Wednesday, October 3, 2012

सेक्सी कहानियाँ चुदाई की आग --4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

चुदाई की आग --4

गतान्क से आगे..................
कमला- हरिया ला ज़रा टार्च जला कर दिखा बेटा अंधेरे मे रोटिया जल रही है
हरिया- अच्छा मम्मी अभी लाया और फिर हरिया ने अपनी मम्मी के सामने बैठ कर टार्च मारना शुरू की और कमला रोटिया सेकने लगी, तभी हरिया की टार्च की टार्च की रोशनी सीधी कमला की जाँघो की जड़ो तक चली गई और उपर से कमला ने जैसे ही माथे का पसीना पोछने के लिए पेटिकोट उपर उठाया, हरिया की आँखे फटी की फटी ही रह गई,


कमला का बिना बालो वाला उठा हुआ भोसड़ा पूरा उसके बेटे के सामने आ गया और हरिया आँखे फाडे-फाडे अपनी मम्मी की रसीली फूली हुई चूत को देखने लगा, जब कमला रोटिया सेंकती तब हरिया टार्च उपर कर देता और जब वह बेलने लगती तब हरिया टार्च की रोशना सीधे अपनी मम्मी की चूत पर मार देता लेकिन तभी कमला की नज़र हरिया के लूँगी के नीचे चली गई जहा से हरिया की लूँगी के थोड़ा साइड से हरिया का मोटा लंड पूरी तरह तना हुआ था और हरिया के उकड़ू बैठने की वजह से उसका लंड बहुत विकराल और मोटा नज़र आ रहा था,


कमला ने जब अपने बेटे का तना हुआ लंड देखा तो उसे समझते देर नही लगी की हरिया टार्च की रोशनी उसकी चूत पर मार रहा है, कमला की चूत मे भी अपने बेटे की हरकत से पानी आ गया और उसने अपनी जाँघो को थोड़ा और इस तरह खोल दिया कि हरिया आसानी से अपनी मम्मी की चूत को देख सके,


हरिया अपनी मम्मी की चूत को देखता हुआ बीच-बीच मे नज़रे बचा कर अपने लंड की खाल को बार-बार पीछे करने की कोशिश करता और वह जब ऐसा करता तो उसका बड़ा सा सूपड़ा पूरे ताव मे आ जाता जैसे अभी अपनी मम्मी की चिकनी चूत मे घुस जाना चाहता हो, करीब 20 मिनिट तक हरिया अपनी मम्मी की फूली हुई चूत को घूरता रहा, उसके बाद हरिया अपने बापू का खाना लेकर खेतो पर चला जाता है,

हरिया के जाने के बाद कमला बाहर बैठ कर सुस्ता रही थी तभी दूसरी और से चंदा आ जाती है,

चंदा-क्यो मालकिन काम ख़तम करके बैठी हो क्या
कमला- हा रे अभी सब निपटाया है, तू बता आज बड़ी खुस दिख रही है कुछ मिल गया है क्या
चंदा- कमला के पैरो के पास बैठ कर उसकी टाँगो की गोरी पिंडलियो मे हाथ फेरते हुए, मुस्कुरकर अब क्या बताऊ मालकिन आज जबसे वह काला नाग देखा है कही मन ही नही लग रहा है


कमला- हैरान होते हुए कौन सा कला नाग
चंदा- मुस्कुरकर, अरे मालकिन वही जो आपके बेटे के पास है
कमला- उसकी बात का मतलब समझते हुए, चुप कर बेशरम, तुझे शर्म नही आती तेरे बेटे की उमर का है वह
चंदा- अरे मालकिन मेरे लिए तो वह बेटे जैसे है पर आपका तो अपना बेटा है, पर जब आप उसका मोटा डंडा देख लोगि तो अपने बेटे का लंड चूसे बिना नही रह सकोगी, इतना मस्त लंड है उसका


कमला- बंद कर अपनी बकवास और कोई दूसरी बात कर
चंदा- अच्छा मालकिन हरिया भी जानता तो होगा कि उसकी मम्मी की गदराई जवानी सारे गाँव की मर्दो को पागल किए रहती है,
कमला- नही उसे कुछ पता नही है, मुझे तो कभी ऐसा नही लगा
चंदा- अच्छा मालकिन एक बात पूंच्छू सच-सच बताना आपको चंदा की कसम है

कमला- अरे मैने तुझसे कभी कुछ च्छुपाया है क्या, जब तू खुद मुझे रोज आकर बताती है कि तेरा पति तुझे किस-किस तरह चोदता है तो मे भी तो तुझे अपने साथ हुई हर बात बता देती हू,
चंदा- अच्छा तो सच बोलना, तुम तो हरिया के साथ घर मे रहती हो कभी उसका मोटा लंड देखा है कि नही


कमला- उसकी बात पर मुस्कुरकर, तू कोई और बात नही पूछ सकती थी क्या
चंदा- कमला की साडी के अंदर हाथ डाल कर उसकी फूली हुई चूत को सहलाती हुई, मालकिन सच बताओ ना
कमला- चंदा द्वारा अपनी चूत मे हाथ फेरने से गरम होने लगती है और उसकी आग भी भड़कने लगती है, आह चंदा आराम से मसल,
चंदा- बोलो ना मालकिन

कमला- हा रे मैने भी अपने बेटे का मोटा लंड देखा है,
चंदा- आश्चर्या से कब देखा है मालकिन
कमला- एक बार पहले देखा था और फिर आज तेरे जाने के बाद जब मे झोपड़ी मे गई तो हरिया सो रहा था और उसका मोटा लंड पूरी तरह तना हुआ था और उसकी लूँगी से बाहर निकला हुआ था तब मैने हरिया का मोटा लंड देख लिया

चंदा- कमला की चूत मे उंगली पेल कर उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए, ओह मालकिन तो फिर बताओ कैसा लगा तुम्हे तुम्हारे बेटे का लंड,
कमला- तूने तो आज ही देखा है, मैने तो कई बार पहले भी उसका लंड देखा है
चंदा- वो कैसे


कमला- एक बार तो वह बाथरूम मे नहा रहा था और जब मे बाल्टी मे पानी लेकर आई तो वह पूरा नंगा होकर अपने मोटे लंड पर खूब साबुन लगा कर मसल रहा था और उसका लंड किसी डंडे की तरह खड़ा हुआ था और एक बार वह नहा कर आया और अपने कमरे का दरवाजा खोल कर अपने लंड पर खूब सरसो का तेल लगा-लगा कर मालिश कर रहा था,


चंदा- वाह मालकिन तुमने तो अपने बेटे के लंड का खूब आनंद लिया है,
कमला- पर चंदा एक बात कहु, उस दिन जब बाथरूम मे वह अपने लंड पर साबुन लगा कर मसल रहा था तो मुझे ऐसा लगा जैसे वह मुझे देख चुका है और जानबूझ कर मुझे अपना मोटा लंड दिखाने की कोशिश कर रहा है,
और तो और एक दिन जब वह अपने लंड पर खूब तेल लगा-लगा कर मालिश कर रहा था तब मे उसके कमरे मे जाते-जाते उसके लंड को देख कर एक दम से दरवाजे के पीछे हो गई और धीरे से उसके लंड की ओर झाँका,


तब भी मुझे ऐसा लगा था जैसे वह मुझे अपना मोटा लंड खूब मसल-मसल कर जान बुझ कर दिखा रहा है,

कमला की चूत मसल्ने से वह पूरी पानी-पानी हो चुकी थी और चंदा उसकी चूत मे लगातार अपनी दो उंगलिया चलाती हुई उससे बाते कर रही थी.
चंदा- एक बात कहु मालकिन, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे हरिया तुम्हे पूरी नंगी करके चोदना चाहता है,

कमला- आह आह यह तू कैसे कह सकती है
चंदा- क्यो कि कल जब तुम नहा रही थी तब वह बाथरूम के उस छेद से तुम्हे पूरी नंगी नहाते हुए देख रहा था,

कमला- उसकी और अचरज से देखती हुई, तुझे कैसे पता
चंदा- क्यो कि मे कुछ काम से वापस आई थी और तुम्हारा दरवाजा भी खुला हुआ था, और तो और वह झोपड़ी के पीछे जब अपना लंड हिला रहा था तब भी तुम्हे ही अपने ख्यालो मे पूरी नंगी करके चोद रहा था, तभी तो उसके मुँह से आ मम्मी, आ मम्मी जैसी आवाज़े आ रही थी,

कमला- यह तू क्या कह रही है चंदा,
चंदा- मे तो कहती हू मालकिन, घर मे मोटा लंड है उससे अपनी इस मस्तानी चूत को खूब कस कर ठुकवा लो तुम्हारी आग भी शांत हो जाएगी और तुम्हारे बेटे को भी अपनी मम्मी की नंगी जवानी का लुफ्त मिल जाएगा,

कमला- यह क्या कह रही है तू चंदा
चंदा- मे सच कहती हू मालकिन, अगर तुमने एक बार अपने बेटे का मोटा लंड अपनी इस मक्खन जैसी चिकनी चूत मे ले लोगि तो फिर तुम्हे किसी की ज़रूरत नही रहेगी और फिर तुम जब चाहोगी तुम्हारा बेटा तुम्हे तबीयत से चोद देगा


कमला- अरे तू पागल हो गई है, नही-नही मे ऐसा नही कर सकती
चंदा- अरे मालकिन आप तो बेकार मे डर रही है, मेरे बेटे का ऐसा मोटा लंड होता तो मे तो दिन भर उससे अपनी चूत मरवाती,

कमला- पर यह सब कैसे होगा
चंदा- अरे यह सब करने की ज़रूरत ही कहाँ है बस आज रात को उसे प्यार से अपनी गोद मे सुला कर सहलाते हुए अपने बारे मे बात शुरू कर देना वह खूब ही धीरे-धीरे तुम्हे दबोचने लगेगा,

चंदा- अच्छा मालकिन अब मे जा रही हू बहुत देर हो रही है
चंदा के जाने के बाद कमला सोचती है चंदा ठीक ही कह रही है और फिर यह तो मे भी जानती हू कि हरिया की नज़रे मेरे उपर कैसी है, चंदा क्या जाने हरिया मेरे साथ क्या-क्या कर चुका है, और हरिया भी सोचता है जैसे उसकी मा कुछ जानती नही है,

कमला बैठी-बैठी हरिया की पुरानी हर्कतो को सोचने लगती है और अपने मन मे चंदा से बाते करने लगती है आज कमला बहुत गरम हो चुकी थी उसके बदन की आग ठंडी होने का नाम ही नही ले रही थी और उसकी आँखो के सामने उसके बेटे का तगड़ा लंड नज़र आ रहा था,

कमला अपने मन मे चंदा से बात करती हुई, अरे चंदा तू क्या जाने इस पूरे गाँव मे मेरी चूत और गान्ड का सबसे बड़ा दीवाना और कोई नही बल्कि मेरा बेटा है, रात को जब मे सो जाती हू तो वह टार्च लेकर मेरे पैरो की ओर बैठ कर मेरी सदी उठा देता था और रात-रात भर मेरी चूत को झाँक-झाँक कर देखता था,

वह सोचता था मे नींद मे हू लेकिन मे जागती रहती थी और उसकी इस हरकत से मेरी चूत पूरी गीली हो जाती थी और मे जानबूझ कर अपनी दोनो जाँघो को और भी ज़्यादा फैला लेती थी ताकि मेरा बेटा अपनी मम्मी की मस्त चूत पूरी तरह देख सके,
मे जानती थी कि वह मेरी चूत और गान्ड का दीवाना है इसलिए कई बार जब वह तक लगाए अपने अंधेरे कमरे से आँगन की ओर देखता रहता था तब मे जानबूझ कर आँगन मे बैठी-बैठी अपनी चूत को साडी के उपर से खुजलने लगती थी,


तब हरिया का मुँह देखने लायक होता था, कई बार तो मे आँगन मे पूरी नंगी होकर ही घूमती थी और अपने बेटे को अपनी चूत और गान्ड खूब उठा-उठा कर दिखती हुई कपड़े पहनती थी, और मे यह भी जानती थी कि जब चंदा मेरे पैरो मे तेल लगा कर मालिश करती है तब हरिया मेरी नंगी जाँघो और चूत को देखने के लिए कितना मरता था और मे चंदा को बातो मे लगा कर जानबूझ कर अपनी पूरी चूत खोल कर दिखती थी, मैने भी कई बार हरिया को मूठ मारते हुए देखा था,


कमला अपने ख्यालो मे खोई हुई थी और जब कुछ देर बाद
हरिया वापस आता है तब उसकी मम्मी आँगन मे चटाई बिछा कर बैठ जाती है, हरिया सीधे आकर अपनी मम्मी की जाँघो मे सर रख कर लेट जाता है

कमला-आ गया बेटे
हरिया- मम्मी आज मे तुम्हारी गोद मे ही सो जाता हू और हरिया अपना मुँह अपनी मम्मी के नंगे पेट और नाभि से जैसे ही लगता है उसका लंड तन कर खड़ा हो जाता है, हरिया अपने हाथो को अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चुतडो पर फेरता हुआ अपने मुँह से उसके नंगे पेट को हल्के-हल्के दबाता रहता है और हरिया को ऐसा लगता है जैसे वह अपनी मम्मी की चूत को अपने मुँह से दबा रहा है.

कमला- क्या बात है आज अपनी मम्मी पर बड़ा प्यार आ रहा है
हरिया- प्यार क्यो नही आएगा, आख़िर मेरी मम्मी है जो इतनी अच्छी, लेकिन मुझे तुम्हारी एक बात अच्छी नही लगती,
कमला- उसके सर पर हाथ फेरती हुई, वह भला क्या

हरिया- यही कि तुम यह जो अपनी साडी घर के बाहर जब जाती हो तब भी इतनी नीचे तक बाँधती हो, घर मे तो फिर भी ठीक है पर बाहर जब जाती हो तो मुझे अच्छा नही लगता है,
कमला- मुस्कुराते हुए, इसमे बुराई क्या है बेटे, मे तो शुरू से ही साडी को अपनी नाभि से बहुत नीचे तक बाँधती हू,

हरिया- मम्मी घर पर जब रहती हो तो इस तरह से कोई दिक्कत नही होती है लेकिन जब तुम बाहर जाती हो तो लोग तुम्हे गंदी नज़रो से देखते है,
कमला- लगता है तुझसे किसी ने मेरे बारे मे कुछ कहा है क्या,
हरिया-नही मम्मी ऐसा नही है

कमला- तो फिर मे सब को तो अच्छी लगती हू इस तरह साडी बाँधने पर तो क्या तुझे अच्छी नही लगती हू,
हरिया- नही मम्मी मुझे तो आप बहुत अच्छी लगती हो पर सिर्फ़ घर मे ही ऐसे रहा करो ना,

कमला- क्यो घर मे भी क्यो रहू, जब मे दूसरे लोगो को नही दिखाउन्गि तो अपने बेटे को क्यो दिखाऊ
हरिया- मम्मी मे तो तुम्हारा बेटा हू मेरे सामने ऐसे रहने मे क्या दिक्कत है

कमला- मुस्कुरकर उसके गाल खिचती हुई, क्यो मे तेरी मम्मी हू तो क्या तेरे सामने नंगी हो जाउ,
हरिया- अरे मम्मी तुम्हे वही तो समझाना चाहता हू, तुम ऐसी हालत मे आधी नंगी ही नज़र आती हो और फिर लोग तुम्हारे बारे मे ग़लत बाते करते है,

कमला- मुझे मालूम था कि तुझसे किसी ने कुछ कहा है या फिर तूने किसी को मेरे बारे मे बाते करते हुए सुना है
हरिया- उठ कर बैठ जाता है और, अब मम्मी तुम्हे क्या बताऊ बस जाने भी दो,

कमला- उसे अपने सीने से चिपकते हुए, अच्छा बाबा कल से मे तेरे सामने ऐसे ही रहूंगी और बाहर जाउन्गि तो अपनी नाभि छुपा लूँगी, पर अब बता भी दे क्या सुना है तूने,

हरिया- अपनी मम्मी के मोटी-मोटी चुचियाँ पर अपना मुँह दबाते हुए, रहने दो मम्मी तुम्हे अच्छा नही लगेगा,
कमला- उसे अपने पास लिटा लेती है और बगल मे खुद लेट जाती है और फिर उसके गालो को सहलाते हुए उसके चेहरे को पकड़ कर अपने सीने से दबाते हुए, अच्छा तो तू नही बताएगा अपनी मम्मी से भी भला कोई कुछ छुपाता है क्या, चल अब बता भी दे,

हरिया- अच्छा तुम कहती हो तो बता देता हू पर तुम गुस्सा तो नही हो जाओगी
कमला- अरे जब वह बात किसी और ने की है तो मे तुझ पर गुस्सा क्यो हो जाउन्गि
हरिया- अभी जब मे बापू का खाना दे कर लौट रहा था तब दीनू काका और उसके साथ और कोई भी आम के बगीचे के नीचे बैठे थे अंधेरा होने की वजह से मे उन्हे और वह मुझे देख नही पाए बस मैने दीनू काका की आवाज़ सुनी थी ,
क्रमशः......................


CHUDAAI KI AAG --4

gataank se aage..................
kamla- hariya la jara tarch jala kar dikha beta andhere me rotiya jal rahi hai
hariya- achcha mummy abhi laya aur phir hariya ne apni mummy ke samne baith kar tarch marna shuru ki aur kamla rotiya sekne lagi, tabhi hariya ki tarch ki tarch ki roshni sidhi kamla ki jangho ki jado tak chali gai aur upar se kamla ne jaise hi mathe ka pasina pochne ke liye petikot upar uthaya, hariya ki aankhe phati ki phati hi rah gai,


kamla ka bina balo wala utha hua bhosda pura uske bete ke samne aa gaya aur hariya aankhe phade-phade apni mummy ki rasili phuli hui chut ko dekhne laga, jab kamla rotiya senkti tab hariya tarch upar kar deta aur jab vah belne lagti tab hariya tarch ki roshna sidhe apni mummy ki chut par mar deta lekin tabhi kamla ki najar hariya ke lungi ke neche chali gai jaha se hariya ki lungi ke thoda side se hariya ka mota land puri tarah tana hua tha aur hariya ke ukdu baithne ki vajah se uska land bahut vikral aur mota najar aa raha tha,


kamla ne jab apne bete ka tana hua land dekha to use samjhte der nahi lagi ki hariya tarch ki roshni uski chut par mar raha hai, kamla ki chut me bhi apne bete ki harkat se pani aa gaya aur usne apni jangho ko thoda aur is tarah khol diya ki hariya aasani se apni mummy ki chut ko dekh sake,


hariya apni mummy ki chut ko dekhta hua beech-beech me najre bacha kar apne land ki khal ko bar-bar piche karne ki koshish karta aur vah jab aisa karta to uska bada sa supada pure tav me aa jata jaise abhi apni mummy ki chikni chut me ghus jana chahta ho, karib 20 minute tak hariya apni mummy ki phuli hui chut ko ghurta raha, uske bad hariya apne bapu ka khana lekar kheto par chala jata hai,

hariya ke jane ke bad kamla bahar baith kar susta rahi thi tabhi dusri aur se chanda aa jati hai,

chanda-kyo malkin kam khatam karke baithi ho kya
kamla- ha re abhi sab niptaya hai, tu bata aaj badi khus dikh rahi hai kuch mil gaya hai kya
chanda- kamla ke pairo ke pas baith kar uski tango ki gori pindaliyo me hath pherte huye, muskurakar ab kya batau malkin aaj jabse vah kala nag dekha hai kahi man hi nahi lag raha hai


kamla- hairan hote huye kaun sa kala nag
chanda- muskurakar, are malkin vahi jo aapke bete ke pas hai
kamla- uski bat ka matlab samajhte huye, chup kar besharam, tujhe sharm nahi aati tere bete ki umar ka hai vah
chanda- are malkin mere liye to vah bete jaise hai par aapka to apna beta hai, par jab aap uska mota danda dekh logi to apne bete ka land chuse bina nahi rah sakogi, itna mast land hai uska


kamla- band kar apni bakwas aur koi dusri bat kar
chanda- achcha malkin hariya bhi janta to hoga ki uski mummy ki gadaraai jawani sare ganv ki mardo ko pagal kiye rahti hai,
kamla- nahi use kuch pata nahi hai, mujhe to kabhi aisa nahi laga
chanda- achcha malkin ek bat punchu sach-sach batana aapko chanda ki kasam hai

kamla- are maine tujhse kabhi kuch chhupaya hai kya, jab tu khud mujhe roj aakar batati hai ki tera pati tujhe kis-kis tarah chodataa hai to me bhi to tujhe apne sath hui har bat bata deti hu,
chanda- achcha to sach bolna, tum to hariya ke sath ghar me rahti ho kabhi uska mota land dekha hai ki nahi


kamla- uski bat par muskurakar, tu koi aur bat nahi puch sakti thi kya
chanda- kamla ki sadi ke andar hath dal kar uski phuli hui chut ko sahlati hui, malkin sach batao na
kamla- chanda dwara apni chut me hath pherne se garam hone lagti hai aur uski aag bhi bhadakne lagti hai, aah chanda aaram se masal,
chanda- bolo na malkin

kamla- ha re maine bhi apne bete ka mota land dekha hai,
chanda- ashcharya se kab dekha hai malkin
kamla- ek bar pahle dekha tha aur phir aaj tere jane ke bad jab me jhopadi me gai to hariya so raha tha aur uska mota land puri tarah tana hua tha aur uski lungi se bahar nikla hua tha tab maine hariya ka mota land dekh liya

chanda- kamla ki chut me ungli pel kar uski chut ke dane ko sahlate huye, oh malkin to phir batao kaisa laga tumhe tumhare bete ka land,
kamla- tune to aaj hi dekha hai, maine to kai bar pahle bhi uska land dekha hai
chanda- vo kaise


kamla- ek bar to vah bathroom me naha raha tha aur jab me balti me pani lekar aai to vah pura nanga hokar apne moti land par khub sabun laga kar masal raha tha aur uska land kisi dande ki tarah khada hua tha aur ek bar vah naha kar aaya aur apne kamre ka darwaja khol kar apne land par khub sarso ka tel laga-laga kar malish kar raha tha,


chanda- wah malkin tumne to apne bete ke land ka khub aanand liya hai,
kamla- par chanda ek bat kahu, us din jab bathroom me vah apne land par sabun laga kar masal raha tha to mujhe aisa laga jaise vah mujhe dekh chuka hai aur janbujh kar mujhe apna mota land dikhane ki koshish kar raha hai,
aur to aur ek din jab vah apne land par khub tel laga-laga kar malish kar raha tha tab me uske kamre me jate-jate uske land ko dekh kar ek dam se darwaje ke piche ho gai aur dhire se uske land ki aur jhanka,


tab bhi mujhe aisa laga tha jaise vah mujhe apna mota land khub masal-masal kar jan bujh kar dikha raha hai,

kamla ki chut masalne se vah puri pani-pani ho chuki thi aur chanda uski chut me lagatar apni do ungliya chalati hui usse bate kar rahi thi.
chanda- ek bat kahu malkin, mujhe to aisa lagta hai jaise hariya tumhe puri nangi karke chodna chahta hai,

kamla- aah aah yah tu kaise kah sakti hai
chanda- kyo ki kal jab tum naha rahi thi tab vah bathroom ke us ched se tumhe puri nangi nahate huye dekh raha tha,

kamla- uski aur achraj se dekhti hui, tujhe kaise pata
chanda- kyo ki me kuch kam se vapas aai thi aur tumhara darwaja bhi khula hua tha, aur to aur vah jhopadi ke piche jab apna land hila raha tha tab bhi tumhe hi apne khyalo me puri nangi karke chod raha tha, tabhi to uske munh se aah mummy, aah mummy jaisi aawaje aa rahi thi,

kamla- yah tu kya kah rahi hai chanda,
chanda- me to kahti hu malkin, ghar me mota land hai usse apni is mastani chut ko khub kas kar thukwa lo tumhari aag bhi shant ho jayegi aur tumhare bete ko bhi apni mummy ki nangi jawani ka luft mil jayega,

kamla- yah kya kah rahi hai tu chanda
chanda- me sach kahti hu malkin, agar tumne ek bar apne bete ka mota land apni is makkhan jaisi chikni chut me le logi to phir tumhe kisi ki jarurat nahi rahegi aur phir tum jab chahogi tumhara beta tumhe tabiyat se chod dega


kamla- are tu pagal ho gai hai, nahi-nahi me aisa nahi kar sakti
chanda- are malkin aap to bekar me dar rahi hai, mere bete ka aisa mota land hota to me to din bhar usse apni chut marwati,

kamla- par yah sab kaise hoga
chanda- are yah sab karne ki jarurat hi kaha hai bas aaj rat ko use pyar se apni god me sula kar sahlate huye apne bare me bat shuru kar dena vah khub hi dhire-dhire tumhe dabochne lagega,

chanda- achcha malkin ab me ja rahi hu bahut der ho rahi hai
chanda ke jane ke bad kamla sochti hai chanda thik hi kah rahi hai aur phir yah to me bhi janti hu ki hariya ki najre mere upar kaisi hai, chanda kya jane hariya mere sath kya-kya kar chuka hai, aur hariya bhi sochta hai jaise uski ma kuch janti nahi hai,

kamala baithi-baithi hariya ki purani harkato ko sochne lagti hai aur apne man me chanda se bate karne lagti hai aaj kamla bahut garam ho chuki thi uske badan ki aag thandi hone ka nam hi nahi le rahi thi aur uski aankho ke samne uske bete ka tagda land najar aa raha tha,

kamla apne man me chanda se bat karti hui, are chanda tu kya jane is pure ganv me meri chut aur gaanD ka sabse bada deewana aur koi nahi balki mera beta hai, rat ko jab me so jati hu to vah tarch lekar mere pairo ki aur baith kar meri sadi utha deta tha aur rat-rat bhar meri chut ko jhank-jhank kar dekhta tha,

vah sochta tha me neend me hu lekin me jagti rahti thi aur uski is harkat se meri chut puri gili ho jati thi aur me janbujh kar apni dono jangho ko aur bhi jyada phaila leti thi taki mera beta apni mummy ki mast chut puri tarah dekh sake,
me janti thi ki vah meri chut aur gaanD ka deewana hai isliye kai bar jab vah tak lagaye apne andhere kamre se aangan ki aur dekhta rahta tha tab me janbujh kar angan me baithi-baithi apni chut ko sadi ke upar se khujlane lagti thi,


tab hariya ka munh dekhne layak hota tha, kai bar to me angan me puri nangi hokar hi ghumti thi aur apne bete ko apni chut aur gaanD khub utha-utha kar dikhati hui kapde pahanti thi, aur me yah bhi janti thi ki jab chanda mere pairo me tel laga kar malish karti hai tab hariya meri nangi jangho aur chut ko dekhne ke liye kitna marta tha aur me chanda ko bato me laga kar janbujh kar apni puri chut khol kar dikhati thi, maine bhi kai bar hariya ko mutt marte huye dekha tha,


kamla apne khyalo me khoi hui thi aur jab kuch der bad
hariya vapas aata hai tab uski mummy angan me chatai bicha kar baith jati hai, hariya sidhe aakar apni mummy ki jangho me sar rakh kar let jata hai

kamla-aa gaya bete
hariya- mummy aaj me tumhari god me hi so jata hu aur hariya apna munh apni mummy ke nange pet aur nabhi se jaise hi lagata hai uska land tan kar khada ho jata hai, hariya apne haatho ko apni mummy ke moti-moti chutaDo par pherta hua apne munh se uske nange pet ko halke-halke dabata rahta hai aur hariya ko aisa lagta hai jaise vah apni mummy ki chut ko apne munh se daba raha hai.

kamla- kya bat hai aaj apni mummy par bada pyar aa raha hai
hariya- pyar kyo nahi aayega, aakhir meri mummy hai jo itni achchi, lekin mujhe tumhari ek bat achchi nahi lagti,
kamla- uske sar par hath pherti hui, vah bhala kya

hariya- yahi ki tum yah jo apni sadi ghar ke bahar jab jati ho tab bhi itni niche tak bandhti ho, ghar me to phir bhi thik hai par bahar jab jati ho to mujhe achcha nahi lagta hai,
kamla- muskurate huye, isme burai kya hai bete, me to shuru se hi sadi ko apni nabhi se bahut niche tak bandhti hu,

hariya- mummy ghar par jab rahti ho to is tarah se koi dikkat nahi hoti hai lekin jab tum bahar jati ho to log tumhe gaanDi najro se dekhte hai,
kamla- lagta hai tujhse kisi ne mere bare me kuch kaha hai kya, nahi mummy aisa nahi hai

kamla- to phir me sab ko to achchi lagti hu is tarah sadi bandhne par to kya tujhe achchi nahi lagti hu,
hariya- nahi mummy mujhe to aap bahut achchi lagti ho par sirf ghar me hi aise raha karo na,

kamla- kyo ghar me bhi kyo rahu, jab me dusre logo ko nahi dikhaungi to apne bete ko kyo dikhau
hariya- mummy me to tumhara beta hu mere samne aise rahne me kya dikkat hai

kamla- muskurakar uske gal khichti hui, kyo me teri mummy hu to kya tere samne nangi ho jau,
hariya- are mummy tumhe vahi to samjhana chahta hu, tum aisi halat me aadhi nangi hi najar aati ho aur phir log tumhare bare me galat bate karte hai,

kamla- mujhe malum tha ki tujhse kisi ne kuch kaha hai ya phir tune kisi ko mere bare me bate karte huye suna hai
hariya- uth kar baith jata hai aur, ab mummy tumhe kya batau bas jane bhi do,

kamla- use apne sine se chipkate huye, achcha baba kal se me tere samne aise hi rahungi aur bahar jaungi to apni nabhi chupa lungi, par ab bata bhi de kya suna hai tune,

hariya- apni mummy ke moti-moti chuchiyaan par apna munh dabate huye, rahne do mummy tumhe achcha nahi lagega,
kamla- use apne pas lita leti hai aur bagal me khud let jati hai aur phir uske galo ko sahlate huye uske chehre ko pakad kar apne sine se dabate huye, achcha to tu nahi batayega apni mummy se bhi bhala koi kuch chupata hai kya, chal ab bata bhi de,

hariya- achcha tum kahti ho to bata deta hu par tum gussa to nahi ho jaogi
kamla- are jab vah bat kisi aur ne ki hai to me tujh par gussa kyo ho jaungi
hariya- abhi jab me bapu ka khana de kar laut raha tha tab dinu kaka aur uske sath aur koi bhi aam ke bagiche ke niche baithe the andhera hone ki wajah se me unhe aur vah mujhe dekh nahi paye bas maine dinu kaka ki awaj suni thi ,
kramashah......................







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