Sunday, January 8, 2012

हिंदी सेक्सी कहानियाँ मेरी बहन-मेरा प्यार-2



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मेरी बहन-मेरा प्यार-2

दोस्तों मै आपको पहले ही अपना सारा किस्सा सुना चूका हूँ (मेरी बहन-मेरा प्यार part-१ में ) की किस तरह मेरे और मेरी बहन के बीच एक अलग ही तरह के प्यार की शुरुआत हुई थी|

उस दिन जो कुछ हुआ उसका एहसास आज तक मेरे दिल-ओ दिमाग पर छाया हुआ है | वो रात हम दोनों भाई-बहन के जीवन की सबसे हसीन रात थी और उस पूरी रात हम दोनों भाई-बहन सो नहीं सके | हम दोनों थोड़ी-थोड़ी देर के बाद प्यार करने लगते थे |



अगली सुबह तो जैसे मेरे जीवन की भी एक नयी सुबह थी | मुझे एक ऐसा एहसास हो रहा था जो आज तक जीवन में नहीं हुआ था | मुझे मेरी बहन के लिए अपने दिल में इतना प्यार कभी महसूस नहीं हुआ था | आज मेरा दिल कर रहा था की वो बस मेरी नजरो के सामने ही रहे- न तो वो स्कूल जाए और न ही मेरी नजरो के सामने से हटे| पूरा दिन इस इन्तजार में बीता कि कब रात होगी और कब मै दुबारा अमृता के बूब्स के साथ खेलूँगा और कब अमृता खुद मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाएगी | शायद वो दिन भी मेरी जिंदगी का सबसे लम्बा दिन महसूस हुआ था मुझे |



रात होते ही हम दोनों भाई बहन ने जल्दी से खाना खाया और सोने कि तैयारी करने लगे | बस हमें इन्तजार था तो सिर्फ मम्मी-पापा के सो जाने का | जैसे ही हमें लगा कि अब पापा-मम्मी सो चुके होंगे , हम दोनों भाई बहन एक दुसरे कि बाँहों में समां गए | सबसे पहले खुद अमृता ने ही मेरे होठों पे अपने होंठ रखे थे और मुझे किस्स करते हुए बोली थी- "भईया अब तो मम्मी-पापा सो गए होंगे, अब और इन्तजार नहीं हो रहा है |"

सच कहता हूँ अमृता के मुहं से ये शब्द सुनकर मै पागल जैसा हो गया था | मै किसी भूखे भेडिये कि तरह अपनी बहन के ऊपर टूट पड़ा था | अमृता को नीचे दबाते हुए मै पूरी तरह उसके ऊपर चढ़ गया था और जोर-जोर से अमृता के होंठ पीते हुए उसके बूब्स दबाने लगा था | उस टाइम मुझे अमृता इस दुनिया कि सबसे प्यारी बहन और सबसे खुबसूरत लड़की लग रही थी (और सच तो ये है कि आज लगभग ११ साल के बाद भी मुझे अमृता ऐसी ही लगती है )|

मै अमृता के ऊपर चड़ा (लेटा) हुआ था और अमृता मेरे नीचे लेटी हुई थी हम दोनों एक दुसरे को लिप्स-टू-लिप्स करते हुए एक दुसरे के होंठ पी रहे थे और मै अपने हाथो से कभी तो उसका चेहरा अपने हाथो में लेता और कभी उसे बूब्स मसलने लगता | कुर्ते से निकले हुए उसके बूब्स मुझे दीवाना बना रहे थे और मेरी सगी बहन का बदन मुझे मदहोश किये जा रहा था | खुद अमृता भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी | वो भी मेरे लंड को अपने हाथ में ले कर मसल रही थी | अमृता ने मेरा पजामा खोले बिना ही अंदर हाथ डाल रखा था और वो मेरे लंड को हिला रही थी | मैंने जैसे ही उसकी सलवार को खोलना चाहा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली - "नहीं भईया यहाँ नहीं | हम दोनों सगे भाई-बहन है इसलिए कुछ भी हो जाये- ये नहीं होना चाहिए |"

अमृता का लहजा इतना सख्त था कि मै उसकी सलवार खोलने कि हिम्मत ही नहीं कर सका और मै भी बिना सलवार खोले ही उसकी चूत सहलाने लगा| थोड़ी देर के बाद हम-दोनों एक-एक करके झड गए और उस रात भी एक बार दुबारा प्यार करके सो गए |

उसके बाद हम दोनों भाई बहन सिर्फ सिर्फ रात होने का इन्तजार करते थे | मम्मी कि मौजूदगी में हम दोनों की कुछ करने कि न ही तो हिम्मत होती थी और न ही हम दोनों कोई खतरा उठाना ही चाहते थे क्योकि हम दोनों जानते थे कि हमारी जरा सी भी लापरवाही हम दोनों को हमेशा हमेशा के लिए अलग कर सकती है | लेकिन कभी कभी मौका देख कर मै दिन में भी अमृता को बाँहों में भरकर किस्स करते हुए उसके बूब्स तो दबा ही देता था और वो भी मेरे लंड को थोडा सा सहला देती थी , मगर फिर भी हम दोनों दिन में पूरा प्यार नहीं कर पाते थे |

धीरे धीरे हम दोनों भाई बहन एक दुसरे के साथ पूरी तरह खुल गए थे | हमारे बीच कि सारी शर्म अब खत्म होती जा रही थी |अब हम दोनों किसी अच्छे जोड़े कि तरह एक दुसरे को अपनी पसंद और न-पसंद बताने लगे थे |मैंने अमृता को बताया कि मुझे सेक्स करते समय कुछ चीजे बहुत पसंद है जैसे-

१) oral sex

२) अमृता के बूब्स को बहुत जोर-जोर से चुसना और धीरे-धीरे काट लेना |

३) मुझसे इंग्लिश कि जगह हिंदी के शब्द जयादा उत्तेजित करते है- चूचियां, चूत, लंड आदि |

४) मुझसे सेक्स करते समय बहुत गन्दी-गन्दी गाली देने में मजा आता है |

अमृता ने भी मुझे कहा कि उसे लंड चुसना तो अच्छा लगता है मगर वीर्ये पीना नहीं , इसलिए वो मेरा लंड मुहं में लेकर चूस तो देगी मगर झड़ने से पहले ही मुझे अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकलना होगा |साथ ही अमृता को मेरे गाली देने से भी कोई ऐतराज नहीं था |बल्कि खुद अमृता मुझे लड़-प्यार में "बहन का लोड़ा" बुलाने लगी थी |और सच तो ये है की अपनी ही बहन के मुहं से (खासतौर से जब वो मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उसे देखते हुए कहती ) "बहन का लोड़ा " सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है और मुझे दिल ही दिल में इस दुनिया का सबसे खुशनसीब भाई होने का एहसास होता है |सेक्स करते समय जितनी गन्दी गन्दी गालियाँ मै अपनी सगी बहन को देता था (और आज भी देता हूँ ) अगर वैसी ही गालियाँ मै अपनी बीबी को देना चाहूँ तो शायद तलक हो जाये | मगर अमृता को इससे भी कोई ऐतराज नहीं था और वो तो खुद मुझे "बहन का लोड़ा कहती थी" -वो भी लाड-प्यार से |

इस तरह लगभग तीन महीने बीत गए और समय के साथ साथ हम दोनों भाई बहन की मस्ती , हमारी शरारते , हमारा प्यार बढता ही जा रहा था | लेकिन फिर भी मुझे अमृता की सलवार खोने की इजाजत नहीं मिली थी | मै अभी भी अमृता की सिर्फ सलवार में हाथ डाल कर ही उसकी चूत सहला सकता था उसे देखने की मुझे अभी भी इजाजत नहीं थी जबकि अमृता मेरा लंड मुहं में ले कर चूसती और झड़ने से पहले ही बाहर निकल देती थी | मै भी इतने से ही खुश था | मेरे लिए तो ये भी जीवन का सबसे बड़ा सुख था - जिस बहन के बूब्स के लिए मै तरसता रहता था अब मै उसके साथ जी भर कर खेल सकता था | साथ ही साथ खुद अमृता मेरे लंड को सहलाती थी और मुझे मुठ मर कर देती थी | इससे ज्यादा मुझे चाहिए भी क्या था ?

लेकिन एक दिन मै अपने दोस्तों के साथ सेक्सी फिल्म देख रहा था | उस फिल्म की हिरोइन की शक्ल बिलकुल मेरी बहन अमृता के जैसी लग रही थी | उसके बूब्स भी बहुत भरे हुए थे - बिलकुल अमृता के बूब्स की तरह | मै फिल्म देखते देखते हिरोइन की जगह अमृता को ही महसूस करने लगा | मुझे ऐसा लगने लगा जैसे की मै फिल्म नहीं देख रहा हूँ बल्कि अमृता का नंगा बदन देख रहा हूँ | जिस समय फिल्म में चूत चाटने का सीन आया , मेरा दिमाग अपनी बहन की चूत में समां गया | मै बार बार कल्पना करने लगा की अमृता की चूत भी बिलकुल ऐसी ही लगती होगी और अगर मै अमृता की चूत चाटूं तो अमृता को भी उतनी ही उत्तेजना होगी जितनी इस फिल्म की हिरोइन को हो रही है |उस फिल्म की हिरोइन के एक्सप्रेशंस थे भी बहुत जबरदस्त|उसी समय मेरे दिल में अमृता की चूत मरने की इच्छा पैदा हो गयी | मुझे लगा की अब मेरा काम सिर्फ उसकी चूची चूसने से नहीं चलेगा - अब तो मुझे उसकी चूत चाहिए ही चाहिए |
उस दिन घर जाते ही मैंने अमृता को अकेले में बुला कर सेक्सी फिल्म देखने की बात बताई और उसे कहा की मै इस समय खुद पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा हूँ इसलिए वो मेरी मुठ मार दे | मगर अमृता ने मम्मी के डर से दिन में ये सब करने से मन कर दिया और रात होने तक इन्तजार करने के लिए कहा | मुझसे रात तक का इन्तजार नहीं हो पा रहा था इस लिए मै बार बार अमृता से लंड हाथ में ले कर सहलादेने का और उसके बूब्स दिखने अनुरोध किये जा रहा था | मगर अमृता नहीं मानी| जिसके कारण मूड ख़राब हो गया और मुझे टॉयलेट में जा कर अपने ही हाथ से मुठ मारनी पड़ी |
रात तक मेरा मोड़ ख़राब रहा | अमृता ने जब रात को मुझसे माफ़ी मांगी तब भी मेरा गुस्सा ठंडा नहीं हुआ | अमृता ने मेरे लंड को सहलाना चाहा, मुझे किस्स करना चाहा , मगर गुस्से के कारण मेरे अंदर कोई उत्तेजना नहीं हो रही थी लेकिन फिर भी मैंने अमृता का दिल तोडना उचित नहीं समझा और उसका साथ देते हुए उसकी मुठ मार दी | उसने भी मेरी मुठ मारी लेकिन मुझे जयादा आनंद नहीं आया |और इस बात का एहसास अमृता को भी हो रहा था की आज मेरा दिमाग उसके साथ सेक्स करने में नहीं है |

लेकिन थोड़ी देर के बाद लेटे-लेटे मेरे दिल में फिर से अमृता की चूत मारने के विचार आने लगे और मेरा गुस्सा भी कम हो गया | मैंने सोती हुई अपनी बहन को उठाते हुए पूछा - अमृता सो गयी क्या?
उसने कहा- नहीं |मैंने उसे लिप्स टू लिप्स करना शुरू कर दिया और उसके बूब्स मसलते हुए उसे गरम करने लगा | अमृता जानती थी की आज मै उससे बहुत नाराज था इसलिए वो भी मेरा सहयोग कर रही थी | उसने मुझे बाँहों में भरते हुए पूछा- भईया आज आपको क्या हुआ है आपको इतने गुस्से में पहले तो कभी नहीं देखा था ? क्या आप अंपनी छोटी बहन को माफ़ नहीं कर सकते ? तब मैंने उससे कहा- अमृता अगर तू मेरी एक इच्छा पूरी कर दे तो मेरा गुस्सा अपने आप शांत हो जायेगा |अमृता ने जब मुझसे मेरी इच्छा पूछी तब मैंने उसे कहा - अमृता आज मै तुझे पूरी तरह से नंगा देखना चाहता हूँ | मै तेरी चूत चाटना चाहता हूँ | अगर तू मेरी ये इच्छा पूरी कर दे तो सच कहता हूँ बहन मै तेरा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगा |
अमृता पहले तो कुछ पलों के किये खामोश हो गयी सिर्फ मेरी आँखों में ऑंखें डाल कर देखती रही |फिर बिना कुछ बोले आँखों के इशारे से अपनी रजामंदी जताते हुए उसने मेरे होठों को चुसना शुरू कर दिया |
पहले तो मुझे समझ में नहीं आया कि अमृता ने मुझे हाँ कर दी है मगर जब अमृता ने ये कहा की -"भईया मेरी जिंदगी में आपसे ज्यादा मायने कोई इंसान नहीं रखता ,इसलिए आप जो चाहो, मुझे मंजूर है |" सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था |मै इस बात का बिलकुल यकीन नहीं कर पा रहा था कि आज मै अपनी सगी बहन को ही पूरी तरह से नंगा देखूंगा और उसकी चूत चूसते हुए उसे चाट सकूँगा |

बस फिर क्या था मैंने अमृता के बदन के सारे कपडे नोच डाले | अमृता को नंगा करते समय मै इतना बेसब्रा हो रहा था की मुझसे उसके कपडे भी नहीं उतर पा रहे थे |मै उसके कपडे उतरने की जगह फाड़ने को कोशिश करने लगा था |लेकिन अमृता ने मम्मी के डर के कारण ऐसा करने नहीं दिया, क्योकि फटे हुए कपड़ो का जवाब मम्मी को देना पड़ता |

जिस पल अमृता के सरे कपडे उतर चुके थे और वो बिलकुल नंगी हो कर मेरे सामने, मेरे बिस्तर पर बिछी हुई थी , मै अपने होशोहवास खो चूका था | मेरी सगी बहन मेरे बिस्तर पर लेटी हुई थी और वो भी बिलकुल नंगी |मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मै पहले उसके भरे-पूरे गोल-गोल बूब्स देखूं या उसकी टांगो के बीच बालों से ढकी हुई उसकी चूत देखूं, जो मैंने आज तक नहीं देखी| मै स्तब्ध सा खड़ा हुआ अपनी नंगी बहन को देखता जा रहा था और अमृता शर्म से सिमटती जा रही थी |शर्म के कारण अमृता ने अपने दोनों हाथों को बांधते हुए अपने बूब्स ढक लिए और अपनी टांगो को सीमेटते हुए अपनी चूत छुपा ली थी |
जब मैंने अपने हाथों से उसकी टांगो को खोलते हुए और बाजु को हटाते हुए चूत और बूब्स को देखना चाहा तो उसने मुझे भी मेरे सरे कपडे उतरने को कहा | मैंने बिना कोई समय गवाए अपने सरे कपडे उतर डाले और उसके सामने नंगा खड़ा हो गया |

इस समय हम दोनों भाई बहन कमरे में बिलकुल नंगे थे |अमृता मेरे सामने अपने नंगे बदन के साथ बिस्तर पर लेटी हुई थी और मैं बिलकुल नंगा होकर अपने खड़े हुए लंड के साथ उसके सामने खड़ा हुआ था |तभी अमृता उठी और लपक कर मेरे लंड पर टूट पड़ी | वो कभी मेरे लंड को सहलाती तो कभी पागलो की तरह उसे मुहं में ले कर चूसती और कभी किस्स करती |शायद वो भी मेरी तरह ये नहीं समझ पा रही थी कि आखिर अब क्या करना चाहिए |थोड़ी देर तो मै भी अमृता से अपना लंड चुसवाता रहा और अपने हाथ से उसके लटके हुए बूब्स को सहलाते हुए गाली देता रहा | तभी अचानक से मुझे उसकी चूत चूसने कि याद आयी और मैंने उसे गाली देते हुए पलंग पर धक्का दिया और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया | सच कहता हूँ दोस्तों फिल्म कि हिरोइन भी क्या तड्पी होगी जो मेरी बहन तड़प रही थी और उसको इस तरह मदहोशी में तडपता देख कर जो ख़ुशी मुझे मिल रही थी , उससे शब्दों में बयां नहीं क्या जा सकता है |
मैंने चूत चाट चाट कर ही उसे ठंडा कर दिया था और मै खुद भी झड चुका था, मगर मेरी तस्सल्ली अभी हुई नहीं थी | थोड़ी ही देर के बाद हम दोनों भाई बहन फिर से गरम हो गए और इस बार न तो मुझे अमृता से इजाजत लेने कि जरुरत लगी और न ही अमृता ने मुझे रोका | इस बार मेरा लंड सीधा मेरी बहन कि चूत के अंदर था |जो मजा पहली पहली बार का होता है वो कभी दुबारा नहीं मिलता | आज ११ साल से हम दोनों भाई बहन लगभग रोज ही प्यार करते है , मगर जो एहसास उस पहली रात का था उसे बयाँ नहीं कर सकते |

उस रात जो मेरा लंड अपनी बहन की चूत में गया , फिर कभी बाहर आने को तैयार नहीं हुआ | ११ साल से मै अपनी बहन की चूत मार रहा हूँ मगर न तो मेरा मन भरा है और नहीं ही मेरी बहन की प्यास भुझी है | आज वो २८ साल की हो चुकी है |मामी पापा उसके लिए रिश्ते ढूंढ़ रहे है मगर हम दोनों कोई न कोई कमी निकल कर मन कर देते है |

कोई माने या न माने , मै दिल खोल कर कहूँगा- जो मजा अपनी सगी बहन की चूत मरने का है, वो मजा किसी की भी चूत मरने का नहीं हो सकता | अगर एक बार किसी ने अपनी सगी बहन की चूत मार ली तो वो जिंदगी भर उसे छोड़ नहीं सकता |






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