FUN-MAZA-MASTI
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
सासू माँ बूढ़ी शेरनी
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम समीर है और में फन मजा मस्ती पर
पिछले कुछ सालों से नियमित पाठक हूँ और इसकी सेक्सी कहानियों को पढ़कर बहुत मज़े
करता हूँ और आज में आप सभी को अपनी पांच साल पुरानी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा
हूँ, वैसे दोस्तों में शुरू से ही अपने परिवार के सभी सदस्यों को बहुत
प्यार करता हूँ। मेरे परिवार में मेरी माँ, दो
बहनें, मेरी पत्नी और मेरी सासू माँ है और में उन्हे भी बहुत प्यार करता हूँ
और वो भी मेरी हर एक बात को मानते है और अब में अपने परिवार के सभी सदस्यों का एक
छोटा सा परिचय आप सभी से करवा देता हूँ।
में : सूरज शर्मा मेरी उम्र 25
साल है
मेरी वाईफ : सुधा शर्मा जिसकी उम्र 22
साल है
मेरी बड़ी बहन : मानसी शर्मा जिसकी उम्र 30
साल है
मेरी छोटी बहन : प्रिया शर्मा जिसकी उम्र 18
साल है
मेरी सासू माँ : रूपा शर्मा जिनकी उम्र 55
साल है
मेरी माँ : कल्पना शर्मा उनकी उम्र 47
साल है
दोस्तों मेरे पिताजी का देहांत आज से 15
साल पहले हो गया था और मेरी माँ एक कॉलेज में प्रोफेसर है और वो बहुत ही कड़क
स्वभाव और अनुशासन पसंद औरत है, लेकिन माँ बहुत धार्मिक नेचर की औरत है
और अक्सर घर में पूजा और हवन करवाती रहती है और मेरी माँ ही हमारे घर की मुखिया है
और सब उसके कड़े स्वाभाव के कारण उनसे बहुत डरते भी है और में भी। मेरी बड़ी बहन
मानसी एक तलाक़शुदा महिला है और अब वो हमारे साथ ही रहती वो खुद का एक सिलाई कढ़ाई
संस्थान चलाती है। उसका तलाक़ हुए 6 साल हो गये है। मेरी छोटी बहन प्रिया
अभी 12त में पढ़ती है और में एक स्टेशनरी की दुकान चलाता हूँ। हमारा परिवार
जयपुर में रहता है। मेरी शादी को एक साल हो गया है और मेरी पत्नी 7 महीने की गर्भवती हो गयी है। हमारा घर दो मंज़िला मकान है जिसमे तीन
कमरे नीचे है और दो कमरे पहली मंजिल पर है। छत पर एक स्टोर रूम भी है जिसमे पुराना
सामान पड़ा रहता है।
नीचे के रूम एक दूसरे से बिल्कुल सटे हुए है और एल आकार में है और
मेरा रूम कॉर्नर पर है और बाकी दोनों रूम उससे सटे हुए है और रूम की दीवारें बहुत
पतली है और दूसरे रूम में से आवाज़ मेरे रूम तक आती है और मेरे रूम से बाकी दोनों
रूम में भी जाती इसलिए जब भी में अपनी पत्नी के साथ सेक्स करता हूँ तो हम कोशिश
करते की कम से कम आवाज़ हो। दोस्तों मेरे पास वाले रूम में मेरी माँ और दूसरे रूम
में मेरी छोटी बहन रहती है और मेरी बड़ी बहन ऊपर के कमरे में रहती है। फिर मेरी
पत्नी के गर्भवती होने के 8 महीने में मेरी सास ने कॉल किया और
सुधा की डिलवरी उसके मायके में होने की बात कही और फिर मेरी माँ ने उनकी उस बात को
मान लिया और में सुधा को लेकर उसके घर दिल्ली चला आया। दोस्तों मेरी सास भी एक
विधवा औरत है और मेरे ससुर को मरे हुये करीब दस साल हो चुके है। उनका एक बेटा
चेन्नई में अपनी पत्नी के साथ रहता है और यहाँ पर वो खुद अकेली रहती है दोस्तों
मेरी सासु माँ का घर हमारे घर से थोड़ा छोटा था, लेकिन
कमरे बड़े थे। नीचे दो रूम और एक हॉल था, ऊपर भी एक रूम था, लेकिन वो जब उनका बेटा आता तो उसके काम में लिया जाता था। फिर सास ने
हमे नीचे के रूम में रुकवाया जो कि बाथरूम से बिल्कुल सटा हुआ था ताकि सुधा को
ज़्यादा चलना ना पड़े। मेरी सास एक सरकारी बेंक में क्लर्क की नौकरी करती है और
में उन्हे मम्मी जी कहता हूँ। वो भी मुझे अपने बेटे जैसा ही मानती है, क्योंकि मेरी वाईफ का आठवां महीना था, इसलिए
हमने अब सेक्स करना बंद कर दिया था, लेकिन अब भी हम ओरल सेक्स के ज़रिए एक
दूसरे को संतुष्ट कर देते थे।
दोस्तों मेरी वाईफ मुझे मेरा लंड चूसकर बहुत मज़ा देती थी और हम पिछले
दो महीने से ओरल सेक्स ही करते आ रहे थे। वो भी बहुत सावधानी से क्योंकि चूसने की
आवाज़ माँ और मेरी छोटी बहन के रूम तक ना जाए और फिर ससुराल आते ही मैंने सोचा कि
आज में खुलकर ओरल सेक्स करूँगा, क्योंकि सास का कमरा मेरे कमरे से थोड़ा
दूरी पर था, जहाँ तक हमारी आवाज़ नहीं जाएगी। फिर रात के खाने के बाद में और सुधा
अपने कमरे में आ गये और मेरी सास बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गयी। सास का
रूम हमारे रूम से कुछ दूरी पर था इसलिए में आज बिल्कुल फ्री ओरल सेक्स करने की बात
को सोचकर बहुत उत्तेजित हुआ जा रहा था और फिर करीब तीस मिनट तक बातें करने के बाद
मैंने सुधा की मेक्सी में हाथ डाला और उसके बूब्स सहलाने लगा। जिसकी वजह से बहुत
जल्दी ही मेरा लंड खड़ा हो गया और सुधा भी गरम हो गयी। अब मैंने उसकी मेक्सी को
ऊपर किया और उसकी पेंटी को हटाकर उसकी चूत को सहलाने लगा। मैंने दो उंगलीयां उसकी
चूत में धीरे से अंदर डाली और उन्हे फैलाकर होल होल अंदर बाहर करने लगा और बहुत
जल्दी उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गयी।
फिर में झुककर उसकी चूत को चाटने लगा, मैंने
अपनी जीभ को उसकी चूत पर घुमाया और धीरे से उसकी जांघो को पकड़कर खींचा। सुधा के
मुहं से हल्की सी चीख निकल पड़ी और फिर मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में अंदर डाल
दिया और उसकी चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और अब तक
सुधा बिल्कुल मदमस्त हो गयी थी और करीब दस मिनट तक उसकी चूत की अपनी जीभ से चुदाई
करने पर उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और अब में उठा और उसके सर के पास जाकर खड़ा
हो गया, सुधा पीठ के बल लेटी हुई थी और मैंने अपना लंड उसके होठों पर रगड़ना
शुरू किया तो वो लंड को मुहं में लेने को एकदम बैताब थी, लेकिन
में जल्दी में नहीं था, इसलिए लंड को मुहं में डालने के बजाए में उसे उसके होठों पर घुमा रहा
था और ऊपर ही रगड़ रहा था और जब उसने मुझसे आग्रह किया तो मैंने लंड उसके मुहं में
डाला और अन्दर तक ले गया, फिर बाहर निकाला और पूरा लंड फिर से
उसके गले में अंदर तक ले गया और धीरे धीरे मैंने उसके मुहं को चोदना शुरू कर दिया।
सुधा मेरे लंड को बहुत जमकर चूस रही थी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत में लंड
डालने का अहसास हो रहा था। तो मैंने उसके गले को दोनों हाथों से पकड़ा और पूरी
स्पीड से उसके मुहं को धक्के देकर चोदने लगा, जिसके
कारण रूम में फक फक स्लर्प स्लर्प की आवाज़ गूँज रही थी और थोड़ी देर तक मुहं की
चुदाई करने के बाद सुधा ने साँस लेने के लिए लंड मुहं से बाहर निकाल लिया और लंड
से लार पूरे चेहरे पर टपक रही थी जो उसकी आँखो और बालों तक को भीग चुका था और अब
उसने मुझे थोड़ी देर रुकने का इशारा किया। अब तक मुझे भी लगातार उसको चोदते हुए
करीब बीस मिनट से ऊपर हो गये थे, मैंने सुधा से कहा कि में बाथरूम होकर
अभी आता हूँ। मैंने बाथरूम में पेशाब किया और फ्रीज़ से पानी पीकर वापस अपने कमरे
की तरफ आने लगा। तभी मैंने अपनी सास के रूम की तरफ देखा तो उसका दरवाजा अंदर से
बंद था और मुझे पक्का यकीन था कि अब तक मेरी सास सो चुकी है, इसलिए में चुपचाप सीधा अपने रूम में आ गया। अब सुधा उठकर बेड पर बैठ
चुकी थी। फिर मैंने बिना देर किए उसके मुहं को किस किया और अपना लंड उसके मुहं में
डाल दिया। मैंने उसके बालों को पकड़ा और अपने लंड को आगे पीछे झटका देने लगा साथ
ही साथ में उसके बालों को आगे की और खींचता जिससे सुधा को बहुत मज़ा भी आ रहा था,
वैसे सुधा को वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद था और उसे बालों का खींचना,
स्लॅपिंग और चेहरे पर मुठ निकलवाना भी बहुत अच्छा लगता था।
फिर मैंने उसके बालों को कसकर आगे की तरफ खींचा और एक ज़ोर का झटका
मारा, जिसके कारण लंड पूरे गले में अंदर तक समा गया और में ज़ोर ज़ोर से
धक्के देकर उसके मुहं को चोदने लगा और रूम फिर से पुच पुच गुलपप सुउरप सुउरप की
आवाज़ से भर गया और वो आवाज़ बहुत तेज थी, लेकिन हम दोनों ही बेफ़िक्र होकर ओरल
सेक्स में बिल्कुल व्यस्त थे। करीब दस मिनट और उसके मुहं को चोदने के बाद में झड़ने
पर पहुंच गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। सुधा को पता था कि अब उसे क्या
करना है? और उसने मुहं खोलकर आँखें बंद कर ली मैंने लंड के सुपाड़े को दबा रखा
था और जैसे ही मैंने सुपाड़े पर से उंगली हटाई तो गरमा गरम मुठ की लंबी धार निकलकर
सुधा की आँखो और बालों में चिपक गयी। फिर मैंने लंड को हिलाया और थोड़ा सा पानी
निकलकर उसके मुहं में चला गया। मुझे बहुत सुख का एहसास हुआ और सुधा ने मेरे वीर्य
को हाथों से अपने पूरे चेहरे पर मल लिया और में एकदम निढाल होकर सोफा पर बैठ गया।
फिर सुधा ने एक टावल से अपना मुहं साफ किया और फ्रेश होने बाहर
बाथरूम में चली गयी। करीब पांच मिनट के बाद सुधा अंदर आई और मुझसे गुड नाईट कहकर
बेड पर लेट गयी। में थोड़ी देर वहीं सोफे पर पड़ा रहा। फिर उठकर में भी फ्रेश होने
बाहर गया और जाते वक़्त मैंने सासू माँ के रूम की तरफ देखा तो पाया कि उनका दरवाजा
जो पहले बंद था अभी हल्का सा खुला हुआ था। मैंने उस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और
बाथरूम में चला गया। मैंने बाथरूम में पेशाब किया और तभी मेरी नज़र बाथरूम में हुक
पर लटकी हुई एक लेडीस पेंटी पर गई। मुझे बड़ा अजीब लगा, क्योंकि
सुधा कभी भी सेक्स के बाद पेंटी उतारकर बाहर नहीं रखती थी। फिर मैंने उस पेंटी को
छूकर महसूस किया तो वो पूरी तरह चूत के रस से गीली थी और उससे बहुत ही मादक सुगंध
आ रही थी। मैंने फिर सोचा कि मैंने तो सुधा की पेंटी को ओरल के टाइम निकाल कर सोफे
पर रख दिया था, जो बिल्कुल सुखी हुई थी। तभी मुझे शक हुआ कि यह मेरी सासू माँ की
पेंटी है और इसलिए मैंने पेंटी के टेग पर उसका साइज़ देखा तो मेरा शक अब पूरा यकीन
में बदल गया, क्योंकि उस पेंटी का साइज़ 44 था जो कि बहुत बड़ी गांड की औरत पहन
सकती है और वो मेरी सास की हो सकती है, क्योंकि सुधा की गांड छोटी थी और वो 36 साइज़ की पेंटी पहनती थी। अब मुझे एक अजीब अहसास होने लगा कि मेरी
सास जिसकी उम्र 55 साल है, उनकी चूत के रस से सनी हुई पेंटी आज मेरे हाथ में है। फिर मैंने उस
पेंटी को नाक से सटाया और उसे सूंघने लगा। उसमे से चूत के रस की भीनी सी खुश्बू आ
रही थी, जिसकी वजह से मुझे अलग सा मज़ा आया और पता नहीं क्यों मैंने पेंटी को
चाट लिया? और उस गीली पेंटी का स्वाद हल्का नमकीन सा था। में पेंटी को बहुत मज़े
से चाटने लगा और अब मेरा लंड जो सिकुड़ गया था वापस एक बार अपने पूरे साईज़ में आ
गया था। तभी मुझे लगा कि कहीं सुधा वापस बाहर ना आ जाए इसलिए मैंने पेंटी को वापस
वहीं पर टाँग दिया और चुपचाप अपने कमरे में आकर सुधा के पास में लेट गया, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मेरी सास की उस पेंटी की तरफ जाने लगा था।
दोस्तों मैंने शादी के बाद आज तक सुधा के आलावा किसी दूसरी औरत को ग़लत नज़र से
नहीं देखा था, लेकिन आज मेरी 55 साल की सास ही मेरे दिमाग़ में सेक्स
आईटम की तरह समाए जा रही थी। पहले मैंने अपने मन को समझाया कि यह बहुत ग़लत बात है,
अपनी ही बीवी की माँ के बारे में ऐसा सोचना बिल्कुल जायज़ नहीं है,
लेकिन बार बार मेरे दिमाग़ में उनकी गीली पेंटी ही आए जा रही थी। तभी
मेरे मन में यह ख्याल आया कि शायद मेरी सास ने हमारा ओरल सेक्स का पूरा एपिसोड रूम
के बाहर से देखा या सुना होगा और हमें सेक्स करते देख लिया था, जिसकी वजह से उनकी चूत गीली हो गयी होगी। मैंने पता लगाने का सोचा और
फिर सुधा को आवाज़ दी, लेकिन वो बहुत गहरी नींद में सो चुकी थी।
फिर मैंने यह बात जानने के लिए सुधा को हिलाया, लेकिन मुझे कोई हलचल महसूस नहीं हुई। में बेड से उतरकर दरवाजे तक गया
और दरवाजे में कोई छेद या दरार खोजने लगा, लेकिन उसमें मुझे कुछ भी नहीं दिखा।
तभी मैंने दरवाजे के पास में एक खिड़की देखी और उसको चेक किया तो देखा कि वो
खिड़की लकड़ी की थी और उसके दो हिस्सों में से एक हिस्से में बहुत चौड़ी दरार थी
और जब मैंने बाहर की तरफ झांककर देखा तो मुझे हॉल में रखा हुआ फ्रीज़ साफ साफ
दिखाई दे रहा था और अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि शायद हमारी सेक्स की आवाज सुनकर
मेरी सास ने खिड़की की दरार से अंदर देखा और हमें सेक्स करते हुए देखकर उनकी चूत
ने पानी छोड़ दिया। मुझे मेरी सास अब सेक्सी माल की तरह दिखने लगी, जिसकी वजह से मुझे मुठ मारने का मन हुआ और जब में कमरे से बाहर आया
तो मैंने देखा कि सास के रूम का दरवाजा अब फिर से बंद हो चुका था। मैंने सोचा कि
शायद मेरी सास ने बहुत दिनों बाद सेक्स का आनंद उठाते हुए किसी को देखा होगा?
में बाथरूम में गया पेंटी को उतारा और फिर से उसे चाटने लगा। पेंटी
चाटने में मुझे अजीब सा नशा आ रहा था। शायद इसलिए कि मेरी सास के बारे में मैंने
कभी इस तरह से नहीं सोचा था और मेरी सास ने बहुत दिनों या सालों बाद मुठ मारी थी,
इसलिए उनकी पेंटी गीली थी और शायद उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ा
होगा?
अब मैंने पेंटी को अपने लंड पर लपेट लिया और मुठ मारने लगा। मुठ
मारते वक़्त में मेरी सास रूपा के जिस्म को मन ही मन सोचने लगा कि वो पूरी नंगी
होने के बाद कैसी दिखेगी? रूपा की हाईट 4.8
इंच है। बड़े 42 साईज़ के बूब्स और उसके पेट पर बहुत चर्बी है जिस कारण वो बहुत मोटी
दिखती है, लेकिन सबसे प्यारी उनकी गांड है चौड़ी और भरी भरी। उनकी गांड बाहर
निकली हुई है और चलते वक़्त हिलती है जिसे देखकर किसी का भी मन उसे चोदने को कर
जाए, लेकिन उनकी उम्र और मेरे रिश्ते के कारण मैंने उनके बारे में अब तक
कभी ऐसे नहीं सोचा था, कम हाईट के कारण उनकी गांड उनके पूरे शरीर में साफ और बड़ी दिखाई
देती है। मैंने उनकी नंगी गांड को सोचते हुए लंड को पेंटी पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ना
चालू कर दिया। फिर करीब 5-7 मिनट के बाद मैंने ढेर सारा मुठ उनकी
पेंटी पर गिरा दिया और फिर मैंने पेंटी से पूरे लंड को साफ किया और फ्रेश होकर
वापस अपने कमरे में आ गया, लेकिन बेड पर लेटकर भी में उनके बारे
में ही सोच रहा था और आखिकार मैंने उनको चोदने का फ़ैसला कर लिया और उनको फंसाने
के बहाने सोचने लगा और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नहीं चला?
फिर सुबह सुधा ने मुझे जगाया तो मैंने अपने कपड़े पहने और फ्रेश होकर
नाश्ता करने हॉल में आ गया। सुधा टेबल पर मेरा इंतजार कर रही थी। तभी मेरी सास
रूपा किचन से बाहर आई और मुझे नाश्ता परोसने लगी, सास
ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और पीले रंग का ब्लाउज। मैंने उनके चेहरे की तरफ
देखा तो उस पर हल्की सी मुस्कान थी और नाश्ता करने के बाद हम वहीं पर हॉल में टीवी
देखने लगे और मेरी सास किचन में चली गयी। थोड़ी देर बाद सुधा ने आराम करने की
इच्छा जताई तो मेरी सास ने उसे कमरे तक ले जाकर छोड़ दिया और वापस बर्तन धोने किचन
में चली गयी। फिर थोड़ी देर बाद सासू माँ ने मुझसे पूछा कि तुम्हे कुछ लेना हो तो
बता देना? तो मैंने कहा कि एक ग्लास पानी चाहिए, तो
वो पानी का ग्लास लेकर मेरे पास आई। में उन्हे आते हुए गौर से देख रहा था कि तभी
अचानक मैंने गौर किया मेरी सास का पल्लू ब्लाउज से थोड़ा हटा हुआ था और उनका पेट भी
साफ साफ दिख रहा था। उनके मोटे मोटे बूब्स ब्लाउज से बाहर आने को बैताब लग रहे थे
और उनके गोरे और गदराए हुए पेट पर उनकी बड़ी सी गोल नाभि बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैंने अपनी सास को इतना खुला प्रदर्शन करते हुए कभी नहीं देखा था। फिर मैंने पानी
पिया और सास वापस किचन में चली गयी। तो जाते वक़्त में उनकी थुलथुली गांड को ऊपर
नीचे हिलते हुए देख रहा था और मेरे पायज़ामे में मेरा लंड बिल्कुल तनकर टाईट हो
चुका था। तभी मुझे याद आया कि जब सुधा टेबल पर बैठी हुई थी तब तक मेरी सास ने
कपड़े ठीक तरह से पहने हुए थे, लेकिन सुधा के कमरे में जाते ही सासू
माँ के कपड़े उनकी चूची और पेट से हट गये।
अब इसका मतलब साफ था कि उन्होंने जानबूझ कर अपनी साड़ी को हटाया था
ताकि मेरी नज़र उनके शरीर पर जाए। मैंने सोचा कि क्या सासू माँ मुझे रिझाने की
कोशिश कर रही है? लेकिन अब यकीन से कुछ कहना मुमकिन नहीं था। तभी थोड़ी देर बाद सासू
माँ मेरे पास के सोफे पर आकर बैठ गयी और सब्जी काटने लगी। मैंने फिर गौर किया कि
उनका ब्लाउज अब साफ साफ दिख रहा था और उसके ऊपर के बटन भी खुले हुए थे और वो थोड़ा
झुककर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उनके बड़े बूब्स खुले ब्लाउज से आधे बाहर लटक रहे
थे। में उनसे नज़र बचाकर उनके बूब्स को ही देख रहा था। एक दो बार हम दोनों की नज़र
भी मिली, लेकिन उन्होंने बस मेरी तरफ मुस्कुरा दिया, लेकिन
अपने बूब्स को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अब वो बार बार अपने पैरों को
फैलाकर ऊपर सोफे पर कर लेती और फिर थोड़ी देर में नीचे कर लेती, जिस कारण उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर सरक गयी थी और उनके गोरे गोरे पैर साफ
साफ दिख रहे थे और अब यह भी साफ हो गया था कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही है और अब
मुझे पूरा विश्वास हो गया कि अगर मैंने पहल की तो में उन्हे चोदने में जरुर कामयाब
हो जाऊंगा। तभी मैंने एक प्लान सोचा और सास से कहा कि मम्मी जी में भी खाना बनाने
में आपकी मदद करता हूँ।
फिर सासू माँ ने कहा कि आप मेरी क्या मदद करेंगे दामादजी? में उठकर उनके पास सोफे पर बैठ गया और मैंने कहा कि दीजिए में सब्जी
काट देता हूँ। इतना कहकर में उनके हाथ से चाकू और सब्जी की प्लेट लेने को उनके ऊपर
झुका, जिसके कारण मेरी जाँघ उनकी जाँघ से सट गई। वो थोड़ा सिहर गई, लेकिन दूर नहीं हटी। तभी मेरी हिम्मत बढ़ी और अब में उनसे ज़्यादा
सटने की कोशिश करने लगा। मैंने उन्हे प्लेट को वापस दे दिया और अपना हाथ उनके पेट
और जाँघो से सटाते हुए पीछे लिया, वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। फिर
वो कुछ देर बाद उठकर किचन में चली गयी, मैंने खुद से मन ही मन कहा कि यही एकदम
ठीक मौका है, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं और में अपने कमरे में गया और चेक किया कि
सुधा क्या कर रही है? सुधा को नींद आ गई थी और अब वो गहरी नींद में सो रही थी, क्योंकि सुधा अक्सर सुबह एक से दो घंटे तक सोती थी। तो मैंने अपने
प्लान के हिसाब से अंडरवियर को उतारा और सिर्फ़ पयज़ामा पहन कर बाहर आ गया,
मैंने रूम को बाहर से बंद करके चिटकनी को लगा दिया और में सीधा किचन
में गया जो कि बहुत छोटी थी और वहां पर दो लोग भी बड़ी मुश्किल से खड़े रह सकते थे
और अगर गैस चूल्हे से वॉश बेसिन तक जाना हो तो दूसरे आदमी से सटकर ही जाना होता था
और अब मैंने पूरा प्लान बना लिया था कि में आज अपनी सास को अपने लंड के स्पर्श से
दीवाना बना दूँगा। फिर में उनसे बातें करने लगा और फिर उनसे कहा कि आप अकेली कैसे
टाईम बिताती है? तो सास ने कहा कि बेटा अब तो इन सबकी आदत पड़ गयी है और अब वैसे भी इस
उम्र में फ़र्क क्या पड़ता है? तो मैंने कहा कि आप दिखने में 40 साल से ज़्यादा की नहीं लगती तो वो मुस्कराने लगी और इधर मेरा लंड
पूरे जोश में आ चुका था। उनकी गदराई हुई गांड को देखकर मेरा लंड उसमे समाने को
बैताब हो रहा था। तो में हाथ धोने के बहाने वॉश बेसिन की तरफ जाने लगा। मेरी सास
की पीठ की तरफ से थोड़ी सी जगह में से जब में गुजरा तो उस समय मेरा लंड पूरा टाईट
था और में उनकी गांड पर अपना लंड रगड़ते हुए उस पार चला गया और हाथ धोते वक़्त
मैंने देखा तो उनके चेहरे पर वासना साफ
साफ दिख रही रही थी, लेकिन वो थोड़ा घबराई हुई लग रही थी और अब मैंने उनकी घबराहट दूर करने
के लिए कहा कि सुधा सो रही है और मैंने उसके दरवाजे की बाहर से चिटकनी को भी लगा
दिया है।
फिर यह बात सुनकर सासू माँ बिल्कुल चकित हो गयी और मेरी तरफ देखते
हुए पूछा कि ऐसा क्यों किया आपने? तो मैंने बहाना बनाते हुए कहा कि वो
टीवी की आवाज़ सुनकर जाग ना जाए इसलिए आराम करने के लिए लगाया है और मैंने पहले ही
टीवी की आवाज को थोड़ी तेज कर दिया था और अब में वापस अपनी जगह पर आने लगा, लेकिन इस बार मेरा इरादा लंड को कुछ ज़्यादा देर तक उनकी गांड पे
रगड़ने का था इसलिए उनके ठीक पीछे पहुंचकर उनके कंधे पर हाथ रखा और लंड को उनकी
गांड के ऊपर सटाया और धीरे से झटका मारते हुए उनके आगे निकल गया और जैसे ही मैंने
उन्हे देखा तो उनकी आँखे बंद थी और वो तेज साँसें ले रही थी और फिर हम बातों में
लग गये। अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है और इतने में
मेरी सास ने उनके ठीक ऊपर अलमारी में से मुझे एक डब्बा उतारने को कहा, वैसे मुझे भी इसी मौके की मुझे तलाश थी। में उनके पीछे पहुंचकर उनसे
सटे हुए हाथ ऊपर करके डब्बा उतारने की कोशिश करने लगा। वैसे तो डब्बा मेरी पहुंच
में था, लेकिन मैंने ऐसा दिखाया कि मेरा हाथ वहां पर पहुंच नहीं रहा है इसलिए
मैंने ऊपर उठने के लिए उनके कंधे पर हाथ रखा और इधर दूसरे हाथ से अपने लंड को
पयज़ामे से ही उनकी गांड पर सटाया और फिर एक झटके से मैंने उनके कंधे को दबाते हुए
ऊपर जाने का प्रयास किया, जिसके कारण मेरा लंड उनकी साड़ी में
अंदर तक घुसता चला गया। दोस्तों ये कहानी आप फन मजा मस्ती पर पड़ रहे है।
इस हरकत से मेरी सासू माँ एकदम से उछल पड़ी और अपने को मुझसे थोड़ा
अलग हटाने के लिए अपने पैर के पंजो पर खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे को झुक गयी। मैंने
थोड़ा पीछे हटते हुए लंड को लोवर से बाहर निकाला और उनकी गांड पर फिर एक झटका मारा
तो लंड खुला होने की वजह से अंदर तक घुस गया और उनके मुहं से एक हल्की सी चीख निकल
गई। मैंने अब कंधे को और दबाते हुए ऊपर उठा तो मेरा लंड उनकी पीठ पर छू गया और
अपने बदन पर नंगे लंड का स्पर्श वो भाँप गयी और एक सिसकी उनके मुहं से निकल पड़ी।
फिर मैंने डब्बा उतारा और नीचे आते वक़्त मैंने हाथ उनके बूब्स के नीचे से अंदर ले
जाते हुए पेट को पकड़ा और ऐसा दिखाया कि में बॅलेन्स बनाने के लिए ऐसा कर रहा हूँ
और नीचे आने के बाद में कुछ देर वैसे ही खड़ा रहा और मैंने सीधे हाथ से लंड को
वापस लोवर में डाल लिया और जैसे ही में वहां से हटा तो मेरी सास ने अपनी साड़ी को
ठीक किया और बाहर हॉल में चली गयी, वो यह देखने गई थी कि सुधा उठी तो नहीं
है और वापस आने के बाद उनकी आँखो में एक अलग ही आग थी। फिर मैंने भी अब ज्यादा देर
करना ठीक नहीं समझा और उनके पीछे जाकर उन्हे गले से लगाया। मेरे दोनों हाथ उनके
बूब्स पर सट रहे थे, लेकिन मैंने उन्हे पकड़ा नहीं था और जब सासू माँ ने मुझसे कुछ नहीं
कहा तो मैंने एक हाथ उनकी गर्दन पर ले जाते हुए दूसरा हाथ उनकी पेंटी पर ले गया।
में उन्हे गर्दन से पीछे झुकाते हुए उनके गालों को चूमने लगा और दूसरे हाथ को
मैंने उनकी नाभि पर गोल गोल घुमाते हुए उनके पेट पर चुटकी काट ली। फिर सासू माँ ने
थोड़ा विरोध दिखाते हुए कहा कि बेटा यह क्या कर रहे हो? यह
सब बहुत ग़लत है। फिर मैंने कहा कि मम्मी जी कुछ ग़लत नहीं है। में बस आपसे एक बार
प्यार करना चाहता हूँ और अब में उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। तो सास
ने फिर से कहा कि अगर सुधा ने देख लिया तो क्या होगा? दोस्तों
यह बात मेरे लिए ग्रीन सिग्नल थी, क्योंकि उन्हे बस अब पकड़े जाने का डर
था। उन्हे मुझसे चुदवाने से कोई भी ऐतराज नहीं था। यह उनकी कही हुई बात से अब साफ
हो चुकी थी। तो मैंने उन्हे भरोसा दिलाया मम्मी जी सुधा को कुछ पता नहीं चलेगा,
क्योंकि दरवाजा बाहर से बंद है।
तो वो फिर भी नाटक करते हुए बोली कि लेकिन यह सब ग़लत है आप मेरी
बेटी के पति है, तो इस बात पर मैंने कहा कि रात को आपने उसी बेटी और उसके पति को
सेक्स करते हुए देखा है और मुझे पता है कि आप अंदर ही अंदर मुझसे चुदवाना चाहती है?
तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो एकदम से चौंक गयी और मुझसे पूछा कि
आपको कैसे पता चला? फिर मैंने उनको उनकी पेंटी की पूरी कहानी को उन्हे बता दिया और कहा
कि में आज आपको चुदाई का पूरा मज़ा दूँगा। मेरे मुहं से चुदाई शब्द सुनते ही
उन्होंने नज़र हटाते हुए कहा कि ऐसा मत करो। अब मैंने अपने सीधे हाथ को उनके पेट
से सरकाते हुए उनके पेटीकोट के अंदर ले गया। मेरा हाथ उनकी चूत तक पहुंच गया था तो
उन्होंने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और शरमाते हुए मुझसे मना करने लगी, लेकिन मैंने ज़ोर से उनके हाथ को झटक दिया और उनकी चूत पर घने और
घुंघराले बालों को हाथ में पकड़कर खींचा तो वो उछल पड़ी और उसके मुहं से आईईईईईईइ
की आवाज़ निकल गयी। फिर मैंने उन्हे मेरी तरफ घुमाया और उनके ब्लाउज को मेरे सीधे
हाथ से खोल दिया। अब मैंने ब्रा को एक झटके में बाहर निकाल दिया और अब उनके दोनों
बूब्स बिल्कुल आज़ाद होकर ऊपर नीचे हिलने लगे। दोनों बूब्स पपीते के आकर के थे और
भरे हुए थे। उन पर गोल काला धब्बा बहुत ही मादक लग रहा था, उनके
निप्पल बड़े और बाहर को निकले हुये थे।
फिर मैंने थोड़ा झुककर उनके निप्पल को मुहं में भरा और चूसने लगा।
उनके गोरे गोरे बूब्स पर काले गोल घेरे में बड़े निप्पल बहुत सेक्सी लग रहे थे और
उधर में एक हाथ से लगातार उनकी चूत को सहला रहा था। वो जोश से पागल हुई जा रही थी
और अपने सर को दोनों कंधो पर झटके दे रही थी। उनके बाल उनके चेहरे पर गिर आए थे और
चेहरा पूरा ढल गया था और करीब पांच मिनट तक निप्पल और बूब्स को चूसने के बाद में
उठा और मैंने उनके बालों को पीछे करके उनके होठों को चूम लिया। मेरे इतना करते ही
वो मेरे मुहं को अपने होठों में लेकर चूसने लगी। वो मुझे बहुत जानदार किस किए जा
रही थी और अपनी जीभ को बार बार मेरे मुहं में अंदर तक डाल रही थी और में उनकी जीभ
को चूस रहा था। करीब पांच मिनट चूमने और चाटने के बाद मैंने उनको खुद से अलग किया
तो उन्होंने मेरे होठों पर हल्का सा दाँत से काट लिया। सासू माँ सेक्स की जबरदस्त
भूखी और अनुभवी खिलाड़ी लग रही थी। अब मैंने उनको उठाकर ऊपर बैठा दिया और उनके
पैरों को फैलाकर उनकी साड़ी को ऊपर कर दिया। उनके गोरे पैरों के बीच काली झांटो में
उनकी चूत बिल्कुल छुपी हुई थी। मैंने झांटो को हटाते हुए उनकी चूत के दर्शन किए और
फिर नीचे बैठकर अपनी जीभ को उनकी चूत के होंठो पर सटा दिया। वो मदहोशी में पागल हो
गयी और अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों निप्पल को मसलने लगी। मैंने थोड़ी देर तक
उनकी चूत के होंठो को चाटा और फिर हाथ से चूत को फैलाकर जीभ को अंदर डाल दिया।
उनके मुहं से ऊईईईईईई माँ निकल पड़ा और वो सिसकारियाँ भरने लगी और में लगातार जीभ
से उनकी चूत को चोदे जा रहा था। फिर मैंने उनकी चूत के ऊपरी दाने को दाँत से पकड़ा
और चूसते हुए खींचा और फिर ज़ोर से छोड़ दिया। इस हरकत ने मेरी सास को और अधिक
दीवाना बना दिया और उन्होंने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत में और अंदर तक सटा दिया।
उन्होंने अपनी जाँघो को मेरे सर पर जकड़ लिया, जिससे
मेरा सर उनकी दोनों जाँघो में फंस गया और में लगातार उनकी चूत को चूस रहा था जैसे
कोई मशीन लगी हुई है। अब उनकी चूत पूरी गीली हो गयी और तब मैंने अपने हाथ की दो
उँगलियों को उनकी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा। में अब पूरी रफ़्तार से
उंगली से उनकी चूत को चोदने लगा और वो मादक आवाज़े निकालने लगी। ओह्ह्ह्हह माँ हे
भगवान आहह उईईईईईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ और मेरे पूरे हाथ पर उनकी चूत का पानी लगा हुआ था
और तब मैंने हाथ को बाहर निकालते हुए उनके मुहं में दे दिया। जिसे सास ने आईसक्रीम
के कोन की तरह चूसना शुरू कर दिया।
अब तक मेरा पयज़ामा भी मेरे लंड के पानी से भीग चुका था और फिर मैंने
पायज़ामा उतार दिया। दोस्तों मेरे लंड की लंबाई वैसे तो नॉर्मल 7 इंच है, लेकिन वो बहुत ही अधिक मोटा है और लगभग 4.5
इंच की गोलाई है और वैसे चुदाई करते समय सुधा ने भी कई बार मुझसे कहा है कि मेरा
लंड बहुत मोटा है जिसके कारण उसे ओरल सेक्स करते वक़्त साँस लेने में बहुत दिक्कत
होती है। तो मेरे लंड को देखकर पहले तो मेरी सास की आँखें चमक उठी, लेकिन उनके चेहरे के हावभाव जल्दी ही बदल गये। जब उन्होंने उसकी
मोटाई देखी और फिर वो बोली कि बाप रे दामदजी आपको औजार तो बहुत मोटा है? मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको पसंद आया? तो
वो मुहं से कुछ नहीं बोली बस शरमाकर हल्का सा मुस्करा गई। फिर मैंने पूछा कि मेरे ससुर
का साईज़ क्या था? तो सास बोली आपका लगभग आधा ही था और यह बात सुनकर मुझे बहुत गर्व
महसूस हुआ और फिर मैंने कहा कि आपकी चूत में जाने को मेरा लंड बिल्कुल बैचेन है।
फिर मैंने उन्हे नीचे उतारा और घुटने के बल बैठने को कहा तो उन्होंने वैसा ही
किया। मैंने अपना लंड उनको हाथ में दे दिया तो वो उसे सहलाने लगी एक हाथ से वो
मेरे लंड को ऊपर नीचे कर रही थी और दूसरे से मेरे दोनों आंडो को सहला रही थी।
फिर मैंने उनके सर को पकड़कर अपने लंड पर सटा दिया तो उन्होंने झटके
से सर पीछे खींच लिया। मैंने कहा कि मम्मी चूसो ना इसे, तो
सासू माँ ने मना करते हुए कहा कि उन्होंने लाईफ में कभी भी लंड नहीं चूसा है। तो
मैंने कहा कि रात आपने देखा नहीं सुधा कितने मज़े से मेरा लंड चूसती है तो यह बात
सुनकर वो थोड़ा सा समझ गई, लेकिन अभी भी वो झिझक रही थी। उन्होंने
जीभ बाहर निकाली और लंड के पास ले जाकर उसे बस छुआ। अब मैंने उनके बालों को एक हाथ
से पकड़ा और पीछे खींचा जिससे उनकी गर्दन पीछे की तरफ झुक गयी। फिर मैंने लंड को
दूसरे हाथ में लिया और उनके मुहं पर उसे थपकी देने लगा। लंड उनके होठों पर रगड़ने
लगा और अब उनके पूरे चेहरे पर लंड मसलने लगा। वो थोड़ा तो मुहं खोलती, लेकिन लंड को अंदर नहीं लेती। फिर मैंने उनके बालों को ज़ोर से पीछे
की तरफ खींचा और दर्द से उनका मुहं खुल गया और ठीक उसी वक़्त मैंने मेरा लंड उनके
मुहं में डाल दिया और उनके चेहरे को आगे की तरफ दबाने लगा। उसने फिर से घबराकर लंड
को बाहर निकाल दिया। मैंने वापस उनके मुहं पर लंड रगड़ा तो इस बार उन्होंने खुद ही
मुहं खोल दिया और मैंने मौका देखते हुए लंड उनके मुहं में अंदर तक डाल दिया। अब
मैंने उनके बालों को छोड़ दिया और दोनों हाथों से उनके कानो के पीछे ले जाकर उनके
चेहरे को थामते हुए लंड उनके मुहं में आगे पीछे करने लगा। पहले तो मैंने धीरे धीरे
लंड मुहं में घुसाया, लेकिन जब देखा कि सास अब नॉर्मल हो चुकी है तो मैंने अपनी स्पीड को
बढ़ा दिया और अब मैंने उनके बालों को दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर से लंड उनके
मुहं को चोदने लगा वो भी पूरी तबीयत से जीभ बाहर निकालती और सुपाड़े को चाट लेती।
फिर करीब पांच मिनट तक उनके मुहं को चोदने के बाद उनका मुहं मेरे लंड के पानी और
उनकी लार से भर चुका था। जैसे ही मैंने लंड को बाहर निकाला तो उनके मुहं से लार
बाहर छूने लगी और उनके बूब्स पर गिरने लगी। उन्होंने चैन की साँस ली और ज़ोर ज़ोर
से साँस लेने के कारण उनके दोनों बूब्स ऊपर नीचे उछल रहे थे, मैंने फिर लंड को उनके मुहं में डाल दिया और उनके मुहं की चुदाई को
शुरू कर दिया। थोड़ी देर सासू माँ का मुहं चोदने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाल
लिया।
फिर सासू माँ ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और मेरे सुपाड़े को चूसने
लगी। वो मेरा सुपाड़ा चूसे जा रही थी। बरसों की आग आज बुझाने का मौका मिला तो वो
उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। मेरा सुपाड़ा उनके चूसने के कारण बिल्कुल गरम होकर लाल
हो चुका था। में लंड से निकल रहे उनके लार को उनके पूरे चेहरे पर मसलने लगा,
उनका पूरा चेहरा भीग चुका था। तभी जैसे हमारे पूरे अरमानो पर पानी
फिर गया। सुधा ने कमरे को खटखटाया में एकदम घबरा गया और अपना लोवर ऊपर करते हुए
बाहर जाने लगा और मेरी सास भी बिना ब्रा के ही ब्लाउज को पहनकर खड़ी हो गई,
उन्होंने मुहं धोया और सब्जी पकाने में जुट गयी। फिर में बाहर गया और
दरवाजा खोला तो सुधा ने आँखें मसलते हुए कहा कि बाहर से दरवाजा क्यों बंद कर दिया
था? तो मैंने कहा कि में टीवी पर फिल्म देख रहा था तो आवाज़ से तुम्हारी
नींद खुल जाती इसलिए, वो मुस्कुराने लगी और मुझसे पूछा कि माँ किधर है? तो मैंने बिल्कुल अंजान बनते हुए कहा कि शायद किचन में खाना बना रही
होगी? तो सुधा बाथरूम में गयी और फ्रेश होकर बाहर आई और सीधा किचन में चली
गयी, सुधा ने सासू माँ से पूछा कि क्या कर रही थी माँ? तो उन्होंने कहा कि पहले तो पूजा की और अभी अभी किचन में खाना बनाने
आई हूँ।
फिर मैंने मन में सोचा कि सच ही तो कह रही है कामदेव की ही तो पूजा
कर रही थी। तभी सुधा ने सास के ब्लाउज की तरफ देखकर कहा कि यह इतना भीगा हुआ क्यों
है? में घबरा गया, क्योंकि ओरल सेक्स के कारण लार गिरने
से उनके पूरे बूब्स गीले थे और सास ने उस पर ही ब्लाउज पहन लिया, लेकिन सासू माँ बहुत ही चालक खिलाड़ी थी। उन्होंने कहा कि सब्जी ढोते
वक़्त भीग गया उसके बाद में टीवी देखने लगा और सुधा और मेरी सास किचन में ही खाना
बनाने लगी और मैंने सोचा कि आज एक सुनहरा मौका हाथ से गया। फिर दोपहर का खाना हम
तीनों ने साथ में खाया और टेबल पर में और मेरी सास बिल्कुल सामान्य व्यहवार कर रहे
थे। सुधा को अंदाज़ा भी नहीं था कि अभी कुछ मिनट पहले ही उसका पति और उसकी अपनी
माँ सेक्स के मज़े लूट रहे थे। टेबल के नीचे से मैंने सासू माँ का पैर रगड़ना शुरू
कर दिया तो वो भी मेरे पैर को अपने पैर के नाख़ून से खुरचने लगी। मुझे समझ आ गया
कि यह शेरनी अभी भूखी रह गई है, लेकिन जल्दी ही शिकार करेगी। फिर हमने
खाना खत्म किया और सास किचन में बर्तन धोने चली गयी। सुधा भी हाथ धोकर अपने कमरे
में चली गयी, लेकिन अब वो सोने वाली नहीं थी। मेरे हाथ से अच्छा मौका निकल गया।
में किचन में गया और सासू माँ को बाहों में लेते हुए कहा कि मम्मी मुझे आपको चोदना
है। तो उन्होंने झटके से मुझे अलग करते हुए कहा कि पागल मत बनो, सुधा जागी हुई है और उसे पता चल गया तो सब खत्म हो जाएगा। फिर मैंने
पूछा कि फिर कब मिलेगा आपको चोदने का मौका? सास
ने कहा कि आज रात को में रूम का दरवाजा खुला रखूँगी तुम सुधा को सुलाकर आ जाना,
मैंने कहा कि अगर सुधा रात में जाग गई और उसने मुझे वहां पर नहीं
पाया तो उसे शक हो जाएगा? तो इस पर सासू माँ ने कहा कि उसकी
फ़िक्र मत करो, मेरे पास नींद की गोलियाँ है जो कभी कभी में भी लेती हूँ। में आज रात
को उसे दूध के साथ मिलकर दे दूँगी। दोस्तों अब मुझे मेरी सास के दिमाग़ पर बहुत
गर्व हुआ कि अपनी आग मिटाने के लिए यह बूढ़ी शेरनी कुछ भी कर सकती है, दोस्तों उस दिन के बाद तो में अपनी सास को अपनी बीवी बनाकर चोदने लगा
।।
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