गोरी गोरी लैला चाची-2
प्रेषक : इमरान
"दुआ से काम नहीं चलेगा चचाजी। इमरान को माल चाहिये माल चाची के बदन का !" काशीरा चचाजी के लंड को मुठियाते हुए बोली "और आप जल्दी करो, इस मुस्टंडे को फ़िर से जगाओ, आज की रात उसे सोने नहीं मिलेगा, इस बार घंटे भर नहीं चोदा तो तलाक दे दूंगी !
उनकी नोंक झोंक चलती रही, मैं उठ कर चाची के कमरे की तरफ़ चल दिया।
इधर मैं चाची के कमरे में दाखिल हुआ तो अंधेरा था। पलंग पर लेटी हुई चाची का आकार अंधेरे में धुंधला सा दिख रहा था। जोर से सांस लेने की आवाज आ रही थी।
"कौन?" चाची ने पूछा।
"चाची, मैं इमरान ! चचाजी बोले... कि !"
"इमरान बेटे?.. आ जा मेरे पास जल्दी ! कब से राह देख रही हूँ !" चाची ने खुश होकर कहा।
मैं जाकर उनके पास बैठ गया, उनके माथे पर हाथ रखकर बोला- चाची सिर में दर्द है क्या? दबा दूँ?
चाची बोली- अरे बेटे, पूरे बदन में दर्द है, जल रहा है, कहाँ कहाँ दबायेगा?
और मेरा हाथ अपनी छाती पर रख लिया। मेरे हाथ में सीधे उनकी नर्म नर्म बड़ी बड़ी चूचियाँ आ गईं।
मैंने हाथ और नीच खिसकाया तो उनका नरम नरम पेट और उसके नीचे पाव रोटी जैसी बुर का मांस हाथ में आ गया।
चाची नंगी थीं, नंगी ही मेरा इंतजार कर रही थीं। मैं हाथ चाची के बदन पर फ़ेरने लगा। एकदम चिकना मखमली गद्दी जैसा बदन था चाची का।
"चाची, आप बस कहो कि मैं क्या सेवा करूँ आपकी? वहाँ काशीरा चचाजी की मन लगा कर सेवा कर रही है तो चचाजी बोले कि इमरान, जा देख चाची को कुछ चाहिये क्या?"
चाची ने टटोल कर मेरा लंड पकड़ लिया- तैयार होकर आया है इमरान बेटे, मैं सोच रही थी कि तेरे चचाजी मुझे भूल गये क्या? इतनी देर कहाँ लगा दी बेटे? तेरे चचाजी तो कह कर गये थे कि बस अभी इमरान को भेजता हूँ। जरा पास आ ना, ऐसे !
और चाची ने आधा उठकर मेरे लंड को पकड़ा और चूमने लगीं। फ़िर मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मैं बोला- चाची, असल में मैं थोड़ा रुक कर देख रहा था कि काशीरा ठीक से चचाजी की देख रेख कर रही है या नहीं, इसीलिये टाइम लग गया। ओह चाची .. कहाँ मैं आपकी सेवा में आया था... और कहाँ आप मुझे.. आह चाची .. बहुत अच्छा लगता है चाची.. अरे चाची ... जीभ मत लगाइये ना... मैं अभी झड़ जाऊँगा !
और टटोल कर मैंने फ़िर चाची की चूचियाँ पकड़ लीं।
"अरे स्वाद चख रही थी। दबा ना और जोर से, बचपन में तुझे गोद में बिठा कर खिलाती थी तब तो जोर से पकड़ लेता था बदमाश, अब बड़ा हो गया तो और जोर से दबा। पसंद आईं कि नहीं?"
"चाची ... बहुत मुलायम और बड़ी हैं .. कब से इनके बारे में सोच रहा था चाची.. चाची अब छोड़िये ना मेरा लंड .. इससे आपकी कुछ सेवा करने दीजिये पहले !" मैंने चाची के मम्मे जोर जोर से दबाते हुए कहा।
"अच्छा कड़क है रे इमरान तेरा, लगता है जैसे वो रोटी बनाने का छोटा बेलन है... हाँ ऐसे ही दबा... मसल जोर से... और जरा ऐसे खींच ना इनको... बहुत सनसना रही हैं ये !" चाची ने कहा और मेरी उंगलियाँ अपने निप्पलों पर लगाकर दबा कर खींचने लगीं।
मैं चाची के निप्पल मसलता हुआ बोला- चाची.. मेरा जरा छोटा है... आपको तो चचाजी के मूसल की आदत हो गई होगी !
"बहुत अच्छा है बेटे तेरा, बड़ा रसीला है। देख ना क्या हालत हो गई है मेरी इस सौत की !" चाची ने मेरा दूसरा हाथ अपनी जांघों के बीच दे दिया। चाची की बुर इतनी गीली थी कि पानी टपक रहा था, सौंधी सौंधी महक आ रही थी।
"चाची, लाइट जला दूँ क्या, जरा आपका यह रसीला बदन देखने तो दीजिये ना मुझे। बुर कितनी मखमली है आपकी, एकदम चिकनी है, आज ही शेव की है लगता है, जरा देखने दीजिये ना !" मैंने फ़रमाइश की।
"अरे कल दोपहर को दिन के उजाले में देख लेना मेरे लाल, अभी अंधेरा रहने दे, अंधेरे का और ही मजा है, आ अब चुम्मा दे। आज शेव की है बेटे, वैसे दो हफ़्ते में इतनी बढ़ जाती है कि झुरमुट हो जाता है। तुझे कैसी पसंद है बेटे?"
"चाची, दोनों पसंद हैं, बदल बदल के मजा आता है। वैसे काशीरा की झांटें बड़ी ही रहती हैं, वो तो बस दो तीन महने में एक बार कभी शेव कर लेती है। पर मां कसम चाची, आपकी बुर इतनी गद्देदार है कि .. जैसे अभी अभी बनी हुई पाव रोटी हो !"
"तो ये पाव रोटी भी खिला दूंगी तेरे को, अभी तो मेरे को चुम्मा दे।"
मैं चाची के पास लेट कर उनको चूमने लगा। उन्होंने मुँह खोल कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। एक हाथ से मैं उनके मम्मे मसल रहा था और एक से उनकी बुर में उंगली कर रहा था।
बुर इतनी गीली और चिपचिपी थी कि मुझसे रहा नहीं गया। उठ कर मैं अलग हुआ तो चाची बोली "अरे भाग कहाँ रहा है?"
"भाग नहीं रहा चाची, आपकी बुर चूसने जा रहा हूँ, इतना बेशकीमती शहद फ़ालतू बह रहा है।"
चाची ने हंस कर टांगें फ़ैला दीं और बोलीं- अरे ये बात है? तो आ जा, खुश कर दूंगी तुझे !
मैंने अंधेरे में होंठों से टटोल कर उनकी बुर ढूंढी, उनके पेट को चूमते हुए नीचे की ओर आया और मुँह लगा दिया।
चाची मेरे सिर को पकड़कर बोलीं "चाट ले बेटे, वहाँ टांगों पर भी बह आया है, अरे एक घंटे से इंतजार करते करते दो बार उंगली से मुठ्ठ मार चुकी हूँ।"
खूब देर मैंने चाची की बुर चाटी और चूसी, दो बार उनको झड़ाया और आधा कटोरी रस पिया। बुर में उंगली की तो पता चला कि कितनी गहरी और खुली हुई बुर थी चाची की।
मैंने तीन उंगली डालीं तो वो भी आराम से चली गईं- चाची, क्या चूत है आपकी, मेरे बस की बात नहीं है, लगता है सिर्फ़ चचाजी का लंड ही आप को चोद सकता है, मेरा तो इतना बड़ा नहीं है।
"दिल छोटा न कर बेटे, तू बहुत प्यार से चूसता है, वैसे आज कल मुझे चुसवाने में ही ज्यादा मजा आता है। चिंता मत कर, तेरा लंड प्यासा नहीं रहेगा। अब और चूस, आज घंटे भर तक चुसवाऊंगी। अब ठीक से बता, तेरे चचाजी ने चोदा बहू को? अरे तेरे चचाजी दीवाने हैं बहू के, जब से देखा है, लंड खड़ा कर के तनतनाते रहते हैं, कल से लंड पकड़कर घूम रहे हैं, बहू के नाम से लंड हाथ में लेकर मुठियाते रहते हैं। आज बोले कि बहू आँखें मटकाकर इशारे कर रही है तो मैंने ही कहा कि जाओ, हाथ साफ़ कर आओ। आज राहत मिली होगी उनको !"
मैंने पूरी कहानी सुनाई। सुन कर चाची गरमा गईं- इनको तो मजा आ गया होगा, नई जवान बहू और उसकी चुस्त चूत, इनको तो जन्नत मिल गई होगी। तूने उनका लंड देखा?
मैंने हाँ कहा, यह भी बताया कि काशीरा कैसी फ़िदा थी उस पर- चाची, वहाँ चचा काशीरा के नाम पर लंड हाथ में लेते हैं, और यहाँ काशीरा उनके लंड के बारे में सोच सोच कर दिन भर अपनी बुर में उंगली करती रहती है। आज तो मेरे पीछे ही पड़ गई कि चचाजान से चुदवाऊँगी !
यह नहीं बताया कि काशीरा के साथ साथ मैं भी चचा के उस महाकाय लंड का दीवाना हो गया था।
"बड़ी गरम बहू है तेरी, तेरे सामने तेरे चचा से चुदवा लिया, अब ऐसा करना कि कल तू उसे भी साथ ले आना, उसके सामने मैं उसके मर्द को चोदूंगी। अब ऐसा कर कि पूरी जीभ अंदर डाल के चाट, अंदर बहुत रस है मेरे राजा, सब तेरे लिये है।"
"चाची अब चोद लूं?" मैंने आधे घंटे के बाद पूछा।
"हाँ आ जा मेरे बच्चे, आज कल मेरी बुर बड़ी प्यासी रहती है, तेरे चचाजी चोदते कम हैं, बस गांड ज्यादा मारते हैं मेरी !"
मैं अंधेरे में ही चाची पर चढ़ा और चाची ने अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत में घुसेड़ लिया। मैं चोदने लगा। एकदम ढीली चूत थी चाची की, पर बहुत गीली थी और एकदम मुलायम और गरम थी। मेरा लंड आराम से 'फ़च' 'फ़च' 'फ़च' करता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था।
"मजा आया इमरान?"
"हाँ चाची, बहुत मखमली चूत है आपकी। पर आपको तो पता ही नहीं चल रहा होगा मेरे लंड का?" मैंने कस के धक्के लगाते हुए कहा।
"अरे नहीं बेटे, बहुत अच्छा लग रहा है, इतना कड़ा है तेरा लंड, और कैसे थरथराता है मेरी बुर के अंदर, तू चोद मन लगाकर, और आराम से चोद, जल्दी करने की जरूरत नहीं है, मुझे बहुत देर हौले हौले चुदवाना अच्छा लगता है.. और ले.. मेरा मम्मा तो चूस.. मुँह में ले ले !" कह कर चाची ने अपना मोटा मोटा नरम नरम मम्मा मेरे मुँह में ठूंस दिया।
काफ़ी देर के बाद मैंने कहा- चाची, अब नहीं रहा जाता... अब झड़ जाऊँ?
"यहाँ नहीं बेटे, तेरे लिये दूसरी जगह है झड़ने ले लिये। पर वो बाद में, इतनी जल्दी थोड़े छोड़ूंगी तुमको, पहले इधर आ, यहाँ नीचे लेट, तूने मेरे बदन का इतना स्वाद लिया, अब मुझे भी लेने दे !"
मैं बिस्तर पर चित लेट गया, चाची मेरे ऊपर चढ़ गईं। अंधेरे में मुझे महसूस हुआ कि उनकी मोटी मोटी टांगें मेरे सिर के दोनों ओर आ गई हैं। फ़िर वे नीचे बैठ गईं, गीले चिपचिपे मांस ने मेरा मुँह ढक लिया। उनकी चूत इतनी बड़ी थी कि उसने मेरे चेहरे का पूरा निचला भाग अपने में समा लिया।
वे चूत रगड़कर बोलीं- अब फ़िर से चूस, बहुत अच्छा लगता है रे जब तू चूसता है, तब तक मैं देखती हूँ कि तेरा स्वाद कैसा है !
मैं उनके मोटे मोटे चूतड़ पकड़कर उनकी बुर पर पिल पड़ा। वहाँ मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड किसी गरम गीली गुफ़ा में घुस गया हो। चाची उसे मुँह में लेकर चूस रही थीं।
चाची का अस्सी किलो वजन मेरे ऊपर था पर मेरी मस्ती में मैं आराम से उसे सह रहा था। बीच में चाची अपनी बुर थोड़ी उठा लेतीं और मैं गर्दन लंबी करके जीभ से लपालप चाटता। फ़िर वे पूरा वजन देकर मेरे मुँह पर बैठ जातीं और मेरी मुँह उनकी बुर में समा जाता।
थोड़ी देर में मैं झड़ गया, चाची ने मेरा वीर्य पूरा निगल लिया। झड़ने के बाद मैं थोड़ा लस्त हो गया, चाची की बुर चूसना बंद कर दिया।
चाची बोलीं- वाह मेरे राजा, अपना काम हो गया तो चूसना बंद कर दिया? अरे ये बुर आज तेरी खातिर रस छोड़ रही है, पूरा पी जा। चल जीभ चला जल्दी जल्दी !"
मैं फ़िर चूसने लगा। चाची मेरे मुँह पर कस के बुर रगड़ रही थीं। उनका क्लिट मेरे होंठों पर किसी चिकने पत्थर जैसा लग रहा था। उन्होंने मेरे लंड को चूसना जारी रखा। मैंने कुलबुला कर लंड मुँह से निकालने की कोशिश की तो चाची ने उसे हौले हौले चबाना शुरू कर दिया।
फ़िर बोलीं- अब नखरे करेगा तो चबा कर खा जाऊँगी, सच कहती हूँ, चुपचाप मुँह चलाता रह और मुझे अपने मन की करने दे !
थोड़ी देर में मुझे फ़िर अच्छा लगने लगा और मैं कमर उचका कर चाची का मुँह चोदने की कोशिश करते हुए चाची के भगोष्ठ मुँह में लेकर चूसने लगा।चाची फ़िर बलबला कर मेरे मुँह में झड़ गईं।
थोड़ी देर के बाद वे लुढ़क कर अलग हो गईं- हाँ.. अब कुछ तसल्ली मिली.. मैं तो परेशान हो गई थी... बड़े प्यार से चूसता है तू इमरान, बहू तो खुश होगी तुझ पर? अब मेरे ऊपर आ जा और अपनी प्यास बुझा ले !
मैं अंधेरे में चाची के ऊपर फ़िर चढ़ा तो समझ में आया कि वे पट लेटी हुई थीं। मेरा सुपारा उनके गुदाज चूतड़ों के बीच घिस रहा था।
"चाची... गांड मार लूँ?"
"तो मैं क्या फ़ालतू पट लेटी हूँ नालायक? चल मार जल्दी। तू भी तो अपने चचा का ही भतीजा है, गांड के चक्कर में रहता होगा, है ना? इसलिये सोचा कि आज बिन मांगे तेरी मुराद पूरी कर दूँ !"
मैंने लंड पेल दिया। पक्क से पूरा लंड चाची की गांड में समा गया, एकदम ढीली और नरम गांड थी।
"चाची यह तो ऐसे घुस गया हो कि जैसे गांड नहीं चूत हो !" मैंने कहा और लंड अंदर-बाहर करने लगा।
"अरे तेरे चचा हैं ना गांड के पुजारी। पहले चोद चोद के मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया, फ़िर गांड की पूजा कर कर के मेरी गांड भी चूत जैसे खोल दी। चल मार, आजकल मुझे भी चस्का लग गया है गांड मराने का !" कहकर चाची चूतड़ हिलाने लगीं। मेरे हाथ उठाकर उन्होंने अपने बदन के नीचे कर लिए- मम्मे दबा ना। मम्मे दबा दबा कर मारी जाती है गांड !
चाची के मोटे मोटे मम्मे दबाता हुआ मैं उनकी गांड चोदने लगा।
"तूने बताया नहीं कि बहू के साथ क्या करता है, तू जिस तरह से चूसता है, वो तो बेहद खुश होगी तेरे से?"
"हाँ चाची, बड़ा प्यारा रस है उसकी बुर का, एकदम शहद है, आप जैसा ही। पर चाची, महाचुदैल है, चुदाने की प्यास ही नहीं बुझती, इसलिये तो चचा के लंड से चुदाने को मरी जा रही थी। आज जब मेरे सामने चुदी तो थोड़ी शांत हुई। वैसे आज शायद चचाजान से रात भर चुदवायेगी वो !"
"अरे तेरे चचा पूरा ठंडा कर देंगे उसको, बड़ा जानदार लण्ड है उनका, तूने देखा ही है। पर यह बता, चुदा चुदा कर उसकी चूत फ़ुकला नहीं हुई अब तक? नहीं हुई तो अब हो जायेगी, तेरे चचा तो भोसड़ा बना देंगे उसका मेरी तरह !"
"बड़ा खयाल भी रखती है तेरी चाची अपनी बुर का। योगासन करती है, रोज बर्फ़ से सेकती है अंदर से कि टाइट रहे !"
"तू गांड भी मारता है क्या बहू की?" चाचीजी ने कमर हिलाते हुए पूछा।
"हाँ चाची, कभी कभी मारता हूँ.. जब वो मारने दे.. पर वो तो चुदाती ज्यादा है... ओह चाची.. आपकी गांड बहुत मीठी है.. कैसे मेरे लंड को पुचकार रही है !"
"अरे तूने इतना सुख दिया है, उसका बदला चुका रही है। वैसे तेरे चचा उसकी गांड मारने के लिये मरे जा रहे होंगे !"
"वो घास नहीं डालेगी चाची, मराती वो सिर्फ़ मुझसे है, हाँ चुदवा लेती है किसी से भी। मालूम है चाची, मेरे कई दोस्तों से चुदवा चुकी है। पिछले साल हम घूमने गये थे तब होटल का वेटर पसंद आ गया था, उसी से चुदवा लिया। उसके पहले जब हम हनीमून पर गये थे तो हमारे बाजू के कमरे में एक दूसरा जोड़ा था, उस मर्द से चुदवा लिया सुहागरात के दिन !"
"और तूने भी तो चोदा होगा उसकी औरत को। और जब वो चुदवाती है तेरे दोस्तों से, तो तू भी चोदता होगा उनकी बीवियों को?"
"हाँ चाची, मेरा बड़ा खयाल रखती है। जब वो वेटर से चुदवा रही थी तो वेटर से कह कर उसकी बहन को बुला लिया था काशीरा ने, वहीं होटल में नौकरानी थी। एक पलंग पर वो वेटर मेरी बीवी को चोद रहा था और दूसरे पलंग पर मैं उस वेटर की बहन की बुर खोल रहा था। बहुत प्यार करते हैं हम एक दूसरे से चाची, और खूब चुदाई करते हैं।"
"काशीरा की बुर कैसी है रे? उसकी चुदाई के किस्से सुन सुन कर मेरे मुँह में भी पानी आ रहा है।" चाची एक गहरी सांस लेकर बोलीं।
"चाची, आप खुद देख लेना, वो काफ़ी शौकीन है, औरतों से भी इश्क कर लेती है, आप को भी पसंद करती है, कह रही थी कि चाची का बदन कैसा मस्त है, खोवे का गोला है गोला !"
"अरे उसे कह कि चख के देख ये खोवा, खुश हो जायेगी। तेरे चचा के लंड से कम नहीं है मेरी चूत !"
"चाची, चचाजी का लंड वाकई बड़ा मस्त है, जब काशीरा की बुर में जा रहा था, मेरा मन हुआ कि अरे मैं लड़की होती और काशीरा की जगह होता तो क्या मजा आता !" मैंने कह डाला, सोचा देखें चाची क्या कहती हैं।
"अरे उनका है ही ऐसा, कोई भी दीवाना हो जाये, वैसे क्या फ़रक पड़ता है कि तू लड़की नहीं है, तू भी मजा ले ले, चचाजी तेरे को मना नहीं करेंगे, अरे तू तो घर का है और तेरी भी तारीफ़ कर रहे थे, बोले बहुत प्यारा जोड़ी है इमरान और काशीरा की, काशीरा सुंदर है तो इमरान भी कम नहीं है, लड़की होता तो बहुत सुंदर दिखता अपना इमरान भी। ऐसा कर, कल ही कह के तो देख चचा से, मैं भी साथ दूँगी तेरा, मुझे भी तो बहू चाहिये, जब तक मैं बहू के लाड़ करूँ, तू चचाजी से अपने लाड़ करवा ले, बल्कि मैं तो कहूँगी कि कहने सुनने के चक्कर में न पड़, सीधे जाकर उनका लंड पकड़ ले !"
"सच चाची? आपने तो मेरे दिल की बात कह दी.. चाची... ओह चाची... !" कहकर मैं झड़ गया।
"मजा आया ना बेटे? अब सो जा। आज ही सब जोश ठंडा न कर, कल के लिये बचा के रख !" चाची ने मुझे सीने से लगा लिया और थपथपा कर छोटे बच्चे जैसे सुला दिया।
कहानी चलती रहेगी।
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..............raj.....................
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