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जालिम दुनिया
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
जालिम दुनिया
हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम अर्जुन है और में दिल्ली में रहता हूँ। में एक इंजीनियरिंग
का स्टूडेंट हूँ और लास्ट ईयर में हूँ। आज में आप लोगों के सामने अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। मेरी उम्र 21 साल है और में दिल्ली में ही
रहता हूँ और माता पिता के रूप में मेरे मामा मामी मेरा और मेरी बहन का ख्याल रखते है। मेरे माता पिता की एक एक्सिडेंट में मौत हो गई थी।
तब से हमारी परवरिश मामा मामी करते है और पैसे की कोई कमी नहीं है.. इसलिये
कभी उन पर बोझ भी नहीं बनते.. जी हाँ आपने सही सुना.. मेरे एक बहन भी है.. जो कि 12वीं पास कर चुकी है और आगे के एग्जाम की तैयारी में लगी हुई
है.. वो डॉक्टर बनना चाहती है। मेरी बहन का नाम निशा है और उसकी उम्र 19 साल है.. दिखने में दूध जैसी गोरी है.. लेकिन फिगर ऐसा कि जो सबको मस्त कर
दे।
तो अब में अपनी कहानी पर आता हूँ। बात तब की है जब मेरी बहन का पास के ही एक मेडिकल कॉलेज मे एड्मिशन हो गया और वो होस्टल में रहने लगी। हम
लोग काफ़ी खुश थे किसी चीज की कमी नहीं थी.. हम एक दूसरे का ख्याल रखते और
पढ़ाई भी करते। एक दिन मुझे ज़रूरी काम से दिल्ली जाना था.. तो में अपने फ्रेंड की बाइक लेकर गया और आते वक़्त मेरा एक्सिडेंट हो गया.. लेकिन में
बच गया.. क्योंकि चोटें हल्की थी.. पर बाइक का बुरा हाल हो गया। फ्रेंड ने जब बाईक देखी तो वो रो पड़ा कि उसके पापा उसे नहीं छोड़ेंगे और कैसे भी
करके बाईक सही करानी है। फिर मैंने कह दिया कि ठीक है.. में करवा देता हूँ। मैंने कह तो दिया था.. लेकिन पता नहीं था कि खर्चा करीब 15 हजार का होगा। में जल्दी से
अपने रूम पर गया और सारे पैसे जोड़े.. लेकिन वो बहुत कम थे।
में – हैलो निशा।
निशा – हाँ भैया
क्या हुआ?
में – (मैंने उसे
सारी बात बता दी) क्या पैसों का जुगाड़ हो सकता है।
निशा – ठीक है
भैया.. में पैसे लेकर आती हूँ आपके पास।
निशा के पैसे भी मिलाकर 7 हजार हुये थे। फिर मुझे टेन्शन होने लगी थी और मेरे फ्रेंड का फोन आये जा रहा था
कि में कहां हूँ। मैंने अपने सभी दोस्तों को फोन किया और पैसों का इंतज़ाम
किया.. लेकिन तब भी 4 हजार कम रह गये।
में – हैलो राजू।
राजू – हाँ बोल..
अर्जुन क्या हुआ?
में – यार थोड़े
पैसे चाहिये थे.. करीब 4 हजार.. अर्जेंट है।
राजू – भाई अर्जेंट
तो नहीं हो पायेंगे.. पर 3-4 दिन में कर दूँगा।
में – नहीं यार आज
ही चाहिये.. कहीं से कोई जुगाड़ हो सकता है।
राजू – हाँ.. मेरे
जानने वाला एक बंदा है वो ब्याज पर पैसे देता है।
में – अभी दे सकता
है?
राजू – हाँ दे
देगा.. अब पता नहीं वो घर पर है या नहीं।
में – चल तू मुझे
एड्रेस भेज.. में जाकर देखता हूँ और तू उसे फोन करके बोल दे कि में आऊंगा।
राजू – ठीक है..
कोई प्रोब्लम नहीं.. अभी भेजता हूँ।
राजू ने जो एड्रेस दिया था.. वो पास ही था। फिर मैंने निशा को कहा.. चलो तुम्हे भी कॉलेज छोड़ दूँगा.. क्योंकि
वहां से थोड़ी दूर ही उसका कॉलेज था.. में और निशा चल दिये.. वहां पहुंचे और डोर बेल बजाई।
में – हैलो.. ख़ान
भाई.. मुझे राजू ने भेजा है।
ख़ान – हाँ आ जाओ
अंदर।
में – ख़ान भाई..
अभी पैसों का जुगाड़ हो जायेगा? में आपको जल्दी ही दे दूँगा।
ख़ान – हाँ हो
जायेगा.. इतनी भी क्या टेन्शन है.. लेकिन हाँ में 10% ब्याज पर दूँगा।
में – ठीक है भाई।
ख़ान – तो ये लो और
अपनी कोई आई.डी. रख दो।
मैंने अपना ड्राइविंग लाइसेन्स दे दिया।
ख़ान – इस पर तो
दिल्ली का एड्रेस है.. यहाँ के एड्रेस की आई.डी. दो।
में – वो तो नहीं
है।
ख़ान – ये लड़की
कौन है।
में – मेरी बहन
है।
ख़ान – तो ठीक है..
इसकी आई.डी. दे दो और अगर मुझे ब्याज और पैसे 1 महीने में नहीं मिले.. तो मुझे पैसे निकलवाने आते
है।
में – चिंता ना
करो भाई.. मिल जायेंगे.. जैसे तेसे हम वहां से निकले। मैंने निशा को कॉलेज छोड़ा और फ्रेंड
के पास जाकर बाईक सही कराने के पैसे दिये और चैन की साँस ली। दिन निकलते
गये और में पैसे जोड़ता रहा.. 1 महिना पूरा होने को आया.. लेकिन पैसे पूरे नहीं हुये।
में – हैलो ख़ान
भाई।
ख़ान – हाँ बोलो।
में – भाई थोड़े
पैसे कम है.. क्या मुझे 1 हफ्ते का टाईम और मिलेगा.. मेरी काफ़ी मिन्नतों के बाद वो मान गया।
ख़ान – ठीक है..
लेकिन जितने हो गये है वो दे जा और अपनी बहन को साथ लेकर आना.. मुझे उसके कॉलेज के
बारे में कुछ पूछना है।
में – ठीक है..
क्योंकि में पैसों की वजह से मना नहीं कर पाया।
में निशा को उसके होस्टल से लेकर ख़ान के घर पहुंचा।
में – ख़ान भाई..
ये लीजिये 7 हजार है..
बाकी के 1 हफ्ते में
ले आऊंगा।
ख़ान – ठीक है।
में – थैंक्स ख़ान
भाई.. तो अब में चलता हूँ। जैसे ही हम चलने लगे.. तो 4-5 हट्टे कट्टे लड़को ने हमें घेर
लिया।
ख़ान – यहाँ से
सिर्फ तू जायेगा और जब तक तू बाकी के पैसे नहीं लाता.. तेरी बहन यही रहेगी।
में – ख़ान भाई ले
आऊंगा.. प्लीज हमें जाने दो।
ख़ान – तुझे भी
जाना है या नहीं.. जितनी जल्दी पैसों का इंतजाम करेगा.. उतनी जल्दी लेकर चला जाना। में और
कुछ कहता कि उससे पहले मुझे लड़को ने पकड़ कर घर के बाहर निकाल दिया।
निशा – छोड़ दो..
मुझे भी जाना है.. भैया मुझे भी लेकर चलो।
में उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाया और चुपचाप सिर झुका के वहां से चला
गया।
अब आगे कि कहानी मेरी बहन की ज़ुबानी जो कि उसने मुझे वहां से आने के बाद
बताई।
निशा – मुझे जाने
दो।
ख़ान – साली कितनी
उछल रही है और गाल पर एक थप्पड़ मार दिया और निशा बेहोश हो गई। जब निशा को होश आया.. तो
वो नंगी एक रूम में बंद थी.. जहाँ दीवारों और 2 खिड़कियों के अलावा कुछ भी नहीं था।
निशा – मुझे जाने
दो प्लीज.. मेरे कपड़े दे दो।
ख़ान – आ गया तुझे
होश.. तुझे क्या लगता है में पागल हूँ.. जो अपने पैसे खाने दूँगा। मैंने कहा था कि मुझे
टाईम पर पैसे चाहिये.. वरना वसूल तो में अपने तरीके से कर ही लूँगा।
निशा – प्लीज़….जाने दो मेरा भाई दे देगा पैसे.. इतने में दरवाजा खुलता
है और ख़ान अंदर आता है और निशा के बाल पकड़ के उसे खींचता हुआ बाहर लेकर
आता है। निशा बाहर आते ही दंग रह जाती है.. क्योंकि वहां 5 लड़के और खड़े थे.. जो कि अपने अपने कामों में लगे हुये थे।
निशा ने अपने हाथों से अपने जिस्म को छुपाना चाहा.. लेकिन कोई फायदा नहीं था।
ख़ान – क्या छुपा
रही है? तेरे बूब्स
कितने बड़े है जो इन्हे छुपा रही है। में तुझे एक असली लड़की बना दूँगा। ख़ान ने सबको काम बंद करने को कहा और अन्दर में आने को कहा.. सब अंदर आये।
ख़ान – आज इसे
जितना चोदना चाहो उतना चोद लो.. ये सोना नहीं चाहिये.. जब तक तुम बिल्कुल थक ना जाओ। ये कहकर ख़ान अपनी कुर्सी पर बैठ गया और
नज़ारे देखने लगा। 2 लड़के आगे बड़े और अपने कपड़े उतारकर निशा पर झपटे और एक उसके बूब्स को चूसने और दूसरा चूत चाटने लगा।
ख़ान – तुम तीनों
के भी हाथ जोड़कर बोलूँ क्या? यह सुनते ही बाकी लड़के भी उस पर टूट पड़े.. सबके लंड खड़े थे और सब के लंड 7-8 इंच लंबे थे। निशा ने जब यह देखा
तो उसकी तो जान ही निकल गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी। इतने में एक ने उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया और झटके मारने लगा।
निशा ने मुँह हटाना चाहा.. लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था.. वो कुछ सोचती कि उसके
पहले एक लड़के ने अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार झटका मारा.. एक ही
झटके में लंड अंदर चला गया और निशा ज़ोर से चिल्ला पड़ी और उसकी चूत से खून बहने लगा.. किसी ने उसको नहीं देखा.. क्योंकि वो सब उसकी चुदाई में
मग्न थे। एक एक करके सब चोदते गये और खून निकलता रहा.. वो चीखती रही.. लेकिन कोई असर नहीं हुआ। ये सिलसिला 3 घंटे तक चला। फिर सारे लड़के अपने काम
पर लग गये।
ख़ान – चल आराम कर
ले थोड़ी देर।
निशा उपर से नीचे तक वीर्य में भीगी हुई थी। आँखो में आसूं फर्श पर खून और दर्द से कराह रही थी। में खुद भी
नहीं बता सकता कि उसकी क्या हालत थी.. कुछ ही देर हुई थी कि एक आदमी ने उसके
ऊपर पानी फेंका और वो उठ गई.. उसको होश तो नहीं था.. लेकिन उसने देखा तो वो रो पड़ी.. क्योंकि उसके सामने 8 आदमी थे और सब के सब नंगे थे.. वो हाथ
जोड़ती हुई रोने लगी.. लेकिन उसकी सुनने वाला वहां कोई नहीं था और चुदाई का
सिलसिला चलता रहा। सब के सब उसे अपनी गोद में उठा उठा कर चोद रहे थे.. क्योंकि उसका वजन 45 किलो ही था और खिलोने की तरह एक दूसरे की गोद में फेंक
रहे थे। 3 लोगों से
चुदने के बाद उसे कोई होश नहीं था.. हाँ बस हर झटके के साथ उसकी चीख निकलती रही। फिर शाम हुई सब रुक गये और बीच में टेबल पर बिठाकर
दारू का सिलसिला चालू किया.. निशा को खुल्ला छोड़ दिया.. ताकि वो आराम कर ले।
निशा – पानी चाहिये
प्यास लगी है..
उनमे से एक आदमी ने उठकर उसके मुँह में लंड घुसेड़ के मूत दिया और कहा कि ये ही मिलेगा पीना..
उसके गले में से मूत नीचे उतरता हुआ चला गया। रात हुई और सब पीकर सो गये..
जो जागता.. तो वो उसे चोदता और जो करना होता करते.. ये सिलसिला रोज चलता..
रोज नये नये लोग आते.. चोदते और चले जाते.. ये सब करते 4 दिन बीत गये।
में पैसों का जुगाड़ करके ख़ान के घर पहुंचा.. वहा जाते ही वो सब देखकर हैरान रह गया। निशा नंगी और उस पर करीब 12-13 आदमी चढ़े हुये है और चोद रहे
है और वो भी कूद कूद के चुदवा रही थी। ये सब देखने के बाद मेरा लंड भी खड़ा हो गया और में देखता रहा।
में – साले तूने
यह क्या किया.. मेरी बहन के साथ?
ख़ान – उसे लड़की
बना दिया.. मेरे पैसे लाया है?
में – हाँ ये ले
और मेरी बहन को ला।
ख़ान – झट से मेरी
बहन को साईड में खड़ा कर दिया और कहा कि ले जा और उसके कपड़े फेंक के दिये।
निशा ने कपड़े पहने और मेरे सहारे चलने लगी.. वो बेचारी चल भी नहीं पा रही थी और उसमें से वीर्य और मूत की
गंदी बदबू आ रही थी। फिर में ऑटो करके उसे अपने रूम पर ले गया और उसे सुला दिया ।।
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