जवानी की मिठास--4
सावधान-
दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो
की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े
गतान्क से आगे................
शाम को विजय घूम फिर कर घर आ जाता है और उसे देखते ही गुड़िया उसके पास
जाकर लिपट जाती है, विजय उसे अपनी बाँहो मैं भर कर चूमते हुए मेरी
गुड़िया रानी सुबह से कहाँ गायब थी मैं तेरे लिए कितना बैचैन था,
गुड़िया- अपने भैया का हाथ पकड़ कर उसे खाट पर बैठते हुए भैया मैंने सब
तैयारी कर ली है और कल से तुम्हारा
जब दिल करेगा अपनी बहन को अपनी गोद मे बैठा कर प्यार कर लेना,
विजय- मेरा दिल तो अभी अपनी बहन को प्यार करने का हो रहा है,
गुड़िया- अपने भाई के उपर चढ़ कर बैठ जाती है और विजय उसके पतले से घाघरे
के उपर से उसके भारी चूतादो को
सहलाने लगता है, उसके भारी चूतादो को दबाते हुए, गुड़िया तू कितनी दुबली हो गई है,
गुड़िया अपने भाई के गालो से अपने गाल रगड़ते हुए भैया आप यहाँ रहते नही
तो मुझे अच्छा नही लगता है ना
विजय- अच्छा अब तो तू मेरे साथ ही रहेगी और फिर गुड़िया की मोटी गंद को
अपने हाथो से दबाते हुए देखना गुड़िया
मैं तुझे कितनी तंदुरुस्त कर दूँगा,
गुड़िया- हा भैया मेरा भी बदन बहुत दर्द करता है और जब तुम दबाते हो तो
बहुत अच्छा लगता है
विजय- अच्छा मुझे बता तेरा बदन कहाँ-कहाँ दर्द करता है
गुड़िया- अपने भैया का एक हाथ पकड़ कर अपने मोटे-मोटे दूध के उपर रख लेती
है और दूसरे हाथ को अपने भारी
चूतादो के उपर रख लेती है, विजय अपनी बहन को भोली समझ कर उसके मोटे-मोटे
दूध और गदराई गंद को खूब कस-
कस कर मसल्ने लगता है, उसका लंड अपनी बहन के दूध और मोटी गंद मसल्ते हुए
एक दम तन कर खड़ा हो जाता है
विजय- अब अच्छा लग रहा है
गुड़िया- हाँ भैया बहुत अच्छा लग रहा है पर मुझे अपनी गोद मे बैठा कर
दोनो हाथो से मेरी छातियाँ मसलो ना
विजय गुड़िया को अपने लंड पर बैठा कर उसके दोनो मोटे-मोटे दूध को खूब
कस-कस कर मसल्ने लगता है तभी
अचानक रुक्मणी घर के अंदर आ जाती है और विजय और गुड़िया का ध्यान उसकी ओर
नही रहता है, वह गुड़िया को पागलो की तरह चूमता हुआ उसके मोटे-मोटे दूध
को दोनो हाथो से खूब कस-कस कर मसलता रहता है, गुड़िया आह आह करती हुई हा
भैया अब बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही ऐसे ही करते रहो,
रुक्मणी दोनो को उस तरह देख कर गरम हो जाती है और चुपचाप दरवाजे के पीछे
छुपकर उन दोनो को देखने लगती
है,
गुड़िया- भैया आपको इस तरह मालिश करना कहाँ से पता चला है आप बहुत अच्छे
से मसल्ते हो दो मिनिट मे दर्द
ख़तम हो जाता है और मज़ा आने लगता है, क्या आप मम्मी की भी ऐसे ही मालिश करते हो
गुड़िया के मूह से ऐसी बात सुन कर रुक्मणी की चूत कुलबुलाने लगती है,
विजय- नही रे मम्मी की ऐसी मालिश करने को कहाँ मिलता है
गुड़िया- तो भैया मम्मी को भी मेरी तरह दर्द रहता होगा आप मम्मी को भी
इसी तरह मसल कर मालिश कर दिया करो
ना,
विजय- गुड़िया की चोली खोल कर उसके दोनो मोटे-मोटे दूध अपने हाथो मे भरकर
दबाते हुए, हे गुड़िया मम्मी
मुझसे ऐसी मालिश करवाती ही कहाँ है, मैं तो कब से मम्मी की मालिश करने के
लिए तरस रहा हू
गुड़िया- आह तो क्या आपको भी भैया ऐसी मालिश करने मे मज़ा आता है
विजय- हाँ गुड़िया तभी विजय को ऐसा लगता है जैसे कोई छुपकर खड़ा है और
विजय समझ जाता है कि उसकी मा रुक्मणी छुप कर खड़ी है, वह उसकी ओर बिना
देखे पहले थोड़ा घबराता है लेकिन फिर उसका लंड झटके मारने लगता है और वह
गुड़िया के दूध को दबाता हुआ, गुड़िया तू नही जानती मैं ऐसी मालिश करने
के लिए कितना तरसता हू,
गुड़िया- क्या आपका मन मम्मी की भी मालिश करने को करता है
विजय- हाँ गुड़िया मेरा मान तो मम्मी को पूरी नंगी करके मालिश करने का करता है
गुड़िया- हस्ते हुए क्या भैया मम्मी कभी आपको नंगी करके मालिश करने देगी क्या
विजय- क्यो नही करने देगी मैंने तो सुना है मम्मी को पूरी नंगी होकर
मालिश करवाने मे बहुत मज़ा आता है
गुड़िया- हाँ भैया लेकिन सिर्फ़ जमुना काकी के साथ
विजय- अच्छा चल अब अपनी चोली बाँध ले मा आती होगी
रुक्मणी थोड़ी देर बाद घर के अंदर आती है, रात को सभी खाना खा कर सो जाते
है और सुबह जब गुड़िया बाहर बाइक के
पास समान लेकर खड़ी थी तब विजय अपनी मा से गले मिलने लगा
रुक्मणी- जल्दी आना बेटे तेरे बिना मन नही लगता है, वैसे भी तुझे मेरा
बिल्कुल ख्याल नही है बस अपनी बहन का ही
ध्यान रहता है,
विजय- नही मा अब की बार आउन्गा तो तुम्हारी हर शिकायत दूर कर दूँगा
रुक्मणी- गुड़िया का ख्याल रखना अभी बहुत बचपाना है उसमे
विजय- तुम फिकर ना करो मा अब तुम्हारी बेटी बच्ची नही रहेगी उसे मैं
तुम्हारी तरह समझदार बना दूँगा
विजय अपनी बहन को लेकर शहर आ जाता है और उसे घर छ्चोड़ कर ड्यूटी चला
जाता है, शाम को विजय घर पहुच कर
जब दरवाजा बजाता है तब गुड़िया दरवाजा खोलती है वह सीधे विजय से लिपट
जाती है, विजय उसे अपनी गोद मे उठा कर
अंदर ले आता है और फिर कभी उसके होंठो को कभी उसके गालो को चूमना शुरू कर देता है,
गुड़िया अपने मन मे सोचती है आज तो मैं अपने भैया के मोटे लंड को अपनी
चूत मे भर कर उनसे खूब अपनी चूत मरवाउंगी, गुड़िया भैया अब अपनी बहन को
चूमते ही रहोगे या उससे यह भी पूछोगे कि तुझे आज सबसे ज़्यादा दर्द कहाँ
हो रहा है,
विजय- उसके रसीले होंठो को चूस कर बता मेरी प्यारी बहना आज तुझे सबसे
ज़्यादा दर्द कहाँ पर हो रहा है
गुड़िया उसके उपर से उठती हुई पहले भैया अपना ये पेंट उतार कर हाथ मूह धो
लो और लूँगी पहन लो फिर बताती हू, पेंट
मे आप अच्छे से मुझे अपनी गोद मे बैठा नही पाते है,
विजय जल्दी से अपने कपड़े उतार कर बाथरूम मे हाथ मुँह धोकर पूरा नंगा
होकर केवल अपनी लूँगी पहन कर आ जाता है
और गुड़िया को पकड़ कर अपनी और उसका मूह करके उसे अपनी गोद मे चढ़ा लेता
है गुड़िया का घाघरा पीछे सरक जाता
है और उसकी चूत सीधे अपने भैया के मोटे लंड से सत जाती है, विजय उसे
पागलो की तरह चूमते हुए उसके मोटे-मोटे
दूध को बुरी तरह दबाने लगता है,
गुड़िया अपने भैया के मोटे लंड से अपनी चूत को बार-बार आगे पीछे करके रगड़ने
लगती है,
विजय- बोल मेरी बहाना आज कहाँ तुझे दर्द हो रहा है, गुड़िया अपने भाई के
मोटे लंड को पकड़ कर कहती है जहाँ आपका
यह मोटा डंडा मुझे चुभ रहा है, गुड़िया की बात सुन कर विजय उसे बेड पर
लेटा देता है और गुड़िया अपनी दोनो टाँगे
फैला कर उसे अपनी गुलाबी कसी हुई चूत दिखा कर कहती है भैया देखो ने यहा
आज बहुत दर्द हो रहा है देखो कैसी
लाल हो गई है, विजय अपनी बहन की गुलाबी रस से भरी चूत देख कर उसकी दोनो
फांको को खूब कस कर फैला देता है और फिर अपनी जीभ अपनी बहन की रसीली चूत
की फांको के बीच बहते गुलाबी छेद मैं डाल कर पागलो की तरह अपनी जवान बहन
की चूत का रस पीने लग जाता है,
गुड़िया- ओह भैया आह आह हॅ भीया यही दर्द है बहुत दर्द है और ज़ोर से चतो
भैया आह आह, विजय पागलो की तरह
गुड़िया की चूत की फूली हुई फांको को फैला कर उसकी गुलाबी चूत चाटने लगता
है, गुड़िया खूब सिसकिया लेती हुई अपनी मोटी गंद उठा-उठा कर अपने भैया के
मूह मे मारने लग जाती है, कुछ देर तक विजय अपनी बहन की चूत चाट-चाट कर
पूरी लाल कर देता है, उसके बाद गुड़िया अपने भैया से पूरी चिपक जाती है,
विजय- उसका घाघरा और चोली उतार कर पूरी नंगी करके उसकी चूत को अपने हाथो
से सहलाता रहता है
गुड़िया- भैया तुम मम्मी को भी ऐसे ही नंगी करके प्यार करना चाहते हो ना
विजय- गुड़िया के मोटे-मोटे दूध को दबाता हुआ हा मेरी बहना मैं मम्मी को
बहुत प्यार करता हू और इसी तरह
मम्मी को पूरी नंगी करके उनकी मालिश करना चाहता हू,
गुड़िया- भैया आपका ये तो बहुत मोटा है
विजय- तू इसे चतेगी तो तुझे बहुत अच्छा लगेगा,
गुड़िया- भैया आप भी मेरी चॅटो ना मैं आपका ये मोटा डंडा चुस्ती हू और
फिर दोनो भाई बहन एक दूसरे के लंड और
चूत को पागलो की तरह तब तक चूस्ते है जब तक कि एक दूसरे का सारा रस
चूस-चूस कर पी नही जाते,
गुड़िया- हान्फ्ते हुए, अपने भैया से बुरी तरह से लिपट जाती है और ओह
भैया कितना मज़ा आता है, आपका डंडा चूसने मे
तो बहुत मज़ा आता है भैया मुझे और चूसना है भैया,
विजय- हा मेरी बहना तेरा जितना मन करे चूस लेना पर पहले एक बार तू इस
डंडे के उपर अच्छे से बैठ जा मैं तुझे और
भी मज़ा देना चाहता हू,
गुड़िया- ओह भैया मुझे ऐसे नही तुम खड़े होकर फिर मुझे अपने डंडे पर चढ़ा लो,
विजय- गुड़िया की बात सुन कर उसकी दोनो जाँघो से उसे दबोच कर उसकी दोनो
जाँघो को अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट कर उसकी कसी चूत को अपने लंड से
भिड़ा कर जब पीछे से उसकी गंद को दबोच कर एक तगड़ा झटका मारता है और उसका
मोटा लंड गुड़िया की चूत को फाड़ता हुआ पूरा अंदर तक फँस जाता है और
गुड़िया एक ज़ोर की चीख के साथ अपने भैया के मोटे लंड मे अपनी चूत फसाए
उससे बुरी तरह चिपक जाती है,
गुड़िया- ओह भैया मर गई भैया ये क्या कर रहे हो भैया,
विजय- अपने लंड के तगड़े झटके अपनी बहन की चूत मे मारता हुआ, मेरी रानी
मैं अपनी बहन को चोद रहा हू और फिर
विजय गुड़िया को बेड पर लिटा कर उसकी चूत मे अपने मोटे लंड के खूब तगड़े
धक्के मारने लगता है, लगभग 10 मिनिट
तक जब विजय अपनी बहन की टाइट चूत मे अपना लंड खूब पेल -पेल कर चोदता है
तब कही जाकर गुड़िया भी अपनी मोटी गंद अपने भैया के लंड पर मारने लगती
है, ओह भैया फाड़ दो और छोड़ो अपनी बहन को आह आह भैया कितना मज़ा आता है
चोदने मे खूब चोदो भैया,
विजय की रफ़्तार पूरी तरह तेज हो जाती है और फिर वह कुछ जोरदार धक्के मार कर अपनी
बहन की चूत मे अपना पानी गिरा देता है, दोनो भाई बहन अपने चूत और लंड को
खूब एकदुसरे मे कसे हुए पड़े
रहते है,
कुछ देर बाद विजय गुड़िया को उठा कर अपने उपर लिटा लेता है और उसे चूमते
हुए उसकी गदराई गंद को सहलाने लगता है
कहो गुड़िया तुम्हे मज़ा आया कि नही
गुड़िया- ओह भैया आज तो आप ने वो मज़ा दिया है जो कभी नही भूलेगा, मुझे
क्या पता था भैया इसको चोदना कहते
है नही तो मैं कब की आप से अपनी चूत मरवा चुकी होती,
विजय- मेरी रानी मैं तो तुझे ना जाने कब से चोदना चाहता था,
गुड़िया- अपने भैया का मोटा लंड सहलाती हुई, भैया तो क्या तुम मम्मी को
भी इसी तरह चोदना चाहते हो
अपनी मम्मी का नाम सुनते ही विजय का लंड फिर से झटके मारने लगता है,
विजय- हाँ गुड़िया मुझे मम्मी को पूरी नंगी करके चोदने का बड़ा मन करता है
गुड़िया- तो चोद दो ना भैया, तुम इतना अच्छा चोद्ते हो देखना मम्मी कभी
मना नही करेगी
विजय- पर गुड़िया मैं यह भी तो नही जानता कि मम्मी मुझसे अपनी चूत मरवाना
चाहती है या नही
गुड़िया- तुम्हारा मन क्या मम्मी की चूत देखने का करता है
विजय- नही गुड़िया मेरा मन मम्मी की चूत चाटने और उसे नंगी करके चोदने का करता है
गुड़िया- क्या तुमने मम्मी की चूत देखी है
विजय- नही रे अभी तक नही
गुड़िया- भैया मम्मी की चूत तो बहुत फूली हुई और बड़ी है बिल्कुल
तुम्हारे मोटे लंड से चुदने के लायक है,
विजय- गुड़िया की चूत को सहलाता हुआ, गुड़िया क्या मम्मी भी ऐसा सोचती
होगी कि वह मुझे अपनी चूत पर चढ़ा कर अपने बेटे का मोटा लंड अपनी चूत मे
लेती होगी,
गुड़िया- एक आइडिया है भैया, अगर मम्मी तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिए
तड़प रही होगी तो वह यह बात जमुना काकी से
ज़रूर करेगी बस हमे उनकी बाते सुननी होगी, तभी पता चल पाएगा,
विजय- अच्छा गुड़िया ज़रा घोड़ी की तरह झुक कर मुझे अपनी मोटी गंद तो
दिखा, गुड़िया जल्दी से अपनी गंद अपने भैया के मूह की ओर करके झुक जाती
है और विजय अपने हाथो से गुड़िया की गंद का छेद सहलाते हुए
विजय- गुड़िया तूने मम्मी का यह गंद वाला छेद देखा है
गुड़िया- आह भैया मैंने तो नही देखा लेकिन जमुना काकी ने ज़रूर देखा होगा
वह तो रोज ही मम्मी की चूत और गंद
अपने होंठो से खूब चुस्ती और चाटती है,
विजय- गुड़िया मुझे मम्मी का ये वाला छेद खूब कस कर चाटने और सूंघने का मन होता है
गुड़िया- भैया तुम मम्मी की मोटी गंद को नंगी देख लोगे तो उसकी गंद चाते
बिना वैसे भी नही रह पाओगे
विजय गुड़िया की मोटी गंद से अपना मूह लगा कर उसे बड़े प्यार से चूत से
लेकर गंद तक चाटना शुरू कर देता है और
फिर धीरे से वह अपना मोटा लंड गुड़िया की चूत मे पीछे से पेलना शुरू कर
देता है, कुछ देर ऐसे ही चोद्ते हुए विजय
गुड़िया को एक साइड मे सुला कर पीछे से उसकी चूत मे लंड फसा कर आराम से
चिपक कर धीरे-धीरे गुड़िया को चोद्ते
हुए उससे बाते करने लगता है, गुड़िया धीरे-धीरे अपनी चूत मे घुसते अपने
भैया के मोटे लंड से आसमान मे उड़ने
लगती है,
गुड़िया- मैं कैसा चोदता हू
गुड़िया- ओह भैया आप बहुत अच्छा चोद्ते हो
विजय-गुड़िया एक बात कहु, कभी-कभी मेरा दिल करता है कि मैं तुझे और मम्मी
को दोनो को पूरी नंगी करके एक साथ
पूरी रात चोदु,
गुड़िया- ओह भैया क्या ऐसा हो सकता है क्या मम्मी आपसे अपनी चूत मरवाने
को राज़ी हो जाएगी
विजय- हाँ गुड़िया मैं कैसे भी करके मम्मी को इस बार ज़रूर चोदुन्गा
उस रात विजय सारी रात अपनी बहन को तबीयत से ठोकता रहा और फिर गुड़िया
जितने दिन उसके पास रही वह दिन रात उसे जी भर कर चोदता था,
क्रमशः...............
JAWAANI KI MITHAS--4
gataank se aage................
sham ko vijay ghum phir kar ghar aa jata hai aur use dekhte hi gudiya
uske pas jakar lipat jati hai, vijay use apni banho
main bhar kar chumte huye meri gudiya rani subah se kaha gayab thi
main tere liye kitna baichain tha,
gudiya- apne bhaiya ka hath pakad kar use khat par baithate huye
bhaiya mainne sab taiyari kar li hai aur kal se tumhara
jab dil karega apni bahan ko apni god main baitha kar pyar kar lena,
vijay- mera dil to abhi apni bahan ko pyar karne ka ho raha hai,
gudiya- apne bhai ke upar chadh kar baith jati hai aur vijay uske
patle se ghaghre ke upar se uske bhari chutado ko
sahlane lagta hai, uske bhari chutado ko dabate huye, gudiya tu kitni
dubli ho gai hai,
gudiya apne bhai ke galo se apne gal ragadte huye bhaiya aap yaha
rahte nahi to mujhe achcha nahi lagta hai na
vijay- achcha ab to tu mere sath hi rahegi aur phir gudiya ki moti
gand ko apne hantho se dabate huye dekhna gudiya
main tujhe kitni tandurust kar dunga,
gudiya- ha bhaiya mera bhi badan bahut dard karta hai aur jab tum
dabate ho to bahut achcha lagta hai
vijay- achcha mujhe bata tera badan kaha-kaha dard karta hai
gudiya- apne bhaiya ka ek hath pakad kar apne mote-mote doodh ke upar
rakh leti hai aur dusre hath ko apne bhari
chutado ke upar rakh leti hai, vijay apni bahan ko bholi samajh kar
uske mote-mote doodh aur gadaraai gand ko khub kas-
kas kar masalne lagta hai, uska land apni bahan ke doodh aur moti gand
masalte huye ek dam tan kar khada ho jata hai
vijay- ab achcha lag raha hai
gudiya- ha bhaiya bahut achcha lag raha hai par mujhe apni god main
baitha kar dono hantho se meri chaatiyan masalo na
vijay gudiya ko apne land par baitha kar uske dono mote-mote doodh ko
khub kas-kas kar masalne lagta hai tabhi
achanak rukmani ghar ke andar aa jati hai aur vijay aur gudiya ka
dhyan uski aur nahi rahta hai, vah gudiya ko paglo ki
tarah chumta hua uske mote-mote doodh ko dono hantho se khub kas-kas
kar masalta rahta hai, gudiya aah aah karti hui
ha bhaiya ab bahut achcha lag raha hai aise hi aise hi karte raho,
rukmani dono ko us tarah dekh kar garam ho jati hai aur chupchap
darwaje ke piche chupkar un dono ko dekhne lagti
hai,
gudiya- bhaiya aapko is tarah malish karna kaha se pata chala hai aap
bahut achche se masalte ho do minute main dard
khatam ho jata hai aur maza aane lagta hai, kya aap mummy ki bhi aise
hi malish karte ho
gudiya ke muh se aisi bat sun kar rukmani ki chut kulbulane lagti hai,
vijay- nahi re mummy ki aisi malish karne ko kaha milta hai
gudiya- to bhaiya mummy ko bhi meri tarah dard rahta hoga aap mummy ko
bhi isi tarah masal kar malish kar diya karo
na,
vijay- gudiya ki choli khol kar uske dono mote-mote doodh apne hantho
main bharkar dabate huye, hay gudiya mummy
mujhse aisi malish karwati hi kaha hai, main to kab se mummy ki malish
karne ke liye taras raha hu
gudiya- aah to kya aapko bhi bhaiya aisi malish karne main maza aata hai
vijay- ha gudiya tabhi vijay ko aisa lagta hai jaise koi chupkar khada
hai aur vijay samajh jata hai ki uski ma rukmani
chup kar khadi hai, vah uski aur bina dekhe pahle thoda ghabrata hai
lekin phir uska land jhatke marne lagta hai aur
vah gudiya ke doodh ko dabata hua, gudiya tu nahi janti main aisi
malish karne ke liye kitna tarasta hu,
gudiya- kya aapka man mummy ki bhi malish karne ko karta hai
vijay- ha gudiya mera man to mummy ko puri nangi karke malish karne ka karta hai
gudiya- haste huye kya bhaiya mummy kabhi aapko nangi karke malish
karne degi kya
vijay- kyo nahi karne degi mainne to suna hai mummy ko puri nangi
hokar malish karwane main bahut maza ata hai
gudiya- ha bhaiya lekin sirf jamuna kaki ke sath
vijay- achcha chal ab apni choli bandh le ma aati hogi
rukmani thodi der bad ghar ke andar aati hai, rat ko sabhi khana kha
kar so jate hai aur subah jab gudiya bahar byke ke
pas saman lekar khadi thi tab vijay apni ma se gale milne laga
rukmani- jaldi aana bete tere bina man nahi lagta hai, vaise bhi tujhe
mera bilkul khyal nahi hai bas apni bahan ka hi
dhyan rahta hai,
vijay- nahi ma ab ki bar aaunga to tumhari har shikayat dur kar dunga
rukmani- gudiya ka khyal rakhna abhi bahut bachpana hai usme
vijay- tum fiakr na karo ma ab tumhari beti bachchi nahi rahegi use
main tumhari tarah samajhdar bana dunga
vijay apni bahan ko lekar shahar aa jata hai aur use ghar chhod kar
duty chala jata hai, sham ko vijay ghar pahuch kar
jab darwaja bajata hai tab gudiya darwaja kholti hai vah sidhe vijay
se lipat jati hai, vijay use apni god main utha kar
andar le aata hai aur phir kabhi uske hontho ko kabhi uske galo ko
chumna shuru kar deta hai,
gudiya apne man main sochti hai aaj to main apne bhaiya ke mote land
ko apni chut main bhar kar unse khub apni chut marwaungi, gudiya
bhaiya ab apni bahan ko chumte hi rahoge ya usse yah bhi puchoge ki
tujhe aaj sabse jyada dard kaha ho raha hai,
vijay- uske rasile hontho ko chus kar bata meri pyari bahna aaj tujhe
sabse jyada dard kaha par ho raha hai
gudiya uske upar se uthti hui pahle bhaiya apna ye pent utar kar hath
muh dho lo aur lungi pahan lo phir batati hu, pent
main aap achche se mujhe apni god main baitha nahi pate hai,
vijay jaldi se apne kapde utar kar bathroom main hathmuh dhokar pura
nanga hokar keval apni lungi pahan kar aa jata hai
aur gudiya ko pakad kar apni aur uska muh karke use apni god main
chadha leta hai gudiya ka ghaghra piche sarak jata
hai aur uski chut sidhe apne bhaiya ke mote land se sat jati hai,
vijay use paglo ki tarah chumte huye uske mote-mote
doodh ko buri tarah dabane lagta hai,
gudiya apne bhaiya ke mote land se apni chut ko bar-bar aage piche karke ragadne
lagti hai,
vijay- bol meri bahana aaj kaha tujhe dard ho raha hai, gudiya apne
bhai ke mote land ko pakad kar kahti hai jaha aapka
yah mota danda mujhe chubh raha hai, gudiya ki bat sun kar vijay use
bed par leta deta hai aur gudiya apni dono tange
phiala kar use apni gulabi kasi hui chut dikha kar kahti hai bhaiya
dekho ne yaha aaj bahut dard ho raha hai dekho kaisi
lal ho gai hai, vijay apni bahan ki gulabi ras se bhari chut dekh kar
uski dono phanko ko khub kas kar phaila deta hai aur
phir apni jeebh apni bahan ki rasili chut ki phanko ke beech bahte
gulabi chhed main dal kar paglo ki tarah apni jawan
bahan ki chut ka ras pine lag jata hai,
gudiya- oh bhaiya aah aah ha bhiya yahi dard hai bahut dard hai aur
jor se chato bhaiya aah aah, vijay paglo ki tarah
gudiya ki chut ki phuli hui phanko ko phaila kar uski gulabi chut
chatnde lagta hai, gudiya khub siskiya leti hui apni moti
gand utha-utha kar apne bhaiya ke muh main marne lag jati hai, kuch
der tak vijay apni bahan ki chut chat-chat kar puri
lal kar deta hai, uske bad gudiya apne bhaiya se puri chipak jati hai,
vijay- uska ghaghra aur choli utar kar puri nangi karke uski chut ko
apne hantho se sahlata rahta hai
gudiya- bhaiya tum mummy ko bhi aise hi nangi karke pyar karna chahte ho na
vijay- gudiya ke mote-mote doodh ko dabata hua ha meri bahana main
mummy ko bahut pyar karta hu aur isi tarah
mummy ko puri nangi karke unki malish karna chahta hu,
gudiya- bhaiya aapka ye to bahut mota hai
vijay- tu ise chategi to tujhe bahut achcha lagega,
gudiya- bhaiya aap bhi meri chato na main aapka ye mota danda chusti
hu aur phir dono bhai bahan ek dusre ke land aur
chut ko paglo ki tarah tab tak chuste hai jab tak ki ek dusre ka sara
ras chus-chus kar pi nahi jate,
gudiya- hafte huye, apne bhiaya se buri tarah se lipat jati hai aur oh
bhaiya kitna maza aata hai, aapka danda chusne main
to bahut maza aata hai bhaiya mujhe aur chusna hai bhaiya,
vijay- ha meri bahna tera jitna man kare chus lena par pahle ek bar tu
is dande ke upar achche se baith ja main tujhe aur
bhi maza dena chahta hu,
gudiya- oh bhaiya mujhe aise nahi tum khade hokar phir mujhe apne
dande par chadha lo,
vijay- gudiya ki bat sun kar uski dono jangho se use daboch kar uski
dono jangho ko apni kamar ke ird gird lapet kar uski
kasi chut ko apne land se bhida kar jab piche se uski gand ko daboch
kar ek tagda jhatka marta hai aur uska mota land
gudiya ki chut ko phadta hua pura andar tak phans jata hai aur gudiya
ek jor ki chikh ke sath apne bhaiya ke mote land
main apni chut phasaye usse buri tarah chipak jati hai,
gudiya- oh bhaiya mar gai bhaiya ye kya kar rahe ho bhaiya,
vijay- apne land ke tagde jhatke apni bahan ki chut main marta hua,
meri rani main apni bahan ko chod raha hu aur phir
vijay gudiya ko bed par lita kar uske chut main apne mote land ke khub
tagde dhakke marne lagta hai, lagbhag 10 minute
tak jab vijay apni bahan ki tite chut main apna land khub pel -pel kar
chodataa hai tab kahi jakar gudiya bhi apni moti gand
apne bhaiya ke land par marne lagti hai, oh bhiaya phad do aur chodo
apni bahan ko aah aah bhaiya kitna maza ata hai
chodane main khub chodo bhaiya,
vijay ki raftar puri tarah tej ho jati hai aur phir vah kuch jordar
dhakke mar kar apni
bahan ki chut main apna pani gira deta hai, dono bhai bahan apne chut
aur land ko khub ekdusre main kase huye pade
rahte hai,
kuch der bad vijay gudiya ko utha kar apne upar lita leta hai aur use
chumte huye uski gadaraai gand ko sahlane lagta hai
kaho gudiya tumhe maza aaya ki nahi
gudiya- oh bhaiya aaj to aap ne wo maza diya hai jo kabhi nahi
bhulega, mujhe kya pata tha bhaiya isko chodna kahte
hai nahi to main kab ki aap se apni chut marwa chuki hoti,
vijay- meri rani main to tujhe na jane kab se chodna chahta tha,
gudiya- apne bhaiya ka mota land sahlati hui, bhiya to kya tum mummy
ko bhi isi tarah chodna chahte ho
apni mummy ka nam sunte hi vijay ka land phir se jhatke marne lagta hai,
vijay- ha gudiya mujhe mummy ko puri nangi karke chodane ka bada man karta hai
gudiya- to chod do na bhaiya, tum itna achcha chodte ho dekhna mummy
kabhi mana nahi karegi
vijay- par gudiya main yah bhi to nahi janta ki mummy mujhse apni chut
marwana chahti hai ya nahi
gudiya- tumhara man kya mummy ki chut dekhne ka karta hai
vijay- nahi gudiya mera man mummy ki chut chatne aur use nangi karke
chodane ka karta hai
gudiya- kya tumne mummy ki chut dekhi hai
vijay- nahi re abhi tak nahi
gudiya- bhaiya mummy ki chut to bahut phuli hui aur badi hai bilkul
tukhare mote land se chudne ke layak hai,
vijay- gudiya ki chut ko sahlata hua, gudiya kya mummy bhi aisa sochti
hogi ki vah mujhe apni chut par chadha kar apne
bete ka mota land apni chut main leti hogi,
gudiya- ek idea hai bhaiya, agar mummy tumhare land se chudne ke liye
tadap rahi hogi to vah yah bat jamuna kaki se
jarur karegi bas hame unki bate sunna hogi, tabhi pata chal payega,
vijay- achcha gudiya jara ghodi ki tarah jhuk kar mujhe apni moti gand
to dikha, gudiya jaldi se apni gand apne bhaiya ke
muh ki aur karke jhuk jati hai aur vijay apne hatho se gudiya ki gand
ka chhed sahlate huye
vijay- gudiya tune mummy ka yah gand wala chhed dekha hai
gudiya- aah bhaiya mainne to nahi dekha lekin jamuna kaki ne jarur
dekha hoga vah to roj hi mummy ki chut aur gand
apne hontho se khub chusti aur chatti hai,
vijay- gudiya mujhe mummy ka ye wala chhed khub kas kar chatne aur
sunghne ka man hota hai
gudiya- bhaiya tum mummy ki moti gand ko nangi dekh loge to uski gand
chate bina vaise bhi nahi rah paoge
vijay gudiya ki moti gand se apna muh laga kar use bade pyar se chut
se lekar gand tak chatna shuru kar deta hai aur
phir dhire se vah apna mota land gudiya ki chut main piche se pelna
shuru kar deta hai, kuch der aise hi chodte huye vijay
gudiya ko ek side main sula kar piche se uski chut main land phasa kar
aaram se chipak kar dhire-dhire gudiya ko chodte
huye usse bate karne lagta hai, gudiya dhire-dhire apni chut main
ghuste apne bhiaya ke mote land se aasman main udne
lagti hai,
gudiya- main kaisa chodataa hu
gudiya- oh bhaiya aap bahut achcha chodte ho
vijay-gudiya ek bat kahu, kabhi-kabhi mera dil karta hai ki main tujhe
aur mummy ko dono ko puri nangi karke ek sath
puri rat chodu,
gudiya- oh bhaiya kya aisa ho sakta hai kya mummy aapse apni chut
marwane ko raji ho jayegi
vijay- ha gudiya main kaise bhi karke mummy ko is bar jarur chodunga
us rat vijay sari rat apni bahan ko tabiyat se thokta raha aur phir
gudiya jitne din uske pas rahi vah din rat use jee bhar
kar chodataa tha,
KRAMASHAH...............
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