FUN-MAZA-MASTI
“अमृत कलश”--2
मुझे पूरा विश्वास हो गया की सचमुच, उसे कुछ पता नहीं है।
मैंने एक प्लान बनाया और उससे बोला – एक मिनट, मेरे कमरे में बैठ और मैं अभी आता हूँ.. !!
मैं नीचे उतरा।
मुझे पता ही था की चाचा और किशोरिया के अलावा, घर मैं सिर्फ़ मैं और भूरी ही थे।
चाचा और किशोरिया की लापरवाही की मुझे पूरी आशा थी इसलिए मैंने बगल के कमरे में जा कर, दरवाजे के की होल से अंदर झाँका।
सिर्फ़ चाचा ही दिख रही थे और वो हाथ में ग्लास ले कर, पलंग पर बैठे थे।
किशोरिया, शायद नहाने गई थी।
मैं घूम कर बाथरूम के पीछे गया और खिड़की के साइड से झाँक कर देखा तो मेरा अंदाज़ा सही निकला।
किशोरिया, पूरी नंगी हो कर नहा रही थी।
बाथरूम में, कमरे की रोशनी आ रही थी।
वो पर्याप्त तो नहीं थी पर फिर भी मैं किशोरिया को उस रूप मैं देख कर पगला गया।
हाय!! क्या मस्त लग रही थी।
पानी उसके जिस्म पर गिर रहा था और पूरा बदन एकदम “मलाई मक्खन” की तरह दिख रहा था।
वो बड़ी बड़ी चूचियाँ, जो आज तक सबके लिए सपना थीं, मेरे आँखों के सामने “नंगी” थीं।
बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने आप को संभाला और और आगे बढ़ कर पीछे के स्टोर रूम में चला गया।
खोजते खोजते, मुझे दरवाजे में एक बड़ा छेद दिखाई दिया।
आँखें गड़ाई तो अंदर चाचा के कमरे का पूरा सीन दिखाई पड़ रहा था।
मेरी इच्छा तो वही रुक कर, चाचा से किशोरिया की चुदाई की पूरी फिल्म देखने का था पर ऊपर भूरी बैठी थी।
उसको चोदने की इच्छा, इस फिल्म से ज़्यादा मायने रखती थी।
मैं ये सोच रहा था की भूरी को कैसे पटाया जाए।
वो तो सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं जानती थी।
जब ऊपर पहुँचा तो देखा, वो मेरे कमरे पर कुर्सी पर बैठी है।
मैंने उससे, बात चीत शुरू की।
मैं – भूरी और सुना.. !! आज कल, क्या हो रहा है.. !!
भूरी – कुछ नहीं.. !! बस, ऐसे ही.. !!
मैं – तो सारा दिन बस मटरगस्ति हो रही है.. !! पढ़ाई लिखाई का क्या हुआ.. !!
भूरी – नहीं.. !! अब, मैं स्कूल नहीं जाती.. !! घर पर ही रहती हूँ.. !!
मैं धीरे से उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधों पर हाथ रख कर बोला – और सेक्स.. !! कभी सेक्स किया है.. !!
भूरी – क्या बोले.. !! मैं कुछ समझी नहीं.. !!
मैं – तुझे सेक्स के बारे में, कुछ नहीं पता.. !!
भूरी – नहीं.. !! ई क्या होता है.. !!
मैं – वो जिंदगी का सबसे बड़ा आनंद होता है.. !! अच्छा, एक बात बता.. !! तेरे माँ बापू, तेरी शादी की बात नहीं करते.. !!
भूरी (शरमाते हुए) – हाँ करते हैं ना.. !! जब तब, मुझे टोकते रहते हैं.. !! ये मत करो, वो मत करो.. !! अब तेरी शादी होने वाली है.. !! वहाँ ससुराल में, यही सब करेगी क्या.. !! ऐसे.. !! मेरे को तो, उसकी कोई बात ही समझ में नहीं आती है.. !!
मैंने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा और उसे अपने बाहों में भर कर बोला – तू तो बहुत भोली है.. !!
इतनी बड़ी हो गई पर है बिल्कुल बच्ची ही.. !!
वो मेरे से चिटक गई और गुस्से से बोली – मैं बच्ची नहीं हूँ.. !!
मैंने कहा – अच्छा.. !! और हँसने लगा।
तो उसने तुरंत साँस भर कर अपना सीना फूला लिया और बोली – देखो.. !! क्या मैं बच्ची लगती हूँ.. !! नहीं ना.. !! मैं अब बड़ी हो गई हूँ.. !!
मैंने हंसते हंसते, उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसका सिर चूम लिया।
मैंने फिर धीरे धीरे उसके होठों पर एक छोटा सा किस किया तो वो बोली – छोड़िए ना.. !! क्या करते हो.. !!
मैंने उससे कहा – तुम बड़ी तो हो गई हो.. !! पर, अब तुम्हें बड़े वाले काम भी करने होंगे.. !! वो मेरी तरफ देखने लगी.. !!
मैंने पूछा – सच बता, कभी क्या तूने अपने अम्मा बाबूजी को “पलंग पोलो” खेलते देखा है.. !!
भूरी – क्या.. !! मैं समझी नहीं.. !!
मैं – तेरे अम्मा बाबूजी, रात को साथ सोते हैं.. !!
भूरी – हाँ.. !!
मैं – तो फिर, तू कहाँ सोती है.. !!
भूरी – बगल वाले, कमरे में.. !!
मैं – तूने कभी रात को अम्मा बाबूजी के कमरे में उनको बिना बताए, झाँक कर देखा है.. !!
भूरी – नहीं.. !! मैं जब रात को सोती हूँ तो फिर सुबह ही मेरी नींद खुलती है, वो भी अम्मा के जगाने पर.. !! बहुत चिल्लती है, वो.. !! कहती है की मैं एकदम बेहोश सोती हूँ.. !! रात को कोई अगर, मेरा गला भी काट जाएगा तो मुझे पता भी नहीं चलेगा.. !! और वो हंसने लगी।
मैंने अपना जाल फेंका – तू जानना चाहेगी की रात को तेरे सोने के बाद, तेरे अम्मा बाबूजी कैसे “पलंग पोलो” खेलते हैं.. !!
भूरी – सच में, आप मुझे दिखाएँगें.. !!
मैं – हाँ!! पर एक शर्त है की तू एकदम मुँह पे ताला लगा कर रहेगी.. !! चाहे कुछ भी हो जाए, एक आवाज़ नहीं निकलेगी.. !!
भूरी – ठीक है.. !!
मैं – खा, मेरी कसम.. !!
भूरी (झिझकते हुए) – आपकी कसम.. !!
मैं भूरी को लेकर, नीचे उतरा।
मैंने इशारा कर दिया था की कोई आवाज़ ना हो।
मैं भूरी को, उसकी “माँ की चुदाई” दिखाने ले जा रहा था।
उसके बाद, मैं उसको आज की रात ही भरपूर चोद कर युवती से औरत बनाने वाला था।
दबे पाँव, हम स्टोर रूम में आ गये।
मैंने छेद में आँख लगाई तो देखा, किशोरिया एकदम नंगी हो कर चाचा के लिए जाम बना रही थी और चाचा बिस्तर पर बैठ कर, अपने हथियार में धार दे रहे थे।
किशोरिया के हाथ से ग्लास लेकर, चाचा ने साइड टेबल पर रखा और किशोरिया को अपनी तरफ खींच लिया।
किशोरिया मुस्कुराते हुए, उनके पास आ गई।
चाचा ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों “अमृत कलश” को थाम लिया और उसे सहलाते हुआ बोले – आज तो बहुत मज़ा आएगा.. !! लगता है, आज तेरी जवानी फिर से वापस आ गई है, किशोरी.. !! मां कसम, बड़ा मज़ा आ रहा है.. !!
फिर दोनों, एक दूसरे के लिप्स चूसने लगे।
मैं धीरे से हटा और भूरी को भीतर देखने का इशारा किया।
भूरी ने छेद में आँख डाल कर, देखना शुरू किया।
मैं तैयार था।
जैसे ही, भूरी ने भीतर देखा उसकी तो जैसे साँस ही रुक गई।
वो झटके से ऊपर उठी तो मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और स्टोर रूम से बाहर ले आया।
भूरी के पैरों मैं जैसे जान ही नहीं रह गई थी।
मैं उसे खींचता हुआ, थोड़ी दूर पर ले गया।
फिर, मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया।
उसने बड़ी अजीब सी नज़रों से मुझे देखा और कहा – ये क्या हो रहा था, भीतर.. !! अम्मा, कैसे मलिक के सामने ऐसे खड़ी थी और मलिक ये क्या कर रहे थे.. !!
अब मैं, वाकई दंग रह गया।
एक जवान गाँव की 16-17 साल की लड़की और उसे सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं पता।
सच में.. !! ???
मैंने भूरी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर उसके हाथ पर एक चुंबन लगा दिया और बोला – इसे ही “पलंग पोलो” कहते हैं.. !!
वो दोनों “जवानी का खेल” खेल रहे हैं। जो की हर मर्द एक औरत के साथ खेलता है।
तुम भी खेलोगी, एक दिन और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।
ये इंसान की जिंदगी का, सबसे बड़ा आनंद होता है।
और देखना चाहोगी.. !! – मैंने पूछा।
वैसे तुम्हें बता दूँ अभी तो ये बस शुरुआत ही है.. !! इस खेल में, अभी दोनों खिलाड़ी बड़े बड़े पैंतरे दिखाएँगें.. !!
भूरी के चेहरे पर, अजीब सा “भाव” था।
वो आगे बढ़ी और फिर से, छेद में आँख गड़ा कर देखने लगी।
चाचा पलंग पर पैर फैला कर बैठे थे और किशोरिया का स्तन चूस रहे थे।
एक हाथ में, एक स्तन दबोचे हुए थे और दूसरे हाथ से, उसकी गाण्ड सहला रहे थे।
उनका मुँह, दूध पीने में व्यस्त था।
किशोरिया, अपने दोनों हाथों से चाचा का लण्ड सहला रही थी।
फिर उसने अपने आप को छुड़ाया और चाचा के लौड़े पर टूट पड़ी।
उसने पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और “चुसूक चुसूक” चूसने लगी, जैसे जिंदगी में पहली बार, लोलीपोप चूस रही हो।
चाचा की आँखें आनंद से बंद हुई जा रही थीं और उनके मुँह से आनंद की सीत्कार निकल रही थी – आह ओफफ्फ़.. !! और ज़ोर से, मेरी रानी.. !! और ज़ोर से.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !!
करीब पाँच मिनट तक, ये चलता रहा।
फिर मैंने भूरी को हटाया और खुद आँख लगा के देखने लगा।
चाचा अब किशोरिया को पलंग पर लिटा कर, उसकी चूत चूस रहे थे।
तभी भूरी ने मुझे हटाया और खुद, फिर से देखने लगी।
उसका चेहरा तमतमा रहा था और उसकी साँसें तेज हो रही थीं।
मैं उसके सीने के उतार चढ़ाव को बखूबी महसूस कर रहा था।
किशोरिया भी आनंद में सरोवार थी और हल्के हल्के सिसकारियाँ ले रही थी – मालिक क क क, बहुत मज़ा जा आ रहा है.. !! आह आँह.. !! फूह यान्ह.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ उंह.. !! आआ ज़ूर से चूसो ना.. !! ये मादार चोद, हरिया तो कभी भी मेरी चूत नहीं चाटता है.. !! इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा.. !! आप ना मिले होते तो, मैं इस आनंद से वंचित ही रह जाती.. !! ओ मेरी माँ मज़ा गया, मेरे मालिक.. !! उफ्फ मा ह उंह आह.. !! आप मुझे, अपने पास ही रख लीजिए.. !! मैं आपकी दासी बन के रहूंगी, मेरे मालिक.. !! और ज़ोर से.. !! हाँ.. !! और ज़ोर से.. !! और फिर, वो चाचा के मुँह मे ही झड़ गई।
झर झर, जैसे झरना बहता है उसका रस वैसे ही फुट पड़ा और चाचा ने एक बूँद भी बाहर जाने नहीं दी।
सब का सब ही, चाट गये।
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“अमृत कलश”--2
मुझे पूरा विश्वास हो गया की सचमुच, उसे कुछ पता नहीं है।
मैंने एक प्लान बनाया और उससे बोला – एक मिनट, मेरे कमरे में बैठ और मैं अभी आता हूँ.. !!
मैं नीचे उतरा।
मुझे पता ही था की चाचा और किशोरिया के अलावा, घर मैं सिर्फ़ मैं और भूरी ही थे।
चाचा और किशोरिया की लापरवाही की मुझे पूरी आशा थी इसलिए मैंने बगल के कमरे में जा कर, दरवाजे के की होल से अंदर झाँका।
सिर्फ़ चाचा ही दिख रही थे और वो हाथ में ग्लास ले कर, पलंग पर बैठे थे।
किशोरिया, शायद नहाने गई थी।
मैं घूम कर बाथरूम के पीछे गया और खिड़की के साइड से झाँक कर देखा तो मेरा अंदाज़ा सही निकला।
किशोरिया, पूरी नंगी हो कर नहा रही थी।
बाथरूम में, कमरे की रोशनी आ रही थी।
वो पर्याप्त तो नहीं थी पर फिर भी मैं किशोरिया को उस रूप मैं देख कर पगला गया।
हाय!! क्या मस्त लग रही थी।
पानी उसके जिस्म पर गिर रहा था और पूरा बदन एकदम “मलाई मक्खन” की तरह दिख रहा था।
वो बड़ी बड़ी चूचियाँ, जो आज तक सबके लिए सपना थीं, मेरे आँखों के सामने “नंगी” थीं।
बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने आप को संभाला और और आगे बढ़ कर पीछे के स्टोर रूम में चला गया।
खोजते खोजते, मुझे दरवाजे में एक बड़ा छेद दिखाई दिया।
आँखें गड़ाई तो अंदर चाचा के कमरे का पूरा सीन दिखाई पड़ रहा था।
मेरी इच्छा तो वही रुक कर, चाचा से किशोरिया की चुदाई की पूरी फिल्म देखने का था पर ऊपर भूरी बैठी थी।
उसको चोदने की इच्छा, इस फिल्म से ज़्यादा मायने रखती थी।
मैं ये सोच रहा था की भूरी को कैसे पटाया जाए।
वो तो सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं जानती थी।
जब ऊपर पहुँचा तो देखा, वो मेरे कमरे पर कुर्सी पर बैठी है।
मैंने उससे, बात चीत शुरू की।
मैं – भूरी और सुना.. !! आज कल, क्या हो रहा है.. !!
भूरी – कुछ नहीं.. !! बस, ऐसे ही.. !!
मैं – तो सारा दिन बस मटरगस्ति हो रही है.. !! पढ़ाई लिखाई का क्या हुआ.. !!
भूरी – नहीं.. !! अब, मैं स्कूल नहीं जाती.. !! घर पर ही रहती हूँ.. !!
मैं धीरे से उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधों पर हाथ रख कर बोला – और सेक्स.. !! कभी सेक्स किया है.. !!
भूरी – क्या बोले.. !! मैं कुछ समझी नहीं.. !!
मैं – तुझे सेक्स के बारे में, कुछ नहीं पता.. !!
भूरी – नहीं.. !! ई क्या होता है.. !!
मैं – वो जिंदगी का सबसे बड़ा आनंद होता है.. !! अच्छा, एक बात बता.. !! तेरे माँ बापू, तेरी शादी की बात नहीं करते.. !!
भूरी (शरमाते हुए) – हाँ करते हैं ना.. !! जब तब, मुझे टोकते रहते हैं.. !! ये मत करो, वो मत करो.. !! अब तेरी शादी होने वाली है.. !! वहाँ ससुराल में, यही सब करेगी क्या.. !! ऐसे.. !! मेरे को तो, उसकी कोई बात ही समझ में नहीं आती है.. !!
मैंने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा और उसे अपने बाहों में भर कर बोला – तू तो बहुत भोली है.. !!
इतनी बड़ी हो गई पर है बिल्कुल बच्ची ही.. !!
वो मेरे से चिटक गई और गुस्से से बोली – मैं बच्ची नहीं हूँ.. !!
मैंने कहा – अच्छा.. !! और हँसने लगा।
तो उसने तुरंत साँस भर कर अपना सीना फूला लिया और बोली – देखो.. !! क्या मैं बच्ची लगती हूँ.. !! नहीं ना.. !! मैं अब बड़ी हो गई हूँ.. !!
मैंने हंसते हंसते, उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसका सिर चूम लिया।
मैंने फिर धीरे धीरे उसके होठों पर एक छोटा सा किस किया तो वो बोली – छोड़िए ना.. !! क्या करते हो.. !!
मैंने उससे कहा – तुम बड़ी तो हो गई हो.. !! पर, अब तुम्हें बड़े वाले काम भी करने होंगे.. !! वो मेरी तरफ देखने लगी.. !!
मैंने पूछा – सच बता, कभी क्या तूने अपने अम्मा बाबूजी को “पलंग पोलो” खेलते देखा है.. !!
भूरी – क्या.. !! मैं समझी नहीं.. !!
मैं – तेरे अम्मा बाबूजी, रात को साथ सोते हैं.. !!
भूरी – हाँ.. !!
मैं – तो फिर, तू कहाँ सोती है.. !!
भूरी – बगल वाले, कमरे में.. !!
मैं – तूने कभी रात को अम्मा बाबूजी के कमरे में उनको बिना बताए, झाँक कर देखा है.. !!
भूरी – नहीं.. !! मैं जब रात को सोती हूँ तो फिर सुबह ही मेरी नींद खुलती है, वो भी अम्मा के जगाने पर.. !! बहुत चिल्लती है, वो.. !! कहती है की मैं एकदम बेहोश सोती हूँ.. !! रात को कोई अगर, मेरा गला भी काट जाएगा तो मुझे पता भी नहीं चलेगा.. !! और वो हंसने लगी।
मैंने अपना जाल फेंका – तू जानना चाहेगी की रात को तेरे सोने के बाद, तेरे अम्मा बाबूजी कैसे “पलंग पोलो” खेलते हैं.. !!
भूरी – सच में, आप मुझे दिखाएँगें.. !!
मैं – हाँ!! पर एक शर्त है की तू एकदम मुँह पे ताला लगा कर रहेगी.. !! चाहे कुछ भी हो जाए, एक आवाज़ नहीं निकलेगी.. !!
भूरी – ठीक है.. !!
मैं – खा, मेरी कसम.. !!
भूरी (झिझकते हुए) – आपकी कसम.. !!
मैं भूरी को लेकर, नीचे उतरा।
मैंने इशारा कर दिया था की कोई आवाज़ ना हो।
मैं भूरी को, उसकी “माँ की चुदाई” दिखाने ले जा रहा था।
उसके बाद, मैं उसको आज की रात ही भरपूर चोद कर युवती से औरत बनाने वाला था।
दबे पाँव, हम स्टोर रूम में आ गये।
मैंने छेद में आँख लगाई तो देखा, किशोरिया एकदम नंगी हो कर चाचा के लिए जाम बना रही थी और चाचा बिस्तर पर बैठ कर, अपने हथियार में धार दे रहे थे।
किशोरिया के हाथ से ग्लास लेकर, चाचा ने साइड टेबल पर रखा और किशोरिया को अपनी तरफ खींच लिया।
किशोरिया मुस्कुराते हुए, उनके पास आ गई।
चाचा ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों “अमृत कलश” को थाम लिया और उसे सहलाते हुआ बोले – आज तो बहुत मज़ा आएगा.. !! लगता है, आज तेरी जवानी फिर से वापस आ गई है, किशोरी.. !! मां कसम, बड़ा मज़ा आ रहा है.. !!
फिर दोनों, एक दूसरे के लिप्स चूसने लगे।
मैं धीरे से हटा और भूरी को भीतर देखने का इशारा किया।
भूरी ने छेद में आँख डाल कर, देखना शुरू किया।
मैं तैयार था।
जैसे ही, भूरी ने भीतर देखा उसकी तो जैसे साँस ही रुक गई।
वो झटके से ऊपर उठी तो मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और स्टोर रूम से बाहर ले आया।
भूरी के पैरों मैं जैसे जान ही नहीं रह गई थी।
मैं उसे खींचता हुआ, थोड़ी दूर पर ले गया।
फिर, मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया।
उसने बड़ी अजीब सी नज़रों से मुझे देखा और कहा – ये क्या हो रहा था, भीतर.. !! अम्मा, कैसे मलिक के सामने ऐसे खड़ी थी और मलिक ये क्या कर रहे थे.. !!
अब मैं, वाकई दंग रह गया।
एक जवान गाँव की 16-17 साल की लड़की और उसे सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं पता।
सच में.. !! ???
मैंने भूरी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर उसके हाथ पर एक चुंबन लगा दिया और बोला – इसे ही “पलंग पोलो” कहते हैं.. !!
वो दोनों “जवानी का खेल” खेल रहे हैं। जो की हर मर्द एक औरत के साथ खेलता है।
तुम भी खेलोगी, एक दिन और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।
ये इंसान की जिंदगी का, सबसे बड़ा आनंद होता है।
और देखना चाहोगी.. !! – मैंने पूछा।
वैसे तुम्हें बता दूँ अभी तो ये बस शुरुआत ही है.. !! इस खेल में, अभी दोनों खिलाड़ी बड़े बड़े पैंतरे दिखाएँगें.. !!
भूरी के चेहरे पर, अजीब सा “भाव” था।
वो आगे बढ़ी और फिर से, छेद में आँख गड़ा कर देखने लगी।
चाचा पलंग पर पैर फैला कर बैठे थे और किशोरिया का स्तन चूस रहे थे।
एक हाथ में, एक स्तन दबोचे हुए थे और दूसरे हाथ से, उसकी गाण्ड सहला रहे थे।
उनका मुँह, दूध पीने में व्यस्त था।
किशोरिया, अपने दोनों हाथों से चाचा का लण्ड सहला रही थी।
फिर उसने अपने आप को छुड़ाया और चाचा के लौड़े पर टूट पड़ी।
उसने पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और “चुसूक चुसूक” चूसने लगी, जैसे जिंदगी में पहली बार, लोलीपोप चूस रही हो।
चाचा की आँखें आनंद से बंद हुई जा रही थीं और उनके मुँह से आनंद की सीत्कार निकल रही थी – आह ओफफ्फ़.. !! और ज़ोर से, मेरी रानी.. !! और ज़ोर से.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !!
करीब पाँच मिनट तक, ये चलता रहा।
फिर मैंने भूरी को हटाया और खुद आँख लगा के देखने लगा।
चाचा अब किशोरिया को पलंग पर लिटा कर, उसकी चूत चूस रहे थे।
तभी भूरी ने मुझे हटाया और खुद, फिर से देखने लगी।
उसका चेहरा तमतमा रहा था और उसकी साँसें तेज हो रही थीं।
मैं उसके सीने के उतार चढ़ाव को बखूबी महसूस कर रहा था।
किशोरिया भी आनंद में सरोवार थी और हल्के हल्के सिसकारियाँ ले रही थी – मालिक क क क, बहुत मज़ा जा आ रहा है.. !! आह आँह.. !! फूह यान्ह.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ उंह.. !! आआ ज़ूर से चूसो ना.. !! ये मादार चोद, हरिया तो कभी भी मेरी चूत नहीं चाटता है.. !! इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा.. !! आप ना मिले होते तो, मैं इस आनंद से वंचित ही रह जाती.. !! ओ मेरी माँ मज़ा गया, मेरे मालिक.. !! उफ्फ मा ह उंह आह.. !! आप मुझे, अपने पास ही रख लीजिए.. !! मैं आपकी दासी बन के रहूंगी, मेरे मालिक.. !! और ज़ोर से.. !! हाँ.. !! और ज़ोर से.. !! और फिर, वो चाचा के मुँह मे ही झड़ गई।
झर झर, जैसे झरना बहता है उसका रस वैसे ही फुट पड़ा और चाचा ने एक बूँद भी बाहर जाने नहीं दी।
सब का सब ही, चाट गये।
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