Tuesday, October 6, 2015

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..32

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..32



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अब आगे
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पिछले 10 मिनट में 3 मैसेज कर चुकी थी वो...पहले में लिखा था 'सो तो नही गये ना ??'

दूसरे में 'बताओ ना जल्दी ..... ??'

और तीसरे में 'दिस इस माय लास्ट मैसेज नाउ ....मैं बुरी तरह से थक चुकी हूँ ....अब इसका रिप्लाइ नही आया तो मैं सो जाउंगी ...'

और तीसरा मैसेज एक मिनिट पहले ही आया था..अजय ने जल्दी से वट्सएप पर उसका रिप्लाइ भेजा 'सॉरी .... मैं ज़रा प्राची के पास गया था...फ़ोन यही रह गया था...'

अंजलि को वो पहले ही बता चुका था की आज की रात वो अकेला है...उसकी बीबी अपनी माँ के घर है...

उधर से भी जल्द ही रिप्लाइ आ गया 'ओके ....तो बताओ फिर....क्या इरादे है...'

अजय : 'मेरे इरादे तो बहुत ख़तरनाक है...आप बताओ....'

अंजलि : 'चलो...वेब चेट पर आओ...'

अजय ने फॉरन अपना लेपटॉप ऑन किया...अंजलि से बात करने भर से उसे इतनी एक्साइटमेंट हो रही थी की लेपटॉप स्टार्ट होने में लग रहा थोड़ा सा टाइम भी उसे चुभ रहा था.

कनेक्ट करने के 1 मिनट बाद ही अंजलि भी ऑनलाइन आ गयी.

उनके कमरे में अंधेरा था..पर साइड लेम्प की रोशनी में वो अंजलि भाभी के चेहरे को साफ़ देख पा रहा था...उन्होने रेड कलर का गाउन पहना हुआ था..पर गले मे उन्होने एक चुनरी भी डाली हुई थी.



जिसे देखकर अजय भी चकरा गया...कोई भला रात के समय और वो भी गाउन के उपर चुनरी पहनता है क्या

उसने हाय -हेलो के बाद सीधा यही प्रश्न किया : ''भाभी....ये रात के समय दुपट्टा क्यो पहन रखा है...''

वो मुस्कुराइ...अपने होंठों को दाँत में दबाया और बोली : ''बता दूँगी....इतनी जल्दी क्या है...''

दोनो ने ही हेड फोन पहने हुए थे...लेकिन जिस अंदाज और उँची आवाज़ में वो बात कर रही थी,अजय को डर लगने लगा की कही उसका फ्रेंड अनिल ना सुन ले.

अजय : "धीरे बोलो भाभी...अनिल ना सुन ले ये सब...उसको अगर पता चला की मैं इतनी रात को आपसे बात कर रहा हूँ तो मुसीबत हो जाएगी ...''

अंजलि ने लेपटॉप की स्क्रीन घुमा कर खर्राटे मार रहे अनिल की तरफ कर दी और फिर अपनी तरफ घुमा कर बोली : "ये तो पीने के बाद ऐसी गहरी नींद में सोते है की अगर घर में आग भी लग जाए तो फायरब्रिगेड वाले भी इन्हे सोते हुए ही बाहर निकालेंगे..पर इनकी नींद नही खुलेगी..''

अजय हंस दिया...उसे भी पता था की पीने के बाद अनिल जल्द ही आउट हो जाता है...उसने कई बार ऑफीस की पार्टीस के बाद अनिल को बेहोशी जैसी हालत में उसके घर छोड़ा था..पर पहले वो अंजलि भाभी के बारे में ऐसे नही सोचता था जैसे अब सोचने लगा है...काश उनके बीच की ये झिझक पहले खुल गयी होती तो उन दिनों हाथ में आए कई मौके ना खोने पड़ते.


अंजलि : "इनके दोस्तो के लिए खाना बनाते-2 पूरा शरीर दुख रहा है...''

वो अपने हाथ से ही अपनी बाजू दबा रही थी.

अजय : "मैं होता तो अभी आपकी मालिश कर देता...दस मिनट में ही पूरी बॉडी को आराम मिल जाता..''

अंजलि : "तुम तो बस बाते करते रहना...तुम्हारे बस का कुछ नही है...''

वो शायद अजय को पहले दिए गये मौके के बारे मे याद दिला रही थी...जब वो उन्हे अनदेखा करके सोनी से मिलने उसके घर चला गया था..

अजय : "उस दिन की बात छोड़ो भाभी...अब की बात कर रहा हूँ ...इस बार आपको निराश नही करूँगा...''

इतना कहते हुए अजय ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ अपने लंड के उपर हाथ फेरना शुरू कर दिया...लेपटॉप उसके घुटने के उपर था...इसलिए वो सॉफ देख पा रही थी की अजय का ये गंदा इशारा किसलिए है..

अजय की टाँगो के बीच आए इस उभार को देखकर एक मिनट में ही अंजलि भाभी के चेहरे की रंगत बदल गयी...उनकी आँखो में लाल डोरे उतर आए...और उनका चेहरा स्मूथ सा हो गया.

वो बोली : "ठीक है.....जब तुम इतना कह ही रहे हो तो एक मौका तो बनता ही है...बोलो...क्या करोगे अगर मैं मिल गयी तो...''

अंजलि भाभी के पूछने का तरीका ही इतना सेक्सी था जैसे वो डाइरेक्ट्ली पूछ रही हो 'कैसे चोदोगे अगर मिल तो'

अजय : "वो तो मैं बता ही दूँगा...पर ये परदा क्यों लगा रखा है...इसे तो हटाओ...''

उसका इशारा अंजलि की चुनरी की तरफ था...वो जानता था की अपने मोटे मुम्मे छुपाने के लिए ही उन्होने चुनरी से ढक रखा है अपना योवन.

पर उसे ये नही मालूम था की असली बात क्या है...और वो जल्द ही पता चल गयी उसे..

क्योंकि अजय की बात सुनकर उन्होने फिर से अपने चिर-परिचित अंदाज में अपने दांतो से होंठों को काटा...और फिर धीरे-2 अपना दुपट्टा उतार दिया...

अजय का तो जबड़ा लटक गया उसके बाद का सीन देखकर..

उन्होने जो गाउन पहना हुआ था वो सी थ्रू था...यानी आर पार देखा जा सकता था...और सबसे बड़ी बात उन्होने उस गाउन के नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी...जिसकी वजह से लेपटॉप के इतने करीब बैठी अंजलि भाभी की मोटी छातियाँ लगभग नंगी सी होकर अजय को दिख रही थी...उन दोनो गोलाइयों का आकार...उनपर लगे जामुन जैसे मोटे निप्पल...अजय को ऐसे तडपा गये की उसका मन किया की लेपटॉप में हाथ डालकर उन्हे ज़ोर से दबा डाले...

उसका हाथ आगे बड़ा भी...और उसने स्क्रीन के उपर से ही उनके बूब्स को छू लिया...

अजय के हाथ को स्क्रीन से टच होता देखकर अंजलि भी समझ गयी की वो क्या करना चाहता है...वो शरारत भरे स्वर मे बोली : "ये क्या....''

अजय : "अब असल में तो छू नही सकता...ऐसे ही छूकर देख रहा हूँ ...''

अजय ने बड़ी हिम्मत करके ये बोल तो दिया....पर अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था की उसकी ये हरकत उल्टी ना पड़ जाए...क्योंकि पिछली बार उनसे ना मिल कर अजय ने अंजलि को किलसा जो दिया था..

पर उसके विपरीत वो उतनी ही सेक्सी आवाज़ में बोली : "तुम्हे ये शुरू से ही पसंद है ना...हम्म्म्म ...बोलो....''

इतना कहकर वो अपने दाँये हाथ से खुद का ही बूब उठाकर उसका वजन नापने लगी...और दिखाने भी लगी उसके पूरे आकार को..जो नीचे लटक जाने से पूरी तरह नज़र नही आ रहा था पहले..

अजय तो सकपका सा गया...अब वो भला क्या बोलता....लेकिन जिस तरह से अंजलि इतनी बेबाकी से वो सब पूछ रही थी...खुद ही अपने बूब्स को दबा रही थी...उसे भी थोड़ा बहुत होंसला मिला और वो बोला : "अब इसमे छुपाने वाली क्या बात है भाभी...और वैसे भी..ये है ही इतने अट्रेक्टिव की एक बार जो नज़र पड़ जाए तो हटती ही नही..''

अजय तो ऐसे घूर कर उसके कड़क निप्पल्स देख रहा था जैसे लॅपटॉप में ही छेद कर डालेगा अपनी जलती हुई आँखो से...सामने होती तो पता नही क्या हाल करता वो उनका.


अजय तो चाहता था की जल्द से जल्द ये मामूली सा परदा भी बीच में से हट जाए...इसलिए उसने हिम्मत करके बोल ही डाला..

"भाभी....प्लीज़ ....दिखाओ ना...ये परदा क्यों है बीच में ...''

अंजलि : "वाह जी वाह ....तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मेरी हर बात मान लेते हो...मैं भला क्यों मानू तुम्हारी बात...''

अजय : "अच्छा ..आप ही बताओ...मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ ..''

अजय दोनों जानते थे की आज की वेब चेटिंग का उद्देश्य है, लेकिन फिर भी इस तरह बातें करने काफी मज़ा आ रहा था

अजय की बात सुनकर अंजलि की आँखो में शरारत तैर गयी...और वो बोली : "पहले तुम दिखाओ...''

अजय भी उसकी शरारत में रंग कर बोला : "क्या ???''

अंजलि (मुँह बनाते हुए) : "अब ये भी बताना पड़ेगा...''

अजय ने नोट किया की अंजलि के हाथ उसकी चूत तक पहुँच गये है और वो खुद ही अपनी चूत को मसल कर अपनी उत्तेजना को शांत करने की नाकाम कोशिश कर रही है.

अजय : "बताना तो पड़ेगा ही ना...वरना मुझे कैसे पता चलेगा की आप क्या देखना चाहती है...''

अंजलि ने तपाक से डाइरेक्ट्ली बोल दिया : "तुम्हारा लंड ....जो मेरे सामने रखकर तुम मुझे ललचा रहे हो इतनी देर से...''

अजय हंस दिया....और फिर अगले ही पल उसने अपनी शॉर्ट्स खिसका कर अपना खड़ा हुआ लंड बाहर निकाल कर खड़ा कर दिया..

लेपटॉप के एकदम सामने था वो लंड ..और वैसे भी अजय का साइज़ आम मर्दो से कुछ बड़ा ही था...इसलिए अंजलि को देखने में ऐसा लगा की वो लेपटॉप के थ्रू एफ्फ़िल टावर देख रही है...

एक पल के लिए तो वो अपनी आँखे झपकाना भूल गयी....उसके हाथो की तेज़ी अपनी चूत पर बड़ गयी...और वो खुलकर अपनी चूत को उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगी..

ऐसा करते हुए उसके मुँह से एक-दो सिसकारियां भी निकल गयी...पर अब उसे इसकी फ़िक्र नही थी...वो बेशर्मो की तरह अपनी ठरक को पूरी तरह से उजागर कर रही थी.

अजय : "ये देखो भाभी....आपका छोटा देवर...''

अंजलि ने उसी सेक्सी अंदाज में अपने दांतो से होंठों को निचोड़ा और बोली : "सदके जाऊ अपने छोटे देवर पर...इसे छोटा कहना ग़लत होगा...काफ़ी बड़ा है ये तो...''

जवाब में अजय बस मुस्कुरा कर रह गया...और अपने लंड को हाथ में लेकर उसे उपर से नीचे तक मसलने लगा..

अजय ने ये बात पहले भी नोट की थी और अब भी कर रहा था...की जब भी वो अपने खड़े हुए लंड की चमड़ी को सुपाड़े से खींचकर नीचे करता था...उसके अगले भाग को देखकर लड़कियां अक्सर सम्मोहित हो जाया करती थी...शायद ये हर औरत के साथ होता है जब भी कोई मर्द उनकी आँखो के सामने ऐसा करता है...शायद तभी इस सुपाड़े को मुँह में लेने की ललक पैदा हो जाती है उनमे..

और वो ललक इस समय अंजलि भाभी के अंदर भी पैदा हो रही थी...वो अपनी चूत को तो मसल ही रही थी..अपने सूख चुके होंठों पर गीली जीभ फिरा कर अजय के लंड को मुँह में लेने का सपना भी देख रही थी.

अजय : "अब आप भी दिखाओ....''


अंजलि ने भी उसी अंदाज में पूछा जैसे अजय ने पूछा था : "क्या दिखाऊ ...बोलकर बताओ ना...ऐसे मुझे कैसे पता चलेगा की तुम क्या देखना चाहते हो...''

अजय भी उसी बेशर्मी भरे अंदाज में बोला : "आपके बूब्स भाभी....आपके चुच्चे ...ये मोटे-2 मुम्मे जो आपने अपने गाउन के अंदर छुपा रखे है...जिन्हे देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा हो जाता है...वो दिखाओ मुझे...''

अजय ने एक ही सांस में सारी परिभाषाएं दे डाली उन्हें ।

दोनो तरफ आग पूरी तरह भड़क चुकी थी...उन दोनों के छोटे-2 कमरे बदन की गर्मी से झुलस रहे थे...दोनों को अपने शरीर और शब्दो पर कोई कंट्रोल ही नही रहा था...

और जिस अंदाज में अजय ने ये सब बोला था,उसे सुनकर अंजलि पर तो जैसे उत्तेजना की देवी सवार हो गयी...वो बदहवासी जैसी हालत में अपने गाउन की डोरियों को खोलना चाहती थी पर जब उसकी गाँठ नही खुली तो उसने उस पतले से कपड़े को पकड़कर चीर दिया...और अपने भरे हुए स्तन अजय के सामने प्रस्तुत कर दिए



और सेक्स से भरी आवाज़ में हिसहिसायी : "उम्म्म्ममममममम....ये लो.......देख लो....अपनी भाभी के बुब्बे....चूस लो इन्हे....दबा लो.......मसल दो......जो करना है कर लो.....''

वो इतनी तेज चिल्ला रही थी की उसके पड़ोसियो तक आवाज़ पहुँच जाए...और एक वो शराबी अनिल था जो दारू पीकर ऐसा बेसूध पड़ा था की उसे अपनी बीबी की ये आवाज़े सुनाई ही नही दे रही थी..

अजय ने ऐसे बड़े बूब्स आज तक नही देखे थे...उसकी सास के भी लगभग इतने ही बड़े थे..पर अंजलि भाभी और उसकी सास की उम्र में काफ़ी अंतर था...इसलिए इसके कड़क मुम्मे कुछ अलग ही कहर ढा रहे थे...अजय ने हाथ आगे करके उन्हे पकड़ना चाहा पर उन्हे पकड़ने का सिर्फ़ एहसास ही कर पाया...असल मे पकड़ता तो उन्हे नोच ही डालता वो..

अंजलि ने अपनी भरी हुई छातियों पर अपने पंजे लगाकर उन्हें जोरों से भींच डाला , अजय की तो सिसकारी निकल गयी उन मोटे मुम्मो को ऐसे दबता देखकर,वो पंजा उसका होना चाहिए था तब और भी ज्यादा मजा आता



अंजलि भाभी वहीँ पर ही नही रुकी....वो उठ खड़ी हुई और उन्होने लॅपटॉप को स्टडी टेबल पर रख दिया...और वो खुद उसके सामने खड़ी हो गयी..
 


और फिर उन्होने उस फटे हुए गाउन को पूरी तरह से फाड़ डाला...और जैसे-2 वो फटता जा रहा था,उनका दूधिया बदन उजागर होता जा रहा था.और आख़िर में वो सिर्फ़ एक पेंटी में रह गयी....पेंटी तो नही थी वो थोंग थी ..जो उनकी चौड़ी गांड को एक धागे की तरह ढक रही थी...उनकी चूत वाले हिस्से पर एक छोटा सा पेच था बस...



अंजलि ने अपनी उंगलियो को अपने मुँह में डालकर उन्हे भिगोया और फिर उन्हे अपने निप्पल्स पर रगड़कर नीचे तक ले गयी और थोंग में डालकर अपनी चूत को रगड़ डाला...ऐसा करते हुए वो अपनी कमर को इधर उधर घुमा रही थी...जैसे अजय को कैबरे दिखा रही हो...

अजय ने भी लॅपटॉप को सामने रख दिया और बेड पर घुटनो के बल बैठकर अपने लंड को जोरों से आगे - पीछे करने लगा...और लंड को मसलते-2 वो बुदबुदाया : "भाभी....प्लीज़.....ये पेंटी भी उतारो ना.....पूरी नंगी देखना है मुझे आपको.....प्लीज़......आपको अपने छोटे देवर की कसम....''

वो अपने लंड के सुपाड़े को उनकी तरफ करता हुआ बोला..

भाभी ने भी अपने छोटे देवर की कसम की लाज रखते हुए अपनी पेंटी को सेक्सी तरीके से उतारना शुरू कर दिया....और धीरे-2 करके उसे पूरा उतार फेंका...अब वो पूरी नंगी खड़ी थी अजय के सामने...भले ही वो उन्हे लेपटॉप के ज़रिए देख रहा था..पर उनके नंगे बदन को देखकर वो उतना ही उत्तेजित हो रहा था जितना की शायद उन्हे असल में देखकर होता.....



उनका साँचे में ढला शरीर इतना शानदार था की अजय के हाथो की स्पीड और तेज हो गयी...

वो तो बस अपने लंड की पिचकारी आज अपने लॅपटॉप की स्क्रीन पर मारकर अपनी भाभी को खुश कर देना चाहता था...

लेकिन तभी अंजलि ने कहा : "क्यो अपने माल को इस तरह से वेस्ट कर रहे हो....''

अजय : "मैं समझा नही...??''

अंजलि ने अपनी चूत रगड़ते हुए कहा : "आ जाओ....यहीं ..मेरे पास....अभी....''
 


अजय का तो होंठ काँप गये उनके ऑफर का जवाब देते हुए : "अभी......वहां .....आपके घर....''

अंजलि : "ह्म्*म्म्मम....अभी.....जल्दी आओ....अगर ये चाहिए तो जल्द से जल्द यहाँ आ जाओ ''



अंजलि ने आखिरी बार अपना रसीला बदन उसे दिखाते हुए लॅपटॉप को वापिस फोल्ड करके बंद कर दिया.

और अजय बेचारा अपने खड़े हुए लंड को हाथ में लेकर बैठा रह गया...

क्या तरीका था अंजलि का...एन वक़्त पर अजय को तरसाकर अपने पास बुलाने पर विवश कर दिया...अजय भी ऐसी बकचोदी से ज़्यादा एक्शन में विश्वास रखता था..लेकिन अभी रात का 1 बज रहा था...और अनिल का घर वहां से करीब 15 किलोमीटर दूर था...वैसे तो इस समय वहां तक पहुँचने में ज़्यादा समय नही लगना था..पर इतनी रात को वहां जाने में थोड़ा रिस्क ज़रूर था...लेकिन जब सिर पर सेक्स का जुनून चड़ा हो तो ऐसे छोटे-मोटे रिस्क नही देखे जाते...उसने जल्दी से कपड़े पहने..गाड़ी की चाभी उठाई...घर पर ताला लगाया और चल दिया अंजलि भाभी के घर की तरफ...

अपने दोस्त की बीबी को चोदने जा रहा था...उसके ही घर पर...उसके होते हुए...ये बात अंदर तक एक्साइट कर रही थी अजय को...

आज की रात उसकी जिंदगी में सेक्स अड्वेंचर के रूप में दर्ज होने वाली थी..

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