FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--22
टावर मे पहला कदम रखते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया ! उसके बाद मदनलाल ने कमरे की लाइट जला दी , कामया ने ससुर को देखा तो स्तब्ध रह गई मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था और अपने औजार को मसल रहा था !
अब आगे - - -
मदनलाल के फुफ्कार मारते कोबरा को देखकर ही कामया मदहोश होने लगी ! वो आते समय सोच रही थी क़ि बाबूजी को समझा बुझा कर वापसा लौट आउन्गि किंतु मदनलाल का औजार आँख के सामने आते ही उसकी सब समझ हवा हो गई !
वैसे तो बहू बहुत सभ्य और संस्कारी थी किंतु मदनलाल के हथियार को देख कर उसकी सारी समझ और सयानपन गायब हो जाता था ! वो सोचने लगी कितना ज़मीन आसमान का अंतर है सुनील और बाबूजीके अंगों मे ! कहाँ सुनील का पिद्दी सा खिलोना और कहाँ बाबूजी का फौलादी हथियार !उधर बाबूजी के घस्से मारने के कारण सारा खून शिश्ण् मुण्ड मे जमा हो गया था जिससे वो बिल्कुल लाल टमाटर जैसा दिख रहा था ! कामया अपलक बाबूजी के अंग को सम्मोहित सी देखे जा रही थी क़ि तभी मदनलाल ने उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर लिया ! अगले ही पल कामया के रसीले होंठ मदनलाल के प्यासे होंठों मे थे और मदनलाल का एक हाथ कामया के चुचे पर था ! वो दोनो बरसों के प्यासे प्रेमियों की तरह एक दूसरे से लिपट गये !मदनलाल कभी एक चुचि दबाता कभी दूसरी चुचि दबाता ,कभी बहू की विशाल चौड़ी गांद सहलाता तो कभी उसकी मांसल चिकनी जांघों को सहलाता ! उसे दो हाथ कम पड़ रहे थे !कामया पर भी अब पूरा खुमार चॅड गया था ! उसका पूरा बदन तपने लगा ,नाक से गरम साँसे निकल रही थी और मुँह से मादक कराहें निकल रही थी जब वासना सीमा से आगे बॅड गई तो उसने अपना हाथ नीचे किया और ससुर के कोबरा का फन पकड़ लिया !अब सिसकने की बारी मदनलाल की थी कामया पूरी ताक़त से कोबरा का गला घोटने लगी और ससुर साहब केवल मुँह खोले रहे गये ! पूरे कमरे मे वासना का तूफान आ चुका था ! जब माहौल संभालना मदनलाल के लिए असंभव हो गया तो उसने कामया को नंगी करने की सोची !
मदनलाल ने धीरे से बहू की मेक्शी उतार दी अंदर से तो वो पहले से ही नंगी थी ! बहू का कोमल ,मलाई सा बदन का स्पर्श पाते ही ससुर बावरा सा हो गया वैसे भी आज तीन दिन बाद बहू के साथ एकांत वास मिला था !मदनलाल बुरी तरह उसकी नाज़ुक काया का मर्दन करने लगा खास कर बहू के नितंबों पर तो वो एकदम जालिम हो जाता ! कामया की कंचन काया से खेलते खेलते अचानक उसने उसकी तर्जनी उंगली को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगा !कुछ देर तक तो कामया को कुछ समझ नही आया किंतु फिर उसे समझ आया क़ि ससुर शायद उसे ब्लो जॉब करने का इशारा कर रहे हैं !ये ध्यान आते ही वो बाबूजी के नंगे मगर कठोर जिस्म का सहारा लेती हुई घुटनो के बल बैठ गई और झट से लॅंड को मुँह मे भर लिया !सूपड़ा बहू के गर्म मुँह मे जाते ही ससुर भी बेसूध होने लगा कामया एक एक्सपर्ट की तरह लॅंड को चूसने लगी !पूरे टावर मे केवल मदनलाल की आहें सुनाई दे रही थी थोड़ी देर तक ससुर बर्दास्त करता रहा फिर उसने उठाकर बहू को वहीं पर लेटा दिया और 69 पोज़िशन बना ली !
अब मुकाबला बराबरी का था ! दोनो एक दूसरे के प्राइवेट अंगों से खेलने लगे दोनो ही एक दूसरे को अधिक से अधिक खुशी देने के लिए जी जान लगा रहे थे ! ठरक जब बॅड गई तो कामया को चूसना छोड़ना पड़ा क्योंकि बाबूजी अब खुद उसके मुँह को चोद रहे थे ! कामया चुपचाप लेटी हुई अपने दोनो तरफ से आनंद बटोर रही थी !उत्तेजना ,वासना और रोमांच मे मदनलाल ये भी भूल गया क़ि वो बहू का मुँह चोद रहा है और उसने बेख़बरी मे बहू के मुँह मे ही सारा माल गिरा दिया ! स्खलन के समय उसने अपना लंबा औजार गहराई तक बहू के गले मे उतार दिया जिससे कामया को भी सारा माल पीना पड़ गया !कुछ देर बाद जब दोनो का खुमार उतरा तो दोनो अलग अलग हुए बहू ने मेक्शी पहनते हुए कहा --
कामया :::: बाबूजी आप बहुत गंदे हो ! आपने हमारी कसम तुड़वा दी ?
मदनलाल ::: क्यों ऐसा क्या किया हमने ?
कामया ::: हमने तय किया था क़ि जब तक आपसे हमारा गर्भ नही ठहर जाता हम आपका पानी नही पिएँगे मगर अपने ज़बरदस्ती पिला दिया !! आप बहुत गंदे हो हम आपसे गुस्सा हैं !! बहू को यों इतलाते देख मदनलाल ने उसका क्यूट चेहरा अपने हाथों मे लिया और बोला -
मदनलाल ::: पगली तू चिंता क्यों करती है ? तू तो कबका पेट से हो गई होगी ! हम एक महीने से मेहनत कर रहे हैं अब काहे चिंता करती है ! अभी कुछ ही दिन मे तू हमे खबर देगी की बाबूजी आप बाप बनने वाले हैं ! बाबूजी के मुख से बाप बनने की बात सुनकर कामया ने शर्म से अपना चेहरा छिपा लिया फिर कुछ देर बाद धीरे से बोली -
कामया ::: आप बाप नही दादा बनेगें ! दुनिया के सामने जो सच है वही रिश्ता रखना पड़ेगा समझे बुद्धू कहीं के
अब दोनो ने एक दूसरे की तरफ चेहरा कर लिया और एक दूसरे को चूमने लगे ! काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे तब कहीं अचानक कामया को ध्यान आया क़ि वो टावर मे है और नीचे सुनील सो रहा है ! उसने जल्दी से अपने को छुड़ाया और कपड़े पहन कर जाने लगी !मदनलाल ने रोकते हुए कहा - -
मदनलाल ::: प्लीज़ थोड़ा और रूको ना !
कामया ::: नो नो एक मिनिट भी नही !नीचे आपके साहबजादे कहीं उठ गये तो ? आपको ठंडा तो कर दिया ना बस अब चुपचाप जाके सो जाइए !
दूसरे दिन सुनील दिन भर घर पर ही रहा जिससे ससुर बहू एक दूसरे का साथ पाने के लिए तरसते रहे तीसरे दिन भी सुनील घर पर ही रहा तो दोनो बहुत परेशान हो गये ! रात को चारों डिनर कर रहे थे की तभी शांति बोली - -
शांति ::: सुनील बेटा तुम्हे तो परसों जाना हैं ना ?
सुनील :: हाँ मम्मी कोई काम है क्या ?
शांति ::: बेटा मैं सोच रही हूँ कल तेरी मौसी के वहाँ हो आते हैं ! वो कई बार कह रही थी क़ि सुनील को तो शादी के बाद से देखा ही नही ! कभी यहाँ आई भी तो सुनील तो मुंबई मे ही रहा ! सुबह आठ बजे चले जाएँगे तो रात आठ बजे तक वापस आ जाएँगे ! क्यों ठीक है ना ??
सुनील :: ठीक है माजी
शांति की बातें सुन मदनलाल और कामया का दिल बल्लियों उछालने लगा दोनो कनखियों से एक दूसरे को देखने लगे और मुस्कराने लगे !
दूसरे दिन सुबह से ही ससुर बहू बहुत खुश दिख रहे थे ! आज वो दिन भर अकेले रहने वाले जो थे ! जब से सुनील आया था दोनो खुल के मिल ही नही पा रहे थे जब भी मिले क्विकि ही हो पा रहा था मदनलाल बिल्कुल भी फोरप्ले नही कर पा रहा था सो आज वो तस्सली से चुदाई के मूड मे था खुद कामया भी बहुत उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी ! आज उसने उठते ही बहुत ही सेक्सी साड़ी पहन ली थी जिसका बेक बहुत ही खुला हुआ था मदनलाल की नज़र सुबह से ही उसकी तराशी हुई बलखाती पीठ पर टिकी थी !
सुबह शांति और सुनील चले गये मदनलाल और कामया भी उन्हे बस मे बैठाने गये ! घर आते ही मदनलाल ने कमरा अंदर से बंद कर दिया ,कामया नहाने के लिए जा ही रही थी क़ि मदनलाल ने उसे पकड़ लिया --
कामया ::: छोड़िए ना पहले हमे नहाना है
मदनलाल ::: क्या करोगी नहा के अभी फिर गंदी हो जाओगी ?
कामया :::: धत कैसी बात करते हो ?
मदनलाल ने आव देखा ना ताव सीधे बहू को गोद मे उठा लिया और ले जाकर उसके बिस्तर मे पटक दिया ! धम्म से गिरी कामया के मुख से कराह निकल गई ! ससुर ने फ़ौरन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बहू कनखियों से उसे देखने लगी एक मिनिट मे ही मदनलाल अपने फ़ौजी बदन के साथ बिल्कुल नंगा कामया के साथ खड़ा था ! कामया ने शरम से मुख नीचे कर लिया !ये स्त्री का स्वाभाव ही है क़ि जिससे से चुदने जाती है उससे भी शरमाती रहती है ! अब मदनलाल ने बहू को पकड़ा और उसे भी अपने समान करने लगा ! कामया बस हल्का सा ना नुकुर ही करती रह गई और ससुर ने उसे बिल्कुल निर्वस्त्र कर दिया ! बहू के हाहकारी बदन को देख मदनलाल का लहू कुलाँचे भरने लगा ! वो उसके बुरे बदन को चूमने लगा !वैसे भी मदनलाल को कामया को चोदने से ज़्यादा आनंद उसके सेक्सी बदन के साथ चूमा चाटी करने मे आता था ! वो बारी बारी से बहू के मम्मे पीने लगा जबकि उसके हाथ बहू की उभरी गांद और उसकी गुदाज जांघों के सैर कर रहे थे ! फोर प्ले का असर बहू पर भी तुरंत पड़ने लगा उसके मुँह से मादक कराहें निकालने लगी वो बार बार अपनी जांघों को रगड़ने लगी !कई दिन बाद आज उसके बदन की सही मसाज हो रही थी वो भी ससुर की पीठ सहलाने लगी !जब मदनलाल ने उसकी चुत मे अपनी जीभ लगाई तो बहू का पूरा शरीर झनझना गया ! मदनलाल अब उसके बदन मे आग लगा रहा था ! बेड रूम मे अब बहू की सिसकारियाँ और सांसो का सैलाब आ गया था !वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी लेकिन जब उससे सहन करना मुश्किल हो गया तो शरमाते हुए बोली - -
कामया :::: बाबूजी प्लीज़ अब आ जाइए !!!
मदनलाल ::: आ जाइए मतलब ? हम तो यही हैं !! हालाकी वो समझ गया था क़ि बहू क्या कहना चाह रही है
कामया ::: आइ मीन कम ओवर मी ! आइ वांट टू फील यू इनसाइड मी
मदनलाल :::: ये का इंग्लीश बड़बड़ा रही हो हिन्दी मे बोलो ?
कामया ::: अरे यार प्लीज़ हमारे उपर आइए और अब करिए ना
मदनलाल ::: क्या करें ? बाबूजी की बातों से कामया झल्ला गई और ज़ोर से बोली
कामया ::: चोदिये अपनी बहू को और क्या करोगे !
मदनलाल ::: हाँ तो ऐसे बोलो ना जब बोलॉगी तभी ना करेंगे ! फिर मदनलाल उपर आ गया और बहू की टाँग मोड़ अपने मूसल को सुराख मे फिट कर अक करारा शॉट मार दिया ! पक्क की आवाज़ के साथ मूसल चुत को चीरता हुआ अंदर दाखिल हो गया ! पहले शॉट मे ही आधे से ज़्यादा घुस गया था बाकी का मदनलाल दो और धक्कों मे अंदर कर दिया! अब हथियार जड़ तक अंदर था और बहू मुँह भींचे उसे अड्जस्ट कर रही थी !
फिर मदनलाल ने दनादन बेटिंग चालू कर दी पूरे कमरे मे सेक्स का तूफान आ चुका था दस मिनिट की भीसन चुदाई के बाद मदनलाल ने बेटिंग बंद कर दी जितना रन लेना था वो ले चुका था इसी बीच कामया भी दो बार आउट हो चुकी थी !लगभग दो घंटे दोनो सोते रहे उसके बाद जब कामया उठ के नहाने के लिए जाने लगी तो मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ लिया --
कामया ::: अब क्या है ?नहाने जाना है
मदनलाला :::: इतनी जल्दी क्या है आराम से जाना ? हमे भी तो नहाना है
कामया ::: मुझे खाना भी तो बनाना है आपके जैसे फ़ुर्सत मे नही हूँ
मदनलाल ::: जान आज तो हम भी फ़ुर्सत मे नही रहेंगे
कामया ::: क्यों आपको कहीं जाना है क्या ? बहू ने चौंकाते हुए पूछा
मदनलाल ::: जाना तो नही है लेकिन आज दिन भर तुम्हारे साथ मेहनत करनी है
ससुर की बात सुनकर बहू शर्मा गई और उसको जीभ दिखाकर भाग गई
नहा धो के कामया खाना बनाने लगी मगर पूरे समय ससुर उसे छेड़ता रहा और वो भी उसकी हरकतों से एक मिनिट भी शांत नही रह पाई ! सारे समय उसकी जांघों मे गंगा जमुना बहती रही और वो किसी तरह अपने को काबू मे रखे रही ! खाना खाने के बाद मदनलाल उसे गोद मे उठा कर सीधा बेडरूम मे ले गया ! पिछली चुदाई के बाद लगभग चार घंटे हो गये थे और उसका बाबूराव एक बार फिर टनटना गया था ! बेड मे पटकते ही उसने बहू की धुआँधार चुदाई शुरू कर दी एक बार फिर ""मदनलाल निकेतन"" अपनी सेक्सी बहू की कामुक ध्वनियों से गूँज उठा !
बहू गति के तीसरे नियम को सार्थक कर रही थी और बाबूजी के हर धक्के का जवाब उतनी ही ताक़त से विपरीत दिशा मे दे रही थी ! दस मिनिट बाद जब तूफान थमा तो दोनो निढाल हो कर बिस्तर मे सो गये ! दोनो लगभग चार घंटे तक एक दूसरे की बाहें थामे सोते रहे शाम के लगभग पाँच बजे होंगे जब शांति की कॉल से उनकी नींद टूटी !शांति ने बताया क़ि थोड़ी देर बाद वो चलने वाले हैं मतलब अभी लगभग तीन घंटे से उपर बचे थे ! नींद खुलने से मदनलाल को ऐसा लगा जैसे बाहर टॅप टॅप की अव्वाज़ आ रही है वो उठा और बरामदे मे जाकर देखा तो बारिस हो रही थी शाम का हल्का सा अंधेरा था !अंदर आके देखा तो कामया अभी भी नंगी ही पड़ी थी हालाकी उसकी नींद खुल चुकी थी ! अचानक मदनलाल के दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया उसने बहू को गोद मे उठाया और सीधा बरामदे मे पहुँच गया ! पानी की बूंदे पड़ते ही कामया ने अपने को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन फ़ौजी की ताक़त के सामने सब बेअसर था ! आख़िर वो जब पूरेई तरह भीग गई तो उसने अपने आप विरोध छोड़ दिया !पानी की बूंदे बहू के मखमली जीश्म पर मोतियों सी चमक रही थी ! पानी मे भीगती बहू गजब की सुंदर और सेक्सी लग रही थी ! बारिस मे भीगती जवानी को भोगना बाबूजी का कई वरसो का सपना था ! उसे ऐसा लग रहा था मानो टॅप टॅप बरसा पानी पानी ने आग लगाई गाने की शूटिंग चल रही है !अपने नंगे भीगे बदन को घूरते देख कामया बोल पड़ी
कामया ::: बाबूजी आपने हमे भिगा दिया अब हमारे बाल नही सूखेंगे तो हम मम्मी को क्या जवाब देंगे ?
मदनलाल ::: अरे कह देना आज हमने शाम को नहाया बस ! आज हम अपना एक सपना पूरा करेंगे
कामया ::: कौन सा सपना बाबूजी ??
मदनलाल ::: बारिस मे भीगती लड़की को चोदने का ! अब हम तुम्हे यहीं बरसते पानी मे पटक के चोदेन्गे समझी !!!
कामया बाबूजी के मुख से पटक के चोदेन्गे सुन कर अवाक रह गई किंतु वो खुद इस अनुभव को पाने के लिए बेकरार हो गई !! मदनलाल ने बहू को बारिस मे ही नीचे लिटा दिया और उसके हसीन जीशम से खेलने लगा ! जब उसने बहू की टाँग चौड़ी की तो ससुर से पहले पानी की बूँद बहू के अंदर जाने लगी ! ठंडी ठंडी बूंदे अंदर जाकर बहू के शरीर मे आग लगा रही थी ! मदनलाल ने अपने को केँची आसान मे फिट किया फिर हल्का सा पुश कर दिया और अगले ही पल कामया के मुख से जोरदार सिसकारी निकल गई जो बारिस की आवाज़ मे कहीं खो गई !बारिश ल्यूब्रिकेशन का काम कर रही थी जिससे मदनलाल और तेज़ी से अपने को अंदर बाहर कर रहा था !खुले बरामदे मे ससुर बहू वासना मे खो गये थे वो तो अच्छा था क़ि आजू बाजू मे कोई लगा हुआ मकान नही था वरना ना जाने कौन कौन शूटिंग देख लेता ! मदनलाल करीब दस मिनिट तक बहू को पेलता रहा इस दरमियाँ उसने बहू को डोगी भी बनाया और आख़िर मे डोगी पोज़ मे ही बहू को भर दिया !
?
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
बहकती बहू--22
टावर मे पहला कदम रखते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया ! उसके बाद मदनलाल ने कमरे की लाइट जला दी , कामया ने ससुर को देखा तो स्तब्ध रह गई मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था और अपने औजार को मसल रहा था !
अब आगे - - -
मदनलाल के फुफ्कार मारते कोबरा को देखकर ही कामया मदहोश होने लगी ! वो आते समय सोच रही थी क़ि बाबूजी को समझा बुझा कर वापसा लौट आउन्गि किंतु मदनलाल का औजार आँख के सामने आते ही उसकी सब समझ हवा हो गई !
वैसे तो बहू बहुत सभ्य और संस्कारी थी किंतु मदनलाल के हथियार को देख कर उसकी सारी समझ और सयानपन गायब हो जाता था ! वो सोचने लगी कितना ज़मीन आसमान का अंतर है सुनील और बाबूजीके अंगों मे ! कहाँ सुनील का पिद्दी सा खिलोना और कहाँ बाबूजी का फौलादी हथियार !उधर बाबूजी के घस्से मारने के कारण सारा खून शिश्ण् मुण्ड मे जमा हो गया था जिससे वो बिल्कुल लाल टमाटर जैसा दिख रहा था ! कामया अपलक बाबूजी के अंग को सम्मोहित सी देखे जा रही थी क़ि तभी मदनलाल ने उसे खींच कर अपनी बाहों मे भर लिया ! अगले ही पल कामया के रसीले होंठ मदनलाल के प्यासे होंठों मे थे और मदनलाल का एक हाथ कामया के चुचे पर था ! वो दोनो बरसों के प्यासे प्रेमियों की तरह एक दूसरे से लिपट गये !मदनलाल कभी एक चुचि दबाता कभी दूसरी चुचि दबाता ,कभी बहू की विशाल चौड़ी गांद सहलाता तो कभी उसकी मांसल चिकनी जांघों को सहलाता ! उसे दो हाथ कम पड़ रहे थे !कामया पर भी अब पूरा खुमार चॅड गया था ! उसका पूरा बदन तपने लगा ,नाक से गरम साँसे निकल रही थी और मुँह से मादक कराहें निकल रही थी जब वासना सीमा से आगे बॅड गई तो उसने अपना हाथ नीचे किया और ससुर के कोबरा का फन पकड़ लिया !अब सिसकने की बारी मदनलाल की थी कामया पूरी ताक़त से कोबरा का गला घोटने लगी और ससुर साहब केवल मुँह खोले रहे गये ! पूरे कमरे मे वासना का तूफान आ चुका था ! जब माहौल संभालना मदनलाल के लिए असंभव हो गया तो उसने कामया को नंगी करने की सोची !
मदनलाल ने धीरे से बहू की मेक्शी उतार दी अंदर से तो वो पहले से ही नंगी थी ! बहू का कोमल ,मलाई सा बदन का स्पर्श पाते ही ससुर बावरा सा हो गया वैसे भी आज तीन दिन बाद बहू के साथ एकांत वास मिला था !मदनलाल बुरी तरह उसकी नाज़ुक काया का मर्दन करने लगा खास कर बहू के नितंबों पर तो वो एकदम जालिम हो जाता ! कामया की कंचन काया से खेलते खेलते अचानक उसने उसकी तर्जनी उंगली को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगा !कुछ देर तक तो कामया को कुछ समझ नही आया किंतु फिर उसे समझ आया क़ि ससुर शायद उसे ब्लो जॉब करने का इशारा कर रहे हैं !ये ध्यान आते ही वो बाबूजी के नंगे मगर कठोर जिस्म का सहारा लेती हुई घुटनो के बल बैठ गई और झट से लॅंड को मुँह मे भर लिया !सूपड़ा बहू के गर्म मुँह मे जाते ही ससुर भी बेसूध होने लगा कामया एक एक्सपर्ट की तरह लॅंड को चूसने लगी !पूरे टावर मे केवल मदनलाल की आहें सुनाई दे रही थी थोड़ी देर तक ससुर बर्दास्त करता रहा फिर उसने उठाकर बहू को वहीं पर लेटा दिया और 69 पोज़िशन बना ली !
अब मुकाबला बराबरी का था ! दोनो एक दूसरे के प्राइवेट अंगों से खेलने लगे दोनो ही एक दूसरे को अधिक से अधिक खुशी देने के लिए जी जान लगा रहे थे ! ठरक जब बॅड गई तो कामया को चूसना छोड़ना पड़ा क्योंकि बाबूजी अब खुद उसके मुँह को चोद रहे थे ! कामया चुपचाप लेटी हुई अपने दोनो तरफ से आनंद बटोर रही थी !उत्तेजना ,वासना और रोमांच मे मदनलाल ये भी भूल गया क़ि वो बहू का मुँह चोद रहा है और उसने बेख़बरी मे बहू के मुँह मे ही सारा माल गिरा दिया ! स्खलन के समय उसने अपना लंबा औजार गहराई तक बहू के गले मे उतार दिया जिससे कामया को भी सारा माल पीना पड़ गया !कुछ देर बाद जब दोनो का खुमार उतरा तो दोनो अलग अलग हुए बहू ने मेक्शी पहनते हुए कहा --
कामया :::: बाबूजी आप बहुत गंदे हो ! आपने हमारी कसम तुड़वा दी ?
मदनलाल ::: क्यों ऐसा क्या किया हमने ?
कामया ::: हमने तय किया था क़ि जब तक आपसे हमारा गर्भ नही ठहर जाता हम आपका पानी नही पिएँगे मगर अपने ज़बरदस्ती पिला दिया !! आप बहुत गंदे हो हम आपसे गुस्सा हैं !! बहू को यों इतलाते देख मदनलाल ने उसका क्यूट चेहरा अपने हाथों मे लिया और बोला -
मदनलाल ::: पगली तू चिंता क्यों करती है ? तू तो कबका पेट से हो गई होगी ! हम एक महीने से मेहनत कर रहे हैं अब काहे चिंता करती है ! अभी कुछ ही दिन मे तू हमे खबर देगी की बाबूजी आप बाप बनने वाले हैं ! बाबूजी के मुख से बाप बनने की बात सुनकर कामया ने शर्म से अपना चेहरा छिपा लिया फिर कुछ देर बाद धीरे से बोली -
कामया ::: आप बाप नही दादा बनेगें ! दुनिया के सामने जो सच है वही रिश्ता रखना पड़ेगा समझे बुद्धू कहीं के
अब दोनो ने एक दूसरे की तरफ चेहरा कर लिया और एक दूसरे को चूमने लगे ! काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे तब कहीं अचानक कामया को ध्यान आया क़ि वो टावर मे है और नीचे सुनील सो रहा है ! उसने जल्दी से अपने को छुड़ाया और कपड़े पहन कर जाने लगी !मदनलाल ने रोकते हुए कहा - -
मदनलाल ::: प्लीज़ थोड़ा और रूको ना !
कामया ::: नो नो एक मिनिट भी नही !नीचे आपके साहबजादे कहीं उठ गये तो ? आपको ठंडा तो कर दिया ना बस अब चुपचाप जाके सो जाइए !
दूसरे दिन सुनील दिन भर घर पर ही रहा जिससे ससुर बहू एक दूसरे का साथ पाने के लिए तरसते रहे तीसरे दिन भी सुनील घर पर ही रहा तो दोनो बहुत परेशान हो गये ! रात को चारों डिनर कर रहे थे की तभी शांति बोली - -
शांति ::: सुनील बेटा तुम्हे तो परसों जाना हैं ना ?
सुनील :: हाँ मम्मी कोई काम है क्या ?
शांति ::: बेटा मैं सोच रही हूँ कल तेरी मौसी के वहाँ हो आते हैं ! वो कई बार कह रही थी क़ि सुनील को तो शादी के बाद से देखा ही नही ! कभी यहाँ आई भी तो सुनील तो मुंबई मे ही रहा ! सुबह आठ बजे चले जाएँगे तो रात आठ बजे तक वापस आ जाएँगे ! क्यों ठीक है ना ??
सुनील :: ठीक है माजी
शांति की बातें सुन मदनलाल और कामया का दिल बल्लियों उछालने लगा दोनो कनखियों से एक दूसरे को देखने लगे और मुस्कराने लगे !
दूसरे दिन सुबह से ही ससुर बहू बहुत खुश दिख रहे थे ! आज वो दिन भर अकेले रहने वाले जो थे ! जब से सुनील आया था दोनो खुल के मिल ही नही पा रहे थे जब भी मिले क्विकि ही हो पा रहा था मदनलाल बिल्कुल भी फोरप्ले नही कर पा रहा था सो आज वो तस्सली से चुदाई के मूड मे था खुद कामया भी बहुत उत्सुकता से इंतज़ार कर रही थी ! आज उसने उठते ही बहुत ही सेक्सी साड़ी पहन ली थी जिसका बेक बहुत ही खुला हुआ था मदनलाल की नज़र सुबह से ही उसकी तराशी हुई बलखाती पीठ पर टिकी थी !
सुबह शांति और सुनील चले गये मदनलाल और कामया भी उन्हे बस मे बैठाने गये ! घर आते ही मदनलाल ने कमरा अंदर से बंद कर दिया ,कामया नहाने के लिए जा ही रही थी क़ि मदनलाल ने उसे पकड़ लिया --
कामया ::: छोड़िए ना पहले हमे नहाना है
मदनलाल ::: क्या करोगी नहा के अभी फिर गंदी हो जाओगी ?
कामया :::: धत कैसी बात करते हो ?
मदनलाल ने आव देखा ना ताव सीधे बहू को गोद मे उठा लिया और ले जाकर उसके बिस्तर मे पटक दिया ! धम्म से गिरी कामया के मुख से कराह निकल गई ! ससुर ने फ़ौरन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और बहू कनखियों से उसे देखने लगी एक मिनिट मे ही मदनलाल अपने फ़ौजी बदन के साथ बिल्कुल नंगा कामया के साथ खड़ा था ! कामया ने शरम से मुख नीचे कर लिया !ये स्त्री का स्वाभाव ही है क़ि जिससे से चुदने जाती है उससे भी शरमाती रहती है ! अब मदनलाल ने बहू को पकड़ा और उसे भी अपने समान करने लगा ! कामया बस हल्का सा ना नुकुर ही करती रह गई और ससुर ने उसे बिल्कुल निर्वस्त्र कर दिया ! बहू के हाहकारी बदन को देख मदनलाल का लहू कुलाँचे भरने लगा ! वो उसके बुरे बदन को चूमने लगा !वैसे भी मदनलाल को कामया को चोदने से ज़्यादा आनंद उसके सेक्सी बदन के साथ चूमा चाटी करने मे आता था ! वो बारी बारी से बहू के मम्मे पीने लगा जबकि उसके हाथ बहू की उभरी गांद और उसकी गुदाज जांघों के सैर कर रहे थे ! फोर प्ले का असर बहू पर भी तुरंत पड़ने लगा उसके मुँह से मादक कराहें निकालने लगी वो बार बार अपनी जांघों को रगड़ने लगी !कई दिन बाद आज उसके बदन की सही मसाज हो रही थी वो भी ससुर की पीठ सहलाने लगी !जब मदनलाल ने उसकी चुत मे अपनी जीभ लगाई तो बहू का पूरा शरीर झनझना गया ! मदनलाल अब उसके बदन मे आग लगा रहा था ! बेड रूम मे अब बहू की सिसकारियाँ और सांसो का सैलाब आ गया था !वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी लेकिन जब उससे सहन करना मुश्किल हो गया तो शरमाते हुए बोली - -
कामया :::: बाबूजी प्लीज़ अब आ जाइए !!!
मदनलाल ::: आ जाइए मतलब ? हम तो यही हैं !! हालाकी वो समझ गया था क़ि बहू क्या कहना चाह रही है
कामया ::: आइ मीन कम ओवर मी ! आइ वांट टू फील यू इनसाइड मी
मदनलाल :::: ये का इंग्लीश बड़बड़ा रही हो हिन्दी मे बोलो ?
कामया ::: अरे यार प्लीज़ हमारे उपर आइए और अब करिए ना
मदनलाल ::: क्या करें ? बाबूजी की बातों से कामया झल्ला गई और ज़ोर से बोली
कामया ::: चोदिये अपनी बहू को और क्या करोगे !
मदनलाल ::: हाँ तो ऐसे बोलो ना जब बोलॉगी तभी ना करेंगे ! फिर मदनलाल उपर आ गया और बहू की टाँग मोड़ अपने मूसल को सुराख मे फिट कर अक करारा शॉट मार दिया ! पक्क की आवाज़ के साथ मूसल चुत को चीरता हुआ अंदर दाखिल हो गया ! पहले शॉट मे ही आधे से ज़्यादा घुस गया था बाकी का मदनलाल दो और धक्कों मे अंदर कर दिया! अब हथियार जड़ तक अंदर था और बहू मुँह भींचे उसे अड्जस्ट कर रही थी !
फिर मदनलाल ने दनादन बेटिंग चालू कर दी पूरे कमरे मे सेक्स का तूफान आ चुका था दस मिनिट की भीसन चुदाई के बाद मदनलाल ने बेटिंग बंद कर दी जितना रन लेना था वो ले चुका था इसी बीच कामया भी दो बार आउट हो चुकी थी !लगभग दो घंटे दोनो सोते रहे उसके बाद जब कामया उठ के नहाने के लिए जाने लगी तो मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ लिया --
कामया ::: अब क्या है ?नहाने जाना है
मदनलाला :::: इतनी जल्दी क्या है आराम से जाना ? हमे भी तो नहाना है
कामया ::: मुझे खाना भी तो बनाना है आपके जैसे फ़ुर्सत मे नही हूँ
मदनलाल ::: जान आज तो हम भी फ़ुर्सत मे नही रहेंगे
कामया ::: क्यों आपको कहीं जाना है क्या ? बहू ने चौंकाते हुए पूछा
मदनलाल ::: जाना तो नही है लेकिन आज दिन भर तुम्हारे साथ मेहनत करनी है
ससुर की बात सुनकर बहू शर्मा गई और उसको जीभ दिखाकर भाग गई
नहा धो के कामया खाना बनाने लगी मगर पूरे समय ससुर उसे छेड़ता रहा और वो भी उसकी हरकतों से एक मिनिट भी शांत नही रह पाई ! सारे समय उसकी जांघों मे गंगा जमुना बहती रही और वो किसी तरह अपने को काबू मे रखे रही ! खाना खाने के बाद मदनलाल उसे गोद मे उठा कर सीधा बेडरूम मे ले गया ! पिछली चुदाई के बाद लगभग चार घंटे हो गये थे और उसका बाबूराव एक बार फिर टनटना गया था ! बेड मे पटकते ही उसने बहू की धुआँधार चुदाई शुरू कर दी एक बार फिर ""मदनलाल निकेतन"" अपनी सेक्सी बहू की कामुक ध्वनियों से गूँज उठा !
बहू गति के तीसरे नियम को सार्थक कर रही थी और बाबूजी के हर धक्के का जवाब उतनी ही ताक़त से विपरीत दिशा मे दे रही थी ! दस मिनिट बाद जब तूफान थमा तो दोनो निढाल हो कर बिस्तर मे सो गये ! दोनो लगभग चार घंटे तक एक दूसरे की बाहें थामे सोते रहे शाम के लगभग पाँच बजे होंगे जब शांति की कॉल से उनकी नींद टूटी !शांति ने बताया क़ि थोड़ी देर बाद वो चलने वाले हैं मतलब अभी लगभग तीन घंटे से उपर बचे थे ! नींद खुलने से मदनलाल को ऐसा लगा जैसे बाहर टॅप टॅप की अव्वाज़ आ रही है वो उठा और बरामदे मे जाकर देखा तो बारिस हो रही थी शाम का हल्का सा अंधेरा था !अंदर आके देखा तो कामया अभी भी नंगी ही पड़ी थी हालाकी उसकी नींद खुल चुकी थी ! अचानक मदनलाल के दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया उसने बहू को गोद मे उठाया और सीधा बरामदे मे पहुँच गया ! पानी की बूंदे पड़ते ही कामया ने अपने को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन फ़ौजी की ताक़त के सामने सब बेअसर था ! आख़िर वो जब पूरेई तरह भीग गई तो उसने अपने आप विरोध छोड़ दिया !पानी की बूंदे बहू के मखमली जीश्म पर मोतियों सी चमक रही थी ! पानी मे भीगती बहू गजब की सुंदर और सेक्सी लग रही थी ! बारिस मे भीगती जवानी को भोगना बाबूजी का कई वरसो का सपना था ! उसे ऐसा लग रहा था मानो टॅप टॅप बरसा पानी पानी ने आग लगाई गाने की शूटिंग चल रही है !अपने नंगे भीगे बदन को घूरते देख कामया बोल पड़ी
कामया ::: बाबूजी आपने हमे भिगा दिया अब हमारे बाल नही सूखेंगे तो हम मम्मी को क्या जवाब देंगे ?
मदनलाल ::: अरे कह देना आज हमने शाम को नहाया बस ! आज हम अपना एक सपना पूरा करेंगे
कामया ::: कौन सा सपना बाबूजी ??
मदनलाल ::: बारिस मे भीगती लड़की को चोदने का ! अब हम तुम्हे यहीं बरसते पानी मे पटक के चोदेन्गे समझी !!!
कामया बाबूजी के मुख से पटक के चोदेन्गे सुन कर अवाक रह गई किंतु वो खुद इस अनुभव को पाने के लिए बेकरार हो गई !! मदनलाल ने बहू को बारिस मे ही नीचे लिटा दिया और उसके हसीन जीशम से खेलने लगा ! जब उसने बहू की टाँग चौड़ी की तो ससुर से पहले पानी की बूँद बहू के अंदर जाने लगी ! ठंडी ठंडी बूंदे अंदर जाकर बहू के शरीर मे आग लगा रही थी ! मदनलाल ने अपने को केँची आसान मे फिट किया फिर हल्का सा पुश कर दिया और अगले ही पल कामया के मुख से जोरदार सिसकारी निकल गई जो बारिस की आवाज़ मे कहीं खो गई !बारिश ल्यूब्रिकेशन का काम कर रही थी जिससे मदनलाल और तेज़ी से अपने को अंदर बाहर कर रहा था !खुले बरामदे मे ससुर बहू वासना मे खो गये थे वो तो अच्छा था क़ि आजू बाजू मे कोई लगा हुआ मकान नही था वरना ना जाने कौन कौन शूटिंग देख लेता ! मदनलाल करीब दस मिनिट तक बहू को पेलता रहा इस दरमियाँ उसने बहू को डोगी भी बनाया और आख़िर मे डोगी पोज़ मे ही बहू को भर दिया !
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