Saturday, March 5, 2016

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--40

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--40



मदनलाल - - - ये तो मुझे मालूम ही नहीं था ?
शांति - - - ऐसा होता है ! मेरे गाँव मे कई लड़कियाँ थी जो अपने दोस्तों को और अपने जीजू को अकेले मौका मिलते ही दूध दबाने और दूध पीने तक की छूट तो दे देती थी मगर कभी उन्हे पेटिकोट का नाडा खोलने नहीं देती थी ! बस मुझे इसी बात की चिंता हो रही थी क्योंकि हमारा काम इतने बस से तो हो नही सकता था ! भला ऊपर ऊपर से कभी बच्चा हुआ है ? लेकिन मेरे पास सिवा इंतज़ार करने के और कोई चारा भी नहीं था ! बस एक ईश्वर पर भरोसा और आपके कौशल पर ही मुझे विश्वास था क़ि आप किसी ना किसी तरह उससे अपनी बात मनवा ही लेंगे !
मदनलाल - - - और बताओ ना क्या क्या जासूसी की थी तुमने मेरी ! अब तक मदनलाल पूरी तरह निडर हो चुका था और उसने शांति की बड़ी बड़ी थुल्मुल गाँड को सहलाना चालू कर दिया ! शांति भी अब उसकी हरकतों के मज़े लेने लगी थी इसलिए अपने बदन को मसलवाती और चुची दबवाती वो बोली
शांति - -- नहीं ज़्यादा जासूसी नहीं करती थी बस हफ़्ता दस दिन मे एक बार देखने की कोशिश करती थी क़ि बात कहाँ तक आगे बढ़ रही है ! एक दिन ऐसे ही खिड़की से झाँकी तो देखा की बहू आपके भारी भरकम बदन के नीचे दबी पड़ी है उसकी छातियाँ बिल्कुल खुली पड़ी हैं और आप मज़े से उसके मम्मे पी रहे हैं !
 

आप लोगों को देख मैने एक ठंडी साँस ली तुरंत निकल गई ! मैने सोचा था क़ि आप बहू के ऊपर हैं ऐसे मे तो आपका मूसल सीधा बहू के मुहाने को दबा रहा होगा शायद आज बहू अपने को रोक नहीं पाएगी और आज ही काम बन जाएगा मगर दूसरी सुबह देखा तो पता चला काम बना ही नहीं !
मदनलाल - - - लेकिन सुबह तुम्हे कैसे पता चला क़ि काम नहीं बना है ?
शांति - - -- मैं आपकी बीवी हूँ और तीस साल से आपको सह रही हूँ मुझे अच्छी तरह से मालूम है क़ि जो भी स्त्री पहली बार आपका सामना करेगी वो दूसरे दिन ढंग से नहीं चल पाएगी ज़रूर उसकी चाल मे लंगड़ाहट होगी ! इसलिए मैं रोज सुबह उठकर पहले बहू की चाल देखती मगर मगर वो तो रोज ही हिरनी जैसी उछल कर निकलती जिसे देख मेरा कलेजा बैठ जाता !
फिर ऐसे ही दस एक दिन बाद फिर मैं अंदर झाँकी तो जो देखा उससे मुझे बड़ा संतोष मिला !
मदनलाल - - - क्यों ऐसा क्या देख लिया था उस दिन तुमने ? इस बार मदनलाल ने अपनी हथेली शांति की डबल रोटी के ऊपर रख दी और उससे से खेलने लगा ! शांति सिहर उठी मगर फिर बोलना चालू रखा !
शांति - - - उस दिन मैने जो देखा वो आज भी मेरी आँखों के सामने घूमता रहता है ! आप बड़े ठाट से पलंग मे लेटे हुए थे जबकि बहू आपके बाजू मे बैठ कर बड़े मज़े से आपका मुँह मे लेकर चूस रही थी ! और जानते हैं मुझे सबसे ज़्यादा अचरज क्या देख कर हुआ !
मदनलाल - - - ऐसा क्या देख लिया था शांति तुमने कहते हुआ मदनलाल ने बीच वाली उंगली शांति के अंदर कर दी ! शांति का बदन उत्तेजना से सिहर उठा मगर संभलते हुए उसने कहा
शांति - - - मैने देखा की बहू ना केवल आपके उस प्यारे से बदमाश को चूस रही है बल्कि उसने बड़ी नज़ाकत से अपना मंगलसूत्र आपके लंड मे अच्छी तरह लपेट रखा है मानो शिवलिंग को हार पहना के रखा हो !
 

मैने उसकी आँखों मे आपके लंड के प्रति भूख देखी थी, प्रशंसा के भाव देखे थे साथ ही साथ उसके आकर प्रकार को देखकर जो आश्चर्य होता है वो भी बहू की आँखों मे देखा था ! उस दिन मुझे पूरा विश्वास था क़ि आज रात बहू चुद के ही रहेगी ! लेकिन उस रात भी वो नहीं चुदी और दूसरे दिन कूदती फाँदती अपने कमरे से बाहर निकली !
मदनलाल - - - क्यों उस रात तुम्हे क्यों ऐसा लगा क़ि आज रात तुम्हारी बहू चुद के ही रहेगी ?
शांति - - - मैं ऐसा इसलिए सोच रही थी की घरेलू औरतें मर्द से चुद आसानी से जाती हैं मगर जल्दी से उनका चूसना पसंद नहीं करती ! लंड चुसवाने के लिए बेचारे पतियों को बहुत मनौती करनी पड़ती है ! आपको याद हैं ना मैने भी शादी के करीब चार महीने बाद पहली बार आपके उसको मुँह मे लिया था !
मदनलाल - - - हाँ और ये भी याद है की पूरे चार महीने मैं रोज तुमसे विनती करता था !
शांति - - - वो तो मैं इसलिए मान गई थी क़ि मुझसे आपकी रोनी सूरत देखी नहीं जाती थी इसलिए मैने सोचा क़ि आपको इतना तड़पाना भी अच्छा नहीं है ! जब मैने देखा क़ि बहू तो बड़े मज़े से प्यासी नज़रों से चूस रही है तो मुझे लगा क़ि आज रात तो बहू शायद ही मना करे ! लजाती सकुचाती लड़की टाँग ज़्यादा आसानी से खोल देती हैं बजाय की मुँह खोलने के ! फिर वैसे भी मुझे आपकी आदत भी मालूम थी क़ि चोदने से पहले आप थोड़ा चुसवाते हैं तो मैने सोचा था क़ि थोड़ा चुसवा के फिर आप चढ़ाई कर दोगे यह सोच कर मैं प्रसन्न मन से चल दी ! लेकिन सुबह देखा तो बहू पूरे घर मे कुलाँचें भर रही थी जिससे मैं बहुत निराश हो गई ! अच्छा सुनील के पापा एक बात बताइए क़ि जब इतना सब हो रहा था वो आपका औजार बड़े प्यार से चूसती भी थी तो फिर आपको उसे अपने नीचे लाने मे इतना समय क्यों लग गया ?
मदनलाल - - - क्या बताऊं शांति ! तुम्हारी बहू बहुत ही द्रिड़ संकल्प वाली थी ! जब हम प्यार करते हुए आगे बढ़ते तो उसका पतिव्रत जाग उठता ! जब भी हमने उसके अंदर प्रवेश की इच्छा से उसके गुप्त स्थान की ओर बढ़ना शुरू करते तो वो तुरंत हमे टोक कर कहती "" नहीं बाबूजी वहाँ नहीं वो आपके बेटे की अमानत है "" तुम सोच सकती हो ऐसे मिलन के समय सुनील का नाम आते ही हम तुरंत रुक जाते हमारी इच्छा भी बिल्कुल ख़त्म हो जाती ! इसके अलावा एक कारण और भी था !
शांति - - - दूसरा कारण क्या था ?
मदनलाल - - - शांति वो हमारी बहू थी हमारी घर की कुलवधू !! हम उसके साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकते थे ! अगर वो हमारी बहू ना होकर और कोई होती तो जिस रात पहली बार उसने हमे अपने रूम मे आने की इजाज़त दी थी उसी दिन हम बिना किए नहीं आते ज़्यादा नखरे करती तो पटक के चोद देते ! लेकिन बहू होने के कारण हमने भी संकल्प कर लिया था क़ि हम करेंगे तभी जब वो दिल से इस बात के लिए तैयार हो जाएगी ! घर की और बाहर की औरत मे यही तो फ़र्क होता है हम घर की स्त्री के साथ ज़ोर नहीं कर सकते बाहर वाली होती तो और बात थी !
शांति - - - बाहर वाली से आपका क्या मतलब है बाहर वाली किसे कहते हैं ? शांति ने मदनलाल की आँखों मे झाँकते हुए पूछा ?
मदनलाल - - - बाहर वाली तो कोई भी हो सकती है जैसे काम करने वाली , पड़ोस की औरतें या फिर तुम्हारी कोई सहेली आदि !
शांति - - - ओह हो लगता है मेरी सहेलियों पर आपकी नज़र लगी हुई है ! अच्छा ये बताओ फिर आख़िर मे आप कामयाब कैसे हुए ?
मदनलाल - - - शांति तुम्हे दादी बनाने के लिए मुझे बहुत पापड़ बेलने पड़े ! वैसे तो प्यार के समय मर्द पहले स्त्री के कपड़े उतार देता है और बाद मे खुद के उतारता है पर मुझे उल्टा करना पड़ा ! जब तुम्हारी बहू बार बार एन वक्त पर मुझे रोक देती थी तो मैने सोचा की मैं अब खुद को बहू के सामने एक्सपोज़ करूँ ! हो सकता है मेरे मर्दाने अंग को देख कर वो बहक जाए और उसे पाने के लिए समर्पण कर दे ! सो मैने एक दिन अपनी लूँगी खोलकर उसके सामने अपने कोबरे का फन फैला दिया !
शांति - - - हे राम !! कितने बेशरम हो आप ? बहू के सामने लहरा दिया इस बदमाश को ! फिर क्या हुआ
मदनलाल - - - हमारे हथियार की विशालता देख कर उसकी आँखें ही चौंधिया गई ! वो एक टक आँख फाडे उसे दम साधे देखती ही रह गई !
शांति - - - बेचारी डर गई होगी इतना ख़तरनाक हथियार को देखकर ?
मदनलाल - - - हाँ डर भी गई थी मगर उसके बाद भी हम उसकी आँखों मे लालच और प्यास देख रहे थे ! काफ़ी देर तक सन्न रहने के बाद उसके मुँह से बस इतना ही निकला !
कामया - - - - बाप रे !! बाबूजी इतना बड़ा ! क्या इतना बड़ा भी होता है !
मदनलाल - - - देख लो तुम्हारे सामने ही ती है ! कोई फोटो थोड़ी ना दिखा रहे हैं ! मदनलाल ने गर्व से कहा
कामया - - - बाबूजी ये तो जितना सुना था उससे भी दुगना लग रहा है !
मदनलाल - - - कितना सुना था ?
कामया - - - जी हमारी सहेलियाँ बताती थी क़ि उनके उनका काफ़ी बड़ा है पर इतना बड़ा तो नहीं बताई !
मदनलाल - - - शांति उस दिन पहली बार उसने हमारे औजार को देखा फिर हमारे बार बार कहने और कोशिश करने पर उसने लंड को अपने हाथ मे थाम लिया !
शांति - - - फिर क्या हुआ ? हाथ मे लेकर तो वो घबडा गई होगी ?
मदनलाल - - - हमारा लंड सिर्फ़ हाथ मे थामने से ही उसकी साँसे भारी हो गई ! हमे उसकी धड़कन तक सुनाई दे रही थी ! फिर बहुत कहने पर उसने उसका सहलाना शुरू कर दिया ! हम इतने दिनो का बोझ ज़्यादा देर तक रोक नहीं पाए और उसके कोमल हथेलियों को अपने रस से भर दिए ! ज्यों ही हमारे माल को उसने देखा तो बोल पड़ी
कामया - - - हे भगवान !! बाबूजी क्या इतना सारा निकलता है ? सुनील का तो दो बूँद ही टपकता है ! वो बड़े आश्चर्य से हमारे ढेर सारे वीर्य को देख रही थी और फिर शर्मा कर बाथरूम मे सफाई के लिए चली गई !
शांति - - फिर कैसे आख़िर मे आप उसे मनाने मे सफल कैसे हुए बताइए ना ? शांति ने तपाक से पूछा !
मदनलाल - - - क्या बताऊं शांति इतना सब हाने के बाद भी जैसा तुम कह रही थी ना वैसा ही हुआ ! वो पेंटी नहीं उतारने देती थी ! अपनी गुप्त जगह को तो वो ऐसे संभाल कर रखती थी मानो कारू का खजाना हो !
शांति - - - तो क्या ! खजाना ही तो होता है ! स्त्रियों का सबसे बड़ा खजाना वही होता है तो उसकी रक्षा नहीं करेगी क्या ?अच्छा अब आगे की बात बताओ !
मदनलाल - - - फिर कुछ दिन हम केवल उससे हाथ चलवाते रहे और इसी दौरान उसे मुँह मे लेने को बोलते थे तो वो सॉफमना कर देती थी ! उस ने हमे ये भी बताया क़ि सुनील ने भी कभी मुँह मे नहीं दिया है !
शांति - - - लेकिन हमने तो खिड़की से उसे मुँह मे लिए देखा था वो कैसे हुआ ?
मदनलाल - - - हमने उसे कई तरह से समझाया ! कई ममस भी दिखाए जिसमे लड़कियाँ मुँह मे ले रही थी और उससे कहा क़ि तुम भी लो जैसे ये सब लेती हैं तो वो मना करके बोली क़ि "" ये सब गंदी औरतें हैं सब धंधे वाली हैं !! हालाकी उसने हमे बाद मे बता दिया था क़ि उसकी कई सहेलियाँ भी मुँह मे लेती हैं !
शांति - - - फिर आप ने उसे मुँह मे लेने के लिए कैसे मनाया ?
मदनलाल - - - फिर हमने उसे एक ऐसी वीडियो दिखाई क़ि बेचारी पहले तो बहुत शरमाई और फिर बहुत लजाते हुए मुँह मे ले ली !
शांति - - - ऐसी कौन सी वीडियो थी जिसे देखकर बहू शर्मा भी गई और तैयार भी हो गई ?
मदनलाल - - - तुम्हारी वीडियो ?
शांति - - - क्या ????????? मेरी वीडियो ? शांति ने हैरानी से पूछा
मदनलाल - - - हाँ तुम्हे याद है एक बार हमने जब नया मोबाइल लिया था तो हमने ऐसे ही तुम्हारी रेकॉर्डिंग की थी जब तुम हमारा चूस रही थी ! बस वही हमने बहू को दिखा दी !
शांति - - - हे भगवान !! आप कितने गंदे हो ? वो क्या सोचती होगी मेरे बारे मे क़ि मैं कितनी गंदी हूँ ?
मदनलाल - - - तुम्हारे बारे मे क्यों सोचेगी कुछ ? तुम अपने पति के साथ थी उसमे कौन सी बुराई है ! उस वीडियो के देखने के बाद धीरे धीरे उसने हमारा चूसना शुरू कर दिया ! अब चूँकि वो जवान लड़की थी और इतना बड़ा हथियार देख कर वो भी मुरीद बन गई और तसल्ली से बड़े चाव से उसे प्यार करने लगी ! लेकिन अभी भी पेंटी नहीं उतारने दे रही थी !
शांति - - - लेकिन हम ने तो आप दोनो की चुदाई से काफ़ी पहले उसे बिल्कुल नंगी देखा था खिड़की से !
मदनलाल - - - तुम ने कब नंगी देखा बहू को ? लगता है तुम रोज ही तान्क झाँक करती थी ?
शांति - - -- जी नहीं ! जिस दिन बहू आपके उसमे मंगल सूत्र लपेट कर चूस रही थी उसके करीब पंद्रा दिन बाद की बात है उस दिन हमने गोली नहीं खाई थी इसलिए नींद नहीं आ रही थी ! आप भी बहू के कमरे मे घुसे हुए थे ! मेरे कान कमरे मे ही लगे हुए थे क़ि काश बहू की कोई चीख सुनाई दे जाए क्योंकि मुझे मालूम था क़ि जब भी वो आपका किंग साइज़ लंड अंदर लेगी उसकी चीख ज़रूर निकल जाएगी ! लेकिन उस दिन भी मेरी किस्मत मे बहू की वो कराह सुनना नसीब नहीं था ! आप बहू के कमरे से निकल आए ओर आकर गहरी नींद मे सो गये ! उन दिनो जब भी आप बहू के कमरे से आते तो बहुत गहरी नींद मे सो जाते थे शांति ने मुश्काराते हुए कहा ! अब मुझे पता चला क़ि बहू आप को फारिग करके ही भेजती थी !
मदनलाल - - - अरे तुम ये बताओ क़ि उस दिन तुमने देखा क्या !
शांति - - - हाँ हाँ बता रही हूँ बड़ी जल्दी पड़ी है अपनी बहू के बारे मे सुनने की ! उस दिन आपके सोने के आधे घंटे बाद मैने बहू के कमरे मे झाँका तो देख के अवाक रह गई ! बहू लगभग नंगी पड़ी थी ! कमर के नीचे तो पूरी नंगी थी और ऊपर का टॉप चूचियों के ऊपर था ! बहू को इस हालत मे देख कर मैने समझा क़ि आज आप किला फ़तह कर के ही गये हैं क्योंकि इस के पहले मैने कभी बहू के गुप्ताँग को खुला नहीं देखा था ! सचमुच बहू का बेपर्दा हुश्न कयामत ढा रहा था मैने इतना सुंदर नारी जिस्म कभी नहीं देखा था ! उसका बदन मक्खन के समान गोरा और मार्बल के समान चिकना था ! उसके अप्रतिम सौंदर्य को देख कर एक बारगी तो मुझे भी खुमारी चढ़ने लगी !
 


मैं चकित थी क़ि बहू ने बिना चीखे चिल्लाए आपका अंदर कैसे ले लिया ! मुझे तो बिल्कुल भी आवाज़ यहाँ तक की हल्की सी कराह भी नहीं सुनाई पड़ी थी !
मैं मन ही मन बहू की हिम्मत की दाद दे रही थी क़ि फूल सी नाज़ुक छुईमुई सी कामया ने कितनी सहजता से आपको संभाल लिया तभी बहू नींद मे थोड़ा हिली और उसके दोनो जांघें थोड़ा खुल गई ! जांघों के खुलते ही मैने जो देखा उसे देख मेरी सारी खुशी काफूर हो गई ! बहू का वो अंग तो बिल्कुल अनछुआ सा लग रहा था ! किसी कुँवारी लड़की की तरह दोनो पंखुड़ियाँ आपस मे चिपकी हुई थी ! अगर आज आप ने उसकी बगिया मे प्रवेश किया होता तो ज़रूर दोनो पाट खुले हुए होते मगर वो दोनो पाट बंद थे मानो अपने अक्षत होने की गवाही दे रहे हों ! वैसी भी अगर आपने वहाँ पहुँच बना ली होती तो उस बेचारी की तो फूल कर डोनट बन चुकी होती मगर उसकी तो बिल्कुल नॉर्मल लग रही थी ! ना ही कोई खून ख़राबा का निशान था ना ही आपके विजयी होने का कोई निशान था ! मुझे मालूम था क़ि आप विजयी गाथा के रूप मे अपनी महबूबा के अंदर अपना ढेर सारा जीवन रस छोड़ देते हैं जो कई घंटे तक प्रेम गुफा से निकलता हुआ सजनी को आपके अंदर ही होने का अहसास कराता रहता है मगर बहू तो बिल्कुल सॉफ सुथरी थी कहीं से भी आपके प्रेम रस का कोई निशान नहीं मिल रहा था ! उस रात मैं फिर निराश हो गई मगर इस बात से खुश थी क़ि आज बहू ने अपनी शर्म और हया की सबसे बड़ी बाधा पार कर ली है ! आज उसने आपको अपना अनमोल खजाना दिखा दिया है तो कल को उसे आपके हवाले भी कर देगी आख़िर हर औरत को अपने खजाने के लिए एक मालिक की ज़रूरत होती है जिससे की खजाना महफूज रह सके ! लेकिन मेरे अंदर एक उम्मीद अभी भी थी इसलिए मैने सुबह भी बहू पर नज़र रखी क़ि शायद रात को कुछ होने के लक्षण दिख जाएँ ! मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ सुबह सुबह मैने देखा की वो अपने कमरे मे एरोबिक कर रही थी ! लेकिन एक बात बताइए जब रात मे आप उसे पूरी नंगी करने सफल हो गये थे तो फिर आप ने करा क्यों नहीं ? शांति ने मदनलाल से पूछा
मदनलाल - - - शांति तुम्हे क्या बताऊं ! तुम्हारी बहू को पाना हमारे लिए आसमान से चाँद तारे तोड़ लाने के बराबर ही था ! एक रात की बात है हम तो पूरे निर्वस्त्र थे और बहू बस एक पतली सी पेंटी पहनी थी ! हम उसके ऊपर थे और जी भर कर उसको प्यार कर रहे थे ! कभी उसके चेहरे को चुंबन से भर देते तो कभी उसकी चूची पर टूट पड़ते ! हमारा खड़ा लंड उसकी चूत के ठीक ऊपर पेंटी मे धँस सा रहा था ! तुम्हारी बहू भी जवानी की आग मे बुरी तरह जल चुकी थी काम के आवेग मे उसने अपनी दोनो सेक्सी टांगे मस्त होकर हम पर लपेट ली थी ! काम के चरम आवेग मे जब वो झढ़ने लगी तो धनुस के समान उठ गई जिससे हमारा टोपा उसकी बुर मे ठीक फिट हो गया ! अब दोनो के बीच सिर्फ़ एक जाली सी पेंटी बची थी ! तभी हमारे वजन और हल्का सा दबाव देने से हमारा टोपा पेंटी मे आधा इंच घुस गया ! विशाल टोपे ने उसकी नन्ही सी गुड़िया का मुँह फैला दिया था जिससे बहू अत्यंत कमोजजित हो गई वो हमारे कंधों पर काटने लगी और नीचे से कमर उठाने लगी ! हमे पूरा विश्वास हो गया था क़ि आज तो हम तुम्हारी प्यारी बहू को चोद ही देंगे मगर तभी उसका ऑर्गॅज़म ख़त्म हो गया और उसे अचानक होश आया तो उसने हमे अलग कर दिया और उठ बैठी ! हम भी बुरी तरह बैचेन हो गये थे चूत मे घुसे टोपे के बाहर आने से ऐसा लग रहा था मानो किसी ने शेर के डाड से शिकार छीन लिया हो ! काम की पूर्ति ना होने से विवेक चला जाता है और विवेक के खो देने से क्रोध आ जाता है उस दिन पहली बार हमने बहू से थोड़ी नाराज़गी मे बात की क्योंकि उसने एकदम खड़े लंड पे धोखा दे दिया था ! हमने नाराज़गी से कहा
शांति - - - क्या कहा आपने गुस्से मे बहू को ? शांति ने उत्सुकता से पूछा ?
मदनलाल - - - बहू तुम हमे प्यार नहीं करती बस हमे झूला रही हो !
कामया - - - क्यों बाबूजी ऐसा क्यों बोल रहे हो ? हमने ऐसा क्या कर दिया है ?
मदनलाल - - - जो अभी किया है वो क्या सही है ! मंझधार मे लाकर हमे रोक दिया ! क्या यही प्यार होता है ?
कामया - - - बाबूजी इस बारे मे हम आपसे पहले भी कह चुके हैं ! अगर हम आपसे प्यार नहीं करते तो क्या इस तरह आप यहाँ हो सकते थे ?
मदनलाल - - - - तो क्या हम जिंदगी भर तुम्हारे दरवाजे मे ही खड़े रहेंगे ! क्या हमे कभी अपने अंदर नहीं आने दोगी ?
कामया - - - बाबूजी हमे और वक्त दो ताकि हम अपने को समझा सकें !
मदनलाल - - - ठीक है आप जैसा चाहो करो मगर हमारी एक शर्त है ?


कामया - - - कैसी शर्त बाबूजी ?
मदनलाल - - - आज हम आपको पूरा देखना चाहते हैं ! अगर तुम्हे हमसे सचमुच प्यार है तो तुम मना नहीं करोगी ?
कामया - -- - आप कैसा देखना चाहते हैं बाबूजी ? आप तो हमे देख ही रहे हैं ?
मदनलाल - - - - हम दोनो के बीच जो ये पराएपन की दीवार है आज हम इसे भी गिरा देना चाहते हैं ! मदनलाल ने उसकी पेंटी की एलएस्टिक मे अपनी उंगली मे फन्साते हुए कहा
कामया - - - बाबूजी क्या ये ज़रूरी है ? क्या आप रुक नहीं सकते ? कामया ने शरमाते हुए कहा
मदनलाल - - -- तुम जब तक कहोगी हम तब तक रुकने के लिए तैयार हैं पूरी जिंदगी भी रुक सकते हैं ! मगर सिर्फ़ आप को पूरा पाने के लिए रुकेंगे किंतु आपको पूरा देखने से रुकने के लिए अब हम बिल्कुल तैयार नहीं हैं ! हम जा रहे हैं जब आप तैयार हो जाओ तो हमे कह देना ! और ऐसा कहकर हम उसके रूम से निकल आए !
शांति - - - फिर क्या हुआ ? क्या वो आपकी बात मान गई ?
मदनलाल ने देखा की शांति अब अच्छे मूड मे है तो सबसे पहले तो उसने अपना हथियार उसके हाथ मे पकड़ा दिया और फिर बोलना चालू रखा
मदनलाल - - - उसके बाद हमने रात को बहू के रूम मे जाना छोड़ दिया ! ऐसा लगभग हफ्ते भर चला ! एक रात हम छत मे टहल रहे थे तो बहू का फ़ोन आ गया ?
शांति - - - क्या कहा बहू ने फ़ोन पर ! बुला रही थी क्या आपको ? अब शांति उसके लंड को स्ट्रोक कर रही थी जिससे वो और विकराल होता जा रहा था !
मदनलाल - - - हेलो हाँ बोलो बहू ! हमने जवाब दिया
कामया - - - जी बाबूजी क्यों इतना सता रहे हो हमे ?
मदनलाल - -- सता हम रहे हैं क़ि तुम सता रही हो हमे ?
कामया - - - आप ही ने तो आना बंद कर दिया है ?
मदनलाल - - - आकर क्या करेंगे जब तुम द्वार ही नहीं खोलती हो ?
कामया - - - आपको मालूम है क़ि हम आपके बिना अब नहीं रह सकते इसलिए हमे तडपा रहे हो ना ?
मदनलाल - - - आप भी जानती हो आपके बिना हम भी कितना तड़प रहे हैं
कामया - - - तो फिर आते क्यों नहीं ? क्यों तड़पा रहे हो ?
मदनलाल -- - आएँगे तो तभी जब आप दरवाजा खोलने के लिए तैयार हो जाओगे !
कामया - - - आ जाइए खोल लीजिए द्वार ! आपको मालूम है ना क़ि आप हमारी कमज़ोरी बन गये हो इसीलिए तो सताते हो
मदनलाल - - -- बहू हम भी आपके बिना नहीं रह सकते मगर क्या करें अब आपको पूरा देखे बिना रहा नहीं जाता ?
कामया - - -- आ जाइए देख लीजिए पूरा मगर अभी सिर्फ़ देखना कुछ करना नहीं वारना हम आपसे नाराज़ हो जाएँगे
उसके बाद हम रूम मे गये तो पहली बार हमने बहू की पेंटी उतारी ! सच शांति तुम्हारी बहू सचमुच सुंदरता की मिशाल है ! जैसे जैसे हम इलेस्टिक खींच रहे थे वैसे वैसे उसकी गुलाब सी बुर् बाहर आती दिखाई दे रही थी ! सच तो ये है क़ि गुलाब भी उसकी बुर् के सामने कुछ नहीं था ! हम मंत्रमुग्ध से उसके खजाने को देख रहे थे ! हम तो साँस लेना ही भूल गये थे उस नज़ारे को देख कर ! फिर उस दिन से तुम्हारी बहू हमारे साथ नंगी रहने लगी ! शांति तुम्हारी प्यारी बहू अंदर से अप्सरा है अप्सरा !
शांति - - - क्या तुम्हारी बहू तुम्हारी बहू लगा रखा है ! असल मे तो वो आपकी है आप ही तो उसे अपनी बना लिए हो कोई हम कुछ किए हैं क्या ? अच्छा ये बताओ फिर आख़िरी मे वो कब मानी आपके लिए अपना दरवाजा खोलने के लिए
मदनलाल - - - उसके बाद भी काम इतने आसानी से नहीं हुआ शांति ! जब बहू हमारे सामने निर्वस्त्र रहने लगी तो हम उसकी मुनिया से खूब खेलते ! कभी उसे हाथ से सहलाते तो कभी मसल देते और फिर एक दिन मौका देख हमने उसे मुँह मे भर लिया !
शांति - - - हाय दैया ? क्या मुँह मे भर लिया ? रोकी नहीं वो ?
मदनलाल - - - रोक तो रही थी कह रही थी क़ि "" प्लीज़ बाबूजी वहाँ मुँह मत लगाइए गंदी जगह है "" लेकिन हम माने नहीं और जी भर के चाटे वहाँ पे !
शांति - - - हाँ हाँ ! आप क्यों मानोगे ? आपको वो जगह गंदी नहीं बल्कि सबसे अच्छी जो लगती है !
मदनलाल - - - उसके बाद से हम दोनो एक दूसरे का रस पीने लगे ! हम उसका रस पीते और वो हमारा रस पीती !
शांति - - - तभी मैं सोचती थी बहू के रूप मे दिन बा दिन निखार कैसे आ रहा है ? ऐसा निखार तो केवल तभी आता है जब वो अपनी शादी शुदा लाइफ से बहुत खुश हो ? मैं सोचती थी जब बहू आपको करने नहीं दे रही है तो उसका रूप इतना खिलता कैसे जा रहा है ? अब पता चला क़ि आप उसे टॉनिक पिला रहे थे ! बहुत बदमाश हो आप एक नंबर के गंदे ! और क्या करते थे बेचारी के साथ ?
मदनलाल - - - एक बात तो हमने भी तय कर ली थी क़ि करेंगे तो तभी जब बहू खुद अपने से कहेगी की बाबूजी कर लो ?
मगर तुम्हारी बहू कभी कहती ही नहीं थी ! हमने भी अपनी कोशिश जारी रखी ! अब हम अपना टोपा उसकी पूरी चूत मे फिराते जिससे उसके तन बदन मे आग लग जाती ! जब हमारा टोपा उसकी दरार को उपर से नीचे तक रगड़ता तो बेचारी का शरीर कमान के समान उठ जाता ! वो छटपटाने लग जाती मगर फिर भी मुँह से बोलती नहीं की बाबूजी आ जाओ अंदर ! ऐसा कहते कहते मदनलाल मदनलाल ने शांति की दोनो टाँगों के बीच अपने को सेट कर लिया और अब उसका टोपा शांति के दरवाजे पर दस्तक देने लगा ? गरम गरम टोपे के अहसास ने शांति की सारी शांति छीन ली वो कसमसाते हुए बोली
शांति - - - अच्छा फिर क्या हुआ ? कैसे आप बहू के भीतर गये ?
मदनलाल - - - बताते हैं पहले हमे भीतर तो जाने दो ! ऐसा कहकर मदनलाल ने लंड अंदर डालने की कोशिश की तो शांति पीछे हो गई और बोली
शांति - - -पहले स्टोरी बताओ तब अंदर आना !
मदनलाल - - अरे अंदर तो आने दो फिर कहानी बता देंगे अंदर ही अंदर से ?
शांति - - - नहीं बाहर रहकर ही बताओ
मदनलाल - - - नहीं पहले अंदर तो आने दो ? दरवाजे मे खड़े करके ही सब पूछोगी ? मेहमान को अंदर तो आने दो और मदनलाल ने उसे अपनी ओर खींचना चाहा तो शांति छिटक कर बेड से उतर गई और बोली
शांति - - - नहीं ! एक तो आपने हमे नहाने के बाद गंदा कर दिया अब हमे नहाने जाना है ? रखे रहो अपनी स्टोरी अपने पास ! ऐसा कहकर वो मदनलाल को जीभ दिखाकर भाग गई ! मदनलाल उसकी मोटी गांद की थिरकन देखकर बावला सा हो गया ! शांति बाथरूम मे तो आ गई मगर उसकी आँखों के सामने मदनलाल का लंबा तगड़ा लंड ही घूम रहा था वो सोचने लगी क़ि ग़लती कर दी कर लेने देना था उन्हे ! हम भी मज़ा ले लेते ! अचानक उसने सोचा दरवाजा खुला ही रख देते हैं वो भी रुकने वाले नहीं हैं ज़रूर यहाँ आएँगे ?
इधर मदनलाल भी अपने खड़े लंड को मुठियाता रहा फिर उठ कर गुसलखाने की ओर गया ! देखा तो दरवाजा लगा हुआ नहीं था सिर्फ़ भिड़ा हुआ था वो समझ गया क़ि शांति भी शांत नहीं है वो सीधा पहुँचा और अंदर दाखिल हो गया ! उसे देखते ही शांति शर्मा गई ! दोनो अंदर बिल्कुल नंगे थे ! मदनलाल ने शांति का कंधा पकड़ा और उसे नीचे बैठाने लगा ?
शांति - - - क्या है ?
मदनलाल - - - तुमने कहा था ना हम चोदने के पहले चुस्वाते हैं तो चलो चूसो अब
शांति - - - क्या मतलब ? अब यहाँ करोगे क्या !
मदनलाल - - - हाँ रानी ? चल चूस अब आज यहीं करूँगा !
शांति समझ गई थी क़ि अब बचने का कोई चान्स नहीं है मदनलाल अब बौरा चुका है खुद लंड को देख कर उसकी बुर भी कुलबुला रही थी ! वो धीरे से नीचे बैठी मदनलाल की जांघों को पकड़ उसने उसके मोगाम्बो को मुँह मे ले
लिया !
 


चूसते हुए उसे याद आने लगा की इसी लंड ने उसे जिंदगी मे बेपनाह खुशियाँ दी हैं तो भला इसकी सेवा करने मे
तो हमेशा तैयार रहना चाहिए ! पिछले तीस सालों से इस मोगंबो ने उसे ढेर सारी खुशियाँ दी है और आज जब सुनील
के कारण उसका परिवार टूटने वाला था बहू घर छोड़ कर जाने वाली थी तो एक बार यही फिर इस घर का तारन हार बनकर आया ! आज शांति को मदनलाल के मूसल पर बहुत प्यार आ रहा था और वो बड़ी वाइल्ड तरीके से लंड को चूसने लगी ! उसके अंतर्मन मे कहीं ये भी था क़ि कहीं मदनलाल को ये ना लगे की मैं कामया बराबर मज़ा नहीं दे पा रही हूँ ! ये ख्याल आते ही शांति ने अपनी हर कला लंड के पर इस्तेमाल कर दिया और मदनलाल को निहाल कर दिया ! अब मदनलाल के लिए भी अपने को रोकना मुश्किल हो रहा था वैसे तो उसे चुसवाने में भी बहुत मज़ा आ रहा था किंतु अब उसे अपने लंड मे कुछ टाइट फीलिंग चाहिए थी जो केवल औरत की चूत ही दे सकती थी ! उसने शांति को उठा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टाँग हल्की सी उठाने लगा
शांति - - - खड़े खड़े करोगे ?
मदनलाल - - - हाँ
शांति - - - मैं अब मोटी हो गई हूँ ! दिक्कत होगी ! कहीं मैं गिर ना जाऊं ?
मदनलाल - - - नहीं गिरोगि ! बस एक हाथ से हमे पकड़ लेना और एक हाथ से दीवार का सहारा ले लेना ! ऐसा कहकर मदनलाल ने उसे दीवार से टिका कर अपना मुलतानी लंड उसकी बुर के मुहाने पर रखा और एक जोरदार शॉट मार दिया
शांति - - -- आई माँ ! हे राम धीरे नहीं कर सकते ! जान ही ले लेते हो !
 

मदनलाल - - - जानेमन की जान लेने मे भी अलग ही मज़ा है
शांति - - - ऐसे ही ज़ुल्म अपनी प्यारी सी बहू के साथ भी करते थे क्या ?
मदनलाल - - - नहीं वो तो अभी नयी नयी है ऐसा ज़ुल्म तो बस तुम ही सह सकती हो मेरी रानी ! और उसके बाद मदनलाल ने जबरदस्त चुदाई चालू कर दी ! बाथरूम मे वासना का तूफान आ चुका था ! वहाँ पर सिर्फ़ दो ही आवाज़ आ रही थी एक मदनलाल की साँसों की और दूसरी शांति की सिसकारियों की ! मदनलाल भी अब फूल फॉर्म मे आ चुका था उसका और कामया का स्केंडल अच्छे से निपट जाने से उसका साहस बहुत बॅड गया था और वो शांति का तिया पाँच करने लगा !
शांति - - - - आह आह ! सुनील के पापा ! बहुत मज़ा आ रहा है ! आज भी आप मे वही जवानी वाली ताक़त है ! पागल कर देते हो हमको ! उई आह ! धीरे धीरे करिए ! फाड़ दोगे क्या ?
मदनलाल - - - हाँ रानी आज तेरी फाड़ देंगे ! और तुम तो जानती हो हमे धीरे करना नहीं आता ! हमारी गाड़ी
हमेशा टॉप गियर पर ही चलती है !
शांति - - - ठीक है राजा ! चलाओ जिस गियर पर चलाना है मगर हमे मंज़िल पर पहुँचा दो बस ! जब से बहू से आपका टांका भिड़ा है आप तो हमे भूल ही गये हैं ! लेकिन अब मैं नहीं मानूँगी ! अब से हमें भी चाहिए आपका !
मदनलाल - - - रानी चिंता मत कर दोनो को खुश रखूँगा ! दोनो सास बहू खूब मज़े करना !
दोनो पति पत्नी दादा दादी बनने के पूरे उल्लास मे थे इस लिए अति कामुक ढंग से चुदाई का मज़ा लेने लगे ! और अंत मे दोनो ने अपना माल निकाल कर शांति पा ली ! दोनो ने एक दूसरे को खूब प्यार से नहलाया ! आज कई साल बाद दोनो बाथरूम मे एक साथ नहा रहे थे शायद पचीस साल बाद ! एक अलग ही रोमांस का सरूर था ! जब दोनो बेडरूम मे पहुँचे तो शांति कपड़े पहनने लगी तो मदनलाल ने उसे रोक दिया
मदनलाल - -- - ना ना !! डार्लिंग आज तुम कपड़े नहीं पहनोगी ! आज ऐसे ही रहोगी ?
शांति - - - क्या ?? आप पागल तो नहीं हो गये हो ! क्या बिना कपड़े के रहूंगी मैं घर मे ?
मदनलाल - - - तो क्या हो गया पहले भी रही हो कई बार ! दरअसल शादी के शुरुआती दिनो मे मदनलाल कई बार शांति को घर मे न्यूड रखता था ! मदनलाल के बार बार कहने पर वो भी मान जाती थी ! जवानी के दिनो की बात ही अलग थी कुछ अलग ही आलम हुआ करता था मगर ये बहुत पुरानी बात थी !
शांति - - - पागल मत बनो ! वो तीस साल पुरानी बात है तब बच्चे भी नहीं हुए थे ! समझे !
मदनलाल - - - पुरानी बात है तो क्या हुआ ? पुरानी शराब मे ज़्यादा नशा होता है ! और अभी भी तो बच्चे नहीं हैं घर मे ! आज तो मैं तुम्हे कपड़े नहीं पहनने दूँगा ! आज ऐसे ही रहोगी बस ! शांति भी आख़िर उसकी मनुहार के आगे हार गई और दोनो ऐसे ही लिपट कर सो गये ! शाम सात बजे दोनो उठे तो शांति किचन मे जाकर डिनर तैयार करने लगी ! मदनलाल बार बार आकर उसके मस्ताने रूप को देखता रहता !
 

एक बार फिर मदनलाल किचन मे आकर उसे घूरने लगा तो शांति बोली
शांति - - - - ओह हो आप जाओ यहाँ से मुझे काम करने दो ! डिस्टर्ब मत करो
मदनलाल - - -- हम कहाँ कुछ कर रहे हैं ! केवल देख ही तो रहे हैं ?
शांति - - - नहीं कोई ज़रूरत नहीं है देखने की ! अब आप जाओ नहीं तो मैं कपड़े पहन लूँगी ! बेचारा मदनलाल खिसियाता हुआ चला गया ! उसका उतरा हुआ मुँह देख शांति बड़बड़ाई "" बाप रे इन मर्दों को क्या हो जाता है औरत अगर नंगी हो तो इनका तो दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता है कैसे आँख फाड़ फाड़ कर देख रहे थे जैसे पहली बार देख रहे हों !""और फिर उसके चेहरे पर गर्वीली मुश्कान आ गई !
रात को डिनर के बाद शांति ने मदनलाल को छेड़ा ! दोनो न्यूड ही बैठे थे
शांति - - - क्या सोच रहे हो ? लगता है बहू की याद आ रही है ?
मदनलाल - - - नहीं आज तो आँख से तुम हट ही नहीं रही हो ? जल्दी काम निपटाओ तो चले सोने ?
शांति - - - अच्छा जी आज के पहले तो कभी काम की चिंता नहीं रही !
मदनलाल - - - वो सब छोड़ो और चलो जल्दी
शांति - - - मुझे मालूम है आपको बहू की याद आ रही है ! मेरे पास एक आइडिया है ?
मदनलाल - - - क्या आइडिया है ?
शांति - - - आज हम चलके बहू के कमरे मे सोते हैं ! वहाँ तुम्हारा मन अच्छा लगेगा ?
मदनलाल - - - ये आइडिया कैसे आ गया तुम्हारे मन मे ?
शांति - - - बस आ गया ! आप जाके लेटो मैं आती हूँ आपका दूध लेकर ! मदनलाल जाकर कामया के बेड मे लेट गया ! वो भी इस आइडिया से खुश था ! डबल मज़ा लेने की बात थी ! चोदो शांति को और इमेजीन करो कामया को ! हैं ना डबल मज़ा !
शांति सब काम निपटा कर कामया के रूम मे पहुँची तो मदनलाल उसे देखता ही रह गया !
 

शांति ने एक नेट वाली नाइटी पहनी थी ! इसमे उसका बदन छुप कम रहा था और दिख अधिक रहा था ! इस महीन सी जालीदार ड्रेस मे वो न्यूड से भी ज़्यादा सेक्सी दिख रही थी ! मदनलाल ने सोचा "" शास्त्रों मे सच लिखा है नारी चाहे कितना भी आभूषण गहने पहन ले मगर वो वस्त्र के बिना शोभा नहीं पाती देखो ना शांति इस हल्के से पारदर्शी कपड़े मे पूर्ण नग्न से भी ज़्यादा खूबसूरत और कामोतेज्जक लग रही है ! "" उसने इस कपड़े को शहीद करने की सोची और उठकर शांति पर टूट पड़ा ! उसने कपड़े को उतारने की बजाय एक ही झटके मे फाड़ कर अलग कर दिया
शांति - - - ये क्या है मेरा कपड़ा क्यों फाड़ दिया ?
मदनलाल - - - ऐसा कपड़ा हम कल फिर ला देंगे मगर आज के लिए हमने तुम्हे कुछ भी नहीं पहनने को कहा था ना ! फिर मदनलाल ने उसे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके पैरों के बीच अपने को अड्जस्ट कर शांति पर चढ़ बैठा ! अगले ही पल शांति के मुँह से मादक कराहें निकलने लगी !
 


मदनलाल अभी कुछ अलग मूड बना के भी बैठा था ! सुबह से शांति के विशाल नितांब उसके धैर्य की परीक्षा ले रहे थे इसलिए वो आज शांति की गाँड मारने की सोच कर ही बैठा था ! कुछ देर उसकी बुर की कुटाई करने के बाद वो हट गया और ड्रेसिंग टेबल खोल कर कोल्ड क्रीम निकाल लाया ! उसके हाथ मे क्रीम की डब्बी देख कर ही शांति शंकित हो गयी 1 वो समझ गई की पति के इरादे नेक नहीं हैं
शांति - - - ये क्यों निकाल लाए ?
मदनलाल - - - रानी आज पीछे करेंगे
शांति - - - प्लीज़ वहाँ नहीं ! दर्द देता है !
मदनलाल - - - अरे कुछ नहीं होगा ! क्रीम लगा कर करेंगे ! थोड़ा सा दर्द शुरू मे होगा बस !
शांति - - - नहीं प्लीज़ समझो ! बहुत दर्द होता है ?
मदनलाल - - - अरे तुम तो ऐसा नाटक कर रही हो जैसे पहली बार करवा रही हो पीछे ?
शांति - - - अरे तो ये सब किए बीस साल हो गये हैं ! अब दर्द देगा ?
मदनलाल - - - अरे यार करने दे प्लीज़ ! बहुत ज़्यादा दर्द देगा तो बता देना निकाल लूँगा बस ! चल अब पलट कर घोड़ी बन जा ! शांति समझ गई अब ये नहीं मानेगे तो वो भी हारकर अपने आप को एक दर्दनाक सफ़र के लिए तैयार करने लगी ! वो पलटी और अपने पति के सबसे पसंदीदा आसान मे यानी की कुतिया बन गई ! मदनलाल ने क्रीम निकाल कर ढेर सारा क्रीम उसकी गाँड मे भर दिया ! वो अंदर तक उंगली डाल कर क्रीम भर रहा था ! उसकी उंगली गाँड के अंदर पहुँचकर शांति को मज़ा दे रही थी मगर शांति भी जानती थी उंगली उंगली होती है और लंड लंड होता है ! मदनलाल ने तस्सली से गाँड मे क्रीम भरी और फिर अपने लंड मे भी चिपोड कर उसे शांति की गाँड के छेद पर रख दिया ! शांति आने वाले दर्द के लिए अपने को तैयार करने लगी ! मदनलाल ने कइयों की गाँड मारी थी इसलिए उसे मालूम था क़ि इस रास्ते का सफ़र टॉप गियर मे नहीं बल्कि फर्स्ट गियर मे तय किया जाता है हौले हौले ! उसने गाँड के छेद मे टोपा रखकर दबाव डालना चालू कर दिया ! लंड के दबाव ने शांति की गाँड को फैलाना शुरू कर दिया और इसी के साथ शांति के चेहरे पर दर्द और पीड़ा की लकीर खिंचने लगी !
 

वो बड़ी मुश्किल से दर्द पी रही थी एक तो बदकिस्मत से उसके पति का लंड भी बहुत मोटा था जो कम से कम गाँड के लिए तो बिल्कुल भी नहीं बना था ! टोपा अंदर जाते जाते तक तो शांति के चेहरे पर पसीने की बूँद छलछला गई पर उसे ये भी पता था क़ि इसके बाद का सफ़र थोड़ा आराम दायक होगा ! गाँड को जितना फैलाना था वो टोपे ने फैला दिया था अब मदनलाल ने शाफ्ट मे एक बार और क्रीम लगाई और दबाव बड़ा दिया लंड सरसराता हुआ आधा से ज़्यादा अंदर चला गया और इसी के साथ शांति की चीख निकल गई
शांति - -- आ मर गई ! प्लीज़ धीरे करो ! एकदम से मत डालो सुनील के पापा !
मदनलाल - - - बस रानी बस जो होना था वो तो हो गया ! अब दर्द नहीं होगा बस थोड़ी देर बाद तुम्हे भी मज़ा आएगा ! पहले भी जब लेती थी तो कितना मज़ा लूटी हो !
शांति - - - आह ओह ! पहले की बात छोड़ो अभी तो दर्द दे रहा है ना ! आई संभाल के हौले हौले !
मदनलाल - - - बस ज़रा सा बचा है बस फिर दर्द ख़त्म ! और फिर मदनलाल हौले हौले अपनी गाड़ी हांकने लगा ! अब शांति को भी मज़ा आने लगा था ! गाँड मराने मे शुरू मे भले ही दर्द होता हो मगर बाद मे एक अलग ही लज़्जत का अनुभव होता है ! लंड की जो टाइट फीलींग औरत गाँड मे महसूस करती है वो चूत मे नहीं कर पाती ! एक बार रमा हो जाने के बाद मदनलाल ने जोरदार प्रहार चालू कर दिए ! कामया के रूम अब शांति की सिसकारी गूंजने लगी ! मदनलाल निकेतन एक बार फिर अपनी पहली बहू की मादक सिसकारियों से गूँज उठा !
आज मदनलाल ने तीन बार शांति को चोदा था शायद ऐसा बीस साल बाद हुआ होगा जब एक दिन मे उसने तीन बार शांति की शांति छीन ली हो ! थक के दोनो एक दूसरे को अपनी बाँहों मे लेके लेट गये ! थोड़ी देर बाद शांति एक बार फिर मदनलाल के लंड को बड़े प्यार से मुँह मे लेकर चूसने लगी !
 


मदनलाल को बड़ा आश्चर्य हुआ की शांति दादी बनने की खुशी मे कितनी गर्म है ! उसने कहा
मदनलाल - - - रानी आज तीन बार हो चुका है अब रहने दो कल करेंगे !
शांति - - - ठीक है आप आराम करो मुझे अपना काम करने दो ! थोड़ा इसको प्यार करना है ! वो काफ़ी देर तक लंड चूसती रही फिर बोली
शांति - - - सुनिए ?
मदनलाल - -- बोलो सुन रहा हूँ ?
शांति - -- बताइए ना बहू कैसे मानी और फिर आप ने पहली बार कैसे किया ?
मदनलाल - - - अरे यार अब नींद आ रही है बाकी कहानी कल यहीं पर बताऊँगा !
शांति - - - अच्छा बड़े चालाक हो कल का भी जुगाड़ कर रहे हो !
दोनो पति पत्नी दादा दादी बनने की खुशी मे सोने लगे मदनलाल तो बेचारा किसी और की औलाद को अपना समझ फूला नहीं समा रहा था ! इधर ये अपने मे खोए थे उधर कामया के मायके मे पहुँचते ही एक नहीं कहानी ने जन्म ले लिया !!!!!









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