Thursday, August 18, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ ईमानदार नौकर- पार्ट--2



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

ईमानदार नौकर- पार्ट--2

गतान्क से आगे......
बहू बोली "नही बताउन्गि….परंतु 1 शर्त पर…." मुझे पता था ये मुझसे चुदवाना चाहती है बहू बोली "तुम्हे मेरे सामने सासुमा को चोदना होगा….और वो भी आज अभी" ये सुनके हम लोग दंग रह गये. मुझे लगा ये चुदवाने की बात करेगी परंतु इसे तो देखने आनंद लेना था. सेठानी बोली "तू ये क्या बकवास कर रही है बहू…ये नही होगा" "तो ठीक है मैं चली ससुरजी के पास" मैं बोला "नही नही ….हम प्रयत्न करेंगे …परंतु अभी नही रात को…" बहू बोली "तो ठीक है आज तुम रात को मेरे सामने मेरी प्यारी चुड़दकड़ सासू मा को चोदोगे" सेठानी कैसे तैसे राज़ी हो गयी. और सेठानी के बहू ने मेरे गाल का अचानक से चुम्मा ले लिया.

4 बजे हम लोग कॉमपार्टमेंट मे पहुचे. तो सेठ जी पहले से सो रहा था. 7 बजे के लगभग टाइम हमने कॉमपार्टमेंट मे डिसाइड कर लिया कि रात को 2-3 नींद की गोली पानी मे मिलाके के सेठ को सुला दिया जाएगा और बाद मे हमारा प्रोग्राम होगा. लगभग 8 बजे खाना आनेवाला था. उतने मे सेठ जी उठ बैठे और बोले "अरे मेरी कब आँख लगी पता ही नही चला…बड़ा अच्छा मौसम है आज ….बहुत आनंद आ रहा है सफ़र का …मेरी नींद भी बहुत अच्छी हुई है …अभी मुझे रात को जल्दी नींद नही आएगी" और फिर सो गया ये सेठ कब सोता कब जागता कुछ समझ नही आ रहा था.

मैं मन ही मन मे बोला "दिन तुम्हारे लिए नही मेरे लिए मस्त है..और ये सब आप की देन है..और नींद आपको तो हम चाहे तब आएगी आप आगे देखो होता है क्या.." इतने मे बच्चा रोने लगा तो सेठ की बहू ने उसे गोद मे लिया और उसे दूध पिलाने के लिए अपने पीले कलर के तंग ब्लाउस के बटन खोलने लगी. उसकी चुचिया दूध से भरी होने के कारण स्तनो के घेराव आकार मे बहुत बड़े नज़र आ रहे थे. जैसे लग रहा था कि तरबूज रखे हो ब्लाउस मे. उसने बटन खोल के एक निपल बच्चे के मूह मे डाल दिया. और बच्चा शांति से दूध पीने लगा. सेठ जी की बहू ने जानते हुए भी कि ये लोग बैठे है…बात को अंजाना करते हुए घूँघट नही लिया और बच्चे को दुख पिलाने लगी. उसके वो गुलाबी कलर का निपल देख के मेरे शरीर मे ज्वालए उत्पन्न हो गयी. मेरा लंड 1 क्षण मे पूरा 10 इंच टाइट हो गया. ये बात सेठानी की आँखो ने भाप ली और बहुने भी ….और दोनो एक दूसरे के आँखोमे देखकर मुस्कुराने लगी. इधर मैं लज्जित होते जा रहा था. क्यू की मैं मेरी इच्छा को कंट्रोल नही कर पा रहा था और लंड के रूप मे उसके सबको दर्शन दिला रहा था. सेठानी और सेठानी की बहू पहले आँख मिलाने मे थोड़े हड़बड़ा रहे थे. पर कहते है ना चुड़क्कड़ औरतो की शर्म लज्जा 1 क्षण के लिए होती है….थोड़ी ही देर मे दोनो मेरी तरफ देखकर मेरी तंग पॅंट से दर्शन दे रहे मेरे लंड को घुरे जा रही थी …और मन ही मन मे आनंदित हो रही थी. उधर सेठ जी ऐसे सोया था जैसे स्वर्ग मे सोया हो. और इधर उसकी घरवालिया गुल खिला रही थी. इतने मे खाना आ गया फिर सेठ जी नींद से उठ गये. फिर हम लोग बीच टेबल की तरह रचना करके खाने के लिए बैठ गये. खाने का 1 नीवाला मेरे मूह मे जाने ही वाला था कि मैने मेरी पॅंट पे हाथ का स्पर्श महसूस किया. सेठानी की बहू ने बाया हाथ मेरे टांग पे रख दिया. इधर सेठानी ने भी अपनी हरकते शुरू कर दी और वो मेरे बाजू मे खिसक के मेरे दाए साइड चिपक गयी.

सेठ जी को होश ही नही था कि क्या चल रहा है बेचारा बूढ़ा मटक मटक आवाज़ निकाल के खाना खाते जा रहा था. जैसे कि मेरा 1 हाथ खाली था सेठानी की बहू मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी जाँघ पे घिसने लगी और फिर अपनी चूत के पास ले जाकर मुझे चूत को दबाने का इशारा करने लगी. मैने चुपके से दोंनो को सेठ जी की तरफ इशारा किया …तो दोनो ही हस पड़ी ….सेठानी की बहू मेरे कानो मे बोली "बूढ़े को श्याम और रात मे बहुत कम दिखता है…तुम चिंता मत करो." और फिर मेरा हाथ चूत पे दबाने लगी. मैने बहू की सारी नीचे से उपर खीची और अंदर हाथ डाल दिया. ये हरकत देखकर सेठानी मुस्कुराइ और बोली "आराम से खाना खाना …बहुत भाग दौड़ है (होनेवाली है) आज तुम्हारी. " और दोनो भी हस्ने लगी. मैने बहू की चूत के अंदर 1 उंगली डाल दी.चूत बहुत ही ढीली और नाज़ुक लग रही थी. मैने दूसरी उंगली डाल दी. और अंदर बाहर करने लगा तो बहू अपना नीचे का होंठ दाँत तले दबाने लगी और लंबी सासे लेने लगी. इतने मे सेठानी बोली "ज़रा हमे भी उस सब्जी का मज़ा चखाओ..दिखाओ इधर कैसी है टेस्ट मे " उस रंडी का मतलब बहू के चूत से निकल रहे रस के ओर था. मैने कहा "हाँ क्यूँ नही क्यू नही" इतने मे सेठ जी खाना ख़ाके हाथ धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिए और मैने अपनी उंगली सेठानी के मूह मे डाल दी उसने उसे चटाना शुरू किया. और मैने मोके फ़ायदा उठाते हुए फटक से बहू के ब्लाउस के बटन खोले और एक निपल मूह मे ले लिया..और चूसने लगा तो सेठानी बोला "सिर्फ़ चॅटो, चूसो नही …दूध तुम्हारे लिए नही बच्चे के लिए है." मैं सिर्फ़ मुस्कुराया और ज़ोर से निपल को चूसना शुरू कर दिया.

इतने मे सेठ जी के आने की भनक लग गयी और हम लोग बाजू हो गये. सेठानी की बहू ने ब्लाउस के बटन बंद कर दिए और सारी नीचे कर डी और मेरा हाथ अपनी टाँगो के बीच से निकालकर बाजू कर दिया. फिर बहू ने सेठानी के संदूक से नींद की दो-तीन गोली निकाली और नींबू पानी मे मिक्स कर दी. और पानी का ग्लास सेठ जी के हाथ मे देते हुए बोली "बाबूजी आप इसे जल्दी से पी लीजिएगा …नींबू पानी से सेहत अच्छी रहती है" कितना भोलापन था उसके बातो मे. सेठ जी ने अपनी प्यारी-भोली बहू का हुक्म सुनकर ग्लास पेट मे पूरा खाली कर दिया और दस मिनिट मे जगह पे लूड़क गये. अब बहू हम दोनो की तरफ देखने लगी.

उसकी नज़र की गर्मी की हवा मेरे और सेठानी के अंग से बहने लगी. बहू का मन वासना से भर गया था और वो उसकी नज़र मे भी साफ दिखाई दे रहा था. वो बोली "चलो शुरू हो जाओ, नहितो …." उसके कहते ही मैने सेठानी की गांद पे हाथ रख दिया और 1 थप्प्पड़ मारके उसे ज़ोर से दबाया. सेठानी बेचारी कहकहा उठी. उसे मैने दो बर्त के बीच मे खड़ा किया. एसी कॉमपार्टमेंट होने के कारण जगह बहुत थी. सेठ जी को हमने उठाके सामने वाले बर्त पे लिटा दिया और उसके उपर दो चार चादरे चढ़ा दी जो कि उसको कुछ सुनाई दिखाई ना दे.

मैने सेठानी का मूह खिड़की की तरफ किया और बोला "अब पूरी रात तुम्हे ऐसे कुत्ते की तरह ही खड़ा रहना होगा …ज़रा भी हिलने की कोशिश की तो लेने के देने पड़ जाएँगे" सेठानी का मूह खिड़की की तरफ करके मैने उसे कुत्ते की तरह खड़ा किया. और गांद के पीछे से जाके मैं भी उसी पोज़िशन मे उससे चिपक गया. बहू ये सब देख के मज़ा ले रही थी. और निचले होंठ को दात से दबाते हुए अपनी सारी के बीचमे से चूत मे हाथ डाल रही थी. मौसम बहुत रंगीला था. और मेरे उपर अभी भूत सवार था. मैने सेठानी की सारी खोलनी शुरू की और फिरसे सेठानी का सौन्दर्य मेरी नज़रो से मैं देखने लगा . अब मैने सेठानी का पार्कर भी खोल दिया. सेठानी अभी सिर्फ़ निकर और ब्लाउस मे खड़ी थी. और बहू के सामने होने कारण थोड़ी शरम महसूस कर रही थी.

मैने निकर भी निकाल दिया और ब्लाउस भी, उसके कांख के बाल बहुत ही सुंदर थे, मैने उसे थोड़ा थोड़ा खींचना शुरू किया, उसके बाद मेरी नज़र गयी मदमस्त नाज़ुक चूत पे, जिसे देख के मेरे अंदर का जानवर जाग गया, चूत का रंग दोपेहर की ठुकाई के कारण अभी भी लाल था और उसमे से मेरे वीर्य की कुछ बूंदे भी टपक रही थी. अब मैने मेरा 10 इंच का पहाड़ बाहर निकाला. जिसे देखते ही बहू बोली "होये रामा …….आपके रामजी तो बहुत ही बड़े और लंबे मालूम पड़ते है अगर ये पूरे सासू मा के अंदर प्रयाण कर गये तो सासू मा की चूत का तो समुंदर बन जाएगा…" और हस्ने लगी. और बोली "अभी देर ना करो जल्दी से इसे सासू मा के अंदर डालो…मुझे देखना है कैसे सासू मा इसे अपने चूत के अंदर समाती है…आख़िर पुरानी खिलाड़ी है" मैने सेठानी का ब्लू कलर का ब्लाउस खोल दिया और उनकी चुचिया चूसने लगा. वो एकदम गरम हो गयी थी बोल रही थी "जल्दी से तुम्हारे लंड के सूपदे को मेरे चूत मे डालो …मैं और सह नही सकती"

मैने अपने लंड पे थुका और बहू की तरफ इशारा किया. उसे तो इशारे की ही देर थी वो मेरे पास आके मेरे लंड को मूह मे लेने लगी और चूसना शुरू कर दिया मेरे लॅंड से निकल रहे पानी को वो चाट लेती थी. उसने मूह मे बहुत सारी थूक जमा कर ली और मुझे बोली "सासू मा की चूत खोलो. मुझे ये सब उसमे डालना है" मैने दो उंगलिया डालके सेठानी की चूत के लिप्स को अलग किया और बहूने उसमे सब जमा किया हुआ थूक दिया और अपनी जीभ से चुतताड को चाटने लगी. थोड़ी दे मे मैने बहू की पीले कलर की सारी और ब्लाउस उतार दिए. वो अप्सरा समान लग रही थी. उसकी फिगर कोई साउत इंडियन हेरोयिन से कम नही थी. मैं तो बोलता हू जब भी कोई मर्द इससे देखता होगा. एक बार तो इसके नाम पे हिलाता ज़रूर होगा.

अब मैने अपना लंड चूत पे रख दिया. बहू की लार चूत से टपक रही थी. चूत बहुत ही गीली और लाल हो गयी और सेठानी उधर चिल्ला रही थी "जल्दी करो मुझसे रहा नही जा रहा है " मैं बोला "मेरी रानी दो मिनिट शांति रख फिर देख …" अब मैने धीरे धीरे चूत के अंदर लंड डालना शुरू किया और मूह मे बहू की चुचिया ले ली. और एक ऐसा ज़ोर का झटका लगाया कि सेठानी ज़ोर्से चिल्लाई, मैने उसका मूह दबा दिया, एक झटके मे आधे से उपर लंड अंदर जाने के कारण सेठानी से रहा नही जा रहा था वो दर्द से बिलख रही थी और मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी थी. इधर बहू सामने से गयी और सासू की गांद पे थप्पड़ मारते हुए मत "चिल्ला मत कुतिया नही तो ये हाथ तेरी गांद मे डाल दूँगी…." बहू तो एकदम एक्सपर्ट मालूम होती थी गाव जाके मैं सबसे पहले मैं इसका इतिहास जानने वाला था.

बहू ने सासू मा के मूह पे हाथ रख दिया. और मैने फिरसे पोज़िशन लेके ज़ोर का धक्का मार दिया . सेठानी जगह पे ही कापने लगी उसके हाथ पैर हिलने लगे. बहुत ही कच्ची खिलाड़ी थी वो, ऐसा लग रहा ये नीचे बैठ जाएगी या गिर जाएगी, परंतु बहू ने उसकी कमर को पकड़े रखा. अब कि जब मेरा पूरा लंड अंदर था मैने ज़ोर्से झटके मारने शुरू कर दिए. और सासू मा की हालत पतली हो गयी.उसके मूह के उपर कपड़ा रखने के कारण उसके मूह से ज़यादा आवाज़ नही निकल रही थी परंतु मूह से "एयेए…सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…स्साआअ.सस्सस्स ऊऊओ…." की आवाज़े आ रही थी. अब मैने अपनी गति और तेज कर दी. और ज़ोर से झटके मारने लगा, चूत टाइट होने के कारण मुझे सातवे आसमान पे होने का एहसास हो रहा था और हर 1 धक्का मुझे स्वर्ग का एहसास दिला रहा था. थोड़ी ही देर मे मैने मेरा वीर्य परीक्षण सेठानी की चूत को करा दिया.

मैने लंड बाहर निकाला और बहू का सर पकड़ के खिचा और ज़बरदस्ती अपना वीर्य से भरा हुवा लंड उसके मूह मे डाल दिया. एक दो झटके मे मैने आधे से उपर लंड बहू के मूह मे घुसेड दिया…और उसकी आँखो से आसू निकल आए. मैने लंड बाहर निकाला तो वो बोली "सच मे जानवर हो तुम….इतना बड़ा लंड मेरे मूह मे डाला …मेरा मूह फॅट जाता…." उसकी चुचिया पकड़ते हुए मैने उसे उठाया और बोला "थोड़ी देर पहले जब तेरी सासू मा की चूत मे लंड डाल रहा था तब तुझे कुछ दर्द का नही सूझा और जब अपने पे आ पड़ी तो गाली दे रही रंडी…" उसकी चुचियो को कस्के पकड़ने के कारण वो तड़प रही थी. अब मैने उसका एक निपल मूह मे लिया और उसे ज़ोर्से चूसने लगा. थोड़ी ही देर मे मैने उसमे से दूध चूसना शुरू कर दिया. और सेठानी की बहू मुझे दूर धकेलने की कोशिश करने लगी.

परंतु मैं थोड़े ही माननेवालो मे से था. मैने उसकी टाँगो को अपने टाँगो के बीच जाकड़ लिया. और ज़ोर से उसके निपल चूसने लगा. अब मैने दूसरा निपल मूह मे लिया. और उसमे से दूध चूसने लगा. बहू तड़प तो रही थी परंतु अभी उसका प्रतिकार कम हो गया था. और वो थोडिसी शांत हो गयी थी. इधर सेठानी बोली "और चूसो …और चूसो …सब दूध निकाल लो इस गाय का…..रंडी साली मुझे चुदवाते वक़्त बहुत खुश हो रही थी अब भुगत …."

अब मुझे बहू को चोदने की मजबूत इच्छा होने लगी. मैने उसका निपल कामूह बाजू किया. और पीछे से जाके उसके गांद से चिपक गया और सारी खीच के उसे नंगा करने लगा. वो थोड़ा प्रतिकार करने लगी परंतु उसकी भी चुदाई बहुत दिनोसे ना होने के कारण उसके प्रतिकार मे दम नही था. मैने सारी खिच ली और निकर भी, अब सिर्फ़ पीला ब्लाउस बाकी था. मैने उसकी गांद के पहाड़ के बीच अपना लंड घुसा दिया. और आगे पीछे करने लगा. उसकी चुचिया भी दबाने लगा. जो की मेरे चूसने से एकदम सख़्त और लाल हो गयी और सहेम गयी थी.

मैने अभी अपना लंड उसके पहाड़ो मे ज़ोर्से आगे पीछे करना शुरू किया. और उसके ब्लाउस खोल के ब्रा का हुक खोल दिया. उसके अंग से एक अलग ही खुशबू आ रही थी. मैं उसकी पीठ से चिपक गया. और 2 मिनिट तक उसी पोज़िशन मे खड़ा रहा. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मैं किसी अप्सरा के साथ प्रण कर रहा था. उसके कांख मे हल्के हल्के काले रंग के बाल थे मैने उसके हाथ उपर उठाए और उन बालो को सहलाने और चूमने लगा. इस वजह से बहू बहुत ही गरम हो गयी. मैने वाहा पे चुम्मा लेना शुरू कर दिया और अपना सर उसके कांख के बालो मे डाल के हिलाने लगा. वो बहुत ही उत्तेजित होती जा रही थी. और बोल रही थी "मुझे और ना तड़पओ मेरी भूक शांत करो …दया करो" इतने मे सेठानी बोली "इस रंडी को ऐसा चोदना की जनम जनम इसे याद रहे कि इसकी चूत का भी समुंदर तुमने किया था." सेठानी ने बहू के कहे गये वाक्य का बदला ले लिया था. कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्तो आगे की कहानी जानने के लिए पढ़े पार्ट -३ आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........


Imaandar Naukar- paart--2

gataank se aage......
Bahu boli "Nahi bataungi….parantu 1 sharth par…." Mujhe pata tha ye mujhse chudhavana chahati hai bahu boli "tumhe mere samne saasuma ko chodhana hoga….aur wo bhi aaj abhi" ye sunke hum log dung reh gaye. Mujhe lga ye chudhawane ki baat karegi parantu ise to dekhane aanand lena tha. shethani boli "tu ye kya bakwaas kar rahi hai bahu…ye nahi hoga" "to thik hai mai chali sasurji ke pass" mai bola "nahi nahi ….hum prayatna karenge …parantu abhi nahi raatko…" bahu boli "to thik hai aaj tum raat ko mere saamne mri pyari chuddakad saasu ma ko chodoge" Shethani kaise taise raaji ho gayi. Aur shetaji ke bahu ne mere gaal ka achanak se chumma le liya.

4 baje hum log compartment me pahuche. To shetaji pahle se so raha tha. 7 baje ke lagbhag time humne compartment me decide kar liya ki raat ko 2-3 nind ki golee panee me milake ke shetaji ko sula diya jayega aur baad me hamara program hoga. Lagbhag 8 baje khana aanewala tha. Utane me shetaji utha baithe aur bole "are meri kab aankh lagi pata hinah chala…bada accha mausam hai aaj ….bahut aanand aa raha hai safar ka …meri neend bhi bahut acchi huyi hai …abhi mujhe raatko jaldi neend nahi ayegi" aur phir so gaya ye shetaji kab sota kab jagata kuch samaz nahi aa raha tha.

Mai man hi man me bola "din tumhare liye nahi mere liye mast hai..aur ye sab aap ki den hai..aur neend aapko to hum chahe tab ayegi aap aage dekho hota hai kya.." itane me baccha rone laga to shetaji ke bahu ne use god me liya aur use dudh pilane ke apane pile color ke tang blouse button kholne lagi. usaki chuchiya dudh se bhari hone ke karan sthano ke gheraav aakar me bahut bade najar aa rahe the. Jaise lag raha tha ki tarabuj rakhe ho blouse me. Usane button khol ke ek nipple bacche ke muh me dal diya. Aur baccha shanti se dudh pine laga. Shetaji ki bahu ne jaanate huye bhi ki ye log baithe hai…baat ko anjaana karte huye ghunghat nahi liya aur baccche ko dukh pilane lagi. uske wo gulabi color ka nipple dekh ke mere sharir me jwalaye utpanna ho gayi. Mera lund 1 kshana me pura 10 inch tight ho gaya. Ye baat shethani ki aankho ne bhap lee aur bahune bhi ….aur dono ek dusare ke aankhome dekhkar muskurane lagi. idhar mai lajjit hote ja raha tha. Kyu ki mujhse meri icchha ko control nahi kar pa raha tha aur lund ke rup me uske sabko darshan dila raha tha. Shethani aur shethani ki bahu pehle aankh milane me thode hadbada rahe the. Par kehte hai na chudakkad aurato ki sharm lajja 1 kshana ke liye hoti hai….thodi hi der me dono mere taraf dekhakar mere tung pant se darshan de rahe mere lavde ko ghure ja rahi thi …aur man hi man me aanandit ho rahi thi. Udhar shetaji aise soya tha jaise swarg me soya ho. Aur idhar uski gharwaliya gul khila rahi thi. Itane me khana aa gaya phir shetaji neend se utha gaye. Phir hum log beech table ki tarah rachana karke khane ke liye baith gaye. Khane ka 1 niwala mere muh me jane hi wala tha ki maine meri pant pe haath ka sparsha mahsus kiya. Shetaji ki bahu ne baya haath mere tang pe rakh diya. Idhar shethani ne bhi apani harkate shuru kar dee aur wo mere baaju me khisak ke mere daaye side chipak gayi.

Shetaji ko hosh hi nahi tha ki kya chal raha hai bechara budha matak matak aawak nikal ke khana khate ja raha tha. Jaise ki mera 1 haath khali tha shethaji ki bahu mera haath pakad liya aur apane maandi pe ghisane lagi aur phir apane chut ke pass le jakar mujhe chut ko dabane ka ishara karne lagi. main chupake se donno ko shetaji ke taraf ishara kiya …to dono hi has padi ….shethaji ki bahu mere kaano me boli "Budhe ko shyam aur raat me bahut kam dikhata hai…tum chinta mat karo." Aur phir mera haath chut pe dabane lagi. maine bahu ki saree niche se upar khichi aur andar haath dal diya. Ye harkat dekhkar shethani muskurayi aur boli "aaram se khana khana …bahut bhagduad hu hai (honewali hai) aaj tumhari. " aur dono bhi hasne lagi. maine bahu ke chut ke andar 1 ungali dal dee.chut bahut hi dheeli aur naajuk lag rahi thi. Maine duasari ungali dal dee. Aur andar bahar karne laga to bahu apana niche ka oth daat tale dabane lagi aur lambi saase lene lagi. itane me shethani boli "Jara hume bhi us sabji ka maja chakhao..dikhao idhar kaisi hai taste me " us randi ka matlab bahu ke chut se nikal rahe ras ke aur tha. Maine kaha "haan kyun nahi kyu nahi" itane me shetaji khana khake haath dhone ke liye bathroom ki taraf chal diye aur maine apani ungali shethani ke muh me dal dee usne use chatana shuru kiya. Aur maine moke fayda uthate huye fatak se bahu ke blouse ke button khole aur ek nipple muh me le liya..aur chusane laga to shethani bola "sirf chato, chuso nahi …dudh tumhare liye nahi bacche ke lliye hai." Mai sirf muskuraya aur jor se nipple ko chusana shuru kar diya.

Itane me shetaji ane ki bhanak lag gayi aur hum log baaju ho gaye. Shetaj ke bahu ne blouse ke buttonband kar diye aur saree nche kar de aur mera haath apane tango ke beech se nikalkar baaju kar diya. phir bahu ne shethani ke sanduk se neend ki do-teen goli nikali aur nimbu panee me mix kar dee. Aur panee ka glass shetaji ke haath me dete huye boli "babuji aap ise jaldi se pee lijiyega …nimbu panee se sehat acchi rehti hai" kitna bholapan tha usake baato me. Shetaji ne apani pyari-bholi bahu ka hukm sunkar glass pet me pura khali kar diya aur dus minute me jagah pe ludak gaye. Ab bahu hum dono ke taraf dekhane lagi.

Usaki najar ki garmi ki hava mere aur shethani ke ang se bahane lagi. Bahu ka man vasana se bhar gaya tha aur who usake najar me bhi saf dikhai de raha tha. Wo boli "chalo shuru ho jao, nahito …." Usake kehte hi maine shethani ke gaand pe haath rakh diya aur 1 thapppad marke use jor se dabaya. Shethani bechari kehkaha uthi. Use maine do birth ke beech me khada kiya. AC compartment hone ke karan jagah bahut thi. Shetaji ko humne uthake samane wale birth pe lita diya aur uske upar do char chadare chada dee jo ki usko kuch sunai dikhai na de.

Maine shethani ka muh khidaki ki taraf kiya aur bola "ab puri raat tumhe aise kutte ki tarah hi khada rehana hoga …jara bhi hilane ki koshish ki to lene ke dene pad jayenge" shethani ka muh khhdaki ke taraf karke maine use kutte ki tarah khada kiya. Aur gaand ke piche se jaake mai bhi usi position me usase chipak gaya. Bahu ye sab dekh ke maja le rahi thi. Aur nichale oth ko daat se dabate huye apani saree ke beechme se chut me haath dal rahi thi. Mausam bahut rangeela tha. Aur mere upar abhi bhut savar tha. Mai fatak se shethani ki saree kholani shuru ki aur phirse shethani ka saundarya mere najro se mai dekhane laga . ab maine shethani ka parkar bhi khol diya. Shethani abhi sirf knicker aur blouse me khadi thi. Aur bahu ke saamane hoone k e karan thodi sharam mahsus kar rahi thi.

Maine knicker bhi nikal diya aur blouse bhi, usake kakh ke baal bahut hi sundar the, maine use thoda thoda kichana shuru kiya, usake baad meri najar gayi madmast naajuk chut pe, jise dekh ke mere andar ka janwar jag gaya, chut ka rang dopehar ki thukai ke karan abhi bhi lal tha aur usame se mere virya ki kuch bunde bhi tapak rahi thi. ab maine mera 10 inch ka pahad bahar nikala. Jise dekhate hi bahu boli "hoye rama …….aapke ramji to bahut hi bade aur lambe malum padte hai agar ye pure saasu make andar prayan kar gaye to sasu ma ki chut ka to samundar ban jaye…" aur hasne lagi. aur boli "abhi der na karo jaldi se isse saasu ma ke andar dalo…mujhe dekhana hai kaise saasu ma ise apane chut ke nadir samati hai…aakhir purani khilad hai" maine shethani ka blue color ka blouse khol diya aur unaki chuchiya chusane laga. Wo ekdum garam ho gayi thi bol rahi thi "jaldi se tumhare lund ke supade ko mere chut me dalo …mai aur she nahi sakti"

Maine apane lavde pe thuka aur bahu ke taraf ishara kiya. Use to ishare ki hi der thi wo mere pass ake mere lund ko muh me lene lagi aur chusana shuru kar diya mere lavde se nikal rahe paanee ko wo chat leti thi. Usane muh me bahut saari thuk jama kar lee aur mujhe boli "saasu maa ki chut kholo. Mujhe ye sab usame dalna hai" maine do ungaliya dalke shethani ki chut ke lips ko alag kiya aur bahu usame sab jama kiya hua thuk diya aur apani jeebh se chuttad ko chatne lagi. thodi de me maine bahu ki pile color ki saree aur blouse utar diya. Wo apsara saman lag rahi thi. Usaki fgure koi south Indian heroine se kam nahi thi. Mai to bolta hu jab bhi koi mard isse dekhata hoga. Ek baar to isake naam pe hilata jarur hoga.

Ab maine apana lavda chut pe rakh diya. Bahu ki laar chut se tapak rahi thi. Chut bahut hi gili aur laal ho gayi aur shethani udhar chilla rahi thi "jaldi karo mujhse raha nahi ja raha hai " mai bola "meri ranee do minute shanti rakh phir dekh …" ab maine dhire dhire chut ke andar lavda dalna shuru kiya aur muh me bahu ki chuchiya le lee. Aur ek aisa jor ka zatka lagaya ki shethani jorse chillayi, maine uska muh daba diya, ek zatke me aadhe se uapar lund andar jane ke karan shethani se raha nahi ja raha tha wo dard se bikhal rahi thi aur mujhe piche dakhelane ki koshish karne lagi thi. Idhar bahu samane se gayi aur sasumake gaand pe thappad marte huye kahi "chilla mat kuttiya nahi to ye haath tere gaand me dal dungi…." Bahu to ekdum expert malum hoti thi gaav jake mai sabse pehle mai iska itihaas jaane wala tha.

Bahu ne saasu ma ke muh pe haath rakh diya. Aur maine phirse position leke jor ka dhakka mar diya . shethani jagah pe hi kaapane lagi usake haath pair hilane lage. Bahut h kacchi khiladi thi wo, Aisa lag raha ye niche baith jayegi ya gir jayegi, parantu bahu ne usake kamar ko pakde rakha. Ab ki jab mera pura lund andar tha maine jorse zatke marne shuru kar diye. Aur saasu ma ki haalat patli ho gayi.usake muh ke upar kapda rakhane ke karan usake muh je jayada aawaj nahi nikal rahi thi parantu muh se "aaa…ssssssssssssss…ssaaaaa.sssass ooooo…." Ki aawaje aa rahi thi. ab maine apani gati aur tej kar dee. Aur jor se jhatke marne laga, chut tight hone ke karan mujhe satave aasaman pe hone ka ehsaas ho raha tha aur har 1 dhakka mujhe swarg ka ehsaas dila raha tha. Thodi hi der me maine mera virya prashan shethani ke chut ko kara diya.

Maine lund bahar nikala aur bahu ka sar pakad ke khicha aur jabardasti apana virya se bahara huwa lund usake muh me dal diya. Ek do zatke me maine aadhe se upar lund bahu ke muh me ghused diya…aur uskae aankho se aasu nikal aye. Maine lund bahar nikala to wo boli "sach me jaanvar ho tum….itana bada lund mere muh me dala …mera muh phat jata…." Uski chuchiya pakdate huye maine use uthaya aur bola "thodi der pehle mai jab teri saaasu ma ke chut me lund dal raha tha tab tuze kuch dard ka nahi suza aur jab apane pe aa padi to gali de rahi randi…" usake chuchiyo ko kaske pakadne ke karan wo tadap rahi thi. Ab maine uska ek nipple muh me liya aur use jorse chusane laga. Thodi hi der me maine usame se dudh chusana shuru kar diya. Aur shetaji ki bahu mujhe dur dhakelani ki koshish karne lagi.

Parantu mai thodihi mananewalo me se tha. Maine usake tango ko apane tango ke beech jakad liya. Aur jor se usake nipple chusane laga. Ab maine dusara nipple muh me liya. Aur usame se dudh chusane laga. Bahu tadap to rahi thi parantu abhi usaka pratikar kam ho gaya tha. Aur wo thodisi shant ho gayi thi. Idhar shethani boli "Aur chuso …aur chuso …sab dudh nikal lo is gay ka…..randi saali mujhe chudawate waqt bahut khush ho rahi thi ab bhugat …."

Ab mujhe bahu ko chodane ki majbut iccha hone lagi. maine usake nipple muh baaju kiya. Aur piche se jaake usake gaand se chipak gaya aur saree kich ke use nanga karne laga. Wo thoda pratikar karne lagi parantu usaki bhi chudai bahut dinose na hone ke karan usake pratikar me dam nahi tha. Maine saree khich lee aur knicker bhi, ab sirf pila blouse baki tha. Maine usake gaand ke pahad ke beech apana lund ghusa diya. Aur aage piche karne laga. Usaki chuchiya bhi dabane laga. Jo ki mere chusane se ekdum sakt aur lal ho gayi aur sahem gayi thi.

Maine abhi apana lund usake pahado me jorse aage piche karna shuru kiya. Aur usake blouse khol ke bra ka huk khol diya. Usake ang se ek alg hi khushabu aa rahi thi. Mai uski peeth se chipak gaya. Aur 2 minute tak usi position me khada raha. Aisa pratit ho raha tha jaise mai kisi apsara ke saath pranay kar raha tha. Usake khak me halke halke kale rang ke baal the maine usake haath upar uthaye aur un balo ko sahalane aur chumane laga. Is wajah se bahu bahut hi garam ho gayi. Maine waha pe chumma lena shuru kar diya aur apana sar usake khak ke baalo me daal ke hilane laga. Wo bahut hi uttejit hote ja rahi thi. Aur bol rahi thi "mujhe aur na tadapao meri bhuk shant karo …daya karo" itane me shethani boli "Is randi ko aisa chodana ki janam janam ise yaad rahe ki isake chut ka bhi samundar tumne kiya tha." Shethani ne bahu ke kahe gaye vakyaa ka badla le liya tha.
kramashah.........






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