग़रीब मा-बाप ने उसको धमकाया था कि अगर किसी को इस हादसे की भनक भी पड़ गयी तो कोई उसके साथ शादी-बियाह नहीं करेगा और पूरी ज़िंदगी उसे रांड़-पातुरिया का जीवन निभाना पड़ेगा.
मा-बाप और उसकी मामी ने उसको समझाया था की अगर पंचायत बैठी, तो सॉफ सॉफ मुकर जाने में ही उसकी और खानदान की भलाई है. झूरी ने सॉफ कहा था कि अगर उसने पंचायत में कहा कि उसकी इज़्ज़त खराब हो चुकी है, तो वो पहले उसका गला काटेगा और फिर खुद फाँसी लटक जाएगा.
गुस्से से बिफरी हुई रूपाली ने समस्त चमारों को मन में गाली दी और दिल में कहा,"हराम ज़ादी…रंडी कमला."
मोतिया और सत्तू झिझक झिझक कर, अटक अटक के सबको बता रहे थे कि कैसे चंदर और रूपाली खेत में रास लीला रचा रहे थे. कालू ने 2-4 बातें और जोड़ी और कहा कि जैसे ही मालकिन की नज़रें हम पर पड़ी, उन्होने किसी को कुछ ना बताने को कहा…….सत्तू बोला,"ठकुराइन ई भी कहे रही…कि चाहो तो हमरे संग सो जाओ….मगर किसी के कछु नयी कहो…हाथ जोड़ी तुम्हरा…"
उन चारों ने अपने अपने ईष्ट देव की कसम खाई और कहा कि उन चारों ने तो तय कर लिया था कि किसी को कुछ नहीं कहेंगे…….मगर यहाँ तो मामला ही उल्टा था? ठकुराइन ने तो घबराहट में उन्ही के ऊपर उल्टा मुकद्दमा दायर कर दिया था.
सभी पंचों ने आपस में कुछ गुप-चुप सलाह मशविरा किया और गाओं के 2-3 बामन-ठाकुर और 2 चमार चोकरो को फ़ौरन खेत जा कर मौके का मुआयना करने को कहा………और कहा कि अगर कुछ भी मौके से मिले तो ले कर पंचायत वापस आ जाएँ.
सभी छोकरो को इस कार्यवाही में बड़ा मज़ा आ रहा था…..इसलिए वो बड़े अनमने मन से खेतों की ओर चल दिए.
इस दौरान सभी लोगों के बीच हलचल मची हुई थी. ठाकुर-बामनो को लग रहा था चमारों ने ना सिर्फ़ रूपाली की इज़्ज़त लूटी बल्कि अपनी छोकरी को डरा-धमका लिया है.
नीची जाती वाले रूपाली को नफ़रत से देख के सोच रहे थे कोई अपनी हवस के लिए इतना गिर सकता है क्या? उन्हें लग रहा था रूपाली ने उनके समाज के चार प्रतिस्थित बुज़ुर्गों पे प्रहार किया है.
एक ठाकुर घर से कुछ औरतें चाय लेकर आई और उन्होने सभी पंचों को चाय दे दी. मिश्रा जी, रणबीर साइ और ठाकुर सरी राम को स्टील की गिलास में और किसान कुम्हार और छेदि मल्लाह को काँच के गिलास में. कुम्हार और मल्लाह जानते थे ऐसा क्यूँ है. उन्हें मालूम था बाद में ये गिलास तोड़ दिए जाएँगे……किसी को कुछ भी अटपटा नहीं लगा….यही सदियों की रीत थी.
कोई 30-40 मिनिट बाद, जो छोकरे खेतों की तरफ गये थे, वो वापस आ गये. उन्होने कुछ खाली देसी शराब की बोतलें, कुछ चूड़ियों के टुकड़ों के अलावा……एक गंच्छा भी पाँचों को सौंप दिया…..एक लाल-सफेद गंच्छा!
जैसे ही गम्म्छे पे नज़र पड़ी, बेवकूफ़ गूंगा चंदर उठा और घहों-घों की आवाज़ के साथ इशारे से कहने लगा कि गमछा उसका है…..रूपाली का चेहरा ऐसा हो गया था मानो काटो तो खून नहीं.
छेदि मल्लाह ने खीसे निपोर्ते हुए कहा,"ठकुराइन, आप तो कहती थी ये गूंगा पूरी रात हवेली मा था……फिर, ओइका गमछा आप लाई गयी थी का?"…
सभी चमारों ने एक ठहाका लगाया.
ठाकुरों को ये नागवार गुज़ारा और ठाकुर सरी राम ने कहा,"रूपाली जी, आप ने कहा चंदर हवेली में ही था….फिर उसका ये गमछा खेत कैसे पहुँचा." रूपाली ने सिर झुका के कहा,"हमे नहीं मालूम ठाकुर साहब……ये कालू ने वहाँ रख दिया होगा."
कालू ने कातर नज़रों से पंचों को देखा और गिड़गिदाया,"माई-बाप, कसम ले लो जो हम आज एक बार भी खेत की तरफ गये रहीं….पूरे दिन घर मा थे मालिक…"
पंचों ने कुछ वक़्त माँगा और अंदर घर में जाकर आपस में बहुत देर तक सलाह मशवरा किया. इस दौरान, गाओं के छोकरे रूपाली का उदास, खूबसूरत चेहरा देख देख के सोच रहे थे…काश….ये मोटे रसीले होंठ उन्होने चूसे होते. एक दुबला सा ठाकुर छोकरा इतना थर्कि था की अपना निचला होंठ चबा बैठा और उसके मुँह से निकला,"सीईईईस…हाए." उसके बगल में खड़े उसके दोनो दोस्तों ने ये देखा और धीरे से हँसने लगे.
15 मिनिट बाद पाँच बाहर निकले और सरपंच मिश्रा जी ने कहा,"बड़े खेद की बात है कि वादी श्रीमती रूपाली सिंग ने अपनी हवस मिटाने के लिए एक नौकर के साथ खुले आम ना सिर्फ़ रास-लीला रचाई बल्कि अपनी बदनामी ना हो, इस लिए श्री कालू, श्री सत्तू, श्री मोतिया और श्री मुंगेरी के खिलाफ नितांत झूठे आरोप भी लगाए हैं. सभी पंचों की राय और विचारों पे गेहन मंथन के बाद, ग्राम पंचायत का निर्णय है की श्रीमती रूपाली सिंग को जात से बाहर किया जाता है. आज से श्रीमती रूपाली सिंग की हवेली से कोई ग्राम नागरिक, कोई संबंध नहीं रखेगा और इनका हुक्का-पानी बंद किया जाता है…………
….और हां…..ताकि इस गूंगे के साथ, इनकी रास लीला फ़ौरन बंद हो और ये अपने नामी ससुर के खानदान की इज़्ज़त और खराब ना करें, इसलिए इस चंदर गूंगे को फ़ौरन गाओं से निकालने का हूकम दिया जाता है……………..और गाओं का और कोई नौजवान इस घटना से सबक ले, इसलिए इस गूंगे को बेइज़्ज़ती से बाहर किया जाए. जाई गंगा मैय्या की."
सारा चौपाल,"हर हर महादेव……जाई गंगा मैय्या की……..पाँचों की जाई हो," के नारों से गूँज उठा.
आनन फानन में गाओं के छोकरे एक गधा पकड़ लाए…….चार छोकरो ने चंदर के हाथ पावं पकड़े और गाओं के नाई ने उसके सिर पे उस्तरा फिराना शुरू किया. गंजे होते हुए चंदर के चेहरे पे कोई थूक रहा था कोई कालिख मल रहा था……कुछ मनचलों ने फटे हुए जूते चप्पालों की माला बनाई और उसकी गर्दन में पहना दी. फिर उसका पूरा मुँह काला करके गधे पे उल्टा बैठाया और चल दिए गाओं की परिक्रमा करने. छोकरे हहा-हहे कर रहे थे और कुछ छ्होटे बच्चे, जो ऊपर से कमीज़ पहने थे….मगर नीचे से नंगे थे, तालियाँ पीटने लगे.
चंदर का जुलूस पूरे गाओं में निकाला गया और फिर उसे मार मार कर गाओं से निकाल दिया गया.
ये सब होने से बहुत पहले, रूपाली पंचायत से ऐसे उठी थी मानो कोई जिंदा लाश हो. किसी तरह अपने कदम घसीटते हुए हवेली पहुची…….अब वीरान हवेली थी…..और वो बिल्कुल अकेली थी……..सुनसान हवेली में एक मनहूस साए की तरह!
दोस्तो हमारे आस पास आज भी ना जाने कितनी रूपाली सारे आम बेइज़्ज़त होती और ना जाने कितनी कमला अपनी बदनामी के डर से चुप रह जाती है दोस्तो आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
Balaatkaar--5
gataank se aage..................
Roopali andaaza bhi naheen laga sakti thi ki kaise Kamla ke gareeb Maa-baap ne usko dhamkaaya tha ki agar kisi ko is haadse ki bhanak bhi pad gayi toh koi uske saath shaadi-biyaah naheen karega aur poori zindagi use raand-paturiya ka jeevan nibhaana padega.
Maa-baap aur uski maami ne usko samjhaaya tha ki agar panchayat baithi, toh saaf saaf mukar jaane mein hi uski aur khaandaan ki bhalaayi hai. Jhoori ne saaf kaha tha ki agar usne panchaayat mein kaha ki uski izzat kharaab ho chuki hai, toh wo pehle uska gala kaatega aur phir khud faansi latak jaayega.
Gusse se bifri hui Roopali ne samast Chamaaron ko mann mein gaali di aur dil mein kaha,"Haraam zaadi…Randee Kamla."
Motiya aur Sattu jhijhak jhijhak kar, atak atak ke sabko bata rahe the ki kaise Chandar aur Roopali khet mein raas leela racha rahe the. Kaloo ne 2-4 baatein aur Jodi aur kahaa ki jaise hi maalkin ki nazrein hum par padi, unhone kisi ko kuch na batane ko kaha…….Sattu bola,"Thakurain I bhi kahe rahi…ki chaho toh humre sang so jao….magar kisi ke kacchu nayi kaho…haath Jodi tumhra…"
Un chaaron ne apne apne isht dev ki kasam khaayi aur kahaa ki un chaaron ne toh tay kar liya tha ki kisi ko kuch naheen kahenge…….magar yahaan toh maamla hi ulta tha? Thakurain ne toh ghabraahat mein unhi ke oopar ulta muquaddama daayar kar diya tha.
Sabhi panchon ne aapas mein kuch gup-chup salaah mashwira kiya aur gaon ke 2-3 baaman-thakur aur 2 chamaar chhokron ko fauran khet jaa kar mauke ka muaayana karne ko kaha………aur kaha ki agar kuch bhi mauke se mile toh le kar panchaayat waapas aa jaayen.
Sabhi chhokron ko is kaaryawaahi mein bada maza aa raha tha…..isliye wo bade anmane mann se kheton ki ore chal diye.
Is dauran sabhi logon ke beech hulchul machi hui thi. Thakur-baamano ko lag raha tha Chamaaron ne na sirf Roopali ki izzat looti balki apni chhokri ko dara-dhamka liya hai.
Neechi jaati waale Roopali ko nafrat se dekh ke soch rahe the koi apni hawas ke liye itna gir sakta hai kya? Unhein lag raha tha Roopali ne unke samaaj ke chaar pratisthit buzurgon pe prahaar kiya hai.
Ek Thakur ghar se kuch auratein chaay lekar aayi aur unhone sabhi panchon ko chaay de di. Mishra ji, Ranbir Sigh aur Thakur Sree Ram ko steel ki gilaas mein aur Kisan Kumhaar aur Chedi Mallah ko kaanch ke gilaas mein. Kumhar aur Mallah jaante the aisa kyun hai. Unhein maloom tha baad mein ye gilaas tod diye jaayenge……kisi ko kuch bhi atpata naheen laga….yehi sadiyon ki reet thi.
Koi 30-40 minute baad, jo chhokre kheton ki taraf gaye the, wo waapas aa gaye. Unhone kuch khaali desi sharaab ki botalein, kuch choodiyon ke tukadon ke alaawaa……ek gamchha bhi Panchon ko saunp diya…..ek Laal-safed gamchha!
Jaise hi gammchhe pe nazar padi, bewakoof goonga Chandar utha aur ghhon-ghon ki awaaz ke saath ishaare se kehne laga ki gamchha uska hai…..Roopali ka chehra aisa ho gaya tha maano kaato toh khoon naheen.
Chedi Mallah ne kheese niporte hue kaha,"Thakurain, aap toh kehti thi ye goonga poori raat Haweli maa tha……phir, oika gamcchha aap lai gayi thi kaa?"…
Sabhi chamaaron ne ek thahaaka lagaaya.
Thakuron ko ye nagawaar guzara aur Thakur Sree Ram ne kaha,"Roopali ji, aap ne kaha Chandar haweli mein hi tha….phir uska ye gamchha khet kaise pahuncha." Roopali ne sir jhuka ke kaha,"Humein naheen maloom Thakur Sahab……Ye Kaloo ne wahaan rakh diya hoga."
Kaloo ne kaatar nazron se Panchon ko dekha aur gidgidaaya,"Maai-Baap, kasam le lo jo hum aaj ek baar bhi khet ki taraf gaye rahin….poore din ghar maa the maalik…"
Panchon ne kuch waqt maanga aur andar ghar mein jaakar aapas mein baut der tak salaah mashwara kiya. Is dauraan, gaon ke chhokre Roopali ka udaas, khoobsoorat chehra dekh dekh ke soch rahe the…kaash….ye mote raseele honth unhone choose hote. Ek dubla sa Thakur chokra itna tharki tha ki apna nichla honth chaba baitha aur uske munh se nikla,"Seeeeeeeees…haye." Uske bagal mein khade uske dono doston ne ye dekha aur dheere se hansne lage.
15 minute baad Panch baahar nikle aur Sarpanch Mishra ji ne kaha,"Bade khed ki baat hai ki vaadi Shrimati Roopali Singh ne apni hawas mitaane ke liye ek naukar ke saath khule aam na sirf raas-leela rachayi balki apni badnaami na ho, is liye Shree Kaloo, Shri Sattu, Shri Motiya aur Shri Mungeri ke khilaaf nitaant jhoote aarop bhi lagaaye hain. Sabhi Panchon ki raay aur vichaaron pe gehan manthan ke baad, Gram Panchayat ka nirnay hai ki Shrimati Roopali Singh ko jaat se baahar kiya jaata hai. Aaj se Shrimati Roopali Singh ki Haweli se koi gram naagrik, koi sambhand naheen rakhega aur inka hukka-paani band kiya jaata hai…………
….aur haan…..taaki is goonge ke saath, inki raas leela fauran band ho aur ye apne naami Sasur ke khandaan ki izzat aur kharaab naa karein, isliye is Chandar goonge ko fauran gaon se nikalne ka hukam diya jaata hai……………..aur gaon ka aur koi naujawaan is ghatna se sabak le, isliye is Goonge ko beizzati se baahar kiya jaaye. Jai Ganga Maiyya ki."
Saara chaupaal,"Har Har mahadev……Jai Ganga Maiyya ki……..Panchon ki Jai ho," ke naaron se goonj utha.
Aanan faanan mein gaon ke chhokre ek gadha pakad laaye…….chaar chhokron ne Chandar ke haath paon pakde aur gaon ke nai ne uske sir pe ustara firaana shuru kiya. Ganje hote hue Chandar ke chehre pe koi thook raha tha koi kaalikh mal raha tha……kuch manchalon ne fate hue joote chappalon ki maala banaayi aur uski gardan mein pehna di. Phir uska poora munh kaala karke gadhe pe ulta baithaya aur chal diye gaon ki parikrama karne. Chhokre haha-hehe kar rahe the aur kuch chhote bachche, jo oopar se kameez pehne the….magar neeche se nange the, taaliyaan peetne lage.
Chandar ka juloos poore gaon mein nikaala gaya aur phir use maar maar kar gaon se nikaal diya gaya.
Ye sab hone se bahut pehle, Roopali panchayat se aise uthi thi maano koi jinda laash ho. Kisi tarah apne kadam ghaseette hue haweli paunchi…….ab veeran haweli thi…..aur wo bilkul akeli thi……..sunsaan haweli mein ek manhoos saaye ki tarah!
samaapt
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रूपाली अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती थी कि कैसे कमला के ग़रीब मा-बाप ने उसको धमकाया था कि अगर किसी को इस हादसे की भनक भी पड़ गयी तो कोई उसके साथ शादी-बियाह नहीं करेगा और पूरी ज़िंदगी उसे रांड़-पातुरिया का जीवन निभाना पड़ेगा.
मा-बाप और उसकी मामी ने उसको समझाया था की अगर पंचायत बैठी, तो सॉफ सॉफ मुकर जाने में ही उसकी और खानदान की भलाई है. झूरी ने सॉफ कहा था कि अगर उसने पंचायत में कहा कि उसकी इज़्ज़त खराब हो चुकी है, तो वो पहले उसका गला काटेगा और फिर खुद फाँसी लटक जाएगा.
गुस्से से बिफरी हुई रूपाली ने समस्त चमारों को मन में गाली दी और दिल में कहा,"हराम ज़ादी…रंडी कमला."
मोतिया और सत्तू झिझक झिझक कर, अटक अटक के सबको बता रहे थे कि कैसे चंदर और रूपाली खेत में रास लीला रचा रहे थे. कालू ने 2-4 बातें और जोड़ी और कहा कि जैसे ही मालकिन की नज़रें हम पर पड़ी, उन्होने किसी को कुछ ना बताने को कहा…….सत्तू बोला,"ठकुराइन ई भी कहे रही…कि चाहो तो हमरे संग सो जाओ….मगर किसी के कछु नयी कहो…हाथ जोड़ी तुम्हरा…"
उन चारों ने अपने अपने ईष्ट देव की कसम खाई और कहा कि उन चारों ने तो तय कर लिया था कि किसी को कुछ नहीं कहेंगे…….मगर यहाँ तो मामला ही उल्टा था? ठकुराइन ने तो घबराहट में उन्ही के ऊपर उल्टा मुकद्दमा दायर कर दिया था.
सभी पंचों ने आपस में कुछ गुप-चुप सलाह मशविरा किया और गाओं के 2-3 बामन-ठाकुर और 2 चमार चोकरो को फ़ौरन खेत जा कर मौके का मुआयना करने को कहा………और कहा कि अगर कुछ भी मौके से मिले तो ले कर पंचायत वापस आ जाएँ.
सभी छोकरो को इस कार्यवाही में बड़ा मज़ा आ रहा था…..इसलिए वो बड़े अनमने मन से खेतों की ओर चल दिए.
इस दौरान सभी लोगों के बीच हलचल मची हुई थी. ठाकुर-बामनो को लग रहा था चमारों ने ना सिर्फ़ रूपाली की इज़्ज़त लूटी बल्कि अपनी छोकरी को डरा-धमका लिया है.
नीची जाती वाले रूपाली को नफ़रत से देख के सोच रहे थे कोई अपनी हवस के लिए इतना गिर सकता है क्या? उन्हें लग रहा था रूपाली ने उनके समाज के चार प्रतिस्थित बुज़ुर्गों पे प्रहार किया है.
एक ठाकुर घर से कुछ औरतें चाय लेकर आई और उन्होने सभी पंचों को चाय दे दी. मिश्रा जी, रणबीर साइ और ठाकुर सरी राम को स्टील की गिलास में और किसान कुम्हार और छेदि मल्लाह को काँच के गिलास में. कुम्हार और मल्लाह जानते थे ऐसा क्यूँ है. उन्हें मालूम था बाद में ये गिलास तोड़ दिए जाएँगे……किसी को कुछ भी अटपटा नहीं लगा….यही सदियों की रीत थी.
कोई 30-40 मिनिट बाद, जो छोकरे खेतों की तरफ गये थे, वो वापस आ गये. उन्होने कुछ खाली देसी शराब की बोतलें, कुछ चूड़ियों के टुकड़ों के अलावा……एक गंच्छा भी पाँचों को सौंप दिया…..एक लाल-सफेद गंच्छा!
जैसे ही गम्म्छे पे नज़र पड़ी, बेवकूफ़ गूंगा चंदर उठा और घहों-घों की आवाज़ के साथ इशारे से कहने लगा कि गमछा उसका है…..रूपाली का चेहरा ऐसा हो गया था मानो काटो तो खून नहीं.
छेदि मल्लाह ने खीसे निपोर्ते हुए कहा,"ठकुराइन, आप तो कहती थी ये गूंगा पूरी रात हवेली मा था……फिर, ओइका गमछा आप लाई गयी थी का?"…
सभी चमारों ने एक ठहाका लगाया.
ठाकुरों को ये नागवार गुज़ारा और ठाकुर सरी राम ने कहा,"रूपाली जी, आप ने कहा चंदर हवेली में ही था….फिर उसका ये गमछा खेत कैसे पहुँचा." रूपाली ने सिर झुका के कहा,"हमे नहीं मालूम ठाकुर साहब……ये कालू ने वहाँ रख दिया होगा."
कालू ने कातर नज़रों से पंचों को देखा और गिड़गिदाया,"माई-बाप, कसम ले लो जो हम आज एक बार भी खेत की तरफ गये रहीं….पूरे दिन घर मा थे मालिक…"
पंचों ने कुछ वक़्त माँगा और अंदर घर में जाकर आपस में बहुत देर तक सलाह मशवरा किया. इस दौरान, गाओं के छोकरे रूपाली का उदास, खूबसूरत चेहरा देख देख के सोच रहे थे…काश….ये मोटे रसीले होंठ उन्होने चूसे होते. एक दुबला सा ठाकुर छोकरा इतना थर्कि था की अपना निचला होंठ चबा बैठा और उसके मुँह से निकला,"सीईईईस…हाए." उसके बगल में खड़े उसके दोनो दोस्तों ने ये देखा और धीरे से हँसने लगे.
15 मिनिट बाद पाँच बाहर निकले और सरपंच मिश्रा जी ने कहा,"बड़े खेद की बात है कि वादी श्रीमती रूपाली सिंग ने अपनी हवस मिटाने के लिए एक नौकर के साथ खुले आम ना सिर्फ़ रास-लीला रचाई बल्कि अपनी बदनामी ना हो, इस लिए श्री कालू, श्री सत्तू, श्री मोतिया और श्री मुंगेरी के खिलाफ नितांत झूठे आरोप भी लगाए हैं. सभी पंचों की राय और विचारों पे गेहन मंथन के बाद, ग्राम पंचायत का निर्णय है की श्रीमती रूपाली सिंग को जात से बाहर किया जाता है. आज से श्रीमती रूपाली सिंग की हवेली से कोई ग्राम नागरिक, कोई संबंध नहीं रखेगा और इनका हुक्का-पानी बंद किया जाता है…………
….और हां…..ताकि इस गूंगे के साथ, इनकी रास लीला फ़ौरन बंद हो और ये अपने नामी ससुर के खानदान की इज़्ज़त और खराब ना करें, इसलिए इस चंदर गूंगे को फ़ौरन गाओं से निकालने का हूकम दिया जाता है……………..और गाओं का और कोई नौजवान इस घटना से सबक ले, इसलिए इस गूंगे को बेइज़्ज़ती से बाहर किया जाए. जाई गंगा मैय्या की."
सारा चौपाल,"हर हर महादेव……जाई गंगा मैय्या की……..पाँचों की जाई हो," के नारों से गूँज उठा.
आनन फानन में गाओं के छोकरे एक गधा पकड़ लाए…….चार छोकरो ने चंदर के हाथ पावं पकड़े और गाओं के नाई ने उसके सिर पे उस्तरा फिराना शुरू किया. गंजे होते हुए चंदर के चेहरे पे कोई थूक रहा था कोई कालिख मल रहा था……कुछ मनचलों ने फटे हुए जूते चप्पालों की माला बनाई और उसकी गर्दन में पहना दी. फिर उसका पूरा मुँह काला करके गधे पे उल्टा बैठाया और चल दिए गाओं की परिक्रमा करने. छोकरे हहा-हहे कर रहे थे और कुछ छ्होटे बच्चे, जो ऊपर से कमीज़ पहने थे….मगर नीचे से नंगे थे, तालियाँ पीटने लगे.
चंदर का जुलूस पूरे गाओं में निकाला गया और फिर उसे मार मार कर गाओं से निकाल दिया गया.
ये सब होने से बहुत पहले, रूपाली पंचायत से ऐसे उठी थी मानो कोई जिंदा लाश हो. किसी तरह अपने कदम घसीटते हुए हवेली पहुची…….अब वीरान हवेली थी…..और वो बिल्कुल अकेली थी……..सुनसान हवेली में एक मनहूस साए की तरह!
दोस्तो हमारे आस पास आज भी ना जाने कितनी रूपाली सारे आम बेइज़्ज़त होती और ना जाने कितनी कमला अपनी बदनामी के डर से चुप रह जाती है दोस्तो आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
Balaatkaar--5
gataank se aage..................
Roopali andaaza bhi naheen laga sakti thi ki kaise Kamla ke gareeb Maa-baap ne usko dhamkaaya tha ki agar kisi ko is haadse ki bhanak bhi pad gayi toh koi uske saath shaadi-biyaah naheen karega aur poori zindagi use raand-paturiya ka jeevan nibhaana padega.
Maa-baap aur uski maami ne usko samjhaaya tha ki agar panchayat baithi, toh saaf saaf mukar jaane mein hi uski aur khaandaan ki bhalaayi hai. Jhoori ne saaf kaha tha ki agar usne panchaayat mein kaha ki uski izzat kharaab ho chuki hai, toh wo pehle uska gala kaatega aur phir khud faansi latak jaayega.
Gusse se bifri hui Roopali ne samast Chamaaron ko mann mein gaali di aur dil mein kaha,"Haraam zaadi…Randee Kamla."
Motiya aur Sattu jhijhak jhijhak kar, atak atak ke sabko bata rahe the ki kaise Chandar aur Roopali khet mein raas leela racha rahe the. Kaloo ne 2-4 baatein aur Jodi aur kahaa ki jaise hi maalkin ki nazrein hum par padi, unhone kisi ko kuch na batane ko kaha…….Sattu bola,"Thakurain I bhi kahe rahi…ki chaho toh humre sang so jao….magar kisi ke kacchu nayi kaho…haath Jodi tumhra…"
Un chaaron ne apne apne isht dev ki kasam khaayi aur kahaa ki un chaaron ne toh tay kar liya tha ki kisi ko kuch naheen kahenge…….magar yahaan toh maamla hi ulta tha? Thakurain ne toh ghabraahat mein unhi ke oopar ulta muquaddama daayar kar diya tha.
Sabhi panchon ne aapas mein kuch gup-chup salaah mashwira kiya aur gaon ke 2-3 baaman-thakur aur 2 chamaar chhokron ko fauran khet jaa kar mauke ka muaayana karne ko kaha………aur kaha ki agar kuch bhi mauke se mile toh le kar panchaayat waapas aa jaayen.
Sabhi chhokron ko is kaaryawaahi mein bada maza aa raha tha…..isliye wo bade anmane mann se kheton ki ore chal diye.
Is dauran sabhi logon ke beech hulchul machi hui thi. Thakur-baamano ko lag raha tha Chamaaron ne na sirf Roopali ki izzat looti balki apni chhokri ko dara-dhamka liya hai.
Neechi jaati waale Roopali ko nafrat se dekh ke soch rahe the koi apni hawas ke liye itna gir sakta hai kya? Unhein lag raha tha Roopali ne unke samaaj ke chaar pratisthit buzurgon pe prahaar kiya hai.
Ek Thakur ghar se kuch auratein chaay lekar aayi aur unhone sabhi panchon ko chaay de di. Mishra ji, Ranbir Sigh aur Thakur Sree Ram ko steel ki gilaas mein aur Kisan Kumhaar aur Chedi Mallah ko kaanch ke gilaas mein. Kumhar aur Mallah jaante the aisa kyun hai. Unhein maloom tha baad mein ye gilaas tod diye jaayenge……kisi ko kuch bhi atpata naheen laga….yehi sadiyon ki reet thi.
Koi 30-40 minute baad, jo chhokre kheton ki taraf gaye the, wo waapas aa gaye. Unhone kuch khaali desi sharaab ki botalein, kuch choodiyon ke tukadon ke alaawaa……ek gamchha bhi Panchon ko saunp diya…..ek Laal-safed gamchha!
Jaise hi gammchhe pe nazar padi, bewakoof goonga Chandar utha aur ghhon-ghon ki awaaz ke saath ishaare se kehne laga ki gamchha uska hai…..Roopali ka chehra aisa ho gaya tha maano kaato toh khoon naheen.
Chedi Mallah ne kheese niporte hue kaha,"Thakurain, aap toh kehti thi ye goonga poori raat Haweli maa tha……phir, oika gamcchha aap lai gayi thi kaa?"…
Sabhi chamaaron ne ek thahaaka lagaaya.
Thakuron ko ye nagawaar guzara aur Thakur Sree Ram ne kaha,"Roopali ji, aap ne kaha Chandar haweli mein hi tha….phir uska ye gamchha khet kaise pahuncha." Roopali ne sir jhuka ke kaha,"Humein naheen maloom Thakur Sahab……Ye Kaloo ne wahaan rakh diya hoga."
Kaloo ne kaatar nazron se Panchon ko dekha aur gidgidaaya,"Maai-Baap, kasam le lo jo hum aaj ek baar bhi khet ki taraf gaye rahin….poore din ghar maa the maalik…"
Panchon ne kuch waqt maanga aur andar ghar mein jaakar aapas mein baut der tak salaah mashwara kiya. Is dauraan, gaon ke chhokre Roopali ka udaas, khoobsoorat chehra dekh dekh ke soch rahe the…kaash….ye mote raseele honth unhone choose hote. Ek dubla sa Thakur chokra itna tharki tha ki apna nichla honth chaba baitha aur uske munh se nikla,"Seeeeeeeees…haye." Uske bagal mein khade uske dono doston ne ye dekha aur dheere se hansne lage.
15 minute baad Panch baahar nikle aur Sarpanch Mishra ji ne kaha,"Bade khed ki baat hai ki vaadi Shrimati Roopali Singh ne apni hawas mitaane ke liye ek naukar ke saath khule aam na sirf raas-leela rachayi balki apni badnaami na ho, is liye Shree Kaloo, Shri Sattu, Shri Motiya aur Shri Mungeri ke khilaaf nitaant jhoote aarop bhi lagaaye hain. Sabhi Panchon ki raay aur vichaaron pe gehan manthan ke baad, Gram Panchayat ka nirnay hai ki Shrimati Roopali Singh ko jaat se baahar kiya jaata hai. Aaj se Shrimati Roopali Singh ki Haweli se koi gram naagrik, koi sambhand naheen rakhega aur inka hukka-paani band kiya jaata hai…………
….aur haan…..taaki is goonge ke saath, inki raas leela fauran band ho aur ye apne naami Sasur ke khandaan ki izzat aur kharaab naa karein, isliye is Chandar goonge ko fauran gaon se nikalne ka hukam diya jaata hai……………..aur gaon ka aur koi naujawaan is ghatna se sabak le, isliye is Goonge ko beizzati se baahar kiya jaaye. Jai Ganga Maiyya ki."
Saara chaupaal,"Har Har mahadev……Jai Ganga Maiyya ki……..Panchon ki Jai ho," ke naaron se goonj utha.
Aanan faanan mein gaon ke chhokre ek gadha pakad laaye…….chaar chhokron ne Chandar ke haath paon pakde aur gaon ke nai ne uske sir pe ustara firaana shuru kiya. Ganje hote hue Chandar ke chehre pe koi thook raha tha koi kaalikh mal raha tha……kuch manchalon ne fate hue joote chappalon ki maala banaayi aur uski gardan mein pehna di. Phir uska poora munh kaala karke gadhe pe ulta baithaya aur chal diye gaon ki parikrama karne. Chhokre haha-hehe kar rahe the aur kuch chhote bachche, jo oopar se kameez pehne the….magar neeche se nange the, taaliyaan peetne lage.
Chandar ka juloos poore gaon mein nikaala gaya aur phir use maar maar kar gaon se nikaal diya gaya.
Ye sab hone se bahut pehle, Roopali panchayat se aise uthi thi maano koi jinda laash ho. Kisi tarah apne kadam ghaseette hue haweli paunchi…….ab veeran haweli thi…..aur wo bilkul akeli thi……..sunsaan haweli mein ek manhoos saaye ki tarah!
samaapt
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