Tuesday, March 29, 2016

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..49

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..49


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अब आगे
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रचना ने अपना हाथ एक बार फिर से उसके गर्म लंड पर रखा और अपनी कमर आगे करके अपनी नंगी चूत पर उस लंड को लगा दिया...और ज़ोर से अजय से लिपट गयी.



''आआआआआआआआआहह..... उम्म्म्ममममममममममममममम....... वॉट अ फ़ीलिंग..........''

वो अजय के लंड को अपनी चूत के उपर दबाकर उसकी गर्माहट और कसावट का मज़ा ले रही थी..

अजय ने भी बड़ी मुश्किल से अपने उपर संयम रखकर अपने आप को रोके रखा..

रचना : "बॉस.....आप अपनी चेयर पर बेठिये ना...पहले की तरह...आई विल हेंडल दिस...''

और एक बार फिर से उसने अजय के लंड को पकड़कर दबा दिया..

अजय उसे लेकर अपनी सीट की तरफ चल दिया...और फिर अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया..

और वो रचना से बोला : "यहाँ नही....बाहर चलते है...बॉस के केबिन में .''

अजय के बॉस का केबिन ,यानी वाइस प्रेसीडेंट का कमरा...जो ऑफीस के बिल्कुल लास्ट में था..

और ये अजय ने इसलिए कहा था क्योंकि उस केबिन के कोने में एक आलीशान सोफा पड़ा था,जो इतना गद्देदार था की उसपर बैठने के बाद पूरा शरीर अंदर की तरफ धँस जाता था,अजय का बॉस उस सोफे को अक्सर लंबी मीटिंग के दौरान इस्तेमाल करता था.

रचना ने भी कुछ नहीं कहा और वो और अजय केबिन से बाहर निकल कर बॉस के केबिन की तरफ चल दिए..

जाते हुए दोनों अपने कपड़े उठा लिए क्योंकि एमर्जेन्सी तो कहीं भी आ सकती थी..दिल के एक कोने अजय को शायद थोड़ा डर अभी भी था की कही बॉस ऑफीस ना आ जाए..और यही डर उसके और रचना के दिल में इस वक़्त रोमांच बनकर दौड़ रहा था.

ये वही ऑफीस था जहाँ रोज 70 के आस-पास लोग हुआ करते है, सभी अपने वर्क स्टेशन और केबिन्स में बैठकर काम किया करते है..और आज उन वीरान पड़ी सीटों के आगे से निकलते हुए अजय और रचना, बिना कपड़ो के, किसी राजा-रानी की तरह टहलते हुए बॉस के केबिन की तरफ़ जा रहे थे..

अजय ने उसे आगे चलने को कहा ताकि वो उसकी थिरकती हुई गांड देख सके..

और रचना ने भी मना नही किया, वो अपनी मोटी गांड मटकाती हुई आगे चलने लगी..साली,अभी थोड़ी देर पहले अंधेरे में शरमा रही थी और अब नंगी होकर ऑफीस में चल रही है ..क्योंकि वो भी जानती थी की उसकी गांड कितनी मस्त है...और जब लड़कियो को पता होता है की उनकी मस्ती भरी चाल देखकर पीछे वालो का क्या हाल होता है तो वो जान बूझकर और मटक कर चलती है, ताकि उनकी गांड की हर थिरकन से पीछे वाले का हाल बुरा हो जाए..

और हाल तो सच में अजय का बुरा हो गया...रोजाना ऑफीस में उसकी मस्त गांड को देखकर वो आँहे भरा करता था और वही रचना इस वक़्त उसके आगे नंगी होकर चल रही थी...अजय इससे ज़्यादा कुछ और माँग ही नही सकता था उपर वाले से..



अजय के बॉस ने जो चाबियाँ भेजी थी,उसमे उसके केबिन की भी चाबी थी..अजय वो केबिन खोलकर अंदर आ गया और अंदर से दरवाजा लॉक कर दिया..


केबिन में हल्की रोशनी आ रही थी...अजय ने एसी ऑन कर दिया और जाकर सोफे पर बैठ गया..

उसका नंगा शरीर उस कॉटन की गद्देदार सीटो के अंदर पूरा धँस गया...अजय ने रचना को अपने पास बुलाया और उसे अपने उपर खींचकर सोफे पर लेट गया..

दोनो के शरीर गुत्थम - गुत्था हो रहे थे...दोनो एक दूसरे को मसल रहे थे...चूम रहे थे...चाट रहे थे...



अजय को उस गद्देदार सीट पर लेटकर बहुत मज़ा आ रहा था...उसके तो नीचे भी गद्दा था और उपर भी.

और रचना के बूब्स चूस्कर उसे सच में बहुत मज़ा आया आज...वो तो उन्हे छोड़ ही नही रहा था...

रचना ने बड़ी मुश्किल से अपने स्तन उसके चुंगल से चुढवाए और मछली की तरह फिसलकर नीचे की तरफ चल दी...

और अपना मुँह उसने सीधा अजय के लंड के उपर लाकर रोक दिया...और फिर नागिन की तरह जीभ निकाल कर उसने 2-3 बार उसे छुआ..



और फिर किसी अजगर की भाँति उसके पूरे लंड को एक ही बार में निगल गयी..

अजय तो कराह उठा उसके इस प्रहार से...उसका पीठ से ऊपर का हिस्सा हवा में उठ गया

''आआआआआआआआआआहह रचना....................... उम्म्म्ममममममममममममम .... माय बैईबीsssss ....''

रचना के रेशमी बालों में हाथ फेरते हुए वो उसके सिर को उपर और नीचे धकेल रहा था...

वो सच में काफ़ी अच्छी सकिंग कर रही थी...पूजा से भी अच्छी .हालाँकि दोनो ही इस खेल में नयी थी पर रचना इस मामले में उससे आगे निकल चुकी थी.


उसे तो बताने की भी ज़रूरत नही पड़ी की मर्द की गोटियां चूसने से वो ज़्यादा उत्तेजित होता है, वो खुद ही अपनी जीभ से उसकी बॉल्स चाटने लगी और फिर उन्हे एक-2 करके मुँह में लेकर चूसा भी उसने..



और इसी तरह कभी उसके लंड को और कभी उसकी बॉल्स को चूस्टे-2 वो अजय को ऑर्गॅज़म के करीब ले गयी..

और जब अजय को लगा की वो किसी भी पल झड़ सकता है तो वो सोफे से उठकर खड़ा हो गया और रचना को सोफे पर पेट के बल उल्टा लिटा दिया

अब वो खड़े होकर उल्टी पड़ी रचना का मुँह जोरों से चोद रहा था..


और जल्द ही उसने चिल्लाना शुरू कर दिया..

''आआआआआआआआआअहह रचना..................... माय डार्लिंग ............... आई एम कमिंगsssssss ''

और रचना ने भी अपने बॉस की आवाज़ सुनकर अपना मुँह वहां से नही हटाया...बल्कि उसके लंड को अपने पिंक लिप्स पर रगड़कर उसे अपने मुँह में ही झड़ने का न्योता दे डाला..


अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए, अपने लंड से गरमा गर्म सफेद मलाई निकालनी शुरू कर दिया...सीधा उसके नर्म होंठों पर...



जिसे उसने अपनी जीभ की मदद से अपने मुँह में ले लिया...थोड़ा माल बाहर गिरा और थोड़ा उसके चेहरे पर...बाकी सब उसके मुँह के अंदर गया.



रचना ने बड़े ही सेक्सी अंदाज में ,मुस्कुराते हुए अपना माल से भरा मुँह खोलकर अजय को दिखाया...और फिर एक ही झटके में वो सारा का सारा माल गटक गयी.



ये सीन हर मर्द को पसंद आता है जब उसका माल उसकी पार्ट्नर पूरा पी जाए...

अजय भी इस सीन को देखकर उत्तेजित हो उठा और उसने अपना मुरझा रहा गीला लंड पकड़कर उसके चेहरे पर रगड़ दिया..

रचना ने भी अपने चेहरे पर पड़ी माल की बूँदों को अजय के लंड पर चुपड़ डाला...वो अपना चेहरा अजय के लंड से ऐसे रगड़ रही थी मानो किसी टावल से सॉफ कर रही हो..



और अच्छी तरह से अपने चेहरे का माल उसके लंड पर लगाने के बाद एक बार फिर से उसे चूस गयी..अजय को अपनी सेक्रेटरी का आज का ये काम बहुत पसंद आया था.

अब रचना का नंबर था.

आज मौका भी था, सरूर भी था..और रचना जैसा माल भी था.

अजय आज उसे वो मज़ा देना चाहता था की वो जिंदगी भर ना भूले..


अजय ने रचना को उस गद्देदार सोफे पर किसी रानी की तरह लिटा दिया और खुद गुलाम की तरह उसके पैरों के पास आकर बैठ गया..

अब वो हल्की रोशनी में, उस जवान और नंगी हुस्ननपरी को आराम से देख पा रहा था.


 उसकी उभरी हुई छातियाँ और पतली कमर और बाद में फेली गुई गांड एक उत्कर्ष नमूना था नारी सुंदरता का..

वो उसे उपर से नीचे तक देखता रहा और फिर नीचे झुकते हुए उसने रचना की दोनो जांघे फेला कर उसकी गुलाबरस में डूबी चूत को देखा..

ऐसा लग रहा था जैसे कोई गुलाब खिलने की कोशिश कर रहा हो.

उसकी चूत की परतें एक दूसरे के उपर चड़कर अंदर के गुलाबी दाने को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी.


 पर अंदर से आ रही तरंगो की वजह से उसकी चूत के होंठ अपने आप बंद और खुल रहे थे..

अजय ने अपने होंठों को गीला किया और नीचे झुककर अपने उन गीले होंठों से एक बड़ा वाला चुंबन उसकी चूत के चेहरे पर दे दिया..

''आआआआआआआआआआअहह ......''

वो तड़प उठी.

आँखे अपने आप बंद होने लगी.

और फिर अजय ने किसी नाग की भाँति उसकी चूत को डस लिया.

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.......अजय ....... उम्म्म्मममममममममममम......''

उसके बाद तो अजय ने जैसे कोई रौद्र रूप धारण कर लिया.

वो उसकी चूत को किसी आइस्क्रीम की तरह चूसने लगा.

वो होती है ना तिल्ले वाली कुलफी, जिसे मुँह में लेकर चूसने से उसका मीठा दूध और खोया अंदर जाता है, वही एहसास अजय को हो रहा था...वो उसकी फूली हुई चूत को मुँह में लेकर उसके अंदर से निकल रहा गाढ़ा और मीठा रस निगलता जा रहा था.

वैसे एक बात तो थी..अजय की लाइफ की ये चौथी कुँवारी चूत थी, जिसे वो अपने मुँह में लेकर चूस रहा था..पहली तो उसकी बीबी प्राची की थी, जिसकी कुंवारी चूत को सुहागरात पर उसने जी भरके चूसा था..

बाद में अपनी दोनो सालियों की चूतें , यानी पूजा और रिया की, भी उसने जी भरकर चूसी थी.

और अब ये...रचना...उसकी कमसिन सेक्रेटरी..जो ऑफीस में नंगी लेटकर मज़े से अपनी चूत को चुस्वा रही थी.

कई लोगो की किस्मत में एक कुँवारी चूत को चूसना नही लिखा होता..और अजय था की इतने कम समय में 4थी चूस चुका था....पता नही और क्या-2 लिखा था उपर वाले ने अजय की किस्मत में .


 खैर, अजय के होंठ चूसते -2 जब उसके दाने तक पहुँचे तो उसपर जीभ लगते ही रचना सिहर उठी...ये पहली बार था की कोई चीज़ इतनी अंदर तक जा पहुँची थी..

आज तक उसने मास्टरबेट करते हुए भी अपनी उंगलियाँ अंदर नही डाली थी, उसे डर था की कहीं उसकी झिल्ली ना फट जाए..



और अजय की जीभ थी की उसकी चूत की परतें साइड में करती हुई, उस दाने तक जा पहुँची थी,जिसके बारे में रचना ने आज तक सिर्फ़ सुना ही था...कभी उसे छूकर नही देखा था..

अजय समझ गया की ये उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट है..क्योंकि जैसे -2 अजय उसपर जीभ फेर रहा था,रचना का शरीर काँप रहा था...ऐसा लग रहा था जैसे उसका नंगा शरीर सर्द रात में बाहर रखा हुआ है...अजय को उसकी इस हालत पर तरस भी आ रहा था और उसके शरीर से निकल रही तरंगो को महसूस करके मज़ा भी....

और इस मज़े को बड़ाने के लिए उसे अच्छी तरह से पता था की क्या करना है...अजय ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को दोनो हाथों से फेलाकर अपनी जीभ कड़ी करके अंदर धकेलनी शुरू कर दी...अजय अच्छी तरह से जानता था की कुँवारी लड़की के लिए तो उसकी जीभ ही किसी लंड के समान है..रचना भी उसके जीभ रूपी लंड से पिलवाकर उस गद्देदार सोफे पर ऐसे मचल रही थी जैसे उसके अंदर कोई आत्मा घुस गयी हो...उसका अपने शरीर पर कोई कंट्रोल ही नही रह गया था, और उस उन्माद में आकर वो ऐसे चीखे मार रही थी जैसे सच मे उसकी चुदाई हो रही हो..

''आआआआआआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओफफफ्फ़ अजय ................ स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर...... उम्म्म्मममममममममममममममममम ......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स मररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईई...... क्य्ाआआआआआ कर ररहेईईईईईईय हूओओओओओओ..... अहह .... मजाआाआआआआ आआआआआआ रहाआआआआआआआआ है...... आआआआआआअहह ओह सरsssss सस्स्स ... यूउुुुुउउ आआर सस्स्सूऊऊओ गूऊऊऊऊड''

वो तो अक्सर अपनी सेक्रेटरी को कॉंप्लिमेंट देता रहता था...पर आज उसी सेक्रेटरी से मिल रहे इन कॉंप्लिमेंट्स को सुनकर वो दुगने जोश से हर वो काम कर रहा था जिसमें रचना को मज़ा आ रहा था..

और कुछ देर तक उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद जब वो पूरी गीली हो गयी तो अंदर से आ रही सुगंध को सूँघकर अजय पर एक सुरूर सा चड गया...और उसी सुरूर मे बहकर उसने अपने दाँये हाथ की बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाल दी..

वो तो ऐसे उछली जैसे उसे बिच्छू ने डॅंक मार दिया हो...शायद अजय की उंगली उसकी झिल्ली से जा टकराई थी, तभी उसे तेज दर्द का एहसास हुआ था...अजय सोचने लगा की जब उसकी इस संकरी सी चूत में लंड जाएगा तो उसका क्या हाल होगा...अच्छा हुआ आज वो उसकी चुदाई नही कर रहा है, वरना बॉस के कमरे को तहस नहस कर देना था उसने.

रचना के कहने पर अजय ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और चूत को होंठों से चूस्कर ही उसकी और अपनी प्यास बुझाने लगा..


 अजय का एक हाथ अपने लंड पर भी था...वो दोबारा खड़ा होने लगा था...



और जल्द ही रचना अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुँच गयी...उस ऑर्गॅज़म के जिसे उसके बॉस ने अपने होंठों से चूस-चूस्कर बुलाया था.

और जब वो आया तो अजय को ऐसा लगा जैसे 7.5 रेक्टेयर का भूकंप आया हो...पूरा सोफा उसने हिला डाला, और ज़ोर-2 से तड़पति हुई झड़ने लगी..

कहते है, जब उत्तेजित मर्द झाड़ता है तो उसके लंड की पिचकारी, और औरत झड़ती है तो उसकी चूत की सिसकारी, बहुत दूर तक जाती है...

ये तो शुक्र था की वो ऑफिस था, किसी का घर होता तो ये चीख पड़ोसियों तक जरूर जाती

अजय को सॉफ महसूस हुआ की रचना की चूत के अंदर से, एक के बाद, एक सिसकते हुए से, कंपन बाहर निकल रहे है..जिनके साथ उसकी चूत का रस भी निकला, अजय ने होंठ लगा कर एक-2 बूँद पी डाली...ऐसे प्रोटिन शेक को वो वेस्ट नही करना चाहता था.

और जब तूफान थमा तो रचना ने अजय को अपने उपर खींच लिया और उसके गीले होंठों पर लगा अपनी ही चूत का रस,गहरी स्मूच के साथ,पी गयी.

कुछ देर तक उस सोफे पर पड़े रहने के बाद अजय ने उसे अपने केबिन में चलने की सलाह दी..और एक बॉस की तरह,उसे कमरे की हालत सही करके वापिस आने का कहकर,खुद नंगा अपने केबिन की तरफ चल दिया.

रचना ने वी पी के कमरे को ठीकठाक करके, वहां चाबी लगाई और वो खुद भी नंगी ही हिरणी की तरह छलांगे मारती हुई, अपने बॉस के पास चल दी.



अब दोनो को भूख लगी थी..अजय नंगा ही जाकर चेयर पर बैठ चुका था...और रचना के आने के बाद उसने पिज़्ज़ा का बॉक्स खोलकर उसे वहीं टेबल पर बिठा लिया..

रचना भी अपनी फेली हुई गांड लेकर उसके काँच के टेबल पर चड गयी..ठंडा ग्लास उसके चूतड़ों को काफ़ी ठंडक पहुँचा रहा था...वो महसूस कर पा रही थी की उसकी चूत से अब भी बूँद-2 करके रस बाहर निकल रहा है,जो उसके बॉस की टेबल पर गिर रहा होगा...

अजय का लंड तो उसके मुम्मे देखकर बैठने का नाम ही नही ले रहा था.

अजय ने उसे टेबल पर लेट जाने को कहा...रचना ने भी हमेशा की तरह, अपने बॉस की बात को बिना सोचे समझे मान लिया और अजय की लंबी टेबल पर लेट गयी..


 अजय ने पिज़्ज़ा के पीस निकाल कर उसके नंगे जिस्म पर बिछा दिए...पहला टुकड़ा उसकी चूत के उपर..



ये सब अजय ने शादी से पहले एक बी एफ मूवी में देखा था, जिसमे एक अँग्रेजन अपने बाय्फ्रेंड को ऐसे ही खुश करती है...अपनी बॉडी पर पिज़्ज़ा के पीस सजाकर, और फिर पिज़्ज़ा के डिब्बे के नीचे छेद करके उसके लंड को आर-पार निकालकर उसे चूसती भी है...



बस तभी से वो सीन उसके दिमाग़ में बैठ गया था, वैसे तो उसने कभी सोचा नही था की वो ऐसा कुछ ट्राइ करेगा पर आज सब समान उसके पास था...नंगी लड़की और गर्म पिज़्ज़ा..

बस अजय को वही बात याद आ गयी और उसने टेबल पर रचना को किसी थाली की तरह सजाकर उसके उपर पिज़्ज़ा लगाकर खाने की सोची..

अजय ने उसकी चूत की कटोरी के उपर पड़ा पिज़्ज़ा उठाया और उसे खाने लगा...उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके उपर कोई ख़ास ओरिगेमी मसाला लगा दिया गया हो...शायद चूत की भीनी खुश्बू उसके अंदर समा गयी थी.

फिर उसने दो टुकड़े उठाकर उसके मोटे मुम्मो पर रख दिए...पहाड़ी उँची थी,इसलिए उसपर पिज़्ज़ा के टुकड़े टिक ही नही पा रहे थे...मोटे निप्पल उन्हे नीचे की तरफ फिसलने को मजबूर कर रहे थे...पर अजय ने जैसे-तैसे उन्हे वहां जमा ही दिया...



फिर वो उसकी चूत के आस पास के हिस्से से,पीज़्ज़े की गिरी हुई चीज़ को अपनी जीभ में लपेटता हुआ,धीरे-2 ऊपर की तरफ चल दिया..जैसे-2 वो उपर जा रहा था,रचना की साँसे तेज हो रही थी...और पिज़्ज़ा अपनी जगह से हिल सा रहा था...पर रचना ने उसे तब तक गिरने नही दिया, जब तक उसका बॉस उन पहाड़ियों पर चड नहीं गया...और उपर चड़ते ही वो दाँयी तरफ के टुकड़े पर,बिना हाथ लगाए टूट पड़ा..रचना की पूरी छाती पर पिज़्ज़ा की सॉस और चीज़ फेल गयी...दूसरे टुकड़े को उसने अपने हाथ से पकड़ लिया ताकि वो नीचे ना गिर जाए...अजय ने अपने मुँह में आए हर टुकड़े को तो ऐसे खाया जैसे वो बरसों से भूखा हो...वो अच्छी तरह से पिज़्ज़ा की सॉस भी चाट रहा था..उसकी ब्रेड को टुकड़े करके खा रहा था..और साथ ही साथ नीचे की तरफ फैल रही चीज़ों को अपनी जीभ और होंठों से चाट भी रहा था.

आख़िरकार उसका पिज़्ज़ा ख़त्म हो गया...लेकिन उसकी उत्तेजना ख़त्म नही हुई...वो उसके बूब्स चूस्कर और बड़ चुकी थी.








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