Sunday, January 8, 2012

raj sharma stories बूढ़ो मे भी दम है --4



raj sharma stories
बूढ़ो मे भी दम है --4 

गतान्क से आगे.........
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा बूढो मे भी दम है का लास्ट भाग लेकर हाजिर हू अब आगे..
" माआआअ…………ऊऊऊफफफफफफफफ्फ़…….माआआअ" मैं कराह उठी.

धीरे धीरे उनके लिंग मे हरकत आ गयी और वो मेरी गुदा के अंदर आगे पीछे होने लगी. धीरे धीरे दर्द भी कम हो गया. कुच्छ देर बाद मैने अपने हाथ से च्छू कर देखा तो पाया उनका लिंग पूरा मेरे अशोल मे समा चुक्का था. अब इसी तरह मेरे गुदा मे धक्के मारते हुए उन्हों ने मेरी कमर को अपनी बाहों मे लिया और पीछे की ओर लुढ़क गये. अपनी गुदा मे उनका लिंग लिए लिए ही मैं उनके उपर लेट गयी. अब शर्मा अंकलने मेरी टाँगों को उठा कर मेरे सीने पर मोड़ दिया. इससे मेरी चूत उनके सामने हो गयी. उन्हों ने अब मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरे अंदर अपना लिंग प्रवेश कर दिया. अब दोनो आगे और पीछे से मेरे दोनो होल मे धक्के मारने लगे. मैं उनके बीच मे सॅंडविच बनी हुई थी. दोनो इस तरह ज़्यादा देर नही कर पाए. दोनो की ना तो अब वैसी उम्र थी कि मुझ जैसी आग को दोनो तरफ से झेल सके ना ही उनकी बढ़ी हुई तोंद उन्हे ऐसा करने दे रही थी. कुच्छ ही देर मे कंदर अंकल ने अपना रस मेरी गुदा के अंदर डाल दिया और नीचे से निकल कर अलग हो गये. अब शर्मा अंकल ही सिर्फ़ धक्के लगा रहे थे. काफ़ी देर तक धक्के देने के बाद उनके लिंग ने मेरी योनि मे पिचकारी की तरह रस छ्चोड़ दिया. हम तीनो अब बिस्तर पर लेटे लेटे हाँफ रहे थे. कंदर अंकल उठ कर फ्रिड्ज से ठंडे पानी की बॉटल निकाल कर ले आए. हम तीनो अपनी अपनी प्यास बुझा कर थोड़े शांत हुए. मगर मैं इतनी जल्दी शांत होने वाली थी नही. मैं दोनो के लिंग सहला कर वापस उन्हे उत्तेजित कर रही थी. दोनो शांत पड़े हुए थे. मुझे गुस्सा तो तब आया जब मैने कंदर अंकल के ख़र्राटों की आवाज़ सुनी.

" क्या अंकल इतनी जल्दी सो गये क्या." मैने उन्हे हिलाया मगर उनकी आँख नही खुली.

" चल छ्चोड़ इन्हे. मैं हूँ ना. तू तो मेरे लिंग से खेल. " कह कर वो मेरे बूब्स को मसल्ने लगे. मैं करवट बदल कर पूरी तरह उनके बदन के उपर लेट गयी. मेरा सिर उनके बालों भरे सीने पर रखा हुआ था चूचिया उनके छाती की उपर चपटी हो रही थी. और योनि के उपर उनका लिंग था. इसी तरह कुच्छ देर हम लेटे रहे. फिर मैने अपनी दोनो कोहनी को मोड़ कर उनके सीने पर रखी और उसके सहारे अपने चेहरे को उठाया. कुच्छ देर तक हमारी नज़रें एक दूसरे मे खोई रही फिर मैने पूछा.

"अब तो आपकी मुराद पूरी हो गयी?" मैने पूछा

" हां… जब से तुम इस बिल्डिंग मे रहने आई हो मैं तो बस तुम्हे ही देखता रहता था. रात को तुम्हारी याद कर के करवटें बदलता रहता था. लेकिन तुम मेरी बहू के उम्र की थी इसलिए मुझमे साहस नही हो पाता था कि मैं तुम्हे कुच्छ कहूँ. हाहाहा …… मुझे क्या मालूम था कि गीदड़ की किस्मेत मे कभी अंगूर का गुच्छा टूट कर भी गिर सकता है."

"एक बात बताओ? सपना भी तो इतनी खूबसूरत और सेक्सी है. उसे चोदा है कभी?" मैने उन्हे उनकी पुत्रवधू के बारे मे पूछा.

" नही कभी मौका ही नही मिला. एक बार कोशिश की थी. लेकिन उसने इतनी खरी खोटी सुनाई की मेरी पूरी गर्मी शांत हो गयी. उसने दीपू से शिकायत करने की धमकी दी थी. इसलिए मैने चुप रहना ही उचित समझा."

"बेचारी…उसे क्या मालूम कि वो क्या मिस कर रही है." मैने उनके हल्के हल्के से उभरे निपल्स पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा.

फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे बिस्तर से उठाया और अपने साथ लेकर ड्रेसिंग टेबल के पास गये. मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा करके मेरे बदन से पीछे की ओर से लिपट गये. हम दोनो एक दूसरे मे हमारे गूँथे हुए अक्स देख रहे थे. मुझे बहुत शर्म आ रही थी. उनके हाथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे, मेरे निपल्स को खींच रहे थे, मेरी योनि मे उंगलियाँ डाल कर अंदर बाहर कर रहे थे. मैने महसूस किया कि उनका लिंग अब वापस खड़ा होने लगा है. फिर वो मुझे लेकर बिस्तर के किनारे पर आकर मुझे झुका दिया. उनके झुकने से मैं बिस्तर पर सोए हुए कंदर अंकल पर झुक गयी थी. मेरे पैर ज़मीन पर थे. पीछे से शर्मा अंकल ने अपने लिंग को मेरे योनि के द्वार पर सेट किया. एक धक्का देते ही उनका लिंग योनि मे घुस गया. अब तो योनि मे घुसने मे उसे कोई भी तकलीफ़ नही हुई. वो पीछे से धक्के लगाने लगे. साथ साथ वो अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को भी मसल रहे थे. मेरा सिर कंदर अंकल के लिंग के कुच्छ उपर हिल रहा था. मैने एक हाथ से उनके ढीले पड़े लिंग को खड़ा करने की नाकाम कोशिश की मगर मेरे बहुत चूसने और सहलाने के बाद भी उनके लिंग मे कोई जान नही आई. शर्मा अंकल ने उसी तरह से काफ़ी देर तक धक्के मारे. मेरा वापस रस बह निकला. मैं निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी. शर्मा अंकल ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरी कमर को अपनी ओर खींचा और वापस धक्के मारने लगे. कुच्छ ही देर मे उनका भी रस निकल गया. हम वापस बिस्तर पर आकर सो गये. सुबह सबसे पहले कंदर अंकल की नींद खुली. मैने अपने शरीर पर उनकी कुच्छ हरकत महसूस की तो मैने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा की वो मेरी टाँगों को अलग कर के मेरी योनि को चाट रहे थे. मैं बिना हीले दुले पड़ी रही. कुच्छ देर बाद वो मेरे निपल्स को चूसने लगे. उनके चूसे जाने पर नरम पड़े निपल्स फिर से खड़े होने लगे. कुच्छ देर बाद वो उठ कर मेरे सीने के दोनो तरफ अपनी टाँगे रख कर मेरे दोनो बूब्स के बीच अपने लिंग को रखा फिर मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर अपने लिंग को उनके बीच दाब लिया फिर अपने कमर को आगे पीछे करने लगे. मानो वो मेरी दोनो चूचियो के बीच की खाई नही होकर मेरी योनि हो. उनकी हरकतों से मुझे भी मज़ा आने लगा. मैं भी फिर से गर्म होने लगी. लेकिन मैने उसी तरह से पड़े रहना उचित समझा.

कुच्छ देर बाद वो उठ कर मेरे दोनो टाँगों के बीच आ गये. अब तक उनके उस मोटे लिंग को मैने अपनी योनि मे नही लिया था. मैं उनके लिंग का अपनी योनि मे इंतेज़ार करने लगी. वो शायद जान गये थे कि मैं जाग चुकी हूँ इसलिए वो मेरी योनि और गुदा के उपर अपने लिंग को कुच्छ देर तक फिराते रहे. मैं हार मान कर अपनी कमर को उपर उठाने लगी. लेकिन उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से हटा लिया. मैने तड़प कर उनके लिंग को अपने हाथों मे थाम कर अपनी योनि मे डाल लिया. उनके लिंग को लेने एक बार मे हल्की सी दर्दीली चुभन महसूस हुई लेकिन उसके बाद उनके धक्कों से तो बस आनंद आ गया. मैं भी उनका पूरी तरह सहयोग देने लगी. वो मेरे उपर लेट गये. उनके होंठ मेरे होंठों पर फिरने लगे. उनके मुँह से बासी मुँह की बदबू आ रही थी. लेकिन इस समय उस बदबू की किसे परवाह थी. मुझे तो सिर्फ़ उनके धक्के याद रहे. काफ़ी देर इसी तरह करने के बाद उन्हों ने अपना रस छ्चोड़ दिया.

तब तक शर्मा अंकल भी उठ गये थे. वो भी हम दोनो के साथ हो लिए. शाम तक इसी तरह खेल चलते रहे. हम तीनो एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश मे लगे हुए थे. उस दिन उन बूढो ने मुझे वो मज़ा दिया जिस की मैने कभी कल्पना भी नही की थी. कंदर अंकल के साथ फिर तो कभी सहवास का दुबारा
मौका नही मिला लेकिन जब तक मैं उस अपार्टमेंट मे रही तब तक मैं शर्मा अंकल से चुदवाती रही. दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त




budhoo me bhi  dam hai --4

gataank se aage.........
" maaaaaaa…………oooooofffffffff…….maaaaaaa" mai karah uthi.

Dheere dheere unke ling me harkat a gayee aur wo mere gude ke andar age peechhe hone lagi. dheere dheere dard bhi kam ho gaya. Kuchh der baad maine apne hath se chhu kar dekha to paya unka ling poora mere asshole me sama chukka tha. Ab isi tarah mere guda me dhakke marte huye unhon ne merekamar ko apni bahon me liya aur peechhe ki or ludhak gaye. Apnee guda me unka ling liye liye hi mai unke upar let gayee. Ab Sharma uncle mere tangon ko utha kar mere seene par mod diye. Isse meri chut unke samne ho gayee. unhon ne ab mere chut ki fankon ko alag karke mere andar apna ling pravesh kar diya. Ab dono age aur peeche se mere dono hole me dhakke marne lage. Mai unke beech me sandwich bani hui thi. Dono is tarah jyada der nahi kar paye. Dono kin a to ab waisi umr thi ki mujh jaisi aag ko dono taraf se jhel sake na hi unki badhi huyi tond unhe aisa karne de rahi thi. Kuchh hi der me Kamdar uncle ne apna ras mere guda ke andar daal diya aur neeche se nikal kar alag ho gaye. Ab Sharma uncle hi sirf dhakke laga rahe the. Kafi der tak dhakke den eke baad unke ling ne meri yoni me pichkari ki tarah ras chhod diya. Hum teeno ab bistar par lete lete hanf rahe the. Kamdar uncle ne uth kar fridge se thande pani ki bottle nikal kar le aye. Hum teeno apni apni pyas bujha kar thode shant huye. Magar mai itni jaldi shant hone wali thi nahi. Mai dono ke ling sahla kar wapas unhe uttejit kar rahi thi. Dono shant pade huye the. Mujhe gussa to tab aya jab maine Kamdar uncle ke kharraton ki awaj suni.

" Kya uncle itni jaldi so gaye kya." Maine unhe hilaya magar unki ankh nahi khuli.

" chal chhod inhe. Mai hoon na. tu to mere ling se khel. " kah kar wo mere boobs ko masalne lage. Mai karwat badal kar poori tarah unke badan ke upar le gayee. mera sir unke balon bhare seene par rakha hua tha chhatiyan unke chhatiyon ki upar chapti ho rahi thi. Aur yoni ke upar unka ling tha. Isi tarah kuchh der hum lete rahe. Fir maine apni dono kohni ko mod kar unke seene par rakhi aur uske sahare apne chehre ko uthaya. Kuchh der tak humari najaren ek doosre me khoi rahi fir maine poochha.

"ab to apki murad poori ho gayee?" maine poochha

" haan… jab se tum is building me rahne ayi ho mai to bus tumhe hi dekhta rahta tha. Raat ko tumhari yaad kar ke karwaten badalta rahta tha. Lekin tum meri bahu ke umr kit hi isliye mujhme sahas nahi ho pata tha ki mai tumhe kuchh kahoon. Hahaha …… mujhe kya maloom tha ki gidad ki kismet me kabhi angoor ka guchha tut kar bhi gir sakta hai."

"ek baat batao? Sapna bhi to itni khoobsoorat aur sexy hai. Use choda hai kabhi?" maine unhe unke putravadhu ke bare me poochha.

" Nahi kabhi mauka hi nahi mila. Ek baar koshish kit hi. Lekin usne itni khari khoti sunai ki meri poori garmi shant ho gayee. usne Dipu se shikayat karne ki dhamki di thi. Isliye maine chup rahna hi uchit samjha."

"bechaari…use kya maloom ki wo kya miss kar rahi hai." Maine unke halke halke se ubhare nipples par apni jeebh firate huye kaha.

Fir hum dono ek doosre ko choomne chatne lage. Kuchh der baad unhon ne mujhe bistar se uthaya aur apne saath lekar dressing table ke paas gaye. Mujhe dressing table ke samne khada karke mere badan se peechhe ki or se lipat gaye. Hum dono ek doosre me humare gunthe huye aks dekh rahe the. Mujhe bahut sharm a rahi thi. Unke hath mere boobs ko masal rahe the, mere nipples ki kheench rahe the, meri yoni me ungliyan daal kar andar bahar kar rahe the. Maine mahsoos kiya ki unka ling ab wapas khada hone laga hai. Fir wo mujhe lekar bistar ke kinare par akar mujhe jhuka diye. Unke jhukane se mai bistar par soye huye Kamdar uncle par jhuk gayee thi. Mere pair jameen par the. Peechhe se Sharma uncle ne apne ling ko mere yoni ked war par set kiya. Ek dhakka dete hi unka ling yoni me ghus gaya. Ab to yoni me ghusne me use koi bhi takleef nahi hui. Wo peechhe se dhakke lagane lage. Saath saath wo apne dono hathon se mere boobs ko bhi masal rahe the. Mera sir Kamdar uncle ke ling ke kuchh upar hil raha tha. Maine ek hath se unke dheele pade ling ko khada karne ki nakam koshish ki magar mere bahut choosne aur sahlane ke baad bhi unke ling me koi jaan nahi ayee. Sharma uncle usi tarah se kafi der tak dhakke mare. Mera wapas ras bah nikla. Mai nidhal ho kar bistar par gir padi. Sharma uncle ne apne hathon se pakad kar mere kamar ko apni or kheencha aur wapas dhakke marne lage. Kuchh hi der me unka bhi ras nikal gaya. Hum wapas bistar par akar so gaye. Subah sabse pahle Kamdar uncle ki neend khuli. Maine apne shareer par unki kuchh harkat mahsoos ki to maine apni ankhon ko thoda sa khol kar dekha ki wo meri tangon ko alag kar ke meri yoni ko chat rahe the. Mai bina hile dule padi rahi. Kuchh der baad wo mere nipples ko choosne lage. Unke choose jane par naram pade nipples fir se khade hone lage. Kuchh der baad wo uth kar mere seen eke dono taraf apni tange rakh kar mere dono boobs ke beech apne ling ko rakha fir mere dono boobs ko pakad kar apne ling ko unke beech dab liya fir apne kamar ko age peechhe karne lage. Mano wo mere dono chhatiyon ke beech ki khai nahi hokar meri yoni ho. unki harkaton se mujhe bhi maja ane laga. Mai bhi fir se garm hone lagi. lekin maine usi tarah se pade rahna uchit samjha.

Kuchh der baad wo uth kar mere dono tangon ke beech a gaye. Ab tak unke us mote ling ko maine apni yoni me nahi liya tha. Mai unke ling ka apni yoni me intezar karne lagi. wo shayad jan gaye the ki mai jag chuki hoon isliye wo meri yoni aur guda ke upar apne ling ko kuchh der tak firate rahe. Mai har man kar apni kamar ko upar uthane lagi. lekin unhon ne apne ling ko meri yoni se hata liya. Maine tadap kar unke ling ko apne hathon me tham kar apne yoni me daal liya. Unke ling ko lene ek baar me halki si dardili chubhan mahsoos hui lekin uske baad unke dhakkon se to bus anand a gaya. Mai bhi unka poori tarah sahyog dene lagi. wo mere upar let gaye. Unke honth mere honthon par firne lage. Unke munh se basi munh ki badbu a rahi thi. Lekin is samay us badboo ki kise parwah thi. Mujhe to sirf unke dhakke yad rahe. Kafi der isi tarah karne ke baad unhon ne apna ras chhod diya.

Tab tak Sharma uncle bhi uth gaye the. Wo bhi hum dono ke saath ho liye. Shaam tak isis tarah khel chalet rahe. Hum teeno ek doosre ko harane ki poori koshish me lage huye the. Us din un buddhon ne mujhe wo maja diya jis ki maine kabhi kalpana bhi nahi kit hi. Kamdar uncle ke saath fir to kabhi sahwas ka dob
ara mauka nahi mila lekin jab tak mai us apartment me rahi tab tak mai Sharma uncle se chudawti rahi.

samaapt


--
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ --  Raj Sharma --



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Posted By .....raj..... to राज शर्मा की कामुक कहानिया at 8/12/2011 01:35:00 AM



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