FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..45
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अब आगे
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ऑफीस पहुँचते ही उसे रचना का दीदार हो गया...वो मेन गेट पर रखे अटेंडेंस रजिस्टर पर साइन कर रही थी...टेबल पर झुकी होने की वजह से उसकी बाहर की तरफ निकली हुई गांड बड़ी मोहक लग रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे कोई चंचल हिरनी पानी पी रही हो...अजय को तो रचना भी इस वक़्त पूरी नंगी होकर उसी हिरणी की तरह झरने में झुककर पानी पीती हुई दिख रही थी
ऐसी उभरकर निकली हुई गांड को देखकर उसे छूने का मन कर गया अजय का...और वो तुरंत आगे आकर,उसकी गांड से अपने दाँये हाथ को रगड़ता हुआ उसके साइड में आकर खड़ा हो गया..
रचना ने उस एहसास को महसूस किया और अगले ही पल अजय को अपने इतने करीब देखकर वो सकपका सी गयी..और फिर उसकी आँखो में एक अजीब सी खुशी उभर आई और वो बड़े ही प्यार से मुस्कुरा कर बोली : "गुड मॉर्निंग सर....हाउ आर यू ....''
अजय उसे मुस्कुराते हुए देखता रहा और उसके विश का जवाब दिया...और साथ ही साथ वो उसके गले से झाँक रहे बूब्स को भी निहार रहा था...झुके होने की वजह से उसकी टाइट कुरती के गले से झाँक रहे उसके ब्रा में क़ैद नन्हे बूब्स बड़े ही कमाल के लग रहे थे...उन्हे दबाने और चूसने में जो मज़ा आएगा ये तो सिर्फ़ अजय ही जानता था...उसके जाने के बाद उसने भी एंट्री की और अपनी सीट पर आ गया.
कुछ ही देर में उसकी बॉस के साथ मीटिंग थी. कंपनी को एक बहुत ही बड़ा प्रॉजेक्ट मिला था..और अजय को प्रोमोट करके प्रॉजेक्ट मॅनेजर बना दिया गया था...ये अजय के लिए बहुत खुशी की बात थी...उसे अब क्यूबिकल केबिन के बदले अपना एक बड़ा सा , बंद कमरे वाला केबिन मिल गया..अजय के बॉस को उसपर बहुत भरोसा था और इस प्रॉजेक्ट को सही से निपटाने की पूरी उम्मीद भी..इसलिए उन्होने अजय को अपनी एक सेक्रेटरी रखने की भी इजाज़त दे दी.
अजय ने तुरंत रचना को अपनी सेक्रेटरी बनने की बात बोल डाली...हालाँकि वो ऑफीस को-ओर्डीनेटर थी और पूरे ऑफीस का काम देखती थी..लेकिन इतने बड़े प्रॉजेक्ट के लिए उसके बॉस ने वो बात एक ही बार में मान ली..
अजय खुशी-2 बाहर निकला और सबसे पहले उसने अनिल को अपनी प्रमोशन वाली खबर सुनाई..वो भी बहुत खुश हुआ और दोनो उसके नये केबिन में आ गये...
इतना आलीशान केबिन था वो...अटैच बाथरूम और एक बड़ा सा सोफा भी...एक कॉर्नर में उसके असिस्टेंट के लिए टेबल था, जिसपर रचना आकर बैठने वाली थी, अजय तो ये सब देखकर कुछ अलग ही सपने बुनने लगा..
वो अपने सपनो में खोया ही हुआ था की दरवाजा खटका और रचना अंदर आ गयी..
रचना ने आते ही अजय को प्रमोशन की बधाई दी और ये भी बताया की अभी-2 बॉस ने उसे बुलाकर ये कहा है की आज से वो अजय को एसिस्ट करेगी...अजय उसके चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश करने लगा की उसे इस बात की खुशी तो है ना...लेकिन वो उससे पहले ही बाहर निकल गयी...शायद अपना सारा समान समेटने गयी थी वो..
अनिल : "साले ..तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला...अपनी प्रमोशन के लपेटे में तूने रचना को भी लपेट लिया....सही है बॉस....वैसे भी इस प्रॉजेक्ट की वजह से बॉस तुझे किसी भी काम के लिए मना नही करेगा...चाहे तू उसकी बीबी की भी चूत मार ले इस वक़्त... हा हा..''
बात तो सही थी....अजय के अलावा इस प्रॉजेक्ट को कोई और पूरा भी नही कर सकता था...उसने काफ़ी मेहनत की थी इस प्रॉजेक्ट को लाने के लिए...
अजय : "भाई, जब उपर वाला मेहरबान होता है ना तो ऐसा ही होता है...आजकल मेरी लाइफ में जो चल रहा है ना उसके सामने तो ये कुछ भी नही है...चल ये सब छोड़, तू सुना, अंजलि भाभी का क्या हाल है...''
अनिल : "यार...आजकल पता नही क्या हो गया है उसे...तुझे बहुत याद करती है...''
अजय तो ये सुनते ही एकदम से घबरा गया...लेकिन फिर संभलकर बोला : "क्यो भाई...आजकल तू उन्हे खुश नही रखता क्या जो मुझे याद करती है....''
ऐसा मज़ाक उनमे अक्सर चलता रहता था...
अनिल : "अबे , ऐसा कुछ नही है...लेकिन पिछले एक हफ्ते में अक्सर तेरा कोई ज़िक्र छेड़ देती है...मैने तो कल बोल भी दिया की इतनी ही याद आ रही है तो उसे घर बुला लो... हा हा''
वो बेवकूफ़ हंस तो रहा था..पर ये नही जानता था की ये काम तो वो कब का कर चुकी है..
अजय : "भाई...एक बात सुन ले...जिस तरह से हम मर्दों का मन करता है ना बाहर की बिरयानी खाने का, उनका भी दिल मचलता है किसी और की टंगड़ी कबाब चूसने का...ये मैं अपने पर्सनल एक्सपीरिएंस से बोल रहा हू...समझा...''
ये सुनते ही अनिल एकदम सीरियस सा हो गया...जैसे ये बात उसे ही सुनाने के लिए कही थी अजय ने...
अजय : "अरे ...तू क्यो परेशान हो गया....अपने उपर ना ले ये सब...तू बस रचना के उपर फोकस रख...''
अनिल भी रचना के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ था.
अनिल : "अब क्या रचना पर फोकस रखू...उसे तो तूने अपनी सेक्रेटरी बना लिया है...अब तो वो मेरे पास आने से रही...लेकिन अपना वादा याद है ना...जब भी मिलेगी, मिल बाँटकर खाएँगे...''
अजय : "हाँ ..भाई...याद है...पहले मेरा नंबर तो लगने दे...''
और जिस हिसाब से उसकी स्टोरी रचना के साथ चल रही थी और उपर वाला उसपर मेहरबान था, वो नंबर भी जल्द ही लगने वाला था..
कुछ देर बैठकर अनिल अपनी जगह वापिस चला गया...रचना का कंप्यूटर और सारा सामान अजय के केबिन में शिफ्ट कर दिया गया, लंच के बाद रचना के साथ बैठकर उसने प्रॉजेक्ट से जुड़ी सारी बाते समझाई...और उसका बॉस होने के नाते उसे मन लगाकर काम करने की हिदायत भी दी...और साथ ही उसकी सैलेरी भी बड़ा दी ताकि उसे ये सब करने में थोड़ा मोटीवेशन भी मिले..
वो तो पहले से ही अजय की सेक्रेटरी बनने से काफ़ी खुश थी, उपर से इन इनक्रिमेंट ने तो उसे बहुत खुश कर दिया...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो अजय को कैसे थेंक्स बोले..
शाम के समय,एक पेपेर को फोटोकॉपी करते हुए जब वो नीचे गिरे पेपर को उठाने के लिए झुकी तो अजय का लंड एक बार फिर से हिनहीना उठा.....वो तुरंत खड़ा हुआ और रचना के पीछे जाकर खड़ा हो गया...और धीरे से उसने अपने शरीर को उसके बदन से सटा दिया.
रचना एकदम सहम गयी....ऑफीस में ये कैसी हरकत कर रहे है अजय...बस यही सोचकर उसने दरवाजे की तरफ देखा...
अजय ने उसके पेट पर हाथ रखते हुए कहा : "फ़िक्र ना करो...मेरे केबिन में मुझसे बिना पूछे कोई नही आएगा...''
और इतना कहकर उसने झुककर उसकी गर्दन पर एक छोटी सी किस्स कर दी..
वो सिहर उठी.
अजय : "तुम खुश तो हो ना...कही तुम्हे ऐसा तो नही लग रहा की मैने तुम्हे फँसा दिया है यहाँ ...बोलो...''
रचना : "नही नही...ऐसा बिल्कुल नही है....इन्फेक्ट मुझे तो इस बात की बहुत खुशी है...आप नही जानते ,मैं तो खुद आपको थेंक्स बोलने वाली थी...''
अजय उसकी गांड में अपने लंड को चुभोता हुआ बोला : "तो बोलो ना....रोका किसने है...''
रचना उसकी तरफ पलटी....उसका चेहरा शर्म से लाल हुआ पड़ा था...आँखो में गुलाबीपन था ...वो धीरे से बोली : "ऐसे नही....ढंग से बोलूँगी आपको थेंक्स ..घर जाते हुए...कार में ...''
और अजय के खड़े हुए लंड को घिसते हुए वो वापिस अपनी चेयर पर जाकर बैठ गयी..
अजय तो उसके बोलने का तात्पर्य समझकर ही उत्तेजना के पेड़ पर जा बैठा ..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त वो उसके साथ कार में होता...या कहीं और, जहां किसी बात का डर ना होता तो वो उसे वही नंगा करके चोद डालता...
लेकिन ,जब शेर का पेट भरा होता है तो वो अपने नये शिकार के साथ थोड़ा खेलता है...यही अजय भी करना चाहता था...अपनी कॉलेज लाइफ में और कुंवारेपन में जो मज़े वो नही ले पाया था, वो अब रचना के साथ लेना चाहता था...चुदाई के लिए तो अभी उसके पास काफ़ी माल था...
रचना के लिए तो अजय एक पहले प्यार जैसा ही था...थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ ,किस्सस, गले मिलना और रोमांस करना ही नये प्यार करने वालो के लिए बहुत है...हालाँकि अजय कई चूतें मार चुका था, लेकिन इस नये प्यार के एहसास ने उसके भी दिल की तरंगे बजा दी थी ..
और दोनों अपने-२ एहसासों में डूबे शाम का इन्तजार करने लगे
शाम को जब छुट्टी का टाइम हुआ तो अजय अपने बॉस के पास बैठा हुआ था...वो बॉस के केबिन में बैठकर देख पा रहा था की एक-एक करके सारे एंप्लायीस घर जा रहे है...लेकिन रचना अभी तक उसके केबिन में ही रुकी हुई थी...शायद उसे अजय का इंतजार था,आज की शाम उसे थेंक्स बोले बिना वो भी नही जाना चाहती थी.
लेकिन अजय के बॉस ने एक ऐसा टॉपिक छेड़ा हुआ था की वो मीटिंग एक घंटे से पहले निपटने वाली नही थी..अजय कुछ बोल भी नहीं सकता था..आख़िरकार नयी-2 प्रमोशन जो मिली थी उसको.
और करीब 15 मिनट तक अजय का इंतजार करने के बाद रचना भी अपना बेग समेटकर केबिन से बाहर निकल आई....जाते हुए वो उनके केबिन की तरफ ही देख रही थी...और उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की वो काफ़ी उदास है...
लेकिन अजय कुछ कर नही सकता था...बेचारा अपना लंड मसोसकर रह गया...कुछ ही देर में पूरा ऑफीस खाली हो गया...
करीब आधे घंटे बाद अजय के बॉस ने वो मीटिंग ख़त्म की...अजय ने अपने पेपर्स समेटे,केबिन में जाकर लॅपटॉप बेग में डाला और बुझे मन से ऑफीस से बाहर निकल आया.
बाहर का मौसम करवट ले चुका था..पूरे दिन घने बादल रहने के बाद अब बरस उठे थे...घनघोर बारिश हो रही थी...अजय ने मन में सोचा 'काश इस सेक्सी मौसम में रचना मेरे साथ होती..'
तभी पीछे से आवाज़ आई : "मेरे बारे में सोच रहे हो क्या ?''
अजय ने तुरंत पलट कर देखा, वो रचना थी...जो जाने कितनी देर से , ऑफीस के बाहर एक पेड़ के नीचे रुककर अजय का इंतजार कर रही थी..बारिश की बौछारों से उसका बदन भीग भी गया था, लेकिन वो पूरी नही भीगी थी..
अजय का चेहरा उसे देखकर फिर से खिल उठा , वो तो उसके बदन से बारिश की बूँदों को फिसलते देखकर मंत्रमुग्ध सा हो गया.
''अब देखते ही रहोगे या दरवाजा भी खॉलोगे....आई एम टोटली वेट्ट ...''
वो वेट्ट कहाँ -2 से है, ये अजय भी देखना चाहता था..
''ओह्ह्ह ...हाँ .....येस्स .....आओ जल्दी....'' अजय ने इतना कहकर तुरंत गाड़ी खोल दी और रचना दूसरी तरफ से अंदर आकर बैठ गयी.
अंदर बैठते ही रचना ने अपने बेग से एक हेंड टावल निकाला और अपने सिर और बाजुओं को पोंछने लगी....और अजय उसे ऐसा करते हुए एकटक देख रहा था.
रचना तो भाँप ही चुकी थी की अजय की नज़रें उसकी तरफ ही है.
वो बोली : "ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे...पहले कभी देखा नही क्या...''
अजय : "देखा तो है...लेकिन मुझे नही पता था की भीगने के बाद तुम और भी निखर जाती हो...बिल्कुल गुलाब की तरह...''
अजय की ये बात सुनकर वो शरमा गयी...लड़कियो को अपनी तारीफ और ऐसी बातें बहुत पसंद आती है...ये अजय बेख़ुबी जानता था.
अजय : "तुम तो नैचुरल ब्यूटी हो....पानी से धुलने के बाद तुम्हारा चेहरा इस लुक में और भी प्यारा लग रहा है...
वो कांपती आवाज़ में बोली : "अब बस भी करो सर ....और यहां से चलिए...''
अजय ने भी वहां से निकलने में भलाई समझी...क्योंकि उसके पीछे-2 उसके बॉस भी निकलने वाले थे और वो नही चाहता था की वो रचना को उसकी कार में देखे..
भारी बारिश की वजह से लोग सड़को पर नही थे...अजय भी कार बड़े आराम से चला रहा था...उसे पता था की अभी के लिए उसे और क्या-2 करना है.
उसने कार एक सुनसान सी जगह पर रोक दी....मैन हाइवे से थोड़ा अंदर लेजाकर ...चारों तरफ घने पेड़ थे, अँधेरा भी काफी था.
रचना समझ तो गयी थी की उसने कार क्यों रोकी है...फिर भी उसने पूछा : "क्या हुआ सर ....गाड़ी क्यों रोक दी...''
अजय : "देखो ना...कितनी बारिश है...एक्सीडेंट हो गया तो...तुम्हारे घर वाले तो मुझे ही पकड़ेंगे ना...''
वो हंस दी..साफ दिख रहा था की वो अब नर्वस हो रही है.
अजय : "तो....कैसे थेंक्स करना चाहती थी मुझे ''
अजय सीधा मुद्दे की बात पर आ गया.
सो सकपका सी गयी...और थोड़ा रुककर बोली : "मुझे शर्म आ रही है...''
अजय : "तो आँखे बंद कर लो...''
रचना : "मेरी आँखे बंद होने से कुछ नही होगा....आप बंद करो अपनी.''
अजय ने मुस्कुराते हुए आँखे बंद कर ली...और सोचा 'चाकू खरबूजे पे गिरे या खरबूजा चाकू पर,एक ही बात है, तू ही आजा'
फिर अजय को उसके हिलने का एहसास हुआ...और वो अपना घुटना सीट पर रखकर उसकी तरफ झुकी.
अजय को उसके परफयूम की महक बहुत करीब से महसूस हुई...वो उसे किस्स करने आई थी...अजय की आँखे बंद थी..
वो कुछ देर तक उसके भोले से चेहरे को देखती रही और बहुत ही धीमी आवाज़ में बोली : "थेंक्स अजय...थेंक्स फॉर एवरिथिंग ...''
और इतना कहकर उसने अपने लबों को अजय के होंठों से सटा दिया.
ये पहला मौका नही था जब अजय ने उसके होंठों को छुआ था...लेकिन इस वक़्त जो माहौल बना हुआ था उसका मुकाबला उस अंधेरी गली से नही किया जा सकता था जहाँ उन्होने पिछली बार किस्स की थी.
बारिश की बूंदे कार की छत पर तड़ातड़ बरस रही थी...और अंदर इतनी गर्म लड़की अजय को किस कर रही थी...अजय से और सब्र नही हुआ...उसने अपनी आँखे खोल दी...सामने रचना थी जो अपनी आँखे बंद करके अजय के होंठों को चूसने का लुत्फ़ उठा रही थी...अजय ने उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसकी किस्स का जवाब अपने तरीके से देने लगा.
वो भी कसमसाती हुई...आउच बोलती हुई, उसकी गोद में खींचती चली आई...ऐसा करने से अजय को दुगने मज़े का एहसास हुआ...एक तो उसकी मदमस्त गांड ठीक उसके खड़े लंड के उपर आकर टिक गयी...और उपर से उसके बूब्स भी अजय की छाती से पीसकर अपने नरम और कड़क पन के एहसास को एकसाथ छोड़ने लगे.
अजय ने अपने लंड को किसी तीर की तरह उसकी गांड में चुभोते हुए अपनी कमर हवा में उठा दी....और उसकी चुभन के एहसास से रचना भी काँप उठी...आख़िर लंड की छुवन होती ही ऐसी है...किसी भी जवान लड़की को अंदर तक गीला कर देती है...जो शायद इस वक़्त रचना के साथ भी हो चुका था...बाहर से तो उसका बदन भीग ही चुका था, अंदर से भी भीग जाने के बाद तो उसे ऐसा लगने लगा की वो पूरी गीली हो गयी है...और उसे ये 'गीलापन' बहुत अच्छा लग रहा था.
तभी एक जोरदार गर्जना के साथ बिजली चमकी ...और डरकर रचना और ज़ोर से लिपट गयी उससे...अजय को अपनी छाती पर उसके शूल चुभते हुए से महसूस हुए...वो धीरे-2 अपने हाथ उनपर ले गया...लेकिन रचना ने उन्हे पकड़कर नीचे कर दिया...उनकी किस्स अभी तक चल रही थी...दोनो एक दूसरे के होंठों को किसी पनीर के टुकड़े की तरह मज़े ले-लेकर चूस रहे थे..
अजय ने एक बार फिर से अपना हाथ उपर किया...और रचना के विरोध के बावजूद उसने रचना के बूब्स को पकड़ ही लिया..
उसे तो ऐसा लगा जैसे कोई सख़्त नारियल पकड़ लिया हो...उतने ही बड़े और लगभग उतने ही कठोर...ऐसे कड़क मुम्मे तो उसने आज तक नही पकड़े थे...शायद उसकी बॉडी का सारा खून इस वक़्त उसकी चुचियों में आकर जम चुका था...और उन्हे पत्थर बना दिया था...लेकिन अजय भी घाघ किस्म का आदमी था, उसने अपनी उंगलियों से जब उसके निप्पल को छेड़ा तो वो सारा खून एक पल में ही पिघल गया...और वो बूब्स अब किसी पानी से भरे गुब्बारे की तरह उसकी हथेली में फिसल रहा था...गीले कपड़े के साथ मुम्मे को पकड़ने में इतना मज़ा आता है ये अजय को आज ही पता चला..
अगले 5 मिनट तक अजय के हाथ उसके पूरे जिस्म पर घूमते रहे...कभी वो दोनो हाथों से उसके बूब्स दबाता...कभी हाथो को नीचे लेजाकर उसकी नाभि वाले हिस्से को मसलता...फिर पीछे लेजाकर उसकी गद्देदार गांड को मसलता.... और कभी उसकी जांघों की चर्बी को रगड़ता ...कुछ ही देर में उसने किसी कुशल और ठरकी दर्जी की तरह उसके हर अंग का सही से नाप ले लिया...
फिर जब साँस लेने के लिए दोनो के होंठ अलग हुए तो ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ी से भागती हुई दुनिया रुक गयी है..रचना अपना पूरा भार लिए अजय की गोद में चड़कर बैठी हुई थी...उसके कपड़े अस्त-व्यस्त हो चुके थे...अंदर से भावनाए जाग उठी थी...अजय ने कुछ बोलना या करना चाहा की तभी उसका मोबाइल बाज उठा...वो प्राची का फोन था.
अजय ने फोन उठा कर कान से लगा लिया...रचना ने भी देख लिया था की उसकी वाइफ का फोन है...फिर भी वो उसकी गोद ने नही उतरी...बल्कि अपना सिर उसके कंधे पर रखकर अपने होंठों से उसकी गर्दन पर किस्स करने लगी...उसे चूसने लगी.
प्राची को अजय की चिंता हो रही थी...बारिश काफ़ी तेज थी...वो उसे संभलकर घर आने के लिए बोल रही थी..अजय तो बस हूँ हाँ करता रहा ...क्योंकि उसकी गोद में बैठी रचना बड़े ही सैक्सुअल तरीके से अपने शरीर को घिसती हुई उसे किस्स कर रही थी..
कार में इस वक़्त ऐसा माहौल बन चुका था की अगर अजय चाहता तो वो इस वक़्त कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाती...पहले आशिक़ के हाथों अपनी जवानी मसलवाने में जो मज़ा आता है वो इस वक़्त रचना उठा रही थी...
लेकिन अजय तो हमेशा से ही तड़पाकर मज़े देने में एक्सपर्ट था...उसके हिसाब से अभी के लिए इतना बहुत था...क्योंकि आगे के लिए उसके पास और भी काफ़ी धांसू आइडिया थे जिसमे वो रचना के साथ हर तरह के मज़े ले सकता था.
अजय : "प्राची परेशान हो रही है...आई थिंक अब हमे चलना चाहिए....''
बेचारी रचना का चेहरा उतर सा गया...शायद वो भी सोच रही थी की ये कैसा आदमी है जो इतने अच्छे मौके का फयदा नही उठा रहा है...बेचारी बेमन से उसकी गोद से उतरकर वापिस अपनी सीट पर चली गयी...अजय ने गाड़ी स्टार्ट की और संभलकर चलाते हुए दोनो घर की तरफ चल दिए.
थोड़ी देर बाद दोनो नॉर्मल बातें करने लगे..और ऐसे ही बाते करते-2 उनका घर आ गया...
उसका तो उतरने का भी मन नही कर रहा था...लेकिन वो भी जानती थी की अभी के लिए तो कुछ पॉसिबल नही है...और वैसे भी ये मौके तो अब हर रोज आया करेंगे..
वो एक बार फिर से उसकी तरफ झुकी और एक छोटी सी किस्स करके जल्दी से उतर गयी.
और अजय वापिस अपने घर की तरफ चल दिया.
और घर जाते हुए एक बार फिर से उसके दिमाग़ में उसकी दोनो सालियों और सासू माँ के चेहरे घूम गये...आज की रात वो किसका शिकार करेगा ये तो वो नही जानता था...लेकिन जो भी होने वाला था उसके साथ उसके लिए तो वो खुद भी तैयार नही था.
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ठरकी की लाइफ में ..45
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ऑफीस पहुँचते ही उसे रचना का दीदार हो गया...वो मेन गेट पर रखे अटेंडेंस रजिस्टर पर साइन कर रही थी...टेबल पर झुकी होने की वजह से उसकी बाहर की तरफ निकली हुई गांड बड़ी मोहक लग रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे कोई चंचल हिरनी पानी पी रही हो...अजय को तो रचना भी इस वक़्त पूरी नंगी होकर उसी हिरणी की तरह झरने में झुककर पानी पीती हुई दिख रही थी
ऐसी उभरकर निकली हुई गांड को देखकर उसे छूने का मन कर गया अजय का...और वो तुरंत आगे आकर,उसकी गांड से अपने दाँये हाथ को रगड़ता हुआ उसके साइड में आकर खड़ा हो गया..
रचना ने उस एहसास को महसूस किया और अगले ही पल अजय को अपने इतने करीब देखकर वो सकपका सी गयी..और फिर उसकी आँखो में एक अजीब सी खुशी उभर आई और वो बड़े ही प्यार से मुस्कुरा कर बोली : "गुड मॉर्निंग सर....हाउ आर यू ....''
अजय उसे मुस्कुराते हुए देखता रहा और उसके विश का जवाब दिया...और साथ ही साथ वो उसके गले से झाँक रहे बूब्स को भी निहार रहा था...झुके होने की वजह से उसकी टाइट कुरती के गले से झाँक रहे उसके ब्रा में क़ैद नन्हे बूब्स बड़े ही कमाल के लग रहे थे...उन्हे दबाने और चूसने में जो मज़ा आएगा ये तो सिर्फ़ अजय ही जानता था...उसके जाने के बाद उसने भी एंट्री की और अपनी सीट पर आ गया.
कुछ ही देर में उसकी बॉस के साथ मीटिंग थी. कंपनी को एक बहुत ही बड़ा प्रॉजेक्ट मिला था..और अजय को प्रोमोट करके प्रॉजेक्ट मॅनेजर बना दिया गया था...ये अजय के लिए बहुत खुशी की बात थी...उसे अब क्यूबिकल केबिन के बदले अपना एक बड़ा सा , बंद कमरे वाला केबिन मिल गया..अजय के बॉस को उसपर बहुत भरोसा था और इस प्रॉजेक्ट को सही से निपटाने की पूरी उम्मीद भी..इसलिए उन्होने अजय को अपनी एक सेक्रेटरी रखने की भी इजाज़त दे दी.
अजय ने तुरंत रचना को अपनी सेक्रेटरी बनने की बात बोल डाली...हालाँकि वो ऑफीस को-ओर्डीनेटर थी और पूरे ऑफीस का काम देखती थी..लेकिन इतने बड़े प्रॉजेक्ट के लिए उसके बॉस ने वो बात एक ही बार में मान ली..
अजय खुशी-2 बाहर निकला और सबसे पहले उसने अनिल को अपनी प्रमोशन वाली खबर सुनाई..वो भी बहुत खुश हुआ और दोनो उसके नये केबिन में आ गये...
इतना आलीशान केबिन था वो...अटैच बाथरूम और एक बड़ा सा सोफा भी...एक कॉर्नर में उसके असिस्टेंट के लिए टेबल था, जिसपर रचना आकर बैठने वाली थी, अजय तो ये सब देखकर कुछ अलग ही सपने बुनने लगा..
वो अपने सपनो में खोया ही हुआ था की दरवाजा खटका और रचना अंदर आ गयी..
रचना ने आते ही अजय को प्रमोशन की बधाई दी और ये भी बताया की अभी-2 बॉस ने उसे बुलाकर ये कहा है की आज से वो अजय को एसिस्ट करेगी...अजय उसके चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश करने लगा की उसे इस बात की खुशी तो है ना...लेकिन वो उससे पहले ही बाहर निकल गयी...शायद अपना सारा समान समेटने गयी थी वो..
अनिल : "साले ..तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला...अपनी प्रमोशन के लपेटे में तूने रचना को भी लपेट लिया....सही है बॉस....वैसे भी इस प्रॉजेक्ट की वजह से बॉस तुझे किसी भी काम के लिए मना नही करेगा...चाहे तू उसकी बीबी की भी चूत मार ले इस वक़्त... हा हा..''
बात तो सही थी....अजय के अलावा इस प्रॉजेक्ट को कोई और पूरा भी नही कर सकता था...उसने काफ़ी मेहनत की थी इस प्रॉजेक्ट को लाने के लिए...
अजय : "भाई, जब उपर वाला मेहरबान होता है ना तो ऐसा ही होता है...आजकल मेरी लाइफ में जो चल रहा है ना उसके सामने तो ये कुछ भी नही है...चल ये सब छोड़, तू सुना, अंजलि भाभी का क्या हाल है...''
अनिल : "यार...आजकल पता नही क्या हो गया है उसे...तुझे बहुत याद करती है...''
अजय तो ये सुनते ही एकदम से घबरा गया...लेकिन फिर संभलकर बोला : "क्यो भाई...आजकल तू उन्हे खुश नही रखता क्या जो मुझे याद करती है....''
ऐसा मज़ाक उनमे अक्सर चलता रहता था...
अनिल : "अबे , ऐसा कुछ नही है...लेकिन पिछले एक हफ्ते में अक्सर तेरा कोई ज़िक्र छेड़ देती है...मैने तो कल बोल भी दिया की इतनी ही याद आ रही है तो उसे घर बुला लो... हा हा''
वो बेवकूफ़ हंस तो रहा था..पर ये नही जानता था की ये काम तो वो कब का कर चुकी है..
अजय : "भाई...एक बात सुन ले...जिस तरह से हम मर्दों का मन करता है ना बाहर की बिरयानी खाने का, उनका भी दिल मचलता है किसी और की टंगड़ी कबाब चूसने का...ये मैं अपने पर्सनल एक्सपीरिएंस से बोल रहा हू...समझा...''
ये सुनते ही अनिल एकदम सीरियस सा हो गया...जैसे ये बात उसे ही सुनाने के लिए कही थी अजय ने...
अजय : "अरे ...तू क्यो परेशान हो गया....अपने उपर ना ले ये सब...तू बस रचना के उपर फोकस रख...''
अनिल भी रचना के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ था.
अनिल : "अब क्या रचना पर फोकस रखू...उसे तो तूने अपनी सेक्रेटरी बना लिया है...अब तो वो मेरे पास आने से रही...लेकिन अपना वादा याद है ना...जब भी मिलेगी, मिल बाँटकर खाएँगे...''
अजय : "हाँ ..भाई...याद है...पहले मेरा नंबर तो लगने दे...''
और जिस हिसाब से उसकी स्टोरी रचना के साथ चल रही थी और उपर वाला उसपर मेहरबान था, वो नंबर भी जल्द ही लगने वाला था..
कुछ देर बैठकर अनिल अपनी जगह वापिस चला गया...रचना का कंप्यूटर और सारा सामान अजय के केबिन में शिफ्ट कर दिया गया, लंच के बाद रचना के साथ बैठकर उसने प्रॉजेक्ट से जुड़ी सारी बाते समझाई...और उसका बॉस होने के नाते उसे मन लगाकर काम करने की हिदायत भी दी...और साथ ही उसकी सैलेरी भी बड़ा दी ताकि उसे ये सब करने में थोड़ा मोटीवेशन भी मिले..
वो तो पहले से ही अजय की सेक्रेटरी बनने से काफ़ी खुश थी, उपर से इन इनक्रिमेंट ने तो उसे बहुत खुश कर दिया...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो अजय को कैसे थेंक्स बोले..
शाम के समय,एक पेपेर को फोटोकॉपी करते हुए जब वो नीचे गिरे पेपर को उठाने के लिए झुकी तो अजय का लंड एक बार फिर से हिनहीना उठा.....वो तुरंत खड़ा हुआ और रचना के पीछे जाकर खड़ा हो गया...और धीरे से उसने अपने शरीर को उसके बदन से सटा दिया.
रचना एकदम सहम गयी....ऑफीस में ये कैसी हरकत कर रहे है अजय...बस यही सोचकर उसने दरवाजे की तरफ देखा...
अजय ने उसके पेट पर हाथ रखते हुए कहा : "फ़िक्र ना करो...मेरे केबिन में मुझसे बिना पूछे कोई नही आएगा...''
और इतना कहकर उसने झुककर उसकी गर्दन पर एक छोटी सी किस्स कर दी..
वो सिहर उठी.
अजय : "तुम खुश तो हो ना...कही तुम्हे ऐसा तो नही लग रहा की मैने तुम्हे फँसा दिया है यहाँ ...बोलो...''
रचना : "नही नही...ऐसा बिल्कुल नही है....इन्फेक्ट मुझे तो इस बात की बहुत खुशी है...आप नही जानते ,मैं तो खुद आपको थेंक्स बोलने वाली थी...''
अजय उसकी गांड में अपने लंड को चुभोता हुआ बोला : "तो बोलो ना....रोका किसने है...''
रचना उसकी तरफ पलटी....उसका चेहरा शर्म से लाल हुआ पड़ा था...आँखो में गुलाबीपन था ...वो धीरे से बोली : "ऐसे नही....ढंग से बोलूँगी आपको थेंक्स ..घर जाते हुए...कार में ...''
और अजय के खड़े हुए लंड को घिसते हुए वो वापिस अपनी चेयर पर जाकर बैठ गयी..
अजय तो उसके बोलने का तात्पर्य समझकर ही उत्तेजना के पेड़ पर जा बैठा ..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त वो उसके साथ कार में होता...या कहीं और, जहां किसी बात का डर ना होता तो वो उसे वही नंगा करके चोद डालता...
लेकिन ,जब शेर का पेट भरा होता है तो वो अपने नये शिकार के साथ थोड़ा खेलता है...यही अजय भी करना चाहता था...अपनी कॉलेज लाइफ में और कुंवारेपन में जो मज़े वो नही ले पाया था, वो अब रचना के साथ लेना चाहता था...चुदाई के लिए तो अभी उसके पास काफ़ी माल था...
रचना के लिए तो अजय एक पहले प्यार जैसा ही था...थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ ,किस्सस, गले मिलना और रोमांस करना ही नये प्यार करने वालो के लिए बहुत है...हालाँकि अजय कई चूतें मार चुका था, लेकिन इस नये प्यार के एहसास ने उसके भी दिल की तरंगे बजा दी थी ..
और दोनों अपने-२ एहसासों में डूबे शाम का इन्तजार करने लगे
शाम को जब छुट्टी का टाइम हुआ तो अजय अपने बॉस के पास बैठा हुआ था...वो बॉस के केबिन में बैठकर देख पा रहा था की एक-एक करके सारे एंप्लायीस घर जा रहे है...लेकिन रचना अभी तक उसके केबिन में ही रुकी हुई थी...शायद उसे अजय का इंतजार था,आज की शाम उसे थेंक्स बोले बिना वो भी नही जाना चाहती थी.
लेकिन अजय के बॉस ने एक ऐसा टॉपिक छेड़ा हुआ था की वो मीटिंग एक घंटे से पहले निपटने वाली नही थी..अजय कुछ बोल भी नहीं सकता था..आख़िरकार नयी-2 प्रमोशन जो मिली थी उसको.
और करीब 15 मिनट तक अजय का इंतजार करने के बाद रचना भी अपना बेग समेटकर केबिन से बाहर निकल आई....जाते हुए वो उनके केबिन की तरफ ही देख रही थी...और उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की वो काफ़ी उदास है...
लेकिन अजय कुछ कर नही सकता था...बेचारा अपना लंड मसोसकर रह गया...कुछ ही देर में पूरा ऑफीस खाली हो गया...
करीब आधे घंटे बाद अजय के बॉस ने वो मीटिंग ख़त्म की...अजय ने अपने पेपर्स समेटे,केबिन में जाकर लॅपटॉप बेग में डाला और बुझे मन से ऑफीस से बाहर निकल आया.
बाहर का मौसम करवट ले चुका था..पूरे दिन घने बादल रहने के बाद अब बरस उठे थे...घनघोर बारिश हो रही थी...अजय ने मन में सोचा 'काश इस सेक्सी मौसम में रचना मेरे साथ होती..'
तभी पीछे से आवाज़ आई : "मेरे बारे में सोच रहे हो क्या ?''
अजय ने तुरंत पलट कर देखा, वो रचना थी...जो जाने कितनी देर से , ऑफीस के बाहर एक पेड़ के नीचे रुककर अजय का इंतजार कर रही थी..बारिश की बौछारों से उसका बदन भीग भी गया था, लेकिन वो पूरी नही भीगी थी..
अजय का चेहरा उसे देखकर फिर से खिल उठा , वो तो उसके बदन से बारिश की बूँदों को फिसलते देखकर मंत्रमुग्ध सा हो गया.
''अब देखते ही रहोगे या दरवाजा भी खॉलोगे....आई एम टोटली वेट्ट ...''
वो वेट्ट कहाँ -2 से है, ये अजय भी देखना चाहता था..
''ओह्ह्ह ...हाँ .....येस्स .....आओ जल्दी....'' अजय ने इतना कहकर तुरंत गाड़ी खोल दी और रचना दूसरी तरफ से अंदर आकर बैठ गयी.
अंदर बैठते ही रचना ने अपने बेग से एक हेंड टावल निकाला और अपने सिर और बाजुओं को पोंछने लगी....और अजय उसे ऐसा करते हुए एकटक देख रहा था.
रचना तो भाँप ही चुकी थी की अजय की नज़रें उसकी तरफ ही है.
वो बोली : "ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे...पहले कभी देखा नही क्या...''
अजय : "देखा तो है...लेकिन मुझे नही पता था की भीगने के बाद तुम और भी निखर जाती हो...बिल्कुल गुलाब की तरह...''
अजय की ये बात सुनकर वो शरमा गयी...लड़कियो को अपनी तारीफ और ऐसी बातें बहुत पसंद आती है...ये अजय बेख़ुबी जानता था.
अजय : "तुम तो नैचुरल ब्यूटी हो....पानी से धुलने के बाद तुम्हारा चेहरा इस लुक में और भी प्यारा लग रहा है...
वो कांपती आवाज़ में बोली : "अब बस भी करो सर ....और यहां से चलिए...''
अजय ने भी वहां से निकलने में भलाई समझी...क्योंकि उसके पीछे-2 उसके बॉस भी निकलने वाले थे और वो नही चाहता था की वो रचना को उसकी कार में देखे..
भारी बारिश की वजह से लोग सड़को पर नही थे...अजय भी कार बड़े आराम से चला रहा था...उसे पता था की अभी के लिए उसे और क्या-2 करना है.
उसने कार एक सुनसान सी जगह पर रोक दी....मैन हाइवे से थोड़ा अंदर लेजाकर ...चारों तरफ घने पेड़ थे, अँधेरा भी काफी था.
रचना समझ तो गयी थी की उसने कार क्यों रोकी है...फिर भी उसने पूछा : "क्या हुआ सर ....गाड़ी क्यों रोक दी...''
अजय : "देखो ना...कितनी बारिश है...एक्सीडेंट हो गया तो...तुम्हारे घर वाले तो मुझे ही पकड़ेंगे ना...''
वो हंस दी..साफ दिख रहा था की वो अब नर्वस हो रही है.
अजय : "तो....कैसे थेंक्स करना चाहती थी मुझे ''
अजय सीधा मुद्दे की बात पर आ गया.
सो सकपका सी गयी...और थोड़ा रुककर बोली : "मुझे शर्म आ रही है...''
अजय : "तो आँखे बंद कर लो...''
रचना : "मेरी आँखे बंद होने से कुछ नही होगा....आप बंद करो अपनी.''
अजय ने मुस्कुराते हुए आँखे बंद कर ली...और सोचा 'चाकू खरबूजे पे गिरे या खरबूजा चाकू पर,एक ही बात है, तू ही आजा'
फिर अजय को उसके हिलने का एहसास हुआ...और वो अपना घुटना सीट पर रखकर उसकी तरफ झुकी.
अजय को उसके परफयूम की महक बहुत करीब से महसूस हुई...वो उसे किस्स करने आई थी...अजय की आँखे बंद थी..
वो कुछ देर तक उसके भोले से चेहरे को देखती रही और बहुत ही धीमी आवाज़ में बोली : "थेंक्स अजय...थेंक्स फॉर एवरिथिंग ...''
और इतना कहकर उसने अपने लबों को अजय के होंठों से सटा दिया.
ये पहला मौका नही था जब अजय ने उसके होंठों को छुआ था...लेकिन इस वक़्त जो माहौल बना हुआ था उसका मुकाबला उस अंधेरी गली से नही किया जा सकता था जहाँ उन्होने पिछली बार किस्स की थी.
बारिश की बूंदे कार की छत पर तड़ातड़ बरस रही थी...और अंदर इतनी गर्म लड़की अजय को किस कर रही थी...अजय से और सब्र नही हुआ...उसने अपनी आँखे खोल दी...सामने रचना थी जो अपनी आँखे बंद करके अजय के होंठों को चूसने का लुत्फ़ उठा रही थी...अजय ने उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसकी किस्स का जवाब अपने तरीके से देने लगा.
वो भी कसमसाती हुई...आउच बोलती हुई, उसकी गोद में खींचती चली आई...ऐसा करने से अजय को दुगने मज़े का एहसास हुआ...एक तो उसकी मदमस्त गांड ठीक उसके खड़े लंड के उपर आकर टिक गयी...और उपर से उसके बूब्स भी अजय की छाती से पीसकर अपने नरम और कड़क पन के एहसास को एकसाथ छोड़ने लगे.
अजय ने अपने लंड को किसी तीर की तरह उसकी गांड में चुभोते हुए अपनी कमर हवा में उठा दी....और उसकी चुभन के एहसास से रचना भी काँप उठी...आख़िर लंड की छुवन होती ही ऐसी है...किसी भी जवान लड़की को अंदर तक गीला कर देती है...जो शायद इस वक़्त रचना के साथ भी हो चुका था...बाहर से तो उसका बदन भीग ही चुका था, अंदर से भी भीग जाने के बाद तो उसे ऐसा लगने लगा की वो पूरी गीली हो गयी है...और उसे ये 'गीलापन' बहुत अच्छा लग रहा था.
तभी एक जोरदार गर्जना के साथ बिजली चमकी ...और डरकर रचना और ज़ोर से लिपट गयी उससे...अजय को अपनी छाती पर उसके शूल चुभते हुए से महसूस हुए...वो धीरे-2 अपने हाथ उनपर ले गया...लेकिन रचना ने उन्हे पकड़कर नीचे कर दिया...उनकी किस्स अभी तक चल रही थी...दोनो एक दूसरे के होंठों को किसी पनीर के टुकड़े की तरह मज़े ले-लेकर चूस रहे थे..
अजय ने एक बार फिर से अपना हाथ उपर किया...और रचना के विरोध के बावजूद उसने रचना के बूब्स को पकड़ ही लिया..
उसे तो ऐसा लगा जैसे कोई सख़्त नारियल पकड़ लिया हो...उतने ही बड़े और लगभग उतने ही कठोर...ऐसे कड़क मुम्मे तो उसने आज तक नही पकड़े थे...शायद उसकी बॉडी का सारा खून इस वक़्त उसकी चुचियों में आकर जम चुका था...और उन्हे पत्थर बना दिया था...लेकिन अजय भी घाघ किस्म का आदमी था, उसने अपनी उंगलियों से जब उसके निप्पल को छेड़ा तो वो सारा खून एक पल में ही पिघल गया...और वो बूब्स अब किसी पानी से भरे गुब्बारे की तरह उसकी हथेली में फिसल रहा था...गीले कपड़े के साथ मुम्मे को पकड़ने में इतना मज़ा आता है ये अजय को आज ही पता चला..
अगले 5 मिनट तक अजय के हाथ उसके पूरे जिस्म पर घूमते रहे...कभी वो दोनो हाथों से उसके बूब्स दबाता...कभी हाथो को नीचे लेजाकर उसकी नाभि वाले हिस्से को मसलता...फिर पीछे लेजाकर उसकी गद्देदार गांड को मसलता.... और कभी उसकी जांघों की चर्बी को रगड़ता ...कुछ ही देर में उसने किसी कुशल और ठरकी दर्जी की तरह उसके हर अंग का सही से नाप ले लिया...
फिर जब साँस लेने के लिए दोनो के होंठ अलग हुए तो ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ी से भागती हुई दुनिया रुक गयी है..रचना अपना पूरा भार लिए अजय की गोद में चड़कर बैठी हुई थी...उसके कपड़े अस्त-व्यस्त हो चुके थे...अंदर से भावनाए जाग उठी थी...अजय ने कुछ बोलना या करना चाहा की तभी उसका मोबाइल बाज उठा...वो प्राची का फोन था.
अजय ने फोन उठा कर कान से लगा लिया...रचना ने भी देख लिया था की उसकी वाइफ का फोन है...फिर भी वो उसकी गोद ने नही उतरी...बल्कि अपना सिर उसके कंधे पर रखकर अपने होंठों से उसकी गर्दन पर किस्स करने लगी...उसे चूसने लगी.
प्राची को अजय की चिंता हो रही थी...बारिश काफ़ी तेज थी...वो उसे संभलकर घर आने के लिए बोल रही थी..अजय तो बस हूँ हाँ करता रहा ...क्योंकि उसकी गोद में बैठी रचना बड़े ही सैक्सुअल तरीके से अपने शरीर को घिसती हुई उसे किस्स कर रही थी..
कार में इस वक़्त ऐसा माहौल बन चुका था की अगर अजय चाहता तो वो इस वक़्त कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाती...पहले आशिक़ के हाथों अपनी जवानी मसलवाने में जो मज़ा आता है वो इस वक़्त रचना उठा रही थी...
लेकिन अजय तो हमेशा से ही तड़पाकर मज़े देने में एक्सपर्ट था...उसके हिसाब से अभी के लिए इतना बहुत था...क्योंकि आगे के लिए उसके पास और भी काफ़ी धांसू आइडिया थे जिसमे वो रचना के साथ हर तरह के मज़े ले सकता था.
अजय : "प्राची परेशान हो रही है...आई थिंक अब हमे चलना चाहिए....''
बेचारी रचना का चेहरा उतर सा गया...शायद वो भी सोच रही थी की ये कैसा आदमी है जो इतने अच्छे मौके का फयदा नही उठा रहा है...बेचारी बेमन से उसकी गोद से उतरकर वापिस अपनी सीट पर चली गयी...अजय ने गाड़ी स्टार्ट की और संभलकर चलाते हुए दोनो घर की तरफ चल दिए.
थोड़ी देर बाद दोनो नॉर्मल बातें करने लगे..और ऐसे ही बाते करते-2 उनका घर आ गया...
उसका तो उतरने का भी मन नही कर रहा था...लेकिन वो भी जानती थी की अभी के लिए तो कुछ पॉसिबल नही है...और वैसे भी ये मौके तो अब हर रोज आया करेंगे..
वो एक बार फिर से उसकी तरफ झुकी और एक छोटी सी किस्स करके जल्दी से उतर गयी.
और अजय वापिस अपने घर की तरफ चल दिया.
और घर जाते हुए एक बार फिर से उसके दिमाग़ में उसकी दोनो सालियों और सासू माँ के चेहरे घूम गये...आज की रात वो किसका शिकार करेगा ये तो वो नही जानता था...लेकिन जो भी होने वाला था उसके साथ उसके लिए तो वो खुद भी तैयार नही था.
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