Thursday, September 27, 2012

सेक्सी कहानियाँ ब्लेक रोज-5

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

ब्लेक रोज-5
गतांक से आगे..........................
अन्दर आके अशोक मुझे देखने लगा.मैं मुस्कुराई, बॉस के दिए गाउन ने मेरा
हुस्न और निखार दिया था. मैं और भी ज्यादा सेक्सी और आकर्षक दिखने लगी
थी. "ये बॉस ने दिया है, और साथ में ये गोल्ड चैन भी दी है जिसमें डायमंड
पेंडल है." मैंने चैन भी निकाल के दिखाई.
"मैंने तुम्हारे बारे में भी बात की थी, बॉस सचमुच तुमसे बहुत नाराज़ है
वो तो तुम्हारे बारे में बात भी नहीं करना चाहता था मैंने जैसे तैसे
मनाया. पता नहीं कैसी कैसी हरकतें सहन करनी पड़ी उसकी, खैर मैंने उसको
मना ही लिया, उसका कहना है मैं उसके घर में नौकरी कर लूँ, मुझे सब नौकरों
की हेड बना देगा और सेलेरी भी २०००० हर महीने, रहना, खाना,,*कपडे*सब
फ्री. *तुमको बंगले के आउट हाउस में जगह दे देगा रहने के लिए. कभी कभी जब
ज़रूरत हो तुमको घर में भी काम करना पडेगा, उसके बदले उस दिन तुमको खाना
और शराब मिलेगी. बॉस गुंडों को चुकाने के भी पैसे दे देगा लेकिन जब तक
तुम्हारा पूरा क़र्ज़ नहीं उतर जाता तुमको सिर्फ खाने के पैसे काट कर
पूरी सेलेरी ऑफिस में जमा करना होगी . बोलो ठीक है ना?" वो तो खुश हो गया
बोला, " हाँ पूनम बिलकुल ठीक है बॉस बहुत मेहरबान है, सच तुमने उनको
मनाया है मैं तुम्हारा भी उपकार जीवनभर नहीं भूलूंगा." मैं मन*ही मन
मुस्कुराई लेकिन गंम्भीर हो के बोली "लेकिन अभी एक अड़चन बाकी है, बॉस ने
मेरे बदन से खूब खेला, दबाया, मसला, कुचला लेकिन अभी तक उसने मुझे चोदा
नहीं, उसका हथियार तुम्हारे से डबल से ज्यादा है बोला अभी नहीं चोदुंगा
पूनम पहले अपने पति से सब बातें कर ले, मेरी खुल के सेवा करना पड़ेगी,
शर्माना बिलकुल नहीं, शर्माने वाली औरतें मुझे पसंद नहीं हैं, और अगर ठीक
से सेवा की तो समझ ले १ महीने में ही तेरी सेलेरी डबल कर दूंगा. और गलती
की तो सख्त सज़ा मिलेगी,* मार मार के*खाल*खींच*लूंगा मैं, *उसने आज भी इस
तरह कुचला मेरे बदन को की मेरी चीखें निकल पड़ी, लेकिन मैंने तुम्हारे
कारण सहन किया," मैंने गाउन नीचे करके उसको चूची दिखाई "देखो कैसे काटा
है उस ज़ालिम ने," गाउन के अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी मैंने, निप्पल के
बाहर दाँतों के काटे का घेरा साफ़ नज़र आ रहा था लगता था किसी ने बेरहमी
से काटा है. देख के वो सिहर उठा. मैं फिर बोली "अब उसका कहना है अशोक से
बात कर ले मेरे सामने और अगर वो राजी हो तो आज से तेरी नौकरी शुरू हो
जायेगी. अब तुम बोलो क्या करना है, मुझे तो समझ नहीं आ रहा, तुम्हारे से
उसके सामने पुचुंगी और तुमने हाँ की तो कहीं तुम्हारे सामने ही कुछ करने
नहीं लगे वो."


अशोक एक बारगी तो सहम गया मुझे लगा कहीं वो दर के मना नहीं कर दे, तो मैं
फिर बोली, " सोच लो अशोक मैंने बड़ी मुश्किल से तैयार किया है उसको,
लेकिन ये भी सच है की उसके इरादे कुछ ठीक नहीं लगते मुझे, उसने मुझे नंगा
करके मेरे बदन से खेला अपना हथियार मुझे पकडाया लेकिन आगे नहीं बढ़ा,
बोला अशोक को आने दे उसके सामने सब तय होगा,, वो ज़रूर तुम्हारे सामने
मेरे से कुछ करेगा और हम दोनों की ही बे-इज्ज़ती करेगा. उसने मेरी जीतनी
बे-इज्ज़ती की है उसके बाद भी मुझे मज़बूरी में तैयार होना पडा. लेकिन एक
बात है उसमें. है पक्का मर्द, मैंने कम से कम आधा घंटा उसके हथियार को
सहलाया लेकिनुसने पानी नहीं छोड़ा, तुम तो इतनी देर में २ बार छोड़ देते
और फिर वापस खाली ही रह जाते." मैंने शब्द दिए तो अशोक बोला," ये बात तो
है पूनम वो बहुत ज़ालिम है औरुसको लोगों की बेईज्ज़ती करने में बड़ा मज़ा
आता है, तुम जो सोच रही हो वो भी हो सकता है, लेकिन हमारे पास कोई चारा
भी तो नहीं है , बॉस बड़ा आदमी है शायाद मान भी जाए लेकिन वो गुंडे, वो
तो ज़रूर मेरे हाथ पैर तोड़ देंगे और फिर वो तुम्हारे साथ भी बद-सलूकी
करेंगे. उससे तो अच्छा अकेले बॉस की ही गुलामी कर लें, मैं सब समझता हूँ
वो हम दोनों को ही अपना गुलाम बना लेगा इस तरह, लेकिन उन गुंडों से फिर
भी अच्छा है, उसकी गुलामी के बदले हमें कुछ पैसा तो मिलेगा.". मैं गुस्सा
करके बोली, "कैसे ना-मर्द हो तुम अशोक, अपनी बीवी को दुसरे की रंडी बना
रहे हो और वो भी ऐसी की तुम्हारे सामने तुम्हारी बीवी को नंगा करेगा वो
और तुम बोल रहे हो की तुम राजी हो. लानत है*तुम्हारी मर्दानगी पर.खैर चलो
तुम बैठो बॉस के साथ शराब पीओ मैं कुछ करती हूँ , बॉस आता ही होगा बाथरूम
से.".

बॉस बाथरूम से बाहर आया. अशोक को देख के बोला "आ गया अशोक, चल अब मेरे
लिए स्माल और अपने लिए डबल पेग बना ले." अशोक पेग बनाने लगा मैं सामने
बैठी थी. जब अशोक ने जल्दी जल्दी अपना आधा पेग ख़तम कर लिया तो मैं बोली,
" अशोक बॉस मुझे अपने घर नौकरी दे रहे हैं , मैं उनके सब नौकरों की हेड,
और बाहर जाने पर उनकी पी ए. रहूंगी. तुम्हारे बारे में बॉस का कहना है की
वो तुम्हारा सब क़र्ज़ उतार देंगे लेकिन तुमको अपनी सेलेरी से सब चुकाना
पडेगा. इसके लिए बॉस के घर के आउट हाउस में तुमको रहने के लिए जगह
मिलेगी, तुम्हारी सेलेरी से १०% तुमको मिलेगा बाकी सब तुम्हारा क़र्ज़
चुकाने के लिए कट जाएगा. क़र्ज़ तुम्हे अपनी सेलेरी से ही चुकाना पडेगा.
तुमको भी कभी कभी जब भी ज़रूरत हो घर पर भी काम करना पडेगा उसके लिए
तुमको अलग से बोनस मिलेगा, इसमें एक ख़ास बात है जो बॉस तुम्हारे सामने
करना चाहते हैं की मुझे बॉस की हर तरह से सेवा करनी होगी, बॉस मेरी सेवा
से खुश हुए तो मुझे गिफ्ट्स देंगे जैसे अभी दिए हैं और प्रोमिस किया है २
जोड़ी डायमंड रिंग्स बना के देने का, लेकिन अगर मैंने कोई गलती की तो
मुझे सख्त सज़ा मिलेगी, मैंने इसके लिए हाँ कर दी है लेकिन बॉस का कहना
है की मुझे ये नौकरी तभी मिल सकेगी जब मैं पूरी तरह बेशर्म बन जाऊं, बॉस
को शरमाने वाली औरतें पसंद नहीं है. इनका कहना है की इनके घर में रहते
हुए मुझे २ से ज्यादा कपडे नहीं पहनना है मुझे सबसे मॉडर्न ड्रेसेस
दिलाएंगे लेकिन घर के बाहर पहनने के लिए. और वो २ कपडे भी जब भी बॉस बोले
उतारने के लिए तैयार रहना पडेगा. मैंने बहुत मिन्नतें की की बॉस सबके
सामने मत बोलना ऐसा लेकिन बॉस का कहना है की जब उनकी मर्ज़ी होगी नंगा
करेंगे और जो मर्ज़ी करेंगे. बस यही ख़ास शर्त है जो मुझे मानने में
दिक्कत आ रही है और बॉस का भी कहना है की हाँ भी करूँ तो तुम्हारे सामने
ना भी करूँ तो तुम्हारे सामने. हाँ की तो मेरी नौकरी अभी से ही शुरू हो
जायेगी और एडवांस में बॉस अभी २ लाख रुपये मंगवा के दे देंगे जो तुम सुबह
सुबह ही उन गुंडों को दे सकते हो. बोलो अब तुम क्या कहते हो." मैंने जैसे
एक ही सांस में जल्दी जल्दी अशोक को बॉस के सामने फिर सारी बातें बताई.
अशोक बेचारा बॉस के सामने मेरे मुह से ये बातें सुन के सन्न रह गया उसने
सोचा भी नहीं था की मैं इस तरह की बेशर्मी भरी बातें बॉस के सामने
करुँगी. अब बॉस बोला, " सोच क्या रहा है अशोक, तेरी बीवी तुझसे पूछ रही
है, और सुन ले ये ऑफर इसके लिए ही है, जाने क्यों मुझे पसंद आ गई है ये,
वरना तेरे जैसे को तो सज़ा मिलनी ही चाहिए. सोच मत और जल्दी बोल दे हाँ
या ना." मैं भी बोली, "हाँ अशोक मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा इसीलिए तो तुमसे
पूछ रही हूँ बोलो न क्या करूँ "
अशोक तो फंस गया था बोला पूनम हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है, मुझे
तो लगता है की तुम हाँ कह दो." मैं जैसे बिफर के बोली, " देखा सर आपने,
ये मेरा पति है, कमीना, अपनी बीवी को बेच रहा है. खैर मैं भी क्या करूँ
मेरी किस्मत ही ऐसी है. पहले तो शादी ही देर से हुई और हुई तो ऐसा कमीना
पति मिला जो मेरी कोई इच्छा पूरी नहीं कर सकता. मैं भी यही चाहती हूँ की
इसका साथ छोड़ के किसी मर्द की गुलामी कर लूँ वो बेहतर होगा. मुझे मंज़ूर
है सर. मैं वादा करती हूँ की सारी ज़िन्दगी आपकी दासी बन के रहूंगी आप जो
बोलोगे करुँगी, आपकी कोई बात टालूँ तो जो मर्ज़ी सज़ा दे देना, आज से
मेरी ये खाल आपकी है सर, चाहो तो इसके जूते बना के पहन लो." बॉस जोर से
हंसा, "अरे नहीं पूनम, तुम बस मेरी दासी रहोगी, बाकी घर के हर नौकर पर
तुम्हारा हुकुम चलेगा, ये अशोक भी तुम्हारा नौकर ही होगा आज से. तुमको
अधिकार है की जिस नौकर को मर्ज़ी रखो, जिसे मर्ज़ी निकाल दो, जिसे जो काम
दोगी करेगा नहीं करे तो जैसी मर्ज़ी सज़ा दो, सज़ा से मना करे तो उसी समय
नौकरी से निकाल दो. अभी से ठीक २० मिनट बाद तुम्हारी नौकरी शुरू होगी तब
तक इस अशोक को शराब पी लेने दो इसने बोतल लाने में बहुत मेहनत की है."
बॉस हंस के बोला. मैं भी बॉस को देख के मुस्कुराई.

अशोक ने अपना पेग ख़तम करके दूसरा फिर डबल बनाया. बॉस ने मुझे अपने पास
बुलाया मैं गई तो बॉस ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपने पास बैठा लिया. "
इधर बैठ पूनम, अब तू मेरी दासी है, क्यों अशोक है या नहीं " अशोक बोला
"जी हाँ सर है ये क्या मैं भी आपका गुलाम हूँ सर." बॉस हंसा बोला " तू तो
पहले ही मेरा नौकर है अशोक अब तेरी बीवी मेरी दासी बन गई है तो तू मेरे
घर का भी नौकर हो गया है तेरी नौकरी भी आज से ही शुरू है, ये ले २००० आज
का बोनस तेरे लिए, लेकिन ये सिर्फ आज मिला है पहली बार है इसीलिए इतना
दिया है आगे से इतना नहीं मिलेगा." अशोक ने बॉस से २००० लिए और बोला,
"थेंक्यु बॉस आप बहुत मेहरबान है सर, आपके जैसा बॉस पा कर मेरी तो किस्मत
संवर गई है बॉस, मैं प्रोमिस करता हूँ सर की आप जो हुकुम दोगे मैं बजा
लाउंगा सर आज से मैं भी आपका गुलाम बन गया हूँ." बॉस बोला "ज्यादा मत चढ़
अशोक ये बता तुझ पर कुल कितना कर्ज़ है, मेरे ख़याल से ३ लाख से कुछ
ज्यादा ही होगा." अशोक बोला हाँ सर ३ लाख ४० हज़ार है करीब." बॉस हंसा चल
कल ऑफिस से ले लेना साढ़े तीन लाख रुपये. और चुका देना सारा क़र्ज़, या
तू बोले तो अभी मंगवा के दे दूँ." अशोक तो खुश हो गया बोला " कैसी बात
करते हैं सर, आप कल ऑफिस में ही दे देना सर, बस १ घंटे की छुट्टी दे देना
सर जिससे मैं सबका क़र्ज़ चुका दूँ कल के कल." बॉस मुस्कुराया, मेरे गाल
पर हाथ फेरा, गाल पर चुटकी काटी और बोला, "आज तुने अपनी बीवी को मेरी
सेवा में दिया है आज तुझे ये भी दिया जा कल ऑफिस से पैसे ले कर चला जाना
पुरे दिन की तेरी छुट्टी १० हज़ार ज्यादा ही मिल रहे हैं मज़े करना, अब
ये पूनम तो तुझे मिलेगी नहीं बाज़ार ही चले जाना, आज से ये मेरी तो दासी
है लेकिन मेरे नौकरों की मालकिन याद है ना तुझे आज से बल्कि अभी से ये
तेरी भी मालकिन है इसको नाराज़ किया तो तेरी नौकरी गई समझ और गुंडे और
पुलिस तेरे पीछे पड़ेगी वो अलग."
बॉस ने अब टोपिक चेंज किया और मेरा एक मम्मा सहलाता बोला "इधर देख मेरी
इस दासी के मम्मे कैसे हैं, बोल ज़रा है ना जोरदार," बॉस ने मम्मा सहलाते
सहलाते निप्पल पर हाथ ले गया और चुटकी से पकड़ के निप्पल जोर से खींचा.
मेरे मुह से आह निकल गई, उसने इस आह को नज़रंदाज़ किया और बोला "हरामजादी
के निप्पल भी कितने बड़े हैं. बोल अशोक कैसे हैं मेरी रानी के मम्मे, ये
बड़े बड़े निप्पल कभी चुसे हैं तुने, कभी खेला है इस तरह से इनके साथ "
फिर जोर से खींची निप्पल, मेरे मुह से फिर आह निकली लेकिन मैं बॉस की
आँखों में देख के मुस्कुराई. "अभी तो कपडे के अन्दर है बाहर निकलेंगे तो
भाले के जैसे तन जायेंगे, बोलता क्यों नहीं मादरचोद," बॉस एकदम से भड़का,
"हरामजादे से पूछ रहा हूँ तो चुप बैठा है जवाब दे कुत्ते." मैं बॉस की
गाली सुन के फिर उसको देख के मुस्कुराई, मैं उसकी कमजोरी, उसके शौक समझ
गई थी और उसी के अनुसार एक्ट कर रही थी. मेरी मुस्कराहट से बॉस खुश हुआ
और पूरा मम्मा मुट्ठी में भर के हिलाता बोला "ये देख मेरी दासी को, इसमें
सारे गुण है मेरी रानी बनने के चल पूनम जब तक ये जवाब दे तू अपना ये गाउन
कंधे के नीचे कर." और अशोक की तरफ देखा, अशोक घबरा के बोला, " हाँ सर
बहुत बढ़िया है, निप्पल भी बहुत बड़ी है सर, शुरू शुरू में तो मैं चुसी
है लेकिन अब नहीं चूसने देती ये. और और सर, मैं तो इनके साथ प्रेम से ही
खेलता हूँ." बॉस हंसा जोर से, "देखो ये मर्द बनाता है, तू ही बता इसको
पूनम की औरत को प्रेम से नहीं सख्ती से मज़ा आता है, जब तक उसके मुह से
आह, उह्ह नहीं निकले हरामजादी पुरे जोश में आती ही नहीं. मुझे तो तरस आ
रहा है पूनम तेरे पर, कैसा पति मिला तुझे साला ये तो नामर्द लगता है."
दोनों नंगे मम्मे पकड़ के जोर से भींच दिए की मेरे मुह से फिर आ.आह निकल
गई. लेकिन मैं फिर भी मुस्कुराई बोली "अब आप मिल गए हो ना सर, अब आप मुझे
मज़ा दीजिये, जैसे आपकी मर्ज़ी खेलिए मेरे इस बदन से, आपने सच कहा मैं
बहुत प्यासी हूँ सर, आज आप मेरी प्यास बुझा दीजिये सर." और मैंने बॉस का
लैंड पेंट के ऊपर से पकड़ लिया और हिलाया. "आपने अभी भी नहीं डाला सर, आज
इसको डाल के मेरी सारी प्यास बुझा दीजिये सर, हाय राम ये देखो ना कैसा तन
गया है सर, इसको बाहर निकालिए नहीं तो पेंट फाड़ देगा. इसको बताइये की
पेंट नहीं फाड़ने की चीज फाड़े." मैं बहुत हिम्मत करके बॉस से ये सब बोल
सकी, मुझे ये सब बोलने में बहुत हिचक और शर्म आ रही थी लेकिन मैंने सोच
लिया था की चाहे बॉस ने मुझे अपनी दासी बना लिया है मैं भी इसको अपना
दीवाना बना के मानूंगी और यही कारण था की मैं ये सब बातें बॉस से कह पाई.
मेरी बातें सुन के तो बॉस खुश हो गया, मेरे मम्मे से खेलता बोला," हाँ ये
हुई ना कुछ बात रानी, ऐसे ही रंडियों जैसे बोलेगी तो तुझे रानी ही बना के
रखूंगा. चल अब एक पेग बना मेरे लिए और अपनी चूची से पिला उसको." मैंने
लंड से खेलते हुए ही अशोक से बोला और उसने एक पेग बना कर मुझे दिया मैंने
पास आ के अपना एक मम्मा बॉस के मुह के सामने किया और बड़ी अदा से बोली
:"लीजिये सर पीजिये अपनी इस दासी की चूची से शराब और बताइये नशा है की
नहीं इसमें."

मेरी इस तरह की हरकतों से बॉस खुश हो गया, उसने मुझे थोड़ा पीछे किया और
मेरी चुचियों को देखते हुए अशोक से बोला." देख अशोक कैसी तन्ना रही है
तेरी बीवी की चूचियां, कुतिया के निप्पल तो देख जैसे चेलेंज दे रहे हैं,
बोल मंज़ूर कर लूँ इनका चेलेंज." और मेरी दोनों निप्पल पकडके मसल दी,
मेरे मुह से चीख निकल ही गई. मेरी चीख सुन के बॉस हंसा, "चीखती है रंडी,
देखा अशोक कैसी भाले की नोक जैसे तन गई हैं जैसे सीने में उतर जायेगी,
इनके साथ ऐसा ही सलूक करना पड़ता है, नहीं तो और तनने के बदले चूची ढीली
पड़ जाती, ये सारी हरामजादियां ऐसी ही होती है इनको जितना दबाव उतना सिर
उठाती हैं और ये इनके उठे हुए सिर को दबाना ही तो मर्दों का काम है."
निप्पल के साथ उंगली से ऐसे खेला जैसे सितार बजा रहा हो फिर निप्पल्पकड़
के ही आगे खींचा मुझे और एक निप्पल मुह में डाल के बोला "ला पिला शराब
मेरी रानी." मैंने धीरे धीरे मम्मे पर शराब डालना शुरू की और वो चूसने
लगा मुझे सच में बहुत मज़ा आ रहा था. ज़िन्दगी में ऐसे भी मज़ा लिया जा
सकता है मैंने सोचा ही नहीं था. और दोस्तों ये तो अभी शुरुआत थी बॉस के
साथ मुझे नए नए तरह के मज़े मिलने वाले थे ये बात मैं बहुत अच्छे से समझ
गई थी. मैंने शराब मम्मे पर डालते डालते अशोक की तरफ देखा, वो अपना पेग
चुसकते चुसकते तिरछी नज़रों से मेरे मम्मे को देख रहा था, मैं उसके देखने
लगी, उसकी नज़र ऊपर उठी और मेरी नज़रों से टकराई तो मैंने शरारती मुस्कान
के साथ उसको मम्मे की तरफ देखने का इशारा किया, मेरी इस बेशर्मी पर वो
शर्मा अगया और मैं फिर मुस्कुराने लगी. दोस्तों मुझे खुद नहीं समझ आ रहा
था की मैं इतनी बेशर्म कैसे बन गई. ये कुछ तो शराब का सुरूर, कुछ वासना
का नशा, और कुछ बॉस को अपना दीवाना बनाने की ख्वाहिश शायाद इन सब का मिला
जुला असर था की मैं शर्म की सारी हदें पार कर गई थी. मुझे अशोक को चिढाने
और जलाने में भी मज़ा आने लगा था.
बॉस मेरे मम्मे को बदल बदल के शराब पी रहा था, बीच में हलके दाँतों से
निप्पल को काटता भी था तो मेरे मुह से सिसकारी निकल जाती. कभी पूरा मम्मा
मुह में भरने की कोशिश करते हुए, कभी पूरा बाहर निकाल के चाटने लगता, कभी
निप्पल को दांतों में दबा के खींचता. मैं तो जैसे गुदगुदी, और आनंद से
निहाल हुई जा रही थी, इतना अमज़ा आ रहा था की अब मुझे चुदाई की भी जल्दी
नहीं हो रही थी. अचानक बॉस ने मुझे छोड़ा और अशोक को देखते हुए बोला "
अशोक तेरी बीवी बहुत आगे तक जायेगी, तुने इसकी कदर नहीं की, देख मेरे साथ
रह कर ये क्या क्या गुल खिलाएगी, पर अभी ज़रा से दर्द में चीखने लगती है
ये कुतिया, इसको थोड़ी ट्रेनिंग देनी पड़ेगी, खुद दर्द सहने की आदत
डालेगी तभी तो नौकरों पर ठीक से हुकुम चला पाएगी मैं चाहता हूँ की मेरे
सारे नौकर इसके गुस्से से कांपने लगें लेकिन इसके लिए इसकी ज़ोरदार पिटाई
नहीं होगी तब तक ये नहीं सीखेगी. कोई बात नहीं मैं सिखाउंगा इसको. और ये
क्या गिलास खाली हो गया तेरा." अशोक ने अपना गिलास देखा जो खाली हो गया
था लेकिन बोला कुछ नहीं. बॉस गुस्से से बोला, "मेरी बात का जवाब एक बार
में दे दिया कर अशोक नहीं तो साले को मेरी इस रंडी रानी के सुपुर्द कर
दूंगा जो हंटर से तेरी खाल उधेड़ लेगी. बोल और शराब पीनी है ला तुझे नीट
पिलाता हूँ. चल उतार दे मेरी इस दासी का गाउन और ये बोतल उठा के भर दे
इसकी चूत में और लगा दे मुह पी ले इसकी चूत से शराब मैं चूची से पीता हूँ
तू चूत से पी देख मेरी ये रानी कैसे हम दोनों को पिलाती है." अशोक बोला
"जी जी सर." बॉस हंसा "जी जी क्या करता है उतार इसका गाउन, गाउन के नीचे
कुछ नहीं है घबरा मत, ये मना नहीं करेगी, ये तो मेरी गुलाम है जो बोलूंगा
करेगी, अगर ये कुछ बोली तो अभी ही मार मार के साली की गांड लाल काली कर
दूंगा." अशोक के मेरा गाउन उतारा और बॉस ने बोतल की तरफ इशारा किया अशोक
के बोतल उठाई और बॉस ने उसको रोका, "रुक ज़रा," और फिर मुझे अपनी गोद में
लेटा लिया अब मेरी टांगें ज़मीन पर थी और चूत बॉस की गोद में आ गई थी सिर
पीछे हो गया था बॉस ने अशोक के हाथ से बोतल ले के बेदर्दी से मेरी चूत
में डाल कर उलटी कर दी. बोतल में से निकल कर लगभग आधा पेग मेरी चूत में
चला गया, मुझे चूत में चरपराहट होने लगी मैं मचली, "सर, जलन ही रही है."
"चुप रह रंडी होने दे जलन, अशोक ने मुझे तेरे जैसी रंडी गिफ्ट की है इसका
कुछ तो ख़याल रख लगा शोक इसकी चूत से मुह और पी ले सारी शराब, फिर और
पिलाता हूँ तुझे."
क्रमशः................................

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