हिंदी सेक्सी कहानियाँ
जवानी की मिठास--6
सावधान-
दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े
गतान्क से आगे................
रुक्मणी की हालत खराब हो चुकी थी और उससे बर्दस्त नही हो रहा था,
कुछ देर बाद विजय अपनी बहन को अपनी मा के बगल मे लेटा कर उसकी चूत मारते हुए एक बार अपने मा के चेहरे की ओर देखता है और उसकी मा अपनी आँखे बंद किए हुए पड़ी थी विजय धीरे से अपनी बहन की चूत मारते हुए अपनी मा के रसीले होंठो को चूम लेता है, विजय अपने हाथो से अपनी मा की गोरी मोटी गंद को सहलाता हुआ अपनी बहन गुड़िया की चूत खूब कस-कस कर चोदने लगता है, करीब 1 घंटे तक विजय अलग-अलग मुद्रा मे अपनी बहन को खूब कस कर चोदता है,
अगले दिन सुबह-सुबह विजय अपनी मा को लेकर शहर चला जाता है, शहर मे उसका एक ही रूम था और एक तरफ तो वह खाना बनाने का समान रखे था जहा एक गॅस स्टॅंड बना था और उसी पर गॅस रखी थी और दूसरी तरफ उसने ज़मीन पर सोने के लिए बिच्छा रखा था,
विजय अपनी मा को यह कह कर चला जाता है कि वह शाम तक लोटेगा, रुक्मणी एक दिन रुकने
के हिसाब से आई थी और कोई कपड़े साथ लाई नही थी काम करते हुए उसकी साडी और पेटिकोट पूरे गीले और गंदे हो गये थे
वह सोचने लगी अब पहनेगी क्या बहुत सोचने के बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर विजय की लूँगी लपेट ली और उपर केवल अपना ब्लौज पहन लिया उसे थोड़ा अजीब भी लग रहा था कि विजय उसे इस छ्होटी सी लूँगी मे देखेगा तो क्या सोचेगा,
उसके भारी भरकम चूतड़ और मोटी गदराई जंघे लूँगी मे समा नही रही थी,
शाम को जब विजय वापस आ रहा था तो रास्ते मे उसने सोचा क्यो ना थोड़ी बेअर चढ़ा ली जाय आज रात मा को पूरी रात नंगी करके चोदने मे मज़ा आ जाएगा, तभी विजय ने सोचा क्यो ना आज मा को भी थोड़ी बेअर चखा दी जाय साली मस्त होकर अपनी चूत अपने बेटे से मराएगी, और फिर विजय ने दो बोत्तेल बेअर की ले ली और घर आ गया जैसे ही उसने दरवाजा बजाया
रुक्मणी को लूँगी और ब्लॉज मे देखते ही उसका मोटा लंड खड़ा हो गया,
विजय- अरे वाह मा तुम लूँगी मे बहुत अच्छी लग रही हो
रुक्मणी आगे चलती हुई अपने भारी चूतादो को छुपाने की कोशिश करती हुई, क्या करू बेटा काम करते हुए मेरे सब
कपड़े खराब हो गये और मैं कुछ ले कर भी नही आई,
विजय- कोई बात नही यहा तुम्हारे बेटे के अलावा और देखने वाला है ही कौन और फिर विजय अपनी मा के गले लग कर अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाकार अपनी मा के भारी चूतादो को सहलाते हुए उसके गालो को चूम कर, उसके उठे हुए पेट पर हाथ फेर कर बहुत भूख लगी होगी मा,
रुक्मणी-मैंने खाना तैयार कर दिया है चल खा ले,
विजय- मा तुम उधर मूह करके खाना लगाओ मैं अपनी मा को बस ऐसे ही प्यार करते रहना चाहता हू, रुक्मणी दूसरी ओर
घूम कर खाना लगाने लगती है और विजय अपनी मा की मोटी गंद को अपने लंड से दबाने लगता है,
विजय- मा तुम्हारे लिए शरबत लेकर आया हू और फिर विजय बेअर की बोतटेल खोल कर एक ग्लश मे भर कर अपनी मा को देता है, रुक्मणी जैसे ही बेअर पीती है उसे उसका स्वाद अच्छा नही लगता और वह कहती है हे कितनी कड़वी है यह शरबत
विजय- अपनी मा के चूतादो को सहलाते हुए लाओ मैं तुम्हे अपने हाथो से पिलाउँगा और फिर विजय एक घूँट खुद लेता है
और एक घुट अपनी मा को देता है, एक ग्लश पीते ही रुक्मणी कहती है बेटे यह तो ऐसी शरबत है कि एक ग्लाश पीने के बाद इसका स्वाद अच्छा लगता है,
विजय आओ मा हम सारा खाना और शरबत नीचे रख कर आराम से बैठ कर खाते है और फिर
विजय अपनी मा के साथ नीचे आराम से बैठ जाता है और दोनो बाते करते हुए बेअर पीने लगते है जब एक बेअर पूरी ख़तम हो जाती है तो रुक्मणी की आँखो मे नशा चढ़ने लगता है और वह हस्ती हुई,
रुक्मणी- बेटे यह शरबत तो बहुत अच्छी है बड़ा मज़ा आ रहा है
विजय जब देखता है कि उसकी मा अब पूरी तरह मस्ताने लगी है वह दीवार से टिक कर अपनी मा को कहता है कि उसके पास आकर बैठ जाए, फिर विजय रुक्मणी से कहता है कि मा आज बहुत गर्मी है यह ब्लॉज उतार दो थोड़ी हवा लग जाएगी
रुक्मणी- हस्ते हुए लड़खड़ाती आवाज़ मे बेटे मैं तो बहुत थक गई हू तू ही उतार दे ना, विजय अपनी मा को अपने हाथो
से धीरे-धीरे खाना खिलाता हुआ उसके ब्लौज के एक-एक बॅटन को खोल देता है रुक्मणी खाने के बाद जब पानी मांगती है
तो विजय उसे बेअर भर कर दे देता है और रुक्मणी एक ही सांस मे गटक जाती है, विजय केवल चड्डी बनियान मे अपनी मा के पास सॅट कर बैठा था और उसने उसका ब्लौज उतार कर अलग रख दिया और एक दम से रुक्मणी के मोटे-मोटे दूध मे अपना मूह भर करकर उन्हे खूब कस-कस कर मसल्ने लगा, रुक्मणी पूरी तरह नशे मे मस्त हो चुकी थी और अपने
बेटे से अपने मोटे-मोटे कसे हुए दूध खूब कस-कस कर दब्वाते हुए अपने बेटे को चूमने लगती है,
जब बेअर और खाना ख़तम हो गया तब विजय ने अपनी मा को खड़ा किया और उसके रसीले होंठो को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूमते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को खूब ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा और फिर विजय ने अपनी मा की लूँगी को एक दम से खोल दिया,
रुक्मणी- बेटे यह क्या कर रहा है
विजय ने तुरंत अपना कच्छा उतार कर अपने मोटे लंड को अपनी मा के हाथो मे दे दिया अपने बेटे का मोटा लंड अपने
हाथ मे आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने लगी और वह अपने बेटे के उपर अपने शरीर का भार देकर उसके मोटे लंड और
उसकी बड़ी-बड़ी गोटियो को अपने दोनो हाथो मे भर-भर कर दबाने लगी तब विजय ने अपनी मा को गॅस स्टॅंड पर चढ़ा
कर बैठा दिया और उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर जब अपनी मा की मस्त फूली हुई चूत को देखा तो पागलो की तरह वह अपनी मा की चूत को चाटने लगा, रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह आह करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी जाँघो को और फैला कर अपनी चूत उठा-उठा कर अपने बेटे के मूह से रगड़ने लगी, विजय ने अपने दोनो हाथो से अपनी मा की चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी छेद को खूब चूसने लगा और एक हाथ से अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को भी मसल्ने लगा,
लगभग 15 मिनिट तक विजय अपनी मा की चूत को चाटता रहा उसके बाद विजय ने अपनी मा को नीचे उतार कर उसे ज़मीन पर घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी मोटी गंद को उभार कर अपने मूह को सीधे अपनी मा की मोटी-मोटी गोरी गंद मे लगा कर अपनी मा की गुदा से लेकर चूत तक अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा, विजय ने अपनी मा की गंद और चूत को चाट-चाट कर
लाल कर दिया, तभी अचानक रुक्मणी को ना जाने क्या हुआ और उसने पलट कर एक दम से अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूसने लगी, रुक्मणी खूब कस-कस के अपने बेटे का लंड चूस रही थी और विजय अपने हाथो से अपनी मा की चूत को खुरेद रहा था, विजय ने अपनी मा की चूत मे दो तीन उंगलिया डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और रुक्मणी अपने बेटे के लंड को दोनो हाथो से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी,
कुछ देर बाद
रुक्मणी-हान्फ्ते हुए बेटे कितना मस्त लंड है तेरा मैं कब से तेरे इस मोटे डंडे को चूसने के लिए तड़प रही थी आज मैं
इसे रात भर चुसुन्गि
विजय- अपनी मा के रसीले होंठो को चूस कर मा मैं भी तो तेरी इस रसीली चूत का रस पीने के लिए कब से तड़प रहा हू आज तू अपने बेटे का लंड चूस मैं अपनी मा की फूली हुई चूत का रस चूस्ता हू और फिर विजय ने लेट कर अपनी मा को उल्टा अपने उपर चढ़ा लिया और अपनी मा की मोटी गदराई गंद को अपने मूह की ओर खींच कर उसके गुलाबी रस से भरी चूत को अपने मूह से पीने लगा उधर रुक्मणी अपने बेटे के उपर चढ़ि-चढ़ि उसका मोटा लंड पीने लगी दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे दोनो ने एक दूसरे के चूत और लंड को चूस -चूस कर लाल कर दिया,
रुक्मणी एक दम से उठ कर अपने बेटे के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर उस पर अपनी फटी चूत रख कर बैठ गई और
अपने बेटे के मोटे लंड पर कूदने लगी विजय आराम से लेटा अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को चूसने लगा, करीब 10 मिनिट
बाद रुक्मणी एक तरफ लुढ़क कर हाफने लगती है तब विजय अपनी मा की दोनो जाँघो को उपर तक उठा कर मोड़ देता है और फिर उसकी उठी हुई चूत मे अपने लंड का एक ज़ोर दार झटका मरता है कि रुक्मणी के मूह से आह की सिसकारी निकल जाती है,
विजय अब तबाद तोड़ तरीके से अपनी मा की चूत कूटने लगता है, वह हर धक्का इतना ज़ोर से मारता है कि उसका लंड उसकी मा की बच्चेदानी से टकराने लगता है, रुक्मणी हे-हे करती हुई अपने भारी चूतादो को खूब उठाने लगती है और विजय अपनी मा की चूत मे सतसट अपने लंड को पेलने लगता है, बीच-बीच मे विजय जब अपनी मा की फूली हुई चूत देखता है तो अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मा की चूत बुरी तरह चाटने लगता है,
करीब आधे घंटे तक विजय अपनी मा की चूत को कभी अपनी जीभ से चाटता है कभी अपने लंड से चोदता है, रुक्मणी
अपने बेटे की इस तरह की चुदाई से पानी-पानी होकर अपनी चूत से ढेर सारा पानी छ्चोड़ देती है,
विजय अपनी मा की चूत से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे अपनी मा के मूह मे दे देता है और रुक्मणी अपने बेटे का लंड फिर से पीने लगती है,
विजय पास मे रखा तेल उठा कर अपनी मा की गुदा मे उंगली डाल-डाल कर तेल लगाने लगता है और अपने होंठो से अपनी मा की चूत भी चूसने लगता है, विजय की पहले एक फिर दो उंगलिया तेल मे भीगी होने से सॅट से उसकी मा की मोटी गंद के छेद मे घुसने लगती है, अब विजय अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा कर अपने लंड को धीरे से अपनी मा की गुदा से लगा कर धीरे-धीरे अपनी मा की गंद मे पेलने लगता है,
रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी गंद नाचने लगती है, विजय धीरे-धीरे
अपना आधा लंड अपनी मा की मोटी गंद मे फँसा देता है
आह बेटे ये क्या कर रहा है बहुत खुज़ला रही है मेरी गंद आह आह विजय थोड़ा लंड बाहर खीच कर उस पर और तेल लगा कर एक ज़ोर दार धक्का जब अपनी मा की मोटी गंद मे मारता है तो उसका पूरा लंड अपनी मा की गदराई गंद मे पूरा का पूरा घुस जाता है और रुक्मणी आह मर गई रे आह करते हुए सीसीयाने लगती है, विजय का लंड अपनी मा की गंद मे फसा हुआ और भी सख़्त होकर फूलने लगता है, विजय अपनी मा की गंद को चीर-चीर कर अपने मोटे लंड को सतसट अंदर पेलने लगता है और रुक्मणी ओह ओह करते हुए सीसियती रहती है, विजय धीरे-धीरे अपनी मा की गंद जितना हो सकता था अपने हाथो से फैला-फैला कर चोद रहा था,
उसे बहुत मज़ा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती मे अपने बेटे के मोटे
लंड को अपनी मोटी गंद मे भरे हुए खूब कस-कस कर मरवा रही थी, कुछ देर बाद विजय ने अपनी मा की गंद पर
चढ़-चढ़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया और इतना ज़ोर-ज़ोर से अपनी मा की गुदा को ठोंकने लगा कि पूरे कमरे मे उसके
द्वारा उसकी मा की गंद की ठुकाई की आवाज़ गूंजने लगी, रुक्मणी ने अपनी सारी जिंदगी मे इतनी तगड़ी मार अपनी गंद और चूत पर कभी नही खाई थी जितना तबीयत से आज उसका बेटा उसकी गंद को चोद रहा था,
तभी विजय के लंड का पानी रुक्मणी की गंद मे गहराई तक भर गया और रुक्मणी निढाल होकर पेट के बल लेट गई और विजय भी अपनी मा की गंद मे अपना लंड फसाए-फसाए ही उसकी गंद पर लेट गया, करीब 5 मिनिट तक विजय वैसे ही पड़ा रहा फिर विजय उठ कर एक तरफ लेट गया
और रुक्मणी नशे और चुदाई की मस्ती मे हाफ्ती हुई लेटी रही,
कुछ देर बाद विजय का लंड फिर से खड़ा हो गया और वह फिर से अपनी मा के उपर चढ़ा कर उसकी चूत मारने लगा, इस तरह विजय ने उस रात अपनी मा को पूरी रात नंगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से अपने बेटे से अपनी चूत की आग बुझवाई.
उसके बाद विजय ने करीब 6 दिनो तक अपनी मा को अपने पास रख कर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, फिर विजय उसे लेकर अपने गाँव आ गया, अब विजय बारी-बारी से कभी गुड़िया को और कभी अपनी मा को अपने साथ ले जाता था और उनकी वाहा लेजाकर जम कर चुदाई करता था,
दा एंड
JAWAANI KI MITHAS--6
gataank se aage................
rukmani ki halat kharab ho chuki thi aur usse bardast nahi ho raha tha,
kuch der bad vijay apni bahan ko apni ma ke bagal main leta kar uski chut marte huye ek bar apne ma ke chehre ki aur
dekhta hai aur uski ma apni aankhe band kiye huye padi thi vijay dhire se apni bahan ki chut marte huye apni ma ke
rasile hontho ko chum leta hai, vijay apne hatho se apni ma ki gori moti gand ko sahlata hua apni bahan gudiya ki chut
khub kas-kas kar chodane lagta hai, karib 1 ghante tak vijay alag-alag mudra main apni bahan ko khub kas kar chodataa hai,
agle din subah-subah vijay apni ma ko lekar shahar chala jata hai, shahar main uska ek hi room tha aur ek taraf to vah
khana banae ka saman rakhe tha jaha ek gas stand bana tha aur usi par gas rakhi thi aur dusri taraf usne jameen par
sone ke liye bichha rakha tha,
vijay apni ma ko yah kah kar chala jata hai ki vah sham tak lotega, rukmani ek din rukne
ke hisab se aai thi aur koi kapde sath lai nahi thi kam karte huye uski sadi aur petikot pure gile aur gande ho gaye the
vah sochne lagi ab pahnegi kya bahut sochne ke bad usne apne sare kapde utar diye aur phir vijay ki lungi lapet li aur
upar keval apna blauj pahan liya use thoda ajeeb bhi lag raha tha ki vijay use is chhoti si lungi main dekhega to kya
sochega,
uske bhari bharkam chutad aur moti gadaraai janghe lungi main sama nahi rahi thi,
sham ko jab vijay vapas aa raha tha to raste main usene socha kyo na thodi bear chadha li jay aaj rat ma ko puri rat nangi
karke chodane main maza aa jayega, tabhi vijay ne socha kyo na aaj ma ko bhi thodi bear chkha di jay sali mast hokar apni
chut apne bete se marayegi, aur phir vijay ne do bottel bear ki le li aur ghar aa gaya jaise hi usne darwaja bajaya
rukmani ko lungi aur blauj main dekhte hi uska mota land khada ho gaya,
vijay- are wah ma tum lungi main bahut achchi lag rahi ho
rukmani aage chalti hui apne bhari chutado ko chupane ki koshish karti hui, kya karu beta kam karte huye mere sab
kapde kharab ho gaye aur main kuch le kar bhi nahi aai,
vijay- koi bat nahi yaha tumhare bete ke alawa aur dekhne wala hai ki kaun aur phir vijay apni ma ke gale lag kar apne
dono hantho ko piche lejakar apni ma ke bhari chutado ko sahlate huye uske galo ko chum kar, uske uthe huye pet par
hath pher kar bahut bhukh lagi hogi na,
rukmani-mainne khana taiyar kar diya hai chal kha le,
vijay- ma tum udhar muh karke khana lagao main apni ma ko bas aise hi pyar karte rahna chahta hu, rukmani dusri aur
ghum kar khana lagane lagti hai aur vijay apni ma ki moti gand ko apne land se dabane lagta hai,
vijay- ma tumhare liye sharbat lekar aaya hua aur phir vijay bear ki bottel khol kar ek glash main bhar kar apni ma ko deta
hai, rukmani jaise hi bear piti hai use uska swad achcha nahi lagta aur vah kahti hai hay kitni kadwi hai yah sharbat
vijay- apni ma ke chutado ko sahlate huye lao main tumhe apne hantho se pilaunga aur phir vijay ek ghunt khud leta hai
aur ek ghut apni ma ko deta hai, ek glash pite hi rukmani kahti hai bete yah to aisi sharbat hai ki ek glash pine ke bad
iska swad achcha lagta hai,
vijay aao ma hum sara khana aur sharbat niche rakh kar aaram se baith kar khate hai aur phir
vijay apni ma ke sath niche aram se baith jata hai aur dono bate karte huye bear pine lagte hai jab ek bear puri khatam
ho jati hai to rukmani ki aankho main nasha chadhne lagta hai aur vah hasti hui,
rukmani- bete yah sharbat to bahut achchi hai bada maza aa raha hai
vijay jab dekhta hai ki uski ma ab puri tarah mastane lagi hai vah deewar se tik kar apni ma ko kahta hai ki uske pas
aakar baith jaye, phir vijay rukmani se kahta hai ki ma aaj bahut garmi hai yah blauj utar do thodi hawa lag jayegi
rukmani- haste huye ladkhadati awaj main bete main to bahut thak gai hu tu hi utar de na, vijay apni ma ko apne hantho
se dhire-dhire khana khilata hua uske blauj ke ek-ek batton ko khol deta hai rukmani khane ke bad jab pani mangti hai
to vijay use bear bhar kar de deta hai aur rukmani ek hi sans main gatak jati hai, vijay keval chaddi baniyan main apni ma
ke pas sat kar baitha tha aur usne uska blauj utar kar alag rakh diya aur ek dam se rukmani ke mote-mote doodh main
apna muh bhar karkar unhe khub kas-kas kar masalne laga, rukmani puri tarah nashe main mast ho chuki thi aur apne
bete se apne mote-mote kase huye doodh khub kas-kas kar dabwate huye apne bete ko chumne lagti hai,
jab bear aur khana kahtam ho gaya tab vijay ne apni ma ko khada kiya aur uske rasile hontho ko khub jor-jor se chumte
huye uske mote-mote doodh ko khub jor-jor se masalne laga aur phir vijay ne apni ma ki lungi ko ek dam se khol diya,
rukmani- bete yah kya kar raha hai
vijay ne turant apna kachcha utar kar apne mote land ko apni ma ke hantho main de diya apne bete ka mota land apne
hanth main aate hi rukmani ki chut phadakne lagi aur vah apne bete ke upar apne sharir ka bhar dekar uske mote land aur
uski badi-badi gotiyo ko apne dono hantho main bhar-bhar kar dabane lagi tab vijay ne apni ma ko gas stand par chadha
kar baitha diya aur uski dono moti jangho ko khub phaila kar jab apni ma ki mast phuli hui chut ko dekha to paglo ki
tarah vah apni ma ki chut ko chtne laga, rukmani masti se bhari hui aah aah karti hui apne bete ke samne apni jangho ko
aur phiala kar apni chut utha-utha kar apne bete ke muh se ragadne lagi, vijay ne apne dono hantho se apni ma ki chut
ki phanko ko phaila kar uske gulabi chhed ko khub chusne laga aur ek hath se apni ma ke mote-mote doodh ko bhi
masalne laga,
lagbhag 15 minute tak vijay apni ma ki chut ko chatta raha uske bad vijay ne apni ma ko niche utar kar use jameen par
ghodi ki tarah jhuka diya aur uski moti gand ko ubhar kar apne muh ko sidhe apni ma ki moti-moti gori gand main laga kar
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kuch der bad
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ise rat bhar chusungi
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aur land ko chusne lage dono ne ek dusre ke chut aur land ko chus -chus kar lal kar diya,
rukmani ek dam se uth kar apne bete ke land ko apne hantho se pakad kar us par apni phati chut rakh kar baith gai aur
apne bete ke mote land par kudne lagi vijay aaram se leta apni ma ke mote-mote doodh ko chusne laga, karib 10 minute
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kariba aadhe ghante tak vijay apni ma ki chut ko kabhi apni jeebh se chatta hai kabhi apne land se chodataa hai, rukmani
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lagta hai aur rukmani oh oh karte huye sisiyati rahti hai, vijay dhire-dhire apni ma ki gand jitna ho sakta tha apne
hantho se phaila-phaila kar chod raha tha,
use bahut maza aa raha tha aur rukmani bhi masti main apne bete ke mote
land ko apni moti gand main bhare huye khub kas-kas kar marwa rahi thi, kuch der bad vijay ne apni ma ki gand par
chadh-chadh kar use chodna shuru kar diya aur itna jor-jor se apni ma ki guda ko thonkne laga ki pure kamre main uske
dwara uski ma ki gand ki thukai ki aawaj gunjne lagi, rukmani ne apni sari jindagi main itni tagdi mar apni gand aur chut
par kabhi nahi khai thi jitna tabiyat se aaj uska beta uski gand ko chod raha tha,
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kuch der bad vijay ka land phir se khada ho gaya aur vah phir se apni ma ke upar chadha kar uski chut marne laga, is
tarah vijay ne us rat apni ma ko puri rat nangi karke chodataa raha aur rukmani ne achche se apne bete se apni chut ki aag
bujhwai.
uske bad vijay ne karib 6 dino tak apni ma ko apne pas rakh kar uski khub tabiyat se chudai ki, phir vijay use
lekar apne ganv aa gaya, ab vijay bari-bari se kabhi gudiya ko aur kabhi apni ma ko apne sath le jata tha aur unki vaha
lejakar jam kar chudai karta tha,
The end
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जवानी की मिठास--6
सावधान-
दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े
गतान्क से आगे................
रुक्मणी की हालत खराब हो चुकी थी और उससे बर्दस्त नही हो रहा था,
कुछ देर बाद विजय अपनी बहन को अपनी मा के बगल मे लेटा कर उसकी चूत मारते हुए एक बार अपने मा के चेहरे की ओर देखता है और उसकी मा अपनी आँखे बंद किए हुए पड़ी थी विजय धीरे से अपनी बहन की चूत मारते हुए अपनी मा के रसीले होंठो को चूम लेता है, विजय अपने हाथो से अपनी मा की गोरी मोटी गंद को सहलाता हुआ अपनी बहन गुड़िया की चूत खूब कस-कस कर चोदने लगता है, करीब 1 घंटे तक विजय अलग-अलग मुद्रा मे अपनी बहन को खूब कस कर चोदता है,
अगले दिन सुबह-सुबह विजय अपनी मा को लेकर शहर चला जाता है, शहर मे उसका एक ही रूम था और एक तरफ तो वह खाना बनाने का समान रखे था जहा एक गॅस स्टॅंड बना था और उसी पर गॅस रखी थी और दूसरी तरफ उसने ज़मीन पर सोने के लिए बिच्छा रखा था,
विजय अपनी मा को यह कह कर चला जाता है कि वह शाम तक लोटेगा, रुक्मणी एक दिन रुकने
के हिसाब से आई थी और कोई कपड़े साथ लाई नही थी काम करते हुए उसकी साडी और पेटिकोट पूरे गीले और गंदे हो गये थे
वह सोचने लगी अब पहनेगी क्या बहुत सोचने के बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर विजय की लूँगी लपेट ली और उपर केवल अपना ब्लौज पहन लिया उसे थोड़ा अजीब भी लग रहा था कि विजय उसे इस छ्होटी सी लूँगी मे देखेगा तो क्या सोचेगा,
उसके भारी भरकम चूतड़ और मोटी गदराई जंघे लूँगी मे समा नही रही थी,
शाम को जब विजय वापस आ रहा था तो रास्ते मे उसने सोचा क्यो ना थोड़ी बेअर चढ़ा ली जाय आज रात मा को पूरी रात नंगी करके चोदने मे मज़ा आ जाएगा, तभी विजय ने सोचा क्यो ना आज मा को भी थोड़ी बेअर चखा दी जाय साली मस्त होकर अपनी चूत अपने बेटे से मराएगी, और फिर विजय ने दो बोत्तेल बेअर की ले ली और घर आ गया जैसे ही उसने दरवाजा बजाया
रुक्मणी को लूँगी और ब्लॉज मे देखते ही उसका मोटा लंड खड़ा हो गया,
विजय- अरे वाह मा तुम लूँगी मे बहुत अच्छी लग रही हो
रुक्मणी आगे चलती हुई अपने भारी चूतादो को छुपाने की कोशिश करती हुई, क्या करू बेटा काम करते हुए मेरे सब
कपड़े खराब हो गये और मैं कुछ ले कर भी नही आई,
विजय- कोई बात नही यहा तुम्हारे बेटे के अलावा और देखने वाला है ही कौन और फिर विजय अपनी मा के गले लग कर अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाकार अपनी मा के भारी चूतादो को सहलाते हुए उसके गालो को चूम कर, उसके उठे हुए पेट पर हाथ फेर कर बहुत भूख लगी होगी मा,
रुक्मणी-मैंने खाना तैयार कर दिया है चल खा ले,
विजय- मा तुम उधर मूह करके खाना लगाओ मैं अपनी मा को बस ऐसे ही प्यार करते रहना चाहता हू, रुक्मणी दूसरी ओर
घूम कर खाना लगाने लगती है और विजय अपनी मा की मोटी गंद को अपने लंड से दबाने लगता है,
विजय- मा तुम्हारे लिए शरबत लेकर आया हू और फिर विजय बेअर की बोतटेल खोल कर एक ग्लश मे भर कर अपनी मा को देता है, रुक्मणी जैसे ही बेअर पीती है उसे उसका स्वाद अच्छा नही लगता और वह कहती है हे कितनी कड़वी है यह शरबत
विजय- अपनी मा के चूतादो को सहलाते हुए लाओ मैं तुम्हे अपने हाथो से पिलाउँगा और फिर विजय एक घूँट खुद लेता है
और एक घुट अपनी मा को देता है, एक ग्लश पीते ही रुक्मणी कहती है बेटे यह तो ऐसी शरबत है कि एक ग्लाश पीने के बाद इसका स्वाद अच्छा लगता है,
विजय आओ मा हम सारा खाना और शरबत नीचे रख कर आराम से बैठ कर खाते है और फिर
विजय अपनी मा के साथ नीचे आराम से बैठ जाता है और दोनो बाते करते हुए बेअर पीने लगते है जब एक बेअर पूरी ख़तम हो जाती है तो रुक्मणी की आँखो मे नशा चढ़ने लगता है और वह हस्ती हुई,
रुक्मणी- बेटे यह शरबत तो बहुत अच्छी है बड़ा मज़ा आ रहा है
विजय जब देखता है कि उसकी मा अब पूरी तरह मस्ताने लगी है वह दीवार से टिक कर अपनी मा को कहता है कि उसके पास आकर बैठ जाए, फिर विजय रुक्मणी से कहता है कि मा आज बहुत गर्मी है यह ब्लॉज उतार दो थोड़ी हवा लग जाएगी
रुक्मणी- हस्ते हुए लड़खड़ाती आवाज़ मे बेटे मैं तो बहुत थक गई हू तू ही उतार दे ना, विजय अपनी मा को अपने हाथो
से धीरे-धीरे खाना खिलाता हुआ उसके ब्लौज के एक-एक बॅटन को खोल देता है रुक्मणी खाने के बाद जब पानी मांगती है
तो विजय उसे बेअर भर कर दे देता है और रुक्मणी एक ही सांस मे गटक जाती है, विजय केवल चड्डी बनियान मे अपनी मा के पास सॅट कर बैठा था और उसने उसका ब्लौज उतार कर अलग रख दिया और एक दम से रुक्मणी के मोटे-मोटे दूध मे अपना मूह भर करकर उन्हे खूब कस-कस कर मसल्ने लगा, रुक्मणी पूरी तरह नशे मे मस्त हो चुकी थी और अपने
बेटे से अपने मोटे-मोटे कसे हुए दूध खूब कस-कस कर दब्वाते हुए अपने बेटे को चूमने लगती है,
जब बेअर और खाना ख़तम हो गया तब विजय ने अपनी मा को खड़ा किया और उसके रसीले होंठो को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूमते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को खूब ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा और फिर विजय ने अपनी मा की लूँगी को एक दम से खोल दिया,
रुक्मणी- बेटे यह क्या कर रहा है
विजय ने तुरंत अपना कच्छा उतार कर अपने मोटे लंड को अपनी मा के हाथो मे दे दिया अपने बेटे का मोटा लंड अपने
हाथ मे आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने लगी और वह अपने बेटे के उपर अपने शरीर का भार देकर उसके मोटे लंड और
उसकी बड़ी-बड़ी गोटियो को अपने दोनो हाथो मे भर-भर कर दबाने लगी तब विजय ने अपनी मा को गॅस स्टॅंड पर चढ़ा
कर बैठा दिया और उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर जब अपनी मा की मस्त फूली हुई चूत को देखा तो पागलो की तरह वह अपनी मा की चूत को चाटने लगा, रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह आह करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी जाँघो को और फैला कर अपनी चूत उठा-उठा कर अपने बेटे के मूह से रगड़ने लगी, विजय ने अपने दोनो हाथो से अपनी मा की चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी छेद को खूब चूसने लगा और एक हाथ से अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को भी मसल्ने लगा,
लगभग 15 मिनिट तक विजय अपनी मा की चूत को चाटता रहा उसके बाद विजय ने अपनी मा को नीचे उतार कर उसे ज़मीन पर घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी मोटी गंद को उभार कर अपने मूह को सीधे अपनी मा की मोटी-मोटी गोरी गंद मे लगा कर अपनी मा की गुदा से लेकर चूत तक अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा, विजय ने अपनी मा की गंद और चूत को चाट-चाट कर
लाल कर दिया, तभी अचानक रुक्मणी को ना जाने क्या हुआ और उसने पलट कर एक दम से अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूसने लगी, रुक्मणी खूब कस-कस के अपने बेटे का लंड चूस रही थी और विजय अपने हाथो से अपनी मा की चूत को खुरेद रहा था, विजय ने अपनी मा की चूत मे दो तीन उंगलिया डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और रुक्मणी अपने बेटे के लंड को दोनो हाथो से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी,
कुछ देर बाद
रुक्मणी-हान्फ्ते हुए बेटे कितना मस्त लंड है तेरा मैं कब से तेरे इस मोटे डंडे को चूसने के लिए तड़प रही थी आज मैं
इसे रात भर चुसुन्गि
विजय- अपनी मा के रसीले होंठो को चूस कर मा मैं भी तो तेरी इस रसीली चूत का रस पीने के लिए कब से तड़प रहा हू आज तू अपने बेटे का लंड चूस मैं अपनी मा की फूली हुई चूत का रस चूस्ता हू और फिर विजय ने लेट कर अपनी मा को उल्टा अपने उपर चढ़ा लिया और अपनी मा की मोटी गदराई गंद को अपने मूह की ओर खींच कर उसके गुलाबी रस से भरी चूत को अपने मूह से पीने लगा उधर रुक्मणी अपने बेटे के उपर चढ़ि-चढ़ि उसका मोटा लंड पीने लगी दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे दोनो ने एक दूसरे के चूत और लंड को चूस -चूस कर लाल कर दिया,
रुक्मणी एक दम से उठ कर अपने बेटे के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर उस पर अपनी फटी चूत रख कर बैठ गई और
अपने बेटे के मोटे लंड पर कूदने लगी विजय आराम से लेटा अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को चूसने लगा, करीब 10 मिनिट
बाद रुक्मणी एक तरफ लुढ़क कर हाफने लगती है तब विजय अपनी मा की दोनो जाँघो को उपर तक उठा कर मोड़ देता है और फिर उसकी उठी हुई चूत मे अपने लंड का एक ज़ोर दार झटका मरता है कि रुक्मणी के मूह से आह की सिसकारी निकल जाती है,
विजय अब तबाद तोड़ तरीके से अपनी मा की चूत कूटने लगता है, वह हर धक्का इतना ज़ोर से मारता है कि उसका लंड उसकी मा की बच्चेदानी से टकराने लगता है, रुक्मणी हे-हे करती हुई अपने भारी चूतादो को खूब उठाने लगती है और विजय अपनी मा की चूत मे सतसट अपने लंड को पेलने लगता है, बीच-बीच मे विजय जब अपनी मा की फूली हुई चूत देखता है तो अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मा की चूत बुरी तरह चाटने लगता है,
करीब आधे घंटे तक विजय अपनी मा की चूत को कभी अपनी जीभ से चाटता है कभी अपने लंड से चोदता है, रुक्मणी
अपने बेटे की इस तरह की चुदाई से पानी-पानी होकर अपनी चूत से ढेर सारा पानी छ्चोड़ देती है,
विजय अपनी मा की चूत से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे अपनी मा के मूह मे दे देता है और रुक्मणी अपने बेटे का लंड फिर से पीने लगती है,
विजय पास मे रखा तेल उठा कर अपनी मा की गुदा मे उंगली डाल-डाल कर तेल लगाने लगता है और अपने होंठो से अपनी मा की चूत भी चूसने लगता है, विजय की पहले एक फिर दो उंगलिया तेल मे भीगी होने से सॅट से उसकी मा की मोटी गंद के छेद मे घुसने लगती है, अब विजय अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा कर अपने लंड को धीरे से अपनी मा की गुदा से लगा कर धीरे-धीरे अपनी मा की गंद मे पेलने लगता है,
रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी गंद नाचने लगती है, विजय धीरे-धीरे
अपना आधा लंड अपनी मा की मोटी गंद मे फँसा देता है
आह बेटे ये क्या कर रहा है बहुत खुज़ला रही है मेरी गंद आह आह विजय थोड़ा लंड बाहर खीच कर उस पर और तेल लगा कर एक ज़ोर दार धक्का जब अपनी मा की मोटी गंद मे मारता है तो उसका पूरा लंड अपनी मा की गदराई गंद मे पूरा का पूरा घुस जाता है और रुक्मणी आह मर गई रे आह करते हुए सीसीयाने लगती है, विजय का लंड अपनी मा की गंद मे फसा हुआ और भी सख़्त होकर फूलने लगता है, विजय अपनी मा की गंद को चीर-चीर कर अपने मोटे लंड को सतसट अंदर पेलने लगता है और रुक्मणी ओह ओह करते हुए सीसियती रहती है, विजय धीरे-धीरे अपनी मा की गंद जितना हो सकता था अपने हाथो से फैला-फैला कर चोद रहा था,
उसे बहुत मज़ा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती मे अपने बेटे के मोटे
लंड को अपनी मोटी गंद मे भरे हुए खूब कस-कस कर मरवा रही थी, कुछ देर बाद विजय ने अपनी मा की गंद पर
चढ़-चढ़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया और इतना ज़ोर-ज़ोर से अपनी मा की गुदा को ठोंकने लगा कि पूरे कमरे मे उसके
द्वारा उसकी मा की गंद की ठुकाई की आवाज़ गूंजने लगी, रुक्मणी ने अपनी सारी जिंदगी मे इतनी तगड़ी मार अपनी गंद और चूत पर कभी नही खाई थी जितना तबीयत से आज उसका बेटा उसकी गंद को चोद रहा था,
तभी विजय के लंड का पानी रुक्मणी की गंद मे गहराई तक भर गया और रुक्मणी निढाल होकर पेट के बल लेट गई और विजय भी अपनी मा की गंद मे अपना लंड फसाए-फसाए ही उसकी गंद पर लेट गया, करीब 5 मिनिट तक विजय वैसे ही पड़ा रहा फिर विजय उठ कर एक तरफ लेट गया
और रुक्मणी नशे और चुदाई की मस्ती मे हाफ्ती हुई लेटी रही,
कुछ देर बाद विजय का लंड फिर से खड़ा हो गया और वह फिर से अपनी मा के उपर चढ़ा कर उसकी चूत मारने लगा, इस तरह विजय ने उस रात अपनी मा को पूरी रात नंगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से अपने बेटे से अपनी चूत की आग बुझवाई.
उसके बाद विजय ने करीब 6 दिनो तक अपनी मा को अपने पास रख कर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, फिर विजय उसे लेकर अपने गाँव आ गया, अब विजय बारी-बारी से कभी गुड़िया को और कभी अपनी मा को अपने साथ ले जाता था और उनकी वाहा लेजाकर जम कर चुदाई करता था,
दा एंड
JAWAANI KI MITHAS--6
gataank se aage................
rukmani ki halat kharab ho chuki thi aur usse bardast nahi ho raha tha,
kuch der bad vijay apni bahan ko apni ma ke bagal main leta kar uski chut marte huye ek bar apne ma ke chehre ki aur
dekhta hai aur uski ma apni aankhe band kiye huye padi thi vijay dhire se apni bahan ki chut marte huye apni ma ke
rasile hontho ko chum leta hai, vijay apne hatho se apni ma ki gori moti gand ko sahlata hua apni bahan gudiya ki chut
khub kas-kas kar chodane lagta hai, karib 1 ghante tak vijay alag-alag mudra main apni bahan ko khub kas kar chodataa hai,
agle din subah-subah vijay apni ma ko lekar shahar chala jata hai, shahar main uska ek hi room tha aur ek taraf to vah
khana banae ka saman rakhe tha jaha ek gas stand bana tha aur usi par gas rakhi thi aur dusri taraf usne jameen par
sone ke liye bichha rakha tha,
vijay apni ma ko yah kah kar chala jata hai ki vah sham tak lotega, rukmani ek din rukne
ke hisab se aai thi aur koi kapde sath lai nahi thi kam karte huye uski sadi aur petikot pure gile aur gande ho gaye the
vah sochne lagi ab pahnegi kya bahut sochne ke bad usne apne sare kapde utar diye aur phir vijay ki lungi lapet li aur
upar keval apna blauj pahan liya use thoda ajeeb bhi lag raha tha ki vijay use is chhoti si lungi main dekhega to kya
sochega,
uske bhari bharkam chutad aur moti gadaraai janghe lungi main sama nahi rahi thi,
sham ko jab vijay vapas aa raha tha to raste main usene socha kyo na thodi bear chadha li jay aaj rat ma ko puri rat nangi
karke chodane main maza aa jayega, tabhi vijay ne socha kyo na aaj ma ko bhi thodi bear chkha di jay sali mast hokar apni
chut apne bete se marayegi, aur phir vijay ne do bottel bear ki le li aur ghar aa gaya jaise hi usne darwaja bajaya
rukmani ko lungi aur blauj main dekhte hi uska mota land khada ho gaya,
vijay- are wah ma tum lungi main bahut achchi lag rahi ho
rukmani aage chalti hui apne bhari chutado ko chupane ki koshish karti hui, kya karu beta kam karte huye mere sab
kapde kharab ho gaye aur main kuch le kar bhi nahi aai,
vijay- koi bat nahi yaha tumhare bete ke alawa aur dekhne wala hai ki kaun aur phir vijay apni ma ke gale lag kar apne
dono hantho ko piche lejakar apni ma ke bhari chutado ko sahlate huye uske galo ko chum kar, uske uthe huye pet par
hath pher kar bahut bhukh lagi hogi na,
rukmani-mainne khana taiyar kar diya hai chal kha le,
vijay- ma tum udhar muh karke khana lagao main apni ma ko bas aise hi pyar karte rahna chahta hu, rukmani dusri aur
ghum kar khana lagane lagti hai aur vijay apni ma ki moti gand ko apne land se dabane lagta hai,
vijay- ma tumhare liye sharbat lekar aaya hua aur phir vijay bear ki bottel khol kar ek glash main bhar kar apni ma ko deta
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huye uske mote-mote doodh ko khub jor-jor se masalne laga aur phir vijay ne apni ma ki lungi ko ek dam se khol diya,
rukmani- bete yah kya kar raha hai
vijay ne turant apna kachcha utar kar apne mote land ko apni ma ke hantho main de diya apne bete ka mota land apne
hanth main aate hi rukmani ki chut phadakne lagi aur vah apne bete ke upar apne sharir ka bhar dekar uske mote land aur
uski badi-badi gotiyo ko apne dono hantho main bhar-bhar kar dabane lagi tab vijay ne apni ma ko gas stand par chadha
kar baitha diya aur uski dono moti jangho ko khub phaila kar jab apni ma ki mast phuli hui chut ko dekha to paglo ki
tarah vah apni ma ki chut ko chtne laga, rukmani masti se bhari hui aah aah karti hui apne bete ke samne apni jangho ko
aur phiala kar apni chut utha-utha kar apne bete ke muh se ragadne lagi, vijay ne apne dono hantho se apni ma ki chut
ki phanko ko phaila kar uske gulabi chhed ko khub chusne laga aur ek hath se apni ma ke mote-mote doodh ko bhi
masalne laga,
lagbhag 15 minute tak vijay apni ma ki chut ko chatta raha uske bad vijay ne apni ma ko niche utar kar use jameen par
ghodi ki tarah jhuka diya aur uski moti gand ko ubhar kar apne muh ko sidhe apni ma ki moti-moti gori gand main laga kar
apni ma ki guda se lekar chut tak apni jeebh nikal kar chatne laga, vijay ne apni ma ki gand aur chut ko chat-chat kar
lala kar diya, tabhi achanak rukmani ko na jane kya hua aur usne palat kar ek dam se apne bete ke mote land ko apne
muh main bhar kar paglo ki tarah chusne lagi, rukmani khub kas-kas ke apne bete ka land chus rahi thi aur vijay apne
hantho se apni ma ki chut ko khured raha tha, vijay ne apni ma ki chut main do teen ungliya dal kar aage piche karna
shuru kar diya aur rukmani apne bete ke land ko dono hantho se khub daboch-daboch kar chat rahi thi,
kuch der bad
rukmani-hafte huye bete kitna mast land hai tera main kab se tere is mote dande ko chusne ke liye tadap rahi thi aaj main
ise rat bhar chusungi
vijay- apni ma ke rasile hontho ko chus kar ma main bhi to teri is rasili chut ka ras pine ke liye kab se tadap raha hu aaj tu
apne bete ka land chus main apni ma ki phuli hui chut ka ras chusta hu aur phir vijay ne let kar apni ma ko ulta apne upar
chadha liya aur apni ma ki moti gadaraai gand ko apne muh ki aur khinch kar uske gulabi ras se bhari chut ko apne muh se
pine laga udhar rukmani apne bete ke upar chadhi-chadhi uska mota land pine lagi dono paglo ki tarah ek dusre ke chut
aur land ko chusne lage dono ne ek dusre ke chut aur land ko chus -chus kar lal kar diya,
rukmani ek dam se uth kar apne bete ke land ko apne hantho se pakad kar us par apni phati chut rakh kar baith gai aur
apne bete ke mote land par kudne lagi vijay aaram se leta apni ma ke mote-mote doodh ko chusne laga, karib 10 minute
bad rukmani ek taraf ludhak kar hafne lagti hai tab vijay apni ma ki dono jangho ko upar tad utha kar mod deta hai aur
phir uski uthi hui chut main apne land ka ek jor dar jhatka marta hai ki rukmani ke muh se aah ki siskari nikal jati hai,
vijay ab tabad tod tarike se apni ma ki chut kutne lagta hai, vah har dhakka itna jor se marta hai ki uska land uski ma ki
bachchedani se takrane lagta hai, rukmani hay-hay karti hui apne bhari chutado ko khub uthane lagti hai aur vijay apni
ma ki chut main satasat apne land ko pelne lagta hai, beech-beech main vijay jab apni ma ki phuli hui chut dekhta hai to
apne land ko bahar nikal kar apni ma ki chut buri tarah chatne lagta hai,
kariba aadhe ghante tak vijay apni ma ki chut ko kabhi apni jeebh se chatta hai kabhi apne land se chodataa hai, rukmani
apne bete ki is tarah ki chudai se pani-pani hoakr apni chut se dher sara pani chhod deti hai,
vijay apni ma ki chut se
apne land ko bahar nikal kar use apni ma ke muh main de deta hai aur rukmani apne bete ka land phir se pine lagti hai,
vijay pas main rakha tel utha kar apni ma ki guda main ungli dal-dal kar tel lagane lagta hai aur apne hontho se apni ma ki
chut bhi chusne lagta hai, vijay ki pahle ek phir do ungliya tel main bhigi hone se sat se uski ma ki moti gand ke chhed
main ghusne lagti hai, ab vijay apne land par dher sara tel laga kar apne land ko dhire se apni ma ki guda se laga kar
dhire-dhire apni ma ki gand main pelne lagta hai,
rukmani aah aah karti hui apni gand nachane lagti hai, vijay dhire-dhire
apna aadha land apni ma ki moti gand main phansa deta hai
aah bete ye kya kar raha hai bahut khujla rahi hai meri gand aah aah vijay thoda land bahar khich kar us par aur tel laga
kar ek jor dar dhakka jab apni ma ki moti gand main marta hai to uska pura land apni ma ki gadaraai gand main pura ka pura
ghus jata hai aur rukmani aah mar gai re aah karte huye sisiyane lagti hai, vijay ka land apni ma ki gand main phasa hua
aur bhi sakht hokar phulne lagta hai, vijay apni ma ki gand ko cheer-cheer kar apne mote land ko satasat andar pelne
lagta hai aur rukmani oh oh karte huye sisiyati rahti hai, vijay dhire-dhire apni ma ki gand jitna ho sakta tha apne
hantho se phaila-phaila kar chod raha tha,
use bahut maza aa raha tha aur rukmani bhi masti main apne bete ke mote
land ko apni moti gand main bhare huye khub kas-kas kar marwa rahi thi, kuch der bad vijay ne apni ma ki gand par
chadh-chadh kar use chodna shuru kar diya aur itna jor-jor se apni ma ki guda ko thonkne laga ki pure kamre main uske
dwara uski ma ki gand ki thukai ki aawaj gunjne lagi, rukmani ne apni sari jindagi main itni tagdi mar apni gand aur chut
par kabhi nahi khai thi jitna tabiyat se aaj uska beta uski gand ko chod raha tha,
tabhi vijay ke land ka pani rukmani ki
gand main gahrai tak bhar gaya aur rukmani nidhal hokar pet ke bal let gai aur vijay bhi apni ma ki gand main apna land
phasaye-phasaye hi uski gand par let gaya, karib 5 minute tak vijay vaise hi pada raha phir vijay uth kar ek taraf let gaya
aur rukmani nashe aur chudai ki masti main hafti hui leti rahi,
kuch der bad vijay ka land phir se khada ho gaya aur vah phir se apni ma ke upar chadha kar uski chut marne laga, is
tarah vijay ne us rat apni ma ko puri rat nangi karke chodataa raha aur rukmani ne achche se apne bete se apni chut ki aag
bujhwai.
uske bad vijay ne karib 6 dino tak apni ma ko apne pas rakh kar uski khub tabiyat se chudai ki, phir vijay use
lekar apne ganv aa gaya, ab vijay bari-bari se kabhi gudiya ko aur kabhi apni ma ko apne sath le jata tha aur unki vaha
lejakar jam kar chudai karta tha,
The end
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