Friday, October 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI “अमृत कलश”--4

FUN-MAZA-MASTI


अमृत कलश”--4




मैंने महसूस किया की वो नीचे पूरी गीली हो गई है।
मैंने उसके घाघरे का नाडा खींचा तो उसने एक हल्का सा विरोध किया और अपने घाघरे को पकड़ कर लेटी रही।
मैंने फिर से कोशिश की तो वो सिर हिला कर ना नाकरने लगी।
मैं हंस पड़ा और ज़बरदस्ती उसकी डोरी खींच दी और घाघरे को नीचे सरका दिया।
मेरे सामने जन्न्त की गुफा का दरवाजादिखाई पड़ रहा था।
गुफा के बाहर हल्की हल्की झाड़ियाँ उगी हुई थीं, जो की मुलायम रेशमी बालों की थीं।
उफ्फ!!
नंगी चूत.. !!
मैंने अपना हाथ उसकी नंगी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा।
एक बार मैंने सोचा की अपना लण्ड उसके मुँह में दूँ पर फिर मैंने फ़ैसला किया की पहली बार है, पहले चोद ही लेता हूँ।
चूसना चूसानाअगली बार, कर लेंगे।
मैंने उसकी टाँगों को खोल दिया और अपनी एक उंगली, उसकी चूत में डाल दी।
नहीं गई, जनाब।
बड़ा ही तंग रास्ता था, उस जन्नत की गुफा का।
मैं उठा और तेल की शीशी ले कर, फिर से पलंग पर आ गया।
मैंने अपने लण्ड पर बढ़िया से तेल लगाया और फिर भूरी की चूत में भी तेल लगाने लगा।
भूरी, कसमसा रही थी।
मैंने निशाना लगाया और धीरे से, अपने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा।
भूरी, अब घबराने लगी थी।
मैंने धीरे से पुश किया।
मैं जानता था की इसकी चूत बहुत ही ज़्यादा टाइट होगी और अगर, मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती की तो ये चिल्लाने लगेगी, दर्द के मारे।
फिर तो, बवाल होने की पूरी संभावना थी।
नीचे चाचा और किशोरी चोदा चादी करने के बाद, एक ही बिस्तर में एक दूसरे से गुथम गुत्था सो रहे थे।
अगर, वो उठ जाते तो मेरी तो खैर नहीं थी।
इसलिए, मैंने भूरी से कहा भूरी, अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ.. !! मेरी बात ध्यान से सुनो.. !! जब मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूँगा तो तुम्हें थोड़ा दर्द होगा.. !! क्योंकि ये तुम्हारा पहली बार हैं.. !! इसलिए.. !! लेकिन, कुछ देर बाद ये दर्द चला जाएगा और तुम्हें मैं भरपूर मज़ा और आनंद दूँगा.. !! तो प्लीज़, एकदम आवाज़ नहीं करना.. !! ठीक है.. !! क्यूंकी अगर किसी ने सुन लिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.. !!
भूरी ने कोई जवाब नहीं दिया। बस हाँमें सिर हिला दिया।
मैंने फिर कहा भूरी, ये मेरा वादा है मैं तुम्हें भरपूर सुख दूँगा.. !! इतना मज़ा तुम्हें पहले कभी नहीं आया होगा.. !! तुमने तो खुद किशोरी को आनंद में चीखते हुए, सुना ही है.. !!
भूरी ने फिर सिर हिलाया।
मैं अब तैयार था।
मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा।
भूरी, सनसना रही थी।
उसका शरीर मारे उत्तेजना के काँप रहा था।
मैंने फिर शुभारंभ किया।
 
टोपी को घुसने में ही, मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी।
ना जाने, आगे क्या होने वाला था।
मैंने अपने तेल लगे हुए लण्ड को, छेद पर रखा और एक ज़ोर का झटका लगाया।
साथ ही, मैंने भूरी के मुँह पर अपना हाथ ढक्कन की तरह चिपका दिया।
भूरी के मुँह से, घुट घुटि चीख निकल गई।
उसको लगा जैसे, किसी ने उसकी चूत में एक दो धारी तलवारडाल दी है।
उसकी आँखों से, आँसू छलक आए।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और एक और झटका लगाया।
अभी तक सिर्फ़ सुपाड़ा ही अंदर गया था।
मुझे खुद, काफ़ी जलन हो रही थी।
भूरी मेरे नीचे से निकलने के लिए तड़प रही थी और पूरे ज़ोर से, मुझे धकेलने की कोशिश कर रही थी।
मैं जानता था की अगर, आज मैं हार गया तो ये चिड़िया कभी मेरे फंदे में नहीं आईगी।
उसकी चूत भी, बहुत ज़्यादा टाइट थी।
मैंने अपने दाँतों को दबाते हुए, एक और धक्का मारा।
करीब 80% तक, मेरा लण्ड उसकी चूत में धँस गया था।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया था।
भूरी जैसे, रहम की भीख माँग रही थी।
मैंने उसको फुसफुसा के बोला एकदम शांत पड़ी रहो, वरना और दर्द होगा.. !! अभी 2-3 मिनट में, सब ठीक हो जाएगा.. !!
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके दूध को चूसने लगा और उसके निप्पल को अपने दाँतों से सहलाने लगा।
थोड़ी देर बाद, भूरी का जिस्म थोड़ा ढीला पड़ा और वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने फाइनल धक्का मारा।
मेरा लण्ड पूरी तरह, भूरी की चूत की गिरफत में था।
मैं फिर शांत पड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद, मैंने अंदर बाहर करना शुरू किया।
बहुत धीरे धीरे।
भूरी के जिस्म में भी, हरकत होने लगी थी।
उसने अपनी बाहों का हार, मेरी गर्देन के चारों तरफ डाल दिया था और अपनी कमर भी थोड़ा थोड़ा उठाने लगी थी।
मैं समझ गया की शिकार अब चुदवाने के लिए, तैयार है।
मैंने दूसरा गियर डाला और स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी।
 
कसम लण्ड के बाल की!! इतना मज़ा मैंने कभी भी महसूस नहीं किया था।
मैं नहीं जानता था की लौंडिया को चोदने में इतना मज़ा आता है।
हम मिशनरी पोज़िशनमें चुदाई कर रहे थे।
भूरी भी हाँफ रही थी और सिसकारी भर रही थी।
उसका दर्द अब ख़त्म हो गया था और वो अपनी जवानी लूटा कर, जवानी के मज़े लूट रही थी।
उसके हाथ मेरी पीठ पर काफ़ी तेज़ी से घूम रहे थे और मैं जबरदस्त चुदाईकर रहा था।
मेरी रफ़्तार टॉप गियर पर थी और हम दोनों के मुँह से, आहें निकल रही थीं।
मैं बीच बीच में झुक कर, उसकी चूचियों को अपने मुँह में दबोच लेता था और ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए उसको चोद रहा था।
भूरी की सिसकारियाँ, अब चीख में बदल रही थीं पर वो मेरे कहे मुताबिक, सावधान थी और हल्के हल्के ही चीख रही थी।
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !! उन्हम्म.. !! इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह.. !! आह आह अहह.. !! नहीं स स स स स.. !! उन्हम्मह म म म म म.. !! आहम्म उईईए सस्स्शह.. !! अहहआहम्म.. !! मर र र र र र गई ई ई ई ई ई.. !! या या आह आ आ आ ह ह ह ह ह.. !!
अचानक भूरी का शरीर अकड़ने लगा और वो ज़ोर से मचलने लगी।
उसकी बाहों का दायरा कसने लगा और वो ज़ोर से मेरी छाती में चिपक कर, झड़ गई।
मैंने अपने लण्ड पर उस के उबाल की गरमी को महसूस किया।
भूरी अब, निढाल पड़ी थी ।
मैंने और रफ़्तार बड़ाई और उसको दबा दबा के चोदने लगा।
उसका कामरसउसकी चूत में मेरे लण्ड के घर्षण से फूच फूच की आवाज़ पैदा कर रहा था।
मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था और धक्के लगाए जा रहा था।
1-2 मिनट के बाद, मेरी साँस भी रुकने लगी।
मेरी गोलियों में तनाव पैदा होने लगा और मैं भी गया।
मैंने दना दना कई फव्वारे खोल दिए, भूरी की चूत में और गले सा अजीब सी आवाज़ निकालते हुए, भूरी के ऊपर ही गिर पड़ा।
मैं आनंद के सागर में हिलोरे ले रहा था और मुझे पता था की भूरी भी हिलोरे ले रही होगी।
थोड़ी देर बाद, भूरी कसमासने लगी और मुझे धकेलने लगी।
मैं उठा और पलट कर वहीं सो गया।
सुबह भोर में जब मेरी आँखें खुली तो सुबह हो गये थी और पेट में चूहे दौड़ रहे थे।
भूख के मारे, बुरा हाल था।




अचानक, मुझे होश आया की भूरी बिल्कुल नंगीमेरे पास ही सो रही थी।
उसकी नंगी काया को देखते ही, मेरा लण्ड फिर से जोश में आने लगा।
उसके होठों पर, एक प्यारी सी मुस्कान तैर रही थी।
उसके दूध, खुली रौशनी में बहुत ही प्यारे लग रहे थे।
मैं अपने को रोक ना पाया और उसकी एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरी छाती को, अपने हाथों से मसलने लगा।
भूरी की आँख खुल गई।
उसने भी तुरंत प्यार से मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और फिर, हम एक दूसरे के होठों का रस पीने लगे।
अचानक, मुझे झटका लगा और मैं हड़बड़ा के उठ गया।
भूरी से बोला जल्दी कपड़े पहनो और निकलो.. !!
किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।
वो भी हड़बड़ा के उठी और अपनी चोली और लहंगा पहन कर, धीरे से वहाँ से निकल गई।
शुक्र था की अभी घर के लोग सो कर नहीं उठे थे क्योंकि सब रात को शादी से, बहुत देर से आए थे।
समाप्त.. .. .. ..












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