FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..35
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अब आगे
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अपनी ठरक को ऐसे अंजाम तक पहुँचाकर अजय बड़ी ही मस्ती में गाड़ी चला रहा था..
वो अभी कुछ ही दूर गया था की उसे सड़क किनारे एक गाड़ी दिखाई दी..शायद खराब हो गयी थी..और उसके बाहर खड़ी एक फैमिली भी, जो अपना हाथ हिला कर उसकी कार को रुकने का इशारा कर रही थी..एक अंकल और आंटी के साथ एक जवान लड़की भी थी..
पहले तो उसने सोचा की इस तरह से गाड़ी रोकना ख़तरनाक हो सकता है...क्या पता ये कोई लूटपाट करने वाला गिरोह हो..लेकिन उनकी बगल से गुज़रते हुए जब उसकी नज़र उस लड़की पर पड़ी तो उसने तुरंत ब्रेक मार दी...ये तो रचना थी..जिसने कुछ दिन पहले ही उसके ऑफीस में जॉईन किया था.
उसकी कार को रुकता देखकर उन सभी के चेहरे पर खुशी आ गयी ...अजय भी तुरंत गाड़ी से बाहर निकल कर उनकी तरफ बड़ा...और जब अजय और रचना की नज़रें एक दूसरे से टकराई तो अजय ने अंजान सा बनते हुए कहा : "अरे ...रचना तुम...और यहाँ...''
रचना भी अजय को उस कार में से निकलता देखकर सर्प्राइज़ हो गयी...वो बोली : "ओह्ह्ह ....थॅंक गॉड ...अजय सर ...आपने कार रोक ली इस वक़्त...वरना पिछले आधे घंटे से हम लोग इतने परेशान हो रहे है...''
और फिर वो अपने हैरान-परेशान माँ - बाप की तरफ पलटी और बोली : "पापा...ये अजय सर है...मेरे ऑफीस में ही है...और ये हमारे घर की तरफ ही रहते है...''
अपनी बेटी की बात सुनकर उसके पापा बोले : "ओह.....ये तो बहुत अच्छी बात है....अजय बेटा...प्लीज़ अगर तुम हमे घर तक ड्रॉप कर सको तो...हम एक शादी से वापिस आ रहे थे और ये कार यहाँ खराब हो गयी...''
अजय ने नोट किया की सभी ने शादी मे पहनने लायक कपड़े पहने हुए थे...लेकिन उसकी नज़र तो रचना पर ही थी...जो लोंग कट वाली स्कर्ट में बला की खूबसूरत लग रही थी...उसकी लोंग स्कर्ट में दोनो तरफ एक कट था जो उसके घुटनो तक जा कर उसकी मांसल टाँगो को उजागर कर रहा था..
अजय ने भी नही सोचा था की इतनी रात को उसे रचना इस तरह रास्ते में मदद माँगते हुए मिल जाएगी...उसने तुरंत सभी को कार में बिठाया और उनके घर की तरफ चल दिया.
उसके मम्मी-पापा पिछली और रचना आगे वाली सीट पर आकर बैठ गयी...रचना की आँखो में अजय के लिए कुछ अलग ही तरह के भाव नज़र आ रहे थे..
जब कार आगे बड़ी तो रचना शुरू हो गयी : "सर ..आप इतनी रात को कहाँ से आ रहे है...''
अजय : "वो मेरा एक फ्रेंड हॉस्पिटल में एडमिट है...उसी को देखने गया था...''
रचना : "इतनी रात को...कुछ ज़्यादा लेट नही है ये...''
अजय (मुस्कुराते हुए) : "दरअसल शाम को मैं कहीं और गया था, और वहां से निकलते - 2 लेट हो गया..और वैसे भी अगर मैं पहले हॉस्पिटल चला गया होता तो तुम्हे कैसे मिलता''
अजय ने उसकी शराबी आँखो में देखते हुए कहा...
रचना ने मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका ली...ये कुँवारी लड़कियो की आँखो में किस तरह का नशा भरा होता है...इनमे देखकर इतना आनंद या ये कहलो उत्तेजना का एहसास क्यों होता है....यही सोचता हुआ अजय गाड़ी चलाने लगा..
अजय की नज़र रचना की टाँगो पर गयी....उसकी ड्रेस में लगे कट की वजह से उसकी टाँग लगभग नंगी होकर उसे दिख रही थी...अजय के सोए हुए लंड ने एक अंगड़ाई सी ली उसे देखकर...अजय ने कुछ देर तक सोचा और फिर उसने जान बूझकर अपना हाथ गियर से फिसला कर उसकी नंगी टाँग पर रख दिया...रचना एकदम से चोंक गयी...और अजय की तरफ देखने लगी...अजय ने धीरे से सॉरी बोलकर अपना हाथ वापिस खींच लिया और गियर पर रख लिया..रचना की नज़र अपने माँ - बाप पर गयी जो बड़े आराम से पीछे बैठकर आपस में कुछ बाते कर रहे थे..उन्हे अपने मे लगा देखकर वो थोड़ा निश्चिंत हुई ...लेकिन अजय की हरकत के लिए उसने कोई ऑब्जेक्ट नही किया...और इससे अजय की हिम्मत और भी बड़ गयी...
थोड़ा आगे चलने के बाद अजय का हाथ फिसल कर फिर से उसकी टाँग पर चला गया...और इस बार तो उसने अपनी उंगलियो से उसकी जाँघ को सहला भी दिया...एकदम कड़क स्किन थी उसकी...चिकनी...अनछुई सी...सफेद माँस वाली....
और उसके सहलाने का अंदाज इस बात की गवाही दे रहा था की वो ये सब जान बूझकर ही कर रहा है...
अपने माँ - बाप के होते हुए उसके ऑफीस का सीनियर रचना को टच कर रहा था...ये बात उसे अंदर तक उत्साहित कर रही थी...अजय की डेयरिंग देखकर उसे भी मज़ा आ रहा था...मज़ा तो उसे वैसे ही आ रहा था क्योंकि ये उसकी जिंदगी का पहला पुरुष स्पर्श था जो उसे मिल रहा था...आज से पहले वो हमेशा लड़को से दूर ही रहा करती थी...एमबीए करने के बाद उसने जब से कंपनी ज्वाइन की थी तब से ही उसे अजय जैसे ठरकी लोगो की भूखी नज़रों का सामना करना पड़ रहा था..लेकिन जैसी वो हमेशा से रहती आई थी वैसी ही वो ऑफिस में भी थी, अभी तक वो किसी को लाइन नही देती थी...लेकिन अभी की सिचुएशन के हिसाब से उसे ये सब अंदर तक एक्साइट कर रहा था...
और दूसरी तरफ एक और कुँवारी लड़की को अपनी तरफ आकर्षित और अपने जाल में फँसता देखकर अजय का पप्पू पूरी तरह से जाग उठा...आज जितनी मेहनत उसने आज तक नही की थी...उसके बावजूद एक नये मेहमान को देखकर वो फिर से मुस्तैद हो उठा...अजय को अपने लंड की यही बात सबसे ज़्यादा अच्छी लगती थी..
रचना के माँ-बाप आपस में बात करते रहे और अजय के हाथ उनकी बेटी की जाँघ सहलाते रहे..अभी उनका घर आने मे थोड़ा टाइम था...और वैसे भी अजय इस वक़्त गाड़ी काफ़ी आराम से चला रहा था..ताकि ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रचना की रान को सहला सके..रचना भी अब अपने चेहरे पर हाथ रखकर अपनी इस अंजान खुशी को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी...उसे तो काफ़ी मज़ा मिल रहा था इसमे इसलिए वो अपने गुलाबी हो रहे चेहरे को दूसरी तरफ करके उसकी रंगत छुपा रही थी..
अजय ने थोड़ा और हिम्मत की और अपना हाथ उसकी स्कर्ट के थोड़ा और अंदर खिसका दिया...लेकिन इस बार रचना ने उसके हाथ को पकड़कर बाहर की तरफ झटक दिया..अजय को लगा की ये तो बुरा मान गयी..शायद उसे ये जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए थी...लेकिन जब उसने रचना से नज़र मिलाई तो उसने पीछे बैठे माँ बाप की तरफ इशारा किया...शायद उसने उनके डर से वो किया था...अजय भी समझ गया की चाहे गाड़ी में जितना भी अंधेरा हो,अगर उसकी माँ या बाप ने तोड़ा आगे झुककर देख लिया तो उन्हे अजय के हाथो की हरकत ज़रूर दिख जाती और शायद रचना ये रिस्क नही लेना चाहती थी..इसलिए अजय ने भी अपने आप को संभाला और फिर से अपने हाथ को उसकी तरफ नही किया..
कुछ ही देर में उनका इलाका आ गया...और रचना के कहने पर अजय ने एक कॉलोनी में जाकर उनके घर के बाहर कार रोक दी...उसका घर सच में अजय के घर के काफ़ी करीब था..सिर्फ़ 5 मिनट की दूरी पर...इसलिए उस दिन वो अजय के साथ ऑफिस से एकसाथ वापिस आने की बात कर रही थी..
खेर, वो सब गाड़ी से उतरे और रचना के माँ-बाप ने अजय को तहे दिल से धन्यवाद दिया और दरवाजा खोलकर अंदर चल दिए...रचना ने उन्हे अंदर जाने को कहा और ये भी की वो अजय सर को धन्यवाद देकर आती है..
गली में घुपप अंधेरा था...रचना अजय के करीब आई और बड़े ही सेक्सी अंदाज में उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अजय को थेंक्स बोला...अजय ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और वो एकदम से अजय के काफ़ी करीब आ गयी...इतने करीब की उसके बूब्स अजय के सीने से टच करने लगे , अजय ने नजरे झुकाकर उसके कट को देखा ...
रचना फुसफुसाई : "सर ...आप तो बड़े शरारती है...''
अजय ने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और बोला : "अभी मेरी शरारत तुमने देखी ही कहा है...कल से मेरे साथ वापिस आना...तब देखना मेरी शरारते...''
और इतना कहकर उसने बिना किसी वॉर्निंग के उसे गले से लगा लिया...और उसके गालों पर एक किस्स करते हुए गुडनाइट बोला और पलटकर कार में बैठ गया...ये सब इतनी जल्दी हुआ की रचना का मुँह खुला का खुला रह गया...ऑफीस में एकदम जेंटेलमेन जैसा दिखने वाला अजय इतना शरारती भी हो सकता है शायद यही सोचने की कोशिश कर रही थी वो...
फिर वो उसे बाइ बोलकर वापिस अपने घर आ गया...
बेड पर लेटते हुए उसके दिमाग़ में पूरे दिन की फिल्म चल रही थी...एक साथ कितनी चूतें मिल गयी थी उसे....और उनमे से अभी तक उसने सोनी , अंजलि भाभी और प्राची की मुंबई वाली चाची को तो निपटा ही दिया था...अपनी दोनो सालियो के बाद आज एक और कुँवारी लड़की का नाम जुड़ चुका था उसकी अपकमिंग फकिंग टीम में ...और उनके बारे में सोचते-2 उसे कब नींद आ गयी उसे भी पता नही चला...
उसकी नींद जब खुली तो उसे अपनी लाइफ का सबसे बड़ा सरप्राइज मिला...उसकी साली पूजा उसकी बाहो में उसके साथ सो रही थी...
उसने एक पतली सी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी...यानी वो अपनी नाइट ड्रेस में ही थी...
लेकिन ये उसके कमरे में आई कब...रात को 3 बजे तक तो वो जाग ही रहा था...घर आने के बाद उसने अपने कपड़े उतारे और नंगा ही अपने बिस्तर में घुस कर सो गया..जो उसकी आदत थी..लाख कोशिश करने के बाद भी उसे याद नही आ रहा था की उसने घर आकर बाहर का दरवाजा बंद किया था या नही..
शायद वो खुला ही रह गया था...इसलिए पूजा वहां पहुँच गयी थी..
और जिस तरीके से वो उसके जिस्म से लिपट कर सो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वो नही बल्कि उसकी बीबी प्राची है..वो भी अक्सर ऐसे ही उससे लिपट कर सोती थी...
अजय ने उसके भोले से चेहरे की तरफ देखा तो उसे ये एहसास हुआ की वो सिर्फ़ सोने का नाटक कर रही है...उसकी आँके अधखुली सी थी...और उसके होंठ कुछ कहने के लिए फ़डफ़डा से रहे थे...
अजय : "तो तुम जाग रही हो...''
इतना सुनकर पूजा ने उसे और ज़ोर से पकड़ लिया और बोली : "उम्म्म्मममम.....जाग तो रही हूँ पर ऐसे ही आपकी बाहों में हमेशा के लिए सो जाना चाहती हूँ ''
अजय तो पहले से ही जानता था की पूजा उसके इश्क़ में पड़ चुकी है...ऐसी बातें सच्चा प्यार करने के बाद ही निकलती है..
पर अजय को इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था....फ़र्क पड़ रहा था तो उसके लंड को...जो पहले से ही नंगा होने के बाद अपने दिन की शुरूवात इतनी हसीन लड़की को देखकर कर चुका था...चादर में वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था..और सबसे मज़े की बात ये थी की पूजा की मांसल जाँघ उसके लंड के ठीक उपर थी...और वो उसे धीरे-2 अपनी जाँघ से सहलाकर और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.
अजय : "लेकिन तुम आई कब...और ये इस तरह मेरे बिस्तर में ...!!''
उसने अपनी शराबी आँखे खोली और अजय के होंठों से होंठ मिलाकर धीरे से फुसफुसाई : "मैं तो रात को ही आ जाती..पर दीदी के डर से नही आ पाई...उन्होने रात को ही बोल दिया था की सुबह आकर आपको उठा दूं ...नाश्ता बना दू ...और आपको टाइम से ऑफीस भेज दू ...''
इतना कहकर उसने अजय के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे एक प्यारा सा...गीला सा....रसीला सा चुम्बन दे डाला..
और चुबन देने के बाद बोली : "लेकिन यहाँ आकर देखा तो पता चला की बाहर का दरवाजा पहले से ही खुला है...और अंदर आपको इस तरह सोया हुआ देखकर आपको उठाने का मन ही नही किया ...बस..पिछले दस मिनट से आपको महसूस करते हुए आपके साथ ही सो गयी...''
'महसूस करते' हुए बोलकर उसने अजय के लंड को सीधा अपने हाथ में पकड़ लिया...रेशमी चादर के नीचे उसके लंड की गर्माहट पूजा को बाहर तक महसूस हो रही थी..
अजय : "सिर्फ़ बाहर से ही महसूस करती रहोगी या इससे आगे भी बड़ोगी....''
अजय ने सॉफ-2 शब्दो में उसे चुदने का न्योता दे डाला...
अजय की बात सुनकर पूजा कुछ देर तक चुप रही...उसने नज़रें झुका ली....और जब उठाई तो उनमे लाल डोरे तैर रहे थे...और एक मीठी सी हँसी भी...उसने शर्माकर अपनी नज़रें फिर से झुका ली..और बोली : "आपको क्या लगता है, मैं इस वक़्त क्या सोचकर आपके पास लेटी हूँ ''
यानी उसने अजय की चुदाई का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था..
अजय की तो खुशी का ठिकाना ही नही रहा..
उसने तुरंत अपने होंठ आगे करते हुए उसे चूम लिया....चूम क्या लिया उसके नर्म होंठों को बुरी तरह से चूस लिया...
और साथ ही उसका एक हाथ उसके बूब्स पर जा लगा और उसे ज़ोर-2 से मसलने लगा...और अपनी दोनो टाँगो के बीच उसकी टाँग फँसा कर वो अपने लंड को उसकी जाँघ पर रगड़ने लगा..
अजय ने नोट किया की इतना सब एक साथ करने के बाद पूजा ने किसी भी बात के लिए मना नही किया...बल्कि वो उसका साथ देती रही...ये साबित कर रहा था की वो अब चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है..
लेकिन अजय को ये जल्दबाज़ी वाला तरीका पसंद नही था...वो हमेशा चुदाई को बड़े आराम से करना पसंद करता था...ख़ासकर जब लड़की कुँवारी हो...उसने तो शुरू से ही सोच रखा था की जब भी अपनी कुँवारी सालियों की चुदाई करेगा तो इतमीनान से करेगा...
यही सोचकर उसने किस्स तोड़ी और पूजा से बोला : "डार्लिंग....अभी के लिए इतना ही....बाकी रात को...''
पूजा का चेहरा उतर गया ये सुनकर...शायद वो अंदर से तैयार हो चुकी थी की उसकी जिंदगी का वो सुनहरा पल अभी आएगा...लेकिन अजय ने उसे रात के लिए टाल दिया..
अजय ने उसके चेहरे को पढ़ लिया और बोला : "ये तुम्हारा फर्स्ट टाइम है...और ऐसे काम रात में ही ज़्यादा मज़ा देते है...''
पूजा ने हाँ में सिर हिला कर अपनी सहमति जताई..
वो बोली : "चलो फिर....आप उठो और नहा लो...मैं आपके लिए नाश्ता बनाती हूँ ...''
अजय ने उसे एक बार फिर से चूमा और उठ खड़ा हुआ...और उठने के साथ ही उसने बड़ी ही बेशर्मी से चादर निकाल फेंकी...और पूजा के सामने नंगा खड़ा हो गया...
उसके कसरती शरीर , 6 एब्स और 7 इंची लंड को देखकर पूजा की साँसे रुक सी गयी....उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी...और अजय की आँखो में देखा...जैसे उसे एक बार फिर से अपनी बात पर गौर करने के लिए बोल रही हो..
अजय ने उसके भोले से चेहरे के पीछे छिपी वासना को पहचान लिया और बोला : "ह्म्*म्म्म....लगता है तुम ऐसे नही मनोगी...''
इतना कहकर वो अपना लंड लहराता हुआ उसके करीब आया और अपने खड़े हुए लंड को उसके चेहरे के पास लेजाकर बोला : "लो......चूस लो.....रात तक के लिए थोड़ा सब्र मिल जाएगा...''
भागते भूत की लंगोटी ही सही...पूजा के चेहरे पर एक बार फिर से खुशी झलक उठी और उसने एक ही झटके में अजय के लंड को पकड़कर अपने मुँह में डाल लिया...और ऐसे चूसने लगी जैसे उसमे से निकालने वाले दूध से उसकी जान बच जाएगी...
अजय को विश्वास ही नही हो रहा था की ये वही पूजा है जो कुछ महीने पहले तक उसे ठरकी और ना जाने क्या-2 कहती फिरती थी...उसे अपने पास भी फटकने नही देती थी...और तो और रिया को भी उससे दूर रखती थी...
और आज वही पूजा उससे चुदने के लिए इतनी लालायित हो रही है की उससे रात का इंतजार भी नही हो पा रहा ...
लेकिन शायद पूजा एक बात नही जानती थी की जिस चुदाई के लिए वो तड़प रही है,वो जब होगी तो उसे अपनी नानी याद आ जाएगी...क्योंकि पहली बार लंड लेने के चक्कर में वो ये भूल गयी थी की साथ में जो दर्द मिलता है वो भी उसे सहन करना पड़ेगा....
लेकिन उन सबसे अंजान वो अभी तो अजय के लंड को बुरी तरह से चूस रही थी...
वो उसकी बॉल्स को मुँह मे लेकर चूसती ..अपनी जीभ से उसके लंड को सहलाती...और फिर एक ही बार में अंदर तक उसे चूस डालती...
ऐसा उसने करीब 10 बार किया...और अचानक अजय को अपने अंदर वही चिरपरिचित तूफान का उबाल महसूस हुआ....जिसकी चेतावनी उसने पूजा को भी दे डाली...
''आआआआआआअहह पूजा........आई एम कमिंग......आई एम कमिंग.......आआआआआआहह''
उसने तो सोचा था की वो उसके लंड को बाहर निकाल देगी...पर वो शायद आज पूरी तरह से तैयार होकर आई थी...सब कुछ सोचकर.....उसने बिना उसके लंड को बाहर निकाले सब कुछ मुँह में ही गटक लिया....पूजा का मुँह अजय के वीर्य से लबालब भर गया....अजय के लंड की थोड़ी सी क्रीम उसके होंठों से बहकर बाहर निकल आई ..बाकी उसने गले के नीचे गटक ली ...
और अंत में उसके लंड को पूरी तरह से ड्राइ करके छोड़ दिया.
ऐसी सुबह रोज-2 हो तो जीने का मज़ा ही आ जाए....ये सोचते-2 वो सीधा बाथरूम में गया और नहाने लगा..
नहाते हुए वो यही सोच रहा था की उसने रात को पूजा की चुदाई का वादा तो कर दिया था पर ऐसा करना आसान नही होगा...रात भर के लिए पूजा का उसके साथ रहना संभव नही होगा...
लाख कोशिश करने के बाद भी वो कोई आइडिया नही सोच पा रहा था जिसमे वो पूजा को अपने घर पर रात भर के लिए रख सके और किसी को खबर या शक भी ना हो...
लेकिन एक ऐसा तरीका था जो उसके दिमाग़ में नही आ रहा था....जिसमें वो एक तीर से दो शिकार कर सकता था..
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
ठरकी की लाइफ में ..35
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अपनी ठरक को ऐसे अंजाम तक पहुँचाकर अजय बड़ी ही मस्ती में गाड़ी चला रहा था..
वो अभी कुछ ही दूर गया था की उसे सड़क किनारे एक गाड़ी दिखाई दी..शायद खराब हो गयी थी..और उसके बाहर खड़ी एक फैमिली भी, जो अपना हाथ हिला कर उसकी कार को रुकने का इशारा कर रही थी..एक अंकल और आंटी के साथ एक जवान लड़की भी थी..
पहले तो उसने सोचा की इस तरह से गाड़ी रोकना ख़तरनाक हो सकता है...क्या पता ये कोई लूटपाट करने वाला गिरोह हो..लेकिन उनकी बगल से गुज़रते हुए जब उसकी नज़र उस लड़की पर पड़ी तो उसने तुरंत ब्रेक मार दी...ये तो रचना थी..जिसने कुछ दिन पहले ही उसके ऑफीस में जॉईन किया था.
उसकी कार को रुकता देखकर उन सभी के चेहरे पर खुशी आ गयी ...अजय भी तुरंत गाड़ी से बाहर निकल कर उनकी तरफ बड़ा...और जब अजय और रचना की नज़रें एक दूसरे से टकराई तो अजय ने अंजान सा बनते हुए कहा : "अरे ...रचना तुम...और यहाँ...''
रचना भी अजय को उस कार में से निकलता देखकर सर्प्राइज़ हो गयी...वो बोली : "ओह्ह्ह ....थॅंक गॉड ...अजय सर ...आपने कार रोक ली इस वक़्त...वरना पिछले आधे घंटे से हम लोग इतने परेशान हो रहे है...''
और फिर वो अपने हैरान-परेशान माँ - बाप की तरफ पलटी और बोली : "पापा...ये अजय सर है...मेरे ऑफीस में ही है...और ये हमारे घर की तरफ ही रहते है...''
अपनी बेटी की बात सुनकर उसके पापा बोले : "ओह.....ये तो बहुत अच्छी बात है....अजय बेटा...प्लीज़ अगर तुम हमे घर तक ड्रॉप कर सको तो...हम एक शादी से वापिस आ रहे थे और ये कार यहाँ खराब हो गयी...''
अजय ने नोट किया की सभी ने शादी मे पहनने लायक कपड़े पहने हुए थे...लेकिन उसकी नज़र तो रचना पर ही थी...जो लोंग कट वाली स्कर्ट में बला की खूबसूरत लग रही थी...उसकी लोंग स्कर्ट में दोनो तरफ एक कट था जो उसके घुटनो तक जा कर उसकी मांसल टाँगो को उजागर कर रहा था..
अजय ने भी नही सोचा था की इतनी रात को उसे रचना इस तरह रास्ते में मदद माँगते हुए मिल जाएगी...उसने तुरंत सभी को कार में बिठाया और उनके घर की तरफ चल दिया.
उसके मम्मी-पापा पिछली और रचना आगे वाली सीट पर आकर बैठ गयी...रचना की आँखो में अजय के लिए कुछ अलग ही तरह के भाव नज़र आ रहे थे..
जब कार आगे बड़ी तो रचना शुरू हो गयी : "सर ..आप इतनी रात को कहाँ से आ रहे है...''
अजय : "वो मेरा एक फ्रेंड हॉस्पिटल में एडमिट है...उसी को देखने गया था...''
रचना : "इतनी रात को...कुछ ज़्यादा लेट नही है ये...''
अजय (मुस्कुराते हुए) : "दरअसल शाम को मैं कहीं और गया था, और वहां से निकलते - 2 लेट हो गया..और वैसे भी अगर मैं पहले हॉस्पिटल चला गया होता तो तुम्हे कैसे मिलता''
अजय ने उसकी शराबी आँखो में देखते हुए कहा...
रचना ने मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका ली...ये कुँवारी लड़कियो की आँखो में किस तरह का नशा भरा होता है...इनमे देखकर इतना आनंद या ये कहलो उत्तेजना का एहसास क्यों होता है....यही सोचता हुआ अजय गाड़ी चलाने लगा..
अजय की नज़र रचना की टाँगो पर गयी....उसकी ड्रेस में लगे कट की वजह से उसकी टाँग लगभग नंगी होकर उसे दिख रही थी...अजय के सोए हुए लंड ने एक अंगड़ाई सी ली उसे देखकर...अजय ने कुछ देर तक सोचा और फिर उसने जान बूझकर अपना हाथ गियर से फिसला कर उसकी नंगी टाँग पर रख दिया...रचना एकदम से चोंक गयी...और अजय की तरफ देखने लगी...अजय ने धीरे से सॉरी बोलकर अपना हाथ वापिस खींच लिया और गियर पर रख लिया..रचना की नज़र अपने माँ - बाप पर गयी जो बड़े आराम से पीछे बैठकर आपस में कुछ बाते कर रहे थे..उन्हे अपने मे लगा देखकर वो थोड़ा निश्चिंत हुई ...लेकिन अजय की हरकत के लिए उसने कोई ऑब्जेक्ट नही किया...और इससे अजय की हिम्मत और भी बड़ गयी...
थोड़ा आगे चलने के बाद अजय का हाथ फिसल कर फिर से उसकी टाँग पर चला गया...और इस बार तो उसने अपनी उंगलियो से उसकी जाँघ को सहला भी दिया...एकदम कड़क स्किन थी उसकी...चिकनी...अनछुई सी...सफेद माँस वाली....
और उसके सहलाने का अंदाज इस बात की गवाही दे रहा था की वो ये सब जान बूझकर ही कर रहा है...
अपने माँ - बाप के होते हुए उसके ऑफीस का सीनियर रचना को टच कर रहा था...ये बात उसे अंदर तक उत्साहित कर रही थी...अजय की डेयरिंग देखकर उसे भी मज़ा आ रहा था...मज़ा तो उसे वैसे ही आ रहा था क्योंकि ये उसकी जिंदगी का पहला पुरुष स्पर्श था जो उसे मिल रहा था...आज से पहले वो हमेशा लड़को से दूर ही रहा करती थी...एमबीए करने के बाद उसने जब से कंपनी ज्वाइन की थी तब से ही उसे अजय जैसे ठरकी लोगो की भूखी नज़रों का सामना करना पड़ रहा था..लेकिन जैसी वो हमेशा से रहती आई थी वैसी ही वो ऑफिस में भी थी, अभी तक वो किसी को लाइन नही देती थी...लेकिन अभी की सिचुएशन के हिसाब से उसे ये सब अंदर तक एक्साइट कर रहा था...
और दूसरी तरफ एक और कुँवारी लड़की को अपनी तरफ आकर्षित और अपने जाल में फँसता देखकर अजय का पप्पू पूरी तरह से जाग उठा...आज जितनी मेहनत उसने आज तक नही की थी...उसके बावजूद एक नये मेहमान को देखकर वो फिर से मुस्तैद हो उठा...अजय को अपने लंड की यही बात सबसे ज़्यादा अच्छी लगती थी..
रचना के माँ-बाप आपस में बात करते रहे और अजय के हाथ उनकी बेटी की जाँघ सहलाते रहे..अभी उनका घर आने मे थोड़ा टाइम था...और वैसे भी अजय इस वक़्त गाड़ी काफ़ी आराम से चला रहा था..ताकि ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रचना की रान को सहला सके..रचना भी अब अपने चेहरे पर हाथ रखकर अपनी इस अंजान खुशी को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी...उसे तो काफ़ी मज़ा मिल रहा था इसमे इसलिए वो अपने गुलाबी हो रहे चेहरे को दूसरी तरफ करके उसकी रंगत छुपा रही थी..
अजय ने थोड़ा और हिम्मत की और अपना हाथ उसकी स्कर्ट के थोड़ा और अंदर खिसका दिया...लेकिन इस बार रचना ने उसके हाथ को पकड़कर बाहर की तरफ झटक दिया..अजय को लगा की ये तो बुरा मान गयी..शायद उसे ये जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए थी...लेकिन जब उसने रचना से नज़र मिलाई तो उसने पीछे बैठे माँ बाप की तरफ इशारा किया...शायद उसने उनके डर से वो किया था...अजय भी समझ गया की चाहे गाड़ी में जितना भी अंधेरा हो,अगर उसकी माँ या बाप ने तोड़ा आगे झुककर देख लिया तो उन्हे अजय के हाथो की हरकत ज़रूर दिख जाती और शायद रचना ये रिस्क नही लेना चाहती थी..इसलिए अजय ने भी अपने आप को संभाला और फिर से अपने हाथ को उसकी तरफ नही किया..
कुछ ही देर में उनका इलाका आ गया...और रचना के कहने पर अजय ने एक कॉलोनी में जाकर उनके घर के बाहर कार रोक दी...उसका घर सच में अजय के घर के काफ़ी करीब था..सिर्फ़ 5 मिनट की दूरी पर...इसलिए उस दिन वो अजय के साथ ऑफिस से एकसाथ वापिस आने की बात कर रही थी..
खेर, वो सब गाड़ी से उतरे और रचना के माँ-बाप ने अजय को तहे दिल से धन्यवाद दिया और दरवाजा खोलकर अंदर चल दिए...रचना ने उन्हे अंदर जाने को कहा और ये भी की वो अजय सर को धन्यवाद देकर आती है..
गली में घुपप अंधेरा था...रचना अजय के करीब आई और बड़े ही सेक्सी अंदाज में उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अजय को थेंक्स बोला...अजय ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और वो एकदम से अजय के काफ़ी करीब आ गयी...इतने करीब की उसके बूब्स अजय के सीने से टच करने लगे , अजय ने नजरे झुकाकर उसके कट को देखा ...
रचना फुसफुसाई : "सर ...आप तो बड़े शरारती है...''
अजय ने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और बोला : "अभी मेरी शरारत तुमने देखी ही कहा है...कल से मेरे साथ वापिस आना...तब देखना मेरी शरारते...''
और इतना कहकर उसने बिना किसी वॉर्निंग के उसे गले से लगा लिया...और उसके गालों पर एक किस्स करते हुए गुडनाइट बोला और पलटकर कार में बैठ गया...ये सब इतनी जल्दी हुआ की रचना का मुँह खुला का खुला रह गया...ऑफीस में एकदम जेंटेलमेन जैसा दिखने वाला अजय इतना शरारती भी हो सकता है शायद यही सोचने की कोशिश कर रही थी वो...
फिर वो उसे बाइ बोलकर वापिस अपने घर आ गया...
बेड पर लेटते हुए उसके दिमाग़ में पूरे दिन की फिल्म चल रही थी...एक साथ कितनी चूतें मिल गयी थी उसे....और उनमे से अभी तक उसने सोनी , अंजलि भाभी और प्राची की मुंबई वाली चाची को तो निपटा ही दिया था...अपनी दोनो सालियो के बाद आज एक और कुँवारी लड़की का नाम जुड़ चुका था उसकी अपकमिंग फकिंग टीम में ...और उनके बारे में सोचते-2 उसे कब नींद आ गयी उसे भी पता नही चला...
उसकी नींद जब खुली तो उसे अपनी लाइफ का सबसे बड़ा सरप्राइज मिला...उसकी साली पूजा उसकी बाहो में उसके साथ सो रही थी...
उसने एक पतली सी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी...यानी वो अपनी नाइट ड्रेस में ही थी...
लेकिन ये उसके कमरे में आई कब...रात को 3 बजे तक तो वो जाग ही रहा था...घर आने के बाद उसने अपने कपड़े उतारे और नंगा ही अपने बिस्तर में घुस कर सो गया..जो उसकी आदत थी..लाख कोशिश करने के बाद भी उसे याद नही आ रहा था की उसने घर आकर बाहर का दरवाजा बंद किया था या नही..
शायद वो खुला ही रह गया था...इसलिए पूजा वहां पहुँच गयी थी..
और जिस तरीके से वो उसके जिस्म से लिपट कर सो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वो नही बल्कि उसकी बीबी प्राची है..वो भी अक्सर ऐसे ही उससे लिपट कर सोती थी...
अजय ने उसके भोले से चेहरे की तरफ देखा तो उसे ये एहसास हुआ की वो सिर्फ़ सोने का नाटक कर रही है...उसकी आँके अधखुली सी थी...और उसके होंठ कुछ कहने के लिए फ़डफ़डा से रहे थे...
अजय : "तो तुम जाग रही हो...''
इतना सुनकर पूजा ने उसे और ज़ोर से पकड़ लिया और बोली : "उम्म्म्मममम.....जाग तो रही हूँ पर ऐसे ही आपकी बाहों में हमेशा के लिए सो जाना चाहती हूँ ''
अजय तो पहले से ही जानता था की पूजा उसके इश्क़ में पड़ चुकी है...ऐसी बातें सच्चा प्यार करने के बाद ही निकलती है..
पर अजय को इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था....फ़र्क पड़ रहा था तो उसके लंड को...जो पहले से ही नंगा होने के बाद अपने दिन की शुरूवात इतनी हसीन लड़की को देखकर कर चुका था...चादर में वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था..और सबसे मज़े की बात ये थी की पूजा की मांसल जाँघ उसके लंड के ठीक उपर थी...और वो उसे धीरे-2 अपनी जाँघ से सहलाकर और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी.
अजय : "लेकिन तुम आई कब...और ये इस तरह मेरे बिस्तर में ...!!''
उसने अपनी शराबी आँखे खोली और अजय के होंठों से होंठ मिलाकर धीरे से फुसफुसाई : "मैं तो रात को ही आ जाती..पर दीदी के डर से नही आ पाई...उन्होने रात को ही बोल दिया था की सुबह आकर आपको उठा दूं ...नाश्ता बना दू ...और आपको टाइम से ऑफीस भेज दू ...''
इतना कहकर उसने अजय के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे एक प्यारा सा...गीला सा....रसीला सा चुम्बन दे डाला..
और चुबन देने के बाद बोली : "लेकिन यहाँ आकर देखा तो पता चला की बाहर का दरवाजा पहले से ही खुला है...और अंदर आपको इस तरह सोया हुआ देखकर आपको उठाने का मन ही नही किया ...बस..पिछले दस मिनट से आपको महसूस करते हुए आपके साथ ही सो गयी...''
'महसूस करते' हुए बोलकर उसने अजय के लंड को सीधा अपने हाथ में पकड़ लिया...रेशमी चादर के नीचे उसके लंड की गर्माहट पूजा को बाहर तक महसूस हो रही थी..
अजय : "सिर्फ़ बाहर से ही महसूस करती रहोगी या इससे आगे भी बड़ोगी....''
अजय ने सॉफ-2 शब्दो में उसे चुदने का न्योता दे डाला...
अजय की बात सुनकर पूजा कुछ देर तक चुप रही...उसने नज़रें झुका ली....और जब उठाई तो उनमे लाल डोरे तैर रहे थे...और एक मीठी सी हँसी भी...उसने शर्माकर अपनी नज़रें फिर से झुका ली..और बोली : "आपको क्या लगता है, मैं इस वक़्त क्या सोचकर आपके पास लेटी हूँ ''
यानी उसने अजय की चुदाई का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था..
अजय की तो खुशी का ठिकाना ही नही रहा..
उसने तुरंत अपने होंठ आगे करते हुए उसे चूम लिया....चूम क्या लिया उसके नर्म होंठों को बुरी तरह से चूस लिया...
और साथ ही उसका एक हाथ उसके बूब्स पर जा लगा और उसे ज़ोर-2 से मसलने लगा...और अपनी दोनो टाँगो के बीच उसकी टाँग फँसा कर वो अपने लंड को उसकी जाँघ पर रगड़ने लगा..
अजय ने नोट किया की इतना सब एक साथ करने के बाद पूजा ने किसी भी बात के लिए मना नही किया...बल्कि वो उसका साथ देती रही...ये साबित कर रहा था की वो अब चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है..
लेकिन अजय को ये जल्दबाज़ी वाला तरीका पसंद नही था...वो हमेशा चुदाई को बड़े आराम से करना पसंद करता था...ख़ासकर जब लड़की कुँवारी हो...उसने तो शुरू से ही सोच रखा था की जब भी अपनी कुँवारी सालियों की चुदाई करेगा तो इतमीनान से करेगा...
यही सोचकर उसने किस्स तोड़ी और पूजा से बोला : "डार्लिंग....अभी के लिए इतना ही....बाकी रात को...''
पूजा का चेहरा उतर गया ये सुनकर...शायद वो अंदर से तैयार हो चुकी थी की उसकी जिंदगी का वो सुनहरा पल अभी आएगा...लेकिन अजय ने उसे रात के लिए टाल दिया..
अजय ने उसके चेहरे को पढ़ लिया और बोला : "ये तुम्हारा फर्स्ट टाइम है...और ऐसे काम रात में ही ज़्यादा मज़ा देते है...''
पूजा ने हाँ में सिर हिला कर अपनी सहमति जताई..
वो बोली : "चलो फिर....आप उठो और नहा लो...मैं आपके लिए नाश्ता बनाती हूँ ...''
अजय ने उसे एक बार फिर से चूमा और उठ खड़ा हुआ...और उठने के साथ ही उसने बड़ी ही बेशर्मी से चादर निकाल फेंकी...और पूजा के सामने नंगा खड़ा हो गया...
उसके कसरती शरीर , 6 एब्स और 7 इंची लंड को देखकर पूजा की साँसे रुक सी गयी....उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी...और अजय की आँखो में देखा...जैसे उसे एक बार फिर से अपनी बात पर गौर करने के लिए बोल रही हो..
अजय ने उसके भोले से चेहरे के पीछे छिपी वासना को पहचान लिया और बोला : "ह्म्*म्म्म....लगता है तुम ऐसे नही मनोगी...''
इतना कहकर वो अपना लंड लहराता हुआ उसके करीब आया और अपने खड़े हुए लंड को उसके चेहरे के पास लेजाकर बोला : "लो......चूस लो.....रात तक के लिए थोड़ा सब्र मिल जाएगा...''
भागते भूत की लंगोटी ही सही...पूजा के चेहरे पर एक बार फिर से खुशी झलक उठी और उसने एक ही झटके में अजय के लंड को पकड़कर अपने मुँह में डाल लिया...और ऐसे चूसने लगी जैसे उसमे से निकालने वाले दूध से उसकी जान बच जाएगी...
अजय को विश्वास ही नही हो रहा था की ये वही पूजा है जो कुछ महीने पहले तक उसे ठरकी और ना जाने क्या-2 कहती फिरती थी...उसे अपने पास भी फटकने नही देती थी...और तो और रिया को भी उससे दूर रखती थी...
और आज वही पूजा उससे चुदने के लिए इतनी लालायित हो रही है की उससे रात का इंतजार भी नही हो पा रहा ...
लेकिन शायद पूजा एक बात नही जानती थी की जिस चुदाई के लिए वो तड़प रही है,वो जब होगी तो उसे अपनी नानी याद आ जाएगी...क्योंकि पहली बार लंड लेने के चक्कर में वो ये भूल गयी थी की साथ में जो दर्द मिलता है वो भी उसे सहन करना पड़ेगा....
लेकिन उन सबसे अंजान वो अभी तो अजय के लंड को बुरी तरह से चूस रही थी...
वो उसकी बॉल्स को मुँह मे लेकर चूसती ..अपनी जीभ से उसके लंड को सहलाती...और फिर एक ही बार में अंदर तक उसे चूस डालती...
ऐसा उसने करीब 10 बार किया...और अचानक अजय को अपने अंदर वही चिरपरिचित तूफान का उबाल महसूस हुआ....जिसकी चेतावनी उसने पूजा को भी दे डाली...
''आआआआआआअहह पूजा........आई एम कमिंग......आई एम कमिंग.......आआआआआआहह''
उसने तो सोचा था की वो उसके लंड को बाहर निकाल देगी...पर वो शायद आज पूरी तरह से तैयार होकर आई थी...सब कुछ सोचकर.....उसने बिना उसके लंड को बाहर निकाले सब कुछ मुँह में ही गटक लिया....पूजा का मुँह अजय के वीर्य से लबालब भर गया....अजय के लंड की थोड़ी सी क्रीम उसके होंठों से बहकर बाहर निकल आई ..बाकी उसने गले के नीचे गटक ली ...
और अंत में उसके लंड को पूरी तरह से ड्राइ करके छोड़ दिया.
ऐसी सुबह रोज-2 हो तो जीने का मज़ा ही आ जाए....ये सोचते-2 वो सीधा बाथरूम में गया और नहाने लगा..
नहाते हुए वो यही सोच रहा था की उसने रात को पूजा की चुदाई का वादा तो कर दिया था पर ऐसा करना आसान नही होगा...रात भर के लिए पूजा का उसके साथ रहना संभव नही होगा...
लाख कोशिश करने के बाद भी वो कोई आइडिया नही सोच पा रहा था जिसमे वो पूजा को अपने घर पर रात भर के लिए रख सके और किसी को खबर या शक भी ना हो...
लेकिन एक ऐसा तरीका था जो उसके दिमाग़ में नही आ रहा था....जिसमें वो एक तीर से दो शिकार कर सकता था..
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