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खेल तो पूरा होने दो
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
खेल तो पूरा होने दो
यह
कहानी उस वक्त की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। मध्यप्रदेश के जबलपुर में
चौधरी चाल में मैं रहता हूँ। हमारे चाल में कविता, रेशमा, और पिंकी ये तीन
लड़कियाँ रहती हैं। जब वे स्कूल
में थी तब उनका मेरे घर में आना जाना रहता था। अब वे 19 साल की हो चुकी
हैं। जब स्कूल में थी, उस वक्त से मैं उन तीनों बहुत चाहता हूँ। उनको मैंने
कैसे चोदा, यही कहानी हैं। आप ये कहानी जवानी दिवानी याहू ग्रुप पे पड़
रहे हैंएक दिन की बात है, उस वक्त मेरे घर में मैं अकेला था, और मैं
कम्प्यूटर पर ब्ल्यू फिल्म देख रहा था। तभी कविता, रेशमा और पिंकी मेरे घर
चली आई। उन्हें देखते ही मैंने
फिल्म बंद कर दी। वे मुझे सुहास नाम से बुलाती हैं। सुहास.. तू घर पर अकेले
क्या कर रहा है? ऐसे कविता ने पूछा। मैंने कहा- कुछ नहीं ! कम्प्यूटर पर
काम कर रहा था... पर आज तुम तीनों मेरे घर अचानक.. एक साथ ? क्या कुछ काम
था..? मैंने पूछा तो पिंकी ने कहा- कॉलेज को छुट्टी है तो तुम्हारे साथ कुछ
खेल खेले ऐसा सोचकर हम चली आई ! आप ये कहानी जवानी दिवानी याहू ग्रुप पे
पड़ रहे हैं तू भी तो अकेला है...
क्या खेलें.....? तो रेशमा बोली- आँख मिचौली खेलते हैं...मैंने भी कहा- ठीक
है.... वैसे मेरा घर बहुत बड़ा है, चाल में हमारा घर ही बड़ा है, एक
बेडरुम, किचन और हॉल - ऐसे तीन कमरे थे, जिनमें हॉल सबसे बड़ा है। कविता
बोली- राज कौन लेगा....तो मैंने कहा- हम लॉटरी निकालते हैं....ठीक है-
तीनों ने माना।फिर मैंने परची डाली और पिंकी से कहा- इनमें से एक उठाओ !
जिसका नाम आयेगा वो राज लेगी.... ठीक है !पिंकी ने
परची उठाई तो रेशमा पर राज आई।उस वक्त उन तीनों ने स्कूल की ड्रेस पहनी थी।
घर में भी वे तीनों अक्सर स्कूल ड्रेस ही डाला करती थी। रेशमा ने उस वक्त
चॉकलेटी रंग का पेटिकोट और अंदर से शर्ट पहना हुआ था, पिंकी ने पंजाबी
ड्रेस की तरह नीले रंग का कुरता और आसमानी रंग का पज़ामा पहना था, ऊपर से
दुपट्टा लिया था और कविता ने पीले रंग का स्कर्ट और टॉप पहना था। मैं उस
वक्त बरमुडा और टी-शर्ट में
था। आप ये कहानी जवानी दिवानी याहू ग्रुप पे पड़ रहे हैं पिंकी बोली-
रेशमा पर राज आया है ! उसकी आँखों पर पट्टी बांधो.... मैंने कहा- पिंकी,
मेरे पास तो पट्टी नहीं है.... तो कविता बोली- अरे सुहास ! पिंकी का
दुपट्टा कब काम आयेगा....पिंकी बोली- ठीक है... दुपट्टा ही बांधती
हूं....पिंकी ने अपना दुपट्टा निकाला और और रेशमा की आँखों पर बांधा।रेशमा
जिसे छुएगी उसको फिर राज लेना होगा... ऐसे पिंकी ने
कहा और खेल शुरू हुआ। हम तीनों इधर उधर भागे, आँख पर पट्टी बंधी रेशमा हम
तीनों को खोजने लगी। मैं रेशमा को हाथ लगा कर पीछे हट जाता था। वैसे ही
पिंकी और कविता ने शुरु किया। अचानक मेरा हाथ रेशमा के स्तनों पर लग गया और
उस वक्त मैं पकड़ा गया। अब मेरे बारी थी। मेरे आँखों पर पिंकी ने पट्टी
बांधी। पट्टी बांधते समय पिंकी के स्तन मेरे पीठ पर छू रहे हैं, ऐसा मुझे
महसूस हुआ। तभी मेरा लंड
खड़ा हुआ। अब मैं तीनों को खोज रहा था। अचानक कविता बोली, अरे सुहास
तुम्हारी जेब ऐसे फ़ूली क्यों है, कुछ जेब में है क्या....? मैं घबरा गया-
नहीं नहीं ! कुछ नहीं ! यह तो ककड़ी है जो मैं रोज खाता हूँ.... अच्छा मुझे
भी चाहिए ! कविता बोली और जिद करने लगी। देता हूँ.... खेल तो पूरा होने दो
! नहीं पहले दो ! नहीं तो मैं निकाल लूंगी ! पिंकी तो जिद पर आ गई। मैं
बोला- पास मत आना पिंकी ! आऊट हो जाओगी... पर
पिंकी नहीं मानी, उसने रेशमा और कविता से कुछ छुपी बातें की। सुहास ! तुझे
छूने ही नहीं दूंगी तो कैसे आऊट होऊँगी? खेल शुरु रख कर भी मैं ककड़ी निकाल
सकती हूँ... पिंकी बोली। उस वक्त मैं कुछ नहीं समझा मैं तीनों को ढूँढ रहा
था कि अचानक रेशमा और कविता ने मेरे हाथ कस के पकड़ लिए। मैं बोला- अरे यह
क्या कर रही हो...? तो कविता बोली- सुहास, तू हमें छू नहीं सकता क्योंकि
हमने तुम्हारे हाथ पकड़े
हैं... मैं उस वक्त डर गया। तभी पिंकी ने मेरे जेब में हाथ डाला. और ककड़ी
खींचने लगी... पिंकी ने ककड़ी नहीं, मेरा लंड पकड़ लिया था पर उसे कुछ नहीं
पता था। इधर दोनों ने मुझे कस कर पकड़ लिया था। रेशमा बोली- पिंकी ककड़ी
निकालो... पिंकी बोली- नहीं निकल रही है... कविता बोली- अरे शायद सुहास ने
अंदर में ककड़ी रखी होगी.... ऊपर वाली पैंट उतारो...कविता झट से बोल गई तो
पिंकी शरमा गई।अरे, क्या शरमाना !
सुहास तो अपना दोस्त है....अब मेरा भांडा फ़ूटने वाला है, मैं बहुत घबरा
गया क्योंकि मैंने अंडरवीअर नहीं पहना था, सिर्फ बरमुडा पहना था।तभी पिंकी
ने मेरा बरमुडा खींचना शुरु किया। मैं हलचल करने लगा पर आखिर में पिंकी ने
मेरा बरमुडा खींच ही लिया। बरमुडा नीचे आते ही मेरा सात इंच का लंड तीनों
को सलामी देने खड़ा हुआ था। तीनों दंग रह गई। रेशमा चिल्लाई- बाप रे !
कितना बड़ा है सुहास तेरा
लंड.... नहीं, यह इतना बड़ा नहीं है, यह तो तुम तीनों को देखकर बड़ा हो गया
है.... अब मैंने हथियार डाल दिए और सच सच बातें करने लगा। रेशमा, पिंकी
कविता सुनो ! मैं तुम तीनों को चाहने लगा हूँ ! तुम्हारी जवानी का रस पीने
की कोशिश कर रहा हूँ !कविता बोली- कौन सा रस...?तब मैंने कविता से कहा-
बुरा नहीं मानेगी तो मैं साफ बात करुँ....? तभी पिंकी बोली- अरे सुहास ! तू
बिदांस बात कर.... कुछ मदद चाहिए वो भी हम
देंगे....तब मैंने खुलकर बातें करना शुरू किया, मैं बोला- मैंने तुम तीनों
के बहुत बार स्तन दबाये हैं और अपना लंड तुम्हारे शरीर को छुआया है। तभी
मेरा लंड ऐसे ही खड़ा हो जाता है.... अभी तुम्हारे स्तन देखकर इन्हें चूसने
का मन कर रहा है ! और.. रेशमा बोली- सुहास और क्या.... तो मैंने कहा- मेरा
लंड तुम तीनों चूसें ! ऐसी मेरी इच्छा है.... और मेरा लंड तुम्हारी चूत
में डालने की इच्छा है....तो कविता
बोली- तो उसमें क्या है सुहास ! अभी तक तो तूने हम तीनों से ऊपरी-ऊपरी मज़े
लिए, अब सच में इस नये खेल का हम आनंद उठाते हैं.... रेशमा और पिंकी ने
कहा- हाँ सुहास.... तुम जैसे चाहे हमें चोद सकते हो ! शादी के बाद तो हमारा
पति हमें चोदेगा, उससे पहले कैसे चोदते हैं यह सीख लिया तो शादी के बाद
परेशानी नहीं होगी। कैसे शुरुआत करें....? कविता बोली।मैंने फिर परची डाली
और रेशमा को कहा- एक एक कर के तीनों
को उठाओ।रेशमा ने उठाई तो पहली परची में पिंकी का नाम था, दूसरी में रेशमा
का और तीसरी में कविता का नाम आया।मैंने कहा- देखो, परची में जैसे नाम आएँ
हैं, वैसे ही मैं एक एक को चोदूँगा.... ठीक है ! तीनों मान गई। पिंकी, तेरा
नाम पहले आया है, तू तैयार है ना....? पिंकी बोली- हाँ, मैं तैयार हूँ,
मुझे क्या करना होगा?पिंकी तू कुछ नहीं करेगी ! करुंगा तो मैं, जब करना हो
तो मैं बोलूँगा। बाद में तुम खुद
ही करोगी, ऐसा ही यह खेल है.... पिंकी चलो, बेडरुम में चलते हैं.... मैंने
कहा। तभी रेशमा बोली- सुहास, क्या हम भी आ जायें ? हाँ चलो, तुम भी देख लो
कि कैसे चोदते हैं। हम चारों बेडरुम में चले गये। मैंने पिंकी को बिस्तर पर
लिटाया और उसके गाल चूमना शुरु किया। पिंकी ने थोड़ी हलचल की क्योंकि यह
सब वह पहली बार महसूस कर रही थी। मैंने पिंकी के ओंठ पर अपने ओंठ रखे, फिर
गले का चुंबन लेने लगा, फिर और
नीचे आकर उसके स्तन को चूमने लगा, कपड़ों के ऊपर से मैंने उसके स्तन दबाना
शुरु किए। फिर मैं पिंकी का कुर्ता उतारने लगा। पिंकी अब ब्रा पहनती थी,
कुर्ता उतारते ही उसके स्तन उभर कर आगे आये। पिंकी तुम्हारे स्तन तो आम
जैसे पक गये हैं ! मैंने कहा। पिंकी बोली- अब रस पी जाओ भी ? तभी मैंने
पिंकी की ब्रा भी उतारी, अब स्तन पूरे खुले गये थे। मैं स्तन देखकर उन पर
लपक पड़ा। पिंकी के स्तन मैंने
दबाना शुरु किए। फिर एक स्तन मैंने मुँह में लिया उसके निप्पल चूसने लगा और
दूसरा स्तन दबाने लगा। पिंकी ! तुम जिसे ककड़ी समझ रही थी, वो मेरा लंड
था। तुम मेरा लंड हाथ में लेकर मसलना शुरु करो। तब पिंकी ने मेरा लंड मसलना
शुरु किया। सुहास, तेरी इच्छा थी ना कि तेरा लंड मैं मुँह में लूँ और
चुसूँ ! तो अपनी इच्छा पूरी कर ! हाँ पिंकी, आय लव यू, फिर मैंने अपना लंड
पिंकी के मुँह में दिया।
पिंकी मेरा सात इंच का लंड मुँह में चूसने लगी। उधर कविता और रेशमा हमारा
खेल देखकर गरम हो रही थी। तभी रेशमा बोली- सुहास ! अरे, पिंकी को चोदना भी
शुरु करो ! मुझे कुछ हो रहा है ! हाँ रेशमा डार्लिंग ! अभी चोदता हूँ !
मैंने पिंकी का पजामा उतार दिया। अब पिंकी पूरी नंगी थी, अपने बोबे दिखा कर
बोली- सुहास ... इन्हें दबाओ ! ... और दबाओ !मैं फिर टूट पड़ा। फिर मैंने
पिंकी की चूत के पास अपना लंड ले
गया। पिंकी ने मेरा लंड का पकड़ कर चूत के सामने रखा। मैंने कहा- पिंकी, अब
मैं तुझे चोदने जा रहा हूं.... हाँ तैयार हूँ ! फिर मैंने जोर का धक्का
देकर लंड पिंकी के चूत में धकेल दिया। लंड चूत में जाते ही आऽऽ आऽ आहह्हह्ह
! पिंकी चिल्ला उठी। फिर थोड़ी देर बाद मैं लंड अंदर-बाहर करने लगा। पिंकी
मदहोश होकर चुदाई का आनंद ले रही थी। पिंकी अब बस करो ! अब रेशमा को चोदने
दो... वो तरस रही है ! ठीक है !
पिंकी बोली और कविता के बगल में जा बैठी। रेशमा डार्लिंग आओ.. मैंने कहा।
रेशमा तुरंत बिस्तर पर लेट गई... रेशमा ने स्कूल पेटिकोट और शर्ट पेहना था।
मैंने उसके ओंठ के चुंबन लेकर रेशमा का पेटीकोट उतारना शुरु किया फिर
मैंने उसका शर्ट खोल दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही मैंने शर्ट
खोला तो उसके दूध उछल के बाहर आ गये, मैं उन्हें दबाने लगा। कितने दिनों के
बाद इसके पूरे के पूरे
स्तन देखने को और दबाने को मिले। फिर मैंने उसके निप्पल को मुंह में लिया
और चूसने लगा। रेशमा आ आह्हह्ह हा आआ आऽऽह्हह्हह कर रही थी। मैं उसे चूसता
ही रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। पिंकी की चुदाई देखकर
रेशमा की चूत बहुत गरम हो गई थी। मैं उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा। वो
सिसकारी भर रही थी- अहाऽऽआआ असऽऽ स्सहस आआअह्ह्हस् स्सशाआ आआहस्सह्हस्स
अह्हह्हह ह्ह्हह
हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्ह्हाआ ह्हाहहवो ! वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खींच
रही थी- सुहास अरे लंड मुझे चूसने दो ना.... हाँ रेशमा...और मैंने लंड
रेशमा के मुँह में दिया। वो आयस्क्रीम की तरह उसे चूसने लगी। फिर रेशमा ने
कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघों के बीच लेकर
रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से
पकड़ सके। उसकी चूची मेरे मुँह के
बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था। अचानक उसने अपनी एक
चूची मेरे मुंह में ठेलते हुए कहा- सुहास, चूसो इनको मुंह में लेकर।मैंने
उसकी चूची को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिये
मैंने उसकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारी कसी चूची
की सोचता था और परेशान होता था, इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल
करता था कि इन्हें मुँह
में लेकर चूसूँ और इनका रस पीऊं। पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और
कहीं मुझसे नाराज़ न हो जाओ। तुम नहीं जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को
कितना परेशान किया है !अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ,
चूसो और मज़े लो ! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही
करो ! रेशमा ने कहा।फिर क्या था, हरी झंडी पाकर मैं जुट पड़ा रेशमा की
चूची पर। मेरी जीभ उसके कड़े
निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ को उठे हुए कड़े निप्पल पर
घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें
चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का
पूरा रस निचोड़ लूंगा। रेशमा भी पूरा साथ दे रही थी। उसके मुँह से ओह! ओह!
अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड
को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़
रही थी। उसने अपनी बाईं टांग को मेरे कंधे के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को
अपनी जांघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जांघों के बीच एक मुलायम रेशमी
एहसास हुआ। यह उसकी चूत थी। उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का
सुपाड़ा उसकी झांटों में घूम रहा था। मेरा सब्र का बांध टूट रहा था।रेशमा
ने तब हाथ में मेरा लंड लेकर निशाने पर लगा कर रास्ता दिखाया और रास्ता
मिलते ही मेरा लंड एक ही
धक्के में सुपाड़ा अंदर चला गया। इससे पहले कि वो सम्भले या आसन बदले,
मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में
दाखिल हो गया।रेशमा चिल्लाई- उईई ईईईइ ईईइ माआआ हुहुह्हह्हह ओह , ऐसे ही
कुछ देर हिलना डुलना नहीं, सुहास...हाय ! बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड। मार
ही डाला !पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी बुर में घुसा था। मैं
अपना लंड उसकी चूत में घुसा
कर चुपचाप पड़ा था। उसकी चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को
मसल रही थी। उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी।मैंने
हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा।
रेशमा को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलानी शुरु कर दी। मेरा लंड धीरे धीरे
चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड
अंदर-बाहर करने लगा।
रेशमा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब
देने लगी। रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ
पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया।इधर चुदाई जोरदार शुरु थी उधर
कविता तड़फ रही थी। सुहास, बस भी करो अब मुझे कब शांत करोगे... कविता बोली।
कविता डार्लिंग ! हाँ अब तुन्हें ही चोदना है ! रेशमा अब बस करो ! कविता
मुझे घूर-घूर कर देख रही
है !ठीक है सुहास ! तुम कवितो को चोदो !फिर रेशमा पिंकी के साथ जा
बैठी।कविता मेरी जानेमन ! आओ ! ऐसे कहते ही कविता तुरंत बिस्तर पर आ
गई।कविता, तुम स्कर्ट-टॉप में बहुत सुंदर दिखती हो ! तुम्हो बोबे भी अब
पिंकी और रेशमा की तरह बड़े हो गये हैं। सुहास ! अब तो बड़े हो गये हैं और
तुम्हें बुला रहे हैं... फिर मैं कैसे रुक सकता था। मैंने धीरे से कविता के
टॉप के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा उतार दी। अब
वह एकदम परी लग रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया।, उसकी चिकनी चूचियाँ
मैं चूसने लगा, उसकी घुंडियाँ कड़ी हो रही थीं और वह कह रही थी- सुहास बहुत
मज़ा आ रहा है !फिर मैं होंठ चूसने लगा, इस बीच कविता का एक हाथ मेरे लंड
को पकड़ चुका था। कविता मेरा लंड मसलने लगी। तभी मैं उसके बोबे दबाने शुरु
किया, उसकी चूचियाँ चूसने लगा- कविता, तेरा दूध पीने की बहुत इच्छा है !
अरे सुहास ! अभी तो मेरी
शादी नहीं हुई, शादी के बाद माँ बन जाऊंगी तो जरुर मेरा दूध पीना ! सच
कविता..? और मैं फिर कविता की चूचियाँ जोर-जोर से चूसने लगा।
उउउउउउऊऊऊऊऊ... .आआआआआहहहहह... उसके होंठों पर किस किया और दोनों हाथों से
उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाया। अब मैं उसकी स्कर्ट उतारने लगा। उसने
काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी।तभी उसने कहा- सुहास अब रहा नहीं जाता, मुझे
दे दो, मुझे चाहिए ! अब मैंने भी उसके सारे
कपड़े उतार दिए। मेरा लंड खड़ा था। मैंने कविता की पैन्टी अपने मुँह से
उतारनी शुरु की। वहाँ बाल बहुत कम थे। उसकी पैन्टी उतार कर मैंने उसको बीच
में से सूँघा। गज़ब की खुशबू थी। उसकी चूत की लाईन चाटने लगा। मेरा लंड
बिल्कुल खड़ा हो चुका था। कविता ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसके सुपाड़े
की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मैं भी दोनों हाथों से कविता की गोल
चूचियां दबा रहा था। मैं भी
गरम हो रहा था, कविता ने मेरा लंड पकड़ के मुँह में भर लिया और सटासट चाटने
लगी.. वो मेरा सारा रस पी गई। कविता ने चूस-चूस कर फिर से मेरा लंड खड़ा
कर दिया.... कविता बोली- सुहास, जान अब और न तड़पाओ ! अपनी रानी को चोद दो !
मेरी प्यास बुझा दो..मैं तो तैयार था।उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के
मुहाने पर रखा और कहा- धक्का मारो !मैंने भी बहुत जोर से पेल दिया पर चूत
बहुत टाइट थी, लंड घुसा ही नहीं तो
उसने लंड पकड़ कर ढेर सारा थूक मेरे सुपाड़े पर पोत दिया.....अबकी बार
मैंने धीरे धकेला तो आधा लंड अंदर चला गया....वो दर्द से पागल हो गई, बोली-
निकालो ! बाहर करो ! मैं नहीं सह पाऊँगी !पर अब मैं कहाँ मानने वाला था,
मैंने कविता की कमर से पकड़ कर पूरे जोर से एक धक्का मारा और लंड उसकी चूत
की गहराइयों को छू गया......वो दर्द से रोने लगी पर मैं धीरे धक्के लगाने
लगा। थोड़ी देर में कविता को भी मजा
आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- चोदो....और जोर
से.....आह...आह....मेरे राजा.....मुझे जन्नत की सैर कराओ....और अंदर डालो
...आह ....सी...सी ....आह.... मैं पूरे जोर से पेले जा रहा था- हाँ रानी...
ले... खा ले ... पूरा मेरा खा जा ... ले ... ले ... पूरा ले ...आह
...राजा....मैं गई....सी....थाम लो....मुझे.....आह....मैं समझ गया कि वो
झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी..... थोड़े धक्कों के बाद हम
दोनों साथ ही झड़ गये..कुछ देर बात
कविता, पिंकी, रेशमा ने साथ-साथ मुझसे चुदवाया। जब मैं रेशमा के स्तन दबाता
और चूसता तब पिंकी मेरा लंड चूसती। जब मैं कविता के स्तन दबाता और उसकी
चूचियाँ चूसता, तब रेशमा मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चूसती। जब मैं पिंकी
के स्तन दबाता और चूचियाँ चूसता तो कविता मेरा लंड मुँह में लेकर उसे
चूसती। कुछ देर बाद मेरा लंड पिंकी की चूत में जाकर उसे चोदता तब रेशमा
अपने स्तन और चूचियाँ मुझसे
दबवाती और चुसवाती। जब मैं रेशमा की चूत में मेरा लंड डालकर उसे चोदता तब
कविता अपने स्तन मुझे दबाने को देती।इस तरह यह चोदा-चोदी हमने दो घंटे की।
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