Wednesday, October 14, 2015

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..34

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..34



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अब आगे
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कमरे में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था...उसकी मद्धम रोशनी में अंजलि नंगी लेटी हुई अपनी चूत अजय से चटवा रही थी...अनिल की नींद शायद कोई सपने की वजह से या फिर अंजलि और अजय की आवाज़ सुनकर खुली थी..एक तो नशे की हालत और उपर से मद्धम रोशनी की वजह से वो अपनी अधखुली आँखो से कुछ देखने की कोशिश कर रहा था..पर पूरी कोशिश करने के बाद भी उसकी पलकें खुल ही नही पा रही थी.

अंजलि का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था...वैसे तो उसे अच्छी तरह से पता था की वो कुछ देर तक बैठकर सो जाएगा...लेकिन उसने वापिस सोने से पहले अगर अजय को देख लिया तो उसकी नींद और नशा एक पल में ही उड़ जाना था..इसलिए वो तुरंत उठकर बैठ गयी...और उठकर बैठे हुए अनिल के कंधे को पकड़कर उसे वापिस नीचे लिटाने की कोशिश करने लगी ...और ऐसा करते हुए उसने अपनी लात से धक्का देकर अपनी चूत चूस रहे अजय को भी नीचे की तरफ धकेल दिया..

अजय को जब एकदम से अंजलि की ये हरकत महसूस हुई तो उसे बड़ा गुस्सा आया,क्योंकि अभी तक तो वो बड़े ही मज़े से उसकी चूत चाट रहा था..और जैसे ही मज़ा आने लगा,अंजलि ने उसे अपनी टाँगो से धक्का देकर बेड से नीचे खिसका दिया..और उसने ऐसा क्यो किया, जानने के लिए जैसे ही उसने अपना मुँह उपर उठाया,अनिल को बेड पर बैठा हुआ देखकर उसकी हालत बिगड़ गयी...उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी...लेकिन फिर इसे एहसास हुआ की अनिल अभी भी आधी नींद में ही उंघ रहा है..और शुक्र है नींद की वजह से उसकी नज़र अजय पर नही पड़ी..वरना काफ़ी गड़बड़ हो जाती.उसने मन ही मन अंजलि के तेज दिमाग़ की दाद दी और खुद बेड से नीचे खिसक कर दम साध कर लेट गया.बस अब वो यही चाह रहा था की अंजलि किसी तरह अपने पति को वापिस सुला दे.

पर अंजलि ने जब अनिल को ज़बरदस्ती लिटाने की कोशिश की तो उसकी आँख पूरी तरह से खुल गयी...और बगल में नंगी अंजलि को देखकर तो वो जैसे नींद से जागा..और हैरान होते हुए बोला : "अंजलि....ये ...ये क्या...तुम ऐसी हालत में ...''

अंजलि : "ओफफो....यही तो प्राब्लम है तुम्हारी...पीने के बाद पता नही क्या हो जाता है....अभी खुद ही तो मुझे नंगी होने के लिए कह रहे थे...अपने आप को भी तो देखो...अपने कपड़े भी उतार चुके हो तुम...अब ऐसे में तुम्हे मना करू तो गालियां सुनने को मिलती है...और कपडे उतार दूँ तो ऐसे शॉक लग रहा है जैसे तुम्हारे लिए नही बल्कि और किसी के लिए नंगी हुई हूँ ...''

नीचे लेटे हुए अजय की हँसी निकलते-2 बची अंजलि की बाते सुनकर..अब रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद अंजलि अपने हिसाब से अनिल को हेंडल कर रही थी.

और ये सब नाटक करते हुए अंजलि ने भी ये नही सोचा था जो अगले ही पल अनिल ने कह डाला

अनिल : "चल फिर...देख क्या रही है...शुरू हो जा...''

अंजलि की आँखे फैल गयी...अब वो खुद ही अपनी बात में फँस चुकी थी..भले ही अनिल अभी पूरे होश में नही था...लेकिन उसे अब मना करके गुस्सा चढ़ाकर वो उसे पूरी तरह से होश में नही लाना चाहती थी...वैसे भी जिस दिन वो बिना पीए सोता था,चुदाई भी एक तरह से नशे का ही काम करती थी उसके लिए..चोदने के बाद भी वो घोड़े बेचकर ठीक उसी तरह से सोता था जैसे दारू पीने के बाद...

अजय के लंड को अपने अंदर लेने की तड़प अंजलि से इस समय कुछ भी करवा सकती थी, इसलिए जल्द से जल्द अनिल को सुलाने के लिए उसकी बात को मानने के अलावा उसके पास कोई और चारा भी नही था..

बेचारी ने बेमन से अपना हाथ अनिल के अंडरवीयर में क़ैद उसके सोए हुए चूहे पर रख दिया..भले ही अंजलि इस वक़्त पूरी तरह से उत्तेजित थी पर अनिल तो सोया हुआ सा बैठा था वहां ..

उसके अंडरवीयर को नीचे खिसका कर अंजलि ने उसके लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाना शुरू कर दिया...पर उसमे कोई हरकत ही नही हुई...उसका 5 इंच का लंड इस वक़्त सिर्फ़ 2 इंच का माँस का टुकड़ा बनकर पड़ा था... अंजलि समझ गयी की इसे तैयार करने के लिए उसे कुछ अलग ही करना पड़ेगा...

और उसने अनिल को बेड पर लिटाया और उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...अंजलि की गर्म जीभ और रसीले होंठों की तपन से अनिल का लंड पिघल गया और धीरे-2 अपने आकार में आने लगा...एक मिनट के अंदर ही वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...

वो उसकी बॉल्स को पूरी तरह मुंह में भरकर चूसती और फिर उन्हें निकालकर उसके लंड को चूसती




अनिल का तो बुरा हाल था...उसने तो शायद सोचा भी नही था की ऐसे आधी रात के समय उसे बिन माँगे चुदाई करने को मिल जाएगी...वो अंजलि के नंगे बदन को खींच-2 कर अपने उपर लाने की कोशिश कर रहा था ताकि जल्द से जल्द उसकी चूत में लंड पेलकर उसे चोद सके...पर अंजलि के दिमाग़ में तो कुछ और ही चल रहा था...वो अपना मुँह उसके लंड से हटा ही नही रही थी... और आख़िर वही हुआ जो अंजलि चाहती थी...अनिल के लंड ने उसका साथ छोड़ दिया और वो भरभराकर झड़ गया...

अंजलि ने उसके लंड से निकले गाड़े रस को अपने मुम्मे के ऊपर निशाना लगाकर उसपर सफ़ेद बारिश करवा ली, ये उसका फेवरेट था,गर्म रस का एहसास उसे अपने बूब्स पर बहुत अच्छा लगता था



ये शायद पहली बार था अनिल के लिए भी की अंजलि ने बिना चूत में लंड लिए उसे तृप्त कर दिया था...वो अनिल का लंड अपनी चूत में खुद को मज़े देने के लिए लेती थी,पर इस वक़्त तो वो अनिल को फारिग करके उसे वापिस सुलाना चाहती थी ताकि वो अजय से मज़े ले सके..



अनिल के लंड को अच्छी तरह से सॉफ करके उसे फिर से अंडरवीयर पहना दिया अंजलि ने..और उसके कंधे पर सिर रखकर अपना नंगा जिस्म उससे चिपका कर सो गयी..

अनिल ने भी ज़्यादा सवाल करने की जहमत नही उठाई की वो क्यो बिना चुदे सो रही है ऐसे...एक तो दारू का नशा और उपर से ये क़्विक लंड चुसाई,इसके बाद तो अनिल नींद के सागर में डूबता चला गया..

सिर्फ़ एक मिनट मे ही अनिल के खर्राटे फिर से गूंजने लगे कमरे में ...और उन्हे सुनकर अजय बड़े आराम से वापिस उपर उठा अंजलि को देखने लगा जो अपने नंगे बदन को अपने पति से छुड़वाने का प्रयत्न कर रही थी और वो भी बड़े आराम से ताकि उसकी नींद फिर से ना खुल जाए..

अजय को देखकर वो मुस्कुराइ और बोली : "देखा...क्या-2 करना पड़ता है...आज तो बाल-2 बच गये...''

अजय : "हाँ ....सही कहा...चलो अब यहाँ से...बाहर ही चलते है...कही फिर से इसकी नींद खुल गयी तो मुसीबत हो जाएगी...''

अंजलि : "अब ऐसा नही होगा....वैसे तो ये भी नही होना चाहिए था..लेकिन अब तो ये सुबह से पहले उठने वाला नही है....चलो अब...जल्दी से आओ...देखो . कैसी आग सी लगी हुई है यहाँ ...''



अंजलि ने अपनी चूत को फेलाकर दिखाया...अजय ने भी बिना कोई देरी किए अपने लंड पर थूक लगाई और उसकी टांगे फेला कर अपना लंड उसकी चूत की ओपनिंग पर लगा दिया...और उसके उपर झुकता चला गया...

अंजलि ने उसकी कमर पर अपनी टांगे बाँधी और उसे अपनी तरफ खींच लिया...और अजय का लंड तिनका-2 करके उसके अंदर समाता चला गया...




और अंत में जब अजय का लंड पूरा उसके अंदर घुस गया,तो अंजलि के मुँह से सिसकारियाँ फूट पड़ी..



''उम्म्म्ममममममममममममम ...... आआहहह ... अजय ......तुमने तो भर दिया मुझे..... . ...... इतना अंदर तक तो कोई नही गया आज तक....... आआआआआआहह ...बहुत मज़ा आ रहा है.....''

अजय ने भी इतनी गरम टनल आज तक महसूस नही की थी....अंजलि ने अंदर लेकर उसके लंड को झुलसा डाला था पूरा...

अब वो आराम-2 से उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर कर रहा था...घचा घच की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था...और अंजलि बड़े ही मज़े से अपने सोए हुए पति की बगल में टांगे चौड़ी करके सीटियाँ मारती हुई चुदवा रही थी..

अजय को आराम से चोदते देखकर अंजलि ने पोज़िशन चेंज की...और अजय को नीचे लिटा कर खुद उपर आ गयी...और उसके घोड़े को अंदर लेकर कमान खुद संभाल ली और अब अपने हिसाब से तेज़ी के साथ चुदवाने लगी..


उसके भरे हुए मुम्मे अजय की आँखो के सामने डांस कर रहे थे...जिन्हे अपने हाथों में दबोच कर वो उसकी गर्मी को शांत करने का असफल प्रयास कर रहा था...पर वो नही जानता था की ये मुम्मे और उनपर लगे निप्पल अंजलि का सेंसेटिव पॉइंट है....उनपर अजय के हाथों का कडकपन महसूस करते ही वो और तेज़ी से उछलने लगी....बड़बड़ाने लगी...चुदवाने लगी..

''आआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफ फफफफफफफ्फ़ ...... अजय ........................ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... मज़ा आ गया....... अहह .......ऐसे ही चोदो मुझे ...... आआहहह क्या लंड है तुम्हारा......... उफफफफफफफ्फ़ ... इतना लंबा ...... इतना कड़क ........म्*म्म्मममममममममममम फककक मिईीईई अजयssssssssss....फककक मी........''

और आख़िरी में झड़ते हुए अंजलि ने उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ऐसे निचोड़ डाला जैसे कोई नींबू को मसलता है.....और उसका रस अपनी चूत की डिब्बी में क़ैद करके वो अजय के उपर लूड़क गयी...

और फिर उसके लंड को बाहर निकाल कर उसके गर्म पानी से अपने मुम्मे को सींच डाला अंजलि ने , और बाद में उसके लंड को मुंह में लेकर साफ़ सुथरा करके चमका डाला





और ना जाने कितनी देर तक वो दोनो चिपके रहे...तूफान जब शांत हुआ तो अजय की नज़र दीवार घड़ी पर गयी...रात के 2 बज रहे थे....वैसे तो उसे कोई जल्दी नही थी,फिर भी वापिस तो जाना ही था ना..


उसने कपड़े पहने और जाने के लिए तैयार हो गया...अंजलि ने अभी तक कोई कपड़ा नही पहना था...वो उससे बाते करती रही...उसके लंड और चुदाई के स्टाइल की तारीफ करती रही , आगे मिलने के प्लान बनाती रही...ऐसे ही नंगी खड़ी रहकर..



अगली बार जल्द ही मिलने का वादा करके और अंजलि के शरीर को एक बार और अच्छी तरह से सहलाने और चूमने के बाद वो वापिस अपने घर की तरफ निकल पड़ा..

आज की रात जैसा एडवेंचर उसने आज तक महसूस नही किया था...और जिस तरह वो पकड़े जाने से बाल-2 बचा था वो भी उसे सारी उम्र याद रहने वाला था...

लेकिन वो ये नही जानता था की इस रात ने उसे और क्या-2 रंग दिखाने थे... 


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