Saturday, November 5, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ वो सात दिन --2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

वो सात दिन --2

गतान्क से आगे...............
अनु – कभी असली ज़िंदगी में कोशिश नही की
मैं बोला "हिम्मत नही हुई?"
अनु – अच्छा.. … कभी कभी हिम्मत भी करनी चाहिए.. यू नो नो पेन, नो गेन…
हाइयर दा रिस्क, मोर आर दा प्रॉफिट्स.. सिंपल.

यह कहते हुए अनु सोफे पे बैठ गयी और एक अंगड़ाई लेने लगी… उसकी टाँगे कुछ
खुली सी थी…. मैं ज़मीन पे घुटने रख के बैठ गया..

अनु – यह क्या कर रहे हो…
मैं बोला – "कुछ नही.. हिम्मत कर रहा हूँ….

अनु ने मुस्कुराते हुए अपनी एक टाँग मेरे कंधे पे रख दी… मैने भी अपना
मुँह उनके सेंटर पॉइंट पे रख दिया.. अनु का हाथ मेरे सर के बालों मे था
और वो उसको दबा रही थी… उस के मुँह से ठंडी आहे निकल रही थी….

मैने उसका ट्रॅक सूट का एलास्टिक थोड़ा सा नीचे किया और उसकी खुसबू में
डूब गया… लंबे लंबे साँस लेने लगा..

मैं बोला – "तुम्हारी खुसुबू ने मुझे दीवाना बना दिया है… "
अनु शरम से लाल हो गयी और उसने अपनी टांगे उपर उठा ली.. मैने ट्रॅक सूट
को खींच के उतार दिया और उस के पिंक लिप्स जो छ्होटे छोटे वाले ट्रिम्म्ड
बालों से घिरे थे, उनको चूमने लगा….

मेरे होटो पे एक अजीब सी मस्ती छाई थी… जीभ भी ललचाई हुई थी और मैं उसकी
नरम कली का रस पीना चाहता था… जीभ को बाहर निकाल के मैं उस की सेंटर
पॉइंट को चाटने लगा और उसने मेरा सर ज़ोर से पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी
जीभ को अंदर आने का रास्ता देने लगी….

आ… उफ़फ्फ़… और अंदर… थोड़ा तेज़ी से.. उपर.. नीचे… अंदर… चूसो… चॅटो…..
पता नही क्या क्या बोल रही थी वो और मैं भी एक स्लाव की तरह जैसे वो
बोलती रही, करता रहा…. उसका रस छूट रहा था और मैं अपनी प्यास भुजा रहा
था…..

अनु- तुम तो बिल्कुल पागल हो गये हो…
मैं कुछ ना बोला और चाट्ता ही रहा… बोलने का टाइम ही कहाँ था… बस जितना
टाइम था मैं चाटने में ही बिताना चाहता था…

अनु- क्या मेरा रस तुम को इतना पसंद है… बताओ ना कैसा टेस्ट है ?
मैं बोला – बहुत पसंद है…. टेस्ट बहुत स्वाद है जी
अनु भी काफ़ी देर तक मज़े लेती रही…

फिर हमे टाइम का ख़याल आया… मैं तो जैसे अनु के सेंटर पॉइंट पे ही चिपका
रहना चाहता था…उसने मुझे अपने सेंटर पॉइंट से हटाया और बाथरूम चली गयी.
मैं भी उसके पीछे पीछे वहाँ पहुँच गया…

अनु – अब बाथरूम मे तो अकेला जाने दो
मैं बोला – "अगर आप बुरा ना माने तो मैं अपने हाथों से आप के सेंटर पॉइंट
को धोना चाहत हूँ…."

अनु हंस पड़ी और बोली – तुम तो बिल्कुल पागल हो.. दिल नही भरा अभी तक…चलो
आ जाओ … और वो खड़ी हो गयी.. मैं बैठ के उसके सेंटर पॉइंट को धोने लगा….
मेरा हाथ उसके पीछे भी जाने लगा… वो मुस्कुरई… मैं भी जान भूझ के उपर हुआ
और अपना मुँह बिल्कुल उसके हिप्स के पास ले आया…

मैं बोला "एक और हिम्मत करना चाहता हू.."
अनु – अब क्या… बोलो ?

मैने बोलने की जगह हिम्मत दिखाना बेहतर समझा और एक बार उसकी बॅक हिप्स को
चूमा…. वो ज़ोर से घूमी..और बोली "अरे अरे यह क्या कर रहे हो… यह कौन से
जगह है पता है ना…."

मैं चुप रहा और चूमता रहा.. और वो हँसती रही…
मैने उसके हिप्स को हाथों से पकड़ के खोला…
अनु – अरे अरे बेवकूफ़, अब तुम यह क्या कर रहे हो… गंदे गंदे कहीं के…
छोड़ी .. अइया मत करो नाआ….

आज मैं एक औरत के रंग देख रहा था… वो चाह भी रही थी के मैं उसकी बॅक साइड
को भी चाट लूँ और इसी लिए वो और झुक गयी ताकि मेरी जीभ को उसकी बॅक साइड
में जाने का रास्ता मिल जाए और दूसरी तरफ वो मुँह से मना भी कर रही थी…

अनु – तुम नही मनोगे.. गंदे कहीं के.. चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…
यह कहते हुए उसने मुझे अपने हाथों से ज़ोर लगा के अंदर दबा लिया.
कुछ देर बाद मैने अपना मुँह बाहर निकाला…
मैं बैठा बैठ थक भी गया था और बाहर जाने लगा..

अनु – अरे सूबी, चाट चाट के तुम ने मेरी बॅक साइड गीली कर दी.. इस को साफ
नही करोगे… चलो पानी और साबुन से इस को भी अच्छी तरह से सॉफ कर दो. फिर
मैने तय्यार हो के अपनी सहेली के घर जाना है…

मैने अनु की बॅक साइड भी सॉफ की और वो तय्यार होने लगी….. बाहर जाते हुए
मैं उसका मुँह चूमने लगा…..

अनु – पीछे हटो.. तुम मुँह मत चूमना, मेरे लिप-स्टिक और मेकअप खराब हो
जाएगा.. वैसे भी तुम्हारा मुँह गंदा हो गया है… चलो जाओ और रसोई में आज
बर्तन तुम सॉफ कर दो… नही तो मैं लेट हो जाउन्गि…

मैं कुछ हैरान था, पर उस वक़्त उसके रस का नशा और सेक्स की एग्ज़ाइट्मेंट
इतनी थी के उसकी बातें मुझे बुरी नही लगी और मैं चुप चाप रसोई में चला
गया. जो काम अनु ने करने थे, वो मैने निपटा दिए.

अनु – "सूबी, आज जब मैं पार्टी के बाद घर आउन्गि तो मौका देख के मेरे रूम
में आना… शायद तुमहरे मतलब का कुछ काम निकल आए…"

मैं बोला "ज़रूर.. ज़रूर आ जाउन्गा"

अनु चली गयी. कुछ देर के बाद आंटी स्कूल से वापस आ गयी.
उनके घर में आते ही मैने उनके सॅंडल खोले और पैर सहलाने लगा.
आंटी मुस्कुराती रही और मुझे फ्रिड्ज से जूस लाने को कहा.
मैने जूस सर्व किया
आंटी कुर्सी पे बैठी थी और मैं ज़मीन पे बैठ के उनके पैर और टांगे दबा रहा था.

आंटी ने कुछ देर बाद अपने आप को कुर्सी पे थोड़ा और सार्क लिया और अब
उनका एक पैर मेरे कंधे पे और दूसरा मेरे मुँह में था…फिर धीरे धीरे आंटी
ने मुझे अपने पास कर लिया….

आंटी की सारी में मैं काफ़ी उपर तक टांगे दबा रहा था… मैं उनके घुटने से
उपर अपने हाथ ले गया… आंटी ने टांगे और खोल दी…अब मेरे हाथ उनकी टाँगो को
सहलाते हुए आगे बढ़ रहे थे.

अचानक डोर बेल बजी. मैं दरवाज़ा खोलने गया और आंटी ने अपनी सारी ठीक की.
पड़ोस से कोई पेरेंट्स आए थे, अपने बच्चे की ट्यूशन के लिए… आंटी उठी और
उनसे मिलने ड्रॉयिंग रूम में चली गयी.

मैं अंदर वाले रूम में बैठ के अल्लाह का शुक्रिया कर रहा था के मुझे
ज़न्नत के नज़ारे आ गये …..

तीसरा दिन

दूसरे दिन का कुछ मज़ा पड़ोसियों के आने से किरकिररा हुआ … फिर शाम तक
आंटी अपने काम में बिज़ी रही. मैं भी टीवी देखता रहा और मन ही मन अनु का
इंतेज़ार करता रहा….. शाम 7 बजे अनु वापिस आई , मैं नॉर्मल बना रहा और
रोज़ की बातें करता रहा. मैं अनु के रूम में जाने का मौका ढूँढ रहा था.
अनु मेरी बेचेनी को समझ गयी और बोली "सूबी तुम दिन में कह रहे थे तुम्हे
इंटरनेट से कुछ डाउनलोड करना है… जा के कर लो.. कंप्यूटर अब फ्री है…"

मैं बोला " थॅंक यू दीदी.." उसको दीदी कहते हुए बड़ा अजीब लग रहा था पर
आंटी के सामने कुछ और कह भी नही सकता था….

मैं सीधा अनु के रूम में गया और सोचने लगा के क्या "गिफ्ट" होगा जो अनु
मेरे लए लाई है और फिर उसने कंप्यूटर का बहाना क्यूँ बनाया….. ओह समझा,
कंप्यूटर में पासवर्ड होगा, उसे खोलने के लिए में अनु को यहाँ बुला लूँगा
और फिर वो मुझे गिफ्ट देगी…

मैने अनु को आवाज़ लगाई "दीदी कंप्यूटर में पासवर्ड लगा है"

अनु अंदर आई.. कंप्यूटर टेबल पे मैं था… आते ही उसने मुझे चूमा, और कहा,
"बाहर बाहर से मेरे सेंटर पे किस करो…. और फिर बेड के मट्रेस के नीचे
मेरी ताज़ी पॅंटी है… चाट लो "

बिना टाइम वेस्ट किए मैने अनु की पॅंटी निकाली और चाट चाट के सॉफ कर दी.

रात को बिताना सब से मुश्किल था क्यूँ कि दोनो , अनु और आंटी एक दूसरे से
खुली नही थी और इसीलिए मुझे रात को अलग कमरे में सोना पड़ता था.

मैने अपनी रातों को भी रंगीन बनाने के लिए एक प्लान बनाया.. क्यूँ ना मैं
अनु को आंटी के साथ हुए काम के बारे में बता दूं और आंटी को अनु के साथ
किए काम के बारे में बता दूं.. अगर दोनो की आपस की शरम टूट गयी तो मेरा
डबल फायेदा होगा.

मेरे दिमाग़ में एक प्लान आ ही गया…. जिस से अनु को मैं अपने आंटी के
बारे में बता दूँगा और उसे मेरे असली प्लान का पता भी नही चलेगा. मैं सोच
ही रहा था के अनु मेरे कमरे में आ गयी…. बेड टी के साथ.

अनु – "जल्दी से बेड टी पी लो … और फ्रेश हो जाओ…कल जिस वफ़ादारी से तुम
ने मेरी पॅंटी चॅटी, मैं खुश हूँ…"

मैं बोला "क्यूँ, पॅंटी में क्या ख़ास था… कल तो मैने आप की बॅक भी चॅटी
थी.. फिर कल शाम वाली पॅंटी में क्या खास था?"

अनु "उसमें मेरा माल कम और पीशाब ज़्यादा था, पर तुम मेरे इतने दीवाने हो
के बिना सोचे समझे सब चाट गये….यह सब छोड़ो.. आज दिन में मेरी सहेली भी आ
रही है…. कल पार्टी में मैने उसे तुम्हारी दीवानगी के बारे में बताया था…
बहुत हैरान हुई वो यह सब सुन के…. आज उसके सामने सब कुछ कर के दिखाना
होगा.. कर लोगे ना……"

मैं बोला "आप का हूकम सर आँखों पे…."

मैं उठ के तय्यार हुआ और बाथरूम में चला गया. अपने प्लान के हिसाब से
मैने वहाँ आंटी के कपड़े चाटने शुरू कर दिए… अनु ने देख लिया और
बोली…"बेवकूफ़, यह मेरे नही, आंटी के हैं.." और हँसने लगी.

मैं बोला, " आप की दीदी, यानी मेरी आंटी, उनको भी अच्छा लगता है और वो
मुझे कह के गयी है के… मैं उनकी पॅंटीस चाट के सॉफ करू और …."
अनु – क्या… वो भी? तुम तो हमारे घर के सर्वेंट बन गये… पर्सनल सफाई वाले….

मैं बोला- "सिर्फ़ आप के घर का नही, आज तो आप की सहेली का भी बन जाउन्गा…"
अनु – तुम तो अब मेरे गुलाम हो… पर्सनल गुलाम…"
मैं बोला "बिल्कुल आप का गुलाम हूं, पर्सनल सफाई वाला… एक टिश्यू पेपर की तरह"
अनु – जल्दी से दीदी के कपड़े सॉफ करो, मेरी सहेली भी आती ही होगी… उसके
सामने मेरे गुलाम की तरह रहना. उस पे इंप्रेशन जमाने के लए अगर मैं
तुम्हे एक-दो बार गाली दे दूं तो बुरा तो नही मनोगे…

मैं बोला – "यस में बुरा क्यूँ मानूँगा.. चाहे 2-4 गाली दे देना और चाहे
2-4 लगा भी देना… कोई प्राब्लम नही…"
अनु – गुड.. इसी बात पे मुँह मीठा कर लो.
अनु ने मेरा मुँह अपने होंठो से मीठा कर दिया.

कुछ देर के बाद अनु की सहेली, वीना आ गयी. मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैं
आम लड़का ना हो के कोई अजीब सी चीज़ हूँ… एक अजीब मुस्कान थी. अनु और
वीना, दोनो के चेहरे पे एक मुस्कान शैतानी खेल खेल रही थी…. मैं भी बहुत
एग्ज़ाइटेड था कि आगे क्या होगा.
  क्रमशः...................

Anu – kabhi asli zindagi mein koshish nahi ki
Main bola "himmat nahi hui?"
Anu – achha.. … kabhi kabhi himmat bhi karni chahiye.. you know no
pain, no gain… higher the risk, more are the profits.. simple.

yeh kethe hue Anu sofe pe baith gaye aur ek angri lene lagi… uski
tange kuch kholi si thi…. Main zameen pe ghotne rakh ke baith gaya..

Anu – yeh kya kar rahe ho…
Main bola – "Kuch nahi.. himmat kar rhahoon….

Anu ne muskurate hue apni ek taang mere kandhe pe rakh di… Maine bhi
apna mung unke center point pe rakh diya.. Anu ka hath mere ser ke
baalon main tha aur woh usko daba rahi thi… us ke munh se thandi aahe
nikal rahi thi….

Maine uska track suit ka elastic thora sa neeche kiya aur uski kushboo
mein doob gaya… lambe lambe saans lene laga..

Main bola – "tumhari kushboo ne mujhe diwana ban diya hai… "
Anu sharam se laal ho gayi aur usne apni taange upar utha li.. maine
track suit ko kheench ke utar diya aur us ke pink lips jo chhote
choote well trimmed baalon se ghere the, unko choomne laga….

Mere hoton pe ek ajeeb si masti chhai thi… jeeebh bhi lalchai hui thi
aur mein uski naram kali ka ras peena chahta tha… jeebh ko bahar nikal
ke main us ki center poit ko chaatne laga aur usne mera ser jor se
pakar liya aur dheere dheere meri jeebh ko andar aane ka rasta dene
lagi….

Aah… ufff… aur andar… thora tezi se.. upar.. neeche… andar… chooso…
chaato….. pata nahi kya kya bol rahi thi woh aur main bhi ek slav ki
tarah jaise woh bolti rahi, karta raha…. Uska ras chhot raa ha aur
main apni pyas bhuja raha tha…..

Anu- tum toh bilkul pagal ho gaye ho…
Main kuch na bola aur chaata hi raha… bolne ka time hi kahan tha…
basss jitna time tha main chaatne mein hi bitana chahta tha…

Anu- kya mera ras tum ko itna pasand hai… batao na kaisa taste hai ?
Main bola – bahut pasand hai…. Taste bahut swad hai ji
Anu bhi kafi der tak maje leti rahi…

Phir hume time ka khayal aaya… main toh jaise Anu ke center point pe
hi chipka rehna chahta tha…usne mujhe apne center point se hataya aur
bathroom chali gayi. Main bhi uske peeche peeche wahan pahunch gaya…

Anu – Ab bathroommein toh akela jane do
Main bola – "Agar aap bura na mane toh main apne haathon se aap ke
center point ko dhona chaht hoon…."

Anu hans pardhi aur boli – Tum toh bilkul pagal ho.. dil nahi bhara
abhi tak…chalo aa jao … aur woh khardi ho gayi.. main baith ke uske
center point ko dhone laga…. Mera haath uske peeche bhi jane laga… woh
muskurai… Main bhi jan bhoojh ke upar hua aur apna munh bilkul ske
hips ke paas le aaya…

Main bola "ek aur himmat karna chahta hon.."
Anu – Ab kya… bolo ?

Maine bolne ki jagah himmat dikhana behtar samjha aur ek baar uski
back hips ko chooma…. woh zor se ghomi..aur boli "arey arey yeh kya
kar rahe ho… yeh kaun se jagah hai pata hai na…."

Main chup raha aur choomta raha.. aur woh hansti rahi…
Maine uske hips ko haathon se pakar ke khola…
Anu – arey arey bewakoof, ab tum yeh kya kar rahe ho… gande gande
kahin ke… choro .. aia mat karo naaaa….

Aaj main ek aurat ke rang dekh raha tha… woh chah bhi rahi thi ke main
uski back side ko bhi chaat loon aur isi liye woh aur jhuk gayi taki
meri jeebh ko uski back side mein jne ka rasta mil jaye aur doosri
taraf woh munh se mana bhi kar rahi thi…

Anu – tum nahi manoge.. gande kahin ke.. chalo jaisi tumhari marji…
Yeh kahte hue usne mujhe apne haathon se zor laga ke andar daba liya.
Kuch der baad maine apna munh bahar nikala…
Main baitha baith thak bhi gaya tha aur bahar jane laga..

Anu – Aree Subie, chaat chaat ke tum ne meri back side geeli kar di..
is ko saaf nahi karoge… chalo pani aur sabun se is ko bhiu acchi tarah
se saaf kar do. Phir maine tayyar ho ke apni saheli ke ghar jana hai…

Maine Anu ki back side bhi saaf ki aur woh tayyar hone lagi….. bahar
jate hue main uska munh choomne laga…..

Anu – peeche hato.. tum munh mat choomna, mere lip-stick aur make
kharab ho jayega.. waise bhi tumahara munh ganda ho gaya hai… chalo
jao aur rasoi mein aaj bartan tum saaf kar do… nahi toh main late ho
jaaongi…

Main kuch hairaan tha, par us waqt uske ras ka nasha aur sex ki
excitement itni thi ke uski baaten mujhe buri nahi lagi aur main chup
chaap rasoi mein chala gaya. Jo kaam Anu ne karne the, who maine nipta
diye.

Anu – "Subie, aaj jab main party ke baad ghar aaongi toh mauka dekh ke
mere room mein aana… shayad tumahre matlab ka kuch kaam nikal aaye…"

Main bola "zaroor.. zaroor aa jaaonga"

Anu chali gayi. Kuch der ke baad Aunty school se wapas aa gayi.
Unke ghar mein aate hi maine unke sandal khole aur pair sehlane laga.
Aunty muskurati rahi aur mujhe fridge se juice lane ko kaha.
Maine jucie serve kiya
Aunty kursi pe baithi thi aur main zameen pe baith ke unke pair aur
taange daba raha tha.

Aunty ne kuch der baad apne aap ko kursi pe thora aur sark liya aur ab
unka ek pair mere kandhe pe aur doosra mere munh mein tha…Phir dheere
dheere Aunty ne mujhe apne paas kar liya….

Aunty ki saari mein main kafi upar tak taange daba raha tha… main unke
ghotne se upar apne haath le gaya… Aunty ne taange aur khol di…Ab mere
haath nki tango ko sehlate hue aage bardh rahe the.

Achanak door bell baji. Main darwaza kholne gaya aur Anty ne apni
saari theek ki.
Pados se koi parents aaye the, apne bache ki tution ke liye… Aunty
uthi aur unse milne drawing room mein chali gayi.

Main ander wale room mein baith ke allah ka shukriya kar raha tha ke
mujhe zannat ke nazare aa gaye …..
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Woh Saat Din – Day 3
« Reply #4 on: January 20, 2010, 03:55:40 PM »
Doosre din ka kuch maza padosiyon ke aane se kirkirara hua … phir
shaam tak Aunty apne kaam mein busy rahi. Main bhi TV dekhta raha aur
man hi man Anu ka intezaar karta raha….. Shaam 7 baje Anu wapis aayi ,
main normal bana raha aur roz ki baaten karta raha. Main Anu ke room
mein jane ka mauka doondh raha tha. Anu meri baichani ko smjh gayi aur
boli "Subie tum din mein keh rahe the tumhe internet se kuch download
karna hai… ja ke kar lo.. computer ab free hai…"

Main bola " thank you Didi.." usko didi kehte hue bada ajeeb lag raha
tha par Anty ke samne kuch aur keh bhi nahi sakta tha….

Main seedha Anu ke room mein gaya aur sochne laga ke kya "gift" hoga
jo Anu mere lie lai hai aur phir usne computer ka bahana kyun
banaya….. Oh samjha, computer mein password hoga, use kholne ke liye
mein Anu ko yahan bola loonga aur pir who mujhe Gift degi…

Maine Anu ko awaj lagai "Didi computer mein password laga hai"

Anu andar aayi.. computer table pe main tha… Aate hi usne mujhe
chooma, aur kha, "bahar bahar se mere center pe kiss karo…. Ur phir
bed ke mtress ke neeche meri tazi panty hai… chaat lo "

Bina tim ewaste kiya maine Anu ki panty nikali aur chaat chaat ke saaf kar di.

Raat ko bitana sab se mushkil tha kyun ki dono , Anu aur Anty ek
doosre se khuli nahi thi aur isiliye mujhe raat ko alag kamre mein
sona pardtha tha.

DAY 3 :

Maine apni raaton ko bhi rangeen banane ke liye ek plan banaya.. kyun
na main nu ko Aunty ke saath ue kaam ke bare mein bata doon aur Aunty
ko Anu ke saath kiye kaam ke bare mein bata doon.. Agar dono ki aapas
ki sharam toot gayi toh mera double fayeda hoga.

Mere dimag mein ek plan aa hi gaya…. Jis se Anu ko main apne aunty ke
bare mein bata doonga aur use mere asli plan k pata bhi nahi chalega.
Main soch hi raha tha ke Anu mere kamre mein aa gayyi…. Bed tea ke
saath.

Anu – "Jaldi se bed tea pi lo … aur fresh ho jaooo…kal jis wafadari se
tum ne meri panty chaati, main khush hoon…"

Main bola "kyun, panty mein kya khaas tha… kal toh mine aap ki back
bhi chaati thi.. phir kal shaam wali panty mein kya khas tha?"

Anu "usmein mera maaal kam aur peeshaab jyada tha, par tum mere itne
dewane ho ke bina soche samjhe sab chaat gaye….yeh sab choro.. aaj din
mein meri saheli bhi aa rahi hai…. Kal party mein maine use tumahari
diwangi ke bare mein bataya tha… bahut hairan hui woh yeh sab sun ke….
Aaj uske samne sab kuch kar ke dikhana hoga.. kar loge na……"

Main bola "Aap ka hukam ser aankhon pe…."

Mainuth ke tayyar hua aur bathroom mein chala gaya. Apne plan ke hisab
se maine whan Aunty ke kapre chaatne shuru kar diye… Anu ne dekh liya
aur boli…"bewakoof, yeh mere nahi, Aunty ke hain.." aur hansne lagi.

Main bola, " aap ki didi, yani meri Aunty, unko bhi achha lagta hai
aur who mujhe keh ke gayi hi ke… main unki panties chaat ke saaf jaroo
aur …."
Anu – Kya… who bhi? Tum toh humara ghar ke servant ban gaye… personal
safai waale….

Main bola- "sirf aap ke ghar ka nahi, aaj toh aap ki saheli ka bhi bn jaaonga…"
Anu – tum toh ab mere gulam ho… personal gulam…"
Main bola "Bilkul aap ka gulam hoon, personal safai wala… ek tissue
paper ki tarah"
Anu – jaldi se didi ke kapre saaf karo, meri saheli bhi aati hi hogi…
uske samne mere gulam ki tarah rehna. Us pe impression jamane ke lie
agar main tumhe ek-do baar gali de doon toh bura toh nahi manoge…

Main bola – "es mein bura kyun manoonga.. chahe 2-4 gali de dena aur
chhe 2-4 laga bhi dena… koi problem nahi…"
Anu – Good.. isi baat pe munh meetha kar lo.
Anu ne mera munh apne hoto se meetha kar diya.

Kuch der ke baad Anu ki saheli, Vina aa gayi. Mujhe aise dekh rahi thi
jaise main aam larka na ho ke koi ajeeb si cheez hoon… ek ajeeb
muskaan thi. Anu aur Vin, dono ke chehare pe ek muskaan shaitani khel
khel rahi thi…. Main bhi bahut excited that ke aage kya hoga.

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