Friday, May 31, 2013

हंसता खेलता परिवार-2


हंसता खेलता परिवार-2


प्रेषक : अरविन्द

बाहर पहुँचते पहुँचते मैं अपने को रोक नहीं पाया और जैसे ही सोनल चाय स्टूल पर रखने के लिए झुकी, मैं अपनी दोनों हथेलियाँ उसके कूल्हों पर टिकाते हुए बोला- नाइस बम्स !

इसी के साथ मैंने अपनी दोनों कन्नी उंगलियाँ कूल्हों की दरार में दबा दी।

"ओह पापा ! आप भी ना ! अभी चाय छलक जाती !" चाय रखने के बाद वो मेरी तरफ़ घूमते हुए बोली और मेरे हाथ फ़िर से उसकी कमर पर आ गये।

"तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं सोनल ! आई लाइक दैम !" पता नहीं मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों उंगलियाँ उसकी निक्कर की इलास्टिक को खींचते हुए उसके चूतड़ों के नंगे मांस में गड़ गई।

सोनल के बदन में जैसी बिजली सी दौड़ गई और थोड़ी लज्जा मिश्रित मुस्कान के साथ बोली- सच में पापा?

हाँ सोनल ! तुम्हारे चूतड़ एकदम परफ़ेक्ट हैं ! इससे बढ़िया चूतड़ मैंने शायद किसी के नहीं देखे !" कहले हुए मैंने अपनी हथेलियाँ कुछ इस तरह नीचे फ़िसलाई कि सफ़ेद निक्कर उसकी जांघों में लटक गई।

सोनल अपनी जगह से हिली नहीं और अब मैं उसके नंगे चूतड़ अपने हाथों में मसल रहा था।

मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुए उससे कहा- सोनल ! मैंने बहुत सारे चूतड़ इस तरह नंगे देखे हैं, सहलाए हैं, चाटे भी हैं पर… कहते कहते मैंने अपनी उंगलियों के पोर उन दोनों कूल्हों के बीच की दरार में घुसा दिए।

हाँ पापा ! मैंने सुना है कि आपने खूब… !" कहते हुए वो कामुक मुस्कान के साथ शरमा गई।

"तुम्हें किसने बताया?"

उसके कनखियों से मेरी तरफ़ देखा और अर्थपूर्ण मुस्कुराहट के साथ बोली- अनुष्का ने ! वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी, वो मेरी सहेली थी और चटखारे ले ले कर आपकी रसीली कहानियाँ मुझे सुनाया करती थी।

इसी के साथ वो खिलखिला कर हंस पड़ी।

अब यह मेरे लिए परेशानी वाली बात थी, मैंने पूछा- अनुष्का ने तुम्हें क्या क्या बताया?

अब मेरे हाथ खुल्लमखुल्ला सोनम के चूतड़ों से खेल रहे थे।

वो फ़िर खिलखिलाई- ये लड़कियों की आपस की बातें हैं ! मैं आपको नहीं बताऊँगी।

"लेकिन ना कभी अनुष्का ने ना कभी तुमने बताया कि तुम सहेलियाँ थी?"

"नील से मेरी शादी करवाने में अनुष्का का ही तो हाथ है ! दो साल पहले जब एक बार आप लन्दन गये हुए थे तो अनुष्का मुझे यहाँ इस घर में लेकर आई थी। उस समय आलिया मौसी भी यहीं थी। तो अनुष्का ने ही मौसी को बीच में डाल कर नील की शादी मुझसे करवाई।"

"ओह ! तो आलिया भी तुम्हारे साथ मिली हुई है?"

"तो क्या पापा? आलिया मौसी तो आपके साथ भी… है ना?"

"ह्म्म !"

"आलिया मौसी ने ही तो बताया था कि…!!"

"क्या बताया था उसने? बोलो !?!"

"उन्होंने बताया था कि आप किसी भी लड़की को अपने चुम्बन से पागल कर सकते हो !"

"आलिया से भी ना चुप नहीं रहा जाता… तो अब तुम भी पागल…? हंह…?" मैंने उसके टॉप के अन्दर उसकी पीठ पर एक हाथ फ़िराते हुए कहा।

"हाँ पापा, मुझे भी अपने होंठों का जादू दिखाइए ना !" सोनम ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठों को गोल करते हुए कहा।

मैं अपना हाथ उसकी पीठ से सरका कर गर्दन तक ले आया और उसके सिर को पीछे के जकड़ते हुए अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिये।

मेरे हाथ के उसके सिर पर जाने से हुआ यह कि उसका टॉप भी मेरे हाथ के साथ सोनम के कन्धों में आकर रुका।

मेरा दूसरा हाथ जो अभी तक उसके चूतड़ों पर था, वो फ़िसल कर उसकी जांघ तक चला गया और उसकी जांघ को उठा कर मैंने अपनी बाजू पर ले लिया।

सोनम ने अपने को मुझसे छुटवाते हुए कहा- पापा, अन्दर चलते हैं।

मैंने उसे छोड़ते हुए कहा- चलो ड्राइंग रूम में चलो !

जैसे ही वो सीधी खड़ी हुई, उसकी निक्कर उसके पैरों में ढेर हो गई।

मैंने निक्कर को पकड़ कर उसके पैरों से निकाल कर कहा- चलो, मैं इसे सम्भालता हूँ।

वो आगे आगे, मैं पीछे पीछे उसकी निक्कर को हाथ में लेकर सूंघते हुए चल रहा था, उसकी जांघों और योनि की गन्ध उस निक्कर में रमी हुई थी। कपड़ों के नाम पर सोनम के गले में उसका टॉप एक घेरा सा बनाए पड़ा था। निक्कर मेरे हाथ में थी, ब्रा पैन्टी पहनना शायद उसे भाता नहीं था।

अन्दर ड्राइंग रूम में जाकर सोनम ने ऐ सी और सारी बत्तियाँ जला दी। पूरा कमरा रोशनी से नहा गया।

और जैसे ही सोनम बत्तियाँ जला कर मेरी तरफ़ घूमी, उसने अपने गले से वो टॉप निकाल कर मेरे मुँह पर फ़ेंक दिया।

लेकिन मेरी नजर तो उसकी नाभि पर थी, उसमें उसने एक बाली पहनी हुई थी। उसके बाद मेरी निगाहें सरक कर नीचे गई तो देखा योनि ने घने सुनहरे-भूरे बालों का घूंघट औढ़ा हुआ था।

सोनम ने मेरी तरफ़ अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- आओ ना पापा ! मुझे अपने होंठों से पागल करो ना !

सोनम अपने होंठों पर जीभ फ़िरा रही थी, उसके गीले होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे।

मैंने उसके गालों को अपनी हथेलियों में पकड़ कर उसकी गहरी आँखों में झांका और अपने होंठ उसके होंठों पर हल्के से रगड़ दिया।

उसके मुख से सिसकारी फ़ूटी- पापा ! और करो ! प्लीज़ !

"जानू… अब तुम्हारी बारी है !" मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में सहेजते हुए फ़ुसफ़ुसाया।

"पापा…प्लीज़ आप करो ना ! प्लीज़ पापा ! करो !" वो एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए बोली- जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा !

"ओ… ठीक है ! मेरे सिर को आपने हाथों में थाम लो सोनम !"

बिना एक भी शब्द बोले उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर झुका लिया, हमारे होंठों ने एक दूसरे को छुआ और मैं उसे अपने होंठों से सताने लगा।

सोनम का पूरा बदन काम्प रहा था और उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकल रही थी।

और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चॉकलेट की तरह चूसना-खाना शुरु कर दिया।

सोनम की इस हरकत ने मुझे भी पागल सा कर दिया, मैंने उसके चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथ ले जा कर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे कूल्हों के पीछे जकड़ ली।

इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरा मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छिद्र को कुरेदने लगी।

लड़की मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उस कसे छिद्र को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।

सोनम हांफ़ रही थी- ऊ… पापा… उह पा…आह… ना…

मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा।

और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया।

उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फ़ोन देख लूँ !

जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने नाक तक ले जा कर मेरी उंगली सूंघने लगी।

तभी मुझे जाने क्या सूझा, मैंने अपनी वो उंगली उसके होंठों से छुआ दी। उसने पीछे हटकर फ़ोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे नील का फ़ोन था।

मैंने सोनम की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी।

मैं इसके पास गया और सोनम से सट कर फ़ोन पर अपना कान लगा दिया।

नील उससे पूछ रहा था कि सुबह क्या क्या किया और सोनम ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़ कर उसे सब बता दिया।

नील ने पूछा कि वो हांफ़ क्यों रही है तो सोनम ने बताया कि वो नीचे थी और फ़ोन ऊपर, फ़ोन की घण्टी सुन कर वो भाग कर ऊपर आई तो उसकी सांस फ़ूल गई।

सच में मेरी पुत्र-वधू काफ़ी चतुर है ! मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया।

मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का कितना फ़ायदा होता है। मेरे बेटे का फ़ोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस समय जब मैं अपने बेटे की योनि तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का माकूल जवाब दे रही थी।

अगर नील का फ़ोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती।

लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था !

मैं फ़ोन पर कान लगाए सुन रहा था– मेरे बेट-बहू लगातार 'लव यू !' और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे फ़ोन पर !

और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फ़ोन पर मेरे बेटे बहू की यह रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू सोनम की चूत के बीच की दूरी बढ़ती जाएगी। और शायद नील को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी।

मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।

सोनम मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही लेकिन उसकी आवाज में एक कम्पकंपाहट आ गई थी !

"क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?" मेरे बेटे नील ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।

थोड़ा रुकते हुए सोनम ने जवाब दिया- उंह… हाँ ! ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी।

मैंने सोनम के जवाब की प्रशंसा में उसके एक उरोज को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फ़िरा दिया।

नील अपनी पत्नी और मेरी बहू सोनम से कुछ इधर उधर की बातें करने लगा।

लेकिन उसे लगा कि सोनम की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले था क्योंकि सोनम हाँ हूँ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरका कर, लचका कर मेरी तरफ़ देख देख कर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।

इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी।

जरा सोच कर देखिए जिस लड़की की शादी को अभी दो महीने ही हुए हों वो अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न हो और उसका ससुर उसकी चूचियों से खेल रहा हो !

अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।

मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना ! ठीक है?

उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और हाँ में सर हिलाया। सोनम भी अब खुल कर इस खेल में घुस गई थी।

अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठ कर अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके योनि लबों पर टिका दिए !

"ओअ अयाह ऊउह !!!" सोनम के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली !

मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा लेकिन वो उत्तर में बोली- ना नहीं ! मैं ठीक हूँ.. बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग रहा था...

एक बार नील ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में सोनम ने कहा- शायद मेरी पैंटी में कुछ घुस गया है... चींटी या कुछ... मैं टेनिस लॉन में घास पर बैठ गई थी तो...

मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो सोनम ने कहा- धत्त ! गंदे कहीं के ! अच्छा ठीक है ! मैं पैंटी उतार कर अंदर देखती हूँ...तो मैं पांच मिनट बाद फोन करूँ? यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद सोनम ने मेरे बेटे को फ़ोन पर एक चुम्मी देकर फ़ोन बन्द कर दिया और फ़ोन को सोफ़े पर उछालते हुए मुझसे बोली- पापा !

मैं खड़ा हो गया और सोनम को अपनी बाहों मे ले लिया।

सोनम भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिका कर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- आप बहुत गन्दे हैं पापा !

उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ़ धकेल कर मेरी पैन्ट के उभार पर अपनी योनि टिका ली थी।

मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- हाँ ! सही कह रही हो सोनम ! मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान ! अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू सोमन को मजा कैसे दे पाता?

सोनम मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- अगर नील को पता लगा तो क्या होगा?

कहानी के अगले भाग की प्रतीक्षा कीजिए।




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..............raj.....................

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