संयरा खान की नंगी जवानी -3
गतांक से आगे............
जैसे तैसे ही पर मैं खेलने लगी, शर्म के कारण मैं ठीक से सोच भी नहीं पा
रही थी और फिर से एक बार मैं ही सोनिया से हार गई, बाज़ी भी और अपनी
इज्ज़त भी। सोनिया तो ख़ुशी से पागल ही हो गई, उसने खड़े होकर मेरे गाल पर
एक जोरदार थप्पड़ मारा और कहा,"क्यों
कुतिया! साली रंडी, तुझे याद है न कि अब तुझे क्या करना है".
मैं तो बस शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी, फिर से मुझे पूरी नंगी होकर
सबके सामने खुद को ज़लील करना पड़ेगा यहाँ तक कि अपने दोनों छोटे भाइयों
के सामने भी। मैंने आँखे नीचे करके अपनी चोली धीरे से खोल कर उतार दी और
फिर अपनी नंगी चुचियों को छुपाने कि नाकाम कोशिश करते हुए, मैंने अपनी
चड्डी को भी नीचे खींचते हुए सबके सामने उतार दिया और पूरी नंगी होकर
सोनिया के सामने खड़ी हो गई। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी की यह देख सकूँ
की मेरे दोनों भाई क्या कर रहें हैं मुझे इस तरह से भरी जवानी में सरेआम
नंगी होते हुए देख कर। खेर मैंने फिर से पिछली बार की तरह घुटनों पर बैठ
कर सोनिया के पैरों को चूमा और उसके अंगूठों को अपनी जीभ से चाट कर उससे
माफ़ी मांगी। इस बार सोनिया ने मुझे सबके सामने, मेरे दोनों गालों पर कुछ
20 या 25 ही जोरदार और करारे
थप्पड़ मारे और फिर से मुझे बालों से खींच कर टेबल पर खड़ा कर दिया। इसबार
मेरे दोनों भाई ठीक मेरे पीछे बैठ कर मेरी नंगी जवानी की शर्म का मज़ा ले
रहे थे। सोनिया ने मेरी तरफ देखकर कहा," साली कुतिया! अपने भाइयों को
अपनी खुबसूरत नंगी चूत नहीं दिखाएगी, चल अपनी टाँगे खोल रंडी".
मैंने शर्म से आँखे नीचे की और धीरे से अपनी दोनों टाँगे चोडी करके खोल
दी, अब मेरे दोनों भाई मेरी नंगी गोरी चूतडों के बीच लटक रही मेरी गुलाबी
नंगी चूत साफ़ देख सकते थे। फिर सोनिया बोली, " संयरा आज तू दूसरी बार
मुझसे हार कर सरेआम नंगी हुई है, इस ख़ुशी में नाचेगी नहीं, चल हमे जरा
नाच के तो दिखा"। मैं तो पहेले कभी अकेले में भी नंगी होकर नहीं नाची पर
आज सोंनिया ने मुझे सरेआम
सबके सामने भरी जवानी में पूरी नंगी होकर नाचने के लिए मजबूर कर दिया।
मैंने सबके सामने नंगी होने के बावजूद धीरे धीरे ठोमके लगाना शुरू कर
दिया और फिर उनमें जान भी डाल दी, में सबके सामने नंगी होकर नाचने लगी।
सोनिया बोली,"संयरा इस बार भी मैं तेरे साथ एक नया खेल खेलूंगी"
फिर उसने अंकुर और दीपक की तरफ देखा और कहा,"तुम दोनों संयरा को चोदना
चाहते होना लेकिन इसकेलिए तुमे महेनत करनी होगी, तुमारे पास 15 मिनट हैं
और इन 15 मिनट के अन्दर अगर तुम दोनों मिलकर संयरा की चूत से पानी छुडवा
सके तो उसके बाद संयरा के साथ जो चाहो कर सकते हो, संयरा को जितना मर्ज़ी
चोदना चाहते हो चोद लेना"
फिर सोनिया मेरी तरफ देखकर कहा,"संयरा अब दांव पर तेरी कुवारी खूबसूरत
चूत लगी है, अगर तू 15 मिनट तक अपनी चूत गीली होने से रोक सकी तो आज भी
नहीं चुदेगी"। और वो सभी लोग हंसने लगे।
अंकुर ने मुझे खींच कर पीठ के बल टेबल पर लिटा दिया और मेरे दोनों हाथों
को मेरे सर के ऊपर कस कर पकड़ लिया, वहीँ दूसरी तरफ दीपक ने मेरी दोनों
टाँगे चोडी करके खोल दी। इस तरह से मेरी गुलाबी नंगी चूत सबके सामने पूरी
खुली पड़ी थी, मैं खुद को इतनी ज्यादा नंगी महेसूस कर रही थी की मेरी चूत
वैसे ही शर्म से गीली हुई जा रही थी, फिर 15 मिनट तक खुद को रोक पाना तो
नामुमकिन सा ही था, मैं तो ये सोच कर मरी जा रही थी की सबके सामने अगर
मैंने अपनी चूत गीली कर दी तो सारी जिन्दगी किसी से तो क्या अपने आप से
भी नज़र मिला नहीं पाऊंगी। मेरी दोनों नंगी गुलाबी निप्पल अभी से ही
पत्थर की तरह सकत होने लगी थीं और मेरी नंगी कुवारी चिकनी चूत फूल कर लाल
हो गई थी, तभी दीपक ने मेरी चूत को छूना शुरू कर दिया। उसकी दो अंगुलियाँ
तो मेरी चूत पर थी और एक बीच वाली सबसे बड़ी अंगुली मेरी नंगी चूत के
अन्दर हरकत करने लगी, वहीँ अंकुर भी मेरी नंगी चुचियों के साथ खेलने लगा
वो बार बार मेरी नंगी गुलाबी निपलों को खींच रहा था। मेरे मुहँ से मादक
सिसकियाँ निकलने लगी थीं, मेरी साँसे तेज हो गई थीं और दिल जोर जोर से
धड़कने लगा था। सभी लोग बहुत ही ध्यान से मुझे देख रहे थे, अब तो दीपक ने
अपनी दो अंगुलियाँ मेरी चूत में डाल दी, बहुत कोशिश करने पर भी मैं अपने
आप को पांच मिनट से ज्यादा नहीं रोक पाई और फिर मेरी नंगी कुवारी चूत
सबके सामने पानी से एकदम गीली हो गई, मुझे तो एसा लगा जैसे मेरी जान ही
निकल गई हो।
दीपक ने आव देखा न ताव देखा और झट से मुझे बालों से खींच कर मेरे मुहँ
में अपना लिंग डाल दिया, उसने मुझे मेरे बालों से कसकर पकड़ रखा था, उसका
लिंग इतना बड़ा था की मुझे बार बार खांसी आने लगी पर नहीं रुका। फिर उसने
मुझे धक्का दे कर वापिस टेबल पर लिटा दिया और मेरी टाँगे खोल कर मेरी
कुवारी चूत में अपना लिंग डाल कर मुझे चोदने लगा। मैं तो दर्द से
चिल्लाने लगीं और बाकी सभी लोग मजे लेकर मुझे चुदते हुए देख रहे थे। इतने
में अंकुर ने भी अपना लिंग मेरे मुहँ में डाल दिया, कुछ देर बाद अंकुर ने
मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लिंग मेरी नंगी चूत में डाल कर मुझे
चोदने लगा, साथ ही वो मेरी नंगी चूचियां भी मसल रहा था। फिर दीपक ने मुझे
कुतिया बना कर मेरी गांड के छेद में अपना लिंग डाल दिया, मैं तो दर्द से
चिल्ला ही उठी और दर्द के कारण मैं रोने लगी पर वो लोग बिलकुल नहीं रुके
और मुझे लगातार चोदते रहे। तभी अंकुर ने मेरे मुहँ में फिर से अपना लिंग
डाल दिया, काफी देर तक इसी तरह वो लोग कभी मेरी चूत में लिंग डाल कर मुझे
चोदते तो कभी मुझे कुतिया बना कर मेरी गांड मारते और कभी मेरे मुहँ में
अपना लिंग जबरजस्ती घुसा देते। फिर काफी देर तक मुझे हर तरह से चोदने के
बाद उन दोनों ने अपने वीर्य से मेरा मुहँ, मेरी नंगी चूचियां और मेरी
चिकनी गोरी जांगें गीली कर दी। मैं दर्द और शर्म से मरी जा रही थी और
सोनिया बोली अब कोन आएगा संयरा को चोदने।
मैं देख कर दंग रहे गई की मेरे दोनों सगे भाई झटपट आगे आ गए, मुझे चोदने के लिए।
सोनिया बोली, "अरे तुम दोनों अपनी सगी बहन को चोदोगे, ये तो सच में देखने
लायक होगा"
जायद बोला, हम दोनों तो हमेशा से ही संयरा को नंगी करके चोदना चाहते थे
और आज आपके कारण हमे संयरा को सरेआम सबके सामने नंगी करके चोदने का मोका
मिल गया"।
इससे पहेले की मैं कुछ कहे पाती, रशीद ने मुझे बालों से खींच कर टेबल पर
कुतिया बना दिया और जायद ने मेरी नंगी चुतड पर जोरदार थप्पड़ मारकर मेरी
टांगो के बीच लटक रही मेरी चूत में अपनी दो अंगुलियाँ डाल दी। मैं तो
यकीं ही नहीं कर पा रही थी की मेरे दोनों सगे भाई भी मुझे चोदना चाहते
हैं और इसकेलिए मुझे सबके सामने ज़लील कर रहे हैं।
मैंने हैरान होते हुए कहा, "ये क्या कर रहे हो तुम दोनों, मैं तुमारी सगी बहन हूँ"
मुझे चुप करने के लिए रशीद ने बाल खींच कर मेरा मुहं ऊपर किया और मेरे
होंठो को चूमने लगा, उसके होंठ ठीक मेरे होंठो के ऊपर थे और उसकी जीभ
मेरे मुहं के अन्दर मेरी जीभ को चाट रही थी। सभी लोग ये देख कर हैरान रहे
गए और बड़े ही मजे लेकर देखने लगे, मेरा सगा भाई मेरे होंठ एसे चूम रहा
था जैसे कोई लड़का अपनी प्रेमिका के होंठ चूमता है, वहीँ दूसरी तरफ मेरा
दूसरा सगा भाई मेरी नंगी चूत में अंगुलियाँ डाल कर सबके सामने मुझे एक
बाजारू रंडी साबित करना चाहता था। इस अनोखे एसास की शर्म के कारण मैंने
सिर्फ तीन ही मिनट के अन्दर अपनी चूत फिर से गीली कर दी। मैं तो शर्म के
कारण अपनी आँखे भी नहीं उठा पा रही थी और मेरे दोनों भाई ख़ुशी झूम रहे
थे की अब वो लोगे मुझे चोद सकते थे, जायद ने अपनी अंगुलियाँ मेरी गीली
चूत से निकाल कर सीधे मेरे मुहँ में डाल दी, मैंने पहेली बार अपनी चूत
निकले पानी का मादक स्वाद चखा फिर मेरी कोई बात सुने बिना जायद ने
जबरजस्ती मेरी गीली चूत में अपना लिंग डाल दिया और जोर जोर से झटके मारते
हुए मेरा सगा भाई मुझे सबके सामने चोदने लगा, फिर रशीद ने भी मेरे मुहँ
में अपना लिंग डाल दिया और मुझे बालों खींचकर पकड़ मेरे मुहँ को अपने लिंग
के साथ रगड़ ने लगा। मुझे समज में नहीं आ रहा था की मेरे दोनों भाई इतने
बेदर्द कैसे हो गए की उन्हें अपनी सगी बहन पर जरा भी तरस नहीं आ रहा था।
उसके बाद रशीद ने मुझे खींचकर फिर से पीठ के बल लिटा दिया और मेरी चूत
में अपना लिंग घुसाने लगा वहीँ जायद ने मेरे मुहँ में अपना लिंग डालकर
मेरी चीखें बन्द कर दी, सभी लग बड़े ही रोमांच के साथ अपनी फटी हुई आँखों
से मेरे दोनों सगे भाइयों को मुझे चोदते हुए देख रहे थे। काफी देर तक
मुझे बारी बारी से चोदने के बाद मेरे सगे भाइयों ने भी मुझे अपने गर्म
वीर्य से गीला कर दिया, इस तरह आज मैं सबके सामने पूरी नंगी होकर अपने
दोनों सगे भाइयों से भी चुद चुकी थीं।
फिर सोनिया ने कहा, "बड़ा मज़ा आया संयरा खान को सरेआम नंगी होकर उसी के
सगे भाइयों से चुदते हुए देख कर, अब कोन चोदना चाहता है संयरा को"
तभी दीपक बोला, "अब तो हम सब मिल कर संयरा खान को चोदेंगे"
और कमरे मैं मोजूद 20-25 लड़के एक साथ मुझ पर टूट पड़े, वो सभी मुझे चोदने
लगे, उनके सभी के हाँथ मेरे सारे जिस्म को छु रहे थे, मुझे तो पता ही
नहीं चल रहा था किसका लिंग मेरी चूत में है और किसका लिंग मेरे मुहं में,
मेरी चूचियां मसली जा रही थीं, मेरे सकत हो चुके दोनों निप्पल खिंच रहे
थे, मेरी चूतडों पर जोरदार करारे थप्पड़ लगाये जा रहे थे, मेरे बाल
बेदर्दी से खींचे जाने लगे और मेरी चूत पानी छोड़ना बन्द ही नहीं कर रही
थी। कुछ देर बाद पतानहीं क्यों मुझे भी इस शर्म भरे एसास का मज़ा आने लगा,
हालाँकि मैं दर्द से चीख भी रही थी क्योंकि वो लोग मेरी चूत और मेरी गांड
को एक साथ भी चोदने लगे थे। फिर मैंने भी जिन लोगोके लिंग खाली थे, उनके
लिंग अपने हाथों के पकड़ लिए और उन्हें हस्तमैथुन का मज़ा देने भी लगी,
जैसे ही उनका वीर्य निकलने लगता मैं उनका लिंग अपने मुहँ के पास ले आती,
ताकि उनका गर्म वीर्य मेरे मुहँ पर गिरे। कई घन्टों तक सारी रात सभी लोग
बिना रुके मुझे हर तरह से चोदते रहे, उन्होंने मुझे चीर कर रख दिया था,
मेरा सारा जिस्म मर्दों के गर्म वीर्य से गीला हो चूका था। मैं दर्द से
तड़प रही थी पर फिर भी उन सभी लोगों से चुदती रही, जहाँ सारी दुनिया नया
साल मना रही थीं, मुझे एक बाजारू रंडी की तरह 25-25 लड़के एक साथ नंगी
करके सरेआम बेदर्दी से चोद रहे थे, जिनमे मेरे दोनों सगे भाई भी बड़े ही
उत्साह के साथ शामिल थे।
अब मैं सच में एक बाजारू रंडी बन गई थी और एक अलग सा एसास, मज़ा और शर्म
महेसूस कर रही थी। करीब सुबह सात बजे के आस पास दीपक मेरे पास आके बोला,
"संयरा तुने तो हमारे सामने पेशाब नहीं किया पर मैं तो तुझे जरुर
दिखाऊंगा की मैं कैसे पेशाब करता हूँ". और उसने हंसते हुए मेरे बाल
खींचकर मेरा मुहँ ऊपर कर मेरे मुहँ पे ही पेशाब करने लगा, उसने मेरे बाल
इतने कसकर खींचे के मेरे होंठ चीखने के कारण खुल गए थे, जिस वजह से उसका
पेशाब मेरे मुहँ के अन्दर आने लगा था और काफी सारा पेशाब मुझे पीना पड़
रहा था। सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे थें , फिर बाकी सभी लड़के भी एक एक
मेरे मुहं में पेशाब करने लगे, मुझे भी सभी का पेशाब पीना पड़ा और सबसे
आखिर में मेरे दोनों सगे भाईयों ने भी एक साथ मेरे मुहं में पेशाब किया।
पहेले मैंने सभी के वीर्य का स्वाद चखा था, और अब मैंने उन सभी का पेशाब
भी पीया।
फिर सोनिया मेरे पास आके बोली, "साली रंडी! आखिर तुने सबके सामने पेशाब
नहीं किया न"
मैंने धीरे से आँखे झुकाई और उसकी तरफ देखकर कहा, "सोनिया मुझे बाथरूम जाना है"
सोनिया बोली,
मैं बाथरूम में पेशाब करने बैठी और सभी लोग मुझे देख रहे थे, मैंने खुद
अपनी टाँगे चोडी कर के खोल रखी थीं ताकि सभी लोग ठीक से मेरी चूत से
पेशाब निकलते हुए देख सकें, इस बार मेरे चहरे पर शर्म के साथ हल्की सी
हँसी भी थी।
उसके बाद मैंने सोनिया से कहा, "सोनिया मेरा सारा बदन वीर्य से चिपचिपा
हो गया है, क्या मैं कपडे पहन ने से पहेले नहा सकती हूँ"
सोनिया बोली, "बिलकुल नहा सकती है, पर यहाँ नहीं". और वो मुझे बालों से
खींचकर घर से बाहर लान (lawn) में ले गई
और कहा, " संयरा खान तू यहाँ सारी दुनिया के सामने सरेआम नंगी होकर नहाएगी"
अब मैं दिन के उजाले में सारी दुनिया के सामने नंगी खड़ी थी, लान(lawn)
की दीवार सिर्फ दो फीट की थी इसलिए आते जाते लोग मुझे आँखे फाड़ फाड़ कर
देख रहे थे, पास ही में खेल रहे कुछ बच्चे भी मुझे नंगी देख कर हंसने
लगे। ये शर्म मेरे लिए कुछ नयी और मजेदार थी, पहेले तो मैं शर्म से अपना
जिस्म अपने हाथों से छुपाने की कोशिश कर रही थी पर फिर धीरे धीरे मैं लान
फोनटन(lawn fountain) में सबके सामने नंगी होकर नहाने लगी। करीब 20-25
मिनट बाद सोनिया ने मुझे अन्दर बुला लिया और बदन पोछने के लिए तोलिया
दिया, मैंने अपना बदन पोछने के बाद सोनिया के हेयर द्रयेर (hair dryer)
से अपने बाल सुकाए और फिर एक एक करके अपने कपडे पहन लिये।
घर जाने से पहेले पतानहीं मुझे क्या हुआ, मैंने सोनिया को किसी प्रेमी की
तरह गले लगा कर उसके गाल चूम कर कहा, "सोनिया थैंक्स (thanks) "
सोनिया बोली, " थैंक्स (thanks) किसलिए"
मैं आँखे झुका कर थोडा सा शरमाई और थोडा सा मुस्कुराई फिर सोनिया की
आँखों में देख कर बोली," मुझे एक असली बाजारू रंडी बनाने के लिये"
सोनिया ने मुझे अपनी तरफ खींचा और धीरे से मेरी जींस की ज़ीप खोलकर मेरी
चूत को छुआ, उसने दो अंगुलियों से मेरी चूत खोली और बीच वाली अंगुली से
मेरी चूत को मलते हुए कहा," संयरा बहुत दर्द हो रहा है क्या?"
मैंने कहा, " हाँ पहेले हो रहा था पर तुम्हारे छुते ही सारा दर्द गायब हो गया"
अब सोनिया आँखे झुका कर थोडा सा शरमाई और थोडा सा मुस्कुराई और फिर मेरी
आँखों में देख कर मेरी जींस की ज़ीप बंद करते हुए बोली, "happy new year
संयरा"
मुझे सोनिया इतनी सुन्दर और इतनी प्यारी पहेले कभी नहीं लगी, उसकी मख्खन
जैसी मुलायम अंगुलियों ने जैसे ही मेरी चूत को छुआ था मेरी चूत गीली हो
गई थी।
मैंने भी धीरे से कहा," same to you, सोनिया"
क्रमशः ...............
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