Friday, May 31, 2013

आपा हूँ तेरी !


आपा हूँ तेरी !

प्रेषक : आरिफ़ अली

मेरी यह कहानी सच्ची है। मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ की कहानियाँ वर्षों से पढ़ता था और सोचता था कि कब मुझे चुदाई करने का मौका मिलेगा।

मेरा नाम आरिफ है, बीस वर्ष का हूँ, मेरे लिंग की लम्बाई 9 इन्च है और मोटा है।

मेरे घर में अम्मी, अब्बू और नसरीन आपी हैं। आपी की शादी हो चुकी थी और वो यहाँ इम्तिहान देने आई हुई थी।

उसी दौरान एक दिन जब अम्मी-अब्बू निकाह में गए थे, तो आपी नहाने गई थी। जब वो नहाकर आने लगी तब अचानक फिसल गई और उनकी कमर में चोट आ गई। आपी सिर्फ तौलिया लपेटे हुई बाहर निकल आई थी। जब वो गिर गई तब मुझे आवाज दी, तब मैं उनके पास गया तो देख कर दंग रह गया। आपी का तौलिया खुल गया था और उनके चुच्चे नज़र आ रहे थे।

मैं उनके उभारों को देखता रह गया।

आपी ने कहा- क्या देख रहा है?

फिर उन्होंने तौलिये से अपनी छाती को ढका और बोली- मैं फ़िसल गई हूँ और तू मुझे घूर रहा है? चल मुझे उठा !

मैंने आपी को बोला- पहले अपने बदन को तो ढक लो !

तब उन्होंने कहा- मुझे उठा तो पहले !

मैंने आपी को बोला- अपने सीने पर हाथ रख लो ताकि तौलिया दुबारा न गिरे !

मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें उठाया तब मेरा लण्ड उनकी गांड में सैट गया।

फिर उन्होंने कहा- तू बाहर जा, मैं कपड़े पहन लूँ !

मैं बाहर चला गया।

आपी ने कपड़े पहन लिए तो फिर आपी पास जाकर मैंने पूछा- कैसे गिर गई थी?

वो कहने लगी- कमर में बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने कहा- आप झंडू बाम लगा लो !

उन्होंने कहा- मैं खुद नहीं लगा सकती, तू ही लगा दे !

आपी ने सलवार-सूट पहन रखा था, मैंने आपी से कहा- आप अपनी सलवार खोलो, तब ही तो मैं बाम लगाऊँगा।

आपी ने कहा- ठीक है, पहले एक चादर लाकर दे !

तब मैंने एक चादर आपी को दी तो आपी ने कहा- तू उधर देख, मुझे शरम आ रही है।

मैं घूम गया, आपी ने अपनी सलवार खोल कर नीचे कर ली और ऊपर से चादर डाल कर बोली- चल अब लगा दे !

मैं बोला- आपी, कैसे लगाऊँ? तुमने तो चादर डाल रखी है।

तब आपी ने कहा- मैंने सलवार नीचे कर ली है और पैंटी नहीं पहनी है।

तब मैंने थोड़ा सा बाम निकला और चादर के अन्दर हाथ डाला तो सीधे उनके चूतड़ों पर हाथ गया।

आपी ने कहा- क्या कर रहा है?

मैंने धीरे से बोला- गलत से लग गया !

फिर मैं कमर पर मालिश करने लगा, फिर धीरे धीरे उनके कूल्हों पर मालिश करने लगा। आपी ने कुछ नहीं कहा, मैं मालिश करते करते चूतड़ों की दरार में उंगली डालने लगा।

इस तरह करते करते मैंने चादर उठा कर देखा तो उसकी गांड गजब चमक रही थी।

मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैंने अपनी ज़िप खोल कर आपी के ऊपर जब लंड सटाया तब उन्होंने कहा- यह गलत है ! तू अपनी चेन बंद कर, तब तुझे एक बात बताती हूँ।

मैंने अपनी ज़िप बंद कर ली, तब आपी ने कहा- तू उपर से मजे ले ले !

तब मैं अपनी पैंट उतार कर अंडरवीयर में हो गया और टीशर्ट भी उतार दिया, आपी को बोला- चलो, अब मेरे ऊपर बैठ जाओ।

आपी बोली- ठीक है !

आपी मेरे ऊपर बैठ गई तो थोड़ा सा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और मैं उसी तरह धक्के मारने लगा और उसके बूब्स को चूसने लगा।

कुछ देर बाद मैंने आपी को बोला- तुम लेट जाओ !

और मैं उनकी चिकनी चूत को चाटने लगा। फिर उनकी चूत पर अपना लंड अंडरवीयर पहने ही रख दिया, अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा।

आपी पूरी तरह गर्म हो गई थी, उन्होंने बोला- मुझे भी वो डण्डा तो दिखा !

तब मैंने अपना लंड निकाल कर उनके हाथ में दे दिया और आपी उसे चूसने लगी।

अब हम 69 की हालत में थे। फिर मैंने आपी को बोला- आपी, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, मैं तुम्हारी चूत नहीं मारूँगा, सिर्फ एक बार अपनी गांड मरवा लो !

आप बोली- चल ठीक है। बस मेरी गांड मारना और मेरी चूत की तरफ ध्यान भी मत करना, वरना अब्बू से कह दूँगी।

तब मैंने कहा- ठीक है, सिर्फ गांड मारूंगा !

आपी घोड़ी बन गई, मैं लंड उनकी गांड में न डाल कर चूत में घुसाने लगा, तब आपी बोली- यह मेरी चूत है, गांड थोड़ा ऊपर है।

फिर मैंने गांड में लंड एक बार में ही घुसा दिया तो आपी जोर जोर से चिल्लाने लगी, बोली- कुत्ता ! बहनचोद, रंडी समझ लिया है क्या ?? आपा हूँ तेरी ! रंडी नहीं कि तूने एक बार में ही लंड घुसा दिया।

मैं आपी से बोला- नसरीन डार्लिंग, नौशे भाई से मरवाती हो तो कुछ नहीं? मैं मारूँ तो बहनचोद?

और धक्के लगाने लगा।

आपी आह उहं उहं उहं उहं उहं की आवाज निकालने लगी।

आपी बोली- देख, मैंने अभी तक तेरे नौशे भाई से गांड नहीं मरवाई थी, तूने सबसे पहले ही मेरी गांड मारी है।

तब मैंने कहा- अगर नौशे भाई को पता चल गया कि मैंने आपकी गांड मारी है तब तुम क्या कहोगी?

तब आपी ने कहा- गांड मारने पे ये पता नहीं चलता है कि गाण्ड किसी ने पहले मारी हुई है ! अगर मेरी शादी होने से पहले अगर तूने मेरी चूत को चोदा होता तब पता चल जाता ! अब तू मेरी चूत भी चोदेगा तो पता नहीं चलेगा, क्यूंकि मेरे मियाँ ने मेरी सील तोड़ दी है।

मैं गांड मार ही रहा था कि अचानक मैं बोला- जब पता ही नहीं चलेगा, तब चूत भी मरवा लो !

आपी बोली- चल ठीक है, मार ले !

मैंने उनकी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया और चोदने लगा। फिर धीरे धीरे मैंने अपना माल अंदर ही गिरा दिया और आपी भी झड़ गई।






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हिंदी सेक्सी कहानियाँ-भाई की साली-2


 


भाई की साली-2

प्रेषक : राजवीर

रात करीब 8:30 बजे होंगे, वो पलंग पर बैठ कर टीवी देख रही थी और रजाई से ढकी थी, उसके आगे बच्चे बैठे हुए थे, मैं भी जाकर उसकी बगल में बैठ गया और अपने को भी ढक लिया रजाई से। उसने वही पहना हुआ था और मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहना हुआ था।

कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। उसने हटा दिया और इशारे से कहा कि कोई देख लेगा, पर मैंने फिर हाथ रख दिया, इस बार उसने नहीं हटाया। फिर मैंने अपना मोबाइल निकाल कर उसमें कम आवाज करके ब्लू फिल्म चला दी, अब उसका ध्यान टीवी से हट कर मेरे फोन पर आ गया था। मैंने फिर उससे पूछा- शादी से पहले भी किसी से किया है क्या?

उसने धीरे से कहा- किसी को बताओगे तो नहीं न?

मैंने कहा- नहीं बताऊँगा, बता दो।

उसने कहा- हाँ, एक लड़के के साथ किया है 2 बार, उसके बाद सिर्फ पति के साथ ही !

इस बीच मैंने उसका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ उसकी चूत पर ले आया। हमें यह सब करता कोई देख नहीं पा रहा था। अब फिल्म में ये दृश्य चल रहा था कि लड़की की चूत लड़का चाट रहा था।

उसने मेरे से पूछा- इसमें मजा आता है क्या?

मैंने कहा- हाँ, बहुत मजा आता है, तुम अपने बाल साफ़ कर लेना, फिर यह मजा दूंगा।

उसने कहा- कैसे साफ़ करुँगी?

मैंने कहा- वो भी मैं कर दूंगा, तुम फिकर मत करो।

अब लड़की लड़के का लंड चूस रही थी। वो इस सीन को अच्छे से देख रही थी, मैंने उससे कहा- इसमें भी मजा आता है ! करोगी ऐसे? उसने कुछ नहीं बोला और उसमें चुदाई चालू हो गई। हमारी नहीं मोबाइल में चल रही फिल्म में।

और उसने कस के मेरा लंड पकड़ लिया। बच्चे अब खाना खाने के लिए चले गए कमरे में सिफ मैं और वो थे। मैंने अपना लंड निक्कर

से बाहर निकाल लिया। मैंने उसका सर दबा कर कहा- थोड़ा सा चूस लो और मजा लेकर देखो ! और मुझे भी मजा दो।

पहले तो उसने मुँह बनाया और मना किया, तब मैंने उसकी चूत को मसलते हुए कहा तो कहा- अच्छा करती हूँ।

पानी की बूंदे तो निकल ही रही थी, जैसे ही मुँह लगाया, उसे नमकीन लगा, कहने लगी- नमकीन सा स्वाद आ रहा है।

मैंने कहा- अच्छा लगा ना? और करो !

फिर वो अच्छे से कभी चाटती तो कभी टोपा चूसती, पूरा अंदर तक नहीं ले पा रही थी फिर भी मजा आ गया था। मैं उसकी चूचियाँ दबाने में लगा हुआ था, तभी किसी की आवाज आई फिर और वो जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- आज सबके सोने के बाद ऊपर आ जाना !

उसने कहा- ठीक है, देखूँगी।

रात हो गई 2 बज गए, वो सीढ़ियों के रास्ते आते नहीं दिखाई दी, लंड भी बुरी तरह से खड़ा हुआ था, सूसू लगी तो मैं करने गया, तभी देखा कि वो भी सूसू करके बाहर खड़ी थी।

मैं देखते ही उसे पकड़ कर बाथरूम के अंदर ही ले गया, दरवाजा लगा कर उसके होंठों पर होंठ रख दिए और चूचियाँ कस के दबाई कि वो कसमसा कर रह गई। और फिर हाथ पीछे ले जाकर उसके गांड की गोलाइयों को भी अच्छे से मसल रहा था, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

उसने कहा- कोई देख लेगा, चलो ऊपर चलते हैं।

तो मैं पहले ऊपर चला गया और फिर थोड़ी देर बाद वो भी ऊपर आ गई, आते ही उसे मैंने दीवार के सहारे उल्टा खड़ा कर दिया अपना लंड उसकी गांड की दरार में लगा कर हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और वो सिसकारियाँ लेने लगी- आ आह ह्ह्ह आराम से करो !

वो हाथ पीछे ले गई और मेरा लंड पकड़ लिया। फिर मैंने उसे सीधा किया और होंठों पर होंठ रख दिए।

रात को टाइम था, कोई ऊपर था नहीं, हल्की ठण्ड थी, कोई देख नहीं सकता था, दीवार भी इतनी ऊँची थी।

मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर थे जो मुझे अपनी चूत की ओर धकेल रही थी।

मैंने उसकी पजामी नीचे कर दी और नंगी हुई गांड को रगड़ने लगा। फिर मैंने उसको अलग किया और अपनी निक्कर और अंडरवियर नीचे कर दिया। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

मेरा लंड उसके सामने आ गया, जिसे उसने देखते ही हाथों में ले लिया, दबाने लगी और आगे पीछे करने लगी। मैंने उसे चूसने को कहा तो वो घुटनों के सहारे बैठ गई और टोपे से चूसना शुरू करते हुए आधा लंड चूसने लगी। मैं उसका सर पकड़ के लंड और अंदर घुसाने लगा।

थोड़ा ही और घुसा था कि उससे किया नहीं गया, उसने लंड बाहर निकाल दिया और गहरी सांस लेने लगी।

फिर मैंने उसे खड़ा किया और दीवार के सहारे हाथ रख के खड़े होने को बोला, वो वैसे ही खड़ी हो गई।

फिर मैंने अपना लंड सहलाया और गांड के छेद और चूत पर लंड को रगड़ने लगा, कुछ देर ही किया था कि उससे रहा नहीं गया और कहने लगी- अब कर दो, अब रहा नहीं जा रहा।

वो दोनों हाथ दीवार के सहारे टिका के खड़ी हो गई, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया, शादीशुदा थी तो चुदी तो पड़ी थी पहले से ही, इसलिए आराम से चला गया पर चार इंच तक जाकर एक और धक्का देना पड़ा तो पूरा लंड उसकी चूत में गया।

फिर मैं उसकी कमर पकड़ के धक्के देने लगा। 10 मिनट में उसका पानी झर गया। मैं उसे चोदता रहा, फिर मैंने अपना लंड निकाल कर उसे सीधा किया और उसकी एक टांग उठा कर जांघों को हाथ से पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। कुछ देर धक्के लगाता रहा और उसे दर्द होने लगा, वो कहने लगी- निकाल लो अब, मुझे दर्द हो रहा है।

पर मैंने नहीं सुना और उसे चोदने में लगा रहा। फिर 5 मिनट बाद उसकी चूत में ही पानी उगल दिया मेरे लंड ने।

फिर मैंने अपना लंड निकाल लिया, उसके बाद दोनों के कपड़े ठीक किये, मैंने उसे पकड़ के जोरदार किस दी और फिर पहले उसे भेज दिया, नीचे उतर के उसने मुझे आने का इशारा किया कि कोई नहीं है आ जाओ, और मैं भी नीचे आ गया और फिर रात भर चैन की नींद सोया।

सोनी यहाँ एग्जाम देने आई थी, उसे देहली में एग्जाम देना था, सो घरवालों ने मुझे उसके साथ भेजा।

दो दिन बाद हम यहाँ से देहली निकल गए। एग्जाम काफी थे इसलिए बार बार आने से अच्छा वहीं कुछ दिन रुकने की योजना बनी। उसने यहाँ कुछ देखा नहीं था इसलिए घरवालों ने मुझे उसके साथ भेजा।

हमने एक ही होटल में एक ही कमरा बुक किया। अगले दिन पेपर था इसलिए कुछ नहीं किया। मैं ठीक टाइम पर उसे छोड़ आया और पेपर ख़त्म होने पर ले आया।

अगले पेपर में 3 दिन का टाइम था। सो मस्ती करने का टाइम मिल गया हमें। मैं शेविंग किट लाया और सबसे पहले उसकी चूत के आसपास के बाल साफ़ करने थे। मान नहीं रही थी पर फिर भी जोर देने पर सलवार उतार ही दी और फिर बाथरूम में जाकर बैठ गई।

मैंने उसे टाँगे खोलने को कहा, धीरे धीरे शरमाते हुए उसने टाँगे खोल ही दी।

मैंने बड़े बड़े बाल तो कैंची से काट दिए, फिर चूत पर थोड़ा सा फोम का झाग लगा कर रेजर से बाल हटाना शुरू किया, धीरे धीरे बाल साफ़ होते गए और उसकी चूत साफ़ होती गई, मेरा लंड खड़ा होता गया।

कुछ देर एकदम नई चिकनी चूत बन गई, बस चूत के ऊपर एक हलकी लाइन जैसी छोड़ दी वैसी मुझे अच्छी लगती है।

उसके बाद हम साथ में नहाये, मैंने उसे अच्छे से सहला सहला के नहाया उसमें वो गर्म हो गई थी, उसने भी मेरे लंड पर साबुन लगा लगा के सख्त बना दिया। फिर नहा कर वैसे ही नंगे बाहर आये और मैंने उसे शीशे में उसकी नई नवेली चूत दिखाई, वो भी एक बार देख कर शर्मा गई और बोली- आज से पहले मैंने ऐसे कभी नहीं देखा था अपने को !

फिर मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और हाथों से उसकी चूचियाँ दबाने लगा, वो मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।

मैंने उसे उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी चूत पर होंठ रख दिए।

उसके मजे की कोई सीमा न रही और वो अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी। मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और जीभ से उसकी चूत चोदने लगा।

10 मिनट उसकी चूत जीभ से चोदने पर उसने पानी छोड़ दिया। मैं उसके बगल में जाकर लेट गया और चूचियाँ दबाने लगा और एक को मुँह में लेकर चूसने लगा।

एक एक करके मैं उसकी चूचियाँ चूसता रहा वो फिर से गर्म हो गई, फिर हम 69 स्टाइल में आये एक दूसरे को चूसते रहे।

फिर मैंने उसे डोग्गी स्टाइल में बैठा दिया, चूत गीली थी ही इसलिए आराम से अंदर चला गया। फिर क्या था धक्के पर धक्का और 10 मिनट में उसने फिर पानी छोड़ दिया और मैंने भी स्पीड तेज कर दी तो 5 मिनट बाद मेरा भी पानी उसकी चूत में चला गया।

फिर हम आराम से लेट गए।

कुछ देर बाद मैंने कहा- एक बार पीछे से डालने दो।

उसने मना किया- नहीं, बहुत दर्द होता है ! मेरी सहेली कह रही थी उसकी जान निकल गई थी, मैं नहीं करवा रही !

जैसे तैसे करके मैंने उससे हाँ बुलवा ही दी, फिर मैंने पहले कपड़े से सब साफ़ किया, थोड़ा तेल लेकर उसकी गांड पर लगाया और अपने लंड पर भी लगाया। जैसे ही अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा वो आगे चली गई और फिर से मना करने लगी।

मैंने फिर से उसे मना लिया, मान नहीं रही थी।

इस बार मैंने उसे लिटा दिया और उसके छेद पर लंड रख के उसके हाथों को कस के पकड़ लिया और एक जोर से धक्का दिया और आधा लंड उसकी गांड में चला गया।

उसकी एक तेज चीख निकल गई, शायद जो भी कमरे के बाहर से जा रहा होगा उसने सुन लिया होगा।

मैंने उसके होंठों पर हाथ रख के एक और धक्का दिया, थोडा और रह गया, उसने अपने हाथ मेरे से छुड़ा लिए थे और मेरे पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी। कुछ देर बाद मैंने आखिरी धक्का भी दे दिया और पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया, फिर थोड़ा रुक कर धक्के लगाने लगा।

कुछ देर में उसको भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, फिर 10 मिनट उसकी गांड चोदने के बाद उसने कहा- अब दर्द सहन नहीं हो रहा है, निकाल लो।

मैंने भी गांड से निकाल के उसकी चूत में डाल दिया और 10 मिनट चूत में धक्के लगा के उसके ऊपर सारा माल गिरा दिया, फिर हम दोनों सो गए।

रात में नींद खुली तो एक बार और उसकी चूत मारी।

हम वहाँ दो हफ्ते रहे और इन दो हफ्तों में मैंने उसे सब तरह से चोद दिया था, सुबह उठ कर उससे अपना लंड चुसवाता था और रात को सोने से पहले उसे चोदता था।

फिर अपने शहर वापस आकर वो अपने गाँव अपने पति के पास चली गई।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी, मेल करके जरूर बताइए।

हम अगर आपसे मिल नहीं पाते,

ऐसा नहीं है की आप हमें याद नहीं आते,

माना जहा के सब रिश्ते निभाए नहीं जाते,

लेकिन जो दिल में बस जाते है वो भुलाये नहीं जाते !












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भाई की साली-1



भाई की साली-1

प्रेषक : राजवीर

दो कदम तो सब चल लेते हैं, जिंदगी भर का साथ कोई नहीं निभाता, अगर रो कर भुलाई जाती यादें, तो हंस कर कोई गम न छुपाता... दोस्तो, कैसे हो आप लोग ! आपने मेरी कहानियाँ पसंद की, उसके लिए शुक्रिया। पेश है मेरी अगली कहानी ! मेरे घर में कुछ दिन के लिए नई मेहमान रहने आई, मेरी भाई की साली सोनी। उसकी शादी हो चुकी थी एक साल पहले, पर माल एकदम मस्त थी। किसी काम से आई थी सोनी यहाँ ! पूरी देहाती टाइप की लड़की थी वो। मेरे से भी मजाक हो जाता था कभी कभी, तो कभी नॉन-वेज मजाक भी। कभी कभी मैं उसके चूतड़ों पर चपत लगा देता था, चूँटी काट लेता, वो भी कभी कभी ऐसे करती। कभी कभी मैं चोरी चोरी उसकी 32-26-32 साइज़ का बदन देखता और लंड हिलाता था। उस दिन भी नहाने से पहले उसकी चूचियाँ देख कर लंड खड़ा हो गया था, वैसे ही नहाया और खड़े लंड को अच्छे से नहलाया। नहाने के बाद मैं सर पोंछता हुआ बाहर आया पर लंड वैसे ही अकड़ा हुआ ही था। मैं भूल गया था कि दरवाजा खुला है। जैसे ही आवाज सुनी : हॉ ! तैसे ही मैंने अपने चहरे से तौलिया हटा कर देखा तो सोनी मेरे पलंग में बैठी हुई मेरे खड़े लंड को एकटक देखे जा रही थी और मैं उसकी शक्ल देखे जा रहा था। तभी मुझे ध्यान आया और मैंने तोलिये से अपने लंड को छुपाया और वो भी भाग गई मेरे कमरे से। तब से वो मेरे से बात कम करती और देख कर हंसती और भाग जाती। फिर मैंने भी सोच लिया इसकी लेनी ही है। उस दिन छुट्टी थी, सुबह का ही वक्त था, भाभी ने उसके हाथ मेरे लिए चाय भेजी, वो मुझे जगाने आई, मैं जगा ही हुआ था, उसे आता देख फिर सोने का नाटक करने लगा और लंड को कच्छे से थोड़ा बाहर निकाल लिया। पहले वो आई और देखा तो उसने आँखें बंद कर ली, फिर देखा कि मैं सो रहा हूँ तो पास में आ गई और पलंग पर बैठ गई। वो मेरे लंड को देख रही थी, यह देख कर मेरे लंड ने एक ठुमका मारा और कच्छे को नीचे करता हुआ बाहर आ गया। वो उठ कर खड़ी हो गई और कमरे से बाहर जाने लगी। फिर उसे ना जाने कुछ हुआ, वो फिर आई और पलंग पर बैठ गई और मेरे लंड को देखने लगी। उसने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी। तभी उसे मेरे तकिये के नीचे किताब दिखी जिसमे सम्भोग का तरीका लिखा हुआ था और तस्वीरें भी थी नंगी-नंगी। उसने एक के बाद एक तस्वीर देखी और फिर से मेरा लंड पकड़ लिया, हल्के से खाल नीचे करके लाल लाल सुपारा देखने लगी। अब मेरा लंड पूरा उसकी मुट्ठी में था। फिर उसने कच्छे से मेरे आंड भी बाहर निकाल लिए और उन्हें सहलाया। फिर एक हाथ से अपनी एक एक करके चूचियाँ दबाई और चूत पर हाथ ले जाकर एक बार चूत को रगड़ दिया और फिर लण्ड को पूरा ऊपर नीचे करने लगी आराम आराम से। अंदर से वो पूरी गरम हो चुकी थी, तभी भाभी की आवाज आई और उसने जवाब दिया- अभी आई। मैंने भी उसी वक़्त आँखें खोल दी और कहा- अरे तुम यहाँ? और ये क्या? वह कुछ न कह पाई और शर्म से लाल होकर भाग गई। मैं मन ही मन खुश हो गया कि अब तो पट गई, नई चूत मिलेगी। उसके बाद वो मुझसे आँखे नहीं मिला रही थी। दिन का टाइम था, वो सो रही थी, मैं सबको देख कर उसके कमरे में गया, वो सीधी सो रही थी, उसकी चूचियाँ सांस लेने से ऊपर नीचे हो रही थी। मैं भी जाकर पलंग पर बैठ गया, पहले उसके गाल सहलाये फिर उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया और जैसे ही दबाया वो जग गई और सिमट कर बैठ गई, कहने लगी- तुम यहाँ क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा तो, क्या होगा। मैंने कहा- अच्छा ! उस दिन जब तुम मेरा पकड़ कर देख रही थी और सहला रही थी? तब कोई देख लेता तो? उसने कहा- वो तो गलती से पता नहीं कैसे हो गया। मैंने बोला- नहीं, अब मुझे बदला लेना है, मैं भी तुम्हारा देखूँगा, नहीं तो तुम्हारे बारे में सबको बता दूँगा। वो कुछ न बोली, बस मुझे देखती रही भोली बनकर। मैंने जाकर दरवाजा बंद किया और आकर फिर उसके पास गया और उसे लिटा दिया। उसने कहा- कोई आ गया तो? मैंने उसे ऊपर अपने कमरे में आने को बोला और मैं ऊपर चला गया। कुछ देर बाद वो भी ऊपर आ गई, ऊपर के कमरे की खिड़की से सीढ़ियाँ दिखाई देती हैं, कोई आएगा भी तो पहले ही मालूम चल जायेगा। मैंने दरवाजा भी नहीं लगाया कि कोई शक करेगा। फिर मैंने उससे पूछा- अब बताओ, क्या देख रही थी उस दिन? वो कुछ न बोली, बस शरमा कर मुँह छुपा लिया। मैंने उसका हाथ हटाया और गालों पर एक चुम्मा दे दिया, वो पूरी शर्म से लाल हुई पड़ी थी। फिर मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने अलग होकर पूछा- जो उस दिन दिन देखा था आज भी देखोगी? उसने शरमा कर हाँ में जवाब दिया। मैंने पैंट नीचे कर दी, फिर उससे बोला कि अब कच्छे में से निकाल लो। जब उसने कुछ नहीं किया तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। वो पीछे हाथ हटाने लगी पर मैंने मजबूती से पकड़ रखा था। जब हाथ हटाया न गया तो उसने भी अच्छे से मेरे लंड को पकड़ लिया। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और बोला- बस यह पर्दा हटा लो फिर तुम्हारी चीज़ तुम्हारे सामने होगी। वो मेरे लण्ड को थोड़ी देर ऐसे ही दबाती रही और फिर कच्छा नीचे कर दिया, मेरा लंड ठीक उसके सामने आ गया। वो उसे सहला रही थी, लंड पूरा खड़ा हो चुका था। मैंने उससे पूछा- तेरे पति के से बड़ा है क्या जो ऐसे देख रही हो? उसने कहा- हाँ, लम्बाई में थोड़ा छोटा है मेरे पति का और... और इतना मोटा भी नहीं है। मैंने कहा- फिर देख क्या रही हो? मुँह में ले लो और चूस लो इसे ! उसने कहा- छीः, यह तो गन्दा होता है, मैं नहीं लूँगी मुँह में। जैसा कहा था मैंने कि सोनी देहाती है पूरी, मैंने कहा- चलो ठीक है ! फिर मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा और वो मेरा लंड सहला रही थी। मैंने उसका कमीज और ब्रा ऊपर कर दिया और चूचियाँ दबाने लगा, फिर निप्पल चुटकी से मसलने लगा और कुछ देर में मुँह में लेकर चूसने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी। अब वो लेटी हुई थी, मैं उसकी चूचियाँ चूस रहा था वो मेरा लंड मसल रही थी। मैंने उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत पर हाथ रखा वो छटपटा के रह गई। फिर मैंने उसकी पजामी में हाथ डाल दिया, इलास्टिक वाली पजामी पहनी हुई थी उसने और अंदर पेंटी भी नहीं पहनी हुई थी। अंदर हाथ डालते ही सीधा उसकी चूत पर हाथ गया जो बहुत बालों के बीच फंसी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि उसने जब से जवान हुई तब से बाल साफ़ ही नहीं किये, कैसा पति था इसका। कोई बात नहीं, मैं किसलिए हूँ ! मैंने पूछ ही लिया- बाल कब से नहीं बनाये? उसने कहा- मैंने कभी बाल नहीं साफ़ किये यहाँ के ! मैंने उसकी पजामी नीचे कर दी और चूत में उंगली डाल दी, उसकी चूत भी पूरी गीली हो गई थी, वो भी हल्के-हल्के सीत्कार रही थी। मैं भी तैयार था पर तभी किसी के आने की आहट हुई तो मैंने खुद को ठीक किया, उसने भी अपने आप को ठीक किया और कमरे के बाहर चली गई। तो अब दिन बीत गया, रात करीब 8:30 बजे होंगे, वो पलंग पर बैठ कर टीवी देख रही थी और रजाई से ढकी थी, उसके आगे बच्चे बैठे हुए थे, मैं भी जाकर उसकी बगल में बैठ गया और अपने को भी ढक लिया रजाई से। उसने वही पहना हुआ था और मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहना हुआ था। कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। उसने हटा दिया और इशारे से कहा कि कोई देख लेगा, पर मैंने फिर हाथ रख दिया, इस बार उसने नहीं हटाया। फिर मैंने अपना मोबाइल निकाल कर उसमें कम आवाज करके ब्लू फिल्म चला दी, अब उसका ध्यान टीवी से हट कर मेरे फोन पर आ गया था। मैंने फिर उससे पूछा- शादी से पहले भी किसी से किया है क्या? उसने धीरे से कहा- किसी को बताओगे तो नहीं न? मैंने कहा- नहीं बताऊँगा, बता दो। उसने कहा- हाँ, एक लड़के के साथ किया है 2 बार, उसके बाद सिर्फ पति के साथ ही ! इस बीच मैंने उसका हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और अपना हाथ उसकी चूत पर ले आया। हमें यह सब करता कोई देख नहीं पा रहा था। अब फिल्म में ये दृश्य चल रहा था कि लड़की की चूत लड़का चाट रहा था। उसने मेरे से पूछा- इसमें मजा आता है क्या? मैंने कहा- हाँ, बहुत मजा आता है, तुम अपने बाल साफ़ कर लेना, फिर यह मजा दूंगा। उसने कहा- कैसे साफ़ करुँगी? मैंने कहा- वो भी मैं कर दूंगा, तुम फिकर मत करो। कहानी जारी रहेगी।








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गोरी गोरी लैला चाची-5



गोरी गोरी लैला चाची-5

प्रेषक : इमरान

चुम्मा तोड़ कर मैंने पूछा "कैसी लगी मेरी गांड चचाजी? आप को सुख दिया या नहीं इसने?"

"तू तो मेरा जानेमन है, इमरान, मेरा प्यारा है... मां कसम... क्या लुत्फ़ आया तेरी गांड मारने में... मैं निहाल हो गया मेरे बच्चे !" चचाजी जोर जोर से सांस लेते हुए बोले। मेरा लंड भी कस कर तन्ना गया था।

"अब इसका क्या करें?" काशीरा ने मेरा मचलता लंड पकड़कर कहा।

चाची बोलीं- मैं तो अभी चूस लूँ पर ये काम इनका है, क्योंजी, आपके भतीजे ने आप को इतना सुख दिया, उसका लंड नहीं चूसोगे?

"अभी चूस देता हूँ मेरी जान, मैं तो खुद कहने वाला था।" चचाजी बोले।

"बाद में चूस लेना चचाजी, अब आपकी और आपके भतीजे की प्यार मुहब्बत शुरू हो ही गई है तो ऐसा करते हैं कि अब मैं चाची को अपने कमरे में ले जाती हूँ, देखती हूँ कि आखिर इनकी बुर कितना पानी छोड़ती है दो घंटे में। और आप और इमरान मिल कर घंटे दो घंटे भर मस्ती कर लो।" काशीरा बोली।

चाची को बात जंच गई, वे उठकर काशीरा के साथ चल दीं, मुड़ कर बोलीं- जरा अच्छे से प्यार करना मेरे बच्चे से, नहीं तो बस खुद चढ़े रहोगे और उसको कुछ नहीं करने दोगे !

"नहीं नहीं भाग्यवान, मैं इमरान का पूरा ध्यान रखूँगा।" मेरे लंड को चूमते हुए चचा बोले।

चाची और काशीरा जाने के बाद चचा मुझसे चिपट कर मेरे चुम्मे लेने लगे- यार इमरान, तू तो छुपा रुस्तम निकला, क्या गांड पाई है तूने, मां कसम, मैंने कई गांडें मारी हैं पर तेरे जैसी कोई नहीं थी।

मैंने भी चचाजी का लंड पकड़कर कहा- चचा, आप को सच बताऊँ, मैंने भी गांड मराई है, ज्यादा नहीं, दो तीन बार, जब मैं अपने दोस्तों के साथ होता हूँ तो काशीरा बहक जाती है, जब वो दोस्त की बीवी के साथ इश्क करती है, तो मुझे बोलती है कि तुम लोग भी ऐसे ही मस्ती करके दिखाओ। अधिकतर हम लंड चूस कर काम चला लते हैं पर कभी कभी काशीरा मचल जाती है, बोलती है कि चलो एक दूसरे की गांड मारो, तब करना पड़ता है। बाद में मुझे मजा आने लगा पर फ़िर भी मैं नहीं मरवाता था, काशीरा हठ करे तो ही मरवाता था। पर आपका लंड देखा तब से गांड बहुत मचल रही थी, आज सुकून मिला !

"फ़िकर मत कर राजा, आज इतनी मारूंगा तेरी कि तेरी गांड को पूरा खुश कर दूंगा !" कहकर चचा मेरी जीभ चूसने लगे। चूमाचाटी से उनका फ़िर से खड़ा होने लगा। मेरे लंड को पकड़कर बोले "यार बहुत रसीला लगता है, चूसने का मन होता है।"

"चूस लीजिये चचाजी, आपका ही है पर.. आप.. याने बुरा मत मानें तो.. मैं आपकी गांड मारूं? बहुत जम के खड़ा है, आप अगली बार चूस लेना।"

"मार ले मेरे बच्चे मार ले पर तुझे मजा आयेगा? तू काशीरा जैसी मस्त मुलायम गांडें मारता है तो मेरी तो जरा कड़क लगेगी तुझे।"

"तभी तो मारनी है चचाजी, आपके चूतड़ क्या कसे हुए हैं, कसरत से एकदम सख्त हो गये हैं, बहुत मन होता है मेरा !"

"तो मार ले मेरी जान, पर झड़ना नहीं, मुझे स्वाद लेना है तेरी मलाई का !" कहकर चचाजी लेट गये। मैंने उनकी गांड को सहलाया, वाकई सख्त और मांस पेशियों से भरी हुई थी। मैंने मसला और दबाया और फ़िर जीभ से चाटा। चचाजी कमर हिलाने लगे- अरे मेरे राजा... मजा आ गया रे.. तेरी जीभ तो जादू करती है जादू.. चाट ना !

मैं जीभ रगड़ रगड़कर चचाजी की गांड चाटने लगा। फ़िर जीभ की नोक लगा कर उनके छेद को गुदगुदाया। चचाजी मस्ती से ऊपर नीचे होने लगा। मैंने मक्खन उंगली में लिया और चाचा की गांड में घुसेड़ दी। गांद एकदम टाइट थी।

"चचाजी, यह तो टाइट है बहुत.. एक बात पूछूं चचाजी... आपने मराई है क्या कभी?" मैंने पूछा।

"नहीं बेटे, आज पहली बार है, वैसे गांड मारी है एक दो लौंडों की... तेरी चाची जब मैके गई थी तब गांव के एक लौंडे को पकड़ लिया था.. किसी औरत को पकड़ता तो तमाशा हो जाता.. बड़े प्यार से मरवाता था वो छोकरा... पर साला बाद में गांव छोड़ के शहर चला गया पढ़ने.. उसके बाद नहीं मारी, तेरी चाची ही मरवाने को मान गई... मैके जाना भी बंद कर दिया... तू मार ना.. तेरी जीभ ने बहुत मस्त किया है मेरी गांड को... अब चोद डाल !"

मैंने चचाजी की गांड में और मक्खन लगाया और फ़िर अपना लंड डाल दिया। लंड का सुपारा जाते ही चचाजी- हाँ इमरान... डाल बेटे... पूरा डाल दे !" करने लगे।

चचाजी का गांड मस्त टाइट थी, शायद सच में पहली बार मरा रहे थे। पर मूड में थे इसलिये अपनी गांड ढीली कर करके उन्होंने पूरा ले लिया।

"आ जा बेटे, चढ़ जा मुझ पे, ..आ और पास आ !" चचाजी बोले। मैं चचाजी पर सो गया और अपने पैर और हाथ उनके बदन के इर्द गिर्द लपेट कर उनकी गांड मारने लगा।

"आह... बहुत अच्छे मेरे बेटे.. मजा आ रहा है रे.. साले गांडू छोकरे क्यों मराते हैं.. अब समझ में आ रहा है.. झड़ तो नहीं रहा है ना?"

"अभी नहीं चचाजी... अभी तो मस्त खड़ा है.. आप की गांड बहुत टाइट है चचाजी.. कस के प्यार से पकड़े हुए है मेरा लौड़ा.. अरे ये क्या.. कर रहे हैं... चचाजी.. मैं.. मैं झड़ जाऊँगा..." मैं मस्ती से चिल्लाया। अब चचाजी अपनी गांड सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को गाय के थन जैसे दुह रहे थे।

चचाजी हंस कर बोले- हो गया काम तमाम? बेटे, चल निकाल ले जल्दी दे, झड़ मत अंदर !

मैंने पक्क से अपना खड़ा लंड बाहर खींच लिया। चचाजी ने मुझको नीचे लिटाया और लंड को चाटने लगे- वाह देख कैसा रसीला लग रहा है, ला अब दे दे अपनी मलाई मुझको !

चचाजी ने सुपाड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगे।

"अह चचाजी... चूसिये चचाजी... ओह ओह"

अब चचाजी लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मेरी मुठ्ठ मार रहे थे, साथ ही सुपारा चूसते जाते।

मैं झड़ गया। चचाजी ने मेरा पूरा वार्य जीभ पर भर लिया और फ़िर मुँह बंद करके चख चख कर निगल गये। उनका लंड अब तक फिर से खड़ा हो गया था।

चचाजी के साथ मेरी चुदाई घंटा भर और चली। इस बार वे घंटे भर तक मेरी मारते रहे। मन भर के हर आसन में उन्होंने मेरी मारी। आधे घंटे तो मुझे दीवाल से सटा कर खड़े खड़े मारते रहे, बहुत मूड में थे। मुझसे गांड फ़िर से नहीं मराई उन्होंने, मेरा लंड चूस डाला, मेरे वीर्य पर लट्टू हो गये थे।

उसके बाद हम जो सोये वो सीधे रात को उठे। रात को काशीरा ने सब के लिये बदाम का हलुआ बनाया। खास कर चचाजी के लिये "चचाजी, खाओ और लंड खड़ा करो फ़िर से। आज रात भर आप से चुदवाऊँगी !"

चचाजी बोले- काशीरा रानी, आज रात बस मैं और तुम ! ऐसा चोदूंगा कि कल उठ नहीं पाओगी !

"चचाजी, वो शर्त याद है ना? मैं कहूँगी वो करना पड़ेगा, आखिर आज आप को कोरी कोरी गांड दिलवाई मैंने आपके भतीजे की !"

"हाँ हाँ बहू रानी, तेरे जैसे सुंदर छिनाल चुदैल रंडी की बात नहीं मानूँगा तो किसे की मानूँगा !"

हम सब नहाने गये। काशीरा ने नहाते वक्त मेरी गांड में बर्फ़ भर दिया और क्रीम लगा दी- इससे राहत मिलेगी, गांड भी फ़िर से टाइट हो जायेगी। इमरान राजा, बहुत मजा आया मुझको, तुम्हारी गांड इतनी अच्छी है कि मैं कब से सोच रही थी कि इसको चोदने लायक लंड मिलना चाहिये वो मिल गया। तुमको मजा आया?

"हाँ रानी, बहुत मजा आया, सब तुम्हारी वजह से, तुम न कहतीं तो शायद मैं खुद नहीं मरवाता। चचाजी का लंड वाकई मतवाला है, मैं भी आशिक हो गया उनका। चाची के साथ कैसी रही तुम्हारी चुदाई?"

"एकदम मस्त, सच में बुर है या शहद का घड़ा, घंटे भर में कटोरी भर रस पिलाया मुझको चाची ने। और सुनो, मेरी चूची से चुदवाया उहोंने" काशीरा शोखी से बोली।

"क्या बात करती हो?"

"हाँ, मेरी चूची को अपने भोसड़े में ले लिया, इतना बड़ा छेद है उनका, आधी चूची अंदर ले ली, बड़ी रसिया हैं चाची। आज रात को तुम मजा ले लेना, कल तो वे जा रहे हैं।"

"तुम रात भर सच में चुदवाओगी चचाजी से?" मैंने पूछा तो बोली- और क्या, और तरसा तरसा कर चुदवाऊँगी, झड़ जाते हैं तो फिर आधा घंटा लगता है लंड उठने में। मुझे तो हर पल चुदना है, देखो आज रात क्या दुर्गत करती हूँ, झड़ने नहीं दूंगी उस चोदू आदमी को, तरसा तरसा कर चुदवाऊँगी। तुम्हारे साथ काफ़ी झड़ चुके दोपहर को, अब रात में हिसाब लूंगी।

उस रात मैंने चाची के साथ काफ़ी मजे किये। अधिकतर उनकी चूत चूसी, क्योंकि वाकई उनकी बुर के पाने का स्वाद लाजवाब है। गांड भी मारी पर सिर्फ़ एक बार। दोपहर को चचाजी के साथ की चुदाई में लंड दो बार झड़ चुका था।

काशीरा ने शायद चचा जी को इतना निचोड़ा कि सुबह उनसे उठा भी नहीं जा रहा था। बड़ी मुश्किल से उठकर तैयार हुए। ट्रेन से जाते वक्त काशीरा को खूब आशिर्वाद दे कर गये।

काशीरा ने जाते वक्त उनकी चेन लौटा कर कहा- चचाजान, ये लीजिये, मैंने तो मजाक में रख ली थी।

चचाजी ने वापस काशीरा को दे दी- पर मैंने सच में दी थी बहू। अब रख ले और तुम दोनों अब हमारे यहाँ आना, अब हम साल भर को बेटी के यहाँ जा रहे हैं अमेरिका, वापस आयेंगे तब बेटे, तुम दोनों आना हमारे यहाँ ! मजा करेंगे, अब तो तुम दोनों के बिना हमको नहीं सुहायेगा। और बेटी तेरा वो इमरत जो तूने कल पिलाया, एकदम मजा आ गया !"

चाची भी बोलीं- यह बहू तो एकदम रति देवी है बेटे, तुझे भी बहुत सुख देगी और हम को भी !

ट्रेन जाने के बाद मैंने पूछा- चचाजी से चुदवाया रात भर या उनको बुर चुसवाई जो इमरत की बात कर रहे थे। मैं तो सोच रहा था कि तू उनसे चुदवायेगी !"

"और क्या? पहले एक घंटा चुसवाई, वो ही जिद कर रहे थे कि चखने दे बेटी तेरी गोरी गोरी बुर का स्वाद, फ़िर चुदवाया। पर वो उस इमरत की बात नहीं कर रहे थे !"

"तो?" मैंने पूछा।

"मैंने उनको अपना मूत पिलाया !" काशीरा मेरे कान में बोली।

मैं उसकी ओर देखने लगा।

"पहले खूब चूत चुसवाई और उनके लंड से खेलती रही, पर चोदने नहीं दिया। जब रिरियाने लगे तो बोली कि मेरा मूत पियो तो चुदवाऊँगी।" कहकर काशीरा बड़ी शोखी से मेरी ओर देखने लगी।

मैं बोला- कैसी चालू चीज है तू काशीरा ! चचाजी को ऐसा बोली? तुम क्या करोगी चुदाई की हवस में, कुछ नहीं कहा जाता। क्या बोले वो?

"वो एकदम से राजी हो गये। मैंने तो मस्ती में कहा था कि देखें कितने फ़िदा हैं मुझपे पर जब उन्होंने तुरंत हाँ कह दी तो मैं बाथरूम में ले गई। दो घूंट पिला कर मैं तो रुक गई, पर उनको इतना अच्छा लगा कि पूरा पी गये। उसके बाद रात भर में चार बार पिया, तड़के तो वहीं बिस्तर में मुँह खोल कर लेट गये और मुझे बोले कि मूत दे मेरे मुँह में, फ़िर चोद डाला। पर इमरान, मेरा मूत पीकर उनका ऐसा खड़ा होता था कि फ़िर घोड़े जैसे चोदते थे। बहुत मजा आया मेरे राजा, चूत की प्यास एकदम कम हो गई !"

फ़िर काशीरा बोली "पर जो मजा दिया चचाजी ने, लगता है जल्दी ही ये आग फ़िर से जाग उठेगी। हाऽय राजा, बहुत मजा आता है ऐसे गरम मर्दों से चुदवाने में !"

"चचाजी तो अब नहीं हैं साल भर, चल मैं अपने यार दोस्तों को बुलवा लेता हूँ अगले हफ़्ते, तब तक तू आराम कर ले !"

"इमरान, वो तुम्हारे मौसाजी हैं ना, अहसान मौसाजी नाम है शायद?"

"हाँ ! उनका क्या?"

"मेरे खयाल से अगले महने उनके यहाँ गाँव में चलें तो?" काशीरा मेरी ओर देखकर बोली।

"अरे पर तूने उनको कब देखा? वो तो शादी में भी नहीं आये थे।"

"चाचीजी कुछ बोल रही थीं, ठीक से कुछ बताया नहीं पर जाते जाते मुझे कहके गईं कि बेटी अब मैं और तेरे चचाजी तो नहीं हैं साल भर, नहीं तो तुझे पूरा ठंडा कर देते तू हमारे गांव आती तो। फिर दो मिनट के बाद बोलीं कि इमरान से कहो कि अहसान मौसा के यहाँ ले चलो। बस और कुछ नहीं बोलीं, हंस दीं।" काशीरा बोली।

"ठीक है मेरी जान, अगले महीने वहाँ चलेंगे।"

समाप्त






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..............raj.....................

गोरी गोरी लैला चाची-4



गोरी गोरी लैला चाची-4

प्रेषक : इमरान

"वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलाई जा रही है, चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूँ कि ये कहाँ का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात !" चाची की आवाज आई।

वे नहा कर सीधे हमारे कमरे में चली आई थीं।

चाची भी काशीरा की तरह ही अधनंगी आई थीं, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहनी थी। पर क्या ब्रा थी, एकदम तंग और कसी हुई। उनके नारियल जैसे बड़े बड़े मम्मे ब्रा के कपों में समा नहीं रहे थे, जबकि ब्रा काफ़ी बड़े साइज़ की थी। पैंटी बस उनकी बुर की लकीर को और दोनों चूतड़ों के बीच की खाई को ढके थी, उनके बड़े बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ों का बाकी भाग साफ़ दिख रहा था। और क्या बदन था चाची का, चिकना, मखमले, मांसल, कुंदन जैसा दमकता हुआ।

"आज बहुत दिनों में ऐसी सजी हो भाग्यवान, क्या बात है? यह ब्रा और पैंटी नई लगती हैं, पहले कभी देखी नहीं?" चचा बोले।

"अब तुमको तो फ़रक पड़ता नहीं, तुम तो सीधे चढ़ जाते हो, पर मैंने सोचा कि बच्चों को जरा ठीक से अपना जोबन दिखाऊं, नहीं तो वे समझते होंगे कि यह कहाँ की मुटल्ली है। कल रात को इमरान भी मुझे पूरा देखने की जिद कर रहा था, मैंने कहा अब दिन में ही दिखाऊँगी ठीक से। पिछले महने खरीदे थे मैंने ये कपड़े, कैसी लग रही हूँ मैं इमरान बेटे? तुझे चाची को देखना था ना? ले अपनी आंखें ठंडी कर ले !" चाची बोलीं।

"चाची... आप तो... अब क्या कहूँ...!" मैं बोला और उनसे लिपट गया।

"हाँ चाची, बहुत मस्त दिख रही हैं आप, मैं तो कब से कह रही हूँ इमरान से कि असली माल चाहते हो तो चाची के पास जाओ।" काशीरा चाची के पास आकर बोली।

मैं चाची के बदन का जो हिस्सा सामने आये, वो चूमने लगा। ब्रा में भरे उनके मम्मे दबाये और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।

काशीरा ने चाची की दोनों चूचियों को हथेली में लेकर उठाया जैसे वजन नाप रही हो- चाचीजान, ये तो दो दो किलो के पपीते जैसे लगते हैं, क्या नाप है आपका? इतनी बड़ी ब्रा मिलती हैं मार्केट में?

"ये बयालीस साइज़ की हैं बेटी, कप डी डी। एक दुकान में दिख गई थीं तो उठा लाई। तेरा तो अड़तीस नाप होगा, है ना, मस्त कसी चूचियाँ हैं तेरी। आखिर गरम जवानी है।"

"चाची, असल में छत्तीस हैं, टाइट है इसलिये आपको लग रहा होगा। आप ही खुद देख लो !" काशीरा ने उठाकर चाची का हाथ अपनी ब्रा पर रख लिया।

चाची दबाने लगीं, फ़िर काशीरा को चूमने लगीं- बड़ी प्यारी है तू काशीरा, इसीलिये तो तेरे चचाजी दो दिनों से अजीब सी हरकत कर रहे हैं। आ इधर आ, मेरे पास बैठ, तुझे ठीक से देखूँ तो !"

कहकर चाची काशीरा को लेकर पलंग पर बैठ गईं, काशीरा को गोद में बिठा लिया। फ़िर दोनों में मस्ती की चूमाचाटी होने लगी। कभी चाची काशीरा की चूचियाँ दबाती कभी पैंटी में हाथ डालकर बुर को खोदतीं। काशीरा तो बस उनके मम्मों पर टूट पड़ी थी, ब्रा के ऊपर से ही चाची के निप्पल चूस रही थी। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

मैं तना लंड लेकर उनके पास बैठा था, मन हो रहा था कि काशीरा को बाजू में करके चाची पर चढ़ जाऊँ। चाची मेरी हालत जान कर मुझे और तरसाने पर जुट गईं। नीचे लेटकर उन्होंने अपनी टांगें फ़ैला दीं और बोली- काशीरा बिटिया, देख कैसी हालत हो गई है तुझे देख के, कल तेरे मर्द ने मुझे बहुत सुख दिया पर तू कोई कम नहीं है।" और उन्होंने पैंटी की पट्टी बुर पर से खिसकाकर उंगली से अपनी चूत खोली और काशीरा को दिखाई।

"ह ऽ य चाची, कितनी प्यारी है और कितनी बड़ी... बहुत मीठी दिख रही है चाची.. तभी कल इमरान कह रहा था कि रात भर चाशनी पी कर आया है !"

"तो तू भी पी ले, तेरा भी हक है, आ जा बेटी.. ये ले !" कहकर चाची ने पैंटी उतार दी। काशीरा ने मुँह डाल दिया और चूसने लगी।

"आह .. अरे इमरान.. मेरी कब से तमन्ना थी... जब से बहू को देख है लगता था कि कब इसे अंग से लगाऊँ.. तू यहाँ आ ना, इनको देख.. ले मैं ब्रा उतार देती हूँ।"

चाची ने ब्रा उतारी तो उनके नारियल जैसे मम्मे लटकने लगे। खजूर से निप्पल थे और आजू-बाजू के भूरे गोले चाय की तश्तरी जैसे बड़े थे। मैंने मुँह में ले लिया और चूची दबा दबा कर चूसने लगा।

चचा लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे कर रहे थे, अब वो फिर से खड़ा होने लगा था। वो सरक कर काशीरा के पास आये और उसकी पैंटी खिसकाने की कोशिश करने लगे। काशीरा ने उनका हाथ झटक दिया।

"बड़ी हरामन है, साली गांड देखने भी नहीं देती, मारने क्या देगी !" पैंटी के ऊपर से ही काशीरा के चूतड़ दबा कर चचा बोले।

काशीरा चाची की बुर से मुँह उठा कर बोली- चचा, मेरी गांड तो आप को नहीं मिलेगी, कम से कम आज तो नहीं, आप तो चाची की रोज मारते होंगे ना, फिर क्यों मस्ती चढ़ रही है आपको?"

"अरे बेटी, मेरी तो मार मार के चौड़ी कर दी है इन्होंने, अब कोई जवान कोरी गांड चाहिये इनको !"चाची काशीरा के सिर को जांघों में दबा कर हचकती हुई बोलीं।

"नहीं चाची, आपकी गांड सच में मस्त है, स्पंज के पहाड़ हैं पहाड़। कल रात बहुत मजा आया था मारने में, जरा दिखाइये ना ठीक से !"

चाची ने काशीरा से कहा "बेटी उठ जरा, इस लड़के के मन की भी कर दूँ !" उन्होंने काशीरा को नीचे लिटाया और उसके ऊपर उल्टी लेट गईं।

काशीरा के मुँह में अपनी चूत दी और चूतड़ हिला कर बोलीं- ले, देख ले, मुँह मारना है तो वो भी कर ले !

चाची के दो चूतड़ याने बड़े बड़े रसीले तरबूज थे। मैं उनको चाटने और चूमने लगा। फ़िर गांड खोल कर उनका छेद चाटने लगा, जीभ भी अंदर डाली।

काशीरा नीचे से बोली "चचाजी, आज आपको न चाची की गांड मिलेगी न मेरी, आप तो और कोई ढूंढ लो।"

चाची झल्ला कर अपने पति से बोलीं "अजीब आदमी हो, वो इमरान की गांड नहीं दिख रही है? अरे इतनी गोरी गोरी और चिकनी तो औरतों की भी नहीं होती। तुमको तो गांड चाहिये ना, फ़िर ये तो है तुम्हारे सामने !"

चचाजी मेरे चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे- हाँ भाग्यवान, मैंने देखा, बड़ी मस्त है, मैं तो कल से देख रहा हूँ, बहू भी अभी थोड़ी देर पहले बोल रही थी कि मार लो, मैंने सोचा साली चुदैल मजाक कर रही है।

"तो ले लो ना, इमरान मना थोड़े करेगा अपने चचा को, आखिर बचपन में गोदी में खिलाया है उसको, और तुम्हारा लंड नहीं चूसा उसने अभी, तुम्हारा लंड भा गया है उसको !"

चचा झुक कर मेरे चूतड़ चूमने लगे। कभी चाटते, कभी नाक लगाकर सूंघते। फ़िर अपने लंड को मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगे- आह.. बड़ी मस्त है रे इमरान.. मेरा लौड़ा देख .. साला एक मिनट में कैसे तन गया फ़िर से... मारने देगा?

मैं कुछ बोलता इसके पहले काशीरा बोल पड़ी- मार लो ना चचा, आपके हक की है, सगे भतीजे की, आपको नहीं देगा तो किसको देगा? .. वैसे सब को नहीं देता मेरा सैंया, बड़ी संभाल कर रखता है चचाजी !

चचा ने मुँह में उंगली ले कर गीली की और मेरी गांड में उंगली करने लगे, मैंने गांड सिकोड़ ली। "वाह.. बड़ी मस्त टाइट गांड है इमरान तेरी.. मार लूँ क्या बेटे... अब नहीं रहा जाता रे... बहू नहीं मारने दे रही है.. तू ही मरवा ले.. अरे क्या छेद है तेरा... मुलायम और गुलाबी !" कहकर फिर मेरे छेद को चूसने लगे, उनकी जीभ अब अंदर जाने को बेताब थी।

"अरे क्यों बार बार पूछ रहे हो, उसने मना किया एक बार भी? मार लो ना, नहीं मरवायेगा तो मैं देख लूँगी उसको !" चाची बोलीं।

चचा तैश में आकर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगे। उनका बड़ा सुपाड़ा मेरे गुदा के छेद को खोलने की कोशिश कर रहा था। मुझे दर्द हुआ तो मैं सी-सी करने लगा।

"अरे कैसे बेरहम हो जी, कुछ लगा तो लो, यह क्या चूत है जो ऐसे ही डाल दोगे? तुम्हारे भतीजे की कोरी गांड है !" चाची बोलीं।

चचा जाकर तेल की शीशी ले आये। काशीरा बोली- चचा, तेल से काम नहीं चलेगा, आपका बहुत बड़ा है, मेरी मानो तो जाकर फ़्रिज में से मक्खन का डिब्बा ले आओ, मस्त सटकेगा आपका लंड !

काशीरा बोली- वो ऊपर रखा है, स्टील का डिब्बा है, घर का मक्खन है !

चचा झट से उठ कर चल दिये।

मैं बोला- काशीरा, डर लगता है, चचाजी फ़ाड़ न दें मेरी?

चाची ने मेरा लंड टटोला और हंसने लगीं- तेरे को डर लगता है तो ये कैसे मस्त उचक रहा है? अब नखरा मत कर, सच तेरे चचाजी का लंड कमाल की चीज है, जो एक बार लेता है, फ़िदा हो जाता है !

चचा वापस आये और मेरी गांड में मक्खन चुपड़ने लगे।

"अरे ये क्या जरा सा चुपड़ रहे हो, दो चार लौंदे भर दो, जरा अंदर तक जाये तब तो काम होगा, तुम्हारा इतना लंबा है, गहरा जायेगा इमरान की गांड में, बिना मक्खन के मारोगे तो फ़ट जायेगी बेचारे की !" चाची बोलीं।

चचाजी ने तीन चार लौंदे भर दिये मेरी गांड में। काशीरा चाची के नीचे से निकल आई।

"अरे बेटी, और चूस ना मेरी बुर, अभी तो पानी निकलना शुरू हुआ है, बहुत पिलाना है तुझे अभी !"

"चाची, बस अभी चूसती हूँ, पहले जरा देखूँ तो कि इमरान कैसे लेता है। मैं तो ताली बजा कर हंसूँगी जब ये चिल्लायेंगे। इसके दोस्त जब मुझे चोदते हैं तो ये मजे लेते हैं, आज मैं लूंगी !"

"अरी रानी, पर तुझे तो मजा आता है उनसे चुदने में !" मैंने कहा तो काशीरा बोली "और तुमको नहीं आ रहा है, बन रहे हो पर मन में लड्डू फ़ूट रहे हैं !"

चचाजी अपने लंड पर मक्खन रगड़कर तैयार हुए तो काशीरा ने मुझे ओंधा पलंग पर पटक दिया। मेरा सिर उठाकर चाची की छाती पर रख दिया- चाची, आप इसको अपनी चूची चुसवा दो, याने मुँह बंद रहेगा इसका। चलो चचाजी, डाल दो मेरे सैंया की गांड में अपना ये मूसल !

चचाजी मेरे पीछे बैठकर अपना सुपाड़ा मेरे गुदा में पेलने लगे। मैंने गुदा ढीला छोड़ा तो जरा सा अंदर ढंस गया।

"ऐसे ही बेटे, ढीला छोड़ तो अभी डालता हूँ !"

सुपाड़े से मुझको दर्द हो रहा था तो मैंने थोड़ा आह-उफ़ किया। चाची ने अपनी चूची मेरे मुँह में ठूंस दी और बोली- डालो जी, अब ये चुप रहेगा !

चचाजी ने जोर लगाकर सुपारा मेरे छल्ले के पार कर दिया, मैं गों गों करने लगा। काशीरा चहक उठी- ये हुई ना बात, अब देखो कैसे तड़प रहा है, जब इसके उस दोस्त ने मेरी मारी थी तो मुझे भी दुखा था, तब ये हंस रहा था।

चचा ने लंड पेल कर तीन चार इंच अंदर कर दिया। मैं सिर उठाने की कोशिश करने लगा, पर चाचीजी ने कस के उसे दबाये रखा।

"तेरी कसम बहू, बड़ी टाइट गांड है लौंडे की। अच्छा लग रहा है बेटे?"

काशीरा तुनक कर बोली "चचाजी, उससे न पूछो, मैं कह रही हूँ कि बहुत मस्ती में है इमरान। आप तो पूरा डाल दो !"

चचाजी ने जोर लगाकर पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया। मैं हाथ पैर मारने लगा तो काशीरा मेरे हाथों पर बैठ गई और चाची ने मेरी कमर कस के पकड़ ली- मारो जी मारो, अभी मस्ती से गुटर गुटर करने लगेगा कबूतर जैसे !

चचाजी लंड अंदर-बाहर करने लगे। मुझे अब मजा आ रहा था। दर्द के साथ गांड में मस्त गुदगुदी हो रही थी। मैं कमर हिलाने लगा तो चाची बोलीं- बस बेटी, छोड़ दे, अब तो खुद मरवायेगा ये रंडी जैसा ! मेरे मुँह से चूची भी निकाल ली।

मैं 'आह-ओह' 'हाँ चचाजी' करने लगा, चचाजी धीरे धीरे लंड पेलते हुए बोले- मजा आया बेटे?

"हाँ चचा... बहुत मस्त है आपका... मारिये ना.. दर्द भी हो रहा है.. ये मार डालेगा मुझको... पर अच्छा लग रहा है चचाजी.. हाँ.. आह.. और चचाजी.. और..." मैं बोला।

"यह बात हुई ना, ये लो बेटे !" कहकर चचाजी जोर से लंड पेलने लगे, काशीरा से बोले- वाकई मस्त टाइट गांड है तेरे पति की, बहुत शुक्रिया बेटी, तेरी वजह से मुझे ये गांड मिली !

"बदले में भी कुछ लूँगी चचाजी !" काशीरा बोली।

चचाजी मस्ती में थे, झट से गले से चार तोले की सोने की चेन निकाली और दे दी। काशीरा ने लेकर रख ली और बोली- ये तो ठीक है चचाजी, पर अब आज रात मुझे पूरा चोदना पड़ेगा, बस आप और मैं, एक मिनट को नहीं छोड़ूँगी मैं आपको, और जो कहूँगी करना पड़ेगा !

चचाजी हचक हचक कर मेरी गांड चोदते हुए बोली- तू जो कहेगी बेटी, वो करूंगा।

"अब आप ऐसा करो को इमरान पर लेट जाओ और उसको बाहों में ले लो, ऐसे दूर से बैठे बैठे क्या मार रहे हो, आखिर आपका सगा भतीजा है, प्यार से बदन सटाकर मारो, चुम्मे ले लेकर मारो !" काशीरा बोली।

चचाजी को बात जंच गई, वे मेरे ऊपर लेट गये और अपने हाथों और पैरों से मेरे बदन को लपेट कर मेरी गर्दन चूमते हुए मेरी मारने लगे। फ़िर मेरा सिर घुमाकर मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगे। मैंने भी अपनी जीभ उनको दे दी चूसने को।

उधर चाची और काशीरा गरम होकर एक दूसरे की बुर चूसने लगीं। बुर चूसते हुए वे हमें देखती जातीं।

"बेटी देख.. वो इमरान की गांड कैसी चौड़ी होती है जब ये लंड बाहर खींचते हैं.. देखा.. ऐसा लगता जैसे अब फ़टी अब फ़टी !"

"हाँ चाची.. पर मजबूत गांड है मेरे इमरान की, चचाजी के लंड को आराम से खा लेगी। इमरान राजा... मजा आ रहा है?"

मैं बोला- हाँ रानी.. बहुत मजा आ.. रहा है.. पेट तक जाता है लंड... चचाजी का... जवाब नहीं.. और पेलिये चचाजी... कस के.. हाँ चचाजी... हाँ... बहुत मस्त चचाजी... ओह.. ओह.. अब समझा काशीरा... क्यों दीवानी है.. आपके लंड की... चोद डालिये चचाजी... चोद डालिये मुझे... आपका ही भतीजा हूँ.. आप क्या प्यारा हूँ चचाजी... मारिये चचाजी... चोदिये और.. आह.. ओह...!

"हाँ बेटे.. साले मादरचोद गांडू.. बहुत प्यारा है तू.. मुझे लगा था कि.. बस तेरी बहू ऐसी... छिनाल है... तू भी कम चोदू... नहीं है.. साली क्या गांड पाई है... लंड को ऐसे पकड़ रही है... आह.. आह... मजा आ गया मेरे बच्चे.. साले फ़ाड़ दूंगा आज तेरी चोद चोद के.. चौड़ा भोसड़ा बना दूंगा... एकदम फ़ुकला कर दूंगा.. तेरी गांड की बुर बना दूंगा.. रंडी की बुर जैसी चौड़ी कर दूंगा... आह.. ओह..." और चचाजी झड़ गये। जब वे हांफ़ते हांफ़ते मेरी पीठ पर लस्त पड़े थे तो मैं सिर घुमाकर उनके होंठ चूसने लगा। बड़ा मजा आ रहा था, अच्छा लग रहा था कि चचाजी को मैंने इतना सुख दिया।

कहानी चलती रहेगी।





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..............raj.....................

गोरी गोरी लैला चाची-3


गोरी गोरी लैला चाची-3

प्रेषक : इमरान

चाची ने मुझे सीने से लगा लिया और थपथपा कर छोटे बच्चे जैसे सुला दिया।

सुबह सब देर से उठे। मैं चाची के कमरे के बाहर आया तो काशीरा भी जाग गई थी, चाय बना रही थी। जब चाय लेकर मेरे पास आई तो पैर चौड़े करके चल रही थी।

"क्यों रानी, बना दिया भुरता चचा ने तेरी चूत का? हो गई तसल्ली?" मैंने उसे चूम के कहा।

"हाँ डार्लिंग, बहुत दिनों बाद मेरी चूत को किसी ने ऐसे धुना है। लाजवाब चीज है चचाजान का लंड, मैंने तो रात भर नहीं छोड़ा उनको, अभी उठने के पहले एक बार और चुदवा कर आई हूँ। यह देखो !" काशीरा ने गाउन उठाकर चूत दिखाई। चुद चुद कर काशीरा की बुर लाल हो गई थी और पपोटे सूज कर गुलाब की कली से लग रहे थे। चूत में से सफ़ेद सफ़ेद वीर्य टपक रहा था।

मैं तुरंत उठा और काशीरा के सामने बैठ कर उसकी बुर चाट डाली।

काशीरा बोली- मेरा शुक्रिया अदा करो, तुम्हारे लिये ले कर आई हूँ ये मलाई। अब तुम कहो, तुम मुँह मार आये चाची के बदन में? मजा आया?

"अरे चाची याने मैदे का गोला है, खोवा है खोवा। और तेरी भी आशिक है, कह रही थीं कि बहू को कह कि इस खोवे को चख के देख जरा !"

"हां, मेरा भी मन हो रहा है। आज क्या प्रोग्राम है?"

"चचा-चची आज जा रहे हैं दिन भर के लिये चाची के मायके। रात में वापस आयेंगे, दोपहर को हम भी आराम कर लेते हैं, फ़िर ऐसा करेंगे कि आज रात दोनों मिलकर उनकी सेवा करेंगे, ठीक है ना?"

"हाँ ठीक है, मैं जानती हूँ कि तुम भी मरे जा रहे हो चचा के गन्ने का रस चखने को। ऐसा करो, आज मरवा भी लो !" काशीरा शैतानी से बोली।

"अरे नहीं, मैं तो चूसूँगा सिर्फ़, गांड फ़ड़वानी है क्या !" मैंने कहा।

"पर देखो, तुम्हारा तंबू बन गया फ़िर से लंड की बात सुन कर। आज तो मरवा ही लो। नहीं मरवाओगे तो मैं झगड़ा कर लूंगी। मेरी कसम !" काशीरा बोली।

"तुम अच्छी पीछे पड़ गई मेरी गांड के, तुमको क्या मजा आयेगा चचाजी मेरी गांड चौड़ी करेंगे तो?"

"तुम नहीं जानते, मेरे सामने कोई मेरे मर्द को चोदे तो मुझे बहुत मजा आयेगा। और झूठ मत बोलो, वहाँ उस दिन उस्मान और सलमा के साथ हम थे और उस्मान ने तुम्हारी गांड मारी थी तो कैसे गुनगुना रहे थे?"

"अरे वो तुम और सलमा पीछे पड़ गई थीं कि जब हम दोनों औरतें आपस में कर सकती हैं तो तुम मर्द क्यों नहीं करके दिखाते। इसलिये मरवा ली थी मैंने। और अजीब बात करती हो, मैं क्या खुद चचाजी से कहूँ कि मेरी गांड मार लीजिये चचाजी, वो उस्मान से तो शर्त शर्त में मरवा ली थी मैंने !"

"पर कैसे चहक रहे थे जब उस्मान तुम्हारी गांड में लंड पेल रहा था। आह आह कर रहे थे और कमर हिला हिला कर मरवा रहे थे। और उस्मान का तो तुमसे भी छोटा है। उससे इतना मजा आया तुमको तो चचाजी का लंड तो तुमको जन्नत की सैर करवा देगा। आज ले ही लो चचाजी का, मेरी कसम। मैं चक्कर चला दूँगी आज चचाजी से तुम्हारे बारे में कह के, तुम्हें शरमाने की जरूरत नहीं है। कल मेरी गांड मारने को मरे जा रहे थे पर मैंने घास नहीं डाली, उनको कहा कि गांड के लिये कल का इंतजार करो। ये नहीं बताया कि किसकी गांड।"

मैंने आखिर हाँ कर दी। काशीरा मेरे मन की बात ताड़ गई थी, उससे कुछ नहीं छुपता। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

रात को चचा चाची वापस आये और नहाने को चले गये। खाना वे खाकर आये थे।

चाची ने नहाने जाने के पहले काशीरा से कुछ बातें कीं। काशीरा मुस्कराने लगी।

चचा नहाने जाते वक्त काशीरा से बोले- क्यों बहू, आज भी कुछ सेवा करेगी अपने चचाजी की? कल रात तो तूने मुझे एकदम खुश कर दिया।

"खुश तो आप ने मुझे किया चचाजी। आप नहाइये, मैं आती हूँ आपके कमरे में !" काशीरा बोली।

काशीरा हमारे बेडरूम में गई तो मैं भी पीछे पीछे हो लिया। अंदर काशीरा कपड़े उतार रही थी। जब ब्रा और पैंटी बची तो वो अपने बाल संवारने लगी।

"नंगी नहीं होगी क्या आज रानी?"

"नहीं, ऐसे ही जाऊँगी, जरा चचाजी को तरसाऊँगी। तुम कपड़े निकालो और दरवाजे पे खड़े रहो, जब मैं बुलाऊँ तो आना। आज चचा से अपने भतीजे के लाड़ मैं करवा के रहूँगी।"

"और चाची?"

"अरे तुम तो चलो, चाची आ जायेंगी। उन्होंने ही कहा मुझे कि इमरान को जरा मिलवा दे चचा से, नहीं तो शरमाता रहेगा !"

काशीरा चचाजी के कमरे में गई, मैं बाहर खड़ा होकर की-होल में से देखने लगा।

चचाजान नहा कर तरोताजा होकर आराम कुरसी में नंगे बैठे थे और अपने लण्ड से खेल रहे थे। लंड पूरा खड़ा था, देख कर मेरे मुँह में पानी भर आया, गांड में अजीब से गुदगुदी होने लगी।

"आओ बहू, तुम्हारी ही राह देख रहा था। क्या दिख रही हो ब्रा और पैंटी में, लगता है पकड़ के यहीं पटक दूँ और चोद डालूँ !" चचा मस्ती से बोले।

"वो तो करना ही है चचाजी पर आप बहुत जल्दी करते हैं, आप आराम से बैठो और मुझे जरा आपके लंड की ठीक से पूजा करने दो, कल जल्दी जल्दी में ठीक से इससे खेल भी नहीं पाई !"

"अजीब लड़की हो, रात भर चुदवाया और कहती हो कि ..."

"पर खेला कहाँ चचाजी? मेरा मतलब है कि ऐसे !" काशीरा चचाजी के सामने बैठ कर उनके लंड को चूमने लगी, उससे तरह तरह के खेल करने लगी, कभी जीभ से चाटती, कभी चूसती, कभी अपनी ब्रा के कपों के बीच पकड़कर अपने चूचियों से चोदने लगती।

"आह..! क्या मजा आ रहा है बहू.. देख ये और खड़ा हो जायेगा.. फ़िर आज तेरी चूत जरूर चीर देगा... कल तो तू बच गई... आह.. कितने प्यार से चूसती है बहू.. बड़ी दीवानी हो गई है मेरे लंड की !"

"चचाजी, सिर्फ़ मैं ही दीवानी नहीं हूँ आपके इस मूसल की ! कोई और भी है। आपका लंड तो ऐसा है कि कोई भी पागल हो जाये इस पर !" काशीरा अपने गालों पर उनके सुपारे को रगड़ते हुए बोली।

"कौन है बेटी, चाहिये तो उसे भी बुला ला। अरे मेरा लंड तो बना ही है तेरे जैसी छिनाल चुदैलों के लिये !" चचाजी काशीरा की पीठ पर हाथ फ़िराते हुए बोले। फ़िर उसकी ब्रा की डोरी से खेलने लगे- "ले आ उसे भी, खुश कर दूँगा उसको भी, तेरी सहेली है क्या कोई? या पड़ोस वाली? पर उसने कहाँ देखा मेरा लंड?"

"नहीं चचाजी, यहीं घर में है। मैंने उससे कहा भी कि शरमाने की क्या बात है, पर वो झिझक रहा था, बोल रहा था आप न जाने क्या सोचें। कल इसीलिये तो रुका था कि आपके लंड को देख ले, आप मुझको चोद रहे थे और मजा उसको आ रहा था !" काशीरा बोली।

"अरे .. तू इमरान की बात कर रही है क्या?" चचाजी बोले। फ़िर मुस्करा कर बोले "अरे बुला ले ना उसको, अजीब लड़का है, अरे घर की बात है, मैं उसको ना थोड़े ही करूँगा। अच्छा खासा लौंडा है, चिकना भी है। कल हमारी चुदाई देख देख कर सड़का लगा रहा था। याने मेरे लंड को देखकर मस्त हो रहा था वो बदमाश ! लंडों का शौकीन है क्या?"

"सब लंडों का नहीं चचाजी, बस आप जैसे खास लंडों का। बोल रहा था कि काशीरा रानी, चचा तुझे चोद रहे थे तब ऐसा लग रहा था कि काश मैं भी लड़की होता। आपने देखा नहीं कैसे लपालप मेरी बुर में से आपकी मलाई चाट रहा था !" काशीरा बोली और अपने ब्रा के कपों में लंड पकड़कर घिसने लगी।

"अरी बुला ना उसको, उसे भी मजा कर लेने दे। इस लंड से तुम दोनों मिंया-बीवी को सुख मिले इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है मेरे लिये !" चचा बोले।

"इमरान राजा, आ जाओ, मत शरमाओ, मैं कह रही थी ना कि चचा तुमको भी उतना ही प्यार करते हैं !" काशीरा चिल्लाई। मैंने चेहरे पर झूठ मूठ का शर्मिंदगी का भाव लाया और अंदर आकर काशीरा के पास बैठ गया। नीचे देखते हुए मैंने चचाजी का लंड पकड़ा और सहलाने लगा।

"इमरान, पहले आ और मेरे पास बैठ। यह क्या बात हुई, तू मुझे पराया समझता है क्या? अरे कल ही कह देता, मैं तुझे भी खुश कर देता, बदमाश कहीं का। शरमा क्यों रहा है? तेरे चचाजी की हर चीज तेरी है।" चचाजान मेरा कान पकड़कर उठाते हुए बोले, उनकी बांछें खिल गई थीं।

मैं उठकर नीचे देखता हुआ उनके पास बैठ गया। चचाजी ने मुझे पास खींच लिया "वैसे लौंडा तू बड़ा चिकना है। मैं भी तेरी चाची से कह रहा था कि इमरान लड़की होता तो बहुत मस्त दिखता।" उन्होंने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया था। "लंड तेरा भी मस्त है, एकदम कड़क है।"

"आपका लंड तो पूजा करने लायक है अहमद चचा। क्या मस्त सोंटा है, रसीला गन्ना है गन्ना, चूस लेने को जी करता है।" मैं उनसे लिपट कर बोला।

"तो चूस ले मेरी जान, मैं कहाँ मना करता हूँ। पर पहले एक चुम्मा दे !" कहकर उन्होंने मेरे होंठों पर होंठ रख दिये और चूमने लगे। एक हाथ से वे मेरी पीठ सहला रहे थे। मैंने कुछ देर उनको अपने होंठ चूमने दिये, फ़िर उनके गले में बाहें डाल कर उनको जोर जोर से चूमने लगा।

धीरे धीरे उनका हाथ मेरी पीठ पर से नीचे खिसक कर मेरे चूतड़ सहलाने लगा। काशीरा नीचे बैठ कर देख रही थी, मुझे आंख मार दी, इशारा कर रही थी कि लो, चचाजी भी रीझ गये हैं तेरे पर !

"चचा... अब चूसने दीजिये ना.. मुँह में लेकर गन्ने जैसा चूसूँगा मैं !" मैंने चुम्बन तोड़ कर चचाजी से लिपट कर कहा।

"मजा आ रहा है इमरान, तेरा चुम्मा बहू जैसा ही मीठा है पर ठीक है, बाद में फ़ुरसत से तुझसे प्यार मुहब्बत की बातें करूँगा, ले, लंड चूस ले मेरा, काशीरा देखो कैसे पिली पड़ रही है, खा ही जायेगी जैसे !" चचा बोले।

मैं उठा और थोड़ी देर चचा की ओर पीठ करके खड़ा रहा कि उनको मेरे गोरे कसे चूतड़ ठीक से दिखें। कनखियों से पीछे देखा तो चचाजी मेरे चूतड़ों पर नजर गड़ा कर देख रहे थे।

मैं फ़िर काशीरा के पास बैठ गया और हम दोनों मिलकर चचाजी के लंड से खेलने लगे।

"बहुत बड़ा है काशीरा, नौ दस इंच का होगा, तेरी चूत को तो चीर दिया होगा कल इसने !" मैंने काशीरा से कहा।

"हाँ राजा, जान निकाल दी पर तेरी कसम क्या लुत्फ़ आ रहा था इससे चुदने में !" काशीरा बोली।

"यह सुपारा तो देख, टमाटर है टमाटर !"

"तो चूस लो ना, कल से तो रिरिया रहे हो" काशीरा बोली। मैंने झट मुँह खोल के सुपारा मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

"आह ... चूस मेरे बेटे ... मस्त चूसता है तू !" चचा मेरा सिर पकड़कर बोले।

"छोड़ो जी अब, अब मैं चूसूंगी !" काशीरा बोली।

"अरी ठहर, जरा ठीक से पूरा चखने तो दे, देख कैसा मस्त डंडा है, एकदम गन्ना है गन्ना !" कहकर मैंने चचाजी का लंड उनके पेट से सटाया और उसका निचला भाग चाटने लगा।

चचाजी की सांस जोर से चलने लगी- "क्या जादू है इमरान तेरी जीभ में.. बहू... तेरा ये घरवाला भी बड़ा रसिया लगता है... आह.. और चाट बेटे.. ऊपर वहाँ थोड़ा और... हाँ... बस इधर ही... आह... साला मस्त लौंडा है, लंड चूसने की कला जानता है.. पहले पता होता तो इसको कब का चोद दिया होता मैंने !" चचाजी मस्त हो कर ऊपर नीचे होने लगे।

काशीरा ने लंड मुझसे छीन कर अपने हाथ में लिया और बाजू से चाटने लगी। फ़िर पूरा मुँह में ले लिया और मुँह ऊपर नीचे करके लंड चूसने लगी।

"ओह .. ओह .. क्या चूसती है ये हरामजादी रंडी ... अरे तेरी चाची को भी सीखने में महना लग गया था, दम घुट कर गों गों करने लगती थी.. आह..."

काशीरा ने लंड मुँह से निकाला तो मैंने उसे मुँह में ले लिया। फ़िर मुँह खोल कर पूरा लंड निगलने की कोशिश करने लगा।

"यह आपका भतीजा भी कम नहीं है चचाजी, देखिये कैसे लंड निगलने की कोशिश कर रहा है। इमरान मेरे सैंया, इतना बड़ा लंड चूसना तेरे बस की बात नहीं है।" काशीरा ने ताना मारा।

चचाजी कमर उचका रहे थे, मेरे मुँह में लंड पेलने की कोशिश कर रहे थे "अरे चूसने दे बहू, बहुत अच्छा चूसता है ये छोकरा.. सीख जायेगा जल्दी... क्या साले बदमाश हरामी हो तुम दोनों.. आज तुम दोनों को चोद दूंगा.. साले हरामियो.. बिस्तर पर पास पास लिटा कर आज दोनों को चोदूँगा !"

"हाँ चचाजी, चोद देना आज फ़िर से .. मेरी तो चूत फ़िर कुलबुला रही है.. पहले आप के गन्ने का रस पियेंगे... फ़िर चुदवायेंगे।"काशीरा बोली और मुझ से लंड छीन कर चूसने लगी।

हमने बारी बारी चचाजी का लंड चूसा और उनको बहुत देर तरसाया। काशीरा इसमें माहिर थी, मैं भी सीख रहा था, चचाजी झड़ने को आते तो हम रुक जाते थे।

"साले मादरचोद भोसड़ी वाले... चूसो ना... अबे हरामियो... जान बूझ कर तड़पा रहे हो अपने चचा को... आज गाढ़ी मलाई चखाऊँगा तुम दोनों को... ये जो माल है वो सबके... नसीब में नहीं... है.. इमरान मेरी जान.. चूस ले ना बेटे.. तू ही चूस ले... तेरी ये रंडी बीवी तो साली हरामन है... आह... ओह !"

काशीरा ने मेरे कान में धीरे से पूछा- झड़ा दूं या रुक जाऊं? बहुत मस्त खड़ा है, घोड़े के लंड जैसा, अब मरवा लो, बहुत मजा आयेगा।

मैंने मना कर दिया- मर जाऊँगा, एक बार झड़ जाने दो चचाजी को, फ़िर सह लूंगा।

मैं धीरे से बोला।

"अब चूस डालो मेरे बच्चो.. बहू... अब नहीं चूसा तो पटक के तेरी गांड मार लूंगा मां कसम !" चचाजी मचल कर बोले।

काशीरा ने इशारा किया और मैंने चचाजी का लंड जितना हो सकता था उतना मुँह में भर लिया। फ़िर जीभ उनके सुपाड़े पर रगड़ रगड़कर चूसने लगा।

काशीरा बोली- मेरी गांड मारेंगे? राह देखिये चचाजी, मैं क्यों गांड मरवाऊं? नहीं बाबा, मैं तो बस चुदवाऊंगी। गांड का बहुत शौक है चचाजी?

चचाजी मेरे सिर को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगे- हाँ.. मजा आता है.. गांड जिस ताकत से.. लंड को पकड़ती है... मजा आ जाता है... तेरी चाची की बहुत मारी है मैंने.. अब साली ढीली हो गई है.. मां कसम कोई नई कुंवारी गांड मिल जाये तो... आह... आह ! चूस इमरान.. ऐसे ही चूस मेरे राजा !"

"तो इमरान की मार लो चचाजी, मेरे से कम नहीं है, एकदम गोरी गोरी और कसी हुई है, मजा आयेगा आपको, सोचो अगर आप अपने भतीजे पर चढ़ कर उसकी मार रहे हो तो कैसा लगेगा !" काशीरा ने उनको उकसाया

"हाँ.. इमरान की भी लाजवाब है... अभी देखी तो सोचा कि क्या गोरी गोरी गांड है इस लड़के की... साला गांडू लौंडा... पहले पता चलता तो... बचपन में ही चोद डालता साले को... मेरे यहाँ आकर रहता था छुट्टियों में.. आह.. ओह.. ओह.. ओह..."

करके कसमसा कर चचाजी झड़ गये। उनके घी जैसे वीर्य से मेरा मुँह भर गया। मैं चख चख कर खाने लगा और साथ ही उनका सुपारा जीभ से रगड़ता रहा।

"बस बेटे... बस.. अब मत कर ! अरे कैसा तो भी होता है.. बहू.. बहू देख ना इसको.. जीभ रगड़ रहा है नालायक... अरे सहन नहीं होता मेरे बेटे... छोड़ ना..." चचाजी अपने लंड को मेरे मुँह से निकालने कोई कोशिश करने लगे, उनके झड़े लंड को मेरी जीभ की मालिश सहन नहीं हो रही थी।

"चूसने दो चचाजी, कब से बेचारा आस लगाये था, अभी मस्ती में है, अभी मत टोको, मचल जायेगा तो काट खायेगा.. एक बार ऐसे ही मेरी बुर चूसते हुए मेरे दाने को रगड़ रहा था.. मैंने मना किया तो चूत को ही काट लिया, दो दिन दर्द रहा !" काशीरा उनको डराते हुए बोली।

असल में बात झूटी थी, मैं ऐसा कभी नहीं करता काशीरा के साथ !

पर चचाजी पर उसका असर हुआ, वे चुपचाप 'सी-सी' करते हुए बैठ गये, मैंने मन भर के उनका वीर्य पिया और बूंद बूंद निचोड़ ली।

"वाह.. भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलाई जा रही है, चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूँ कि ये कहाँ का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात !" चाची की आवाज आई।

कहानी चलती रहेगी।








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गोरी गोरी लैला चाची-2


गोरी गोरी लैला चाची-2

प्रेषक : इमरान

"दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !" काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली "और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !

उनकी नोंक झोंक चलती रही, मैं उठ कर चाची के कमरे की तरफ़ चल दिया।

इधर मैं चाची के कमरे में दाखिल हुआ तो अंधेरा था। पलंग पर लेटी हुई चाची का आकार अंधेरे में धुंधला सा दिख रहा था। जोर से सांस लेने की आवाज आ रही थी।

"कौन?" चाची ने पूछा।

"चाची, मैं इमरान ! चचाजी बोले... कि !"

"इमरान बेटे?.. आ जा मेरे पास जल्दी ! कब से राह देख रही हूँ !" चाची ने खुश होकर कहा।

मैं जाकर उनके पास बैठ गया, उनके माथे पर हाथ रखकर बोला- चाची सिर में दर्द है क्या? दबा दूँ?

चाची बोली- अरे बेटे, पूरे बदन में दर्द है, जल रहा है, कहाँ कहाँ दबायेगा?

और मेरा हाथ अपनी छाती पर रख लिया। मेरे हाथ में सीधे उनकी नर्म नर्म बड़ी बड़ी चूचियाँ आ गईं।

मैंने हाथ और नीच खिसकाया तो उनका नरम नरम पेट और उसके नीचे पाव रोटी जैसी बुर का मांस हाथ में आ गया।

चाची नंगी थीं, नंगी ही मेरा इंतजार कर रही थीं। मैं हाथ चाची के बदन पर फ़ेरने लगा। एकदम चिकना मखमली गद्दी जैसा बदन था चाची का।

"चाची, आप बस कहो कि मैं क्या सेवा करूँ आपकी? वहाँ काशीरा चचाजी की मन लगा कर सेवा कर रही है तो चचाजी बोले कि इमरान, जा देख चाची को कुछ चाहिये क्या?"

चाची ने टटोल कर मेरा लंड पकड़ लिया- तैयार होकर आया है इमरान बेटे, मैं सोच रही थी कि तेरे चचाजी मुझे भूल गये क्या? इतनी देर कहाँ लगा दी बेटे? तेरे चचाजी तो कह कर गये थे कि बस अभी इमरान को भेजता हूँ। जरा पास आ ना, ऐसे !

और चाची ने आधा उठकर मेरे लंड को पकड़ा और चूमने लगीं। फ़िर मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।

मैं बोला- चाची, असल में मैं थोड़ा रुक कर देख रहा था कि काशीरा ठीक से चचाजी की देख रेख कर रही है या नहीं, इसीलिये टाइम लग गया। ओह चाची .. कहाँ मैं आपकी सेवा में आया था... और कहाँ आप मुझे.. आह चाची .. बहुत अच्छा लगता है चाची.. अरे चाची ... जीभ मत लगाइये ना... मैं अभी झड़ जाऊँगा !

और टटोल कर मैंने फ़िर चाची की चूचियाँ पकड़ लीं।

"अरे स्वाद चख रही थी। दबा ना और जोर से, बचपन में तुझे गोद में बिठा कर खिलाती थी तब तो जोर से पकड़ लेता था बदमाश, अब बड़ा हो गया तो और जोर से दबा। पसंद आईं कि नहीं?"

"चाची ... बहुत मुलायम और बड़ी हैं .. कब से इनके बारे में सोच रहा था चाची.. चाची अब छोड़िये ना मेरा लंड .. इससे आपकी कुछ सेवा करने दीजिये पहले !" मैंने चाची के मम्मे जोर जोर से दबाते हुए कहा।

"अच्छा कड़क है रे इमरान तेरा, लगता है जैसे वो रोटी बनाने का छोटा बेलन है... हाँ ऐसे ही दबा... मसल जोर से... और जरा ऐसे खींच ना इनको... बहुत सनसना रही हैं ये !" चाची ने कहा और मेरी उंगलियाँ अपने निप्पलों पर लगाकर दबा कर खींचने लगीं।

मैं चाची के निप्पल मसलता हुआ बोला- चाची.. मेरा जरा छोटा है... आपको तो चचाजी के मूसल की आदत हो गई होगी !

"बहुत अच्छा है बेटे तेरा, बड़ा रसीला है। देख ना क्या हालत हो गई है मेरी इस सौत की !" चाची ने मेरा दूसरा हाथ अपनी जांघों के बीच दे दिया। चाची की बुर इतनी गीली थी कि पानी टपक रहा था, सौंधी सौंधी महक आ रही थी।

"चाची, लाइट जला दूँ क्या, जरा आपका यह रसीला बदन देखने तो दीजिये ना मुझे। बुर कितनी मखमली है आपकी, एकदम चिकनी है, आज ही शेव की है लगता है, जरा देखने दीजिये ना !" मैंने फ़रमाइश की।

"अरे कल दोपहर को दिन के उजाले में देख लेना मेरे लाल, अभी अंधेरा रहने दे, अंधेरे का और ही मजा है, आ अब चुम्मा दे। आज शेव की है बेटे, वैसे दो हफ़्ते में इतनी बढ़ जाती है कि झुरमुट हो जाता है। तुझे कैसी पसंद है बेटे?"

"चाची, दोनों पसंद हैं, बदल बदल के मजा आता है। वैसे काशीरा की झांटें बड़ी ही रहती हैं, वो तो बस दो तीन महने में एक बार कभी शेव कर लेती है। पर मां कसम चाची, आपकी बुर इतनी गद्देदार है कि .. जैसे अभी अभी बनी हुई पाव रोटी हो !"

"तो ये पाव रोटी भी खिला दूंगी तेरे को, अभी तो मेरे को चुम्मा दे।"

मैं चाची के पास लेट कर उनको चूमने लगा। उन्होंने मुँह खोल कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। एक हाथ से मैं उनके मम्मे मसल रहा था और एक से उनकी बुर में उंगली कर रहा था।

बुर इतनी गीली और चिपचिपी थी कि मुझसे रहा नहीं गया। उठ कर मैं अलग हुआ तो चाची बोली "अरे भाग कहाँ रहा है?"

"भाग नहीं रहा चाची, आपकी बुर चूसने जा रहा हूँ, इतना बेशकीमती शहद फ़ालतू बह रहा है।"

चाची ने हंस कर टांगें फ़ैला दीं और बोलीं- अरे ये बात है? तो आ जा, खुश कर दूंगी तुझे !

मैंने अंधेरे में होंठों से टटोल कर उनकी बुर ढूंढी, उनके पेट को चूमते हुए नीचे की ओर आया और मुँह लगा दिया।

चाची मेरे सिर को पकड़कर बोलीं "चाट ले बेटे, वहाँ टांगों पर भी बह आया है, अरे एक घंटे से इंतजार करते करते दो बार उंगली से मुठ्ठ मार चुकी हूँ।"

खूब देर मैंने चाची की बुर चाटी और चूसी, दो बार उनको झड़ाया और आधा कटोरी रस पिया। बुर में उंगली की तो पता चला कि कितनी गहरी और खुली हुई बुर थी चाची की।

मैंने तीन उंगली डालीं तो वो भी आराम से चली गईं- चाची, क्या चूत है आपकी, मेरे बस की बात नहीं है, लगता है सिर्फ़ चचाजी का लंड ही आप को चोद सकता है, मेरा तो इतना बड़ा नहीं है।

"दिल छोटा न कर बेटे, तू बहुत प्यार से चूसता है, वैसे आज कल मुझे चुसवाने में ही ज्यादा मजा आता है। चिंता मत कर, तेरा लंड प्यासा नहीं रहेगा। अब और चूस, आज घंटे भर तक चुसवाऊंगी। अब ठीक से बता, तेरे चचाजी ने चोदा बहू को? अरे तेरे चचाजी दीवाने हैं बहू के, जब से देखा है, लंड खड़ा कर के तनतनाते रहते हैं, कल से लंड पकड़कर घूम रहे हैं, बहू के नाम से लंड हाथ में लेकर मुठियाते रहते हैं। आज बोले कि बहू आँखें मटकाकर इशारे कर रही है तो मैंने ही कहा कि जाओ, हाथ साफ़ कर आओ। आज राहत मिली होगी उनको !"

मैंने पूरी कहानी सुनाई। सुन कर चाची गरमा गईं- इनको तो मजा आ गया होगा, नई जवान बहू और उसकी चुस्त चूत, इनको तो जन्नत मिल गई होगी। तूने उनका लंड देखा?

मैंने हाँ कहा, यह भी बताया कि काशीरा कैसी फ़िदा थी उस पर- चाची, वहाँ चचा काशीरा के नाम पर लंड हाथ में लेते हैं, और यहाँ काशीरा उनके लंड के बारे में सोच सोच कर दिन भर अपनी बुर में उंगली करती रहती है। आज तो मेरे पीछे ही पड़ गई कि चचाजान से चुदवाऊँगी !

यह नहीं बताया कि काशीरा के साथ साथ मैं भी चचा के उस महाकाय लंड का दीवाना हो गया था।

"बड़ी गरम बहू है तेरी, तेरे सामने तेरे चचा से चुदवा लिया, अब ऐसा करना कि कल तू उसे भी साथ ले आना, उसके सामने मैं उसके मर्द को चोदूंगी। अब ऐसा कर कि पूरी जीभ अंदर डाल के चाट, अंदर बहुत रस है मेरे राजा, सब तेरे लिये है।"

"चाची अब चोद लूं?" मैंने आधे घंटे के बाद पूछा।

"हाँ आ जा मेरे बच्चे, आज कल मेरी बुर बड़ी प्यासी रहती है, तेरे चचाजी चोदते कम हैं, बस गांड ज्यादा मारते हैं मेरी !"

मैं अंधेरे में ही चाची पर चढ़ा और चाची ने अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत में घुसेड़ लिया। मैं चोदने लगा। एकदम ढीली चूत थी चाची की, पर बहुत गीली थी और एकदम मुलायम और गरम थी। मेरा लंड आराम से 'फ़च' 'फ़च' 'फ़च' करता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था।

"मजा आया इमरान?"

"हाँ चाची, बहुत मखमली चूत है आपकी। पर आपको तो पता ही नहीं चल रहा होगा मेरे लंड का?" मैंने कस के धक्के लगाते हुए कहा।

"अरे नहीं बेटे, बहुत अच्छा लग रहा है, इतना कड़ा है तेरा लंड, और कैसे थरथराता है मेरी बुर के अंदर, तू चोद मन लगाकर, और आराम से चोद, जल्दी करने की जरूरत नहीं है, मुझे बहुत देर हौले हौले चुदवाना अच्छा लगता है.. और ले.. मेरा मम्मा तो चूस.. मुँह में ले ले !" कह कर चाची ने अपना मोटा मोटा नरम नरम मम्मा मेरे मुँह में ठूंस दिया।

काफ़ी देर के बाद मैंने कहा- चाची, अब नहीं रहा जाता... अब झड़ जाऊँ?

"यहाँ नहीं बेटे, तेरे लिये दूसरी जगह है झड़ने ले लिये। पर वो बाद में, इतनी जल्दी थोड़े छोड़ूंगी तुमको, पहले इधर आ, यहाँ नीचे लेट, तूने मेरे बदन का इतना स्वाद लिया, अब मुझे भी लेने दे !"

मैं बिस्तर पर चित लेट गया, चाची मेरे ऊपर चढ़ गईं। अंधेरे में मुझे महसूस हुआ कि उनकी मोटी मोटी टांगें मेरे सिर के दोनों ओर आ गई हैं। फ़िर वे नीचे बैठ गईं, गीले चिपचिपे मांस ने मेरा मुँह ढक लिया। उनकी चूत इतनी बड़ी थी कि उसने मेरे चेहरे का पूरा निचला भाग अपने में समा लिया।

वे चूत रगड़कर बोलीं- अब फ़िर से चूस, बहुत अच्छा लगता है रे जब तू चूसता है, तब तक मैं देखती हूँ कि तेरा स्वाद कैसा है !

मैं उनके मोटे मोटे चूतड़ पकड़कर उनकी बुर पर पिल पड़ा। वहाँ मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड किसी गरम गीली गुफ़ा में घुस गया हो। चाची उसे मुँह में लेकर चूस रही थीं।

चाची का अस्सी किलो वजन मेरे ऊपर था पर मेरी मस्ती में मैं आराम से उसे सह रहा था। बीच में चाची अपनी बुर थोड़ी उठा लेतीं और मैं गर्दन लंबी करके जीभ से लपालप चाटता। फ़िर वे पूरा वजन देकर मेरे मुँह पर बैठ जातीं और मेरी मुँह उनकी बुर में समा जाता।

थोड़ी देर में मैं झड़ गया, चाची ने मेरा वीर्य पूरा निगल लिया। झड़ने के बाद मैं थोड़ा लस्त हो गया, चाची की बुर चूसना बंद कर दिया।

चाची बोलीं- वाह मेरे राजा, अपना काम हो गया तो चूसना बंद कर दिया? अरे ये बुर आज तेरी खातिर रस छोड़ रही है, पूरा पी जा। चल जीभ चला जल्दी जल्दी !"

मैं फ़िर चूसने लगा। चाची मेरे मुँह पर कस के बुर रगड़ रही थीं। उनका क्लिट मेरे होंठों पर किसी चिकने पत्थर जैसा लग रहा था। उन्होंने मेरे लंड को चूसना जारी रखा। मैंने कुलबुला कर लंड मुँह से निकालने की कोशिश की तो चाची ने उसे हौले हौले चबाना शुरू कर दिया।

फ़िर बोलीं- अब नखरे करेगा तो चबा कर खा जाऊँगी, सच कहती हूँ, चुपचाप मुँह चलाता रह और मुझे अपने मन की करने दे !

थोड़ी देर में मुझे फ़िर अच्छा लगने लगा और मैं कमर उचका कर चाची का मुँह चोदने की कोशिश करते हुए चाची के भगोष्ठ मुँह में लेकर चूसने लगा।चाची फ़िर बलबला कर मेरे मुँह में झड़ गईं।

थोड़ी देर के बाद वे लुढ़क कर अलग हो गईं- हाँ.. अब कुछ तसल्ली मिली.. मैं तो परेशान हो गई थी... बड़े प्यार से चूसता है तू इमरान, बहू तो खुश होगी तुझ पर? अब मेरे ऊपर आ जा और अपनी प्यास बुझा ले !

मैं अंधेरे में चाची के ऊपर फ़िर चढ़ा तो समझ में आया कि वे पट लेटी हुई थीं। मेरा सुपारा उनके गुदाज चूतड़ों के बीच घिस रहा था।

"चाची... गांड मार लूँ?"

"तो मैं क्या फ़ालतू पट लेटी हूँ नालायक? चल मार जल्दी। तू भी तो अपने चचा का ही भतीजा है, गांड के चक्कर में रहता होगा, है ना? इसलिये सोचा कि आज बिन मांगे तेरी मुराद पूरी कर दूँ !"

मैंने लंड पेल दिया। पक्क से पूरा लंड चाची की गांड में समा गया, एकदम ढीली और नरम गांड थी।

"चाची यह तो ऐसे घुस गया हो कि जैसे गांड नहीं चूत हो !" मैंने कहा और लंड अंदर-बाहर करने लगा।

"अरे तेरे चचा हैं ना गांड के पुजारी। पहले चोद चोद के मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया, फ़िर गांड की पूजा कर कर के मेरी गांड भी चूत जैसे खोल दी। चल मार, आजकल मुझे भी चस्का लग गया है गांड मराने का !" कहकर चाची चूतड़ हिलाने लगीं। मेरे हाथ उठाकर उन्होंने अपने बदन के नीचे कर लिए- मम्मे दबा ना। मम्मे दबा दबा कर मारी जाती है गांड !

चाची के मोटे मोटे मम्मे दबाता हुआ मैं उनकी गांड चोदने लगा।

"तूने बताया नहीं कि बहू के साथ क्या करता है, तू जिस तरह से चूसता है, वो तो बेहद खुश होगी तेरे से?"

"हाँ चाची, बड़ा प्यारा रस है उसकी बुर का, एकदम शहद है, आप जैसा ही। पर चाची, महाचुदैल है, चुदाने की प्यास ही नहीं बुझती, इसलिये तो चचा के लंड से चुदाने को मरी जा रही थी। आज जब मेरे सामने चुदी तो थोड़ी शांत हुई। वैसे आज शायद चचाजान से रात भर चुदवायेगी वो !"

"अरे तेरे चचा पूरा ठंडा कर देंगे उसको, बड़ा जानदार लण्ड है उनका, तूने देखा ही है। पर यह बता, चुदा चुदा कर उसकी चूत फ़ुकला नहीं हुई अब तक? नहीं हुई तो अब हो जायेगी, तेरे चचा तो भोसड़ा बना देंगे उसका मेरी तरह !"

"बड़ा खयाल भी रखती है तेरी चाची अपनी बुर का। योगासन करती है, रोज बर्फ़ से सेकती है अंदर से कि टाइट रहे !"

"तू गांड भी मारता है क्या बहू की?" चाचीजी ने कमर हिलाते हुए पूछा।

"हाँ चाची, कभी कभी मारता हूँ.. जब वो मारने दे.. पर वो तो चुदाती ज्यादा है... ओह चाची.. आपकी गांड बहुत मीठी है.. कैसे मेरे लंड को पुचकार रही है !"

"अरे तूने इतना सुख दिया है, उसका बदला चुका रही है। वैसे तेरे चचा उसकी गांड मारने के लिये मरे जा रहे होंगे !"

"वो घास नहीं डालेगी चाची, मराती वो सिर्फ़ मुझसे है, हाँ चुदवा लेती है किसी से भी। मालूम है चाची, मेरे कई दोस्तों से चुदवा चुकी है। पिछले साल हम घूमने गये थे तब होटल का वेटर पसंद आ गया था, उसी से चुदवा लिया। उसके पहले जब हम हनीमून पर गये थे तो हमारे बाजू के कमरे में एक दूसरा जोड़ा था, उस मर्द से चुदवा लिया सुहागरात के दिन !"

"और तूने भी तो चोदा होगा उसकी औरत को। और जब वो चुदवाती है तेरे दोस्तों से, तो तू भी चोदता होगा उनकी बीवियों को?"

"हाँ चाची, मेरा बड़ा खयाल रखती है। जब वो वेटर से चुदवा रही थी तो वेटर से कह कर उसकी बहन को बुला लिया था काशीरा ने, वहीं होटल में नौकरानी थी। एक पलंग पर वो वेटर मेरी बीवी को चोद रहा था और दूसरे पलंग पर मैं उस वेटर की बहन की बुर खोल रहा था। बहुत प्यार करते हैं हम एक दूसरे से चाची, और खूब चुदाई करते हैं।"

"काशीरा की बुर कैसी है रे? उसकी चुदाई के किस्से सुन सुन कर मेरे मुँह में भी पानी आ रहा है।" चाची एक गहरी सांस लेकर बोलीं।

"चाची, आप खुद देख लेना, वो काफ़ी शौकीन है, औरतों से भी इश्क कर लेती है, आप को भी पसंद करती है, कह रही थी कि चाची का बदन कैसा मस्त है, खोवे का गोला है गोला !"

"अरे उसे कह कि चख के देख ये खोवा, खुश हो जायेगी। तेरे चचा के लंड से कम नहीं है मेरी चूत !"

"चाची, चचाजी का लंड वाकई बड़ा मस्त है, जब काशीरा की बुर में जा रहा था, मेरा मन हुआ कि अरे मैं लड़की होती और काशीरा की जगह होता तो क्या मजा आता !" मैंने कह डाला, सोचा देखें चाची क्या कहती हैं।

"अरे उनका है ही ऐसा, कोई भी दीवाना हो जाये, वैसे क्या फ़रक पड़ता है कि तू लड़की नहीं है, तू भी मजा ले ले, चचाजी तेरे को मना नहीं करेंगे, अरे तू तो घर का है और तेरी भी तारीफ़ कर रहे थे, बोले बहुत प्यारा जोड़ी है इमरान और काशीरा की, काशीरा सुंदर है तो इमरान भी कम नहीं है, लड़की होता तो बहुत सुंदर दिखता अपना इमरान भी। ऐसा कर, कल ही कह के तो देख चचा से, मैं भी साथ दूँगी तेरा, मुझे भी तो बहू चाहिये, जब तक मैं बहू के लाड़ करूँ, तू चचाजी से अपने लाड़ करवा ले, बल्कि मैं तो कहूँगी कि कहने सुनने के चक्कर में न पड़, सीधे जाकर उनका लंड पकड़ ले !"

"सच चाची? आपने तो मेरे दिल की बात कह दी.. चाची... ओह चाची... !" कहकर मैं झड़ गया।

"मजा आया ना बेटे? अब सो जा। आज ही सब जोश ठंडा न कर, कल के लिये बचा के रख !" चाची ने मुझे सीने से लगा लिया और थपथपा कर छोटे बच्चे जैसे सुला दिया।

कहानी चलती रहेगी।






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गोरी गोरी लैला चाची-1

गोरी गोरी लैला चाची-1

प्रेषक : इमरान

चचाजान का खत आया कि वो तीन चार दिन के लिये हमारे यहाँ आ रहे हैं। जब मैंने काशीरा को चचा-चचीजान के आने की बात बताई, तो वो बोली "अहमद चचा आ रहे हैं? ये वही वाले चाचा हैं ना जो हमारी शादी में थे, अच्छा गठा बदन है, ऊँचे पूरे हैं और वो उनकी घरवाली वही है ना मोटी मोटी गोरी गोरी लैला चाची?"

"हाँ हाँ वही ! लैला चची के साथ वो हमारी शादी में थे !"

"अरे तो आने दो ना, बड़ा मजा आयेगा, काफ़ी रसिया किस्म के मर्द लगे थे मुझको !" मेरा लंड पकड़कर काशीरा बोली।

"अरे अब उनके पीछे पड़ोगी क्या? पिछले हफ़्ते मेरे दो दोस्तों से चुदवा कर तुम्हारा मन नहीं भरा?" मैंने काशीरा की चूची दबा कर कहा।

"और तुमने नहीं उनकी बीवियों को चोदा? उस जोया की तो गांड भी मारी !" काशीरा ने उलट कर कहा।

"हाँ डार्लिंग वो ठीक है पर मैं इसलिये कह रहा था कि यह घर की बात है, चाचा-चाची की बात और है।"

"अरे अगर ये वही वाले चचा हैं जो शादी में थे तो मजा आ जायेगा। तब भी मुँह दिखाई के वक्त मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे खा जायेंगे। वैसे हैं बड़े प्यारे और सजीले, सच कहूँ, उनको देख कर वहीं मेरी बुर में गुदगुदी होने लगी थी।"

"क्या चुदैल रंडी है तू काशीरा, अब देख, उनके सामने तमाशा नहीं करना !"

"ठीक है देख तो लूँ उनके रंग ढंग, और चाची भी हैं ना, उनको तुम देख लेना, वैसे मुझे जैसा याद है, बड़ी चिकनी गोल मटोल थीं चाची, वहाँ शादी में जब तुम्हारे परिवार की औरतों के साथ थी तब उनका पल्लू गिरा था, तब मैंने चूचियाँ देखी थीं, ये बड़ी बड़ी...!" काशीरा बोली और मुझे आँख मार कर हंसने लगी।

मैं समझ गया कि इसको जो करना है वो करके रहेगी।

चचा-चाची आये, काशीरा ने अच्छी आवभगत की। दोपहर के खाने पर भी खूब सारी चीजें बनाईं। अहमद चचा ने तारीफ़ के पुल बांध दिये, मेरा माथा ठनका क्योंकि काशीरा अब बड़े जोश से उनकी खातिर में जुट गई थी- चचाजान, और मिठाई लीजिये ना ... चाची, आप ने तो कुछ खाया ही नहीं !

वगैरह वगैरह !

उनके दो दिन एक शादी अटेंड करने में निकल गये। रात को देर से आते थे। एक रात वे वहीं शादी के घर सोये। फ़िर दूसरे दिन दोपहर को आये। आकर नहाए-धोए क्योंकि शादी के घर में काफ़ी भीड़ भाड़ थी।

जब दोपहर का खाना खाने के बाद वे दोनों आराम करने चले गये तो काशीरा मेरे पास आई- इमरान राजा, चचा को आज फ़ांस ही लेती हूँ। उनके बड़े लंड को लिये बिना चैन नहीं आयेगा !" काशीरा मेरे लंड को सहलाती हुई बोली।

"तूने कब देखा उनका लण्ड?"

"अरे अभी जब वो नहाने के बाद कपड़े बदल रहे थे तब दरवाजे की चीर में से देखा था। बैठा था फिर भी चड्डी में समा नहीं रहा था। मैं तो असल में बाथरूम में झांक कर देखने वाली थी पर चाची कमरे में थीं इसलिये लौट गई !" काशीरा बोली।

"मेरी चुदैल रानी, इतने लंड पिलवा चुकी है तू अपने अन्दर, मेरे तीन चार दोस्तों से चुदवाती है, जब भी मौका आता है, मैं तुझे तेरी पसंद के और मर्दों से भी चुदवा देता हूँ, फिर भी तेरा मन नहीं भरा। अब चचा के पीछे पड़ गई? वो क्या सोचेंगे कि उनके सगे भतीजे की बीवी कैसी चुदक्कड़ है !" मैंने काशीरा की चूची दबा कर पूछा।

"तो तुम भी तो अपने दोस्तों की बीवियों को चोदते हो, कैसे लपलपा कर पीछे पड़ जाते हो। पिछले माह जब हम तुम्हारे दूसरे दोस्त के यहाँ गये थे तो उसकी नौकरानी पर ही फ़िदा हो गये थे, तब मैंने नहीं मदद की थी तुम्हारी? दो दिन तक हर दोपहर को तुमको उस छम्मक छल्लो के साथ छोड़कर तुम्हारे दोस्त की बीवी को शॉपिंग के लिये ले गई थी।"

"हाँ मेरी रानी, नाराज मत हो, मैं कहाँ तुमको ये सब बंद करने को कह रहा हूँ? तुम खूब चुदवाओ, मुझे तो बस तुम्हारी खुशी चाहिये मेरी जान। पर अहमद चचा...?" मैंने कहा तो काशीरा बोली,"अहमद चचा के लंड की बात ही और है। सगे चचा हुए तो क्या हुआ, बड़े रसिया हैं, कैसे मेरी ओर देखते हैं, जैसे बस चले तो अभी पटक कर चढ़ जायें मुझपे। और मैं सिर्फ़ अपने बारे में ही थोड़े सोच रही हूँ, वो मुटल्ली चची भी तो माल है। मैं आज चचाजी का लंड खा ही लेती हूँ, तुम चाची की बुर चख लो, सच पाव रोटी जैसी गुदाज होगी !" काशीरा अपनी बुर को प्यार से सहलाते हुए बोली।

"हाँ रानी, बात तो सच है, चाची का बदन तो खोवा है खोवा, मुँह मारने का मन करता है। चलो ठीक है, करके देखते हैं। चचाजान तो तेरे एक इशारे पर तुझ पर टूट पड़ेंगे। कैसे घूर रहे थे तुझे दोपहर खाने पर !" मैं काशीरा की चूचियाँ दबाकर बोला "तू भी उस्ताद है अपना जोबन दिखा कर लोगों को रिझाने में, कैसे बार बार आंचल गिरा कर झुक रही थी तू आज दोपहर के खाने के वक्त ! जानबूझ कर दिखा रही थी चचाजी को ये अपना माल !"

"मैं तो उन्हें रिझा रही थी, पूरे फ़ंस गये हैं वे अब मेरे जाल में। तुम भी चची के साथ मजे कर लो आज, उनकी भी बड़ी नजर रहती है तुम पर। तब तक मैं चचाजी से चुदवा लेती हूँ !" काशीरा मुझसे बोली।

"ठीक है मेरी जान पर अकेले में नहीं। मैं भी देखूँगा चचाजी से तुझे चुदते वक्त। तेरी चूत को वो मूसल फ़ाड़ेगा तो कैसे रोयेगी मैं देखना चाहता हूँ, अभी तो बड़ी उचक रही हो, जब वो मूसल अंदर जायेगा तो चिल्ला चिल्ला कर रो पड़ोगी ! बोलोगी कि इमरान, बचाओ मुझे, तब मुझे ही आना पड़ेगा तेरे को बचाने को !" मैंने काशीरा को चिढ़ाया।

"रोये मेरी जूती ! मैं तो चचाजी को ही अंदर ले लूँ, लंड की क्या बात है, मेरी चूत की गहराई को अब तक नहीं पहचाना तुमने। चलो, तुम देख लेना मेरी चुदाई, और बातें मत बनाओ, बीवी को चुदते देख तुमको बड़ा मजा आता है, ये कहो। और नये नये लंड देखने की फ़िराक में भी रहते हो, है ना?"

मैं बोला- कहाँ? वो तो मैं बस तुम्हारे लिये...!

"अब गुस्सा मत दिलाओ मुझे। वो दोस्त है तुम्हारा सलमान, उसके लंड को पिछली बार कैसे चूस रहे थे" काशीरा बोली।

"वो तो तुमने कहा था, जब तुम उसकी बीवी जोया की बुर चूस रही थी तब !"

"हाँ पर बड़े मजे लेकर चूस रहे थे। मैं भी कहाँ मना कर रही हूँ तुमको, जैसे कभी कभी बुर का स्वाद अच्छा लगता है मेरे को, वैसे तुम भी लंड का मजा लिया करो !"

काशीरा से बहस में जीतना नामुमकिन है, मेरी सब कमजोरियों को अच्छे से पहचानती है, प्यार भी बहुत करती है मुझसे।

काशीरा थोड़ी देर चुप रही, खोई खोई सी थी, शायद चचाजी के लंड को याद कर रही थी, फ़िर अचानक बोली- पर चचा को कहोगे कैसे कि मेरे सामने चोद मेरी बीवी को? तुमको भी अगर साथ रहना है तो तुमको ही कहना पड़ेगा। मैं तो अकेले में ही फ़ांस कर चोद लूँगी उनको !"

"वो मैं कर लूँगा। खाने के बाद बात छेड़ता हूँ, तू दस मिनट में आ जाना और उनकी गोद में बैठ जाना, बाकी मैं संभाल लूंगा।" मैंने कहा।

खाने के बाद मैं चाचा के साथ बैठा था, बोला "चचाजान, एक बात कहूँ, काशीरा के बारे में?"

"हाँ कहो बेटा !" चचा संभल कर बैठ गये।

"आप को कैसी लगी काशीरा?" मैंने पूछा।

"अच्छी लड़की है, बहुत सुंदर है, तेरे भाग हैं कि तुझे ऐसी लड़की मिली !" चचा मुझे देख कर बोले।

"आप भी बड़े लकी हैं चचाजी, चाची भी क्या चीज हैं !" मैंने कहा।

"हाँ वो तो है। पन्द्रह बरस पहले देखते तो फ़िदा हो जाते, बड़ी तीखी छुरी थी, वैसे अब भी है पर मोटी हो गई है !" चचा मेरी ओर देख कर बोले।

"चचा, सच कहूँ, मुझे चाची बहुत अच्छी लगती हैं। वैसे ही जैसे आप को काशीरा अच्छी लगती है। वैसे बचपन से चाची मुझे बहुत भाती हैं पर अब जरा .. यानि बहुत मस्त लगती हैं।" मैंने कहा।

चचा मेरी बात में छुपा इशारा समझ गये,"अरे, तो शरमाता क्यों है, चाची से मेल जोल बढ़ा, उनसे गप्पें लड़ा, वो भी कह रही थी कि इमरान बड़ा प्यारा लड़का है। वैसे काशीरा के बारे में कह रहा था ना तू?"

मैं चचा के पास खिसका, "बड़ी गरम चीज है चाचाजी ! मुझसे नहीं संभलती !"

"याने बाहर मुँह मारती है क्या? इतनी चालू है? तुमने कहा उससे कि ऐसा न करे? आखिर बहू है घर की?"

"अब चचा, आप से क्या छुपाऊँ, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ, बहुत सुख देती है मुझे, इसलिये उसके सुख का भी खयाल मुझे रखना पड़ता है। अब आप पर नजर है उसकी। कह रही थी कि अहमद चचा कितने अच्छे लगते हैं। उनके साथ मेल जोल बढ़ाने का दिल करता है।"

चचाजान मस्त हो गये,"अरे, तो इसमें पूछने की क्या बात है, बहू के लिये तो मेरी जान हाजिर है।"

"जान तो ठीक है चचाजी, आप उसे थोड़ी ठंडी कर दें तो..."

"अरे बिल्कुल ठंडी कर दूंगा। तू उसे मेरे पास छोड़ तो सही। बहू-बेगमों की तो हर इच्छा पूरी करनी चाहिये बेटे कि उन्हें घर के बाहर जाने की जरूरत न पड़े। और तू यहाँ क्यों बैठा है, जा ना चाची के पास, वो अकेली अपने कमरे में पड़ी है, कह रही थी कि सिर दुख रहा है, मैंने कहा कि भेजता हूँ किसी को खाने के बाद मालिश के लिये। मैं तो खुद तुझसे कहने वाला था, तू जा। मैं बहू का इंतजार करता हूँ यहाँ, जम जाये तो आज ही उसे खुश कर दूँगा।"

तभी काशीरा अंदर आई। बस एक नाइटी पहने थी। अंदर की ब्रा और पैंटी भी निकाल दी थी। नाइटी के बारीक कपड़े में से उसका हर अंग दिख रहा था। आकर सीधी चचा की गोद में बैठ गई,"क्या बातें हो रही थीं चचा-भतीजे में, मैं भी तो सुनूं। मुझे खुश करने की बात कर रहे थे चचाजी? कैसे खुश करेंगे मुझे बताइये ना चचाजी !"

चचाजी थोड़े हड़बड़ा गये,"कुछ नहीं बहू, इमरान बता रहा था तेरे बारे में, बड़ी सुंदर और प्यारी है तू। इमरान के बड़े भाग हैं जो तेरे जैसी बेगम इसे मिली है। तुझे खुश रखने को मैं क्या, सब लोग जो तू चाहे वो करेंगे ऐसा मैं कह रहा था !"

मैंने झूठमूठ काशीरा को डांटा- अरे तू क्या बच्ची है जो ऐसे जाकर चचाजान की गोद में बैठ गई? ये क्या सोचेंगे?

काशीरा बोली- चचा तो बड़े हैं, उनकी गोद में बैठने से क्या शरमाना ! चचाजी मुझे बहुत प्यार करते हैं, है ना चचाजी? आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं।

चचा बोले- हाँ बहू ! इमरान, उसे मत डांट, उसका हक है मेरी गोद में बैठने का !

और काशीरा की पीठ सहलाने लगे।

काशीरा बोली- हाँ चचा, वैसे ही जैसे इमरान का हक है चाची से लाड़ पाने का, है ना?

और फ़िर चचा को चूमने लगी, पहले गाल चूमे, फ़िर सीधे होंठ चूमने लगी।

चचा भी मस्त हो गये। काशीरा को बाहों में भर लिया और चूमने लगे, मुझे बोले- इमरान, तू जा तो, चाची का सिर दबा दे। चिंता मत कर, मैं बहू का पूरा खयाल रखूंगा, बड़ी प्यारी बच्ची है !"

काशीरा ने उनका एक हाथ उठा कर अपने स्तन पर रख लिया- चाचाजी देखिये ना, छाती बड़ी कसमसाती है मेरी। न जाने ऐसा क्यों होता है?

अब तो चचा एकदम मस्ती में आ गये, काशीरा की चूची दबा दबा कर कस के उसके चुम्बन लेने लगे, चूमते चूमते बोले- अरे तेरी जवानी की गरमी है इसलिये ऐसा होता है, तेरे इस भरे पूरे जोबन को ठीक से मालिश करनी चाहिये, तब यह काबू में आयेगा। इमरान, तू अब तक यहीं है? जा ना लैला के पास !

मैंने कहा- चचाजी, थोड़ी देर के बाद चाची के पास चला जाऊँगा। अभी देखना चाहता हूँ कि ये क्या गुल खिलाती है। बड़ी शैतान है ! काशीरा, चचा तुमको बहुत प्यार करते हैं, जरा ठीक से पेश आना, बद्तमीजी नहीं करना। इसीलिये मैं तो रुकूंगा और कुछ देर, मुझे भरोसा नहीं है तुम्हारा !

"मेरे राजा, मैं जानती हूँ कि वे बहुत प्यार करते हैं। ये देखो सबूत। मैं कब से देख रही हूँ कि जब चचा मुझे देखते हैं तो प्यार से ऐसी हालत हो जाती है इनकी, है ना चचाजी?" कहकर काशीरा ने उनके पाजामे के तंबू पर हाथ रख दिया !

"चलिये ना चचा, अंदर चलिये, मुझे ठीक से प्यार कीजिये, आप के पास तो के खास खिलौना है मुझे प्यार करने के लिये !"

"हाँ चचा, अंदर ले चलिये काशीरा को उठाकर, फ़िर इसे ठंडी कीजिये। असल में मैं बहुत प्यार करता हूँ इसे, इसको और कोई भी प्यार करे तो मुझे मजा आ जाता है। और अब आप इसे प्यार करेंगे ये तो बड़ी खुशी की बात है, काशीरा भी कब से राह देख रही है, आप जैसे बड़ों से प्यार कराने में उसे बहुत आनन्द मिलता है, मैं जरा देख लूँ कि ये कितनी खुश होगी आप से प्यार पाकर, फ़िर चाची की सेवा करूँगा जाकर !" मैंने कहा।

चचा समझ गये। उठ कर काशीरा को बाहों में लिया और अंदर ले गये- आ जा इमरान, देख ले कि ऐसी जवान बहू को कैसे प्यार किया जाता है"

अंदर जाकर उन्होंने काशीरा को नीचे उतारा तो पहले तो काशीरा ने अपनी नाइटी निकाल दी। जब तक चचा आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर उसका जोबन देख रहे थे, तब तक उसने चचा के कपड़े भी निकाल दिये। मैं भी नंगा हो गया था।

मैंने एक कुरसी पर बैठ कर लंड हाथ में लिया और बोला- चचा, साफ़ बात कहूँ, बड़ी चुदैल लड़की है, आप पर मरती है, कब से आपके लंड की ताक में है, आज जरा इसे अपने लंड की ताकत दिखा ही दीजिये !

"बहू तो अप्सरा है अप्सरा ! क्या माल लाया है तू इमरान बेटे, चबा चबा कर खा जाने का मन करता है !" चचा काशीरा के बदन पर हर जगह हाथ फ़ेरते हुए बोले।

काशीरा अब नीचे बैठ कर चचाजी के लंड को हाथ में लेकर चूम रही थी- इमरान राजा, मैंने कहा था ना कि कितना बड़ा है चचा का ! हाय चचाजान, यह तो घोड़े के लंड सा लगता है, चाची की तो आप ने आज तक पूरी खोल दी होगी?

चचाजी बोले- अरे तेरी चाची क्या कम है? उसका तो कुआं है कुआं, वो तो हाथी का ले ले उसका बस चले तो, घोड़ा क्या चीज है उसके सामने। बहू अब यहाँ आ बेटी, अपनी बुर दिखा, अम्मी-कसम क्या महक रही है साली !

"पहले लंड चूसूँगी चचाजी, फ़िर अपनी बुर चटवाऊँगी !" काशीरा बोली और लंड का सुपाड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी, बोली- ये सुपारा है या पाव भर का टमाटर? मैं तो खा जाऊँगी इसको !

चचाजी बोले- चूसेगी या चुदवायेगी? जल्दी बोल, डरती है शायद, डींगें मार रही है, मेरे लंड की साइज़ देखकर डर गई है, इसलिये चूस कर छोटा कर देना चाहती है !

"इस लौड़े से डरे मेरी सास, लो चचा, चोद दो, आज आप को दिखाती हूँ कि चुदवाना किसे कहते हैं !" काशीरा अपने मम्मे दबाती हुए बोली।

काशीरा टांगें खोल के लेट गई, चचाजी टूट पड़े और लपालप उसकी बुर चाटने लगे- क्या चूत है बहू की, क्या रेशमी झांटें हैं, और ये लाल लाल होंठ और ये बहता हुआ खालिस घी ! इमरान, तेरी तो चांदी है बेटे, रोज इस जन्नत की सैर करता है, इस इमरत को चखता है, बहू जरा टांगें और फ़ैला, जीभ डालने दे ठीक से !

काशीरा ने टांगें पूरी फ़ैला दीं। चचाजी ने उसकी बुर उंगली से खोली और जीभ अंदर डाल डाल कर रस चाटने लगे। काशीरा कमर उचकाने लगी।

"चूसते ही रहोगे या चोदोगे भी? डालो ना चचा, लंड तो डालो। अब क्यों तड़पाते हो चचा अपनी बहू को, पाप लगेगा आपको !" काशीरा उनके सिर को पकड़कर बुर पर उनका मुँह रगड़ती हुई बोली।

चचा उठ कर बैठ गये- ये ऐसे नहीं मानेगी साली ! इतना बढ़िया बुर का रस है, ठीक से पीने भी नहीं देती। इमरान, मैं चोद देता हूँ इसे, बुर बाद में चूस लूँगा, अब तो ये घर का माल है। चल बहू, बुर पूरी खोल नहीं तो फ़ट जायेगी, दर्द से रिरियाने लगेगी !

काशीरा ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत को चौड़ा किया, चचा ने सुपाड़ा रखा और पेलने लगे। वो सेब सा सुपाड़ा आधा अंदर गया तो काशीरा कराह उठी- हाय..! अरे जालिम..! रुक ना थोड़ा..! कितना अच्छा लग रहा है इमरान.. बहुत बड़ा है चचा का... ओह..! ओह..! ये तो सच में फ़ाड़ देगा मेरी ! लगता है..! हाऽय ..! चचाजी.. डालो ना अंदर... दुखता है ऐसे करते हो तो...! ओह... ओह ..!

"कभी रोती है और कभी लंड डालने को कहती है ये हरामन !" चचा मुस्कराकर बोले।

"डाल दो ना चचा.. पूरा डाल दो ... मेरी परवा ना करो !" काशीरा मचल कर बोली।

"डाल दूँगा, डाल दूँगा, मेरे सुपारे का मजा तो ले, तेरी चूत को ये ठीक से चौड़ा करेगा, तेरी चाची की बुर का भोसड़ा इसी सुपाड़े ने बनाया है !" कहकर चचाजी थोड़ी देर सुपारा अंदर बाहर करते रहे, फ़िर पक्क से अंदर कर दिया।

"उई ऽ अम्मीऽ..." काशीरा चीख पड़ी।

"अब कैसे चिल्लाने लगी ये चुदैल लड़की ! देखा इमरान, अरे मेरे लंड को झेलना सब के बस की बात नहीं है।" चचा काशीरा की चूचियाँ दबाते हुए बोले।

"अरे डालो नो .. रुक क्यों गये ... मजा आ रहा है .. ओह इमरान.. लगता है कोई जैसे पूरा हाथ अंदर डाल रहा है .. सुपारा ऐसा लग रहा है जैसे किसी की मुठ्ठी हो ... आज मेरी चूत के लायक लंड मिला है .. आह ... दुखता है चचाजी .. मेरे अच्छे चचाजी .. पर बड़ा मजा आ रहा है चाची की कसम, करिये ना और ..."

चचाजी लंड पेलने लगे, आधा लंड अंदर गया तो काशीरा छटपटाने लगी- ओह .. नहीं सहा जाता चचाजी .. मर गई मैं .. बहुत बड़ा है .. उई मां ऽ इमरान राजा ... तेरे चचाजी तो सांड हैं सांड ... हाय रे....!

चचा ने मेरी ओर देखा कि रुकूँ या डाल दूँ?

मैंने कहा- डाल दो चचा, चिल्लाने दो, फ़ट जाये तो भी परवा नहीं। वैसे आप जानते नहीं इस हरामन को, चिल्लाती भी है तो मस्ती से, साली जरा नहीं डरती। आप तो डालो और चोदो मजे से !

चचाजी ने पूरा लंड गप्प से उतार दिया। काशीरा का बदन ऐंठ गया। वो चिल्लाये इसके पहले चचा ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और चोदने लगे।

काशीरा 'गों-गों' करके छटपटाते हुए हाथ पैर फ़ेंकने लगी। पर चचाजी का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था, इसका मतलब था कि काशीरा की बुर इतनी चू रही थी कि एकदम चिकनी हो गई थी, मैं समझ गया कि दुख वुख कुछ नहीं रहा है, नाटक कर रही है। चचा काशीरा का मुँह ऐसे चूस रहे थे जैसे रसीला फ़ल चूस रहे हों, साथ ही सधी रफ़्तार से बिना रुके चोदते जाते। काशीरा अपने बंद मुँह से बस 'अंःअंहअंम्म' करती रही, फ़िर चुप हो गई।

चचाजी ने काशीरा का मुँह छोड़ा और झुक कर उसकी चूची चूसने लगे। काशीरा फ़िर से हाथ पैर मारने लगी, सिसकती हुई कमर हिला हिला कर चचाजी के लंड को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी, फ़िर चचाजी के इर्द गिर्द अपने हाथ पैर लपेट लिये और बोली- ओह .. ओह.. चचा.. बहुत जानदार है चाचाजी आपका... मैं जानती थी... यही एक लंड है जो मेरी चूत की अगन ठंडी कर सकता है... चोद डालिये चचाजी... चोदिये आपकी बहू को.. अपनी बेटी की चूत को... पेल पेल के फ़ाड़ दीजिये चचाजी... चोद डालिये चचाजी...

"बिल्कुल चोद डालूंगा बहू, हमारे घर आई है बहू बनके, तेरी हर इच्छा पूरी करना हमारा फ़र्ज़ है, ले .. ले .. और जोर से पेलूं? .. ये ले ..." चचाजी बोले और फ़िर हचक हचक कर काशीरा को चोदने लगे।

काशीरा अब नीचे से ऐसे चूतड़ उचका रही थी कि जैसे उनके लंड को पेट में लेने की कोशिश कर रही हो।

"इमरान देख तेरी बीवी को तेरे सामने चोद रहा हूँ। क्या छिनाल रंडी है साली, देखो कैसे चूतड़ उचका कर मेरा लंड पिलवा रही है अपनी चूत में ! मुझे लगा था कि टें बोल जायेगी, तेरी चाची भी बेहोश हो गई थी सुहागरात में .. पर ये तो रंडियों से भी बढ़ कर है चुदवाने में" चचा काशीरा की बुर में अपना लंड पेलते हुए बोले।

"हाँ चचा, बड़ी गरम है, मुझसे संभलती नहीं है साली हरामन। आज आप इतना चोद दो कि साली खाट से उठ न पाये !" मैं लंड को हाथ से मस्ती से सहलाते हुए बोला।

काशीरा की गोरी चूत एकदम चौड़ी हो गई थी, चचाजी का मूसल उसे चौड़ा करके अंदर बाहर हो रहा था।

"चोदिये ना चचाजी... चोद दीजिये मुझ को... और जोर से... कस के पेलिये जीजू .. और जोर से चोदिये ना... फ़ाड़िये ना मेरी चूत... अम्मी के भाई जी... मसल डालिये मेरे को... ओह.. हं ऽ... आह ऽ.. ओह ऽ... आह ऽ... " मस्ती में आँखें बंद करके काशीरा बड़बड़ा रही थी। अपने हाथों और पैरों से उसने चचाजी का बदन बांध कर रखा था और उनसे चिपटी हुई थी।

"मुझको कभी मामा कहती है कभी जीजू कहती है साली... इनसे भी चुदवाती थी क्या?" चचाजी ने धक्के मारना बंद करके मुझसे पूछा।

"पता नहीं चचाजी, शायद, वैसे उमर में बड़े और खास कर बड़े लंड वालों से चुदवाने में बहुत मजा आता है इसे, मैं चोदता हूँ तो कभी मस्ती में मुझे मामाजी कहती है तो कभी जीजाजी... बचपन से चुदैल है... मैं तो देखते ही पहचान गया था.. इसलिये तो मैंने शादी को हाँ कर दी अहमद चचा... सोचा कि ऐसी चुदैल चीज जितनी जल्दी घर में आये उतना अच्छा है... अब सारे खानदान को चोद डालेगी ये हरामन !" मैं कस के अपने लंड को मुठिया रहा था।

चचा ठीक से काशीरा पर चढ़ गये और फ़िर घचाघच चोदने लगे- है बड़ी नमकीन छोकरी.. माल है साली माल... अब इस माल को मैं कैसे गपागप कर जाता हूँ देखना... इतना चोदूँगा आज कि मेरे बिना किसी का नाम नहीं लेगी बाद में... और तू क्यों मुठ्ठ मार रहा है वहाँ नालायक... आ जा.. साथ साथ चोदेंगे ... साली के मुँह में डाल दे लंड और चोद डाल... तू कहे तो मैं नीचे होता हूँ... गांड मार ले हरामन की... बहुत गुदाज है... तू तो मारता ही होगा... मेरा मन हो रहा था असल में गांड मारने को... पर साली की बुर इतनी मीठी दिखती है कि..." कहकर चचाजी ने काशीरा के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगे।

"मैंने तो बहुत बार चोदा है... गांड भी मारी है... आज आप मजा कर लो अहमद चचा.. वैसे आप का लंड बड़ा शानदार है, चाचीजी तो मरती होंगी आप पर !" मैंने कहा। लैला चाची के मोटे मांसल बदन को याद करके मेरा और उछलने लगा।

"हाँ इमरान... तेरी चाची भी माल है .... पर तेरी ये बहू तो एकदम तीखी कटारी है.. आह काशीरा बेटी... साली छिनाल... कैसे मेरे लंड को पकड़ रही है चूत से .. गाय के थन जैसा दुह रही है .. आज तेरी चूत की भोसड़ा न बना दूं तो कहना !" चचा हांफ़ते हुए घचाघच धक्के लगाते हुए बोले।

"अहमद चचा... आप मार डालो मुझे चोद चोद के.. आप के मुस्टंडे ने मार डाला तो भी.. उसे दुआ दूंगी... हाय.. हाय.. अरे साले चचा के बच्चे... घुसेड़ ना और अंदर... और चाची माल है तो मेरा ये सैंया इमरान ! क्या कम है ... चाची का माल इसे.. दिलवा दो.. चोद ना साले... चोद ना और !" काशीरा अब तैश में आकर बुरी तरह तड़प रही थी।

"दिलवा दूंगा.. मैंने तो पहले ही कहा था.. यही घर का ही माल है.. इमरान को पसंद आयेगा.. खोवा है खोवा.. क्यों रे इमरान.. चाची को चोदेगा.. साली अब पिलपिली हो गई है... चूत और गांड का भोसड़ा हो गया है.. तेरे लंड समेत तुझे निगल लेगी.. पर है बड़ी जायकेदार साली मुटल्ली... रस चूता है तो बिस्तर गीला कर देती है...तू जा ना इमरान.. तेरी चाची चूत खोल कर... तेरा इंतजार कर रही होगी..." चचाजान अब हचक हचक कर ऐसे चोदने लगे जैसे काशीरा का कचूमर निकाल देंगे।

काशीरा अचानक सी-सी-सी करके हाथ पैर पटकने लगी। फ़िर लस्त हो गई।

"खलास कर दिया साऽलीऽ हराऽमऽजाऽदीऽ रंडीऽ को... चली थी मेरे लंड से लोहा लेने.. ओह.. ओह.. काशीरा बेटी.. आह !" कहकर चचा भी ढेर हो गये। मैं कस कर मुठ्ठ मार रहा था, इतनी मस्त चुदाई देख के मजा आ गया था। खास कर काशीरा को बहुत मजा आया था, यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा था। आखिर मेरी प्यारी बीवी है, उस पर जान छिड़कता हूँ मैं। आखरी मौके पर आकर मैंने हाथ हटा लिया और लंड को झड़ने नहीं दिया। वहाँ चाची से मार थोड़ी खानी थी मुझे !

चचा थोड़ी देर से उठे और रुमाल से अपना लंड पोछने लगे। उनके लंड पर गाढ़े सफ़ेद वीर्य के कतरे लगे थे। अनजाने में मैंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फ़िरा दी, इतना मस्त माल वेस्ट जा रहा है यह मुझसे देखा नहीं जा रहा था !

काशीरा ने मेरी ओर देखा, इशारा किया कि मौका मत जाने दो। पर मेरी हिम्मत नहीं हुई। न जाने चचाजी क्या सोचें अगर मेरे दिल की बात जान गये तो?

मेरी प्यारी काशीरा मेरे दिल की बात समझ गई, उसने गाली दे के मुझे बुलाया "इमरान राजा, वहाँ क्यों बैठे हो मूरख जैसे, चल साले, आ और मेरी चूत साफ़ कर..."

अहमद चचा बोले- अरी बहू, उसे क्यों तकलीफ़ देती है, मैं रुमाल से साफ़ कर देता हूँ !

"नहीं चचा, हमेशा इमरान ही साफ़ करता है, वो भी जीभ से। असल में उसे अच्छा लगता है, है ना इमरान?"

"हाँ रानी, ये इमरत तो मैं कभी नहीं छोड़ता !" कहकर मैं काशीरा के पास गया। वो टांगें खोल कर बैठ गई। मैं उसकी जांघें और चूत चाटने लगा।

चचा बोले- अरे बेटे, देख मेरा वीर्य रिस रहा है बहू की चूत से, तेरे मुँह में चला जायेगा देख !

काशीरा बोली- तो क्या हुआ चचा, आप क्या पराये हो, अब तो मेरे सैंया बन गये हो। इमरान को मेरी बुर का पानी बहुत अच्छा लगता है, जरा भी नहीं छोड़ता, उस चक्कर में जरा आप की मलाई चख लेगा तो क्या बुरा है !

मैंने पूरी बुर साफ़ की। चचाजी के गाढ़े गाढ़े खारे वीर्य से काशीरा की बुर का पानी बड़ा मसालेदार हो गया था। मन ही मन मैंने काशीरा का शुक्रिया किया कि मेरे मन की बात ताड़ कर बड़ी खूबी से उसने मुझे चचाजी का वीर्य चखा दिया था।

चचा काशीरा को बाहों में लेकर लेट गये और उसके मम्मे मसलने लगे- आज रात भर चोदूंगा बहू तुझे, फ़िर कभी नहीं कहेगी कि मुझे प्यासा छोड़ दिया। बेटे इमरान, अब जाओ, चाची का क्या हाल है देखो, जरा उसकी भी सेवा करो, दुआ देगी !

"दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !" काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली "और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !

उनकी नोंक झोंक चलती रही, मैं उठ कर चाची के कमरे की तरफ़ चल दिया।

कहानी चलती रहेगी।






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हिंदी सेक्सी कहानियाँ बिस्तर की रानी-3

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

बिस्तर की रानी-3


प्रेषक : संजय शर्मा, दिल्ली

मैंने उसकी स्कर्ट एक झटके में उतार कर फेंक दी। एक जवान खूबसूरत लड़की मेरे बिस्तर पर सिर्फ पेंटी में थी। एकदम गोरा रंग, बिना बालों का नमकीन सा जिस्म।

सहा नहीं गया मुझसे और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पे रख दिया। पाव जैसे उसकी चूत पेंटी के अन्दर थी जो मैं खाने क़ी पूरी कोशिश कर रहा था। अब मेरा लंड यह सब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैं अपनी उंगली उसकी पेंटी के अन्दर डाल कर उसकी चूत को महसूस करने लगा। उसकी चूत क़ी फाकों पर मेरी उंगली चल रही थी।

रीना क़ी आवाजें अब सेक्सी सिसकारियों में बदल गई थी।

मैंने अब बिना इंतजार किये उसकी पेंटी उसके जिस्म से अलग कर दी। उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे जो साफ़ बता रहे थे कि उसने हम लोगों के पहले वाले मिलन के बाद ही इनको साफ़ किया था।

मैंने अब उसकी नंगी चूत को अपने मुँह में ले लिया और उसके पाव के मज़े लेने लगा। मेरा बस चलता तो उसकी पूरी चूत खा जाता पर उसकी चूत बहुत फूली हुई थी। मैं उसकी एक एक फाकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

अब मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया, वो लेटी हुई थी सो मैंने उसकी टाँगें उठा कर अपने कंधों पर रख ली और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया। मेरा जीभ उसकी चूत क़ी फाकों को अलग कर के उसके अन्दर घुसी जा रही थी। वो सिसकियाँ ले रही थी और उसके हाथ मेरे सर पर आ गये थे और मेरे सर को अपनी चूत क़ी ओर धकेल रहे थे।

मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर थे और उनको उठा उठा के अपने मुँह और उसकी चूत के बीच क़ी दूरी को कम करने क़ी कोशिश कर रहे थे। मेरी जीभ उसकी चूत में काफी अन्दर जा चुकी थी, पर कहते हैं ना जहाँ सुई क़ी जरुरत होती है वहाँ तलवार काम नहीं करती। यहाँ जरुरत मेरे लंड क़ी थी तो जीभ कहाँ वो काम कर पाती।

फिर भी मेरी जीभ के असर से उसका पानी निकलना शुरु हो गया था। अब मैं खड़ा हुआ और अपनी चड्डी निकल दी। मेरा खड़ा हुआ लंड हवा में झूल रहा था। मैंने अपना लंड रीना के पूरे नंगे जिस्म पर फेरना शुरु किया। मेरा मन अपना लंड उसके मुँह में डालने का था सो मैंने अपना लंड उसके मुँह और होंठों पे लगाना शुरु किया। अब बारी उसके काम करने क़ी थी।

मैं पलग पर टेक लेकर बैठ गया और वो अब मेरी टांगों के बीच आ गई। मेरा लंड मोबाइल टावर क़ी तरह खड़ा था। उसने बिना देर किये मेरे लंड पर जीभ फेरना शुरु किया। वो मेरे लंड को जड़ से लेकर टोपे तक चाट रही थी। उसने अपने हाथो से लंड को पकड़ कर उसकी खाल ऊपर नीचे करके मेरा मुठ मारने लगी। उसको यह सब कैसे आता था, जब मैंने उसको पूछा तो उसने बताया कि किया नहीं तो क्या हुआ नेट पर देखा बहुत है।

मैंने उससे लंड मुँह में लेने को बोला तो वो मना करने लगी। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया पर मैं थोड़ा उदास हो गया। यह देख कर वो मुस्कुराई और अपना मुँह खोल कर मेरे टोपे को अपने मुँह के अन्दर लेना शुरु कर दिया। उसके मुँह क़ी गर्मी और गीलापन मेरी हालत खराब कर रहा था। उसको उल्टी सी आ रही थी पर अगर उस वक़्त मैं उसको रोक देता तो वो कभी लंड चूसना नहीं सीख पाती। वो धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले गई। मेरा लंड उसके गले तक पहुँच गया। अब वो आराम से मेरे लंड को मुँह के अन्दर-बाहर करने लगी थी जैसे बच्चे लोलीपॉप खाते हैं उसी तरह वो मेरा लंड चूस रही थी।

पहली बार में ही उसने मुझको मस्त कर दिया था। सोचा नहीं था मैंने ककि मेरे लंड क़ी ऐसे तरह भी चुसाई होगी। मन तो किया कि अपना सारा पानी उसके मुँह में ही निकाल दूँ पर मैं नहीं चाहता था कि वो आगे कभी लंड चूसने की सोचना तक छोड़ दे। जितना उसने किया था उतना ही बहुत था मेरे लिए।

अब अपने पे और काबू रख मेरे बस में नहीं रह गया था। मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया। मेरे सपनों की रानी मेरे सामने मेरे बिस्तर पर नंगी लेटी थी। एकदम मस्त फिगर, गोरा रंग, पूरे जिस्म पे एक भी बाल नहीं था उसके, एकदम चिकना बदन, चमचमाते जिस्म की मालकिन थी मेरी बहन।

मैं भी पूरा नंगा था और उसी हालत में उसके ऊपर चढ़ गया। आज मेरी परीक्षा भी थी। वो आज पहली बार अपनी चूत में लण्ड लेने वाली थी और मुझको सब कुछ ऐसा करना था कि उसको ज्यादा परेशानी न हो और दर्द न हो।

मुझको पता था कि इसके लिए पहले मुझको उसकी चूत को पानी निकाल कर चिकना करना था सो मैं उसके उसके बगल में लेटा और उसके शरीर को सहलाने लगा। मेरी हाथ जल्दी ही उसकी चूत पर चला गया और उसको सहलाने लगा।

मैं अपनी उंगली उसकी चूत की दरार में डाल के रगड़ने लगा। मैंने धीरे धीरे अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा। वो हल्के-हल्के दर्द से सिसकारी ले रही थी। मैंने कोई जल्दी न दिखाते हुए उसकी चूत में उंगली करना जारी रखा।

थोड़ी देर की मेहनत के बाद मेरी उंगली उसकी चूत में समां गई थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था। मेरा काम उसकी चूत को इतना चौड़ा करने का था कि जब मैं उसमे अपना लंड डालूँ तो उसको ज्यादा दर्द न हो।

मैंने उसकी चूत में अपनी एक और उंगली डाल दी। अब मैं उसकी चूत में अपनी दो उंगली डाल के आगे पीछे कर रहा था, बार बार उसके दाने को मसल रहा था, वो उत्तेजना से सिसकारी ले रही थी। उसकी चूत ने पानी चोड़ दिया था और वो एकदम से निढाल हो गई। पानी उसकी चूत से बह कर बाहर आ रहा था। अब मौका सही था, झड़ने के कारण उसकी आँखें मस्ती में बंद थी।

अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी टांगों के बीच में आकर बैठ गया। मैंने उसकी टाँगें हवा में उठा दी और अपने कंधों पर रख ली। दोस्तों ऐसा करने से लड़की की चूत थोड़ी खुल जाती है। अब मैं अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर रगड़ने लगा। मेरा टोपा उसकी चूत के मुँह पर था और पानी की चिकनाहट से फिसल रहा था।

मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी कमर पे रख दिया, लंड को उसके चूत के छेद पे रखा, मेरा लंड एकदम डण्डे की तरह टाईट था। मैंने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरु किया। मैंने सारा काम धीरे धीरे करना शुरु किया क्योंकि मैं जानता था कि उसको थोड़ा दर्द तो होगा। धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चिकनी चूत की फांकों में घुसने लगा था। जैसे ही उसको दर्द होता तो मैं अपने लंड को वही रोक लेता और थोड़ी देर बाद फिर से लंड अंदर-बाहर करने लगता।

अभी तक मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था पर काम अभी काफी बाकी था। मैंने उसको एक बार दर्द देने का तय करके अपना पहला जोर का झटका मारने का तय किया। जब तक मैं जोर से झटका नहीं मारता मेरा लंड उसके अन्दर पूरा नहीं जाता। सो मैंने अपने लंड को पूरा बाहर निकला और निशाना लगाते हुए पूरे जोर से उसकी चूत में घुसा दिया। मैंने उसको मेरे इस धक्के के बारे में बताया नहीं था वरना वो पहले ही डर जाती और उसको ज्यादा दर्द होता।

मेरी इस हरकत से उसको दर्द हुआ और वो चिल्लाने वाली थी पर मेरा हाथ उसके मुँह पर चला गया और उसकी आवाज नहीं निकल पाई। मैंने लंड अन्दर डाल कर उसको वहीं छोड़ दिया। उसके आँसू निकल गए थे।

मैंने अपना हाथ हटाया तो वो लंड बाहर निकलने को कहने लगी पर मैंने उसकी बात पे ध्यान दिए बिना उसके मम्मों को दबाना जारी रखा। थोड़ी देर तक ऐसा करते रहने से उसका ध्यान दर्द से हट के मेरी हरकतों की तरफ लग गया। जब मुझको लगा कि उसका दर्द कुछ कम हुआ है तो मैंने बहुत धीरे धीरे अपना लंड हिलाना शुरु किया ताकि उसकी चूत मेरा लंड खाने लायक चौड़ी हो जाये।

थोड़ी देर में ही मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर-बाहर होने लगा था। उसका दर्द भी काफी कम हो गया था। इतनी टाईट चूत में एकदम से लंड डालने से मेरे लंड में भी हल्का सा दर्द हो रहा था पर मिलने वाला मज़ा उस दर्द से काफी ज्यादा था।

रीना मुझको कहने लगी- जब मैंने लंड निकालने को बोला तो अपने सुना नहीं?

तो मैंने कहा- मेरी जान, उस वक़्त अगर लंड निकाल लेता तो तुम दुबारा लेने की हिम्मत नहीं कर पाती और दुबारा डालने पर तुमको उतना ही दर्द सहना पड़ता और मैं अपनी रीना को और दर्द कैसे देता।

यह कहते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मेरा लंड अब अपनी पूरी तेजी से उसकी चूत को पेल रहा था, मेरी गोटियाँ उसकी चूत के फलक से टकरा कर दोनों को मस्त कर रही थी।

मैंने उसकी टाँगें सीधी कर दी और उस पर चढ़ गया। उसका नंगा जिस्म मेरी बाहों में था और वो मेरी बाहों में मचल रही थी जैसे जल बिन मछली ! मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर दूसरा उसकी गांड पर।

दोस्तो, उम्मीद है आप अपनी कल्पना के सहारे वो फील कर रहे होगे जैसा मैं उस वक़्त महसूस कर रहा था।

मेरा लंड अब पिस्टन की तरह उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था और हाथ उसके पूरे जिस्म को मसल रहे थे। वो मुझसे इतना चिपकी थी कि उसके तीखे मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे। मैं कभी उसकी टाँगें चौड़ी करके लंड डालता, कभी एक टांग उठा देता। मैंने जितने भी आसन कामसूत्र में देखे थे आज सब उस पर आजमा रहा था।

वो मस्ती से अपनी चुदाई में लगी थी। मेरे होंठ उसके मुँह और होंठों को चूस रहे थे।

करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मेरा पानी निकलने को हुआ तो मैंने उसको कहा- क्या पसंद करेगी? अन्दर या बाहर?

उस पर तो पोर्न साइट्स का भूत था तो बोली- जैसे उसमें होता है आप मेरे ऊपर सारा पानी गिरा दो।

मैंने अपना लंड निकाला और मुठ मारते हुए अपना सारा पानी उसके पेट, सीने और मुँह पर गिरा दिया। उसने अपने पेट, मम्मों पर सारा पानी रगड़ लिया।

वो पहले ही दो बार झड़ चुकी थी। मैं अभी भी उसके जिस्म को चूम रहा था और अपने ही पानी का मज़ा ले रहा था। मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया जहाँ से पानी के साथ हल्का सा खून भी निकल रहा था। मैंने अपनी चड्डी से उसकी चूत साफ़ कर दी और उसको मूत के आने को कहा।

वो नंगी ही खड़ी हुई और मूतने चली गई।

उसका नागा पिछवाड़ा और मटकती हुई कमर बहुत मस्त लग रही थी और जब वो मूत कर आई तो सामने से उसका नंगा बदन ऐसे लग रहा था मानो अप्सरा मेनका मेरे सामने नंगी खड़ी हो।

वो वापस मेरे पास आकर लेट गई और हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। अब उसकी शर्म चली गई थी और वो बिंदास हो कर मेरे लंड को अपने हाथों से मसल रही थी और मुठ मर रही थी। मैं भी उसके मम्मों, होंठों और जिस्म का रसपान कर रहा था।थोड़ी देर तक ऐसे ही करते रहने से मेरा लंड फिर से अपने बड़े रूप में आ गया था और वो भी गरम हो चुकी थी। मैंने उसको उठ कर मेरे लंड पे बैठने को कहा।

वो बैठने की कोशिश करने लगी पर मेरा लंड बार बार उसकी चूत से फिसल रहा था। मैंने अपना लंड पकड़ कर फिर से उसको निशाने पे लगाया और उसको बैठने को कहा। इस बार जैसे ही वो बैठी मेरा लंड उसकी चूत के दरवाजे खोलता हुआ उसमें उतर गया। वो मेरे लंड पर बैठ कर उचकने लगी। मैं मन ही मन इन्टरनेट का शुक्रिया कर रहा था जहाँ से वो ये सब पहले ही देख कर सीख चुकी थी और उसका यूज यहाँ कर रही थी।

वो जैसे ही नीचे आती उसके चूतड़ मेरी टांगों से टकराते। उसकी चूत अभी तक पानी छोड़ रही थी जिससे पूरे कमरे में पच पच की आवाज गूँज रही थी। उसके उचकने से उसके मम्मे भी जोर जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे जो मादकता को और बढ़ा रहे थे।

मैंने उसके मम्मों को पकड़ लिया और मसलने लगा। थोड़ी देर बाद वो अपना पानी निकाल कर मेरे ऊपर गिर गई। पर मेरा मन नहीं भरा था सो मैंने उसको लेटाया और उस पर चढ़ गया चुदाई करने को।

मेरा लण्ड पिस्टन की तरह उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और वो उचक उचक कर मज़े से लंड खा रही थी। वो मेरी बाहों में बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी और मेरे हाथ उसके नंगे जिस्म को सहला रहे थे।

क्या मस्त सीन था, ऐसा आज तक मैंने सिर्फ कंडोम के एड में ही देखा था लड़की को इस तरह तड़पते हुए लंड के लिए। मैं उसकी गांड पर हाथ रख कर उसको अपनी ओर उछाल रहा था ताकि उसकी चूत में अंदर तक लंड पेल सकूँ।

यह सारा चुदाई का प्रोग्राम आधे घंटे तक चलता रहा। तब कही जाकर मेरा पानी निकला। मन तो था सारा पानी उसकी चूत में निकाल दूँ पर रिस्क नहीं लेना चाहता था तो सारा पानी उसके शरीर पर निकाल दिया। उसको बहुत तेज मूत आ रहा था तो वो उठ कर जाने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और मेरे सामने वहीं मूतने को कहा।

वो शरमा गई पर मेरे जिद करने पर उसने भी अपनी मूत की धार छोड़ दी।

वो खड़ी थी और उसकी चूत से उसका मूत निकल कर दोनों टांगो के बीच से नीचे गिर रहा था। ऐसा लग रहा था मानो कोई झरना नीचे गिर रहा हो।

अब बहुत देर हो चुकी थी सो मैंने उसको कपड़े पहन कर तैयार होने को कहा। उसको नहाना था क्योंकि मेरे लंड का पानी उसके जिस्म पर था और वो उससे महक रही थी।

हम दोनों बाथरूम में घुस गए और साथ साथ नहाने लगे। मैंने एक बार फिर उसके पूरे जिस्म को मसल दिया और शावर के नीचे उसकी चूत लेने का सपना पूरा किया।

हम लोग नहा कर तैयार हो गए। हमने कमरा साफ़ किया, एक दूसरे को किस किया और अपने घर आ गये।

रीना आज बहुत खुश थी और मैं भी। आज मेरी प्यारी बहन मेरे बिस्तर की रानी बन चुकी थी।उस दिन के बाद मैंने कई बार रीना की चूत के मज़े लिए। उसको हर तरह से चोदा, कुतिया बना के, रंडी बना के। एक बार वो मेरे घर रहने के लिए आई जहाँ मैं जॉब करता था। वहाँ वो और मैं तीन दिन के लिए अकेले थे। दोस्तों कसम से तीन दिन तक ना वो घर के बाहर निकली ना मैं। तीन दिन तक मैंने उसको कपड़े नहीं पहनने दिए। सारा समय उसको नंगा रखा और चोदा।

जाते वक़्त उसकी आँखों में मुझसे दूर जाने के गम में आँसू थे। उसने भी वो तीन दिन बहुत मज़े किया। उन दिनों में हमने क्या किया, कैसे किया, वो अगली बार।

आपको कहानी कैसी लगी, कृपया जरुर बतायें। एक बार और कहूँगा, मेरी कहानी का मज़ा लेने के लिए अपनी कल्पना का पूरा सहारा लें, कल्पना वो नहीं जिसको आप नंगा करके अपने बिस्तर में चोदते हैं, कल्पना आपकी सोच...

आपका संजय








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