Saturday, November 5, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ वो सात दिन --1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
वो सात दिन --1

यह वो सात दिन हैं जब मेरे पेरेंट्स को एक फॅमिली फंक्षन में जाना था और
ट्रेन की एक टिकेट कन्फर्म्ड नही थी… तो वो मुझे अपने ही पड़ोस में रहने
वाली एक आंटी के पास छोड़ गये. आंटी हमारी बहुत करीबी थी क्यूँ कि तलाक़
के बाद वो अपनी बेहन अनु के साथ अकेली रहती थी ….. उनका हमारे घर पे बहुत
आना जाना रहता था.

देसएंबेर में मेरे स्कूल एग्ज़ॅम ख़तम हो गये थे , पर आंटी के स्कूल खुले
थे. आंटी सरकारी स्कूल में टीचर थी और उसकी बेहन अनु कॉलेज में थी.

पहला दिन 1 : सुबह 7 बजे मेरे पेरेंट्स मुझे आंटी के घर छोड़ के चले गये.
आंटी स्कूल जाने तो तय्यार थी. अनु बाथरूम में कपड़े बदल रही थी. मैं
ड्रॉयिंग रूम में बैठ गया. मुझे अनु से बहुत अट्रॅक्षन था और यह सोच के
वो कपड़े बदल रही है, मेर मन बेकाबू होने लगा था.

जल्दी ही वो तय्यार हो के कॉलेज चली गये और मैं अकेला रह गया. आज उसका
लास्ट पेपर था. मैने उसको बेस्ट ऑफ लक कहा और उसको जाते हुए देखा रहा.

रूम की तन्हाई में उसकी याद आ रही थी. मैं अपने आप को खुश करने के लिए
बाथरूम में चला गया. वहाँ पे अनु की नाइट ड्रेस दरवाज़े के पीछे तंगी हुई
थी और पास की बाल्टी में कुछ कपड़े थे, जो कि धोने के लिए रखे थे. मेरा
दिल ज़ोर से धरक रहा था. मैने अनु की नाइट ड्रेस को चूमा… उस की खुशुबू
से मैं और ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया…. थोड़ा और देखने पे पता चला के पास
रखे कपड़ो में कुछ पॅंटीस और ब्रा भी थी… पर कौन सी ब्रा-पॅंटी अनु की और
कौन सी आंटी की है, पता नही चल रहा था… मैं सेक्स से पागल हो चुक्का था
और सब की सब पॅंटिस को चाटने लग गया…

मैं पूरी जीभ निकाल के पॅंटीस को चाट-चूस रहा था.. एक अजीब सा नशा और
जुनून मेरे सिर पे सवार था. पॅंटीस में उनका माल चिपका हा , उनका पानी
लगा था, जो सूख के धब्बा सा बन गया था… मेरी जीभ ने एक एक धब्बे को चाट
के साफ कर दिया… फिर मैं दोबारा नाइट ड्रेस को चूमने लगा….

मेरा एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था… और ना जाने कितनी बार मेरा लंच
अपना माल छोड़ चुक्का था… मेरे पास पूरा दिन था, सो मैं एक पॅंटी और एक
ब्रा बाथरूम से ले आया और बेड पे लेट गया. मैने पॅंटी को मुँह में डाल
लिया, और ब्रा अपने चेहरे पे रख लिया…. ज़्यादा माल छोड़ने और मज़े लेने
की वजह से मैं सो गया….

आंटी : आररी.. यह क्या… सूबी.. उठो… सूबी…

मैं सकपका गया.. आंटी सामने थी, मेरे मुँह में ब्लॅक पॅंटी थी और ब्रा
मेरे माथे पे थी…. कुछ बोल भी नही पा रहा था मैं….

आंटी ने एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पे मारा… मैं होश में आया..और उनके
कदमो में गिर पड़ा…

आंटी : तुम ने मेरी पॅंटी और अनु की ब्रा … यह सब क्या है सूबी ?
मैं क्या जवब देता.. बस रो पड़ा और उनके पैर पकड़ लिया….और उनपे अपना सिर रख दिया.

आंटी : वैसे तुम्हे क्या मज़ा आया मेरी पॅंटी को चाट के…

मैं चुप रहा… एक और ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पे लगा… आंटी ने अपने सॅंडल
से मेरे मुँह पे लात मारी और मैं नीचे गिर गया… मेरे होंठो के किनारे पर
कट लग गया…

आंटी : बोलो.. तुम्हे क्या मज़ा आया… सच बोलना

"जी मज़ा आया था"

आंटी : क्या मज़ा आया था.. जवाब दो?

"जी टेस्ट, खुसुबू और…."

आंटी : और क्या ?

"जी मुझे बहुत अट्रॅक्षन थी… मुझे बहुत प्यास थी…"

आंटी: प्यास.. ह्म्म…

आंटी कुर्सी पे बैठ गयी और मैं ज़मीन पे…. उनका एक पैर मेरे शोल्डर पे था
और दूसरा मेरे लिप्स पे. उन्हो ने अपने पैर की उंगलियाँ मेरे मुँह में
डाल दी ….

आंटी : चॅटो मेरे तलवे और उंगलियाँ…. ठीक से चाट. अगर मैं खुश हो गयी तो
तुझे बहुत कुछ टेस्ट करवा दूँगी… समझा.

मैं उनके पैर चाटने लगा.

फर्स्ट डे तो आंटी के पैर चाटने और चूमने में बीत गया.
शाम को अनु आ गयी और फिर हम लोग टीवी देखते रहे.
मैं सोच रहा था कि चलो अनु ना सही, कम से कम आंटी के पैर तो चूम ही किए
और दोनो की पॅंटीस से उनका रस भी चूस ही लिया…
मैं बाहर वाले रूम में, जो अनु का था, उस में सो गया और अनु आंटी के रूम
में सो गयी.
रात भर मैं अनु की कपबोर्ड को खोल के उस में से पॅंटीस ढूढ़ता रहा.. पर
सब की सब साफ ही थी… फिर बेड में मॅट्रेस के नीचे से एक पॅंटी मिली जो
अनु के माल से भरी थी. उसको चाट्ता चाट्ता सो गया.

दूसरा दिन :

सुबह उठा और अपना पाजामा देख के मेरे होश उड़ गये.. सारा पाजामा आगे से
मेरे माल से भरा था और रात सोए सोए मैने अनु की पॅंटी पता नही कब अपने
लंड पे रख ली… वो भी मेरे माल से लबा लब भरी थी.

मैने सोचा अनु को जब यह पॅंटी मिलेगी तब तक माल सूख जाएगा, उसे क्या पता
चलेगा के यह माल कौन सा है… मैने पॅंटी फिर से मॅट्रेस के नीचे छिपा दी.
अपना पाजामा बदल लिया और नहाते हुए धो दिया.

आंटी : अरे सूबी, यह क्या… तुम ने अपने कपड़े क्यूँ धो दिए… सारे कपड़े
एक साथ वॉशिंग मशीन में ही धो लेते हम लोग?

मैं बोला : नही… बसस्स वैसे ही….

अनु : दीदी लगता है यह बहुत साफ सफाई रखते हैं…

यह सुन कर मेरे अंदर अजीब सी एग्ज़ाइट्मेंट आ गयी और आंटी भी पिछले कल की
बातें याद कर के मुस्कुरा दी… अनु को क्या पता कल आंटी ने मेरी कौन सी
सफाई देखी थी !!!

अनु हम लोगों की शैतानी भरी मुस्कुराहट जान नही पाई और हम ने भी नॉर्मल
हो के अपने कारनामे छुपा लिए.

ब्रेकफास्ट के बाद, आंटी अपने स्कूल चली गयी और अनु कपड़े धोने के लिए
बातरूम में आ गयी. मैं अकेला बोर हो रहा था तो मैं भी बाथरूम में जाने
लगा. दरवाज़े से देखा तो अनु वहाँ कपड़े वॉशिंग मशीन मैं डाल रही थी…
मेरा दिल धड़क रहा था….

अनु : तुम यहा क्या कर रहे हो
मैं बोला "कुछ नही.. कमरे में बोर हो रहा था तो सोचा आप की हेल्प कर दूं…
अनु शर्मा के बोली : ठीक है तुम यह कपड़े बाहर सुखा दो….
मैं ने सलवार कमीज़ उठाए और बाहर सूखाने चला गया.
अनु ने अब पॅंटीस और ब्रा निकाले बकेट से निकाले और वॉशिंग मशीन में डाल
दिए… वो मेरे सामने यह सब धोना नही चाहती होगी… मैं भी चुप चाप देखता
रहा.. अनु हैरान थी के यह सब इतने साफ कैसे हैं. फिर उसे अपनी पॅंटी की
याद आई और वो अपने रूम में, जहाँ रात को मैं सोया था, वहाँ गयी… और मेरे
माल से भरी पॅंटी उठा लाई….
जैसे ही उसने पॅंटी देखी, वो हैरान थी के कल रात की पॅंटी अभी भी कैसे गीली है…
उसने माल को, जो कि रात को मैने उस में छोड़ा था, को टच किया. कुछ हैरान हुई.

अब शायद वो समझ गयी थी के यह काम मेरा है क्यूँ कि पॅंटी की आगे की साइड
साफ थी, जो मैने चॅटी थी पर पॅंटी की बॅक साइड, जो रात को अंजाने में
मेने अपने लंड पे रख ली थी, गीली थी.

वो जान गयी के मैने उसकी पॅंटी चॅटी और फिर अपना माल उस में छोड़ दिया
उसने पॅंटी के गीले हिस्से को चूमा और शायद थोडा सा चाट भी लिया…. वो
अचनाक घूमी और हम दोनो की नज़रें मिली…..

वो हैरान थी.. उस के हाथ में उसकी पॅंटी, होटो पे माल का गीलापन और पीछे खड़ा मैं….

मैं बोला " दीजिए.. इस को मैं सॉफ कर देता हूँ"
अनु – नही रहने दो….
मैं भी चुप रहा. वो भी काम निपटाती रही.

वो मुझ से आँखे चुरा रही थी और मैं बेशरम सा उसको देख रहा था. आख़िर मैने
चुप्पी को ख़तम किया…..
मैं बोला "अनु दीदी, मैं आप की पूरी इज़्ज़त करता हूँ और आप के राज राज
ही रखोंगा… सच"

अनु चुप रही….

मैने अनु का हाथ अपने हाथ में लिया , अनु ने हाथ छुड़ाने की कोशिश नही
की. बॅस मुझे एक झलक देखा और नज़रें झुका ली. अनु ने अपना हाथ हटाना चाहा
पर मैने हाथ नही छोड़ा…

अनु – अब हाथ छोड़ दीजिए… सूबी
मैं बोला "अगर नही छोड़ा तो…"
अनु – प्लीज़.. सूबी
मैं बोला "क्यूँ कुछ कुछ होता है क्या
अनु – कुछ नही बहुत कुछ होता है….

यह कह के वो किचन में भाग गयी और मैं भी पीछे पीछे वहाँ चला गया.
मैने पीछे से उसको झप्पी डाल दी, अनु ने भी छूटने की फॉरमॅलिटी की … पर
मेरी झप्पी से बाहर नही निकली..

अनु – चाइ पीयोगे या कॉफी..
मैं बोला " जो तुम पिलाना चाहो.."
अनु – ज़हेर दे दूं
मैं बोला " आपका ज़हेर भी पीने को तय्यार हूँ
अनु – मेरा ज़हेर … बहुत नशीला है
मैं बोला " हां जानता हूँ"
अनु – कैसे जानते हो ?
मैं बोला " कुछ कल दिन में और बाकी कल रात को टेस्ट किया था…."
अनु शर्मा गयी …. "तुम्हे कैसा लगा यह सब करके?"
मैं बोला " बहुत नज़र आया .. मज़ा आ गया…"

अनु – हां, कितना मज़्ज़ा आया वो तो मैने भी देखा….
मैं भी हँसने लगा…. "हां क्यूँ नही…."
अनु – पर तुम्हे क्या मिला , कैसा टेस्ट था मेरा…

मैं बोला "बहुत ही नशीला, मीठा, नमकीन… उस वक़्त टेस्ट की किस को समझ
रहती है… उस वक़्त तो बॅस एक जुनून सवार होता है… अब असली ज़िंदगी में तो
मौका मिला नही, तो बॅस पॅंटीस चाट के ही काम चला लिया"
 क्रमशः...................
wo saat din

Yeh who saat din hain jab mere parents ko ek family function mein jana
tha aur train ki ek tcket confirmed nahithi… toh who mujhe apne hi
pados mein rehne wali ek aunty ke paas chor gaye. Aunty humari bahut
karibi thi kyun ke talak ke baad who apni behan Anu ke saath akeli
rehti thi ….. unka humare ghar pe bahut aana jaana rehta tha.

December mein mere school exam khatam ho gaye the , par aunty ke
school khule the. Aunty Govt School mein teacher thi aur uski behan
Anu college mein thi.

Day 1 : Subah 7 baje mere parents mujhe Aunty ke ghar chor ke chale
gaye. Aunty school jane to tayyar thi. Anu bathroom mein kapre badal
rahi thi. Main drawing room mein baith gaya. Mujhe Anu se bahut
attraction ha aur yeh soch ke who kapre badal rahi hai, mer mann
bekabu hone laga tha.

Jaldi hi who tayyar ho ke college chali gaye aur main akela reh gaya.
Aaj uska last aper tha. Maine usko best of luck kaha aur usko jate hue
dekha raha.

Room ki tanhai mein uski yaad aa rahi thi. Main apne aap ko khush
karne ke liye bathroom mein chala gaya. Wahan pe Anu ki night dress
darwaze ke peeche tangi hui thi aur paas ki balti mein kuch kapre the,
jo ki dhone ke liye rakhe the. Mera dil jor se dharak raha tha. Maine
Anu ki night dress ko chooma… us ki kushboo se main aur jyada excited
ho gaya…. Thora aur dekhne pe pata chala ke paas rakhe kapro mein kuch
panties aur bra bhi thi… par kaun si bra-panty Anu ki aur kaun si
Aunty ki hai, pata nahi chal raha tha… main sex se pagal ho chukka tha
aur sab ki sab pantis ko chatne lag gaya…

Main poori jeebh nikal ke panties ko chaat-chos raha tha.. ek ajeeb sa
nasha aur junnoon mere sir pe sawar tha. Panties mein unka maal chipka
ha , unka pani laga tha, jo sookh ke dhabba sa ban gaya tha… meri
jeebh ne ek ek dhabbe ko chaat ke saaf kar diya… phir main dobara nigh
dress ko choomne laga….

Mer ek haath mere lund ko sehla raha tha… aur na jane kitni baar mera
lunch apna maal chorr chukka tha… Mere paas poora din tha, so main ek
panty aur ek bra bathroom se le aaya aur bed pe lait gaya. Maine panty
ko munh mein dal liya, aur bra apne chehre pe rakh liya…. Jyada maal
chorne aur maje lene ki wajah se main so gaya….

Aunty : Arree.. yeh kya… Subie.. utho… subie…

Main sakpaka gaya.. Aunty saamne thi, mere munh mein black panty thi
aur bra mere maathe pe thi…. Kuch bol bhi nahi pa raha tha main….

Aunty ne ek zordaar thapppper mere munh pe mara… main hosh mein
aaya..aur unke kadamo mein gir pada…

Aunty : tum ne meri panty aur Anu ki bra … yeh sab kya hai Subie ?
Main kya jawb deta.. bas ro pada aur unke pair pakad liya….aur unpe
apna sir rakh diya.

Aunty : waise tumhe kya maza aaya meri panty ko chaat ke…

Main chup raha… ek aur zordaar thappar mere munh pe laga… Aunty ne
apne sandal se mere munh pe laat mari aur main neeche gir gaya… mere
hoton ke kinare pr cut lag gaya…

Aunty : Bolo.. tumhe kya maza aaya… sch bolna

"Ji maz aya tha"

Aunty : Kya maza aya tha.. jawab do?

"Ji taste, kushboo aur…."

Anty : Aur kya ?

"Ji mujhe bahut attraction thi… mujhe bahut pyaas thi…"

Aunty: Pyaas.. hmm…

Aunty krsi pe baith gayi aur main zameen pe…. Unka ek pair mere
shoulder pe tha aur doosra mere lips pe. Unho ne apna pair ki
ungaliyan mere munh mein daal di ….

Aunty : chaato mere talwe aur ungaliyan…. theek se chaat. Agar main
kush ho gayi toh tujhe bahut kuch taste karwa dongi… samjha.

Main unke pair chaatne laga.

First day toh Aunty ke pair chaatne aur choomne mein beet gaya.
Sham ko Anu aa gayi aur phir hum log TV dekhte rahe.
Main soch raha thake chalo Anu na sahi, kam se kam Aunty ke pair toh
choom hi kiye aur dono ki panties se unka ras bhi choos hi liya…
Main bahar wale room mein, jo Anu ka tha, us mein so gaya aur Anu
Aunty ke room mein so Gayi.
Raat bhar main Anu ki cupboard ko khol ke us mein se panties doondhta
raha.. par sab ki sab saaf hi thi… phir bed mein mattress ke neeche se
ek panty mili jo Anu ke maal se bhari thi. Usko chaatha chaatha so
gaya.

DAY 2 :

Subah utha aur apna pajama dekh ke mere hosh urdh gaye.. sara pajama
aage se mere maal se bhara tha aur raat soye soye maine Anu ki panty
pata nahi kab apne lund pe raklh li… woh bhi mere maal se laba lab
bhari thi.

Maine socha Anu ko jab yeh panty milegi tab tak maal sookh jayega, use
kya pata chalega ke yeh maal kaun sa hai… maine panty phir se mattress
ke niche chipa di. Apna pajama badal liy aur nahate hue dho diya.

Aunty : Are Subie, yeh kya… tum ne apne kapre kyun dho diya… saare
kapre ek saath washing machine mein hi dho lete hum log?

Main bola : Nahi… basss waise hi….

Anu : Didi lagta hai yeh bahut saaf safai rakhte hain…

Yeh sun kar mere ander ajeeb si excitement aa gaye aur Aunty bhi
pichle kal ki baaten yaaad kar ke muskura di… Anu ko kya pata kal
Aunty ne mei kaun si safai dekhi thi !!!

Anu hum logon ki shaitani bhari muskurahat jaan nahi payi aur hum ne
bhi normal ho ke apne karnaame choppa liye.

Breakfast ke baad, Aunty apne school chali gayi aur Anu kapre dhone ke
liye bathroom mein aa gayi. Main akela bore ho raha tha toh main bhi
bathroom mein jane laga. Darwaze se dekha toh Anu wahan kapre washing
machine main daal rahi thi…
Mera dil dharak raha tha….

Anu : tum yaha kya kar rahe ho
Main bola "Kuch nahi.. kamre mein bore ho raha tha toh socha aap ki
help kar doon…
Anu Sharma ke boli : Theek hai tum yeh kapre bahar sukha do….
Main ne salwar kameez uthaye aur bahar sookhane chala gaya.
Anu ne ab panties aur bra nikale bucket se nikale aur washing machine
mein daal diye… woh mere samne yeh sab dhona nahi chahti hogi… main
bhi chop chaap dekhta raha.. Anu hairaan thi ke yeh sab itne saaf
kaise hain. Pir use apni panty ki yaad aayi aur woh apne room mein,
jahan raat ko main soya tha, whan gayi… aur mere maal se bhari panty
utha layi….
Jaise hi usne panty dekhi, woh hairaan thi ke kal raat ki panty abhi
bhi kaise geele hai…
Usne maal ko, jo ki raat ko maine us mein chora tha, ko touch kiya.
Kuch hairaan hui.

Ab shayad woh samajh gayi thi ke yeh kaam mera hai kyun ki panty ki
aage ki side saaf thi, jo main chaati thi par panty ki back side, jo
raat ko anjaane mein meine apne lundh pe rakh li thi, geeli thi.

Woh jaan gayi ke maine uski panty chaati aur phir apna maal us mein chor diya
Usne panty ke geele hisse ko chooma aur shayad thora sa chaat bhi
liya…. Woh achnak ghoomi aur hum dono ki nazaren mili…..

Woh hairaan thi.. us ke haath mein uski panty, hoton pe maal ka
geelapan aur peeche khara main….

Main bola " dijiye.. is ko main saaf kar deta hoon"
Anu – Nahi rehne do….
Main bhi chup raha. Woh bhi kaam niptati rahi.

Woh mujh se aankhe chura rahi thi aur main besharam sa usko dekh raha
tha. Akhir maine chuppi ko khatam kiya…..
Main bola "Anu didi, main aap ki puri izzat karta hoon aur aap ke raaj
raaj hi rakhonga… sach"

Anu chup rahi….

Maine Anu ka haath apne haath mein liya , Anu ne haath churane ki
koshish nahi ki. Bass mujhe ek jhalak dekha aur nazaren jhuka li. Anu
ne apna haath hatana chaha par main haathnahi chorra…

Anu – Ab haath chorr dijiye… Subie
Main bola "Agar nahi chorra toh…"
Anu – please.. Subie
Main bola "Kyun kuch kuch hota hai kya
Anu – kuch nahi bahut kuch hota hai….

Yeh keh ke woh kitchen mein bhag gayi aur main bhi peeche peeche wahan
chala gaya.
Maine peeche se usko jhappi daal di, Anu ne bhi chhotne ki formality
ki … par meri jhappi se bahar nahi nikli..

Anu – chai peeyoge ya coffee..
Main bola " jo tum pilana chaho.."
Anu – Zeher de doon
Main Bola " aapka zeher bhi peene ko tayyar hoon
Anu – mera zeher … bahut nashila hai
Main bola " haan janta hoon"
Anu – Kaise jante ho ?
Main bola " kuch kal din mein aur baki kal raat ko taste kiya tha…."
Anu Sharma gayi …. "tumhe kaisa laga yeh sab karke?"
Main bola " bahuut nazar aaya .. mazza aa gaya…"

Anu – haan, kitna mazza aaya woh toh maine bhi dekha….
Main bhi hansne laga…. "Haan kyun nahi…."
Anu – par tumhe kya mila , kaisa taste tha mera…

Main bola "bahut hi nasheela, meetha, namkeen… us waqt tate ki kis ko
samjh rehti hai… us waqt toh bass ek junoon sawar hota hai… ab asli
zindagi mein toh mauka mila nahi, toh bass panties chaat ke hi kaam
chal liya"


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