ब्लेक रोज-2
गतांक से आगे..........................
मैं तो जैसे बस इसी बात का इंतज़ार कर रही थी एकदम बिफर के बोली, " हाँ ,
हाँ मैं कुतिया हूँ, और तुम क्या हो एक कुतिया को बस में नहीं रख सकते,
उस कुत्ते को आता है कैसे किसी के मन में घर किया जाता है. तुमको मालूम
है मुझे वो 'ब्लैक रोज़' बोल रहा था. कैसे नदीदों की तरह मेरे बदन को देख
रहा था जैसे कोई मलाई से भरा कटोरा किसी भूखी बिल्ली के सामने रख दिया
हो. तुम उसके सामने कुछ भी नहीं हो, वो सिर्फ नज़रों से प्यारकरना जानता
है उसको बोलने की ज़रूरत ही नहीं है. एक तुम हो सुहाग रात को भी अपनी
बीवी की तारीफ नहीं कर सके. और तुमने दिया ही क्या मुझे. जब से इस घर में
आई हूँ तुम्हारी बीमार की सेवा कर रही हूँ, घर खर्च केलिए पैसा पैसा
बचाती हूँ घर के सारे काम यहाँ तक की बर्तन मांजने का काम भी खुद करती
हूँ तब २ टाइम का खाना खा पाती हूँ, ऐसे अभावों में जी रही हूँ तुम्हारे
साथ. और तुम बोलते हो कुतिया हूँ मैं समझ लो मैं कुतिया हूँ तो तुम एक
नामर्द कुत्ते हो ऐसे कुत्ते जिसको हमेशा के गले में ज़ंजीर बाँध के रखना
चाहिए और ज़रा भी चूं-चां करे तो मार मार के पटक देना चाहिए.'
बोल कर मैं हांफने लगी, दोस्तों मुझे नहीं पता की उससे इस तरह की बातें
मैंने कैसे कर ली, आज भी सोचती हूँ तो लगता है की मैं ऐसी बातें नहीं कर
सकती. लेकिन जो सच है वो तो है. मेरी बातें सुन के तो वो जैसे दंग रह गया
वो मुझसे डर भी गया उसका चेहरा बता रहा था की वो मुझसे बुरी तरह डर गया
है वो सहम के मेरा चेहरा देखने लगा.
उसका चेहरा देख के मुझे दया आई मैंने जो प्लान बनाया था वो अब इस तरह आगे
नहीं चल सकता था मेरे बेवजह बहुत ज्यादा गुस्से ने और मेरी बातों ने मेरे
प्लान को भी बिगाड़ दिया था. लेकिन मेरे मन तो तो बॉस समाया हुआ था,
दोस्तों मैं एक अच्छी प्लानर भी नहीं हूँ लेकिन उस समय तो मुझे जाने क्या
हुआ था मैंने तुरंत प्लान बनाया और फिर उसकी तरफ पलट के अपना बदन उससे
सटा के बोली,
"क्या हुआ अब, मैं भी क्या करूँ, तुम्हारे साथ कुछ भी करने से सच में
मेरे बदन में आग लग जाती है फिर घर में ऐसा भी कुछ नहीं है जिससे मन लगा
सकूँ तुम तो रात में अपने मन की करके सो जाते हो और मैं रात भर और फिर
दिन भर भी तड़पती रहती हूँ इतने दिनों की भरी हुई आज जाने कैसे फूट पड़ी.
सॉरी अशोक मुझे सच में तुमसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी."
मेरी बातों से अशोक कुछ संभला और बोला " मैं समझता हूँ पूनम, लेकिन मैं
भी क्या करूँ मेरे बस में कुछ नहीं है, रही पैसों की बात तो मैं जी तोड़
मेहनत करता हूँ शायद मेरी किस्मत ही ख़राब है मेरे काम में कुछ ना कुछ
गलती बॉस ढूंढ ही लेता है. वैसे आज उसने तुम्हारी जो तारीफ की है वो गलत
नहीं है तुम सच में बहुत सेक्सी हो वो क्या है की मुझे तारीफ करना नहीं
आता इसीलिए मैं कभी उसकी तरह तुम्हारी तारीफ नहीं कर सका. मैं तो
तुम्हारा अहसानमंद हूँ तुमने मेरा घर और मेरी माँ को इतने अच्छे तरीके से
संभाल रखा है. और ये जो तुम बॉस की बात कर रही थी, मैंने तुमको पहले भी
बताया है की वो कैसा है पैसा ज़रूर खर्च करता है वो लेकिन औरत को अपनी
गुलाम, रंडी बना के रखता है. इसी कारण उसकी बीवी भी उसको छोड़ के चली गई
और बारू औरतें भी उसके साथ जाने में कतराती हैं. वो बहुत ज़ालिम है औरत
से बुरी तरह पेश आता है ज़रा सी गलती पर डंडे और हंटर से पिटाई करता है."
मैं उससे और थोड़ा सट कर बोली "अशोक तुमको नहीं मालूम पहले ही तो मेरे
काले रंग के, और मेरे माँ - पापा के पास दहेज़ के पैसे नहीं होने से मेरी
शादी देर से हुई, मैं वैसे ही सेक्स के लिए तरस रही थी पैसों की कमी घर
में थी ही. शादी के बाद्सोचा थी की चलो एक कमी तो पूरी होगी लेकिन सच
कहती हूँ अशोक मेरी सेक्स की आग तो और भड़क गई इससे तो मैं शादी के पहले
ही ठीक थी. और ये जो तुम बोल रहे हो औरतें उसके पास नहीं जाना चाहती हैं
ये अलग तरह की औरतें है अशोक, सच तो ये है की इस दुनिया में जब से औरत आई
है तभी से वो अपने पर हुकुम चलाने वाले, अपने पर शासन करने वाले मर्द को
ही पसंद करती है और उसकी सेक्स की भूख मिटने वाले मर्द की दासी बन के
उसकी दांत और मार सब खाने केलिए तैयार रहती है बल्कि औरत को ऐसे ही मर्द
पसंद होते हैं जो उसको अपनी दासी बना के रखें." मैंने अपना एक मम्मा उसकी
बगल से दबा कर रगडा और फिर बोली, "अशोक ये मैं नहीं कह रही हूँ यही बात
सच है यही बात किताबों में भी लिखी हुई हैं इतहास में भी यही बात है की
महारानियाँ भी उनकी सेक्स की प्यास भुजाने वाले खुद के गुलामों की दासी
बन जाया करती थी. वो तो बॉस ने मेरी इस तरह और इतनी तारीफ की की मेरा
दिमाग ख़राब हो गया. वो तो मुझसे पूछ रहा था की मेरा जन्म-दिन कब आता है
उस दिन वो मुझे शोपिंग पर ले जा के मेरी पसंद की ड्रेस और गहने दिलाने का
बोल रहा था. वो तो उसी समय किसी ने उसको आवाज़ लगा दे तो मैं उसको बता
नहीं पाई अपना जन्म दिन."
"क्या बोलातुमाने वो तुमको ड्रेस और गहने दिलाने की बात कर रहा था तुमने
गलती कीपूनाम तुम उसको बता देती अपना जन्म-दिन तो वो उस दिन तुमको जाने
क्या क्या दिला देता. इस मामले में वो बहुत उदार है हमारे ऑफिस में ही एक
शर्माजी थे पहले उनकी बीवी को उसने एक लाख के तो गहने ही दिला दिये थे और
साड़ियाँ, कॉस्मेटिक, चप्पलें अलग से. वो तो शर्माजी को कुछ शक हो गया की
बॉस उनकी बीवी के साथ और भी कुछ करता है, लोग कहते हैं की शर्माजी ने
अपनी बीवी की चूची पर दांतों के निशान देख लिए थे और वो नौकरी छोड़ के
चले गए.
अशोक की ये बात सुन के मेरी चूची ( मम्मे) ने फिर सर उठाना शुरू कर दिया.
लेकिन मैं अशोक से ही बता करते हुए बोली, "देखो मैंने बोला था ना, औरत को
ऐसे ही मर्द पसंद आते हैं, जो जंगली की तरह उसको प्यार करे, औरत ना ना
करती रहे और तो उसकोप पटक के चढ़ जाए उस पर. उसको नोचे, काटे, सहलाए,
दबाये, मसले, प्यार करते करते दर्द का अहसास मज़े को १०० गुना या यूँ
कहें की १००० गुना बढ़ा देता है मैंने फ्रांस के किसी सेक्स स्पेशलिस्ट
की ये खीज पढ़ी थी जो उसने १८२९४ औरतों से बातें करके लिखी थी इसके अलावा
उसने अपने खुद के जीवन में २३ औरतों से सेक्स सम्बन्ध बनाये और उन पर भी
उसने इन्ही बातों का प्रयोग किया था. उसका दवा था की सेक्स के समय औरत के
साथ नजाकत से पेश आना औरत के साथ अन्याय है और जिन औरतों ने सेक्स के समय
दर्द का अहसास नहीं किया है वो ही इससे डरती हैं. लेकिन इसकी शुरुआत हलके
से होनी चाहिए फिर बाद में तो औरत खुद ही चाहती है की उसका साथी उसको
तोड़ - मरोड़ के रख दे."
अशोक ने हिम्मत करके मेरा एक मामा पकड़ा और सहलाया. मैंने भी एतराज नहीं
किया. सहलाते सहलाते उसने माम्माजोरसे दबाया तोमेरे मुह से सी निकै,
वास्तव में तो बहुत सेक्सी सी आवाज निकाली जैसे इसमें मुझे बहुत मज़ा
आया. उसकी हिम्मत बढ़ी और इस बार उसने और जोर से दबाया.मैंने इस बार धीरे
से सी किया लेकिन बहुत सेक्सी अंदाज़ में. उसकी तरफ देखा और मुस्कुराई.
सब कुछ मेरे प्लान के मुताबिक़ हो रहा था मैं खुश थी, हालांकि मुझमें आग
लगा के वो फिर से सो जाने वाला था और मुझे उस आग में जलना था लेकिन मैं
तो आगे की सोच रही थी.
मेरी मुस्कान ने उसकी हिम्मत बढाई और उसने पहले से ज्यादा जोर से मम्मा
दबाया. मैंने बोला, "क्यों परेशान कर रहे हो ? अभी आग लगा दोगे मेरे बदन
में" मैंने बोली तो वही बात जो मैं अक्सर बोलती थी लेकिन हमेशा जो चिढ के
बोलती थी उसके बदले मेरी आवाज ऐसी थी की उसको और आगे बढ़ने के लिए उकसा
रही थी.
मेरी बात सुन के उसने मम्मा जोर से दबाया और फिर निप्पल भी जोर से पकड़ी
मैंने इस बार 'आह' की लेकिन सेक्सी तरीके से जैसे मुझे बहुत मज़ा आया. और
बोली, "मत करो ना, मुझे कुछ कुछ होने लगा है." और मुस्कुराई.
मेरे इस व्यवहार से उसकी तो जैसे लाटरी खुल गई उसने खुल के इस बार मम्मे
से खेला और बोला "रानी सच में तुम्हारे मम्मे किसी भी मर्द में आग लगा
देने वाले हैं."दोनों हाथों में दोनों मम्मे पकड़ के सहलाए और फिर जोर से
दबाया तो मैंने फिर सिसकी भरी. "तुमको इतने पसंद हैं तुमने पहले तो नहीं
तारीफ की इनकी ऐसे. लगता है आज बॉस को देख के सीख गए हो." मैंने हंसते
हुए बोला तो वो एक बार तो सकपका गया फिर बोला "ऐसी बात नहीं रानी तुमने
शुरू से ही बोल दिया की मैं तुम्हारी आग नहीं बुझा पाता तो मेरी हिम्मत
ही नहीं होती थी. आज बॉस ने की तारीफ और तुमको अच्छा लगा तो मैंने भी कर
दी. और मम्मे ही क्या तुम्हारा तो सारा का सारा बदन ही जैसे सांचे में
ढला है." उसने एक हाथ गांड पर रखा और बोला "मम्मे जैसी ही बढ़िया गांड है
तुम्हारी" और गांड भी सहलाने लगा.
मैंने अपने आप को सेट किया और अपना पूरा बदन उससे सटा दिया. हलके से ऊपर
उठी वो समझ गया और मेरा एक मम्मा किस करने लगा. जीभ से चाटने लगा. मैंने
उसको काम में लगाया और बोली लेकिन तुम कुछ भी कहो अशोक तुम्हारा बॉस है
बहुत बढ़िया आदमी औरतों को खुश करना उसको आता है," वो बोला "अरे फिर वही
बॉस तुमको बताया ना की वो जंगली है औरत को अपनी गुलाम बना के रखता है
सबके सामने उनकी बे-इज्ज़ती करता है मैंने तो सूना है की औरतों को नंगा
करके मारता भी है."
मैं बोली," और मैंने भी तो बोला की औरत को ऐसे ही मर्द पसंद हैं जो उस पर
हुकुम चलायें. औरत मर्द की दासी बनना पसंद करती है. लेकिन मर्द की जो
उसकी प्यास बजा सके उसके बदन को थका थका दे फिर तो वो मर्द की दासी क्या
उसकी कुतिया भी बनने के लिए तैयार हो जायेगी. एक बात और है तुम्हारा बॉस
जिस तरह से इनको घूर रहा था क्या बताऊँ तुमको सच कहती हूँ अशोक तुम्हारे
हाथ लगाने से भी वो मज़ा नहीं आता जो उसके घूरने से आने लगा था आँखों ही
आँखों में जैसे खा जाएगा इनको." मैंने मम्मे उभार के कहा और दूसरा मम्मा
उसके मुह से लगाया तुम ही देखो तुम्हारे चाटने से भी उतने टाईट नहीं हुए
जितने उसके घूरने से हो गए थे."
अशोक बोला डार्लिंग वो बहुत बदमाश है साले के पास खूब पैसा है उसी का
फ़ायदा उठाता है खूब खर्च करता है औरतों पर खुच क्या उड़ाताहै उन पर
पैसे. और आदमियों को हमेशा ज़लील करता है." मैं झट से बोली तुम्हारे बारे
में भी बोल रहा अहै की अशोक का पर्फार्मेंस ठीक नहीं है तुमको नौकरी से
निकालने की बात कर रहा था, बोलालेकिन पहले मुझे सारे अकाउंट्स चेक करना
है मुझे खबर लगी है की अशोक टूर पर से दुकानदारों से नगद पैसे ले लेता है
और ऑफिस में जमा नहीं करता उसको जुआ खेलने की बहुत लत लगी है और कभी
जीतता नहीं. तो श्रीमान अशोक कुमार जी अगर ऐसा कुछ है तो संभल जाइए वैसे
मुझे नहीं लगता की तुम्हारे जैसा डरपोक आदमी ऐसा कुछ कर सकता है."
3
मैं हंसी लेकिन उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा उतर गया था उसका सारा उत्साह
ठंडा पड़ गया था. मैंने पूछ " अरे क्या हुआ." फिर उसका चेहरा देखा तो सब
समझ गई और बोली, " तुम्हारा तो चेहरा उतर गया बिलकुल सफ़ेद पड़ गया है
म.मतलब तुमने कंपनी के पैसों में कुछ गबन किया है, गबन हाँ यही तो बोल
रहा था तुम्हारा बॉस, बाप रे वो तो बोल रहा था की उसके साथ चीटिंग करने
वाले को कभी नहीं छोड़ता पुलिस के साथ साथ गुंडे भी पीछे लगाता है. ये.
ये क्या किया तुमने, कितने पैसों का गबन किया है मैंने उसका चेहरा ऊपर
किया और आँखों में देख के बोली बोलो ना कितने पैसों का गबन किया है कल ही
सब पैसे भर दो जा के वो तो जैसे रोने लगा बोला "नहीं भर सकता पैसे. मैंने
तो कुछ हिसाब भी नहीं लगाया है लेकिन लगभग २ लाख तो होंगे और मेरे पास
बीस हज़ार भी नहीं हैं." मैं मन ही मन मुस्कुराई लेकिन सामने चेहरा लटका
के बोली, "बाप रे, दो लाख रुपये तुम जुए में हार गए और इधर बीवी बेचारी
पैसे पैसे को तरस रही है, और तुम्हारा बॉस वो तो तुम्हारी पुलिस में
रिपोर्ट भी करेगा और गुंडों से भी पिटवाएगा वो तो बोल रहा था की जब तक
गबन करने वाले के हाथ पैर तुड़वा के उसको ६महीने के लिए बिस्तर पर पटक
देता चलने फिरने से लाचार नहीं कर देता उसके पैसों की भरपाई नहीं होती
चाहे जो खर्च करना पड़े. मुझे तो डर लग रहा है अशोक वो तुम्हारे साथ भी
ऐसा ही करेगा तुम जल्दी से जल्दी किसी से उधार ले के कंपनी का पैसा चुका
दो नहीं तो सच में जो बोल रहा है वो कर दिया तो हम क्या करेंगे. मैं सिहर
के बोली .. ६ महीने क्या हमारे पास तो २ महीने का खाने के पैसे भी नहीं
हैं. मांजी की दवा कहाँ से लायेंगे" मैंने उसको पकड़ के झिंझोड़ दिया और
बोली . "अशोक कुछ करो जल्दी से जल्दी" .. और रोने लगी , जोर जोर से रोने
लगी.
मेरे रोने से वो परेशान हो गया बोला "मत रो पूनम, मैं वैसे ही परेशान हो
गया हूँ, मैंने अपने सभी दोस्तों से बात कर लीही कोई पैसे देनो को तैयार
नहीं है, वो क्या है की सभी से मैंने कुछ न कुछ ले रखा है."
मैंने सोचा अरे, साले से सभी दोस्तों से ले रखा है तो फिर बॉस ही आखरी
सहारा है. लेकिन सामने चिंता करती बोली "ओह तो ये बात है ,अब क्या
करेंगे, तुमने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, और मैं तो ठीक हूँ तुम्हारी
माँ का क्या होगा ? उधर तुम्हारा बॉस मेरे पीछे अलग पडा है." मैंने उसको
हिंट देने के लिए फिर बॉस का नाम लिया तो जैसे उसको समझ आया बोला "पूनम
अब तो बस बॉस ही हमारी मदद कर सकता है तुम बोल रही थी तुम पर बहुत लाइन
मार रहा था उसको ज़रा अपने हुस्न का जलवा दिखा के कुछ दिनों के लिए रोक
लो ना प्लीज़ तब तक मैं कुछ करता हूँ.कहीं ना कहीं से तो पैसों का
इंतज़ाम करना ही पडेगा." मैं मन ही मन मुस्कुराई और बोली अशोक तुमको शर्म
नहीं आती ऐसी बातें करते हुए, अपनी बीवी को किसी दुसरे मर्द के पास जाने
का बोल रहे हो, ना बाबा मैं ऐसा नहीं कर सकती मुझे तो तुम माफ़ ही करो,
और कोई दूसरा उपाय ढुंढो." वो मेरी खुशामद करने लगा "पूनम सिर्फ तुम ही
मुझे बचा सकती हो, बॉस बहुत ज़ालिम है वो सच में जो बोल रहा है कर के भी
बता देगा, जाने क्यों मुझसे तो खुन्नस ही रखता है, अगर सच में उसने
गुंडों से मेरी पिटाई करवा दी तो हम और ज्यादा परेशानी में पड़ जायेंगे,
पूनम प्लीज़ मेरी बात मान लो थोड़ी सी लिफ्ट उसको देने में वो कुछ दिनों
के लिए तो मान ही जाएगा, नहीं तो हाथ पैर तुड़वाने के साथ साथ मेरी नौकरी
भी जायेगी प्लीज़ पूनम मान जाओ." मैं गुस्सा करके बोली कैसे आदमी हो,
अपनी बीवी को दुसरे मर्द के पास भेज रहे हो और मर्द भी कैसा रंडीबाज
तुमको क्या लगता है मैं उसके साथ सेफ रहूंगी ? ना बाबा वो औरत को पटना
जानता है अगर मैं भी उसकी बातों में आ गई तो. नहीं .. मुझसे ये नहीं
होगा." अशोक का चेहरा उतर गया वो मेरी चिरोरी करने लगा "प्लीज़ पूनम मन
जाओ ना, देखो अगर उसने अपना कहा कर दिया तो हम सब संकट में पड़ जायेंगे,
एक आदमी को थोड़ी सी लिफ्ट दे डौगी थोड़ा सा अपने हुस्न का जलवा दिखा
डौगी तो सब ठीक हो जाएगा पूनम , मैं वादा करता हूँ बहुत जल्दी ही पैसों
का इंतज़ाम कर लूंगा तब तक बस तुम उसको संभाल लो, तुम ही बोल रही थी वो
तुम पर फ़िदा हो गया है, बस थोड़ी से हंस के और खुलके बातें ही तो करना
है उससे वो बहुत पैसे खर्च करता है औरतों पर, फिर तुम तो बहुत ही सेक्सी
बदन की मालकिन हो, तुम्हारे पर तो वो खूब पैसे लुटा देगा, मैं बोलता हूँ
ज्यादा कुछ नहीं होगा बस तुम उसको थोड़ी लिफ्ट दे do प्लीज़ मैं तुम्हारा
अहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगा." उसको मेरे सामने इस तरह गिड़गिड़ता देख
कर मैंने पसीजने की एक्टिंग की और बोली, " वो बात नहीं है अशोक लिफ्ट तो
मैं दे दूंगी लेकिन उसमें जो बात है औरत को अपना बनाने की उससे मैं कैसे
बचूंगी वैसे ही तुम मुझमें आग लगा के छोड़ देते हो मैं मुद्दतों की
प्यासी हूँ और उसने मुझे ग्फंसा लिया तो मैं कहीं फिसल ना जाऊं , मुझे
खुद पर विश्वास नहीं आ रहा इसीलिए मना कर रही हूँ." वो फिर बोला, "पूनम
प्लीज़ मान जाओ, तुमको ना सही मुझे तो विश्वास है तुम पर, हालांकि मैं
मानता हूँ वो इस मामले में बहुत एक्सपर्ट है, लेकिन मुझे और भगवान् पर
पूरा विश्वास है जो भी होगा अच्छा ही होगा. तुम प्लीज़ मान जाओ." मैं
बोली. " तुम इतना कहते हो तो ठीक है लेकिन कल को कुछ उलटा सीधा हो जाए तो
मुझे दोष मत देना." वो खुश हो कर मुझे किस करने लगा बार बार उझे थेंक्स
कहने लगा, बोलने लगा की मेरा ये अहसान जो ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगा आदि
आदि.
मैं उससे अलग हुई और बोली "अब ये बताओ उससे कैसे मिलूंगी मैं ?" वो बोला
"तुम ही कोई बहाना सोचो ना डार्लिंग मेरा तो दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा
है." मैंने कुछ देर सोचा और फिर बोली ऐसा करो तुम उसको २-३ दिन में अपने
घर डिनर पर बुलालो, कहना की मेरा बर्थडे है और ड्रिंक्स के बाद में किसी
बहाने से बाहर चले जाना मैं कुछ चक्कर चलाऊँगी बर्थडे का बोलोगे तो गिफ्ट
भी ले के आयेगा उसकी गिफ्ट से ही अंदाजा लगा लुंगी की उसके साथ कहाँ तक
जाना है."
क्रमशः................................
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,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे
लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों
के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி
,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा
,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
,چوت ,
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