Thursday, September 27, 2012

सेक्सी कहानियाँ ब्लेक रोज-1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
ब्लेक रोज-1

मेरा नाम पूनम है, मैं एक माध्यम वर्गीय परिवारसे सम्बन्ध रखती हूँ, मेरे
पिताजी के पास मेरी शादी करने के लिए कोई ज्यादा दहेज़ नहीं था. मेरी अभी
उम्र है 29 वर्ष, डेढ़. साल पहले मेरी शादी हो गई है, एक हमसे भी ज्यादा
यूँ कहिये की निम्न माध्यम वर्गीय परिवा र्में. मेरी लम्बाई 5 '5 " वज़न
61 किलो, साइज़ है 36 -29 -36 कैसी लगी मैं.
अब सुनिए, मेरा रंग मेरे नाम से बिलकुल उलटा अमावस्या जैसा है. मतलब ये
की मैं काली हूँ. आप थोड़ी इनायत करके मुझे सांवली कहना चाहे तो भी कह ना
सकोगे. अब बोलिए क्या ख़याल हैं. मेरा पति एक छोटी कंपनी में टूरिंग
सेल्समेन है 8000 सेलेरी है और लगभग 1500 टूर के खर्च में से बचा लेता
है. परिवार में मेरी सास है जो ज्यादातर बीमार रहती है मेरा पति अशोक जो
कमाता है उसमें से लगभग 2500 रु. सास की बीमारी में, और 4000 रु. मकान
किराये में खर्च हो जाता है बाकी बचे लगभग 3000 रु. इसमें हम अपना खर्च
कैसे चलाते हैं आप समझ जाइए. ऊपर से पति को शराब पीने की आदत वैसे बेचारा
सस्ती वाली देख के पीता है लेकिन उस पर भी पैसा तो खर्च होता ही है. घर
के ऐसे हालत, सस्ती शराब पीने वाला सीधा साधा साधारण पति मेरी तो जैसे
किस्मत ही खराब है. मायके में तंगी थी तो सोचा की शादी के बाद पति के
प्यार से और उसकी कमाई से थोड़ी जीवन को राहत मिलेगी तो यहाँ भी वैसे ही
हाल थे. कमाई तो अपनी जगह पति का प्यार भी भरपूर नहीं मिल पाता था. सच तो
ये है की टूर पर जा जा कर, खूब शराब पी पी कर, और कभी कभी रंडी बाजी, कभी
कभी हस्त मैथुन कर कर के उसने अपनी मर्दानगी को कमज़ोर कर लिया था.
तो दोस्तों ये तो मैंने बताया मेरे हालातों के बारे में. अब शुरू करती
हूँ मेरी आप बीती.
मैं जब 17 साल की थी और कोलेज में पढ़ती थी तभी मेरी सहेलियों के बॉय
फ्रेंड बनना शुरू हो गए थे सेकेण्ड इअर में आते आते तो मेरी सभी सहेलियों
के बॉय फ्रेंड हो गए थे बस मैं अकेली रह गई थी और फायनल इअर में तो मेरी
आधी से ज्यादा सहेलियां अपने अपने बॉय फ्रेंड से शारीरिक सम्बन्ध बना
चुकी थी. उनके किस्से सुन सुन के मैं उन सबसे जला करती थी. उनके बॉय
फ्रेंड उनको घुमाने ले जाते, गिफ्ट देते, रेस्टोरेंट में ले जाते, उनकी
तारीफें करते ये सब बाते सुन उसन के मैं रातो को अपने तकिये में मुह छुपा
के रोती थी. मैंने बहुत कोशिश की की मेरा भी कोई बॉय फ्रेंड बन जाए यहाँ
तक की मैंने जो लड़के मुझे पसंद नहीं थे उनको भी लाइन मारने की कोशिश की
लेकिन सब जगह मुझे निराशा ही हाथ लगी. मुझे पता चला की पुरे कोलेज में
मुझे मेरे पीछे से कल्लो के नाम से बुलाया जाता है यहाँ तक की प्रोफ़ेसर
भी मुझे मेरे पीठ पीछे कल्लो कहने लगे थे. दोस्तों आप लोग नहीं समझ सकते
की मेरी क्या हालत थी मन करता था की आत्महत्या कर लूं लेकिन उसके लिए भी
हिम्मत नहीं थी मुझमें. अब आपको क्या बताऊँ की मैंने १-२ बच्चे के बाप तक
को लाइन मार के देखा लेकिन किसी ने मुझमें ज्यादा रूचि नहीं ली.


आखिर मेरे पिताजी ने एक लड़का देख के मेरी शादी उसके साथ पक्की कर दी.
छोटी सी नौकरी टूरिंग की और शराब पीने के बारे में शुरू से जानकारी थी
लेकिन और कोई मिलही नहीं रहा था. शादी के बाद मैं खुश थी हालांकि तंगी
में घर चलता था लेकिन फिर भी मेरे बदन की प्यास बुझने लगी थी. लेकिन बहुत
जल्दी ही मुझे मालूम पद गया की वो मेरी प्यास बूझाने के बजाय बढ़ा रहा
था. शुरू शुरू में तो मैं जल्दी ही झड जाती थी और मेरी तृप्ति हो जाती
थी. लकिन जब सेक्स का आनंद मिलने लगा तो जल्दी झाडना भी खत्म हो गया तो
मुझे लगा की ये मेरे लायक नहीं है लेकिन फिर भी वो मेरे बदन स एखेलता तो
था और जैसे तैसे चुदाई भी करता था. इसे अपनी किस्मत मान के संतुष्ट होने
के अलावा कोई चारा नहीं था. मेरी ज़िन्दगी इसी तरह चल रही थी की एक दिन
अशोक के ऑफिस की पार्टी में उसके बॉस ने मुझे देखा उसको औरतों की कदर
करना आती थी . वो मेरे सेक्सी बदन पर फ़िदा हो गयी और पहली बार में ही
मुझे लाइन मारने लगा. मैं .. मैं तो जैसे निहाल हो गई अभी तक मैं लड़कों
पर लाइन मारती थी और कोई मेरी तरफ ध्यान नहीं देता थी और यहाँ कंपनी का
इतना बड़ा मेनेजर खुद मेरे पर लाइन मार रहा था. मैं तो ख़ुशी से जैसे समा
नहीं रही थी. अपने आप मेरे मम्मे में तनाव आ गया औत निप्प्ले अपनी पूरी
लम्ब्बाई में तन गई ब्रा और ब्लाउज के अंदरसे भी बाहर दिखने लगी. मुझे
शर्म भी आई इस बात को फील करके लेकिन ख़ुशी बाकी सब एहसास पर भारी थी.
मैं भी बार बार र्मेनेजर शर्मा को देख के मुस्कुराने लगी. सच बताऊँ
दोस्तों मेरा उसके साथ सम्बन्ध बनाने का कोई इरादा नहीं था लेकिन उसकी
नज़रों को दकेह कर मुझे अपने आप पर गर्व हुआ और सोचा की कोई तो मेरी
कदर्कारने वाला मिला तो मैं उसको अपने से नरजा या किसी दूसरी औरत की तरफ
देखने की छुट देना नहीं चाहती थी इसीलिए मैं भी मुस्कुराने ,शरमाने लगी.

मेरे मुस्कुराने से और शरमाने की अदा से वो समझ गया की मैं भी उसमें रूचि
ले रही हूँ बस फिर क्या था उसने बहाने से मेरे पास आ गया और मुझसे बातें
करने लगा. सच कहती हूँ दोस्तों ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने मेरे बदन
की तारीफ की थी.
"मिसेज पूनम आपको किसी ने ये बताया की नहीं की आप बहुत ही सुन्दर और
सेक्सी हो. वो जो कहते हैं ना 'ब्लेक रोज' शायाद आपके लिये ही ये शब्द
बना है."
मैंने शरमाते हुए ही बोली, "सर आप तो मुझे चढाने लगे मैं कहाँ सुन्दर हूँ
, लोग तो पीठ पीछे मुझे काली बोलते हैं."
"बस यही तो बात है मिसेज पूनम, आप रेखा को जानती हो ना वही फिल्म हेरोइन,
वो भी तो काली थी लेकिन देखिये लोग आज उसको 'आल टाइम ब्यूटी' बोलते हैं,
कहते हैं की वो बड़ी ग्लेमरस है. बस वैसी ही आप भी बन सकती हो ज़रा अशोक
को समझाइये कुछ ढंग के काम करे और शराब पीना कम करे,जुआ खेलना बंद करे तो
आप पर कुछ खर्च करेगा तो देखना लोग आपके हुस्न की तारीफ़ ही किया
करेंगे."
मैं तो जैसे उसकी बाते सुन सुन के अपने आप को सच में ब्लेक रोज समझने लगी
थी. उसकी बातें मुझे इतनी अच्छी लग रही थी की आप लोगों को क्या बताऊँ.
ऐसी बातें कोई मेरे से करेगा ये तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
मैंने कुछ बोलने के लिए ही जैसे बोला, "सर आप तो सच में मुझे चने के पेड़
पर चढाने लगे हो. देखिये कहीं गिर गई तो चोट लग जायेगी."
मेरी बात सुन के वोजोर सहंसा और मैं भी हंसने लगी, हंसने से मेरे मम्मे
थरथराये तो तनी हुई निप्पल ब्रा से रगड़ काहे लगी और मुझे मज़ा आने लगा.
मन किया की ऐसे ही हंसती रहूँ. लेकिन हमारी हंसी की आवाज़ सुन के लोग
हमारी तरफ देखने लगे थे ये देख के मैं रुकी और एकदम से शरमा गई.
बॉस ने फिर भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा "अरे आप तो मज़ाक समझने लगी मिसेज
पूनम लेकिन मैं सच कह रहा हूँ. आप ज़रा ग्लेमरस ड्रेस पहन लें और बिलकुल
हल्का मेक-उप कर लें तो यहाँ मौजूद सभी महिलाओं में सबसे ज्यादा
अट्रेक्टिव लगोगी, सारे पुरुष बस आपको ही देखेंगे. आप मेरा कहना अमां के
अपने लिए कुछ मॉडर्न ड्रेसेस ले लीजिये."
मैं फिर हलके से हंसी और बोली "सर, मॉडर्न ड्रेस महँगी होती हैं मेरे पति
की सेलेरी में से तो मैं जैसे तैसे सारी या सलवार कमीज खरीद पाती हूँ. आप
पहले उसकी सेलेरी बढ़ा दीजिये फिर मैं खरीद लुंगी."
"अरे मिसेज पूनम आपने क्या बोल दिया ये, वो क्या है की, अशोक को पहले ही
उसके काम से ज्यादा सेलेरी मिल रही है, उसकी सेलेरी तो मैं नहीं बढ़ा
सकता लेकिन आप बोलेन तो अपनी तरफ से आपको कुछ ड्रेसेस गिफ्ट कर सकता
हूँ.'
वो बोल तो गया ये बात फिर उसको लगा की कुछ जल्दी ही ये बात बोल दी तो
सफाई देता हुआ बोला, " आपको बुरा लगा होतो आय एम् सॉरी लेकिन आप हो ही
इतनी अच्छी की मैंने ये बात बोल दी, मैं आपके पति की सेलेरी या उसके काम
को बुरा बतानानाही चाहता था."
मैं उसको रोक के बोली "कोई बात नहीं सर, जो सच है उसको कोई कैसे झुठला
सकता है, आपने जो बोला है वो सच ही तो है. मुझे मालूम है अशोक की
काबिलियत आप ही तो उसको इतनी सेलेरी दे रहे हो किसी दूसरी कंपनी में
जाएगा तो इससे बहुत कम सेलेरी मिलेगी. यकीन मानिए सर मुझे आपकी बात का
बिलकुल बुरा नहीं लगा

वो खुश हो गया और बोला की "मिसेज पूनम वैसे आप दिन भर घर में क्या करती
हो? अशोक तो महीने में २५ दिन तक बाहर रहता है आप अकेली बोर नहीं हो जाती
क्या?"
मैं मुस्कुरा के बोली " अपनी अपनी किस्मत है सर. गाँव की लड़की हूँ बस
बी.ए. किया है कुछ प्रोफेशनल कोर्स किया होता तो जॉब कर लेती. कुछ नहीं
किया इसीलिए अब रहो घर में और बोर होवो." बोल के मैं फिर हंसी. "वैसे सर
मेरे घर में मेरी बूढी सास भी है जो हमेशा बीमार रहती है उनकी सेवा ही कर
लेती हूँ कम से कम अगला जन्म तो सुधरेगा."
वो बोला " अरे कैसी बात करती हो आप मिसेज पूनम अगला जन्म किसने देखा है,
और फिर अगले जन्म के चक्कर में अपना ये जन्म बिगड़ना कहाँ की बुद्धिमानी
है. खैर मैं कुछ सोचता हूँ आपके लिए. मैं ज़रूर कुछ करूंगा. सबसे पहले तो
आप मुझसे एक वादा कीजिये की इस वीक एंड पर आप मेरे साथ बाज़ार चलोगी मैं
आपके लिए बढ़िया ड्रेसेस खरीदानाचाह्ता हूँ. अपना पहनावा सुधरोगी तो आपके
विचार भी बदलेंगे और फिर वो बात है ना ज़िन्दगी के दिन ४ ही हैं इसके
जितने चाहो मज़े ले लो चाहो तो रो रो के गुजार दो. बोलिए पक्का प्रोमिस
कीजिये आप चलोगी ना मेरे साथ ? अशोक की चिंता मत करो उसको भी ले के
चलेंगे और वो मना नहीं करेगा."
मुझे अशोक का प्रोग्राम मालूम था वो कल ही बहार जाने वाला था और फिर १
वीक बाद ही उसकी वापसी थी लेकिन मैं उस बात को छुपा गई और बोली ठीक है सर
अगर अशोक भी साथ है तो फिर मुझे कोई एतराज नहीं है."
वो खुश हो के बोला "ठीक है फिर ये पक्का वादा रहा की तुम अगले शनिवार को
मेरे साथ चलोगी और अपना हाथ आगे बड़ा के बोला " करो पक्का वादा."
मैं मुस्कुराई और उसका हाथ थाम लिया "पक्का वादा सर."
बस इतनी ही बात हुई उससे उस दिन लेकिन मैं तो पार्टी से वापसी में भी
उन्ही ख्यालों में खोई रही रस्ते में स्कूटर पर भी अशोक की पीठ से मम्मे
रगड़ती रही और बॉस की बातों को याद करती रही. आखिर मुझसे रहा नहीं गया और
बोली "क्यों अशोक ये तुम्हारा बॉस कैसा आदमी है."
अशोक बोला "बहुत खडूस है साला ऑफिस की सारी लड़कियों पर लाइन मारता है,
कोई लिफ्ट नहीं देती तो रंडी बाजी करता है लेकिन उससे तो रंडियां भी
घबराती हैं. साला औरत को खिलोना समझता है, अपनी खरीदी हुई लौंडी समझता
है... लेकिन तुम क्यों पूछ रही हो."
मैं बोली "वो आज मुझसे बोल रहा था की मिसेज पूनम आपका बदन जैसे सांचे में
ढला है आप मॉडर्न ड्रेसेस पहना कीजिये फिर देखना सब मर्द सिर्फ आपको ही
देखेंगे."
अशोक बोला. "ये बात तो उसने ठीक बोली पूनम तुम सच में बहुत सेक्सी हो."
मैं झूठा गुस्सा दिखा के बोली " चलो तुम भी बनाने लगे . अगर ऐसा है तो
तुमने आज से पहले ये बात क्यों नहीं बोली. ना ही तुम्हारी हरकतों से ऐसा
लगता है. महीने में २५ - २५ दिन बाहर रहते हो वापस आते हो तो ५ दिन में
सिर्फ २ बार कर लिया तो बहुत अगर मैं इतनी ही सेक्सी हूँ तो तुम पर कोई
असर क्यों नहीं होता."
"अरे डार्लिंग अब क्या बोलूं तुमसे. टूर कर कर के इतना थक जाता हूँ की
आराम के सिवा और कुछ सूझता ही नहीं."
मैं तुनक के बोली " यही बात तो है , बीवी को सेक्सी समझते तो टूर से आने
के बाद बीवी के सिवा और कुछ नहीं सूझता लोगों को तो. और मेरी शादी को ६
महीने हो गए हैं मैं सब समझने लगी हूँ सच्ची बात तो ये है की तुमने
सह्राब पी पी के अपने आप को बरबाद कर लिया है ज़रा सा कोई काम करते हो तो
हांफने लगते हो, तुम बीवी का सेक्सी बदन क्या समझोगे. तुमको क्या मालूम
जो २ बार करते हो उसमें भी मैं तो हमेशा प्यासी ही रह जाती हूँ. शुरू
शुरू की बात और थी अब तो मैं समझ गई हूँ की तुम एक पुरे मर्द नहीं बन सके
. तुम्हारा हथियार भी मर्द के लायक नहीं है, और तुम ये बात समझते हो.
बोलो समझते हो ना?"
उसने कोई जवाब नहीं दिया तो मैं पीछे से हाथ आगे बड़ा के उसके लंड को
पकड़ के बोली " बोलो अशोक समझते हो ना ये बात?"
वो बोला "कोन सी बात डार्लिंग."
मैं जोर से लंड दबा के बोली "यही की तुम एक भरपूर मर्द नहीं हो." दोस्तों
ना जाने कहाँ से मुझमें ये शक्ति आ गई थी की मैं उससे ऐसी बात करने लगी,
शायद ये बॉस की बातों का नशा था जो मुझसे ऐसी बातें करवा रहा था नहीं तो
मैं किसी से ऐसी बातें करने का सोच भी नहीं सकती थी. मेरी बात सुन के
अशोक को जैसे झटका लगा और वो बोला "पूनम ये आज तुम कैसी बातें कर रही
हो." मैं बोली "कैसी क्या सच्ची बातें कर रही हूँ और सुन लो तुमने अगर
मेरी बात का सही सही जवाब नहीं दिया तो आज से ही मैं तुमसे २ फूट दूर
रहूंगी. वैसे भी तुत्म्हारे पास आ कर मैं आग में और ज्यादा ही सुलगती
हूँ."
कुछ इसी तरह बातें करते हम घर पहुँच गए अशोक ने चेंज किया और बेद रूम में
चला गया मैं बाथरूम में गई चेंज करने. मैंने जान कर बाथरूम में ज्यादा
देर लगाईं और जब बाहर आई तो मैंने सिर्फ पेंटी और पारदर्शी नाइटी पहनी
थी. मैं बड़ी अदा से चल के बाहर आई, मुझे मालूम था की अशोक की नज़रें
बाथरूम के दरवाजे पर ही लगी होंगी तो मैंने उसको पूरी तरह से अनदेखा किया
और गांड मटकाते हुए किचन में गई और पानी भर के ला के पलंग के साइड में
रखा. अशोक जो शुरू से मुझे देख रहा था और अपना लैंड सहला रहा था, उसने
मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मैं पलंग पर आ गई. बोली
"क्या करते हो, छोडो मुझे, आज मैं बॉस की तरीफेंब सुन सुन के बहुत खुश
हूँ तुम मेरा मूड ख़राब मत करो."
वो बोला "डार्लिंग इसमें मूड ख़राब होने की क्या बात है आओ ना ज़रा मज़ा करते हैं."
मैं उसकी हंसी उड़ाते बोली "कैसा मज़ा, मज़ा तो बस तुमको आने वाला है,
मुझे तो आग ही लगेगी. पहले भी तुमसे बोल चुकी हूँ अपना इलाज़ करवाओ, आज
तक ठीक से कुछ नहीं किया गया तुमसे. छोडो मुझे सच कहती हूँ मेरा मूड
ख़राब मत करो आज."
अशोक मुझसे मनुहारें करने लगा, मेरी तारीफें करने लगा, लेकिन उसकी तारीफ
सुन के मुझे वो सब नहीं हो रहा था जो बॉस की तारीफें सुन के हुआ था. अशोक
की तारीफ सुन के भी मेरे बदन में कोई हलचल नहीं हुई जबकि बॉस की तारीफ
सुन के तो मेरी निप्पल जैसे ब्लाउज फाड़ के बाहर निकलने को उतावली हो गई
थी.
मैंने फिर उसको झिड़का. " रहने दो अशोक तुमको तो तारीफ करना भी नहीं आता
जाओ पहले अपने बॉस से कुछ ट्रेनिंग ले के आओ." फिर हंसी और बोली " लेकिन
ट्रेनिंग से भी तुम्हारा क्या होगा, तुम्हारे में दम तो है नहीं की किसी
औरत को खुश कर सको, उसका दिल जीत सको, दिल क्या उसका बदन भी जीत लो. अपने
में दम लाओ फिर देखो मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हो जाउंगी
तुम्हारी दासी बन जाउंगी."

अशोक मेरे मम्मे से खेलने लगा मैंने ऐतराज नहीं किया वो हलके हलके सहला
रहा था . मेरी बातें सुन के उसको बड़ा बुरा लगा लेकिन क्या करता बीवी
पहले से ही नाराज़ है और कई बार इस बात की शिकायत करचुकी थी की उसमें दम
नहीं है, बीवी को आग लगा के जलता हुआ ही छोड़ देता है .
हाँ दोस्तों ये शिकायत मैं उससे बहुत बार कर चुकी थी और यही क्या उसकी
सेलेरी के बारे में भी मैंने उसको कई बार टोका था शादी के बाद उसने आज तक
मुझे एक साड़ी भी नहीं दिलाई थी गहने तो अलग रहे. और इन दोनों बातों के
लिए मैं हमेशा उसको बोलती थी.
मेरी बातें सुईं के उसका अहम् जागा और वो झल्ला के बोला, "लगता है उस बॉस
के बच्चे ने तुझ पर जादू कर दिया है जब से उससे मिली है साली उसी कमीने
की तारीफ किये जा रही है, उस कुत्ते ने ज़रा तारीफ क्या कर दी तू भी
कुतिया बन गई है."
क्रमशः................................

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