Saturday, September 15, 2012

सेक्सी कहानियाँ मेरी बिगड़ी हुई चाल

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मेरी बिगड़ी हुई चाल

लेखिका : कोमल प्रीत कौर
कोमल की कोमल चूत की तरफ से आपको नमस्ते। मैं आपको बता दूँ कि मैंने शादी
के बाद अपने पति के अलावा पहली बार अपने एन आर आई बुढे आशिक से अपनी चूत
चुदवाई थी।
यह घटना इस कहानी के रूप में अन्तर्वासना पर आई थी।
मेरी तंग पजामी
मेरी फिगर के बारे में भी आपको पता है कि मेरा गोरा बदन, पतली कमर, लम्बे
रेशमी बाल, कसे हुए चूतड़ और मोटे चूचों को देख देख लड़के तो क्या बूढ़े भी
मुठ मारने के लिए मजबूर हो जाते है। मैं शादीशुदा हूँ और मेरे पति आर्मी
में हैं।
मेरा एन आर आई बुड्ढा आशिक थोड़े दिनों में ही वापिस अमेरिका जाने वाला
था इसलिए उसने मुझे फिर आखरी बार मिलने के लिए कहा। अब तक मुझे भी उसके
लौड़े की जरूरत महसूस हो रही थी इसलिए मैं अपने ससुराल में मायके जाने का
बहाना बना कर जालन्धर अपने आशिक के पास चली गई। उसके बाद मुझे अपने मायके
भी जाना था जो जालन्धर के पास ही था तो वहाँ से मुझे कोई परेशानी भी नहीं
थी जाने की।
मैंने उस दिन उसी की दी हुई साड़ी पहनी थी और खूब सैक्सी लग रही थी। वो
बस स्टैंड पर गाड़ी लेकर आया और घर जाते समय गाड़ी में ही मेरी जांघ पर हाथ
घुमाने लगा। मैं भी मौका देख कर पैन्ट के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाने
लगी। बंगले में पहुँचते ही उसने मुझे गोद में उठा लिया और अन्दर ले गया।
उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक दिया और खुद बीयर पीने लगा।
फिर उसने मुझे कहा- कोमल, तुम भी बीयर का स्वाद लेकर देखो, इसमें कोई नशा नहीं है।
पहले तो मैंने मना कर दिया मगर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैंने थोड़ी सी बीयर ले ली।
हम दोनों सोफे पर बैठे थे और उसने वहीं पर मेरे होंठों को अपने होंठों
में भर लिया। मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने फिर एक जाम बनाया और उसमें
थोड़ी सी शराब भी मिला दी। मैंने भी सोचा कि थोड़ी सी है, इससे क्या होगा,
और मैंने पूरा जाम ख़त्म कर दिया।
हम दोनों आपस में लिपटे हुए थे। वो कभी मेरी चूचियों को मसल रहा था और
कभी मेरी गाण्ड पर हाथ फेर रहा था। मेरी साड़ी का पल्लू भी नीचे गिर गया
था और मेरे ब्लाउज में से दिख रहे गोल गोल उभारों पर अपनी जीभ रगड़ रगड़
कर चाट रहा था। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। उसका लण्ड एकदम
सख्त हो चुका था। मैं सोफे पर ही घोड़ी बन गई और उसके लण्ड की तरफ अपना
मुँह करके उसकी पैन्ट खोल दी। उसने भी अपने चूतड़ उठा कर अपनी पैन्ट उतार
दी। उसके कच्छे में उसका लण्ड पूरा तना हुआ था। मैंने उसका लण्ड बाहर
निकाला और अपने हाथों में ले लिया।
वो भी मेरे लम्बे बालों में हाथ घुमाने लगा। मैंने उसके लण्ड को चूमा और
फिर अपने नर्म-नर्म होंठ उस पर रख दिए। मानो जैसे मैंने किसी गरम लोहे के
लठ्ठ को मुँह में ले लिया हो। मैं उसका लण्ड पूरा मुँह में ले रही थी।
लप-लप की आवाजें मेरे मुँह से निकल कर से कमरे में गूंज रहीं थी।
वो भी मेरे सर को ऊपर से दबा दबा कर और अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपना लण्ड
मेरे मुँह में ठूँस रहा था। उसके मुँह से भी आह आह की आवाजें निकल रही
थी।
वो बोला- चूस ले रानी ! और चूस ! बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- क्यों नहीं राजा ! आज मैं रस पीने और पिलाने ही तो आई हूँ।
फिर उसने मेरे बालों को मेरे चेहरे पर बिखेर दिया और मुझे बाहर कुछ भी
नहीं दिख रहा था। सिर्फ मेरे सामने उसका लण्ड था। एक तरफ उसका पेट और
दूसरी तरफ मेरे काले घने बाल थे। मैं उसका लण्ड लगातार चूसे जा रही थी।
फिर उसने मेरी पीठ पर से मेरा ब्लाउज खोल दिया और दूर फेंक दिया। फिर
मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिसके खुलते ही मेरे दो बड़े बड़े कबूतर
उसकी टांग पर जा गिरे और उसने भी अपना हाथ मेरे दोनों कबूतरों पर रख दिए।
वो मेरी और सीधा हो कर बैठ गया और मेरे चूचों को जोर जोर से मसलना चालू
कर दिया।
उसका हाथ कभी मेरे स्तनों पर, कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरी गाण्ड पर चल
रहा था। फिर उसने मेरी साड़ी उतार कर मेरा पेटीकोट खोल दिया। मैंने भी एक
हाथ से उसको निकाल दिया और एक तरफ फ़ेंक दिया। अब मेरे बदन पर एक पेंटी ही
बची थी उसने उसको भी उतार दिया। मगर मेरी पेंटी उतारते समय वो जरा सा भी
आगे नहीं हुआ। मैं हैरान थी कि उसने मेरी पेंटी मेरी गाण्ड से बिना हिले
कैसे नीचे कर दी।
अभी मैं सोच ही रही थी की मेरी पेंटी जो अभी जांघों पर थी, में दो
उंगलियाँ घुसी और मेरी पेंटी और नीचे जाने लगी और मेरे घुटनों पर आकर रुक
गई। मुझे लगा कि जैसे किसी और ने मेरी पेंटी उतारी हो।
मैंने झटके से सर को उठाया और पीछे मूड़ कर देखा तो मैं हैरान रह गई। वहाँ
पर एक और बुड्ढा कच्छे और बनियान में खड़ा था।
मैंने फिर अपने आशिक की तरफ देखा तो वो बोला- जाने मन... सॉरी, मैंने
तुम्हें अपने इस दोस्त के बारे में बताया नहीं। दरअसल यह कल से मेरे घर
में है और आज जब सुबह तूने मुझे बताया कि तुम मुझसे मिलने आ रही हो तो
मैंने इसे भेजने की कोशिश की मगर शायद इसने हमारी बातें सुन ली थी इसलिए
यह मुझसे बोला कि एक बार इसे भी चूत दिला दूँ, काफी अरसे से चूत नहीं
मारी। मुझे इस पर तरस आ गया।
उसने कहा- जान, मैं तुम्हें रास्ते में ही इसके बारे में बताने वाला था
मगर डर गया कि कहीं तुम रूठ कर वापिस न चली जाओ, इसलिए घर आकर सोचा कि
पहले मैं तुमसे मज़े कर लूँ फिर इसके बारे में बताऊँगा, मगर यह साला अभी आ
गया।
मैं अभी कुछ बोली नहीं थी कि वो दूसरा बुड्ढा बोल पड़ा- यार क्या करता?
इसकी मस्त गाण्ड देख कर मुझसे रहा नहीं गया।
वो दोनों अब मेरे मुँह की तरफ देख रहे थे कि मैं क्या जवाब देती हूँ। मगर
मैंने जो शराब पी थी उसका नशा मुझ पर चढ़ने लगा था और फिर अगर मैं उस वक्त
मना भी करती तो फिर भी वो दोनों मुझे नहीं छोड़ते और मुझे जबरदस्ती ही चोद
लेते। मैंने उस दूसरे बूढ़े की ओर देखा। उसकी सेहत भी कोई खास नहीं लग रही
थी। मैंने सोचा कि इसका लण्ड या तो खड़ा ही नहीं होगा या फिर दो मिनट से
ज्यादा नहीं टिकेगा।
इसलिए मैंने कहा- कोई बात नहीं, मुझे तुम दोनों इक्कठे ही मजा दो। मैं
तुम दोनों को आज खुश कर दूंगी।
वैसे भी अगर मैं उनकी बात नहीं मानती तो मेरी चूत भी प्यासी रह जाती जो
मुझे कभी गंवारा नहीं था।
मेरी बात सुनते ही वो दोनों फिर से मुझ पर टूट पड़े। एक ने मेरे वक्ष को
और दूसरा मेरी पेंटी उतार कर (जो अभी तक घुटनों पर ही थी) मेरी गाण्ड को
सहलाने लगा। मैं भी अपना काम चालू रखते हुए फिर से लण्ड को सहलाने लगी।
हमारी बातचीत में लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था जो फिर से जोश में आ रहा था।
थोड़ी ही देर में मुझे दोनों लण्ड पूरे तने हुए महसूस होने लगे। एक मेरी
जांघों पर और दूसरा मेरे मुँह में था। अब मुझे दूसरे बूढ़े का लण्ड देखने
की इच्छा होने लगी। जिसे मैंने सोचा था कि खड़ा ही नहीं होगा। तभी पहले
वाले लण्ड में हलचल होने लगी और वो बुड्ढा जल्दी जल्दी मेरे मुँह को
चोदने लगा। मैं भी जोर जोर से उसके लण्ड को अपने हाथों और मुँह में लेने
लगी। फिर उसका भरपूर माल मेरे मुँह में था। मैं उसको चाट गई।
उधर दूसरा बुड्ढा जो मेरी चूत और गाण्ड को चाट रहा था, ने भी अपनी जुबान
का कमाल दिखाया और मेरी चूत में से पानी निकल गया। मेरी चूत में से निकल
रहे पानी को वो चाट रहा था। इससे मुझे कुछ थकावट महसूस हुई और मैं सोफे
पर ठीक से बैठ गई। एक लण्ड तो ढीला हो गया था मगर दूसरे में अभी दम था।
वो बुड्ढा अपना नंगा लण्ड मेरे मुँह के सामने ले कर खड़ा हो गया। उसका
लण्ड मैं सोच रही थी कि ज्यादा बड़ा नहीं होगा मगर सात इन्च का लण्ड देख
कर मैं हैरान रह गई। बूढ़े की सेहत कमजोर थी मगर उसके लण्ड की नहीं।
मैंने अभी उसका लण्ड हाथ में पकड़ा ही था कि मेरे सामने एक और जाम लेकर वो
पहले वाला बुड्ढा खड़ा था। मैंने भी बिना सोचे समझे जाम हाथ में ले लिया।
मैं जानती थी कि इसमें भी शराब है। मगर पता नहीं मुझे नशा हो रहा था।
मैंने उस बूढ़े का लण्ड जाम में डुबो दिया और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने
लगी। मैं बार बार ऐसे कर रही थी और बूढ़े का लण्ड और भी बड़ा होता लग रहा
था। फिर मैंने एक ही घूंट में पूरा जाम ख़त्म कर दिया।
बूढ़े ने मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा, वो शायद मुझे बेडरूम में उठा कर
ले जाना चाहता था। उसने मुझे अपनी बाँहों में उठा तो लिया मगर उसे चलने
में परेशानी हो रही थी। तभी पहले वाला बुड्ढा भी आ गया और बोला- यार,
संभल के ! बहुत कोमल माल है, कहीं गिर ना जाए।
फिर उन दोनों ने मिलकर मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया, बेडरूम में ले गये
और मुझे बैड पर लिटा दिया।
मैंने दोनों लण्डों की तरफ देखा। एक लण्ड अभी भी ढीला था और दूसरा अभी
पूरा कड़क। दूसरे बूढ़े ने मेरा सर पकड़ा और अपनी तरफ कर लिया। मेरा पूरा
बदन बेड पर था मगर मेरा सर बैड से नीचे गिर रहा था मगर मेरा मुँह ऊपर की
तरफ था। मेरे मुँह के ऊपर बूढ़े का लण्ड तना हुआ था। मुझे पता था कि अब
क्या करना है। बूढ़े ने अपना लण्ड मेरे चेहरे पर घुमाते हुए मेरे होंठों
पर रख दिया। मैं भी अपने होंठों से उसको चूमने लगी और अपने होंठ खोल
दिया। बुड्ढा भी समझदार था। उसने एक हाथ से मेरे सर को सहारा दिया और
अपना लण्ड मेरे होंठों में ऐसे घुसा दिया और फिर अन्दर-बाहर करने लगा
जैसे किसी गोल खुली हुई चूत में लण्ड घुसाते हैं। फिर उसने मेरे सर को
छोड़ कर मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया। मेरा सर लटक रहा था
और उस पर बूढ़े के लण्ड के धक्के, उसके दोनों हाथ मेरे उरोजों को मसल रहे
थे।
अब दूसरा बुड्ढा भी बैड पर आ गया और मेरी टाँगे खोल कर मेरी चूत पर अपना
मुँह रख दिया। वो मेरी चूत के ऊपर बीयर डाल रहा था और फिर उसे चाट रहा
था। कभी कभी वो मेरे पेट पर मेरी नाभि में भी बीयर डाल कर उसे चाटता।
उसकी जुबान जब मेरी चूत के अन्दर जाती तो मचल कर मैं अपनी गाण्ड ऊपर को
उठाती मगर ऐसा करने से मेरे मुँह में घुस रहा लण्ड और आगे मेरे गले तक
उतर जाता।
फिर उन दोनों ने मुझे पकड़ कर बैड पर ठीक तरह से लिटा दिया। अब दूसरा लण्ड
भी कड़क हो चुका था और पहले वाला तो पहले से ही कड़क था।
अब मेरी चूत की बारी थी चुदने की। मैं बैड पर अभी ठीक से बैठ ही रही थी
कि वो सेहत से कमजोर बुड्ढा मुझ पर टूट पड़ा और मुझे नीचे लिटा कर खुद
मेरे ऊपर आ गया। मेरी चूत तो पहले से लण्ड के लिए बेकरार हो रही थी। इस
लिए मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठाई और उसने अपना लण्ड मेरी चूत के मुँह
पर रख कर धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा
घुस गया। मैं इस धक्के से थोड़ी घबरा गई और अपने आप को सँभालने लगी। मगर
फिर दूसरा धक्का में पूरा लण्ड मेरी चूत के बीचोंबीच सुरंग बनाता हुआ
अन्दर तक घुस गया।
मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट जायेगी।
मेरे मुँह से निकला- अबे साले, मेरी फाड़ डालेगा क्या… आराम से डाल ! मैं
कहीं भाग तो नहीं रही !
वो बोला- अरे रानी… तेरी जैसी मस्त भोसड़ी देख कर सब्र नहीं होता… दिल
करता है कि सारा दिन तुझे चोदता रहूँ।
मैं बोली- क्या लण्ड में इतना दम है कि सारा दिन मुझे चोद सके?
इस बात से वो गुस्से में बोला- वो तो साली अभी पता चल जाएगा तुझे…
और मुझे और जोर से चोदने लगा।
मुझमें भी आग थी। मैं भी उसका साथ कमर हिला-हिला कर दे रही थी। आखिर मेरा
माल छुटने लगा और मैं उसके सामने निढाल हो कर पड़ गई मगर वो अभी भी मुझे
रोंदे जा रहा था, मेरी चूत से फच-फच की आवाजें तेज हो गई थी। मैं उसके
नीचे मरे जा रही थी।
तभी दूसरा बुड्ढा आया और उसको बोला- चल, अब मुझे भी कुछ करने दे।
मैं भी बोली- अरे अब बस कर ! तू तो सच में मुझे मार डालेगा... पता नहीं
तेरा लण्ड है या डंडा?
वो बोला- साली, अभी तो तुझे मैं और चोदूँगा... तुझे बताऊँगा कि मुझमें कितना दम है।
फिर दूसरा बुड्ढा बिस्तर पर लेट गया और बोला-चल, मेरे लण्ड पर बैठ जा !
मैंने वैसे ही किया। उसका लण्ड पूरा डंडे जैसा खड़ा था। मैं उस पर बैठ गई
और उसका लण्ड मेरी गीली चूत में आराम से घुस गया। मैं उसका लण्ड मजे से
ऊपर नीचे होकर अन्दर बाहर कर रही थी।
वो मेरे नीचे बोला- आह... आह रानी... बहुत मजा आ रहा है... प्यार से
मुझसे चुदती जा.... मैं भी तुझे प्यार से चोदूँगा।
वो मेरी छाती पर हाथ घुमाता हुआ बोला- ये अपने मम्मे मेरे मुँह में डाल दे रानी।
मैंने भी अपनी एक चूची उसके मुँह पर रख दी जिससे मेरी गाण्ड पीछे खड़े
बूढ़े के सामने आ गई और वो मेरी गाण्ड में उंगली घुसाने लगा।
उसकी इस हरकत से मुझे भी मजा आया मगर मैंने यूँ ही उसको कहा- बूढ़े... अब
भी पंगे लिए जा रहा है... तूने पहले अपने दिल की कर तो ली है मेरे साथ।
तो वो बोला- अभी कहाँ की है... अभी तो मेरा माल भी नहीं निकला है !
और वो मेरी गाण्ड में तेजी से उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं सिसक-सिसक कर दोनों छेदों की चुदाई का मजा ले रही थी। मगर अब जो होने
वाला था वो मेरे लिए सहन करना नामुमकिन था।
पीछे वाले बूढ़े ने मेरी गाण्ड पर कोई क्रीम लगाई और अपने लण्ड का सुपारा
मेरी गाण्ड में घुसेड़ दिया। मेरी जैसे गाण्ड ही फट गई हो। एक लण्ड मेरी
चूत में था और दूसरा मेरी गाण्ड में जाने वाला था।
मैं दोनों बुड्डों के बीच में फंसी हुई चिल्ला रही थी- अरे मादरचोद छोड़
दे मुझे... तुम दोनों मुझे मार डालोगे।
मगर उन पर जैसे मेरी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था। दोनों ही अपना
अपना लण्ड अन्दर घुसेड़ रहे थे।
पीछे वाला बुड्ढा तो मुझे गाली दे दे कर चोद रहा था और नीचे वाला भी मुझे
बोल रहा था- बस रानी, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा।
और वैसे ही हुआ, थोड़ी देर में मैं दोनों छेदों से मजे लेने लगी। मैं अपनी
गाण्ड और चूत धक्के मार-मार कर चुदवा रही थी।
फिर ऊपर वाले बूढ़े ने मेरी गाण्ड में अपना माल निकल दिया। गाण्ड में
गर्म-गर्म माल जाते ही मुझे और सुख मिलने लगा। अब मैं भी फिर से छुटने
वाली थी। मैं जोर जोर से धक्के मारने लगी और मेरा पानी नीचे वाले बूढ़े के
लण्ड पर बहने लगा। उसने मेरी चूत में से लण्ड निकाला और मुझे घोड़ी बना
लिया और फिर उसने मेरी गाण्ड में लण्ड पेल दिया।
मैं भी घोड़ी बन कर अपनी गाण्ड के चुदने का मजा ले रही थी। वो मुझे जोर
जोर से धक्के मार रहा था। पर अब मेरी गाण्ड का मुँह खुल चुका था और मुझे
कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। फिर जब
उसका भी छूटने लगा तो उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर मेरे वक्ष पर वीर्य
की बौछार कर दी। मैं भी उसका लण्ड जीभ से चाटने लगी।
शाम तक मैं वहाँ पर चुदती रही और फिर वो दोनों मुझे गाड़ी में बिठा कर
मेरे मायके गाँव छोड़ने आये। उन्होंने मुझे गाँव से पीछे ही उतार दिया और
वहाँ से मैं पैदल अपने घर चली गई। मगर मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा
था।
मेरी गाण्ड और चूत का बुरा हाल हो रहा था, मेरी बिगड़ी हुई चाल देख कर
मुझे मेरी भाभी ने पूछा भी था- क्या बात है...?
तो मैंने कहा- बस से उतरते समय पैर में मोच आ गई थी।
फिर मैं चुपचाप बिस्तर पर लेट गई। तब जाकर कहीं मेरी चूत और गाण्ड को कुछ
राहत मिलने लगी।
दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी जरूर पसंद आई होगी... मुझे मेल करके जरुर बताना...
अगली बार एक और मस्त किस्से के साथ आपके सामने पेश हो जाऊँगी... तब तक के
लिए आप सभी के लण्डों पर प्यार भर चुम्बन... आपकी भाभी कोमल
bhabi_sexy84@yahoo.com

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