Thursday, May 9, 2013

चम्पा चाची और महुआ-4

चम्पा चाची और महुआ-4


जब फ़ोन की घण्टी बजी, उस समय चम्पा चाची पलंग पर लेटी दोनों टाँगे फ़ैलाये अशोक के लण्ड से अपनी चूत कुटवा रही थी उनका गदराया जिस्म अशोक के पहाड़ जैसे बदन के नीचे दबा हुआ था और अशोक उन्हें रौंदे डाल रहा था। चम्पा चाची बड़बड़ा रही थीं –"हाय इस लड़के का तो मन ही नहीं भरता, अरी महुआ! देख तेरा आदमी चाची को पीसे डाल रहा है अहह अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह!"
तभी फ़ोन की घण्टी बजी चाची ने लेटे लेटे चुदते हुए फ़ोन का स्पीकर आन किया  और हाँफ़ती सी आवाज में कहा –"हलो!"
महुआ –"हलो चाची! हाँफ़ रही हो क्या अशोक ज्यादा ही थका रहा है?"
महुआ ने चाची को छेड़ा ।
चम्पा चाची(अशोक की कमर में टाँगे लपेट मुँह पे उंगली रख और आँखें तरेर कर आवाज न करने और चुदाई धीमी करने का इशारा करते हुए)-"अरे नहीं रसोईं की तरफ़ थी सो फ़ोन उठाने के लिए दौड़ के आई इसीलिए साँस उखड़ रही है।" चाची ने झूठ का सहारा लिया।
महुआ –"छोड़ो चाची! अब मैं बच्ची नहीं रही चन्दू चाचा ने मेरा इलाज कर मुझे जवान औरत बना दिया आप की टक्कर की, सो फ़िकर ना करें मैं कल सुबह आ रही हूँ आपको अशोक की तरफ़ से दी जाने वाली इस रोज रोज कि थकान और हाँफ़ी से छुटकारा दिलाने।"
जवाब में अशोक ने चाची की चूत में जोर का धक्का मारते हुए कहा –"शाबाश महुआ! जल्दी से आजा ! मेरा मन तुझसे जल्द जल्द कुश्ती करने को हो रहा है।"
महुआ –"बस आज और सबर करो राजा! कल से तो अपनी कुश्ती रोज ही होगी और सबर भी क्या करना, तुम तो साले वैसे भी मजे कर ही रहे हो, इस खबर की खुशी में और जी भर के चाची को खुश करो और उनका आशीर्वाद लो।"
चम्पा चाची(पलट कर अशोक को नीचे कर ऊपर से उछल उछल के उसके लण्ड पर चूत ठोकते हुए)-"अरे! मैं बाज आई ऐसे बेटी दामाद से, बेटी जल्दी से आजा और ले जा अपने इस पहलवान को, तो मैं कुछ चैन की साँस लूँ। फ़िर चाहे तू कुश्ती लड़ या दंगल। अच्छा अब रात बहुत हो गई है सोजा। कल जब तू आ जायेगी तब बात करेंगे।"
महुआ फ़ोन रखते रखते भी छेड़ने से बाज नहीं आई –"ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ आप अपना कार्यक्रम जारी रखें।"
इतना कहकर महुआ ने फ़ोन काट दिया।
तभी अशोक ने नीचे से कमर उछाल चूत में लण्ड ठाँसते हुए नहले पे दहला मारा –"अरे चाची चैन की साँस लेने की तो भूल जाओ । ये पहलवान वो शेर है जिसके मुँह में खून लग गया है वो भी तुम्हारा, कहने का मतलब जिसके लण्ड को चस्का लग़ गया है वो भी तुम्हारी इस मालपुए सी चूत का अब ये इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला है नहीं, वैसे भी आपने वादा किया है कि अब जबतक मैं यहाँ हूँ आप रोज मेरे लण्ड से अपनी चूत फ़ड़वायेंगी और जब भी मैं यहाँ आऊँगा आपकी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाऊँगा।"

चाची ने मुस्कुरा के आँखें तरेरीं और चूतड़ उछालते हुए बोलीं -"अपने मतलब की ऐसी बातें सब कैसी याद हैं, अभी कोई काम की बात बताऊँ तो दूसरे ही दिन कहेगा कि चाची मैं भूल गया।"
अशोक हँसते हुए उनके उछलते बिखरते उरोजों पर मुँह मारने लगा।…………

 अगले दिन चन्दू चाचा और महुआ अलसाये से उठे फ़िर धीरे धीरे जाने की तैयारी की। धीरे धीरे इसलिए क्योंकि बीच बीच में चन्दू चाचा महुआ को चुदाई की ट्रिक्स सिखाने लगते वो भी महुआ के बदन पर प्रेक्टिकल कर के । सो करीब शाम 5 बजे चन्दू चाचा, महुआ को ले चाची के घर पहुंचे। खाना पीना होते होते 7 बज गये अंधेरा हो गया तो चाची ने चन्दू चाचा –"अब इतनी रात में कहाँ जाओगे चन्दू यहीं रुक जाओ। "
फ़िर चाची ने धीरे से जोड़ा ताकि कोई और न सुन ले –"दो घड़ी इस पुरानी दोस्त के पास भी बैठ लो।"
चन्दू चाचा(मुस्कुराकर) –"ठीक है चम्पा।"
जल्द ही महुआ और अशोक मेहमानों वाले कमरे में अपनी अपनी मुद्दतों की अधूरी सुहागरात पूरी करने के लिए पहुँचे।
उनके जाते ही चम्पा चाची चन्दू चाचा को लगभग घसीटते हुए अपने कमरे में ले गई। कमरे मे पलंग के अलावा उस खेली खायी एक्सपर्ट चुदक्कड़ चम्पा चाची  ने ज़मीन पर भी एक बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिये भी लगे थे, जिसे देख चन्दूचाचा, चम्पा की तरफ़ अर्थ पूर्ण ढ़ंग से देख के मुस्कुराये –"वाह! चम्पारानी तेरे इरादे तो काफ़ी खतरनाक लगते हैं।"
जवाब में चम्पा चाची ने चन्दू चाचा को पलंग पर धक्का दे बैठा दिया फ़िर उनकी धोती हटा कर उनका हलब्बी लण्ड निकाल हाथ से सहला के बोली –"जमाना हो गया चन्दू तेरा ये मूसल देखे हुए।"
फ़िर चम्पा अपना पेटीकोट उठा चन्दू चाचा की गोद में अपने शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ रखकर बैठ गयी । चन्दू चाचा के सीने से चम्पा चाची की गुदाज पीठ सटी थी। चन्दू चाचा के हलब्बी गरम लण्ड पर चम्पा चाची की फ़ूली पावरोटी सी चूत धरी थी और वो चन्दू चाचा के लण्ड की गरमी से अपनी चूत सेंक कर गरम कर रही थीं। चन्दूचाचा ने अपनी गोद में चाची के शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ों का मजा लेते हुए अपने दोनो हाथ उनके ब्लाउज में घुसेड़ दिये और उनकी बड़ी बड़ी चुचियों को टटोलने लगे। चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरने लगीं, उनकी पहले से गरम चुदक्कड़ चूत बहुत जल्द पानी छोड़ चन्दू चाचा के लण्ड को तर करने लगी।

अचानक चम्पा चाची उठी और उन्होंने चन्दू चाचा की तरफ़ घूमकर उनकी तरफ़ मुँह करके फ़िर से गोद में सवारी गाँठ ली, जैसे घोड़े के दोनों तरफ़ एक एक पैर डालकर बैठते हैं। अब चन्दू चाचा के लण्ड का सुपाड़ा चम्पा चाची की चूत के मुहाने से टकरा रहा था चन्दू चाचा ने देखा चाची की बड़े खरबूजों जैसी चूचियाँ  मसलने से लाल हो गईं थी। चन्दू चाचा उन पर मुंह मारने लगे। ये देख चम्पा चाची अपने दोनो हाथों से अपना एक भारी स्तन पकड़ अपना निपल चन्दू के मुँह में दे बोली –
"जोर जोर से चूस चन्दू राजा।"
चन्दू चाचा चूचियों को बारी बारी से अपने मुँह मे ले कर चाटने और चूसने लगे और चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरते हुए मस्ती से अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियाँ उठा उठा कर चन्दू चाचा से चुसवा रही थी। चम्पा चाची मस्त हो अपनी दोनो जांघों के बीच चन्दू चाचा का हलब्बी लण्ड मसल्ने रगड़ने लगी. यह देख कर चन्दू चाचा अपना हाथ चम्पा चाची की चूत पर ले गये और उसने धीरे से चम्पा चाची की चूत के अंदर एक उंगली डाल दी. फिर चूत के फाकों पर अपनी उंगली फेरने लगे. उनकी चूत बुरी तरह भीगी हुई थी. चन्दू चाचा  उनकी चूत की घुंडी को अपनी उँगलिओं से पकड़ने और मसल्ने लगा. चम्पा चाची इससे बहुत उत्तेजित हो सिसकारी भरने लगी –
"इस्स्स्स्स्स्स्स…!
और चन्दू चाचा ने चम्पा चाची के होठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगे तभी चाची ने अपनी जीभ उनके मूँह मे डाल दी तो चन्दू चाचा उसे चूसने लगे। चम्पा चाची ने मारे उत्तेजना के चन्दू चाचा का हाथ अपनी जांघों में भींच लिया और उनकी धोती खींच के फ़ेक दी और अपने चूतड़ उछालते हुए बोली,
"हा्य चन्दू राजा, इस्स्स्स्स्स्स्स…! मेरी चुदासी चूत मे आग लगी है,अब जल्दी कर वरना ये बिना चुदे ही झड़ जायेगी।
चन्दू चाचा, चम्पा चाची को गोद में लिए लिए ही खड़े हो गये और जमीन पर बिछे बिस्तर पर लिटा दिया फ़िर एक तकिया उनके भारी चूतड़ों के नीचे लगा दिया जिससे उनकी फ़ूली चूत और भी उभर आई। दोनों पुराने खिलाड़ी थे । चाची ने उनका लण्ड थाम कर उसका सुपाड़ा अपनी भीगी चूत के मुहाने पर धरा और टाँगे उनके कंधों पर रख ली। चन्दू ने धक्का मारा। पक से सुपाड़ा अन्दर।
"इस्स्स्स्स्स्स्स…आह!"
चाची ने सिसकी ली।
चन्दू चाचा –"वाह चम्पा रानी तेरी तो अभी भी वैसी ही टाईट है जैसी पन्द्रह साल की उमर में थी।"
चम्पा चाची –"हाय चन्दूराजा! और ये ऐसी तब है जब्कि मैं पिछले एक हफ़्ते से अपनी भतीजी के पति यानि दामादजी के असाधारण हलव्वी लण्ड से धुँआदार चुद रही हूँ। अशोक न दिन देखता है न रात वख्त-बेवख्त हर वख्त उसे मेरा बदन सेक्सी लगता है और हर जगह चुदाई के लिए रूमानी बाथरूम हो या बेडरूम बैठ्क हो या रसोई, बस लण्ड सटा के लिपटने लगता है। हाय। मुझे तो अब गिनती भी याद नहीं कि उसने कितनी बार चोदा होगा। सब तेरे मलहम का प्रताप है राजा।"
चन्दू चाचा (दूसरा धक्का मारते हुए) –"वाह चम्पा रानी तब तो नवजवान लड़के के नवजवान लण्ड से तुमने खूब खेला होगा, बड़े मजे किये होंगे।"
चम्पा चाची(नीचे से चूतड़ उछाल कर चन्दू का बचा लण्ड भी अपनी चूत में निगलते हुए) –"हाय चन्दू! मजे तो मैं इस समय भी कर रही हूँ राजा।पूरी जवानी चूत का खेत लण्ड के बिना सुखाने के बाद ऊपर वाले को तरस आ ही गया और सींचने को दो दो धाकड़ लण्ड भेज दिये।"
चन्दू चाचा (धक्का लगाते हुए) –"हाय चम्पा रानी ये हरा भरा मांसल बदन ये पावरोटी सी फ़ूली मालपुए सी चूत । ऊपर से मुहल्ले भर की बुज़ुर्ग चाची का ठप्पा चाहे जितना खेलो कोई कभी शक कर ही नहीं सकता। ऐसा बुढ़ापा ऊपरवाला सबको दे।" 
चाची हँस पड़ी। दोनों पुराने खिलाड़ियों ने तीसरे ही धक्के में पूरा लण्ड धाँस लिया और उछल उछल के चुदाई का मजा लेने लगे। 

अशोक और महुआ का किस्सा इससे कुछ ज्यादा रफ़्तार वाला था। दोनों ने एक दूसरे को हफ़्ते भर से देखा तक नहीं था, वैसे भी दोनों मे जिस्मानी ताल्लुक कभी कभार आधा अधूरा ही होता था सो दोनों को ही चन्दू चाचा के इलाज के असर को आजमाने की जल्दी थी। कमरे में पहुँचते ही अशोक महुआ से लिपट गया और बोला –"महुआ रानी, कितने दिनों बाद तू हाथ आई है अब बोल तू है तैयार! कुश्ती के लिए, आज मैं कोई रियायत करने के मूड में नहीं हूँ।" 
महुआ –"घबरा मत राजा आज मैं पीछे हटने वाली नहीं हूँ।"
तभी अशोक ने महुआ के पेटीकोट में हाथ डाल के उसकी चूत दबोच ली, महुआ ने सिसकी की तो अशोक ने उंगली चुभो दी। उसने पाया कि चूत पहले की तरह ही टाइट है वो आश्चर्य से बोला –"तू तो बोली थी कि तेरा इलाज पूरा हो चुका ये तो वैसी ही टाईट है?"
महुआ –"यही तो चाचा के मलहम का कमाल है।"
"देखते हैं"
कहते हुए अशोक ने उसके कपड़े नोच डाले महुआ ने भी तुर्की बतुर्की उसे नंगा कर दिया ये देख अशोक ने नंगधड़ग महुआ को उठाके बिस्तर पर पटक दिया महुआ ने दोनों टाँगे फ़ैला कर उसके लण्ड को चुनौती दी अशोक उसपर टूट पड़ा। दोनों ने उस रात पहले ही राउण्ड में इतनी धुआंदार चुदाई की, कि न चाहते हुए भी उस थकान से उन्हें कैसे नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला।

 करीब रात के दो बजे पहले अशोक फ़िर महुआ की नींद खुली दोनों ने मुस्कुरा के एक दूसरे की तरफ़ देखा।
महुआ –"कहो कैसी रही। क्या ख्याल है मेरे बारे में?"
अशोक –"भई वाह तुमने तो आज कमाल कर दिया।"
महुआ –"कमाल तो चाचा के मलहम का है।"
अशोक –"भई इस कमाल के बाद तो मेरे ख्याल से इनका नाम चन्दू वैद्य के बजाय चोदू वैद्य होना चाहिये।
इस बात पर महुआ को हँसी आ गई, अशोक भी हँसने लगा। तभी चाची के कमरे से हँसने की आवाज आई।
अशोक –"लगता है ये लोग भी जाग रहे हैं चलो वहीं चलते हैं।
महुआ कपड़े पहनने लगी तो अशोक बोला –"कपड़े पहनने का झंझट क्यों करना जब्कि तेरा सब सामान चाचा ने और मेरा सब सामान चाची ने देखा और बरता है।"
सो दोनों यूँ ही एक एक चादर लपेट के चाची के कमरे में पहुँचे। चन्दू चाचा पलंग पर नंगधड़ग बैठे थे और चम्पा चाची उनकी गोद में नंग़ी बैठी उनका लण्ड सहला रही थी चाचा उनकी एक चूची का निपल चुभला रहे थे और दुसरी चूची सहला रहे थे। इन्हें देख चाची चन्दू चाचा की गोद से उठते हुए बोलीं –"आओ अशोक बेटा अभी तेरी ही बात हो रही थी।"
चन्दू चाचा – "आ महुआ बेटी मेरे पास बैठ।" कहकर चाचा ने उसे गोद में बैठा लिया।
अशोक –"मेरे बारे में क्या बात हो रही थी चाची?"
चाची (खींच के अशोक को अपनी गोद में बैठाते हुए)–"अरे मैंने इन्हें बताया कि मेरे अशोक का लण्ड दुनियाँ का शायद सबसे लंबा और तगड़ा लण्ड नाइसिल के डिब्बे के साइज का है। इसीपर ये हँस रहे थे कि धत पगली कही ऐसा लण्ड भी होता है। अब तू इन्हें दिखा ही दे।"
कहकर चाची ने अशोक की चादर खींच के उतार दी। इस कमरे में घुसते समय का सीन देख अशोक का लण्ड खड़ा होने लगा ही था फ़िर चम्पा चाची के गुदाज बदन से और भी टन्ना गया। चम्पा चाची ने अशोक का फ़नफ़नाता लण्ड हाथ में थाम के चन्दू चाचा को दिखाया –"ये देख चन्दू।"
चन्दू चाचा – "भई वाह चम्पा तू ठीक ही कहती थी, तो महुआ बेटी तूने आज ये अशोक का पूरा लण्ड बर्दास्त कर लिया या आज भी कसर रह गई।"
इस बीच महुआ अपने बदन से चादर उतार के एक तरफ़ रख चुकी थी, चन्दू चाचा के गले में बाहें डालते हुए बोली –"नही चाचा मैने पूरा धँसवा के जम के चुदवाया आपका इलाज सफ़ल रहा।"
चन्दू चाचा(उसके गाल पर चुम्मा लेते हुए) –"शाबाश बेटी!"

चाची (अशोक का लण्ड सहलाते हुए) –"अब तो तेरे इस चोदू लण्ड को मेरी भतीजी से कोई शिकायत नहीं।"
अशोक ने मुस्कुरा के चाची के फ़ूले टमाटर से गाल को होठों में दबा जोर का चुम्मा लिया और बायाँ हाथ उनके बाँये कन्धे के अन्दर से डाल उनका बाँया स्तन थाम दाहिने हाथ से उनकी चूत सहलाते हुए बोला- "जिसे एक की जगह दो शान्दार चूतें मिलें वो क्यों नाराज होगा।"
चाची (मुस्कुराकर अशोक का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ते हुए) –"हाय इस बुढ़ापे में मैंने ये अपने आप को किस जंजाल में फ़ँसा लिया। चन्दू मैं तेरी बहुत शुक्रगुजार हूँ जो जो तू ने मेरी भतीजी का इलाज किया। जब भी इस गाँव के पास से निकलना सेवा का मौका जरूर देना। पता नहीं तेरे बाद मेरे गाँव की लड़कियों का कौन उद्धार करेगा ।"
चन्दू (महुआ के गुदाज चूतड़ों की नाली में लण्ड फ़ँसा के रगड़ते हुए)-" मेरा बेटा नन्दू सर्जन डाक्टर है, उसे मैंने ये हुनर भी सिखाया है उसने पास के गाँव में दवाखाना खोला है वो न सिर्फ़ आस पास के गाँवों की लड़कियों की चूते सुधारता है बल्कि जवान औरतों की बच्चा होने के बाद या शौकीन चुदक्कड़ औरतों, बुढ़ियों की ढीली पड़ गई चूतें भी आपरेशन और मेरे मलहम की मदद से सुधार कर फ़िर से सोलह साल की बना देता है।"
ये सुन सबके मुँह से निकला वाह कमाल है तभी चन्दू चाचा मुस्कुराये और अशोक को आँख के इशारे से शुरू करने इशारा किया अशोक भी मुस्कुराया और अचानक चन्दू चाचा और अशोक ने चम्पा चाची और महुआ को बिस्तर पर पटक दिया और लण्ड ठाँस कर दनादन चुदाई शुरू कर दी, दोनों औरतें मारे आनन्द के किलकारियाँ भर रही थी। उस रात चन्दू चाचा और अशोक ने चूतें बदल बदल के धुँआदार चुदाई की।
अगले दिन अशोक और महुआ लखनऊ लौट गये चन्दू चाचा, चम्पा चाची के बचपन के बिछ्ड़े यार थे सो उस जुदाई के एवज में एक हफ़्ते तक रुक जी भरकर उनकी चूत को अपना लण्ड छकाते रहे।
अब सब की जिन्दगी मजे से कट रही है जिन दिनों महुआ महीने से होती है वो चम्पा चाची को लखनऊ बुला लेती है और उन दिनों चम्पा चाची अशोक के लण्ड की सेवा अपनी चूत से करती हैं महुआ के फ़ारिग होने के बाद भी अशोक दो एक दिन उन्हें रोके रखता है और एक ही बिस्तरे पर दो दो शान्दार गुदाज बदनों से एक साथ खेल, एक साथ मजा लेता है और चूतें बदल बदल कर चोदता है। इसके अलावा अशोक जब भी काम के सिलसिले में चम्पा चाची के गाँव जाता है और वादे के अनुसार चाची की चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाता है । चम्पा चाची भी काफ़ी बेतकल्लुफ़ हो गई हैं चु्दवाने की इच्छा होने पर मूड के हिसाब से अशोक को या चन्दू चाचा को बुलवा भी लेती हैं या उनके पास चली भी जाती हैं।
तो पाठकों! जैसे अशोक और चम्पा चाची के दिन फ़िरे वैसे सबके फ़िरें।



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..............raj.....................

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