Friday, May 24, 2013

raj sharma stories ठाकुर की हवेली - पहेला भाग

raj sharma stories

ठाकुर की हवेली - पहेला भाग
दोस्तों, मेरा नाम मोना है .. आखिरी दिनों में हम गाँव गए थे .. जहा हमें रुकना था वो ठाकुर की हवेली थी .. वहा मेरी मुलाकात कमली से हुई , जो हमारी देखभाल भी करती थी .. मगर पहेली वाली बात ये लग रही थी की कभी हवेली नहीं छोड़ने वाले ठाकुर साहब दिखाई नहि दे रहे थे .. कमली से पूछा ठाकुर साहब नहीं है ? तो उसने बात टाल दी ..



रात होने से पहेले हमें भी गाँव घुमने जाना था .. सो हम निकल गए ..



गाँव में लोगो से सुना ..



ठाकुर जब जवान था तब वो कमली को कही से खरीद के लाया था .. लोगो से ये भी सुना .. की ठाकुर ने एक तीर से दो निशान लगाये थे .. उस वक़्त ठाकुर की बीवी काफी सालो बाद माँ बन ने वाली थी .. ठाकुर कोई रिस्क लेना नहीं चाहता था .. उस के लिए अपने वारिस से बढ़कर कुछ नहीं था ...



ठकुराइन को किसी की मदद की भी जरुरत थी उसका छठ्ठा महिना चल रह था .. ठाकुर को अपनी जवानी की खुजली मिटाने कोई औरत चाहिए थी .. क्यों की गर्भवती ठकुराइन से तो वो कुछ कर नहीं सकता था .. ..



तब ठाकुर था साल का और कमली नयी जवान साल की ..



कमली की आशाए ताज़ी ताज़ी जवान हो रही थी और उसी वक़्त उसे ठाकुर के रुप में एक सांढ़ मिल गया .. वो भी खुश थी .. कमली ने सालो तक ठाकुर की ताकत को भोगा था .. उसे कलि से फुल ही ठाकुर ने बनाया था .. कमली को ठाकुर ने नोच नोच कर इतनी चुदक्कड़ बना दिया था की कभी कभी ठाकुर पि के आता तो कमली हंगामा मचा देती .. और उसकी दारु का नशा पूरा का पूरा उतार देती .. क्यों की नशे में ठाकुर चूर हो के लुढ़क जाता और चुदाई नहीं हो पाती ... जिसे कमली बर्दास्त नहीं कर पाती .. फिर दोनों जम कर चोदते और आधी रात तक जिस्मो के पटक ने की आवाजे और दोनों की चुदाई की चिल्लाहट पूरी हवेली में गूंजती ..



हवेली में हर रात को चुदाई का माहोल रहेता .. कमली का स्टाइल और उसकी हरकते ठाकुर को बांधे रखती थी .. कुछ ही सालो में ठाकुर कमली की चुदाई का इतना आदी हो गया था की कमली की चुदाई के बिना सो नहीं पाता था .. कभी कभी कमली का महीने वाला वक़्त होता तब भी ठाकुर उसे पेलने से नहीं चुकता था . . बिस्तर और धोती खून से लतपत हो जाते .. मगर चुदाई जरुर होती .. जब कभी कमली रूठ जाती तो ठाकुर उसे सोने के गहने दे के मनाता ताकि कमली को चोद सके ..



कमली ठाकुर को हर तरह का चुदाई का सुख देती थी .. ठाकुर को अपनी चूत का मालिक समजती थी वो ..
1.ठाकुर को अपनी छाती से लगा के अपनी चुचिया अपने हाथो में पकड़ कर घंटो तक चुसवाती थी
2.ठाकुर को पुरे बदन में मालिस कर के देती थी ..
3.अपनी चुचिया और ठाकुर का लुंड का सुपाडा एकदूसरे से घिस घिस के ठाकुर को मदहोश बनाती थी ..
4.ठाकुर की जुबान बच्चे के जेसे चूसा करती थी ..
5.ठाकुर के बदन को नंगा कर के ठाकुर की दोनों छोटी छोटी चुचिया अपने मुह में लेके उस तरह पीती जेसे बच्चा माँ का दूध पि रहा हो .. और अपनी जुबान से दोनों चूची रगड़ रगड़ कर ही ठाकुर का लुंड खड़ा कर देती थी
6.ठाकुर के लुंड के निचे वाले बॉल्स को अपने मुह में भर के अंगूर के जेसे अपनी जुबान से मसलती थी
7.उसके लुंड पर ढेर सारा थूक गिरा के लुंड हिला हिला के कई बार उसके वीर्य की पिचकारिया मरवाती थी
8.अपनी चूत में लुंड घुसा के उसे चूत की दीवारों से जो घिसती की ठाकुर का सारा माल मिनीटो में निकाल देती ..
9.लुंड के सोपाड़े को अपनी जुबांनसे चाट चाट के पूरा लुंड का डंडा बना देती ..
10.कभी कभी तो इतना लम्बा लुंड बॉल्स केसहित अपने मुह में निगल जाती .. और वही अन्दर अपनी हलक में वीर्य छोड़ने को कहेती
11.में लेट कर अपनी फुद्दी चुसवाती और लोडा अपने मुह मे चुद्वाती
12.कभी कभी ठाकुर थका हारा आता और चोद ने के मूड में नहीं होता तब वो नंगी हो के ठाकुर के सामने अपने चूत का दाना अपनी उंगलियों में मसल कर ठाकुर को चोदने के लिए आमंत्रित करती .. जिस से ठाकुर मदहोश हो जाता और उसका लुंड खड़ा हो जाता ..
13.ठाकुर के खड़े लुंड पर अपनी चूत रख कर जो उस पर फुदकती .. ऊपर निचे होती .. और चुदाई जमाती की चारपाई की चिकुद चिकुद आवाजे बहार तक सुनाई देती
14.ठाकुर की गांड का छेद चाट चाट कर अन्दर तक अपनी उंगलिया डालती
15.ठाकुर की गोद में बेठे बेठे उसके लुंड को अपनी गांड के बिच में लेके उसे दबाती
16.ठाकुर से लम्बी सी मोमबत्ती अपनी फुद्दी में डलवाती और उसे गोल गोल हिलाने को बोलती .
17.अपने चूत के चने पर ठाकुर की जुबान रगडवाती जब बेचेनी बढ़ने लगे तब ठाकुर को अपने उपर ले के उस से चुदवाती
18.ठाकुर के सामने कुत्तिया सी गांड दिखा कर उलटी सी खड़ी हो जाती जिस से ठकुर कुत्तिया की तरह उसे पेलता था और कभी कभी इसी तरह वो अपनी गांड भी मरवाती थी ..
19.कभी कभी ठाकुर का लुंड जल्दी खड़ा हो जाता और चूत रेडी नहीं होती तो कमली अपनी छातियो में लुंड दबोच कर ठाकुर का वीर्य निकलवाती थी बाद में उसे पि जाती थी
20.कभी कभी ठाकुर शहर जाता तो जाने से पहेले वो लुंड सीधा कमली के मुह में देता जिसे वो चूस चूस के खड़ा करती और वही अपने मुह में ही ठाकुर का माल खाली करवाती और लुंड को चाट चाट के साफ़ कर देती
21.कई बार ठाकुर के हाथ पैर अपनी दोनों टांगो के बिच ले के फुदकती और अपना पानी निकालती
22.ठाकुर का लुंड अपने चूत के चने से इतनी जोर से दबा दबा के घिसती की चूत से पानी की धार बहेने लगती जिस में वो लुंड डुबोती फीर गिले लुंड को चुसती
23.जब कमली अपना पानी छोडती तो कभी कभी वो अपनी चूत ठाकुर के पेट पर घिसती और ठाकुर का पूरा पेट कमली की चिकनाहट से भर जाता
24.ठाकुर को कमली की चुचिया अपनी उंगलियों के बिच ले के उसे खीच ने में बड़ा मज आता .. कमली हररोज अपनी चुचियाँ ठाकुर से खिचवाती ..
25.ठाकुर उसी तरह कमली का चुतदाना भी जोरजोर से अपनी उंगलियों में ले के मसलता .. और कमली का इस तरह से सारा पानी निकलता ..
26.ठकुर कमली की चूत की दोनों साइड की चमड़ी अपने दोनों हाथो में ले के उसकी चूत को खीच के खोलता फिर अपनी जबान वहा काफी देर तक रगड़ता .. और उसके छेद में अपनी जुबान से चोदता .. जब कमली का पानी निकलता तो ठाकुर अपनी जुबान उस चिकनाहट में और अन्दर डुबोने की कोशिश करता .. ठाकुर जब अपनी जुबान चिकनी चूत से बहार निकालता तब जुबान पर चिकनाहट के तार चिपके हुए होते .. फिर वो अपनी जुबान पर लगी चिकनाहट कमली के मुह में देता .. कमली उसे जी भर के चाटती ..
27.जब कभी ठाकुर दो तिन बार जड़ जाता और कमली को फिर भी चुदवाना होता .. तो ठाकुर अपनी उंगलियों से उसे चोदता और उसकी चूत की वाट लगता .. जब चूत से पानी निकल आता तो पूरी चूत ठाकुर अपनी मुठ्ठी में दबोच लेता .. कभी कभी तो एक हाथ की ऊँगली कमली की गांड के छेद में और एक हाथ की ऊँगली कमली के चूत के छेद में एक साथ चलता ..कमली को इस से बड़ा आन्दन मिलता ..
.होली में बच्चो की पिचकारी ले के उसमे पानी भर के कमली की चूत पर सटाता और फिरं अन्दर पानी की पिचकारी मारता और कमली के चूत से होली खेलता .. दिवाली में कमली की चूत पर रगड़ कर ही मिठाई खायी जाती ..

और भी कई अंदाज में कमली ठाकुर को अपनी जिस्म का सुख देती थी .. कमली का जरा भी दूर रहेना या कही बहार जाना ठाकुर को बिलकुल मंजूर नहीं होता था .. ठाकुर से चुदाई के रोज के मजे ले ले के वो वेसी हो गयी थी की चुदाई उस के लिए एक नशा बन गयी थी .. पिछले0 साल के इतिहास में एक भी दीन वेसा नही गया था कि कमली की चुदाई ठाकुर ने ना की हो ..

ठाकुर का बेटा भी साल का हो गया था .. कमली,अपनी माँ .. ठाकुर और कमली का रिश्ता सब समजता था वो .. रात रात भर हवेली में होती चुदाइ ... इस सब से वो अपनी साल की उम्र से ही वाकेफ होने लगा था वो ..0 साल के बचपन से लेके साल का हुआ तब तक कई बार वो चुप चुप के ठाकुर और कमली की चुदाई देख चूका थावो .. कमली भी इस बात को जानती थी की ठाकुर का बेटा ये सब चुपके से देखता हे .. मगर वो उसे कुछ नहीं कहेती थी बलके जब कमली को महेसूस होता की बच्चा देख रहा है तब वो और जोश में अपने आप को पेल्वाती और तेज चुदाई करवाती .. उस वक़्त वो गन्दी से गन्दी हरकते करती ठाकुर के साथ .. ताकि बच्चे को भी ये सब देखने मे मजा आये ..



फिर दुसरे दिन वो बच्चे से पुछती .. कल क्या देखा ? क्या अच्छा लगा ? वगेरे वगेरे .. बच्चा भी ये अच्छा लगा बोल कर कमली की छातियाँ पर अपनी ऊँगली रख कर दबाता ..

कमली फिर उसे पूछती उधर क्या अच्छा हे ? बच्चा कमली की डोडीयो पर ऊँगली रख कर बोलता ये ..

कमली फिर उसे पुछती क्यों ? बच्चा फीर जवाब देता .. वहा से दुधु मिलता है ..

कमली पूछती तुजे केसे पता ? बच्चा बोलता आप दुधु पिलाती है ना रोज रोज रात को तो इसे में देख लेता हु ..

कमली ऊ मेरा बच्चा बोल के उसे अपने सिने से लगा लेती ..

फीर उसे पूछती तुजे कभी पीना नहीं होता मेरा दूध ? बच्चा बोलता में बड़ा हु इसी लिए गिलास में पिता हु ..



कभी कभी बच्चा कमली को पूछता .. आपको मर्द का पेशाब बहोत पसंद है ? कमली पूछती क्यों ? बच्चा बोलता आप रात को कितनी जोर से चूस लेती हो .. मुज सब दिखाई देता हे दरवाजेसे ..

कमली कहेती नहीं बाबा वो पेशाब नहीं होता मर्दों का दूध वहा होता हे ,..

बच्चा बोलता मेरा तो पेशाब निकलता हे .. फिर कमली बच्चे का छोटा सा लुंड अपनेहाथ में ले के उसे समजाती जब ये भी बड़ा हो जायेगा तब निकलेगा इस में से दूध .. किसी को बताना मत .. फिर दोनो एकदूसरे को चूम के अपने अपने काम म लग जाते ..



फिर एक दिन एइसा आया की वो साल की उम्र में ही चुदाई देखने का आदि हो गया .. घर में चिढ चिढ़ा रहने लगा .. कमली ने केसे भी इस बात को भांप लिया .. चुदक्कड जो थी वो .. फिर कमली ने अपने कमरे के पास वाले कमरे में उसे रहेने को बोल दीया .. दोनों कमरे के बिच का दरवाजा जब बंद होता तो काफी जगह खुल्ली रहे जाती थी जहा से वो सारे नज़ारे साफ़ देख सकता था .. सब सेट हो गया ..



अब तो कमली कभी कभी छोटे ठाकुर से (ठाकुर के बेटे से) अपनी चुदाई की बाते भी करने लगी थी

और भी-साल तक इसी तरह दरवाजे से कमली और ठाकुर की चुदाई देखने का छोटे ठाकुर का रोज का कार्यक्रम होगया था .. फिर कमली और छोटे ठाकुर भी एकद्सरे के काफी करीब आ गए थे की कोई भी गन्दी बात दोनों कर लेते थे .. उसी बिच कमली ने छोटे ठाकुर को मुठ मारना भी सिखाया था और ये भी बताया था की एइसा करने से लिंग की लम्बाई बढ़ सकती है जिस से लडकियों को ज्यादा सुख दे सकते हो .. बस फिर क्या था रोज छोटे ठाकुर की चद्दर भी कमली को बिगड़ी हुई मिलती ..



पिछलेसाल से ठाकुर बीमार था बुढापा सता रहा था .. कमली आज भी ठाकुर का जिस्मानी तोर से ध्यान रखती थी मगर अब ठाकुर की हड्डियों में वो जान नहीं रही थी .. और कमली अरसे से प्यासी ही थी .. काफी आशाए मन ही मन मार देनी पड़ती थी ... कभी कभी ठाकुर को लुंड हिला कर शांत कर दती मगर खुद की प्यास बूजाने के लिए वो मोमबत्तिया , चबाये हुए दातुन या अपनी ऊँगली से ही कम चलाना पड़ता .. ये सब भी छोटे ठाकुर अपने दरवाजे से देख सकता था ... जिस के बारे में कभी कभी छोटे ठाकुर और कमली बाते भी करते थे .. इसीसाल के दोरान वो अब ठाकुर के बेटे से और भी करीब हो गयी थी .. ठाकुर का बेटा भी ठाकुर की बीमारी का फायदा उठा कर कमली को कभी कभी छेड़ देता था .. कमली भी उसे बढ़ावा देती थी .. छोटे ठाकुर ने एक बार बात ही बात में कमली को इशारा भी किया था की वो भी अब पेशाब के बदले दूध निकाल सकता है ... कमली मुस्कुरा देती और सोचती इसी दिन के लिए तो कमली ने छोटे ठाकुर को तैयार किया था अपनी रोज की चुदाई दिखा दिखा के .. अब तो छोटे ठाकुर का लुंड भी मुठ मार मार के काफी बड़ा हो गया है .. कमली को कभी कभी छोटे ठाकुर के वीर्य की पिचकारी देखने का दिल हो जाता था मगर ठाकुर के डर से कुछ करती नहीं थी ..



एक दिन ठाकुर ने छोटे ठाकुर को और कमली को एक दूसरे को छेड़ते हुए देख लिया .. इस बात को ले के ठाकुर कमली पर चिढ गया .. कमली के बाल खीचते हुए उसे पूछ ने लगा साली जवान लुंड देख कर फिसल गयी .. उसी दोरान छोटे ठाकुर कमरे में आ गए .. उन्होंने ठाकुर को समजाने की कोशिश की .. मगर ठाकुर पागल सा हो गया था .. कमली को कोई और छुए ये ठाकुर से बर्दाश्त नहीं हो रहा था .. ठाकुर ने अपने बेटे को जोर से धक्का दे दिया जिस से छोटे ठाकुर दरवाजे से टकरा गए और सर पर घाव आ गया और थोडा खून बहने लगा .. कमली उठ कर छोटे ठाकुर की और भागती हुई गयी और उन का सर अपने सिने से लगा लिया .. और बोल ने लगी छोटे ठाकुर आप ठीक तो है ना .. फीर बुढ्ढे ठाकुर की और देख कर आग बरसाती हुई बोली .. ठाकूऊऊऊर अपने बेटे पर तरस खाओ .. इस तरह से तो मार डालोगे आप इसे .. ठाकुर ने कहा रंडी साली मुझे छोड़ कर किसी और को चोद ने के मनसूबे बना रही हो .. आज भी तेरी भुर को चिक्कार भर सकता हु समजी ...



इतना सुनते ही कमली खड़ी हो गयी .. उसकी बदन की आग भड़क उठ्ठी .. उसने ठाकुर की धोती खिच कर निकाल दी .. छोटे ठाकुर ये सब देखता ही रहे गया .. फिर कमली ने अपनी चुन्नी उतार दी घाघरे का नाडा खोल दिया घाघरा निचे सरक् गया .. ठाकुर कमली पर जपटा और कमली का ब्लाउज खीच कर फाड़ डाला .. कमली के दूध पर लगे दोनों बटन जेसी गोटियो को काट ने लगा .. कमली के बदन में गरमहत भर ने लगी .. ठाकुर ने कमली को चारपाई पर धक्का दिया .. फिर दोनों दूध पर काट ने लगा दोनों हाथो से कमली का पेट नोच ने लगा ..



कमली ने ठाकुर को अपनी दोनों टैंगो के बिच दबोच लिया और गांड ऊपर निचे हिलाने लगी .. ठाकुर कमली का मुह अपनी जुबान से रगड़ ने लगा .. उसके गाल काट ने लगा .. कमली ठाकुर को अपनी बाहोमे खीच ने लगी .. ठाकुर ने फिर कमली के पैर की आंटीया खोल कर पैर चोड़े किये और उस की भुर पर काट ने लगा कमली ठाकुर का सर अपनी चूत पर दबाने लगी .. वो सोच रही थी की आज उसकी चुदाई होएगी .. वो थोड़ी खुश होने लगी थी .. ठाकुर उसके चूत के चने से खेल ने लगा था ..



फीर ठाकुर जमीं पर अपने घुटनों पर आ गया था और कमली अपने पैर लटकाए चारपाई पर पड़ी पड़ी अपनी चूत की चटनी बनवा रही थी .. जेसे ही ठाकुर खड़ा हुआ कमली की नजर ठाकुर के लिंग पर गयी .. वेसा का वेसा .. सिकुड़ा हुआ .. उदास हो गयी वो ... मगर हिम्मत नहीं हांरी वो ... उसने लुंड अपने मुह में भर लिया .. फिर ठाकुर को दोनों गांड से पकड़ के अपने मुह में धक्के दे के लुंड दबोच ने लगी .. लुंड कड़क होने का नाम नही लेता था .. छोटे ठाकुर सब देख रहे थे .. कमली ने फिर भी ठाकुर का लुंड खड़ा करने की कोशिश चालू रखी थी .. काफी देर तक अपने मुह की दीवारों पर लुंड घिस घिस के कमली ने उसे खड़ा कर दिया .. मगर लुंड अब पहेले जेसा तना हुआ नहीं लग रहा था ..



फिर ठाकुर ने जब देखा की उसका लुंड खड़ा हो चूका है उसने कमली को चारपाई पर सीधा सुला दिया और उसके ऊपर चढ़ गया .. कमली ने छोटे ठाकुर की और देखा .. छोटे ठाकुर की आँख में पानी आ गया .. मगर वो वहा से गया नहीं .. बुढ्ढा ठाकुर अपने काम में ही लगा हुआ था .. उसने अपना लुंड तब तक कमली के छेद में घुसा दिया था .. और दोनों हाथो से कमली के दोनों फुग्गे को दबा रहा था .. उसकी गोटियो को अपनी उंगलियों के बिच कस कस के मसल रहा था .. कमली के बदन की गर्माहट लगातार बढ़ रही थी .. अपने बदन से होते सारे खिलवाड़ इस वक़्त कमली को सुन्दर लग रहे थे .. कई दिनों के बाद उस पर कोइ चढ़ा था .. वो ठाकुर का पूरा पूरा साथ दे रही थी .. मगर- जटको में ही ठाकुर जड़ गया .. कमली की चूत से ठाकुर का रस और ठाकुर का सिकुडा हुआ लोडा बहार निकल गया .. कमली फिर भी प्यासी रहे गयी ..



ठाकुर अब खड़ा ही हुआ था की .. कमली ने उसे धक्का दे के चारपाई पर बिठा दिया .. दूसरा धक्का दे के ठाकुर को उसने गिरा दिया .. अब ठाकुर लेटा हुआ था और कमली ने अपनी चूत ठाकुर के मुह पर रख दी और बोल रही थी .. ठाकुर के बच्चे .. सिर्फ औरत के जिस्म में आग लगाना काफी नहीं होता .. उसे बुजा ने की हिम्मत भी होनी चाहिए .. चाल निकाल अपनी जुबान .. लोडे से नहीं तो जुबान से ही सही .. मिटा मेरी प्यास को .. कर मुजे ठंडी .. वर्ना दोबारा मुझे कभी भी गरम करने की कोशिश मत करना .. बोल कर कमली अपनी चूत ठाकुर की जुबान पर घिस ने लगी .. छोटे ठाकुर सब देखे जा रहे थे .. काफी देर तक घिस घिस कर अपनी चूत छिल डाली कमली ने .. तब जाके कमली का बदन ठंडा हुआ और अपना सारा जूस उसने ठाकुर के मुह में परोस दिया ..



फिर ठाकुर के मुह से अपनी चूत हटाती उस के ऊपर से उतर गयी और नंगी ही जमीं पर गिर पड़ी .. ठाकुर खड़ा हो के धोती ले के दीवार का सहारा लेते हुए कमरे से बहार निकल गया ..



छोटे ठाकुर ने कमली को अपनी गोद में ले लिया और उसका नंगा बदन पूरी रात सहेलाया .. शर्म के मारे या जलन के मारे ये तो पता नहीं मगर दुसरे दिन ही ठाकुर और ठकुराइन गाँव छोड़ कर शहर में ठाकुर का इलाज करवाने चले गए



शाम हो गयी थी .. हवेली वापस भी जाना था .. हवेली में आज सब कुछ बदल गया है ... पहेले बड़े ठाकुर होते थे आज छोटे ठाकुर है ..

हाँ, रात को चुदाई की आवाजे वेसी ही हे .. क्यों की कमली आज भी बिलकुल नहीं बदली ... वेसी ही चुदक्कड ..



चले देखेंगे आज की रात कितनी रंगीन होगी हवेली में छोटे ठाकुर के राज में ..

आप सब यही रहिएगा .. आप को जरुर बताएँगे हवेली की इस रात के बारे में .. ठाकुर की हवेली के दुसरे भाग में .











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