Thursday, August 18, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ ईमानदार नौकर- पार्ट--3



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

ईमानदार नौकर- पार्ट--3

गतान्क से आगे......
मैने अब बहू की चूत को नज़दीक से देखना शुरू किया और उसपे ज़ोर से थुका. डेलिवरी के कारण चूत के बाल थोड़े थोड़े ही उगे थे पूरे घने नही थे इसलिए चूत के बालो मे उसकी गुलाबी रंग की चिड़िया सुंदर लग रही थी. मैने अब बहू को एक बर्त पे बिठा दिया और सेठानी को बहू की चुचिया चूसने के लिए कह दिया. वो चुचिया चूसने लगी. और इधर बहू की तड़प और बढ़ गयी. रात के 12 बज चुके थे परंतु यहा समय की फ़िक्र थी किसे. मैने नीचे बैठकर बहू की टाँगो के बीच अपना मूह घुसेड दिया. और बहू के गुलाबी रंग के दाने को हल्के से चबा दिया. वो तिलमिला उठी. मैने अपनी जीभ को सीधे करते हुए सीधे चूत के होल मे डाल दिया और मेरी जीभ होल के अंदर जाते ही बहू तड़पने लगी और मैने ज़ोर्से जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

बहू ज़ोर्से चिल्लाई "मा के लव्दे ….मेरी भूक तेरी जीभ से नही लंड से जाएगी …तेरी जीभ को निकाल और लंड को अंदर डाल" मैं बोला "हा रानी….क्यू नही ज़रूर …. परंतु बाद मे बाहर निकालने के लिए नही कहना नहितो तेरी गांद फाड़ के रख दूँगा इसी लंड से ….." अब मुझसे रहा नही जा रहा था. मैने अपने लंड पे थुका और सेठानी के मूह मे देते हुए कहा "माजी आपकी बहू की चुदाई होनेवाली है…… इस हथियार को ज़रा अच्छे तैय्यार कीजिए …." और वो थोड़ी मुस्कुराइ.

अब मैने सेठानी के मूह से लंड निकाला और बहू की गुलाबी चूत पर रख दिया मेरा गदाड़ रंग का लंड और उसकी गुलाबी की रंग की चूत. वाह क्या मिलाप था!!!!!! सेठानी ने लंड के सूपदे को थूक लगाई और बहू के चूत के छोटेसे नन्हे से होल के उपर सूपड़ा रख दिया. और मैने हर बार की तरह पूरे बल के साथ एक ज़ोर का झटका मारा. और बहू चीख उठी."आअए..ईयीई.उउईईईई माआ…..आआऐईईईईई उउउउईइ" उसकी मूह से चीत्कार निकली और अब सेठानी की बारी थी उसने वोही कपड़ा उठाया और बहू के मूह मे घुसेड दिया और हस्ने लगी. अब मैने अपनी गति को बढ़ाया. इधर बहू के मूह से आवाज़ आ रही थी. मुझे लगा था कि डेलिवरी के कारण बहू की चूत बहुत ही ढीली पड़ गयी होगी, परंतु 4 महिने के अंतर मे उसकी चूत फिर पहले के जैसे टाइट बन गयी. मेरा हर धक्का मुझे असीम आनंद दे रहा था. और मैं बहू की चूत का हर 1 पल अपने जहेन मे रखने की कोशिश कर रहा था. वाह क्या दिन निकल पड़े थे मेरे.

2-2 चूत, एक लाल और एक गुलाबी और वो भी इतनी हसीन की पूछो मत, लंड डालो उनमे तो बस 1 ही चीज़ याद आती है….स्वर्ग कैसा होता होगा…….मैने अब रफ़्तार बढ़ाई और ज़ोर के झटको के कारण बहू सहेम सी गयी और उसका हिलना अचानक बंद हो गया. तो सेठानी ने उसके मूह पे बोतल से निकाल कर पानी मारा, वैसे वो फिरसे चिल्लाने लगी और मेरे लंड को निकालने की मिन्नते करनी लगी. मैं बोला "बस हो गया दो मिनिट बहू रानी " कहते हुए ऐसा झटका लगाया की बहू के होश ठिकाने पे आ गये. टाइट चूत की बजह से मेरा अभी वीर्यपत होनेवाला ही था कि इतने मे बहू भी झड़ी .और मैने अपने वीर्य की फुव्वारे उसकी चूत के अंदर छोड़ दिए ….असीम आनंद का क्षण थॉ वो मेरे लिए …..अब मैं बर्त पे बैठ गया और अपनी सांसो को नियंत्रणा मे लाने की कोशिश करने लगा …उधर सेठानी ने बहू की चूत से निकलने वाले वीर्य को चाटना शुरू कर दिया.

"मेरी चूत फाड़ के रख दी तुमने"
मैं बोला "अभी कहा…अभी तो शुरूवात है..आगे आगे देखो होता है क्या…"

सेठानी मेरे लंड को चट के सॉफ कर रही थी. और उसकी चुचिया लंड को आगे पीछे करते वक़्त हिल रही थी. मैने 1 चुचि को दबाना शुरू किया. और उसके गुलाबी काले निपल की हल्की सी चिमती ले ली.
सेठानी बोली "बड़े शैतान हो तुम…."
मैं बोला "हां वो तो मैं हू ही….परंतु शैतान तो आपने बनाया मुझे …हा कि नही…??"

सेठानी कुछ नही बोली. और बहू हस्ने लगी. सेठानी के मूह मे मेरा लंड फिरसे फूलने लगा. और थोड़ी ही देर मे वो अपनी पूर्व स्थिति मे आ गया. मैने अब अपना लंड सेठानी मूह के अंदर ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. जैसे मेरी गति बढ़ रही थी. सेठानी के मूह से "गुगुगु गुग्गू……उूउउ" आवाज़े आना बढ़ गयी. इतने मे सेठ जी बर्त पे हीले. हम सब की सासे जगह पे ही रुक गयी. परंतु फिरसे बुड्ढ़ा वैसेके वैसेही सो गया. अब मैने फिरसे मूह मे धक्के मारना शुरू किया और लंड को अंदर तक घुसाने लगा. और सेठानी की आँखे लाल हो गयी. चेहरा पूरा लाल- लाल हुए जा रहा था. थोड़ी देर बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला. अभी मेरा 10 इंच का हठोड़ा फिरसे गुर गुर करने लगा था. और उसके सूपदे से पानी निकल रहा था. बहू ने उसपे अपनी थूक डालके उसे मूह मे लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मैने सेठानी को बर्त पे लिटा दिया और उसकी चूत चूसने लगा. इधर बहू मेरा लंड अपने मूह अंदर डाले जा रही थी. अब मैने अपनी लंबी जीभ सेठानी के छोटेसे लाल रंग के चूत के छोटेसे होल मे डालना शुरू किया. मैं 1 दिन मे ही चूत के अंदर जीभ डालने मे बहुत ही माहिर हो गया था.

सेठानी उधर फिरसे गरम हो रही थी. मैने अभी उसके चूत पे थूक दिया. और वो थूक उसकी चूत के अंदर के होल मे घुसा दी. चूत अभी एकदम गीली और रसीली हो गयी थी परंतु 2 बार जबरदस्त ठुकाई के कारण चूत बहुत ही लाल लाल हो गयी थी. मैने अब सेठानी के चूत के दाने पे अपनी जीभ रख दी और उसे चूसने लगा सेठानी ज़ोर से तड़पने लगी और मेरा सिर पकड़ के अपने टाँगो के बीच मे दबाने लगी वैसे मैने और ज़ोर्से चूसना शुरू किया अब सेठानी बहुत ज़्यादा तड़पने लगी और कुछ देर बाद झाड़ गयी.

उसकी चूत से निकल रहा वो निर्मल जल मैने अपने मुँह मे कर लिया वाह क्या मजेदार स्वाद था उसका. एकदम मस्त अब मैं बहुत ही गरम और मदमस्त हो गया था अभी मुझे चोदने की बहुत ही इच्छा हो रही थी. परंतु उससे पहले मुझे लगा क्यू ना थोड़ा सा जलपान करले, मैने बहू को अपने बाजू मे बैठने का इशारा किया. और उसकी एक चुचि पकड़ के उसका निपल अपने मूह मे डालके दुग्ध पान करने लगा.
बहू बोली "ये क्या करते हो "
मैं बोला "प्यार"
बहू बोली "ये कैसा प्यार …..ये तुम्हारे लिए थोड़ी ही है"
मैं बोला "मेरी प्यारी रानी यही मेरा प्यार है …..और जो तुम्हारा है वो अब सब हमारा है…." और उसकी दूसरे चुचि पे हाथ रख के सहलाने लगा.

स्तानो से निकल रहे दूध का स्वाद तो एकदम ही बढ़िया था. मैं 1 निपल चूसे जा रहा था और दूसरी चुचि को सहला रहा था और नीचे सेठानी मेरे लंड कोअपने मूह मे लेके फिरसे अंदर बाहर कर रही थी. तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया. क्यू ना सेठानी की गांद मार दी जाए. मैं इस कल्पना से बहाल हो गया पर मुझे पता था सेठानी मुझे कभी अपनी गांद मारने नही देगी. तो इसलिए मैने अभी बहू को किस करते हुए उठाया. और उसके कानो को किस करना शुरू किया. और किस करते करते मैने अपनी इच्छा सेठानी की गांद मारने की बहू से बोल दी. बहू ने भी मुझे किस करने का बहाना करते हुए मेरे एक कान को अपने मूह मे लिया और चबाने लगी और चूसने लगी. और हल्केसे मेरे कान मे बोल दिया कि तुम सासू मा को उठाके बर्त पे नीचे मुंदी करके डाल दो आगे का मैं संभाल लूँगी. ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया.

मैने हल्के से सेठानी के मूह से अपना लंड बाहर निकाला और जैसे सेठानी पीछे की तरफ देखने लगी मैने उसे उठाके बर्त पे उलटा पटक दिया और उसपे घोड़े जैसा सवार हो गया. उधर बहू ने सेठानी के मूह मे बड़ा सा कपड़ा डाल दिया. और सेठानी के कुछ समझने से पहले ही हाथ अपने हाथो मे दबा दिए और एक कपड़े से हल्केसे बाँध दिए.

अब सेठानी ज़ोर्से हिलने लगी पर हमने उसे उस तरह बर्त पे दबाए रखा. अब बहू ने संदूक निकाला और उसमे से तेल की एक बोतल निकाली और अपनी सासू मा के गांद के होल के अंदर उंगली डाल के तेल डालने लगी. पहले छोटा सा दिखने वाला सेठानी की गांद का होल तेल के मालिश से मेरी थूक से एकदम आकर्षक और बढ़िया दिखने लगा, परंतु मेरे लंड के सामने पता नही वो टिक पाने वाला था की नही.

मेरा लंड पहले से ही बहुत टाइट था अब बहू ने उसपे ठुका और उसपे भी बोतल से निकाल के तेल डाल दिया. तेल डालने से मेरा लंड बहुत चमकने लगा. अब मैने अपने लंड का सूपड़ा सेठानी की गांद के छोटेसे होल पे रख दिया. सेठानी अंदर डालने से पहले ही बहुत तड़प रही थी.. अब मैने लंड को अंदर घुसाना शुरू किया परंतु कुछ फ़ायदा नही हुआ, वो अंदर घुस ही नही पा रहा था. गांद टाइट होने के बजाह से वो थोड़ा ही अंदर जा रहा था और थोड़ाही अंदर जाते हुए ही सेठानी उउउ…अयू.एम्म…..उूउउ.आवाज़े निकाल देती थी. मुझे नही लग रहा था कि मेरा लंड इस गांद मे घुस पाएगा. अब बहू ने मेरा लंड अपने हाथ मे लेके उसपे बहुत सारी थूक डाली और उसे और चिकना बना दिया और सेठानी के गांद पे भी थूक डाल दी. और मुझे कान मे धीरे धीरे अंदर गांद के अंदर लंड डाल ने को बोला और कुछ भी हो जाए पीछे खिचने के लिए मना कर दिया.

अब मैने अपना सूपड़ा सेठानी की गांद मे धीरे धीरे घुसाना शुरू किया. गांद बहुत ही टाइट थी. अब मैने ज़ोर लगाया और लंड का सूपड़ा गांद के अंदर चला गया. और सेठानी के पाव काँपने लगे सेठानी की आवाज़ो की तीव्रता और बढ़ गयी परंतु अब मैं पीछे हटनेवाला नही था अब मैने गति ली और ज़ोर से अपना लंड आगे पीछे करने लगा अभी तक पूरा लंड अंदर नही गया था और सेठानी के हाथ पैर काप रहे थे और मेरे लंड को उसकी गांद अंदर जकड़े जा रही थी किसी भी क्षण मेरा वीर्यपात हो जाए इतनी वो टाइट थी. अब मैने धीरे धीरे झटके मार के पूरा लंड अंदर डाल दिया. सेठानी के हाथ बँधे होते हुए भी वो मुझे दर्द के कारण पीछे धकेलने की कोशिश कर रही थी.

मैने अब अपनी गति नॉर्मल कर दी और लंड को आगे पीछे करने लगा वैसे सेठानी की आवाज़े बढ़ गयी मैं बोला "सेठानी जी मेरी प्यारी सेठानी जी अब तो आपकी गांद की खैर नही" और ज़ोर्से कस्के धक्के मारने लगा. सेठानी की गांद मे आग लग चुकी थी. उसका मूह पूरा लाल हो गया बल्कि पूरा शरीर लाल हो गया था. पहली बार गांद चुदाई के कारण उनसे सहा नही जा रहा था. अब मैं अपनी चरम सीमा तक पहुच गया था सेठानी इस दरम्यान तीन बार झड़ी थी. मैने अभी गति और तेज़ कर दी. और ज़ोर्से मेरे मूह से आवाज़ निकल पड़ी मैने मेरा वीर्य सेठानी की गांद मे अंदर तक घुसेड दिया था. गांद के अंदर वीर्य के फुव्वारे की गर्मी के कारण अब शेतानी के चेहरे पे एक पूर्णतया और खुशी की झलक दिख रही थी.

अब रात का 1 बज रहा था और हम सभी बहुत ही थक गये थे. हमने सेठ जी को दूसरे बर्त से उठाके पहले वाली जगह पर सुला दिया. बेचारा सेठ जी नींद की गोलिया के नशे के कारण कुछ समझने की हालत मे नही था और पूरी निद्रा मे सोया हुआ था. अब हम लोग भी अलग अलग बर्त पे सो गये.

दूसरे दिन सबेरे जब आँख खुली, तब सूरज खिड़की से दिखाई दे रहा था. मैं उठ के अपने बर्त पे बैठ गया. चदडार जमा करके अपने संदूक मे डाल दिया. और मैं उठ के कॅबिन के बाहर चला आया. उधर से मुझे सेठानी आते हुई दिखी. वाह क्क्या चिकनी चिकनी लग रही थी वो, परंतु ये क्या…..सेठानी की चाल बदल चुकी थी….सेठानी तो बहुत हल्लू हल्लू चल रही थी. और ऐसा लग रहा था कि रात की ठुकाई से उन्हे अभी भी चलने मे दर्द हो रहा था. सच मे रात मे ज़रा ज़्यादा ही हो गयी सेठानी के साथ, वो जब मेरे बाजू आई तो थोडिसी मुस्कुराइ और मेरे गाल पे एक चुम्मा चिपका के कॅबिन के अंदर चली गयी. अभी भी ट्रेन का लगभग 26 घंटो का सफ़र बाकी था.

मैने नीचे देखा तो मेरे लंड महाराज खड़े थे और आने जाने वालो को सलामी दे रहे थे अब मुझे सेठानी के हस्ने और चुम्मा देने का मतलब पता चला. मेरे लंड को अभी ठुकाई के लिए कोई चाहिए था. परंतु अभी तो ठुकाई का चान्स ना के बराबर दिख रहा था. तभी एक चाइवाला मेरे बाजूसे गुज़रा और मुझे देख के मुस्कुराया. तो मैने उससे बात करना शुरू कर दी. और उससे दोस्ती बना ली. उसका नाम राधे था. और मैने उसे मेरे ठुकाई के लिए कुछ इंतज़ाम करने के लिए कहा. तो वो बोला मैं लड़की तो लाके देता हू परंतु उसे ठुकाई के लिए मनाना और काम कहा करना है ये आपको देखना पड़ेगा. मैने उसको अपना प्लान बता दिया और उसको आधे घंटे के बाद लड़की को कौन से बाथरूम मे लेके आने का है, यह बोल दिया.


मैं फटाफट कॅबिन के अंदर गया. कपड़े लेके बाथरूम के अंदर घुसके स्नान करके 10 मिनिट मे रेडी हो गया. और उतने मे बहू ने चाइ का कप लेक मेरे हाथ मे रख दिया और मेरे से चिपक कर बैठ गयी. सेठ जी ट्रेन के बाहर देखने मे व्यस्त था, और सेठानी बच्चे को अपनी गोदी मे लेके सुला रही थी. बहू ने इतनी देर मे अपनी हरकते शुरू कर दी और अपना घूँघट नीचे गिरा दिया. और अभी बहू की उन्नत छाती मुझे दिखने लगी. उसके ब्लाउस के गले से उसकी चुचिया बहुत ही आकर्षक और पुश्ता लग रही थी. ऐसे लग रहा था कि अभी हाथ डालके एक चुचि बाहर निकालु और उसमे से दूध चूसना शुरू कर डू. परंतु सेठ जी के सामने बैठे होने के कारण ऐसी हरकत मैं कर नही सकता था.

मैने बहू की पीठ पीछे हाथ डालके उसकी सारी के अंदर अंदर हाथ डाल दिया, और गांद की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा, उसकी त्वचा बहुत ही नाज़ुक थी और मुउलायम भी. अब मैं अंदर अंदर हाथ डाले जा रहा था और इधर सामने से बहू की भारी चुचियो को देख के गरम हो रहा था. सेठानी की नज़रो से ये बात कैसी बचती, उसने अपना पैर मेरे पैरो पे रख दिया और घिसने लगी. मैं पूरा गरम हो गया था. इतने मे मुझे चाइ वाले का राधे का ख़याल आया. कहानी अभी बाकी है दोस्तो आगे की कहानी जानने के लिए पार्ट-४ पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........

Imaandar Naukar- paart--3

gataank se aage......
Maine ab bahu ke chut ko najdik se dekhana shuru kiya aur usape jor se thuka. Delivery ke karan chut ke baal thode thode hi uge the pure ghane nahi the isliye chut ke baalo me usaki gulabi rang ki chidiya sundar lag rahi thi. Maine ab bahu ko ek birth pe bitha diya aur shethani ko bahu ki chuchiya chusane ke liye keh diya. Wo chuchiya chusane lagi. aur idhar bahu ki tadap aur badh gayi. Raat ke 12 baj chuke the parantu yaha smay ki fikr thi kise. Maine niche baithkar bahuke tango ke beech apana muh ghused diya. Aur bahu ke gulabi rang ke daane ko halke se chaba diya. woh tilmila uthi. Maine apani jeebh ko seedhe karte huye sidhe chut ke hole me dal diya aur meri jeebh hole ke andar jaate hi bahu tadapane lagi aur maine jorse jeebh ko andar bahar karana shuru kar diya.

Bahu jorse chillayi "maa ke lavde ….meri bhuk tere jeebh se nahi lund se jayegi …teri jeebh ko nikal aur lund ko andar dal" mai bola "haa ranee….kyu nahi jarur …. parantu baad me bahar nikalane ke liye nahi kehana nahito teri gaand fad ke rakh dunga isi lund se ….." ab mujhse raha nahi ja raha tha. Maine apane lund pe thuka aur shethani ke muh me dete huye kaha "maaji aapke bahu ki chudai honewali hai…… is hathiyar ko jara acchese taiyyar kijiye …." Aur wo thodi muskurayi.

Ab maine shethani ke muh se lund nikala aur bahu ke gulabi chut par rakh diya mera gadad rang ka lund aur usaki gulabi ki rang ki chut. waah kya millaf tha!!!!!! Shethani ne lund ke supade ko thuk lagayi aur bahu ke chut ke chotese nanhese hole ke upar supada rakh diya. aur maine har baar ki tarah pure bal ke saath ek jor ka zatka mara. Aur bahu chikh uthi."aaae..eee.uueeeeeeee maaa…..aaaaaeeeeeeeeee uuuuiii" usaki muh se chitkar nikali aur ab shethani ki baari thi usane wohi kapda uthaya aur bahu ke muh me ghused diya aur hasne lagi. ab maine apani gati ko badhaya. Idhar bahu ke muh se aawaj aa rahi thi. Mujhe laga tha ki delivery ke karan bahu ki chut bahut hi dhilee pad gayi hogi, parantu 4 mahiine ke antar ne usaki chut phir pehle ke jaise tight ban gayi. Mera har dhakka mujhe aseem aanand de raha tha. Aur mai bahu ke chut ka har 1 pal apane jahen me rakhane ki koshish kar raha tha. Waah kya din nikal pade the mere.

2-2 chut, ek lal aur ek gulabi aur wo bhi itani hasin ki pucho mat, lund daalo uname to bas 1 hi cheez yad ati hai….swarg kaisa hota hoga…….maine ab rafter badhayi aur jor ke zatko ke karan bahu sahem si gayi aur usaka hilana achanak band ho gaya. To shethani ne usake muh pe botal se nikal kar paanee mara, waise wo phirse chillane lagi aur mere lund ko nikalane ki minnate karni lagi. mai bola "bas ho gaya do minute bahu ranee " kehte huye aisa zatka lagaya ki bahu ke hosh thikane pe aa gaye. tight chut ki bajah se mera abhi viryapat honewala hi tha ki itane me bahu bhi zadi .aur maine apane virya ki fuvare uaske chut ke andar chod diye ….aseem aanand ka kshan thaw woh mere liye …..ab mai birth pe baith gaya aur apani saaanso ko niyantrana me lane ki koshish karne laga …udhar shethani ne bahu ke chut se nikalane wale virya ko chatna shuru kar diya.

"Meri chut phad ke rakh dee tumne"
Mai bola "abhi kaha…abhi to shuruwaat hai..aage aage dekho hota hai kya…"

Shethani mere lund ko chat ke saaf kar rahi thi. Aur usaki chuchiya lunk ko aage piche karte waqt hil rahi thi. Maine 1 chuchi ko dabana shuru kiya. Aur usake gulabi kale nipple ki halki si chimati le lee.
Shethani boli "bade shaitaan ho tum…."
Mai bola "haan wo to mai hu hi….parantu shaitan to aapne banaya mujhe …haa ki nahi…??"

Shethani kuch nahi boli. Aur bahu hasne lagi. shethani ke muh me mera lund phirse fulane laga. Aur thodihi der me wo apani purva sthiti me aa gaya. Maine ab apana lund shethani muh ke andar jor se andar bahar karna shuru kar diya. jaise meri gati badh rahi thi. Shethani ke muh se "gugugu guggu……uuuu" aawaje aana badh gayi. Itane me shetajji birth pe hile. Hum sab ki saase jagah pe hi rukh gayi. Parantu phirse Buddha waiseke waisehi so gaya. Ab maine phirse muh me dhakke marna shuru kiya aur lund ko andar tak ghusane laga. Aur shethani ki aankhe lal ho gayi. Chehara pura lal- lal huye ja raha tha. Thodi der baad maine apana lund bahar nikala. Abhi mera 10 inch ka hatoda phirse gur gur karne laga tha. Aur uske supade se panee nikal raha tha. Bahu ne usape apani thuk dalke use muh me liya aur chusane lagi. thodi der baad maine shethani ko birth pe lita diya aur usaki chut chusane laga. Idhar bahu mera lund apane muh andar dale ja rahi thi. Ab maine apani lambi jeebh shethani ke chotese lal rang ke chut ke chotese hole me dalna shuru kiya. Mai 1 din me hi chut ke andar jeebh dalne me bahut hi mahir ho gaya tha.

Shethani udhar phirse garam ho rahi thi. Maine abhi usake chut pe thuk diya. aur wo thuk usake chut ke andar ke hole me ghusa dee. Chut abhi ekdum gili aur rasili ho gayi thi parantu 2 bar jabardast thukai ke karan chut bahut hi lal lal ho gayi thi. Maine ab shethani ke chut ke daane pe apani jeebh rakh dee aur use chusane laga shethani jor se tadapane lagi aur mera sir pakad ke apane tango ke beech me dabane lagi waise maine aur jorse chusana shuru kiya ab shethani bahut jyada tadapane lagi aur kuch der baad zad gayi.

Usaki chut se nikal raha wo nirmal jal maine prashan kar liya waah kya majedar swad tha usaka. Ekdum mast ab mai bahut hi garam aur madmast ho gaya tha abhi mujhe chodhane ki bahut hi iccha ho rahi thi. Parantu usase pehle mujhe laga kyu na thoodasa jalpran karle, maine bahu ko apane baaju me baithane ka ishara kiya. Aur usaki ek chuchi pakad ke usaka nipple apane muh me dalke dudh prashan karne laga.
Bahu boli "ye kya karte ho "
Mai bola "pyaar"
Bahu boli "ye kaisa pyar …..ye tumhare liye thodi hi hai"
Mai bola "meri pyari ranee yahi mera pyar hai …..aur jo tumhara hai wo ab sab hamara hai…." Aur usake dusare chuchi pe haath rakh ke sehalane laga.

Sthano se nikal rahe dudh ki swad to ekdum hi badhiya thi. Mai 1 nipple chuse ja raha tha aur dusare chuchi ko sehala raha tha aur niche shethani mere lund apane muh me leke phirse andar bahar kar rahi thi. Tabhi mere dimmag me ek idea ayi. Kyu na shethani ki gaand mar dee jaye. Mai is kalpana se behaal ho gaya par mujhe pata tha shethani mujhe kabhi apani gaand marne nahi degi. To isliye maine abhi bahu ko kiss karte huye uthaya. Aur usake kaano ko kiss karma shuru kiya. Aur kiss karte karte maine apani iccha shethani ki gaand marne ki bahu se bol dee. Bahu ne bhi muhje kiss karne ka bahana karte huye mere ek kaan ko apane muh me liya aur chabane lagi aur chusane lagi. aur halkese mere kaan me bol diya ki tum ssasu ma ko uthake birth pe niche mundi karke dal do aage ka mai sambhal lungi. Ye sunate hi mere andar ka janwar jag gaya.

Mainee halke se shethani ke muh se apana lund bahar nikala aur jaise shethani piche ke taraf dekhane lagi maine use uthake birth pe ulata patak diya aur usape ghode jaisa sawar ho gaya. Udhar bahu ne shethani ke muh me badasa kapda dal diya. aur shethani ko kuch samazane pehle hi haath apane haatho me daba diye aur ek kapde se halkese baandh diye.

Ab shethani jorse hilane lagi par humne use us tarah birth pe dabaye rakha. Ab bahu ne sanduk nikala aur usame se tel ki ek botal niakli aur apani saaasu ma ke gaand ke hole ke andar ungali dal ke tel dalne lagi. pehle chotasa dikhane wala shethani ke gaand ka hole tel ke maalish se meri thuk se ekdum aakarshak aur badhiya dikhane laga, parantu mere lund ke saamne pata nahi wo tik pane wala tha ki nahi.

Mera lavda pehle se hi bahut tight tha ab bahu ne usape thuka aur usape bhi botal se nikal ke tel dal diya. tel dalne se mera lund bahut chamakane laga. Ab maine apane lund ka supada shethani ke gaand ke chotese hole pe rakh diya. shethani andar daalne se pehle hi bahut tadap rahi thi.. ab maine lund ko andar ghusana shuru kiya parantu kuch fayda nahi hua, wo andar ghus hi nahi pa raha tha. Gaand tight hone ke bajah se wo thoda hi anndar ja raha tha aur thodahi andar jaate huye hi shethani uuu…uu.mmm…..uuuu.aawaje nikal deti thi. Mujhe nahi lag raha tha ki mera lund is gaand me ghus payega. Ab bahu ne mera lund apne haath me leke usape bahut saree thuk dalee aur use aur chikana bana diya aur shethani ke gaand pe bhi thuk dal dee. Aur mujhe kaan me dhire dhire andar gaand ke andar lund daal ne ko bola aur kuch bhi ho jaye piche khichane ke liye mana kar diya.

Ab maine apana supada shethani ke gaand me dhire dhire ghusana shuru kiya. Gaand bahut hi tight thi. Ab maine jor lagaya aur lund ka supada gaand ke andar chala gaya. Aur shethani ke paav kapne lage shethani ki aawajo ki tivrata aur badh gayi parantu ab mai piche hatnewala nahi tha ab maine gati lee aur josrse apana lund aage piche karne laga abhi tak pura lund andar nahi gaya tha aur shethani ke haath paaav kaap rahe the aur mere lund ko usaki gaand andar jakde ja rahi thi kisi bhi khsana mera viryapat ho jaye itani wo tight thi. Ab maine lund dhire dhire zatke maar ke pura lund andar dal diya. shethani ke haath bandhe hote huye bhi wo mujhe dard ke karan piche dhalkelane ki koshish kar rahi thi.

Maine ab apani gati normal kar dee aur lund ko aage piche karne laga waise shethani ki aawaje badh gayi mai bola "shethaniji meri pyari shethaniji ab to apaki gaand ki khair nahi" aur jorse kaske dhaake marne laga. Shethani ke gaand me aag lag chuki thi. Usaka muh pura lal ho gaya balki pura sharir lal ho gaya tha. pehli baar gaand chudai ke karan unse saha nahi ja raha tha. Ab mai apni charam seema tak pahuch gaya tha shethani is daramyan teen bar zadi thi. Maine abhi gati aur tez kar dee. Aur jorse mere muh se aawaj nikal padi maine mera virya shethani ke gaand me andar tak ghused diya tha. Gaand ke andar virya ke fuvaro ke garmi ke karan ab shethani ke chehare pe ek purnatva aur khushi ki zalak dikh rahi thi.

Ab raat ke 1 baj rahe the aur hum sabhi bahut hi thak gaye the. Humne shetaji ko dusare birth se uthake pehle wale jagah par sula diya. bechara shetaji neend ki goliya ke nashe ke karan kuch samazane ki haalat me nahi tha aur puri nidra me soya hua tha. Ab hum log bhi alag alag birth pe so gaye.

Dusare din sabere jab aankh khuli, tab suraj khidaki se dikhai de raha tha. Mai uthake apane birth pe baith gaya. Chaddar jama karke apane sanduk me dal diya. aur mai uthake cabin ke bahar chala aya. Udhar se mujhe shethani aate hui dikhi. Waah kkya chikani chikani lag rahi thi wo, Parantu ye kya…..shethani ki chaal badal chuki thi….shethani to bahut hallu hallu chal rahi thi. Aur aisa lag raha tha ki raat ki thukai se unhe abhi bhhi chalane me dard ho raha tha. Sach me raat me jara jyada hi ho gay shethani ke saath, Wo jab mere baaju ayi to thodisi muskurayi aur mere gaal pe ek chumma chipaka ke cabin ke andar chali gayi. Abhi bhi train ka lagbhag 26 ghanto ka safar baaki tha.

Maine niche dekha to mere lund maharaj khade the aur aane jane walo ko salami de rahe the ab mujhe shethani ke hasne aur chumma dene ka matlab pata chala. Mere lund ko abhi thukai ke liye koi chahiye tha. Parantu abhi to thukai ka chance na ke barabar dikh raha tha. Tabhi ek chaiwala mere baajuse gujara aur mujhe dekh ke muskuraya. To maine usase baat karna shuru kar dee. Aur usase dosti bana lee. Usaka naam Raadhe tha. Aur maine use mere thukai ke liye kuch intajaam karne ke liye kaha. To wo bola mai ladki to lake deta hu parantu use thukai ke liye mana aur kaam kaha karna hai ye aapko dekhana padega. Maine usako apana plan bata diya aur usako aadhe ghante ke baad ladki ko kaun se bathroom me leke aane ka hai, yeh bol diya.


Mai phataphat cabin ke andar gaya. Kapde leke bathroom ke andar ghusake snan karke 10 minute me ready ho gaya. Aur utane me bahu chai ka cup lake mere haath me rakh diya aur mere se chipak kar baith gayi. Shetaji train ke bahar dekhane me vyastha tha, aur shethani bacche apani maandi pe leke sula rahi thi. Bahu ne itani der me apani harkate shuru kar dee aur apana ghunghat niche gira diya. aur abhi bahu ki unnat chhati mujhe dikhane lagi. usaki blouse ki guly se usaki chuchiya bahut hi aakarshak aur pushtha lag rahi thi. Aise lag raha tha ki abhi haath dalke ek chuchi bahar nikalu aur usme se dudh chusana shuru kar du. Parantu shetaji samane baithe hone ke karan aisi harkat mai kar nahi sakta tha.

Maine bahu ke peeth piche haath dalke usaki saree ke andar andar haath dal diya, aur gaand ki taraf apana haath badhane laga, usaki twacaha bahut hi naajuk thi aur muulayam bhi. Ab mai andar andar haath dale ja raha tha aur idhar saamne se bahu ki bhari chuchiyo ko dekh ke garam ho raha tha. Shethani ke najro se ye baat kaisi bachati, usane apana pair mere pairo pe rakh diya aur ghisane lagi. mai pura garam ho gaya tha. Itane me mujhe chaiwale ka Raadhe ka khayal aya.
kramashah.........






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