Thursday, September 27, 2012

सेक्सी कहानियाँ ब्लेक रोज-4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

ब्लेक रोज-4
गतांक से आगे..........................

"मैंने तो पहले ही बोल चुकी हूँ सर, मैं वैसे ही आपका हर कहना मानूंगी,
बस आप अशोक को बचा लीजिये, आप जो बोलोगे करुँगी, अभी की क्या बात है सर
मैं आपकी दासी बन के रहूंगी." वो हंसा. "दासी, हाँ ये चलेगा, अगर तुम ये
वडा अकरो तो अशोक को भी बचा लूंगा तुमको मेरे घर में नौकरी दे दूंगा अशोक
से ४गुना सेलेरी रहना, खाना, कपड़ा सब फ्री. लेकिन पहले ये गिफ्ट तो पहना
दूँ तुमको." मैं बोली पहना दीजिये ना सर, और अपनी गर्दन आगे की वो हंसा
बोला "ऐसे नहीं डार्लिंग, ये चैन तेरे इस खुबसूरत बदन पर डालूँगा. पहले
ये कपडे उतार दे. मैंने चौंकने की एक्टिंग की और उसकी तरफ देखा तो बोला
"नाटक मत कर रानी,चल उतार अभी तो सिर्फ ऊपर के ही उतारने का बोल रहा हूँ,
देखूं तेरे इन नंगे मम्मे पर कैसी लगाती है ये हीरे की चैन."और मेरे
मम्मे पकडके दबा दिए जोर से. मेरे मुह से सिसकी निकली " उफ़. क्या करते
हो ,, दर्द होता है ना अ.. इतनी जोर से नहीं ना सर." वो हंसा बोला इसी
दर्द में तो मज़ा है रानी, इस दर्द का मज़ा लेना सीख जा, तुझे हीरों से
लाद दूंगा तू देख तो सही "और दोनों निप्पल पकड़ के पूरी ताकत से मसल दी.
मेरे मुह से चीख निकल गई.

आई.ई मैं चीखी तो हंसा, "धीरे चिल्ला पूनम तेरे पडोसी सुन लेंगे तेरी
चीख," और फिर से पूरा मम्मा पकड़ के जोर से मसला. सच कहती हूँ दोस्तों
उसने निप्पल जोर से मसली तो मेरी तो जैसे जान ही निकल गई थी, लेकिन मैं
मुस्कुराई और अपनी निप्पल सहलाती बोली, "क्या करते हैं सर, बहुत दर्द
होता है, बहुत बेदर्द हो आप." वो हंसा और बोला, "इसी दर्द में तो मज़ा है
डार्लिंग, औरत तो बनी ही दर्द सहने के लिए है, और अब नखरे मत कर चल इस
गिलास को खाली कर जल्दी से और उतार दे अपने ये कपडे, और दिखा मुझे अपने
ये नंगे मम्मे, देखूं बिना कपडे के कैसे लगते हैं, साली ने ब्रा के सहारे
से तान तो नहीं रखें हैं, कपडे उतरते ही लटक जायेंगे. समझ ले अगर मम्मे
लटके हुए मिले तो ये चैन नहीं मिलेगी और मैं अभी चला जाउंगा यहाँ से,
तेरा जिस्म ही तो मुझे यहाँ लाया है वरना तेरे को मालूम है तेरी तरफ कोई
देखता भी नहीं है." उसकी बात सुन के मुझे बहुत गुस्सा आया, साला खुल कर
मेरी बे-इज्ज़ती कर रहा था, उसके निप्पल मसलने से जीतनी तकलीफ हुई थी
उससे ज्यादा तकलीफ मुझे उसकी बातों से हुई, लेकिन मुझे मालूम था मेरे
मम्मे कैसे हैं इसीलिए निश्चिन्त थी. उसकी बातों से ये भी समझ गई थी की
इसके सामने अब अदा दिखाने से या नखरे करने से कम नहीं चलेगा तो मैंने
अपना गिलास १ ही सांस में खाली किया और उठ के खड़ी हुई और अपना गाउन उतार
दिया, अब मेरे जिस्म पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गए. मैं शरमाई और उसके
पास आ कर पलट के बोली सर "हूक खोल दीजिये ना." वो फिर हंसा लेकिन हूक खोल
दिया मैंने ब्रा उतारी और धीरे धीरे अदा से पलटी. उसकी नज़र मेरी तरफ ही
थी. ये महसूस करके मुझे ख़ुशी ही हुई.मेरे मम्मे किसी पहाड़ की तरह तने
हुए थे और निप्पल पहाड़ की चोटी पर उगे किसी पेड़ की तरह अपने सिर उठाये
खडी थी. देख के वो मुस्कुराया अपने पास बुलाया और दोनों मम्मे को प्यार
से सहलाया. उसके हाथों में जाने क्या जादू था की मम्मे और तन गए. उसने
दोनों मम्मे पुरे पुरे अपनी हथेली में भरने की कोशिश करते हुए मेरी आँखों
में देखा, मुस्कुराया और बोला, "मम्मे तो तेरे सच में अच्छे हैं, लगता है
वो साला अशोक इनसे सही तरह से नहीं खेलता. या तू उसको नहीं खेलने देती,
खैर कोई बात नहीं मैं दूंगा तुझे इन मम्मों का मज़ा, तू बोली ना मेरी
दासी बन के रहेगी." मैंने हाँ की तो एक निप्पल से खेलता बोला, "मेरी दासी
बन के रहेगी तो घर की रानी बना के रखूंगा, लेकिन एक बात समझ ले, मेरी
किसी बात से मना किया, या कुछ भी गलती की मार मार के चमड़ी उधेड़ लूंगा
कुतिया की." गोल्ड चैन उठा के मेरे गले में डाली और थोड़ा पीछे किया और
देखने लगा, मुस्कुराया और फिर आगे बुलाया," सच मस्त लगती है ये चैन तेरे
पर, काले काले मम्मे के बीच में चमकती हुई सोने की लकीर और बीच में झूलता
हीरे का पेंडल." दोनों निप्प्ले चुटकी में भर के बोला, "सोचता हूँ हीरे
की २ बालियाँ भी बनवा दूँ तेरे इन काले काले निप्पल के लिए अँधेरे में
दूर से चमकेंगे तेरे ये मम्मे." और खुल के जोर से हंसा. "बोल पहना दूँ
इनमें भी बालियाँ." मैं बोली, "आपकी मर्ज़ी सर," फिर अदा से बोली "मैं तो
आपकी दासी बन गई हूँ, अब तो जो मालिक की मर्ज़ी वही दासी की मर्ज़ी" वो
फिर खुल के हंसा, "ये बढ़िया बात बोली तुने पूनम, मुझे प्संद आई, ऐसे ही
रही तो देख तुझे क्या क्या देता हूँ, लेकिन उस हरामी अशोक को छोड़ दे और
मेरा कहना मानना शुरू कर दे, तेरी किस्मत खुल गई है." " आपका कहना ही तो
मान रही हूँ सर, आगे भी जो आप बोलोगे मानूंगी, वादा करती हूँ, चाहो तो
लिखवा लो मुझसे, आपकी किसी बात से कभी मना नहीं करुँगी." उसने मुझे पीछे
से पकड़ा और आगे आने का इशारा किया
मैं पास आई तो मेरा १ मम्मा एकदम से पूरा मुह खोल के जितना अन्दर आया भरा
और चुमलाने लगा. मेरे मुह से सिसकारियां निकलने लगी उसने मम्मा बाहर किया
और अब सिर्फ निप्पल को मुह में रखा औत जीभ से उससे खेलने लगा. मैं तो
जैसे स्वर्ग में पहुँच गई. मेरी चूत जैसे पानी छोड़ देगी. उसने हलके से
दांत लगाए मेरे मुह से आनंद भरी "आह"निकली उसने मेरी आँखों में देखा और
बोला "क्या हुआ रानी , आह - उह्ह क्यों कर रही हो?" मैं शरमाई, मुस्कुराई
और बोली, "सर, आपके साथ मज़ा आ गया आपने अभी शुरुआत ही की है और मुझे
लगता है की मैं आखरी तक पहुँच गई." मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी की
उसने १ निप्पल पकड़ के जोर से खींची मेरे मुह से फिर चीख निकलने लगी
मैंने जैसे तैसे रोका लेकिन मेरे चेहरे पर दर्द सिमट आया तो वो मुस्कुरा
के बोला, " क्यों डार्लिंग दर्द होता है," मैंने हाँ में सिर हिलाया तो
फिर बोला, " इसी दर्द में तो मज़ा है रानी इसका मज़ा लेना सीख जा बस देख
तुझे सचमुच रानी बना दूंगा. तू ने बोला की मेरी दासी बन के रहेगी इसीलिए
ये ऑफ़र दिया है तुझे वरना बहुत मिलती हैं मुझे तेरे से ज्यादा सेक्सी.
मुझे मालूम है अशोक ने तेरे को कभी सेक्स का मज़ा दिया ही नहीं

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मेरे साथ रहेगी तो सेक्स का मज़ा भी लेगी और माल भी कमाएगी लेकिन मेरी
दासी बन के रहेगी तो, मेरा गुस्सा सहन कर सकेगी तो, ज़रा सी गलती पर मैं
सख्त सज़ा देता हूँ. ऐसे", करके उसने मेरी दोनों निप्पल पूरी ताकत से मसल
दी रोकते रोकते भी मेरे मुह से चीख निकल ही गई तो वो हंसा." बस पूनम ये
बात सीख ले इस चीख में दर्द कम और मज़ा ज्यादा होना चाहिए. कोशिश करेगी
तो सब सीख जायेगी. बोल सीख जायेगी ना.?" मैं दर्द से मुस्कुराती बोली,
"आप सिखा दीजिये मैं सीख जाउंगी." तो फिर हंसा बोला " डार्लिंग मैं
सिखाउंगा तो जल्दी सीख जायेगी लेकिन मैं बहुत स्ट्रिक्ट टीचर हूँ बिना
मार बिना सज़ा के नहीं सिखाता मैं. वो सुना है ना तुने, छड़ी पड़े धम धम
सीखे चेला छम छम. बस वैसे ही. सोच ले, सीखेगी." मैं मुस्कुराई और बोली आप
जैसे सिखाओगे सीख लुंगी सर." उसने मुझे बोला चल फिर यहीं सोफे पर आ जा
मेरी बगल में, मैं बगल में आई तो फिर खेलने लगा मेरे बदन से. इस बार और
भी सख्ती से, खेलने लगा. चूची से खेलने में तो जैसे उसको महारत हासिल थी
ऐसे सहलाता, दबोचता और मसलता की मैं आह, आह कर उठती. लेकिन मेरी इस आह
में भी मज़ा था जो सच में ही था. मैं उसके खेल को भरपूर मज़ा ले रही थी.
और उसका चूची और निप्पल चुसना तो ऐसा था की मेरी चूत १ बार तो पानी छोड़
चुकी थी और दूसरी बार भी चूत पूरी पनिया चुकी थी. वह १ निप्पल को मुह में
लेता और दूसरी से हाथ से खेलता. कभी कभी हलके से दांत लगता, कभी दांत में
दबा के खींचता मेरे मुह से बस सिसकारियां, आह्ह, ओह, उम् म म , मम म म
हाय रे, आई, उम म हाँ राजा . अम्म .. आ.. आहा. निकल रहा था. उसने एक हाथ
मेरी चूत पर रखा और बोला, "अरे, पूनम तूने तो पानी छोड़ दिया लगता है
बहुत प्यासी है मेरी दासी. इसको कोई मर्द नहीं मिला अब इसका मालिक
बुझायेगा इसकी प्यास बोल पूनम प्यासी है ना." मैं बोली "हाँ सर बहुत
प्यासी हूँ, आज आप मेरी प्यास बुझा दो सर." वो हंसा और बोला चल फिर अन्दर
बेडरूम में, अन्दर जाते ही उसने मुझे बेड पर गिराया और मेरे सामने खड़े
हो के अपनी पेंट उतारी ब्रिफ़ में उसका लंड बिलकुल तम्बू की तरह तना हुआ
था उसने लंड मेरे हाथ में पकडाया और बोला "देख कैसा है. तेरे अशोक से
अच्छा है या नहीं.?" मैंने लंड पकड़ा उसकी लम्बाई और मोटाई को फील किया
और बोली, "उसका नाम मत लो सर, उसका तो इससे आधा भी नहीं है, मुझे तो डर
लग रहा है इससे." "अरे डर मत रानी बाहर निकाल इसको और फिर बोल कैसा है?"
मैंने ब्रीफ पकड़ के खींची और लंड फनफना के बाहर आ गया. उसको देखते ही
मेरी चुचिया एकदम से तनाव से भर गई, निप्पल भाले की तरह बाहर निकल आये,
मुझे ऐसा लगने लगा की मेरी चूचियां फट ना जाएँ.

मैंने आँखें फाड़े उसके लंड को देख रही थी. अशोक के मुकाबले डबल से भी
ज्यादा था और सिर उठाये ऐसे खडा था जैसे कहीं से जंग जीत के आया हो.
मैंने लंड पकड़ा बिलकुल गरम था अशोक का कभी भी इतना गरम नहीं लगा मुझे ये
तो जैसे बुखार में तप रहा था. मैंने हाथ पीछे खींचा तो उसने मेरा हाथ पकड
के फिर लंड पकड़ा दिया और बोला "खेल रानी - पसंद नहीं आया क्या मेरा लंड
तुझे ? " मैं चुप रही तो मेरा गाल खींचते बोला "बोल ना, शर्माएगी तो मज़ा
नहीं आयेगा रानी, बिना शर्माए बातें कर, बोल कैसा लगा मेरा लौड़ा ?"
"बी.बहुत अच्छा सर, बहुत बड़ा और मोटा है ये, अशोक का तो इससे* आधा भी
नहीं है, म.मुझे तो डर लग रहा है इससे तो मेरी फट जायेगी सर." वो हंसा
खुल के हंसा, "अरे कहीं लंड डालने से भी चूत फटी है कभी, और फिर तेरी
शादी को तो ६ महीने हो गए हैं, हरामजादी मासूम मत बन. चल चूस ले मेरा
लंड. उठ नीचे बैठ के ले मुह में. देखूं कैसा चूसती है तू. " मैं नीचे
बैठी और उसका लंड किस किया , मुह में लिया और सुपाडा चूसा. मुह में जाते
ही लंड और फनफना गया बिलकुल लोहे की राड जैसा हो गया.

मैं चूसने लगी और वो मेरी चूत से खेलने लगा, सहलाया, मसला और जब १ उंगली
अन्दर डाली तो मैं तड़प उठी, "सर क्या करते हो, अह. मम.मम.
म.म.म्मम्म...आह सर कुछ करो , मुझसे रहा नहीं जा रहा. प्लीज़ सर
अह.उ.उम्म्म्म"उसने उंगली अन्दर घुमाई चारो तरफ उसकी खुरदरी उंगली मुझे
अशोक के लंड से ज्यादा मज़ा दे रही थी. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी तो वो
हंसा, "अरे पूनम तुने तो पानी छोड़ दिया, साली कुतिया इतनी जल्दी झडेगी
तो मेरा साथ कैसे देगी. अभी तो उंगली ही डाली है लंड डालूँगा तो क्या
होगा तेरा," और अपनी वो उंगली बाहर निकाल के खच्च से २ उंगली एक साथ पेल
दी मेरे मुह से कराह निकल गई तो वो हंसा, " लगता है उस मादरचोद अशोक ने
ठीक से खेला ही नहीं तेरे साथ, तभी तो कुतिया उंगली से ही चिल्लाने लगी.
बोल ये लंड डालूँगा तो क्या होगा तेरा. साली तू तो चिल्ला चिल्ला के
पड़ोसियों को बुला लेगी." और दोनों उँगलियों को बेरहमी से चूत के अन्दर
घुमाया मैंने दर्द के मारे अपने दांत भींच लिए की कहीं चीख नहीं निकले.
सच दोस्तों मेरे साथ वही हो रहा था जो मैं शायद दिल से चाहती थी, उसकी
बेरहमी, उसकी बेदर्दी मुझे मज़ा दे रही थी, ऐसा मज़ा की दर्द को भूल जाना
चाहती थी और सिर्फ और सिर्फ मज़ा लेना चाहती थी. अब तो मेरा मन कर रहा था
की वो इसी तरह बेरहमी से अपना मोटा भारी लंड भी चूत में एक झटके से पेल
कर मेरी चूत फाड़ डाले. लेकिन वो तो अभी उंगली से ही खेल रहा था, उसने अब
मुझे खडा किया और अपने कंधे पर हाथ रखवा कर मुझे झुकाया इससे मेरे दोनों
मम्मे उसके चेहरे के सामने झूलने लगे वो मुस्कुराया और बोला, "आ आज तुझे
जन्नत दिखाता हूँ, तेरा वो हरामजादा पति आता ही होगा उसके पहले थोड़ा
मज़ा और ले ले फिर उसको दारु पिला के बेहोश करना और मेरी सेवा करना, ठीक
से सेवा करी तो आज ही तुझे लंड का स्वाद भी चखा दूंगा." उसकी बात सुन के
मेरे बदन में आग लग गई, साला मुझे इतना गरम करने के बाद बोल रहा था की
अभी नहीं चोदेगा बाद में चोदेगा और वो भी मैंने अपनी सेवा से उसको खुश कर
दिया तो जाने कैसी सेवा करवाएगा साला कुत्ता. यहाँ मैं तो जली जा रही हूँ
और इसको सेवा करवाने की पड़ी है सच में कुत्ता है साला. लेकिन प्रगट में
बोली, "सर आप बोलोगे वैसे ही सेवा कर दूंगी लेकिन प्लीज़ पहले एक बार डाल
दो ना अन्दर अपना ये प्यारा हथियार." "चुप, मादरचोद साली रंडी, रानी बोल
दिया तो सिर चढ़ने लगी जो बोलता हूँ वो ही कर, ज्यादा तेज चली तो खाल
खींच लूंगा, ऐसे." कह कर उसने मेरी दोनों निप्पल को जोर से पकड़ के पूरी
ताकत से खींचा तो मेरे मुह से फिर चीख निकल ही गई. वो हंसा और बारी बारी
दोनों निप्पल को सहलाता और जीभ से चाट, चुमला के बोला समझ गई ना मेरी बात
पर कोई एतराज किया या ना नुकुर की तो ये तो ट्रेलर था साली को सख्त से
सख्त सज़ा मिलेगी, और मेरी बात मानी तो सच्ची में रानी बना के रखूंगा.
बोल रहेगी मेरे साथ ?" मैं उसकी निप्पल खींचने से घबरा गई थी जो उसके
सहलाने, चूमने और चाटने से कुछ नोर्मल हुई तो बोली," सर अब तो आपकी दासी
बन गई हूँ, जैसे आप रखोगे वैसे ही रहूंगी, मेरी गलती की माफ़ी चाहती हूँ
सर, आगे से नहीं करुँगी कोई गलती, करूँ तो आपको पूरा अधिकार है जो मर्ज़ी
सलूक करना मेरे साथ." वो खुश हो के हंसा, "हाँ, ये हुई ना बात, ऐसे ही
रहेगी तो ऐश करेगी, तेरे जैसी को ही तो मैं ढूंढ रहा था, देख तुझे मैं
कैसी रंडी, कुतिया बनाता हूँ, मेरी प्यारी रंडी को कपडे की जगह हीरे और
मोती के गहने पहनाऊँगा, तुझे जानने वाली और देखने वाली औरतें तेरे से
जलेंगी, साली बहुत रंडियों को चोदा है मैंने लेकिन तेरे जैसी एक भी नहीं
मिली. अब समझ ले तेरे दिन फिर गए हैं, अशोक अब तेरा नाम का पति होगा, उस
हरामजादे से भी तेरी गुलामी करवाउंगा साला तेरे तलवे नहीं चटवाये उससे तो
मेरा नाम नहीं. चल आ जा अब और दे अपनी एक चूची मेरे मुह में और बोल की लो
मालिक अपनी इस दासी की चूची चूस लो." मैंने झुक के एक मम्मा मुह में दिया
लेकिन बोलने में शरमाई तो बोला, " ऐसे नहीं प्यार से बोल जो मैंने बताया
है, गुस्सा मत दिला मुझे." मैं अब उसकी बातों से मज़ा लेने लगी थी, कुछ
शराब का भी सुरूर था और कुछ उसकी हरकतें जिनसे मुझे बिना चुदे ही चुदाई
से ज्यादा मज़ा आ रहा था. मैंने अपनी चुचियों को हलकी सी हरकत की और अदा
से बोली, " लो मालिक अपनी इस दासी के मम्मे ले लो अपने मुह में और चूस लो
इनको, खा जाओ मालिक." मेरी इस अदा से बोलने के कारन तो वो जैसे खुश हो के
टूट पडा मेरे मम्मों पर और दोनों हाथ से खूब जोर से मसल के एक मम्मा मुह
में लिया और चुमलाने लगा, मम्मे से हटाया हाथ उसने चूत पर लगाया और अब
मेरा एक मम्मा उसके मुह में था, उसका एक हाथ दुसरे मम्मे से खेल रहा था,
खेल क्या रहा था उसको आटे के जैसे गूँथ रहा था और उसका दूसरा हाथ मेरी
चूत से खेल रहा था और मेरे मुह से सिर्फ, आह, ओह्ह, हाय. उम्. मम्म.
धीरे. खा जाओ. चूस लो. मसल दो. आह्ह.. हाय रे. बहुत दर्द है, जैसी आवाजें
लगातार निकलने लगी. उसको भी मेरी इन सिसकारियों में मज़ा आने लगा था उसका
लौड़ा तन के ठुनकियां मार रहा था झुके झुके उसको देख देख के मेरा मन कर
रहा था की वो डाल दे इसको मेरी चूत में और चोद चोद के मेरी चूत के चिथड़े
उड़ा दे. लेकिन उसके नाराज़ होने के डर से चुप थी. उसने मेरे मन की बात
भांप ली और मुस्कुरा के बोला, " क्यों रानी क्या सोच रही है." मैं बोली
कुछ नहीं राजा, आपके पास सच में मज़े का खज़ाना है. अगर नाराज़ ना होवो
तो एक बात बोलूं." वो बोला "बोल रानी लेकिन अभी चोदने का मत बोलना, चुदाई
तो तेरी तेरे पति के सामने ही होगी, अब ये तेरी मर्ज़ी है की उसको शराब
पिला के बेहोश करने के बाद चुदवायेगी या फिर ऐसे ही उसके सामने. तू आज
उसके सामने चुदवा मुझसे और फिर देख मैं तुझे क्या देता हूँ. चल तू बोल
क्या बोल रही थी." मैं बोली " कुछ नहीं सर बस यही बोलना चाह रही जिसके
लिए आपने मना किया है, लेकिन अशोक के सामने कैसे करुँगी मुझे समझ नहीं आ
रहा." उसने मुझे सीधा किया और अपनी बगल में बैठा के बोला "चल बैठ जा यहाँ
बहुत हो गया खेल मैं तुझे बताता हूँ कैसे उसके सामने चुदेगी, जैसे ही आये
उसको बता देना की मैंने क्या क्या दिया है तुझे ये ड्रेस, ये गोल्ड चैन,
ये डायमंड पेंडल, और ये ले ५०,००० रुपये. ये सब दिखा के बोलना की उसका
सारा क़र्ज़ मैं चुका दूंगा वो धीरे धीरे अपनी सेलेरी में से चुकाता रहे,
तू मेरी दासी बनेगी तो उसको भी आउट हाउस में रहने की जगह मिल जायेगी,
खाना भी मेरे घर खा लेगा, शराब भी कभी कभी मैं दे दिया करूंगा बस पूरी
सेलेरी बच जायेगी वो ऑफिस में जमा करा दे उसकी सेलेरी भी बढ़ा दूंगा
जिससे २ साल में सारा क़र्ज़ चुक जाएगा. जेल जाने से बचेगा, गुंडों की
मार खाने से बचेगा वो मुफ्त में. अब इससे भी वो नहीं माने तो ये तेरी
गलती होगी, उसको कैसे मनाना है मैंने रास्ता बता दिया अब चलना तो तुझे ही
पडेगा." और दोनों निप्पल थोड़ा जोर से पकड़ के हिलाई तो मुझे बहुत मज़ा
आया इस बार जो दर्द था वो पुरानी चोट के दर्द जैसा ही था कोई नया दर्द
नहीं हुआ, और पुरानी चोट का मीठा दर्द मुझे मज़ा दे गया.


उसने मेरे मम्मे पर थपकी दी और छोड़ दिया. "जा बाथरूम हो आ और पहन ले
तेरे कपडे अशोक आने वाला होगा. देखता हूँ तू क्या करती है अब."
मुस्कुराया ऐसे जैसे मुझे चेलेंज दे रहा हो की उसके सामने चुदा के बता.
उससे कोई बात करने का फ़ायदा नहीं था, मैं सेक्स की आग में जली जा रही
थी, लेकिन मुझे मालूम था की वो अब कुछ करने वाला नहीं था. मैं बाथरूम में
गई और अपने आप को ठंडा किया, नहाते नहाते सोचने लगी की क्या करुँगी, उसकी
सब बातें मुझे याद थी. मैं उसकी रखैल बन के अपने बदन को हीरे और मोती से
सजाना चाहती थी, सच में उसने बहुत बड़ा लालच दिया था मुझे, और इसके अलावा
उसका लंड भी तो मुझे लेना था मैंने इतने बड़े और इतने सख्त लंड की कल्पना
भी नहीं की थी मैं किसी भी कंडीशन में उससे चुदाना चाहती थी, उसकी बात
सोच के ही मेरी चूत में फिर पानी आने लगा था, मेरी चुचियों पर बने उसके
दांतों के निशान ऐसे दिख रहे थे जैसे निप्पल के बाहर एक और बाउंड्री बना
के उनको सुरक्षित कर दिया हो. मैंने जैसे तैसे अपने आप को कण्ट्रोल किया
और सोचने लगी की कैसे अशोक के सामने उससे चुदाऊं की वो मुझे अपनी
परमानेंट रखैल बना ले. सबसे आसान रास्ता मुझे अशोक को खूब शराब पिला के
बेहोश कर देने का ही लगा और मैं इसी लाइन पर सोचने लगी फिर अचानक मुझे
ख़याल आया की अशोक तो खुद ही मुझे इसके पास जाने के लिए मिन्नतें कर रहा
था, साला कुत्ता खुद से तो कुछ होता नहीं और अपनी गलतियों के लिए बीवी को
रंडी बना रहा था तो उस हरामजादे के सामने ही बॉस से चुदवाउंगी और अपना
प्लान बनाने लगी. मैं नहा के बाथरूम से बाहर आई और बॉस को देख के
मुस्कुराई, बॉस भी मुझे देख के मुस्कुराया और तारीफ की नज़रों से देखने
लगा. "ऐसे क्या देख रहे हैं सर ?" "देख रहा हूँ की नहाने के बाद और भी
फ्रेश और सुन्दर लग रही है मेरा भी दिल कर रहा है की अभी चोद दूँ तेरे
को. लेकिन सबसे पहले तो तेरे पति के सामने ही चोदुंगा तभी मज़ा आयेगा और
तुझे पूरी रंडी बनाउंगा बोल चुदेगी ना उस के सामने ?" " अब आपका हुकुम
कैसे टाल सकती हूँ सर आपकी दासी बन गई हूँ तो आपका हुकुम तो मानना ही
पडेगा." "फिर क्या सोचा तुने , कैसे चुदेगी उसके सामने? उसको शराब पिला
पिला के? लेकिन सुन तुझे एक ऑफर और देता हूँ की अगर उसके होश में चुदेगी
तो तेरे इन दोनों कानो के लिए और इन दोनों निप्पल के लिए २ जोड़ी हीरे के
रिंग बनवा दूंगा बढ़िया वाले." मैं तो खुश हो गई, मैंने खुद भी तो यही
प्लान किया था बोली, "सर मैं सोचती हूँ ऐसा कैसे होगा, लेकिन आप प्रोमिस
कर रहे हैं न बढ़िया वाले हीरे के २ जोड़ी ईअर रिंग्स बनवा के दोगे." वो
हंसा बोला " २ जोड़ी ईअर रिंग्स नहीं रानी, १ जोड़ी ईअर रिंग और १ जोड़ी
निप्पल रिंग."और जोर से हंसा. मैंने शर्माने की एक्टिंग की और बोली "ठीक
है सर मैं सोचती हूँ कुछ. आप भी कुछ मदद कीजिये ना." वो बोला नहीं ये
तेरी परिक्षा है रानी इसमें पास हो गई तो सच में मैंने जो जो बोला है सब
करके दिखाउंगा तुझे, तू सच में मेरी दासी बन के भी रानियों की तरह
रहेगी." और उठ के बाथरूम में चला गया. वो बाथरूम में गया और २ मिनट बाद
ही दरवाजे की घंटी बजी. मैंने बाथरूम का दरवाजा खटखटा के उसको बोला सर एक
रिक्वेस्ट है आपसे प्लीज़ १० मिनट बाद बाथरूम से बाहर आइयेगा और फिर मैं
जो बातें करूँ अशोक से प्लीज़ उसमें आप भी मेरी बातों का समर्थन कीजिएगा.
मैं कोशिश करुँगी की उसको बिना बेहोश किये ही कुछ कर सकूँ." उसने झट से
अपनी सहमती दे दी, मैंने "थेंक्यु सर" बोला और बाहर का दरवाजा खोला, अशोक
ने इशारी में ही मुझसे पूछा की कुछ हुआ क्या, मैं मुस्कुराई और बोली
"अन्दर तो आओ, बॉस अभी बाथरूम में है बोल रहे थे नहा के आयेंगे."
क्रमशः................................

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