Tuesday, March 29, 2016

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..51

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..51


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अब आगे
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 अगले दिन नाश्ता करके अजय फिर से तैयार होकर ऑफीस चल दिया...कल की तरह आज भी पूजा और रिया का वो प्लान अधूरा रह गया था जिसके लिए दोनो पिछले कई दिनों से प्लानिंग कर रही थी...पर ये अजय था की उनके लिए टाइम ही नही था...

अजय के तो दोनो हाथों में लड्डू थे...उसे इस वक़्त वैसे भी अपनी सालियों की ज़्यादा चिंता नही थी...वो बाहर का काम पहले निपटा लेना चाहता था..

घर से निकल कर उसने अंजलि को कॉल किया, वो घर से निकल चुकी थी..अजय ने उसे मेन मार्केट में एक जगह पहुँचने को कहा और वहां पहुँचकर उसने अंजलि को कार में बिठा लिया..

अंजलि ने बिना चुन्नी के,एक टाइट सी कुरती पहनी हुई थी...और साथ में ग्रीन कलर की चिपकी हुई स्लैक्स...उस सिंपल सी ड्रेस में वो बला की सुंदर लग रही थी...अजय तो उसके भरंवा शरीर को देखकर पागल सा हो गया...उसका मन किया की उसे वहीं कार में लिटाकर चोद डाले...पर आज के लिए तो उसके पास अच्छा खासा इंतज़ाम था,इसलिए कार में चोदने का तो सवाल ही नही उठता था..

कार में बैठते ही उसने एक सिगरेट निकाल ली और सुलगा कर अपने होंठों से लगा ली...

अजय ने पहली बार अंजलि को सिगरेट पीते देखा था,इसलिए थोड़ा अचंबित हुआ...वो ये तो जानता था की अनिल चैन स्मोकर है,पर अंजलि के बारे में उसे आज ही पता चला..

अंजलि (मुस्कुराते हुए) : "ऐसे क्यो देख रहे हो...पहले कभी किसी को सिगरेट पीते नही देखा क्या...''



अजय : "देखा तो है, पर मुझे नही पता था की तुम्हे भी इसका शोंक है...वैसे मुझे सिगरेट पीने वाली लड़किया बहुत पसंद आती है...''

अंजलि (कश भरकर उसके मुँह पर धुंआ छोड़ते हुए ) : "हा हा,अच्छा ...ऐसा क्यो भला ?''

अजय : "वो इसलिए की उन्हे सिगरेट पीते देखकर इस बात का अंदाज़ा लग जाता है की वो हर काम में हाथ आजमाना जानती है...और अपने इसी आत्मविश्वास की वजह से वो सैक्स करने में अपने पार्ट्नर को भी पीछे छोड़ देती है...''

अंजलि : "हा हा हा....ये तो मैने पहले किसी से नही सुना की सिगरेट पीने वाली लड़किया सैक्स के मामले में आदमी से आगे होती है... लेकिन तुम्हारा अंदाज़ा मेरे मामले में तो बिल्कुल सही है...मैं सिगरेट भी पीती हूँ और सैक्स तो तुम्हे पता ही है की कैसा करती हूँ ..''

अजय : "तभी तो मैने ये बात कही है...क्योंकि आज तक मैने तुमसे ज़्यादा जंगलिपन किसी और में नही देखा ''

अजय ऐसी बातें करके उसके अंदर की शेरनी को जगा रहा था...वैसे उसे जगाने की ज़रूरत तो नही थी,पर आज वो उसके साथ वाइल्ड गेम खेलना चाहता था...कल रात की सेक्स चैट के बाद और आज सैक्स करते हुए गालियाँ देने की बात उसे अभी तक याद थी,इसलिए वो उसे अभी से उकसा कर उत्तेजना से भर देना चाहता था,और ऐसा हो भी रहा था...


 अंजलि ने अपना हाथ आगे करके कार चला रहे अजय के लण्ड पर रख दिया और सिसक कर बोली : "आज तो तू गया अजय...आज तो तू गया..''

अजय मुस्कुरा दिया...और कार चलता रहा.

थोड़ी ही देर मे अजय ने अपने ऑफीस के बाहर कार रोकी...ये देखकर अंजलि चोंक गयी और बोली : "ये...ये तो अनिल का आई मीन तुम लोगो का ऑफीस है....यहाँ किसलिए...''

अजय ने मुस्कुराते हुए ऑफीस की चाबी निकाल कर उसे दिखाई अपने बॉस वाली और कल ऑफीस में आकर काम करने की बात उसे बताई..जाहिर था,उसने अपनी सेक्रेटरी वाली बात छुपा ली थी..

अंजलि : "वाव अजय...तुम्हारा दिमाग़ तो बहुत तेज चलता है...काश तुम मुझे कल भी बुला लेते...ऑफीस के काम के बाद मैं तुम्हारी थकान उतारने के काम आती...''

अब अजय उसे क्या बोलता की कल किसी और ने उसकी थकान ऑलरेडी उतार दी है.

अजय : "कल काम कर लिया और आज काम पूजा करनी थी,इसलिए तुम्हे आज बुलाया है....चलो अब...वरना यही कार में शुरू हो जाना है मैने...''

अंजलि भी मुस्कुराती हुई गाड़ी से उतरी और दोनो लगभग भागते हुए ऑफीस में जा घुसे...दरवाजा लॉक करते ही दोनो एक दूसरे के गले से लिपटकर ऐसे स्मूच करने लगे जैसे बरसों के बिछड़े प्रेमी हो....अंजलि तो अपनी जाँघ उपर करके उसकी टाँगों और पेट को सहला रही थी...और अपनी गीली चूत भी उसके जिस्म से रगड़ रही थी...


अजय उसे स्मूच करता-2 अपने केबिन में ले आया...और बिना किस्स तोड़े ही उसने टटोलते-2 केबिन की लाइट जलाई..

अंजलि से तो सब्र ही नही हो रहा था...उसे अभी के अभी अजय का मोटा लण्ड अपनी चूत में चाहिए था...उसने एक ही झटके में अपनी पायजामी उतार फेंकी और अजय की जीन्स खोलकर उसे भी ज़मीन पर गिरा दिया...

अजय ने उसकी चिकनी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी टेबल पर बिठा दिया...अंजलि ने अपनी दोनो टांगे फेला दी और अजय के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया..

अजय का मोटा वाला लौड़ा सरसराता हुआ सा उसकी टनल में घुसता चला गया..

''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... अजय ...............
मादरचोद ............. चोद मुझे...... भेंन के लण्ड ....''


अजय तो उसकी गाली सुनकर बावला सा हो गया...और उसके मोटे मुम्मे मसलता हुआ उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा.. 

 ''ले साली..कुतिया......आज तेरी चूत को फाड़कर इसके अंदर अपने लण्ड का माल जमा करूँगा....आज तू मेरे बच्चे की माँ बनकर ही यहाँ से निकलेगी... साली''

ये पासिबल तो नही था पर ऐसा बोलने में अजय को मज़ा बहुत आया...

अंजलि भी कहाँ पीछे रहने वाली थी...वो उसकी गांड पर अपने नाख़ून गाड़कर ज़ोर से दहाडी : "तो चोद ना हरामखोर.... कुतिया बोला है तो कुत्ता बनकर चोद मुझे ...अपना लंड इतना अंदर डाल की कभी निकले ही नही...कुतिया की तरह चिपक जाउंगी तेरे लण्ड से मैं भी.....आआआआअहह भेंन चोद .......मार मेरी चूत ....ज़ोर -2 से....साले कुत्ते ''



अजय का मन तो कर रहा था की उसके कुर्ते को फाड़कर अपना जंगलिपन उसे दिखा डाले..पर ऐसा करके वो उसके घर वापिस जाने में मुश्किल पैदा नही करना चाहता था...इसलिए उसने अपने उपर कंट्रोल रखते हुए उसके कुर्ते को उपर करके निकाल डाला...और ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे गिरा कर उसके मोटे मुम्मे बाहर निकाल कर नंगे कर दिए और उनपर अपना मुँह लगा कर टूट पड़ा...

''आआआआआआआआहह साआआााल्ले .....जोर से काट .... मेरी ब्रेस्ट है .... केक नही..... आआआआअहह ... निप्पल चूस गांडू .....''

अजय ने उसके दोनो मुममे पकड़ कर उसके लाल निप्पलों को एक-2 करके चूसा.....जो इतने नुकीले हो चुके थे की उनपर कोई गुब्बारा लगे तो वो भी फट जाए..



अंजलि ने अजय की टी शर्ट को उतार फेंका...और अब दोनो मादरजात नंगे हो चुके थे...अजय की टेबल चुदाई का चौराहा बन चुका था, जिसपर कल रचना नंगी लेटी थी...भले ही वो चुदी नही थी,पर अजय ने जो उसके साथ किया था वो किसी चुदाई से कम नही था...

अजय ने उसकी दोनो टांगे उठा कर हवा में कर दी और उसे टेबल पर लिटा दिया, अब वो उसकी चूत में बड़ी आसानी से खड़े होकर चुदाई कर पा रहा था..

''आआआआआआआआआआआआअहह भेंन चोद .....साले कितना मोटा लण्ड है तेरा...... काश रोज चुदाई करवा पाती तुझसे...उम्म्म्मममममममममम...... डाल साले ...... चूत के दाने को रगड़ ..... अंदर तक डाल कर चोद ..... अहह ..... ओह''

अजय : "साली रंडी, तुझे तो मैं अपनी रखेल बनाकर रखूँगा...अपने घर के अंदर ही....अपनी बीबी के सामने चोदूँगा रोज....''


अंजलि (सिसकते हुए) : "सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... अहहssssss ...मैं तो तेरी रखेल बनने को भी तैयार हूँ .... तेरी बीबी के सामने तो क्या,उसके साथ ही मैं तेरे लण्ड से चुदूगी एक दिन....अहह.... देख लेना....''

उसके ऐसा कहने पर अजय को एहसास हुआ की काश ऐसा हो सकता...वो तो ना जाने कब से ये सपना देख रहा है की वो अपनी बीबी और किसी और चूत के साथ थ्रीसम करे...पर उसे अच्छी तरह पता था की उसकी बीबी ऐसा कभी नही होने देगी... दूसरी औरत को उसके सामने लाना तो दूसरी बात थी,उसे अगर भनक भी पड़ गयी की अजय आजकल कैसे बाहर मुंह मारता फिर रहा है तो वो उसे अपने घर के 3र्ड फ्लोर से ही नीचे फेंक देगी...

इसलिए उसने अपनी बीबी की तरफ से ध्यान हटाया और अंजलि पर लगा दिया...जो इस वक़्त बावली सी होकर उसके केबिन की टेबल पर किसी रंडी की तरह चुदाई करवा रही थी...

अजय के झटके इतने तेज थे की उसके हिलते हुए मुम्मे बहुत ज़ोर से उसके चेहरे से टकरा रहे थे...



अजय ने ऐसी क़्विक फकिंग आज तक किसी के साथ नही की थी...भले ही उनके पास आज शाम तक का समय था, पर अंदर आए हुए उन्हे सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे और अजय उसकी चूत मार रहा था...ना लंड चुसाई की रस्म, ना चूत चखाई की अदायगी , ना जाने कैसी आग लगी थी दोनो में की ऑफीस में आते ही सीधा चुदाई करनी शुरू कर दी...लेकिन इससे एक बात तो पक्की थी, शुरुवाती चुदाई के बाद उनके पास पूरा दिन रहेगा,जिसमें वो बाकी का बचा हुआ वो हर काम कर सकेंगे जिसका कोकशास्त्र में वर्णन है..

अंजलि की चूत में लगी आग का सेंक था ही इतना तेज की अजय जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...

वो चिल्लाया : "आआआआआआआअहह ...... ओह्ह्ह्ह भाभीssssssss ..... मैं झड़ने वाला हूँ ...... बोल रंडी ..... कहा निकालूsssssssssss .....''

''मेरी चूऊऊऊऊऊऊऊत में ......... सारा माल अंदर ही निकााआाआल..... बना दे मुझे अपने बच्चे की माँआआआआआआ...'' अंजलि ने जब ये कहा तो वो उसके रण्डीपन का कायल हो गया....सच में ऐसी औरत कहाँ मिलेगी जो अपने पति के दोस्त से,उसी के ऑफीस में चुदाई करवाकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए तैयार हो..

पर अजय के पास इस वक़्त ये सब बातें सोचने का टाइम नही था....अंजलि के इतना कहते ही की उसकी चूत में ही झड़ जाए, उसके लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर होली खेलने लगी...अजय के गर्म रंग को महसूस करते ही अंजलि भी थरथराती हुई झड़ने लगी...



और दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..

''आआआआआआआआआहह.... ओह मेरे राआआआजा ............. मजाआाअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआअ .... साआाआले तेरे लण्ड की तो मैं कायल हो गयी.......... ''

अजय भी अपने दोस्त की तारीफ सुनकर मुस्कुरा दिया...


अजय ने अपना चिपचिपा लण्ड बाहर निकाला और अंजलि झट से उसके कदमो में बैठकर उसके लण्ड को मुँह में लेकर सॉफ करने लगी...ठीक उसी तरह से जैसे कल रचना ने उसका लण्ड सॉफ किया था.... ऐसी रंगीन भाभी के मुँह में उसका लण्ड बहुत सुंदर लग रहा था..अपने एक हाथ से वो अपनी चूत से रिस रहे माल को समेट कर उसे भी चाट रही थी...कुल मिलाकर वो एक रंडी की भूमिका अच्छी तरह से निभा रही थी.

अजय का लंड अच्छी तरह से सॉफ करके वो बाथरूम में गयी और खुद भी साफ होकर ऐसे ही नंगी मटकती हुई वापिस आ गयी...

अब अजय उसके रसीले बदन के हर हिस्से का अच्छी तरह से मज़ा लेना चाहता था...और इसके लिए उसके बॉस के केबिन से बढ़िया जगह कोई और हो हि नही सकती थी...

उसने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाइस प्रेसीडेंट के केबिन की तरफ चल दिया,जहाँ उसने कल सोफे पर लिटाकर रचना की चूत चूसी थी...आज भी वो अंजलि की चूत का जूस वैसे ही पीना चाहता था...पर उससे पहले अपना लंड भी तो चुसवाना था उसे...अजय ने तो ये भी सोच लिया था की आज वो उसकी गांड भी मारेगा

केबिन का लॉक खोलकर अजय ने ए सी चला दिया और कल की तरह वो एक बार फिर से सोफे पर जाकर राजा बनकर बैठ गया...और अपनी उंगली के इशारे से उसने अंजलि को पास बुलाया और अपना लंड उसके हाथ में देकर उसे अपने पैरों के पास बिठा लिया...बाकी तो अंजलि को कुछ और समझाने की ज़रूरत ही नही थी...वो उसके मोटे लंड को हाथ में लेकर मुस्कुराइ और उसे सहलाते हुए बोली : "तुम एक नंबर के ठरकी हो.... बिना आराम के दूसरी शिफ्ट के लिए तैयार हो गये.. तुम्हारी बीबी की तो शामत आ जाती होगी...''

अजय : "वो तो है.... मेरे स्टेमीना को झेलना हर किसी के बस की बात नही है....''

ये बोलकर वो उसे उकसा रहा था...और हुआ भी ऐसा ही....वो सिसकारी मारकर उसके लण्ड को मसलती हुई, उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ती हुई बोली : "उम्म्म्मममममम...... आज तुम जान जाओगे की तुम्हारी टक्कर का भी कोई है इस दुनिया में .... मुझे रंडी बोला है ना.... अपनी रखेल कहा था ना अभी तुमने.... अब वैसी ही बनकर रहूंगी.... हमेशा. .... तेरे इस लंड की गुलाम ... जब चाहे बुला लेना.... जहाँ चाहे चोद लेना ... मेरे पति के सामने भी मेरी चूत मरोगे ना तो भी मना नही करूँगी.... भेंन चोद ..... आज तू मेरा असली रंडीपना देखेगा....''



वो उत्तेजना के आवेश में आकर कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रही थी और अजय उसे सुनकर खुश हुए जा रहा था....

पर उसकी खुशी को लकवा मार गया जब अचानक केबिन का दरवाजा खुला और उसका बॉस अंदर आ गया.

सामने के सोफे पर अजय बड़ी ही शान से अधलेटा सा होकर अपने लंड को अंजलि से चुसवा रहा था ..अंजलि की पीठ दरवाजे की तरफ थी,इसलिए वो नही देख पाई की कोई अंदर आया है...

पर अजय की तो सिट्टी - पिटी ही गुम हो गयी...जिस बात का उसे डर था,वही हुआ,उसके बॉस के पास ऑफीस के मैन गेट की दूसरी चाभी भी थी,और वो शायद अजय का काम देखने के लिए ऑफिस आ गया था...उसे पुर ऑफीस में ढूँढने के बाद वो जब अपने केबिन में घुसा तो अंदर का सीन देखकर उसके भी होश उड़ गये...उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की अजय काम के बहाने उसके ऑफीस को,उसके केबिन को चुदाईघर बना देगा ...

एक बात तो पक्की थी की उसकी नौकरी तो गयी...

रही सही कसर अंजलि ने पूरी कर दी.

अंजलि ने जब देखा की अजय को एकदम से साँप सूंघ गया है और वो डरा हुआ सा दरवाजे की तरफ देख रहा है तो वो उसके लंड को छोड़कर पीछे की तरफ पलटी, और अपनी उसी उत्तेजना के आवेश में भरकर ज़ोर से बोली

"कौन है ये भोंसड़ी का ...''

उसका बॉस कभी अजय को और कभी अंजलि को हैरानी और गुस्से से भरी नज़रों से देख रहा था.


 













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FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..50

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 ठरकी की लाइफ में ..50


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अजय ने अपना पिज़्ज़ा खाने के बाद खड़े होकर अपना लंड मसलना शुरू कर दिया...रचना ने अपना पिज़्ज़ा उठाया और उसे खाने लगी..

अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए अपनी स्पीड बड़ा दी और फिर अचानक उसके लंड से जोरदार पिचकारी निकल पड़ी...जो सीधा रचना के मुँह पर जाकर टकराई....कुछ उसके चेहरे पर गिरी और कुछ उसके पीज़्ज़े पर ... रचना के लिए तो वो पिज़्ज़ा डबल चीज़ का बन चुका था...उसने लपालप करके उसे खा लिया...और फिर अपने चेहरे के माल को समेट कर उसे भी निगल गयी..

अजय तो गहरी साँसे लेता हुआ अपनी चेयर पर गिर पड़ा...

रचना टेबल से उतरी और एक वफ़ादार सेक्रेटरी की तरह वो अजय के सामने बैठकर उसके लंड को मुँह में लेकर उसे सॉफ करने लगी.



कुछ ही देर में उसने लंड को चमका डाला..और फिर मुस्कुराती हुई बाथरूम की तरफ चल दी...

थोड़ी देर में वो क्लीन होकर बाहर आई और फिर दोनो ने कपड़े पहन लिए..

चार बज चुके थे...अब थोड़ा बहुत काम भी करना ज़रूरी था.

अजय और रचना ने अगले 2 घंटे तक मन लगाकर उस प्रॉजेक्ट पर काम किया जिसके लिए वो ऑफीस आए थे...और आख़िरकार उसे निपटा ही डाला..

जाते हुए रचना को एक बार फिर से अच्छी तरह चूसने के बाद वो उसे ड्रॉप करता हुआ घर की तरफ चल दिया.

वो जानता था की अब इस तरह की चुसाई अब अक्सर हुआ करेगी ऑफीस में .

तभी उसके बॉस का फोन आया..अजय ने जब नंबर देखा तो समझ गया की वो ज़रूर प्रॉजेक्ट के बारे में पूछेगा..लेकिन तभी उसके शातिर दिमाग़ में एक विचार कोंध गया.

और उसने बॉस का फोन उठाकर ये कहा की अभी काम पूरा नही हुआ है...कल दोबारा जाना पड़ेगा..यानी संडे वाले दिन...बॉस को भला क्या प्राब्लम होनी थी...उसे तो काम से मतलब था, जब अजय खुद ही संडे को आने के लिए तैयार है तो उसे क्या परेशानी होनी थी...वैसे भी उस प्रॉजेक्ट की कोटेशन मंडे मॉर्निंग में भेजनी थी.

अब अजय के पास एक और दिन था...और ऑफीस की चाभी भी..

और उसे मालूम था की अगले दिन किसका शिकार करना है.


अजय करीब 8 बजे घर पहुँचा...काफ़ी थके होने की वजह से उसने किसी से ज़्यादा बात की, उसकी दोनो सालियां बेचारी अपने-2 अरमान मन में ही लेकर रह गयी...आज की रात के लिए उन्होने कुछ ख़ास सोचा हुआ था अपने जीजू के लिए, पर अजय की हालत देखकर उन्होने अपना प्लान अगले दिन के लिए टाल दिया...वैसे भी 5 घंटे में 3 बार झड़ने से कैसी कमज़ोरी महसूस होती है ये एक मर्द ही जानता है..वो भला ये बात कैसे जानती

अजय ने खाना खाया और अपने रूम में जाकर सो गया...प्राची अपनी बहनो के साथ काफ़ी देर तक बातें करती रही,बाद में वो भी चली गयी और प्राची उसकी बगल में आकर सो गयी...करीब 11 बजे अजय की नींद खुली, प्राची गहरी नींद में थी...उसने दूसरे रूम में जाकर देखा की कहीं कल की तरह आज भी तो पूजा या कोई और वहां नही रुका है, पर आज कोई नही था...

उसने जल्दी से अपना फोन निकाला,और व्हाट्स ऐप चालू किया, और सीधा अपने दोस्त की बीबी अंजलि की प्रोफाइल पर गया...और उसकी किस्मत अच्छी थी,वो ऑनलाइन थी उस वक़्त..

अजय ने हाय का मैसेज टाइप करके भेज दिया...एक ही पल में उसका रिप्लाइ आ गया : "हाय ...आ गयी मेरी याद...कहाँ थे इतने दिनों से...''



अजय : "बस यहीं था....आजकल ऑफीस में कुछ ज़्यादा काम होता है...इन्फेक्ट मैं तो आज भी ऑफीस में था...एक प्रॉजेक्ट रिपोर्ट बनानी थी...''

अंजलि : "ओहो....क्या बात है...काश इतने सिनसेयर मेरे पति होते तो उनकी भी प्रमोशन हो जाती...वो तो एक नंबर के ढीले है..''

अजय हंस दिया...वो भी जानता था की अनिल हर काम करने में कितना ढीला है...शायद इसलिए अजय को उससे पहले प्रमोशन मिल गयी थी...

पर यहाँ वो शायद उसके दूसरे ढीलेपन की भी बात कर रही थी..ये समझते ही उसने लिखा : "अच्छा ..ऐसा क्या ढीलापन दिखा दिया उसने...''

अंजलि : "देखो ना...आज मेरा इतना मन कर रहा था कुछ करने का...और ये है की दारु पीकर, मैच देखकर सो गये...''

अजय जानता था की अनिल को क्रिकेट के मैच देखने का कितना शोंक है...

अजय : "हाय ...काश मैं वहां होता तो आपकी सारी नाराज़गी दूर कर देता...''

अंजलि : "आप तो रहने ही दो...एक बार ही प्यास बुझाई और उसके बाद गायब ही हो गये...ये नही सोचा की जो आग भड़काई है उसको ठंडा करने के लिए तो मिलते रहना ज़रूरी होता है...''

अजय : "कोई बात नही भाभी...आपकी ये शिकायत मैं कल ही दूर कर देता हूँ ...''

अंजलि ने जब ये पड़ा तो उसकी चूत एकदम से गीली हो गयी, उसने टाइप किया : "कल..? पर कल कैसे...अनिल तो कल घर ही होगा...''

अजय : "मैं आपके घर नही आ रहा ,बल्कि आपको कहीं और बुला रहा हूँ ...''

ये देखकर अंजलि की आँखे चमक उठी...उसने लिखा : "कहीं और...यानी तुम्हारे घर...?''

अजय : "अरे नही भाभी...मेरे घर भी नही...कहीं और...ये मैं आपको कल बताऊंगा ..आप किसी तरह से बाहर निकलने का जुगाड़ करो कल ...बस अनिल को शक ना हो...मुझे 12 बजे मार्केट में मिलना, वहां से मैं आपको ले चलूँगा...''


अंजलि ये सुनकर और भी एक्साइटेड हो गयी...उसने लिखा : "वाव...यानी तुमने सब सोच कर रखा है...तुम मेरे निकलने की फ़िक्र ना करो, मैं किट्टी या पार्लर जाने का बहाना करके निकल आउंगी, और अनिल की फ़िक्र ना करो, वैसे भी कल इंडिया पाकिस्तान का मैच है, वो घर से निकलेंगे ही नही...''

अजय : "ये तो अच्छी बात है...वो घर बैठकर मैच देखेगा और हम दोनो मिलकर मैच खेलेंगे...''

अंजलि : "उम्म......मेरा तो अभी से मन कर रहा है तुम्हारे बेट से मैच खेलने का...''

अजय : "और मेरा आपको बॉल्स से खेलने का...''

अजय ने महसूस किया की चैट करते-2 उसका लंड स्टील का बन चुका है..जब उसका ये हाल है तो अंजलि की चूत का क्या हाल होगा इस वक़्त...वो तो अपना बिस्तर गीला कर चुकी होगी...

अंजलि : "उम्म्म....अब ऐसे ना तड़पाओ अजय....जितना खेलना है खेल लेना कल...मेरी बॉल्स से भी और मेरी गीली पिच से भी...''

अजय : "वो तो ठीक है, पर अभी के लिए तो कुछ इंतजाम कर दो ? "

अंजलि : "बोलो, क्या करू मैं , अपने राजा के लिए ''

अजय मुस्कुराया और उसने मैसेज टाइप किया : "मुझे अपनी बॉल्स और गीली पिच की पिक्स भेजो ''

अंजलि : "उम्म्म्म्म्म। ... क्यों परेशान कर रहे हो, तुम तो अपना हिलाकर सो जाओगे,और मई तड़पती रहूंगी रात भर ''

अजय : "नहीं भाभी, आपकी कसम, मई आज की रात नहीं झाड़ूंगा, आपके लिए संभाल कर रखुँगाम सिर्फ अपने छोटे सिपाही को आपने सैक्सी फ़िगर दिखाकर कल के लिए तैयार करना है, प्लीज, भेजो न,.... ''

अंजलि ने भी ज्यादा बहस नहीं की, उसने एक नजर अनिल पर डाली , वो गहरी नींद में था, अंजलि ने अपनी टी शर्ट को ऊपर किया और अपने कठोर मुम्मे बहार निकाल कर अपनी एक सेल्फ़ी ली, और उसे अजय को भेज दिया



अजय तो उसके मुम्मो की कठोरता, उसके निप्पल्स की चोंचे और मुम्मों की मोटाई देखकर पागल सा हो गया

उसने तुरंत मैसेज भेजा : "वआव भाभी, मजा आ गया, आप कल मिलो तो सही, इनका तो मै हलवा बनाकर खा जाऊंगा ''


अंजलि उसके मेसेज को देखकर मुस्कुरा दी, वो जानती थी की उसके मोटे मुम्मे हैं ही इतने आकर्षक, भले ही अजय उन्हें बुरी तरह चूस चुका था, मसल चुका था, पर एक बार फिर से उन्हें नंगा देखकर वो ऐसे पागल हो रहा था जैसे पहली बार देख रहा हो उन्हें। ..

उसने इतराते हुए एक और पिक खींची और उसे भी अजय को भेज दिया



इस बार वो और मोटे लग रहे थे, शायद थोड़ा और क्लोसअप से ली थी ये फोटो

अजय ने अपना लंड बाहर निकाल लिया, और उसे मसलने लगा , उसने अंजलि से वादा ना किया होता तो अभी के अभी मुठ मारकर अपना माल बाहर निकाल देता

अजय : "भाभी, क्यों तड़पा रहे हो, पूरा दिखाओ न , प्लीईज़ ''

वो मुस्कुराई और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, दरवाजा बंद करके उसने अपना टॉप निकाला और अपनी टॉपलेस पिक खींचकर उसे अजय को भेज दिया 




ये पिक देखकर तो अजय का दिमाग ही खराब हो गया, ऐसे मोटे मुम्मे वाली औरत को दोबारा चोदकर कितना मजा आएगा, यही सोचता हुआ वो अपने लंड को धीरे-२ रगड़ता रहा

अजय : "वाह भाभी, आपके मोटे बूब्स पर तो लटक जाने का जी चाहता है ''

अंजलि : "कल जितना चाहे लटक लेना, कोई रोकने वाला नहीं होगा , मुझे भी अपने बूब्स चुसवाना बहुत पसंद है, कोई मेरे बूब्स चूसे या पुस्सी ,दोनों में एक जैसा ही आनंद मिलता है मुझे तो ''

अजय को वो कल के लिए टिप्स दे रही थी की उसके साथ क्या-२ करे वो....

अजय : "अच्छा, सिर्फ चुसवाना ही पसंद है, चुदाई नहीं। .... ''


अंजलि: "चुदाई का तो कोई मुकाबला ही नहीं है, उसके लिए तो मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ ''

अजय : "अभी के लिए तो आप अपना पायजामा उतारो और मुझे फुल बॉडी की नंगी पिक भेजो, जल्दी ''

अंजलि ने वैसा ही किया, और अपने नशीले और नंगे बदन की पिक अजय को भेज दी



अजय तो उसके चिकने शरीर और चिकनी चूत को देखकर पागल सा हो गया

अंजलि : "अब मुझे भी तो कुछ दिखाओ ''

अजय ने झट से अपना लंड बहार निकाला और उसकी एक फोटो अंजलि को भेज दी.



जो हाल अभी तक अजय का हो रहा था, वो अब अंजलि का होने लगा

वो अपनी चूत को बुरी तरह से मसलने लगी


और उसने एक और पिक अजय को भेज डाली 

 अजय : "अब बस करो भाभी, आपसे वादा न किया होता तो कब का झड़ चूका होता, ये पिक्स देखकर तो अपने आप माल निकल जाएगा ''

अंजलि मुस्कुराई और बोली : "मेरी चूत का हाल देखो जरा, बिना झड़े ही इसका रस बाहर निकल रहा है ''

इतना लिखकर उसने अपनी चूत का क्लोसप लेकर उसे अजय को भेज दिया




उसकी चूत सच में टपक रही थी , उसके बाद अंजलि अपने कपडे पहन कर वापिस अपने रूम में आ गयी

थोड़ी देर तक और चैट करने के बाद अजय बोला : "ओक भाभी , अब आप सो जाओ ...कल मिलते है...''

अंजलि : "ठीक है कुत्ते...कल मिलते है...''

अजय : "कुत्ते ?? ये क्या था...?''

अंजलि : "जब मुझे किसी पर हद से ज़्यादा प्यार आता है ना तो मेरे मुँह से अपने आप गालियां निकल जाती है...अनिल से पूछना कभी, कैसी गंदी-2 गालियां ख़ाता है वो , जब मुझे गर्मी चड़ती है...उसकी मा-बहन और खानदान के किसी भी इंसान को नही बख्शती मैं तो...हे हे..''

अजय : "अच्छा , ये बात है...फिर तो हो जाए 2-2 हाथ, स्कूल टाइम के बाद तो मैं भी गाली देना भूल ही चुका था...कल अपने खजाने से ऐसी गालियां निकालूँगा की आपकी चूत के परखच्चे उड़ जाएँगे वो गालियां सुनकर ...''

जवाब में अंजलि ने हंसते हुए स्माइली भेजे और लिखा : "देखेंगे....''

और उसके बाद मिलने की जगह डिसाईड करके अजय ने सारी चैट डिलीट करी और वापिस आकर सो गया....अब उसे कल की धमाकेदार चुदाई का इंतजार था...

पर अजय की किस्मत में हर चीज़ आसानी से नही आती,उसे क्या मालूम था की जो प्लान उसने बनाया है,उसमें खलल पड़ने वाला है...और ऐसा खलल जिसके बारे में उसने सपने में भी नही सोचा था...


 
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FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..49

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..49


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अब आगे
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रचना ने अपना हाथ एक बार फिर से उसके गर्म लंड पर रखा और अपनी कमर आगे करके अपनी नंगी चूत पर उस लंड को लगा दिया...और ज़ोर से अजय से लिपट गयी.



''आआआआआआआआआहह..... उम्म्म्ममममममममममममममम....... वॉट अ फ़ीलिंग..........''

वो अजय के लंड को अपनी चूत के उपर दबाकर उसकी गर्माहट और कसावट का मज़ा ले रही थी..

अजय ने भी बड़ी मुश्किल से अपने उपर संयम रखकर अपने आप को रोके रखा..

रचना : "बॉस.....आप अपनी चेयर पर बेठिये ना...पहले की तरह...आई विल हेंडल दिस...''

और एक बार फिर से उसने अजय के लंड को पकड़कर दबा दिया..

अजय उसे लेकर अपनी सीट की तरफ चल दिया...और फिर अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया..

और वो रचना से बोला : "यहाँ नही....बाहर चलते है...बॉस के केबिन में .''

अजय के बॉस का केबिन ,यानी वाइस प्रेसीडेंट का कमरा...जो ऑफीस के बिल्कुल लास्ट में था..

और ये अजय ने इसलिए कहा था क्योंकि उस केबिन के कोने में एक आलीशान सोफा पड़ा था,जो इतना गद्देदार था की उसपर बैठने के बाद पूरा शरीर अंदर की तरफ धँस जाता था,अजय का बॉस उस सोफे को अक्सर लंबी मीटिंग के दौरान इस्तेमाल करता था.

रचना ने भी कुछ नहीं कहा और वो और अजय केबिन से बाहर निकल कर बॉस के केबिन की तरफ चल दिए..

जाते हुए दोनों अपने कपड़े उठा लिए क्योंकि एमर्जेन्सी तो कहीं भी आ सकती थी..दिल के एक कोने अजय को शायद थोड़ा डर अभी भी था की कही बॉस ऑफीस ना आ जाए..और यही डर उसके और रचना के दिल में इस वक़्त रोमांच बनकर दौड़ रहा था.

ये वही ऑफीस था जहाँ रोज 70 के आस-पास लोग हुआ करते है, सभी अपने वर्क स्टेशन और केबिन्स में बैठकर काम किया करते है..और आज उन वीरान पड़ी सीटों के आगे से निकलते हुए अजय और रचना, बिना कपड़ो के, किसी राजा-रानी की तरह टहलते हुए बॉस के केबिन की तरफ़ जा रहे थे..

अजय ने उसे आगे चलने को कहा ताकि वो उसकी थिरकती हुई गांड देख सके..

और रचना ने भी मना नही किया, वो अपनी मोटी गांड मटकाती हुई आगे चलने लगी..साली,अभी थोड़ी देर पहले अंधेरे में शरमा रही थी और अब नंगी होकर ऑफीस में चल रही है ..क्योंकि वो भी जानती थी की उसकी गांड कितनी मस्त है...और जब लड़कियो को पता होता है की उनकी मस्ती भरी चाल देखकर पीछे वालो का क्या हाल होता है तो वो जान बूझकर और मटक कर चलती है, ताकि उनकी गांड की हर थिरकन से पीछे वाले का हाल बुरा हो जाए..

और हाल तो सच में अजय का बुरा हो गया...रोजाना ऑफीस में उसकी मस्त गांड को देखकर वो आँहे भरा करता था और वही रचना इस वक़्त उसके आगे नंगी होकर चल रही थी...अजय इससे ज़्यादा कुछ और माँग ही नही सकता था उपर वाले से..



अजय के बॉस ने जो चाबियाँ भेजी थी,उसमे उसके केबिन की भी चाबी थी..अजय वो केबिन खोलकर अंदर आ गया और अंदर से दरवाजा लॉक कर दिया..


केबिन में हल्की रोशनी आ रही थी...अजय ने एसी ऑन कर दिया और जाकर सोफे पर बैठ गया..

उसका नंगा शरीर उस कॉटन की गद्देदार सीटो के अंदर पूरा धँस गया...अजय ने रचना को अपने पास बुलाया और उसे अपने उपर खींचकर सोफे पर लेट गया..

दोनो के शरीर गुत्थम - गुत्था हो रहे थे...दोनो एक दूसरे को मसल रहे थे...चूम रहे थे...चाट रहे थे...



अजय को उस गद्देदार सीट पर लेटकर बहुत मज़ा आ रहा था...उसके तो नीचे भी गद्दा था और उपर भी.

और रचना के बूब्स चूस्कर उसे सच में बहुत मज़ा आया आज...वो तो उन्हे छोड़ ही नही रहा था...

रचना ने बड़ी मुश्किल से अपने स्तन उसके चुंगल से चुढवाए और मछली की तरह फिसलकर नीचे की तरफ चल दी...

और अपना मुँह उसने सीधा अजय के लंड के उपर लाकर रोक दिया...और फिर नागिन की तरह जीभ निकाल कर उसने 2-3 बार उसे छुआ..



और फिर किसी अजगर की भाँति उसके पूरे लंड को एक ही बार में निगल गयी..

अजय तो कराह उठा उसके इस प्रहार से...उसका पीठ से ऊपर का हिस्सा हवा में उठ गया

''आआआआआआआआआआहह रचना....................... उम्म्म्ममममममममममममम .... माय बैईबीsssss ....''

रचना के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए वो उसके सिर को उपर और नीचे धकेल रहा था...

वो सच में काफ़ी अच्छी सकिंग कर रही थी...पूजा से भी अच्छी .हालाँकि दोनो ही इस खेल में नयी थी पर रचना इस मामले में उससे आगे निकल चुकी थी.


उसे तो बताने की भी ज़रूरत नही पड़ी की मर्द की गोटियां चूसने से वो ज़्यादा उत्तेजित होता है, वो खुद ही अपनी जीभ से उसकी बॉल्स चाटने लगी और फिर उन्हे एक-2 करके मुँह में लेकर चूसा भी उसने..



और इसी तरह कभी उसके लंड को और कभी उसकी बॉल्स को चूस्टे-2 वो अजय को ऑर्गॅज़म के करीब ले गयी..

और जब अजय को लगा की वो किसी भी पल झड़ सकता है तो वो सोफे से उठकर खड़ा हो गया और रचना को सोफे पर पेट के बल उल्टा लिटा दिया

अब वो खड़े होकर उल्टी पड़ी रचना का मुँह जोरों से चोद रहा था..


और जल्द ही उसने चिल्लाना शुरू कर दिया..

''आआआआआआआआआअहह रचना..................... माय डार्लिंग ............... आई एम कमिंगsssssss ''

और रचना ने भी अपने बॉस की आवाज़ सुनकर अपना मुँह वहां से नही हटाया...बल्कि उसके लंड को अपने पिंक लिप्स पर रगड़कर उसे अपने मुँह में ही झड़ने का न्योता दे डाला..


अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए, अपने लंड से गरमा गर्म सफेद मलाई निकालनी शुरू कर दिया...सीधा उसके नर्म होंठों पर...



जिसे उसने अपनी जीभ की मदद से अपने मुँह में ले लिया...थोड़ा माल बाहर गिरा और थोड़ा उसके चेहरे पर...बाकी सब उसके मुँह के अंदर गया.



रचना ने बड़े ही सेक्सी अंदाज में ,मुस्कुराते हुए अपना माल से भरा मुँह खोलकर अजय को दिखाया...और फिर एक ही झटके में वो सारा का सारा माल गटक गयी.



ये सीन हर मर्द को पसंद आता है जब उसका माल उसकी पार्ट्नर पूरा पी जाए...

अजय भी इस सीन को देखकर उत्तेजित हो उठा और उसने अपना मुरझा रहा गीला लंड पकड़कर उसके चेहरे पर रगड़ दिया..

रचना ने भी अपने चेहरे पर पड़ी माल की बूँदों को अजय के लंड पर चुपड़ डाला...वो अपना चेहरा अजय के लंड से ऐसे रगड़ रही थी मानो किसी टावल से सॉफ कर रही हो..



और अच्छी तरह से अपने चेहरे का माल उसके लंड पर लगाने के बाद एक बार फिर से उसे चूस गयी..अजय को अपनी सेक्रेटरी का आज का ये काम बहुत पसंद आया था.

अब रचना का नंबर था.

आज मौका भी था, सरूर भी था..और रचना जैसा माल भी था.

अजय आज उसे वो मज़ा देना चाहता था की वो जिंदगी भर ना भूले..


अजय ने रचना को उस गद्देदार सोफे पर किसी रानी की तरह लिटा दिया और खुद गुलाम की तरह उसके पैरों के पास आकर बैठ गया..

अब वो हल्की रोशनी में, उस जवान और नंगी हुस्ननपरी को आराम से देख पा रहा था.


 उसकी उभरी हुई छातियाँ और पतली कमर और बाद में फेली गुई गांड एक उत्कर्ष नमूना था नारी सुंदरता का..

वो उसे उपर से नीचे तक देखता रहा और फिर नीचे झुकते हुए उसने रचना की दोनो जांघे फेला कर उसकी गुलाबरस में डूबी चूत को देखा..

ऐसा लग रहा था जैसे कोई गुलाब खिलने की कोशिश कर रहा हो.

उसकी चूत की परतें एक दूसरे के उपर चड़कर अंदर के गुलाबी दाने को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी.


 पर अंदर से आ रही तरंगो की वजह से उसकी चूत के होंठ अपने आप बंद और खुल रहे थे..

अजय ने अपने होंठों को गीला किया और नीचे झुककर अपने उन गीले होंठों से एक बड़ा वाला चुंबन उसकी चूत के चेहरे पर दे दिया..

''आआआआआआआआआआअहह ......''

वो तड़प उठी.

आँखे अपने आप बंद होने लगी.

और फिर अजय ने किसी नाग की भाँति उसकी चूत को डस लिया.

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.......अजय ....... उम्म्म्मममममममममममम......''

उसके बाद तो अजय ने जैसे कोई रौद्र रूप धारण कर लिया.

वो उसकी चूत को किसी आइस्क्रीम की तरह चूसने लगा.

वो होती है ना तिल्ले वाली कुलफी, जिसे मुँह में लेकर चूसने से उसका मीठा दूध और खोया अंदर जाता है, वही एहसास अजय को हो रहा था...वो उसकी फूली हुई चूत को मुँह में लेकर उसके अंदर से निकल रहा गाढ़ा और मीठा रस निगलता जा रहा था.

वैसे एक बात तो थी..अजय की लाइफ की ये चौथी कुँवारी चूत थी, जिसे वो अपने मुँह में लेकर चूस रहा था..पहली तो उसकी बीबी प्राची की थी, जिसकी कुंवारी चूत को सुहागरात पर उसने जी भरके चूसा था..

बाद में अपनी दोनो सालियों की चूतें , यानी पूजा और रिया की, भी उसने जी भरकर चूसी थी.

और अब ये...रचना...उसकी कमसिन सेक्रेटरी..जो ऑफीस में नंगी लेटकर मज़े से अपनी चूत को चुस्वा रही थी.

कई लोगो की किस्मत में एक कुँवारी चूत को चूसना नही लिखा होता..और अजय था की इतने कम समय में 4थी चूस चुका था....पता नही और क्या-2 लिखा था उपर वाले ने अजय की किस्मत में .


 खैर, अजय के होंठ चूसते -2 जब उसके दाने तक पहुँचे तो उसपर जीभ लगते ही रचना सिहर उठी...ये पहली बार था की कोई चीज़ इतनी अंदर तक जा पहुँची थी..

आज तक उसने मास्टरबेट करते हुए भी अपनी उंगलियाँ अंदर नही डाली थी, उसे डर था की कहीं उसकी झिल्ली ना फट जाए..



और अजय की जीभ थी की उसकी चूत की परतें साइड में करती हुई, उस दाने तक जा पहुँची थी,जिसके बारे में रचना ने आज तक सिर्फ़ सुना ही था...कभी उसे छूकर नही देखा था..

अजय समझ गया की ये उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट है..क्योंकि जैसे -2 अजय उसपर जीभ फेर रहा था,रचना का शरीर काँप रहा था...ऐसा लग रहा था जैसे उसका नंगा शरीर सर्द रात में बाहर रखा हुआ है...अजय को उसकी इस हालत पर तरस भी आ रहा था और उसके शरीर से निकल रही तरंगो को महसूस करके मज़ा भी....

और इस मज़े को बड़ाने के लिए उसे अच्छी तरह से पता था की क्या करना है...अजय ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को दोनो हाथों से फेलाकर अपनी जीभ कड़ी करके अंदर धकेलनी शुरू कर दी...अजय अच्छी तरह से जानता था की कुँवारी लड़की के लिए तो उसकी जीभ ही किसी लंड के समान है..रचना भी उसके जीभ रूपी लंड से पिलवाकर उस गद्देदार सोफे पर ऐसे मचल रही थी जैसे उसके अंदर कोई आत्मा घुस गयी हो...उसका अपने शरीर पर कोई कंट्रोल ही नही रह गया था, और उस उन्माद में आकर वो ऐसे चीखे मार रही थी जैसे सच मे उसकी चुदाई हो रही हो..

''आआआआआआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओफफफ्फ़ अजय ................ स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर...... उम्म्म्मममममममममममममममममम ......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स मररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईई...... क्य्ाआआआआआ कर ररहेईईईईईईय हूओओओओओओ..... अहह .... मजाआाआआआआ आआआआआआ रहाआआआआआआआआ है...... आआआआआआअहह ओह सरsssss सस्स्स ... यूउुुुुउउ आआर सस्स्सूऊऊओ गूऊऊऊऊड''

वो तो अक्सर अपनी सेक्रेटरी को कॉंप्लिमेंट देता रहता था...पर आज उसी सेक्रेटरी से मिल रहे इन कॉंप्लिमेंट्स को सुनकर वो दुगने जोश से हर वो काम कर रहा था जिसमें रचना को मज़ा आ रहा था..

और कुछ देर तक उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद जब वो पूरी गीली हो गयी तो अंदर से आ रही सुगंध को सूँघकर अजय पर एक सुरूर सा चड गया...और उसी सुरूर मे बहकर उसने अपने दाँये हाथ की बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाल दी..

वो तो ऐसे उछली जैसे उसे बिच्छू ने डॅंक मार दिया हो...शायद अजय की उंगली उसकी झिल्ली से जा टकराई थी, तभी उसे तेज दर्द का एहसास हुआ था...अजय सोचने लगा की जब उसकी इस संकरी सी चूत में लंड जाएगा तो उसका क्या हाल होगा...अच्छा हुआ आज वो उसकी चुदाई नही कर रहा है, वरना बॉस के कमरे को तहस नहस कर देना था उसने.

रचना के कहने पर अजय ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और चूत को होंठों से चूस्कर ही उसकी और अपनी प्यास बुझाने लगा..


 अजय का एक हाथ अपने लंड पर भी था...वो दोबारा खड़ा होने लगा था...



और जल्द ही रचना अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुँच गयी...उस ऑर्गॅज़म के जिसे उसके बॉस ने अपने होंठों से चूस-चूस्कर बुलाया था.

और जब वो आया तो अजय को ऐसा लगा जैसे 7.5 रेक्टेयर का भूकंप आया हो...पूरा सोफा उसने हिला डाला, और ज़ोर-2 से तड़पति हुई झड़ने लगी..

कहते है, जब उत्तेजित मर्द झाड़ता है तो उसके लंड की पिचकारी, और औरत झड़ती है तो उसकी चूत की सिसकारी, बहुत दूर तक जाती है...

ये तो शुक्र था की वो ऑफिस था, किसी का घर होता तो ये चीख पड़ोसियों तक जरूर जाती

अजय को सॉफ महसूस हुआ की रचना की चूत के अंदर से, एक के बाद, एक सिसकते हुए से, कंपन बाहर निकल रहे है..जिनके साथ उसकी चूत का रस भी निकला, अजय ने होंठ लगा कर एक-2 बूँद पी डाली...ऐसे प्रोटिन शेक को वो वेस्ट नही करना चाहता था.

और जब तूफान थमा तो रचना ने अजय को अपने उपर खींच लिया और उसके गीले होंठों पर लगा अपनी ही चूत का रस,गहरी स्मूच के साथ,पी गयी.

कुछ देर तक उस सोफे पर पड़े रहने के बाद अजय ने उसे अपने केबिन में चलने की सलाह दी..और एक बॉस की तरह,उसे कमरे की हालत सही करके वापिस आने का कहकर,खुद नंगा अपने केबिन की तरफ चल दिया.

रचना ने वी पी के कमरे को ठीकठाक करके, वहां चाबी लगाई और वो खुद भी नंगी ही हिरणी की तरह छलांगे मारती हुई, अपने बॉस के पास चल दी.



अब दोनो को भूख लगी थी..अजय नंगा ही जाकर चेयर पर बैठ चुका था...और रचना के आने के बाद उसने पिज़्ज़ा का बॉक्स खोलकर उसे वहीं टेबल पर बिठा लिया..

रचना भी अपनी फेली हुई गांड लेकर उसके काँच के टेबल पर चड गयी..ठंडा ग्लास उसके चूतड़ों को काफ़ी ठंडक पहुँचा रहा था...वो महसूस कर पा रही थी की उसकी चूत से अब भी बूँद-2 करके रस बाहर निकल रहा है,जो उसके बॉस की टेबल पर गिर रहा होगा...

अजय का लंड तो उसके मुम्मे देखकर बैठने का नाम ही नही ले रहा था.

अजय ने उसे टेबल पर लेट जाने को कहा...रचना ने भी हमेशा की तरह, अपने बॉस की बात को बिना सोचे समझे मान लिया और अजय की लंबी टेबल पर लेट गयी..


 अजय ने पिज़्ज़ा के पीस निकाल कर उसके नंगे जिस्म पर बिछा दिए...पहला टुकड़ा उसकी चूत के उपर..



ये सब अजय ने शादी से पहले एक बी एफ मूवी में देखा था, जिसमे एक अँग्रेजन अपने बाय्फ्रेंड को ऐसे ही खुश करती है...अपनी बॉडी पर पिज़्ज़ा के पीस सजाकर, और फिर पिज़्ज़ा के डिब्बे के नीचे छेद करके उसके लंड को आर-पार निकालकर उसे चूसती भी है...



बस तभी से वो सीन उसके दिमाग़ में बैठ गया था, वैसे तो उसने कभी सोचा नही था की वो ऐसा कुछ ट्राइ करेगा पर आज सब समान उसके पास था...नंगी लड़की और गर्म पिज़्ज़ा..

बस अजय को वही बात याद आ गयी और उसने टेबल पर रचना को किसी थाली की तरह सजाकर उसके उपर पिज़्ज़ा लगाकर खाने की सोची..

अजय ने उसकी चूत की कटोरी के उपर पड़ा पिज़्ज़ा उठाया और उसे खाने लगा...उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके उपर कोई ख़ास ओरिगेमी मसाला लगा दिया गया हो...शायद चूत की भीनी खुश्बू उसके अंदर समा गयी थी.

फिर उसने दो टुकड़े उठाकर उसके मोटे मुम्मो पर रख दिए...पहाड़ी उँची थी,इसलिए उसपर पिज़्ज़ा के टुकड़े टिक ही नही पा रहे थे...मोटे निप्पल उन्हे नीचे की तरफ फिसलने को मजबूर कर रहे थे...पर अजय ने जैसे-तैसे उन्हे वहां जमा ही दिया...



फिर वो उसकी चूत के आस पास के हिस्से से,पीज़्ज़े की गिरी हुई चीज़ को अपनी जीभ में लपेटता हुआ,धीरे-2 ऊपर की तरफ चल दिया..जैसे-2 वो उपर जा रहा था,रचना की साँसे तेज हो रही थी...और पिज़्ज़ा अपनी जगह से हिल सा रहा था...पर रचना ने उसे तब तक गिरने नही दिया, जब तक उसका बॉस उन पहाड़ियों पर चड नहीं गया...और उपर चड़ते ही वो दाँयी तरफ के टुकड़े पर,बिना हाथ लगाए टूट पड़ा..रचना की पूरी छाती पर पिज़्ज़ा की सॉस और चीज़ फेल गयी...दूसरे टुकड़े को उसने अपने हाथ से पकड़ लिया ताकि वो नीचे ना गिर जाए...अजय ने अपने मुँह में आए हर टुकड़े को तो ऐसे खाया जैसे वो बरसों से भूखा हो...वो अच्छी तरह से पिज़्ज़ा की सॉस भी चाट रहा था..उसकी ब्रेड को टुकड़े करके खा रहा था..और साथ ही साथ नीचे की तरफ फैल रही चीज़ों को अपनी जीभ और होंठों से चाट भी रहा था.

आख़िरकार उसका पिज़्ज़ा ख़त्म हो गया...लेकिन उसकी उत्तेजना ख़त्म नही हुई...वो उसके बूब्स चूस्कर और बड़ चुकी थी.








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FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..48

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रचना का मासूम सा चेहरा आज बहुत ही सैक्सी लग रहा था उसे..उसके चेहरे पर जो स्माइल थी,उसका तो कोई मुकाबला ही नही था आज ..

वो अपने बॉस को ''हैल्लो सर'' बोलती हुई अंदर आ गयी..

और अपने केबिन की तरफ चल दी.

अजय भी दरवाजा लॉक करके उसके पीछे-2 चल दिया...उसकी मटकती गांड को देखते हुए..आज वो अपनी कमर को कुछ ज़्यादा ही मटका कर चल रही थी..

अंदर पहुँचकर अजय अपनी चेयर पर बैठ गया और रचना केबनेट से फाइल निकालने लगी..

ऑफीस में आज उसके और रचना के सिवाए कोई भी नही था, ये एहसास अंदर तक रोमांचित कर रहा था उसे..

वो बियर के सीप भरता हुआ आराम से रचना के पिछवाड़े को देखने लगा..

रचना ने फाइल निकाली और उसे लेकर अजय के पास आई...उसे बियर पीते देखकर वो मुस्कुरकर बोली : "आज तो आप फुल मस्ती के मूड से आए है ऑफीस...''

इतना कहकर वो झुकी और अजय के सामने फाइल खोलकर रख दी..अजय ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसकी उस नर्म गांड को,जिसे काफ़ी देर से वो घूरकर देख रहा था,अपने खड़े लंड के उपर लाकर ज़ोर से दबा दिया..

वो भी मुस्कुराती हुई सी,बिना किसी विरोध के अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी एक बाहं उसके गले में लपेटते हुए उसे ज़ोर से हग कर दिया.

अजय ने भी मौके का फयडा उठाकर उसे ज़ोर से अपनी बाहों में भींच लिया, और उसके गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसने लगा..



उनकी ये किस्स करीब 2 मिनट तक चली, जिसके अंदर उन्होने एक दूसरे को बुरी तरह से चूस डाला..

किस्स तोड़कर रचना ने अपनी साँस पर नियंत्रण किया और फिर मुस्कुरा कर बोली : "पता है सर , जब से आपका फोन आया है,मेरे पेट में गुदगुदी सी हो रही थी...मन कर अरहा था की बस उड़कर पहुँच जाऊं यहाँ''

अजय भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और अपना हाथ उसके नर्म और मुलायम पेट पर रखकर बोला : "ज़रा मैं भी तो देखूं की कहाँ पर हो रही है ये गुदगुदी...''

अजय ने उसके पेट पर गुदगुदी करनी शुरू कर दी और वो मचलती हुई सी,अपने आप को बचाने का प्रयास करती हुई और ज़ोर-2 से हंसते हुए अपनी नर्म गांड को ज़ोर से उसके लंड पर रगड़ने लगी..


अजय के पास आज पूरा मौका था जब वो अपनी सेक्रेटरी को ऑफीस में ही चोद सकता था, पर जैसा की उसने शुरू से ही सोच रखा था की इसे सबसे आख़िर चोदेगा ,अभी के लिए तो बस उससे मज़े लेगा..भले ही आज जैसा मौका दोबारा ना मिले पर इस मौके को वो ऐसे ही हाथ से नही जाने देगा...चुदाई के अलावा जो भी सैक्स की किताब में लिखा होता है,वो आज रचना के साथ कर लेना चाहता था.

अजय ने जब एक और सीप बियर का पिया तो रचना अपनी नर्म उंगलियाँ उसके गीले होंठों पर फेरति हुई बोली : "आई लाईक दिस स्मेल....मुझे बियर की स्मेल बहुत पसंद है...कॉलेज टाइम में छुप -छुपकर हॉस्टल में मँगवाकर पिया करती थी हम सभी फ्रेंड्स...''

अजय ने केन उठाकर उसकी तरफ करते हुए कहा : "तो ये लो ना,एक सीप पीकर देखो, थोड़ा सरूर चढ़ेगा तो मज़ा आएगा..


रचना : "ऐसे नही...अपने होंठों से पिलाओ..डबल सरूर चढ़ेगा ...''

रचना तो उसकी उम्मीदों से ज़्यादा किंकी निकली..

अजय ने फ़ौरन एक बड़ा सा घूँट पिया और अपने होंठ उसके सामने कर दिए..रचना ने तुरंत अपने रसीले होंठों को अजय के होंठों के चारों तरफ लपेट कर उसे चूस लिया,अजय ने होंठों को पिचकारी बनाकर बियर उसके मुँह में छोड़ दी, जो वो गटागट पी गयी..और साथ ही हर घूँट पर वो उसके होंठों को ज़ोर से चबाती भी चली गयी..

अजय के हाथ उसके बूब्स पर पहुँच गये और वो होले -2 उन्हे प्रेस करने लगा..और फिर धीरे से बोला : "मुझे भी पीनी है...ये वाली बीयर...''

वो उसके निप्पल्स की नोक को पकड़कर दबा रहा था..

रचना चिहुंक उठी उसके इस प्रहार से...और बड़े ही सेक्सी अंदाज में बोली : "येस बॉस....''

और वो उठकर अजय के सामने खड़ी हो गयी..अजय ने पहले तो नोट नही किया था पर अब उसने गोर से देखा तो पता चला की उसने अपनी ब्लेक ड्रेस के अंदर ब्रा नही पहनी हुई है...पर ड्रेस के अंदर ही बूब्स को संभाल कर रखने के लिए एक्सट्रा पेड लगा रखे थे,जिससे वो बिना ब्रा के ना लगे...

अजय के लिए ये पहला मौका था जब वो रचना के मुम्मे देखने वाला था...रचना भी अपने बूब्स अपने बॉस को पहली बार दिखाने में थोड़ा शरमा रही थी...उसने आँखे बंद कर ली और धीरे से अपनी ड्रेस के गले वाले हिस्से को नीचे कर दिया...धीरे-2 सफेद पर्वत की तरह उसके गोरे-2 मुम्मे उजागर होने लगे..और फिर उसके निप्पल्स भी सामने आए जो गहरे लाल रंग के थे...अजय तो पलके झपकना भी भूल गया, रचना ने अपनी ड्रेस को मुम्मो के नीचे फँसा कर अटका दिया और अपने तने हुए मुम्मे अजय की आँखो के सामने लेकर खड़ी हो गयी.



रचना इस वक़्त शरमा भी रही थी और अपने तने हुए बूब्स अजय को दिखाकर थोड़ी इतरा भी रही थी...शायद वो जानती थी की ये बिल्कुल सही आकार और रंग के है जो हर मर्द को पसंद आएँगे ही...नापसंद करने का तो सवाल ही नही था..

वो बोली : "लीजिए सर...ये दोनो आपकी सेवा में हाजिर है...''

अजय तो किसी भेड़िए की तरह उसके मुम्मों पर झपट पड़ा...और दोनो हाथों में उन नंगे मुम्मो को पकड़कर पहले तो काफ़ी देर तक उन्हे दबाता रहा और फिर अपने होंठ आगे करके उसने एक-2 करके उसके पिंक निप्पल्स का दूध पीना शुरू कर दिया..

पहले धीरे-2 और फिर दाँतों की मदद से

रचना ने तो अजय का हेयर स्टाइल ही बिगाड़ कर रख दिया, वो अपनी उंगलियों को उसके बालों में घुमाती हुई पूरा दम लगाकर अपने मुम्मे उसके मुँह पर रगड़ रही थी, अजय उठकर खड़ा हो गया और उसने रचना की बगलों के नीचे हाथ रखकर उसे किसी गुड़िया की तरह उठाकर टेबल पर बिठा दिया और अपना खड़ा हुआ लंड उसके घुटनों पर रगड़ने लगा..

वो समझ गयी और उसने एक सैक्सी सी स्माइल देते हुए, अजय की आँखो में देखते हुए, उसकी जीप खोलकर उसके लंड को पकड़कर बाहर खींच लिया...

ये पहला मौका था जब रचना खुली रोशनी उसके में लंड को देख रही थी...एकदम गठीला लंड था अजय का..साउथ इंडियन केले की तरह मोटा और लंबा...और उतना ही सख़्त..उसके उपर चमक रही खून की नसें बता रही थी की इस वक़्त मिल रही सप्लाइ कितनी तेज है...उसने अपने गोरे-2 हाथों में उसे पकड़ लिया और उसे पकड़ते ही कांपती हुई सी आवाज़ मे अजय से लिपट गयी...शायद ये सोचकर की जब ये मोटा लंड उसकी चूत में जाएगा तो कैसा महसूस होगा

''उम्म्म्ममममममममम....... ओह सर .... यू आर सओओओओ हॉट......''

अजय मुस्कुरा दिया...और रचना ने उसे पीछे की तरफ धक्का देते हुए वापिस कुर्सी पर बिठा दिया...

और बोली : "आप बेठिये सर....लेट मी हेंडल हिम ...''

और इतना कहकर वो अजय के सामने घुटनो के बल बैठ गयी...



अजय ने किसी राजा की भाँति अपना जाम उठा लिया और एक सीप भरा,ठीक उसी वक़्त रचना का सिर भी झुका और उसने अजय के लंड को एक ही बार में पूरा मुँह में डाल कर जोरदार ढंग से चूस डाला...

अजय ने सिसकारी मारते हुए बियर को गले के नीचे उतारा..

''उम्म्म्मममममममममममममममम..... ओह रचना....... माय बैबी...''

और उसने उसके रेशमी बालों में हाथ डालकर उसे अपने लंड पर ज़ोर से दबा दिया...और रचना भी किसी सड़क की रंडी की तरह उसके लंड को पूरा निगल गयी...उसका लंड इस वक़्त रचना के गले के टॉन्सिल्स को छू रहा था,वो घूं-घूं करती रही,पर उसके लंड को बाहर नही निकाला...अजय ने उसके सर को पकड़कर जोर-२ से उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया, अजय का लंड उसके गले तक जा रहा था ,अजय ने ऐसी डीप थ्रोटिंग वाली चुसाई आज तक नहीं करवाई थी..



रचना ने लंड को पूरा चूसा और फिर बाहर निकाल कर उसपर लगी थूक चाट गयी...

और कांपती हुई आवाज़ में बोली : "आई लव दिस ....आई लव दी स्मेल ऑफ यूर कॉक....सर.....''

अजय मुस्कुरा दिया....सैक्स की दुनिया में शुरुवाती कदम रखने वाली हर लड़की को हर काम में आनंद आता है

उसके बाद तो रचना जैसे पागल सी हो गयी, उसने अजय के लंड के साथ-2 उसकी गोटियों को भी उतनी ही बुरी तरह से चूसा..ऐसा लग रहा था जैसे आज नाश्ता करके नही आई वो...उसके कपूरे खाकर वो अपना पेट भरना चाह रही थी.


अजय से अब और सब्र नही हो रहा था, वो उसकी कुँवारी चूत देखना और चाटना चाहता था...वो उसके बालों में उंगलियाँ फेरता हुआ बोला : "रचना....मुझे तुम्हे देखना है...पूरा का पूरा ....न्यूड....''

ये सुनते ही रचना के दिल की धड़कने तेज हो गयी...आज से पहले उसने अपना शरीर किसी को नही दिखाया था...और आज वो वक़्त आ गया था जब वो अपने शादीशुदा बॉस के सामने वो करने जा रही थी...लेकिन इसमे उसकी भी कोई ग़लती नही थी...अजय था ही ऐसा...अपने बॉस की इस इच्छा को भी वो बिना किसी प्राब्लम के पूरा करना चाहती थी..इसलिए उसने लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया और धीरे से बोली : "यस सर...जैसा आप कहे...''

अजय तो उसके जवाब को सुनकर खुश हो गया...ऐसी ही सेक्रेटरी होनी चाहिए,जो अपने बॉस के किसी भी काम को मना ना करे..

वो खड़ी हुई और उसने अपनी ड्रेस की जीप अजय से खुलवाई,जो पीठ पर थी...लेकिन जैसे ही वो उसे उतारने लगी तभी बाहर के मैन गेट पर ज़ोर-2 से किसी के चिल्लाने की आवाज़ें आने लगी...कोई दरवाजा पीट रहा था

अजय का रूम दरवाजे के पास ही था,इसलिए आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी....एक ही पल में दोनो के चेहरे पीले पड़ गये...और पहला विचार जो अजय के जहन में आया वो था 'कहीं बॉस तो नही आ गये..'

ये सोचते ही उसकी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी, मज़े करने के चक्कर में उसकी जॉब जाने की नौबत आ चुकी थी..

दोनो ने आनन फानन में अपने-2 कपड़े ठीक किए और अजय कांपता हुआ सा बाहर चल दिया..


रचना केबिन के दरवाजे पर ही खड़ी होकर अजय को देख रही थी...उसने अपने मुम्मे वापिस ड्रेस में ठूस लिए थे..किसी अनहोनी की आशंका से उसका दिल जोरो से धड़क रहा था.

अजय दरवाजे के पास पहुँचा और ज़ोर से बोला : "कौन है....? ? ''

बाहर से जो आवाज़ आई, उसे सुनकर अजय की जान में जान आई.

''पिज़्ज़ा डिलीवरी सर...''

अजय तो उसके बारे में भूल ही गया था, उसने रचना को धीरे से कहा की पिज़्ज़ा वाला है,उसके लिए ही मँगवाया था...और रचना को वापिस केबिन में भेजकर उसने दरवाजा खोलकर पिज़्ज़ा ले लिया...पैसे लेते वक़्त वो डिलीवरी बॉय अजय की हालत देखकर पूछ बैठा : "क्या हुआ सर...सब ठीक है ना...आपकी हालत कैसी हुई पड़ी है..''

अजय ने रिसेप्षन के पीछे की तरफ शीशे में देखा तो उसे समझ मे आया की वो ऐसा क्यो बोल रहा है...रचना ने उसे चूमते हुए जिस तरह से उसके बालों की ऐसी तैसी की थी, और उपर से दरवाजा खड़कने पर अजय की जो हालत हुई थी, उसकी वजह से उसका चेहरा बहुत अजीब सा लग रहा था..

वो बोला : "नो, आई एम फाइन...वो ऑफीस में काम बहुत था, इसलिए कल रात से यही हूँ ..थैंक्स ..ये लो पैसे और जाओ...''

वो बंदा पैसे लेकर चल दिया और अजय पिज़्ज़ा लेकर वापिस अपने केबिन की तरफ.

अब उसका दिमाग़ और लंड एक बार फिर से रचना की तरफ जा चुके थे.

पर केबिन मे पहुँचकर उसने देखा की वहां तो घुप्प अंधेरा था..

अंदर की लाइट बंद थी..अजय ने ऑफीस आकर सिर्फ़ अपने केबिन की लाइट ही जलाई थी,उसके अलावा पूरे ऑफीस की लाईट्स बंद थी, इसलिए केबिन की लाइट बंद होने से उसे कुछ दिखाई ही नही दे रहा था.

अजय : "रचना...कहाँ हो तुम....और ये लाइट कैसे बंद हो गयी....रचना...''

पर उसकी तरफ से कोई जवाब नही आया.

अजय मन में सोचने लगा की अब ये कौनसी भसूड़ि है..


वो अंधेरे में दीवार पर हाथ लगाकर लाईट्स के बटन टटोलता हुआ आगे बढ़ने लगा...

और अचानक उसका हाथ किसी गर्म चीज़ से टकराया..

और वो गर्म चीज़ थी

रचना का नंगा मुम्मा



अजय समझ गया की वो गेम खेल रही है

अजय ने उसके उस मुम्मे को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया...रचना के मुँह से सुलगती हुई सी सिसकारी निकल गयी..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... अहहsssssssssss ''

अजय के हाथ दूसरी ब्रेस्ट पर गये...उसे भी उसने निचोड़ डाला..अपने हाथ उपर करके उसने उसकी नंगी गर्दन को सहलाया, तब उसे पता चला की उसने कुछ भी नही पहन रखा है..उसने अपनी वो सिंगल पीस वाली ब्लेक ड्रेस उतार दी थी , और साथ में पेंटी भी...

ये महसूस करते ही अजय का लंड फिर से स्टील का बन गया.

रचना ने उसके हाथ को पकड़कर चूम लिया..और धीरे-2 करके खुद ही उस हाथ को नीचे ले जाने लगी..

अजय का हाथ उसकी छातियों से होता हुआ, उसके सपाट पेट तक आ गया...और फिर रचना ने एक जोरदार सिसकारी मारकर उसके हाथ को और नीचे धकेल दिया..

अपनी नंगी चूत पर




जो इस वक़्त किसी भट्टी की तरह सुलग रही थी.

उसकी चूत पर एक भी बाल नही था

लेकिन नमीं बहुत थी

ओस की बूंदे थी वहां पर

और अंदर से गर्म हवा ऐसे बाहर निकल रही थी जैसे मुँह से गर्म साँसे निकलती है

एक नन्ही सी जान थी ये चूत भी
 
 
 


अजय तो उसकी चूत पर हाथ रखकर काँप सा गया..ऐसी गर्म लड़की की चूत को वो कैसे संभाल पाएगा..यही सोचकर उसने अपना खड़ा हुआ लंड आगे करके उसकी चूत पर चिपका दिया और ज़ोर से दबा दिया

भले ही अजय का लंड इस वक़्त कपड़ो की परत के नीचे था, पर उसके लंड की गुनगुनाहट को वो सॉफ महसूस कर पा रही थी. वो उसके लंड की धड़कन अपनी चूत पर महसूस करके पागल सी हो गयी..और वो किसी बेल की भाँति अजय से लिपट गयी..

''ओह....अजय.........उम्म्म्ममममममममममम.......''

ये पहली बार था जब रचना ने अजय को उसके नाम से पुकारा था...पर अजय को उसकी सेक्सी आवाज़ में अपना नाम सुनना काफ़ी अच्छा लगा..

उसके बाद तो अजय काफ़ी देर तक अंधेरे में ही उसे चूमता रहा...उसके नंगे शरीर के हर हिस्से को उसने अपनी उंगलियों से नाप डाला..मसल डाला...निचोड़ डाला.

ख़ासकर उसकी चूत को

अजय के होंठ रचना के होंठो पर थे और उसकी एक उंगली रचना की चूत में ..

रचना ने अपना एक पैर उठाकर हवा मे रखा हुआ था ताकि अजय उसकी कजूत की ड्रिलिंग कर सके..

और इस काम में दोनों को बहुत आनंद आ रहा था..

लार उसके मुँह से बह रही थी और वो अपनी चूत में अपने बॉस से फिंगरिंग करवा रही थी.

कुछ देर बाद अजय ने किस्स तोड़ी और बोला : "लाइट तो जला लो...''

रचना कुनकुआई : "नो सर...रहने दो ना...ऐसे ही....मुझे, मुझे शर्म आएगी...''

अजय ने भी ज़ोर नही दिया...आख़िर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी...

अजय तो मन पक्का कर चुका था की चाहे कुछ भी हो जाए,वो उसकी चूत नही मारेगा अभी..बाकी के मज़े सब ले लेगा..

और शायद रचना भी ये बात जानती थी की उसके बॉस इतनी जल्दबाज़ी नही करेंगे...हर लड़की की तरह उसने भी पहली चुदाई के बारे में कुछ ख़ास सोच रखा था, कई सपने संजो रखे थे, काफी प्लानिंग कर रखी थी..

पर लड़कियों की चूत में जब खुजली होती है ना,तो उसके आगे उनकी सोच और प्लानिंग की धज्जियाँ उढ़ जाती है..

रचना ने अजय की टी शर्ट को उतार दिया...और उसकी जीन्स खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया.

अब उस ऑफीस के अंधेरे कमरे में रचना और अजय एकदम नंगे थे..







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FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..47

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..47


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अब आगे
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अजय बेड पर नंगा लेटा हुआ अपनी सांसो को नियंत्रित कर रहा था...हल्के बल्ब की रोशनी में उसका गठीला और नंगा शरीर बहुत सेक्सी लग रहा था..पूजा उसके करीब आई और झुक कर उसने अजय के होंठों पर होंठ लगा दिए..

अजय भी एकदम से चोंक गया..10 सेकेंड की स्मूच करने के बाद वो बुदबुदाया : "उम्म्म्मम...... दोबारा मन कर रहा है क्या डार्लिंग...''

पूजा : "जीजू...आँखे खोलो...ये मैं हूँ ..पूजा''

पूजा की आवाज़ सुनते ही अजय चोंककर बैठ गया,सामने पूजा थी और वो भी पूरी नंगी, उसने तो सोचा भी नही था की पूजा इस तरह की हिमाकत करेगी,उसकी बीबी इस वक़्त बाथरूम में थी और कभी भी आ सकती थी,उसने अगर पूजा को इस तरह से अपने बेडरूम में देख लिया तो उसका तो तलाक़ पक्का है..अजय की तो फट्ट कर हाथ मे आ गयी

वो दबी आवाज़ में चिल्लाया : "पूजा....तुम....यहाँ क्या कर रही हो...निकलो अभी के अभी...''

पर पूजा के सिर तो एक अलग ही खुमारी चढ़ चुकी थी, वो अपनी नशीली आँखो से अपने जीजू को देखती हुई उसके और करीब आई और बोली : "मैं चली जाउंगी पर मुझे ये चाहिए...आज..किसी भी कीमत पर...''

इतना कहकर पूजा ने अजय के निढाल हो चुके गीले लंड को पकड़कर ज़ोर से मरोड़ दिया...और फिर बिना किसी वॉर्निंग के नीचे झुकी और अपनी बहन की चूत से बाहर निकले उस लंड को अपने मुँह में लेजाकर अपनी लार से नहला दिया,जैसी स्मूच अपने जीजू के होंठो की ली थी,ठीक वैसी ही उसने उनके लंड की ले डाली.

अजय के हाथ अपने आप उसके नंगे शरीर पर जा लगे और ना चाहते हुए भी एक लंबी सी सिसकारी निकल गयी उसके मुँह से.

पूजा ने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उठकर बाहर जाती हुई एक बार फिर से बोली : "मैं वेट करूँगी, टेक युवर टाइम, बट आई वॉंट यू टू फ़क्क मी टुनाइट...''

इतना कहकर वो नंगी ही भागती हुई बाहर निकल गयी और फिर अपने कमरे में घुस गयी ..अजय बेचारा अपना चमकता हुआ लंड लेकर बेड पर हैरान परेशान बैठा रह गया.

2 मिनट बाद प्राची भी वॉश करके वापिस आ गयी,वो भी अभी तक नंगी ही थी



प्राची ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और बोली : "ये कैसे बैठे हो...अभी और करने का मन है क्या...''


अजय तो जैसे सपने से बाहर आया...एक पल के लिए तो उसे लगा की ये उसका वहम था की पूजा उनके बेडरूम में आई थी,लेकिन फिर उसने जब अपने लंड की तरफ देखा तो उसपर चमक रही थूक को देखकर उसे एहसास हुआ की वो सच में यहां आई थी...वो अपने लंड को सॉफ करने लगा.

प्राची : "ऐसे क्यों कर रहे हो...बाहर जाओ,बाथरूम में ...वॉश करके आओ..फिर सोते है...मुझे तो अब बहुत तेज वाली नींद आ रही है..''

अजय उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया..वाश्बेसिन पर खड़े होकर अपने लंड और गोटियों को अच्छी तरह से सॉफ करने के बाद वो वापिस बेडरूम में आ गया,प्राची तब तक अपना गाउन पहन कर लेट चुकी थी,अजय ने भी अपनी टी शर्ट और निक्कर पहनी और प्राची की गांड से चिपककर सो गया.

सिर्फ़ 5 मिनट के अंदर ही प्राची गहरी नींद में सो गयी,अजय उससे दूर हटकर लेटा रहा...उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी,जाए या ना जाए..उसे पूजा पर गुस्सा भी आ रहा था की मना करने के बावजूद वो आज चुदवाने के लिए ज़ोर दे रही है...लेकिन उसमे उसकी भी कोई ग़लती नही थी,ऐसी उम्र में ,सिर्फ़ एक बार चुदने के बाद जो चुदासी चड़ती है,उसे दबाकर रखना वाकई में काफ़ी मुश्किल होता है,वैसे भी उसने खुद ही तो उसे अपनी चुदाई का लाईव टेलीकास्ट दिखाकर ऐसे तड़पने को विवश किया था..

लेकिन एक बात और थी,अपनी साली को अपनी बीबी के घर में होते हुए चोदने में जो मज़ा मिलेगा,वो अलग ही होगा, इसमे एक अलग ही किक्क मिलेगी..और वैसे भी,जब से वो उसके लंड को चूस कर गयी थी, उसका लंड उसकी गर्मी से अब तक जल रहा था,अब तो ये जलन उसकी चूत के पानी से ही बुझेगी.

इसी तरह से सोचते हुए उसे करीब आधा घंटा हो गया, अब उसने जाने का निष्चय कर लिया, वो जानता था की प्राची की नींद काफ़ी पक्की है,शादी के इतने महीने बीत जाने के बाद आज तक उसकी नींद नही टूटी थी रात के समय..लेकिन अपनी तरफ से वो पूरा निश्चिंत होकर चलना चाहता था, वो दवाई की शीशी भी उसके पास थी,पर प्रेगनेन्सी में वो उसका इस्तेमाल नही करना चाहता था,इसलिए वो चुपचाप उठा और दबे पाँव बेडरूम से निकल आया,और बाहर आकर उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया..

अब अगर प्राची की नींद खुल भी जाए तो कम से कम वो रंगे हाथो नही पकड़ा जाएगा,दरवाजा बंद करने का बहाना वो बाद में सोच लेगा..

वो अपने पंजों पर चलता हुआ दूसरे बेडरूम में जा घुसा..कमरे में घुप्प अंधेरा था,पूजा ने शायद नाइट बल्ब भी बंद कर दिया था..वो धीरे-2 चलता हुआ अंदर आया और धीरे से उसने अपनी साली को पुकारा : "पूजा...पूजा...कहाँ हो तुम...''

वो उसके पीछे ही खड़ी थी,बिलकुल नंगी 


पूजा पीछे से आकर अजय से लिपट गयी..अपने मुम्मे उसने अजय की पीठ पर गाड़ दिए और अपने हाथों को आगे लेजाकर उसकी छाती को जकड़ लिया.और अंधेरे मे खड़े होकर वो उसकी पीठ पर किस्स करने लगी.

'' ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जीजू .... उम्म्म्म्म्म्म मुझे पता था की आप जरूर आओगे , आई लव यू जीजू, आई लव यू ''

अजय के हाथ उसके हाथों से होते हुए उसकी कमर तक आए...उसके नंगे बदन को अँधेरे में महसूस करते ही वो ऊपर से नीचे तक झनझना सा गया 


अजय का गुस्सा तो एकदम गायब हो चुका था,पहले तो उसने सोचा था की जाकर उसे डाँटेगा और बाद में जो करना होगा वो करेगा..पर पूजा ने तो उसे सोचने के काबिल ही नही छोड़ा था..

औरत का नंगा जिस्म एक ऐसा हथियार है जो अच्छे से अच्छे मर्द की बोलती बंद कर सकता है..यही इस वक़्त अजय के साथ हो रहा था.

अजय ने उसके हाथो के फंदे से अपने आप को छुड़वाया और उसकी तरफ घूम गया..अंधेरा काफ़ी था,लेकिन उन दोनो के मुँह जब आगे हुए तो होंठ सीधा एक दूसरे पर ही जाकर लगे .

ये किस्स एक ऐसा खेल है जिसे खेलने के लिए आँखो की नही बल्कि दिल की ज़रूरत होती है...दोनो एक दूसरे के होंठों को मुँह में लेकर ऐसे चबा रहे थे मानो खा ही जाएँगे.अजय को इस घर की औरतों में ये बात सबसे ज़्यादा पसंद आई थी की वो सामने वाले को ऐसे चूमती थी मानो उसके होंठों में सोना छुपा है.जिसे कुरेदकर वो किसी भी कीमत में निकालकर ही रहेंगी , अभी कुछ देर पहले उसकी बहन प्राची ने उसके होंठों को चूस-चूसकर सूजा सा दिया था और अब ये बिल्ली की तरह उसके होंठों को काट रही है...चूस रही है..... चबा रही है 


अजय ने उसके नंगे बदन को उपर से नीचे तक सहलाया..पहले धीरे-2 और फिर ज़ोर-2 से...ख़ासकर उसके मुम्मों को...एक मिनट के लिए जब पूजा साँस लेने के लिए अलग हुई तो अजय ने अपना मुँह नीचे किया और उसके दाँये मुम्मे को पकड़कर अपने मुँह में दबोचा और ज़ोर से काट लिया...वो किसी बकरी की तरह मिमिया उठी...और अपनी एक टाँग उठा कर उसने अजय की कमर से लपेट दी..अजय ने उसकी गांड पर हाथ रखकर उसे उचका लिया और पूजा ने दूसरी टाँग भी उसकी कमर से लपेट कर उसे जकड़ लिया..और अब वो अजय के गले में बाँहे डालकर झूल रही थी और अजय उसकी गोरी गांड को हाथों से मसलता हुआ उसके दोनो मुम्मों का दूध एक-2 करके पी रहा था.

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... उम्म्म्ममममममममममम.... जीजू.............. आई लव यू ..... मार्क बनाओ दांतो से..... प्लीज़............''

अजय को मालूम था की वो ऐसा क्यों कह रही है...वो बाद में ये निशानी रिया को दिखाकर उसे चिड़ाना चाहती थी..

अजय ने अपने दाँतों और जीभ का इस्तेमाल करके उसे निप्पल के थोड़ा उपर वाले हिस्से को चूसना शुरू कर दिया...और इतनी ज़ोर-2 से चूसा की उसके मुम्मे का सारा खून एक जगह इकट्ठा हो गया और एक गहरा लाल निशान बन गया..पहले एक मुम्मे को अच्छी तरह से चूसकर उसपर मार्क बनाया और फिर दूसरे को चूसकर उसके ऊपर भी..  


अजय : "ये लो....अब ये निशान एक हफ्ते से पहले जाने वाले नही है...''

पूजा मुस्कुरा का बोली : "एक हफ्ते बाद फिर से बनवा लूँगी...आप कौन सा भागे जा रहे हो कही...''

और इतना कहकर वो एक बार फिर से एक गहरी स्मूच में डूब गये.

अजय ने उसे अपनी गोद से उतारा और बोला : "अब तुम भी तो लव बाइट दो मुझे ..यहाँ पर..''

इतना कहकर उसने पूजा के हाथ मे अपना लंड पकड़ा दिया...वही लंड जो सिर्फ़ एक घंटे पहले की जबरदस्त चुदाई से निढाल सा हुआ पड़ा था अब धीरे-2 होश में आने लगा था, अजय के लंड की नसें अभी तक चमक रही थी,पूजा ने उसे अपने मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी,अजय की आँखे बंद होने लगी, उसने अपनी टी शर्ट उतार दी,निक्कर भी अपने आप नीचे जा गिरी

वो पीछे की तरफ गया और बेड पर बैठ गया...पूजा ने उसके लंड को चूसते हुए उसके सीने पर हाथ रखकर उसे पीछे की तरफ लेटने को कहा,वो लेट गया और पूजा ने अपने मुम्मे उसके घुटनों पर रगड़ते हुए उसके लंड की चुसाई शुरू कर दी..पूजा के निप्पलों की चुभन बता रही थी की वो कितनी उत्तेजित है इस वक़्त..


पूजा के लंड चूसने की गति पिछली बार से ज़्यादा थी,शायद अजय और प्राची की चुदाई देखकर वो थोड़ा और मन लगाकर चूसना सीख गयी थी, उसने ये बात नोट कर ली थी की जितनी ज़ोर से चूसोगे,मर्द उतना ही ज़्यादा खुश होगा..उत्तेजित होगा..

और यही इस वक़्त अजय के साथ हो रहा था, उसने पूजा के सिर पर हाथ रखकर उसके चूसने की स्पीड पर ब्रेक लगाया,वरना उसे डर था की ज़ोर से चूसने के चक्कर में उसके पैने दाँतों का शिकार ना हो जाए उसका छोटा सिपाही.

अजय के लंड को पूरी तहर चोपड़ने के बाद वो सीधा उपर जा चढ़ी और अपनी चूत वाले हिस्से को लंड के उपर फँसाकर ज़ोर से सिसकारी मारकर बोली : "उम्म्म्मममममममममम... जीजू ....... अब सब्र नही होता.... प्लीज़ फक्क मीइssssssss ..... चोदो मुझे...... आई वॉंट यू नाउ....''

अजय ने भी देरी करनी उचित नही समझी..उसे प्राची के उठने का भी डर सता रहा था,इसलिए जल्द से जल्द पूजा की चुदाई करके वो वापिस पहुँचना चाहता था.

पूजा ने उसके लंड को अपनी चूत की फांकों में फंसाकर कुछ देर तक अजय के लंड की अच्छे से मालिश की, ऐसा करने से ये फायदा हुआ की उसकी चूत से जो रस बुरी तरह से बाहर निकल रहा था,वो उसने अजय के लंड के ऊपर मलकर उसे पूरी तरह से रंवा कर दिया, अब वो एक ही झटके में अंदर घुस सकता था
 
 
 


अजय ने उसकी तरबूज जैसी टाइट गांड को पकड़ा और अपने चूतड़ हवा में उठाकर अपने लंड को उपर की तरफ धक्का दिया..कर्रर्र्ररर की आवाज़ के साथ वो लौड़ा एक बार फिर से पूजा की चूत में दाखिल हो गया...और उसने अपने दोनो मुम्मों से अजय के मुँह को दबा कर अपना पूरा भार उसके उपर डाल दिया.


''ईईईईईईईईईईईईई........ सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ओह जीजू ......... म्*म्म्ममम........ आई लव यूउुुुउउ''

और इतना कहकर उसने अपने ढीले और गीले होंठ अजय के होंठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दिया..अजय की रेलगाड़ी चल पड़ी..वो उसकी फुददी को चोदता हुआ उसके नर्म मुलायम होंठों को चूस रहा था,अपनी छाती पर उसके नर्म मुम्मो को महसूस कर पा रहा था..


दोनो के शरीर आपस में घिस रहे थे और ऐसा लग रहा था की उनमे से आग निकल पड़ेगी..दोनो काफ़ी गर्म हो गये थे...और फिर वो वक़्त भी आ गया जब दोनो ही एक साथ चिल्ला पड़े...दोनो का ओर्गास्म एक साथ ही हो गया था.

''आआआआआआहह ओह माई गॉड ...................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... ''


अजय भी सिसियाता हुआ सा उसके बालों में मुँह छुपा कर काफ़ी देर तक अपना माल उसकी चूत में छोड़ता रहा ....पूजा के साथ भले ही प्राची जितना टाइम नही लगा था, लेकिन इसकी चुदाई में मज़ा पहले से ज़्यादा आया था...

अजय ने पास ही पड़े पिल्लो को उठाया और उसका कवर निकाल लिया...और पूजा को धीरे से उठने के लिए कहा...जैसे ही वो उठी, अजय का लंड फिसलकर बाहर आ गया और पीछे -2 निकला ढेर सारा रस


जिसे अजय ने पिल्लो कवर लगा कर सोख लिया...और पूजा की चूत अच्छी तरह से सॉफ कर दी..पूजा को उसका ये केयरिंग अंदाज काफ़ी पसंद आया..उसके बाद अजय ने उसी कवर से अपना लंड भी सॉफ किया और उसे एक कोने में फेंक दिया..

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे...चूमते रहे..अजय ने सोचा भी नहीं था की वो अपनी लाइफ में इस तरह का रिस्क लेगा ,अपनी बीबी के घर पर होते हुए अपनी साली की चुदाई करेगा, लेकिन जो भी उसने किया था, मजा बहुत मिला था दोनों को ।



फिर अजय वापिस चला गया..उसे प्राची का डर सता रहा था..गनीमत थी की वो अभी तक सो रही थी..वो वापिस उसके पीछे जाकर लिपटकर पहले जैसे सो गया,जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

अगले दिन फ्राइडे था,कुछ ख़ास नहीं हुआ, लेकिन वीकेंड पर कुछ ऐसा होने वाला था जो अजय की जिंदगी में एक और मसालेदार रंग भरने वाला था
 
 
 


शनिवार को अजय की छुट्टी थी, उसने पहले ही सोच रखा था की आज वो पूरा दिन आराम करेगा, बियर पीकर मस्त रहना चाहता था वो ...पूरे हफ्ते चुदाई कर-करके उसकी हालत खराब हो चुकी थी, अब इन 2 दिनों में वो प्राची के साथ बिना कुछ करे रहना चाहता था..

लेकिन चुदाई के देवता को शायद उसका ये आराम करने का प्लान पसंद नही आया था..जैसे ही वो नाश्ता करके हटा, उसके बॉस का फोन आ गया.

अजय : "जी बॉस, कहिए...''

बॉस : "अजय , वो जो अमेरिका वाली पार्टी थी,जिसे तुमने प्रपोज़ल भेजा था, उनका फोन आया था मुझे अभी, वो हमारी सर्वीसेज़ लेने के लिए तैयार है...अब तुम जल्दी से उन्हे हमारे अभी तक के प्रोजेक्ट्स की एक प्रेज़ेन्टेशन बना कर भेज दो,और उसके साथ उनमे आई लागत और टेक्निक की डिटेल्स भी दे देना , प्रेज़ेन्टेशन ऐसी होनी चाहिए की वो ऑर्डर हमें ही दे...समझे..''

राहुल : "जी... जी बॉस...''

बॉस : "लेकिन इसके लिए हमारे पास सिर्फ़ आज और कल का दिन है...आई नो की ये छुट्टी वाले दिन है, बट तुम्हे कुछ मैनेज करना पड़ेगा...''

राहुल की तो सुलग गयी ये सुनकर...कहां तो उसने पूरा दिन आराम करने का सोचा हुआ था और ये बॉस है की उसका आज और कल दोनों दिन खराब करने में लगा है...वो जानता था की ये काम कितना बड़ा है, कम से कम 8-10 घंटे का काम था...और वो ये भी जानता था की उसके अलावा कोई और ये काम कर ही नही सकता..और वैसे भी हाल ही में मिली प्रमोशन के बाद तो उसकी ज़िम्मेदारी ज़्यादा बड़ चुकी थी..इसलिए उसने बुझे शब्दों में हाँ कर दी.

बॉस ने ये कहते हुए फोन रख दिया की अभी किसी के हाथ ऑफीस की चाभी उसके घर भिजवाता हूँ ..और ये भी कहा की अगर जरुरत पड़े तो वो भी ऑफिस आ जायेगा

फोन रखने के बाद उसने बुझे मन से जब ये बात प्राची को बताई तो वो बोली : "अरे , इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है, ये तो तुम्हारा काम है, तुम्हे ज़रूर करना चाहिए, तुम जाओ ऑफीस, मेरी फ़िक्र ना करो, पूजा और रिया तो है ही ,उन्हे बुला लूँगी...''

कुछ ही देर में उसके बॉस का नौकर घर आकर ऑफीस की चाभी दे गया.

राहुल ने जीन्स और टी शर्ट पहनी और कार निकाल कर ऑफीस के लिए निकल पड़ा...कहां तो उसने दिन में आराम करते हुए बियर पीने का प्रोग्राम बनाया था और कहां तैयार होकर ऑफीस जाना पड़ रहा है.

घर से निकलकर उसने रचना को फोन किया,क्योंकि प्रॉजेक्ट से जुड़ी फाइल तो उसने ही रखी थी, वही बता सकती थी की वो फाइल कहाँ रखी हुई है...

रचना ने जब अपने बॉस का नाम अपने मोबाइल पर चमकता हुआ देखा तो उसके चेहरे की खुशी देखने वाली थी..

रचना : "गुड मॉर्निंग सर...आज छुट्टी वाले दिन मेरी याद कैसे आ गयी...और वो भी सुबह -2..''

उसकी बातों से छलकता प्यार सॉफ महसूस कर पा रहा था अजय...पर इस वक़्त उसका सारा ध्यान उस प्रॉजेक्ट पर था,जो उसे निपटाना था.

उसने रचना को सारी बात बताई और फाइल के बारे में पूछा.

रचना : "सर...वो मेरी डेस्क के साइड वाली लंबी फाइल केबनेट में है...आपको शायद वो मिलेगी नही...आप कहे तो मैं ऑफीस आकर निकाल दूँ वो...आपकी भी थोड़ी हेल्प कर दूँगी मैं ...''

ये सुनते ही अजय का दिमाग़ ठनका ..और अगले ही पल उसकी आँखे चमक उठी...इस बारे में तो उसने सोचा ही नही था...पूरा ऑफीस खाली होगा...वो आराम से रचना के साथ कुछ भी कर सकता है...कोई रोकने वाला नही होगा..किसी का डर भी नही होगा...उसके साथ मजे करने का इससे अच्छा मौका शायद उसे दोबारा ना मिले.


वो तुरंत बोला : "आर यू श्योर ...मतलब, तुम्हे कोई परेशानी तो नही होगी ना...आज तो ऑफ डे है...तुम्हारे मॉम डेड कुछ बोलेंगे तो नही ना...''

रचना को शायद अपना काम बनता नज़र आ रहा था,वो भी चहकते हुए बोली : "नो सर...ऐसा कुछ भी नही है...इन्फेक्ट मैं तो घर पर बोर ही हो रही हूँ ..आपके साथ रहूंगी तो मेरा भी टाइम पास हो जाएगा...''

अजय : "ओके ...आ जाओ फिर....मैं तुम्हारा वेट करूँगा...''

इतना कहकर अजय ने फोन रख दिया...उसके चेहरे से खुशी के भाव जा ही नही रहे थे...उसने तो नोट भी नही किया की कब उसका लंड उसकी जीन्स में खड़ा हो चुका था...अब तो उसके दिमाग़ में जबरदस्त आइडियास आने लगे थे...उसने गाड़ी रोककर रास्ते से बियर के केन ले लिए...आख़िर ऑफीस में उसके और रचना के अलावा कोई और तो होगा नही,अब वो जानता था की ऑफीस के इस बोरियत भरे दिन को कैसे मौज मस्ती में बदला जाए...कुछ ही देर में ऑफीस आ गया और ऑफीस खोलकर वो अंदर आ गया.

अभी तो सिर्फ़ 12 ही बजे थे...रचना को आने में अभी थोड़ा टाइम था..इसलिए उसने फोन करके पिज़्ज़ा का ऑर्डर दे दिया..वो जानता था की रचना को पिज़्ज़ा कितना पसंद है...थोड़ी बहुत भूख उसे भी लगी थी.तब तक उसने एक बियर केन खोला और मज़े से अपनी चेयर पर बैठकर पीने लगा.

करीब 5 मिनट बाद उसके मोबाइल पर रचना की कॉल आई.

अजय का तो दिल धक्क से रह गया, की कहीं मना करने के लिए तो फोन नही कर रही...शायद घर वाले छुट्टी वाले दिन ऑफीस जाने से मना कर रहे हों..

उसने फोन उठाया और बोला : "बोलो रचना...क्या हुआ...तुम आई नही अभी तक..''

रचना : "सर..मैं तो आ गयी हूँ ...पर आपने तो मैन गेट बंद कर रखा है...जल्दी से आकर खोलिए ना..''

अजय को ध्यान आया की अंदर आकर उसने गेट को अंदर से लॉक कर दिया था...ये डबल साइड वाला लॉक था जो एक ही चाभी से अंदर और बाहर दोनो तरफ से खुल जाता था...दरवाजे पर अंदर की तरफ कोई चिटखनी नही थी,ये घर तो था नही,ऑफीस में तो ऐसे ही दरवाजे होते है..

वो भागता हुआ सा गेट तक गया और दरवाजा खोल दिया..

बाहर रचना खड़ी थी.

ब्लैक कलर की एक सैक्सी सी ड्रेस पहन कर.



अजय तो एकटक उसे निहारता ही रह गया,उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी पार्टी में आई है .
 
 




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FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..46

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..46


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अब आगे
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अजय हमेशा की तरह अपने ससुराल गया पहले, दरवाजा उसकी सासू माँ ने खोला.वो देख नही पाया लेकिन वो थोड़ी मायूस सी थी..

अजय ने उनके सेक्सी शरीर को निहारा और अंदर आते हुए उसे रगड़ता हुआ प्राची के रूम की तरफ चल दिया.

पीछे से उसकी सास ने कहा : "प्राची वहां नही है...वो वापिस चली गयी ...अपने घर..''

अजय एकदम से चोंक गया...ये कैसे हो गया...वो अपनी सास की तरफ पलटा और उसने सवालो की झड़ी लगा दी.

''लेकिन क्यो....उसे तो डॉक्टर ने मना किया था अभी...ऐसे क्यो किया, इतनी उपर सीडिया कैसे चढ़ गयी वो...''

रजनी ने सब बाते आराम से सुनी और बोली : "वो डॉक्टर से बात कर चुकी है...उन्होने ही ऐसा करने को कहा था,अगर कोई प्राब्लम ना हो तो...और वैसे भी,प्राची काफ़ी दिनों से कह रही थी की उसे अब तुम्हारी बहुत याद आ रही है...वो यहाँ बोर हो रही थी...''

अजय : "मेरी याद आ रही है...हम तो रोज मिलते है...इसमे उदास होने वाली क्या बात है...''

रजनी (मंद-2 मुस्कुराते हुए) : "समझने की कोशिश करो अजय....वो तुम्हे किस तरह से मिस कर रही है...''

अपनी सास की बात सुनकर वो समझ गया की आख़िर प्राची ने ऐसा क्यो किया....उसकी चूत में खुजली हो रही होगी...और अपने मायके में रहकर वो रोज तो चुदाई नही करवा सकती ना...और शायद इसलिए रजनी के चेहरे पर मायूसी थी, क्योंकि प्राची के वापिस घर आ जाने के बाद अजय रात को उनकी चुदाई तो बिल्कुल भी नही कर पाएगा..

रजनी के साथ-2 अजय भी परेशान था, रजनी को अपनी चुदाई की चिंता थी और अजय को उनके साथ-2 पूजा और रिया की भी...काश वो पहले ही रिया की मार लेता, अब तो पूजा और रजनी की मारनी भी मुश्किल लग रही है..

लेकिन ये सब बाते बाद में सोची जा सकती थी, पहले उसे प्राची को देखना था, उसे इस वक़्त प्राची की काफ़ी चिंता हो रही थी.

वो तुरंत अपने घर की तरफ चल दिया

जाते-2 रजनी ने ये भी बता दिया था की इस वक़्त पूजा और रिया प्राची के साथ ही है.

वो सीधा उपर गया,दरवाजा पूजा ने खोला, अपनी माँ की तरह उसका चेहरा भी उतरा हुआ था.

लेकिन इस वक़्त अजय को उससे ज़्यादा अपनी वाइफ की चिंता थी...थोड़ा डांटना भी था उसे.

लेकिन उसके पास पहुँचते ही वो सब भूल गया, प्राची ने जैसे ही उसे देखा वो उसके पास आई और गले से लिपट कर ज़ोर से हग किया...प्राची को इस वक़्त अपनी बहनो की भी चिंता नही थी जो अपनी आँखे फाड़े अपनी बहन को अपने जीजू के साथ चिपके देख रही थी...ऐसा प्राची कभी नहीं करती थी,किसी के सामने उसने पहली बार अजय को इस तरह से हग किया था.

अजय (थोड़ी चिंता भरे स्वर में ) : "प्राची....ये क्या है...तुम्हे डॉक्टर ने मना किया था ना, फिर क्यों इतनी सीडियां चड़कर उपर आई....तुम्हारा हर हफ्ते चेकअप है...ऐसे बार-2 सीडिया उतरना-चड़ना तुम्हारे और बच्चे के लिए सही नही है...''


प्राची : "अजय....मैने अपनी गायनो से बात कर ली थी सुबह ....और तभी मैं आई हूँ ...उन्होने कहा है की लास्ट के 2-3 हफ्ते ही बचे है...और वो घर आकर मेरा चेकअप कर लिया करेगी...वैसे भी काफ़ी दिनों से मैं वहां रहकर बोर सी हो गयी थी....एंड ..आई वाज़ मिस्सिंग यू .....''

उसकी बात सुनकर रिया और पूजा एक साथ बोल पड़ी : "ओहो......ओहो......''

उन्हे इस तरह से छेड़ता देखकर प्राची शरमा सी गयी...और अजय के सीने में सिर घुसा कर छुप गयी..

रिया : "चलो दीदी....अब यहां हमारी कोई ज़रूरत नही है....यहाँ से निकलना ही बेहतर है....ही ही..''

और दोनो बहने हँसती हुई बाहर की तरफ जाने लगी...

तभी पीछे से प्राची ने आवाज़ लगाई और बोली : "अच्छा सुनो....तुम दोनो में से एक को तो यही रुकना पड़ेगा ना...रात को अगर मुझे कोई हैल्प चाहिए होगी तो...और सुबह अजय का टिफिन भी तो तैयार करना होगा...मम्मी कहाँ तक करेंगी ये सब....''

प्राची की बात सुनकर दोनो के चेहरे पर चमक आ गयी....और दोनो ने एक साथ चहकते हुए कहा : "ओके ...ठीक है...मैं रुकूंगी...''

दोनो को एक साथ इतने इंटरस्ट से वहां रुकने के लिए लालायित होते देखकर प्राची भी मुस्कुरा दी...पर उसके पीछे का सच उसके अलावा तीनो ही जानते थे...

अजय ने बात संभाली , ताकि प्राची को एकदम से कोई शक़ ना हो जाए

वो बोला : "रिया, तुम नही, तुम्हारा तो कल एग्जाम है ना, नये कॉलेज में इस तरह से बेफिक्री से रहोगी तो फ़ेल हो जाओगी...तुम घर जाकर पढ़ाई करो, पूजा संभाल लेगी यहाँ ...''

बेचारी बुदबुदाती हुई वहां से निकल गयी....पूजा का दिल और चूत एक साथ पुलकित हो उठे...उसे अपना काम तो बनता हुआ दिख रहा था आज की रात...लेकिन वो नही जानती थी की अजय का उसे रोकने के पीछे कोई ख़ास मकसद नही था, वो प्राची के रहते हुए ऐसा कोई रिस्क नही लेना चाहता था जिसकी वजह से कोई परेशानी हो..

और वैसे भी अपने घर आने के बाद प्राची आज की रात जम कर चुदवायेगी और उसके बाद पूजा को चोदने के लिए रस बचना ही नही था उसके अंदर...

खैर...रिया के जाने के बाद पूजा किचन में जाकर रात के खाने का इंतज़ाम करने लगी...अजय भी फ्रेश होकर प्राची के साथ आकर बैठ गया,और एक अच्छी पत्नी की तरह प्राची ने पहले से ही फ्रिज से ठंडी बियर की बॉटल्स निकाल कर टेबल पर लगा दी..वो भी जानती थी की पीने के बाद अजय उसकी जमकर चुदाई करता है..

अजय ने वही बैठकर पी और किचन में काम कर रही पूजा को भी देखता रहा..और इस बात का ध्यान भी रख रहा था की प्राची ऐसा करते हुए उसे ना पकड़ पाए..

अजय के दिमाग़ में भी कुछ-2 चल रहा था...ताकि पूजा को कम से कम वहां रुकने का कुछ तो इनाम मिले...

और जब कुछ देर के लिए अपने बेडरूम में गयी तो अजय उठकर पूजा के पास गया और बोला : "तुम्हारे यहाँ रुकने के पीछे जो मकसद है, वो आज की रात तो पूरा नही हो सकेगा...''

पूजा (मुस्कुराते हुए) : "कोई बात नही...मेरे लिए इतना ही बहुत है की मैं आपके साथ हूँ ....आज ही नही मिलोगे ना...कब तक बचोगे मुझसे...''


वो अपने होंठों को दांतो तले दबाकर इतने सेक्सी अंदाज में बोली की अजय ने एकदम से आगे होकर उसके होंठों को चूम लिया...ऐसा करने से पहले उसने देख लिया था की प्राची वापिस नही आ रही है..

पूजा तो इतने मे ही खुश हो गयी...उसका भी मन करने लगा की वो भी किस्स करे...पर वो पासिबल नही था...

अजय : "अच्छा सुनो....लाइव टेलीकास्ट देखना चाहोगी...आज की रात का...थोड़ा टाइम पास हो जाएगा तुम्हारा भी...''

ये सुनते ही पूजा की आँखे चमक उठी...वो समझ गयी की अजय किस लाइव टेलीकास्ट की बात कर रहा है..

उसने तुरंत हाँ कर दी...अजय भी वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया..

पूजा को अपनी चुदाई दिखाकर वो उसे कुछ नया ज्ञान भी देना चाहता था, क्योंकि अपनी पहली चुदाई में उसने वो सब नही किया था जो एक चुदक्कड़ औरत को करना चाहिए...और ये सीखने का इससे अच्छा अवसर और कोई हो ही नही सकता था..

अब अजय और पूजा दोनो को रात के शो का इंतजार था.


खाना खाने के बाद जब कपड़े बदलकर अजय बेडरूम में लेटा हुआ था तो बाहर का काम समेट कर प्राची अंदर आई...और उसने अंदर आते ही दरवाजा बंद कर दिया और चिटकनी लगा दी.

उसने एक बड़ी ही सेक्सी नाइट ड्रेस पहनी हुई थी.

उसे ऐसा करते देखकर अजय बोला : "लगता है मेरे क़त्ल का इरादा है जनाब का...लेकिन ये दरवाजा बंद क्यो कर दिया...''

प्राची (मुस्कुराते हुए) : "ताकि, तुम्हारा जब क़त्ल हो तो पूजा ना देख पाए...''

अजय उठकर उसके पास आया और उसे अपनी बाहों में लेकर बोला : "डार्लिंग...वो अपने कमरे में ही होगी, उसकी वैसे भी इतनी हिम्मत नही है की हमारे कमरे की तरफ आए...पहले भी तो रह चुकी है वो यहाँ ऐसे...इस तरह से कमरा बंद करने से अच्छा नही लगेगा..ये लाइट बंद कर दो,सब ठीक हो जाएगा...''

अजय तो पूजा को नाइट शो का प्रोमिस कर चुका था, इसलिए उसे किसी भी सूरत में ये दरवाजा खुला रखना था, ताकि वो अंदर झाँककर उनकी चुदाई देख सके..

अजय ने चिटकनी खोल दी और लाइट बंद कर दी.

प्राची ने उसके बाद कुछ नही बोला, वैसे भी वो सैक्स के टाइम किसी भी बात पर बहस करके अपना और अजय का मूड खराब नही करती थी.

लेकिन दरवाजा बंद होने के बाद पूरे कमरे में घुपप अंधेरा छा गया...उन दोनो को कुछ भी दिखाई नही दे रहा था...इसलिए अजय ने नाइट बल्ब जला दिया...और प्राची को लेकर बेड की तरफ आ गया...जाते-2 उसने हल्का सा दरवाजा भी खोल दिया ताकि उसमें से पूजा अंदर झाँक कर देख सके....

ऐसी सिचुएशन में भी बड़ी चिंता हो रही थी अजय को अपनी साली की...ऐसा जीजा सभी को मिलना चाहिए...वैसे जीजा तो सभी को ऐसा ही मिलता है,बस सालियां ही अपने जीजे के मन की बात नही समझती.

खैर, इधर अजय के रूम का दरवाजा बंद होते ही अपने कमरे में बैठी पूजा किसी बिल्ली की तरह चौकन्नी हो गयी, उसे पता चल चुका था की अब किसी भी पल शो शुरू हो सकता है..कुछ देर रुककर वो दबे पाँव बाहर निकली, पूरे घर की लाइट्स बंद थी, सिर्फ़ अजय के बेडरूम से हल्के नाइट बल्ब की रोशनी बाहर की तरफ आ रही थी...पूजा दबे पाँव दरवाजे तक गयी और छुपकर अंदर देखने लगी.

अंदर अजय ने प्राची को बेड पर लिटा दिया था...और धीरे-2 उसने उसकी टी शर्ट को उपर करके उसके फूले हुए पेट को उजागर किया...इस बेडोल शरीर के बाद भी प्राची बहुत सेक्सी लग रही थी...उसका दूध से नहाया हुआ बदन नाइट बल्ब की रोशनी में चमक उठा...अजय ने झुककर उसके पेट पर एक हल्की सी किस्स कर दी.


अजय के गीले होंठों की चुभन से प्राची सिहर उठी..और बिस्तर पर किसी नागिन की तरह मचलने लगी..

''ओह अजय..............माय डार्लिंग.....''


अजय के किस्स को बाहर खड़ी पूजा ने भी महसूस किया...ठीक उसी जगह पर जहाँ प्राची को किस्स किया था उसने...पूजा ने अपनी टी शर्ट उठा कर अपनी उंगलियों को मुँह में डालकर थोड़ा सा गीला किया और पेट के उसी हिस्से पर लगा दी..उसे यही एहसास हुआ की उसे भी वो किस्स मिल गयी है.

वो धीरे से बुदबुदाई : "ओह जीजू.............माई डार्लिंग.....''

अजय ने प्राची की टी शर्ट को उपर तक उठा दिया और उसके मोटे ताजे बूब्स उछल कर बाहर निकल आए....उसने ब्रा नही पहनी थी.



अजय ने दोनो को जी भरकर देखा और अपने होंठों को जीभ से गीला किया...प्राची ने उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया, और अपने बूब्स को उसके मुँह में ठूस दिया..और चिल्लाई

''चूसूऊऊऊऊऊऊऊऊऊसो अजय................ उम्म्म्मममममममममम..... ज़ोर से सकक्क करो इन्हे....''

अजय ने बिना कोई देरी किए अपने दाँतों और होंठों से उसे चूसना शुरू कर दिया..

बाहर खड़ी प्रिया ने भी अपने उरोजों को बेपर्दा कर दिया और उनपर वो गीली उंगलियाँ लगा कर अपने निप्पल्स को ज़ोर से दबा दिया, उसे ठीक वही एहसास हुआ जैसा उसके जीजू बूब्स चूस्टे हुए देते है...उसके पूरे शरीर में जल तरंग सी बज उठी.मस्ती भरी एक लहर उसके बूब्स से होती हुई नाभि तक और फिर दक्षिण में स्थित चूत तक जा पहुँची.. जिसके एहसास ने उसे सिसकारी मारकर अपने पंजों पर खड़े होने पर मजबूर कर दिया.

अजय ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और प्राची को भी नंगा कर दिया,

अजय उठकर प्राची के सिर के पास आ गया और उसने अपना चॉकलेटी लॅंड उसे चूसने के लिए दे दिया..

वो भी किसी बागड बिल्ली की तरह उसपर झपट पड़ी..आख़िरकार लंड चूसना उसका सबसे फ़ेवरेट काम जो था..उसने अजय के लंड को सड़प -2 करके चूसा और अपने हाथ से उसकी गोटियां सहलाती रही...फिर कुछ देर बाद उसने उसकी गोटियों को चूसा और लंड सहलाती रही...ऐसा उसने करीब 3-4 बार किया..अजय को उसकी यही बात सबसे अच्छी लगती थी की वो उसके लंड को ऐसे चूस्कर पूरा सम्मान देती थी..



उसने अपना लंड चुस्वाते हुए दरवाजे की तरफ देखा,जहाँ छुपकर बैठी हुई पूजा भी अपनी 3 उंगलियों को किसी लंड की तरहा चूस रही थी...अजय उसे दिखाना चाहता था की ऐसे चूसा कर मुझे,ताकि जो मज़े इस वक़्त प्राची दे रही है वो भी दे सके..पूजा समझ गयी और उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की अगला मौका मिलने तो दो जीजू,ऐसा चूसूंगी की लंड में दर्द हो जाएगा...
 
 
 
 



अजय का लंड अब एकदम कड़क हो चुका था, यानी चुदाई के लिए बिलकुल तैयार ..उसे ये भी पता था की ऐसी हालत में सिर्फ़ 2-4 आसन ही है जिनमे वो प्राची की चुदाई कर सकता है...ताकि उसे ज़्यादा झटके ना लगे..और मज़ा भी पूरा मिले.

वो प्राची की टाँगो के बीच आकर बैठ गया, और उसने उसकी बर्गर जैसी फूली हुई चूत को देखा..

वो एकदम लिसलिसा रही थी, अपने ही रस में डूबी हुई सी...अजय ने अपने गीले लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रखा और धीरे से झटका देकर उसे अंदर खिसका दिया..

''उूुुुउउम्म्म्मममममममममममम....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स............. आआआआअहह''



बस यही निकला प्राची के होंठों से...और उसने अपने पूए शरीर को बिस्तर पर पूरी तरह से फेला कर अपने आप को अजय के सामने बिछा दिया...दोनो हाथों को उपर की तरफ और टाँगो को नीचे से फेला कर वो चुदाई का भरपूर मज़ा लेने लगी.

और बाहर खड़ी पूजा ने जब ये सब होते हुए देखा तो उसने भी एक ही झटके में अपनी निक्कर नीचे गिरा दी..नीचे उसने पेंटी नही पहनी हुई थी...और फिर उसने अपने हाथ में पकड़ी एक मोमबत्ती ली और उसे अपनी चूत के अंदर घुसेड दिया..

ये मोमबत्ती उसने किचन से ली थी, ज़्यादा मोटी तो नही पर काफ़ी लंबी थी वो,उसकी लंबाई देखकर पूजा को पहली ही बार मे ये एहसास हो गया था जैसे जीजू के लंड का क्लोन है वो...उसने तुरंत वो मोमबत्ती अपने रूम में लेजाकर छुपा दी थी और अभी यहाँ आते हुए वो उठाती ले आई, उसे पता था की आज की रात ये केंडल बहुत काम आने वाली है.

केंडल के बत्ती वाले हिस्से को अपनी चूत में खिसका कर धीरे-2 धक्का दिया और वो किसी मालगाड़ी की तरह उसकी चूत की सुरंग में रेंगती हुई अंदर जाने लगी..



अंदर अजय की रेलगाड़ी भी अपनी स्पीड पकड़ चुकी थी...और उसने संभलकर धक्के लगाते हुए प्राची की चुदाई करनी शुरू कर दी..

प्राची मदहोशी में आकर चिल्लाए जा रही थी..

''आआआआआआआआअहह मेरे राजा............ उफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ा देता है ये लंड ............. अहह इतने दिनों से प्यास ही नही बुझ रही थी...... आआआआआआजजज मज़ा आया है......... आज जमकर चोदो मुझे....अजय ....... चोदो मेरी चूत को.......अपने मूसल जैसे लॅंड से......''



बाहर ज़मीन पर लेटकर अपनी चूत में मोबतती डालती हुई पूजा भी फुसफुसाई : "उम्म्म्मम ...मेरे राजा.....मेरी चूत में भी डालो ना अपना मूसल..... झटके दे-देकर चोदना मुझे तो....अपनी जान को...अपनी साली को....आअह मेरे सेक्सी जीजू............ मुझे भी चोदो ना....''

काश ऐसा सभी सालियां बोले तो अजय जैसे जीजों को बाहर मुँह ही ना मारना पड़े...घर की बात घर में ही रह जाए.

अजय अब बेड पर लेट गया और उसने बड़ी ही सावधानी से प्राची को अपने उपर बिठा लिया...प्रेग्नेन्सी के बाद उसका वजन काफ़ी बढ़ चुका था,लेकिन अजय भी काफ़ी ताकतवर था, उसने उसे बड़ी ही आसानी से संभाल लिया...और प्राची उसके लंड पर बैठकर धीरे-2 अपने शरीर को हिलाने लगी..अजय ने हाथ उपर करके उसके मुम्मों को पकड़ लिया और उन्हे निचोड़ डाला...उत्तेजना में भरकर प्राची ने उसके हाथ की उंगलियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...अब अजय का एक हाथ उसके मुँह में था और दूसरा उसके निप्पल्स पर..



पूजा ने केंडल निकाल कर अपनी 3 उंगलियाँ अपनी शहद उड़ेलती चूत में डाल दी और जितना शहद इकट्ठा हुआ था उसे समेट कर अपने मुँह तक ले आई और उसे चूस डाला...ठीक वैसे ही जैसे उसकी बहन प्राची इस वक़्त अजय की उंगलियों को चूस रही थी.

अजय के लंड पर उछल रही प्राची की स्पीड अब बड़ चुकी थी...लेकिन अजय ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसके झटकों को कंट्रोल किया हुआ था...और ऐसे ही करते-2 प्राची की चूत ने पानी छोड़ दिया...जो अजय के लंड को पूरी तरह तर-बतर करता हुआ उसकी बॉल्स तक पहुँच गया...


अब एक बार फिर अजय ने प्राची को पीठ के बल लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया...और उसकी दोनो जांघे पकड़ कर धीरे-2 उसे चोदने लगा..



पूजा ने भी अपनी केंडल एक बार फिर से अपनी चूत में डाल ली थी और उसे बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी...वो भी अपने आख़िरी पड़ाव में थी अब...उसकी केंडल को अंदर बाहर करने की गति इतनी तेज थी की एक पल के लिए तो उसे ऐसा लगा की चूत के घर्षण से निकलने वाली गर्मी से वो केंडल ही ना जल उठे.

अजय भी झड़ने वाला था...प्राची को ये एहसास होते ही उसने कहा : "अजय...प्लीज़ ....मेरे उपर निकालो सारा पानी...मुझे अपने प्यार से भिगो दो आज...''


उसके ऐसा कहने की देर थी की अजय के लंड का बाँध फूट पड़ा...और उसने बिना कोई देरी किए अपना बाजूका उसकी चूत से निकाल कर अपनी हथेली में पकड़ा और प्राची के शरीर पर फायर करने लगा..एक के बाद एक सफेद और चिपचिपी गोलियाँ निकलती गयी उसकी गन से...जो उसके उभरे हुए पेट से लेकर उसके सख़्त मुम्मो तक और उसके भी उपर उसके मुँह और बालों तक को भिगो गयी ..



ऐसी बारिश में नहाने की कल्पना मात्र से ही बाहर सिसकारियाँ मार रही पूजा भी झड़ गयी...अपने जीजे के नाम की केंडल को चूत में लेकर..और बुदबुदाई : "उम्म्म्मममममममममम जीजू.....मेरे प्यारे जीजू...... सिर्फ़ मेरे जीजू..... मेरे ही मेरे जीजू.........''

अंदर प्राची और अजय की ट्रेन शांत हुई और बाहर पूजा की....

प्राची : "उम्म्म्म....मैं तो पूरी भीग गयी आपके पानी से.....''

और मुस्कुराती हुई वो उठ खड़ी हुई और बोली : "मैं ज़रा बाथरूम में जाकर गर्म पानी से शावर ले लेती हू...ये बालों में भी लगा है...ऐसे तो निकलेगा नही ये...''

अजय कुछ आयी बोला...वो तो अभी तक गहरी साँसे लेकर अपने ऑर्गॅज़म से उभरने की कोशिश कर रहा था.

प्राची को बेड से उठता देखकर पूजा भागकर अपने रूम में चली गयी और चादर उपर तान कर सोने का नाटक करने लगी..

प्राची भी रूम से निकलकर बाथरूम की तरफ गयी...और ना जाने क्या सोचकर वो पूजा के रूम की तरफ मुड़ गयी और उसके अधखुले दरवाजे से अपनी बहन को सोता हुआ देखकर वो मुस्कुराइ और फिर बाथरूम में गयी..

अगर इस वक़्त उसने उसकी चादर को खींच कर देख लिया होता तो वो जान लेती की वो भी मदरजात नंगी है इस वक़्त जैसी की वो थी...और वो भी अभी-2 झड़कर हटी थी जैसे की प्राची खुद.

लेकिन इस भेद को शायद सारी उम्र ऐसे ही रहना था,इसलिए प्राची के हाथो ऐसा कुछ नही हुआ..

उसके बाथरूम मे जाते ही पूजा उछलकर चादर से निकल आई...और बिल्ली की तरह दबे पाँव भागती हुई सी वो अपने जीजू के रूम में घुस गयी....और वो भी एकदम नंगी.




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FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--44

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बहकती बहू--44

अब आगे ____________

आधा सुपारा अंदर हुआ ही था क़ि कामया बोल पड़ी
कामया - - - प्लीज़ बहुत दर्द दे रहा है ! निकाल लो ना ? मामा जानता था क़ि प्रथम गांड चुदाई मे थोडा ज़ोर ज़बरदस्ती करना ही पढ़ती है इसलिए वो कामया को झूठी दिलासा देते हुए बोला
मामा - - - रानी अब काहे का दर्द सुपाड़ा तो अंदर हो गया बस थोड़ा सह लो और काम ख़त्म ! मामा ने फिर ताक़त लगाई और वेसलीन से सनी गाँड मे सुपाड़ा गुम हो गया और इसी के साथ कामया की गाँड अपने चरम तक फैल गई !
कामया - - - मर गई मामा ! मामा निकाल लो नहीं तो मेरी फट जाएगी ! प्लीज़ बहुत दर्द दे रहा है कहीं मर ना जाऊं मामा - - रानी काम ख़तम हो गया अब काहे रो रही हो देखो सुपाड़ा अंदर चला गया अब तो पीछे पतला सा है जो दर्द होना था हो चुका ! लो तुम खुद देख लो ! कहकर मामा ने उसका हाथ पकड़ कर पीछे अपने लंड पर रख दिया ! कामया ने टटोल कर देखा तो सचमुच सुपाड़ा अंदर था बाहर केवल शाफ्ट ही रह गया था ! उसे विस्वास नहीं हो रहा था क़ि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी टाइट गाँड ने निगल लिया है !
कामया - - - मामा सच्ची मे ये तो अंदर चला गया ! बाप रे ये कैसे हो गया !
मामा - - - कैसे क्या ! सभी का ऐसा होता है ! चूत और गाँड दोनो ही लंड के लिए बनी हैं ! बस अब तो तुम जिंदगी का नया मज़ा लो जो तुम आज पहली बार लोगी ! और मामा ने साँस भरी और बहुत ही असहिसुन शॉट मार दिया ! वेसलीन मे लपटा लंड वेसलीन मे नहाई बुर मे एक बार मे ही जड़ तक धँस गया !
कामया - - - आई मा मर गई ! निकाल लो मामा निकाल लो ! मैं नहीं कर पाऊँगी ! और उसने पीछे अपना हाथ लगाया तो विस्मित हो गई ! उसके हाथ मे मामा के टटटे आ गये लंड तो उसकी गाँड पूरा निगल चुकी थी !
पूरा लंड अंदर तक पेलने के बाद मामा कुछ देर वैसे ही शांत पड़ा रहा ! कामया दर्द से भरी हुई थी उसकी आँखों मे आँसू के कतरे आ गये थे ! मामा ने झुक कर अपने होंठ उसकी आँखों मे रख और आँसू पी लिया ! कामया मामा की इस अदा पर फिदा हो गई ! कुछ देर बाद कामया की गाँड ने लंड को थोड़ा अड्जस्ट कर लिया तो मामा ने दो इंच बाहर निकाल कर फिर अंदर पेल दिया ! कामया फिर सिसक उठी मगर इस बार उसके चेहरे पर दर्द के निशान कम थे ! मामा कुछ देर तक दो इंच मे चुदाई करता रहा फिर उसने पूरा लंड को टोपे तक बाहर निकाल कर पेल दिया ! कामया फिर कराह उठी !
कामया - - - आह ! उई . ! मामा धीरे दर्द दे रहा है ! मामा खुश था कामया ने इस बार ये नहीं कहा क़ि निकाल लो बस इतना ही कहा की धीरे !
मामा - - - रानी बस ज़रा सा और उसके बाद बिल्कुल दर्द नहीं देगा ! बस अब तुम्हारी गाँड हमारे लंड के किए तैयार हो गई है अब तो तुम बस ये नया मज़ा लो ! मामा अब लंबे मगर हल्के शॉट मारने लगा ! कुछ देर मे कामया का दर्द बिल्कुल गायब हो गया और वो मज़े से सिसकारियाँ लेने लगी ! जब मामा ने देखा की रानी अब एक दम तैयार हो गई है तो उसने अब तबीयत से घुड़सवारी करने की सोची और कामया से बोला
मामा - -- रानी चल अब घोड़ी बन जा तो तुझे फूल मज़ा दे दूँ ! ऐसे आधे अधूरे मे मज़ा नहीं आ रहा !
मामा की बात सुनकर कामया घोड़ी बन गई ! कामया की चौड़ी उभरी गाँड देख कर मामा एक बार फिर मोहित हो गया और वो झुक कर कामया की गाँड पर किस करने लगा ! जब उसका मन भर गया तो उसने फिर गाँड के छेद मे टोपा लगाया और अंदर कर दिया ! अब मामा कामया की बेरहम चुदाई करने लगा ! पूरे कमरे मे मामा की प्यारी भांजी की मादक सिसकारियाँ गूंजने लगी जिसे सुन सुन कर मामा और धकापेल शॉट मार रहा था !
 



मामा - - रानी अब दर्द तो नही दे रहा !
कामया - - - नहीं मामा अब मज़ा आ रहा है 1
मामा - - रानी ज़्यादा मज़ा कहाँ आता है आगे या पीछे !
कामया - -- हमे नहीं मालूम कामया ने लजाते हुए कहा
मामा - - रानी ऐसे शरमाओगी तो कैसे मज़ा आएगा ! अब तो दोनो जगह ले ली हो तो बताओ ना ज़्यादा मज़ा कहाँ आता है ?
कामया - - मामा दोनो का अपना अपना मज़ा है ! आगे सेन्सेसन ज़्यादा होता है तो पीछे बहुत टाइट फील हो रहा है इसलिए पीछे भी अच्छा लग रहा ही !
मामा - - अगर दोनो जगह इतना अच्छा लग रहा है तो काश हमारे पास दो लंड होते तो अभी दोनो छेद एक साथ भर देते !
कामया - -- चुप करो मामा ! हमेशा उल्टा सीधा दीमाग चलाते हो ! चुपचाप अपना काम नहीं कर सकते !
मामा - -- रानी ये काम ऐसा है क़ि जितना बोलो उतना मज़ा आता है !
कामया - -- तो ठीक है भजन गाना चालू कर दो ! और इस बात पर दोनो हंस पड़े ! मामा ने भी तबीयत से कामया की गाँड बजाना शुरू कर दिया ! गाँड मारने मे उसे विशेष मज़ा आता था ! कामया भी इस नये सुख को पाकर खुश थी और खुद अपनी गाँड पीछे को धकेल धकेल कर मरवा रही थी ! मामा ने करीब दस मिनिट तक भांजी की टाइट गाँड का मज़ा लूटा और फिर हान्फते हुए गाँड मे ही अपना माल भर दिया ! दोनो थक कर लेट गये ! गाँड मराई की गरमी निकलने के बाद कामया को अब थोड़ा दर्द दे रहा था जिससे वो बीच बीच मे कराह उठती ! दोनो एक दूसरे की बाँहों मे आराम करने लगे ! मगर मामा लगातार उसकी गाँड और बूब्स से खेलने मे लगा हुआ था क्योंकि अगला राउंड जो करना था !



मामा कामया के बदन से खेल रहा था क्योंकि उसका मन अभी भरा नहीं था !वैसे भी कामया जिस तरह से नंग धड़ंग पड़ी थी उसे देख कर शायद ही कोई मर्द उसे इतने जल्दी जाने दे सकता था !
 


मामा कल से उसे भोग रहा था मगर अभी भी उसके हसीन निर्वस्त्र जिस्म को देखने से उसका मन नहीं भर रहा था! हुश्न ओ शवाब की मालिका बिस्तर मे लेटी हो तो कौन मर्द चैन से रह सकता था भला ! अपने को इस तरह घूरते देख कामया अंदर ही अंदर गर्वित हो रही थी मगर ऊपर से बनावटी हँसी मे बोली
कामया - - - मामा क्या देख रहे हो ?
मामा - -- वही जो देखने लायक है मामा ने उसकी झांघों पर हाथ फेरते हुए कहा
कामया - -- मामा कल से तो देख रहे हो अब और कितना देखना है ?
मामा - - - जब तक मन नहीं भरेगा तब तक देखना है ?
कामया - -- मन तो आपका कभी नहीं भरने वाला ? कामया ने गर्व से कहा मामा उसके इस गर्व को बनाए रखना चाहता था उसे सुंदर लड़कियों के नाज़ नखरे अच्छा लगते थे इस लिए उसने फिर कामया को सहलाना शुरू कर दिया ! वो कामया के अंदर आग को बुझने नई देना चाहता था इस लिए उसके हर कामुक अंग जैसे चूची , जांघें गाँड और बुर को लगातार छेड़ रहा था और मामा की इस हरकत का उसे प्रतिफल भी मिल रहा था क्योंकि उसकी हरकतों के कारण कामया कभी कभी सिसकारी ले लेती थी ! मामा का मूसल अभी बिल्कुल बेजान पढ़ा था उसमे जान डालने की मंशा से मामा ने कामया के हाथ मे उसे पकड़ा दिया ! थोड़ी देर पहले अपनी अकड़ से फूला नही समा रहा लंड अब इस तरह मुरझाया हुआ था क़ि उसकी बेबसी पर कामया को हँसी आ गई तो मामा ने पूछा
मामा - - - क्या हुआ जान ?
कामया - - - मामा जब ये सो गया है तो क्यों इसे जगा रहे हो ?
मामा - - रानी सो नहीं रहा है बस अगली लड़ाई के लिए ताक़त बटोर रहा है !
कामया - - - मुझे जाने दो मामा पता नहीं इसमे कितनी देर मे जान आएगी ?
मामा - - रानी चिंता मत करो अभी इसमे जान डाल देता हूँ ! मामा उठा और अपने लिए एक और लार्ज पेक बनाने लगा उसे इस वक्त इसकी सख़्त ज़रूरत थी !
मामा - -- जान तुम भी लोगी ?
कामया - -- ना ना बिल्कुल नहीं ! अभी भी मेरा सिर चकरा रहा है ! आपका क्या आप ने तो पिला के हमारे साथ आज धोखा कर दिया !
मामा - -- हमने क्या धोखा किया ! तुम्ही ने तो हमे रोका था आज के लिए !
कामया - - - रोका था तो ! आपने नशे मे पीछे से हमला कर दिया ! मामा अभी भी बहुत दर्द दे रहा है आपको क्या मालूम ? मामा ने उसे कई तरह की दिलासा देकर शांत किया और अपना पेग पीता रहा ! जब पेग ख़त्म करके उसने बेड की तरफ देखा तो चोंक गया ! अब तक कामया भी सिरहाने से टेक लगा कर बैठ चुकी थी ! इस पोसीसन मे उसकी दुकान सॉफ खुली हुई दिख रही थी ! मामा की नज़र वहीं चिपक गई ! कितनी तो हसीन और खूबसूरत चूत थी उसकी प्यारी भांजी की !
 


मामा को अपनी गुड़िया को घूरते देख कामया बोली
कामया - -- पीछे के बाद अब क्या इस पर नियत बिगड़ गई है ? कामया खुद भी अब अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती थी ! औरत लाख गाँड मरवा ले मगर उसका मन चूत मे लंड जाए बिना तृप्त नहीं होता ! और होगा भी क्यों आख़िर प्रकृति ने लंड के लिए तो बुर ही बनाई है बाकी सब तो अप्राकृतिक ही है !
मामा - - नहीं तुम बोलो तो पीछे ही कर लेंगे ?
कामया - - - नो वे ! पीछे तो अब हाथ भी नहीं लगाना !
मामा - - - ठीक है रानी हम तुम्हारा दर्द समझते हैं अब पीछे नहीं करेंगे बस ! फिर मामा बेड पर लेट गया ! उसके लंड मे अब तोड़ा तनाव आने लगा था सो उसने सोचा ये सभी समय है कामया की सेवा लेने का
मामा - - रानी तुम्हे चॉको बार बहुत पसंद है ना तो लो खाओ ना चॉको बार ! मामा ने उसे अपना लंड दिखाते हुए कहा
कामया - - - मुझे दुकान वाला चॉको बार पसंद है ये गंदा सा नहीं ! मगर कामया ललचाई सी मामा के मूसल को देख रही थी ! बैठा हुआ सा भी वो सुनील से ड्योदा था ! मामा ने उसकी कलाई पकड़ अपनी ओर खींचते हुए कहा
मामा - - रानी ये वाला खा ये सबसे टेस्टी है ! मज़ा आ जाएगा तुझे ! और फिर उसने कामया का सिर अपने टोपे पर झुका दिया ! नाक पे मामा के लंड की सुगंध आते ही कामया बहकने लगी ! ये सुगंध उसके अंदर बेचैनी भर देती थी ! ये सुगंध सूँघते ही उसे सब कुछ भूल केवल मर्द का प्यार ही नज़र आने लगता !
कामया जब छोटी थी तब उसे लोलीपोप चूसना बहुत अच्छा लगता था मगर उसने कभी ये नही सोचा था क़ि उसे जवानी मे इस तरह का लोलीपोप चूसना पड़ेगा ! बहरहाल मामा का लोलीपोप देख उसकी लार टपकने लगी एक तो पहले से ही जवानी का नशा सिर चढ़ कर बोलता है ऊपर से आज उस पर शराब का नशा भी चढ़ा हुआ था उसने धीरे से मामा के टोपे पर ज़बान फिराई और इठलाते हुए मामा से बोली
कामया - - नहीं मामा मैं नहीं करूँगी ! मुझे अच्छा नहीं लगता ! मामा जनता था की कामया नखरे कर रही है इसके पहले जिस कदर उसने लंड चुसाइ की थी उससे ही मामा जान गया था क़ि कामया लंड चूसना पसंद करने वाली लौंडिया है मगर सुंदर नखरे करने वाली मानिनी लड़की को मनाना मामा जानता था ! इस तरह की लौन्दियो की खूबसूरती की तारीफ़ कर दो तो वो आपकी गुलाम हो जाती हैं और मर्द को हर तरह से खुश करने का कोशिश करती हैं सो मामा ने कहा
मामा - - रानी ऐसा मत कहो ! अपने एकमेव मामा की खुशी के लिए ही कर दो ! कम से कम भविष्य मे चैन से तो मरूँगा ! मामा की बात सुनकर कामया बोली
कामया - - - मामा आप हमेशा मरने की बात क्यों करने लगते हो ?
मामा - - - रानी तुम नहीं जानती अगर मर्द जिसे प्यार करता है उस लड़की का प्यार उसे जीवन मे ना मिले तो फिर उसका जीने का मन नहीं करता!
कामया - - तो प्यार तो आप कर रहे हैं ना ?
मामा - - हम तो दिल से प्यार कर रहे हैं मगर आप कहाँ दिल से प्यार कर रही हो ज़रा से चूसने को बोल दिया तो मना कर रही हो ?
कामया - - ठीक है मामा कर देती हूँ वरना आप ऐसे ही रोतड़ा सा मुख ले के बैठे रहेंगे ! और कामया झुकी और मामा के मूसल को प्यार करने लगी !
 


जवानी का नशा फिर शराब का नशा और सबसे बॅड्कर मामा के किंग साइज़ लंड का नशा तीनो नशे कामया पर इस कदर हावी हुए क़ि कुछ ही पल मे वो सब कुछ भूल गई और लंड पर किसी भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी ! वो मामा के नटखट को हर तरीके से प्यार कर रही थी मानो मामा के साथ कोई जंग लड़ रही हो ! कभी टोपे को चाटती तो कभी टोपे को चूमती ! फिर थोड़ी देर बाद टोपे पर दाँत गाड़ाने लगती तो कभी उसे मुँह मे लेकर चूसने लगती ! उसके वाइल्ड प्यार को देख मामा को लग रहा था की सच मे सुनील ने कामया को एक दम बिस्तर की नागिन बना दिया है जिसका काटा फिर कभी पानी भी नहीं माँग सकता ! कामया कभी पुर लंड को हलक मे उतार लेती और वही फँसा कर मामा की तरफ सेक्सी नज़रों से देखती मानो पूछ रही हो "" क्यों मामा आ रहा है ना मज़ा ?"" मामा खुद कामया की अदाओं से हैरान था ! उसने सोचा भी नहीं था की उसकी घरेलू और संस्कारी भांजी इतनी गरम माल भी हो सकती है वो दिल ही दिल मे सुनील के भाग्य को सराह रहा था ! उधर कामया सोच रही थी क़ि काश सुनील के पास इतना शानदार औजार होता तो वो रोज मज़े लेती चाहे इसके लिए उसे मुंबई ही शिफ्ट होना पढ़ जाता ! बेचारी सुनील के दुर्भाग्य को याद करने लगी ! कामया काफ़ी देर तक मामा को मज़े देती रही तो मामा ने कहा !
मामा - - - रानी बस एक ही फल पसंद है क्या ?
कामया - - क्या मतलब मामा ?
मामा - - - रानी केवल केला ही खा रही हो नीचे दो चीकू भी हैं उसको भी चख लो
कामया समझ गई की मामा गोटियाँ चूसने को बोल रहें हैं वो पहले भी मदनलाल और सन्नी की गोटे चूस कर उनको आनंद दे चुकी थी मगर नाटक करती हुई बोली
कामया - - - मामा मैं जवान लड़की हूँ इसलिए केवल क्रीम रोल खाती हूँ कोई बच्ची नहीं हूँ जो किनडर जाय खाऊँ ?
मामा - - रानी प्यार करने का असली मज़ा तभी आता है जब एक दम बच्चे बन कर प्यार करो बड़ी बन कर प्यार करोगी तो हिचक ख़त्म नहीं होगी ! चल बच्ची बन जा और किंडर जॉय खा के देख ! देख तेरे मामा की कितनी टेस्टी मलाई है ! मामा की बात सुनकर कामया का भी मान क़िडर जॉय टेस्ट करने का हो गया ! शराब का नशा उसे हर काम के लिए बोल्ड बना रहा था !
उसने मामा के लंड को हाथों मे थमा और गोली को मुँह मे भर लिया !
 


गोले कामया के मुँह मे जाते ही मामा उत्तेजना से गनगना गया ! कामया बड़े प्यार से उन्हे चूस रही थी ! उसे मालूम था क़ि मर्द का ये अंग बड़ा नाज़ुक होता है और उनकी जान इन्ही मे बसती है ! बाबूजी और सन्नी ने उसे ट्रैंड कर दिया था ! वो बड़े प्यार से दोनो गोटियों को बारी बारी से चूस रही थी और मूसल को हाथ से स्ट्रोक कर के मामा को निहाल कर रही थी ! मामा तो ऐसा प्यार पाकर बेहाल हो चुका था ! उसका पूरा बदन काम के आवेग मे झटके खाने लगा ! यदपि जो कुछ हो रहा था वो हर अनुभव उसे पहले से भी था ! दर्जनो औरतों ने उसका लंड और पिलोड़ा चूसा था मगर कोई इतनी खूबसूरत नही थी ! कामया तो बस कामया ही थी मामा को ऐसा लग रह था मानो कोई फिल्म की हेरोइन उसका लंड चूस रही हो ! वो अपलक कामया के खूबसूरत चेहरे और मदमस्त जवान बदन को देख रहा था ! कुछ ही देर मे मामा की दोनो गोतियाँ उबलने लगी ! मामा को लगा वो अब ज़्यादा नहीं रुक पाएगा तो उसका आदिम भाव जाग उठा वो अपना बीज कामया की कोख मे डालना चाहता था ! उसने कामया से कहा
मामा - - रानी अब सहा नहीं जाता आ जा ऊपर आजा ! आज तू कर ऊपर से ?
कामया का भी दिल ऊपर चढ़ने को हो गया वो धीरे से मामा के ऊपर आई और अपने हाथ से मामा का सुपाड़ा अपने ज्वालामुखी के मुहाने मे रखकर बैठ गई ! मामा का मस्ताना लंड गप्प से उसके अंदर गुम हो गया ! मामा का लंड बहुत मोटा था वो कामया की प्रेम गुफा की दीवार को निर्मम तरीके से रगड़ता हुआ अंदर दाखिल हुआ ! लंड ने नाज़ुक त्वचा को जिस कदर रगड़ा था उससे कामया हीट के मारे कराह उठी
कामया - - - आ मामा धीरे ! कितना मोटा है आपका ! चीर के रख देता है !
मामा - - - धीरे हमे क्यों बोल रही हो रानी ? चोद तो तुम रही हो ! हमारा क्या दोष ! कामया को ख्याल आया क़ि ऊपर तो वो है तो भी उसने कहा
कामया - - आपका ये दोष है मामा की आप घोड़े जैसा लिए घूमते हो ! इतना मोटा सुनील का होता और हमे रोज करना पढ़ता तो हम तो कब का छोड़ कर घर आ जाते !
मामा - - कम्मो रानी झूट ना बोलो हमने सुना है जितना मोटा होता है औरत को उतना मज़ा आता है ! सुना है लंबे से ज़्यादा औरतें मोटा पसंद करती हैं जो ज़्यादा से ज़्यादा फैला दे !
कामया - - पता नहीं मामा कौन औरत इतना मोटा पसंद करती होगी ? शायद रजनी मामी को पसंद होगा इतना मोटा ! अपनी बीवी का नाम कामया के मुख से सुन मामा का उत्साह दुगना हो गया !वो बोला
मामा - - कम्मो सही कह रही हो तुम्हारी मामी को तो ये बहुत पसंद है ! उसे तो हर दूसरे दिन चाहिए होता है ना करो तो कहने लगती है "" सन्नी के पापा लगता है अब आप बूढ़े हो गये हो ""
कामया - -- तभी मैं कहूँ मामी हमेशा इतनी इतराती क्यों रहती है हमेशा जवान जवान सी फिरती है ! और वो मामा के मूसल पर उठक बैठक करने लगी ! बैठक लगाने से उसके संतरे ऊपर नीचे उचक रहे थे जिसे देख देख कर मामा बावला हुआ जा रहा था ! कामया के संतरे इतने बड़े होने के बाद भी बहुत सख़्त और ऊपर को उठे हुए थे ! सोने के समान दमकते उसके दोनो चूचियों को देख मामा को ऐसा लग रहा जैसे
कंचनजंघा की चोटियों हों जो कंचन के समान चमक रही हैं !

 


मामा ने अब तक जितनी भी बड़े बूब्स वाली औरतें चोदी थी सभी की चूची अपने भार के कारण लटक गई थी कामया अकेली ऐसी लौंडिया थी जिसकी चूची बड़ी भी थी और ऊपर को तनी हुई थी जैसे की मर्दों को चुनोती दे रही हों ! और मामा ऐसी चुनोती को कभी बेकार नहीं करता था उसने कामया की दोनो चुचि अपनी हथेली मे थाम ली और लगा बेदर्दी से मसलने ! कामया कराह उठी
कामया - -- आह उई माँ ! मामा धीरे दबाओ ! मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ ! बिल्कुल गाँव वालों के समान जंगली हो जाते हो ! हालाकी उसे मामा का जंगलिपना भी पसंद आ रहा था ! बूब्स पर ये असहनसीलता उसे अच्छी लगती थी बशर्ते क़ि दर्द ज़्यादा ना हो ! थोड़ा बहुत दर्द तो उसे अच्छा लगता था ! वो जानती थी भगवान ने ये निगोडी चूचियाँ मसलवाने के लिए ही दी हैं तो तौबा क्यों मचाना ?
ऊपर बूब्स रगड़वाई और नीचे चूत चटवाई कामया बर्दास्त नहीं कर सकी और चीखते हुए झाड़ गई ! झदने के बाद कामया एकदम पस्त हो गई और बोली
कामया - - - अब आप करो ! अब मुझसे नहीं होगा ! ये आपका काम है आप करो हाँ ! इधर मामा भी पड़े पड़े बोर हो गया था सो उसने कामया को लिटा दिया और बिना लंड डाले कुछ देर फिर उसके हसीन बदन से खेलने लगा ! इस तरीके से वो अपने को कुछ ठंडा भी कर रहा था ! कुछ देर कामया की जालिम जवानी को निचोड़ कर एक बार फिर उसने कामया की बुर मे टोपा लगाया और शॉट मार दिया ! कामरस से भीगी कामया की चूत बिल्कुल प्रतिरोध ना कर सकी और लाउडा एक बार मे ही अपनी अंतिम गहराई तक पहुँच गया
कामया - - हाय मामा धीरे ! जालिम मार दोगे क्या ! मैं इंसान हूँ कोई तरबूज़ नहीं जो अपना खंजर एक बार मे ही घोंप दिया ! जंगली कहीं के ! मगर अब मामा कुछ सुनने को तैयार नहीं था ! उसने कामया की धकापेल चुदाई चालू कर दी ! मामा का भारी बदन फूल सी नाज़ुक कामया से जब टकराता तो कामया तीन इंच गद्दे मे धँस जाती और उसकी कराह निकल जाती ! मगर अब असहँसील हो गया था वो नोन स्टॉप चुदाई करने लगा ! कमरे मे वासना का तूफान आ चुका था जिसमे रिश्ते नाते सब बह चुके थे ! हर धक्के के साथ कामया और वाइल्ड होती जा रही थी और अब बिना किसी की चिंता फिकर किए मादक ढंग से कराह रही थी ! लगभग दो मिनिट की चुदाई के बाद कामया एक बार फिर पानी छोड़ने लगी और हाँफने लगी ! मामा ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे कुछ देर हवा खिलाने लगा ! कुछ देर पहले ही उसने कामया की गाँड मे अपनी मलाई निकाली थी इसलिए उसने सोचा अगर वो धैर्य से काम लेगा तो काफ़ी देर इस हसीन लौंडिया की जवानी को भोग सकेगा ! आज वो कामया को हर तरीके से चोदना चाहता था पता नहीं फिर कभी जिंदगी मे मौका मिले ना मिले !
 



लंड की गर्मी कम करके और अपनी साँसों को नियंत्रित करके अब उसने कामया को घोड़ी बनने के लिए बोला ! कामया चुपचाप घोड़ी बन गई ताकि उसका नया प्रेमी घुड़सवारी का मज़ा ले सके वो जानती थी जब तक मामा का निकलेगा नहीं मामा मानेगा नहीं ! कामया का घोड़ी पोस अच्छे अच्छे मर्दों का होश उड़ाने लायक था ! उसकी बेहद सुंदर और सेक्सी गाँड इस पोस मे खिले हुए कमल के सामान लगती थी जिस पर मामा जैसा हर भौरा मंडराना चाहे ! मामा ने कुछ देर उसकी गाँड को अपनी खुरदूरी जीभ से चाटा और चूमा और फिर एक बार अपना लंड कामया की धधकती भट्टी के मुहाने पर रख दिया ! कामया ने आने वाले धक्के की कल्पना कर साँस रोक ली ! उसकी प्रतीक्षा पूरी हुई मामा ने साँस भा कर एक प्रलायंकारी शॉट मार दिया ! मामा का लंड कामया की टाइट बुर को चीरता फाड़ता अंदर प्रवेश कर गया ! नाज़ुक भांजी का जर्रा जर्रा हिल गया ! मगर इसी के साथ उसके अंदर प्रबल कामागञी भी भड़क उठी ! इससे पहले की मामा अगला शॉट मारता कामया ने खुद अपनी गाँड पीछे धकेल दिया मानो उसे खुद जल्दी पड़ी हो ! मामा लौंडिया की गरमी देख खुश हो गया ! ऐसी गरम तासीर की लौंडिया बहुत भाग्यवान पुरुष को ही मिलती है ! अब मामा ने उसकी चुदाई चालू कर दी हर धक्के मे कामया की गाँड का कोमल माँस अंदर को धँस जाता जिसे देख देख कर मामा का पारा बढ़ता ही जा रहा था ! वो कभी उसकी चूची दबाता तो कभी उसकी केले के तने जैसी चिकनी जांघों को सहलाता तो कभी आगे से हाथ डालकर कामया के दाने को सहलाने लगता ! मामा की इन चरम हरकतों और उसके मूसल की जबरदस्त घिसाई ने कामया की बुर का बाजा बजा दिया और वो एक बार फिर से पानी छोड़ने लगी !
कामया - - आ आ मामा मैं गई ! आ मामा आप ने ये क्या कर डाला कितनी बार मुझे निचोड़ोगे ! मेरा तो सारा रस ही निकल गया अब मैं और ऐसे खड़ी नहीं रह सकती ! कहते कहते कामया ओन्धे ही लेट गई ! मामा का मूसल बाहर निकल गया था !
कामया - - मामा और कितनी देर करोगे ! अब दर्द देने लगा है ?
मामा - - बस रानी एक लास्ट बार अब दो मिनिट मे ही फारिग हो जाऊँगा ! और मामा ने एक बार फिर उसे चित लिटा कर लंड अंदर कर दिया ! मामा को भी चोदते चोदते बीस मिनिट हो गये थे अब उसमे और रुकने की ताक़त नहीं थी ! मामा ने कामया को अच्छी तरह अपने नीचे दबोचा और एक बार फिर ताबॅड तोड़ पेलाई करने लगा ! जिस प्रकार दिया बुझने से पहले और तेज़ भभकने लगता है उसी प्रकार इस बार मामा और जोरदार हंगामा कर रहा था ! नीचे पड़ी कामया के बदन का पोर पोर दर्द दे रहा था लेकिन उसका चेहरा फूल की तरह खिल उठा था ! मामा के हर धक्के पर वो सिसक पड़ती ! कमरे मे अब मामा के हाँफने की आवाज़ और उसकी प्यारी भांजी की मादक सिसकारियाँ ही गूँज रही थी ! लगभग दो मिनिट की इस आख़िरी मगर बहुत धाँसू चुदाई के बाद मामा ने भांजी की कोख अपने बीज से भर दी !















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