FUN-MAZA-MASTI
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
भैया मे अब
क्या करूँ?
हेल्लो दोस्तों.. कैसे है आप सभी? आप का जय सिंह हाज़िर है अपने जीवन की घटना लेकर.. यह कहानी उन लोगों को ज्यादा पसंद आयेगी जो छोटी लड़कियों मे रूचि रखते है।
में बता दूँ कि में अंबाला का रहने वाला हूँ.. मेरी लम्बाई 5.10 है और मेरे लंड का साईज़ 6.5 इंच है और मेरी उम्र 22 साल है। मेरे घर मे हम चार लोग है में और मेरे मम्मी पापा और मेरे एक बड़ा भाई भी है।
दोस्तों में सबका दिल जीत लेता हूँ चाहे वो छोटा हो या बड़ा.. दो तीन साल पहले
संध्या दीदी और रेशमा दीदी दोनों की शादी हो गई। में थोड़ा उदास रहने
लगा..क्योंकि अब जो छूट मुझे बिना मेहनत के मिल जाती थी और अब चली गयी थी। में अब
अपनी पढाई पर ध्यान देने लगा था। एक दिन हमारे घर के सामने पापा के ही ऑफिस
के एक अंकल रहने आये.. वो दो ही लोग थे और उनकी उम्र 40 साल के आसपास होगी और उनकी छोटी बेटी नेहा.. जिसकी उम्र 19 साल होगी.. उसके माँ नहीं थी।
मुझे पापा से पता चला था कि जब नेहा 2 साल की थी तो उसकी माँ को ब्रेस्ट कैंसर हो गया था और वो उन्हे छोड़कर चली गयी। तब से अंकल ही नेहा को पाल रहे
है। पापा ने उन्हे हमारे घर खाने पर बुलाया.. हम सब मिले और साथ में डिनर किया.. अंकल थोड़े सख़्त स्वभाव के थे इसलिये नेहा बहुत ही शरीफ और
भोली किस्म की लड़की थी।
हमने डिनर किया और वो लोग अपने घर चले गये। नेहा कभी कभी हमारे यहाँ आ जाया करती थी.. क्योंकि अंकल शाम को ऑफिस से
आते थे। एक दिन पापा ने मुझसे पूछा कि क्या तुम नेहा को दोपहर मे पढ़ा दिया करोगे? मैंने कहा ठीक है तो पापा ने कहा कि तुम्हारे अंकल कह रहे थे कि वो
दिनभर ऑफिस में ही रहते है इसलिये नेहा दोपहर में आप के यहाँ चली जायेगी तो उसका भी मन लगा रहेगा और वो पढाई भी कर लेगी। अगले दिन से नेहा मेरे
पास दोपहर मे आने लगी और में उसे पढ़ाने लगा। उस समय मेरे भाई की एक कंपनी
मे जॉब लग गयी थी और वो बेंगलोर चला गया था। में उसे सारे विषय पढ़ाता था..
वो देखने में स्वीट थी.. हाईट करीब 5.2
होगी.. बूब्स अभी उगने ही चालू हुए थे। नींबू से थोड़े बड़े थे और मस्त गोरी थी.. पिंक पिंक लिप्स मस्त थे।
अब हममें अब थोड़ा खुलापन आने लगा था। हम बीच बीच मे थोड़ा मज़ाक भी कर लिया करते थे। एक दिन वो मेरे पास पढ़ने आई तो उसका मूड थोड़ा खराब था।
उसका मन पढ़ाई मे नहीं लग रहा था तो मैंने पूछा कि..
जय – नेहा क्या
हुआ? आज तुम्हारा
मन पढाई में नहीं लग रहा क्या बात है।
नेहा – कुछ नहीं
भैया सब ठीक है।
जय – कुछ तो है..
क्या अंकल ने डाटा?
नेहा – नहीं भैया..
वो क्यों डाटेंगे।
जय – फिर क्या
हुआ? आज स्कूल मे
किसी ने कुछ कहा क्या? टीचर ने डाटा क्या?
नेहा – नहीं भैया
ऐसा कुछ नहीं है.. में ठीक हूँ (मेरी तरफ देख के मुस्कुराने का नाटक करते हुये)
जय – कुछ तो बात
है बताओ ना क्या हुआ है? अब मुझे भी नहीं बतोओगी।
नेहा – भैया कुछ
नहीं है मन थोड़ा अपसेट हो रहा है।
जय – क्यों?
नेहा – भैया आप सवाल
कितना करते हो।
जय – जब तक तुम
सही जवाब नहीं दोगी.. तब तक मे पूछता रहूँगा।
नेहा – मुझे शर्म
आती है।
जय – क्यों ऐसी
क्या बात है?
नेहा – भैया कैसे
बताऊँ की..
जय – नेहा तुम
मुझे सब कुछ बता सकती हो.. हम अच्छे दोस्त भी तो है और दोस्त कोई भी बात नहीं छुपाते और एक
दूसरे की मदद करते है ये बात सुन कर नेहा थोड़ी रिलेक्स हुई।
नेहा – भैया वो बात
ऐसी है की मुझे एक बीमारी हो गयी है।
जय – कैसी बीमारी?
नेहा – भैया वो बात
ऐसी है कि आज सुबह से ही वो..
जय – हाँ बोलो..
रुक क्यों गई?
नेहा – भैया वो बात
ऐसी है कि आज सुबह से ही मेरी टॉयलेट करने वाली जगह से खून और चिपचिपा सा कुछ निकल
रहा है।
जय – हाहहहहहह।
नेहा – भैया मे
इतनी परेशान हूँ और आप हंस रहे हो.. में आप से कभी बात नहीं करूँगी। वो उठकर जाने लगी तो
मैंने उसका हाथ पकड़कर बैठा लिया।
जय – सॉरी नेहा..
ये कोई बीमारी नहीं है ये हर लड़की को होता है इसे पीरियड्स कहते है।
नेहा – अच्छा..
मतलब में बिल्कुल ठीक हूँ।
जय – एकदम ठीक..
अगर ये नहीं होता तो तुम बीमार होती।
नेहा – पर इसी ने
तो मेरा मूड एकदम खराब कर रखा है। वहां गीला गीला लग रहा है और वो मुझे बहुत परेशान कर रहा
है और में किसी को बता भी नहीं पा रही थी।
जय – यह पहली बार
होता है।
नेहा – भैया ये सब
आप को कैसे पता?
जय – मैंने अपनी
आगे की पढाई मे पढ़ा था.. जब में 12वीं में था।
नेहा – भैया मे अब
क्या करूँ?
जय – नेहा ये कुछ
दिनों में अपने आप बंद हो जायेगा। अभी के लिए तुम वहां कुछ लगा लो.. जैसे कोई साफ कपड़ा
जिससे वो उस पानी को सोख लेगा और तुम्हे ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
नेहा – भैया कैसे
लगाते है मुझे तो कुछ पता नहीं।
जय – नेहा जब
लड़की बड़ी होने लगती है तो ये सब बाते उनकी माँ उन्हे बता देती है.. अब में तुम्हारी माँ
हूँ.. क्योंकि तुमने ये बात मुझे बताई है अब में ही कुछ करता हूँ।
नेहा – ठीक है
भैया.. में अंदर गया और अपनी एक पुरानी टी-शर्ट ले आया और एक कैंची भी ले आया। मैंने नेहा से कहा कि तुम दरवाजे की कुण्डी लगा दो.. फिर
उसने वेसा ही किया।
जय – नेहा अब में
जेसा कहूँ.. वेसा ही करना।
नेहा – ठीक है
भैया..
जय – नेहा अपनी
स्कर्ट उतार दो।
नेहा – भैया ये आप
क्या कह रहे हो?
जय – नेहा तुम्हे
मुझ पर विश्वास है या नहीं?
नेहा – है भैया..
तभी तो आप को बताया।
जय – तो फिर जैसा
में कहता हूँ.. वेसा ही करो। नेहा ने अपनी स्कर्ट उतार दी और उसकी पूरी पेंटी उसके
पीरियड्स की वजह से गीली हो गयी थी।
जय – अब अपनी
पेंटी भी उतार दो।
नेहा – भैया?
जय – जैसा में
कहता हूँ वेसा करो.. सवाल मत करो। नेहा ने अपनी पेंटी भी शरमाते हुए उतार दी और उसकी 19 साल की चूत मेरे सामने थी।
उसके पीरियड्स की वजह से वहां खूब सारा खून और चिपचिपा सा कुछ लगा हुआ था। उसकी झाटें अभी बहुत छोटी थी बहुत ही हल्के
बाल थे। वो मुझे देख रही थी कि भैया मेरी चूत को देख रहे है.. वो अपना मुँह
अपने दोनों हाथों से छुपाये हुई थी।
जय – नेहा कोई
बात नहीं.. तुम बेड पर लेट जाओ।
नेहा – मुझे शर्म आ
रही है।
जय – अब कैसी
शर्म.. लेट जाओ में अभी आता हूँ। नेहा बेड पर लेट गई और में बाथरूम में जाकर थोड़ा गुनगुना
पानी ले आया नेहा बेड पर लेटी हुई थी। में उसके दोनों पैरो को पकड़कर अलग करने लगा। तो उसने उन्हे टाईट कर लिया। मैंने कहा नेहा पैरो को ढीला
करो.. तो उसने ढीला कर दिये। मैंने एक कपड़े का टुकड़ा लिया और उसको पानी
मे डूबाकर निचोड़ लिया और उसकी चूत को साफ़ करने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत को कपड़े से छुआ तो उसके बदन मे करंट दौड़ गया और उसने एकदम से अपने
पैर समेट लिए। मैंने कहा नेहा क्या हुआ?
नेहा – भैया मुझे
बहुत अजीब सा लग रहा है.. बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है।
जय – होता है जब
कोई आपके गुप्तांग को छूता है तो ऐसा लगता है। चलो अब जल्दी से पैर चोड़े करो.. मुझे और भी
काम है। मैंने जल्दी से उसकी चूत को साफ़ किया और कपड़े को उसकी चूत पर लगा दिया और ये सब करते समय मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.. पर
मैंने उसे नेहा की नज़र से छुपाकर रखा और फिर उसे पेंटी पहना दी और कहा कि में
बाज़ार जा कर तुम्हारे लिए स्टेफ्री ले आता हूँ और वो घर चली गयी और मैंने बाज़ार से स्टेफ्री ला कर उसे दे दी और कहा और चाहिये होगा तो बता देना।
उस रात मुझको नींद नहीं आ रही थी और बार बार नेहा की चूत मेरे सामने आ जाती
थी और ये सोचकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके नाम की मूठ मारी और अपने आपको शांत किया।
अब नेहा जब भी मेरे पास पढ़ने के लिए आती थी तो में उसकी चूत के बारे में सोचकर मस्त हो जाता था। फिर एक दिन नेहा पढ़ने
आई वो बड़ी खुश दिख रही थी। मैंने पूछा तो कहने लगी कि भैया मेरे पीरियड्स बंद हो गये है। तभी मेरे दिमाग़ मे एक आईडिया आया.. मुझे उसकी चूत
देखने का मन कर रहा था। मैंने कहा इतनी जल्दी कैसे बंद हो सकते है कोई
प्रोब्लम तो नहीं हो गई.. तो नेहा ने कहा..
नेहा – कैसी
प्रोब्लम भैया।
जय – जल्दी
पीरियड्स बंद होने का मतलब है तुम्हे कुछ प्रोब्लम है नहीं और तुम्हारे पीरियड्स 5 दिन और चलने चाहिये थे। असल
में उसके पीरियड्स सही टाइम पर बंद हुए थे।
नेहा – अच्छा
भैया..
जय – लगता है तुम्हारा चेकअप करना पड़ेगा..
जल्दी से अपने कपड़े उतार दो.. नेहा पहले ही डर गई थी तो उसने ज़रा भी देर ना करते हुये अपने कपड़े उतार दिए।
में उसे देखता
रहा और फिर मैंने उससे कहा कि जल्दी से लेट जाओ.. वो मेरे बिस्तर पर लेट गई और अपनी
टाँगे चोड़ी कर ली। फिर में उसके पास गया और उसकी चूत को देखने लगा और हल्के से
उसके मसाज करने लगा। वो सिसकियां भरने लगी और कहने लगी कि भैया बहुत अजीब सा लग रहा है। मैंने कहा ऐसा लगता है और फिर मुझसे रहा नहीं गया और में
उसकी चूत चाटने लगा तो वो थोड़ा घबरा गई और कहने लगी कि भैया आप ये क्या कर रहे हो। मैंने कहा में सूंघ रहा हूँ कि कही इसमें से बदबू तो नहीं आ रही
है और मेरे ऐसा करने से उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और वो आ आ की आवाज़ कर
रही थी। मैंने कहा नेहा अब थोड़ा अंदर भी चेक़अप करना पड़ेगा कि सब ठीक है या नहीं.. तो नेहा ने कहा कि आप ज्यादा अच्छे से जानते हो.. जो भी
करोगे सही करोगे।
मैंने कहा पर थोड़ा दर्द भी होगा तो उसने कहा ज्यादा तो नहीं होगा ना.. मैंने कहा नहीं और कहा कि अपनी आँखे बंद कर लो और उसने
अपनी आँखे बंद कर ली। मैंने अपना लंड निकाला और उस पर थोड़ा सा थूक लगाकर
उसकी चूत पर टिका दिया और उसके मुँह पर हाथ रखकर एक दमदार झटका लगा दिया। मेरा लंड उसकी सील को चीरता हुआ ढाई इंच अंदर चला गया और वो बहुत ज़ोर से
चीखी और उसकी आँखे एकदम फट गई और मेरे हाथ रखने की वजह से उसकी आवाज़ नहीं निकली और उसने पेट को थोड़ा ऊपर कर दिया और उसकी आँखो से आँसू आ रहे थे और
वो बेहोश हो गई। मैंने नीचे देखा तो खून ही खून था। मेरी तो फटकर चार हो गई कि कहीं मर तो नहीं गई। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह पर
पानी डाला तो वो होश मे आई और रोने लगी और कहने लगी कि भैया बहुत दर्द हो रहा है। मैंने कहा.. इतना तो होता है। लेकिन मैंने उसको उसकी चूत नहीं
दिखने दी।
फिर मैंने कहा अभी आधा काम बाकी है और मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और धक्के मारने लगा। अब उसे बहुत कम दर्द हो रहा था और
वो आ आ आ आ की आवाज निकाल रही थी। 20 मिनिट तक उसकी चुदाई के बाद में झड़ गया और मैंने अपना माल बाहर निकाल दिया और इस दोरान उसने मेरा लंड देख लिया
और पूछा कि भैया ये क्या है? मैंने कहा हम लड़को के पास ये औजार होता है जिससे हम लड़कियों का चेक़अप कर सकते है। तो उसने कहा कि भैया क्या में इसे
छू सकती हूँ? मैंने कहा
हाँ ठीक है तो वो मेरा लंड हाथ में लेकर देखने लगी और कहने लगी कि भैया ये तो बहुत गर्म है तो मैंने कहा अभी अभी तुम्हारा
चेकअप किया है ना इसलिये थक गया है। फिर नेहा ने अपने कपड़े पहने और फिर अपने घर चली गई। अब तो उसका एक महीने में दो चार बार चेकअप जरूर हो जाता
है ।।
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