Monday, May 6, 2013

FUN-MAZA-MASTI भाभी की बेबसी और मेरा प्यार

FUN-MAZA-MASTI


भाभी की बेबसी और मेरा प्यार


सभी पाठको (चुत वालियों व लंडवालों) के लिए एक बार फिर कामुकता से भरी कहानी पेश कर रहा हूँ. आशा हैं की आप लोगो को यह सत्य कथा पसंद आएगी. कृपया इस सत्य कथा पर अपने विचार प्रकट करनी की कृपा करे जैसे की आप जानते हैं जब मैं ५ साल का था तब एक बस दुर्घटना में मेरे माता पिता का देहांत हो गया था हालाँकि मैं में उस दुर्घटना में सामिल था पर इश्वर की कृपा से मैं बच गया था. मेरे पिताजी ने काफी बैंक बैलेंस रखा था इस कारण हमें कोई भी आर्थिक कमी नहीं थी हर महीने बैंक बैलेंस की रकम से करीब २५-३० हजार रूपये ब्याज के रूप में मिलते थे जिस कारण घर खर्च आराम से निकल जाता था. जब अब मैं २8 वर्ष का हो चूका था इसलिए मेरी देख भाल के लिए किसी की जरुरत नहीं थी खाना बनाने के लिए व बर्तन कपडे धोने के लिए २ नौकरानी रखी थी वे सुबह शाम आकर काम निबटा कर अपने अपने घर चली जाती थी. मैंने अब अपना पुराना मकान बेच कर उसी ईमारत में २ बेडरूम, एक हॉल और किचन वाला मकान ले लिया था. मेरे पास ६-७ छोटी छोटी कंपनिया थी जिस का अकाउंट व बिल्लिंग का काम घर पैर लाकर करता था जिस से अतिरित आय भी हो जाती थी और टाइम पास भी | मकान बड़ा होने के कारण मैं ११-११ महीने के लिए पेईंग गेस्ट रखता था मेरे बेड रूम में कंप्यूटर लगा था मेरे बेड रूम के बगल में बाथरूम व टोइलेट था और उसके बगल में एक और बेड रूम था उसके बगल में किचन और हॉल में टी वी सेट इत्यादि थे.पिछले २ महीने से पेईंग गेस्ट के रूप में ५० वर्षिय रहमान भाई व उनकी बीवी जान जो की ३८ वर्षिय थी और उनका नाम शकीना था. रहमान भाई सरकारी कर्मचारी थे जिनका तबादला कुछ महीनो के लिए इस शहर में हुआ था रहमान भाई ने ८ साल पहले शकीना से दूसरी शादी की थी उनकी पहले वाली बीवी का देहावास हो चूका था इसलिए उन्होंने दूसरी शादी की.

पहले वाली बीवी से उनको एक लड़का हुआ जो अब २४ साल का हैं और कुवैत में रह कर काम करता हैं. शकीना (दूसरी बीवी) से उनको कोई औलाद नहीं हुई रहमान भाई को मैं भाई जान कहता था और शकीना को भाभी जान. शकीना भाभी बिलकुल जय ललिता (तमिल नाडू की मुख्य मंत्री) की तरह गोल मटोल गौरा चहेरा नुकीले नाक बड़ी बड़ी सुरमई आँखे, ठुड्डी पर छोटा सा तिल उनके मुख मंडल पर चार चाँद लगा रहे थे. उनके मोटे मोटे चूचियां तो उनके बदन की शोभा बड़ा रहे थे वो ऊँची कद काठी की खुबसूरत काया की मलिक्का थी जब वो चलती थी तब उनके मोटे मोटे गोल मटोल चुतड ऊपर निचे हिचकोले खाते थे मुझे उनकी मटक ती हुई गांड बहुत अच्छे लगती थी. मोटी और लम्बी कद होने के बावजूद वो हर एक को आकर्षित करने वाली हसमुख स्वाभाव की थोड़ी पढ़ी लिखी औरत थी. वो गरीब परिवार से थी इसलिए उसके माँ बाप ने रहमान भाई जान (जो की शकीना की उम्र से १२ वर्ष बड़े हैं) से निकाह कर दिया था हालाँकि रहमान भाई जान की सरकारी नौकरी थी इसलिए शकीना को भी कोई ऐतराज नहीं था शकीना हमेशा सलवार कुर्ते में रहती थी इन दो महीनो में हम तीनो काफी घुल मिल गए थे रहमान भाई को हर शनिवार और रविवार को दफ्तर की छुटी होती थी तो कभी कभार मैं और रहमान भाई संग में बैठ शराब पी लेते थे तब शकीना भाभी अपनी गांड मटकाते हुवे हमारे लिए खाने को कुछ ना कुछ लाकर देती थी जब मैं शराब का घुट लेकर शकीना भाभी को गांड मटका कर जाते हुवे देखता तो मेरे लंड राज में हल चल मच जाती थी. रहमान भाई बहुत ही रसिया इन्सान थे जिसका मुझे कुछ दिनों में पता चला.

घर की मुख्य दरवाजे की दो चाबियाँ थी एक मेरे पास रहती थी और एक उन मिया बीवी के पास होती थी रहमान भाई सुबह ८ बजे दफ्तर चले जाते थे उनके जाने के बाद शकीना भाभी नहाकर रसोई में खाना बनाने लगती थी और मैं सुबह ९-१० बजे उठ कर दिनचर्या निबटा कर नहाने चला जाता था फिर भाभी जान और मैं मिल कर नाश्ता करते थे. जैसे की मैंने बताया की शकीना भाभी जब रहमान भाई घर में होते थे तब वो मुझसे कम बाते करती थी और उनके दफ्टर जाते ही वो बहुत बातूनी बन जाती थी और मेरे साथ हंसी मजाक करने लगती थी मैं भी उनसे फ्री होकर रहमान भाई की अनुपस्तिथि में उनसे हंसी मजाक कर लेता था और और भाई जान के सामने काम बोलता था एक दिन मैं बाथ रूम में नहाने गया तो मेरी नजर कोने में पड़े बकेट पर गयी क्योंकि उसमे शकीना भाभी की पीले रंग सलवार व कमीज पड़ी थी मैंने सलवार कमीज को उठा उनके पेंटी और ब्रा को तलाशने लगा पर बकेट में पेंटी ब्रा नाम की कोई चीज नहीं थी यानि की शकीना भाभी पेंटी नहीं पहनती थी और जब घर में होती तो ब्रा भी नहीं पहनती थी सो मैंने सलवार को उठा कर उस हिस्से को देखा जो की शकीना भाभी की चुत छुपाये रहती हैं वो हिस्सा थोडा गिला था और वहां पर ३-४ झांटो के बाल चिपके थे यानि की वो नंगी होकर नहाने का आनंद उठाती थी मैं उनकी मोटी फूली चुत की कल्पना में खो कर सलवार के उस हिस्से को सूंघते सूंघते मुठ मारा फिर स्नान करके बहार आ गया. अगले दिन जब मैं सुबह जल्दी उठा रहमान भाई दफ्तर जा चुके थे तब मैं रसोई में गया और शकीना भाभी से चाय लेकर हॉल में बैठ कर चाय पी रहा था तो शकीना भाभी भी चाय लेकर मेरे बगल में बैठ गयी -पप्पू आज कहीं बहार जाना हैं क्या जो जल्दी उठ गए -नहीं भाभी जान मुझे कहीं नहीं जाना हैं बस दोपर को एक आध घंटे के लिए पेमेंट लाने जाना हैं क्यों कुछ काम हैं क्या -नहीं रे मैं तो बस यूँही पूछ रही थी और सुनाओ काम कैसा चल रहा हैं -ठीक चल रहा हैं,

भाभी मेरे लिए खाना मत बनना मैं जहां जा रहा हूँ वहां खाना खा के आऊंगा -अच्छा ठीक हैं अगर तुम्हे जल्दी नहीं हो तो मैं नहा लेती हूँ -आप नहा लो मैं बाद में नहा लूँगा वो उठ कर अपने कमरे में गयी और तोवेल और सफ़ेद रंग का सलवार कमीज ले के आई और बाथ रूम में चली गयी जब वो नहा कर लौटी तो मैंने देखा की वो केवल सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी और सफ़ेद ही रंग की कमीज पहनी थी कमीज केवल उनकी चूतडों तक ही थी सफ़ेद रंग के कमीज में से उनके मोटी मोटी चुचिओ के भूरे रंग के निपल्स दिख रहे थे जैसा की मैंने बताया की वो ब्रा नहीं पहनी थी और जब वो अपने कमरे में जाने लगी तो उनका तोलिया जो उनके कंधे पर था वो जमीन पर गिर पड़ा सो उन्होंने उसे झुक कर उठाया जब वो झुकी तो उनकी मोटी मोटी गोल मटोल चुतड और उसके कटाक्ष मस्त लग रहे थे वो तोलिया उठा कर जाने लगी तो देखा की सलवार के साथ साथ कमीज उनकी गांड की दरारों के बिच फंसी थी जिस कारण उनकी मोटी मोटी भारी चुतड कटाव मनमोहक लगने लगा फिर वो अपने एक हाथ से गांड की दरारों के बिच फंसी हुई कमीज को खिंच कर गांड की दरार से निकाला और गांड मटकाते हूए अपने कमरे में घुस गयी मेरा तो यह नजारा देख कर लंड मोहदय ख़ुशी की मारे तन गया था फिर मैं बाथ रूम जाकर नहाने से पहले उनकी उतारी हुई सलवार को सूंघते हुवे मुठ मार कर नहा कर अपने कमरे आ गया और क्या करता अब तक उनके गदराये हुवे बदन नो निहारने के अलावा कोई चारा नहीं.हम दोनों बैठ कर नाश्ता किये और मैं करीब १२ बजे घर से बहार नक़ल गया करीब ३:३० को घर आया और अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जा कर कपडे बदल कर रसोई में गया तो वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही हॉल में थी मैं समज गया की वो खाना खा कर अपने कमरे में आराम फरमा रही होगी मैं हॉल में बैठ कर अख़बार उलटे लगा पर मन नहीं लगा और दिमाग में शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा और दबे पैर शकीना भाभी के कमरे के पास जाकर दरवाजे के एक होल से अन्दर झाँकने लगा.

(प्यारे पाठको आप को बता देना चाहता हूँ की मैंने बाथ रूम और जो रूम किराये पर देता हूँ उन दरवाजे में एक छोटा सा होल बना रखा था जिस का ध्यान मेरे अवाला किसी को नहीं रहता था) जब अन्दर झाँका तो देखा शकीना भाभी पलंग पर लेट कर कोई किताब पड़ने में मस्त थी पलंग कमरे के बीचोबीच लगा था पलंग का सिरहाना जहां से मैं झांक रहा था वहां से मेरे बाएं ओर था, पलंग का पगवाना दाहिने ओर था शकीना भाभी किताब पढने में लीन थी की यका यक उन्होंने अपनी कमीज को अपने चुचिओं के ऊपर सरका कर अपने बड़े बड़े स्तन को बहार निकाल कर एक हाथ से एक चूची की घुंडी को किताब पढ़ती हुई अपने अंगूठे और उंगली के बिच पकड़ कर घुंडी को मसल ने लगी मुझे थोडा अचरज हुआ क्यों की वो किताब पढ़ते हूए घुंडी को मसल रही थी फिर मन में खयाल आया की जरुर वो कोई वासना मयी किताब पढ़ रही थी. कुछ देर घुंडी को मसल ने के बाद किताब पढ़ते हूए उन्होंने एक हाथ से सलवार का नाडा खिंच कर वो हाथ सलवार के अन्दर डाल कर शायद वो अपनी चुत को रगड़ रही होगी यह सब देख कर तो मेरा बाबु मोशाय पजामे के उस हिस्से को तम्बू का रूप दे डाला जहां वो छुपा रहता हैं यानि की लंड राज फुल कर लोहे के समान कड़क हो गया था मैं लंड को पजामे से बहार निकाल कर अन्दर का नजारा देखते हूए हस्तमैथुन करने लगा.

शकीना भाभी थोड़ी देर तक किताब पढ़ती हुई सलवार के अन्दर से अपनी चुत रगड़ रही थी उनका चहरा वासना से भर कर सुर्ख होने लगा था फिर उन्होंने उस किताब को पलग के गद्दे जे निचे रख कर एक हाथ से अपने उर्वोरोज की घुंडी मसल रही थी और एक हाथ से चुत सहला रही थी कुछ देर में उनका शरिर अकड़ने लगा और वो पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी मैं समज गया था की वो झड़ चुकी हैं पर मैं अब तक झडा नहीं तो बाथरूम में आकर हस्तमैथुन करके अपनी हवस को शांत किया और हॉल में आकर बैठ गया. थोड़ी देर बाद शकीना भाभी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम गयी और फिर मेरे बगल में आकार बैठ गयी. उनका चेहरा अभी भी पसीने से लथपथ था -पप्पू तुम कब आये-बस भाभी जान ५ मिनट पहले ही आया था -तुम्हारा काम हो गया क्या -हाँ भाभी जान सामने वाली पार्टी ने पेमेंट कर दिया हैं -हो यह तो अच्छी बात हैं तुम बैठो मैं चाय बना कर लाती हूँ वो अपने कूल्हों (चूतडों) को मटकाती हुई रसोई में गयी और कुछ ही देर में वो चाय लेकर आई हम दोनों चाय पीते हूए इधर उधर की बाते करने लगे. करीब ५ बजे मेरे मोबाइल पर रहमान भाई जान का फोन आया -पप्पू भाई जरा तुम्हारी भाभी जान से बात करा दो -लो भाभी जान भाई जान का फ़ोन हैं भाई जान ने भाभी से फ़ोन पर बात की और बात ख़त्म होते ही भाभी जान ने सेल मुझे वापस कर दिया उनका चेहरा थोडा उदास हो गया था.

भाभी जान क्या कह रहे थे भाई जान -आज जुम्मा (शुक्रवार) हैं ना तो कह रहे थे की बाज़ार से गोस्त लाकर पकाना और पप्पू भाई जान को कहना की शाम को कहीं जाना मत वो घर सात बजे आजायेंगे -ठीक हैं पर इसमें आप उदास क्यों हो गयी हो -पप्पू भाई तुम नहीं समजोगे, तुम्हारे भाई जान में जान तो हैं नहीं ऊपर से पीने के बाद रात में काफी तंग करते हैं -(कुटिल मुस्कान लाते हूए) तो क्या हुआ आखिर वो आप का शोहर हैं ना -तुम नहीं समजोगे पप्पू, जब भी वो पीते हैं तो रात में उनकी हरकतों से में परेसान हो जाती हैं -कौनसी हरकत करते हैं ?-(लम्बी साँस लेकर )खैर छोडो जब वक़्त आएगा तो मैं अपनी बेबसी की दास्तान सुनाउंगी अब मैं बाज़ार जाकर गोस्त लाती हूँ तब तक तुम प्याज वैगेरह काट कर गोस्त की ग्रेवी तयार करो कह कर वो बाज़ार चली गयी और मैं ग्रेवी की तैयारी करने लग गया पर यका यक खयाल आया की शकीना भाभी के कमरे में जा कर वो किताब तो देखूं जो वो दोपहर को पढ़ रही थी सो मैं उनके कमरे में जाकर गद्दे के निचे से किताब निकाल कर देखा तो वो मस्तराम की कहानियों की किताब थी जरुर रहमान भाई जान ने भाभी के लिए लाये होंगे. उस किताब में सचित्र कहानिया छपी थी जिसमे अतृप्त औरतें अपने मकान मालिक, देवर, नौकर , इत्यादि को मोहित कर के उनके संग सम्भोग करके अपने तन की प्यास भुझाती हैं कुछ पन्नो को उलट कर मैंने किताब को यथा स्थान रख कर ग्रेवी की तयारी में जुट गया करीब ३०-४० मिनट के बाद शकीना भाभी गोस्त लेकर आई और रसोई में गोस्त ब्रियानी बनाने में जुट गयी मैं भी रसोई में उनकी मदद कर रहा था.

करीब ७ बजे बेल बजी-लगता हैं तुम्हारे भाई जान आ गए हैं अब तुम जाओ हॉल में बैठो -ठीक हैं मैं दरवाजा खोल कर हॉल में बैठ कर टी वी देखने लगा, रहमान भाई जान अपने कमरे में जा कर कपडे बदले पजामा कुर्ता पहन कर विस्की की बोतल और दो गलास ले कर हॉल में आ गए -पप्पू भाई आज पीने का मन हो रहा था तो सोचा क्यों ना वीक एंड एन्जॉय किया जाये -हाँ भाई जान वीक एंड तो जरुर एन्जॉय करना चाहिए-रज्जू जरा बर्फ और पानी लाना भाभी जान बर्फ और पानी लाकर अपने चूतडों को मटकाती हुई जाने लगी -सुनो रज्जू ब्रियानी में पका गोस्त मिलाने से पहले एक प्लेट में थोडा गोस्त तो ला दो नो -थोड़ी देर बाद शकीना भाभी प्लेट में गोस्त लेकर आई और हमेश की तरह अपने भारी भरकम चूतडों को ऊपर निचे करते हूए रसोई में चली गयी और हम बाते करते करते जाम पर जाम पीने लगे आज भाई जान काफी मूड में थे क्योंकि काफी सेक्सी जोक सुना रहे थे -क्या बात हैं भाई जान आज काफी मुड़ में हो(आँख मारते हूए) वीक एंड हैं ना और आज सारी रात कई वर्सो बाद मोज मस्ती करूँगा मेरे प्यारे पप्पू भाई हम लोग लगभग रात १० बजे पीने का सिलसिला ख़त्म करके खाना खाया रहमान भाई ने अपने रूम में जाकर अपने बिगम साहिबा के साथ खाना खाया.

बागम साहिबा यानि की शकीना भाभी सारा काम निबटा कर अपने कमरे में चली गयी थी मैं खाना खा कर टी वी देखने में लीन था करीब ११:५० पर फिल्म ख़त्म हुई पर मुझे नींद नहीं आ रही थी ने चेनल बदल कर एक इंग्लिश मूवी लगाई वो भी १० मिनट्स में ख़त्म हो गयी मैं बोर होने लगा तो मैंने रहमान भाई जान के कमरे की ओर देखा तो पाया कमरे का दरवाजा बंद था और अन्दर की लाईट चालू थी इसलिए जिज्ञासा वस मैं उनके कमरे की ओर रुख करके दरवाजे के छेद से देखा तो पाया रहमान भाई और शकीना भाभी दोनों निर्वस्त्र पलंग पर लेते थे रहमान भाई कोई किताब पड़ रहे थे उनका खतना किया हुआ लंड मुरझाया पड़ा था वो शकीना भाभी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा.-रज्जू लंड सहला कर खड़ा करो ना -पहले भी मैं सहला कर खड़ा करने की कोशिश की पर नहीं होता तो क्या करूँ -पर आज करने का बहुत मुड़ हैं रज्जू -क्या फायदा जब खड़ा ही नहीं होता हैं चलो रहने दो ना -अबकी बार जरुर खड़ा होगा क्यों की यह कहानी काफी सेक्सी हैं और चुदाई से युक्त कहानी तो मुर्दों के लंड में जान डाल देती हैं तो अबकी बार जरुर खड़ा होगा मुझे भाई जान का लंड और भाभी जान की चूचियां साफ़ साफ़ नजर आरही थी भाभी जान की चुत रानी पर घने झांटे होने के कारण उनकी बुर बालों से ढकी थी वो भाई जान के लंड को सहलाने में मग्न थी भाई जान का लंड पतला था वैसे भी वे ५० के उम्र के थे तो लवडे में जान कहाँ से आये गी पर शायद यह मस्तराम की कहानी का असर था जो वो पढ़ रहे थे की उनके लंड में तनाव आने लगा. तब वो किताब को गद्दे के निचे रख कर पलंग के किनारे पैर निचे कर के बैठ गए उन्होंने भाभी जान से कुछ कहा तो शकीना भाभी भी पलंग से उठ कर जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर भाई जान का लंड चूसने लगी भाई जान उनसे लंड चुसवाते हूए उनकी चुचियों की घुंडी मसल रहे थे.

भाभी जान के भारी भरकम चूतडों को देख कर मन हुआ की पीछे से जाकर उनकी मोटी गांड में लंड पेल दूँ पर लाचार था. कुछ देर की लंड चुसाई से भाई जान के लंड में जान आई तो उन्होंने शकीना भाभी को उठा कर पलंग के ऊपर पीठ के बाल लेटा कर उनकी बुर में अपना लंड डाल कर अन्दर बहार करने लगे पर यह क्या ४-५ धक्को के बाद वो उठ गए मुझे लगा की वो झड़ गए होंगे पर नहीं क्यों की उनके लंड में अभी भी तनाव बरक़रार था उन्होंने शकीना भाभी से कुछ कहा तो शकीना भाभी पेट के बल लेट गयी रहमान भाई ने तेल की शीशी उठा कर अपने लंड को तेल से सरोबर करके शकीना भाभी की गांड के छेद पर भी तेल लगा कर चिक्नायुक्त करके अपने लंड के सुपाडे को गांड की छेद पर टिका कर धीरे धीरे गांड में घुसाने लगे. शकीना भाभी के चेहरे पर दर्द का नमो निशान नहीं था यानि की उनकी गांड अपने शोहर के लंड की साइज़ से वाकिफ हो चुकी थी पर यह क्या ५-६ धक्को में ही रहमान भाई का शरिर अकड़ने लगा और पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेते हूए उन्होंने अपना पतला वीर्य शकीना भाभी की चूतडों पर गिरा कर हाफ्ते हूए लेट गए. बिचारी शकीना सिर्फ अपने तन की प्यास की परवाह ना करते हूए बेबस हो कर उनके हुकुम का पालन करते हूए बिन पानी के तड़पती हुई मछली के समान लेट गयी.

मैं भी अपने कमरे में आकर हस्तमैथुन कर के नींद के आगोश में समा गया अब मैं शकीना भाभी के बारे में सोचने लगा बिचारी भाभी का भी चुदवाने का मन तो करता होगा पर उम्र दराज पति के प्रभावहिन पतले लंड के कारण मन मसोस के रह जाती होगी उंगली से चुत को शांत करने के अलावा शकीना भाभी के पास कोई उपाय भी नहीं था समाज के कारण किसी पराये मर्द से भी नहीं चुदवा सकती थी क्यों की उसमे बदनामी का डर रहता हैं बेचारी पूर्णतया बेबस मजबूर अबला नारी थी. मुझे उस पर अब तरस आने लगा था रहमान भाई की अनुपस्थिति में शकीना भाभी मुझसे ढेर सारी बातें करती थी मैं आज तक स्पष्ट रूप से चूंकि चुत का दीदार नहीं कर सका क्यों की दरवाजे के छेद से केवल शकीना भाभी को बुर सहलाते हूए देखा था पर सौभाग्य से ४ दिन बाद ही मुझे उनके चुत के मनभावक दर्शन हो गए उसदिन मैं सुबह जल्दी उठ गया था रहमान भाई नाश्ता कर रहे थे जब वो दफ्तर के लिए निकले तो मैं नहाकर हॉल में बैठ कर अख़बार पड़ने लगा इतने में शकीना भाभी अपने कमरे से निकाल कर नहाने बाथ रूम में चली गयी तो मेरे दिमाग में शैतानी कीड़े रेंगने लगे मैं उठ कर बाथ रूम के दरवाजे की चिरी से झांक कर देखा तो मेरा लंड राज फुंकारने लगा क्योंकि अन्दर का नजारा ही गजब का था शकीना भाभी दरवाजे की ओर मुह कर के मूत रही थी उनकी मोटी मोटी गौरी गौरी पैरों की पिंडलियाँ देख कर मैं उतेजित हो चूका था दोनों टांगो के बिच फूली हुई चूत की दोनों फांकें, उनके बीच का कटाव में से चूत के बड़े बड़े होंठों के बिच से निकलती मूत की धार साफ़ नज़र आ रहे थे, मुझे मुस्किल से १ मिनट तक चुत के साफ़ साफ़ दर्शन हूए गौरी गौरी मांसल जांघों के बीच में घना जंगल और उस जंगल से झांकती फूली हुई बादामी रंग के फानको के बिच गुलाबी चुत का कटाव ऊऊफ़्फ़्फ़ गजब का नजारा था मूत कर भाभी जान नहाने लगी और मैं वहीँ खड़ा होकर मुठ मारने लगा क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था. फिर मैं अपने स्थान पर आकर अख़बार पड़ने लगा करीब २०-२५ मिनट के बाद भाभी सलवार कमीज पहन कर मेरे बगल में बैठ गयी और हम दोनों नाश्ता करने लगे.

मेरे दिमाग में तो बस हर समय उनकी चुत की झलक घूमने लगी थी. प्यारे पाठको को यह बता दू की मैंने १८ साल की लड़की से लेकर ४८ साल की औरतों को चोदा हूँ (अब तक ८-९ जानो को चोदा हूँ जिस में १८ साल की नौकरानी को छोड़ कर सब मेरे किराये दार थे) अगर चुदाई के शौक़ीन वालो को चुदाई का असली मजा लेना हो तो परिपक्व व प्यासी औरतों को चोदना चाहिए हालाँकि उनलोगों की चुत कमसिन की अपक्षा कसी नहीं होती हैं पर परिपक्व होने के कारण उनके पास अनुभव होता हैं और ऊपर से जब वो प्यासी नारी हो तो चुदाई में खूब साथ देती हैं जिस से दोनों को अति आनंद मिलता हैं जिसका वर्णन करना मुश्किल हैं. अब तो हर दिन मैं इसी उधेड़ बुन में रहा की शकीना भाभी को चारा डालूं ताकी वे चुदवाने राजी हो जाये.इश्वर ने एक दिन मेरी सुन ली, और मुझे सुनेहरा मोका दिया मैंने सोचा पप्पू बेटा इस मोके का अगर तुम फायदा नहीं उठा सके तो शकीना भाभी को कभी भी नहीं चोद पाओगे इसलिए मैंने मन ही मन प्लानिंग करने लगा. हुआ यूँ की रहमान भाई जान को दफ्तर के सिलसिले में गुरुवार की सुबह ७ बजे की फ्लाईट से दुसरे शहर जाना था और शुक्रवार की रात को लौटने वाले थे उनकी अनुपस्थिति का मुझे फायदा उठाना था मैंने गुरुवार को सुबह रहमान भाई को एयर पोर्ट छोड़ कर घर पहुँच कर अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर रसोई में गया वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही अपने कमरे में थी शायद वो नहा रही होगी इसलिए इन्तेजार करते करते मैं अख़बार पड़ने लगा.

कुछ मिनटों में बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मेरी नजर उस ओर पड़ी. देख कर तो मैं अवाक् रह गया और किसी पत्थर की मूर्ति की भांति बैठ कर देखने लगा शकीना भाभी बिलकुल नंग धडंग होकर तोवेल से अपने सिर पोछते हुवे, गुनगुनाते हुवे बाथ रूम से बहार निकर कर अपने कमरे में मोटी मोटी चूतडो नो मटकाती चली गयी शायद उन्हें मेरे उपस्थिति का एहसास नहीं था वर्ना वो कभी मेरे सामने नंग धडंग हो कर नहीं निकलती थी वैसे भी वो तोवेल से अपना सिर पोंछ रही थी इसलिए मैं उन्हें नजर नहीं आया होगा. मैंने मन ही मन सोचा इश्वर आज मेहरबान हैं क्योंकि अनजाने में ही सही शकीना भाभी के पूर्णतया नग्न अवस्था में सुबह सुबह दर्शन हो चुके थे. करीब १०-१५ मिनट्स बाद वो अपने कमरे से निकाल कर आई और मुझे देख कर चौक गयी -अरे पप्पू भाई जान तुम कब आये, मुझे तो पता ही नहीं चला -(मैंने सेक्सी स्माइल देकर) जब आप बाथ रूम में थी तब से आकर यहाँ बैठा हूँ -ऊईईईइ माँ (एक उंगली को दातों के बिच दबाकर) तो तुम ने मुझे उस हालत में देख लिया होगा -कौनसी हालत में ?-तुम बड़े बेशर्म हो पप्पू भाई जान अगर तुमने मुझे देखा तो अपना मुह घुमा लेना चाहिए था और मुझे तुमारी उपस्थिति का एहसास करना था या अल्लाह मुझे माफ़ करना क्यों की मैं एक पराये मर्द के सामने उस हालत में निकाली थी -अरे शकीना भाभी इसमें तुम्हारी गलती नहीं हैं मैं तो बस आप को उस रूप में देख कर किसी पत्थर की मूर्ति जैसे हो गया था इसलिए आप को मेरी उपस्थिति का एहसास नहीं करा सका मुझे माफ़ करना -अच्छा इस बात का जिक्र किसी से ना करना यह राज हम दोनों के बिच में रहना चाहिए, चलो तुम नहालो मैं नास्ता तैयार करती हूँ मैं नहाकर कपडे पहन कर हॉल में आया भाभी ने शर्माते हुवे नास्ता टेबल पर रख कर सिर निचे कर के मुस्कुराते हुवे रसोई में चली गयी मैं भी चुप चाप नास्ता कर के शकीना भाभी को घंटे भर में लोटूगा कह कर मैं दरवाजा बंद करके बहार निकाल गया.

मैं रास्ते भर सोच रहा था की किस तरह हिम्मत जुटाऊ ताकी मैं आसानी से शकीना भाभी की चुत चोद सकूँ आखिर कर एक विचार आया की विस्की लाकर पियूँ तो शायद हिम्मत जुट जाएगी इसलिए बाज़ार से मैं खाना वैगेरह बंधवाकर कर विस्की की एक बोतल लाया अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जाकर कपडे निकाल कर लुंघी और बनियान पहन कर हॉल की ओर जाते हुवे शकीना भाभी को आवाज लगाई, उन्होंने भी रसोई से ही उतर दिया -भाभी जान खाना मत बनना -क्यों, मैं तो खाने की तैयारी कर रही थी -मैं खाना बंधवा कर लाया हूँ, भाभी जान जरा मुझे ग्लास बर्फ और पानी तो देना -(ग्लास बर्फ पानी लाकर टेबल पर रख कर) क्या बात हैं आज दिन में प्रोग्राम बना रहे हो -हाँ भाभी आज में बहुत खुश हूँ आप भी काम सलटा कर यहाँ आ जाओ हम खूब बाते करेंगेभाभी ने करीब १५-२० मिनट्स में काम सलटा कर हॉल में आई और जमीन पर पैरो को घुटनों से मोड़ कर दिवार का सहारा ले कर बैठ गयी भाभी के दोनों हाथ घुटनों पर थे शकीना भाभी ने आज हलके गुलाबी रंग की सलवार कमीज पहने थी -हाँ तो पप्पू भाई जान आज खुश क्यों हों -(मैंने भाभी को झूठ बोला) आज मुझे बड़ा काम मिला इसलिए मैं बहुत खुश हूँ -वाह यह तो अच्छी बात हैं तुम्हे तो आज पार्टी देनी चाहिए -मेरी प्यारी भाभी जान, आप बस हुकुम करो मैं आप की फरमाइश पूरी कर दूंगा -आज हमारे देवर भाई बहुत रोमांटिक लग रहे हो क्या बात हैं -आज मैं बहुत खुश हूँ भाभी जान -तो जाओ अपनी मसूका के साथ दिन भर मोज मस्ती करो, सही बताना कोई मासुका पटा रखी हैं क्या ?-आप भी भाभी ना अच्छा मजाक कर लेटी हो.

कसम से फ़िलहाल कोई मासुका नहीं हैं पहले थी पर उसके परिवार कहीं ओर शिफ्ट हो गए हा हा हा हा हा फ़िलहाल तो .....अआप ........आप .....-क्या आप आप कर रहे हो खुल कर कहो ना-भाभी जान बुरा नहीं मानना आज मुझे मेरी मसूका की कमी बहुत महसूस हो रही हैं उसका चहरा मोहरा बिलकुल आप की तरह था -पर मेरे देवर जी मैं आप की मसूका नहीं हूँ शादी सुदा औरत हूँ -वास्तव में भाभी भाई जान और आप बहुत लक्की हो जो भाई जान को आप जैसी और आप को भाई जान जैसा शोहर मिला मेरी बात सुन कर भाभी का चहरा उदासमयी हो गया और वो जमीन पर नज़ारे टिका कर कुछ सोचने लगी तब मैं उठ कर टोयीलेट चला गया क्यों की जोर की पिसाब लगी थी पिसाब करते करते दिमाग में शैतानी कीड़े कुलबुलाने लगे तो मैंने पिसाब कर के लंड मोहदय को अंडर वेअर में ना डाल कर बहार ही लटकने दिया और उसको लुंघी से सही तरह ढक कर रसोई से फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक निकाल कर हॉल में आकार अपने स्थान पर बैठ कर जाम का घूंट पीने लगा भाभी जान उसी अवस्था में जमीन पर नज़ारे झुकाएं बैठी थी -भाभी जान आप का चेहरा क्यों उतर गया कहो ना क्या बात हैं -पप्पू भाई जान (थोडा सुबकते हुवे) लोगो की नज़रों में मैं बहुत खुश नशीब हूँ पर वास्तव में मैं बहुत ही बदनसीब बीवी हूँ -क्यों क्या हुआ खुल कर कहो डरो मत मैं कसम खता हूँ की यह सारी बातें हम दोनों के दरमियान रहेगी-(लम्बी सांसे लेकर) पप्पू भाई जान दरअसल बात यह हैं की मेरे और उनके बिच उम्र का काफी अंतर होने के बावजूद मुझे उनसे निकाह करने को मजबूर होना पड़ा और आज तक मैं मज़बूरी में बेबस हो कर घुट घुट के मर रही हूँ -भाभी जान ऐसी कौनसी मज़बूरी थी या हैं जो आप बेबस हो -मेरी शादी से ८ महीने पहले मेरी माँ बहुत बीमार हो गयी थी डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था पर मेरे अब्बा के एक दोस्त से तुम्हारे रहमान भाई जान का परिचय हुआ तब मेरे शोहर ने मेरे अब्बा को काफी आर्थिक व शाररिक रूप से मदद की पर मेरी अम्मी बच नहीं सकी और मेरे अब्बा अम्मी के गम में शराब पीने लगे और मेरे शोहर से और कर्ज लेते लेते कर्जदार हो गए इसका फायदा मेरे शोहर ने उठा कर मेरे अब्बा से मेरा हाथ माँगा, उम्र का फर्क होने के कारण अब्बा ने उनसे १ सप्ताह का समय माँगा -फिर क्या हुआ (मैं जाम पीते पीते उनसे पूछ बैठा हालाँकि वो नज़ारे जमीन पर गाड कर अपनी दास्तान सुना रही थी इसलिए मैं मोके का फायदा उठा कर लुंघी को एक पैर पर सरका दिया ताकी मेरा अंडर वेअर से बहार निकला हुवा मुर्झित बाबु मोशाय का दीदार कर सके पर फ़िलहाल उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया०-फिर क्या अब्बू ने मुझे बताया की मैं बुरी तरह से रहमान भाई का कर्ज दार बन गया हूँ और अब वो मुझ से निकाह के लिए हाथ मांग रहा हूँ पर तुम्हारी और उसकी उम्र में काफी अंतर होने के कारण मैंने उनसे एक हफ्ते को मोहलत मांगी हूँ.

यह सुन कर मुझे रोना आगया की कहीं कर्ज के कारण अब्बा मेरी उम्र से ज्यादा रहमान से निकाह ना करा दे. -फिर क्या हुआ की तुम को निकाह करने के लिए मजबूर होना पड़ा -अब्बा उनको १५-२० दिनों तक जवाब देने में टालते रहे तब अब्बा के जिस दोस्त के कारण अब्बा का रहमान से परिचय हुआ था उसे मेरे अब्बा को समझाने का माध्यम बना के एक दिन शाम को हमारे घर भेजा. उन्होंने पीने के दौरान मुझे सामने बैठा कर अब्बू को समझाने लगे उन्होंने कहा यार रजाक (मेरे अब्बू का नाम) तू तो अच्छी तरह से जनता हैं की तू बुरी तरह से रहमान भाई का कर्ज दार बन चूका हैं और अब तेरे पास इतनी भी कमाई नहीं हैं की तू कर्ज़ लौटा सके शकीना का निकाह रहमान भाई से निकाह कर के तू फायदे में रहेगा क्योंकि निकाह का पूरा खर्चा रहमान भाई करेंगे और हो सकता हैं तेरा कर्ज भी मुवाफ कर दे ऊपर से तेरी छोटी बेटी सादिया का निकाह का भी वो खर्च वो उठाएंगे और तो और (मेरी ओर रुख करके) शकीना बेटी रहमान के साथ रह कर तुम बेगम साहिबा जैसी राज करोगी रहमान भाई की बेहिसाब जायदाद हैं ऊपर से सरकारी मुलाजिम हैं उनके बाद उनकी पेंसन तुम्हे मिलेगी क्यों की तब तुम कानूनन उनकी बीवी होगी हालाँकि उनको एक बेटा हैं पर अब वो बालिग हैं और कमाता हैं मानलो वो आधी सम्पति भी बेटे नाम कर देगा तो आधी तुम्हारे नाम करेगा क्यों की मुझे मालूम हैं तुम जैसी नेक लड़की अपने शोहर का बहुत ध्यान रखेगी कुल मिला कर उसकी सम्पति से तुम्हारा, तुम्हरी बहन का और अब्बा अच्छा का अच्छा खसा गुजरा हो जायेगा -फिर क्या हुआ ?-मैं और अब्बा ने उसकी बातों में आकर हामी भर दी और कुछ ही दिनों में मेरा उनके साथ निकाह हो गया -फिर क्या हुआ जो तुम आज भी खुश नहीं हो-(भाभी जान ने अपनी गर्दन उठा कर मेरी और देखा) वैसे तो वो अच्छे हैं मेरी हर ख्वाइश पूरी करते हैं मुझे सिर आँखों पर रखते हैं मुझे कोई चीज की कमी महसूस नहीं होने देते हैं (मैं जाम पीते पीते उनकी ओर देखा तो वो एक टक मेरे पैरों पर, जहां से मैंने जान भुज कर लुंघी को सरकाया था ताकी अंडर वेअर के साइड से बहार लटकता हुआ लंड बाबु को देख सके वहां पर टक टकी लगा कर देख रही थी) लेकिन .......लेकिन -लेकिन क्या भाभी जान -कैसे कहूँ समज में नहीं आता हैं -भाभी जान मैं आप से वादा कर चूका हूँ की हमारे बाते हम दोनों के बिच रहेगी आप चिंता ना करो
-पप्पू भाई जान आप भी बड़े व समजदार हो गए हो और एक बेबस औरत मनोदसा अच्छी तरह समज सकते हो जिस औरत को मन मुताबिक सारा सुख मिलता हो पर निकाह से दो महीने बाद अगर उसको तन का सुख नहीं मिले तो उसकी क्या हालत होती होगी. (वो अब भी मेरे टांगो पर सरीकी हुई लुंघी में से लंड को देखने में रत थी और उसका चहरा धीरे धीरे सुर्खमयी होने लगा था)-ओह तो रहमान भाई जान में जान नहीं हैं की आप को तन का सुख दे सके -हाँ निकाह के दो महीने तक तो ठीक चल रहा था फिर .........फिर .....-फिर क्या भाभी जान ?-फिर बड़ी मुश्किल से उनके .......उनके -भाभी खुल कर कहो ना क्या उनके उनके लगा रखी हो -मुझे शर्म आ रही हैं बताने में -मैंने कहा ना अब हम दोनों के बिच कोई शर्म वाली बात नहीं रहेगी क्यों की तुम्हारी दास्तान हम दोनों के अलावा कोई नहीं जानेगा-पर कैसे कहूँ ........

अच्छा तो सुनो उनके पिसाब करने वाली जगह में बड़ी मुश्किल से तनाव आता हैं -तो तुम्हारा मतलब हैं की उनका लंड मुश्किल से खड़ा होता हैं (लंड शब्द सुनते ही भाभी जान ने गर्दन झुकाली और कुछ देर तक मौन रही फिर गर्दन उठा कर मेरे टांगो के बिच लटकते हूए बाबु राव को देख कर बोली)-हाँ भाई जान बड़ी मुश्किल से उनका खड़ा होता हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाता हैं जिस कारण मैं तन के गर्मी के कारण प्यासी की प्यासी रह जाती हूँ -तो भाई जान को किसी डॉक्टर को दिखाओ -बहुत डोक्टोरो को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ आखिर वो उम्र दराज होते जा रहे हैं ना -तो और कोई रास्ता अपना लो किसी से अपनी तन की प्यास भुजा लो -डर लगता हैं बदनामी ना हो जाये और मेरा शोहर मुझे तलाक ना दे दे -ऊपर वाले से दुवा करो वो कोई ना कोई रास्ता निकाल देगा (कह कर मैंने अपना आखिरी जाम पूरा किया) चलो भाभी खाना खाते हैं भाभी उठ कर रसोई में जा कर प्लेट और पानी का ग्लास भर कर लाई मैं सोफे पर ही बैठ कर खाना खा रहा था जब की भाभी जमीन पर बैठ कर दिवार का सहारा लेकर खाना खा रही थी भाभी जान का दाहिना पैर घुटनों से मुड़ कर जमीन पर पड़ा था जब की बायाँ पैर घुटनों से मुड़ कर उनकी चुचियों से चिप के थे जिस कारण उनकी कमीज थोड़ी ऊपर सरक गयी थी उनकी हलके रंग की गुलाबी सलवार में से चुत वाली जगह पर सलवार का गिला पन नजर आ रहा था शायद उनकी चुत कुछ देर पहले मेरे लंड को निहार कर थोडा चुत रस छोड़ दिया था.

अब उनका चेहरा फ्रेश नजर आरहा था क्योंकि उन्होंने अपने उदासी का कारण मुझे बयाँ कर चुकी थी -देखी भाभी जान अब आप का चेहरा फ्रेश लग रहा हैं और आप के चेहरे मोहरे को देख कर मुझे मेर पूर्व प्रेमिका की याद आ रही हैं -चल हट मुझे पता हैं तू मेरी बड़ाई कर रहा हैं -नहीं भाभी मैं सच कह रहा हूँ तुम हुब ही हुब मेरी प्रेमिका की तरह लग रही हो अंतर हैं तो केवल उम्र का वो मेरी उम्र से छोटी थी और आप बड़ी हो -तुम ना सही में पागल हो गए हो हम हंसी मजाक करते करते खाना खाए भाभी जान काम निबटा कर अपने कमरे में चली गयी पर दरवाजा बंद नहीं किया सो मैं भी उनके कमरे में चला आया मुझे देख कर उन्होंने मादकता भारी मुस्कान दी मैं तड़प उठा-लगता हैं आज तुम अपनी प्रेमिका को मिस कर रहे हो कह कर मेरी ओर पीठ करके वो बिस्तर ठीक करने लगी मैं उनकी मोटी मोटी चूतडों को देख कर मरे जा रहा आखिर हिम्मत जुटा कर मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लीया…मेरा दोनों हाथ उनकी कमर पर था - क्या कर रहे हो"-"प्यार""अभी अपने कहा ना प्रेमिका को मीस कर रहे हो: मैं उसे नही आपको मीस कर रहा हूँ भाभी जान -बदमाशी मत करो उनके बदन की जकड़न से मेरे लंड बाबु में कड़क पन आने लगा और उनकी मोटी मोटी चूतड़ों पर दबने लगा वो मुझसे छुटने की कोशीश करने लगी..मैंने धीरे धीरे हाथ को सरका कर उनकी चुचिओं के ऊपर ले गया और उनके गर्दन पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया -भाई जान खुदा के वास्ते कुछ मत करो ये गलत है"-क्या गलत है भाभी मैं तो बस तुम्हे प्यार ही तो कर रहा हूँ ना -मैं शादी सुधा हूँ तो क्या हुआ......शादी सुधा हो कर भी आप प्यासी और बेबस हो ऊपर से आप इतनी हसीन हो की मेरा दिल मचल गया आप के लिए -ओह छोडो ना आआआआ भाई जान-(मैंने हलके हाथो से उसकी दोनों चुचिओं को दबा कर कान पर चुम्बा) छोड़ दू तुम्हे मेरी जान ? कह कर मैं थोडा और जोर से चुचिओं को दबाते हुवे उनके कानो पर अपनी जीभ फेरने लगा जोर से चूची दबाते ही उनकी चीख नक़ल गयी - आ आईईईईईईईई.........धीई रे..धीई रे ये सुन कर मैं समझा गया भाभी चुदवाना तो चाहती है…लेकीन नखरे कर रही है..

मेरा लंड लोहे की भांति तन कर उनके हसीन चूतड़ों पर दबाव डालने लगा अब वो भी अपनी गांड पीछे सरका कर मेरे लंड पर दबाव डाल रही थी मैंने उनकी कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर चुचिओं को मसल ने का प्रयास कर रहा था पर कमीज टाईट होने के कारण चुचिओं तक हाथ नहीं पहुँच सका -पप्पू क्या कर रहे हो?-आप प्यार से नही करने दे रही है-क्या नही करने दे रही हू ????? कह कर वो मेरी ओर घूम गयी मैंने इस मौके पर भाभी के सिर को पकड़ कर उनका चेहरा एकदम मेरे चेहरे के करीब लाकर उनके रसीले गुलाबी होंठो को मेरे होंठो से चिपका दिया पहले तो वो अपना मुह इधर उधर करने लगी फिर थोड़ी देर बाद मेरे होठों को जगह मिल गयी तो मैंने एक लम्बा सा चुम्बन लिया वो ऊ ओह ऊ न ना ह ही करते हूए मुझसे दूर हटने लगी पर मेरी मजबूत गिरफ्त के कारण वो अपना चेहरा हटा ना सकी और धीरे धीरे मेरे चुम्बनों के वजह से वो हलके रूप में आत्मसमर्पण करने लगी मैं अब उनकी कमीज में हाथ डाल कर पीठ सहलाने लगा फिर कुछ देर बाद उनकी कमीज को ऊपर उठा कर गले तक लाया तो उन्होंने विरोध करते हुवे धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर उठा दिया और मैंने उनकी कमीज उतार कर जमीन पर फेंक दी - क्या कर रहे हो पप्पू ?-भाभी जान मैं प्यार कर रहा हूँ भाभी जान की कमीज उतार ने से उनकी बड़ी बड़ी चुचिओं के नजदीक से देख कर तो मुझसे रहा नहीं गया उफ़ गौरी गौरी चुचिओं पर चोकलेटी रंग का चक्र धार घेरा और घेरे के ऊपर थोडा गहरा चोकलेटी रंग की घुंडी (निपल्स) वाकई मस्त चूचियां थी, मैं झट से एक चूची की घुंडी को मुह में लेकर चुसना लगा उनकी चूची अब कठोर होने लगी थी भाभी जान ने मेरे सिर को चूसने वाली चूची पर दबा लिया तो मैंने दूसरी चूची की घुंडी को एक हाथ से मसलते हूए चूची को जोर से दबा दिया -ऊऊ ई ईई धीरे......इतना जोर से मत दबाओ....

मैंने भाभी जान को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया उनके कुल्हे (यानि की उनकी गांड) पलंग के किनारे पर थे और पैर जमीन की ओर लटक रहे थे मैंने उनकी सलवार का नाडा खिंच दिया तो भाभी जान ने हल्का सा विरोध किया -पप्पू भाई जान यह क्या कर रहे हो, मुझे ख़राब मत करोकह कर उन्होंने अपनी गांड थोड़ी ऊपर करदी जिस कारण उनकी सलवार उतार ने में मैं कामयाब रहा. सलवार जमीन पर पड़ी थी और उनकी गौरी गौरी टांगो के बिच छोटे छोटे बालों से ढकी चुत को देख कर मैंने तो उन्मादित होने लगा. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने अपनी लुंघी और बनियान उतार दी अब केवल अंडर वेअर में खड़ा होकर कहा जब मैं अपने कपडे उतार रहा था तब भाभी जान ने मोका पाकर उठ कर बैठ गयी और एक टांग को दूसरी टांग पर रख कर अपनी अपनी चुत को छुपा कर दोनों हाथो से अपने स्तन छुपाली -पप्पू भाई जान मुझे क्यों परेशान कर रहे हो -प्यारी भाभी जान नखरे भी करती हैं और करवाना भी चाहती हैं.कह कर मैंने अपना अंडर वेअर भी निकाल डाला मेरे लोहे समान तने हूए मोटे और लम्बे लंड को देख कर वो अवाक् रह गयी -या अल्लाह आ इतना मोटा और लम्बा आज तक नहीं देखा (कह कर वो फटी फटी आँखों से लवडे महाराज को देखने लगी) -क्यों भाभी जान बहुत प्यारा हैं ना ...

यह तुम्हे बहुत प्यार करेगा कह कर मैं फिर उनको पलंग पर लिटा कर उनके ऊपर आ गया और होंठो पर चुम्बनों की बरसात करते हूए उनकी गौरी चुचिओं को हल्का हल्का दबाते हुवे चूची की घुंडी को मसल ने लगा इस बार वो केवल -आह ह ह ऊउफ़्फ़ म..मत करो ना कह कर मेरे बदन से लिपटने लगी और मेरी पीठ को सहलाने लगी मेरा लवड़ा उनकी टांगो पर तना होने के कारण दबाव डाल रहा था हम दोनों अब उन्मादित सागर में गोता लगाने लगे तब मैंने उठ कर उनके सिरहाने बैठ कर उनके हाथ को लंड पर रख कर कहा -भाभी जान अपने प्यारे लाल तो थोडा सहलाओ भाभी जान ने अब निसंकोच होकर लंड को पकड़ लिया और अपने हथेली को मेरे अंडकोष के करीब सरका दिया तो गुलाबी रंग का मोटा सुपाडा लंड की चमड़ी से निकाल कर बहार आ गया. भाभी जान को भी बदमाशी सूझी उन्होंने लंड और अंडकोष को जोर से दबा दिया -आअआह भाआ भीईई प्यार से सहलाओ ना -क्या प्यार से सहलाओ कहते हो यह कितना मोटा और लम्बा हैं की हथेली में भी नहीं समाता हैं लगता हैं यह प्यारे लाल आज मुझे बर्बाद कर के ही छोड़ेगा कह कर वो लंड को प्यार से सहलाने लगी कुछ देर बाद मैं पलंग से उतर कर उनके पलंग के किनारा से लटके हूए पैरों को फैला कर उनके पैरो के बिच बैठ कर पहले कुछ देर तक उनकी फूली हुई मोटी चुत को सहलाया फिर चुत पर चुम्बा लेकर चुत को जीभ से रगड़ ने लगा -(मेरे सिर को अपनी चुत से हटाते हूए) छि छि छि कितने गंदे हो वहां क्यूँ मुह लागाते हो –

भाभी बस आप चुप रहिये और देखते रहिये -भाभी कह कर इज्जत भी करते हो और इज्जत से खिलवाड़ भी ...ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई जैसे ही मैंने अपनी जीभ को चुत के अन्दर घुसाया शकीना भाभी की मुह से उई की आवाज निकल पड़ी मैं उनकी आवाज की परवाह न करते हुवे चुत की चारो तरफ जीभ को गोल गोल नाचने लगा तो भाभी जान काफी गरमा गयी थी -आआह्ह्ह ओह्ह्ह पप्पू ऐसा मत करो मैं पागल हो रही हूँ ओह्ह्ह्ह नन नही ना पर मेरी जीभ चोदन की क्रिया जारी थी एक तो चुत से चुतरस निकालने के पूर्व निकाला हुवा पानी (यानि की प्री कम) का स्वाद जीभ पर लग रहा था और नाक से चुत व मूत की महक सूंघने के कारण मैं मतवाला हो कर तेजी से चाटना सुरु किया किस कारण शकीना भाभी ने मेरे सिर को चुत पर दबाते हूए ऊपर से दबाव डाल रही थी तो कभी कभार अपनी गांड को उपर उठा कर नीची से दबाव डाल रही थी भाभी जान जीभ चुदाई के कारण मदहोश हो चुकी थी तब मैंने अपने हाथ की उंगली उनके मुंह में दे दी वो उंगली को चूसते हुवे अपने शरिर को अकड़ाकर मेरी जीभ को अपने चुत रस से सरोबर कर दिया मैं अब उठ कर पलंग के किनारे बैठ गया -क्यों भाभी जान मजा आया ना -तुम भी ना बड़े वो हो -अच्छा अब उठो और पलंग ने निचे बैठो -क्यों पप्पू जी -मेरी शकीना रानी सवाल मत करो जैसा कहूँ वैसा ही करो तुम को बहुत मजा आयेगा -अच्छा मेरे राजा कह कर वो जमीन पर मेरे पैरो के बिच बैठ गयी मैंने उसका सिर पकड़ कर उसके होंठो पर लंड के सुपाडे को रगडा वो समाज गयी मैं मैं लंड चुसवाना चाहता हूँ तो अपना मुह खोल कर लैंड को चूसने लगी वो लंड चुसाई में माहिर थी इसलिए तो अपना शोहर के मुर्दा लंड को चूस चूस कर थोड़ी जान भर देती थी -साली क्या लंड चुसाई करती हो वाकई मजा आगया चल उठ और पलंग पर लेट जा -(पलंग पर लेट कर) हरामी जब झड़ने लगो तो बहार निकाल लेना क्योंकि मैं अभी सैफ नहीं हूँ माँ बन सकती हूँ -फिक्र मत कर मेरी जान मैं बहार निकाल लूँगा कह कर उसके पैरों के बिच आकर पैरों को फैला कर अपने कंधे पर रख कर लंड के सुपाडे को चुत के दाने और दोनों फानको को सहलाने लगा -भाभी जान कैसा लग रहा हैं -हरामजादे शकीना रानी की चुत पर अपना लंड लगता हैं ऊपर से भाभी जान कहता हैं

......चल मुसलधारी लंड वाले अब जो करना हैं जल्दी से कर डाल उनको इस तरह कहने से मैं जोश में आगया और जोर जोर से चुत को सुपाडे को रगड़ ने के साथ साथ उनके चुचक को दबाने लगा -ऊईईईई मम्म माँ मत तडपाओ ना डालो ना ऊऊउईईईईई ह्ह्ह्हाआआअ शकीना को मुसलधारी लंड को पाने के लिए तड़पता देख कर मुझे मजा आ रहा था- मादर्चोद और कीतना तड़येगा !!मैं हंसा और अपाना लंड उसके चुत के मुहाने पर रख कर दबाया.भाभी तड़प उठी…….ऊऊओह्ह्ह् ह्ह्ह मर गयीईई माद्र्र्र्र्र्चोदददद कल्ल्ल्ल्लल्ल्ल निकाआल्ल्ल. …… बोहोत मोटा हैह्ह्ह्ह.. मैं मर जाऊगीईईईइ. …मैं रूक गया. और उसे लंड को चुत से बहार निकाला भाभी ने आंखे खोली….और पुछा"-अब क्या हुआ बहन के लवडे ?-आप ने कहा निकालो तो मैंने निकाल दिया -मादरचोद भडवा क्यों तदपा रहा हैं कर ना बहनचोद डाल ना रे मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चुत पर रख कर जोर का झटका मारा…….. …भाभी का पुरा बदन एठ गया -आआआआआआआआआअ आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्छ मार दलाआआआअ रेईहरमीईईई. ……… .. ये आदमी का है की घोड़े का,ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् अब मैं आहिस्ता आहिस्ता लंड को चुत के बच्चे दानी तक घुसा दिया उसकी चुत की गर्म गर्म दीवारे मेरे लंड को चारों और जकड़ी हुई थी मानों उंगली में अंगूठी फंसी हो . मैंने अब थोडा थोडा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा… नीप्पल को चूसने लगा.. वो थोडा नॉर्मल हूई उनकी चुत पूरी तरह पनिया गयी थी इसलिए जब मैंने करीब आधा लंड बहार निकाल कर तूफानी शोट मारने लगा तो कमरे में फचा फच की आवाजे संग संग भाभी जान की सिसकारियां गूंजने लगी पूरा माहोल चुदाई मयी बन चूका था इसी दरमियान भाभी २ बार झड़ चुकी थी अब वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी थी - वहा मेरे शेर !!! वाह आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊह्हहा ..आज मेरी मुराद पूरी हो गयीईईईइ. .. ऊऊऊह् ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरा निकलने वाला हैं ऊऊऊउईईईईई ह्ह्ह्हाआआअ ज्जऊर से करो राजा मैं उनकी चुदाई के संग संग उनके पुरे बदन को जोर से भीचा और मेरे लंड ने गरम गरम पिचकारी भाभी की चुत में छोड दी.







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