FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..51
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अब आगे
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अगले दिन नाश्ता करके अजय फिर से तैयार होकर ऑफीस चल दिया...कल की तरह आज भी पूजा और रिया का वो प्लान अधूरा रह गया था जिसके लिए दोनो पिछले कई दिनों से प्लानिंग कर रही थी...पर ये अजय था की उनके लिए टाइम ही नही था...
अजय के तो दोनो हाथों में लड्डू थे...उसे इस वक़्त वैसे भी अपनी सालियों की ज़्यादा चिंता नही थी...वो बाहर का काम पहले निपटा लेना चाहता था..
घर से निकल कर उसने अंजलि को कॉल किया, वो घर से निकल चुकी थी..अजय ने उसे मेन मार्केट में एक जगह पहुँचने को कहा और वहां पहुँचकर उसने अंजलि को कार में बिठा लिया..
अंजलि ने बिना चुन्नी के,एक टाइट सी कुरती पहनी हुई थी...और साथ में ग्रीन कलर की चिपकी हुई स्लैक्स...उस सिंपल सी ड्रेस में वो बला की सुंदर लग रही थी...अजय तो उसके भरंवा शरीर को देखकर पागल सा हो गया...उसका मन किया की उसे वहीं कार में लिटाकर चोद डाले...पर आज के लिए तो उसके पास अच्छा खासा इंतज़ाम था,इसलिए कार में चोदने का तो सवाल ही नही उठता था..
कार में बैठते ही उसने एक सिगरेट निकाल ली और सुलगा कर अपने होंठों से लगा ली...
अजय ने पहली बार अंजलि को सिगरेट पीते देखा था,इसलिए थोड़ा अचंबित हुआ...वो ये तो जानता था की अनिल चैन स्मोकर है,पर अंजलि के बारे में उसे आज ही पता चला..
अंजलि (मुस्कुराते हुए) : "ऐसे क्यो देख रहे हो...पहले कभी किसी को सिगरेट पीते नही देखा क्या...''
अजय : "देखा तो है, पर मुझे नही पता था की तुम्हे भी इसका शोंक है...वैसे मुझे सिगरेट पीने वाली लड़किया बहुत पसंद आती है...''
अंजलि (कश भरकर उसके मुँह पर धुंआ छोड़ते हुए ) : "हा हा,अच्छा ...ऐसा क्यो भला ?''
अजय : "वो इसलिए की उन्हे सिगरेट पीते देखकर इस बात का अंदाज़ा लग जाता है की वो हर काम में हाथ आजमाना जानती है...और अपने इसी आत्मविश्वास की वजह से वो सैक्स करने में अपने पार्ट्नर को भी पीछे छोड़ देती है...''
अंजलि : "हा हा हा....ये तो मैने पहले किसी से नही सुना की सिगरेट पीने वाली लड़किया सैक्स के मामले में आदमी से आगे होती है... लेकिन तुम्हारा अंदाज़ा मेरे मामले में तो बिल्कुल सही है...मैं सिगरेट भी पीती हूँ और सैक्स तो तुम्हे पता ही है की कैसा करती हूँ ..''
अजय : "तभी तो मैने ये बात कही है...क्योंकि आज तक मैने तुमसे ज़्यादा जंगलिपन किसी और में नही देखा ''
अजय ऐसी बातें करके उसके अंदर की शेरनी को जगा रहा था...वैसे उसे जगाने की ज़रूरत तो नही थी,पर आज वो उसके साथ वाइल्ड गेम खेलना चाहता था...कल रात की सेक्स चैट के बाद और आज सैक्स करते हुए गालियाँ देने की बात उसे अभी तक याद थी,इसलिए वो उसे अभी से उकसा कर उत्तेजना से भर देना चाहता था,और ऐसा हो भी रहा था...
अंजलि ने अपना हाथ आगे करके कार चला रहे अजय के लण्ड पर रख दिया और सिसक कर बोली : "आज तो तू गया अजय...आज तो तू गया..''
अजय मुस्कुरा दिया...और कार चलता रहा.
थोड़ी ही देर मे अजय ने अपने ऑफीस के बाहर कार रोकी...ये देखकर अंजलि चोंक गयी और बोली : "ये...ये तो अनिल का आई मीन तुम लोगो का ऑफीस है....यहाँ किसलिए...''
अजय ने मुस्कुराते हुए ऑफीस की चाबी निकाल कर उसे दिखाई अपने बॉस वाली और कल ऑफीस में आकर काम करने की बात उसे बताई..जाहिर था,उसने अपनी सेक्रेटरी वाली बात छुपा ली थी..
अंजलि : "वाव अजय...तुम्हारा दिमाग़ तो बहुत तेज चलता है...काश तुम मुझे कल भी बुला लेते...ऑफीस के काम के बाद मैं तुम्हारी थकान उतारने के काम आती...''
अब अजय उसे क्या बोलता की कल किसी और ने उसकी थकान ऑलरेडी उतार दी है.
अजय : "कल काम कर लिया और आज काम पूजा करनी थी,इसलिए तुम्हे आज बुलाया है....चलो अब...वरना यही कार में शुरू हो जाना है मैने...''
अंजलि भी मुस्कुराती हुई गाड़ी से उतरी और दोनो लगभग भागते हुए ऑफीस में जा घुसे...दरवाजा लॉक करते ही दोनो एक दूसरे के गले से लिपटकर ऐसे स्मूच करने लगे जैसे बरसों के बिछड़े प्रेमी हो....अंजलि तो अपनी जाँघ उपर करके उसकी टाँगों और पेट को सहला रही थी...और अपनी गीली चूत भी उसके जिस्म से रगड़ रही थी...
अजय उसे स्मूच करता-2 अपने केबिन में ले आया...और बिना किस्स तोड़े ही उसने टटोलते-2 केबिन की लाइट जलाई..
अंजलि से तो सब्र ही नही हो रहा था...उसे अभी के अभी अजय का मोटा लण्ड अपनी चूत में चाहिए था...उसने एक ही झटके में अपनी पायजामी उतार फेंकी और अजय की जीन्स खोलकर उसे भी ज़मीन पर गिरा दिया...
अजय ने उसकी चिकनी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी टेबल पर बिठा दिया...अंजलि ने अपनी दोनो टांगे फेला दी और अजय के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया..
अजय का मोटा वाला लौड़ा सरसराता हुआ सा उसकी टनल में घुसता चला गया..
''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... अजय ...............
मादरचोद ............. चोद मुझे...... भेंन के लण्ड ....''
अजय तो उसकी गाली सुनकर बावला सा हो गया...और उसके मोटे मुम्मे मसलता हुआ उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा..
''ले साली..कुतिया......आज तेरी चूत को फाड़कर इसके अंदर अपने लण्ड का माल जमा करूँगा....आज तू मेरे बच्चे की माँ बनकर ही यहाँ से निकलेगी... साली''
ये पासिबल तो नही था पर ऐसा बोलने में अजय को मज़ा बहुत आया...
अंजलि भी कहाँ पीछे रहने वाली थी...वो उसकी गांड पर अपने नाख़ून गाड़कर ज़ोर से दहाडी : "तो चोद ना हरामखोर.... कुतिया बोला है तो कुत्ता बनकर चोद मुझे ...अपना लंड इतना अंदर डाल की कभी निकले ही नही...कुतिया की तरह चिपक जाउंगी तेरे लण्ड से मैं भी.....आआआआअहह भेंन चोद .......मार मेरी चूत ....ज़ोर -2 से....साले कुत्ते ''
अजय का मन तो कर रहा था की उसके कुर्ते को फाड़कर अपना जंगलिपन उसे दिखा डाले..पर ऐसा करके वो उसके घर वापिस जाने में मुश्किल पैदा नही करना चाहता था...इसलिए उसने अपने उपर कंट्रोल रखते हुए उसके कुर्ते को उपर करके निकाल डाला...और ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे गिरा कर उसके मोटे मुम्मे बाहर निकाल कर नंगे कर दिए और उनपर अपना मुँह लगा कर टूट पड़ा...
''आआआआआआआआहह साआआााल्ले .....जोर से काट .... मेरी ब्रेस्ट है .... केक नही..... आआआआअहह ... निप्पल चूस गांडू .....''
अजय ने उसके दोनो मुममे पकड़ कर उसके लाल निप्पलों को एक-2 करके चूसा.....जो इतने नुकीले हो चुके थे की उनपर कोई गुब्बारा लगे तो वो भी फट जाए..
अंजलि ने अजय की टी शर्ट को उतार फेंका...और अब दोनो मादरजात नंगे हो चुके थे...अजय की टेबल चुदाई का चौराहा बन चुका था, जिसपर कल रचना नंगी लेटी थी...भले ही वो चुदी नही थी,पर अजय ने जो उसके साथ किया था वो किसी चुदाई से कम नही था...
अजय ने उसकी दोनो टांगे उठा कर हवा में कर दी और उसे टेबल पर लिटा दिया, अब वो उसकी चूत में बड़ी आसानी से खड़े होकर चुदाई कर पा रहा था..
''आआआआआआआआआआआआअहह भेंन चोद .....साले कितना मोटा लण्ड है तेरा...... काश रोज चुदाई करवा पाती तुझसे...उम्म्म्मममममममममम...... डाल साले ...... चूत के दाने को रगड़ ..... अंदर तक डाल कर चोद ..... अहह ..... ओह''
अजय : "साली रंडी, तुझे तो मैं अपनी रखेल बनाकर रखूँगा...अपने घर के अंदर ही....अपनी बीबी के सामने चोदूँगा रोज....''
अंजलि (सिसकते हुए) : "सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... अहहssssss ...मैं तो तेरी रखेल बनने को भी तैयार हूँ .... तेरी बीबी के सामने तो क्या,उसके साथ ही मैं तेरे लण्ड से चुदूगी एक दिन....अहह.... देख लेना....''
उसके ऐसा कहने पर अजय को एहसास हुआ की काश ऐसा हो सकता...वो तो ना जाने कब से ये सपना देख रहा है की वो अपनी बीबी और किसी और चूत के साथ थ्रीसम करे...पर उसे अच्छी तरह पता था की उसकी बीबी ऐसा कभी नही होने देगी... दूसरी औरत को उसके सामने लाना तो दूसरी बात थी,उसे अगर भनक भी पड़ गयी की अजय आजकल कैसे बाहर मुंह मारता फिर रहा है तो वो उसे अपने घर के 3र्ड फ्लोर से ही नीचे फेंक देगी...
इसलिए उसने अपनी बीबी की तरफ से ध्यान हटाया और अंजलि पर लगा दिया...जो इस वक़्त बावली सी होकर उसके केबिन की टेबल पर किसी रंडी की तरह चुदाई करवा रही थी...
अजय के झटके इतने तेज थे की उसके हिलते हुए मुम्मे बहुत ज़ोर से उसके चेहरे से टकरा रहे थे...
अजय ने ऐसी क़्विक फकिंग आज तक किसी के साथ नही की थी...भले ही उनके पास आज शाम तक का समय था, पर अंदर आए हुए उन्हे सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे और अजय उसकी चूत मार रहा था...ना लंड चुसाई की रस्म, ना चूत चखाई की अदायगी , ना जाने कैसी आग लगी थी दोनो में की ऑफीस में आते ही सीधा चुदाई करनी शुरू कर दी...लेकिन इससे एक बात तो पक्की थी, शुरुवाती चुदाई के बाद उनके पास पूरा दिन रहेगा,जिसमें वो बाकी का बचा हुआ वो हर काम कर सकेंगे जिसका कोकशास्त्र में वर्णन है..
अंजलि की चूत में लगी आग का सेंक था ही इतना तेज की अजय जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...
वो चिल्लाया : "आआआआआआआअहह ...... ओह्ह्ह्ह भाभीssssssss ..... मैं झड़ने वाला हूँ ...... बोल रंडी ..... कहा निकालूsssssssssss .....''
''मेरी चूऊऊऊऊऊऊऊत में ......... सारा माल अंदर ही निकााआाआल..... बना दे मुझे अपने बच्चे की माँआआआआआआ...'' अंजलि ने जब ये कहा तो वो उसके रण्डीपन का कायल हो गया....सच में ऐसी औरत कहाँ मिलेगी जो अपने पति के दोस्त से,उसी के ऑफीस में चुदाई करवाकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए तैयार हो..
पर अजय के पास इस वक़्त ये सब बातें सोचने का टाइम नही था....अंजलि के इतना कहते ही की उसकी चूत में ही झड़ जाए, उसके लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर होली खेलने लगी...अजय के गर्म रंग को महसूस करते ही अंजलि भी थरथराती हुई झड़ने लगी...
और दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..
''आआआआआआआआआहह.... ओह मेरे राआआआजा ............. मजाआाअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआअ .... साआाआले तेरे लण्ड की तो मैं कायल हो गयी.......... ''
अजय भी अपने दोस्त की तारीफ सुनकर मुस्कुरा दिया...
अजय ने अपना चिपचिपा लण्ड बाहर निकाला और अंजलि झट से उसके कदमो में बैठकर उसके लण्ड को मुँह में लेकर सॉफ करने लगी...ठीक उसी तरह से जैसे कल रचना ने उसका लण्ड सॉफ किया था.... ऐसी रंगीन भाभी के मुँह में उसका लण्ड बहुत सुंदर लग रहा था..अपने एक हाथ से वो अपनी चूत से रिस रहे माल को समेट कर उसे भी चाट रही थी...कुल मिलाकर वो एक रंडी की भूमिका अच्छी तरह से निभा रही थी.
अजय का लंड अच्छी तरह से सॉफ करके वो बाथरूम में गयी और खुद भी साफ होकर ऐसे ही नंगी मटकती हुई वापिस आ गयी...
अब अजय उसके रसीले बदन के हर हिस्से का अच्छी तरह से मज़ा लेना चाहता था...और इसके लिए उसके बॉस के केबिन से बढ़िया जगह कोई और हो हि नही सकती थी...
उसने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाइस प्रेसीडेंट के केबिन की तरफ चल दिया,जहाँ उसने कल सोफे पर लिटाकर रचना की चूत चूसी थी...आज भी वो अंजलि की चूत का जूस वैसे ही पीना चाहता था...पर उससे पहले अपना लंड भी तो चुसवाना था उसे...अजय ने तो ये भी सोच लिया था की आज वो उसकी गांड भी मारेगा
केबिन का लॉक खोलकर अजय ने ए सी चला दिया और कल की तरह वो एक बार फिर से सोफे पर जाकर राजा बनकर बैठ गया...और अपनी उंगली के इशारे से उसने अंजलि को पास बुलाया और अपना लंड उसके हाथ में देकर उसे अपने पैरों के पास बिठा लिया...बाकी तो अंजलि को कुछ और समझाने की ज़रूरत ही नही थी...वो उसके मोटे लंड को हाथ में लेकर मुस्कुराइ और उसे सहलाते हुए बोली : "तुम एक नंबर के ठरकी हो.... बिना आराम के दूसरी शिफ्ट के लिए तैयार हो गये.. तुम्हारी बीबी की तो शामत आ जाती होगी...''
अजय : "वो तो है.... मेरे स्टेमीना को झेलना हर किसी के बस की बात नही है....''
ये बोलकर वो उसे उकसा रहा था...और हुआ भी ऐसा ही....वो सिसकारी मारकर उसके लण्ड को मसलती हुई, उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ती हुई बोली : "उम्म्म्मममममम...... आज तुम जान जाओगे की तुम्हारी टक्कर का भी कोई है इस दुनिया में .... मुझे रंडी बोला है ना.... अपनी रखेल कहा था ना अभी तुमने.... अब वैसी ही बनकर रहूंगी.... हमेशा. .... तेरे इस लंड की गुलाम ... जब चाहे बुला लेना.... जहाँ चाहे चोद लेना ... मेरे पति के सामने भी मेरी चूत मरोगे ना तो भी मना नही करूँगी.... भेंन चोद ..... आज तू मेरा असली रंडीपना देखेगा....''
वो उत्तेजना के आवेश में आकर कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रही थी और अजय उसे सुनकर खुश हुए जा रहा था....
पर उसकी खुशी को लकवा मार गया जब अचानक केबिन का दरवाजा खुला और उसका बॉस अंदर आ गया.
सामने के सोफे पर अजय बड़ी ही शान से अधलेटा सा होकर अपने लंड को अंजलि से चुसवा रहा था ..अंजलि की पीठ दरवाजे की तरफ थी,इसलिए वो नही देख पाई की कोई अंदर आया है...
पर अजय की तो सिट्टी - पिटी ही गुम हो गयी...जिस बात का उसे डर था,वही हुआ,उसके बॉस के पास ऑफीस के मैन गेट की दूसरी चाभी भी थी,और वो शायद अजय का काम देखने के लिए ऑफिस आ गया था...उसे पुर ऑफीस में ढूँढने के बाद वो जब अपने केबिन में घुसा तो अंदर का सीन देखकर उसके भी होश उड़ गये...उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की अजय काम के बहाने उसके ऑफीस को,उसके केबिन को चुदाईघर बना देगा ...
एक बात तो पक्की थी की उसकी नौकरी तो गयी...
रही सही कसर अंजलि ने पूरी कर दी.
अंजलि ने जब देखा की अजय को एकदम से साँप सूंघ गया है और वो डरा हुआ सा दरवाजे की तरफ देख रहा है तो वो उसके लंड को छोड़कर पीछे की तरफ पलटी, और अपनी उसी उत्तेजना के आवेश में भरकर ज़ोर से बोली
"कौन है ये भोंसड़ी का ...''
उसका बॉस कभी अजय को और कभी अंजलि को हैरानी और गुस्से से भरी नज़रों से देख रहा था.
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ठरकी की लाइफ में ..51
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अगले दिन नाश्ता करके अजय फिर से तैयार होकर ऑफीस चल दिया...कल की तरह आज भी पूजा और रिया का वो प्लान अधूरा रह गया था जिसके लिए दोनो पिछले कई दिनों से प्लानिंग कर रही थी...पर ये अजय था की उनके लिए टाइम ही नही था...
अजय के तो दोनो हाथों में लड्डू थे...उसे इस वक़्त वैसे भी अपनी सालियों की ज़्यादा चिंता नही थी...वो बाहर का काम पहले निपटा लेना चाहता था..
घर से निकल कर उसने अंजलि को कॉल किया, वो घर से निकल चुकी थी..अजय ने उसे मेन मार्केट में एक जगह पहुँचने को कहा और वहां पहुँचकर उसने अंजलि को कार में बिठा लिया..
अंजलि ने बिना चुन्नी के,एक टाइट सी कुरती पहनी हुई थी...और साथ में ग्रीन कलर की चिपकी हुई स्लैक्स...उस सिंपल सी ड्रेस में वो बला की सुंदर लग रही थी...अजय तो उसके भरंवा शरीर को देखकर पागल सा हो गया...उसका मन किया की उसे वहीं कार में लिटाकर चोद डाले...पर आज के लिए तो उसके पास अच्छा खासा इंतज़ाम था,इसलिए कार में चोदने का तो सवाल ही नही उठता था..
कार में बैठते ही उसने एक सिगरेट निकाल ली और सुलगा कर अपने होंठों से लगा ली...
अजय ने पहली बार अंजलि को सिगरेट पीते देखा था,इसलिए थोड़ा अचंबित हुआ...वो ये तो जानता था की अनिल चैन स्मोकर है,पर अंजलि के बारे में उसे आज ही पता चला..
अंजलि (मुस्कुराते हुए) : "ऐसे क्यो देख रहे हो...पहले कभी किसी को सिगरेट पीते नही देखा क्या...''
अजय : "देखा तो है, पर मुझे नही पता था की तुम्हे भी इसका शोंक है...वैसे मुझे सिगरेट पीने वाली लड़किया बहुत पसंद आती है...''
अंजलि (कश भरकर उसके मुँह पर धुंआ छोड़ते हुए ) : "हा हा,अच्छा ...ऐसा क्यो भला ?''
अजय : "वो इसलिए की उन्हे सिगरेट पीते देखकर इस बात का अंदाज़ा लग जाता है की वो हर काम में हाथ आजमाना जानती है...और अपने इसी आत्मविश्वास की वजह से वो सैक्स करने में अपने पार्ट्नर को भी पीछे छोड़ देती है...''
अंजलि : "हा हा हा....ये तो मैने पहले किसी से नही सुना की सिगरेट पीने वाली लड़किया सैक्स के मामले में आदमी से आगे होती है... लेकिन तुम्हारा अंदाज़ा मेरे मामले में तो बिल्कुल सही है...मैं सिगरेट भी पीती हूँ और सैक्स तो तुम्हे पता ही है की कैसा करती हूँ ..''
अजय : "तभी तो मैने ये बात कही है...क्योंकि आज तक मैने तुमसे ज़्यादा जंगलिपन किसी और में नही देखा ''
अजय ऐसी बातें करके उसके अंदर की शेरनी को जगा रहा था...वैसे उसे जगाने की ज़रूरत तो नही थी,पर आज वो उसके साथ वाइल्ड गेम खेलना चाहता था...कल रात की सेक्स चैट के बाद और आज सैक्स करते हुए गालियाँ देने की बात उसे अभी तक याद थी,इसलिए वो उसे अभी से उकसा कर उत्तेजना से भर देना चाहता था,और ऐसा हो भी रहा था...
अंजलि ने अपना हाथ आगे करके कार चला रहे अजय के लण्ड पर रख दिया और सिसक कर बोली : "आज तो तू गया अजय...आज तो तू गया..''
अजय मुस्कुरा दिया...और कार चलता रहा.
थोड़ी ही देर मे अजय ने अपने ऑफीस के बाहर कार रोकी...ये देखकर अंजलि चोंक गयी और बोली : "ये...ये तो अनिल का आई मीन तुम लोगो का ऑफीस है....यहाँ किसलिए...''
अजय ने मुस्कुराते हुए ऑफीस की चाबी निकाल कर उसे दिखाई अपने बॉस वाली और कल ऑफीस में आकर काम करने की बात उसे बताई..जाहिर था,उसने अपनी सेक्रेटरी वाली बात छुपा ली थी..
अंजलि : "वाव अजय...तुम्हारा दिमाग़ तो बहुत तेज चलता है...काश तुम मुझे कल भी बुला लेते...ऑफीस के काम के बाद मैं तुम्हारी थकान उतारने के काम आती...''
अब अजय उसे क्या बोलता की कल किसी और ने उसकी थकान ऑलरेडी उतार दी है.
अजय : "कल काम कर लिया और आज काम पूजा करनी थी,इसलिए तुम्हे आज बुलाया है....चलो अब...वरना यही कार में शुरू हो जाना है मैने...''
अंजलि भी मुस्कुराती हुई गाड़ी से उतरी और दोनो लगभग भागते हुए ऑफीस में जा घुसे...दरवाजा लॉक करते ही दोनो एक दूसरे के गले से लिपटकर ऐसे स्मूच करने लगे जैसे बरसों के बिछड़े प्रेमी हो....अंजलि तो अपनी जाँघ उपर करके उसकी टाँगों और पेट को सहला रही थी...और अपनी गीली चूत भी उसके जिस्म से रगड़ रही थी...
अजय उसे स्मूच करता-2 अपने केबिन में ले आया...और बिना किस्स तोड़े ही उसने टटोलते-2 केबिन की लाइट जलाई..
अंजलि से तो सब्र ही नही हो रहा था...उसे अभी के अभी अजय का मोटा लण्ड अपनी चूत में चाहिए था...उसने एक ही झटके में अपनी पायजामी उतार फेंकी और अजय की जीन्स खोलकर उसे भी ज़मीन पर गिरा दिया...
अजय ने उसकी चिकनी कमर पर हाथ रखकर उसे अपनी टेबल पर बिठा दिया...अंजलि ने अपनी दोनो टांगे फेला दी और अजय के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया..
अजय का मोटा वाला लौड़ा सरसराता हुआ सा उसकी टनल में घुसता चला गया..
''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... अजय ...............
मादरचोद ............. चोद मुझे...... भेंन के लण्ड ....''
अजय तो उसकी गाली सुनकर बावला सा हो गया...और उसके मोटे मुम्मे मसलता हुआ उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा..
''ले साली..कुतिया......आज तेरी चूत को फाड़कर इसके अंदर अपने लण्ड का माल जमा करूँगा....आज तू मेरे बच्चे की माँ बनकर ही यहाँ से निकलेगी... साली''
ये पासिबल तो नही था पर ऐसा बोलने में अजय को मज़ा बहुत आया...
अंजलि भी कहाँ पीछे रहने वाली थी...वो उसकी गांड पर अपने नाख़ून गाड़कर ज़ोर से दहाडी : "तो चोद ना हरामखोर.... कुतिया बोला है तो कुत्ता बनकर चोद मुझे ...अपना लंड इतना अंदर डाल की कभी निकले ही नही...कुतिया की तरह चिपक जाउंगी तेरे लण्ड से मैं भी.....आआआआअहह भेंन चोद .......मार मेरी चूत ....ज़ोर -2 से....साले कुत्ते ''
अजय का मन तो कर रहा था की उसके कुर्ते को फाड़कर अपना जंगलिपन उसे दिखा डाले..पर ऐसा करके वो उसके घर वापिस जाने में मुश्किल पैदा नही करना चाहता था...इसलिए उसने अपने उपर कंट्रोल रखते हुए उसके कुर्ते को उपर करके निकाल डाला...और ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे गिरा कर उसके मोटे मुम्मे बाहर निकाल कर नंगे कर दिए और उनपर अपना मुँह लगा कर टूट पड़ा...
''आआआआआआआआहह साआआााल्ले .....जोर से काट .... मेरी ब्रेस्ट है .... केक नही..... आआआआअहह ... निप्पल चूस गांडू .....''
अजय ने उसके दोनो मुममे पकड़ कर उसके लाल निप्पलों को एक-2 करके चूसा.....जो इतने नुकीले हो चुके थे की उनपर कोई गुब्बारा लगे तो वो भी फट जाए..
अंजलि ने अजय की टी शर्ट को उतार फेंका...और अब दोनो मादरजात नंगे हो चुके थे...अजय की टेबल चुदाई का चौराहा बन चुका था, जिसपर कल रचना नंगी लेटी थी...भले ही वो चुदी नही थी,पर अजय ने जो उसके साथ किया था वो किसी चुदाई से कम नही था...
अजय ने उसकी दोनो टांगे उठा कर हवा में कर दी और उसे टेबल पर लिटा दिया, अब वो उसकी चूत में बड़ी आसानी से खड़े होकर चुदाई कर पा रहा था..
''आआआआआआआआआआआआअहह भेंन चोद .....साले कितना मोटा लण्ड है तेरा...... काश रोज चुदाई करवा पाती तुझसे...उम्म्म्मममममममममम...... डाल साले ...... चूत के दाने को रगड़ ..... अंदर तक डाल कर चोद ..... अहह ..... ओह''
अजय : "साली रंडी, तुझे तो मैं अपनी रखेल बनाकर रखूँगा...अपने घर के अंदर ही....अपनी बीबी के सामने चोदूँगा रोज....''
अंजलि (सिसकते हुए) : "सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... अहहssssss ...मैं तो तेरी रखेल बनने को भी तैयार हूँ .... तेरी बीबी के सामने तो क्या,उसके साथ ही मैं तेरे लण्ड से चुदूगी एक दिन....अहह.... देख लेना....''
उसके ऐसा कहने पर अजय को एहसास हुआ की काश ऐसा हो सकता...वो तो ना जाने कब से ये सपना देख रहा है की वो अपनी बीबी और किसी और चूत के साथ थ्रीसम करे...पर उसे अच्छी तरह पता था की उसकी बीबी ऐसा कभी नही होने देगी... दूसरी औरत को उसके सामने लाना तो दूसरी बात थी,उसे अगर भनक भी पड़ गयी की अजय आजकल कैसे बाहर मुंह मारता फिर रहा है तो वो उसे अपने घर के 3र्ड फ्लोर से ही नीचे फेंक देगी...
इसलिए उसने अपनी बीबी की तरफ से ध्यान हटाया और अंजलि पर लगा दिया...जो इस वक़्त बावली सी होकर उसके केबिन की टेबल पर किसी रंडी की तरह चुदाई करवा रही थी...
अजय के झटके इतने तेज थे की उसके हिलते हुए मुम्मे बहुत ज़ोर से उसके चेहरे से टकरा रहे थे...
अजय ने ऐसी क़्विक फकिंग आज तक किसी के साथ नही की थी...भले ही उनके पास आज शाम तक का समय था, पर अंदर आए हुए उन्हे सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे और अजय उसकी चूत मार रहा था...ना लंड चुसाई की रस्म, ना चूत चखाई की अदायगी , ना जाने कैसी आग लगी थी दोनो में की ऑफीस में आते ही सीधा चुदाई करनी शुरू कर दी...लेकिन इससे एक बात तो पक्की थी, शुरुवाती चुदाई के बाद उनके पास पूरा दिन रहेगा,जिसमें वो बाकी का बचा हुआ वो हर काम कर सकेंगे जिसका कोकशास्त्र में वर्णन है..
अंजलि की चूत में लगी आग का सेंक था ही इतना तेज की अजय जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...
वो चिल्लाया : "आआआआआआआअहह ...... ओह्ह्ह्ह भाभीssssssss ..... मैं झड़ने वाला हूँ ...... बोल रंडी ..... कहा निकालूsssssssssss .....''
''मेरी चूऊऊऊऊऊऊऊत में ......... सारा माल अंदर ही निकााआाआल..... बना दे मुझे अपने बच्चे की माँआआआआआआ...'' अंजलि ने जब ये कहा तो वो उसके रण्डीपन का कायल हो गया....सच में ऐसी औरत कहाँ मिलेगी जो अपने पति के दोस्त से,उसी के ऑफीस में चुदाई करवाकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए तैयार हो..
पर अजय के पास इस वक़्त ये सब बातें सोचने का टाइम नही था....अंजलि के इतना कहते ही की उसकी चूत में ही झड़ जाए, उसके लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर होली खेलने लगी...अजय के गर्म रंग को महसूस करते ही अंजलि भी थरथराती हुई झड़ने लगी...
और दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..
''आआआआआआआआआहह.... ओह मेरे राआआआजा ............. मजाआाअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआअ .... साआाआले तेरे लण्ड की तो मैं कायल हो गयी.......... ''
अजय भी अपने दोस्त की तारीफ सुनकर मुस्कुरा दिया...
अजय ने अपना चिपचिपा लण्ड बाहर निकाला और अंजलि झट से उसके कदमो में बैठकर उसके लण्ड को मुँह में लेकर सॉफ करने लगी...ठीक उसी तरह से जैसे कल रचना ने उसका लण्ड सॉफ किया था.... ऐसी रंगीन भाभी के मुँह में उसका लण्ड बहुत सुंदर लग रहा था..अपने एक हाथ से वो अपनी चूत से रिस रहे माल को समेट कर उसे भी चाट रही थी...कुल मिलाकर वो एक रंडी की भूमिका अच्छी तरह से निभा रही थी.
अजय का लंड अच्छी तरह से सॉफ करके वो बाथरूम में गयी और खुद भी साफ होकर ऐसे ही नंगी मटकती हुई वापिस आ गयी...
अब अजय उसके रसीले बदन के हर हिस्से का अच्छी तरह से मज़ा लेना चाहता था...और इसके लिए उसके बॉस के केबिन से बढ़िया जगह कोई और हो हि नही सकती थी...
उसने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाइस प्रेसीडेंट के केबिन की तरफ चल दिया,जहाँ उसने कल सोफे पर लिटाकर रचना की चूत चूसी थी...आज भी वो अंजलि की चूत का जूस वैसे ही पीना चाहता था...पर उससे पहले अपना लंड भी तो चुसवाना था उसे...अजय ने तो ये भी सोच लिया था की आज वो उसकी गांड भी मारेगा
केबिन का लॉक खोलकर अजय ने ए सी चला दिया और कल की तरह वो एक बार फिर से सोफे पर जाकर राजा बनकर बैठ गया...और अपनी उंगली के इशारे से उसने अंजलि को पास बुलाया और अपना लंड उसके हाथ में देकर उसे अपने पैरों के पास बिठा लिया...बाकी तो अंजलि को कुछ और समझाने की ज़रूरत ही नही थी...वो उसके मोटे लंड को हाथ में लेकर मुस्कुराइ और उसे सहलाते हुए बोली : "तुम एक नंबर के ठरकी हो.... बिना आराम के दूसरी शिफ्ट के लिए तैयार हो गये.. तुम्हारी बीबी की तो शामत आ जाती होगी...''
अजय : "वो तो है.... मेरे स्टेमीना को झेलना हर किसी के बस की बात नही है....''
ये बोलकर वो उसे उकसा रहा था...और हुआ भी ऐसा ही....वो सिसकारी मारकर उसके लण्ड को मसलती हुई, उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ती हुई बोली : "उम्म्म्मममममम...... आज तुम जान जाओगे की तुम्हारी टक्कर का भी कोई है इस दुनिया में .... मुझे रंडी बोला है ना.... अपनी रखेल कहा था ना अभी तुमने.... अब वैसी ही बनकर रहूंगी.... हमेशा. .... तेरे इस लंड की गुलाम ... जब चाहे बुला लेना.... जहाँ चाहे चोद लेना ... मेरे पति के सामने भी मेरी चूत मरोगे ना तो भी मना नही करूँगी.... भेंन चोद ..... आज तू मेरा असली रंडीपना देखेगा....''
वो उत्तेजना के आवेश में आकर कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रही थी और अजय उसे सुनकर खुश हुए जा रहा था....
पर उसकी खुशी को लकवा मार गया जब अचानक केबिन का दरवाजा खुला और उसका बॉस अंदर आ गया.
सामने के सोफे पर अजय बड़ी ही शान से अधलेटा सा होकर अपने लंड को अंजलि से चुसवा रहा था ..अंजलि की पीठ दरवाजे की तरफ थी,इसलिए वो नही देख पाई की कोई अंदर आया है...
पर अजय की तो सिट्टी - पिटी ही गुम हो गयी...जिस बात का उसे डर था,वही हुआ,उसके बॉस के पास ऑफीस के मैन गेट की दूसरी चाभी भी थी,और वो शायद अजय का काम देखने के लिए ऑफिस आ गया था...उसे पुर ऑफीस में ढूँढने के बाद वो जब अपने केबिन में घुसा तो अंदर का सीन देखकर उसके भी होश उड़ गये...उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की अजय काम के बहाने उसके ऑफीस को,उसके केबिन को चुदाईघर बना देगा ...
एक बात तो पक्की थी की उसकी नौकरी तो गयी...
रही सही कसर अंजलि ने पूरी कर दी.
अंजलि ने जब देखा की अजय को एकदम से साँप सूंघ गया है और वो डरा हुआ सा दरवाजे की तरफ देख रहा है तो वो उसके लंड को छोड़कर पीछे की तरफ पलटी, और अपनी उसी उत्तेजना के आवेश में भरकर ज़ोर से बोली
"कौन है ये भोंसड़ी का ...''
उसका बॉस कभी अजय को और कभी अंजलि को हैरानी और गुस्से से भरी नज़रों से देख रहा था.
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