FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--21
काम ज्वार उतरने के बाद दोनो ससुर बहू ने मिलकर नहाया मदनलाल कई दिनो से बहू के साथ नहाने का सपना देख रहा था जो आज पूरा हो गया था ! उसने बहू के एक एक अंग को मसल मसल कर धोया और फिर दोनो बाहर आ गये ! मदनलाल की लूँगी पहले ही गीली हो गई थी इसलिए वो नंगा ही अपने कमरे मे गया और नई लूँगी पहन ली बहू ने उसकी गीली लूँगी धो कर डाल दी !कामया खाना बनाकर लाई बाबूजी की थाली लगाकर जब अपनी थाली लगाने लगी तो मदनलाल ने रोक दिया !
मदनलाल :::: बस एक ही थाली लगाओ
कामया ::: क्यों एक ही क्यों ?
मदनलाल :: कम ओन यार आज एक ही थाली मे खाएँगे !
कामया ::: वॉट ज़्यादा मस्ती सूझ रही है ? मम्मी कभी भी आ सकती है हमे अपनी थाली अलग लगाने दो !
मदनलाल :: नो आज एक ही थाली मे खाएँगे वरना मुझे नही करना लंच ! रात को सीधा डिनर करूँगा
कामया ::: जानू ये क्या ज़िद है कभी कभी आप बच्चे बन जाते हो
मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ा और खींच कर अपनी गोद मे बैठा लिया
कामया ::: उई माँ ?? ये क्या कर रहे हो ? ऐसे मे आप खाओगे कैसे ?
मदनलाल :: आज हमे आप खिलाएँगी !
कामया :: जी नही हम नही खिलाने वाले !
मदनलाल :: तो ठीक है हमनही खाएँगे खाना वाना ! और आप ऐसी ही बैठी रहेंगी !
कामया :: खाना नही खाओगे तो कमजोर हो जाओगे
मदनलाल :: तुम्हे उससे क्या फ़र्क पढ़ता है ?
कामया ::: अच्छा जी कमज़ोर हो जाओगे तो हमारी सेवा कैसे कर पाओगे ? कमजोर आदमी किसी काम का नही रहता !
मदनलाल :: तो खिलाओ ना हमे खाना वरना आपका काम कैसे कर पाएँगे ?
कामया :: बड़े चालाक हो ! जैसे बस हमारी ज़रूरत है आपको तो कोई ज़रूरी नही है ? दोनो ने ऐसे ही मस्ती भरे माहौल मे लंच कर लिया ! कामया बर्तन लेकर किचन मे चली गई और सफाई करने लगी तभी शांति भी आ गई !आते ही उसने एक शुभ सूचना दी
शांति ::: आज से भागवत साप्ताह चालू हुआ है सात दिन कथा चलेगी ! शांति की बात सुनकर मदनलाल और कामया दोनो के मन मे लड्डू फूटने लगे
कामया शांति के लिए खाना लगा रही थी ! तभी शांति पीछे बरामदे मे पहुँची वहाँ मदनलाल की लूँगी सुखती देख उसने पूछा
शांति ::: क्यों जी आप तो नहा के ये लूँगी पहने थे फिर दुबारा क्यों धोए ?
शांति के इस सवाल से दोनो की हालत देखने लायक हो गई ! कामया किचन के अंदर थी लेकिन उसका चेहरा सफेद पढ़ गया था ! मदनलाल हाल मे था किंतु उसे भी कोई जवाब नही सूझ रहा था वो तो अच्छा हुआ की शांति पीछे बरामदे मे थी वरना उनका चेहरा देख वो हैरान रह जाती ! बड़ी हिम्मत बटोरकर मदनलाल ने कहा
मदनलाल ::: अरे वो खाना खाते समय थाली मे घी डाल रहे थे तो थोड़ा लूँगी मे गिर गया था इसलिए धोनी पढ़ी !
शांति :::: आप ही धोए हैं क्या ?
मदनलाल :::: नही बहू धोइ है !
शांति ::: अच्छा हुआ आपने नही धोया ! घी का दाग आसानी से नही छूटता केवल औरतें ही उस छुड़ा पाती है ! बहू ने अच्छे से रगड़ रगड़ कर सॉफ कर दिया होगा !
उसके बाद शांति रोज सुबह कथा सुनने चली जाती और ससुर बहू दोनो अपने वासना के खेल मे डूब जाते !कामया की तो उमर की माँग थी वो खिलती हुई उमर मे थी जहाँ उसकी जवानी रोज उससे खूँटा मांगती और फिलहाल ये खूँटा उसे बाबूजी ही दे सकते थे !मगर मदनलाल का सोच कुछ और थी उसकी उमर ऐसी नही थी की उसे रोज चुदाई की ज़रूरत पड़े ! लेकिन वो चाहता था क़ि सुनील के रहते रहते ही इस बार कामया गर्भवती हो जाए जिससे किसी प्रकार की कोई शक वाली बात ना रहे ! इस लिए वो रोज बहू की कोख मे बीज़ारोपण कर रहा था ये बात अलग थी क़ि इस काम मे मज़ा ही मज़ा था !
चार दिनो तक काम बढ़िया चला सुनील के जाने के कुछ देर बाद शांति भी चली जाती जिससे दोनो ससुर बहू को अपना काम करने का मौका मिल जाता ! सच तो ये था क़ि मदनलाल से ज़्यादा शांति की जाने का इंतज़ार कामया को रहता था ! इस का कारण भी था रात को सुनील फोर प्ले करके उसके जिस्म मेआग तो भड़का देता पर उसके टॅंकर मे इतना पानी नही रहता क़ि कामया की आग को बुझा भी सके जिससे कामया रात भर सुलगती रहती और सुबह बाबूजी ही उसकी कामग्नी को शांत करते !
पाँचवे दिन शांति तो चली गई लेकिन सुनील जाने का नाम नही ले रहा था ! कामया और मदनलाल दोनो बहुत बैचेन थे कामया किचन के काम मे लगी हुई थी इसी बीच मौका देख मदनलाल किचन मे गया और कामया की गांद को पीछेसे सहलाने लगा ! कामया बुरी तरह घबडा गई उसे समझ नही आ रहा था क़ि क्या करे सुनील की वजह से वो कोई आवाज़ भी नही कर पा रही थी बस इशारों से बाबूजी को बाहर जाने को कह रही थी ! बाबूजी ने उसकी मजबूरी देखी तो और मज़े से उसके बूब्स दबाने लगे करीब पाँच मिनिट तक मस्ती करने के बाद मदनलाल बाहर चला आया ! लेकिन इतने देर मे ही उसने कामया के तनबदन मे आग लगा दी थी ! थोड़ी देर मे कामया बाहर निकली उससे अब रहा नही जा रहा था इसलिए उसने सुनील से पूछ लिया --
कामया :::: क्या बात है आज कहीं जाना नही है क्या ?
सुनील :: नही अभी तक कोई प्रोग्राम नही बना है !
कामया वहाँ से सीधे अपने कमरे मे पहुँची ! उसने सुबह से एक बहुत ही सेक्सी साड़ी पहनी हुई थी क्योंकि मदनलाल ने उससे कई बार कहा था क़ि वो साड़ी मे बहुत झकास दिखती है !
सुनील के घर मे ही रहने से उसका मूड ऑफ हो गया था ! उसने वो साड़ी उतार दी और एक मेक्सी पहन ली और फिर किचन के काम मे लग गई ! बाप बेटे दोनो टीवी देखने मे लगे थे ! लगभग एक घंटे बाद अचानक सुनील का फोन बजने लगा वो बात करता हुआ बाहर चला गया ! बाबूजी जब देखा क़ि वो सड़क तक चला गया है तो वो तुरंत उठकर किचन की ओर भागा ! किचन मे कामया प्लॅटफॉर्म मे झुक कर आटा गूँध रही थी ! मदनलाल उसके पीछे जाकर जल्दी से बैठा और तेज़ी से एक झटके मे ही उसकी पूरी मेक्शी कमर तक उठा दी ! नीचे जन्नत का नज़ारा था !
कामया के विशाल मखमली नितंब छोटी से पेंटी से दो तिहाई बाहर थे ! मदनलाल ने तुरंत अपने पसंदीदा माँस पर मुँह मार दिया ! कामया के मुख से एक कामुक सिसकारी निकल गई ! उसने भी सुनील के फोन की घंटी सुनी थी और फिर उसे बाहर जाते सुना था !लेकिन वक्त ऐसा नही था क़ि ये सब किया जा सके सुनील कभी भी आ सकता था ! उसने मचलते हुए कहा --
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ जाइए यहाँ से वो कभी भी आ सकते है !
मदनलाल ::: जान तुम्हे तो मालूम है वो अपने दोस्तों से कितनी देर तक बात करता है !तुम चिंता मत करो
कामया :: क्यों चिंता नही करूँ ? पति घर पर है और ससुर बहक रहा है तो चिंता तो होगी ना ?
मदनलाल ::: हम कोई खुद से बहकते हैं क्या ? तुम्हारी ये जालिम जवानी ही हमे बहका देती है !
कामया ::: चुप रहिए !!! जब देखो बात बनाने लगते हो ! चार दिन सबर नही कर सकते क्या ? दो चार दिन मे तो वो चले ही जाएँगे !
मदनलाल ::: चार दिन नही हम तो चार हफ्ते तक सबर कर सकते हैं लेकिन ये समय सबर का नही है तुम समझती क्यों नही ?
कामया ::: क्यों ऐसी कौन सी बात है जो इस समय सबर नही कर सकते ?
मदनलाल :: पगली तुम्हे कुछ भी समझ नही आता ! हम चाहते हैं की सुनील के घर मे रहते या उसके हफ्ते पंद्रह दिन के अंदर अगर तुम्हारा गर्भ ठहर जाए तो कोई शक की गुंजाइश नही रहेगी ! वरना फिर छह महीने इंतज़ार करना पड़ेगा समझी ?
कामया ::: जानू हमने आपको कभी मना थोड़ी किया है लेकिन आज वो घर पर ही हैं ! अब उनके रहते तो नही कर सकते ना वो सब ?
मदनलाल ::: ठीक है जो कर सकते है वो तो कर लेने दो ताकि आगे के लिए मूड बना रहे
कामया ::: रहने दीजिए ! मूड बनाने के लिए आपको कोई प्रॅक्टीस की ज़रूरत नही है ! आपका ये बदमाश तो आपका हमेशा ही तैयार रहता है ! मदनलाल भी अब बातचीत छोड़ अपने काम मे लग गया ! वो घुटनो के बल ही बैठा था सो वो अपनी जीभ बाहर निकल कर कामया की नंगी गांद चाटने लगा और हाथों से उसकी मांसल गदराई हुई जांघों को सहलाने लगा ! कामया के पूरे शरीर मे कामग्नी भड़कने लगी ! तभी मदनलाल ने कामया की पेंटी घुटनो तक नीचे कर दी अब कामया के जानलेवा नंगे नितंब मदनलाल की आँखों के सामने थे वो ज़ोर ज़ोर से उन्हे चूमने और चाटने लगा ! बीच बीच मे वो उन्हे हल्के से काट भी देता जिससे कामया के मुख से घुटि घुटि सी चीख निकल जाती ! उसका दिल तो करता था क़ि ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले लेकिन सुनील के बाहर होने के कारण वो बड़ी मुश्किल से अपने को काबू मे रखी हुई थी ! धीरे धीरे दोनो ससुर बहू आपा खोने लगे थे! कामया की टाँगे थरथरा रही थी जब उसको खड़े रहना मुश्किल लगने लगा तो वो प्लॅटफॉर्म का सहारा लेकर आगे को झुक गई ! कामया के झुकते ही उसकी गांद और बाहर को निकल आई और उसका प्यारा सा छेद ने भी अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया जैसे चिड़िया के छोटे से भूखे बच्चे माँ को देख अपना मुँह खोल देते हैं ! किचन स्टोन मे झुकी कामया पर्फेक्ट डोगी स्टाइल बना रही थी
बहू को इस आसन मे देख मदनलाल के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया वो दीन दुनिया सब भूल गया ! मदनलाल खड़ा हुआ उसने लूँगी से अपना मूसल बाहर निकाला और बहू की चुत के मुहाने मे फिट कर दिया ! चुत मे बाबूजी के सूपाडे के स्पर्श से ही कामया गनगॅना गई ! बहू चीख ना पाए इसलिए मदनलाल ने धीरे धीरे दबाव डालना शुरू किया थोड़े सी मेहनत मे ही शिश्न मुण्ड अंदर सरक गया कामया का पूरा शरीर काँपने लगा उसके बदन मे गूस बूम उभर आए ,मदनलाल अगला शॉट मारने ही वाला था क़ि तभी सुनील की पास आती हुई बातचीत की आवाज़ सुनाई देने लगी तो दोनो जल्दी से अलग हो गये ! मदनलाल जल्दी से खड़ा हो गया कामया ने देखा की लूँगी के अंदर बाबू जी खूँटा बुरी तरह टनटना गया था ऐसा जोश वो कभी सुनील मे नही देख पाती थी लेकिन वो फिलहाल बाबूजी को कोई राहत देने के कनडिसन मे नही थी ! बाबूजी धीरे से किचन से निकल गये !अंदर आकर सुनील ने पूछा -
सुनील ::: कामया खाना कब तक तैयार होगा !
कामया ::: क्यों फोन आने के बाद कोई प्लान बन गया क्या ?
सुनील ::: हाँ यार खाना खाकर थोड़ा बाहर जाना है !
कामया ने जल्दी से खाना बनाने की कोशिश की किंतु तो भी काफ़ी टाइम हो गया ! सुनील जब खाना ख़ाके घर से निकला तब तक बहुत टाइम हो गया था ! सुनील के निकलते ही मदनलाल दरवाजा बंद करने को भागा जबकि कामया बर्तन लेकर किचन चली गई !
सुनील के जाते ही मदनलाल दरवाजा बंद कर दौड़कर किचन पहुँचा कामया बर्तन सिंक मे रख रही थी ! मदनलाल ने पहुँचते ही पीछे से कामया की मेक्सी उठानी शुरू कर दी ! उसने एक झटके मे ही मेक्सी चुचों तक उठा दी ! कामया ने मेक्सी पकड़ते हुए कहा -
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ अभी मत करिए मम्मी कभी भी पहुँच सकती है !
मदनलाल ::: तुम चिंता मत करो अभी आधा घंटा से ज़्यादा ही बाकी है !
और फिर मदनलाल कामया को नंगी करने लगा ! बहूरानी भी समझ गई क़ि ससुर जी मानेंगे नहीं सो उसने चुपचाप सरेंडर कर दिया ! बाबूजी ने मेक्शी की बाद उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार फेंकी और अपनी बहू को किचन मे मदरजात नंगी कर दिया ! बहू के बेदाग हुश्न को वो कुछ देरी आँखे फाडे देखता रहा फिर उसके बड़े -२ मुम्मों पर पिल पड़ा !
एक को मुँह मे भरता तो दूसरे को हाथ से मसलने लगता ! पूरे किचन मे कामया की मादक सिसकारियाँ गूंजने लगी !ससुर कुछ देर तक ऐसे ही बहू की जालिम जवानी से खेलता रहा और फिर अचानक उसने बहू की नाज़ुक काया को उठाकर प्लतेफोर्म मे रख दिया ! इससे पहले की कामया कुछ बोलती उसने उसकी दोनो गुदाज टाँगों को अलग अलग कर दिया अब बहू की सुरंग उसके आँखों के सामने आ गई ! कामया बाबूजी को यों अपनी रसीली मुनिया को घूरते देख बहुत लजा रही थी ! इससे पहले की बहू कुछ समझ पाती मदनलाल ने अपना मुँह कामया की भट्टी मे झोंक दिया !
गीली चुत मे गरम जीभ लगते ही कामया अंदर तक सिहर उठी ! उसके पूरे योनि प्रदेश मे अँगारे दहक उठे ! फिर भी उसने अपने को कंट्रोल करते हुए कहा - -
कामया ::: जानू प्लीज़ वहाँ मुँह मत लगाइए ! ये किचन है कम से कम यहाँ तो गंदी जगह मुँह मत लगाइए !
मदनलाल ::: कौन कहता है ये गंदी चीज़ है ! डार्लिंग यही तो अमृत का कुंड है बस तुम चुपचाप बैठी रहो और मज़ा लो !
और फिर मदनलाल अपने काम मे जुट गया !
मदनलाल कोमोडो ड्रेगन की तरह अपनी लपलपाती जीभ को बाहर निकलता और कामया की पूरी चुत को नीचे से उपर तक चाटता चला जाता ! उसकी इस हरकत से कामया का पूरा बदन काँप रहा था ! वो बीच -२ मे बाबूजी को धकेलने की थोड़ी कोशिश कर रही थी लेकिन मदनलाल ने उक्की जांघों को अच्छे से लपेट कर पकड़ा था जिससे वो एक इंच भी ससुर को धकेल नही पा रही थी ! आख़िरकार चोबीस साल की अल्हड़ जवानी कब तक शातिर लुगाईबाज़ की इन कामुक हरकतों को बर्दास्त कर पाती ! कामया भी अब पूरी तरह परवश हो गई ! उसके जो हाथ अभी तक बाबूजी के सिर को धकेल रहे थे वही हाथ अब सिर को अपनी गुड़िया की ओर खींचने लगे ! मदनलाल ने जब महसूस किया क़ि बहूरानी लाइन मे आ गई है तो उसने उसकी जाँघो मे बनाई पकड़ हटा दी और दोनो हाथ से बहू की चुत की पंखुंडीयों को फैला कर अंदर तक अपनी नुकीली जीभ डालने लगा ! अब कामया का पूरा शरीर ऐंठने लगा था वो अपनी सिर को दाँये बाएँ करने लगी ! किचन मे उसकी मादक और कामुक सिसकारियाँ गूंजने लगी !जब मदनलाल ने देखा क़ि बहू अब पॉइंट ऑफ नो रिटर्न पर पहुँच गई है तो उसने अपने दोनो होंठों मे बहू की क्लिट पकड़ ली और लगा दबा दबा कर चूसने ! इस हमले को कामया भी सहन नही कर पाई और उसकी प्रेम गुफा से प्रेम रस का बाँध छलछला गया ! उसकी योनि से सफेद स्निग्ध सा रस आने लगा जिसे मदनलाल ने बड़ी तत्परता से पीना शुरू कर दिया ! कामया लगभग दो मिनिट तक ओर्गश्म के दौर से गुजराती रही तब जाके उसके तंद्रा टूटी ! उसका तृप्त बदन तो उसे हिलने की भी अनुमति नही दे रहा था किंतु उसकी छटी इंद्री उसे सचेत कर रही थी क़ि मांजी कभी भी आ सकती है ! अचानक वो नीचे उतर गई और बाबूजी से बोली
कामया ::: बाबूजी मम्मी कभी आ सकती है और मुझे मालूम है आप बिना किए मानेगे नही इसलिए प्लीज़ आप जल्दी से अपना काम कर लीजिए ! ऐसा कह कर वो घूमी और किचन स्टोन मे झुक कर डोगी पोश बना दिया ! पहले से ही उसके भारी भरकम नितंब झुकने से और चौड़े हो गये जिससे मदनलाल भी अपना आपा खोने लगा ! वैसे भी उसका मूसल काफ़ी देर से आतंक मचाए हुए था ! ससुर ने अपना हथियार संभाला और मुण्ड को बहू के ज्वालामुखी के मुहाने मे धर दिया ! मुहाने पर शिश्नमुण्ड के अहसास से ही ज्वालामुखी और दहकने लगा ! अब मदनलाल ने आव देखा ना ताव और बहू की नाज़ुक बलखाती कमर को मजबूती से पकड़कर एक करारा झटका मार दिया
!किचन मे कामया की दर्दभरी चीख गूँज गई !एक ही झटके मे मदनलाल ने अपना तीन चौथाई लंड कामया के अंदर ठूंस दिया था ! मदनलाल का मूसल बहू की दीवारों को बुरी तरह रगड़ता हुआ अंदर कोहराम मचाने लगा ! मदनलाल ने अब अपने पिस्टन को पूरी स्पीड से दौड़ाना चालू कर दिया ! वैसे तो बहू काफ़ी दिनो से ससुर के साथ रंग रेलियाँ मना रही थी किंतु ससुर का औजार इतना मोटा था क़ि उसे शुरू के आधा एक मिनिट अड्जस्ट करने मे ही लग जाते इस दरमियाँ वो थोड़ा मीठा दर्द महसूस करती उसके बाद ही वो अपने रंग मे आती और चुदाई का परमानंद भोगती !
जैसे ही बहू अपने मे आई तो वो भी ससुर के हर धक्के के साथ अपनी गद्देदार गाँड को पीछे धकेलने लगी ! जैसे ही बाबूजी का शरीर कामया के जिश्म से टकराता उसके नितंबों का माँस बाबूजी के प्रहार से दब कर उपर को उठ जाता मानो हिमालय पर्वत अपनी उँचाई बड़ा रहे हों ! मदनलाल तो वैसे ही बहू के नितंबों का खास दीवाना था वो नितंबों के इस उथल पुथल को देख कर और हचक हचक कर चोदने लगा ! पूरे किचन मे वासना का तूफान आ गया ! मदनलाल ने अब कमर छोड़ बहू के दोनो चुचकों को थाम लिया और उन्हे मसल मसल कर बहू की चुदाई करने लगा ! लेकिन तूफान भी आख़िर कब तक जारी रहता ! मदनलाल के मूसल ने कामया की योनि की ऐसी कुटाई की थी क़ि उसकी पूरी योनि मदनरस से भर गई ! मूसल का काम वैसे भी तेल निकालना ही होता है ! पाँच मिनिट की घनघोर चुदाई ने कामया की चुत के जर्रे जर्रे को मथ डाला ! अब उसका पूरा बदन काँप रहा था टांगे लॅडखड़ा रही थी आख़िर मे कामया बेकाबू हो गई और ज़ोर से चीख मार कर अपना पानी बहाने लगी ! बहू को फारिग होता देख मदनलाल ने भी धमाचौकड़ी मचा दी और अपनी रबड़ी भी बहू के अंदर उडेल दी ! दोनो थक कर साँसे ठीक करने लगे मदनलाल का लॅंड अभी भी बहू के अंदर ही था और वो धीरे -२ अभी भी कामया के मम्मे मसल रहा था!!
बहूरानी को जब थोड़ा होश आया तो बोली -
कामया ::: अब हटिए भी ! क्या मम्मी को खुजराहो के पोश दिखाने हैं जो अभी भी चिपक कर खड़े हो ? वो कभी भी आ सकती हैं !
मदनलाल ::: क्या करूँ जान निकालने का मन ही नही करता दिल करता है बस ऐसे ही अंदर डाल के पड़ा रहूं !
कामया ::: चुप करो बड़े आए ऐसे ही डाल के पड़े रहने वाले ? अभी मम्मी आ गई ना तो पता चलेगा क़ि बहू मे डालना क्या होता है ! फिर दोनो अलग -२ हो गये जब कामया पेंटी पहनने लगी तो देखा क़ि बाबूजी का सारा माल उसकी जाँघो मे बह रहा था उसने उपर देखा तो बाबूजी भी वही देख रहे थे तो मदनलाल से बोली --
कामया :::: आपका इतनी मेहनत का क्या मतलब निकला ? गई ना भैंस पानी मे ?
मदनलाल ::: अब हम क्या करें हमने तो सच्चे मन से तुम्हारी सेवा की थी !मदनलाल ने कपड़े पहनते हुए कहा ! बहू ने भी पेंटी पहनना छोड़ सारे कपड़े उठाए और नंगी ही बाथरूम चल दी ताकि पोंछ पाँछ सके !
उसके बाद दो दिन और दिन मे ससुर बहू को रोज मौका मिल जाता और वो अपना काम कर लेते !भागवत कथा ख़त्म होने के बाद शांति घर मे ही रहती तो अगले दो दिन उन्हे कोई मौका नही मिला ! बेचारे दोनो तड़प रहे थे मदनलाल को बहू को माँ बनाने की तड़प थी तो बहू को बच्चे के साथ -२ सेक्स की भी तड़प चड़ी रहती थी ! तीसरा दिन भी ऐसे ही चला गया दोनो के अंदर की कामाग्नि अब दावानल बन गई थी जो हर हाल मे बुझना चाहती थी ! तीसरी रात को मदनलाल काफ़ी देर तक छत मे घूमता रहा और जब नीचे आया तो उसने खिड़की से झाँका तो उसकी वासना और भड़क गई ! अंदर कामया बिल्कुल निर्वस्त्र लेटी हुई थी ! उसकी कॅमनियी काया स्वर्ण के समान चमक रही थी जिसे देखकर ससुर के बदन मे और आग लग गई ! वो वापस टावर मे चड़ा और कामया को कॉल कर दिया ! कामया ने काल देखा बाबूजी का था ! उसने दूसरी तरफ देखा तो सुनील खर्राटे ले रहा था कामया ने फोन उठा लिया ---
कामया :::: हाँ बाबूजी
मदनलाल ::: जान थोड़ी देर के लिए उपर आ जाओ
कामया ::: जी जी आप क्या बोल रहे हैं ? सुनील यहीं है
मदनलाल ::: हमे मालूम है वो सो रहा है और सुबह तक उठेगा भी नही प्लीज़ पाँच मिनिट के लिए आ जाओ !
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ रिस्क मत लीजिए कही कोई उठ गया तो ?
मदनलाल ::: कुछ नही होगा एक काम करना बाहर से कुण्डी लगा के आ जाना ! दो मिनिट की ही तो बात है !
कामया ::; बाबूजी बस एक दिन नही रुक सकते कल शाम को तो वो चले ही जाएँगे ?
मदनलाल ::; एक दिन नही एक मिनिट रुकना मुश्किल हो रहा है ! तुम जल्दी आओ नही तो हम आ रहे हैं !
कामया ::: नही नही आप मत आना हम कुछ करते हैं
कामया उठी उसने मेक्शी पहन ली पेंटी पहनने की कोई ज़रूरत ही नही थी क्योंकि वो जानती थी जाते साथ सबसे पहले वही उतरेगी !
कामया बाहर निकली ,कुण्डी बंद किया और धीरे धीरे सीढ़ी चॅडने लगी ! उसके पूरे बदन मे अजीब सा रोमांच था आज पहली बार वो कमरे से बाहर चुदने जा रही थी इस अहसास से ही उसका पूरा शरीर रोमांचित हो गया था आख़िर होता भी क्यों ना एक शरीफ घर की संस्कारी बहू छत पर चुदने जा रही थी वो भी अपने ससुर से जबकि सास और पति घर पर ही थे ! टावर मे पहला कदम रखते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया ! उसके बाद मदनलाल ने कमरे की लाइट जला दी , कामया ने ससुर को देखा तो स्तब्ध रह गई मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था और अपने औजार को मसल रहा था !
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
बहकती बहू--21
काम ज्वार उतरने के बाद दोनो ससुर बहू ने मिलकर नहाया मदनलाल कई दिनो से बहू के साथ नहाने का सपना देख रहा था जो आज पूरा हो गया था ! उसने बहू के एक एक अंग को मसल मसल कर धोया और फिर दोनो बाहर आ गये ! मदनलाल की लूँगी पहले ही गीली हो गई थी इसलिए वो नंगा ही अपने कमरे मे गया और नई लूँगी पहन ली बहू ने उसकी गीली लूँगी धो कर डाल दी !कामया खाना बनाकर लाई बाबूजी की थाली लगाकर जब अपनी थाली लगाने लगी तो मदनलाल ने रोक दिया !
मदनलाल :::: बस एक ही थाली लगाओ
कामया ::: क्यों एक ही क्यों ?
मदनलाल :: कम ओन यार आज एक ही थाली मे खाएँगे !
कामया ::: वॉट ज़्यादा मस्ती सूझ रही है ? मम्मी कभी भी आ सकती है हमे अपनी थाली अलग लगाने दो !
मदनलाल :: नो आज एक ही थाली मे खाएँगे वरना मुझे नही करना लंच ! रात को सीधा डिनर करूँगा
कामया ::: जानू ये क्या ज़िद है कभी कभी आप बच्चे बन जाते हो
मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ा और खींच कर अपनी गोद मे बैठा लिया
कामया ::: उई माँ ?? ये क्या कर रहे हो ? ऐसे मे आप खाओगे कैसे ?
मदनलाल :: आज हमे आप खिलाएँगी !
कामया :: जी नही हम नही खिलाने वाले !
मदनलाल :: तो ठीक है हमनही खाएँगे खाना वाना ! और आप ऐसी ही बैठी रहेंगी !
कामया :: खाना नही खाओगे तो कमजोर हो जाओगे
मदनलाल :: तुम्हे उससे क्या फ़र्क पढ़ता है ?
कामया ::: अच्छा जी कमज़ोर हो जाओगे तो हमारी सेवा कैसे कर पाओगे ? कमजोर आदमी किसी काम का नही रहता !
मदनलाल :: तो खिलाओ ना हमे खाना वरना आपका काम कैसे कर पाएँगे ?
कामया :: बड़े चालाक हो ! जैसे बस हमारी ज़रूरत है आपको तो कोई ज़रूरी नही है ? दोनो ने ऐसे ही मस्ती भरे माहौल मे लंच कर लिया ! कामया बर्तन लेकर किचन मे चली गई और सफाई करने लगी तभी शांति भी आ गई !आते ही उसने एक शुभ सूचना दी
शांति ::: आज से भागवत साप्ताह चालू हुआ है सात दिन कथा चलेगी ! शांति की बात सुनकर मदनलाल और कामया दोनो के मन मे लड्डू फूटने लगे
कामया शांति के लिए खाना लगा रही थी ! तभी शांति पीछे बरामदे मे पहुँची वहाँ मदनलाल की लूँगी सुखती देख उसने पूछा
शांति ::: क्यों जी आप तो नहा के ये लूँगी पहने थे फिर दुबारा क्यों धोए ?
शांति के इस सवाल से दोनो की हालत देखने लायक हो गई ! कामया किचन के अंदर थी लेकिन उसका चेहरा सफेद पढ़ गया था ! मदनलाल हाल मे था किंतु उसे भी कोई जवाब नही सूझ रहा था वो तो अच्छा हुआ की शांति पीछे बरामदे मे थी वरना उनका चेहरा देख वो हैरान रह जाती ! बड़ी हिम्मत बटोरकर मदनलाल ने कहा
मदनलाल ::: अरे वो खाना खाते समय थाली मे घी डाल रहे थे तो थोड़ा लूँगी मे गिर गया था इसलिए धोनी पढ़ी !
शांति :::: आप ही धोए हैं क्या ?
मदनलाल :::: नही बहू धोइ है !
शांति ::: अच्छा हुआ आपने नही धोया ! घी का दाग आसानी से नही छूटता केवल औरतें ही उस छुड़ा पाती है ! बहू ने अच्छे से रगड़ रगड़ कर सॉफ कर दिया होगा !
उसके बाद शांति रोज सुबह कथा सुनने चली जाती और ससुर बहू दोनो अपने वासना के खेल मे डूब जाते !कामया की तो उमर की माँग थी वो खिलती हुई उमर मे थी जहाँ उसकी जवानी रोज उससे खूँटा मांगती और फिलहाल ये खूँटा उसे बाबूजी ही दे सकते थे !मगर मदनलाल का सोच कुछ और थी उसकी उमर ऐसी नही थी की उसे रोज चुदाई की ज़रूरत पड़े ! लेकिन वो चाहता था क़ि सुनील के रहते रहते ही इस बार कामया गर्भवती हो जाए जिससे किसी प्रकार की कोई शक वाली बात ना रहे ! इस लिए वो रोज बहू की कोख मे बीज़ारोपण कर रहा था ये बात अलग थी क़ि इस काम मे मज़ा ही मज़ा था !
चार दिनो तक काम बढ़िया चला सुनील के जाने के कुछ देर बाद शांति भी चली जाती जिससे दोनो ससुर बहू को अपना काम करने का मौका मिल जाता ! सच तो ये था क़ि मदनलाल से ज़्यादा शांति की जाने का इंतज़ार कामया को रहता था ! इस का कारण भी था रात को सुनील फोर प्ले करके उसके जिस्म मेआग तो भड़का देता पर उसके टॅंकर मे इतना पानी नही रहता क़ि कामया की आग को बुझा भी सके जिससे कामया रात भर सुलगती रहती और सुबह बाबूजी ही उसकी कामग्नी को शांत करते !
पाँचवे दिन शांति तो चली गई लेकिन सुनील जाने का नाम नही ले रहा था ! कामया और मदनलाल दोनो बहुत बैचेन थे कामया किचन के काम मे लगी हुई थी इसी बीच मौका देख मदनलाल किचन मे गया और कामया की गांद को पीछेसे सहलाने लगा ! कामया बुरी तरह घबडा गई उसे समझ नही आ रहा था क़ि क्या करे सुनील की वजह से वो कोई आवाज़ भी नही कर पा रही थी बस इशारों से बाबूजी को बाहर जाने को कह रही थी ! बाबूजी ने उसकी मजबूरी देखी तो और मज़े से उसके बूब्स दबाने लगे करीब पाँच मिनिट तक मस्ती करने के बाद मदनलाल बाहर चला आया ! लेकिन इतने देर मे ही उसने कामया के तनबदन मे आग लगा दी थी ! थोड़ी देर मे कामया बाहर निकली उससे अब रहा नही जा रहा था इसलिए उसने सुनील से पूछ लिया --
कामया :::: क्या बात है आज कहीं जाना नही है क्या ?
सुनील :: नही अभी तक कोई प्रोग्राम नही बना है !
कामया वहाँ से सीधे अपने कमरे मे पहुँची ! उसने सुबह से एक बहुत ही सेक्सी साड़ी पहनी हुई थी क्योंकि मदनलाल ने उससे कई बार कहा था क़ि वो साड़ी मे बहुत झकास दिखती है !
सुनील के घर मे ही रहने से उसका मूड ऑफ हो गया था ! उसने वो साड़ी उतार दी और एक मेक्सी पहन ली और फिर किचन के काम मे लग गई ! बाप बेटे दोनो टीवी देखने मे लगे थे ! लगभग एक घंटे बाद अचानक सुनील का फोन बजने लगा वो बात करता हुआ बाहर चला गया ! बाबूजी जब देखा क़ि वो सड़क तक चला गया है तो वो तुरंत उठकर किचन की ओर भागा ! किचन मे कामया प्लॅटफॉर्म मे झुक कर आटा गूँध रही थी ! मदनलाल उसके पीछे जाकर जल्दी से बैठा और तेज़ी से एक झटके मे ही उसकी पूरी मेक्शी कमर तक उठा दी ! नीचे जन्नत का नज़ारा था !
कामया के विशाल मखमली नितंब छोटी से पेंटी से दो तिहाई बाहर थे ! मदनलाल ने तुरंत अपने पसंदीदा माँस पर मुँह मार दिया ! कामया के मुख से एक कामुक सिसकारी निकल गई ! उसने भी सुनील के फोन की घंटी सुनी थी और फिर उसे बाहर जाते सुना था !लेकिन वक्त ऐसा नही था क़ि ये सब किया जा सके सुनील कभी भी आ सकता था ! उसने मचलते हुए कहा --
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ जाइए यहाँ से वो कभी भी आ सकते है !
मदनलाल ::: जान तुम्हे तो मालूम है वो अपने दोस्तों से कितनी देर तक बात करता है !तुम चिंता मत करो
कामया :: क्यों चिंता नही करूँ ? पति घर पर है और ससुर बहक रहा है तो चिंता तो होगी ना ?
मदनलाल ::: हम कोई खुद से बहकते हैं क्या ? तुम्हारी ये जालिम जवानी ही हमे बहका देती है !
कामया ::: चुप रहिए !!! जब देखो बात बनाने लगते हो ! चार दिन सबर नही कर सकते क्या ? दो चार दिन मे तो वो चले ही जाएँगे !
मदनलाल ::: चार दिन नही हम तो चार हफ्ते तक सबर कर सकते हैं लेकिन ये समय सबर का नही है तुम समझती क्यों नही ?
कामया ::: क्यों ऐसी कौन सी बात है जो इस समय सबर नही कर सकते ?
मदनलाल :: पगली तुम्हे कुछ भी समझ नही आता ! हम चाहते हैं की सुनील के घर मे रहते या उसके हफ्ते पंद्रह दिन के अंदर अगर तुम्हारा गर्भ ठहर जाए तो कोई शक की गुंजाइश नही रहेगी ! वरना फिर छह महीने इंतज़ार करना पड़ेगा समझी ?
कामया ::: जानू हमने आपको कभी मना थोड़ी किया है लेकिन आज वो घर पर ही हैं ! अब उनके रहते तो नही कर सकते ना वो सब ?
मदनलाल ::: ठीक है जो कर सकते है वो तो कर लेने दो ताकि आगे के लिए मूड बना रहे
कामया ::: रहने दीजिए ! मूड बनाने के लिए आपको कोई प्रॅक्टीस की ज़रूरत नही है ! आपका ये बदमाश तो आपका हमेशा ही तैयार रहता है ! मदनलाल भी अब बातचीत छोड़ अपने काम मे लग गया ! वो घुटनो के बल ही बैठा था सो वो अपनी जीभ बाहर निकल कर कामया की नंगी गांद चाटने लगा और हाथों से उसकी मांसल गदराई हुई जांघों को सहलाने लगा ! कामया के पूरे शरीर मे कामग्नी भड़कने लगी ! तभी मदनलाल ने कामया की पेंटी घुटनो तक नीचे कर दी अब कामया के जानलेवा नंगे नितंब मदनलाल की आँखों के सामने थे वो ज़ोर ज़ोर से उन्हे चूमने और चाटने लगा ! बीच बीच मे वो उन्हे हल्के से काट भी देता जिससे कामया के मुख से घुटि घुटि सी चीख निकल जाती ! उसका दिल तो करता था क़ि ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले लेकिन सुनील के बाहर होने के कारण वो बड़ी मुश्किल से अपने को काबू मे रखी हुई थी ! धीरे धीरे दोनो ससुर बहू आपा खोने लगे थे! कामया की टाँगे थरथरा रही थी जब उसको खड़े रहना मुश्किल लगने लगा तो वो प्लॅटफॉर्म का सहारा लेकर आगे को झुक गई ! कामया के झुकते ही उसकी गांद और बाहर को निकल आई और उसका प्यारा सा छेद ने भी अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया जैसे चिड़िया के छोटे से भूखे बच्चे माँ को देख अपना मुँह खोल देते हैं ! किचन स्टोन मे झुकी कामया पर्फेक्ट डोगी स्टाइल बना रही थी
बहू को इस आसन मे देख मदनलाल के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया वो दीन दुनिया सब भूल गया ! मदनलाल खड़ा हुआ उसने लूँगी से अपना मूसल बाहर निकाला और बहू की चुत के मुहाने मे फिट कर दिया ! चुत मे बाबूजी के सूपाडे के स्पर्श से ही कामया गनगॅना गई ! बहू चीख ना पाए इसलिए मदनलाल ने धीरे धीरे दबाव डालना शुरू किया थोड़े सी मेहनत मे ही शिश्न मुण्ड अंदर सरक गया कामया का पूरा शरीर काँपने लगा उसके बदन मे गूस बूम उभर आए ,मदनलाल अगला शॉट मारने ही वाला था क़ि तभी सुनील की पास आती हुई बातचीत की आवाज़ सुनाई देने लगी तो दोनो जल्दी से अलग हो गये ! मदनलाल जल्दी से खड़ा हो गया कामया ने देखा की लूँगी के अंदर बाबू जी खूँटा बुरी तरह टनटना गया था ऐसा जोश वो कभी सुनील मे नही देख पाती थी लेकिन वो फिलहाल बाबूजी को कोई राहत देने के कनडिसन मे नही थी ! बाबूजी धीरे से किचन से निकल गये !अंदर आकर सुनील ने पूछा -
सुनील ::: कामया खाना कब तक तैयार होगा !
कामया ::: क्यों फोन आने के बाद कोई प्लान बन गया क्या ?
सुनील ::: हाँ यार खाना खाकर थोड़ा बाहर जाना है !
कामया ने जल्दी से खाना बनाने की कोशिश की किंतु तो भी काफ़ी टाइम हो गया ! सुनील जब खाना ख़ाके घर से निकला तब तक बहुत टाइम हो गया था ! सुनील के निकलते ही मदनलाल दरवाजा बंद करने को भागा जबकि कामया बर्तन लेकर किचन चली गई !
सुनील के जाते ही मदनलाल दरवाजा बंद कर दौड़कर किचन पहुँचा कामया बर्तन सिंक मे रख रही थी ! मदनलाल ने पहुँचते ही पीछे से कामया की मेक्सी उठानी शुरू कर दी ! उसने एक झटके मे ही मेक्सी चुचों तक उठा दी ! कामया ने मेक्सी पकड़ते हुए कहा -
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ अभी मत करिए मम्मी कभी भी पहुँच सकती है !
मदनलाल ::: तुम चिंता मत करो अभी आधा घंटा से ज़्यादा ही बाकी है !
और फिर मदनलाल कामया को नंगी करने लगा ! बहूरानी भी समझ गई क़ि ससुर जी मानेंगे नहीं सो उसने चुपचाप सरेंडर कर दिया ! बाबूजी ने मेक्शी की बाद उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार फेंकी और अपनी बहू को किचन मे मदरजात नंगी कर दिया ! बहू के बेदाग हुश्न को वो कुछ देरी आँखे फाडे देखता रहा फिर उसके बड़े -२ मुम्मों पर पिल पड़ा !
एक को मुँह मे भरता तो दूसरे को हाथ से मसलने लगता ! पूरे किचन मे कामया की मादक सिसकारियाँ गूंजने लगी !ससुर कुछ देर तक ऐसे ही बहू की जालिम जवानी से खेलता रहा और फिर अचानक उसने बहू की नाज़ुक काया को उठाकर प्लतेफोर्म मे रख दिया ! इससे पहले की कामया कुछ बोलती उसने उसकी दोनो गुदाज टाँगों को अलग अलग कर दिया अब बहू की सुरंग उसके आँखों के सामने आ गई ! कामया बाबूजी को यों अपनी रसीली मुनिया को घूरते देख बहुत लजा रही थी ! इससे पहले की बहू कुछ समझ पाती मदनलाल ने अपना मुँह कामया की भट्टी मे झोंक दिया !
गीली चुत मे गरम जीभ लगते ही कामया अंदर तक सिहर उठी ! उसके पूरे योनि प्रदेश मे अँगारे दहक उठे ! फिर भी उसने अपने को कंट्रोल करते हुए कहा - -
कामया ::: जानू प्लीज़ वहाँ मुँह मत लगाइए ! ये किचन है कम से कम यहाँ तो गंदी जगह मुँह मत लगाइए !
मदनलाल ::: कौन कहता है ये गंदी चीज़ है ! डार्लिंग यही तो अमृत का कुंड है बस तुम चुपचाप बैठी रहो और मज़ा लो !
और फिर मदनलाल अपने काम मे जुट गया !
मदनलाल कोमोडो ड्रेगन की तरह अपनी लपलपाती जीभ को बाहर निकलता और कामया की पूरी चुत को नीचे से उपर तक चाटता चला जाता ! उसकी इस हरकत से कामया का पूरा बदन काँप रहा था ! वो बीच -२ मे बाबूजी को धकेलने की थोड़ी कोशिश कर रही थी लेकिन मदनलाल ने उक्की जांघों को अच्छे से लपेट कर पकड़ा था जिससे वो एक इंच भी ससुर को धकेल नही पा रही थी ! आख़िरकार चोबीस साल की अल्हड़ जवानी कब तक शातिर लुगाईबाज़ की इन कामुक हरकतों को बर्दास्त कर पाती ! कामया भी अब पूरी तरह परवश हो गई ! उसके जो हाथ अभी तक बाबूजी के सिर को धकेल रहे थे वही हाथ अब सिर को अपनी गुड़िया की ओर खींचने लगे ! मदनलाल ने जब महसूस किया क़ि बहूरानी लाइन मे आ गई है तो उसने उसकी जाँघो मे बनाई पकड़ हटा दी और दोनो हाथ से बहू की चुत की पंखुंडीयों को फैला कर अंदर तक अपनी नुकीली जीभ डालने लगा ! अब कामया का पूरा शरीर ऐंठने लगा था वो अपनी सिर को दाँये बाएँ करने लगी ! किचन मे उसकी मादक और कामुक सिसकारियाँ गूंजने लगी !जब मदनलाल ने देखा क़ि बहू अब पॉइंट ऑफ नो रिटर्न पर पहुँच गई है तो उसने अपने दोनो होंठों मे बहू की क्लिट पकड़ ली और लगा दबा दबा कर चूसने ! इस हमले को कामया भी सहन नही कर पाई और उसकी प्रेम गुफा से प्रेम रस का बाँध छलछला गया ! उसकी योनि से सफेद स्निग्ध सा रस आने लगा जिसे मदनलाल ने बड़ी तत्परता से पीना शुरू कर दिया ! कामया लगभग दो मिनिट तक ओर्गश्म के दौर से गुजराती रही तब जाके उसके तंद्रा टूटी ! उसका तृप्त बदन तो उसे हिलने की भी अनुमति नही दे रहा था किंतु उसकी छटी इंद्री उसे सचेत कर रही थी क़ि मांजी कभी भी आ सकती है ! अचानक वो नीचे उतर गई और बाबूजी से बोली
कामया ::: बाबूजी मम्मी कभी आ सकती है और मुझे मालूम है आप बिना किए मानेगे नही इसलिए प्लीज़ आप जल्दी से अपना काम कर लीजिए ! ऐसा कह कर वो घूमी और किचन स्टोन मे झुक कर डोगी पोश बना दिया ! पहले से ही उसके भारी भरकम नितंब झुकने से और चौड़े हो गये जिससे मदनलाल भी अपना आपा खोने लगा ! वैसे भी उसका मूसल काफ़ी देर से आतंक मचाए हुए था ! ससुर ने अपना हथियार संभाला और मुण्ड को बहू के ज्वालामुखी के मुहाने मे धर दिया ! मुहाने पर शिश्नमुण्ड के अहसास से ही ज्वालामुखी और दहकने लगा ! अब मदनलाल ने आव देखा ना ताव और बहू की नाज़ुक बलखाती कमर को मजबूती से पकड़कर एक करारा झटका मार दिया
!किचन मे कामया की दर्दभरी चीख गूँज गई !एक ही झटके मे मदनलाल ने अपना तीन चौथाई लंड कामया के अंदर ठूंस दिया था ! मदनलाल का मूसल बहू की दीवारों को बुरी तरह रगड़ता हुआ अंदर कोहराम मचाने लगा ! मदनलाल ने अब अपने पिस्टन को पूरी स्पीड से दौड़ाना चालू कर दिया ! वैसे तो बहू काफ़ी दिनो से ससुर के साथ रंग रेलियाँ मना रही थी किंतु ससुर का औजार इतना मोटा था क़ि उसे शुरू के आधा एक मिनिट अड्जस्ट करने मे ही लग जाते इस दरमियाँ वो थोड़ा मीठा दर्द महसूस करती उसके बाद ही वो अपने रंग मे आती और चुदाई का परमानंद भोगती !
जैसे ही बहू अपने मे आई तो वो भी ससुर के हर धक्के के साथ अपनी गद्देदार गाँड को पीछे धकेलने लगी ! जैसे ही बाबूजी का शरीर कामया के जिश्म से टकराता उसके नितंबों का माँस बाबूजी के प्रहार से दब कर उपर को उठ जाता मानो हिमालय पर्वत अपनी उँचाई बड़ा रहे हों ! मदनलाल तो वैसे ही बहू के नितंबों का खास दीवाना था वो नितंबों के इस उथल पुथल को देख कर और हचक हचक कर चोदने लगा ! पूरे किचन मे वासना का तूफान आ गया ! मदनलाल ने अब कमर छोड़ बहू के दोनो चुचकों को थाम लिया और उन्हे मसल मसल कर बहू की चुदाई करने लगा ! लेकिन तूफान भी आख़िर कब तक जारी रहता ! मदनलाल के मूसल ने कामया की योनि की ऐसी कुटाई की थी क़ि उसकी पूरी योनि मदनरस से भर गई ! मूसल का काम वैसे भी तेल निकालना ही होता है ! पाँच मिनिट की घनघोर चुदाई ने कामया की चुत के जर्रे जर्रे को मथ डाला ! अब उसका पूरा बदन काँप रहा था टांगे लॅडखड़ा रही थी आख़िर मे कामया बेकाबू हो गई और ज़ोर से चीख मार कर अपना पानी बहाने लगी ! बहू को फारिग होता देख मदनलाल ने भी धमाचौकड़ी मचा दी और अपनी रबड़ी भी बहू के अंदर उडेल दी ! दोनो थक कर साँसे ठीक करने लगे मदनलाल का लॅंड अभी भी बहू के अंदर ही था और वो धीरे -२ अभी भी कामया के मम्मे मसल रहा था!!
बहूरानी को जब थोड़ा होश आया तो बोली -
कामया ::: अब हटिए भी ! क्या मम्मी को खुजराहो के पोश दिखाने हैं जो अभी भी चिपक कर खड़े हो ? वो कभी भी आ सकती हैं !
मदनलाल ::: क्या करूँ जान निकालने का मन ही नही करता दिल करता है बस ऐसे ही अंदर डाल के पड़ा रहूं !
कामया ::: चुप करो बड़े आए ऐसे ही डाल के पड़े रहने वाले ? अभी मम्मी आ गई ना तो पता चलेगा क़ि बहू मे डालना क्या होता है ! फिर दोनो अलग -२ हो गये जब कामया पेंटी पहनने लगी तो देखा क़ि बाबूजी का सारा माल उसकी जाँघो मे बह रहा था उसने उपर देखा तो बाबूजी भी वही देख रहे थे तो मदनलाल से बोली --
कामया :::: आपका इतनी मेहनत का क्या मतलब निकला ? गई ना भैंस पानी मे ?
मदनलाल ::: अब हम क्या करें हमने तो सच्चे मन से तुम्हारी सेवा की थी !मदनलाल ने कपड़े पहनते हुए कहा ! बहू ने भी पेंटी पहनना छोड़ सारे कपड़े उठाए और नंगी ही बाथरूम चल दी ताकि पोंछ पाँछ सके !
उसके बाद दो दिन और दिन मे ससुर बहू को रोज मौका मिल जाता और वो अपना काम कर लेते !भागवत कथा ख़त्म होने के बाद शांति घर मे ही रहती तो अगले दो दिन उन्हे कोई मौका नही मिला ! बेचारे दोनो तड़प रहे थे मदनलाल को बहू को माँ बनाने की तड़प थी तो बहू को बच्चे के साथ -२ सेक्स की भी तड़प चड़ी रहती थी ! तीसरा दिन भी ऐसे ही चला गया दोनो के अंदर की कामाग्नि अब दावानल बन गई थी जो हर हाल मे बुझना चाहती थी ! तीसरी रात को मदनलाल काफ़ी देर तक छत मे घूमता रहा और जब नीचे आया तो उसने खिड़की से झाँका तो उसकी वासना और भड़क गई ! अंदर कामया बिल्कुल निर्वस्त्र लेटी हुई थी ! उसकी कॅमनियी काया स्वर्ण के समान चमक रही थी जिसे देखकर ससुर के बदन मे और आग लग गई ! वो वापस टावर मे चड़ा और कामया को कॉल कर दिया ! कामया ने काल देखा बाबूजी का था ! उसने दूसरी तरफ देखा तो सुनील खर्राटे ले रहा था कामया ने फोन उठा लिया ---
कामया :::: हाँ बाबूजी
मदनलाल ::: जान थोड़ी देर के लिए उपर आ जाओ
कामया ::: जी जी आप क्या बोल रहे हैं ? सुनील यहीं है
मदनलाल ::: हमे मालूम है वो सो रहा है और सुबह तक उठेगा भी नही प्लीज़ पाँच मिनिट के लिए आ जाओ !
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ रिस्क मत लीजिए कही कोई उठ गया तो ?
मदनलाल ::: कुछ नही होगा एक काम करना बाहर से कुण्डी लगा के आ जाना ! दो मिनिट की ही तो बात है !
कामया ::; बाबूजी बस एक दिन नही रुक सकते कल शाम को तो वो चले ही जाएँगे ?
मदनलाल ::; एक दिन नही एक मिनिट रुकना मुश्किल हो रहा है ! तुम जल्दी आओ नही तो हम आ रहे हैं !
कामया ::: नही नही आप मत आना हम कुछ करते हैं
कामया उठी उसने मेक्शी पहन ली पेंटी पहनने की कोई ज़रूरत ही नही थी क्योंकि वो जानती थी जाते साथ सबसे पहले वही उतरेगी !
कामया बाहर निकली ,कुण्डी बंद किया और धीरे धीरे सीढ़ी चॅडने लगी ! उसके पूरे बदन मे अजीब सा रोमांच था आज पहली बार वो कमरे से बाहर चुदने जा रही थी इस अहसास से ही उसका पूरा शरीर रोमांचित हो गया था आख़िर होता भी क्यों ना एक शरीफ घर की संस्कारी बहू छत पर चुदने जा रही थी वो भी अपने ससुर से जबकि सास और पति घर पर ही थे ! टावर मे पहला कदम रखते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया ! उसके बाद मदनलाल ने कमरे की लाइट जला दी , कामया ने ससुर को देखा तो स्तब्ध रह गई मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था और अपने औजार को मसल रहा था !
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