FUN-MAZA-MASTI
वो हसीन पल
बात उस समय की है.. जब मेरी उम्र 21 वर्ष की थी और मैं कॉलेज में था। मैं शुरू से ही पढ़ने में होशियार था.. और अपनी क्लास में सबसे आगे रहता था। इसलिए अक्सर जब भी किसी को पढ़ाई से सम्बन्धित कोई काम होता तो वो मुझे बोलता था।
मेरी ही क्लास में एक लड़की थी.. जिसका नाम शिवानी था। वो दिखने में एकदम खूबसूरत अप्सरा सी थी,सारा कॉलेज उस पर लाइन मारता था, जब वो मटक-मटक कर चलती थी तो हर कोई उस पर फ़िदा हो जाता था। उसका फिगर 34-30-36 रहा होगा।
जब भी मैं उसे देखता तो मैं उसे देखता ही रह जाता था और मैं मन ही मन उसे प्यार करने लगा था.. पर उसे अपने दिल की बात बताने की कभी हिम्मत नहीं कर पाया।
शायद भगवान को कुछ और मंजूर था वो दिन मुझे आज भी याद है। उस दिन मेरा जन्मदिन था और मैं अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था।
तभी मैंने देखा कि शिवानी अकेली कॉलेज के लिए जा रही थी, मैंने सोचा मौका सही है.. क्यों ना आज अपना दिल की बात बोल दी जाए।
मैंने उसके पास जाकर उससे कहा- क्या मैं तुम्हें कॉलेज तक छोड़ सकता हूँ?
तो उसना कहा- ठीक है।
वो मेरे साथ चल पड़ी.. वो मुझसे चिपक कर बैठी थी.. और मैं उसके सीने के उभारों को महसूस कर सकता था।
मुझे खुद पर काबू करना मुश्किल हो गया था.. पर मैंने अपना आप पर नियंत्रण रखा।
उसने बात करनी शुरू की.. बातों-बातों में मैंने उसे बताया कि आज मेरा जन्मदिन है.. तब उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
मैंने उससे कहा- मैं आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।
‘कहो?’
मैंने अपने दिल की बात बोल दी कि मैं उसे पसंद करता हूँ और उससे प्यार करता हूँ.. पर उसने कुछ नहीं कहा और चली गई।
एक पल के लिए मुझे लगा कि मैंने गलत कर दिया.. पर कुछ देर बाद जब हमारी क्लास लगी.. तो उसने मुझे एक ख़त दिया.. जिसमें लिखा था कि मैं कब से तुम्हारे इस प्रपोजल इंतजार कर रही थी.. मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ।
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
इस तरह हम एक-दूसरे के करीब आ गए और बातों का सिलसिला शुरू हो गया। अब अक्सर हम कॉलेज से कहीं ना कहीं निकल जाते और खूब मस्ती करते।
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया.. उस दिन उसके घर कोई नहीं था.. सब किसी रिश्तदार की शादी में गए थे।
जैसे ही मैं उसके घर गया तो उसने दरवाजा खोला.. उस दिन क्या लग रही थी.. उसने मिनी स्कर्ट और गुलाबी रंग का टॉप पहना हुआ था।
मैं तो उसे देखता रह गया.. आज वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मैंने जाते ही उसे गले से लगा लिया और चूमने लगा। हमारा ये चुम्बन 10 मिनट चला होगा.. उसके होंठ पूरी तरह से लाल हो चुके थे।
हम अब भी एक-दूसरे से चिपके हुए थे.. और हमारी साँस से साँस मिल रही थी।
तब मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ..
वो कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं मुझे ये उसकी मौन स्वीकृति लगी.. अब मैंने उसे सहलाना शुरू किया और उसका टॉप निकाल दिया उसने कुछ नहीं कहा और मैं उसके उभारों को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा।
उसके मुँह से सिर्फ सिसकारियाँ ही निकल रही थीं ‘आहह.. आह्ह..’
मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके चूचों को चूसने लगा। उसने मुझे गले लगा लिया और मेरी पैन्ट में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया।
कुछ देर में हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे, वो मेरे लंड से खेल रही थी और मैं उसकी चूत को चूस रहा था।
उसका पानी निकल चुका था।
वो मुझसे कहने लगी- जान.. अब और नहीं सहा जाता.. मुझे जल्दी से चोद दो।
मैंने उसे सीधा करके लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड लगा कर जोर देने लगा.. पर उसकी चूत टाइट होने की वजह से लंड फिसल रहा था।
तब उसने उसे सही निशाने पर मेरा लवड़ा लिया और जोर लगाने को कहा।
थोड़ा से जोर से लंड उसकी चूत को चीरता हुआ घुस गया और उसके मुँह से चीख निकल गई, वो रो रही थी और बोल रही थी- दर्द हो रहा.. निकाल लो..
पर मैंने नहीं निकाला और उसे चूमने लगा। थोड़ी देर में जब उसका दर्द कम हुआ। तब मैंने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
कुछ देर की पीड़ा के बाद उसे भी मजा आ रहा था और पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था ‘आह.. आह.. और तेज.. फाड़ दो.. आज इसे.. आह्ह.. कब से तड़प रही थी!’
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज-तेज चुदाई करने लगा। दस मिनट के बाद उसका बदन ढीला पड़ गया और वो सुस्त हो गई.. शायद वो झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
मैं अब भी तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो फिर गरम हो गई और इस तरह वो अब तक 3 बार झड़ चुकी थी।
अब मैं भी चरम सीमा पर था.. और मैं एकदम से उसकी चूत में झड़ गया साथ ही वो भी झड़ कर मुझसे लिपट गई.. उसके बगल में लेट गया।
थोड़ी देर बाद उसने फिर से मेरे लंड को खड़ा किया और हमारा दूसरा राउंड शुरू हो गया। करीब 30 मिनट के बाद हम फिर से मजा लेकर सुस्ताने लगे थे।
उस दिन हमने चार बार चुदाई की.. और यह सिलसिला कई साल तक चला.. पर अब उसकी शादी हो चुकी है। उसके संग बिताए वो हसीन पल आज मुझे याद आते हैं।
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वो हसीन पल
बात उस समय की है.. जब मेरी उम्र 21 वर्ष की थी और मैं कॉलेज में था। मैं शुरू से ही पढ़ने में होशियार था.. और अपनी क्लास में सबसे आगे रहता था। इसलिए अक्सर जब भी किसी को पढ़ाई से सम्बन्धित कोई काम होता तो वो मुझे बोलता था।
मेरी ही क्लास में एक लड़की थी.. जिसका नाम शिवानी था। वो दिखने में एकदम खूबसूरत अप्सरा सी थी,सारा कॉलेज उस पर लाइन मारता था, जब वो मटक-मटक कर चलती थी तो हर कोई उस पर फ़िदा हो जाता था। उसका फिगर 34-30-36 रहा होगा।
जब भी मैं उसे देखता तो मैं उसे देखता ही रह जाता था और मैं मन ही मन उसे प्यार करने लगा था.. पर उसे अपने दिल की बात बताने की कभी हिम्मत नहीं कर पाया।
शायद भगवान को कुछ और मंजूर था वो दिन मुझे आज भी याद है। उस दिन मेरा जन्मदिन था और मैं अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था।
तभी मैंने देखा कि शिवानी अकेली कॉलेज के लिए जा रही थी, मैंने सोचा मौका सही है.. क्यों ना आज अपना दिल की बात बोल दी जाए।
मैंने उसके पास जाकर उससे कहा- क्या मैं तुम्हें कॉलेज तक छोड़ सकता हूँ?
तो उसना कहा- ठीक है।
वो मेरे साथ चल पड़ी.. वो मुझसे चिपक कर बैठी थी.. और मैं उसके सीने के उभारों को महसूस कर सकता था।
मुझे खुद पर काबू करना मुश्किल हो गया था.. पर मैंने अपना आप पर नियंत्रण रखा।
उसने बात करनी शुरू की.. बातों-बातों में मैंने उसे बताया कि आज मेरा जन्मदिन है.. तब उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
मैंने उससे कहा- मैं आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।
‘कहो?’
मैंने अपने दिल की बात बोल दी कि मैं उसे पसंद करता हूँ और उससे प्यार करता हूँ.. पर उसने कुछ नहीं कहा और चली गई।
एक पल के लिए मुझे लगा कि मैंने गलत कर दिया.. पर कुछ देर बाद जब हमारी क्लास लगी.. तो उसने मुझे एक ख़त दिया.. जिसमें लिखा था कि मैं कब से तुम्हारे इस प्रपोजल इंतजार कर रही थी.. मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ।
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
इस तरह हम एक-दूसरे के करीब आ गए और बातों का सिलसिला शुरू हो गया। अब अक्सर हम कॉलेज से कहीं ना कहीं निकल जाते और खूब मस्ती करते।
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया.. उस दिन उसके घर कोई नहीं था.. सब किसी रिश्तदार की शादी में गए थे।
जैसे ही मैं उसके घर गया तो उसने दरवाजा खोला.. उस दिन क्या लग रही थी.. उसने मिनी स्कर्ट और गुलाबी रंग का टॉप पहना हुआ था।
मैं तो उसे देखता रह गया.. आज वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मैंने जाते ही उसे गले से लगा लिया और चूमने लगा। हमारा ये चुम्बन 10 मिनट चला होगा.. उसके होंठ पूरी तरह से लाल हो चुके थे।
हम अब भी एक-दूसरे से चिपके हुए थे.. और हमारी साँस से साँस मिल रही थी।
तब मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ..
वो कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं मुझे ये उसकी मौन स्वीकृति लगी.. अब मैंने उसे सहलाना शुरू किया और उसका टॉप निकाल दिया उसने कुछ नहीं कहा और मैं उसके उभारों को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा।
उसके मुँह से सिर्फ सिसकारियाँ ही निकल रही थीं ‘आहह.. आह्ह..’
मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके चूचों को चूसने लगा। उसने मुझे गले लगा लिया और मेरी पैन्ट में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया।
कुछ देर में हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे, वो मेरे लंड से खेल रही थी और मैं उसकी चूत को चूस रहा था।
उसका पानी निकल चुका था।
वो मुझसे कहने लगी- जान.. अब और नहीं सहा जाता.. मुझे जल्दी से चोद दो।
मैंने उसे सीधा करके लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड लगा कर जोर देने लगा.. पर उसकी चूत टाइट होने की वजह से लंड फिसल रहा था।
तब उसने उसे सही निशाने पर मेरा लवड़ा लिया और जोर लगाने को कहा।
थोड़ा से जोर से लंड उसकी चूत को चीरता हुआ घुस गया और उसके मुँह से चीख निकल गई, वो रो रही थी और बोल रही थी- दर्द हो रहा.. निकाल लो..
पर मैंने नहीं निकाला और उसे चूमने लगा। थोड़ी देर में जब उसका दर्द कम हुआ। तब मैंने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
कुछ देर की पीड़ा के बाद उसे भी मजा आ रहा था और पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था ‘आह.. आह.. और तेज.. फाड़ दो.. आज इसे.. आह्ह.. कब से तड़प रही थी!’
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज-तेज चुदाई करने लगा। दस मिनट के बाद उसका बदन ढीला पड़ गया और वो सुस्त हो गई.. शायद वो झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
मैं अब भी तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो फिर गरम हो गई और इस तरह वो अब तक 3 बार झड़ चुकी थी।
अब मैं भी चरम सीमा पर था.. और मैं एकदम से उसकी चूत में झड़ गया साथ ही वो भी झड़ कर मुझसे लिपट गई.. उसके बगल में लेट गया।
थोड़ी देर बाद उसने फिर से मेरे लंड को खड़ा किया और हमारा दूसरा राउंड शुरू हो गया। करीब 30 मिनट के बाद हम फिर से मजा लेकर सुस्ताने लगे थे।
उस दिन हमने चार बार चुदाई की.. और यह सिलसिला कई साल तक चला.. पर अब उसकी शादी हो चुकी है। उसके संग बिताए वो हसीन पल आज मुझे याद आते हैं।
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